Romance Love stories

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मेरी अधूरी प्रेम कहानी



वो दिन अभी भी याद आता है जब पापा से बहुत जिद करने के बाद 5 रूपए मांगे थे क्यूंकि क्लास में तुमने कहा था तुम्हे गोलगप्पे बहुत पसंद हैं…और मुझे तुम अच्छी लगती थीं…तुम्हारा और मेरा घर आजू बाजू था और रास्ते में ‘कैलाश गोलगप्पे वाला’ अपना ठेला लगाता था…घर जाने के दो रास्ते थे तुम दुसरे रास्ते जाती और मैं गोलगप्पे की दुकान वाले रास्ते…उस दिन बहुत खुश था…नेवी ब्लू रंग की स्कूल की पैंट की जेब में १ रुपये के पांच सिक्के खन खन करके खनक रहे थे और मैं खुद को बिल गेट्स समझ रहा था…शायद पांच रुपये मुझे पहली बार मिले थे और तुझे गोलगप्पे खिलाकर सरप्राइज भी तो देना था…


स्कूल की छुट्टी होने के बाद बड़ी हिम्मत जुटा कर तुमसे कहा- ज्योति, आज मेरे साथ मेरे रास्ते घर चलो ना? हांलाकि हम दोस्त थे पर इतने भी अच्छे नहीं कि तू मुझ पर ट्रस्ट कर लेती…’मैं नी आरी’ तूने गुस्से से कहा…’प्लीज चलो ना तुम्हे कुछ सरप्राइज देना है’…मैंने बहुत अपेक्षा से कहा…ये सुन के तू और भड़क गयी और जाने लगी क्यूंकि क्लास में मेरी इमेज बैकैत और लोफर लड़कों की थी…

मैं जा ही रहा था तो तू आकर बोली- रुको मैं आउंगी पर तुम मुझसे 4 फीट दूर रहना….मैंने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है…हम चलने लगे और मैं मन ही मन प्रफुल्लित हुए जा रहा ये सोचकर की तुझे तेरी मनपसंद चीज़ खिलाऊंगा और शायद इससे तेरे दिल के सागर में मेरे प्रति प्रेम की मछली गोते लगा ले…खैर गोलगप्पे की दुकान आई…मैं रुक गया…तूने जिज्ञासावस पूछा- रुके क्यूँ?






मैं- अरे! ज्योति तुम गोलगप्पे खाओगी ना इसलिए।
तू- अरे वाह!!!!!! जरुर खाऊँगी।

तेरी आँखों में चमक थी। और मेरी आत्मा को तृप्ति और अतुलनीय प्रसन्नता हो रही थी। तब १ रुपये के ३ गोलगप्पे आते थे।

मैं- कैलाश भैय्या ज़रा पांच के गोलगप्पे खिलवा दो।
कैलाश भैय्या- जी बाबू जी। (मुझे बुलाकर कान में) गरलफ्रंड हय का?
मैं(हँसते हुए)- ना ना भैया।आप भी
कैलाश भैय्या ने गोलगप्पे में पानी डालकर तुझे पकड़ाया ही था कि तू जोर से चिल्लाई- रवि…रवि
इतने में एक स्मार्ट सा लौंडा(शायद दुसरे स्कूल का) जिसके सामने मैं वो था जैसा शक्कर के सामने गुड लाल रंग की करिज्मा से हमारी तरफ आया और बाइक रोक के बोला- ज्योति मैं तुम्हारे स्कूल से ही आ रहा हूँ। चलो ‘कहो ना प्यार है के दो टिकट करवाए हैं जल्दी बैठो’


‘हाय ऋतिक रोशन!!!!’ कहते हुए तू उछल पड़ी और गोलगप्पा जमीन में फेंकते हुए मुझसे बोली-सॉरी अंकित आज किसी के साथ मूवी जाना है, कभी और।

और मैं समझ गया कि ये “किसी” कौन होगा।



ये कहते हुए तू बाइक में बैठ गई और उस लौंडे से चिपक गई, उसके सीने में अपने दोनों हाथ बांधे हुए।
तू आँखों से ओझल हुए जा रही थी और मुझे बस तेरी काली जुल्फें नज़र आ रही थी। उसी को देखता मेरे नेत्रों में कालिमा छा रही थी।
कैलाश भैय्या की भी आँखे भर आईं थी और मेरे दो नैना नीर बहा रहे थे।
कैलाश भैय्या- छोड़ो ना बाबू जी। ई लड़कियां होती ही ऐसी हैं। अईसा थोअड़े होअत है कि किसी के दिल को शीशे की तरह तोड़ दो।
ये कहकर उन्होंने कपड़ा उठाया जिससे वो पसीना पोछा करते थे और अपने आंसुओं को पोछने लगे। मैं भी रो पड़ा।
अभी 14 गोलगप्पे बचे थे और कैलाश भैय्या जिद कर रहे थे खाने की।
एक एक गोलगप्पा खाते खाते दिल फ्लैशबैक में जा रहा था।
दूसरा गोलगप्पा- तू सातवीं कक्षा में क्लास में नई नई आई थी आँखों में गाढ़ा काजल लगाकर और मेरी आगे वाली सीट में बैठ गई थी
तीसरा गोलगप्पा- तूने सातवीं कक्षा के एनुअल फंक्शन में ‘अंखियों के झरोखे से’ गाना गाया था।
चौथा गोलगप्पा- उसी दिन की रात मेरे नयनो में तेरी छवि बस गई थी।
पांचवा गोलगप्पा- आठवी कक्षा के पहले दिन मैडम ने तुझे मेरे साथ बिठा दिया था।
छठा गोलगप्पा- मैं बहुत खुश था। तेरे बोलों से हेड एंड शोल्डर्स शैम्पू की खुशबू आती और मैं रोज़ उस खुशबू में खो जाता। यही कारण था मैं आठवी की अर्धवार्षिक परीक्षा में अंडा लाया था। और मैडम ने मुझे हडकाया था।
सातवाँ गोलगप्पा- मैं फेल हो गया था तो मैडम ने तुझे होशियार लड़की के साथ बिठा दिया था।
आँठवा गोलगप्पा – मैं उदास हो गया था। और मैंने 3 दिन तक खाना नहीं खाया था।
नौवा गोलगप्पा- मैं रोज़ छुट्टी के बाद तेरे घर तक तेरा पीछा किया करता था।
दसवां गोलगप्पा – मैं रोज़ सुबह और शाम तेरे घर के चक्कर काटता था इस उम्मीद की शायद तू घर कइ बाहर एक झलक मात्र के लिए ही सही दिख जाए।
ग्यारहवां गोलगप्पा – तूने मुझे एक दिन डांट दिया था कि छुट्टी के बाद मेरा पीछा मत किया करो। और उस दिन मुझे बहुत बुरा लगा था, तबसे मैं दुसरे रास्ते से घर जाने लगा था।
बारहवां गोलगप्पा – हम नवीं कक्षा में पहुँच गए थे। दिवाली थी। कहो ना प्यार है के गाने रिलीज़ हो गए थे। मैं क्लास में बैठा नेत्रों में तेरी तस्वीर लिए ‘क्यूँ चलती है पवन गुनगुनाते रहता था’

