Adultery मेरी चालू बीबी

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सलोनी मेरे से चिपकी थी और उसकी पीठ खिड़की की ओर थी…
अब वो शख्स आसानी से चूत में लण्ड को आता जाता देख सकता था…
और मैंने अपनी कमर हिलनी शुरू की.. इस बार सलोनी भी मेरा साथ दे रही थी वो भी मेरे लण्ड पर कूदने लगी…
अह्हा… ओह… ह्ह्ह्ह… आह… आए… ह्ह्ह… ओह… ओह… ह्ह्ह…
दोनों तरफ से धक्के हम दोनों ही झेल नहीं पाये और सलोनी ने मुझे जकड़ लिया…
मैं समझ गया कि उसका खेल ख़त्म हो गया मेरा भी निकलने ही वाला था…
मैंने उसको फिर से स्लैब पर टिका दिया और अपना लण्ड बाहर निकाल कर सारा माल उसके पेट और चूची पर गिरा दिया…
हमने अभी सांस भी नहीं ली थी कि तभी बाहर से किसी महिला की आवाज आई- अजी सुनते हो कहाँ हो…??
आवाज का असर तुरंत हुआ… वो अजनबी जल्दी से सामने वाले फ्लैट की ओर लपका और साथ ही…
‘श्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ कर रहा था जैसे उस महिला को चुप करा रहा हो…
और सलोनी पूरी तरह खिड़की से चिपकी थी। उसको उस आदमी के बारे में जानने की कुछ ज्यादा ही उत्सुकता थी।
उसको इस बात का भी ख्याल नहीं था कि हम रोशनी में हैं और बाहर वाले को अंदर का सब दिख रहा होगा..
सलोनी किस अवस्था में थी यह तो आप सभी को पता ही है…
तभी सलोनी के मुख से आवाज निकली- अरे ये तो अरविन्द आंटी थीं…
मैं- क्याआ…??
सलोनी- जरूर ये अरविन्द अंकल ही होंगे… मैंने पहले भी उनको कई बार इस जगह घूमते और स्मोक करते देखा है…
स्लोनी को पूरी तरह यकीन था…
अरविन्द अंकल एक रिटायर्ड अफसर थे, वो 3 साल पहले सेल्स इंस्पेक्टर से रिटायर हुए थे, अंकल और आंटी दोनों ही यहाँ रहते थे।
अंकल तो 60 साल से ऊपर के थे पर आंटी जिनको मैं और सलोनी भाभी ही कहकर बुलाते थे…शायद 40 की ही थीं..
अरविन्द अंकल की वो दूसरी बीवी थीं… पहली बीवी शायद बीमारी के कारण स्वर्ग सिधार गई थी…
उनकी दूसरी बीवी जिनका नाम नलिनी है, बहुत खूबसूरत थी, उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा था…
मैंने और सलोनी दोनों ही ने एक बार अचानक उनको बिना कपड़ों के भी देख लिया था… लेकिन वो किस्सा बाद में !
अरविन्द अंकल की दो बेटियाँ हैं, एक की शादी तो उन्होंने कनाडा की है और दूसरी अभी MBA कर रही है…
दोनों ही उनकी पहली पत्नी से हैं… और बहुत ही मॉडर्न एवं खूबसूरत…
यह उनका थोड़ा सा परिचय था… चलिए वर्तमान में लौटते हैं…
मैंने सलोनी को गोद में उठाकर नीचे उतारा… वो मेरे सीने से चिपकी हंस रही थी…
मैं भी हँसते हुए- …चलो यार… आज तुम्हारी वजह से अरविन्द अंकल कुछ तो गर्म हुए होंगे… और नलिनी भाभी की सुलगती जवानी पर कुछ तो आराम मिलेगा…हाहाहा…
सलोनी- तुम भी ना… मैं तो यह सोच रही हूँ… कि कल मैं उनका सामना कैसे करूँगी…
मैं- क्या जान तुम क्यों शरमा रही हो… तुम तो पहले की तरह ही बिंदास रहना… उनको पता ही नहीं लगने देना कि हमने उनको देखा लिया था…
सलोनी- हाँ हाँ… आप तो रहने ही दीजिये… आपको क्या पता… पहले ही उनकी निगाहें मुझे चुभती रहती हैं… हमेशा मेरे कपड़ों के अन्दर तक देखते रहते हैं… और आज तो उन्होंने सब कुछ देख लिया… अब तो जब भी दिखेंगे ऐसा लगेगा जैसे कपड़ों के अंदर ही देख रहे हों…
