मेरी रानी, बहुत दर्द हो रहा हू तो रुक जाऊ" लेकिन नेहाने प्यारसे मुझे और कसके पकड लिया और गर्दन से इशारा करके चालू रखने के लिए कहा. उसका यह प्यार देखकर मै और उत्तेजित हुआ और लन्ड थोडा बाहर निकालकर एक जोरका धक्का लगाया. इस धक्केसे नेहा की चूत की गुलाबी फ़ान्को को चीरता हुआ लन्ड मेरी बहन की चूत मे घुसता चला गया. मुझे मेह्सूस हुआ की मेरा लन्ड किसी आग की भटटी मे घुस गया हो. मखमल से भी अधिक मुलायम चूत की दीवारो ने मेरे लन्ड को जकड लिया और मुझे जन्नत का मज़ा मिलने लगा. मेरी प्यारी बहन कराह उठी,
"भैया प्यार से चोदो अपनी बहना को! बहुत मस्त है आपका यह हथियार.......मेरे राजा भैया.....पेलते जाओ........और अन्दर ........हा बस्स यूही.........आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............. भैया बहुत मस्त है आपका ये लन्ड!"
नेहा के मुह से ऐसी बाते सुनकर मेरी वासना और बढ रही थी. चूत से बहने वाले रस ने लन्ड का रास्ता आसान बना दिया था और थोडी देर मे ही मेरा पूरा ८ इन्च का लन्ड मेरी बहन की बुर मे घुस चुका था.
मै अपना मुख झुका कर नेहा की चुची पर रख दिया और चाटने लगा. मेरा लन्ड मस्ती मे चूत के अन्दर बहर हो रहा था और मै अपनी कमर हिला हिला कर अपनी सगी बहन को बडे प्यारसे चोद रह था,
"नेहा, मेरी रानी बहना, मै ऐसा अनन्द पहले कभी नही मेह्सूस क्या! सच बहना, तू मेरी पत्नि है आज से. तुझे चोद कर मेरी किस्मत खुल गयी है. देख तेरे राज भैया का लन्ड तेरी चूत की गहरायी मे समा चुका है. आज से मै तेर भैया नही सैय्या हू ! तुझे अपनी पत्नि बना कर सारी उमर चोदून्गा, ये तेरे राज भैया का वादा है तुमसे!"
नेहा चुदायी के अनन्द मे इतनी खो चुकी थी की कुछ बोल नही पा रही थी. उसने बस मेरा मुह अपनी तरफ खीन्च लिया और मुझे प्यारसे किस करने लगी. अब तो मै स्वर्ग मे था, मेरा लन्ड नेहा की चूत की फचाफच चुदाई कर रहा था, मेरे हाथ उसकी कडी चुचियोको मसल कर कुचल रहे थे और मेरे होठ उसके मुह मे घुसे थे. मैने नेहा का मुह भी इतनी जोरसे चूमा कि उसके होठ बिलकुल लाल लाल हो गए. लेकिन वो भी मस्ती के मूड मे थी. मेरी बहन अब अपने चूतड उठा कर चुदवा रही थी. मैने हाथो को उसके मम्मोसे हटा कर उसके चूतडो को कसके थाम लिया और जम कर अपने जिस्म से चिपका लिया.
"ओह्ह्ह्ह्ह्ह भैया...........आआ....चोदो जोर से! पेलो मुझे मेरे राजा भैया........आआ....बहुत आनन्द दे रह है आपका लन्ड मेरी चूत को,
मेरे सैय्या.........आआ....चोद डालो आज अपनी बहन को...बना लो मुझे अपनी पत्नि, अपनी रानी, मै तुम्हारी हू आजसे ............जो चाहे कर लो लेकिन ऐसे चोदते रहो......आआआआआ........!!!" वो हान्फ़ रही थी. हमारे जिस्म पसिना पसिना हो चुके थे और हम पागलो की तरह चोदे जा रहे थे. चुदाई अपनी उन्चाई तक पहुन्च चुकी थी. मेरा झडने का वक्त नज़दीक आ रहा था. मेरे अन्डकोश से रस उपर उठ रहा था. उधर नेहा जिस रफ़्तार से गान्ड उछाल रही थी, मुझे लगा की वो भी झडने वाली है.
"भैया.........आआ, जोर से..मै गयी...मेरी चूत गयी...मै.......मै ........मै झडी मेरे भैया....... चोद लो अपनी बहन को जोर से...पेलो भैया...अपना रस गिरा दो मेरी चूत मे ....मुझे अपने बच्चे की मा बना दो मेरे भैया...अपनी पत्नि को मा बन दो.......ऊऊ...मै गयी..ओह्ह्ह.........राज भैया........आआआआआ.........मेरे पति.........मेरे सैय्या.........मेरे.............मेरे...........मै.......!!!" और यू चिल्लाते वो निढाल हो गई.
मेरा लन्ड भी पिचकारी छोडने को था. मै अपनी बहन को अपनी बाहो मे जकड कर जोर जोर से चोदना जारी रखा. मुझे अपने नीचे अपनी बहन के बजाए अपनी बिवी दिख रही थी. वासना की चमक से भरी मेरी
नेहा मुझे मेरी पत्नि दिख रही थी जो मुझ से प्यार से चुदवा रही थी. तभी मेरे लन्ड क बान्ध टूट पडा और रस क फ़ुवारा नेहा की चूत मे गिरने लगा. चूत भी झड रही थी. लन्ड रस अब चूत रस मे मिक्स हो रहा था. तूफ़ानी धक्के अब धीरे होने लगे और पूरी तरह से शान्त हो कर हम पति-पत्नि की तरह अलिन्गन्बद्ध हो कर लेट कर नन्गे सो गए.