19
तिवारी की बात सुनकर अजय जैसे नींद से जागा …
वो अभी शराब के नशे में था लेकिन इतना भी नही की उसे कुछ समझ ना आ रहा हो वही तिवारी नशे में कुछ ऐसा कह गया था जो उसे नही कहना चाहिए था …
“तो तिवारी जी अपने कालिया की मदद की जो बाद में सब के सर का दर्द बना था ,कालिया डाकू ,,,मोंगरा का गुरु कालिया ????”
तिवारी को अपनी गलती का अहसास तो हुआ लेकिन फिर भी बोले हुए शब्द तो वापस नही लिए जाते …
“हा साहेब लेकिन आप ही सोचो की उस समय मैं कर भी क्या सकता था वो इंस्पेक्टर भी कमीना था और ठाकुर तो है ही कमीना अगर कालिया ने हथियार नही उठा लिया होता तो वो गांव की सभी औरतो को धंधे वाली बना देता …”
तिवारी की बात से अजय के दिल में ठाकुर के लिए एक बहुत ही तेज नफरत का भाव जागा लेकिन उसे पता था की उसकी ड्यूटी क्या है और अब उसे ये भी पता चल गया था की डाकुओं को पुलिस की तरफ से मदद करने वाला कौन है …
“हम्म तो तिवारी जी अपने जो किया सही ही किया शायद आपकी जगह मैं होता तो मैं भी यही करता ….”
अजय ने एक घुट अंदर किया ..वो तिवारी से सच उगलवाना चाहता था और सच तभी बाहर आता जब तिवारी को लगता की उसकी बात का अजय पर सही असर हो रहा है …
“तो तिवारी जी वो शख्स कौन था जिसने गांववालो की पुलिस से बचने में मदद की और क्या इसके बाद भी ठाकुर ने गांव में दहसत फैलाने की कोशिस की ?“
तिवारी एक गहरी सांस लेता है और पास रखे बोतल से एक जाम बना कर अपने हलक के अंदर करता है …
“ह्म्म्म साहब वो शख्स तो उसी दिन आ गया ,sp साहब और ठाकुर भी पधारे ठाकुर ने अपना रंडी रोना रोया और कुछ पैसे sp की झोली में डाल दिए ,लेकिन डॉ चुतिया जी तब तक पधार चुके थे …”
“डॉ चुतिया ?????? वो जो की आजकल प्रेस खोलकर बैठे है ”
अजय की आंखे बड़ी हो गई थी …
“हा वही पहले तो युवा दल के नेता हुआ करते थे ,मेडिकल की पढ़ाई हो चुकी थी लेकिन फिर भी छात्र संघ में बड़ा दबदबा था ,मैं उन्हें पहले ही मिल चुका था ,उन्हें एक फोन करने की देरी थी की वो खुद भी पधार गए और साथ ही अखबार के लोगो को भी ले आये ,बेचारे sp चाहते हुए भी कुछ नही कर पाए लेकिन फिर भी कई गांव वालो से पूछताछ की गई और जो सामने आया वो सब अखबारों की हेडलाइन बन गई ठाकुर के सारे कारनामो का भांडा फुट गया,ठाकुर जैसे गांव के लोगो को भूल ही गया था क्योकि केंद्र से भी उसके ऊपर प्रेसर आने लगा था,वो खुद को बचने में ही लगा रहा लेकिन फिर भी उसकी दहसत कम नही हो रही थी आखिर पुलिस भी तो उसकी ही थी ,लेकिन फिर भी वो चुप ही था,”
अजय तिवारी की बातो को ध्यान से सुन रहा था ,की दिन की पहली किरण ने खिड़की से दस्तक दी …….
दोनो के सर भारी हो रहे थे और आंखे बंद होने लगी थी…
…
*************
दोपहर जब अजय उठा तो तिवारी जी जा चुके थे ,अजय के मन में रात की सब बाते गूंज गई थी …
आखिर कालिया और मोंगरा का संबंध क्या है ???
वो इसी सोच में डूबा हुआ तैयार हुआ और पुलिस स्टेशन चला गया ,तिवारी जी आज नजर नही आ रहे थे …
“तिवारी जी कहा है ..??”
अजय ने एक दूसरे कांस्टेबल से पूछा
“क्या पता सर कह के गए है की अगर सर आये तो उन्हें बोल देना की चम्पा ने याद किया है घर आयी थी लेकिन सोए थे …”
जैसे अजय के लिए इस थाने में दो ही केस थे एक ही चम्पा और दूसरी मोंगरा ,,लेकिन वो बेचारा तो अब खुल कर प्यार भी नही कर सकता था क्योकि उसे ये भी नही पता था की आखिर चम्पा कौन है और मोंगरा कौन है ……….
