Fantasy काले जादू की दुनिया adultery

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To bhaiyon kaise hain aap loge achchhe hi honge
To me ye keh raha tha me ek new story start kar raha hoon ye story copy hai pata nahi kis ne likhi hai par kisi ne bhi likhi ho usko credit dete hue story start kar raha hoon
 
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फ्रेंड्स जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि मैं कोई राइटर नही हूँ पर कोई कहानी अच्छी लगती है तो उसे हिन्दी में डब कर lustywebपर पोस्ट कर देता हूँ दोस्तो ये कहानी सेक्सी होने के साथ काले जादू पर आधारित है ...........
Update 1
अर्जुन………बचाओ मुझे……मैं यहाँ इस अंधेरी खौफनाक गुफा मे बंद हू…मेरे बेटे बस एक तुम ही हो जो मुझे यहाँ से बाहर निकाल सकते हो………”

एक ऐसा ही सपना उसके दिमाग़ के अंधेरे गलियारो मे आता है जिस से अर्जुन की नींद खुल गयी.

“माआआआ……………” अर्जुन हड़बड़ा के उठ गया. उसके चेहरे पर पसीने की बूंदे सॉफ दिखाई दे रही थी.

“पिच्छले दो महीनो से मुझे यह अजीबो ग़रीब सपने आ रहे है. लगता है जैसे कि मेरी माँ मुझे पुकार रही हो. पर यह कैसे हो सकता है, मेरी माँ तो बारह साल पहले ही मर चुकी है. लेकिन उनकी यह दर्द भरी पुकार अभी भी मेरे कानो मे मंदिर की घंटियों की तरह गूँज रही है. आख़िर इन सपनो का अचानक आने का क्या मतलब हो सकता है.”

अर्जुन अपने इन्ही ख़यालो मे खोया हुआ था कि बाहर दरवाज़े की घंटी बज गयी. बाहर शाम हो चुकी थी पर अभी भी आसमान मे घने काले बादल छाए हुए थे, हल्की हल्की ठंडी हवा चल रही थी जो दिन मे हुए बारिश के होने का सबूत थी. साइट पर बहुत काम होने की वजह से अर्जुन जो वहाँ का चीफ इंजिनियर था, थोड़ा थक गया था जिसकी वजह से उसे हल्की नींद आ गयी थी.

अर्जुन तौलिया लपेट कर जम्हाई लेते हुए दरवाज़े तक पहुचा, “कौन है…?” उसने पूछा.

“अरे कौन है भाई...अब बोलो भी...” उसने फिर दोहराया.

“तुम्हे मैं भाई दिखती हू...” बाहर से एक लड़की की मीठी आवाज़ आई.

जैसे ही अर्जुन ने दरवाज़ा खोला तो सामने एक खूबसूरत लड़की टाइट सफेद पंजाबी सूट मे खड़ी थी. “अरे सलमा...तुम यहाँ...व्हाट आ सर्प्राइज़ बेब...” कहते हुए अर्जुन ने उस सुंदर सी लड़की को कमर से पकड़ कर अंदर खीच लिया और अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया.

“ह्म्‍म्म.....मिस्टर. अर्जुन आज आप बड़े नॉटी मूड मे लग रहे हो...क्या बात है, मैM मिली नही इतने दिनो से तो इतने बेकरार हो गये...” सलमा अर्जुन की बाँहो मे झूमते हुए बोली.

अर्जुन ने सलमा को धक्का दे कर दीवाल के सहारे झुका दिया और उसकी गंद पकड़ कर अपने लंड से कस कर चिपका लिया, फिर पीछे से उसकी एक कान को हल्के से चूस्ते हुए बुद्बुदाया, “तेरी चूत जो नही मिली मुझे इतने दिनो से...”

“आह....उम्म्म....छोड़ो अर्जुन जब देखो तब तुम्हे सिर्फ़ सेक्स ही सेक्स दिखता है...तुम जानते हो ना मुझे यह सब करना बिल्कुल पसंद नही है... अब तो कभी कभी लगता है कि तुम मुझसे नही सिर्फ़ मेरे जिस्म से प्यार करते हो.”

अर्जुन ने सलमा की बातों पर ध्यान नही दिया और उसकी गंद मे अपना खड़ा लॉडा पीछे से रगड़ने लगा. सलमा को यह एहसास हो चुका था कि उसके आशिक़ का लंड खड़ा हो चुका है और तौलिए के अंदर से उसकी गंद मे घुसने की कोशिश कर रहा है.

सलमा बचने के लिए जैसे ही आगे की ओर झुकी वैसे ही अर्जुन ने भी अपना तना हुआ लंड उसकी गंद के साथ साथ आगे बढ़ा दिया और ज़ोर से उसकी टाइट गंद पे गढ़ा दिया. कमर के चारो तरफ हाथो का शिकंजा बना कर अर्जुन, सलमा के कानो को बड़ी शिद्दत से चूसने लगा. फिर वो हौले से नीचे आया और बड़े प्यार से सलमा की गोरी पीठ और गर्दन को चूमने लगा.

अर्जुन को पता था कि कान और गर्दन चूसने और चूमने से सलमा बहुत ज़्यादा और बहुत जल्दी गरम हो जाती है, पर फिर भी अभी तक सलमा ने उसे अपने साथ सेक्स करने नही दिया था.

पर फिलहाल सलमा भी लगातार अपनी पीठ और गर्दन पर अर्जुन की गरम सांसो को महसूस कर रही थी जो उसे बहुत ही ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था.

“उम्म्म्म......आहह.....ओह्ह्ह्ह....प्लीईईईईईज...अर्जुंन्ं...तुमने मुझसे वादा किया था कि हम शादी से पहले कभी सेक्स नही करेंगे...” सलमा की आवाज़ मे विरोध से ज़्यादा समर्थन था.

अर्जुन को तो अभी सलमा के जिस्म के अलावा कुछ और दिख ही नही रहा था. वासना उसपर पूरी तरह से हावी हो चुकी थी. उसने झटके से सलमा को घुमाया और उसके होंठो को अपने होंठो मे क़ैद कर लिया.

सलमा पर भी खुमारी चढ़ती जा रही थी. उसने अपने कोमल मुलायम हाथ अर्जुन के गर्दन के चारो तरफ डाल दिए और उसके होठ चूसने लगी. अर्जुन ने मौका देख कर अपने हाथो मे सलमा की गंद को थाम लिया और ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा. सलमा अब पूरी तरह से बावली हो चुकी थी. अर्जुन ने सलमा की गर्दन से उसका दुपट्टा उतार फेका और उसके बड़े बड़े दूध को कमीज़ के उपर से दबोच कर मसल्ने लगा.

“आह....अर्जुन....प्लीज़...मैं सेक्स नेह्हियियी करना चाहती....” सलमा अपनी चुचि मसले जाने से बहुत उत्तेजित हो रही थी.

“जानू तुम पूरे दो महीने बाद मुंबई आई हो....तेरी इस कमसिन बुर मे मेरे लौडे का एक राउंड तो बनता है ना...” कहते हुए अर्जुन सलमा की मोटी चुचियो को दबोच कर उनसे खेलने लगा. इतनी ज़ोर से चुचि मसले जाने से सलमा कराह उठी. अर्जुन ने उसको अपने गोद मे उठाया और ले जाकर बेरहमी से अपने बिस्तर पर पटक दिया. अपना तौलिया हटा के वो सलमा पे टूट पड़ा.

एक झटके मे सलमा की कमीज़ उसके जिस्म से अलग हो गयी. अंदर काले रंग की टाइट सिल्की ब्रा मे उसकी गोरी चुचि बाहर आने को बेताब थी.

“प्लीज़ अर्जुन...इसके आगे मत बढ़ो...तुम्हे मेरी कसम...” गिडगिडाते हुए सलमा अपनी चुचि अर्जुन की वासना भरी निगाहों से छुपाने लगी. उसे लगने लगा था कि अगर वो अर्जुन को नही रोकेगी तो वो हो जाएगा जो वो शादी से पहले नही करना चाहती. उसकी आँखो से वासना का परदा हट चुका था.

टू बी कंटिन्यूड...
 
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Update 2

अब तक आपने पढ़ा...........................
“प्लीज़ अर्जुन...इसके आगे मत बढ़ो...तुम्हे मेरी कसम...” गिडगिडाते हुए सलमा अपनी चुचि अर्जुन की वासना भरी निगाहों से छुपाने लगी. उसे लगने लगा था कि अगर वो अर्जुन को नही रोकेगी तो वो हो जाएगा जो वो शादी से पहले नही करना चाहती. उसकी आँखो से वासना का परदा हट चुका था.


अब आगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

“कम ऑन डार्लिंग...किसी बाय्फ्रेंड गर्लफ्रेंड के बीच चुदाई तो होती ही है...” कहते हुए ज़बरदस्ती अर्जुन ने ब्रा को फाड़ कर सलमा की चुचियो को आज़ाद कर दिया.

अर्जुन के इस वहशिपन को एक बार देख कर सलमा भौचक्की रह गयी, “अर्जुन क्या तुम्हे मेरी फीलिंग की कोई परवाह नही है...क्या तुम सिर्फ़ मेरे इस जिस्म से प्यार करते हो मेरी आत्मा से नही....”

“अरे बस कर नौटंकी...बहुत सुन लिया तेरा सती सावित्री होने का नाटक....अब चल यह सलवार खोल नही तो यह भी फाड़ दूँगा.” कहते हुए अर्जुन ने सलमा के हाथो को एक तरफ हटाया और झटके से उसकी सलवार का नाडा खोल दिया.

“प्लीज़ अर्जुन मैं तुमसे प्यार करती हूँ...हम यह सब शादी के बाद करेंगे...प्लीज़ अल्लाह के वास्ते यह सब बंद करो...” सलमा अपनी नंगी जाँघो को चिपकाते हुए बोली.

“साली यह शादी शादी क्या लगा रखा है...तुम जानती हो तुम्हारे अब्बू और अम्मी जान, कभी इस रिश्ते के लिए तय्यार नही होंगे...तुम एक मुस्लिम लड़की हो और मैं एक हिंदू लड़का हूँ, यह शादी कभी नही हो सकती...अब कम से कम मुझे सुहागरात तो मना लेने दो.” अर्जुन ने बेदर्दी से सलमा की जाँघो को अलग कर दिया और उसकी काली मॅचिंग सिल्क पैंटी भी खीच कर फाड़ दी.

अंदर का नज़ारा देख कर अर्जुन के मूह मे पानी आ गया, “हुहम....बोलती है चुदाई नही करूँगी तो फिर अपनी झान्टो को शेव कर के क्यू आई है...”

उसने अपने हाथो पर थूक लगा कर सलमा की पवरोटी जैसे फूली चूत को सहलाने लगा. क्लीन शेव चूत के उपर गुलाबी दाना बड़ा कामुक लग रहा था. अर्जुन बारी बारी से सलमा की खूबसूरत चुचियो का दूध पीने लगा और एक हाथ से चूत के दाने को हौले हौले सहलाने लगा, उसे पता था कि एक औरत को कैसे गरम किया जाता है.

सलमा को तो विश्वास नही हो रहा था कि वो जिस से प्यार करती है वो उसके जिस्म का इतना भूका है, सिर्फ़ दो महीने मे अर्जुन का असली रंग उसके सामने आ गया, वो समझ चुकी थी कि अर्जुन ने इसीलिए उसे आज इतनी शाम को अपने घर बुलाया था.

वो अपनी किस्मत को कोस रही थी कि क्यू वो अर्जुन की मीठी मीठी बातों मे आ गयी कि उनका धर्म कभी भी उनके प्यार के बीच नही आएगा और यदि आया तो वो सलमा को उसके घर से भगा के शादी कर लेगा.

उसे अपने अब्बू और अम्मी की बातें याद आ रही थी जब उन्होने कहा था कि अर्जुन जैसे अमीर लड़के सिर्फ़ लड़कियो के जिस्म से खेलते है कभी उनसे प्यार नही करते. उसे अब अर्जुन से नफ़रत सी होने लगी थी, लेकिन उसे पता था कि अब उसका कौमार्या नही बचेगा. उसको एहसाह हो गया था कि अर्जुन जैसे लड़के से प्यार करने की सज़ा उसे मिल रही है.

उम्मीद छोड़ कर सलमा ने अपने जिस्म को अर्जुन के हवाले कर दिया और एक मोम के पुतले की तरह शांत पड़ गयी. उसका जिस्म तो शांत था पर उसकी आँखो से लगातार आँसू बहे जा रहे थे.

खैर चूत सहलाए जाने से उसके अंदर चिकनाहट आ रही थी जिसे देख कर अर्जुन का हौसला और बढ़ गया, “आ गयी ना लाइन पर...इतनी बड़ी बड़ी बातें कर रही थी...अब देख तेरी खुद की चूत कैसे पानी छोड़ रही है...” कहते हुए अर्जुन ने अपनी एक उंगली पर थूक लगाकर चूत के अंदर पेल दी.

भले ही सलमा का जिस्म उसका साथ नही दे रहा था पर उसका मन यही कह रहा था कि शादी से पहले यह सब करना ग़लत है, उसके अब्बू अम्मी ने उसको ऐसी ही नेक तालीम दी थी. खैर उसने आगे आने वाले पल को अल्लाह पर छोड़ कर अपनी आँखे बंद कर ली.

अर्जुन अब बर्दाश्त से बाहर हो चुका था. उसने अपने खड़े लंड पर थूक लगाया और सलमा की जाँघो के बीच आ गया, “तय्यार हो जा मेरी रानी अपने राजा का लंड लेने के लिए...”

मोम के पुतले की तरह पड़ी सलमा कुछ ना बोली, वो अपने किस्मत से समझौता कर चुकी थी. इधर अर्जुन ने अपना खड़ा लंड सलमा की चूत पर टिका दिया और हौले हौले अपने लंड से चूत के छेद को रगड़ने लगा. उत्तेजना के मारे अर्जुन का हल्लबी लंड और फूल के मोटा और लंबा हो गया था. लंड की नसें सॉफ दिख रकी थी जो बता रही थी कि उसका लंड बहुत तगड़ा है.

सलमा की होंठो को मूह मे चूसने के साथ वो अपना लंड पेलने के लिए तय्यार था,”क्या हुआ जानू...तुम तो किसी मोम के पुतले की तरह कुछ रियेक्शन ही नही दे रही हो...देखना जब मेरा लंड तेरी कुवारि बुर मे जाएगा तो तुझे भी जन्नत का मज़ा मिलेगा...”

अर्जुन ने एक ज़ोर का धक्का लगाया और उसके लंड का सुपाडा सलमा की कुवारि बुर को चीरते हुए अंदर जा घुसा. पता नही सलमा सचमुच की मोम का पुतला बन गयी थी या वो चुप रह कर ही अपना विरोध जाता रही थी, क्यूकी इतना बड़ा लंड का सुपाडा जब उसकी कुवारि चूत मे घुसा तब भी उसके मूह से कोई आवाज़ नही आई, हाँ बस आया तो उसके आँखो से आँसू. वो सारा दर्द पी कर रह गयी.अर्जुन ने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया और अपने थोड़े फँसे हुए लंड का एक करारा धक्का मारा. उसका हल्लबि लंड सलमा की कुवारि चूत की दीवारो को बेरहमी से चीरते हुए उसकी झिल्ली को फाड़ दिया और सीधे जा के सलमा की बच्चे दानी से टकराया. सलमा की चूत बुरी तरह से फैल गयी थी. चूत की दीवारो ने लौडे को कस कर जाकड़ लिया था.

खून की तेज़ धार सलमा की चूत से बह निकली. खून इतना ज़्यादा था जैसे अर्जुन के लंड ने किसी बड़ी नस को काट दिया हो. पर आश्चर्य की बात यह थी कि सलमा के मूह से फिर भी कोई आवाज़ नही निकली, क्यूकी शायद अब तक सलमा अपने होश गवाँ चुकी थी.

“बहनचोद यह तो बेहोश हो गयी...अब क्या करूँ...लगता है इसके मूह पर पानी डालना पड़ेगा.....पर लंड इतनी टाइट चूत से निकालने का मन नही हो रहा है.....चलो जो भी होगा देखा जाएगा.” एक वहशी मुस्कान हंसते हुए अर्जुन बेहोश सलमा को वैसे ही ठोकने लगा.

धक्के पे धक्का मारते हुए अर्जुन हुंकार भर रहा था. नीचे बेचारी सलमा बेहोश पड़ी थी. उसे तो बिल्कुल पता ही नही चल रहा था कि उसकी मुलायम मखमली चूत को रंडी की तरह अर्जुन चोद रहा था.

“साली की चूत का आज भोसड़ा बना के रहूँगा...लंड बहुत रगड़ रगड़ कर जा रहा है...अगर कही जन्नत है तो वो औरत की चूत मे है...” कहते हुए अर्जुन गपा गॅप सलमा की बुर पेलने लगा.

सलमा के बेहोश होने की वजह से अर्जुन को उसके चिल्लाने या चीखने का कोई डर भी नही था, इसीलिए वो इतनी बेदर्दी से उसकी चूत चोद रहा था जैसे कोई बाजारू रंडी को चोद रहा हो.

ना जाने वो कितनी देर तक सलमा को रौन्द्ता रहा, उसके जिस्म से अपनी हवस का प्यास बुझाता रहा.



इतनी कसी हुई कमसिन बुर को चोदने के बाद अब अर्जुन झड़ने के नज़दीक आ गया था. उसे पता था कि सलमा की चूत के अंदर झड़ने से उसके माँ बन ने का ख़तरा है इसी लिए उसने आख़िरी वक़्त पर अपना लॉडा खीच लिया.

सलमा अभी भी अपना सुध बुध खो कर अर्जुन के बिस्तर पर नंगी बेहोश पड़ी थी. अर्जुन उसके उपर चढ़ कर अपने हल्लबि लंड को जो सलमा के खून से पूरा सना हुआ था उसे सलमा के प्यारे होंठो पर रगड़ने लगा.

