Incest मां को चोद कर बहन से शादी की (Complete)

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भैय्या, बिना औरत के घर घर नही होता. अब मै आ गयी हू तो आपके मकान को घर मे बदल दून्गी. आप जा कर सब्जी वगैरा ले आये फ़िर देखना मेरा कमाल"

मै अपनी बहन को अलिन्गन मे ले कर खडा रह और प्यार से उसकी गान्ड पर हाथ फ़ेरने लगा और वो भी मेरे लन्ड पर अपनी चूत को रगडने लगी. मुझे पता ही नही चला जब मेरे होठ नेहा के होठो से जा टकराये तो वो अलग होती हुई बोली,

"भैय्या, बस करो अब. अपनी बहन को प्यार दिखाने का बहुत वक्त है, आप बाज़ार जाइये और सामान ले आइये"

खडे लन्ड को ज़बरदस्ती बिठाते हुए मै बाज़ार चला गय. सामान खरीदा और वपिस आने ही वाला था की फोन बजा. फोन नेहा का था," भैय्या मेरे लिया एक ओडोमोस लेते आना, यहा मच्छर बहुत है" मै केमिस्ट की दुकन पर चला गया. वहा मुझे एक बोतल ऐसी दवा की भी मिली की जिसको पीने से औरत पर वो असर होता है जो मर्द पर वायाग्रा का होता है. घर आया तो नेहा मेरे कमरे मे बैठी मस्तराम की किताब पढ रही थी. मेरा अन्दाज़ा ठीक निकला. ऐसी किताब पढने से मेरी बहन के बदन मे वासना ज़रुर भडके गी. मुझे देख कर उसने किताब छुपा ली. मै उसको सामान दे कर बोला,

" अब मै बाहर एक दोस्त के यहा जा रहा हू. शाम को खाना खायेन्गे, तुम दरवाजा बन्द रखना"

मेरे दोस्त का एक फोटो स्टुडिओ था, मै वहा अक्सर जाया करता था और हम एक दूसरे से ऐसेही इधर उधर की बाते करते थे. मै वहा गया तो दोस्त किसी काम के सिलसिले मे बाहर गया था, लेकिन उसके असिस्टन्ट मुझे जानते थे, उन्होने मुझे उसके ऑफिस मे बिठाया. मैने बैठे बैठे वहा अपना लॅपटॉप खोला और बहन के कमरे मे लगे वेब कॅम को देखने लगा. वेब कॅम ठीक काम कर रहा था. नेहा अपने कपडे बदल रही थी. मुझे उसकी तस्वीर के साथ आवाज़ भी सुनायी दे रही थी. नेहा ने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसकी चुची चमक उठी. वो मस्तराम की किताब ले कर अपने बिस्तर मे बैठी हुइ थी और एक हाथ से अपनी चुची मसल रही थी.

" वाह भैय्या, किताब तो बहुत मस्त रखी हुइ है घर मे! मेरे प्यारे भैय्या, स्टेशन पर तो बहुत घूर रहे थे अपनी बहन की चुची को.......... क्या बात है अपनी बहन को पत्नि बनाने का प्लान तो नही है? मेरे प्यारे भाई, मै जानती हू तुम मुझे नहाते वक्त देखा करते थे..........लो मै आ गयी तुम्हारे पास, अब और मत तडपाओ.........अब कितनी देर लगाओगे मुझे अपनाने मे? तुम्हारी प्यारी बहना की चूत तुम्हारे लिये बेकाबु हो राही है भैय्या आपके लन्ड को याद कर के.........अब आ भी जाओ ना....."

मै हैरान रह गया. मै तो मै, मेरी बहन खुद मेरी पत्नि बन जाना चाहती थी! मैने पॅन्ट की ज़िप खोली और घर फोन लगाया. नेहा ने उठाया तो मैने पूछा

"नेहा, मेरी बहन क्या कर रही हो?" मेरा हाथ मेरे लन्ड को सहला रहा था. वेब कॅम मे अब मेरी बहना अपनी चूत को मसल रही थी.

"कुछ नही भैय्या कुछ ज़रूरी कम कर रही थी. क्या बात है भैय्या?"