मैं- हम्म्म जान ! मुझे तो डर है कि कहीं इधर उधर कुछ गलत न कर दें… ऐसे आदमियों का क्या भरोसा… अब जरा ध्यान रखना…
सलोनी- अरे नहीं, वो तो आप रहने दो… उतनी हिम्मत तो किसी की नहीं…बस मुझे जरा सी शर्म ही आएगी जब भी उनके सामने जाऊँगी…
मैं- छोड़ो भी यार, अब किस बात की शर्म? सब कुछ तो उन्होंने देख ही लिया ही… अब तो तुम उनको सताया करना यार…
सलोनी- हाँ ये भी ठीक है… मैं तो उनकी शर्मिंदी का ही मजालूँगी…
सलोनी ने कस कर मुझे चूम लिया, बोली- …अच्छा… आप फ्रेश हो लो… मैं दूध और ड्राई फ्रूट्स लाती हूँ..
मैं उसकी चूची को मसलता हुआ- …ये तो पहले से गरम हैं जान, यही पिला दो…
सलोनी मेरे बालों को नोचते हुए- ..ये सब तो आपका ही है जानू… जितना चाहे पी लेना… पर अब आप फ्रेश तो हो लो…
मैं उसकी चूत में उंगली करते हुए- ..क्यों तुमको नहीं फ्रेश होना…?
सलोनी- हाँ हाँ… बस आप चलो, मैं ये निपटाकर आती हूँ…
मैं- जरा ध्यान से… कहीं अरविन्द अंकल न आ जाएँ… हा…हा…हा…
सलोनी- हाँ बहुत दम है ना उनमें… उनको तो नलिनी भाभी ने ही निपटा दिया होगा… और क्या पता वहाँ भी ढेर हो गए हों… मैं तो बेचारी उनके बारे में ही सोच रही हूँ…
अच्छा अब आप जाओ न बहुत रात हो गई है…
और मैं अपनी नंगी बीवी को रसोई में छोड़ बैडरूम में आकार बाथरूम में घुस गया…
वाकयी बहुत मजेदार रात थी… मेरे दिमाग में अब आगे के विचार चल रहे थे…
इस जबरदस्त चुदाई के बाद रात भर सलोनी मेरे से चिपकी रही और बिस्तर पर नंगे चिपककर सोने का मजा ही अलग है।
सुबह सलोनी जल्दी उठ जाती है, वो सभी घरेलू कार्य बहुत दिल से करती है…
वो जब उठी तो आज पहली बार मेरी आँख भी जल्दी खुल गई… या यूँ कहिये कि मैं बहुत सोच रहा था कि कैसे अब सब कुछ किया जाये…
सलोनी ने धीरे से उठकर मेरे चेहरे की ओर देखा फिर मेरे होंठों को चूम लिया…
उसने बहुत प्यार से मेरे लण्ड को सहलाया और झुककर उस पर भी एक गर्मागर्म चुम्बन दिया…
उसके झुकने के कारण पीछे से उसके मस्त नंगे चूतड़ और चूतड़ के बीच झलक रही गुलाबी, चिकनी चूत देख मेरा दिल भी वहाँ चूमने का किया…
पर मैंने अपने आप पर काबू किया और सोने का बहाना किये लेटा रहा…
मैं बंद अधखुली आँखों से सलोनी को देखते हुए अपनी रणनीति के बारे में सोच रहा था… कि मस्ती भी रहे और इज्जत भी बनी रहे…
सलोनी मेरे से खुल भी जाए… वो मेरे सामने मस्ती भी करे परन्तु उसको ऐसा भी ना लगे कि मैं खुद चाहता हूँ कि वो गैर मर्दों से चुदवाये…
पता नहीं मेरे ये कैसे विचार थे कि मेरा दिल मेरी प्यारी बीवी को दूसरे मर्दों की बाँहों में देखना भी चाहता था… उसको सब कुछ करते देखना चाहता था…
पर ना जाने क्यों एक गहराई में एक जलन भी हो रही थी… कि नहीं मेरी बीवी की नाजुक चूत और गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है…इस पर मैं कोई और लण्ड सहन नहीं कर सकता…
लेकिन इन्सान की इच्छा का कोई अंत नहीं होता और वो उसको पूरी करने के लिए हर हद से गुजर जाता है…
सलोनी को भी दूसरी डिशेस अच्छी लगने लगी थीं.. उसने भी दूसरे लण्डों का स्वाद ले लिया था…
वो तो अब सुधर ही नहीं सकती थी…अब तो बस इस सबसे एक तालमेल बनाना था…
कहानी जारी रहेगी।
 