वो वही झरने के किनारे पहुचा ,
दोपहर का समय था और बहुत ही गहरी शांति वँहा फैली हुई थी ..
वँहा उस समय कोई भी नही था वो जाने को पलटा ही था की उसे चिरपरिचित झम झम की आवाज आनी शुरू हो गई उसके चहरे में एक मुस्कान खिल गई ,वही जंगल के लिवास में आयी हुई वो परी उसके सामने थी ,अजय के मन की हर शंका जाने कहा भाग चुकी थी वो जो भी हो लेकिन अजय उससे बस वैसे ही प्यार करना चाहता था ,उसके नशीले आंखों की मस्तियो में खो जाना चाहता था,उसके उन्नत वक्षो से दूध चखना चाहता था ,उसके भरे हुए होठो के मदमस्त प्यालों से झलकती हुई शराब को पीना चाहता था ,उसके रेशमी लहराते हुए केशुओ में उलझना चाहता था ,उसके कमर के नीचे और जांघो के बीच की छोटी सी सुराही को सोच कर अजय के तन मन में एक आग दौड़ गई ,वो मन ही मन सोचने लगा
‘मा चुदाये वो कोई भी हो मुझे क्या दोनो ही तो मुझे कितना प्यार देती है और दोनो का ही प्यार तो मुझे सच्चा लगता है क्यो ना मैं दोनो के साथ हो लू ,और साथ रहकर ही जानने की कोशिस करू की वो कौन है …’
अजय की वासना उसपर हावी थी ??? नही सिर्फ वासना नही बल्कि वो प्यार जो उसे इन लड़कियों से मिला था ,जो उसे जमाने में कही नही मिल पाया था ,वो सिर्फ जिस्म का सुख नही था जिस्म के ऊपर भी मन के ऊपर भी वो रूह तक की संतुष्टि उसे मिली थी वो इसे यू ही नही खोना चाहता था सिर्फ इसलिए की उसे नही पता की वो कौन थी …
वो उसे प्यार भरी निगाहों से आते हुए देखता रहा ..
वो मचलते हुए उसके पास आ रही थी उसके कमर की हर लचक में अजय का दिल भी मचल जाता था,वो पास आई इतना की दोनो की सांसे ही टकराने लगी और
चटाक …
एक जोरदार तमाचा अजय के गालो में पड़ा ,चम्पा के आंखों में आंसू थे ..
अजय चम्पा के इस कारनामे से हड़बड़ा ही गया था …
“क्या क्या हुआ तुम्हे “
“क्या हुआ पूछते हो शर्म नही आती तुम्हे मेरी बहन के साथ ...छि ..वो भी उस नागिन के साथ जिसे पकड़ने तुम आये हो मैने रात में ही तुम्हे उसके साथ देखा था ,तुम और वो छि …”
अजय का दिल जोरो से धड़कने लगा ..
वो झल्ला गया था
“क्या छि कह रही हो मुझे कैसे पता चलेगा की कौन मोंगरा है और कौन चम्पा तुम दोनो ही तो एक जैसी दिखती हो तो क्या इसमें भी मेरा ही दोष है ..”
अजय जोरो से बोला था जिससे चम्पा दहाड़ मार कर रोने लगी ..
“वो कुतिया कभी नही चाहती की हमारा मिलन हो इसलिए उसने कल गोली चलवाई थी मुझे तो पहले ही शक था लेकिन तुम्हे उसके साथ देखकर ….”
