Erotica लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग (सम्पूर्ण)

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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-1

मेरा नाम आकांक्षा है।
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यह मेरे साथ बीती हुई वो घटना है जिसका जिक्र मैं नहीं कर पा रही थी और अपने मन में नहीं रख पा रही थी।
पर भला हो अन्तर्वासना और शरद जी, जिन्होंने मेरी कहानी को अपने शब्द में मेरी इस घटना को पिरोया है, जिसकी वजह से मैं अपनी यह घटना आप लोगों तक पहुँचा पा रही हूँ।

कहानी शुरू करने से पहले मैं आप सभी से माफी इसलिये मांगती हूँ क्योंकि मैंने इस कहानी में खूब खुल कर जिस्म के अंगों के नाम लिये हैं ताकि आप लोग जब कहानी पढ़ें तो कहानी का मजा खुल कर लें।

मेरी कहानी मेरी कॉलेज लाईफ से शुरू हो जाती है।
मेरा Boy Friend जिसका नाम रितेश है,
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जो बाद में मेरे जीवन का हमसफर भी बना।

शुरू शुरू में जब हमने कॉलेज ज्वाईन किया तो केवल हम दोनों क्लास मेट ही थे।

वो पढ़ने में भी बहुत अच्छा था इसलिये मेरी उससे दोस्ती भी हो गई।
हमने पढ़ाई में ही तीन समेस्टर निकाल दिये।

वो मेरी बहुत हेल्प करता, लेकिन कॉलेज टाईम में ही… न तो उसने कभी मेरे घर आने की कोशिश की और न ही उसने मुझे अपने घर बुलाया।

हाँ… उसमें एक अजीब आदत थी, वो यह कि जब कभी भी ममैं उसके पास किसी प्रॉब्लम को लेकर जाती तो वो मेरी प्रॉब्लम सोल्व तो करता लेकिन बीच-बीच में मेरे उरोजों में झाँकने की कोशिश जरूर करता और मेरे उरोजों की गहराइयों को मापने की कोशिश करता।
शुरू में तो मुझे बड़ा अजीब से लगता पर बाद में उसकी इस हरकत का असर होना ही बंद हो गया।
हम दोनों लोकल ही थे।

अरे हाँ… मैं तो अपना पूरा परिचय देना तो भूल ही गई।
मेरा नाम आकांक्षा है, मैं लखनऊ की रहने वाली हूँ, पाँच फुट पाँच इंच लम्बी हूँ। मेरे यौवन के दिनों का फिगर 28-30-28 था। न तो मेरी छाती ही ठीक से विकसित हुई थी और न ही मेरे शरीर का दूसरा अंग।

मैं बहुत दुबली पतली थी फिर भी कॉलेज के लड़के मुझे लाईन मारने से नहीं चूकते थे।
कामेन्ट तो ये होते थे कि एक बार मिल जाये तो इसकी चूची दबा-दबा कर बड़ी कर दूँ तो ये और मस्त माल लगेगी।

शुरू में मुझे बहुत बुरा लगता था और रोना भी आता था।
लेकिन धीरे-धीरे आदत होती गई और कभी-कभी लड़को की कमेन्ट सुनकर जब मैं घर पहुँचती थी तो शीशे के सामने नंगी खड़ी हो जाती थी और अपने छोटे छोटे लटके हुए अपने उरोजों को निहारती और अपने हाथों से दबाने की कोशिश करती।

खैर अब मैं तो शादीशुदा हूँ और मेरे उरोज भी काफी बड़े, सुडौल और आकर्षक हो गये हैं।
बात चौथे समेस्टर की है, एक प्रोजेक्ट मिला था, वो मुझसे पूरा नहीं हो पा रहा था और रितेश कॉलेज से समय नहीं दे पा रहा था।
कई दिन टल जाने के बाद एक दिन मैंने मन में ठान लिया कि रितेश के घर पर ही प्रोजेक्ट पूरा करूँगी।
ऐसा सोचते ही मैं एक दिन रितेश के घर दोपहर में पहुँची तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला।

नमस्ते करने के बाद उन्होंने मुझे दूर से ही रितेश का कमरा दिखा दिया।
उस समय शायद रितेश की माँ के अतिरिक्त घर में कोई नहीं था।

मैं सीढ़ियों से चढ़कर रितेश के कमरे की तरफ बढ़ रही थी, कमरे के पास पहुँच कर मैं ठिठकी।
रितेश के कमरे का परदा हिल रहा था और उस परदे के हिलने से बीच-बीच में अन्दर क्या हो रहा है, दिखाई पड़ रहा था।

उसी बीच मैंने देखा कि रितेश कान में ईयर फोन लगा कर बिल्कुल नंगा बैठा है और अपने अंगूठे से अपने लंड के अग्र भाग के ऊपर चलाता और फिर उंगली को अपनी जीभ से चाटता।

मैं एकदम शॉक्ड हो गई रितेश का यह रूप देख कर…
मैं थोड़ी देर खड़ी रही और रितेश को देखती रही।

रितेश की हरकत और नंगा बदन देख कर मेरे शरीर में हल्की से अकड़न होने लगी और मुझे लगा कि मेरे शरीर से कुछ निकल रहा है। स्वत: ही मेरे हाथ मेरे नाजुक अंग पर चले गये और मुझे कुछ गीलापन सा लगा।

उस समय मैंने सलवार सूट पहना हुआ था तो सलवार के ऊपर से ही उस नाजुक स्थान को साफ करने लगी।

मेरा दिमाग में अब रितेश को नंगा देखने का खुमार चढ़ चुका था।
मैंने थोड़े से परदे को हटाते हुए उसको आवाज लगाई और ऐसे कमरे में प्रवेश किया जैसे मैंने कुछ देखा ही नहीं हो।

इस तरह अचानक मेरे अन्दर आने से रितेश हड़बड़ा गया और पास पड़ी हुई टॉवल को अपने नीचे के नंगे अंगों को छुपा लिया।
'ओह… I am sorry… बोल कर मैं वापस जाने लगी तो रितेश मुझे रोकते हुये बोला- कोई बात नहीं, अब अन्दर आ ही गई हो तो बैठो।
मैंने बैठते हुए पूछा- तुम नंगे बैठे हो कोई ऊपर नहीं आता क्या?
वह तौलिये को लपटते हुए खड़ा हुआ और दरवाजे को अन्दर से बन्द करते हुये बोला- शायद आज मैं दरवाजा बन्द करना भूल गया। तुम बताओ कैसे आना हुआ?

'वही प्रोजेक्ट में तुम मेरी मदद करो।'
वो बोला- ओह…

फिर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुये बोला- तुम्हें भी मेरी मदद करनी होगी।
मैंने बिना कुछ सोचे उसे हाँ बोल दिया और पूछा- कैसी हेल्प करनी है?
तो उसने मुझसे पक्का वादा लेते हुए कहा- तुम इंकार नहीं करोगी?

मैं इन तीन समेस्टर में उसके इतने करीब आ चुकी थी कि मुझे उससे प्यार हो गया था और उसके लिये मैं सब कुछ कर सकती थी जो भी वो मुझसे चाहता इसलिये मेरे हाँ कहते ही वो मुझसे बोला- तुम मुझसे प्यार करती हो?

मैं अचकचा गई और हकलाते हुए मैंने उससे हाँ बोल दिया।
तो उसने खुश होते हुए मुझे कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया।

यह मेरे जीवन का पहला क्षण था कि जब मैं किसी मर्द के बाँहो में इस तरह से जकड़ी हुई थी।

थोड़ी देर वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ा रहा, फिर मुझे अपने से अलग करता हुआ मुझे कम्प्यूटर के पास बैठाया और एक चैट डॉयलॉग बाक्स को दिखाते हुए बोला- जिससे मैं चैटिंग कर रहा हूँ, ये एक मेल और फीमेल हैं और दोनों मुझसे चैट तो कर रहे हैं लेकिन वेब कैम में नहीं आ रहे है। इनका कहना है कि अगर तुम्हारा कोई फीमेल पार्टनर हो तो ही वो दोनों वेब कैम में सामने आयेंगे। अगर तुम मेरी पार्टनर बन जाओ तो मजा आयेगा। फिर जैसा मैं बोलूँगा, वो दोनों करेंगे और फिर जो वो दोनों बोलेंगे हम दोनों को करना पड़ेगा।

मैंने थोड़ा सा मुंह बनाते हुए बोला- इसलिये तुम नंगे बैठे हो और चाहते हो कि मैं भी नंगी हो जाऊँ?
उसने मुस्कुराते हुये हाँ में सिर हिलाया।

उसकी इस बात से मेरी आँखों में आँसू आ गये।
मेरी आँखों में आँसू आने के कारण वो मेरे आँसू को पौंछते हुए बोला- आकांक्षा, तुम परेशान मत हो… नहीं करना है तो मत करो। पर मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और समेसटर ओवर होने के बाद जैसे ही मुझे जॉब मिलेगी मेरी जीवन संगिनी तुम ही रहोगी। चाहे तुम इस समय मेरे साथ हो या न हो।

उसकी इस बात को सुन कर पता नहीं मुझे कैसे उस पर विश्वास हो गया और बिना कुछ बोले मैं उसके साथ वेब कैम पर उसके सामने बैठ गई।
थोड़ा मुझे संकोच तो हो रहा था, फिर भी मुझे पता नहीं क्यों रितेश पर अपने से ज्यादा भरोसा होने लगा।

वेब कैम की रिक्वेस्ट रितेश ने भेजी जो दूसरी ओर से तुरन्त ही एक्सेप्ट कर ली गई।

दूसरी तरफ भी एक यंग कपल था।
उसने सबसे पहले ऑफर भेजा कि तुम अपनी पार्टनर के कुर्ते के अन्दर हाथ डालो।

रितेश ने वैसे ही किया पर मेरा हाथ ने उसके हाथ को बीच में ही रोक लिया।
तभी सामने से कमेन्ट आया कि तुम्हारी पार्टनर तो तैयार ही नहीं है।

इस पर रितेश को मेरे ऊपर हल्का सा गुस्सा आया और वो अपनी चैटिंग बन्द करने वाला ही था, पता नहीं मुझे क्या हुआ कि अचानक मैंने रितेश का हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रख दिया।
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रितेश मेरे उरोजों को सामने से आते हुए कमेंट के अनुसार दबाता और बीच में मेरे उरोजों के दानों को दबाता।
रितेश के ऐसा करते रहने से मेरे ऊपर एक बार फिर से उत्तेजना हावी होने लगी।