तेरहवां गोलगप्पा – मैंने दिवाली के बाद तुझसे पूछा था हिम्मत जुटाकर कि क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है।तुमने कहा था- नहीं मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ।
उस रात मैं बहुत खुश था ये सोचकर की तू कभी तो जानेगी कि तेरे लिए मैं भले ही कुछ भी हूँ मगर मेरे लिए तू वो है जिसके लिए मैं सांस लेता हूँ।
चौदहवां गोलगप्पा – आज कहो ना पयार है रिलीज हुई है और मैं पापा से पांच रुपये मांगने की जिद कर रहा हूँ। यह भी प्लान बना रहा हूँ कि तुझसे आज दिल की बात कह दूंगा।
पन्द्रहवां और आखिरी गोलगप्पा – मेरे दिल टूट चूका था और मुहं में गोलगप्पे का पानी था और चेहरे में अश्कों का।
 
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  • उससे मिलने से पहले मेरे जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था, जिसे आजतक मेरे अलावा किसी ने महसूस नहीं किया था. क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत चंचल थी, इस कारण मैं कॉलेज में भी और घर में भी लोगों से घिरी रहती थी. इसके बावजूद कि मैं बहुत बोलती थी, मेरे जीवन का एक दूसरा पहलु भी था. और जीवन के उस हिस्से में आने की इजाजत मैंने किसी को नहीं दी थी. बाहर से खुश दिखाई देने वाली लड़की जिसे लोग हर पल हसंते-खिलखिलाते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेली होगी, ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगी. मैंने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था, कोई भी मेरे द्वारा बनाए गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था.
  • मुझे इस बात पर यकिन नहीं हो रहा था कि वो लड़का मेरे बनाए गए दायरों को तोड़कर मेरी सोच में समाता चला जा रहा है. शुरू-शुरू में उससे बात करना महज एक औपचारिकता थी. सहपाठी होने की वजह से मेरी और उसकी अक्सर थोड़ी-बहुत बातचीत होती रहती थी. लेकिन मुझे इस बात का इल्म तक नहीं था कि वो मुझे मन ही मन पसंद करता था, मुझसे दीवानों की तरह प्यार करता था, ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को मेरे सामने कभी जाहिर नहीं होने दिया था. मुझे छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, उसे मुझसे ज्यादा दर्द होता था. कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है यकीन करने में बहुत वक्त लगा. लेकिन समय के साथ मुझे इस बात का एहसास हो गया कि ये लड़का मेरी चिंता करता है, मेरा ख्याल रखता है. उसके प्यार में पागलपन था, मेरी ख़ुशी के लिए वो कुछ भी कर देता था. उस लड़के ने बिना इस बात का जिक्र किये कि उसे मुझसे बातें करना अच्छा लगता है, मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है, बड़ी ही चालाकी से मुझसे दोस्ती के लिए पूछा. उस दिन संयोग से हम दोनों कॉलेज जल्दी आ गए थे और क्लास रूम में कोई नहीं था- ‘’ उसने कहा कि क्या मैं तुम्हारा हाथ पकड़ सकता हूँ ‘’ पहले तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज इस लड़के को क्या हो गया है ये इस तरह की बातें क्यों कर रहा है. लेकिन मुझे उसपर पूरा भरोसा था कि वो कोई गलत काम नहीं करेगा, उसकी आँखों में सच्चाई थी और ये बात मैं साफ़-साफ़ देख सकती थी. उसने इतनी Honestly मेरा हाथ माँगा कि मैं उसे मना नहीं कर पाई और मैंने उसे अपना हाथ दे दिया. ‘’उसने मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी तुम मुझे अच्छी लगती हो और मैं तुममें एक अच्छा दोस्त देखता हूँ, अच्छा इंसान देखता हूँ और मैं चाहता हूँ कि मैं जिंदगी भर तुम्हारा दोस्त बनकर तुम्हारे साथ रहूँ.’’
  • उसने इतनी ईमानदारी से अपनी इस बात को मेरे सामने रखा कि मैं ना नहीं कर पाई और मैंने हाँ कर दिया. उस दिन उसने बस इतना हीं कहा और चला गया. मुझसे दोस्ती करने की खुशी मैं साफ़-साफ़ उसके चेहरे पर देख सकती थी. मैंने इस बात को बड़े हल्के में लिया, हांलाकि मुझे ये सोच कर दिन भर बहुत हंसी आ रही कि किस तरह से डरते-डरते उसने मेरा हाथ पकड़ा था. जब मैंने अपना हाथ उसके हाथों में दिया था तो मैं अच्छी तरह से उसकी कांपती हाथों को महसूस कर सकती थी. और पूरे दिन उस वाकये को याद करके मुझे हंसी आ रही थी, मैं अकेले में भी बिना बात के हँसे जा रही थी.
  • मेरे आस-पास रहने वाले लोग ये देख कर समझ गए थे कि जरुर कोई बात है. अब हम दोनो दोस्त बन गए थे और उसने बड़ी ही चालाकी से मुझसे किसी भी वक्त फोन पर बात करने की इजाजत मांग ली थी. अब वो मुझसे फोन पर बातें करने लगा था. अब उससे बात करना मुझे भी अच्छा लगने लगा था, मेरे अंदर क्या चल रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था. क्यों मैं उसके फोन का इंतज़ार करने लगी थी ? क्यों मैं उसकी ओर खिंची चली जा रही थी ? शायद उससे अपनी बातें share करना मुझे अच्छा लगने लगा था. जब भी मैं उदास होती किसी को पता चले ना चले उसे पता चल जाता था, और वह मेरी उदासी को दूर करने का हर संभव प्रयास करता था.
  • एक दिन उसने मुझसे I Love You कहा, मुझे वक्त लगा… लेकिन मैंने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया. मेरे हर जन्मदिन पर मुझसे ज्यादा खुश होना, मेरे ऊपर हजारों रुपए मना करने के बावजूद खर्च कर देना, वो दीवाना था मेरा… उसने भी मुझे अपना दीवाना बना लिया था. बाइक पर अक्सर घूमने निकल जाना, कॉलेज बंक करके फिल्म देखने जाना, ये सब हमें अच्छा लगने लगा था. उसकी पूरी दुनिया बन गई थी मैं, मेरी पूजा करता था वो. मेरे लिए किसी से पंगा लेने से पहले बिल्कुल नहीं सोचता था वो. दिन तेजी से बीतने लगे, हम दोनों दुनिया को भूल चुके थे. प्यार के उस दौर ने हम दोनों को भीतर से बदल दिया था. हमने प्यार की ढ़ेरों कसमें खाई, और ढ़ेरों वादे किए.
  • वक्त ने करवट लिया, मेरे पिताजी ने 20-21 साल की कम उम्र में हीं मेरी शादी पक्की कर दी. अंदर से मेरा हाल भी बेहाल था, लेकिन वह मुझसे ज्यादा बेहाल था. वह किसी भी हद तक जाने को तैयार था, मेरा साथ पाने के लिए. लेकिन मैं जानती थी, कि अगर मैं घर से भाग जाती हूँ तो मेरे घर वालों का समाज में जीना मुश्किल हो जाएगा. कड़े मन से मैंने उसके साथ जाने से इंकार कर दिया. वह हर दिन सैंकड़ो बार कोशिश करता कि मेरे फैसले को बदल पाए, लेकिन मैं नहीं मानी. मेरी शादी हो गई, हर कोई खुश था…. उस लड़के के सिवा.
  • अपनी शादी के बहुत महीनों के बाद मेरी उससे मुलाकात हुई. उसने अपना हाल बेहाल कर लिया था. उसने कहा कि वो मुझसे मिलने से पहले भी अकेला था और मेरे जाने के बाद फिर अकेला हो गया है.
  • उसने कहा कि, वो हमारे कसमों और वादों को पूरा करेगा. वो कहता है, कि प्यार की लड़ाई तो वो हार गया है, पर प्यार की जंग जरुर जीतेगा वो. वो कहता है कि, तुम भले मेरा साथ न दे सको, मेरा प्यार तो मेरे साथ है न. मेरे प्यार के सहारे उसने जिंदगी में आगे बढ़ने की ठानी है. वो कहता है, कि उसका प्यार सच्चा है, इसलिए उसका प्यार कभी उसकी कमजोरी नहीं बनेगा.
  • मुझे अपनी गलती का एहसास है. क्योंकि मेरा प्यार मुझे ज्यादा दुखी है, और मैंने उसकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया है. मैं उस दीवाने के प्यार को सलाम करती हूँ, जिसके पास न मेरा तन है, न मेरा समय न मेरा जीवन…… पर अब भी वो मुझसे प्यार करता है.
  • पर उस दिन उसने मुझसे झूठ बोला था, शायद वह बुरी तरह टूट चुका था. जबकि उसने खुद को बहुत बहादुर दिखाने की कोशिश की थी. वह लोगों से दूर होता चला गया था, और लोग उससे दूर होते चले गए थे. बुरे लोगों से दोस्ती कर ली थी उसने. वह शराब, सिगरेट और ड्रग्स का आदि हो गया था. वह बुरी तरह डिप्रेशन का शिकार हो गया था. और अंत में एक दिन उसने आत्महत्या कर ली. ये था इस कहानी का अंत. मैं न तो जीते जी उसके साथ रह पाई न उसके अंतिम समय में मैं उसका साथ निभा पाई.
  • उस दौर में जी रहे हैं हम जहाँ दुश्मन तो आसानी से पहचाने जाते हैं. लेकिन सच्चे या झूठे प्यार को पहचानना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है. Moral message of the story : प्यार कीजिए, लेकिन सोच समझकर. अंधे प्यार का अंत हमेशा बुरा होता है. यह मौलिक कहानी आपको कैसी लगी, यह हमें जरुर बताएँ. आपके सलाहों और सुझावों का हमें इंतजार रहेगा.
 