अब उस से और बर्दाश्त नही हो पाया और उसके लौडे ने सलमा के चेहरे पर वीर्य की बौछार कर दी. वीर्य की पिचकारी सलमा की आँखो और नाक मे घुस गयी और कुछ उसके खुले हुए मूह के अंदर जा पहुचि.

वीर्य की पिचकारी अपने चेहरे पर महसूस करके सलमा बेहोशी के आलम से बाहर आ गयी और उसे होश आ गया. होश आते ही उसने महसूस किया कि उसकी आँखे ठीक से खुल नही रही है क्यूकी उनपे कुछ चिप चिपा और लिस लिसि चीज़ लगी है जो अर्जुन के लौडे से निकला हुआ वीर्य था.

जब सलमा ने अपनी आँखे किसी तरह खोली तो अपने उपर अर्जुन को चढ़ा पाया. उसने देखा कि अर्जुन की आँखे मज़े मे बंद थी और वो अपने लंड को मसल रहा था जिस से वीर्य की आख़िरी बची हुई कुछ बूंदे टपक कर सलमा के मूह मे गिर गयी. उसे तब एहसास हुआ कि उसका मूह पहले से ही अर्जुन के वीर्य से भरा हुआ था.

अगली चीज़ हो सलमा को महसूस हुई वो थी एक तेज़ दर्द की लहर जो उसे अपनी चूत मे महसूस हुई. उसे जानने मे देर नही लगी कि उसकी चूत बेरहमी से पूरी तरह फॅट गयी है.

अर्जुन ने जब देखा कि सलमा को होश आ गया है तो उसके ऊपर से उठा और बगल मे बिस्तर पर लेट गया. सलमा ने अपना सर उठाया और अपनी चूत को देखा. सामने बिस्तर की चादर पर बेहिसाब खून पड़ा देख उसका आँखे एक बार फिर नम हो गयी. जब उसने अपनी चूत पर हाथ फेरा तो एक दर्द की तेज़ की लहर उसके जिस्म मे दौड़ गयी. उसकी चूत सूज कर गुम्मा हो गयी थी. अर्जुन ने उसे इतने बेरहमी से जनवरो की तरह पेला था कि चुदाई ख़तम होने के बावजूद उसकी फटी हुई चूत से अभी तक खून की धार रिस रिस कर बाहर आ रही थी.सलमा ने एक नज़र बगल मे लेटे हुए अर्जुन पर डाली, उसके मूह पर एक विजयी मुस्कान थी और मूह मे एक सिगरेट.

“अरे मेरी रानी, तुझे कुछ नही हुआ, ज़रा सा बस बेहोश हो गयी थी....और यह खून भी तुरंत रुक जाएगा...एक दो बार और चुदवा लोगि मुझसे तो चूत बिल्कुल खुल जाएगी और मेरे खड़े लंड को अपने अंदर अच्छे से अड्जस्ट कर लेगी...” अर्जुन आराम से सिगरेट का कश लगाते हुए बोला.

सलमा ने सोचा कि यह कितना गंदा आदमी है, जो उस से इतना प्यार करती है उसे यह वासना का पुजारी बेहोशी की हालत मे भी चोदता रहा. वो बिना कुछ बोले उठी, पर इतनी ताबड़तोड़ चुदाई के बाद उसके पैर जवाब दे गये और वो लड़खड़ा गयी.

अर्जुन आगे बढ़ कर उसे थामने वाला ही था कि सलमा ने उसे पहले ही रोक दिया. वो नही चाहती थी यह इंसान उसे अब एक भी बार और च्छुए.

बाहर अब तक काफ़ी रात हो गयी थी. सलमा चुप चाप अपने कपड़े समेटने लगी, उसकी आँखे लगातार आँसू टपका रही थी. उसने अपना सलवार कमीज़ उठाया और पहन ने लगी. ब्रा और पैंटी तो अर्जुन ने बेरहमी से फाड़ दी थी जो अब पहन ने लायक नही रह गयी थी.

बिना ब्रा पैंटी के कपड़े पहन ने से सलमा का सफेद सलवार चूत की जगह पे खून लगने से लाल हो गया था. उसने एक मोम के पुतले की तरह अपना दुपट्टा उठाया और घर से बाहर जाने लगी.

“अरे इतनी रात को बाहर क्यू जा रही है...आज मेरे यहाँ ही रुक जा...थोड़ी और मस्ती करते है...रात भर प्यार व्यार करेंगे...” अर्जुन मूह से सिगरेट निकालते हुए बोला.

सलमा लड़खड़ाते हुए अर्जुन के पास आई और अपनी पूरी ताक़त लगा कर अर्जुन के गालो पर ज़ोर का तमाचा लगा दिया. “तुमने आज मुझसे प्यार नही मेरा बलात्कार किया है...” सलमा ने बस इतना कहा और लड़खड़ाते कदमो से बाहर निकल गयी.

तमाचा पड़ने से अर्जुन सन्न रहा गया, पर आज ना जाने क्यू उसे बुरा नही लगा. वासना का भूत अब अर्जुन से उतर चुका था. उसके दिल मे कही ना कही ग्लानि का भाव था कि उसने सलमा के साथ जो किया वो ग़लत था. इस से पहले वो कयि लड़कियो को ठोक चुका था पर वो सब अर्जुन के दौलत की भूकि थी और खुद अपनी चूत मरवाने के लिए हमेशा तय्यार रहती थी. पर सलमा की बात कुछ और थी. भले ही वो ग़रीब परिवार की थी पर उसमे अर्जुन के लिए सच्चा प्यार था ना कि बाकी लड़कियो की तरह पैसो का लालच.

अर्जुन को अभी तक लग रहा था कि सलमा सेक्स एंजाय करेगी, उसने सलमा के संस्कारो को ठीक से समझा नही था. सलमा के लिए अपनी और अपने अब्बू अम्मी की इज़्ज़त ही सबकुछ थी जिसकी अभी अभी उसने धज्जिया उड़ा दी थी.उसकी पलको पर भी आँसू छलक आए. उसे अचानक अपनी माँ की याद आ गयी. उसके पापा तो बचपन मे ही उसका साथ छोड़ कर चले गये थे, पर बारह साल पहले जब वो खुद बारह साल का था तब उसकी माँ भी उसे और उसकी उस समय 9 साल की छोटी बहन काजल को छोड़ कर ना जाने कहाँ गायब हो गयी.

अर्जुन के कान समाज के ताने सुन सुन कर पक गये कि उसकी माँ एक बदचलन औरत थी क्यूकी उस जमाने मे किसी औरत के ऐसे अचानक गायब हो जाने पर सब उसे गंदी निगाहो से देखते थे.

पैसो की कोई कमी नही थी अर्जुन के पास और ना ही कोई रिश्तेदार थे उसके. थी तो बस उसकी प्यारी सी छोटी बहन काजल जिसे वो अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता था. वो एक बहुत बड़ी कन्स्ट्रक्षन कंपनी मे सीनियर सिविल इंजिनियर था और उसकी बेहन काजल लॉ स्कूल मे वकालत पढ़ रही थी.

शायद माँ बाप की कमी होने के वजह से ही अर्जुन इतना बिगड़ गया था, पर आज भी उसका दिल बहुत सॉफ था. उसे अंत तक यही लग रहा था कि बाकी लड़कियो की तरह सलमा नाटक कर रही है और आख़िर मे वो भी सब की तरह सेक्स एंजाय करेगी, पर उसका सोचना ग़लत साबित हुआ. आज तक उसकी लाइफ मे हमेशा मतलबी लड़किया ही आई थी जिन्हे पैसो के लिए बिस्तर गरम करना पड़े तो वो वह भी कर सकती थी. इसी कौतूहल मे शायद अर्जुन ने एक सच्चे प्यार को खो दिया था.

“तुमने आज मुझसे प्यार नही मेरा बलात्कार किया है...” उसके कानो मे अभी भी सलमा की कही हुई यह बात गूँज रही थी जो सीधे उसके दिल को छल्नी कर रही थी.

“ओह माइ गॉड...यह मैने वासना के नशे मे क्या कर दिया...मुझे सलमा के साथ ऐसा नही करना चाहिए था.” कहते हुए अर्जुन तुरंत उठा और अपना घर के बाहर झाँका इस उम्मीद मे कि शायद उसे सलमा दिखाई दे जाए, पर उसे सलमा दूर दूर तक नही दिखाई दे रही थी, दिखाई दे रहा था तो बस अंधेरे की वो काली चादर जो आसपास फैली हुई थी.

“कोई बात नही कल सलमा को कान पकड़ कर सॉरी कह दूँगा...शायद वो मुझे माफ़ कर दे...” अर्जुन अपने मन को झूठी तसल्ली दे रहा था क्यूकी वो जानता था कि जिस तरह से सलमा उस से रूठ कर गयी है वो उसे कभी माफ़ नही करेगी.

वापस बिस्तर पर आते ही उसे अपने सपने के बारे मे याद आया. वो वासना के भवर मे ऐसा फसा था कि उसे और कुछ याद ही नही रहा यहाँ तक कि वो कल आने वाले अपनी छोटी बहन काजल का बर्तडे भी भूल गया था.

“आर्जूउन्न्ं………बचाओ मुझे……मैं यहाँ इस अंधेरी खौफनाक गुफा मे बंद हू…मेरे बेटे बस एक तुम ही हो जो मुझे यहाँ से बाहर निकाल सकते हो………” अर्जुन को यह सपना याद हो गया था और हो भी क्यू ना, क्यूकी उसे यही सपना पिछ्ले दो महीनो से आ रहा था.

आज का दिन उसके लिए अच्छा नही था. उसके सर मे तेज़ दर्द हो रहा था इसीलये वो लेट गया, थकान की वजह से उसे ज़ोर से नींद आ रही थी. बिस्तर पर पड़े सलमा के खून के धब्बो को देख कर वो मायूस हो गया.

“आइ आम सॉरी सलमा......” वो बुद्बुदाया और अपनी आँखे बंद कर के सो गया.
सुबह उसकी नींद खुली तो बाहर तेज़ धूप थी. वो अंगड़ाई लेकर उठा और बेडशीट को धोने को डाल दिया. सुबह रोज़ की तरह एक्सर्साइज़ और अपना रुटीन करने के बाद वो साइट पर रवाना हो गया.

पूरा दिन उसका मन काम मे नही लग रहा था. दो ऐसी घटनायें थी जिसे सोच सोच कर उसके सर मे दर्द हो रहा था. एक तो उसने सलमा के साथ बहुत बुरा किया और दूसरा वो रहस्यमयी सपना जो उसे लगभग हर रात आता था. इस सपने से तो अब अर्जुन परेशान हो गया था और किसी साइकिट्रिस्ट को दिखाने की सोच रहा था. यह दिन भी आधा निकल गया. उसने सोचा कि सलमा के घर जाकर उस से माफी माँगेगा पर उसकी हिम्मत ही नही हो रही थी. एक तरह से वो अपनी ही नज़रों मे गिर गया था.

अब तक तो शाम हो चली थी. मुंबई मे फिर से बारिश होने के आसार उमड़ रहे थे क्यूकी आसमान मे घने काले बादल फिर छा गये थे. वो वापस घर लौटने की सोच रहा था कि उसकी मोबाइल की घंटी बजी. जैसे ही उसने वो नंबर देखा उसे पसीने छूट गये. वो कॉल उसकी बहन काजल का था और अर्जुन जानता था कि वो उसका बर्तडे भूल गया है और वो यह भी जानता था कि काजल अब उस से पूरा दिन लड़ाई करती रहेगी.

हेलो मेरी गुड़िया, हॅपी बर्तडे टू यू....तुम ऐसे ही हज़ार साल तक जियो, तुझे मेरी भी उमर लग जाए...मैं भगवान से प्रार्थना करूँगा...” अर्जुन फोन पर बोला.

“पता है मुझे...मेरा बर्तडे भूल गये तो मस्का लगाने के लिए यह सब डाइलॉग बोल रहे हो...और आप तो चाहते ही हो कि मैं हज़ार साल बूढ़ी हो कर जियु....हुहम.” काजल मूह बिचका कर बोली.

“अरे नही ऐसा कुछ नही है...क्या मेरी गुड़िया रानी ऐसा सोचती है कि उसका भाई उसका बर्तडे भूल जाएगा...अब देख मैं तेरे लिए पुर मुंबई मे एक गिफ्ट तलाश कर रहा था जो अब जा कर मुझे मिला है...उपर से मैं तो तुझे सर्प्राइज़ देने वाला था इसीलिए फोन भी नही किया...” अर्जुन माथे पर पसीना पोछता हुआ बोला. उसने किसी तरह बात संभाल ली थी.

“अच्छा अच्छा ठीक है चलो ज़्यादा झूठ मत बोलो...अब यह बताओ कि क्या गिफ्ट लिए हो मेरे लिए.”

“सर्प्राइज़ है...तेरे अपार्टमेंट पर आके ही तुझे तेरा गिफ्ट दूँगा...अब चल फोन रखता हू...बाइ”

“पर जल्दी आना पार्टी शुरू होने वाली है...बाइ” उधर से काजल ने भी फोन काट दिया.

टू बी कंटिन्यूड...
 
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Update 3

अच्छा अच्छा ठीक है चलो ज़्यादा झूठ मत बोलो...अब यह बताओ कि क्या गिफ्ट लिए हो मेरे लिए.”

“सर्प्राइज़ है...तेरे अपार्टमेंट पर आके ही तुझे तेरा गिफ्ट दूँगा...अब चल फोन रखता हू...बाइ”

“पर जल्दी आना पार्टी शुरू होने वाली है...बाइ” उधर से काजल ने भी फोन काट दिया.


अब आगे..........................................................

अर्जुन भाग कर अपने घर गया और गिफ्ट का डब्बा उठा लिया जिसे उसने कयि महीने पहले ही काजल के बर्तडे के लिए खरीद लिया था, इस डर से कि बर्थ’डे के दिन कही यह आउट ऑफ स्टॉक ना हो जाए, यहाँ तक कि उसने काजल के लिए अड्वान्स मे ही तीन चार बर्थ’डेज़ के लिए गिफ्ट्स खरीद लिया था, इतना प्यार करता था वो अपनी बहन से, आख़िरकार बस एक वोही थी जिसे वो अपना परिवार कह सकता था.

शाम तक अर्जुन लोखंडवाला स्थित अपनी बहन के अपार्टमेंट पहुच गया. अपनी कार को बाहर लगाते हुए उसे और भी बहुत सी गाड़ियाँ दिखी जिस से वो समझ गया की काजल की पार्टी मे बहुत से लोग आए थे.

जब उसने अपार्टमेंट का दरवाज़ा खोला तो अंदर बिल्कुल किसी डिस्को जैसा महॉल था. पार्टी पूरे ज़ोरो पर थी. चारो तरफ लड़के कम और लड़किया ज़्यादा जो उसके कॉलेज के फ्रेंड्स थे और फिल्मी गानो की धुनो पर थिरक रहे थे. लिविंग रूम को किसी क्लब डिस्को का रूप दे दिया गया था. लाइट्स डिम कर के ग्रीन लेज़र्स से महॉल देखने लायक था.

“वाउ काजल ने तो जबरदस्त पार्टी का बंदोबस्त किया है...” सोचते हुए अर्जुन अंदर आ गया.

उसे दूर कोने पर काजल अपने कुछ फ्रेंड्स के साथ पार्टी एंजाय करते हुए दिखाई दी. जैसे ही काजल की नज़र अर्जुन पर पड़ी वो दौड़ के आई और सीधे अपने भाई के गले लग गयी.

“हॅपी 21स्ट बर्थडे स्वीटी.....” अर्जुन ने ज़ोर से काजल के कानो मे कहा क्यूकी वहाँ म्यूज़िक बहुत तेज़ बज रहा था.

“थॅंक यू सो मच भैया...आइ लव यू...” कहते हुए काजल फिर से एक बार अर्जुन के गले लग गयी. पर जब उसे याद आया कि शाम को वो अपने भाई से नाराज़ थी तो उसने नाटक करते हुए बुरा सा मूह बना लिया, “मैं ग़लत बोल गयी....आइ हेट यू भैया...” उसने बिदकते हुए कहा.

अर्जुन जानता था काजल उस से नाराज़ ज़रूर होगी इसीलिए उसने मुस्कुरा कर कहा, “ठीक है तो फिर यह गिफ्ट तुम्हे नही मिलेगी...” बोलते हुए अर्जुन ने अपनी ब्लू जीन्स मे हाथ डाला और एक डिब्बा निकाल लिया.

“क्या है भैया इसमे...” काजल गिफ्ट देख के उत्सुकतावश उच्छल पड़ी. अभी गिफ्ट खुला भी नही था पर उसकी खुशी उसके खूबसूरत चेहरे से सॉफ देखी जा सकती थी.

“पहले बोलो...आइ लव यू भैया फिर पता चलेगा तुम्हे कि इसके अंदर क्या है...” अर्जुन मुस्कुरा रहा था.

“ओह्ह भैया अब बता भी दो ना क्या है गिफ्ट....” काजल अपने पैर पटकते हुए बोली. अपने भैया के सामने वो अभी भी बिल्कुल भोली भाली बच्ची बनी रहती थी.

“ना..ना...ना...पहले कहो आइ लव यू भैया....”

“भैया आप तो जानते हो मैं आपसे कितना प्यार करती हू....आइ लव यू भैया...” कहते हुए काजल अपने पंजो पर खड़ी हो कर अर्जुन के गालो पर हौले चूम लेती है.

“ह्म्म्मअ....अब ठीक है....यह देखो...” कहते हुए अर्जुन ने वो छोटा सा बॉक्स खोला और उसमे से एक प्लॅटिनम का बेहद आकर्षक ब्रेस्लेट निकाला और काजल की नाज़ुक कलाई मे पहना दिया.