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मैने कहा,"कुछ नही, बस तेरी याद आ रही थी"

इस पर नेहा ने अपनी चुची मसलते हुए जवाब दिया"हा भैया....मुझे भी......."


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उसकी ये अदा देखकर मै तो बस झडते झडते रह गया. लन्ड को पॅन्ट के अन्दर डालकर खुद पर काबू रखकर बोला

"बस थोडा सब्र करना, मै जल्दी ही आ जाऊन्गा"

तभी मेरा दोस्त अनिल - जो उस स्टुडिओ का मालिक था- आ गया. वो मुझसे कुछ पैसे उधार ले चुका था जो वापिस करना चाहता था. मेरे दिमाग मे आयडिया आयी, जिससे मेरे मकान मालिक का भी शक दूर हो सकता था. मैने उसे कहा

"अभी मै कही और जा रहा हू, तू पैसे मेरे घर पे भिजवा देना, और हा साथ मे अपनी भाभी को भी देख लेना"

अनिल खुश हुआ और बोला "साले, छुपे रुस्तम, भाभी को ले आया और बताया तक नाही, घर पे अब खाने का प्रोग्राम हो जाये"

मैने हस के कहा" अरे आज ही तो आयी है, उसे थोडा सेटल होने मे वक्त लगेगा, फिर जरूर पार्टी करेन्गे" यू कह कर मै वहासे चला गया.

शाम को अनिल पैसे देने आया तो मैने नेहा को दरवाजा खोलने को बोल,

" भाभी जी नमस्ते, ये पैसे राज भाई को देने थे."

नेहा ने उसे बैठने के लिये कहा और चाय-पानी पूछा. मै भी अन्दरसे बाहरके कमरे मे आया. अनिल ने मजाक मे कहा
"क्यू भाभी, ये शैतान आपको कहा छुपा कर रखता है? इतनी सुन्दर बिवी है, राज तुमने कभी भनक भी नही होने दी"

अनिल की इन बातोसे नेहा शरमाकर मुस्कुराते हुए अन्दर चली गई. मै और अनिल कुछ देर यूही बाते करते रहे और फिर वो चला गया.

ये प्लान मैने जान बूझ कर किया था, मै जानना चाहता था कि नेहा इस का क्या जवाब देती है. जैसे ही अनिल चला गया, नेहा हसते हुये मेरे पास आयी,

"भैय्या आपका दोस्त तो मुझे भाभी कह कर बुला रहा था." मैने थोडा हिचकिचाने का नाटक किया.

"अब क्या बताउ नेहा तुझे, यहा मकान सिर्फ शादीशुदा लोगो को देते है, और मुझे घर के सख्त जरूरत थी, तुम तो जानती हो कि मै यहा बिलकुल अकेला आया था. तो घर मिलाने के लिये मैने मकान मालिक को झूठ बोला कि मेरी शादी हो चुकी है और बीवी आनेवाली है. ये अनिल उस मकान मालिक का भान्जा है, उसने तुम्हे देखा तो उसे लगा कि मेरी बीवी आयी है.

नेहा हसते हुए बोली,
" लेकिन मै कहा बुरा मान रही हू, क्या मै जानती नही तुमने घर के लिये कितनी मेहनत की है" और उसने मेरे गालोपे चूम लिया. मेरी चेहरा लाल हो गया, लेकिन अपने आप को सम्भालते हुए मैने कहा

"मुझे खुशी है तुमने बुरा नही मन उसकी बात का. चलो अब खाना खाते है, भूख लगी है" और हम दोनो भाई बहन किचन मे गये. मैने कुर्ता और लुन्गी पहनी थी और नेहाने एक टी-शर्ट और एक स्कर्ट जो उसके घुटनो तक आ रही थी. मै बार बार उसकी चुचियो और टान्गोकी तरफ ललचाई नजरोसे देख रहा था.