“अरे पगली तो तुमने उसी समय क्यो नही बतलाया “
“कैसे बताती तुम्हे उसके साथ देखकर मेरा तो खून ही जल गया था ,”
चम्पा ने इतनी मासूमियत से कहा की अजय का दिल उसके लिए पिघल गया और वो उसे अपने आगोश में खिंच लिया
“कुछ कहने की जरूरत ही नही तुम्हे सोच रहा हु की तुम्हे एक ऐसी चीज दे दु जो सिर्फ तुम्हारे पास रहे “
अजय की बात से चम्पा के चहरे में शर्म के भाव गहरा गए ,और वो दबी हुई हँसी में हँसने लगी
“ऐसे क्यो शर्मा रही हो “
अजय को भी थोड़ा आश्चर्य हुआ की आखिर उसने ऐसा क्या कह दिया था ,
“क्यो ना शरमाऊं तुम बात ही ऐसा कर रहे हो ,”अजय फिर से चकरा गया
“और अभी मैं मां नही बनूंगी वो सब शादी के बाद “
ओह तो ये पगली ये चीज सोच कर बैठ गई थी ,अजय को चम्पा की बात और सोच पर हँसी आयी लेकिन साथ ही साथ बहुत सारा प्यार भी आया ,उसने चम्पा को और भी जोरो से जकड़ लिया
“अरे पगली मैं बच्चे की बात नही कर रहा कोई ऐसी चीज जो तुम मुझे बोलो तो मुझे पता लग जाए की वो तुम हो कोई और नही “
चम्पा का चहरा जैसे मुरझा गया जिसे अजय समझ भी गया
“तो मेरी रानी को बच्चा चाहिए “
चम्पा ने हाथों से उसे मारा
“हर लड़की चाहती है की वो मां बने खासकर जिसे मा बाप का प्यार नसीब नही हुआ हो ,...”उसकी आंखों में आंसू आ गए थे
“ओह मेरी जान ...मैं तुम्हे दुनिया की हर खुसी दूंगा बस पहले वो तुम्हारी बहन मेरे हाथ लग जाए ,बहुत सर दर्द कर रखा है उसने “
“हा जब उसे चूम रहे थे तब तो सर दर्द नही दे रहा था तुम्हारा “
चम्पा का मुह फिर से फूल गया था ,अजय को उसपर हँसी आ गई और उसने उसके होठो पर अपने होठो को रख दिया जिसे धीरे धीरे करके ही सही लेकिन चम्पा भी चूमने लगी थी …
“जान 4577 “
“ये क्या है ..”
“जब तुम ये बोलोगी तो मैं समझ जाऊंगा की ये तुम ही हो मोंगरा नही “
चम्पा के चहरे में मुस्कान आ गई और उसने अजय के सर को जोरो से पकड़ कर उसे अपनी ओर खिंच लिया ,दोनो के होठो मिल गए थे जो की बहुत देर तक मिले ही रहे ,लार एक दूसरे से लिपटने लगी थी और चम्पा के जिस्म के एक मात्रा कपड़े को अजय उतारने लगा था ,देखते ही देखते दोनो के जिस्म नंगे हो चुके थे और दोपहर के सही भी दोनो नंगे जिस्म दुनिया की परवाह किये बिना ही झील में उतर गए थे……….
सांसे तेज हो रही थी और जिस्म की तड़फन बढ़ने लगी थी …
अजय ने चम्पा के गले में किस किया चम्पा के शरीर में जैसे कोई करेंट दौड़ गया था ,वो अजय को और भी जोरो से जकड़ने लगी थी ….
चम्पा के कमर के नीचे की गोल गोल चूतड़ों में हाथ फेरते हुए उसके कोमलता के अहसास से अजय की आंखे बंद हो रही थी ,वही हाल चम्पा का भी था,
वो भी मदहोश सी हो रही थी,आंखे तो दोनों की ही बंद थी और सांसे तेज ,धडकनों की शहनाईयां भी तेजी से बज रही थी,चम्पा को भी अजय के लिंग का अहसास हो रहा था जो उसके उन्नत कुलहो पर हलके हलके चोट कर रहा था,इस घिसाई का मजा लेते हुए दोनों ही भूल गए थे की वो झील में गले तक चले आये है ,दोनों ही जिस्म नंगे थे और पानी के ठंडक में भी गर्म हो रहे थे ,दोनों के ही पाँव गहराई की और जा रहे थे,पानी उन्हें सर तक डुबो गया था लेकिन हाय रे उस मोहोब्बत का नशा की किसी को होश भी नही था ,दोनों के होठ एक दूजे से मिल चुके थे और एक दूजे की जीभ को लपेटते हुए वो मुह की गहराई में जा रहे थे,सांसे बंद होने लगी तो वो एक दूजे के मुह से साँस लेने लगे थे ,चम्पा पलती और अजय के सीने में दबती चली गई ,एक दुसरे को उन्होंने मजबूती से जकड़ रखा था ,पानी के अंदर होने से साँस लेने में दिक्कत आने लगी थी लेकिन कोई भी दुसरे को छोड़ने को तैयार नही था ,और अजय ने अपने लिंग को चम्पा के योनी में धसाना शुरू किया और चम्पा का मुह खुल गया झील का ताजा पानी उसके मुह में भर चूका था जिसे उसने अगले ही पल अजय के मुह में धकेल दिया था ,
