Incest खेल है या बवाल

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इस गरीबी की पनप न दर्द है सिर्फ, अजीब हालात भी मुकम्मल कराती हैं, रौशनी की तो चाहत है उन्हें भी, पर झोपड़ी है ग़रीब की केवल दिए हि जलाती हैं,

हाथ झूलशे हुए मजबूर हैं तो क्या, याद शाम की दिलाती हैं, बेबस मजदूर हैं जनाब, काम केवल दो वक्त की रोटियां खिलानी हैं,

कमी है बहुतायत सफ़र में इनके, देख राह भी बताती हैं, चुप रहते हैं- अजीब हालातों में कहीं, तो कहीं ये भूख भी सताती है,

लाखों मर जाते हैं हर बार, कितनी बार ये बात बतानी है, साहब कहते फिरते सड़कों पर, सुन करुणामई ये शब्द क्या याद भी न आती हैं ।

इतना कुछ जानकर भी ProfessorPo sir को जाने क्यों जमुना, सुमन, रतनु , धिनु पर दया नहीं आती है। 🙄
Waah kya likha hai... Aur daya to bahut aati hai par samay ka pahiya aise hi chalta hai...
 
R

Riya

धीनू: अच्छा है नाय निकरि, हमाई निकरी तौ चिल्लाय पड़ी माई।
रतनू: फिर अब का करें कहूं सै तौ पैसन की जुगाड़ करने पड़ेगी ना।
धीनू: मेरे पास एक उपाय है।
रतनू: सही में? बता फिर सारे..
धीनू: सुन…

अपडेट 4
रतनू: सुन हमें जे ठीक नाय लग रहो सारे(साले) पकड़े गए तो गांड टूट जायेगी।
धीनू: सासुके( साले का पर्यायवाची) तेरी अभिई ते लुप लुप करन लगी। हम कह रहे ना कछु न हैगो।
धीनू ने एक खेत से गन्ने उखाड़ते हुए रतनू को दिलासा दी तो रतनू भी भारी मन से ही इस अनैतिक काम में अपने जिगड़ी दोस्त का हाथ बटाने लगा, यही उपाय था धीनू का कि दूसरे गांव के किसी खेत से कुछ गन्ने चुपचाप चुरा कर ले जायेंगे और कोल्हू पर बेच देंगे और उससे जो पैसे मिलेंगे उससे लल्लन को गेंद तो कम से कम दिलवा ही देंगे अगर बच गए तो मेला तो लगा ही है।

रतनू: अब तौ है गए होंगे, अब चल झांते (यहां से)।
धीनू: हट सारे इतने की तो चवन्नी भी न मिलेगी, जल्दी जल्दी हाथन को चला और उखाड़त जा।
रतनू: हां हां उखाड़ तो रहो हूं।

रतनू के बार बार याद दिलाने पर भी धीनू था की चलने को राज़ी नहीं हो रहा था वो चाह रहा था ज्यादा से ज्यादा गन्ने मिल जाएं जिससे ज्यादा पैसे मिल सकें, पर लालच बुरी बला है ये तो सबने ही सुना है,

ख़ैर जब धीनू को संतुष्टि हो गई तो दोनों ने मिलकर गन्ने को दो ढेरों में बांधा और अपने अपने सिरों पर टिकाया और चल दिए, चुप चाप से किसी तरह से खेत से निकल कर आगे बढ़े ही थे कि पीछे से किसी की आवाज़ आई

अरे एईईई को है जू (कौन है ये) रुक सारे।
ये आवाज सुनते ही दोनों के पैरों से जमीन खिसक गई ये खेत के मालिक की आवाज़ थी जिसने दोनों को रंगे हाथों पकड़ लिया था, रतनू की हालत तो बिलकुल रोने वाली हो गई। डरा हुआ तो धीनू भी था पर उसके डरा हुआ दिमाग और तेज भागने लगा और वो बचने के तरीके ढूंढने लगा।

धीनू ने फुसफुसाते हुए रतनू से बोला,
धीनू: भाग रतनुआ वाने (उसने) अभई तक हमाओं चेहरा नाय देखो है भाग,
और ये कह धीनू ने दौड़ लगा दी, रतनू को धीनू की बात तो समझ नहीं आई पर धीनु को भागते देख उसके पैर भी दौड़ने लगे।