नेहा ने खाना बडा स्वादिष्ट बनाया था. खाना खा के हम बाहर वाले कमरे मे आकर बैठ गए. मैने नेहासे कहा," वाह भाई ऐसा खाना कितनी देर के बाद नसीब हुआ है. नेहा, सचमुच, तुम जिसकी पत्नि बनोगी, बडा खुशनसीब होगा. बाहर का खाना खा कर तो मै तन्ग आ चुका था."
नेहा प्यार से मेरी गोद मे बैठ कर बोली," भैया अगर तुम चाहो तो ऐसा खाना तुम्हे सारी उमर मिल सकता है, बस मुझे अपने पास रख लो, कभी अलग न करो" मै उसे अपनी बाहो मे भर के कहा,

"मै भी तो यही चाहता हू, मेरी रानी बहना, लेकिन कभी तो तुम्हे अपने पति के घर जाना पडेगा, तुम मेरी पत्नी बनके नही रह सकती"

"क्यू नही भैया, दुनिया मे इतनी सारी बाते होती रहती है, अगर हम दोनो पति-पत्नि जैसे रहे तो क्या फर्क पडता है" नेहा बोली. उसके ये बोल सुन कर मेरे रोन्गटे खडे हो गये, मेरी बहन तो मुझसे दो कदम आगे निकली. मै बोला
"क्या बोल रही हो, उसके लिये तुझे मेरी पत्नि बनना होगा. ये दुनिया उसको कभी स्वीकार नही करेगी, दुनिया की छोडो, मा क्या कहेगी? मै भी तुम्हे बहुत चाहता हू, तुझे प्यार करता हू, तुम्हारे जैसी प्यारी बहन को किसी और के सन्ग भेजने की कल्पनासे मुझे जलन होने लगती हौ, लेकिन क्या करे मेरी रानी........"

नेहा मेरी प्यार भरी बात सुन कर भावुक हो उठी और मेरे होठ चूमने लगी," सच भैय्या? इतना प्यार करते हो मुझे ?"

मैने भी उसके चुम्बन को साथ देते हुए कहा "सच मेरी प्यारी बहना, कई दिनोसे मेरे मन मे यह इच्छा थी लेकिन कैसे कहू समझ मे नही आ रहा था, आज तुमने मेरे मन की बात कहकर सारा मामला खोल दिया"
नेहा मुस्कुराकर बोले" तो भैया, बनाओगे मुझे अपनी दुल्हन? मेरी किस्मत खुल जायेगी, तुम्हारे जैसे प्यार करनेवाला कहा मिलेगा.....!"

मै अभीभी थोडा उलझन मे था
"अरी पगली ऐसा भी होता है, सिर्फ कहनेसे क्या होगा, हमे तो यहा रहना है, समाज मे कैसे रहेन्गे"

लेकिन नेहा के पास हर चीज का जवाब था.
"उसमे कौनसी बडी बात है भैया, हम तो अपने गाव से कई मील दूर आ चुके है, यहा हमारा कोई रिश्तेदार नही, बल्कि यहा तो लोग हमे पति-पत्नि मानने लगे है, तो अच्छा है, उसी को आगे बढाते है"

"लेकिन, नेहा...." मै बोलने लगा तो मेरे होठोपे अपने होठ रखकर नेहाने मेरा मुह बन्द किया और मुझसे लिपट गई.


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"मुझे अपना लो भैया, मेरे पति बन जाओ, मेरे स्वामी, मेरे मालिक. मैने आज तक कई रिश्ते देखे और कई लडकोको ना कहा इसी लिए कि मै अपने भैया की बन जाऊ, मै आपसे बहुत प्यार करती हू भैया, आय लव्ह यू........"
 
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मै बस इन्ही शब्दोको सुनने के लिए व्याकुल था, नेहा के मुख से सुन लिया तो मानो धन्य हो गया और उसे कसके बाहोमे भर लिया. नेहा भी उसी आग मे जल रही थी, उसने मेरे आलिन्गन का साथ देना शुरु किया.

"भैया मुझे प्यार करो! मुझे आज बहन का नही पत्नि का प्यार दो, मेरे प्यारे भैया! कब से अपने भैया की प्यार भरी नज़र को तरस रही हू, राज भैया वर्ना अभी तक शादी न कर लेती. कई लडके तो मुझ से शादी करने को तरस रहे है, लेकिन मै अपनी जवानी अपने राज भैया के लिये सम्भाल कर रखी हू, इसे स्वीकार कर लो मेरे राजा.......!"