दोनों ही थोड़े बहार आये ताकि साँस ले सके ,जिस्म एक दुसरे में गड़े जा रहे थे ,कमर हलके हलके ही चल रही थी लेकिन स्वर्ग का सुख दे रही थी ,लिंग और योनी का घर्षण अभी भी पानी के अंदर ही हो रहा था,अजय ने चम्पा के कुलहो को दबोच रखा था वही चम्पा भी अपने हाथो से अजय के कुलहो को अपनी ओर और भी ज्यदा सटा रही थी ,
जब कमर ने रफ़्तार पकड़ी तो अजय चम्पा को गोद में उठा कर किनारे में ले आया और रेत में लिटा कर उसके उपर छा गया…
“आह मेरी जान ओह जान ओह “
चम्पा के मुह से सिस्कारिया निकलने लगी थी ,अजय भी उसके गालो को अपने दांतों से खा रहा था उसके वक्षो को अपने मुह में भरे जा रहा था और अपने कमर की गति को तेज और तेज किये जा रहा था ,दोनों के जिस्म भीगे हुए थे लेकिन फिर भी जिस्म की घर्षण से उत्पन्न पसीने से भी भीगे जा रहे थे …
होठो से लार बह कर एक दुसरे के जिस्म को और भी चिपचिपा कर रहे थे,सांसे जैसे अटकने को थी और दिल की धड़कने मानो रुकने को हो गई थी ,
दोनों ही अपने चरम पर आ चुके थे और बस झरने ही वाले थे ,
“मुझे भीगा दो मेरे राजा ,अन्दर तक भीगा दो मई आपकी गुलाम बन कर जीना चाहती हु”
चम्पा अपने चरम में पहुच कर अजय से आग्रह करने लगी जिससे अजय के जिस्म ने भी अपना बांध तोड़ दिया और तेज धारा के साथ चम्पा की योनी में बहता चला गया …………….
अजय और चम्पा किसी मनोहर सपने में खोए से झरने के किनारे गीले रेत में लेटे हुए थे ,एक दूसरे के जिस्म को सहला रहे थे मानो दुनिया में बस यही एक चीज है जो उनके लिये हो..
लेकिन सपना तो आखिर सपना ही होता है ,कभी ना कभी तो उसे टूटना ही होता है ,
दोनो के जिस्म अभी भी पानी में थोड़े डूबे हुए थे और थोड़े बाहर ,,अजय के तेज धक्के के कारण वो फिसलते हुए पानी में आ गए थे …
दोपहर का समय था और धूप की तेजी अब बदन को जलाने लगी थी ,अजय चम्पा को उठाकर एक पेड़ के नीचे ले आया साथ ही अपने कपड़ो को भी ,ऐसे तो चम्पा बदन में एक ही कपड़ा पहनती थी वो उसकी कुछ मीटर की साड़ी ..
अब अजय चम्पा की गोद में लेटा हुआ था और चम्पा उसके बालो को सहला रही थी ….दोनो ही किसी दुनिया में खोए हुए थे की अजय बोल पड़ा ..
“चम्पा आखिर ऐसा क्या हुआ था मोंगरा एक डाकू बन गई और तुम यंहा आ गई “
उसकी बात सुनकर चम्पा थोड़े देर के लिए चुप हो गई …
और अजय के बालो में उंगलियां फसाये सहलाती रही ,अजय के गालो में उसके आंखों का पानी आ टपका ,अजय उठ खड़ा हुआ और चम्पा के गालो को दोनो हाथो से पकड़ लिया और उसके गालो में अपने होठ लगा कर उसके आंखों से झरते हुए खारे पानी को अपने होठो से अंदर कर लिया …
“मेरी जान अगर तुम्हे इस बारे में बात नही करना है तो मैं तुमसे कुछ भी नही पूछूंगा “
अजय ने गंभीरता से कहा जिससे चम्पा के होठो में भी एक मुस्कान आ गई और वो उससे लिपट गई ..
“क्या बताऊँ यही तो समझ नही आता ,ठाकुर की ज्यादतियों के बारे में बतलाऊ या फिर मोंगरा के जिस्म की भूख के बारे में,या मेरे पिता के बदले के बारे में या मेरी माँ की फूटी हुई किस्मत के बारे में क्या क्या बतलाऊ तुम्हे कुछ समझ नही आता ……”
इतना कह कर चम्पा तो चुप हो गई लेकिन अजय को जैसे एक बहुत ही बड़ा शॉक लग गया ,ये चम्पा क्या कह रही थी ..
वो चम्पा की आंखों में झांकने लगा
“मुझे सब कुछ ही जानना है …..”
इस बार चम्पा अजय के गोद में लेट गई और अजय उसके बालो को सहलाने लगा ..