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वह एक गरीब लड़की थी। उसके पिता किसी दुकान पर मजदूरी करते थे और मां घरों में चौका बरतन। वह अपने मां-बाप की इकलौती लड़की थी, इसलिए उन्होंने उसे बड़े लाड प्यार से पाला था। वे चाहते थे कि वह पढ़ लिख कर बड़ी आदमी बने, जिससे उसे गरीबी में दिन न गुजारने पड़ें।



जब उसने गांव के स्कूल से 10वीं का इक्ज़ाम पास किया, तो बहुत खुश हुई। मां-बात ने किसी तरह पैसोें का जुगाड़ करके गांव से 8 किमी0 दूर के कस्बे में उसका इंटर कॉलेज में नाम लिखा दिया। वह साइकिल से स्कूल जाने लगी। इस तरह से उसकी जिंदगी आगे बढ़ने लगी।



लेकिन एक दिन उसकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया। स्कूल से निकलते वक्त एक लड़का बाइक लेकर उसके पास आया और धीरे से बोला- अगर आप बुरा न मानें तो मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं।



लड़की उस लड़के को अक्सर रास्ते में देखा करती थी। जब भी वह स्कूल आती और स्कूल से जाती, वह लड़का सडक के किनारे खड़ा उसे निहारा करता। पहले शुरू में तो उसे यह सब अच्छा नहीं लगा, लेकिन धीरे-धीरे वह भी उसे अच्छा लगने लगा था। इसलिए जब उस लड़के ने कहने की अनुमति मांगी, तो उसने धीरे से सिर हिलाकर अनुमति दे दी।



उस लड़के ने अपनी शर्ट की जेब से एक गुलाब की कली निकाल कर उसके हाथ में रख दी और उसकी मुटठी बंद करते हुए बोला- ''मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। उठते-बैठते, सोते जगते हर समय बस तुम्हारे बारे में सोचा करता हूं। मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है....''






लड़का और भी बहुत कुछ कहना चाहता था, पर लड़की ने धीरे से उसके होठों पर अपना हाथ रख कर उसके प्यार का इकरार कर लिया। इस तरह उन दोनों में बात-चीत की शुरूआत हो गयी। लड़का रोज उसके लिए कोई न कोई गिफ्ट लाता और उसके लिए जीने मरने की कसमें खाता। उसकी बातें सुनकर लड़की दीवानी हो जाती और ख्वाबों की दुनिया में खो जाती।



एक दिन वह लड़का उस लड़की को अपनी बाइक पर घुमाने ले गया। दोनों लोग नदी के किनारे पहुंचें और घास पर बैठ कर बातें करने लगे। लेकिन लड़के की मंशा तो कुछ और थी। लेकिन प्यार में अंधी हो चुकी वह लड़की उसकी मंशा समझ नहीं पाई और उसने अपने आप को लड़के के हवाले कर दिया। दोनों लोग एक दूसरे के प्यार में ऐसे खोए कि दो जिस्म एक जान हो गये।



लेकिन न जाने कहां से वहां पर तीन लड़के आ गये। उन्हें देखकर लड़की हक्का-बक्का रह गयी और अपने कपड़े सही करने लगी। यह देख कर एक लड़का उसका हाथ पकड़ता हुआ बोला- इतनी भी क्या जल्दी है मेरी रानी, हम भी तो तुम्हारे दिवाने हैं। थोड़ा हमारा भी तो मनोरंजन कर दो।



लडकी ने अपने प्रेमी से मदद मांगी। मगर वह यह सब देखकर हंसता रहा। यह देख कर लड़की का हृदय धक्क से रह गया। यानी कि यह सब इसकी चाल थी?



आगे लड़की कुछ सोच ही नहीं पाई। क्योंकि वे तीनों लड़के उसके शरीर पर भूखे भेडिए की तरह टूट पड़े और अपनी हवस की आग बुझाते रहे। वह लड़की मदद के लिए चिल्लाती रही और वे उसे नोचते-घसोटते चले।



लगभग एक घंटे के बाद लड़की को होश आया, तो उसने अपने आपको नंग-धडंग पाया। वे तीनों लड़के और उसका प्रेमी वहां से जा चुके थे। लड़की की आंखों के आगे अंधेरा छा रहा था। उसकी दुनिया अंधेरे से भर चुकी थी। उसे अपना जीवन समाप्त होता हुआ लग रहा था।






वह सोचती रही कि क्यों उसने उस बेवफा लड़के की बातों पर ऐतबार किया। क्यों मैं उसके साथ यहां पर आई। अब मैं क्या मुंह लेकर अपने घर जाऊंगी। अपने मां-बाप को क्या बताऊंगी। मेरा ये हाल देखकर वे तो जीतेजी मर जाएंगे।



लड़की का गला बुरी तरह से सूख रहा था। वह किस तरह घि‍सटती हुई नदी के किनारे पहुंची। नदी का पानी कल-कल करता हुआ तेजी से बह रहा था। लड़की ने एक बार फिर अपने मजबूर मां-बाप, अपने बेवफा प्रेमी के बारे में सोचा और फिर नदी में छलांग लगा दी।



अगले ही पल वह नदी में डूबने उतराने लगी। लेकिन अब न तो वह किसी को अपनी जान बचाने के लिए पुकार रही थी और न ही बचने के लिए संघर्ष कर रही थी। उसका मन ठहरे हुए जल की शांत था। वह भी अपने बेवफा प्रेमी के बारे में सोच रही थी कि क्यों उसने उसकी बातों पर इस तरह से ऐतबार कर लिया, क्यों मैंने उससे अंधा प्यार किया, क्यों मैंने उसके प्यार को जरूरत नहीं समझी? अगर मैं ऐसा कर पाती, तो शायद..... और फिर वह नदी की गहराई में डूबती चली गयी।



