Erotica लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग (सम्पूर्ण)

Active member
880
1,805
123
WOW MAST UPDATE
मैं बिना कुछ बोले लंड को मुठ मारने लगा और कुछ ही देर में मैंने अपना पूरा माल उसकी पैन्टी में गिरा दिया, जबकि इतनी देर में रागिनी इस बात को लेकर डर रही थी कि कहीं कोई आकर मेरी यह हरकत न देख ले।
मेरा जितना वीर्य उसकी पैन्टी में गिर सकता था उतना गिरा बाकी का मैंने उसकी ही पैन्टी से साफ किया और उसकी और पैन्टी बढ़ाते हुए कहा- अब तुम्हारी बारी!
वो बोली- छीः मैं ये नहीं करूँगी।
मैं समझ गया कि यह सीधे से मानने वाली नहीं है तो एक बार उसको फिर ब्लैक मेल किया कि अगर नहीं करोगी तो मैं खड़े होकर तुम्हारी पैन्टी सबको दिखा दूंगा।
विवश होकर उसने अपनी पैन्टी ली और इस तरह झुक गई कि वो क्या कर रही है किसी को पता नहीं चले और फिर वो पैन्टी को मुंह के पास ले गई और हल्के से अपनी जीभ को टच किया और फिर मुंह बनाते हुए बोली- मुझे नहीं करना है।
मैंने उसे समझाया कि जब मैं तुमसे तुम्हारी पैन्टी मांग कर मैं चाट सकता हूँ तो तुम क्यों नहीं।
रागिनी बोली- तुमने अपनी मर्ज़ी से किया।
मैं बोला- हाँ ठीक है, लेकिन सोचो कि जब तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा आदमी अपना लंड जबरदस्ती तुम्हारे मुंह में डालेगा तो तो तुमको वही करना पड़ेगा, चाहे तुम्हारी मर्जी हो या न हो। फिर अभी कर के मजा लो।

मैं इसी तरह की बाते करके उसे फुसलाता रहा और अन्त में हारकर रागिनी ने अपनी पैन्टी को चाट कर साफ किया।
Thanks dear please send always your valuable comments and likes
 
Active member
880
1,805
123
WOW WONDERFUL UPDATE
उसकी चूत की महक बहुत ही अच्छी लग रही थी हालांकि उसकी चूत में झांटें काफी बड़ी हो गई थी।
मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और अपने लंड को रागिनी को दिखाते हुए उसे चूसने के लिये कहा। रागिनी बिना कोई प्रतिरोध किये मेरे लंड को चूसने बैठ गई।
पहली बार रागिनी ने लंड को अपने मुंह में लिया था तो उसके दांत मेरे लंड में गड़ रहे थे लेकिन धीरे-धीरे वो मेरे लंड को सही तरीके से चूसने लगी।
अब मुझे लगने लगा कि मेरा माल निकलने वाला है तो मैंने अपने लंड को रागिनी के मुंह से निकाला और उसकी पैन्टी को लंड पर लगाते हुए मूठ मारने लगा।
आज किसी बात का डर नहीं था सो वो भी बड़े मजे से मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी।
दो चार हाथ चलाने के बाद मेरा पूरा वीर्य उसकी पैन्टी में आ गया। रागिनी पैन्टी लेकर बड़े ही प्यार से मेरे माल को चाटने लगी।
पैन्टी को चाटने के बाद रागिनी ने मेरे लंड में बचे हुए माल को साफ किया और फिर मुझसे चिपकते हुए बोली- गांडू, मैंने तेरे को पूरा नंगा देख लिया है अब तू मेरे कपड़े उतार कर मुझे पूरा नंगा देख!
मैंने तुरन्त ही उसके कपड़े उसके बदन से अलग किए। उसके नंगे जिस्म को देखकर पूरा विश्वास हो गया कि रागिनी अभी कोरी है और आज उसका कोरापन मैं ही खत्म करूंगा।
Thanks dear please send always your valuable comments and likes
 
Active member
880
1,805
123
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-24



मुझे अपनी चूत की चिन्ता नहीं थी क्योंकि मुझे अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिये मेरी ससुराल में ही कोई भी लंड मिल सकता था।
सुबह हुई और फिर सबकी सेवा की तैयारी में लग गई लेकिन जो सेवा मेरी हो रही थी, उसका कोई जवाब नहीं था।

मौका मिलने पर मैंने रितेश को बता दिया कि उसके घर के तीन मर्द निपट चुके हैं।
मुझे गले लगाते हुए रितेश बोला- अब मुझे विश्वास हो गया है कि तुम इस घर को अच्छे से संभाल लोगी, अगर किसी ने कुछ इधर से उधर करने की कोशिश की तो वो तुम्हारी चूत के आगे हार मान लेगा।