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मैं बंद अधखुली आँखों से सलोनी को देखते हुए अपनी रणनीति के बारे में सोच रहा था… कि मस्ती भी रहे और इज्जत भी बनी रहे…
सलोनी मेरे से खुल भी जाए… वो मेरे सामने मस्ती भी करे परन्तु उसको ऐसा भी ना लगे कि मैं खुद चाहता हूँ कि वो गैर मर्दों से चुदवाये…

पता नहीं मेरे ये कैसे विचार थे कि मेरा दिल मेरी प्यारी बीवी को दूसरे मर्दों की बाँहों में देखना भी चाहता था… उसको सब कुछ करते देखना चाहता था…
पर ना जाने क्यों एक गहराई में एक जलन भी हो रही थी… कि नहीं मेरी बीवी की नाजुक चूत और गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है…इस पर मैं कोई और लण्ड सहन नहीं कर सकता…
लेकिन इन्सान की इच्छा का कोई अंत नहीं होता और वो उसको पूरी करने के लिए हर हद से गुजर जाता है…

सलोनी को भी दूसरी डिशेस अच्छी लगने लगी थीं.. उसने भी दूसरे लण्डों का स्वाद ले लिया था…
वो तो अब सुधर ही नहीं सकती थी…अब तो बस इस सबसे एक तालमेल बनाना था…

ट्रिनन्न… ट्रीन्न्न…
तभी घण्टी बजने की आवाज आई…

सलोनी बाथरूम में थी वो फ्रेश होने गई थी, मैं उठने ही जा रहा था कि फ्लश की आवाज आई…
मतलब सलोनी ने भी घण्टी की आवाज सुन ली थी…
मैंने सोचा ना जाने कौन होगा?

सलोनी वैसे ही नंगी बाथरूम से बाहर आई… मैं फिर से सोने का बहाना कर लेट गया… और सोचने लगा- ..क्या सलोनी ऐसे ही या कैसे दरवाजा खोलेगी… और इस समय कौन होगा?
इतने समय में मैंने कभी घर के किसी कार्य से कोई मतलब नहीं रखा था… सलोनी ने सबकुछ बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित किया हुआ था…
सलोनी नंगी ही बाहर की तरफ बढ़ी…

मैं हैरान था कि क्या सलोनी नंगी जाकर ऐसे ही दरवाजा खोल देगी… और सुबह सुबह आने वाला है कौन?
कोई पुरुष या महिला… मैं इन सब से अनजान था…
मैं चुपके से उठकर बैडरूम से दरवाजे के पीछे से देखने लगा…