फिर रितेश ने उनसे भी वैसा ही करने को कहा, तो दूसरे कपल ने भी वैसा ही किया।
इस तरह दो चार-छोटी हरकत करवाने के बाद उसने लिखा- अब हम दोनों पूरी तरह सहमत हैं और अब जो चाहो वो ऑन कैम हम लोग गेम खेल सकते हैं।

दूसरा कपल जिसका नाम टोनी और मीना था,
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दोनों नोएडा के रहने वाले थे।
उसमें से मीना चैट करने लगी और रितेश से बोली- आकांक्षा को अपनी गोदी में बैठाओ।
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अब मेरी भी झिझक खत्म हो चुकी थी इसलिये रितेश के कहने से मैं उसके ऊपर बैठ गई।
तभी पता नहीं रितेश को क्या याद आया, वो तुरन्त उठा और नेकर पहन कर नीचे गया और थोड़ी देर बाद ऊपर आया।

मैंने उससे पूछा तो बताया कि नीचे माँ को देखने गया था, वो अब सो रही है।
कहकर उसने अपनी नेकर उतारी और फिर नंगा होकर बैठ गया और मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया।
इस समय रितेश के लिंग सिकुड़ा हुआ सा था।

मैं कालेज की एक लड़की हूँ, फिर भी मुझे थोड़ा संकोच था कि मैं चूची, बुर, चूत, लंड, लौड़ा, गांड ऐसे शब्दों का यूज करूँ।
यहाँ तक कि मेरी सहेलियाँ भी मुझे ओल्ड फैशन्ड कहती थी और वो खुले आम जब भी कोई लड़का मूतता था तो बोलती थी- देख क्या लंड है उसका!

लेकिन मेरे सेक्स की दुनिया रितेश के घर बिताये हुए उस दोपहर के पल ने बदल दी।
खैर! तभी टोनी ने लिखा कि आकांक्षा को अपने ऊपर इस तरह खड़ा करो कि उसकी गांड तुम्हारे मुँह के पास हो और उसकी सलवार उतार कर मुझे उसकी चूत को दिखाओ।

रितेश ने मेरी तरफ देखा और बोला- टोनी, तुम्हारी चूत देखना चाहता है।
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मुझे ये शब्द बड़ा अजीब सा लगा लेकिन मुझमे खुमारी भी बढ़ती जा रही था और मजा भी आ रहा था इसलिये मैं बिना कुछ बोले अपनी जगह पर खड़ी हुई।
उसी समय रितेश ने कैम को ऐसा सेट किया कि उसका केवल दूसरी तरफ मुँह दिखे।

दूसरी तरफ से ओ॰के॰ आने पर रितेश वापस चेयर पर बैठ गया और मैं उसकी जांघों पर खड़ी हो गई। मेरा चूतड़ सॉरी मेरी गांड ठीक रितेश के मुँह पर थी।

टोनी ने जैसा कहा, रितेश ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को मुझसे अलग कर दिया।
मेरे हाथ अपने आप ही मेरी योनि एक बार फिर से सॉरी चूत पर चले गये और दोनों टांगें आपस में सिकोड़ने लगी।

तभी टोनी का फिर मैसेज आया- चड्डी उतारो।
पर इस बार रितेश थोड़ा रूक गया और मैसेज टाईप करने लगा जिसमे उसने टोनी से कहा- मीना भी अपने पूरे कपड़े उतारे।
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मैसेज डिलिवर होते ही मीना ने एक झटके में अपने पूरे कपड़े उतार दिए।
मीना की चूची काफी बड़ी-बड़ी थी और उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था।

मीना ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने हाथ से अपनी चूत को फैलाया, फिर अपने हाथ से ही अपनी चूची को दबाती और अपने निप्पल को अपनी जीभ से चाटती।

अब रितेश की बारी थी उसने भी मेरी चड्डी को मेरे से अलग कर दिया और मेरी गांड में अपने हाथ फेरते हुए बोला- आकांक्षा, तुम्हारी गांड तो बहुत ही चिकनी है!
कहकर दो-तीन किस उसने मेरी गांड पर कर दिए।

मैं अचकचा सी गई।
मेरी भी उलझन बढ़ती जा रही थी और मेरी चूत के एक अजीब सी खुजली सी हो रही थी।

तभी टोनी का मैसेज आया- तुम इसकी चूत चिकनी नहीं रखते हो क्या?
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रितेश क्या बोलता।

उसने टोनी से कहा कि वो अपना लंड मीना से चुसवाये।
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रितेश के कहने पर टोनी खड़ा हुआ तो उसका लंड तना हुआ था और काफी लम्बा नजर आ रहा था।

टोनी के लंड को मीना अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मीना को ऐसा करते देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।

मीना बड़े प्यार से टोनी का लंड चूस रही थी, कभी वो टोनी के पूरे लंड को अपने मुँह के अन्दर डालती तो कभी उसके लंड के अग्र भाग को अपनी जीभ से चाटती।
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काफी देर ऐसा करने के बाद जब मीना ने टोनी के लंड को अपने मुँह से निकाला तो टोनी का लंड सिकुड़ गया और उसी समय मीना ने अपने मुँह को कैमरे के सामने खोल दिया उसके मुँह में कुछ सफेद सा था।
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तो मेरी जिज्ञासा बढ़ गई तो इस बार मैंने मैसेज लिखा- टोनी, तुम्हारा लंड तो टाईट था अब सिकुड़ क्यों गया और मीना के मुँह में ये सफेद-सफेद क्या है?

मेरे मैसेज को पढ़ते ही दोनों हँसने लगे।
फिर मीना उधर से मैसेज टाईप करने लगी और मुझसे पूछा- सही बताना, आज तक चुदी हो या नहीं? या सेक्स के बारे में नहीं जानती हो क्या?

मेरे 'नहीं' लिखने पर फिर वो बताने लगी कि मेरे मुँह जो सफेद सा पदार्थ देखा था वो टोनी का वीर्य था। और टोनी का जब वीर्य निकल गया तो उसका लंड सिकुड़ कर छोटा हो गया। तुम भी रितेश का लंड चूसो और उसका वीर्य अपने मुंह में लो, बड़ा मजा आयेगा।

मीना जल्दी जल्दी मैसेज टाईप कर रही थी, उसने रितेश को खड़ा होने के लिये बोला, जैसे ही रितेश खड़ा हुआ और मेरी नजर उसके लंड पर गई तो मेरा हाथ अपने आप मेरे होंठ से चिपक गया।

हालाँकि मैंने पूरी तरीके से किसी मर्द का लंड नहीं देखा था फिर भी रितेश का लंड काफी बड़ा नजर आ रहा था।

तभी मीना ने फिर से टाईप किया और बोली- जैसे मैंने टोनी के लंड को चूसा था, वैसे तुम रितेश के लंड को चूसो।
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मेरे सिर पर उत्तेजना हावी होती जा रही थी और संकोच भी खत्म हो गया था तो मैंने रितेश का लंड अपने मुँह में लिया और जिस तरह मीना टोनी के लंड की चुसाई कर रही थी, ठीक वैसे ही मैं भी रितेश का लंड चूस रही थी।
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जैसे-जैसे मैं रितेश का लंड चूस रही थी वैसे-वैसे मेरे शरीर में भी एक अजीब सी उत्तेजना में वृद्धि हो रही थी और रितेश के मुँह से अजीब सी आवाज आ रही थी और वो मेरे सिर को बड़े ही ताकत के साथ अपने लंड के और करीब लाता जिससे उसका लंड मेरे हल्क तक चला जाता जिसके कारण मुझे घुटन सी होती।
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अचानक रितेश को पता नहीं क्या हुआ, वो मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड से मुझको अलग करने लगा और बोलने लगा- आकांक्षा, मेरा निकलने वाला है, तुम अपना मुँह हटा लो।

उधर टोनी और मीना हम दोनों को एकटक देख रहे थे और रितेश की हरकत से मीना समझ गई कि वो मुझे अपने से अलग करना चाहता है।
इसलिये उसने फिर मैसेज लिखा- अपनी कुतिया के मुँह में उल्टी कर!
मैंने मैसेज तो पढ़ लिया लेकिन रितेश मैसेज नहीं पढ़ रहा था और वो कोशिश कर रहा था कि वो अपना लंड मेरे मुंह से निकाल ले।
मैं उसके लंड को निकाल कर खड़ी हुई और उससे चिपकते हुए बोली- रितेश, मैं समझ गई कि तुम अपना वीर्य मेरे मुँह में क्यों नहीं आने देना चाहते हो। पर तुम मेरा प्यार हो और तुम्हारे लिये मैं कुछ भी कर सकती हूँ। कभी भी तुमसे नहीं बोलूँगी कि ये गलत है या था। हाँ… तुमको अगर पसन्द होगा तो! और जब तुम अपने लंड का पानी खुद चख सकते हो तो मैं क्यो नही।

जितनी देर मैं रितेश से चिपकी रही उतनी देर वो मेरी गांड को सहलाता रहा।
फिर मैं नीचे बैठी और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
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रितेश की सिसकारियाँ बढ़ने लगी वो बड़बड़ाये जा रहा था- जानू, तुम मेरा माल अपने मुँह में ले लो पर गटकना नहीं!
कहकर वो झड़ने लगा और उसका वीर्य से मेरा मुँह भर गया और कुछ हिस्सा मेरे मुँह से बाहर आ गया।
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रितेश ने मुझे उठाया और अपने मुँह को मेरे पास करते हुए बोला- आधा तुम मेरे मुँह में डाल दो।

मैंने ऐसा ही किया आधा मैं पी गई और आधा रितेश पी गया।

थोड़ा सा कसैला और बदबूदार लगा था मुझे पहली बार फिर भी रितेश के लिये मैं पी गई।

रितेश का बाकी का माल जो मेरी कुर्ती पर गिर गया था वो उसको चाटने लगा।
और फिर मेरी कुर्ती और शमीज उतार कर मुझे भी पूरी तरह नंगी कर दिया।

तभी टोनी का मैसेज फिर आया उसमें लिखा था कि क्या तुमने (रितेश) ने उसको (मुझे) कभी चोदा है?