एक पल के लिए तो काजल उस गिफ्ट को देखती रह गयी, उसपे लिखा था “फॉर माइ लविंग सिस काजल” जिसे देख कर काजल की आँखो मे खुशी के आँसू आ गये. उसके लिए तो अर्जुन ही उसका डॅड था और अर्जुन ही मोम था, जब से उसने होश संभाला है तब से अर्जुन ही उसके लिए हर रिश्ता निभा रहा है.

“अरे मेरी गुड़िया रानी की आँखो मे आँसू....क्या गिफ्ट पसंद नही आया...”

“नही भैया ऐसी बात नही है....युवर गिफ्ट ईज़ सो ब्यूटिफुल...पर बहुत एक्सपेन्सिव लग रही है...कितनी की है..”

“मैने यह तेरे लिए स्पेशली पॅरिस से माँगाया है....वो भी दो लाख रुपय मे...”

“वाउ भैया....यू आर टू ग्रेट...पर आपको इतने पैसे सिर्फ़ एक ब्रेस्लेट पर नही खर्च करने चाहिए थे....मैं आपकी छोटी बहन हू....आप प्यार से कोई मिठाई भी खिला देते तो वो भी मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट ही होता...” कहते हुए काजल फिर से अपने भैया के गले लग गयी.

“मेरी बहन पे तो मेरी सारी दौलत कुर्बान है....वैसे मैं देख रहा हू तू भी बहुत डायलॉग वायलॉग मारने लग गयी है...यह सब मिठाई विठाई का डायलॉग कहाँ से सीखा तूने...?”

काजल ने कुछ नही कहा, उसके लिए तो उसका भाई बस उसके पास था यही सबसे बड़ा गिफ्ट था उसके लिए, पर उसकी आँखे एक और शक्स को ढूंड रही थी. काजल को किसी और का भी इंतेज़ार था.

“अच्छा चल अब तू जा और अपने दोस्तो के साथ पार्टी एंजाय कर मैं अंदर जा कर बैठता हू....”

भैया आज रात आप अपने घर नही जाओगे....आज आपको यही रुकना है मेरे पास...समझे.” काजल जैसे बोल कम ऑर्डर ज़्यादा दे रही थी.

“ठीक है मेरी माँ....मैं सब समझ गया ...अब तू जा नही तो तेरे दोस्त सोचेंगे कि अपने भाई के आते ही तू उनको भूल गयी...”

“वैसे भैया दोस्तो से याद आया वो मेरी दोस्त है ना नेहा, वो मुझसे बोल रही थी कि वो आपसे दोस्ती करना चाहती है...वो आपको पसंद करती है...बोलो तो बात करा दूं उस से...”

“नही काजल आज मूड नही यह सब करने का...तू जा और पार्टी एंजाय कर..”

“अब बहुत सीधे मत बनो भैया...मुझे पता है आप कितने बड़े फ्लर्ट हो...जहाँ लड़की देखी नही कि सीधे उसके पीछे ही पड़ जाते हो....”

एक पल के लिए तो अर्जुन अपनी बहन की चुलबुली बातो को सुनकर मुस्कुरा पड़ा पर जैसे ही उसे सलमा के बारे मे याद आया, उसके चेहरे की हँसी गायब हो गयी.

“क्या हुआ भैया एनी प्राब्लम....पहले तो तुम लड़की का नाम सुनते ही अपने असली रंग मे आज आते थे...आज क्या हुआ...?”

“कुछ नही मेरी जान....अब खाली मेरी एंक्वाइरी ही करती रहेगी क्या...”

“ओके भैया...मैं जाती हू पर आपको बताना तो पड़ेगा ही...हुहम” कहते हुए काजल अपने दोस्तो के साथ डॅन्स करने लगी और सबको अपने भैया का गिफ्ट दिखाने लगी.

इधर अर्जुन लिविंग रूम जो डिस्को बना हुआ था उस से निकल कर बेडरूम मे आ गया और वहाँ उसके लिए पहले से रखी हुई दारू पीने लगा.

आधी रात से पहले तक पार्टी ख़तम हो चुकी थी. सब लोग जा चुके थे. अब काजल ने सोचा कि चलो भैया के पास थोड़ी देर बैठा जाए.

“तेरे सारे दोस्त चले गये क्या...” अर्जुन ने कहा जब उसने काजल को कमरे के अंदर आते हुए देखा.

“हाँ भैया...पार्टी ओवर...अब मैं एक 21 साल की बुढ़िया हो गयी हू...” काजल हंसते हुए बोली. वो दिखने मे बहुत ही क्यूट थी. उसका रंग गोरा था पर वो हल्की सी हेल्थि थी, शायद अर्जुन ने बचपन मे उसे बहुत ज़्यादा खाना खिला दिया था.

“इस हिसाब से तो मैं भी 24 साल का बुड्ढ़ा हो गया हू...” अर्जुन भी चटकारे लेते हुए बोला. पर आज उसकी हँसी थोड़ी फीकी नज़र आ रही थी जिसे काजल महसूस कर सकती थी

“वैसे भैया कुछ तो है जो आप मुझे बताना नही चाहते....”

“कुछ नही है स्वीटी...बस काम का थोड़ा टेन्षन है...अब रात बहुत हो गयी है तू अब अपने कमरे मे जा और सो जा...”

नही भैया....मैं आपकी छोटी बहन हू...मैं अपने भैया को सबसे अच्छि तरह से जानती हू...कुछ तो हुआ है जिस से तुम्हारा चेहरा उतरा हुआ है...”

“अरे नही गुड़िया...कुछ नही हुआ है...थोड़ा थक गया था बस...”

“ठीक है जब तक नही बताओगे तब तक मैं ऐसे ही यहाँ बैठी रहूंगी और सोने नही जाउन्गि....हुह”

अर्जुन जानता था अपनी बहन के सामने उसकी एक नही चलने वाली. उसने गहरी साँस ली और कहा, “क्या बताऊ काजल...एक नही दो दो बात है जिनसे मैं बहुत परेशान हू...” बोलते हुए अर्जुन शराब का घूँट पीने लगा.

पहले तो काजल को अर्जुन का शराब पीना बिल्कुल अच्छा नही लगता था इसीलिए उसने हाथ आगे बढ़ा कर उसके हाथो से शराब से भरा ग्लास छीन लिया और बोली, “मेरे सामने आप शराब को हाथ भी नही लगाओगे....समझे...अब बताओ कॉन सी वो दोनो बातें है जो आपको परेशान कर रही है...”

शराब छिन जाने के बाद अर्जुन ने अपनी जेब से सिगरेट और एक लाइटर निकाल लिया और उसे जलाते हुए बोला, “अरे छोड़ ना यार...मैं तुझे यह सब बता के फालतू की टेन्षन नही देना चाहता....तू बस अपने पढ़ाई और कॉलेज पे ध्यान दे...”

काजल को अर्जुन का सिगरेट पीना भी नागवार गुजरा और उसने वो भी उसके मूह से छीन ली और घूर के अपने भाई की ओर देखने लगी.

अर्जुन जानता था कि अब काजल बिना बात जाने वहाँ से उठेगी नही. वो बिस्तर से उठा और बाहर खिड़की की ओर चल दिया. बाहर तेज़ बारिश हो रही थी. घर के अंदर तो पता ही नही चल रहा था कि बाहर का मौसम कैसा है.

“भैया कुछ बोलोगे भी या नही....” काजल भी उठ गयी और अपने भैया के पीछे खड़ी हो गयी.

“पहली बात जो बताने जा रहा हू पर उसे सुन कर तुम मुझसे नाराज़ मत होना...” अर्जुन ने बाहर देखते हू कहा.

“आप जानते हो भैया मैं आपके किसी बात से नाराज़ नही होती...अब जल्दी बताओ यह सस्पेनस से मेरे पेट मे दर्द होने लगा है...”

“तुम सलमा को जानती थी ना...?” अर्जुन ने काजल से पूछा.

“हाँ जानती थी....तुम लोग करीब 6 महीने से रिलेशन्षिप मे हो...मैं उस से मिल भी चुकी हू....शी ईज़ आ वेरी नाइस गर्ल...पहली बार तुम्हे कोई ढंग की लड़की मिली है नही तो पहले जो लड़किया थी उन्हे तुम मे कम और तुम्हारे पैसे मे ज़्यादा इंटेरेस्ट था..”

अर्जुन बोला “वो आज मेरे घर आई दो महीने बाद. मैं इतने दिनो से किसी लड़की के साथ नही था. मेरे अंदर का मर्द रह रह कर उफान मार रहा था. और जब वो आई तब वो सब उस बेचारी पर निकल गया...”

“मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा है.....” काजल हैरानी से बोली.

“आज कामवासना मे अंधे हो कर मैने वो कर दिया जिसे ना करने का वादा मैने सलमा से किया था. उसके सारे जज़्बातो की धज्जिया उड़ा दी मैने. उसके मूह पर कालिख पोत दी है मैने.” कहते हुए अर्जुन का गला भारी हो गया.

अपने भाई के मूह से ऐसी बात सुनकर काजल को पता लग गया कि कुछ सीरीयस है नही तो उसका मुहफट भाई कभी ऐसी एमोशनल बातें नही करता था.

“क्या किया भैया आपने....?” काजल ने धीरे से पूछा.

“यह बोलो क्या नही किया मैने...सब कुछ तो कर चुका हू उसके साथ जो नही करना चाहिए था...” अर्जुन की आँखो से निकलते आँसू अब काजल भी देख सकती थी.

“बेचारी के साथ उसकी मर्ज़ी के बिना सेक्स किया है मैने...उस कुवारि लड़की के साथ बहुत बेदर्दी से पेश आया मैं...ना जाने मुझे उस समय क्या हो गया था कि मैं इंसान से जानवर बन गया. बेचारी बेहोश हो गयी फिर भी मैं उसके साथ करता रहा. बेचारी ने मोम के पुतले की तरह मुझे अपना जिस्म सौंप दिया और मैं उसे दर्द देता रहा पर वो एक शब्द नही बोली...आख़िर मुझसे प्यार करती थी वो...” और अर्जुन फफक फफक कर रोने लगा.

काजल यह सब सुनते ही लड़खड़ा गयी, मानो उसके पावं तले ज़मीन खिसक गयी हो. वो भौचक्की खड़ी सब सुन रही थी. वो अपने भाई को किसी देवता समान समझती थी. उसे पता था कि उसके भाई का पुरानी गर्लफ्रेंड्स के साथ जिस्मानी ताल्लुक़ात रहते थे लेकिन वो यह नही जानती थी कि अगर कोई लड़की मना कर दे तो उसका भाई उस लड़की के साथ ज़बरदस्ती भी कर सकता था.

“तुमने आज मुझसे प्यार नही मेरा बलात्कार किया है...यही बस एक शब्द उसने बोला और चली गयी....सच मे मैने उस से प्यार नही उसका बलात्कार किया है...मैं अपने किए पर बहुत बहुत शर्मिंदा हू...” और अर्जुन के पैर जवाब दे गये और वो वही फर्श पर बैठ के रोने लगा.

“क्या तुम उस से सच्चा प्यार नही करते थे...” काजल ने अपने भाई को उसके कंधो से पकड़ कर उठाया.

“शायद नही....तभी तो उसके जिस्म की भूक इतनी हो गयी थी मेरे अंदर कि मैं जानवर बन गया...” बोलते हुए अर्जुन काजल का सहारा लेते हुए बिस्तर पर बैठ गया.

“चलो कम से कम तुम्हे ग़लती का एहसास तो है....पर मुझे अभी तक विश्वास नही हो रहा कि मेरा भाई किसी लड़की के साथ ऐसा भी कर सकता....सोचो अगर ऐसा कोई मेरे साथ कर दे तो..”

“नही....नही....मेरी बहन मैं ऐसा कभी सोच भी नही सकता...मैं उस को जान से मार डालूँगा जो तेरे साथ ऐसा करने का सोचेगा भी...” अर्जुन का चेहरा गुस्से से तिलमिला उठा.

“सलमा भी किसी की बहन रही होगी....” काजल ने गहरी साँस लेते हुए कहा.

“मैं उस से माफी माँगने वाला था पर मेरी हिम्मत नही हुई....आख़िर किस मूह से माफी मांगू उस से....”

“कोई बात नही भैया...मैं तुम्हारी मदद करूँगी....मुझे उम्मीद है कि अगर वो तुम्हे सच्चा प्यार करती होगी तो तुम्हे ज़रूर माफ़ कर देगी...”

अपनी बहन की ऐसी बातें सुन कर अर्जुन उसके गले लग गया. भाई बहन का यह रिश्ता अनमोल था. अर्जुन को बहुत राहत मिल रही थी अपने दिल का बोझ अपनी बहन के सामने हल्का कर के. उसे पता था अगर काजल मदद करेगी तो वो सलमा से ज़रूर माफी माँग लेगा.

टू बी कंटिन्यूड...
 
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Update 4

कोई बात नही भैया...मैं तुम्हारी मदद करूँगी....मुझे उम्मीद है कि अगर वो तुम्हे सच्चा प्यार करती होगी तो तुम्हे ज़रूर माफ़ कर देगी...”

अपनी बहन की ऐसी बातें सुन कर अर्जुन उसके गले लग गया. भाई बहन का यह रिश्ता अनमोल था. अर्जुन को बहुत राहत मिल रही थी अपने दिल का बोझ अपनी बहन के सामने हल्का कर के. उसे पता था अगर काजल मदद करेगी तो वो सलमा से ज़रूर माफी माँग लेगा.

“अच्च्छा बताओ दूसरी बात क्या है....” काजल जल्दी से इस टॉपिक को बदलना चाह रही थी, अपने भाई के सामने ऐसी बातें सुनकर उसे थोड़ा अनकंफर्टबल फील हो रहा था.

“अगली बात बड़ी अजीब है...करीब दो महीनो से मुझे एक ही सपना आ रहा है..” अर्जुन बोला.

“क्या !!!...दिस ईज़ इंपॉसिबल एक ही सपना बार बार कैसे आ सकता है...और क्या आता है सपने मे...?” काजल के लिए यह दूसरा झटका था आज के लिए.

“अब कैसे आता है वो तो मुझे नही पता...पर किसका आता है वो मुझे पता है...”

“किसका....अब जल्दी बताओ..” काजल बोली.

“माँ का.......”

“व्हाट !!!.......” काजल को कुछ समझ मे नही आ रहा था.

“काजल लगभग हर रात मुझे यही सपना आता है कि मा मुझे पुकार रही है...लगता है जैसे वो कोई अंधेरी गुफा मे बंद है और किसी ने उसे बंदी बनाकर रखा हुआ है....वो कहती है कि सिर्फ़ मैं ही उसे वहाँ से निकाल सकता हू...”

“दिस ईज़ इंपॉसिबल...माँ की तो बारह साल पहले नदी मे गिरने से मौत हो गयी थी...फिर यह सब का क्या मतलब है...” काजल हैरान थी.

“पता नही...शायद मेरा दिमाग़ घूम गया है...लगता है किसी साइकिट्रिस्ट को दिखना पड़ेगा..”

“नही भैया मुझे तो लगता है कि हमारी माँ जिंदा है और वो तुम्हे अपनी मदद के लिए पुकार रही है...”

“व्हाट नॉनसेन्स काजल....यह कैसे हो सकता है...कोई सपनो के द्वारा किसी को कैसे पुकार सकता है....तुम भी अंधविश्वासी हो गयी हो क्या..”

काजल के जवाब देने से पहले ही बाहर गाड़ी की आवाज़ आई फिर उसका हॉर्न बजा. काजल को जिसकी तलाश थी शायद वो आ गया था. जैसे ही दरवाज़े की घंटी बजी काजल दौड़ कर दरवाज़ा खोलने चली गयी. अर्जुन को कुछ समझ मे नही आया और वो हैरानी से यह सब देखने लगा.

“हॅपी बर्तडे....कही मैं ज़्यादा लेट तो नही हो गया...” सामने से एक शक्स की आवाज़ आई.

काजल ने घड़ी मे देखा, 12 बजने मे अभी दस मिनिट बाकी थे जिसका मतलब था वो शक्स काजल के बर्तडे ख़तम होने से जस्ट पहले पहुच गया था.

“थॅंक यू करण भैया.....आइ लव यू...” कहते हुए काजल करण से सीने से लग गयी.

“वैसे जस्ट टाइम पे आए हो....पर इतनी देर क्यू लगा दी...” वो कारण के सीने पे मुक्के मारती हुई बोली.

“तू तो जानती है ना मैं कितना बिज़ी रहता हू...उपर से आज तेरे लिए यह अनमोल गिफ्ट ढूँढने मे कयि घंटे लग गये...उसी मे थोडा देर हो गया.” करण मुस्कुराता हुआ बोला और अपने सूटकेस से एक गिफ्ट चमकीले पेपर्स मे रॅप कर के काजल की हाथो मे थमा दिया.

“ना...ना...ना कोई एक्सक्यूस नही चलेगा....नही तो रक्षा बंधन के दिन मेरे पास भी टाइम की कमी हो जाएगी....हुह.” काजल की हाजिरजवाबी से करण मुस्कुराए बिना ना रहा सका.

“पर आप इतने देर से बाहर क्यू खड़े हो...अंदर आओ ना..” काजल कारण का हाथ पकड़ के अंदर खीचते हुए बोली.

“क्या अर्जुन है अंदर...?” कारण ने गंभीरता से पूछा.

“हम है....पर मैं आपको अब कही जाने नही दूँगी...आज रात आपको भी यही रुकना है मेरे घर मे...समझे आप..”

“नही मेरी प्यारी छोटी बहन....अर्जुन घर पर है....मेरा यहाँ रहना ना उसके लिए ठीक है और ना मेरे लिए...और वैसे भी तुझसे मिलने यहा आया था सो मिल लिया...अब मेरा चले जाना ही ठीक रहेगा…” कहते हुए करण मूड कर वापस जाने लगा.