सलोनी अपना रात वाला गाउन उठा कर पहन रही थी… अरे भाई वो रात रसोई में ही रह गया था…
मगर गाउन तो उसका पूरा पारदर्शी ही था… और उसने नीचे ब्रा या कच्छी नहीं पहनी थी…
उसके सभी कोमल अंग बड़े सेक्सी अंदाज में अपनी उपस्थिति बता रहे थे…
मैं उसकी हर अदा और हर हरकत पर नजर रखे था…

उसने दरवाजा खोला… सामने एक लड़का था…
ओह… यह तो कॉलोनी की दूकान में ही काम करता है…
अंडे और ब्रेड लेकर आया था…
अभी तो उसकी दाढ़ी-मूंछ भी नहीं थी, अठारह से 3-4 कम ही होगा… मगर मैंने उस लड़के की आँखों में भी सलोनी को देखने की एक चमक देखी…

कोई और समय होता तो शायद मैं सलोनी को ऐसे कपड़ों में दरवाजा खोलने पर डांटता… पर अब स्थिति बदल गई थीं…
मैंने देखा सलोनी ने बाहर किसी से ‘…मॉर्निंग…’ भी कहा… कौन था, नहीं पता…
फिर वो अंदर आकर रसोई में चली गई…

मेरे कुछ आवाज करने से उसको पता लग गया कि मैं जाग गया हूँ…
मैंने देखा उसने सामान रसोई में रख कर मेरी लुंगी जो रसोई में ही थी… उठा अपने ऊपर कन्धों पर डाल ली…
इसका मतलब वो अब भी मेरे से घबरा रही थी.. कि कहीं मैं उसको ऐसे कपड़ों के लिए डाँटूगा… अब उसको क्या पता था कि मैं बहुत बदल गया हूँ…

मैंने सब विचारों का परित्याग कर केवल अब यह सोचा कि सलोनी को अपने लिए बहुत खोलूंगा.. उसको इस सब में अगर मजा आता है… तो मैं भी उसका साथ दूंगा…
पर शायद चुदाई जैसी बात तक नहीं बढ़ूँगा… वरना बात बिगड़ भी सकती है…
क्योंकि मेरे अनुसार फिर शायद सलोनी बहुत खुलकर सब कुछ करने लगेगी और उसको मेरी बिल्कुल परवाह नहीं रहेगी और हो सकता है फिर वो मेरी इज्जत भी ना करे…

तो यहाँ तक तो ठीक है… मगर उसको इस सबके लिए खोलने में भी समय तो लगेगा ही… और सब कुछ करने में सलोनी को तो बिल्कुल बुरा नहीं लगने वाला… यह पक्का था…
इसकी शुरुआत तो रात की चुदाई से हो ही गई थी… पर अब इतना करना था… कि सलोनी अपनी हर बात मुझसे करने लगे… वो अपनी हर सेक्सी बात मुझे बताने लगे… जिससे मेरे पीछे होने वाली घटनाएँ भी मैं जान सकूँ…

अब मैं यही सब करना चाहता था… मैं नंगा ही फ्रेश होकर रसोई में सलोनी की ओर बढ़ा…
मैंने रसोई में जाते ही सलोनी को पीछे से बाँहों में जकड़ लिया।
मैं सलोनी की गर्दन को चूमते हुए- ..क्या कर रही हो जान…?
मेरा लण्ड फिर खड़ा हो उसकी गांड में दस्तक देने लगा…

सलोनी- क्या बात है जानू, कल से कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो… क्या बात है… आज तक तो कभी रसोई में भी नहीं आये और अब हर समय यहीं… जरूर कुछ तो बात है…
मैं- हाँ जान… मैंने अब अपने काम को बहुत हल्का कर लिया है… और अपनी जो सेक्ट्रेरी रखी थी ना.. नीलू… उसने बहुत काम संभाल लिया है…

सलोनी- ओह… तो यह बात है, लगता है उसने मेरे बुद्धू राजा को रोमांटिक भी बना दिया है…
उसने आँखे घूमाते हुए बोला- …केवल ऑफिस का काम ही ना… फिर लण्ड को पकड़ते हुए… कुछ और तो नहीं ना…??