अब मुझे अपने आप पर काबू रखना सम्भव नही था, मै वहासे उठ के खडा हुआ और नेहा को अपनी बाहो मे उठा लिया, उसने अपनी बाहे मेरे गले मे डाल दी और मुझे चूमने लगी. मै उसे उठाकर बेडरूम मे ले गया और उसे बिस्तर पर पटक दिया. उस वक्त नेहा ने सफ़ेद स्कर्ट और सफ़ेद कुर्ती पहनी हुई थी, उसके बाल खुले छोडे थे और होठोपे एक अजीबसे मुस्कान थी, कसमसे वो एक अप्सरा दिख रही थी.


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"आओ ना भैया अब और मत तडपाओ" नेहा ने ये कहते हुए अपना निचला होठ दातोतले दबाया. मेरा लन्ड अब तम्बू बनकर लोहे की रॉड जैसा बना था. मै उसपर झपट पडा और उसके मुख पर झुक कर उसको चूमने लगा. उसकी बाहे मेरे गले पर थी और वो मुझे चूम रही थी जैसे एक पत्नि अपने पति को प्यारसे चूमती है. ये हम दोनोका शायद पहला अनुभव था, शुरु मे तो हम सिर्फ एक दूसरे के होठ चबानेकी कोशिश किए जा रहे थे, लेकिन फिर हम बडे प्यारसे होठ चूसने लगे,

मैने नेहा के होठ ही नही बल्कि पूरा चेहरा चूम लिया. प्यार के जोश मे आकर नेहा के मुह से मादक आवाजे निकल रही थी जो मुझे और भडका रही थी. इसी बीच मैने फिरसे उसका चुम्मा लिया और अचानक मेरी जीभ उसके मुह मे चली गई. नेहा और उत्तेजित हो गई और मुझे कसके पकड लिया और उसकी जीभ अब मेरी जीभ से पेन्चा लडाने लगी. हम दोनो भाई बहन बडे प्यार से इस तरह मुख-रस का आदान-प्रदान करते रहे.

मै नेहा के पूरे बदन को सहला रहा था, मेरा एक हाथ अपनी बहन की जान्घो के बीच चला गया और उसने अपनी जान्घे खोल दी. नेहा की चिकनी जान्घे बिलकुल रेशम जैसी थी. मै देखा की नेहा ने पॅन्टी नही पहनी थी इसका मतलब वो तो पूरी तैयारी से आयी थी. उसकी चूत किसी फूल की तरह मुलायम थी.


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मेरी प्यारी बहन ने शायद मेरे लिये चूत साफ़ की थी. उसकी चूत पर बाल का नामोनिशान नही था. मेरे हाथ के स्पर्श से मेरी बहन का जिस्म काम्प उठा और वो मुझ से और जोरसे चिपक गयी.

नेहा का मखमली जिस्म मेरी बाहो मे मचल रहा था. मुझे मालुम ही न था की मेरी सेक्सी बहन मुझ पर पहलेसे फ़िदा है और मुझ से ही चुदवाने के सपने देखती आ रही है. इन विचारोने मुझमे और उत्तेजना भर दी और मै उसकी जान्घे और चूत सहला रहा था. पावरोटी की तरह फुली हुई चूत को जब मेरे हाथो ने स्पर्श किया तो मेरी बहन की आह्ह्ह निकल गयी,


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"भैया...........आआआ, धीरे धीरे करो, प्लीझ.......मै कुवारी हू, अपनी ये चीज मैने तुम्हारे लिए सम्भाल के रखी है........."

मेरे बदन मे खून मानो दौडने लगा, सच नेहा मुझे इतना चाहती थी. मैने बिलकुल धीरे से उसकी चूत को सहलाना शुरु किया, उन्गलियोसे उसकी चूत की पन्खुडियोको छेडता और कभे उन्हे मुठ्*ठी मे लेकर हलकेसे दबाता. मेरी इन क्रियाओसे नेहा और जोश मे आती गई.

"भैया.............मेरी .....मुझमे आग लगा दी है तुमने.......मेरे प्यारे भैया....मुझे प्यार करो भैया...आज अपनी नेहा को अपनी पत्नि बना कर प्यार करो भैया...आआह्ह्ह्ह मेरे प्यारे राज भैया!!"