चम्पा ने बोलना शुरू किया
तिवारी की बात सुनकर अजय जैसे नींद से जागा …
वो अभी शराब के नशे में था लेकिन इतना भी नही की उसे कुछ समझ ना आ रहा हो वही तिवारी नशे में कुछ ऐसा कह गया था जो उसे नही कहना चाहिए था …
“तो तिवारी जी अपने कालिया की मदद की जो बाद में सब के सर का दर्द बना था ,कालिया डाकू ,,,मोंगरा का गुरु कालिया ????”
तिवारी को अपनी गलती का अहसास तो हुआ लेकिन फिर भी बोले हुए शब्द तो वापस नही लिए जाते …
“हा साहेब लेकिन आप ही सोचो की उस समय मैं कर भी क्या सकता था वो इंस्पेक्टर भी कमीना था और ठाकुर तो है ही कमीना अगर कालिया ने हथियार नही उठा लिया होता तो वो गांव की सभी औरतो को धंधे वाली बना देता …”
तिवारी की बात से अजय के दिल में ठाकुर के लिए एक बहुत ही तेज नफरत का भाव जागा लेकिन उसे पता था की उसकी ड्यूटी क्या है और अब उसे ये भी पता चल गया था की डाकुओं को पुलिस की तरफ से मदद करने वाला कौन है …
“हम्म तो तिवारी जी अपने जो किया सही ही किया शायद आपकी जगह मैं होता तो मैं भी यही करता ….”
अजय ने एक घुट अंदर किया ..वो तिवारी से सच उगलवाना चाहता था और सच तभी बाहर आता जब तिवारी को लगता की उसकी बात का अजय पर सही असर हो रहा है …
“तो तिवारी जी वो शख्स कौन था जिसने गांववालो की पुलिस से बचने में मदद की और क्या इसके बाद भी ठाकुर ने गांव में दहसत फैलाने की कोशिस की ?“
तिवारी एक गहरी सांस लेता है और पास रखे बोतल से एक जाम बना कर अपने हलक के अंदर करता है …
“ह्म्म्म साहब वो शख्स तो उसी दिन आ गया ,sp साहब और ठाकुर भी पधारे ठाकुर ने अपना रंडी रोना रोया और कुछ पैसे sp की झोली में डाल दिए ,लेकिन डॉ चुतिया जी तब तक पधार चुके थे …”
“डॉ चुतिया ?????? वो जो की आजकल प्रेस खोलकर बैठे है ”
अजय की आंखे बड़ी हो गई थी …
“हा वही पहले तो युवा दल के नेता हुआ करते थे ,मेडिकल की पढ़ाई हो चुकी थी लेकिन फिर भी छात्र संघ में बड़ा दबदबा था ,मैं उन्हें पहले ही मिल चुका था ,उन्हें एक फोन करने की देरी थी की वो खुद भी पधार गए और साथ ही अखबार के लोगो को भी ले आये ,बेचारे sp चाहते हुए भी कुछ नही कर पाए लेकिन फिर भी कई गांव वालो से पूछताछ की गई और जो सामने आया वो सब अखबारों की हेडलाइन बन गई ठाकुर के सारे कारनामो का भांडा फुट गया,ठाकुर जैसे गांव के लोगो को भूल ही गया था क्योकि केंद्र से भी उसके ऊपर प्रेसर आने लगा था,वो खुद को बचने में ही लगा रहा लेकिन फिर भी उसकी दहसत कम नही हो रही थी आखिर पुलिस भी तो उसकी ही थी ,लेकिन फिर भी वो चुप ही था,”
अजय तिवारी की बातो को ध्यान से सुन रहा था ,की दिन की पहली किरण ने खिड़की से दस्तक दी …….
दोनो के सर भारी हो रहे थे और आंखे बंद होने लगी थी…
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दोपहर जब अजय उठा तो तिवारी जी जा चुके थे ,अजय के मन में रात की सब बाते गूंज गई थी …
आखिर कालिया और मोंगरा का संबंध क्या है ???
वो इसी सोच में डूबा हुआ तैयार हुआ और पुलिस स्टेशन चला गया ,तिवारी जी आज नजर नही आ रहे थे …
“तिवारी जी कहा है ..??”
अजय ने एक दूसरे कांस्टेबल से पूछा
“क्या पता सर कह के गए है की अगर सर आये तो उन्हें बोल देना की चम्पा ने याद किया है घर आयी थी लेकिन सोए थे …”
जैसे अजय के लिए इस थाने में दो ही केस थे एक ही चम्पा और दूसरी मोंगरा ,,लेकिन वो बेचारा तो अब खुल कर प्यार भी नही कर सकता था क्योकि उसे ये भी नही पता था की आखिर चम्पा कौन है और मोंगरा कौन है ……….