आगे आगे धीनू और रतनू एक हाथ से अपने सिर पर रखे बोझ को पकड़ कर भाग रहे थे तो वहीं उनके पीछे खेत का मालिक भाग रहा था और भागते हुए चिल्लाता जा रहा था,


धीनू और रतनू दोनों को पीछे से गालियां दिए जा रहा था, अपनी गालियों में ही वो दोनों को ही मां को न जाने अब तक कितनी बार सम्मिलित कर चुका था और न जाने उनके साथ क्या क्या करने की धमकी दे चुका था, पर दोनों दोस्त बेचारे सब सुनते हुए भी बिना पीछे मुड़े भागे जा रहे थे, एक खेत पार करते तो दूसरा खेत आ जाता, पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो चुका था, उधर खेत के मालिक का भी बुरा हाल था एक तो अधेड़ उम्र का शरीर ऊपर से थुलथुला पेट, दिल ने इतनी मेहनत कर ली थी कि रेल के इंजन से भी तेज दौड़ने लगा था और लग रहा था कि थोड़ी देर में ही फट जायेगा। कितनी दूर तक भागता बेचारा तो थोड़ा आगे आकर उसके पैरों और हिम्मत दोनों ने ही जवाब दे दिया, और हांफते हुए चिल्लाता रहा: रुक जाओ आआह्ह्ह आह्ह्ह्ह सारे मादरचोदों, अह्ह्ह्ह तुमाई मैय्या चोद दूंगो, अअह्ह्ह्हह, रांडों के रुक जाओ।

खेत के मालिक के रुक जाने से रतनू और धीनू को राहत मिली दोनों ही बुरी तरह थक गए थे, थोड़ा आगे जाकर पोखर किनारे गन्नों को एक झाड़ी के पीछे डालकर वहीं गिर गए और सांस भरने लगे,
रतनू: आज तौ मरई( मर ही) गए हते। हमाई तौ फटि गई बिलकुल खेत बारे की आवाज सुनिकै।

धीनू: सारे फटि तौ हमाई भी गई हती, तभई ( तभी) तौ भाजे ( भागे) वहां से गांड बचाए कै।

रतनू: हम तोए कह रहे थे कि जल्दी चल जल्दी चल हुए गए होंगे। पर तोए तो सुननी ही नाय हती(थी)।

धीनू: अच्छा दूई गन्ना लै आते का उठाए कै, का फायदा होतो जोखिम उठान को, अगर गेंद भी ना आ पाती तौ।


रतनू: अच्छा और अगर पकड़ जाते तौ का लेते फिर, कित्ती मार पड़ती।

धीनु: पड़ी तो नाय अब रोनोबंद कर लौंडियों की तरह। और चल रहे अब कोल्हू पै ( पर)।
रतनू: चल रहे यार हमाई तो सांस फूल रही है।

धीनू: सांस तौ पिचक जायेगी तेरी जब जेब में रुपिया जागें तौ चल अब उठ।

रुपयों के बारे में सोचकर रतनू भी तुरंत खड़ा हो गया ।

दोनों ने फिर से गट्ठर को सिर पर टिकाया और चल दिए कोल्हू की ओर।

दूसरी ओर

और बताओ मालिक का सेवा करे आपकी?
हाथ जोड़े हुए एक शख्स ने कहा…
लाला: अरे वीरपाल तुमहु (तुम भी) कैसी बात करत हो, तुमसे का सेवा करवांगे, तुम तौ हमाये खास हौ। बस जे गुड़ बढ़िया निकलनो चाहिएं।

वीरपाल: अरे मालिक तुम्हें कभहु खराब चीज दिंगे का? गुड़ नाय है मालिक मलाई है मुंह में रखौगे तो पिघल जायेगी।
लाला कोल्हू के मालिक से बातचीत कर रहा था तभी वहां रतनू और धीनू अपना अपना गट्ठर लिए पहुंच जाते हैं।

धीनू: बाबा ओ बाबा नेक ( थोड़ा) जे गन्ना तोल लियो.
वीरपाल: अरे तोल रहे पहले मालिक को समान दे दें।
लाला ने एक नजर रतनू और धीनू पर डाली तो जैसे उसे जमुना का धक्का याद आ गया, और मन ही मन एक तीस सी उठ गई।

लाला: अरे नाय वीरपाल व्योपार( व्यापार) पहले है जाओ तौल देऊ, हम तौ झाईं( यहीं) खड़े हैं
वीरपाल तुरंत लाला की बात मान धीनू और रतनू के गन्ने तौलने लगता है, गन्ने तौलने के बाद कुछ हिसाब लगाता है और 5 5 रुपए दोनों को पकड़ा देता है।,