काजल को यह बात ठीक नही लगी और उसने झट से अपने भैया का हाथ थाम कर रोक लिया, “क्या आप दोनो अपनी इस छोटी सी प्यारी बहन को उसके बर्तडे का असली तहफा नही दे सकते.....अगर आप दोनो आज रात यही पर मेरे साथ रुक जाओ और भले थोड़ी देर के लिए अपने गिले शिकवे भुला के मेरे साथ कुछ समय बिता लो...तो यही मेरे लिए सबसे कीमती तोहफा होगा..”

“ऐसा नही हो सकता काजल....” पीछे से कड़कती आवाज़ मे अर्जुन बोला, वो खड़े खड़े पीछे से दोनो की बातें सुन रहा था.

“अर्जुन भैया प्लीज़......आज तो कम से कम अपना अतीत भुला कर मेरे लिए ही सही आपस मे सुलह कर लो...” काजल गिडगिडाते हुए बोली.

“तुम नदी के दो किनारों को मिलने की बात कर रही हो काजल जो नामुमकिन है...”
अपने भाइयो का ऐसा बर्ताव देख कर काजल बिन रोए रह ना सकी, “तुम दोनो नदी के दो किनारे हो...पर यह नदी नफ़रत की है...जब यह नदी पतली होती जाएगी और अंत मे सूख जाएगी तब दोनो किनारे आपस मे मिल सकते है...और अगर तुम लोग मेरे साथ रहना ही नही चाहते तो ठीक है मैं ही चली जाती हू कही और...बस फिर लड़ते रहना आपस मे ज़िंदगी भर...हुह..”

अर्जुन और कारण के पास इसका कोई जवाब नही था. दोनो के सर शर्म से झुके हुए थे. काजल ने अपने आँसू पोछे और दरवाज़े की बाहर जाने लगी तो करण ने उसे रोक लिया, “मेरी प्यारी बहन...तू जो कहेगी मैं वो करने के लिए तय्यार हू....बस तू मुझसे नाराज़ मत होना..”

काजल ने अर्जुन की तरफ देखा तो उसने भी हाँ मे सर हिलाया जिसे देख कर काजल मस्ती मे झूम उठी और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, “मेरे दोनो भैया...इस वर्ल्ड के बेस्ट भैया है..”

दोनो करण और अर्जुन अपनी छोटी बहन की बातो पर मुस्कुराए बिना नही रह सके. करण अंदर आ गया और सोफे पर बैठ गया. सामने अर्जुन बैठा और बीच मे काजल. थोड़ी देर तक शांति फैली रही. कोई किसी से नही बोल रहा था.

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काजल ने अर्जुन की तरफ देखा तो उसने भी हाँ मे सर हिलाया जिसे देख कर काजल मस्ती मे झूम उठी और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, “मेरे दोनो भैया...इस वर्ल्ड के बेस्ट भैया है..”

दोनो कारण और अर्जुन अपनी छोटी बहन की बातो पर मुस्कुराए बिना नही रह सके. कारण अंदर आ गया और सोफे पर बैठ गया. सामने अर्जुन बैठा और बीच मे काजल. थोड़ी देर तक शांति फैली रही. कोई किसी से नही बोल रहा था.

काजल जानती थी कि अगर वो कुछ ना बोली तो उसके दोनो भाई ऐसे ही बिना कुछ बोले सारी रात गुज़ार देंगे.

“भैया आपके गिफ्ट मे क्या है...जिसे आपको खोजने मे घंटो लग गये..” काजल करण से बोली.

“तू खुद खोल के देख ले....” करण मुस्कुराता हुआ बोला.

काजल ने जब गिफ्ट के रॅपिंग्स को फाडा तब अंदर उसे एक पुराना आल्बम मिला.
“करण भैया यह तो फोटो आल्बम है....इसमे किसकी फोटोस है..?” काजल उत्सुकतावश बोली.

“अरे बाबा सब मैं ही बताऊ क्या...तू खुद खोल के देख ना...”

काजल ने आल्बम खोला तो उसकी आँखो मे खुशी के आँसुओ की दो बूँदें छलक आई. वो आल्बम उसकी माँ रत्ना और उसके परिवार का था. उस आल्बम मे रत्ना, उनके स्वरगवासी पति हर्षवर्धन राठौड़ और उनके दो छोटे छोटे प्यारे बच्चे अर्जुन और काजल की तस्वीरें थी.

काजल आल्बम देखते देखते अपने अतीत मे पीछे जा कर वो सब कुछ याद करने लगी, जैसा उनके दादा दादी ने बताया था.

आज से करीब 25-26 साल पहले रत्ना देवगढ़ (राजस्थान) के एक बहुत बड़े ज़मींदार की बेटी थी. वो बला की खूबसूरत और बेपनाह हुस्न की मल्लिका थी. आस पास से मीलो दूर तक उनके रूप जैसी कोई और लड़की नही थी.

कहते है कि रत्ना के पिताजी और माताजी ने एक बहुत बड़े यग्य और पूजा करने के बाद रत्ना को जनम दिया था. लेकिन रत्ना के पैदा होने पर नक्षत्र ही कुछ ऐसे थे की उसकी कुंडली मे शैतान का योग बन गया था.

इतनी रूपवान होने के बावजूद कोई भी लड़का रत्ना से शादी करने को तय्यार नही होता था, सबको उसकी कुंडली मे दोष होने से बहुत डर लगता था. एक बार एक हिम्मतवाले नौजवान ने रत्ना के पिताजी से उसका हाथ माँगा. लड़का हैसियत मे उनके बराबर का नही था पर रत्ना के पिताजी कर भी क्या सकते थे, आख़िर जवान बेटी को कब तक घर मे रखते सो उन्होने उसकी शादी उस नौजवान से चुपके से कर दी ताकि बिरादरी मे उनकी खिल्ली ना उड़े.

पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था, रत्ना को जैसे ही एक पुत्र प्राप्त हुआ उसका नौजवान पति चल बसा. उसके बाद रत्ना के घरवालो ने उसे वापस मायके बुला लिया.

कुछ महीने ऐसे ही बीत गये जब पास के एक बड़े ज़मींदार हर्षवर्धन को रत्ना पसंद आ गयी. जब उसके घरवाले रत्ना का हाथ माँगने उसके पिताजी के पास गये तब उसके पिताजी ने झूट बोलकर कि रत्ना कुवारि है है उसकी शादी ठीक कर दी. रत्ना के पिताजी को डर था कि हर्षवर्धन की घरवाले अपने बेटे की शादी किसी विधवा से नही करेंगे.

पर रत्ना को यह नागवारा गुजरा. उसे पता था आख़िर सुहागरात को उसके पति हर्षवर्धन को पता चल ही जाएगा कि उसकी पत्नी कुवारि नही है. रत्ना को लगा कि यह धोका होगा अपने होने वाले पति के साथ. इसलिए उसने शादी से ठीक पहले हर्षवर्धन को अकेले मे बुलाया.

वहाँ उसने हर्षवर्धन को सारी बात सच सच बता दी कि वो एक विधवा है और उसका एक बेटा भी है. हर्ष नाराज़ होने के बजाए, रत्ना की ईमानदारी और हिम्मत देख कर बहुत खुश हुआ और उसे और उसके बेटे को अपनाने को तय्यार हो गया. हर्ष ने उस लड़के का नाम करण रखा और उसे अपना नाम भी दिया.

शादी हो गयी और सब खुशी खुशी रहने लगे जब हर्ष के घरवालो को रत्ना की सच्चाई का पता चला तो लोग उसे बदचलन कहने लगे. हर्ष को यह सब बर्दाश्त नही होता था. एक दिन ऐसे ही कुछ गुन्डो के द्वारा अपनी पत्नी के बारे मे गंदी अश्लील बातें सुन कर उसका खून खौल उठा और वो उनसे निहत्थे ही भिड़ गया.

पर उन गुन्डो के पास हथियार थे, भले ही हर्षवर्धन बहुत बालिश्ट था पर इतने सारे गुन्डो और उनके हथियारो के सामने वो टिक नही पाया और उन सब ने हर्ष को मार के नदी मे फेंक दिया. खयि दिन बाद हर्ष की सड़ी गली लाश एक आदमी को मिली जिसने लाश को परिवार के पास रख दिया.

तब तक रत्ना के हर्ष द्वारा अर्जुन और काजल भी पैदा हो गये थे. अपने दूसरे पति की मौत से रत्ना को गहरा सदमा लगा और वो भी उसी नदी मे कूद गयी. लोग कहते है कि वो डूब गयी, यहाँ तक कि उसकी लाश भी आज तक नही मिली. उसके बाद किसी ने उस रूप सुंदरी को नही देखा.

हर्ष के परिवार वालो को सब पता चल चुका था. वो रत्ना और करण को मनहूस समझ रहे थे. इसीलिए उन्होने अपनी सारी ज़मीन अर्जुन और काजल के नाम कर दी और करण को अनाथालय मे डाल दिया.

जब रत्ना की मौत हुई उस समय कारण 20 साल का था, अर्जुन उस से एक साल छोटा 19 साल का था और काजल सबसे छोटी 18 साल की थी. उसके बाद कारण फिर कभी अपने परिवार वालो से ना मिल सका. रत्ना के माता पिता ने भी यही सोचा कि कारण का अनाथालय मे रहना ही बेहतर होगा. पर अनहोनी होनी तो अभी बाकी थी. कुछ महीनो बाद ही लंबी बीमारी से अर्जुन और काजल के दादा दादी और नाना नानी भी चल बसे और वो दोनो भी इस दुनिया मे अकेले रह गये.

समय के साथ तीनो बच्चे बड़े होते गये. करण अपने अनाथालय मे रहकर खूब परिश्रम और मेहनत करता था. उसकी शकल अपनी माँ पर जाने से वो बहुत ही आकर्षक दिखता था. लोग कहते थे कि इतने सुंदर बालक को कोई कैसे अनाथालय मे रख सकता है. सालो की कड़ी मेहनत कारण के लिए रंग लाई और वो मेडिकल के प्रवेश परीक्षा मे अव्वल आया और डॉक्टर बन गया.

उधर भले ही घरवाले करण को भूल गये थे पर काजल उसे नही भूली थी. उसने किसी तरह उस अनाथालय का पता लगा लिया था और जब से रत्ना की मौत हुई थी तब से वो करण से हर रविवार को मिलने जाती थी.

अर्जुन को यह सब पसंद नही था. बचपन से ही वो करण से नफ़रत करता था, वो करण को ही सारी फ़साद की जड़ मानता था. उसे लगता था कि अगर कारण पैदा ना होता तो कोई भी उसकी माँ को बदचलन नही कहता और उसके पिता की मौत भी नही होती. वो इन सब का ज़िम्मेदार कारण को ही मानता था.

आज 12 साल बाद करण एक कामयाब डॉक्टर था जिसके पास पैसो की कोई कमी नही थी, कमी थी तो उनकी जिसे वो परिवार कह सके. वो दिखने मे बहुत ही सुंदर और आकर्षक था, उसका स्वाभाव भी बहुत ही गंभीर था, ज्याद बोलना उसे पसंद नही था, जहाँ ज़रूरत होती वो बस वही बोलता.

अर्जुन राठौड़ उधर एक बहुत बड़ी कन्स्ट्रक्षन कंपनी मे चीफ सिविल इंजिनियर बन गया था. करण के उलट वो बहुत बातूनी और जल्दी गुस्सा हो जाने वाला इंसान था.

हालाँकि अर्जुन भी बहुत आकर्षक था पर अपने बातूनी और मुहफट व्यवहार की वजह से बहुत लोग उस से परेशान रहते थे. लड़कियो से अय्याशि उसका सबसे बड़ा शौक था. उसमे और करण मे फ़र्क बस इतना था कि अर्जुन लड़किया पटाने की कोशिश करता जबकि लड़किया करण को पटाने की कोशिश करती.

जहा अर्जुन को हर महीने नयी लड़की चाहिए थी वही कारण इसके बावजूद कि कितनी लड़किया उसके पीछे भागती हैं, वो सच्चे और सिर्फ़ एक बार होने वाले प्यार पर यकीन रखता था. इसीलिए वो अपनी बचपन की दोस्त निशा से ही प्यार करता था.

काजल बचपन से ही बहुत चुलबुली और शरारती थी. लोग कहते है रूप रंग मे वो बिल्कुल अपनी माँ पर गयी थी. उसका चेहरा बहुत ही मासूम और भोला भाला और खूबसूरत था. बड़े होकर वकील बन ना ही उसका सपना था जिसे वो पूरा कर रही थी.

टू बी कंटिन्यूड...
 
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Update 6


काजल बचपन से ही बहुत चुलबुली और शरारती थी. लोग कहते है रूप रंग मे वो बिल्कुल अपनी माँ पर गयी थी. उसका चेहरा बहुत ही मासूम और भोला भाला और खूबसूरत था. बड़े होकर वकील बन ना ही उसका सपना था जिसे वो पूरा कर रही थी.

इन्ही सब ख़यालो मे खोई हुई काजल को देख कर कारण ने उसकी आँखो के सामने चुटकी बजाई, “हेलो....कहाँ खो गयी...”

“वो भैया बस ऐसे ही पुराने दिन याद आ गये.....वैसे यह आल्बम आपको मिला कहाँ से....और इसमे आपकी तो कही तस्वीर है ही नही...” काजल ने आल्बम का आख़िरी पन्ना पलट ते हुए कहा.

“यह आल्बम मुझे माँ ने दिया था. माँ की यह मेरे पास आख़िरी निशानी थी और यही मेरे दिल के सबसे करीब थी.....और रही बात तस्वीर की तो आख़िर एक अनाथ की तस्वीर कोई क्यू खीचेगा...खैर मैने सोचा था कि इस साल तेरे बर्थ’डे पर तुझे अपने दिल के सबसे करीब चीज़ ही गिफ्ट करू सो यह आल्बम ले आया..”

करण के अनाथ बोलने पर काजल को करण के लिए बहुत बुरा लगा, “मैं हू ना आपकी माँ....और अगर आपने फिर अपने आप को अनाथ बोला तो आपके यह माँ आपको बहुत मारेगी...समझे.” कहते हुए काजल करण के गले लग गयी.

अर्जुन से यह सब बर्दाश्त नही हो रहा था. भले ही समय के साथ उसके दिल मे करण के लिए कड़वपन कम हो गया हो पर वो अभी भी करण को पसंद नही करता था.

“देखो अर्जुन भैया....करण भैया ने अपने सारे बचपन में इसी आल्बम को संजोए रखा जबकि इंसमे वो है भी नही...तस्वीर में सिर्फ़ मैं आप पापा और मम्मी है....फिर तुम कहते हो करण भैया हमारे परिवार का हिस्सा नही है..” काजल उठी और वो आल्बम को संभाल के अपने रूम मे रख आई.

अर्जुन के दिल मे कही ना कही करण के लिए एक भाई का प्यार था तो ज़रूर पर वो यह सबके सामने स्वीकारना नही चाहता था कि वो अपने सौतेले भाई से प्यार करता है. करण ने काजल को उसके जितना ही बराबर प्यार दिया था ज्सिके लिए वो करण का शुक्रगुज़ार था.

“चलो भाई लोग अब सोया जाए...आज बेडरूम मे ना सोकर यही सोते है....यहाँ तीन सोफे है और तीनो लोग आराम से इन तीनो सोफे पर फिट हो जाएँगे... गुडनाइट.” बोलकर काजल ने रूम की लाइट ऑफ कर दी और तीनो लोग चादर ओढ़ कर सो गये.
अभी उनको सोए कुछ घंटे ही हुए थे कि...

“करन्न्न्न………बचाओ मुझे……मैं यहाँ इस अंधेरी खौफनाक गुफा मे बंद हू…मेरे बेटे बस एक तुम ही हो जो मुझे यहाँ से बाहर निकाल सकते हो………” इस बार सपना अर्जुन को नही करण को आया था.

“माआआआ……………” हल्की सी चीख मार कर करण उठ गया.

करण के उठते ही सभी जाग गये. करण का भी वही हाल था जो कल रात अर्जुन का था, उसके चेहरे पर पसीने के बूँदें सॉफ झलक रही थी.

“क्या हुआ करण भैया.......” काजल तुरंत करण के पास गयी और अपनी नाइटी से उसके चेहरे का पसीना पोछने लगी.

“फिर वोही सपना.....” करण गहरी साँस लेता हुआ बोला.

“कैसा सपना....?” काजल ने पूछा

“एक सपना है जो मुझे करीब दो महीनो से हर रात आता है....उसमे हमारी माँ किसी अंधेरी गुफा मे बंद है और वो मुझे मदद के लिए पुकार रही है...” करण ने अपना सर पकड़ लिया.

उसकी बातें सुनकर काजल और अर्जुन दोनो हक्के बक्के रह गये. बार बार एक ही सपना आना कोई इतेफ़ाक़ हो सकता है. पर अगर वो ही सपना दो लोगो को एक साथ आए तो ज़रूर इसके पीछे कोई गहरा रहस्य होगा.

“करण भैया आप विश्वास नही करोगे पर अर्जुन भैया को भी यही सेम टू सेम सपना हर रात को करीब दो महीने से आ रहा है....” काजल बोली.

अब हैरान होने की बारी करण की थी. वो आश्चर्य से अर्जुन की ओर देख रहा था.
“इसका क्या मतलब हो सकता है....” करण बोला.

“इसका एक ही मतलब है कि माँ ज़िंदा है और आप दोनो को मदद के लिए पुकार रही है. काजल बोली और करण को अर्जुन के सपने के बारे मे पूरी बात बता दी.

“ना जाने ईश्वर का यह कैसा खेल है पर अगर हमारी माँ को हमारी ज़रूरत है तो हम ज़रूर जाएँगे....चाहे उसके लिए पाताल तक ही क्यू ना जाना पड़े.” कारण ने कहा.