दोस्तो किसी से प्यार करना, किसी पर ऐतबार करना बुरा नहीं है, लेकिन जज्बातों को पहचानने की क्षमता भी रखिए। किसी को अपना तन-मन सौंपने से पहले उसके परिणामों के बारे में भी जरूर सोचिए। नहीं तो आप भी धोखा खा सकते हैं, आप भी ठगे जा सकते हैं।



आपको यह कहानी कैसी लगी, हमें जरुर बताएं। और इसे शेयर करके अपने दोस्तों तक भी पहुंचाए। हो सकता है कि आपके इस प्रयास से किसी का जीवन संवर जाए।
 
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Deewanapan



Aksar kaha jaata hai ki pyar kiya nahi jaata ho jaata hai. Aisa hi kuch is kahaani ke jariye mai prove karna chahta hu, pyar jab had se jyada badh jaata hai to vo deewanapan kehlata hai. Aisi hi beintahaan pyar ya yu kahe ki deewanepan aur tyaag ki daastaan hai DEEWANAPAN.

Ek ladka aur ek ladki in dono ke beech kya rishta hota hai mujhe nahi pata lekin jis din se ushe dekha hai bus ek ajeeb si feeling dil me uthne lag hai, pata nahi kyon lekin mujhe usse pyar ho gaya tha. Aaj us kahavat ka arth samajh me aa gaya ki pyar kiya nahi jaata ho jaata hai.

" chote babu, chote babu, kaha ho aap? " Sannate ko cheerti huyi aawaaj Sameer ke kaano tak pahuchi aur vo apne khayalo se baahar nikla.

Aawaj Sameer ke naukar Ramesh kaka ki thi. Bachpan me hi Sameer ke maa-baap ek accident me maare gaye the. Tabse lekar aaj tak ushe Ramesh kaka ne hi pala posa tha. Agar vo na hote to pata nahi bin maa-baap ke bacche ka kya haal hota. Isiliye Sameer unki bahut izzat karta tha, hamesha unhe kaka kahkar bulata tha aur kabhi bhi Sameer ne unhe ghar kaa naukar nahi smajha.

Aaj jis ladki ke baare me Sameer soch raha hai usse Sameer ke milne ki kahani bhi badi rochak hai. baat kareeb ek mahine pehle ki hai jab Sameer apni cousin Ekta ki shaadi me gaya hua tha.

Khusnuma mahoul tha, har taraf hasi mazaak chal raha tha, Tabhi Ekta ke papa Anoop ne Sameer se kaha ki beta jaao aur jaakar Ekta ke room se phoolmaala le aao aur saath me vaha kuch mithaayi ke dibbe bhi honge unhe bhi lete aana.

Sameer ne Ekta ke kamre me pahuchkar light on ki aur kamre me roshni hote hi uski aankho ke aage andhera chaa gaya. Uske dil aur dimaag ne kaam karna band kar diya tha. Uski saanse phoolne lagi thi, dil ki dhadkane achaanak itni tez ho gayi thi ki Sameer ko lagne laga ki uska dil abhi uske haath me aa jaayega. Pehli baar jindagi me ushe koi ladki dekhne ke baad is tarah feel hua tha. Ladkiya to usne bahut dekhi thi par iski baat hi kuch aur thi.

Jab Sameer ko hosh aaya to usne dhyaan diya ki vo ladki kamre se mithaai ke dibbe chura rahi thi. Isse pehle ki Sammer kuch bolta vo ladki bol uthi," Please sir, kisi ko mat bataiyega, mai aur meri behan paanch din se bhukhe hai, please sir hame jaane dijiye, chahe to aap ye mithaai bhi vaapis le lijiye par hame jaane dijiye please."

Sameer ko aisa laga jaise uske khoobsurat gulabi hontho se phool baras rahe ho aur uske kaano me jaise kisine shahad ghol diya ho. Kuch pal tak to vo uski khoobsurat aawaaj ki khumaari me hi dooba raha. Pata nahi vo kab tak aur isi tarah rehta agar us ladki ki aawaj se uska dhyaan us ladki ki or nahi jaata to.

" kya mai ab jaa sakti hu sir "

" haan " iske alawa kuch bhi nahi keh paaya Sameer.

Us ladki ko jaate dekhkar Sameer ke dil me ek ajeeb si tees uthi.

" ruko " khud-b-khud uske munh se nikla. vo khud bhi samajh nahi paaya ki usne aisa kyu kaha.

vo ladki pehle hi ghabraayi huyi thi aur Sameer ke aisa bolne se uski ghiggi bandh gayi. usne dare-sehme se chehre ko Sameer ki taraf ghumaya.

Sameer ko kuch samajh me nahi aaya ki vo kya kahe, ushe to ye bhi maalum nahi tha ki usne us ladki ko roka hi kyun? kyun nahi jaane diya ushe.

" ye mithaai ke dibbe le jaao, khud bhi kha lena aur apni behan ko bhi khila dena " jab kuch samajh me nahi aaya to Sameer ne yahi kehna behtar smajha.

" thankyou sir " us ladki ka saara dar ek pal me rafuchakkar ho gaya aur uske pyaare se maasum chehre par ek bahut hi aakarshak aur khoobsurat muskaan ubhar aayi. jise dekhkar Sameer maano kho sa gaya tha.

Ladki ne mithaai ke dibbe uthaye aur chupchaap khidki se baahar nikal gayi.

Us din se Sameer us ladki ke khayalo me khoya hua tha. Us ladki ki har ada pe vo dil-o-jaan se mar mita tha.

" abhi aaya kaka " Sameer ne kaha aur uthkar apne bedroom se baahar chala gaya. Ramesh kaka ne khaana laga diya tha, dono ne khaana khaaya aur phir Sameer taiyaar hokar college chala gaya. Lekin ushe kya maalum tha ki bhagvaan aaj uspar kuch jyada hi meharbaan hone vaala hai. College ke gate ke baahar jaise hi usne parking me bike khadi ki, picche muda, ek baar phir se uske dil ki dhadkane badhna shuru ho gayi thi. Vahi manmohak chehra, vahi khoobsurat laal hontho ke beech chamakte safed motiyo jaise daant, vahi kaali-kaali julfe. Sabkuch to vahi tha, vahi ladki Sameer ko saamne ke store ke paas khadi dikh rahi thi. Uske saath ek choti bacchi bhi thi jo shaayad uski behan thi. Sameer ko samajh me nahi aa raha tha ki vo kya kare. Abhi tak vo ishi udhedbun me tha ki vo us ladki se baat kare ya na kare. Ushe hosh aaya ajab us ladki ne kaha," are aap, aap yaha kaise sir. "

Tab Sameer ko realize hua ki vo to sadak paar karke us ladki ke paas pahuch chuka tha, ushe bahut ajeeb laga ki bina uski marzi ke uske pair kyo ushe us ladki ki taraf kheench laaye. Is sawaal ka uske paas koi bhi jawaab nahi tha.