मैने शरारती ढन्ग मे पूछा

"कहा आग लगी है

बताओ ना मेरी जान, मेरी प्यारी बहना" और उसे फिर बेतहाशा चूमने लगा.

"चलो हटो ना........आप भी ना........जाओ मै नही बताती............" नेहा शरमाई.

"अरी पगली बताओ ना........प्लीज......" यू कहके मैने एक उन्गली हलकेसे उसकी चूत मे घुसेड दी. नेहा के मुह से एक और मादक सिसकारी निकली

"स्स्स्स्स.........आआआह........भैया........जाओ..........तुम भी ना........मेरी उसमे......उम्म्म्म्म्म्म...." नेहा अब भी बोल नही पा रही थी. लेकिन मैने थोडी जिद की.

"उसमे मतलब.........बताओ ना डार्लिन्ग..............."

"इस्स्स............भैया............मेरे राजा.........मेरी................मेरी......मेरी चूत मे आग लगी है और उसमे आपका ये हथियार डाल दो अब................" नेहा ने मेरे कान मे फुसफुसाते हुए ये कहा और एक हाथ नीचे ले जाकर मेरा लन्ड सहलाने लगी. मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा जब नेहा अपना हाथ निचे ले जा कर मेरे लन्ड को पकड कर सहलाने लगी.

मेरा लन्ड लोहे की तरह सख्त हो चुका थ और मेरी बहन के हाथ मे तो जैसे कोई जादु था. मेरा रोम रोम खिल उठा जब मेरी नेहा ने मेरे लन्ड को मुठी मे लिया. जोश मे आ कर मै अपनी उन्गली अपनी प्यारी नेहा के चूत मे घुसेड दी. चूत पानी पानी हो रही थी. मेरी प्यारी बहना उतेजित थी और शायद लन्ड अपनी चूत मे घुसवाने को बेकरार थी. उसने अपने चूतड उपर उठा कर मेरी उन्गली पूरी तरह चूत मे लेने का प्रयास किया,

" भैया, अपनी बहन को चोदोगे नही? क्या उन्गली से ही तडपाते रहोगे? मेरे हाथ मे जो प्यारा लन्ड है उसको नही पेलोगे अपनी बहना की चूत मे? भैया आपका लन्ड अब मेरी सम्पति है जिसको अब आपकी बहन अपनी चूत मे छुपा कर रखेगी! भैया अब देर मत करो, अपनी नेहा को चोद डालो, राज भैया, प्लीऽऽऽऽझ.......

नेहा की इन सेक्सी बातो से मै भी उत्तेजित होते हुए उसकी कुर्ती उतार फ़ेकी. अन्दर एक सफेद कलर की ब्रा थी जिससे नेहा की चुचिया आजाद होने का प्रयास कर रही थी, मैने उसे भी शरीर से अलग कर दिया. वाह क्या नज़ारा था! नेहा का दुधिया जिस्म कमरे मे चमक उठा. उसकी दूध जैसी सफेद चुची कितनी सेक्सी लग रही थी! और उसके उपर गुलाबी कलर के निपल, जो सख्त होकर खडे थे........मै मस्ती से भर गया. मै अपने होठ अपनी बहन के निपले पर रख दिया और चूसने लगा.

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नेहा के निपल मेरे होठोका स्पर्श पा कर और कडे हो गए और मै उनको चूसने लगा. नीचे मेरी बहन के हाथ मेरे लन्ड से खेल रहे थे और मेरी उन्गली उसकी चूत मे अन्दर बाहर हो रही थी,


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"चुसो भैया, चुसो मेरी चुची...ऊऊह्ह मेरे प्यारे भैया, चुस लो मेरे निपल.........आआह्ह्ह्ह्ह........बहुत प्यारे हो मेरे भैया आआआआआ!"
 
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मै बस इन्ही शब्दोको सुनने के लिए व्याकुल था, नेहा के मुख से सुन लिया तो मानो धन्य हो गया और उसे कसके बाहोमे भर लिया. नेहा भी उसी आग मे जल रही थी, उसने मेरे आलिन्गन का साथ देना शुरु किया.