“अगर यह सब का कुछ भी मतलब है तो हम अपनी माँ को ज़रूर ढूँढेगे...” अर्जुन भी जोश मे बोला.

काजल को तो बस यही देखना था, उसे आज उसके बर्थ’डे का रियल गिफ्ट मिल गया था कि उसके दोनो भाई पहली बार किसी भी बात पर एक साथ सहमत हुए है. उसे इस से ज़्यादा और क्या चाहिए था.

अगली सुबह उनके लिए एक नयी उम्मीद ले कर आई थी. बाहर का मौसम तो अब भी बहुत खुशनुमा था. चारो ओर घने काले बादल छाये थे और टिप टिप बारिश अभी भी हो रही थी. मुंबई मे मानसून कुछ ज़्यादा देर तक चलता है. सुबह हो जाने के बावजूद सूरज को काले काले बादलो के पीछे से नही देखा जा सकता था. काफ़ी ठंडी हवायें बह रही थी जिस से जुलाइ के महीने मे भी थोड़ा ठंड जैसा महॉल बन गया था.यह सब जो भी है वो हमारे सपने से जुड़ा हुआ है...तो क्यू ना हम बहुत पहुचे हुए आचार्य श्री सत्य प्रकाश जी के पास चले...वो इस बारे मे ज़्यादा जानकारी रखते है...” अर्जुन सोफे पर से उठते हुए बोला.

“यह सत्य प्रकाश कौन है भैया.....इनका कभी नाम नही सुना..” काजल बोली.

“वो बहुत पहुचे हुए और सिद्ध पुरुष है...पब्लिसिटी और फेम से उनका कोई लेना देना नही है...वो तो बस यहाँ से दूर एक छोटे से गाओं मे अपने आश्रम मे रहते है....बहुत कम ही लोग है जो उनके बारे मे जानते है..” अर्जुन बोला.

“पर भैया क्या आपको पक्का पता है कि यह बाबा जी हमारी मदद कर सकते है..?”

“हाँ काजल....मुझे पूरा विश्वास है क्यूकी मुझे याद है जब मैं छोटा था तो माँ मुझे इनके पास इनका आशीर्वाद दिलाने ले जाती थी....”

यह सब सुन कर करण ने कहा, “अगर यह आचार्य हमारी मदद कर सकते है तो हमे इनसे ज़रूर मिलना चाहिए...”

“ठीक है भैया आप लोग के साथ मैं भी चालूंगी...” काजल बोली.

“छुटकी...इस सफ़र मे बहुत से ख़तरे हो सकते है और हम नही चाहते कि तुम ख़तरो मे पडो....तू यही रह कर पढ़ाई कर...मैं और करण देख के आते है कि इन सपनो का चक्कर क्या है....” अर्जुन बोला.

इस बात पे काजल भड़क गयी, उसने कमर पर हाथ रखते हुए अर्जुन को घूर घूर के देखा, “अर्जुन भैया शायद आप भूल रहे हो कि जिस औरत की तलाश मे आप दोनो जा रहे हो वो मेरी भी माँ है....तो मेरा आना भी बनता है...हो सकता है मैं आपके कुछ काम आ सकु...”

“काजल तू हमारी क्या मदद करेगी...बल्कि हमे ही हर वक़्त तेरी सुरक्षा की चिंता लगी रहेगी...” करण ने काजल को समझाते हुए बताया.

“आप तो अर्जुन भैया से और ना ही वो आपसे कभी खुल के बात करेंगे....तो आपस मे मिलकर क्या खाक काम करोगे.....अगर मैं चलूं तो आप दोनो की मन की बात आप लोगो को बता सकती हू....” काजल के इस बात का जवाब ना ही अर्जुन के पास था और ना ही करण के पास.

दोपहर तक तीनो तय्यार थे. ज़रूरत का सारा समान ले लिया था उन्होने. अर्जुन ने अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी निकाली और जेब मे अपने बिना लाइसेन्स वाले दो देसी कट्टे (रेवोल्वेर/पिस्टल) रख लिए कि पता नही कब उनकी ज़रूरत पड़ जाए. वो तीनो सफ़र पर निकल पड़े.

“पर हम जाएँगे कहाँ....अर्जुन भैया क्या आपको आचार्य जी के आश्रम का पता मालूम भी है या हम बस ऐसे ही चलते जा रहे है...” काजल बोली, वो बगल की सीट पर बैठी हुई थी.

“मुझे सब कुछ याद है...बचपन की कुछ बातें जल्दी नही भूलती...इन्ही यादो मे से एक है आचार्य का आश्रम जहाँ माँ मुझे ले जाया करती थी...” अर्जुन गाड़ी चलाते हुए बोला.

रात हो चली थी. सुनसान सड़क को चीरती हुई उनकी स्कॉर्पियो चली जा रही थी. बारिश ऐसी जो थमने का नाम ही नही ले रही थी. तेज़ हवायें ऐसी जो मानो पेड़ो को जड़ से उखाड़ देना चाहती हो. ऐसे ही खराब मौसम के बीच करीब 6 घंटे गाड़ी चलाने के बाद हाइवे से नीचे उतर कर एक गाँव आया.

अर्जुन ने गाड़ी नीचे उतार ली. गाँव बहुत ही छ्होटा सा था. घर नाम मात्र के थे और उनमे आपस की दूरी भी बहुत थी. खेतो मे बारिश की वजह से कीचड़ हो गयी थी जिसपे स्कॉर्पियो धीरे धीरे हिचकोले खाती चली आ रही थी.

आख़िरकार गाड़ी एक छोटे से आश्रम के बाहर रुकी. रात काफ़ी हो गयी थी और उपर से तेज़ बारिश हो रही थी इसलिए हर तरफ सन्नाटा पसरा था.

“यही है वो आश्रम....चलो अंदर चलते है...” अर्जुन ने गाड़ी से उतरते हुए कहा.

तीनो लोग आश्रम के अंदर आ गये. बाहर ही आचार्य मानो उनका इंतेज़ार ही कर रहे थे.

“आओ बेटा आओ....ना जाने कितने साल हो गये तुम्हे देखे बिना...” आचार्य ने तीनो को आश्रम के अंदर बुलाया. आचार्य का बालिश्ट शरीर, केसरी रंग की धोती, लंबी सफेद दाढ़ी और चेहरे पर एक तेज था. अंदर के महॉल मे मन को जो शांति मिल रही थी वो तीनो भी महसूस कर सकते थे.

“क्या करू आचार्य जी जबसे माँ का स्वरगवास हुआ है तब से यहाँ वापस आने का मौका ही नही मिला...” अर्जुन ने आचार्य के पाँव छुए और चारपाई पर बैठ गया.

“कोई बात नही बेटा...सब उपर वाले की महिमा है....वैसे मुझे पहले से ही आभास हो गया था कि तुम आने वाले हो.....पर यह बाकी लोग कौन है..”

“आचार्य क्या आप इसे भूल गये...यही तो है छुटकी....मेरी प्यारी बहन काजल..एक दो बार यह भी आश्रम आ चुकी है पर उस समय यह बहुत छोटी थी...” अर्जुन ने आचार्य को अतीत याद करवाया.अरे याद आया...काजल बेटी...अरे देखो तो कितनी बड़ी हो गयी है...बिल्कुल अपनी माँ पर गयी है....” आचार्य ने प्यार से काजल के सर पर हाथ फेरते हुए कहा जिसके उपरांत काजल ने उनके पाँव छु लिए.

“और यह महाशय कॉन है....” आचार्य करण की तरफ इशारा करते हुए बोले.

“आप इनको नही जानते होंगे....यह कभी आश्रम मे नही आए...” अर्जुन ने आचार्य को बीच मे ही रोकते हुए बोला.

“प्रणाम आचार्य मैं इन दोनो का दोस्त हू....” झूट बोलते हुए कारण ने भी आचार्य के पैर छू कर आशीर्वाद लिया. वो नही चाहता था कि आचार्य को पता चले कि वो उसकी माँ की नाजायज़ औलाद है.और यह महाशय कोन है....” आचार्य करण की तरफ इशारा करते हुए बोले.

“आप इनको नही जानते होंगे....यह कभी आश्रम मे नही आए...” अर्जुन ने आचार्य को बीच मे ही रोकते हुए बोला.

“प्रणाम आचार्य मैं इन दोनो का दोस्त हू....” झूट बोलते हुए करण ने भी आचार्य के पैर छू कर आशीर्वाद लिया. वो नही चाहता था कि आचार्य को पता चले कि वो उसकी माँ की नाजायज़ औलाद है.

अब आगे................................

“वैसे अर्जुन बेटा....इतनी रात को और वो भी इतनी तेज़ बारिश मे यहाँ आने को कोई खास वजह ?....देखो तुम लोग भीग भी चुके हो...” आचार्य बोले.

“वजह है आचार्य...और इसी लिए तो हम सब आपकी मदद लेने यहाँ आए है...”

“ठीक है बेटा पर तुम मुझे पहले पूरी बात बताओ...”

“आचार्य पिच्छले कुछ दो महीनो से मुझे माँ का एक ही सपना रोज़ रात मे आता है जिसमे माँ एक अंधेरी काली गुफा मे फसि है और मुझे मदद के लिए पुकार रही है...पर समझ मे नही आता क़ी मा की मौत के 12 साल बाद यह सब का क्या मतलब हो सकता है...कही माँ जिंदा तो नही है ???”

“बेटा होने को तो कुछ भी हो सकता है...हम सब उपर वाले के हाथ की कट्पुतली है...वो जब चाहे तब हमे अपने इशारो पर नचाता है...उसके मर्ज़ी के बिना धरती का एक भी पत्ता नही हिलता...”

“आचार्य वो सब तो ठीक है...पर मुझे यह नही समझ आ रहा कि हम वो गुफा ढूंढ़ेंगे कैसे...उस गुफा को ढूँढने मे हमे आपकी मदद चाहिए...अगर आपने हमारी मदद कर दी तो हम आपका यह एहसान कभी नही भूलेंगे क्यूकी इस बार दाव पर हमारी माँ की जान लगी है...”

“अर्जुन बेटा अगर ऐसी बात है तो मैं हर संभव तुम्हारी मदद करने को तय्यार हू...तुम्हारी माँ रत्ना मेरी भी शिष्या रह चुकी है...पर सबसे पहले तुम सब आज रात को यही आराम कर लो...कल सुबह बात करेंगे क्यूकी अभी बहुत रात हो गयी है...” आचार्य ने घड़ी देखा तो आधी रात से भी ज़्यादा का वक़्त हो रहा था.

आचार्य सत्या प्रकाश के कहे अनुसार उनकी पत्नी और उनकी बेटी ने करण अर्जुन और काजल को उनका कमरा दिखा दिया. वो तीनो वही अपना डेरा डाल के लेट गये.
खिड़की से बाहर घने बादलो के बीच चाँद को देखते हुए करण बोला, “मुझे तो लगता है हम यहाँ अपना समय बर्बाद कर रहे है...इस से अच्छा होता अगर हम पोलीस की मदद लेते...”

अर्जुन तो वैसे ही करण को नापसंद करता था सो उसकी इस बात पर वो भड़क गया, “देखो करण, हम तुम्हे यहाँ ज़बरदस्ती नही लाए है....अगर तुम्हे यहाँ नही रहना तो दफ़ा हो जाओ यहाँ से...मैं अकेले ही अपनी माँ को ढूँढ लूँगा...”
बात बिगड़ता देख काजल बीच बचाव करने लगी, “अर्जुन भैया प्लीज़...अब यहाँ पे कोई तमाशा मत खड़ा करो...”

“वाह! तमाशा मैं खड़ा कर रहा हू ???....तमाशा तो यह करण खड़ा कर रहा है....अगर यह पैदा ही नही हुआ होता तो आज हमे इस मुसीबत का सामना नही करना पड़ता...मनहूस कही का...हुहह.” अर्जुन दाँत पीसता हुआ बोला.

काजल ने अपना सर पीट लिया, “अब भी वही रट लगा रखे हो...बोला ना पुरानी यादो को भूल जाओ...अभी माँ को हम सब की ज़रूरत है...देखते है आख़िर आचार्य जी कल हम से क्या कहते है...तब तक के लिए प्लीज़ सो जाओ...” और फिर करण को बोलते हुए, “सॉरी कारण भैया...मैं अर्जुन भैया की तरफ से आपसे माफी मांगती हू...”

करण ने कुछ ना कहा और सब सो गये लेकिन अर्जुन की कड़वी बातो से करण की आँखो मे आए आँसू कोई नही देख सका.

अगली सुबह जब तीनो उठे तो आचार्य किसी हवन या यज्ञ का बंदोबस्त कर रहे थे. मौसम सॉफ और सुहाना था.

“आओ बेटा...मैं तुम लोगो के उठने का ही इंतेज़ार कर रहा था...”

“यह यज्ञ किस लिए है आचार्य...?” अर्जुन ने आचार्य को प्रणाम करते हुए कहा.

“इसी यज्ञ के बाद ही हम तुम्हारी माँ के बारे मे कुछ जान सकते है...” कहते हुए आचार्य सत्या प्रकाश हवन सामग्री लेकर अपने स्थान पर बैठ गये और तीनो को भी वही बैठने को बोला.

सूरज की पहली किरण के साथ ही आचार्य का यज्ञ शुरू हुआ. तीनो कारण अर्जुन और काजल बस आचार्य को देखे जा रहे थे. करण को तो इन सब बातो पे विश्वास नही था पर यह उसकी माँ के तलाश की बात थी इसीलिए वो हर वो कदम उठाने को तय्यार था जो उसे उसकी माँ तक पहुचा दे.

करीब तीन घंटे की लंबी पूजा के बाद आचार्य बोले, “अर्जुन बेटा इस पवित्र अग्नि को अपना रक्त भेट करो...ताकि मैं तुम्हारे रक्त से तुम्हारी माँ रत्ना की ताकत को आपस मे अपने मस्तिष्क मे जोड़ सकु...”

बिना एक पल गवाए अर्जुन पास मे रखे चाकू से अपनी दाए कलाई की नस काटकर उसमे से दो चार बूँद खून की उस अग्नि कुंड मे डाल दिया. काजल को अर्जुन की फ़िक्र हो रही थी मगर अर्जुन ने उसे शांत करवा दिया.

जैसे ही कुछ पल की साधना के बाद आचार्य का यज्ञ पूरा हुआ उनकी आँखे क्रोध और गुस्से से तिलमिला गयी. इसे देख के तीनो घबरा गये. अर्जुन ने पूछा, “क...क्या...हुआ आचार्य...???”

आचार्य अपने स्थान से उठ खड़े हुए और बोले, “तुम्हारी माँ रत्ना सच मुच मे जिंदा है...हम ने थोड़ा बहुत उस से मानसिक संपर्क बनाने की कोशिश की थी..”

यह बात सुनकर तीनो बच्चो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. पर वो मुस्कान ज़्यादा देर तक नही टिकी जब आचार्य ने आगे बोलना शुरू किया, “तुम्हारी माँ जिंदा तो है पर वो बहुत बड़े संकट मे है..."

“संकट कैसा संकट...???” चिंता की लकीरे ना सिर्फ़ अर्जुन पर बल्कि काजल और करण दोनो के माथे पर भी दिख रही थी.

आचार्य गंभीर स्वर मे बोले, “तुम्हारी माँ नदी मे कूद कर मरी नही थी...बल्कि उसका अपहरण हुआ था...
 
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तुम्हारी माँ जिंदा तो है पर वो बहुत बड़े संकट मे है...”

“संकट कैसा संकट...???” चिंता की लकीरे ना सिर्फ़ अर्जुन पर बल्कि काजल और कारण दोनो के माथे पर दिख रही थी.

“तुम्हारी माँ कभी नदी मे कूद कर मरी नही थी...उसका अपहरण हुआ था...” आचार्य गंभीर स्वर मे बोले.

अब आगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


आचार्य के मूह से यह शब्द निकलते ही तीनो के पाँवो तले ज़मीन खिसक गयी, “यह आप क्या कह रहे है आचार्य...हमें तो हमारे दादा दादी ने बताया था कि माँ की नदी मे कूदने से उनकी मौत हुई थी...” अर्जुन बोला.

“मैं जो भी कह रहा हू सही कह रहा हू...” आचार्य फिर गरज कर बोले.

“पर किसने किया रत्ना जी का अपहरण...???” इतने देर से चुप चाप खड़े करण ने आचार्य से पूछा. करण ने जान बूझ कर रत्ना जी कहा ताकि आचार्य को यह ना पता चल सके कि रत्ना उसकी भी माँ है.

पर आचार्य सत्य प्रकाश अंतर्यामी थे. करण का यह झूट उनसे ज़्यादा देर तक छुप ना सका, “करण अब मुझसे और झूट बोलने की ज़रूरत नही है...मैं जान गया हू कि तुम रत्ना के बेटे हो उसके पहले पति से...”

करण को यह सुनकर ज़ोर का झटका लगा. अभी तक वो इन बाबा लोगो पर विश्वास नही करता था पर अब उसे थोड़ा थोड़ा यकीन होने लगा था.

फिर आख़िरकार करण ने हिम्मत जुटा के पूछा, “पर आपने बताया नही कि आख़िर किसने किया हमारी माँ का अपहरण...???”

“तांत्रिक त्रिकाल.......!!!”

“यह कौन है आचार्य...?” अर्जुन ने इस बार पूछा.

“इस सदी का सबसे बड़ा, दुष्ट, पापी और ख़तरनाक तांत्रिक...यह भगवान शिव की आराधना छोड़ कर शैतान की पूजा करता है जिस से यह पहले से ज़्यादा ताक़तवर हो गया है...काला जादू कर के यह शैतान को प्रसन्न करना चाहता है ताकि जो इसे भगवान शिव से ना मिल सका वो इसे शैतान द्वारा मिल जाए यानी वो अजय अमर हो जाए....” आचार्य की आँखो मे डर सॉफ देखा जा सकता था.