रितेश ने तुरन्त ही उत्तर दिया- नहीं, यह हम दोनों के लिये पहली बार है जो हम तुम्हारे सामने कैम पर हैं। आज से पहले मैंने आकांक्षा को कभी भी नंगी भी नहीं देखा था।

'इसका मतलब आकांक्षा अभी तक नहीं चुदी है।'
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तभी मैंने लिखा- नहीं, मैं अभी तक नहीं चुदी हूँ और न इसके बारे में जानकारी है।
टोनी ने मैसेज लिखा- चलो, आज तुम दोनों को कैसे चुदने का खेल होता है, ये दिखाता हूँ। बस इतना करो कि अपनी कुर्सी को 90 डिग्री में घुमा लो और आकांक्षा को अपने गोदी में बैठा कर कस कर चिपका लो और फिर हमारा खेल देखो।


कहानी जारी रहेगी।
NICELY DESCRIBE
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-2
मैं और मेरा क्लासमेट वेब कैम पर सेक्स चैट कर रहे थे।
जब सामने वाले जोड़े को पता चला कि मैं अभी तक बिन चुदी हूँ तो उन्होंने कहा कि वे कैम पर हमें दिखाने के लिए चुदाई करते हैं।
हमने अपनी कुर्सी को 90 डिग्री में घुमा लिया और मैं रितेश के ऊपर चढ़ कर बैठ गई जैसा कि मीना और टोनी ने हमें करके बताया था।
मुझे रितेश ने कस कर पकड़ लिया, मेरी छाती और रितेश की छाती आपस में चिपक गई थी।
मेरे और रितेश के गाल आपस में इस तरह सटे हुए थे कि हम दोनों ही आसानी से उन दोनों के चुदाई के खेल को देख सकते थे।
उधर टोनी और मीना ने अपना खेल प्रारम्भ कर दिया।
टोनी ने कुर्सी पर बैठे ही अपनी दोनों टांगों को हवा में उठा लिया और टोनी अपने घुटने के बल बैठ कर मीना की चूत चाटने लगा।
थोड़ी देर चूत चाटने के बाद टोनी खड़ा हुआ और अपना लंड मीना की चूत में एक झटके से डाल दिया और उसके बाद आगे पीछे होने लगा।
जब टोनी जोर-जोर से मीना की चूत में धक्के मार रहा था तो मीना की चूची बहुत तेज तेज हिल रही थी।
उन दोनों के चुदाई के इस खेल को देखने से मेरे अन्दर भी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और शायद रितेश के जिस्म में भी गर्मी बढ़ती जा रही थी।
रितेश का हाथ कभी मेरी पीठ को सहलाता और कभी मेरी गांड के उभारों को सहलाता और बीच-बीच में अपनी उंगली को मेरे गांड की छेद के अन्दर डालने की असफल कोशिश करता।
उधर थोड़ी देर धक्के लगाने के बाद मीना उठी और अपने दोनों पैरों के घुटने के बल पलंग पर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथ को आगे की ओर टिका कर झुक गई।
मैंने रितेश से पूछा- ये क्या है?
रितेश ने तुरन्त ही वैसा ही प्रश्न टोनी से पूछा।
तो टोनी ने अपने वेब कैम को जूम करते हुए बताया कि ये कुतिया की पोजिशन है। इसमे मैं मीना की चूत में पीछे से लंड डालूँगा और उसकी गांड भी मारूँगा।
टोनी के अपने कैम को जूम करने से मीना की चूत और गांड साफ-साफ दिख रही थी।
उसके बाद टोनी ने एक बार फिर मीना की चूत में अपना लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा।
मीना ने अपनी गर्दन को मेरी तरफ मोड़ा और मुझे आँख मारते हुए अपने एक हाथ से अपने चूतड़ के उभार को सहलाने लगी।
कुछ देर इस तरह करने के बाद टोनी हल्के से एक साईड हुआ और मीना की गांड को थोड़ा सा फैलाते हुए उसकी छेद पर पहले तो थुका और उसके बाद फिर अपनी उंगली से छेद के अन्दर डालने लगा, उसके बाद फिर अपनी जीभ उसके आस पास के क्षेत्र में चलाने लगा और उस छेद को भी चाटने लगा।
उसकी इस हरकत से मेरे शरीर का दम निकला जा रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे नीचे से कोई धार फूट रही हो।
रितेश के भी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, वो मेरी गांड के पीछे से अपने हाथ को चलाते हुए मेरी चूत को छू रहा था।
मेरा रस उसके अंगों में और हाथों में लग गया था।
वो मुझसे बोला- तुम्हारा पानी छूट गया है।
मुझे बड़ी शर्म सी लग रही थी लेकिन रितेश से चिपकना मेरी जिंदगी का सबसे हसीन पल भी था। इसलिये उसकी इस बात को सुनकर मैंने हौले से उसके गाल को चूम लिया।
जब टोनी थोड़ी देर तक मीना की गांड चाट चुका तो उसने अपने लंड को मीना की गांड के अन्दर डाल दिया, फिर उसी तरह वो धक्के पे धक्का दिये जा रहा था और बीच-बीच में मीना की चूची को जोर से मसल देता था।
आवाज तो नहीं आ रही थी पर मीना के भाव से लग रहा था कि चूची जोर से मसलने के कारण उसे दर्द हो रहा होगा और इसलिये वो अपने होंठों को अपने दाँतों के बीच दबा रही थी और उसकी आँखें चढ़ी हुई थी।
टोनी भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था, वो कभी अपने लंड को मीना की गांड में डालता तो कभी उसकी चूत में डालता।
फिर थोड़ी देर बाद मीना सीधी बैठ गई और टोनी ने अब अपने लंड को मीना के मुँह में डाल दिया और अपना पूरा माल मीना के मुँह में डाल दिया जिसे मीना ने पूरा चूस लिया।
उसके बाद टोनी नीचे बैठ कर मीना की टांगो को फैलाते हुए उसकी चूत को चाटने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों लोग कम्प्यूटर के सामने आकर बैठ गये और एक दूसरे के होंठ को चूमने लगे।
उसके बाद टोनी ने मैसेज भेजा कि मेरी प्यारी बीवी की चूत और गांड चुदाई कैसी लगी।
रितेश ने तुरन्त ही मैसेज दिया- यार, बड़ा मजा आया। जिन्दगी में पहली बार लाईव चुदाई देख रहा हूँ।
तभी टोनी बोला- चलो, अब तुम आकांक्षा को चोदो।
इतना पढ़ते ही रितेश ने मुझे गोदी उठाया और पलंग पर लेटा दिया और जिस तरह से टोनी ने झटके से मीना की चूत में अपना लंड डाला, उसी तरह से रितेश भी मेरी चूत में अपना लंड डालने की कोशिश कर रहा था पर जा नहीं पा रहा था।
हम दोनों ही सोच में पड़ गये कि ऐसा कैसे है कि टोनी एक झटके में मीना की चूत और गांड में अपना लंड डाल रहा था और रितेश का लंड मेरी चूत में जा ही नहीं रहा था।
काफी देर ऐसा करते रहने पर भी रितेश का लंड मेरी चूत के अन्दर नहीं गया।
तभी मेरी नजर स्क्रीन पर पड़ी तो देखा कि दोनों हँस रहे थे।
तभी टोनी ने अपने हाथ से इशारा करके हम दोनों को कम्प्यूटर के पास बुलाया और मैसेज भेजा कि मीना पहले से चुदी चुदाई है इसलिये उसकी चूत और गांड में मेरा लंड आसानी से चला गया और तुम दोनों का यह पहला मौका है। इसलिये रितेश तुम कोई क्रीम लेकर पहले अपने लंड पर लगाओ और उसकी चूत के अन्दर भी लगाओ। उसके बाद आकांक्षा को बिस्तर पर लेटाओ और उसे कहो कि वो अपने हाथों से अपनी चूत के छेद को खोले और फिर तुम उस छेद के अन्दर अपने लंड को धीरे-धीरे डालना। जब तुम्हारा पूरा लंड तुम्हारे पार्टनर की चूत के अन्दर चला जाये तभी तुम मेरी तरह धक्के लगा सकते हो।