अचानक मेरे दिमाग में विचार आया और बोला- …क्या यार सलोनी.. तुम भी ना… अब जब हर समय साथ है… तो सभी काम ही करेगी ना… और वो तो मेरी पर्सनल सेक्ट्रेरी है… (उसकी चूत को मसलते हुए) तो पर्सनल काम भी… हाहाहा…
सलोनी ने मुझे धक्का देते हुए- अच्छा जी… खबरदार… जो मेरा हक़ किसी को दिया तो… वैसे भी वो छम्मक-छल्लो कितना चमक धमक कर आती है…

मैं- क्या यार तुम भी ना.. कहाँ हक़-वक और पुरानी फैशन की बात करती हो… अरे जान जरा बहुत मजा लेने में क्या जाता है… कौन सा मेरा लण्ड घिस जायेगा या उसकी चूत ही पुरानी हो जाएगी…
सलोनी- अब तो आप पागल हो गए हो… लगता है आप पर भी नजर रखनी होगी… कहीं बाहर कुछ गड़बड़ तो नहीं कर रहे…

मैं उसके उखड़े मूड को देखते हुए… मामले को थोड़ा रोकते हुए- अरे नहीं मेरी जान… बस थोड़ा बहुत मजाक… बाकी क्या तुमको लगता है कि मैं कुछ करूँगा..
सलोनी मेरे होंठों पर जोरदार चुम्बन लेते हुए- हाँ मेरे राजा.. मुझे पता है… मेरा राजा और उसका यह पप्पू केवल मेरा है… मगर उस कमीनी पर तो मुझे कोई भरोसा नहीं…

मैं- अरे नहीं जानू… क्यों उस बेचारी को गली दे रही हो.. कितना ख्याल रखती है वो मेरा…
सलोनी- अरे… तो मैं ख्याल रखने को कब मना कर रही हूँ… लेकिन मेरा हक़ नहीं…

मैंने सलोनी को कसकर अपनी बाँहों में ले लिया- …अरे मेरी जान मैं और मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे हैं… किसी चूत में वो दम नहीं कि इसे तुमसे छीन सके…
सलोनी भी मुझसे चिपक गई- …हाँ जानू… मुझे पता है… थोड़ा बहुत तो सही है मगर (मेरे लण्ड को मुट्ठी में पकड़) यह मैं किसी के साथ नहीं बाँट सकती…

सलोनी- अच्छा चलो, अब जल्दी से तैयार तो हो जाओ… यह क्या ऐसे नंगु पंगु… यहाँ खड़े हो… अच्छा मैं यह खिड़की बंद कर देती हूँ… वरना सब हमारी रासलीला देख देखकर मजा लेते रहेंगे…
मैंने उसके कन्धों से अपनी लुंगी उठा बांधते हुए- …क्या जान तुम भी… फिर से… अरे कोई देखता है तो इसमें हमारा क्या नुक्सान है… देखने दो साले को…

सलोनी- ओह क्या करते हो… मैंने अभी पूरे कपड़े नहीं पहने… तो…
मैं- अरे तो क्या हुआ जान, हम अपने घर पर ही तो हैं, कौन सा कोई बाजार में नंगे घूम रहे हैं… अब इन छोटी छोटी बातों को ना सोचकर केवल मजे लिया करो।

सलोनी- अच्छा तो क्या अब खिड़की खुला छोड़कर नंगी घूमूँ…? एक तो पता नहीं कल अरविन्द अंकल ने ना जाने क्या क्या देखा होगा… मैं तो सोचकर ही शर्म से मरी जा रही हूँ…
मैं- क्या अदा है मेरी जान की, अरे कुछ नहीं होता मेरी जान तुम तो सामान्य व्यव्हार करना… देखना वो ही झेंपेंगे… हाहाहा… और तुम इतनी खूबसूरत हो मेरी जान, तुमको पता है खूबसूरत चीजें दिखाई जाती हैं… ना कि परदे में रखी जाती हैं…
सलोनी- हाँ हाँ, मुझे पता है… ये सब नीलू को देखकर ही बोल रहे हो.. कितने छोटे कपड़े पहनकर आती है वो..