"भैया मुझे प्यार करो! मुझे आज बहन का नही पत्नि का प्यार दो, मेरे प्यारे भैया! कब से अपने भैया की प्यार भरी नज़र को तरस रही हू, राज भैया वर्ना अभी तक शादी न कर लेती. कई लडके तो मुझ से शादी करने को तरस रहे है, लेकिन मै अपनी जवानी अपने राज भैया के लिये सम्भाल कर रखी हू, इसे स्वीकार कर लो मेरे राजा.......!"

अब मुझे अपने आप पर काबू रखना सम्भव नही था, मै वहासे उठ के खडा हुआ और नेहा को अपनी बाहो मे उठा लिया, उसने अपनी बाहे मेरे गले मे डाल दी और मुझे चूमने लगी. मै उसे उठाकर बेडरूम मे ले गया और उसे बिस्तर पर पटक दिया. उस वक्त नेहा ने सफ़ेद स्कर्ट और सफ़ेद कुर्ती पहनी हुई थी, उसके बाल खुले छोडे थे और होठोपे एक अजीबसे मुस्कान थी, कसमसे वो एक अप्सरा दिख रही थी.


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"आओ ना भैया अब और मत तडपाओ" नेहा ने ये कहते हुए अपना निचला होठ दातोतले दबाया. मेरा लन्ड अब तम्बू बनकर लोहे की रॉड जैसा बना था. मै उसपर झपट पडा और उसके मुख पर झुक कर उसको चूमने लगा. उसकी बाहे मेरे गले पर थी और वो मुझे चूम रही थी जैसे एक पत्नि अपने पति को प्यारसे चूमती है. ये हम दोनोका शायद पहला अनुभव था, शुरु मे तो हम सिर्फ एक दूसरे के होठ चबानेकी कोशिश किए जा रहे थे, लेकिन फिर हम बडे प्यारसे होठ चूसने लगे,

मैने नेहा के होठ ही नही बल्कि पूरा चेहरा चूम लिया. प्यार के जोश मे आकर नेहा के मुह से मादक आवाजे निकल रही थी जो मुझे और भडका रही थी. इसी बीच मैने फिरसे उसका चुम्मा लिया और अचानक मेरी जीभ उसके मुह मे चली गई. नेहा और उत्तेजित हो गई और मुझे कसके पकड लिया और उसकी जीभ अब मेरी जीभ से पेन्चा लडाने लगी. हम दोनो भाई बहन बडे प्यार से इस तरह मुख-रस का आदान-प्रदान करते रहे.

मै नेहा के पूरे बदन को सहला रहा था, मेरा एक हाथ अपनी बहन की जान्घो के बीच चला गया और उसने अपनी जान्घे खोल दी. नेहा की चिकनी जान्घे बिलकुल रेशम जैसी थी. मै देखा की नेहा ने पॅन्टी नही पहनी थी इसका मतलब वो तो पूरी तैयारी से आयी थी. उसकी चूत किसी फूल की तरह मुलायम थी.


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मेरी प्यारी बहन ने शायद मेरे लिये चूत साफ़ की थी. उसकी चूत पर बाल का नामोनिशान नही था. मेरे हाथ के स्पर्श से मेरी बहन का जिस्म काम्प उठा और वो मुझ से और जोरसे चिपक गयी.

नेहा का मखमली जिस्म मेरी बाहो मे मचल रहा था. मुझे मालुम ही न था की मेरी सेक्सी बहन मुझ पर पहलेसे फ़िदा है और मुझ से ही चुदवाने के सपने देखती आ रही है. इन विचारोने मुझमे और उत्तेजना भर दी और मै उसकी जान्घे और चूत सहला रहा था. पावरोटी की तरह फुली हुई चूत को जब मेरे हाथो ने स्पर्श किया तो मेरी बहन की आह्ह्ह निकल गयी,


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"भैया...........आआआ, धीरे धीरे करो, प्लीझ.......मै कुवारी हू, अपनी ये चीज मैने तुम्हारे लिए सम्भाल के रखी है........."