फिर उसने मुझे भी समझाया- तुम पहली बार किसी मर्द का लंड अपनी चूत में लोगी और तुम्हें बहुत दर्द भी होगा पर तुम बर्दाश्त कर लेना। एक बार तुमने लंड का मजा ले लिया तो फिर मीना की तरह आसानी से किसी का भी लंड अपनी चूत में ले सकती हो। और हाँ दोनों चुदाई करते समय हम लोगों की तरफ देखते रहना।
उसके बाद रितेश क्रीम ले आया, पहले अपने लंड पर लगाई, फिर अपनी उंगली से मेरी चूत के अन्दर लगाई और वो अपने लंड को मेरी चूत में डालने लगा।
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लेकिन इस बार भी उसका लंड फिसल कर बाहर आ जा रहा था।
हम दोनों लगातार टोनी की तरफ देख रहे थे।
जब इस बार भी लंड मेरी चूत में नहीं गया तो टोनी ने मीना को पलंग पर लेटाया और उसकी कमर के नीचे दो तकिया रख दिए, मीना ने अपनी चूत फैला दी और टोनी एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा।
अब रितेश ने भी ऐसा ही किया और मेरी कमर के नीचे उसने दो तकिया लगाए जिससे मेरी कमर का हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गया।
उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया और रितेश ने अपने लंड को पकड़ कर जैसे ही मेरी चूत के अन्दर डाला, मुझे ऐसा लगा कि मेरे अन्दर कुछ बहुत ही गर्म चीज ने प्रवेश कर गया है।
मेरे दोनों हाथ स्वतः ही मेरी चूत से हट गये और मैं झटके से पीछे खिसक गई।
रितेश ने मुझसे पूछा तो मैंने बताया कि तुम्हारा ये (उसके लंड की ओर इशारा करके) बहुत ही जल रहा है।
रितेश बोला- और मुझे लगा कि मेरा लंड किसी गर्म तवे में टच कर गया है।
तभी टोनी का मैसेज आया, उसमें लिखा था- पहली बार ऐसा होता है।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे ही, इसलिये कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी हम दोनों ने आँखों ही आँखों में इशारा किया। क्योंकि दोनों को यह बात तो पता थी कि पहली बार कुछ दर्द या अजीब सा होता है और फिर खूब मजा आता है।
टोनी और मीना ने भी हमको यही बताया था।
इसलिये एक बार फिर हम दोनों ने अपनी पोजिशन ली।
इस बार जब रितेश ने अपने लंड को मेरे अन्दर किया तो मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली और रितेश ने भी एक जोर से धक्का लगाया तो मुझे लगा कि मेरे अन्दर कुछ कट सा गया है और मैं चीख पड़ी।
रितेश ने मेरे मुँह में हाथ रख दिया, इससे मेरी चीख अन्दर ही घुट कर रह गई।
यह तो अच्छा था कि तो वक्त दोपहर का था और रितेश की मम्मी अपने कमरे में सो रही थी, शायद इसलिये उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, नहीं तो उनको अब तक रितेश के कमरे में होना चाहिए था।
रितेश मुझे लगभग डाँटते हुए बोला- मरवायेगी क्या? मम्मी ऊपर आ सकती है?
दर्द के मारे मेरे आँख से आँसू निकल रहे थे और लगभग रोते हुये बोली- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
रितेश मेरे ऊपर झुक गया और मेरी आँखों से निकलते हुये आँसू को पीने लगा और बोला- पगली मुझे भी तो ऐसा लग रहा है कि मेरे लंड का चमड़ा फट गया है और मुझे भी खूब जलन हो रही है। थोड़ी देर और बर्दाश्त करते हैं।
अब हम लोग केवल अपने में ध्यान दे रहे थे।
उसके बाद रितेश ने अपने को थोड़ा पीछे किया और एक बार फिर जिस तरह से टोनी ने बताया था उसी प्रकार से धक्का दिया।
इस बार मुझे ऐसा लगा कि मेरे हलक तक कुछ घुस गया है।
जिस प्रकार उल्टी आने पर मुंह खुलता है ठीक उसी प्रकार मेरा मुँह खुल गया और आँखें ऐसा लग रही थी कि बाहर आ जायेगी।
पता नहीं रितेश को क्या सूझी कि वो मेरे ऊपर गिर गया और मेरे स्तनों को दबाने लगा और मेरे स्तन की घुंडी को अपने मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा।
उसके थोड़ी देर ऐसा करते रहने से मेरे शरीर के अन्दर एक अजीब सी सिरहन सी उठने लगी और मुझे लगने लगा कि मैं रितेश को अपने अन्दर ले सकती हूँ। और पता नहीं क्या हुआ कि मेरी कमर खुद-ब-खुद ऊपर की ओर उठने लगी मानो कह रही हो 'रितेश, मेरे ऊपर लेटो नहीं, आओ मेरे अन्दर आओ।'
शायद रितेश को भी मेरी कमर उठने का भान हो गया इसलिये वो सीधा हुआ और अपने लंड को एक बार फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक जोर से धक्का दिया।
उसके बाद वो धक्के पे धक्का देता रहा और उसके धक्के को मैं अपने अन्दर महसूस करती रही।
हालाँकि उसके इस तरह के धक्के से मुझे तकलीफ हो रही थी और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर पता नहीं कब वो सिसकारी उत्तेजना भरी आवाज में बदल गई।
ठीक यही हालत रितेश की भी हो रही थी, उसके चेहरे से पसीना निकल रहा था और अपनी पूरी ताकत और वेग के साथ मेरे अन्दर आने की कोशिश कर रहा था।
कभी वो तेज धक्के लगाता तो कभी सुस्त पड़ जाता मानो थक गया हो… और फिर तेज धक्के लगाने लगता।
इसी क्रम में मेरा जिस्म भी उसका साथ देता।
मैं कभी उत्तेजनावश उसकी पीठ में नाखून गड़ा देती तो कभी उसकी घुंडी को दोनों उंगलियों के बीच में लेकर मसल देती।
वो भी गुस्से में आकर मेरे गाल में एक चपत लगा देता।
उधर मेरी चुदाई का आनन्द टोनी और मीना भी ले रहे थे।
तभी रितेश का शरीर अकड़ने लगा और फिर ढीला पड़ गया और मुझे लगा कि मेरे अन्दर को लावा फूट गया हो।
रितेश हाँफते हुए मेरे ऊपर गिर गया।
रितेश ने अपने लंड को मेरे भीतर ही पड़े रहने दिया, बाहर निकालने की कोई कोशिश नहीं की।
थोड़ी देर बाद उसका लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया और रितेश मुझसे अलग होकर मेरे बगल में लेट गया।
पहली बार मुझे वो आनन्द प्राप्त हुआ जो मैं अपनी सहेलियों से सुनती थी।
हालाँकि मेरे योनि के अन्दर एक जलन सी हो रही थी।
मुझे इस समय रितेश पर बहुत प्यार आ रहा था, मैं उसके बाल सहला रही थी।
फिर रितेश और मैं दोनों अपनी जगह से उठे क्योंकि हम दोनों को ही अपने नीचे कुछ गीला सा लग रहा था।
उसी समय मेरी और रितेश की नजर बिस्तर पर पड़े हुए खून पर गई।
पता नहीं रितेश को क्या हुआ वो एकदम से अलमारी के पास गया और रूई निकाल लाया और मुझे बिस्तर पर बैठा कर मेरी टांगें फैला कर मेरी चूत और उसके आस पास की जगह को साफ किया।
उसके बाद वो मुझसे बोला- आकांक्षा यह मेरे और तुम्हारे मिलन की निशानी है, अब जिन्दगी भर ये मेरे पास रहेगी!
कहकर उसने उसे एक छोटी सी पन्नी के अन्दर रख लिया।
तभी मेरा ध्यान कम्प्यूटर पर गया, अब टोनी और मीना भी एक दूसरे को आगोश में लेकर चूम रहे थे।
रितेश और मैं उठ कर पास आये, टोनी ने विक्टरी का निशान बनाते हुए एक आँख मार दी।

