माया जब अंदर घुसी, तो सामने ममता नग्नावस्था में खड़ी मुस्कुरा रही थी। ममता इस वक़्त काम की देवी लग रही थी। चुदने के बाद उसके बाल बिखरे हुए थे, जो लहराते हुए उसकी मस्ती भरी चुदाई की कहानी कह रहे थे। उसके चेहरे पर चुुुदने की थकान के साथ खुशी भी मिली हुई थी। आंखों में एक अजीब सी नशीली लहर दौड़ रही थी। गालों पर शशिकांत के काटने के निशान थे, आंखों का काजल उसके गालों पर बिखर चुका था। होंठों से लिपस्टिक पूरी तरह गायब हो चुका था। चूसे जाने की वजह से हल्के सूज चुके थे। बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था। उसकी 60 किलो वजनी शरीर मे कमर, जांघें, बाहें, टांगों, चूतड़ों पर अच्छी खासी चर्बी जमा थी, पर वो उसे बदसूरत या बेढंगा बनाने की बजाए उसको एक बेहद खूबसूरत सेक्सी देसी बिहारी औरत बना रही थी। उसने आभूषण के नाम पर दोनों कानों में छोटी बाली पहन रखी थी।
माया- दीदी कुछ देर रुक तो जाती, आते ही शुरू कर दी देवर के साथ मस्ती।
ममता- क्या करें, जब साल भर लौड़ा नहीं मिलता, तो समझ नहीं आता माया की क्या सही समय है। तुमको क्या है, देवरजी तो यहीं रहते हैं, खूब चुदवाती होगी। जब तुमको नही मिलेगा तो, पता चलेगा।
माया- हमको तो तुमको देखके तुम्हारी चुदने की प्यास साफ दिख रही है। शुरू की मजबूरी में, अब पूरा मज़ा ले रही हो।
ममता- तुम भी आओ ना, देवरजी के साथ तीनों मस्ती करेंगे। बड़ा मजा आएगा। हम जब साथ रहते थे, तो कई बार कितनी मस्ती की हुई है।
माया- दीदी, अभी नही कंचन आ गयी तो, छी छी क्या सोचेगी।
ममता- शर्मा क्यों रही हो बेकार में, तेरी दीदी नंगी खड़ी है कि नहीं तेरे सामने। चल आना।
माया- दीदी तुम भी ना, बस..........
शशि- ममता भौजी रहने दो उ नहीं आना चाहती तो, वैसे भी हमको अब निकलना है। कुछ काम से पटना जाना है।
ममता- आपको क्या हुआ? बोले थे ना कि आज का पूरा दिन हमलोग साथ रहेंगे।
शशि- हाँ, पर कुच्छो जरूरी काम आ गया है। परसों से छुट्टी हो जाएगी ना।
माया- कहां जा रहे हैं, सुबह भी बिना खाये निकल गए थे। कुछ खा लीजिये। खाना बन गया होगा। हम खाना निकालके लाते हैं।
शशि- हमको नहीं खाना है। तुम दोनों बहन खाओ, हम शाम तक आएंगे।
अपने कुर्ते के बटन लगाते हुए बोला। उसने उठके घड़ी बांधी, चश्मा लगाया। और ममता की साड़ी फर्श से उठाके उसके नंगे शरीर को ढक दिया। शशि घर के बाहर लगी रॉयल एनफील्ड को लेके निकल गया।
ममता को कुछ अजीब सा लगा। शायद माया और शशि के बीच मे कुछ झगड़ा हुआ है। ममता ने माया को पूछा," क्या बात है माया, देवरजी से झगड़ा हुआ है क्या? वो इतने उखड़ क्यों गए?
माया- नहीं, दीदी कुछ नहीं हुआ है। सब ठीक है। तुम तो जानती हो इनको कभी कभी अचानक से खिसिया जाते हैं।
ममता अपनी कच्छी और ब्रा पहने बिना, साया ( पेटीकोट) को बांध ली और ब्लाउज पहनते हुए बोली- नहीं कुछ तो बात हुई है, सच बताओ ना। फिर उसके करीब आयी तो देखा कि माया के गाल पर थप्पड़ के निशान थे। उसके मुंह से अनायास ही अचंभे से निकला," ये क्या हुआ है, मारा देवरजी ने तुझे?
माया- छोड़ो ना दीदी, पति पत्नी के बीच ये सब तो होता रहता है ना। पति हैं, हमको दो थप्पड़ मारा तो क्या हो गया। कुछ नहीं आओ, हम खाना लगाते हैं।
ममता- नहीं, देवरजी तो ऐसे नहीं हैं। वो तो काफी शांत स्वभाव के हैं। क्या बात हुई है बताओ? तुम नहीं बताओगी तो हम देवरजी से पूछेंगे।
माया की आंखों में आंसू आ गए थे। वो अपने आँचल से जब तक उसे पोछती तब तक ममता ने उसे गले लगा लिया," चुप हो जा, माया चुप ऐसे क्यों रो रही है। हम हैं ना तेरी दीदी। बता क्या बात हुई है।
माया ने बोलना शुरू किया," वो.....वो...सिसक...वो कल ऐसा हुआ कि, हमको पता चला कि इन्होंने, .....
कंचन की आवाज़ गूँजी, वो अपने सहेलियों के साथ घर के पीछे वाली गली से आ रही थी। माया चुप हो गयी। उसने अपने आंशु पोछे और बोली," दीदी कंचन आ गयी, हम बाद में बताते हैं।
कंचन की सहेलियां उसे घर के सामने छोड़कर चली गयी। कंचन आयी उसे पता नहीं था कि उसकी मौसी जो असल मे उसकी माँ थी आयी है और अपने कमरे में चली गयी। माया और ममता दोनों कमरे से बाहर निकलकर रसोई में चली गयी। ममता ने अपनी साड़ी पहन ली, कमरे से जब वो बाहर निकली तो उसे देखके कोई नहीं कह सकता था कि अभी अभी इसकी गाँड़ चुदाई हुई है। वो बिल्कुल शरीफ परिवार की महिला लग रही थी।