धीनू: का बाबा बस पांच रुपिया?
वीरपाल: अच्छा तू का कुंटल ( क्विंटल) भर गन्ने लाओ हतो का?
धीनू: लगि तो ज्यादा रहे थे,
वीरपाल: तौ एसो कर उठा अपने गन्ना और लै जा।
रतनू: अरे नाय नाय बाबा ठीक है इतने के ही हते। हम जाय रहे हैं।
रतनू धीनू का हाथ पकड़ कर उसे खींचता हुआ ले गया,
धीनू; सारो डोकर ( बूढ़ा) भौत (बहुत) बोल्त है, सारो एक ही कोल्हू है ना तासे(इसका) फायदा उठात है और मन मर्जी के दाम देत है। चोर सारौ।
रतनु: हेहेहे सारे तू भी ना..
धीनू: का भओ (क्या हुआ) दान्त कियुँ फाड़ रहो है?
रतनू: और का सासुके गन्ना हमनें चुराय कै बेचे और चोर तू डोकर कौ कह रहो है, तौ हँसी ना आयेगी?
धीनु: हाँ यार बात तौ तू कभऊ कभउ सही कह देत है। वैसें इत्ते ( इतने) रूपिया में गेंद भी आ जायेगी और कछू बचि(बच) भी जाँगे।
रतनू: और का चलें फिर मेला में?
धीनू: जे भी कोई पूछने की बात है चल मेरे मुंह में तौ अभई से चाट को स्वाद आए रहो है।
जमुना बकरियों को चारा डाल रही थी किसी तरह से उसने खुद को संभाला था आज जो भी कुछ हुआ उसके बाद, उसका मन बार बार अब भी डर से कांप रहा था, वहीं लकड़ियां तोड़ते हुए सुमन बार बार जमुना के चेहरे को देख रही थी, और जमुना की आंखों का दर्द देखकर सुमन का भी कलेजा कांपने लगा था, आने वाले भयावह कल के बारे में सोचकर वो अंदर ही अंदर चिंता में मरती जा रही थी, उसे समझ नहीं आ रहा था, कि कैसे वो लाला का सामना कर पाएगी, क्योंकी ये तो तय था कि जो जमुना के साथ हुआ उसके साथ भी होने वाला था, पर क्या जो ताकत जमुना ने दिखाइ जो धक्का जमुना ने लाला को मारा क्या उसमें इतनी ताकत होगी, कि वो लाला को धकेल पायेगी, इसी उधेड़बुन में वो लगी हुई थी,
दोनों बेचारी अपने अपने विचरों में खोई हुइ अपने अपने कामों में लगी हुई थीं,
कि तभी एक आवाज पर दोनों का ध्यान जाता है,
हांफता हुआ मुन्ना दोनों के पास आकर रुकता है।
मुन्ना: अह्ह्ह् वो चाची मेला में, मेला में धीनू और रतनू भैया,
सुमन: का भओ मुन्ना मेला में का? और हाँफ काय रहो है इत्तो।
मुन्ना: वो चाची मेला में कछु लोग रतनू और धीनू भैया को मार रहे हैं।



इसके आगे अगली अपडेट में अपने कॉमेंट्स करके ज़रूर बताएं कैसी लगी अपडेट। बहुत बहुत धन्यवाद।
wonderful update, jaha garibi hai waha nana tarah ke dukh dard darr to honge hi par kahani me in sabhi ko next level par le gaya, gaya hai. lala ka hi koi plan hoga sayad , ratnu aur dhinu ka istmaal karke suman aur jamuna ko hasil karne ki. mele me dono ko ganne k chori ka iljam lagake mar raha hoga.
Professor ji ap lala ka kuch karte kyu nhi.
 
R

Riya

Doston kal se update par kaam shuru ho jayega itane dino tak sabra rakhne aur sath bane rahne ke liye bahut bahut dhanyawad... Jab tak aapke liye ek mazedaar sawaal hai..

Maan leejiye agar is kahani ke upar agar koi film ya web series banani ho aur actors aur actress aap ko chunne ho to aap kis character ke liye kise chunenge... Apane jawab zaroor dein aur jawab ke sath agar actor ki photo ya gif daalenge to sone par suhaga hoga..
Please apana jawan zaroor dein bahut bahut dhanyawad.
lala ki patni .har subha ek 20 kg julab ki goli khila deti lala ko .
dhinu - Hrithik roshan, ratnu - mahesh babu.
 