मैं थोड़ा सा शरमा गई जबकि रितेश के चेहरे पर एक मुस्कान थी।
कहानी जारी रहेगी।
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-3

हमारी पहली चूत चुदाई के बाद टोनी ने एक मैसेज भेजा, जिसमें रितेश के लिये लिखा था- तुम मेरी मीना को चोद लो और मैं आकांक्षा को।
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रितेश ने मेरी तरफ देखा तो मैंने मना कर दिया।
जिस पर रितेश ने भी मना कर दिया।
उसके बाद टोनी ने कहा- जब कभी भी तुम दोनों के मन में अदला बदली का ख्याल आये तो हमें कॉल करना।
कह कर हम दोनों ने एक दूसरे से विदा ली।
उसके बाद मैंने भी अपने कपड़े पहने और घर चली आई।
मैं लगभग एक महीने तक रितेश के घर नहीं गई और न ही रितेश ने मुझे कभी फोर्स किया।
हाँ, अब कॉलेज में मैं और रितेश खूब समय बिताते और रितेश अब मेरी हर छोटी छोटी बातों का ध्यान रखता।
लेकिन अब एक बार जो आग लग चुकी थी उसे मैं चाह करके भी काबू में नहीं कर पा रही थी और न ही रितेश को बता पा रही थी।
पर एक दिन उसने मुझसे कहा कि उसका मन एक बार फिर मुझमें समाने के लिये कर रहा है।
मन में मेरे भी आग लगी थी, मैंने भी मौन स्वीकृति दे दी।
उसने सबकी नजरों को बचाते हुए मेरे गालों की पप्पी ली और मेरे स्तन को दबा दिया।
मुझे या शायद किसी को भी नहीं पता होता कि कल क्या होने वाला होगा लेकिन रितेश जैसा जीवन साथी मिलना बहुत ही नसीब की बात होती है।
दो दिन बाद रितेश ने मुझे बताया कि आने वाले रविवार को उसके घर में कोई नहीं होगा और अगर मैं चाहूँ तो…
कहकर उसने अपनी बात को बीच में ही रोक लिया, जिसको मुझे पूरा समझने में कोई परेशानी नहीं हुई।
मैंने उसे एक बार फिर अपनी स्वीकृति दे दी।
मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि रितेश मुझसे जो कहता जा रहा था, मैं उसकी किसी बात को नहीं काट पा रही थी।
लेकिन अब एक बार जब सीमांए टूट गई तो अब उस सीमा को फिर से वापस बांधना मुश्किल सा था।
खैर मैंने रितेश से पूछा कि मैं उसके पास कैसे कपड़े पहन कर आऊँ तो वो बोला- देख, हम लोग जो करेंगे, नंगे होकर ही करेंगे, इसलिये तुम्हें कोई सेक्सी कपड़े पहन कर आने की जरूरत नहीं है, और वैसे भी तुम मेरे लिये हर कपड़े में सेक्सी ही हो।
मेरे लिये एक बहुत बड़ी समस्या खतम हुई क्योंकि अगर मैं घर से कुछ खास कपड़े पहन कर निकलती तो घर वालों से काफी झूठ बोलना पड़ता।
खैर रविवार का दिन आया और मैंने घर वालों से प्रोजेक्ट का बहाना बनाया और अपने रितेश के पास पहुँच गई।
रितेश ने दरवाजा खोला, वो नंगा था और उसका लंड बिल्कुल डण्डे के समान तना हुआ था।
घर के अन्दर घुसते ही रितेश ने मुझे दबोच लिया, अपने जिस्म से चिपका लिया और मेरे गालों, होंठों, गर्दन जहां पर उसने चाहा, चुम्मे की झड़ी लगा दी।
मुझे भी वहीं नंगी कर दिया और गोदी में उठा कर अन्दर ले आया।
जब मैं उसकी गोदी में थी तो मैंने भी रितेश को चूमना शुरू किया।
फिर उसने मुझे सोफे पर बैठाया और मेरी टांगें चौड़ी करके मेरे योनि, अरे… योनि नहीं… चूत के अग्र भाग को फैलाते हुए उसमे उंगली करने लगा और उसके बाद उसमें अपनी जीभ लगा दी।
थोड़ी देर तक अपनी जीभ से मेरी चूत की मालिश करने के बाद रितेश खड़ा हुआ।
तब मैंने पहली बार उसके लंड को साफ साफ देखा जो एकदम से तना हुआ था और उसके लंड के हिस्से वाला भाग बाल रहित था जबकि अभी भी मेरी चूत में बालों की भरमार थी।
मैं रितेश से बोली- यार, तेरे इस जगह बाल क्यों नहीं हैं?
तो वो मुस्कुराते हुए बोला- मैं इसे बनाकर रखता हूँ।
'तो मेरे भी बना दो…' मैंने उसकी ओर खुमारी भरी नजर से देखा।
वह तुरन्त मुड़ा, पहली बार मैंने नंगे रितेश को चलते हुए देखा उसके पीछे का हिस्सा ऊपर नीचे हो रहा था और उसकी गांड के बीचोंबीच एक लकीर सी खिंची हुई थी जो मेरे लिये बड़ा ही अनोखा था।
दो मिनट बाद ही वो एक क्रीम, कैंची, काटन और एक लोटा पानी ले आया।
मुझे थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा जिससे मेरे कमर के नीचे का हिस्सा सोफे से बाहर हो गया और बाकी मैं सोफे पर पसर गई।
उसके बाद रितेश बड़े प्यार से मेरी चूत के बड़े हुए बालों को कैची से काट-काट कर छोटा कर रहा था और बीच-बीच में जांघ, चूतड़ के उभार आदि जगह को चाट लेता था, मेरी उठी हुई चूची को दबा देता और बीच-बीच में अपने लंड को उंगली से मसलता और फिर उस उंगली को चाट लेता।
जब वो मेरी जांघ को चूमता या चाटता तो मुझे एक गुदगुदी से होती।
जब उसने मेरी चूत के बालों को कैची से ट्रिम कर दिया तो उसके बाद उसने क्रीम वाली ट्यूब उठाई और मेरी चूत के आस पास अच्छे से लगा दिया और मेरे बगल में बैठ कर मेरे चूचों को चूसने लगा और मेरे हाथों को उठाकर मेरे बगल को भी चाटता।
उसके लिये मेरा जिस्म मक्खन की तरह था और मेरे जिस्म का कोई ऐसा हिस्सा नहीं था जिसे वो चाट नहीं रहा था।
करीब दस मिनट तक ऐसा करने के बाद उसने रूई को गीला किया और जहाँ जहाँ क्रीम लगाई थी, उसको साफ करने लगा।
फिर रितेश ने मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया।
अभी तक मेरी चूत जो बालों से घिरी हुई थी अब वो बिल्कुल सफाचट हो गई थी और गुलाबी जैसी पाव रोटी लग रही थी।
मेरे हाथ स्वतः ही मेरी चूत पर चले गये… क्या मखमली चूत थी मेरी!
तभी रितेश ने मुझे पीछे से जकड़ लिया और मेरे कंधे को चूमते हुए मेरी एक टांग को उठा कर टेबल पर रख दिया और मेरी चूत को सहलाते हुए वो मेरी चूत में उंगली करने लगा।
मेरे हाथों की माला ने रितेश को जकड़ लिया और आंख बन्द करके जो वो कर रहा था, उसका आनन्द लेने लगी।
कुछ देर में मेरी चूत के अन्दर का पानी बाहर निकलने लगा और रितेश की उंगली गीली होने लगी, उसने अपनी उंगली निकाल कर मेरे मुँह में घुसेड़ दी।
खारी नमकीन सी उसकी उंगली मेरे मुंह के अन्दर थी और रितेश के बोल मेरे कान के अन्दर थे, वो कह रहे थे- लो, अपना पानी चखो! बड़ा स्वादिष्ट है।
मैं उसकी तरफ घूमी और उससे पूछा- तुम्हें कैसे मालूम?
तो बोला- जान, तेरे को स्वाद दिलाने से पहले मैंने इसका स्वाद लिया है और अब मैं इसका पूरा स्वाद लूंगा।
कहकर मुझे उसने थोड़ा नीचे किया, इस प्रकार झुकाया कि मेरी चूत और गांड के छेद उसे साफ-साफ नजर आने लगे।
फिर वो बैठ कर मेरी चूत से निकले पानी को चूसने लगा और बीच-बीच में मेरी गांड को भी चाटने लगा।
उधर मैं भी शीशे से अपने आप को देख रही थी।
मेरी उठी हुई चूची रितेश के हाथ में कैद थी और जैसा रितेश चाहता वैसा ही मेरी नाजुक चूचियों के साथ करता।
कुछ देर ऐसा करने के बाद वो उठा और पीछे से मेरी चूत रूपी गुफा में अपने लंड को प्रवेश कराने लगा।
उसका लंड मेरी गुफा के अन्दर जा ही नहीं रहा था।
कई बार कोशिश करने के बाद भी जब नहीं हुआ तो उसने मेरे कूल्हों पर कस कर तीन चार चपत लगाई जिससे मैं बिलबिला गई।
मुझे भी कुछ नहीं समझ में आ रहा था तो जाकर बिस्तर पर लेट गई और अपनी टांगें फैला कर उसे निमन्त्रण देने लगी।
रितेश को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वो मेरे पास आया और फिर जिस तरह उसने पहली बार मेरी चुदाई की थी, उसी तरह अपने लंड को मेरी चूत में प्रवेश करा दिया।
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इस बार भी एक दो प्रयास के बाद उसका लंड मेरे अन्दर प्रवेश कर गया और इस बार थोड़ा दर्द तो हुआ पर उस जैसा न तो दर्द था और न ही जलन जैसा पहली बार जब रितेश के लंड ने मेरी चूत रूपी गुफा के द्वार को खोला था।
लेकिन मजा बहुत आ रहा था।
वो बहुत तेज-तेज धक्के लगा रहा था, जैसे शायद वो बहुत गुस्से में हो।
इस बीच में मैं पानी छोड़ चुकी थी पर रितेश अभी भी धक्का लगाये जा रहा था।
कुछ ही पल बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और फिर कटे हुए पेड़ की तरह मेरे ऊपर गिर गया।
इस समय में उसके लावे को अपने अन्दर महसूस कर सकती थी।
थोड़ी देर बाद जब उसके शरीर की शिथिलता खत्म हुई तो वो खड़ा हुआ और कम्प्यूटर पर एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें लड़का लड़की को कुतिया बना कर पीछे से चोद रहा था।
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फिल्म लगाने के बाद रितेश मेरे पास आया और बोला मैं तुम्हें ऐसे ही चोदना चाहता हूँ।
मैंने उसके लंड को पकड़ा और बोली- लो, मैं इस तरह झुक जाती हूं, तुम एक बार फिर कोशिश कर लो।
कहकर मैं भी उस फिल्म की लड़की की तरह झुक गई।
रितेश हंसा और बोला- पगली, पहले मेरा लंड तो चूस कर खड़ा तो कर! जब तक यह खड़ा नहीं होगा तो जायेगा कैसे।
इन दो चुदाई में इतनी तो बात समझ में आ गई थी कि लंड की पूरी ताकत उसके टाईट होने पर है, अगर ढीला है तो फिर वो किसी काम का नहीं।
रितेश अपने हाथ में अपने सिकुड़े हुए लंड को लिये था और हंस रहा था।
मैं पलटी और घुटने के बल बैठ कर उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया।
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जैसे ही मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया तो मेरे और उसके मिलन का जो रस था, उसका स्वाद मेरे मुंह में था।
मैं उसके लंड को चूस रही थी।
तभी रितेश ने अपने लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाला और उसके खाल को पीछे करते हुए लंड के टोपे को दिखाते हुए मुझे उस हिस्से पर अपनी जीभ फिराने के लिये बोला।
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रितेश जैसे जैसे बोलता गया, मैं उसके टोपे को चाटती गई और रितेश के मुंह से सी-सी की आवाज आती गई।
कुछ ही देर में उसका लंड खड़ा हो गया।
रितेश ने मुझसे कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुकने के लिये बोला।
मेरे दिल मैं तो एक ही बात थी कि जो रितेश कहे उसे करते जाओ।
इसलिये मैं कम्प्यूटर की तरफ मुंह करके झुक गई और रितेश मेरी कमर को पकड़ के अपने लंड को मेरी चूत में सेट किया और एक धक्का दिया।
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इस बार लंड सीधे मेरी चूत के अन्दर था।
अब मैं और उस फिल्म की लड़की एक ही पोजिशन में थे और रितेश उसी तरह धक्के मार रहा था जैसे उस फिल्म का लड़का कर रहा था।
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जिस-जिस पोजिशन में वो लड़का उस लड़की की चुदाई कर रहा था उसी पोजिशन में रितेश मेरी भी चुदाई करता।
उस लड़के ने लड़की को दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग को पकड़ कर हवा में उठाकर उसको चोद रहा था तो रितेश ने भी मुझे उसी तरह की पोज में कर दिया और अपनी कार्यवाही शुरू कर दी।
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उसकी नजर भी स्क्रीन पर थी।
फिर चार-पांच धक्के मारने के बाद रितेश ने मुझे डायनिंग टेबल पर बैठाया और अपना लंड मेरी चूत में डालने के बाद मुझे गोदी में उठा कर उछल कूद करने लगा।
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अब इस समय मैं अपनी तो कुछ नहीं कह सकती पर रितेश को खूब मजा आ रहा था।
कुछ दस पन्द्रह शॉट लगाने के बाद एक बार फिर रितेश ने मुझे उसी तरह लेकर एक कुर्सी पर बैठ गया।
दूसरे ही पल लगा कि रितेश एक बार फिर अपनी गर्मी को मेरे अन्दर उतार दिया।
ठीक उसी समय उस लड़के ने लड़की को नीचे बैठा कर अपने लंड को उसके मुंह में लगा दिया और कुछ सफेद सा उसके मुंह में डालने लगा जिसको लड़की ने पूरा गटक लिया और फिर मुंह से लड़के का लंड चाट कर उसकी मलाई को साफ कर दिया।
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ऐसा देख कर मैंने रितेश से पूछा- तुम अपनी मलाई मेरे अन्दर क्यों डाल देते हो?
वो बोला- मुझे अच्छा लगता है।
तीन चार घंटे बीत चुके थे तो मैंने रितेश को चूम कर बाय किया और अपने घर चली आई।

कहानी जारी रहेगी।
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-4

इसके बाद जब भी मौका मिलता तो मैं और रितेश अपनी जिस्म की आग को बुझाते और नई स्टाईल से मजा लेती!
और अब तो मुझे भी गाली देने की आदत सी हो गई थी।

लेकिन एक दिन मुझे उल्टी सी महसूस हुई और उसके बाद लगातार होने लगी और मन खट्टा होने लगा तो मेरी मम्मी मुझे डॉक्टर के यहां ले गई।
डॉक्टर ने चेक अप करने के बाद मुझे बताया कि मेरे पेट में बच्चा है, तो मेरे पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई।

डॉक्टर जाकर मेरी मम्मी को बताने वाली थी लेकिन मेरे रिक्वेस्ट करने पर न बताने को बोली और जल्दी ही ऑर्बशन कराने के लिये बोली।
मुझे एक लम्बा चौड़ा सा लेक्चर पिला दिया।


लेकिन एक बात डॉक्टर ने बताई कि खूब खुल कर मजा लो लेकिन अगर बच्चा नहीं चाहती हो तो कुछ प्रिकॉशन लो और कोशिश करो कि लड़के का पानी तुम्हारे अन्दर न जाये।

मेरे लिये अब चिन्ता की बात यह थी कि इस बात को कैसे छुपाया जाये।
तो डॉक्टर से छुटने के बाद मैं सीधा रितेश से मिली और जो जो डॉक्टर ने बताया सब बात रितेश को बता दी।