तांत्रिक त्रिकाल के बारे मे सुनकर तीनो हक्के बक्के रह गये. किसी को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था पर आचार्य की बात सुनकर तीनो को अब डर ज़रूर लगने लगा था.

आचार्य ने उन तीनो के चेहरो पर जब हैरानी के भाव देखा तब उनको लगा कि उनको जो भी यज्ञ कर के जानकारी मिली है वो बता देनी चाहिए.

“बात करीब 25-26 साल पहले की है. तुम लोगो की माँ रत्ना बड़े खानदान की एक रूपवान युवती थी. उसके कुंडली मे दोष था इसलिए कोई भी उस से शादी नही करता था. इसी वजह से रत्ना के घरवालो ने त्रिकाल की मदद ली क्योकि उनको लगता था कि एक त्रिकाल ही है जो उनकी बेटी की कुंडली को दोषमुक्त कर सकता है.

लेकिन जब त्रिकाल आया तो मदद करने की बजाए उस दुष्ट की वहशी नज़र रत्ना पे पड़ गयी. रत्ना और उसके घरवाले तो यही सोच रहे थे कि त्रिकाल उनकी मदद कर रहा है जबकि त्रिकाल तो अपनी काम वासना रत्ना के साथ शांत करना चाह रहा था.

इन सबसे अंजान रत्ना के परिवार वालो ने अमावस्या की रात को अकेले उसे त्रिकाल के साथ भेज दिया इस उम्मीद मे कि शायद त्रिकाल की पूजा करने के बाद रत्ना की कुंडली से दोष निकल जाएगा. पर अनहोनी होनी तो अभी बाकी थी. रत्ना को अकेला पाकर उस पापी ने उसपर अपना वहशिपन दिखा दिया और उस कुवारि युवती का जनवरो की तरह रात भर बलात्कार किया...” आचार्य ने एक साँस मे अतीत को अपने शब्दो द्वारा बयान कर दिया.

करण अर्जुन और काजल तीनो की रूह काँप गयी ऐसा सुनकर. काजल तो वही बैठ गयी, उसकी माँ के साथ ऐसा दुराचार सुन ने के बाद उसके पाओ मे थोड़ा भी दम नही रहा. पर करण को इन सब पर विश्वास नही था, उसे तो यह आचार्य कोई पाखंडी लगता था जो उसकी माँ के बारे मे ऐसी गंदी बाते उनको सुना रहा था.

गुस्से से भरे करण ने फ़ौरन ही आगे बढ़ कर आचार्य का गला पकड़ लिया, “पाखंडी साधु...तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी माँ के बारे मे ऐसे अपशब्द बोलने के...अपना यह ढोंग बंद कर वरना...”

“वरना क्या बेटा...मैं तो वही बता रहा हू जो सत्य है...अगर मेरे हाथ मे कुछ भी होता तो मैं समय मे पीछे जाकर वो सब बदल देता...” गर्दन पकड़े जाने पर भी आचार्य की बोली मे मीठास और विनम्रता थी.

“करण छोड़ आचार्य को.....इसमे इनकी कोई भी ग़लती नही है....” अर्जुन ने आचार्य को करण से छुड़ाते हुए बोला, “काजल, करण को ले जा यहाँ से...”

काजल ने किसी तरह करण को वहाँ से हटाया. अर्जुन ने आचार्य को वही बैठाया और उनको पानी पिलाया, “मुझे माफ़ कर दीजिए आचार्य...करण की तरफ से मैं आपसे माफी माँगता हू...”

“कोई बात नही बेटा...करण की जगह अगर कोई और होता तो वो भी यही करता...इसमे उसका कोई कुसूर नही है...” आचार्य ने विनम्रता से कहा.

“पर आचार्य यह सब हमारे दादा दादी ने तो हमें कभी नही बताया.” अर्जुन ने उत्सुकतावश पूछा.

“यह बात शर्म और लज्जा से तुम्हारी माँ ने अपने घरवालो से भी छुपा ली थी तो तुम्हारे दादा दादी को यह बात पता होना तोनामुमकिन था...”

“लेकिन त्रिकाल का क्या हुआ...?” अर्जुन ने पूछा.

“त्रिकाल की हवस तुम्हारी माँ के बलात्कार के बाद भी कम नही हुई...जब रत्ना तुम्हारे पिताजी के साथ एक सुखी और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही थी तो त्रिकाल वापस लौट आया... फिर उस दुष्ट ने तुम लोगो की माँ का अपहरण कर लिया....” आचार्य बोले.

अर्जुन का भी यह सब सुनकर खून खौल रहा था, “आचार्य बस यह बताइए कि त्रिकाल का अड्डा कहाँ पर है....मैं उस दुष्ट से अपने परिवार को दिए हुए हर कष्ट का बदला लूँगा...”

“अर्जुन बेटा तुम तांत्रिक त्रिकाल को कम मत समझना...वो इस सदी का सबसे बड़ा तंत्रिका है जिसे काला जादू करने मे महारत हासिल है...और इसी काले जादू के प्रयोग से उसने अपने अड्डे को मेरे जैसे संत महात्मा की नज़रो से बचा के रखा हुआ है...इसीलिए तांत्रिक त्रिकाल कहाँ मिलेगा यह तो तुम लोगो को ही ढूँढना पड़ेगा...”

“आचार्य अगर वो पाताल मे भी होगा तब भी मैं उसे ढूंड निकालूँगा....बस आप मुझे अपना आशीर्वाद दीजिए...” कहते हुए अर्जुन ने आचार्य के पाओ छु लिए.

“बेटा मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ ही नही बल्कि करण और काजल के साथ भी है...अब यहाँ से लड़ाई तुम तीनो की है....” आचार्य ने प्यार से अर्जुन के सर पर हाथ फेरा और उसे अपना शिर्वाद दिया.
पर आचार्य आप हमें कोई ऐसा हथियार नही देंगे जिस से हम त्रिकाल पर विजय प्राप्त कर सके...”

“बेटा भाई भाई का प्यार ही वो ऐसा हथियार है जो तुम दोनो को हर ख़तरे से दूर रखेगा....मैं यह बात जानता हू कि तुम अपने भाई करण को पसंद नही करते पर जिस राह पर तुम दोनो निकले हो वो बहुत कठिन है...जिसमे अगर तुम सब एक जुट होकर नही रहोगे तो कभी त्रिकाल को नही हरा पाओगे....मेरी एक बात याद रखना अर्जुन, त्रिकाल की नफ़रत की काट सिर्फ़ तुम तीनो भाई बहेन का प्रेम ही है...वो तुम दोनो को चाहे कितना भी नुकसान पहुचा सकता है पर तुम दोनो के प्रेम को कभी कम नही कर सकता...” आचार्य ने अर्जुन को आख़िरी बात समझाई जो अब उसके कानो मे गूँज रही थी.

तीनो आश्रम से बाहर निकल कर स्कॉर्पियो पर बैठ चुके थे.

“तुम्हे आचार्य के साथ ऐसा नही करना चाहिए था...” अर्जुन गाड़ी स्टार्ट करते हुए करण से बोला.

“मैं उस घटना के लिए बहुत शर्मिंदा हू...पर उस समय मुझे बहुत गुस्सा आ गया था...” करण पीछे की सीट से बोला.

“आप दोनो लोग छोड़ो इस बात को.....अब यह पता करो कि हम त्रिकाल का अड्डा ढूंढ़ेंगे कैसे...?” काजल ने बीच मे कहा.

इस बात का जवाब किसी के पास नही था. अर्जुन गाड़ी भगा ही रहा था कि उसके मोबाइल फोन की घंटी बज उठी.

गाड़ी को हाइवे के किनारे खड़ा करते हुए वो बाहर उतर गया पर जब उसने फोन देखा तो जो नंबर था उसे पढ़ कर उसकी भवें सिकुड गयी.

फोन पर एक महिला की रोने की आवाज़ आई, “अर्जुन बेटा सलमा दो रात से घर नही आई है....क्या तुम जानते हो कि वह कहाँ गयी है...”

अर्जुन यह सुन कर हैरान रह गया, उसे वो रात की वो घटना याद आ गयी जब सलमा उस से नाराज़ होकर आधी रात को अकेले उसके घर से चली गयी थी.

“ना....नही...आंटी वो तो मेरे घर से परसो रात को ही निकल गयी थी....उसे तो अब तक आपके पास होना चाहिए था...” अर्जुन थूक गटकते हुए बोला.

“पता नही बेटा....अब तक वो घर नही आई है...मुझे तो डर लग रहा है कि कही मेरी बच्ची के साथ कोई अनहोनी ना हो गयी हो..”

“आप फिकर मत करिए आंटी...अल्लाह पर भरोसा रखिए मैं उसको फोन करके देखता हू...” सलमा के गायब हो जाने की खबर सुनकर अर्जुन के हाथ पाँव फूलने लगे थे.

“ठीक है बेटा...अगर तुम हमारी मदद कर दो तो तुम्हारी बहुत मेहरबानी होगी...” सलमा की अम्मी फ़ातिमा ने कहा.

“अरे आंटी इसमे मेहरबानी की क्या बात है, पर क्या आपने पोलीस मे कंप्लेंट लिखवाई है...?”

“लिखवाई तो है बेटा....पर तुम तो यहाँ की पोलीस को जानते ही हो...हम जैसे ग़रीब लोगो की मदद कोई पोलीस वाला नही करना चाहता है...”

“मैं अभी पोलीस स्टेशन जा के देखता हू....बस आप अपना ख़याल रखिएगा..”

“अल्लाह तुम्हे रहमत बख्से बेटा.....” और फ़ातिमा ने फोन काट दिया.

गाड़ी के अंदर से काजल और करण, अर्जुन को परेशान देख कर खुद परेशान हो रहे थे.

अर्जुन ने तुरंत सलमा का नंबर डाइयल किया. पूरी घंटी बज के काट गयी पर किसी ने फोन नही उठाया. अर्जुन के माथे पर पसीना सॉफ बता रहा था कि सलमा के साथ ज़रूर कोई अनहोनी हो गयी है.

“हे भगवान कहीं सलमा का कोई आक्सिडेंट तो नही हो गया...” अर्जुन माथे पर के पसीना को सॉफ करते हुए बोला.

वो गाड़ी के अंदर आ गया तो काजल ने उस से पूछा, “क्या हुआ भैया....आप बहुत परेशान लग रहे हो..”

“अभी अभी सलमा की अम्मी का फोन आया था....” कहते हुए अर्जुन बीच मे रुक गया.

सलमा का नाम पहली बार सुनकर करण ने पूछा, “यह सलमा कौन है...???”

“अर्जुन भैया की गर्लफ्रेंड....” काजल ने बताया, जिसे सुन करण मुस्कुराए बिना नही रह सका.

“तो सलमा की अम्मी ने क्या कहा फोन पर...?” काजल ने अर्जुन से पूछा.

“सलमा परसो से घर नही आई है....जिस रात वो मेरे घर से गयी थी, उसके बाद वो अपने घर पहुचि ही नही.....हे भगवान यह कैसी कैसी मुसीबत आती जा रही है हम पर....”

“ओह्ह माइ गॉड.....यह क्या कह रहे हो अर्जुन भैया....” काजल को एक झटका सा लगा.

फिर अर्जुन ने सारी बात बता दी. पिच्छले कुछ दिनो से तीनो लोगो पर हैरानी के झटके पर झटके लगते जा रहे थे. कुछ दिन पहले एक आम जिंदगी जीने वाले यह तीन लोगो की जिंदगी अब बिल्कुल बदलने वाली थी.

“भैया अगर ऐसी बात है तो हमें पोलीस स्टेशन ज़रूर चलना चाहिए...” काजल चिंतित स्वर मे बोली.

“हाँ काजल हमें ज़रूर चलना चाहिए....क्यूकी अगर सलमा को कुछ भी हो गया तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नही कर पाउन्गा..” अर्जुन ने सरपट गाड़ी मुंबई के दादर पोलीस स्टेशन की तरफ भगा दी.

टू बी कंटिन्यूड....
 
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Update 8

पोलीस स्टेशन के बाहर गाड़ी रोक के तीनो अंदर भागे. अंदर का महॉल बहुत भीड़ भाड़ वाला था जो ज़्यादातर पोलीस स्टेशन मे नही देखने को मिलता है.

“यहा हो क्या रहा है....???” अर्जुन ने सोचा.

भीड़ भाड़ इतनी थी कि पुलिस ऑफिसर्स से मिलना नामुमकिन था. लेकिन तभी करण को अपना दोस्त दिखाई दे गया जो वही पर सीनियर इनस्पेक्टर की पोस्ट पर तैनात था. उसने अपने दोस्त को इधर आने का इशारा किया.

“अरे सुजीत तू....वाह यार तू तो सीनियर इनस्पेक्टर बन गया...” करण अपने दोस्त से गले मिलते हुए बोला. वो तो अच्च्छा हुआ कि करण को अपना एक दोस्त मिल गया वरना इतनी भीड़ भाड़ मे किसी से भी पूछ ताछ करना नामुमकिन था.

“हाँ यार बस अपने देश की सेवा करनी थी सो पोलीस फोर्स जाय्न कर लिया...पर सुन ने मे आया है कि तू बहुत बड़ा डॉक्टर बन गया है...बांद्रा मे तेरा एक अच्च्छा ख़ासा क्लिनिक भी है....” इनस्पेक्टर सुजीत ने करण से हाथ मिलाते हुए कहा.

इधर अर्जुन और काजल का सब्र का बाँध टूट रहा था. वो लोग यहाँ पर मेल मिलाप के लिए नही आए थे इसलिए काजल ने करण को कोहनी मारी और इशारा कर दिया कि सलमा के बारे मे.

“श...सुजीत वो सब छोड़ कभी फ़ुर्सत से मेरे क्लिनिक मे साथ बैठ कर बात करेंगे पर अभी हम यहाँ बहुत ज़रूरी काम से आए है...”

“क्या बात है बोल...”

“वो हम एक गुमशुदा लड़की सलमा वहीद के बारे मे पूछ्ना चाहते है...उसकी अम्मी कल पोलीस स्टेशन आई थी कंप्लेंट लिखवाने...” कारण बोला.

“हम आई तो थी यार...पर उस से तुम्हे क्या...???”

“यार वो मेरे भाई अर्जुन की मंगेतर थी...पर परसो इसके घर से निकलने के बाद ना जाने कहाँ चली गयी....अभी तक घर नही पहुचि है....”

“ओह्ह हो तो वो तुम्हारे भाई की मंगेतर थी...”

अर्जुन से अब और बर्दास्त नही हो रहा था और उसने चिल्लाते हुए कहा, “इनस्पेक्टर साहब प्लीज़ !!!..... अच्छा होगा कि आप सलमा के बारे मे बताइए...उसके अम्मी अब्बू उसका घर पर इंतेज़ार कर रहे होंगे...”

“चिल्लइए मत !!!...मिस्टर. अर्जुन यहाँ पर जितने लोग आप देख रहे है ना वो सब अपने परिवार वालो के घर आने का ही इंतेज़ार कर रहे है...एक आपकी सलमा के अब्बू अम्मी ही नही है....यहाँ पे ऐसो की लिस्ट बहुत लंबी है....” सुजीत ने पॉलिसिया लहजे मे कहा.

“अरे सुजीत जाने दे ना...हम लोग थोड़े परेशान है....” करण ने बात संभालते हुए कहा, “पर इसका क्या मतलब कि लिस्ट बहुत लंबी है...?”

सुजीत ने तीनो को एक कोने मे आने को कहा और तीनो को फुसफुसा के बताया, “यह सारे लोग जो तुम देख रहे हो ना...उन सब के परिवार की लड़किया गायब हो गयी है...”

यह बात सुनकर तीनो हैरान हो गये. उनकी हैरान परेशन चेहरे को देख कर इनस्पेक्टर सुजीत फिर फुसफुसाया, “देखो मुझे उपर से स्ट्रिक्ट ऑर्डर्स आए है कि मैं यह बात किसी को ना बताऊ...और वो यह है जितने भी लोग गायब हुए है वो सब की सब लड़किया थी...कुवारि लड़कियाँ...जिनकी उमर 18 से 25 साल की है...”

अर्जुन को सब समझ मे आते ही उसके होश उड़ने लगे, “सलमा की उमर भी 24 साल की थी...यानी किसी ने उसे किडनॅप कर लिया है..”

अर्जुन की बात सुनकर सुजीत बोला, “हाँ बर्खुरदार अब सही समझे हो....ना जाने कौन है जो इतनी सारी लड़कियो को अगवा कर रहा है....और हैरानी की बात यह है कि लड़किया हर महीने नियम से गायब हो रही है...और वो भी आज से नही बल्कि पिच्छले 8 – 10 सालो से....उपर से यह हालत सिर्फ़ मुंबई की नही बल्कि लगभग हर छोटे बड़े शहर की है...”

“हे भगवान कौन करता है यह सब....हम लड़किया तो कही नही सुरक्षित है...” काजल बोली.

“फिकर मत करिए मोह्तर्मा....आपके भाई की मंगेतर इस महीने किडनॅप हो चुकी है...कम से कम आप इस महीने सुरक्षित है....पर अगले महीने की गारंटी मैं नही दे सकता...हा हा हा...” सुजीत चटकारा लेते हुए बोला.

“कैसे पोलीस वाले है आप....अपने सामने आप एक लड़की को डरा रहे है..” काजल तपाक से बोली.

इस पर सुजीत गंभीर होते हुए बोला, “डरा नही रहा हू मिस...चेतावनी दे रहा हू....”

अर्जुन तो गहरे शोक मे डूब गया था. उसे वो आख़िरी पल याद आ गये जब सलमा ने उसे चाँटा मारा था और रोते हुए उसकी घर से निकल गयी थी. काश वो उसे उस रात रोक लेता तो आज सलमा उसके पास उसके बाँहो मे होती. काश वो उसके साथ ज़बरदस्ती नही करता तो वो उसको छोड़ कर अकेली आधी रात को नही जाती. यही सब सोच कर उसकी आँखे नम हो गयी.