वो वही झरने के किनारे पहुचा ,
दोपहर का समय था और बहुत ही गहरी शांति वँहा फैली हुई थी ..
वँहा उस समय कोई भी नही था वो जाने को पलटा ही था की उसे चिरपरिचित झम झम की आवाज आनी शुरू हो गई उसके चहरे में एक मुस्कान खिल गई ,वही जंगल के लिवास में आयी हुई वो परी उसके सामने थी ,अजय के मन की हर शंका जाने कहा भाग चुकी थी वो जो भी हो लेकिन अजय उससे बस वैसे ही प्यार करना चाहता था ,उसके नशीले आंखों की मस्तियो में खो जाना चाहता था,उसके उन्नत वक्षो से दूध चखना चाहता था ,उसके भरे हुए होठो के मदमस्त प्यालों से झलकती हुई शराब को पीना चाहता था ,उसके रेशमी लहराते हुए केशुओ में उलझना चाहता था ,उसके कमर के नीचे और जांघो के बीच की छोटी सी सुराही को सोच कर अजय के तन मन में एक आग दौड़ गई ,वो मन ही मन सोचने लगा
‘मा चुदाये वो कोई भी हो मुझे क्या दोनो ही तो मुझे कितना प्यार देती है और दोनो का ही प्यार तो मुझे सच्चा लगता है क्यो ना मैं दोनो के साथ हो लू ,और साथ रहकर ही जानने की कोशिस करू की वो कौन है …’
अजय की वासना उसपर हावी थी ??? नही सिर्फ वासना नही बल्कि वो प्यार जो उसे इन लड़कियों से मिला था ,जो उसे जमाने में कही नही मिल पाया था ,वो सिर्फ जिस्म का सुख नही था जिस्म के ऊपर भी मन के ऊपर भी वो रूह तक की संतुष्टि उसे मिली थी वो इसे यू ही नही खोना चाहता था सिर्फ इसलिए की उसे नही पता की वो कौन थी …
वो उसे प्यार भरी निगाहों से आते हुए देखता रहा ..
वो मचलते हुए उसके पास आ रही थी उसके कमर की हर लचक में अजय का दिल भी मचल जाता था,वो पास आई इतना की दोनो की सांसे ही टकराने लगी और
चटाक …
एक जोरदार तमाचा अजय के गालो में पड़ा ,चम्पा के आंखों में आंसू थे ..
अजय चम्पा के इस कारनामे से हड़बड़ा ही गया था …
“क्या क्या हुआ तुम्हे “
“क्या हुआ पूछते हो शर्म नही आती तुम्हे मेरी बहन के साथ ...छि ..वो भी उस नागिन के साथ जिसे पकड़ने तुम आये हो मैने रात में ही तुम्हे उसके साथ देखा था ,तुम और वो छि …”
अजय का दिल जोरो से धड़कने लगा ..
वो झल्ला गया था
“क्या छि कह रही हो मुझे कैसे पता चलेगा की कौन मोंगरा है और कौन चम्पा तुम दोनो ही तो एक जैसी दिखती हो तो क्या इसमें भी मेरा ही दोष है ..”
अजय जोरो से बोला था जिससे चम्पा दहाड़ मार कर रोने लगी ..
“वो कुतिया कभी नही चाहती की हमारा मिलन हो इसलिए उसने कल गोली चलवाई थी मुझे तो पहले ही शक था लेकिन तुम्हे उसके साथ देखकर ….”