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wonderful update, jaha garibi hai waha nana tarah ke dukh dard darr to honge hi par kahani me in sabhi ko next level par le gaya, gaya hai. lala ka hi koi plan hoga sayad , ratnu aur dhinu ka istmaal karke suman aur jamuna ko hasil karne ki. mele me dono ko ganne k chori ka iljam lagake mar raha hoga.
Professor ji ap lala ka kuch karte kyu nhi.
Bahut bahut dhanyawad pratikriya ke liye... Aur lala ka kya karein ye to aap hi bataiye
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
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धीनू: अच्छा है नाय निकरि, हमाई निकरी तौ चिल्लाय पड़ी माई।
रतनू: फिर अब का करें कहूं सै तौ पैसन की जुगाड़ करने पड़ेगी ना।
धीनू: मेरे पास एक उपाय है।
रतनू: सही में? बता फिर सारे..
धीनू: सुन…

अपडेट 4
रतनू: सुन हमें जे ठीक नाय लग रहो सारे(साले) पकड़े गए तो गांड टूट जायेगी।
धीनू: सासुके( साले का पर्यायवाची) तेरी अभिई ते लुप लुप करन लगी। हम कह रहे ना कछु न हैगो।
धीनू ने एक खेत से गन्ने उखाड़ते हुए रतनू को दिलासा दी तो रतनू भी भारी मन से ही इस अनैतिक काम में अपने जिगड़ी दोस्त का हाथ बटाने लगा, यही उपाय था धीनू का कि दूसरे गांव के किसी खेत से कुछ गन्ने चुपचाप चुरा कर ले जायेंगे और कोल्हू पर बेच देंगे और उससे जो पैसे मिलेंगे उससे लल्लन को गेंद तो कम से कम दिलवा ही देंगे अगर बच गए तो मेला तो लगा ही है।

रतनू: अब तौ है गए होंगे, अब चल झांते (यहां से)।
धीनू: हट सारे इतने की तो चवन्नी भी न मिलेगी, जल्दी जल्दी हाथन को चला और उखाड़त जा।
रतनू: हां हां उखाड़ तो रहो हूं।

रतनू के बार बार याद दिलाने पर भी धीनू था की चलने को राज़ी नहीं हो रहा था वो चाह रहा था ज्यादा से ज्यादा गन्ने मिल जाएं जिससे ज्यादा पैसे मिल सकें, पर लालच बुरी बला है ये तो सबने ही सुना है,

ख़ैर जब धीनू को संतुष्टि हो गई तो दोनों ने मिलकर गन्ने को दो ढेरों में बांधा और अपने अपने सिरों पर टिकाया और चल दिए, चुप चाप से किसी तरह से खेत से निकल कर आगे बढ़े ही थे कि पीछे से किसी की आवाज़ आई

अरे एईईई को है जू (कौन है ये) रुक सारे।
ये आवाज सुनते ही दोनों के पैरों से जमीन खिसक गई ये खेत के मालिक की आवाज़ थी जिसने दोनों को रंगे हाथों पकड़ लिया था, रतनू की हालत तो बिलकुल रोने वाली हो गई। डरा हुआ तो धीनू भी था पर उसके डरा हुआ दिमाग और तेज भागने लगा और वो बचने के तरीके ढूंढने लगा।

धीनू ने फुसफुसाते हुए रतनू से बोला,
धीनू: भाग रतनुआ वाने (उसने) अभई तक हमाओं चेहरा नाय देखो है भाग,
और ये कह धीनू ने दौड़ लगा दी, रतनू को धीनू की बात तो समझ नहीं आई पर धीनु को भागते देख उसके पैर भी दौड़ने लगे।

आगे आगे धीनू और रतनू एक हाथ से अपने सिर पर रखे बोझ को पकड़ कर भाग रहे थे तो वहीं उनके पीछे खेत का मालिक भाग रहा था और भागते हुए चिल्लाता जा रहा था,