अर्जुन का गला भारी हो गया और उसने रुआंसे स्वर मे इनस्पेक्टर से पूछा, “इनस्पेक्टर साहब...आपको क्या लगता है मेरी सलमा को कॉन अगवा कर के ले गया होगा...”

“मिस्टर. अर्जुन मैं आपको सब कुछ सच सच बताता हू भले मुझे उपर से ऑर्डर्स आए है ऐसा नही करने को....पर पहले आप पानी पीजिए और हिम्मत से काम लीजिए..” सुजीत ने पास पड़े टेबल से शीशे के ग्लास मे अर्जुन को पानी दिया.

“हम ने और स्पेशल क्राइम ब्रांच ने मिलकर बहुत पता लगाने की कोशिश करी कि आख़िर यह लड़किया जा कहाँ रही है पर हम पता ना लगा सके...मीडीया वालो और पब्लिक के प्रेशर से हम ने उन्हे बताया कि यह कोई माफिया का काम है जो लड़कियो को बेच कर उनसे जिस्म फ़रोशी का धंधा करवाता है...”

यह बात सुनकर अर्जुन टूट सा गया. उसका दिल यह सोच सोच कर छल्नी होता जेया रहा था कि जिसने उस से इतना प्यार किया उसको आज कयि लोग अपनी वासना का शिकार बना रहे होंगे और वो भी सिर्फ़ उसकी वजह से.

“तुझे क्या लगता है सुजीत...क्या यह कोई माफिया का काम है...” करण ने सुजीत से पूछा.

“बाकी लोगो का तो यही मान ना है...पर मुझे ऐसा नही लगता कि इसमे कोई माफिया का हाथ है क्यूकी हर महीने सिर्फ़ एक लड़की और वह भी देश के अलग अलग जगह से गायब हुई है जो माफिया लोगो का स्टाइल नही है....वो लोग तो ग्रूप मे लड़किया किडनॅप करते है और वो भी छोटे शहर वाली जिनके माँ बाप जल्दी पोलीस मे कंप्लेन ना करवा पाए और यह बात मीडीया मे लीक ना हो...पर यहाँ चक्कर कुछ उल्टा ही लगता है...” सुजीत ने अपना पोलीस कॅप सीधा करते हुए कहा.

“ठीक है दोस्त हम चलते है...फिर तेरी ज़रूरत पड़ी तो तुझे याद करूँगा...” सुजीत को अलविदा कहते हुए तीनो पोलीस स्टेशन से बाहर आ गये.अर्जुन को गम मे डूबा देख काजल उसको हिम्मत बँधा रही थी, “कोई बात नही भैया...जो हुआ वो किस्मत मे लिखा था...उसमे हम या तुम कुछ नही कर सकते...”

कुछ सोचते हुए करण अचानक से बोला, “अर्जुन तुमने कहा था कि सलमा के मोबाइल पे रिंग तो जा रही है पर कोई फोन नही उठा रहा है...है ना?”

“हाँ...” अर्जुन का छोटा सा जवाब आया.

“तुम एक काम क्यू नही करते उसे दुबारा कॉल करो...हो सकता है वो या कोई और कॉल उठा ले...”

इसे सुनकर अर्जुन को एक उम्मर्द जैसी जागी, उसने तुरंत अपना मोबाइल फोन निकाला और फिर से रिंग किया. पर उसकी उम्मीद फिर से टूट गयी जब दोबारा किसी ने फोन नही उठाया. वो दुबारा मायूस हो गया.

कुछ देर महॉल मे शांति रही, तीनो अभी भी पोलीस स्टेशन मे बने हुए बगीचे मे टहल रहे थे. ऐसे ही चलते चलते करण को अचानक एक और ख़याल आया और उसकी आँखे उम्मीद की किरण से चमक गयी.

“अर्जुन सलमा का मोबाइल कॉन सा था...???” करण ने अचानक से पूछा.

“करण भैया...यह समय ऐसी बातो का नही है....” काजल ने टोक दिया.

“अरे बताओ तो...मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया है...”

अर्जुन बोला, “मैने उसे कुछ महीने पहले ही एक नया आपल आइफ़ोन 6 प्लस गिफ्ट किया था...”

अर्जुन की बात सुनकर करण की उम्मीद और बढ़ गयी और वो मुस्कुराते हुए बोला, “आइफ़ोन सबसे महंगा मोबाइल है और उसमे जीपीएस मोबाइल ट्रॅकर का सिस्टम भी होता है....अगर हम वो आक्टीवेट कर दे तो मोबाइल अपना लोकेशन खुद बता सकता है....बस एक बार हमे सलमा के मोबाइल का पता मिल जाए फिर हम सलमा को ढूंड सकते है...क्यूकी जहाँ सलमा होगी वही आस पास उसका फोन भी होगा...”

करण की बात सुनकर अर्जुन और काजल चौंक गये, वो दोनो भी अब उस उम्मीद की किरण को देख सकते थे जिसके सहारे वो सलमा तक पहुच सकते थे.

कुछ सोचते हुए काजल बोली, “आइडिया तो जीनियस वाला है करण भैया...पर क्या गॅरेंटी है कि सलमा का फोन उसके पास ही हो....हो सकता है जिसने उसको किडनॅप करवाया हो वो उसका फोन रख के कही दूर फेंक दिया हो..”

“हो सकता है...पर ऐसा होगा नही....क्यूकी मेरा कामन सेन्स कहता है कि अगर किडनॅपर को सलमा का फोन मिल भी गया होगा तो वो कोई रिस्क नही लेगा और फोन को डेस्ट्रॉय कर देगा....पर जैसा कि हम देख रहे है कि सलमा की मोबाइल की घंटी अभी भी बज रही है....इसका सॉफ सॉफ यही मतलब हो सकता है कि भले सलमा मोबाइल रिसीव ना कर पा रही हो पर वो फोन किडनॅपर के हाथ भी नही लगा होगा.....इस आइफ़ोन को ट्रॅक कर के हम सलमा के नज़दीक से नज़दीक पहुच सकते है....” करण बोला.

“पर करण भैया हमें माँ को खोजने भी तो जाना है...सलमा के चक्कर मे तो हम अपनी माँ के बारे मे तो भूल ही गये..” काजल ने केरेन को याद दिलाया.

“मुझे पता है काजल....पर अभी माँ से ज़्यादा सलमा को हमारी ज़रूरत है...और अगर आज माँ जिंदा होती तो वो भी अपने बच्चो से ऐसे ही फ़ैसले की उम्मीद करती.....अब हमें जल्दी से इस प्लान को अमल मे लाना होगा..”

अर्जुन को यकीन नही हो रहा था कि सलमा को खोजने का रास्ता तो उनके सामने ही था बस उनको नज़र नही आ रहा था. फिर अर्जुन ने अपने मोबाइल से सलमा के आइफ़ोन के एंटी थेफ्ट सॉफ्टवेर को आक्टीवेट का दिया जिस से आइफ़ोन का जीपीएस (ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम) चालू हो गया और अपना लोकेशन मॅप पे बताने लगा.

“ओह्ह माइ गॉड यह सिग्नल तो मध्य पदेश और छत्तीसगढ़ बॉर्डर के जंगली इलाक़े से आ रहा है...हे भगवान सलमा मुंबई से इतनी दूर कैसे पहुच गयी...” अर्जुन अपने फोन पर सलमा के आइफ़ोन का लोकेशन देखते हुए बोला.

“पर अर्जुन भैया हमें बहुत जल्दी करना होगा क्यूकी वैसे भी सलमा को किडनॅप हुए दो दिन हो गये है...मुझे लगता है उसके आइफ़ोन की बॅटरी और ज़्यादा देर तक नही चलेगी...और अगर बॅटरी ख़तम होने से आइफ़ोन स्विच ऑफ हो गया तो हम कभी भी सलमा तक नही पहुच पाएँगे...” काजल बोली.

करण बोलते हुए पास मे खड़ी उनकी गाड़ी के पास जा कर खड़ा हो गया. “मुझे लगता है काजल ठीक कह रही है....पोलीस को बताने का भी समय नही है क्यूकी वो पोलीस फोर्स जुटाने मे बहुत देर लगाते है....अब हमें ही कुछ करना पड़ेगा...”

यह सोच कर कि अब वो सलमा से मिल सकता है, अर्जुन बहुत भावुक हो गया. उसने करण और काजल को गाड़ी के पास उसका इंतेज़ार करते हुए देखा और दौड़ के करण के गले लग गया. अर्जुन की आँखो मे आँसू थे.

यह करण के 25 साल के जीवन मे पहली बार हुआ था की उसका भाई अर्जुन उसके गले लगा हो. पूरी जिंदगी उसने अर्जुन की नफ़रत ही देखी थी, आज पहली बार उसे अपने लिए अर्जुन मे प्यार महसूस हुआ.

“भाई...मैं जिंदगी भर तुझसे नफ़रत करता रहा...और आज मेरी इस मुश्किल घड़ी मे तू ही मेरा साथ दे रहा है...अगर सलमा को मेरी वजह से कुछ हो गया तो मैं यह बोझ अपने दिल पे कैसे उठा पाउन्गा.....हो सके तो मुझे माफ़ कर देना मेरे भाई...” अर्जुन रुआंसे स्वर मे बोला, उसका गला भारी हो गया था.

“आख़िर परिवार वाले इसलिए ही तो होते है ना....” करण ने बस इतना कहा, उसकी आँखे भी नम थी. काजल भी पास मे खड़ी थी. उसके आँखो मे भी आँसू थे क्यूकी आज उसने पहली बार एक दूसरे से नफ़रत करने वाले भाइयो के बीच प्रेम देखा था.

“चल अब ज़्यादा सेंटी ना हो...हमे जल्द से जल्द सलमा तक पहुचना है इस से पहले कि यह सिग्नल बंद हो जाए...” करण बोला और तीनो गाड़ी मे बैठ कर हाइवे पर निकल गये.

सब बस यही मना रहे थे कि उनके मोबाइल तक पहुचने से पहले कही उसकी बॅटरी ना ख़तम हो जाए. अर्जुन जितना हो सकता था उतना तेज़ गाड़ी चला रहा था. पर फिर भी उन्हे एमपी और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर पहुचते पहुकते उनको दो दिन लग ही गये थे.

टू बी कंटिन्यूड....
 
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Update 9


अर्जुन गाड़ी यही रोक...अब यहाँ से घना जंगल शुरू होता है...अब हमें पैदल ही चलना पड़ेगा.”

“ठीक है करण...” और अर्जुन ने गाड़ी एक पास के ढाबे पर लगा दी.

ढाबे से कुछ खाने पीने का समान लेके तीनो जंगल की तरफ निकल गये. जंगल बहुत घना था. बड़े बड़े पेड़ चारों तरफ फैले हुए थे जो बारिश होने के चलते काफ़ी हरे भरे लग रहे थे. वो पेड़ इतने घने थे कि दिन के समय भी सूरज की रोशनी नीचे ज़मीन तक बहुत ही कम पहुच रही थी जिस से नीचे पूरा अंधेरा लग रहा था. उपर से नीचे कीचड़ और इतनी सारी घनी झाड़िया थी कि उनमे से रास्ता बनाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था. हर तरफ तरह तरह के जंगली जानवरो की आवाज़ सुन कर शरीर मे एक सिहरन सी दौड़ जाती थी.

“करण भैया क्या जंगल मे शेर भी मिलेगा...?” काजल थोड़ी सहमी हुई सी थी. वो पहली बार अपने जीवन मे किसी जंगल की सैर कर रही थी.

“नही मेरी गुड़िया...शेर इस जंगल मे नही पाया जाता है....पर तेंदुआ ज़रूर मिल सकता है...”

“क्या तेंदुआ....??..अगर भैया किसी तेंदुए ने हम पर हमला कर दिया तो...?”

“काजल तुम इतना डर क्यू रही हो...आख़िर तुम्हारे दोनो भाई तुम्हारे साथ है...और वैसे भी तेंदुए दिन मे कम ही निकलते है...” करण झाड़ियो से रास्ता बनाते हुए बोला.

अर्जुन तो बस आगे आगे चल रहा था. उसका पूरा ध्यान अपने मोबाइल पर था जो सलमा के जीपीएस सिग्नल को ट्रॅक कर रहा था. वो झाड़ियों को एक लंबे खंजर से काट ता हुआ करण और काजल के लिए रास्ता बना रहा था.

अचानक काजल को उसके पीछे झाड़ियो मे कुछ सरसराहट महसूस हुई. वो पलट के देखी लेकिन उसे कुछ नही दिखाई दिया. डर के मारे उसकी हालत खराब थी, उसका गला सूख गया. जब उसे फिर से उसके पीछे कुछ महसूस हुआ तब उसने थूक निगलते हुए करण से कहा, “भ...भैया...मुझे लगता है मेरे पीछे उन झाड़ियो मे कुछ है...”

“अरे कुछ नही है काजल...बस तेरा वेहम है, तू आज पहली बार जंगल मे आई है ना इसलिए तू बार बार भ्रमित हो रही है...”

“नही भैया मुझे वहाँ नही हो रहा है....वहाँ ज़रूर कुछ तो है...” काजल काँपते हुए बोली.

करण ने सोचा की आख़िर देख ही लिया जाए कि झाड़ियो मे क्या है जिस से काजल इतना डर रही है. उसने जब झाड़िया हटा के देखा तब उसे बड़ी ज़ोरो से हँसी आई, “अरे यह तो एक खरगोश है...तू भी ना काजल एक खरगोश से डर रही है...”

खरगोश को देखके काजल के जान मे जान आई और वो अपना वेहम अपने दिमाग़ से झटक कर आगे बढ़ गयी.

तीनो ने तय तो किया था कि इस डरावने जंगल मे वो साथ साथ रहेंगे लेकिन अपने मोबाइल को देखने के चक्कर मे अर्जुन थोड़ा आगे निकल आया और उसके दोनो भाई बहन पीछे रह गये.

गर्र्र्रर.........गर्र्र्र........

तभी पीछे से एक गुर्राने की आवाज़ आई. काजल ने पीछे मूड के देखा तो फिर उसे कुछ नही दिखाई दिया. उसने सोचा यह उसका एक और भ्रम है.

गर्र्र्रर........गर्र्र्रर........

इस बार काजल को यकीन हो गया कि जो उसने सुना वो उसका भ्रम नही है.

भैया झाड़ियो के पीछे से किसी के गुर्राने की आवाज़ आ रही है...” गुर्राने की स्पष्ट आवाज़ सुनकर काजल के हाथ पावं फूल गये. यह सोच सोच कर ही कॉन सा जंगली जानवर ऐसे गुर्राता है उसकी रूह काँप गयी.

“ठहर मैं देखता हू....” करण बोला और झाड़िया हटा के देखने लगा. जब उसने आगे देखा वो उसको हिला देने के लिए भी काफ़ी था. ख़ौफ्फ की एक तेज़ लहर उसके पूरे जिस्म मे समा गयी.

सामने एक बड़ा सा भेड़िया सीधे उसी की ओर घूर रहा था. चक्केदार दार खाल, बड़ा डील डोल वाला शरीर, ताक़तवर पंजो मे तेज़ नाख़ून और भयानक जबड़ा जिसमे बड़े लंबे लंबे ख़तरनाक दाँत थे.

“काजल भाग.....!!!” बस इतना कहते ही करण मुड़ा और काजल का हाथ पकड़ के अर्जुन के बनाए पगडंडी के उलट दूसरी दिशा मे भागने लगा.

पर उस घने जंगल मे जब कोई तेज़ चल नही सकता तो आख़िर तेज़ दौड़ेगा कैसे. थोड़ी दूर भागने के बाद ही उनको भेड़िए की गुर्राहट दोबारा सुनाई दी.
जब तक वो दोनो कुछ समझ पाते पीछे से भेड़िए एक लंबी छलान्ग मार कर करण पर कूद गया.

“आआहह...........” भेड़िए के तेज़ नाख़ून करण की पीठ पर अंदर तक गढ़ गये. करण की यह दर्दनाक चीख पूरे जंगल के डरावने वातावरण मे गूँज गयी.

अर्जुन ने जब यह चीख सुनी तो वो समझ गया कि करण मुसीबत मे है लेकिन जब वो पीछे मुड़ा तो देखा कि करण और काजल दोनो गायब है, क्यूकी वो दोनो पीछे रह गये थे. बेचारे अर्जुन ने चारो तरफ देखा, पूरा जंगल एक जैसा ही लग रहा था, सही दिशा का पता लगाना नामुमकिन था. ऐसे घने जंगल मे कोई भी आसानी से गुम हो सकता था.

इधर करण पर भेड़िए का हमला देख काजल बहुत घबरा गयी. भेड़िए ने कारण को छोड़ दिया और शारीरिक रूप से कमज़ोर काजल की तरफ बढ़ने लगा. भेड़िया समझ गया था कि एक लड़की उसके लिए एक आसान शिकार हो सकती है.

भेड़िए को अपनी ओर आता देख काजल का सर घूमने लगा. उसका दिमाग़ कह रहा था कि वहाँ से भाग निकले लेकिन उसके पैर उसका साथ नही दे रहे थे. डर के मारे उसके पैर वही जड़ हो गये. करण ने जब देखा कि भेड़िया उसकी बहन की ओर बढ़ रहा है तो उसने चिल्ला के काजल को भाग जाने को कहा. पर ऐसा लग रहा था कि काजल के पैरो मे जान बची ही नही थी. वो पत्थर की मूरत बन कर वही खड़ी रही और अपने मौत को अपनी ओर आता देख अपनी आँखे बंद कर ली.