किसी तरह घर से बहाना बना कर ऑबोर्शन कराने पहुँची।
इस समय रितेश ने मेरा खूब साथ दिया और जैसे-जैसे डॉक्टर ने कहा उस तरह मेरा ध्यान रखा।

धीरे-धीरे दोनों लोगों का एक-दूसरे के यहां आना जाना शुरू हो चुका था। रितेश मेरे परिवार एक एक-एक सदस्य से मिल चुका था और मैं रितेश के परिवार के एक-एक सदस्य से मिल चुकी थी।

हलाँकि रितेश में परिवार में ज्यादा लोग नहीं थे, उसके एक जीजा, जो काफी हैण्डसम थे और पुलिस में थे, उसकी मम्मी थी, पापा थे जो 55 की उम्र में भी काफी हट्टे कट्टे जवान को मात करते थे और दो छोटे भाई थे दोनों ही अब तक बालिग हो चुके थे।

हम दोनों के परिवार को हम दोनों के रिश्ते को मंजूरी भी मिल चुकी थी पर शर्त इतनी थी कि अच्छी सी जॉब मिलने के बाद हम दोनों की शादी कर दी जायेगी।
लेकिन किसी को यह नहीं मालूम था कि हम दोनों जिस्म की आग को बुझा रहे हैं।

खैर आओ फिर से कहानी पर लौटते हैं।

अब वो कहानी यहां से शुरू होती है जब एक-एक करके कई लंड मेरी चूत में जा चले गये।

शुरू शुरू में मेरी चूत में जो भी लंड गया, उसमें रितेश भी शामिल था पर बाद में लंड मिलते गये और मैं लेती गई।

इसी क्रम में एक दिन रितेश मेरे पास आया और बटरिंग करने लगा तो मैंने बोल दिया- यार तेरे को जब भी मेरी चूत चाहिये होती है तो मैं तो तैयार ही हूँ ना फिर मेरी बटरिंग करने का क्या फायदा?

'आज कुछ नया करना है।'

मुझे लगा वो मेरी गांड मारने की बात कर रहा है तो मैं बोली- यार, एक चीज तो सुहागरात के लिये छोड़ दो, नहीं तो सुहागरात में क्या करोगे। कुछ तो कुवांरा रहने दो, मैं सुहागरात में तुमसे अपनी गांड ही मरवाऊँगी, यह वादा है।

तभी वो बोला- यार, मैं तेरी गांड सुहागरात का उदघाटन सुहागरात पर ही करूंगा पर अभी कुछ नया हो।
कह कर वो चुप हो गया और फिर बोला- देख, तू मेरी होने वाली बीवी है, मैं तुझसे कुछ छिपा कर नहीं करना चाहता, जो भी मैं करूँ तेरे साथ ही करूँ।

मैं उसकी बात को काटते हुये बोली- बता, तू क्या चाहता है।
तो उसने एक बार फिर टोनी और मीना की बात बताई कि टोनी तुम्हें चोदना चाहता है और मीना मुझसे चुदवाना चाहती है।

खैर इतने दिनों सेक्स का खेल खेलते हुए एक बात तो समझ में आ गई कि रितेश मुझसे बहुत प्यार करता है और सिवाय मेरे वो किसी भी और लड़की को देखता नहीं है, जबकि कई लड़कियाँ उससे चुदने को तैयार हैं।

फिर भी पता नहीं टोनी और मीना के लिये ये इतना परेशान क्यों हो रहा था।

मैंने उससे कहा- क्या तुम मुझे रंडी बनाना चाहते हो?
वो गुस्से से बोला- देख तू मेरी बीवी है और जब मुझे ऐतराज नहीं है तो तू क्यों चिन्ता करती है। क्या तू मेरे लिये इतना नहीं कर सकती?

हम दोनों के बीच काफी बहस हुई लेकिन मैं हार कर उसकी बात मान गई।

रितेश ने उस प्लान के लिये वो समय चुना जब कॉलेज का टूर जा रहा था। तो हम दोनों ने अपने-अपने घर में टूर के बारे में जो कि तीन से चार दिन का था, बता दिया और तय समय पर हम लोग घर से निकल गये और दिल्ली की ट्रेन पकड़कर दिल्ली स्टशन पहुँचे।

स्टेशन पर पहले से ही टोनी और मीना हम लोगों का इंतजार कर रहे थे।

टोनी की लम्बाई और डील डौल बहुत ही अच्छा था और रितेश से बीस था और उसकी बीवी मीना बहुत ही खूबसूरत… उसके सामने मैं कुछ भी नहीं थी।
उसके दूध जैसा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, आँखो में काजल, होंठों में हल्की गुलाबी लिपस्टिक, माथे के बीचोंबीच एक छोटी सी बिन्दी, बड़ी-बड़ी चूची जो उसके कपड़े से आजाद होने के लिये बेताब थी।
टाईट जींस और उँची हील की सैन्डिल में वो जान मारू लग रही थी।

रितेश ही नहीं हर लड़के की नजर उसके उपर थी।
खैर सबसे बेपरवाह उन दोनों ने हम दोनों के गले लग कर स्वागत किया और फिर उनकी गाड़ी में बैठ कर उनके घर की तरफ चल दिये।
रास्ते में टोनी ने मुझे आकांक्षा डार्लिंग कहकर सम्बोधित किया और पूछा डर तो नहीं लग रहा है?
मैं कुछ नहीं बोली तो उसने गाड़ी एक किनारे लगाई और मीना से बोला- तुम रितेश के पास बैठो और आकांक्षा, तुम मेरे पास आओ।

मैंने रितेश की तरफ देखा और उतर कर मैंने और मीना ने अपनी जगह बदल ली।
मेरे लिये ये सब अजीब सा था और हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी।

तभी निसंकोच रूप से टोनी ने अपना हाथ को मेरी चूत पर रख दिया और सहलाते हुये पूछा- डार्लिंग, अब तक केवल रितेश से ही चुदवाई करवाई है या किसी और से भी?

मैं चुप रही तो टोनी, जिसका हाथ मेरी चूत को ही सहला रहा था, फिर बोला- आकांक्षा शर्म करने से कुछ नहीं होगा, पीछे देखो मीना ने रितेश के लंड को अपने हाथ में लिया है और चूस रही है, और रितेश मीना की चूत सहला रहा है।

दोनों अपने में मस्त मशगूल थे।
मीना के लगभग कपड़े उतर ही चुके थे वो केवल पैन्टी में ही थी और रितेश के लंड पर झुकी हुई थी।
मेरी नजर उन दोनों पर जब हटी जब मुझे एहसास हुआ कि मेरा हाथ जीन्स के ऊपर टोनी के लंड पर है।

इतने ही पल में टोनी ने अपने लंड को अपने जींस से बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ को लेजाकर उस पर टिका दिया।
करीब आधे घंटे के बाद टोनी का बंगला आ गया।

अपनी गाड़ी को पोर्च में खड़ी करके मीना नंगी ही उतर फिर उसने मेरी तरफ का दरवाजा खोला और मुझे लेकर अन्दर चली।

मैं उसे देख रही थी और वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, फिर मेरी गांड में चिकोटी काटते हुये बोली- बिन्दास दो दिन सेक्स का मजा लो।

तभी फिर मुझे अपना वो ख्याल याद आया जब मैं सोचती थी कि शादी के बाद सुहागरात में मेरे साथ क्या-क्या होगा।
लेकिन मेरी सुहागरात तो शादी से काफी पहले हो चुकी है और अब मुझे रितेश के अलावा दूसरा मर्द चोदेगा।

सोचते-सोचते मैं घर के अन्दर प्रवेश कर गई।

थोड़ी ही देर में मीना ही हम सब के लिये चाय ले आई।


कहानी जारी रहेगी।
GREAT JOB
 
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लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-5