" mai is college me padhta hu, tum yaha kya kar rahi ho "

" sir ab aapse kya chupaau, aapko to pata hi hai ki mere upar hi meri behan ki saari jimmedaari hai. Mata-pita ki death ho chuki hai aur rishtedaaro ne jaaydaad hadap li hai, abhi mai itni padhi-likhi bhi nahi hu ki koi job hi kar saku. Aapse kuch chupaaungi nahi mai, yaha mai is canteen se kuch khaane ka saamaan churaane aayi thi. Mai to bhukhi reh sakti hu sir lekin jab is nanhi si jaan ko bhookh se tadapte huve dekhti hu to mera dil dard se phatne ko ho jaata hai. Mai kuch bhi seh sakti hu sir, lekin apni behan ka tadapna nahi seh sakti "

" Agar tum bura na maano to mai tumse kuch jaroori baat karna chahta hu "

" Mai aapki baato ka bura kyu maanungi sir, aapko jo kehna hai aap kahiye "

Ab tak Sameer us ladki ko apne dil ki baat bataane ka faisla kar chuka tha, bola," Jis din maine tumhe pehli baar dekha tha ushi din mere dil me ek ajeeb si feeling utpann huyi thi, mai nahi jaanta ki aisa kyo hua tha. Aajtak maine bahut ladkiya dekhi hai par kabhi bhi mujhe vaisa mehsoos nahi hua jaisa tumhe dekhkar hua hai. Mai nahi jaanta ki tum meri baato ko kaise logi, ho sakta hai ki tumhe bura bhi lage, uske liye mai pehle hi maafi maang lena chahta hu. Maine to ummeed hi chod di thi ki mai kabhi tumhe dobara mil bhi paaunga, lekin jab aaj bhagvaan ne mujhe tumse dobara milvaaya hai to ab mai tumhe doosri baar jaane nahi dena chahta. Pata nahi kyo but I LOVE YOU and will always love you. Marte dum tak mai sirf aur sirf tumse hi pyaar karta rahunga chahe tumhaara jawaab kuch bhi ho, kyonki pyar sirf ek baar hota hai, jo baar-baar ho vah pyar nahi khilvaad hota hai "

Us ladki ki aankho ke kinaare se aansuo ki do boond tapakkar uske surkh laal ho chuke gaalo par gir pade jisne ki uski sundarta me chaar chaand laga diye.

" Mai bhi ushi din se aapko chahne lagi thi sir. I LOVE YOU TOO lekin ek vaada kijiye aap mujhe kabhi bhi chodkar nahi jaayenge "

" marte dum tak nahi, ab hame sirf aur sirf mout hi juda kar sakti hai "

" meri behan ab meri jimmedaari hai aapko isse koi .. "

Uski baat poori hone se pehle hi Sameer bol pada," aaj se balki abhi se tumhaari saari jimmedaariya aur dard mere aur meri saari khushiya tumhaari "

Ladki ne kaskar Sameer ko apni baaho me bhar liya. Jab unka aalingan khatam hua to un dono ki aankho se aansu beh rahe the. Dono ne ek doosre ki aankho me dekha aur khud-ba-khud unke honth aapas me milte chale gaye.
 
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मेरी अधूरी प्रेम कहानी



वो दिन अभी भी याद आता है जब पापा से बहुत जिद करने के बाद 5 रूपए मांगे थे क्यूंकि क्लास में तुमने कहा था तुम्हे गोलगप्पे बहुत पसंद हैं…और मुझे तुम अच्छी लगती थीं…तुम्हारा और मेरा घर आजू बाजू था और रास्ते में ‘कैलाश गोलगप्पे वाला’ अपना ठेला लगाता था…घर जाने के दो रास्ते थे तुम दुसरे रास्ते जाती और मैं गोलगप्पे की दुकान वाले रास्ते…उस दिन बहुत खुश था…नेवी ब्लू रंग की स्कूल की पैंट की जेब में १ रुपये के पांच सिक्के खन खन करके खनक रहे थे और मैं खुद को बिल गेट्स समझ रहा था…शायद पांच रुपये मुझे पहली बार मिले थे और तुझे गोलगप्पे खिलाकर सरप्राइज भी तो देना था…


स्कूल की छुट्टी होने के बाद बड़ी हिम्मत जुटा कर तुमसे कहा- ज्योति, आज मेरे साथ मेरे रास्ते घर चलो ना? हांलाकि हम दोस्त थे पर इतने भी अच्छे नहीं कि तू मुझ पर ट्रस्ट कर लेती…’मैं नी आरी’ तूने गुस्से से कहा…’प्लीज चलो ना तुम्हे कुछ सरप्राइज देना है’…मैंने बहुत अपेक्षा से कहा…ये सुन के तू और भड़क गयी और जाने लगी क्यूंकि क्लास में मेरी इमेज बैकैत और लोफर लड़कों की थी…

मैं जा ही रहा था तो तू आकर बोली- रुको मैं आउंगी पर तुम मुझसे 4 फीट दूर रहना….मैंने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है…हम चलने लगे और मैं मन ही मन प्रफुल्लित हुए जा रहा ये सोचकर की तुझे तेरी मनपसंद चीज़ खिलाऊंगा और शायद इससे तेरे दिल के सागर में मेरे प्रति प्रेम की मछली गोते लगा ले…खैर गोलगप्पे की दुकान आई…मैं रुक गया…तूने जिज्ञासावस पूछा- रुके क्यूँ?






मैं- अरे! ज्योति तुम गोलगप्पे खाओगी ना इसलिए।
तू- अरे वाह!!!!!! जरुर खाऊँगी।

तेरी आँखों में चमक थी। और मेरी आत्मा को तृप्ति और अतुलनीय प्रसन्नता हो रही थी। तब १ रुपये के ३ गोलगप्पे आते थे।

मैं- कैलाश भैय्या ज़रा पांच के गोलगप्पे खिलवा दो।
कैलाश भैय्या- जी बाबू जी। (मुझे बुलाकर कान में) गरलफ्रंड हय का?
मैं(हँसते हुए)- ना ना भैया।आप भी
कैलाश भैय्या ने गोलगप्पे में पानी डालकर तुझे पकड़ाया ही था कि तू जोर से चिल्लाई- रवि…रवि
इतने में एक स्मार्ट सा लौंडा(शायद दुसरे स्कूल का) जिसके सामने मैं वो था जैसा शक्कर के सामने गुड लाल रंग की करिज्मा से हमारी तरफ आया और बाइक रोक के बोला- ज्योति मैं तुम्हारे स्कूल से ही आ रहा हूँ। चलो ‘कहो ना प्यार है के दो टिकट करवाए हैं जल्दी बैठो’


‘हाय ऋतिक रोशन!!!!’ कहते हुए तू उछल पड़ी और गोलगप्पा जमीन में फेंकते हुए मुझसे बोली-सॉरी अंकित आज किसी के साथ मूवी जाना है, कभी और।