धीनू और रतनू दोनों को पीछे से गालियां दिए जा रहा था, अपनी गालियों में ही वो दोनों को ही मां को न जाने अब तक कितनी बार सम्मिलित कर चुका था और न जाने उनके साथ क्या क्या करने की धमकी दे चुका था, पर दोनों दोस्त बेचारे सब सुनते हुए भी बिना पीछे मुड़े भागे जा रहे थे, एक खेत पार करते तो दूसरा खेत आ जाता, पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो चुका था, उधर खेत के मालिक का भी बुरा हाल था एक तो अधेड़ उम्र का शरीर ऊपर से थुलथुला पेट, दिल ने इतनी मेहनत कर ली थी कि रेल के इंजन से भी तेज दौड़ने लगा था और लग रहा था कि थोड़ी देर में ही फट जायेगा। कितनी दूर तक भागता बेचारा तो थोड़ा आगे आकर उसके पैरों और हिम्मत दोनों ने ही जवाब दे दिया, और हांफते हुए चिल्लाता रहा: रुक जाओ आआह्ह्ह आह्ह्ह्ह सारे मादरचोदों, अह्ह्ह्ह तुमाई मैय्या चोद दूंगो, अअह्ह्ह्हह, रांडों के रुक जाओ।

खेत के मालिक के रुक जाने से रतनू और धीनू को राहत मिली दोनों ही बुरी तरह थक गए थे, थोड़ा आगे जाकर पोखर किनारे गन्नों को एक झाड़ी के पीछे डालकर वहीं गिर गए और सांस भरने लगे,
रतनू: आज तौ मरई( मर ही) गए हते। हमाई तौ फटि गई बिलकुल खेत बारे की आवाज सुनिकै।

धीनू: सारे फटि तौ हमाई भी गई हती, तभई ( तभी) तौ भाजे ( भागे) वहां से गांड बचाए कै।

रतनू: हम तोए कह रहे थे कि जल्दी चल जल्दी चल हुए गए होंगे। पर तोए तो सुननी ही नाय हती(थी)।

धीनू: अच्छा दूई गन्ना लै आते का उठाए कै, का फायदा होतो जोखिम उठान को, अगर गेंद भी ना आ पाती तौ।


रतनू: अच्छा और अगर पकड़ जाते तौ का लेते फिर, कित्ती मार पड़ती।

धीनु: पड़ी तो नाय अब रोनोबंद कर लौंडियों की तरह। और चल रहे अब कोल्हू पै ( पर)।
रतनू: चल रहे यार हमाई तो सांस फूल रही है।

धीनू: सांस तौ पिचक जायेगी तेरी जब जेब में रुपिया जागें तौ चल अब उठ।

रुपयों के बारे में सोचकर रतनू भी तुरंत खड़ा हो गया ।

दोनों ने फिर से गट्ठर को सिर पर टिकाया और चल दिए कोल्हू की ओर।

दूसरी ओर

और बताओ मालिक का सेवा करे आपकी?
हाथ जोड़े हुए एक शख्स ने कहा…
लाला: अरे वीरपाल तुमहु (तुम भी) कैसी बात करत हो, तुमसे का सेवा करवांगे, तुम तौ हमाये खास हौ। बस जे गुड़ बढ़िया निकलनो चाहिएं।

वीरपाल: अरे मालिक तुम्हें कभहु खराब चीज दिंगे का? गुड़ नाय है मालिक मलाई है मुंह में रखौगे तो पिघल जायेगी।
लाला कोल्हू के मालिक से बातचीत कर रहा था तभी वहां रतनू और धीनू अपना अपना गट्ठर लिए पहुंच जाते हैं।

धीनू: बाबा ओ बाबा नेक ( थोड़ा) जे गन्ना तोल लियो.
वीरपाल: अरे तोल रहे पहले मालिक को समान दे दें।
लाला ने एक नजर रतनू और धीनू पर डाली तो जैसे उसे जमुना का धक्का याद आ गया, और मन ही मन एक तीस सी उठ गई।

लाला: अरे नाय वीरपाल व्योपार( व्यापार) पहले है जाओ तौल देऊ, हम तौ झाईं( यहीं) खड़े हैं
वीरपाल तुरंत लाला की बात मान धीनू और रतनू के गन्ने तौलने लगता है, गन्ने तौलने के बाद कुछ हिसाब लगाता है और 5 5 रुपए दोनों को पकड़ा देता है।,