मीना अभी भी नंगी ही थी और जब वो झुक कर चाय सर्व कर रही थी तो उसकी लटकी हुई गोल चूचियों पर से रितेश की नजर हट ही नहीं रही थी।
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हम सब की नजर रितेश पर थी पर ऐसा लग रहा था कि रितेश हम सब से अनजान था।
चाय का कप मैं उठा ही रही थी कि मेरे हाथ को पकड़ते हुए टोनी बोला- देखो यहां पर कोई भी किसी बात का बुरा नहीं मानेगा और अपनी मर्जी की करने के लिये सभी स्वतंत्र होंगे। दूसरे कि हम लोग चाय ऐसे नहीं पियेंगे।
और बताने लगा कि आकांक्षा चाय सिप करेगी फिर उसका कप मेरे पास आयेगा, मेरा कप मीना के पास जायेगा, मीना का कप रितेश की पास और रितेश का कप आकांक्षा के पास जायेगा।
कहकर हम लोग चाय पीने लगे।
थोड़ी देर तक गपशप होती रही।
इसी बीच टोनी ने भी अपने सभी कपड़े उतार दिये और अपने हाथ से लंड को मसलते हुये बोला- तुम लोग नहा धो लो।
मुझे थोड़ी उलझन हो रही थी और संकोच से बाहर नहीं आ पा रही थी तो मैं ही उठी, बाथरूम में निपटने पहुँची और बाथरूम का दरवाजा बन्द ही कर रही थी कि टोनी वहां पहुँच गया, बोला- यहां कुछ बन्द में नहीं होता सब कुछ खुले में होता है।
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कह कर उसने दरवाजे को खोल दिया और वहीं पर कुर्सी लगा कर बैठ गया और मुझे आँख मारते हुये हवाई किस करने लगा।
उसी समय रितेश आ गया और टोनी के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला- यार देखो, अब शर्माना छोड़ो और खुल कर मजा लो।
उसी समय मीना ने पीछे से रितेश को पकड़ा और उसके दोनों निप्पल को कस कर मसलने लगी और उसके गालों को किस करने लगी।
हाँ, एक बात पर मेरा बहुत ज्यादा ध्यान गया वो ये कि मीना कपड़ो में नहीं थी पर हाई हील सेन्डिल पहनी हुई थी।
तभी रितेश मेरे कंधे के झटके हुये बोला- क्या सोच रही हो?
कह कर मेरी गांड में चपत लगाते हुए बोला- enjoy
मैं अपनी सोच से बाहर आते हुये अपने कपड़े उतारने लगी कि मीना टोनी से बोली- डार्लिंग, जाकर उसके कपड़े उतारने में उसकी मदद करो।
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टोनी उठा और मेरे कुर्ती, सलवार, ब्रा और पैन्टी एक एक करके सभी उतार दी और मेरी चूत की फांकों में उंगली करके मुझे कमोड में बैठा दिया।
चूँकि मुझे प्रेशर बहुत ज्यादा मार रहा था तो बैठते ही पर्रर… रररर्र के साथ मैं फ्री होने लगी और इधर पर्रर्रर्र की आवाज सुन कर सभी हँस रहे थे।
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मेरी नजर उन सभी पर थी।
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हगने के बाद मैं धोने ही जा रही थी तो टोनी ने मुझसे मग ले लिया और मेरी गांड में हाथ लगा कर उसको धोने लगा।
फिर मेरे खड़े होते ही कमोड में झांककर देखते हुए बोला- यार आकांक्षा ने बहुत ज्यादा कर लिया।
बाकी दोनों भी आकर देखने लगे और हँसने लगे और एक एक चपत मेरी गांड में लगाते हुए बोले- बहुत ताकत है इसमें।
उसी समय रितेश मीना की तरफ देखते हुये बोला- मीना, हगने के बाद क्या तुम मेरी भी गांड धुलाओगी?
मीना बोली- रितेश, हम दोनों ने जब से शादी की है तो जब मैं टोनी के घर जाती हूँ या टोनी मेरे घर जाता है तभी हम लोग अपनी गांड खुद से साफ करते हैं। नहीं तो आज तक मैं टोनी की गांड साफ करती हूँ और ये मेरी गांड धोता है। इसलिये तुम चिन्ता मत करो केवल हगो… धो मैं दूंगी।
सुनते ही रितेश भी कमोड में बैठ गया और हगने लगा।
यह मेरे जीवन के पहला मौका था जब मैं किसी के सामने इस तरह नंगी बैठ कर हगी हूँ और मेरी गांड किसी मर्द ने साफ की है।
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रितेश भी जब फारिग हो गया तो फिर हम चारों एक साथ नहाये।
मैंने और मीना ने पैन्टी ब्रा पहन ली जबकि रितेश और टोनी नंगे ही थे।
मीना ने पैन्टी ब्रा पहने के बाद फिर हाईहील सेन्डिल पहन ली।
मुझसे अब रहा नहीं गया तो मैं मीना से बोली- मीना तो हाई हील सेन्डिल हर समय क्यों पहनती हो?
तो वो बोली- अपने टोनी के लिये।
फिर मुझे समझाते हुए बोली- जब मैं हाई हील सेन्डिल पहन कर चलती हूँ तो मेरी गांड पेन्डुलम की तरह उपर नीचे होती है और टोनी को बहुत मजा आता है।
उसकी बात सुनकर रितेश ने मेरी ओर देखा तो मैं उसके इशारे को समझते हुए मीना की एक हाई हील सेन्डिल पहनकर चलने लगी। अब रितेश और टोनी दोनों को ही मेरा इस तरह चलना बहुत अच्छा लग रहा था।
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दोनों मीना के अगल-बगल खड़े होकर उसकी चूत में हाथ डाले हुए मेरी ओर देखकर दोनों ही बोले- यार, इसकी गांड भी बड़ी मजेदार लग रही है।
ऊँची हील पहनने के कारण मेरी लंबाई भी रितेश के लम्बाई के बराबर हो गई।
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मेरी चाल को देखकर दोनों के लंड बिल्कुल तन कर नब्बे डिग्री का कोण बना चुके थे और दोनों ही अपने हाथों को कष्ट दे रहे थे मतलब दोनों ही अपने लंड को हिला रहे थे।
तभी मीना ने मुझे आँख मारी और रितेश के दोनों जांघों को हाथ से पकड़ कर उसके लंड को चूसने लगी।
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मीना को ऐसा करते देख मैंने भी अपनी पोजिशन पकड़ ली और टोनी के लंड को अपने मुँह में ले लिया।
अब मुझे भी चुदम-चुदाई के इस खेल में बहुत कुछ समझ में आ गया था और मैं टोनी के लंड को चूस कर उसको खुश भी करना चाहती थी।
मैं कभी उसके लंड को पूरा अपने मुँह में लेती तो कभी उसके सुपारे की चमड़ी हटा कर उसके अग्र भाग को अपनी जीभ की टो से टच करती और अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाती और जो गीलापन मेरी चूत से निकलता उस गीलेपन से टोनी के लंड को मालिश करती और फिर उसके लंड को चूसती।
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रितेश और टोनी के मुँह से सीसीसी की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था।
मीना के कहने पर हम दोनों अदल-बदल कर लंड चूस रही थी।
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इस तरह करते-करते करीब दस मिनट बीत चुके थे।
तभी टोनी ने मुझे खड़ा किया और मुझे घुमाते हुए नीचे की तरफ झुका दिया और पेन्टी एक किनारे करके अपने प्यासे लंड से मेरी चूत को रगड़ने लगा, फिर बिना एक पल गवांए मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया।
टोनी की देखा देखी रितेश ने भी मीना की चूत में लंड डाल दिया और धक्के पे धक्का देना शुरू कर दिया।
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उस पोजिशन में झुके होने से मेरे पैरों और कमर में दर्द बहुत हो रहा था पर मजा भी खूब आ रहा था।
दोनों ही बारी-बारी से हम दोनों की चूत में लंड पेलते और चोदते जाते।
टोनी बड़बड़ाते हुए कह रहा था- इसको कहते है बुर का भोसड़ा बनाना। आ मेरी कुतिया… क्या मजा आ रहा तेरी चूत चोदने का!
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उधर रितेश के मुंह से केवल आह-ओह ही निकल रहा था।
अब जब टोनी का माल निकलने वाला था तो उसने मुझे घुटने के बल नीचे बैठा दिया और मेरे जबड़े को कस कर पकड़ कर मेरे खुले मुँह में लंड लाकर अपने माल को डालने लगा और जब तक उसके माल की एक एक बूँद में गटक नहीं गई तब तक उस हरामी ने मेरे मुँह को छोड़ा नहीं।
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उधर बड़े प्यार से मीना रितेश के माल को पी गई।
फिर टोनी अपने मुरझाये लंड को मीना के पास और रितेश मेरे पास आ गया और मुँह में डालते हुए बोला- रंडियो, चलो बचा खुचा माल भी साफ करो।
मैं रितेश के लंड को साफ कर ही रही थी कि टोनी मेरे पास आया और झुक गया और अपनी गांड को खोलते हुये चाटने के लिये बोला।
अब चूंकि मैं इस खेल में आ चुकी थी इसलिये नखरे मारने का कोई सवाल ही नहीं था सो मेरी जीभ स्वतः ही उसके गांड के छेद की ओर बढ़ गई और उसकी गांड को चाट चाट कर गीला कर दिया।
कुछ देर बाद टोनी खड़ा हो गया और मुझे अपने से चिपकाते हुए बोला- मीना, मुझे उम्मीद नहीं थी कि आकांक्षा इतनी जल्दी एडजस्ट कर लेगी।
बात करते हुए टोनी मेरी गांड में उंगली डालता और फिर निकाल कर कभी उसको सूंघता तो कभी उसको चाटता।
फिलहाल नोएडा पहुँचने के बाद चुदाई का कार्यक्रम शुरू हो चुका था।
टोनी से इस तरह चुदने से पहले मैं जब कभी भी रितेश से चुदी थी वो मुझे पूरी नंगी करके ही चोदता था जबकि टोनी ने न तो मेरी पेन्टी उतारी और न ही ब्रा।
वो मेरे चूची को भी ब्रा के उपर से ही मसलता था जो कि मेरे लिये एक नया अनुभव था।
अब मुझे भूख लग रही थी, मैंने मीना को अपनी भूख के बारे में बताया तो सभी हँसने लगे।
उसके बाद मैं और मीना रसोई में गये और खाना बनाने लगे।
खाना खाने के बाद टोनी ने सभी को मॉल चलने के लिये कहा।
सभी लोग तैयार होने लगे।
हम लोगों के बीच अब कोई परदा तो था नहीं… मैं भी सबके सामने कपड़े पहनने लगी।
और जैसे ही मैंने अपनी जींस को पहनना शुरू किया कि टोनी बोला- सभी लोग केवल दो ही कपड़े पहनेंगे उससे एक भी ज्यादा नहीं।
उसकी बात सुनकर मैंने मीना की तरफ देखा तो वो मुझे आँख मारते हुए अपनी ब्रा और पैन्टी को उतार कर खड़ी हो गई और टोनी से चिपकते हुए बोली- जानू, तुम बताओ मैं क्या पहनूँ?
टोनी उसके होंठों को कस कर चूसने लगा और कोई दो मिनट बाद अलग करते हुए बोला- जान तुम और आकांक्षा दोनों ही शार्ट स्कर्ट और टॉप पहन कर चलो।
मेरे पास तो थी नहीं, तो मीना ने मुझे अपना एक सेट निकाल कर दिया और मैं उसे पहन कर तैयार हो गई।
रितेश और टोनी ने बरमुडा और टी-शर्ट पहन ली।
हम सभी चल पड़े।
मैं भी किसी रंडी से कम नजर नहीं आ रही थी।