एक बार फिर नमिता, मैंने और मेहमानों में 2-3 लोगों ने मिल कर नाश्ता वगैरह तैयार किया, सबने नाश्ता किया।
रोहन आज घर पर ही था, बाकी सब अपने-अपने काम पर जा चुके थे।

रितेश के ऑफिस जाने से पहले मैंने उससे कहा- छुट्टी की पूरी-पूरी कोशिश करना क्योंकि कम्पनी मुझे ट्रेन में केबिन दे रही है, अगर तुम होंगे तो केबिन में भी मजा लेंगे।
रितेश बोला- जान, मैं पूरी कोशिश करूँगा कि मेरी सेक्सी बीवी के साथ ट्रेन की केबिन में चुदाई का मजा लूँ।
उसने मुझे चूमा।

हाँ, जब से हम दोनों की शादी हुई थी तो ऑफिस जाने से पहले हम दोनों चुदाई का खेल जरूर खेलते थे।

सभी मेहमान एक जगह बैठ कर हंसी मजाक कर रहे थे लेकिन मुझे रोहन और स्नेहा कही नहीं दिखाई पड़ रहे थे, मेरी नजर उनको ढूंढ रही थी।
मैं उन दोनों को देखने ऊपर चली आई तो मेरे कानों में रोहन की आवाज पड़ी- चल, मैं तेरे साथ कुछ नहीं करूंगा।
स्नेहा बोली- क्यूं? कल तो तूने मेरे साथ अच्छे से मजा लिया आज क्यों मना कर रहा है? चल एक बार मुझसे खेल! शाम तक चली जाऊंगी।
रोहन बोला- तो मैं क्या करूँ? तू मेरी बात नहीं मानती… तुमसे तो अच्छी मेरी भाभी है, कल मैंने उससे बोला कि मुझे उसको मूतते हुए देखना है तो वो तुरन्त मेरे सामने पेशाब करने लगी।

स्नेहा- तेरी भाभी ने तुझे मूत कर दिखाया?
स्नेहा सोच की मुद्रा में थी। फिर स्नेहा अपने हाथ को रोहन के लंड के ऊपर फेरते हुए बोली- मतलब तेरी भाभी तुझसे चुदवाती भी है? रोहन ने जवाब दिया- कल रात पहली बार भाभी ने मुझसे चूत चुदवाई थी।

फिर स्नेहा पर झल्लाते हुए बोला- मूत के दिखाती है या मैं जाऊँ?
स्नेहा बोली- ठीक है बाबा, मैं भी तुझको मूत कर दिखाऊंगी तब तो मेरे साथ मजा करेगा?
रोहन बोला- हाँ, अगर तू मुझे मूत कर दिखायेगी तो मैं तुझे मजा दूंगा।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

‘तो ठीक है!’ कहकर स्नेहा छत पर चारों ओर देखने लगी, मैं तब तक अपने कमरे में आ चुकी थी और एक ओट लेकर खड़ी होकर उन दोनों की हरकतों पर नजर भी रख रही थी और उनकी बातों को भी सुन पा रही थी क्योंकि वो दोनों मेरे कमरे से थोड़ी ही दूरी पर ही खड़े होकर बात कर रहे थे।

फिर अचानक स्नेहा को कुछ याद आया और रोहन से बोली- तुम बिल्कुल बकलौल के लौड़े ही हो! सीढ़ी का दरवाजा खुला है, कोई आ गया तो दोनों की गांड खूब कुट जायेगी।

स्नेहा की बात सुनने के बाद राहुल झट से सीढ़ी के पास गया और उसने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया।
यह तो अच्छा था कि मैं मौका देखकर अपने कमरे में घुस गई थी।

रोहन दरवाजा बन्द करने के बाद स्नेहा के पास आया, स्नेहा ने अपनी पैन्टी उतारी और मूतने के लिये बैठने ही वाली थी कि रोहन ने उसे रोका।
स्नेहा बोली- अब क्या हो गया, तू इतनी नाटक क्यो पेल रहा है?
‘कुछ नहीं!’ रोहन बोला- कल तूने अपनी मर्जी से मुझसे मजा लिया था और आज मैं जो कहूंगा वो तू करेगी!
‘ठीक है, बोल बाबा!’ स्नेहा थोड़ा झुंझलाने लगी थी।

‘चल अन्दर तो आ!’ कहते हुए रोहन ने स्नेहा का हाथ पकड़ा और कमरे के अन्दर आ गया।
मुझे तुरन्त ही अपने को छुपाना पड़ा पर्दे के पीछे… मैं छुप कर दोनों पर नजर रख रही थी।
अन्दर आते ही रोहन ने अपने कपड़े उतारे और स्नेहा के भी उसने कपड़े उतार दिए।

‘चल नीचे बैठ और अपना मुंह खोल…’ रोहन ने स्नेहा से कहा।
स्नेहा रोहन के कहे अनुसार नीचे बैठ गई और अपना मुंह खोल दिया।

रोहन ने अपना लंड को उसके मुंह के पास ले गया और…

जो रोहन ने हरकत की उससे मेरी आंखें खुली रह गई!