और मैं समझ गया कि ये “किसी” कौन होगा।



ये कहते हुए तू बाइक में बैठ गई और उस लौंडे से चिपक गई, उसके सीने में अपने दोनों हाथ बांधे हुए।
तू आँखों से ओझल हुए जा रही थी और मुझे बस तेरी काली जुल्फें नज़र आ रही थी। उसी को देखता मेरे नेत्रों में कालिमा छा रही थी।
कैलाश भैय्या की भी आँखे भर आईं थी और मेरे दो नैना नीर बहा रहे थे।
कैलाश भैय्या- छोड़ो ना बाबू जी। ई लड़कियां होती ही ऐसी हैं। अईसा थोअड़े होअत है कि किसी के दिल को शीशे की तरह तोड़ दो।
ये कहकर उन्होंने कपड़ा उठाया जिससे वो पसीना पोछा करते थे और अपने आंसुओं को पोछने लगे। मैं भी रो पड़ा।
अभी 14 गोलगप्पे बचे थे और कैलाश भैय्या जिद कर रहे थे खाने की।
एक एक गोलगप्पा खाते खाते दिल फ्लैशबैक में जा रहा था।
दूसरा गोलगप्पा- तू सातवीं कक्षा में क्लास में नई नई आई थी आँखों में गाढ़ा काजल लगाकर और मेरी आगे वाली सीट में बैठ गई थी
तीसरा गोलगप्पा- तूने सातवीं कक्षा के एनुअल फंक्शन में ‘अंखियों के झरोखे से’ गाना गाया था।
चौथा गोलगप्पा- उसी दिन की रात मेरे नयनो में तेरी छवि बस गई थी।
पांचवा गोलगप्पा- आठवी कक्षा के पहले दिन मैडम ने तुझे मेरे साथ बिठा दिया था।
छठा गोलगप्पा- मैं बहुत खुश था। तेरे बोलों से हेड एंड शोल्डर्स शैम्पू की खुशबू आती और मैं रोज़ उस खुशबू में खो जाता। यही कारण था मैं आठवी की अर्धवार्षिक परीक्षा में अंडा लाया था। और मैडम ने मुझे हडकाया था।
सातवाँ गोलगप्पा- मैं फेल हो गया था तो मैडम ने तुझे होशियार लड़की के साथ बिठा दिया था।
आँठवा गोलगप्पा – मैं उदास हो गया था। और मैंने 3 दिन तक खाना नहीं खाया था।
नौवा गोलगप्पा- मैं रोज़ छुट्टी के बाद तेरे घर तक तेरा पीछा किया करता था।
दसवां गोलगप्पा – मैं रोज़ सुबह और शाम तेरे घर के चक्कर काटता था इस उम्मीद की शायद तू घर कइ बाहर एक झलक मात्र के लिए ही सही दिख जाए।
ग्यारहवां गोलगप्पा – तूने मुझे एक दिन डांट दिया था कि छुट्टी के बाद मेरा पीछा मत किया करो। और उस दिन मुझे बहुत बुरा लगा था, तबसे मैं दुसरे रास्ते से घर जाने लगा था।
बारहवां गोलगप्पा – हम नवीं कक्षा में पहुँच गए थे। दिवाली थी। कहो ना प्यार है के गाने रिलीज़ हो गए थे। मैं क्लास में बैठा नेत्रों में तेरी तस्वीर लिए ‘क्यूँ चलती है पवन गुनगुनाते रहता था’

तेरहवां गोलगप्पा – मैंने दिवाली के बाद तुझसे पूछा था हिम्मत जुटाकर कि क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है।तुमने कहा था- नहीं मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ।
उस रात मैं बहुत खुश था ये सोचकर की तू कभी तो जानेगी कि तेरे लिए मैं भले ही कुछ भी हूँ मगर मेरे लिए तू वो है जिसके लिए मैं सांस लेता हूँ।
चौदहवां गोलगप्पा – आज कहो ना पयार है रिलीज हुई है और मैं पापा से पांच रुपये मांगने की जिद कर रहा हूँ। यह भी प्लान बना रहा हूँ कि तुझसे आज दिल की बात कह दूंगा।
पन्द्रहवां और आखिरी गोलगप्पा – मेरे दिल टूट चूका था और मुहं में गोलगप्पे का पानी था और चेहरे में अश्कों का।
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  • उससे मिलने से पहले मेरे जीवन में कुछ खोखलापन सा था, एक अजीब सा खालीपन था, जिसे आजतक मेरे अलावा किसी ने महसूस नहीं किया था. क्योंकि मैं स्वभाव से बहुत चंचल थी, इस कारण मैं कॉलेज में भी और घर में भी लोगों से घिरी रहती थी. इसके बावजूद कि मैं बहुत बोलती थी, मेरे जीवन का एक दूसरा पहलु भी था. और जीवन के उस हिस्से में आने की इजाजत मैंने किसी को नहीं दी थी. बाहर से खुश दिखाई देने वाली लड़की जिसे लोग हर पल हसंते-खिलखिलाते देखते थे, उसके बारे में ये अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता था कि वो अंदर से इतनी अकेली होगी, ढेर सारे दर्द अपने भीतर समेटे हुए होगी. मैंने अपने आस-पास एक घेरा सा बना लिया था, कोई भी मेरे द्वारा बनाए गए दायरों को नहीं तोड़ सकता था.
  • मुझे इस बात पर यकिन नहीं हो रहा था कि वो लड़का मेरे बनाए गए दायरों को तोड़कर मेरी सोच में समाता चला जा रहा है. शुरू-शुरू में उससे बात करना महज एक औपचारिकता थी. सहपाठी होने की वजह से मेरी और उसकी अक्सर थोड़ी-बहुत बातचीत होती रहती थी. लेकिन मुझे इस बात का इल्म तक नहीं था कि वो मुझे मन ही मन पसंद करता था, मुझसे दीवानों की तरह प्यार करता था, ये अलग बात थी कि आज तक उसने इस बात को मेरे सामने कभी जाहिर नहीं होने दिया था. मुझे छोटी से छोटी तकलीफ होने पर, उसे मुझसे ज्यादा दर्द होता था. कोई ऐसे भी किसी को चाह सकता है यकीन करने में बहुत वक्त लगा. लेकिन समय के साथ मुझे इस बात का एहसास हो गया कि ये लड़का मेरी चिंता करता है, मेरा ख्याल रखता है. उसके प्यार में पागलपन था, मेरी ख़ुशी के लिए वो कुछ भी कर देता था. उस लड़के ने बिना इस बात का जिक्र किये कि उसे मुझसे बातें करना अच्छा लगता है, मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है, बड़ी ही चालाकी से मुझसे दोस्ती के लिए पूछा. उस दिन संयोग से हम दोनों कॉलेज जल्दी आ गए थे और क्लास रूम में कोई नहीं था- ‘’ उसने कहा कि क्या मैं तुम्हारा हाथ पकड़ सकता हूँ ‘’ पहले तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि आज इस लड़के को क्या हो गया है ये इस तरह की बातें क्यों कर रहा है. लेकिन मुझे उसपर पूरा भरोसा था कि वो कोई गलत काम नहीं करेगा, उसकी आँखों में सच्चाई थी और ये बात मैं साफ़-साफ़ देख सकती थी. उसने इतनी Honestly मेरा हाथ माँगा कि मैं उसे मना नहीं कर पाई और मैंने उसे अपना हाथ दे दिया. ‘’उसने मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी तुम मुझे अच्छी लगती हो और मैं तुममें एक अच्छा दोस्त देखता हूँ, अच्छा इंसान देखता हूँ और मैं चाहता हूँ कि मैं जिंदगी भर तुम्हारा दोस्त बनकर तुम्हारे साथ रहूँ.’’
  • उसने इतनी ईमानदारी से अपनी इस बात को मेरे सामने रखा कि मैं ना नहीं कर पाई और मैंने हाँ कर दिया. उस दिन उसने बस इतना हीं कहा और चला गया. मुझसे दोस्ती करने की खुशी मैं साफ़-साफ़ उसके चेहरे पर देख सकती थी. मैंने इस बात को बड़े हल्के में लिया, हांलाकि मुझे ये सोच कर दिन भर बहुत हंसी आ रही कि किस तरह से डरते-डरते उसने मेरा हाथ पकड़ा था. जब मैंने अपना हाथ उसके हाथों में दिया था तो मैं अच्छी तरह से उसकी कांपती हाथों को महसूस कर सकती थी. और पूरे दिन उस वाकये को याद करके मुझे हंसी आ रही थी, मैं अकेले में भी बिना बात के हँसे जा रही थी.
  • मेरे आस-पास रहने वाले लोग ये देख कर समझ गए थे कि जरुर कोई बात है. अब हम दोनो दोस्त बन गए थे और उसने बड़ी ही चालाकी से मुझसे किसी भी वक्त फोन पर बात करने की इजाजत मांग ली थी. अब वो मुझसे फोन पर बातें करने लगा था. अब उससे बात करना मुझे भी अच्छा लगने लगा था, मेरे अंदर क्या चल रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था. क्यों मैं उसके फोन का इंतज़ार करने लगी थी ? क्यों मैं उसकी ओर खिंची चली जा रही थी ? शायद उससे अपनी बातें share करना मुझे अच्छा लगने लगा था. जब भी मैं उदास होती किसी को पता चले ना चले उसे पता चल जाता था, और वह मेरी उदासी को दूर करने का हर संभव प्रयास करता था.
  • एक दिन उसने मुझसे I Love You कहा, मुझे वक्त लगा… लेकिन मैंने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया. मेरे हर जन्मदिन पर मुझसे ज्यादा खुश होना, मेरे ऊपर हजारों रुपए मना करने के बावजूद खर्च कर देना, वो दीवाना था मेरा… उसने भी मुझे अपना दीवाना बना लिया था. बाइक पर अक्सर घूमने निकल जाना, कॉलेज बंक करके फिल्म देखने जाना, ये सब हमें अच्छा लगने लगा था. उसकी पूरी दुनिया बन गई थी मैं, मेरी पूजा करता था वो. मेरे लिए किसी से पंगा लेने से पहले बिल्कुल नहीं सोचता था वो. दिन तेजी से बीतने लगे, हम दोनों दुनिया को भूल चुके थे. प्यार के उस दौर ने हम दोनों को भीतर से बदल दिया था. हमने प्यार की ढ़ेरों कसमें खाई, और ढ़ेरों वादे किए.
  • वक्त ने करवट लिया, मेरे पिताजी ने 20-21 साल की कम उम्र में हीं मेरी शादी पक्की कर दी. अंदर से मेरा हाल भी बेहाल था, लेकिन वह मुझसे ज्यादा बेहाल था. वह किसी भी हद तक जाने को तैयार था, मेरा साथ पाने के लिए. लेकिन मैं जानती थी, कि अगर मैं घर से भाग जाती हूँ तो मेरे घर वालों का समाज में जीना मुश्किल हो जाएगा. कड़े मन से मैंने उसके साथ जाने से इंकार कर दिया. वह हर दिन सैंकड़ो बार कोशिश करता कि मेरे फैसले को बदल पाए, लेकिन मैं नहीं मानी. मेरी शादी हो गई, हर कोई खुश था…. उस लड़के के सिवा.
  • अपनी शादी के बहुत महीनों के बाद मेरी उससे मुलाकात हुई. उसने अपना हाल बेहाल कर लिया था. उसने कहा कि वो मुझसे मिलने से पहले भी अकेला था और मेरे जाने के बाद फिर अकेला हो गया है.
  • उसने कहा कि, वो हमारे कसमों और वादों को पूरा करेगा. वो कहता है, कि प्यार की लड़ाई तो वो हार गया है, पर प्यार की जंग जरुर जीतेगा वो. वो कहता है कि, तुम भले मेरा साथ न दे सको, मेरा प्यार तो मेरे साथ है न. मेरे प्यार के सहारे उसने जिंदगी में आगे बढ़ने की ठानी है. वो कहता है, कि उसका प्यार सच्चा है, इसलिए उसका प्यार कभी उसकी कमजोरी नहीं बनेगा.
  • मुझे अपनी गलती का एहसास है. क्योंकि मेरा प्यार मुझे ज्यादा दुखी है, और मैंने उसकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया है. मैं उस दीवाने के प्यार को सलाम करती हूँ, जिसके पास न मेरा तन है, न मेरा समय न मेरा जीवन…… पर अब भी वो मुझसे प्यार करता है.
  • पर उस दिन उसने मुझसे झूठ बोला था, शायद वह बुरी तरह टूट चुका था. जबकि उसने खुद को बहुत बहादुर दिखाने की कोशिश की थी. वह लोगों से दूर होता चला गया था, और लोग उससे दूर होते चले गए थे. बुरे लोगों से दोस्ती कर ली थी उसने. वह शराब, सिगरेट और ड्रग्स का आदि हो गया था. वह बुरी तरह डिप्रेशन का शिकार हो गया था. और अंत में एक दिन उसने आत्महत्या कर ली. ये था इस कहानी का अंत. मैं न तो जीते जी उसके साथ रह पाई न उसके अंतिम समय में मैं उसका साथ निभा पाई.
  • उस दौर में जी रहे हैं हम जहाँ दुश्मन तो आसानी से पहचाने जाते हैं. लेकिन सच्चे या झूठे प्यार को पहचानना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है. Moral message of the story : प्यार कीजिए, लेकिन सोच समझकर. अंधे प्यार का अंत हमेशा बुरा होता है. यह मौलिक कहानी आपको कैसी लगी, यह हमें जरुर बताएँ. आपके सलाहों और सुझावों का हमें इंतजार रहेगा.
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Deewanapan