धीनू: का बाबा बस पांच रुपिया?
वीरपाल: अच्छा तू का कुंटल ( क्विंटल) भर गन्ने लाओ हतो का?
धीनू: लगि तो ज्यादा रहे थे,
वीरपाल: तौ एसो कर उठा अपने गन्ना और लै जा।
रतनू: अरे नाय नाय बाबा ठीक है इतने के ही हते। हम जाय रहे हैं।
रतनू धीनू का हाथ पकड़ कर उसे खींचता हुआ ले गया,
धीनू; सारो डोकर ( बूढ़ा) भौत (बहुत) बोल्त है, सारो एक ही कोल्हू है ना तासे(इसका) फायदा उठात है और मन मर्जी के दाम देत है। चोर सारौ।
रतनु: हेहेहे सारे तू भी ना..
धीनू: का भओ (क्या हुआ) दान्त कियुँ फाड़ रहो है?
रतनू: और का सासुके गन्ना हमनें चुराय कै बेचे और चोर तू डोकर कौ कह रहो है, तौ हँसी ना आयेगी?
धीनु: हाँ यार बात तौ तू कभऊ कभउ सही कह देत है। वैसें इत्ते ( इतने) रूपिया में गेंद भी आ जायेगी और कछू बचि(बच) भी जाँगे।
रतनू: और का चलें फिर मेला में?
धीनू: जे भी कोई पूछने की बात है चल मेरे मुंह में तौ अभई से चाट को स्वाद आए रहो है।
जमुना बकरियों को चारा डाल रही थी किसी तरह से उसने खुद को संभाला था आज जो भी कुछ हुआ उसके बाद, उसका मन बार बार अब भी डर से कांप रहा था, वहीं लकड़ियां तोड़ते हुए सुमन बार बार जमुना के चेहरे को देख रही थी, और जमुना की आंखों का दर्द देखकर सुमन का भी कलेजा कांपने लगा था, आने वाले भयावह कल के बारे में सोचकर वो अंदर ही अंदर चिंता में मरती जा रही थी, उसे समझ नहीं आ रहा था, कि कैसे वो लाला का सामना कर पाएगी, क्योंकी ये तो तय था कि जो जमुना के साथ हुआ उसके साथ भी होने वाला था, पर क्या जो ताकत जमुना ने दिखाइ जो धक्का जमुना ने लाला को मारा क्या उसमें इतनी ताकत होगी, कि वो लाला को धकेल पायेगी, इसी उधेड़बुन में वो लगी हुई थी,
दोनों बेचारी अपने अपने विचरों में खोई हुइ अपने अपने कामों में लगी हुई थीं,
कि तभी एक आवाज पर दोनों का ध्यान जाता है,
हांफता हुआ मुन्ना दोनों के पास आकर रुकता है।
मुन्ना: अह्ह्ह् वो चाची मेला में, मेला में धीनू और रतनू भैया,
सुमन: का भओ मुन्ना मेला में का? और हाँफ काय रहो है इत्तो।
मुन्ना: वो चाची मेला में कछु लोग रतनू और धीनू भैया को मार रहे हैं।



इसके आगे अगली अपडेट में अपने कॉमेंट्स करके ज़रूर बताएं कैसी लगी अपडेट। बहुत बहुत धन्यवाद।
dhinu aur ratnu pakad na pane par ganne ke malik gaali dekar dono ke pura khandan hi chod dia jane kitne bar :roflol: lekin dino hath nahi aya. ghar par suman aur jamuna itne paresan the aur ab jab pata chala dhinu aur ratnu ko koi mar raha hai, bilkul baukhla gayi. lagta hai ganne ke malik ne pakd lia hoga dono ko mele me.
Ek bat sach kahu bhai ap aur DREAMBOY40 bhai kamal ke comedy likhte ho. padhkar dil garden garden ho jta hai.
 
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Doston kal se update par kaam shuru ho jayega itane dino tak sabra rakhne aur sath bane rahne ke liye bahut bahut dhanyawad... Jab tak aapke liye ek mazedaar sawaal hai..

Maan leejiye agar is kahani ke upar agar koi film ya web series banani ho aur actors aur actress aap ko chunne ho to aap kis character ke liye kise chunenge... Apane jawab zaroor dein aur jawab ke sath agar actor ki photo ya gif daalenge to sone par suhaga hoga..
Please apana jawan zaroor dein bahut bahut dhanyawad.
Me khud lala ban jata. pehle hi dafa sari jaydad daulat ratnu aur dhinu ke naam kar deta :D aur gaon se kahi dur chala jata. Bhai ,tragedy story par photos lagana thik nahi hoga.
 
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