मॉल पहुँच कर हम सभी घूम रहे थे कि टोनी रितेश का हाथ पकड़ कर और मीना से बोला कि तुम दोनों इधर ही रहो हम दोनों अभी आ रहे हैं।
इतना कहकर पता नहीं दोनों कहाँ गायब हो गये।
उन दोनों को गये पाँच सात ही मिनट बीता होगा कि मीना मुझसे बोली- यार, मुझे पेशाब आ रही है, मैं मूत कर आती हूँ तुम यहीं रहना!
कह कर वो भी एक कार्नर में जाकर गायब हो गई।
मैं बिल्कुल अकेली खड़ी थी कि तभी मेरी गांड में किसी ने उंगली कर दी। मैंने पलट कर देखा तो एक लम्बा चौड़ा आदमी खड़ा था। जैसे ही मैं मुड़ी तो मुझे आँखे मारते हुए बोला- एक रात का कितना लेती हो? बहुत मस्त माल हो तुम! तुम अपना रेट बताओ मैं तुम्हारी चूत और गांड का मजा लेना चाहता हूं।
कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और एक किनारे जहां भीड़ कम थी, ले जाने की कोशिश करने लगा और मैं लगभग घसीटती सी चली जा रही थी।
मौका पाकर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरी चूचियों को कस-कस कर मसलने लगा।
मेरी सांस अन्दर बाहर न तो मैं चीख पा रही थी और न ही उससे अपने आपको छुड़ा पा रही थी।
लगा कि भरे बाजार मेरी इज्जत जाने वाली थी।
तभी टोनी, रितेश और मीना तीनों ही वहां पहुंच गये और मेरे साथ कुछ हो इससे पहले उन लोगों ने मुझे बचा लिया।
मैं शर्मिन्दगी के कारण किसी से नजर मिला नहीं पा रही थी, मेरे पैर भी बुरी तरह से कांप रहे थे।
सभी वहां से निकल कर घर पर आ गये।
घर पहुँचते ही मेरा गुस्सा रितेश पर फूट पड़ा, मैं रितेश पर चिल्ला पड़ी और बोली- बस, अब वापस चलो… रंडी ही बना कर छोड़ना! मेरा जिस्म, चूत, गांड सब केवल तुम्हारे लिये ही थी लेकिन तुमने टोनी से भी चुदवा दिया और अब मन न भरा हो तो मुझे यहीं नंगी कर दो और आने जाने वालों से मुझको चुदवा दो।
तभी मीना ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी पीठ सहलाते हुए मुझे शांत करने लगी। धीरे-धीरे मेरा गुस्सा शांत हुआ।
तब मीना बोली- देखो आकांक्षा, केवल तुम ही नहीं हो जो टोनी से चुद रही हो… मैं भी तो रितेश से चुद रही हूँ। और निकल इन दकियानूसी बातों से… जब हमारे पति को कोई ऐतराज नहीं तो फिर किसी के ऐतराज से हमें चिन्ता नहीं होनी चाहिए। टोनी के साथ जब भी मैं बाहर कही जाती हूँ तो टोनी मेरी गांड को जानबूझ कर सहलाता है, ताकि लोगों की नजर मुझ पर पड़े। कई बार टोनी की इस हरकत के वजह से मेरी गांड में भी लोगों ने उंगली कर दी।
शुरू-शुरू में मुझे बहुत गुस्सा आया और हमारे बीच में तलाक तक की नौबत आ चुकी थी। लेकिन टोनी ने बताया कि उसे वाईल्ड सेक्स बहुत पसंद है और इस तरह के सेक्स के साथ वो जीवन जीना चाहता है। उसका कहना है कि जब एक आदमी कई औरतों को चोद सकता है और उसका लंड घिसता नहीं तो अगर एक औरत भी अपनी इच्छानुसार मर्द से चुदे तो कौन सी उसकी चूत और गांड में अन्तर हो जायेगा।
जब मुझे उसकी बात समझ में आई तो हमारी दुनिया ही बदल गई। और यह नहीं है कि टोनी ही जिसको सेलेक्ट करे उसी से मैं चुदूँ। इसलिये हम लोग नेट यूज करने लगे।और जो कपल में हम दोनों की रजामन्दी होती है उसी के साथ हम अपने रिश्तों को बढ़ाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि मुझे कोई मर्द पसंद आया पर उसकी औरत टोनी को नहीं पसंद है तो भी टोनी उस औरत के साथ मेरे लिये रिलेशन बनाता है और इसी तरह मैं भी टोनी का ध्यान रखती हूँ।
हम दोनों हसबैंड-वाईफ दिनभर जॉब करते हैं और रात को मजा लेते है।
तभी रितेश बोला- हम दोनों में कौन ज्यादा पसंद था?
टोनी ने उत्तर दिया- तुम दोनों ही पसंद थे क्योंकि दोनों ही कुंवारे थे और तुम दोनों को ही चुदाई का खेल नहीं आता था।
तभी मैं बीच में बोल पड़ी- जब मैं यहाँ आई तो एक अच्छी खासी चुदी हुई लड़की हूँ।
तभी टोनी मेरे पास आया और मेरे पीछे घुटने के बल बैठते हुए और मेरी गांड को सहलाते हुए बोला- हाँ, अब तुम चुदी हुई जरूर हो लेकिन पहली बार जब हम लोग वेब कैम पर थे तो तुम दोनों ही कुंवारे थे और तुम लोगों को कुछ नहीं मालूम था और अब से पहले जितनी बार तुम चुदी होगी वो केवल रितेश से ही चुदी होगी।
इतना कहकर टोनी मेरी गांड की फांकों को फैलाते हुए छेद में अपनी जीभ घुसेड़ दी।
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आज से पहले रितेश मुझे चोदते समय मेरी गांड में उंगली करता था और मैं उसे झिड़क देती थी क्योंकि मुझे ये सब पसंद नहीं था, लेकिन आज टोनी के इस तरह से मेरी गांड चाटने का मुझे एक अलग सा आनन्द मिल रहा था।
तभी टोनी ने इशारा करते हुए रितेश को पास बुलाया और मेरी चूत को सहलाते हुए उसे चाटने के लिये बोला।
अब रितेश भी मेरे सामने घुटने के बल बैठ गया,
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मेरी चूत में उसने अपनी जीभ लगा दी और बीच बीच में वो अपने हाथों का प्रयोग करता… पर मीना ने रितेश के हाथ को पीछे बांध दिया।
अब रितेश बिल्कुल एक कुत्ते की तरह मेरी चूत चाट रहा था।
मीना अपने होंठों पर उंगली रखकर दो मिनट कुछ सोचती रही और फिर एकाएक मेरी चूचियों को कस कस कर मसल रही थी।
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वो मेरी चूची को कसकर मसलती अपने दाँतों से मेरे निप्पल को काटती और फिर मुँह में रख कर उसको पीती।
कसम से मुझे पहली बार वो एहसास हो रहा था जिसका मैं बखान नहीं कर सकती।
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गांड में सुरसुराहट, चूत में सुरसुराहट… मतलब मेरे पूरे जिस्म में एक खलबली सी मची हुई थी।
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काफी देर तक सभी एक पोजिशन में थे और मैं करीब तीन बार पानी छोड़ चुकी थी और हर बार तीनों लोग मेरा पानी पी लेते।
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मीना भी काफी उत्तेजित थी, वो भी पानी छोड़ रही थी और अपने हाथ से अपनी चूत का पानी लेती और मेरे मुंह के पास लाती और उसके पानी को मुझे चाटना पड़ता।
टोनी का घर अब किसी रंडी खाने से कम नहीं था उस समय।
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रितेश की तो हालत और भी खराब थी।
टोनी फिर भी मेरी गांड चाटते हुए अपने हाथ से अपने लंड को भी सम्भाल रहा था पर रितेश का हाथ बंधा था और उसका शरीर अकड़ रहा था।
उसकी हालत और पतली होती जा रही थी तो मैंने मीना से उसके हाथ को खोलने के लिये कहा।
जैसे ही मीना ने उसका हाथ खोला तो रितेश का हाथ सीधा उसके लंड पर गया और वो कस-कस कर मुठ मारने लगा और दो मिनट बाद दोनों ही खलास हो गये और फिर सभी मुझसे अलग हो गये।
दोनों मर्दों का माल नीचे जमीन पर गिरा पड़ा था और लंड सिकुड़ चुका था।
तब मैं टोनी के सिकुड़े लंड को साफ करने लगी और उधर मीना रितेश के लंड को साफ करने लगी।
उसके बाद मीना घुटने के बल रेंग कर उस जगह पहुँची जहां पर रितेश का माल गिरा पड़ा था और मुझे भी इशारे से उसी तरह आने के लिये कहा जैसा मीना ने किया था।
फिर हम दोनों ने ही जमीन पर गिरे माल को कुतिया की तरह चाट कर साफ किया।
उसके बाद हम दोनों ही मतलब मैं और मीना अपने-अपने प्रेमी मतलब कि मैं रितेश से चिपक गई और मीना टोनी से चिपक गई और एक बार फिर चूमा-चाटी का दौर शुरू हो चुका था।
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करीब आधे घंटे तक अदल-बदल कर चूमा चाटी चलती रही।
दोनों के लंड टाईट हो चुके थे और हम दोनों की चूतो में खुजली हो चुकी थी जिसको अब केवल लंड से ही मिटाया जा सकता था।
खैर दोनों बारी-बारी से हम दोनों को चोद रहे थे और दोनों अपनी ताकत का अहसास करा रहे थे कि दोनों में से पहले कौन फिनिश होता है।
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उन दोनों के इस खेल से हम दोनों की चूत का बाजा बज चुका था।
अच्छी खासी चूत चुदाई चल रही थी कि अचानक टोनी की जब बारी मुझे चोदने के लिये आई तो उसने मुझे एक बार फिर कुतिया की पोजिशन में आने के लिये कहा।
चूँकि सुबह से ही मैं एक दो बार इस पोजिशन में आकर रितेश और टोनी के लंड को अपनी चूत में ले चुकी थी इसलिये बिना हिचके मैं कुतिया बन गई।
मेरे कुतिया बनते ही टोनी मेरी गांड को अपने लंड से रगड़ने लगा और मेरी गांड के अन्दर अपने लंड को डालने की कोशिश करने लगा।
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मैं चिहुंकी और तुरन्त खड़ी हो गई और टोनी से गांड न मारने की बात बोली तो टोनी ने कहा- यार जब छेद बना है तो लंड डलवा लो।
मेरे मना करने के बाद भी वो मेरी गांड मारने के लिये जिद करने लगा।
टोनी जिद तो कर ही रहा था रितेश भी उसको बढ़ावा दे रहा था।
हो सकता हो उसे मेरा वादा न याद रहा हो, इसलिये वो टोनी के हाँ में हाँ मिला रहा था।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ क्योंकि मैं चाहती थी कि रितेश ही मेरी गांड का उदघाटन करे और मैं ये सीधे सीधे बोल नहीं सकती थी… तो न चाहते हुए भी टोनी मेरी गांड मार लेता।
तभी मेरे मुँह से निकला- टोनी डार्लिंग, मैं चाहती थी कि मेरी चूत की सील शादी के बाद टूटे, पर रितेश के प्यार के करण वो समय से पहले टूट गई। लेकिन मैं चाहती हूँ कि जब मेरी और रितेश की शादी हो तो सुहागरात में मैं कम से कम मेरी गांड के कोरेपन का तोहफ़ा रितेश को दूँ। नहीं तो सुहागरात का कोई आनन्द नहीं रह जायेगा।
मेरी बात से मीना सहमत हो गई और उसने टोनी को मेरे लिये मना लिया लेकिन टोनी ने हम दोनों को पूरे कपड़े पहनने के लिये कहा।
हम सभी लोग टोनी से पूछते रहे क्या हुआ, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया और जिद पर अड़ गया कि मुझे और मीना को पूरे कपड़े पहनने ही है।
हार कर हमने अपने कपड़े पहन लिए।

कहानी जारी रहेगी।
 
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