जब करण को लगा की उसकी बहन की जान ख़तरे मे है तब वो अपनी पूरी हिम्मत जुटा के उठने की कोशिश करने लगा. उसका पीठ भेड़िए के नाख़ून से पूरी छल्नी हो गयी थी जिस से खून बह रहा था. उसकी सफेद टीशर्ट पर खून के बड़े बड़े लाल धब्बे देखे जा सकते थे.

भेड़िया अपने सामने आसान शिकार देख कर काजल की ओर छलान्ग लगाया. काजल को अपनी मौत अपने सामने दिख रही थी पर कोई था जिसने उसे मौत के मूह से बचा लिया. उसने आँख खोल के देखा तो करण ने भेड़िए को बीच मे रोक लिया था.

अपने हाथ आए शिकार को छिन जाता देख भेड़िया गुस्से मे ज़ोर ज़ोर से गुर्राने लगा. अब बस वो था और उसके सामने करण था. भेड़िए ने मौका देख करण पे छलान्ग लगाई पर करण फुर्ती से एक तरफ झुक कर उसके पंजो से बच गया.

कसरती बदन, जिम की ट्रैनिंग और मार्षल आर्ट्स आज करण के काम आ रहा था.

करण मे फुर्ती तो थी लेकिन एक जंगली जानवर के मुक़ाबले नही. भेड़िया तुरंत मुड़ा और पंजे के एक वार ने करण की छाती को लहू लुहान कर दिया. करण ने बचने की पूरी कोशिश की पर वो भेड़िए की फुर्ती से मात खा गया और लड़खड़ा कर गिर पड़ा.

काजल अपने प्यारे भाई को जंगली जानवर से लड़ता देख वही बेहोश हो गयी. इधर भेड़िए ने करण को ज़मीन पर लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर अपने भयानक जबड़े से उसका सर काट देना चाहता था.

करण अपनी पूरी ताक़त लगा कर अपने सर को भेड़िए के जबड़े से दूर रखने की कोशिश कर रहा था, क्योकि उसे पता था कि अगर एक बार भेड़िए के जबड़े मे उसका सर चला गया तो वो उसके सर को किसी तरबूज़ की तरह कुचल के रख देगा.

आख़िरकार करण को लगा कि ऐसे वो भेड़िए के सामने ज़्यादा देर तक टिक नही पाएगा इसलिए उसने अपनी पूरी इच्छा शक्ति जुटा कर पास मे पड़ी लकड़ी के एक टुकड़े को भेड़िए के मूह मे ठूंस दिया जिस से उसका जबड़ा चलना बंद हो गया और फिर उसने अपनी पूरी ताक़त लगाकर अपने मांसल कसरती पैरो का एक वार कर के भेड़िए को दूर उच्छल दिया.

भेड़िया थोड़ी दूर जेया गिरा पर उसे संभलने मे देर नही लगी. उसका जबड़ा इतना ताक़तवर था कि उसके मूह मे ठूँसि हुई लकड़ी को भी उसने चकना चूर कर दिया. अब सिर्फ़ उसके सामने घायल करण पड़ा था.

करण को पता था कि भेड़िए का जबड़ा अब आज़ाद है और वह पहले से ज़्यादा ख़तरनाक हो गया है. पीठ और सीने मे इतने घाव हो जाने की वजह से उसमे अब इतनी ताक़त नही बची थी कि भेड़िए का सामना फिर से कर सके.

पर तभी हड़बड़ाता हुआ अर्जुन पता नही कहाँ से आ गया. उसने देखा कि एक तरफ काजल बेहोश पड़ी है और दूसरी तरफ भेड़िया करण पर घात लगाए बैठा है.
भेड़िया अब एक वार मे ही कारण की कहानी को ख़तम कर देना चाहता था इसलिए उसने करण पर छलान्ग लगा दी.

“करण....यह ले....” चिल्लाते हुए अर्जुन ने फुर्ती से करण की तरफ अपना खंजर फेका जिसे करण ने भी फुर्ती से पकड़ लिया और बिजली की तेज़ी से हवा मे कूद कर भेड़िए के सीने मे वो खंजर उतार दिया.

भेड़िया वही ढेर हो गया. खंजर भेड़िए के खून से पूरा सना हुआ था जिसे करण ने अपनी टीशर्ट से पोछ दिया. दोनो भाई भाग कर काजल के पास गये. अर्जुन ने काजल का सर अपनी गोद मे रखा और उसे हिला के होश मे लाने की कोशिश करने लगा.

काजल को होश आते ही उसके सामने अर्जुन का मुस्कुराता चेहरा दिखाई पड़ा और वो बोली, “करण भैया कहाँ है....ओह्ह माइ गॉड उनको कुछ हुआ तो नही ना....”

करण पास मे ही खड़ा था, उसने प्यार से अपनी बहन के सर पर हाथ फेरा और बोला, “मैं यही हू गुड़िया....तेरे पास मे..”

काजल ने ध्यान से देखा तो करण का चौड़ा सीना छल्नी हो गया था जिस से अभी भी खून बहा रहा था. उसने सर घुमा के देखा तो उसे भेड़िया मरा पड़ा दिखाई दिया.

“करण भैया आपको कितनी चोट लगी है....अपने मुझे बचाने के लिए अपना जान जोखिम मे क्यू डाल दी...” उसकी आँखे नम हो गयी.
मुझे अपनी जान की कोई परवाह नही...और वैसे भी अगर तुझे कुछ हो जाता तो यह जान रख कर क्या करता मैं...एक तू ही तो है जिसके लिए मैं जी रहा हू...” करण ने प्यार से काजल का माथा चूमते हुए कहा.

अर्जुन यह सब देख रहा था. पहले उसे करण का काजल के प्रति यह प्यार देख कर नफ़रत होती थी पर आज उसे गर्व था कि ना सिर्फ़ काजल को बल्कि उसे भी एक नेक्दिल और प्यारा बड़ा भाई मिला है.

“करण इन जख़्मो से कही रेबीस ना हो जाए....?” अर्जुन ने परेशान हो के कहा. आज उसके स्वर मे अपने भाई के लिए चिंता थी.

“अरे नही भाई उस भेड़िए को रेबीस नही था....रेबीस वाले जानवरो के लक्षण उसके बर्ताव से पहचान मे आज आते है....तुम लोग मेरी फिकर मत करो और जिस काम से यहाँ आए हो वो करो...” करण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा.

“पर भाई इन जख़्मो से इन्फेक्षन तो हो ही सकता है...एक काम करो तुम यही से वापस लौट जाओ....हम यहाँ से अकेले ही सफ़र करेंगे...”

“अर्जुन तुझे क्या लगता है अगर मैं वापस जाना भी चाहू तो इस घने जंगल मे रास्ता कैसे ढूंढूंगा....यहाँ पूरा जंगल तो एक जैसा ही लगता है...सिग्नल का पीछा करते हुए तो हम अंदर तो आ गये पर अब बाहर कैसे जाए...”

“पर करण भैया आपके इन जख़्मो का क्या...” काजल बोली.

“अरे हम तीनो मे डॉक्टर मैं हू ना...मुझे पता है कि मैं ठीक हू...खून बहना रुक गया है और अब इन्फेक्षन का ख़तरा पहले से कम है...अगर हो सके तो बस फर्स्ट एड बॉक्स से थोड़ा आंटिसेपटिक या डेटोल दे दो उस से ही काम बन जाएगा....और अब प्लीज़ मेरी बात मानो तो हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए...शायद हम वक़्त रहते सलमा तक पहुच जाए तो शायद उसकी मदद कर पाएँगे...”

सबकी आम सहमति से तीनो आगे बढ़ने लगे. एक बार भेड़िए का हमला हो जाने के बाद तीनो बहुत चौकन्ना थे. सिग्नल अभी भी बहुत दूर से आ रहा था. वो तीनो लगातार चलते रहे और रात को कॅंप लगाने के बाद वही सो गये, क्यूकी रात होने पर तो जंगली जनवरो का ख़तरा बढ़ गया था.

सुबह की पहली किरण के साथ ही उन्होने अपना सफ़र फिर से शुरू कर दिया. वो जंगल मे अंदर और अंदर उसकी गहराई मे चलते जा रहे थे. उनको नही पता था वो कहाँ जा रहे है बस इतना पता था कि जहाँ भी जा रहे थे वहाँ से सलमा बहुत नज़दीक होगी.

यह भगवान की कृपा ही थी कि वो तीनो आइफ़ोन के सिग्नल का पीछा करते करते बॅटरी ख़तम होने से पहले पहुच पाए. आइफ़ोन झाड़ी मे एक कोने मे गिरा पड़ा था. पर तब तक काफ़ी शाम हो चुकी थी. लेकिन जब उन्होने फोन को देखा तब उन्हे आस पास सलमा कही दिखाई ना दी.
सलमा का आइफ़ोन तो यही है, पर ना जाने वो कहाँ है...” अर्जुन ने फोन को हाथ मे लेते हुए चारों तरफ नज़र दौड़ाने लगा. चारो तरफ घने जंगल और जंगली जनवरो की आवाज़ें के सिवा वहाँ कुछ नही था.

काजल भी इधर उधर ढूँढ रही जब उसे झाड़ियो के बीच कुच्छ दिखाई दिया. वो वहाँ गयी और जो देखा उस से वो हैरान रह गयी, “अर्जुन भैया...करण भैया...जल्दी इधर आओ...यह देखो यहाँ पे किसी लड़की के कपड़े पड़े है...एक सफेद पंजाबी सूट....क्या यह सलमा का है...”

अर्जुन कपड़े देख कर सन्न रह गया. सलमा की ऐसी हालत सोच कर उसका दिल बैठा जा रहा था. उसने वो कपड़ा उठाया और बोला, “यह कपड़े सलमा के ही है...आख़िरी रात वो यही सफेद पंजाबी सूट पहन कर मेरे घर आई थी...” अर्जुन का गला बोलते बोलते भारी हो गया, “कही मेरी सलमा के साथ कुछ अनहोनी ना हो गयी हो..”

करण भी इधर उधर नज़र दौड़ा रहा था जब उसे थोड़ी दूर पर पेड़ो के बीच कुच्छ दिखा. “अर्जुन वहाँ देख क्या है....” कहते हुए करण उस ओर चल दिया, उसके पीछे अर्जुन और काजल भी थे.

वहाँ पहुच कर तीनो ने देखा कि एक विशाल गुफा का द्वार उनके सामने है. गुफा की गहराई काफ़ी लग रही थी. बाहर वैसे भी अब काफ़ी अंधेरा हो चला था. उस डरावनी गुफा के मुहाने को देख कर सभी के बदन मे सिहरन दौड़ गयी.

“भैया क्या हमें इसके अंदर जाना चाहिए.....मुझे तो इसे देख के ही डर लग रहा है..” काजल करण हाथ ज़ोरो से पकड़ते हुए बोली.

करण उसके कोमल मुलायम हाथो मे डर का पसीना महसूस कर सकता था. “हाँ गुड़िया हमें अंदर तो जाना ही पड़ेगा....पर तू डर मत हम है तेरे साथ..” उसने मुस्कुरा कर जवाब दिया.

“करण मेरे पास टॉर्च तो है नही...फिर हम इतने अंधेरे मे अंदर कैसे जाएँगे..” अर्जुन बोला.

“अर्जुन उसका उपाय भी है मेरे पास....” कहते हुए करण ने पास के पेड़ से एक लंबी और मोटी सी लकड़ी तोड़ी और उसपर अपने अपना टीशर्ट उतार के लपेट ने लगा.तेरे पास लाइटर तो होगा ही ना...” करण ने अर्जुन से पूछा. वो जानता था कि अर्जुन सिगरेट पीता था. अर्जुन और काजल समझ गये कि कारण अपने टीशर्ट से एक मशाल बनाने की कोशिश कर रहा है.

“पर भैया आपकी टीशर्ट तो जल जाएगी...” काजल ने कहा.

“वैसे भी इस्पे मेरे खून के धब्बे पड़ गये है....यह जल जाए तो ही ठीक है..” बोलते हुए करण ने फर्स्ट एड बॉक्स से थोड़ा स्पिरिट निकाल के अपने बनाए हुए मशाल पर छिड़क दिया और अर्जुन के लाइटर से उसने एक अच्छि ख़ासी मशाल बना ली.

मशाल की पीली रोशनी मे काजल को करण का गोरा कसरती जिस्म दिखाई दिया और वो मन ही मन उसकी प्रशंसा किए बगैर ना रह सकी. खैर मशाल की रोशनी मे तीनो आगे बढ़ने लगे.

वो नही जानते थे कि उन्हे उस गुफा मे आगे क्या मिलेगा इसलिए वो बहुत धीरे और संभाल के आगे बढ़ रहे थे, तभी गुफा के अंदर से चम्गादडो की फौज उड़कर बाहर आई जो शायद मशाल की रोशनी के वजह से गुस्सा गये थे. काजल ज़ोर से चिल्लाने को हुई पर अर्जुन ने सही समय पर उसका मूह अपने हाथो से बंद कर दिया, वरना उसकी चीख पूरी गुफा मे गूँज जाती.

कुच्छ देर गुफा मे चलते चलते वो एक पुराने महल नुमा जगह मे आ गये. “गुफा के अंदर हवेली...और वो भी इतना अंदर...कॉन रहता होगा यहाँ...” करण ने अपने मन मे सोचा.

वो दबे पाओ जब आगे गये तो उन्हे उस पूराने खंडहर हवेली मे मशालों की बहुत सी रोशनीया दिखाई देने लगी. “करण लगता है यहाँ कोई रहता है...” अर्जुन ने फुसफुसा के कहा.पकड़े जाने के डर से तीनो ने अपनी मशाल बुझा दी और हवेली से आती रोशनी का पीछा करते हुए आगे बढ़ने लगे. वहाँ उन्हे एक बड़ी सी कोठरी दिखी जिसमे तीन चार लोग काले वस्त्रोे मे बैठे कुच्छ अजीबो ग़रीब हरकत कर रहे थे.

और पास जाके जो तीनो ने देखा वो आश्चर्यजनक था. सामने उन्हे कुछ लोग काले चोगे पहने एक गोलाई मे बैठे दिखाई दिए. उनके बीच एक ज्यामिति त्रिकोण जैसा कुछ बना था जिसके बीच मे एक नार्मूंड (इंसान के सर की हड्डी) था और चारो तरफ उन लोगो ने नींबू मिर्ची और मोमबत्तिया लगा रखी थी. देख के ही लग रहा था वो लोग काला जादू करने वाले तांत्रिक थे. तीनो को यह समझते देर नही लगा कि वो जाने अंजाने मे तांत्रिक त्रिकाल के अड्डे तक पहुच गये है.

भगवान की भी अजब सी लीला है, अगर कोई व्यक्ति किसी चीज़ को ढूँढना चाहता है तो उसे वो नही मिलती और जब वो नही चाहता तो वो चीज़ मिल जाती है. उपरवाले का लेखा जोखा भी बड़ा अजीब है. अपनी माँ को ढूँढने निकले थे, बीच मे सलमा को ढूँढने लगे लेकिन आख़िर पहुचे एक ही जगह.

“ओह्ह माइ गॉड....यह नही हो सकता...सलमा को त्रिकाल ने अगवा किया था..” अर्जुन को तो जैसे साँप सूंघ गया हो, जैसे काटो तो खून ही नही. तीनो के चेहरे का रंग उड़ गया था.

“बेचारी सलमा के साथ भी वही हुआ जो बारह साल पहले हमारी माँ के साथ हुआ था...” करण बोला.

“भैया अब हम क्या करेंगे....” काजल भी घबरा रही थी और घबराने वाली बात भी थी. अभी तक तो वो लोग यही सोच रहे थे कि सलमा को किसी माफिया ने जिस्म फ़रोशी के लिए अगवा किया है, लेकिन जब उन्हे पता चला कि यह काम तांत्रिक त्रिकाल का है तो उस सब के पावं तले ज़मीन खिसक गयी.

“काजल हमारा अभी कुछ भी करना ठीक नही होगा....यह लोग बहुत ताक़तवर होते है...इनका काला जादू बहुत ही ख़तरनाक हो सकता है....हमें यही पे रुकना चाहिए और सुबह अपने साथ मदद ले कर यहाँ आना चाहिए...” करण ने दोनो को फुसफुसा कर समझाया.

तीनो एक चट्टान के पीछे छुप गये और उन तंत्रिको को तन्त्र मन्त्र करते देखने लगे. महॉल काफ़ी डरावना था. सारे तांत्रिक त्रिकाल की जय जयकार कर रहे थे और अपने सर को गोल गोल घुमा रहे थे. उनके लंबे काले बालो देख कर कोई भी डर सकता था.

तभी उन सब तंत्रिको ने चिल्लाना शुरू कर दिया, “शैतान की जय हो....तांत्रिक त्रिकाल की जय हो..”

करण अर्जुन और काजल यह सब दम साधे देख रहे थे. उन्हे विश्वास नही हो रहा था कि आज के आधुनिक भारत मे यह तन्त्र मन्त्र और काले जादू की प्राचीन परंपरा अभी तक चली आ रही है.

सारे तंत्रिको के चिल्ला ने से एक कोठरी का दरवाज़ा खुला और एक बड़ी सी आकृति बाहर निकल के आई. सारे तांत्रिक उसके पाओ छुने लगे. देखने से लग रहा था कि वो शक्स ही त्रिकाल था.

त्रिकाल का शरीर कोई राक्षस से कम नही था. उसकी लंबाई करीब साढ़े 8 फुट थी. सीना किसी आम इंसान से दोगुना चौड़ा. बाहे बहुत ताक़तवर और बालिश्ट थी. उसके बाल भी बहुत लंबे और काले थे जो उसकी कमर तक पहुच रहे थे. चेहरा उसका इस पूरी दुनिया मे सबसे कुरूप काला और बदसूरत था. पूरा हबशी था वो. उसके गले मे नरमुंडो की माला बता रही थी कि वो कितना ख़तरनाक तांत्रिक था.
 

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