Aksar kaha jaata hai ki pyar kiya nahi jaata ho jaata hai. Aisa hi kuch is kahaani ke jariye mai prove karna chahta hu, pyar jab had se jyada badh jaata hai to vo deewanapan kehlata hai. Aisi hi beintahaan pyar ya yu kahe ki deewanepan aur tyaag ki daastaan hai DEEWANAPAN.

Ek ladka aur ek ladki in dono ke beech kya rishta hota hai mujhe nahi pata lekin jis din se ushe dekha hai bus ek ajeeb si feeling dil me uthne lag hai, pata nahi kyon lekin mujhe usse pyar ho gaya tha. Aaj us kahavat ka arth samajh me aa gaya ki pyar kiya nahi jaata ho jaata hai.

" chote babu, chote babu, kaha ho aap? " Sannate ko cheerti huyi aawaaj Sameer ke kaano tak pahuchi aur vo apne khayalo se baahar nikla.

Aawaj Sameer ke naukar Ramesh kaka ki thi. Bachpan me hi Sameer ke maa-baap ek accident me maare gaye the. Tabse lekar aaj tak ushe Ramesh kaka ne hi pala posa tha. Agar vo na hote to pata nahi bin maa-baap ke bacche ka kya haal hota. Isiliye Sameer unki bahut izzat karta tha, hamesha unhe kaka kahkar bulata tha aur kabhi bhi Sameer ne unhe ghar kaa naukar nahi smajha.

Aaj jis ladki ke baare me Sameer soch raha hai usse Sameer ke milne ki kahani bhi badi rochak hai. baat kareeb ek mahine pehle ki hai jab Sameer apni cousin Ekta ki shaadi me gaya hua tha.

Khusnuma mahoul tha, har taraf hasi mazaak chal raha tha, Tabhi Ekta ke papa Anoop ne Sameer se kaha ki beta jaao aur jaakar Ekta ke room se phoolmaala le aao aur saath me vaha kuch mithaayi ke dibbe bhi honge unhe bhi lete aana.

Sameer ne Ekta ke kamre me pahuchkar light on ki aur kamre me roshni hote hi uski aankho ke aage andhera chaa gaya. Uske dil aur dimaag ne kaam karna band kar diya tha. Uski saanse phoolne lagi thi, dil ki dhadkane achaanak itni tez ho gayi thi ki Sameer ko lagne laga ki uska dil abhi uske haath me aa jaayega. Pehli baar jindagi me ushe koi ladki dekhne ke baad is tarah feel hua tha. Ladkiya to usne bahut dekhi thi par iski baat hi kuch aur thi.