मेरे बदन मे खून मानो दौडने लगा, सच नेहा मुझे इतना चाहती थी. मैने बिलकुल धीरे से उसकी चूत को सहलाना शुरु किया, उन्गलियोसे उसकी चूत की पन्खुडियोको छेडता और कभे उन्हे मुठ्*ठी मे लेकर हलकेसे दबाता. मेरी इन क्रियाओसे नेहा और जोश मे आती गई.

"भैया.............मेरी .....मुझमे आग लगा दी है तुमने.......मेरे प्यारे भैया....मुझे प्यार करो भैया...आज अपनी नेहा को अपनी पत्नि बना कर प्यार करो भैया...आआह्ह्ह्ह मेरे प्यारे राज भैया!!"

मैने शरारती ढन्ग मे पूछा

"कहा आग लगी है

बताओ ना मेरी जान, मेरी प्यारी बहना" और उसे फिर बेतहाशा चूमने लगा.

"चलो हटो ना........आप भी ना........जाओ मै नही बताती............" नेहा शरमाई.

"अरी पगली बताओ ना........प्लीज......" यू कहके मैने एक उन्गली हलकेसे उसकी चूत मे घुसेड दी. नेहा के मुह से एक और मादक सिसकारी निकली

"स्स्स्स्स.........आआआह........भैया........जाओ..........तुम भी ना........मेरी उसमे......उम्म्म्म्म्म्म...." नेहा अब भी बोल नही पा रही थी. लेकिन मैने थोडी जिद की.

"उसमे मतलब.........बताओ ना डार्लिन्ग..............."

"इस्स्स............भैया............मेरे राजा.........मेरी................मेरी......मेरी चूत मे आग लगी है और उसमे आपका ये हथियार डाल दो अब................" नेहा ने मेरे कान मे फुसफुसाते हुए ये कहा और एक हाथ नीचे ले जाकर मेरा लन्ड सहलाने लगी. मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा जब नेहा अपना हाथ निचे ले जा कर मेरे लन्ड को पकड कर सहलाने लगी.

मेरा लन्ड लोहे की तरह सख्त हो चुका थ और मेरी बहन के हाथ मे तो जैसे कोई जादु था. मेरा रोम रोम खिल उठा जब मेरी नेहा ने मेरे लन्ड को मुठी मे लिया. जोश मे आ कर मै अपनी उन्गली अपनी प्यारी नेहा के चूत मे घुसेड दी. चूत पानी पानी हो रही थी. मेरी प्यारी बहना उतेजित थी और शायद लन्ड अपनी चूत मे घुसवाने को बेकरार थी. उसने अपने चूतड उपर उठा कर मेरी उन्गली पूरी तरह चूत मे लेने का प्रयास किया,

" भैया, अपनी बहन को चोदोगे नही? क्या उन्गली से ही तडपाते रहोगे? मेरे हाथ मे जो प्यारा लन्ड है उसको नही पेलोगे अपनी बहना की चूत मे? भैया आपका लन्ड अब मेरी सम्पति है जिसको अब आपकी बहन अपनी चूत मे छुपा कर रखेगी! भैया अब देर मत करो, अपनी नेहा को चोद डालो, राज भैया, प्लीऽऽऽऽझ.......

नेहा की इन सेक्सी बातो से मै भी उत्तेजित होते हुए उसकी कुर्ती उतार फ़ेकी. अन्दर एक सफेद कलर की ब्रा थी जिससे नेहा की चुचिया आजाद होने का प्रयास कर रही थी, मैने उसे भी शरीर से अलग कर दिया. वाह क्या नज़ारा था! नेहा का दुधिया जिस्म कमरे मे चमक उठा. उसकी दूध जैसी सफेद चुची कितनी सेक्सी लग रही थी! और उसके उपर गुलाबी कलर के निपल, जो सख्त होकर खडे थे........मै मस्ती से भर गया. मै अपने होठ अपनी बहन के निपले पर रख दिया और चूसने लगा.

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नेहा के निपल मेरे होठोका स्पर्श पा कर और कडे हो गए और मै उनको चूसने लगा. नीचे मेरी बहन के हाथ मेरे लन्ड से खेल रहे थे और मेरी उन्गली उसकी चूत मे अन्दर बाहर हो रही थी,


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RAJ BHAI 👌👍
 

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