नज़ीर ने देखा कि अम्बरीन खाला उसके लंड को हैरत से देख रही हैं तो उसने अपना लंड हाथ में ले कर उसे ऊपर नीचे हरकत दी और इतराते हुए अम्बरीन खाला से पूछा कि उन्हें उसका लंड पसंद आया या नहीं। वो खामोश रहीं लेकिन उनकी निगाहें नज़ीर के लंड पर ही जमी हुई थीं। मैंने नोट किया कि उनकी आँखों में अजीब सी चमक थी पर फिर लगा कि शायद मेरा वहम था। वो फिर बोला – “जब ये लंड तेरी फुद्दी में जायेगा तो तुझे बहुत मज़ा देगा!” अम्बरीन खाला ने अपनी नज़रें झुका लीं और उनके गाल सुर्ख हो गये थे। नज़ीर ने अपना फोन और चाक़ू बेड के साथ पड़ी हुई छोटी सी मेज़ पर रखे और मुझे भी कपड़े उतारने को कहा। मैं खौफ के आलम में चुदाई का कैसे सोच सकता था। मैंने इनकार कर दिया।
वो अम्बरीन खाला के पास गया और उनका हाथ पकड़ कर उन्हें कुर्सी से उठाने लगा। उन्होंने अपना हाथ छुड़ाना चाहा तो नज़ीर उन्हें ग़लीज़ गालियाँ देने लगा। कहने लगा – “तेरी चूत मारूँ कुत्तिया... अब शरीफ़ बनती है! तेरे फुद्दे में लंड दूँ हरामज़ादी, कंजरी, बहनचोद! तेरी बहन को चोदूँ... अभी कुछ देर पहले तो तू शराब पीके नशे में मस्त होके अपने भांजे से चुदवाने वाली थी और अब शरीफ़ बन रही है!” इस बे-इज़्ज़ती पर अम्बरीन खाला का चेहरा फिर लाल हो गया। वो जल्दी से खड़ी हो गयीं। मैं भी अंदर से हिल कर रह गया। उस वक़्त मुझे एहसास हुआ के मैं नादानी में क्या गज़ब कर बैठा था।