मैं- अरे यार… फिर उसके पीछे… कपड़े पहनने वाला नहीं.. बल्कि उसको गन्दी नजर से देखने वाला गन्दा होता है… यह तो तुम खुद कहती हो ना… और मैंने कभी तुमको मना किया कुछ भी या किसी भी तरह पहनने को… यह हमारा जीवन है, चाहे जो खाएँ.. या पहनें… हमको दूसरे से क्या मतलब… तुमको जो अच्छा लगे करो ना…
सलोनी- आप दुनिया के सबसे प्यारे हस्बैंड हो… पुछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह… मुँआँहुह… आआआआ…
उसने एक लम्बा चुम्मा लिया…

मैं- वो तो मैं हूँ, मगर मेरी रानी भी काम नहीं है… मैंने भी उसको अपने से चिपका लिया… तो जान, अब इन खिड़की या दरवाजे से मत डरना… हमको किसी से मतलब नहीं, हम अपनी लाइफ मजे करेंगे… और हाँ जो कुछ भी होगा वो एक दूसरे को भी बताएँगे… चाहे जो हो…
सलोनी- अरे, तो मैं कहाँ कुछ छुपाती हूँ, सब कुछ तो… फिर भी… हाँ ऐसा वैसा कुछ मत करना… नहीं तो… तुमको पता ही है…

मैं- अच्छा धमकी… अरे भाई मैं जब तुमको आजादी दे रहा हूँ तो मुझे भी तो कुछ आजादी मिलनी चाहिए न..?
सलोनी- ह्म्म्म… चलो थोड़ा बहुत करने की आजादी है.. मगर अपने पप्पू को संभाल कर रखना… वरना इतने जोर से काटूंगी कि… कभी मुँह नहीं उठाएगा.. हे हे हे…
मैं- अच्छा जी… चलो काट लेना… फिर मुँह में तो लेना ही होगा… हाहाहा
सलोनी- मारूँगी अब हाँ… अच्छा चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ…

मैं- ठीक है जान… अरे हाँ याद आया… कल शायद प्रणव आएगा डिनर पर… बता देना अगर कुछ मंगाना हो बाजार से तो…
अमित मेरा पुराना दोस्त है वो डॉक्टर है, उसकी कुछ समय पहले ही शादी हुई है.. रुचिका से, वो ऑस्ट्रेलिया में ही ज्यादा रही है… इसलिए बहुत मॉडर्न है…
सलोनी- अच्छा, तो अब तो रुचिका के साथ ही आएंगे..
मैं- हाँ यार बहुत दिन से उसको बुला रहा था तो कल ही उसका फ़ोन आया… आने के लिए…
सलोनी- ठीक है जानू मैं सब तयारी कर लूँगी…

मैं- और हाँ जरा मॉडर्न कपड़े ही पहनना, मैं नहीं चाहता कि प्रणव के सामने मेरी बीवी ..जो रुचिका कई गुना खूबसूरत है जरा भी फीकी लगे…
सलोनी- मगर वो तो कितने छोटे कपड़े पहनती है.. याद है शादी के चार दिन बाद ही उसने अपनी उस पार्टी में कितनी छोटी मिडी पहनी थी… और सबको अपनी वो चमकीली पैंटी दिखाती घूम रही थी…

मैं- क्या यार… मगर मेरी जान उससे कहीं ज्यादा बोल्ड और खूबसूरत है… दरअसल मैं उस साले को दिखाना चाहता हूँ कि हमारे भारत की लड़कियाँ उन जैसी गैर मुल्क में पली भरी से कहीं अधिक खूबसूरत होती हैं बस…
सलोनी- ओह… ठीक है… अब आप तैयार तो हो जाओ ना…
उसने मुझे बाथरूम की ओर धकेल दिया…