“अरे पगली तो तुमने उसी समय क्यो नही बतलाया “
“कैसे बताती तुम्हे उसके साथ देखकर मेरा तो खून ही जल गया था ,”
चम्पा ने इतनी मासूमियत से कहा की अजय का दिल उसके लिए पिघल गया और वो उसे अपने आगोश में खिंच लिया
“कुछ कहने की जरूरत ही नही तुम्हे सोच रहा हु की तुम्हे एक ऐसी चीज दे दु जो सिर्फ तुम्हारे पास रहे “
अजय की बात से चम्पा के चहरे में शर्म के भाव गहरा गए ,और वो दबी हुई हँसी में हँसने लगी
“ऐसे क्यो शर्मा रही हो “
अजय को भी थोड़ा आश्चर्य हुआ की आखिर उसने ऐसा क्या कह दिया था ,
“क्यो ना शरमाऊं तुम बात ही ऐसा कर रहे हो ,”अजय फिर से चकरा गया
“और अभी मैं मां नही बनूंगी वो सब शादी के बाद “
ओह तो ये पगली ये चीज सोच कर बैठ गई थी ,अजय को चम्पा की बात और सोच पर हँसी आयी लेकिन साथ ही साथ बहुत सारा प्यार भी आया ,उसने चम्पा को और भी जोरो से जकड़ लिया
“अरे पगली मैं बच्चे की बात नही कर रहा कोई ऐसी चीज जो तुम मुझे बोलो तो मुझे पता लग जाए की वो तुम हो कोई और नही “
चम्पा का चहरा जैसे मुरझा गया जिसे अजय समझ भी गया
“तो मेरी रानी को बच्चा चाहिए “
चम्पा ने हाथों से उसे मारा
“हर लड़की चाहती है की वो मां बने खासकर जिसे मा बाप का प्यार नसीब नही हुआ हो ,...”उसकी आंखों में आंसू आ गए थे
“ओह मेरी जान ...मैं तुम्हे दुनिया की हर खुसी दूंगा बस पहले वो तुम्हारी बहन मेरे हाथ लग जाए ,बहुत सर दर्द कर रखा है उसने “
“हा जब उसे चूम रहे थे तब तो सर दर्द नही दे रहा था तुम्हारा “
चम्पा का मुह फिर से फूल गया था ,अजय को उसपर हँसी आ गई और उसने उसके होठो पर अपने होठो को रख दिया जिसे धीरे धीरे करके ही सही लेकिन चम्पा भी चूमने लगी थी …
“जान 4577 “
“ये क्या है ..”
“जब तुम ये बोलोगी तो मैं समझ जाऊंगा की ये तुम ही हो मोंगरा नही “
चम्पा के चहरे में मुस्कान आ गई और उसने अजय के सर को जोरो से पकड़ कर उसे अपनी ओर खिंच लिया ,दोनो के होठो मिल गए थे जो की बहुत देर तक मिले ही रहे ,लार एक दूसरे से लिपटने लगी थी और चम्पा के जिस्म के एक मात्रा कपड़े को अजय उतारने लगा था ,देखते ही देखते दोनो के जिस्म नंगे हो चुके थे और दोपहर के सही भी दोनो नंगे जिस्म दुनिया की परवाह किये बिना ही झील में उतर गए थे……….
सांसे तेज हो रही थी और जिस्म की तड़फन बढ़ने लगी थी …
अजय ने चम्पा के गले में किस किया चम्पा के शरीर में जैसे कोई करेंट दौड़ गया था ,वो अजय को और भी जोरो से जकड़ने लगी थी ….
चम्पा के कमर के नीचे की गोल गोल चूतड़ों में हाथ फेरते हुए उसके कोमलता के अहसास से अजय की आंखे बंद हो रही थी ,वही हाल चम्पा का भी था,
वो भी मदहोश सी हो रही थी,आंखे तो दोनों की ही बंद थी और सांसे तेज ,धडकनों की शहनाईयां भी तेजी से बज रही थी,चम्पा को भी अजय के लिंग का अहसास हो रहा था जो उसके उन्नत कुलहो पर हलके हलके चोट कर रहा था,इस घिसाई का मजा लेते हुए दोनों ही भूल गए थे की वो झील में गले तक चले आये है ,दोनों ही जिस्म नंगे थे और पानी के ठंडक में भी गर्म हो रहे थे ,दोनों के ही पाँव गहराई की और जा रहे थे,पानी उन्हें सर तक डुबो गया था लेकिन हाय रे उस मोहोब्बत का नशा की किसी को होश भी नही था ,दोनों के होठ एक दूजे से मिल चुके थे और एक दूजे की जीभ को लपेटते हुए वो मुह की गहराई में जा रहे थे,सांसे बंद होने लगी तो वो एक दूजे के मुह से साँस लेने लगे थे ,चम्पा पलती और अजय के सीने में दबती चली गई ,एक दुसरे को उन्होंने मजबूती से जकड़ रखा था ,पानी के अंदर होने से साँस लेने में दिक्कत आने लगी थी लेकिन कोई भी दुसरे को छोड़ने को तैयार नही था ,और अजय ने अपने लिंग को चम्पा के योनी में धसाना शुरू किया और चम्पा का मुह खुल गया झील का ताजा पानी उसके मुह में भर चूका था जिसे उसने अगले ही पल अजय के मुह में धकेल दिया था ,