रोहन ने अपने पेशाब की धार स्नेहा के मुंह में छोड़ दी।

‘मादरचोद… यह क्या कर रहा है?’ स्नेहा थोड़ा जोर से बोली- मेरे मुंह में पेशाब क्यों कर रहा है?
थोड़ा सा मुंह बनाते हुये बोली- अभी भोसड़ी के मुझे मूतता हुआ देखना चाहता था और अब लौड़े की मेरे मुंह में ही मूत रहा है।
जितनी गन्दी गाली एक लड़का बकता है उससे कहीं ज्यादा गंदी-गंदी गाली स्नेहा के मुंह से निकल रही थी।

रोहन को पता नहीं क्या हुआ कि एक तमाचा खींचकर स्नेहा के गाल पर दिया और बोला- बहन की लौड़ी, चुदवाने तू मेरे पास आई थी, मैं नहीं गया था तेरे पास… और मादरचोद इतनी शरीफ बन रही थी तो बुर चोदी अपनी बुर मेरे लंड पर कल क्यों रखी थी।

मैं समझ गई कि रोहन एक साईको है और कल रात जो मुझसे गलती हुई है वो मुझे आगे भारी पड़ने वाली है। जितनी गाली स्नेहा के मुंह में निकली थी, उससे कही ज्यादा रोहन के मुंह से निकल रही थी।

स्नेहा की आँखों में आँसू आ गए थे, स्नेहा के आंसू देखकर रोहन को अपने गलती का अहसास हुआ और उसने स्नेहा के गालों को चूमते हुए कहा- मेरी जान… मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे मुंह में मूतो और मैं तुम्हारे मुंह में मूतूँ!

स्नेहा चुदासी ज्यादा थी, शायद मार खाने के बाद भी उसने रोहन का कोई विरोध नहीं किया। रोहन नीचे बैठकर अपने मुंह को खोलते हुए बोला- चलो, तुम पहले मूत लो।
रोहन उसकी चूत को सहालते हुए बोला- चलो मूतो ना।

दो तीन बार ऐसा कहने के बाद एक हल्की सी धार स्नेहा के चूत से निकली और रोहन के होंठ को गीला कर गई।
रोहन अपनी जीभ होंठों पर फिराते हुए बोला- मेरी गांड मारू जान, तेरी मूत का स्वाद तो बहुत ही प्यारा है, चल और धार गिरा!
स्नेहा की गांड, चूतड़ों को पकड़कर अपनी ओर खींचता हुआ बोला- शाबास! चल शुरू हो जा।
रोहन स्नेहा के पुट्ठे को भींचता हुआ और उसके हौसले बढ़ाता हुआ बोल चल शर्म नहीं कर!
वह उसकी बुर में अपनी जीभ चलाते हुए उसका हौसला बढ़ा रहा था।

स्नेहा ने अपने थप्पड़ को भूलते हुए एक बार फिर धीरे धीरे धार छोड़ी, इस बार वो रुक रुक कर रोहन के मुंह में मूत रही थी, स्नेहा रोहन को मूत को गटकने का पूरा मौका दे रही थी।
रोहन भी उसके मूत को गटक रहा था।

जब स्नेहा पेशाब कर चुकी तो रोहन ने उसको पीछे की तरफ घुमा दिया।
स्नेहा की गांड अब मेरी आँखों के सामने थी, दोनों पुट्ठों को पकड़ कर रोहन ने फैलाया और फिर एक धार अपने मुंह से स्नेहा की गांड के ऊपर छोड़ी।
मतलब रोहन ने मूत को थोड़ा सा अपने मुंह में भर लिया था।

फिर रोहन उसकी गांड को चाटने लगा।
स्नेहा जो कुछ देर पहले गुस्से में थी अब उसके मुख से आओह… आह… ओह… की आवाज आ रही थी।

गांड चाटने के बाद रोहन खड़ा हो गया, स्नेहा समझ चुकी थी कि अब उसे भी वही सब करना है।
वो चुपचाप नीचे बैठ गई और अपने मुंह को खोल दिया।

इस बार रोहन धीरे-धीरे और बड़े ही प्यार के साथ स्नेहा को अपनी मूत पिला रहा था।
स्नेहा ने भी रोहन के साथ वही किया, उसने भी रोहन के गांड में कुल्ला किया और उसकी गांड चाटने लगी।
रोहन का लंड देखने से मुझे ज्यादा खुशी हो रही थी कि ससुराल में सबके लंड काफी बड़े थे।