Jab Sameer ko hosh aaya to usne dhyaan diya ki vo ladki kamre se mithaai ke dibbe chura rahi thi. Isse pehle ki Sammer kuch bolta vo ladki bol uthi," Please sir, kisi ko mat bataiyega, mai aur meri behan paanch din se bhukhe hai, please sir hame jaane dijiye, chahe to aap ye mithaai bhi vaapis le lijiye par hame jaane dijiye please."

Sameer ko aisa laga jaise uske khoobsurat gulabi hontho se phool baras rahe ho aur uske kaano me jaise kisine shahad ghol diya ho. Kuch pal tak to vo uski khoobsurat aawaaj ki khumaari me hi dooba raha. Pata nahi vo kab tak aur isi tarah rehta agar us ladki ki aawaj se uska dhyaan us ladki ki or nahi jaata to.

" kya mai ab jaa sakti hu sir "

" haan " iske alawa kuch bhi nahi keh paaya Sameer.

Us ladki ko jaate dekhkar Sameer ke dil me ek ajeeb si tees uthi.

" ruko " khud-b-khud uske munh se nikla. vo khud bhi samajh nahi paaya ki usne aisa kyu kaha.

vo ladki pehle hi ghabraayi huyi thi aur Sameer ke aisa bolne se uski ghiggi bandh gayi. usne dare-sehme se chehre ko Sameer ki taraf ghumaya.

Sameer ko kuch samajh me nahi aaya ki vo kya kahe, ushe to ye bhi maalum nahi tha ki usne us ladki ko roka hi kyun? kyun nahi jaane diya ushe.

" ye mithaai ke dibbe le jaao, khud bhi kha lena aur apni behan ko bhi khila dena " jab kuch samajh me nahi aaya to Sameer ne yahi kehna behtar smajha.

" thankyou sir " us ladki ka saara dar ek pal me rafuchakkar ho gaya aur uske pyaare se maasum chehre par ek bahut hi aakarshak aur khoobsurat muskaan ubhar aayi. jise dekhkar Sameer maano kho sa gaya tha.

Ladki ne mithaai ke dibbe uthaye aur chupchaap khidki se baahar nikal gayi.

Us din se Sameer us ladki ke khayalo me khoya hua tha. Us ladki ki har ada pe vo dil-o-jaan se mar mita tha.

" abhi aaya kaka " Sameer ne kaha aur uthkar apne bedroom se baahar chala gaya. Ramesh kaka ne khaana laga diya tha, dono ne khaana khaaya aur phir Sameer taiyaar hokar college chala gaya. Lekin ushe kya maalum tha ki bhagvaan aaj uspar kuch jyada hi meharbaan hone vaala hai. College ke gate ke baahar jaise hi usne parking me bike khadi ki, picche muda, ek baar phir se uske dil ki dhadkane badhna shuru ho gayi thi. Vahi manmohak chehra, vahi khoobsurat laal hontho ke beech chamakte safed motiyo jaise daant, vahi kaali-kaali julfe. Sabkuch to vahi tha, vahi ladki Sameer ko saamne ke store ke paas khadi dikh rahi thi. Uske saath ek choti bacchi bhi thi jo shaayad uski behan thi. Sameer ko samajh me nahi aa raha tha ki vo kya kare. Abhi tak vo ishi udhedbun me tha ki vo us ladki se baat kare ya na kare. Ushe hosh aaya ajab us ladki ne kaha," are aap, aap yaha kaise sir. "

Tab Sameer ko realize hua ki vo to sadak paar karke us ladki ke paas pahuch chuka tha, ushe bahut ajeeb laga ki bina uski marzi ke uske pair kyo ushe us ladki ki taraf kheench laaye. Is sawaal ka uske paas koi bhi jawaab nahi tha.

" mai is college me padhta hu, tum yaha kya kar rahi ho "

" sir ab aapse kya chupaau, aapko to pata hi hai ki mere upar hi meri behan ki saari jimmedaari hai. Mata-pita ki death ho chuki hai aur rishtedaaro ne jaaydaad hadap li hai, abhi mai itni padhi-likhi bhi nahi hu ki koi job hi kar saku. Aapse kuch chupaaungi nahi mai, yaha mai is canteen se kuch khaane ka saamaan churaane aayi thi. Mai to bhukhi reh sakti hu sir lekin jab is nanhi si jaan ko bhookh se tadapte huve dekhti hu to mera dil dard se phatne ko ho jaata hai. Mai kuch bhi seh sakti hu sir, lekin apni behan ka tadapna nahi seh sakti "

" Agar tum bura na maano to mai tumse kuch jaroori baat karna chahta hu "

" Mai aapki baato ka bura kyu maanungi sir, aapko jo kehna hai aap kahiye "

Ab tak Sameer us ladki ko apne dil ki baat bataane ka faisla kar chuka tha, bola," Jis din maine tumhe pehli baar dekha tha ushi din mere dil me ek ajeeb si feeling utpann huyi thi, mai nahi jaanta ki aisa kyo hua tha. Aajtak maine bahut ladkiya dekhi hai par kabhi bhi mujhe vaisa mehsoos nahi hua jaisa tumhe dekhkar hua hai. Mai nahi jaanta ki tum meri baato ko kaise logi, ho sakta hai ki tumhe bura bhi lage, uske liye mai pehle hi maafi maang lena chahta hu. Maine to ummeed hi chod di thi ki mai kabhi tumhe dobara mil bhi paaunga, lekin jab aaj bhagvaan ne mujhe tumse dobara milvaaya hai to ab mai tumhe doosri baar jaane nahi dena chahta. Pata nahi kyo but I LOVE YOU and will always love you. Marte dum tak mai sirf aur sirf tumse hi pyaar karta rahunga chahe tumhaara jawaab kuch bhi ho, kyonki pyar sirf ek baar hota hai, jo baar-baar ho vah pyar nahi khilvaad hota hai "

Us ladki ki aankho ke kinaare se aansuo ki do boond tapakkar uske surkh laal ho chuke gaalo par gir pade jisne ki uski sundarta me chaar chaand laga diye.

" Mai bhi ushi din se aapko chahne lagi thi sir. I LOVE YOU TOO lekin ek vaada kijiye aap mujhe kabhi bhi chodkar nahi jaayenge "

" marte dum tak nahi, ab hame sirf aur sirf mout hi juda kar sakti hai "

" meri behan ab meri jimmedaari hai aapko isse koi .. "

Uski baat poori hone se pehle hi Sameer bol pada," aaj se balki abhi se tumhaari saari jimmedaariya aur dard mere aur meri saari khushiya tumhaari "

Ladki ne kaskar Sameer ko apni baaho me bhar liya. Jab unka aalingan khatam hua to un dono ki aankho se aansu beh rahe the. Dono ne ek doosre ki aankho me dekha aur khud-ba-khud unke honth aapas me milte chale gaye.
Nice one
 
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Hello Everyone :hi: ,
We are Happy to present to you The Exclusive story contest of Lustyweb "The Exclusive Story Contest" (ESC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne ESC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat aka discussion thread toh pehle se he Hindi section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 2000 words and maximum 8000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Lustyweb dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki ESC Ki stories ko pure Lustyweb k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.


Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Lustyweb k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.


Entry thread aaj yaani 5th February ko open hogaya hai matlab aap aaj se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 25 February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.


Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Lweb Staff.
 

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