दोनों ही थोड़े बहार आये ताकि साँस ले सके ,जिस्म एक दुसरे में गड़े जा रहे थे ,कमर हलके हलके ही चल रही थी लेकिन स्वर्ग का सुख दे रही थी ,लिंग और योनी का घर्षण अभी भी पानी के अंदर ही हो रहा था,अजय ने चम्पा के कुलहो को दबोच रखा था वही चम्पा भी अपने हाथो से अजय के कुलहो को अपनी ओर और भी ज्यदा सटा रही थी ,
जब कमर ने रफ़्तार पकड़ी तो अजय चम्पा को गोद में उठा कर किनारे में ले आया और रेत में लिटा कर उसके उपर छा गया…
“आह मेरी जान ओह जान ओह “
चम्पा के मुह से सिस्कारिया निकलने लगी थी ,अजय भी उसके गालो को अपने दांतों से खा रहा था उसके वक्षो को अपने मुह में भरे जा रहा था और अपने कमर की गति को तेज और तेज किये जा रहा था ,दोनों के जिस्म भीगे हुए थे लेकिन फिर भी जिस्म की घर्षण से उत्पन्न पसीने से भी भीगे जा रहे थे …
होठो से लार बह कर एक दुसरे के जिस्म को और भी चिपचिपा कर रहे थे,सांसे जैसे अटकने को थी और दिल की धड़कने मानो रुकने को हो गई थी ,
दोनों ही अपने चरम पर आ चुके थे और बस झरने ही वाले थे ,
“मुझे भीगा दो मेरे राजा ,अन्दर तक भीगा दो मई आपकी गुलाम बन कर जीना चाहती हु”
चम्पा अपने चरम में पहुच कर अजय से आग्रह करने लगी जिससे अजय के जिस्म ने भी अपना बांध तोड़ दिया और तेज धारा के साथ चम्पा की योनी में बहता चला गया …………….
अजय और चम्पा किसी मनोहर सपने में खोए से झरने के किनारे गीले रेत में लेटे हुए थे ,एक दूसरे के जिस्म को सहला रहे थे मानो दुनिया में बस यही एक चीज है जो उनके लिये हो..
लेकिन सपना तो आखिर सपना ही होता है ,कभी ना कभी तो उसे टूटना ही होता है ,
दोनो के जिस्म अभी भी पानी में थोड़े डूबे हुए थे और थोड़े बाहर ,,अजय के तेज धक्के के कारण वो फिसलते हुए पानी में आ गए थे …
दोपहर का समय था और धूप की तेजी अब बदन को जलाने लगी थी ,अजय चम्पा को उठाकर एक पेड़ के नीचे ले आया साथ ही अपने कपड़ो को भी ,ऐसे तो चम्पा बदन में एक ही कपड़ा पहनती थी वो उसकी कुछ मीटर की साड़ी ..
अब अजय चम्पा की गोद में लेटा हुआ था और चम्पा उसके बालो को सहला रही थी ….दोनो ही किसी दुनिया में खोए हुए थे की अजय बोल पड़ा ..
“चम्पा आखिर ऐसा क्या हुआ था मोंगरा एक डाकू बन गई और तुम यंहा आ गई “
उसकी बात सुनकर चम्पा थोड़े देर के लिए चुप हो गई …
और अजय के बालो में उंगलियां फसाये सहलाती रही ,अजय के गालो में उसके आंखों का पानी आ टपका ,अजय उठ खड़ा हुआ और चम्पा के गालो को दोनो हाथो से पकड़ लिया और उसके गालो में अपने होठ लगा कर उसके आंखों से झरते हुए खारे पानी को अपने होठो से अंदर कर लिया …
“मेरी जान अगर तुम्हे इस बारे में बात नही करना है तो मैं तुमसे कुछ भी नही पूछूंगा “
अजय ने गंभीरता से कहा जिससे चम्पा के होठो में भी एक मुस्कान आ गई और वो उससे लिपट गई ..
“क्या बताऊँ यही तो समझ नही आता ,ठाकुर की ज्यादतियों के बारे में बतलाऊ या फिर मोंगरा के जिस्म की भूख के बारे में,या मेरे पिता के बदले के बारे में या मेरी माँ की फूटी हुई किस्मत के बारे में क्या क्या बतलाऊ तुम्हे कुछ समझ नही आता ……”
इतना कह कर चम्पा तो चुप हो गई लेकिन अजय को जैसे एक बहुत ही बड़ा शॉक लग गया ,ये चम्पा क्या कह रही थी ..
वो चम्पा की आंखों में झांकने लगा
“मुझे सब कुछ ही जानना है …..”
इस बार चम्पा अजय के गोद में लेट गई और अजय उसके बालो को सहलाने लगा ..
चम्पा ने बोलना शुरू किया