स्नेहा एक कुतिया के माफिक झुक गई और रोहन उसकी चुदाई कर रहा था। मेरा कमरा दोनों की उत्तेजनात्मक आवाज से गूंज रहा था।
दोनों की चुदाई की मधुर आवाजें मेरे कानों में गूंज रही थी।

काफी देर से स्नेहा कुतिया वाले पोजिशन में खड़ी थी, रोहन कभी उसकी चूत को चोदता तो कभी उसकी गांड मारता।
स्नेहा पहले से खूब खेली खाई हुई थी।

कुछ देर तक इसी तरह चलता रहा, तब रोहन बोला- मेरी जान, मेरा माल निकलने वाला है।
स्नेहा बोली- अन्दर मत निकाल, पहले मेरे मुंह को भी चोद… और वहीं अपना माल निकालना!
कहते हुए स्नेहा वापस घुटने के बल बैठ गई और रोहन ने उसके मुंह में अपना लंड पेल दिया, उसका लंड स्नेहा के हलक के अन्दर तक जा रहा था, स्नेहा के मुंह से खों खों की आवाज आ रही थी।

चार-पांच धक्के के बाद रोहन ने अपना पूरा माल स्नेहा के मुंह में छोड़ दिया, वीर्य पीने के बाद स्नेहा ने रोहन के लंड को भी चाट कर साफ किया और उसके बाद रोहन स्नेहा की चूत को चाटने लगा।

दोनों की चुदाई देखकर मेरी भी चूत में आग लग गई थी और मैं बहुत ही देर से अपनी चूत में उंगली कर रही थी, जिसके परिणामस्वरूप मैं भी झड़ चुकी थी और मेरी उंगली गीली हो चुकी थी।
मैंने अब छिपना उचित नहीं समझा और पर्दे के पीछे से निकल आई।

दोनों मेरी तरफ आंखें फाड़ फाड़ देख रहे थे।

मैंने स्नेहा को अनदेखा करते हुए रोहन से कहा- तुम दोनों की चुदाई देख कर मैंने भी पानी छोड़ दिया!
कहते हुए मैंने उसको अपनी उंगली दिखाई जिसमें मेरी चूत का रस लगा हुआ था।

रोहन ने तुरन्त ही मेरी उंगली पकड़ी और उसे चाटने लगा।
तभी मैंने रोहन से कहा- तुम दोनों मिल कर मेरी चूत से निकलते हुए रस को चाटकर साफ करो!
कहते हुए मैंने अपनी नाईटी को ऊपर उठाया और अब स्नेहा और रोहन दोनों ही बारी-बारी से मेरी चूत चाट कर साफ कर रहे थे।

चूत चटाई होने के बाद रोहन बोला- भाभी अब तुम भी हो तो चलो दोनों की एक बार और चुदाई कर देता हूं।
‘ठीक है, चोद लो… लेकिन पहले मैं नीचे देख आऊँ कि किसी का ध्यान हम तीनों पर है या नहीं… फिर मैं आती हूँ और तुम्हारे लंड का पानी मैं और स्नेहा मिलकर निकालेंगी।

मैं नीचे आई तो सभी बातचीत में लगे हुए थे, मतलब किसी का ध्यान नहीं गया था।
तभी नमिता मुझे रोकते हुए बोली- भाभी, कहाँ जा रही हो?

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं नमिता को क्या कहूँ, तभी मेरे खुरापाती दिमाग ने नमिता को सही बात बताने के लिये कहा। बस दिमाग में बात आते ही मैं नमिता से बोली- तेरे भाई ने चोदने के लिये बुलाया है, आओ हम दोनों चलती हैं।

वो मेरी तरफ देखते हुये बोली- भाई तो ऑफिस में है?
‘नहीं, रितेश नहीं, रोहन ने!’
रोहन का नाम सुनकर चौंकी और बोली- कब???
‘कल रात उसने पहली बार मुझे चोदा था और आज स्नेहा के साथ साथ मुझे भी चोदना चाहता है।’
‘सच में?’ नमिता बोली।

‘हाँ! अगर विश्वास नहीं होता तो तुम भी चलो, तुम भी मजा ले लो।’
‘नहीं बाबा, मैं नहीं जा रही हूं। तुम जाओ और मैं यहाँ पर रहकर सबको देख रही हूँ… और जल्दी से निबटकर आओ। खाना भी बनाना है। नहीं तो शाम तक चुदने-चुदवाने का प्रोग्राम करोगी तो सब को पता चल जायेगा।’
कहकर वो चली गई और मैं ऊपर आ गई।

कहानी जारी रहेगी।
 

Top