मैं नहाकर बाहर आया… सलोनी बेड पर झुकी हुई मेरे कपड़े सही कर रही थी…
उसका गाउन चूतड़ से आधा खिसक गया था…जो उसके गोल और मादक चूतड़ों की झलक दिखा रहा था
 
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सलोनी- ओह… ठीक है… अब आप तैयार तो हो ना…
उसने मुझे बाथरूम की ओर धकेल दिया…
मैं नहाकर बाहर आया तो सलोनी बेड पर झुकी हुई मेरे कपड़े सही कर रही थी।
उसका गाउन चूतड़ से आधा खिसक गया था… जो उसके गोल और मादक चूतड़ों की झलक दिखा रहा था…
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए ही कहा- जान आज या कल जब भी अमित आये तो उसको अपने इन जालिम चूतड़ों के दर्शन करा देना… देखना पगला जायेगा साला…
सलोनी- मुझे तो लगता है कि अभी तो आप ही पगला गए हैं… कैसी बातें कर रहे हैं… क्या उन लोगों के सामने बिना कच्छी के जाऊँगी? वैसे आप चिंता न करें… मैंने कल कुछ अच्छे सेट का आर्डर दिया है… आज कोशिश करुँगी, शायद मिल जाएँ…
मैं- अच्छा तो क्या ब्रा, चड्डी भी आर्डर पर तैयार होने लगे?
सलोनी- जी हाँ जानू… अब तो हर चीज फैशन पर आ गई है… मगर कुछ रुपए दे जाना…
मैं- ठीक है मेरी जान…
मैं तैयार होते हुए सोचने लगा कि आज शायद सलोनी फिर उसी दुकान पर जाएगी… मैं क्या करूँ? कैसे करूँ?
सलोनी- और हाँ, आप यह मत समझो कि आपके दोस्त सीधे हैं, वो तो आपके सामने सीधा होने का ढोंग करते हैं… वरना हम लोगों को मर्दों की सब आदतों के बारे में पता होता है…
मैं- अच्छा तो कौन साला तुमको छेड़ता है… अभी बताओ… कमीने को ठीक करता हूँ…
सलोनी- बस तुम्हारी इसी आदत के कारण वो तुमसे डरते हैं… वरना…
मैं- अरे नहीं जान… क्या मैं तुमको ऐसा लगता हूँ? वो तो थोड़ा काम में बिजी हो गया था बस…
सलोनी- हाँ हाँ, मैं सब समझ सकती हूँ… जब आप उनसे जरा प्यार से बोलेंगे तो आप उन सबकी नजर को खुद समझ जाएंगे…
मैं- अच्छा अमित भी ऐसा ही है क्या? यार, वो तो बहुत सीधा लगता है…
सलोनी- हाँ मुझे पता है वो कितना सीधा है… हे…हे…
मैं- क्या यार पहेलियाँ क्यों बुझा रही हो.. सच बताओ ना… हमने कल निर्णय लिया था ना कि हम सब कुछ एक दूसरे को बताएँगे…
इससे हमारे रिश्ता और भी मजबूत होगा… और अब से हम खुद खुले विचारों के साथ जिएंगे… एक दूसरे को रोक टोक नहीं करेंगे…
सलोनी मुझे चूमते हुए- अरे जानू, आपको क्या लगता है कि क्या मैं आपसे कुछ छुपाती हूँ…
मैं- तो बताओ न अमित ने कुछ किया क्या…
सलोनी- अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं… मगर उसकी आदतें भी बाकी सभी मर्दों की तरह ही हैं… वैसे भी मेरी मुलकात तो बस दो तीन बार ही तो हुई होगी…
आपको याद है उसकी शादी के बाद पार्टी में… उसने कितनी पी ली थी…बस जब वो मेरे साथ डांस कर रहा था, तब उसका व्यव्हार उतना सभ्य नहीं था…
मैं- क्या यार, कितने भारी शब्दों का प्रयोग कर रही हो… खुली भाषा में बताओ न.. उसने तुमको क्या किया?
सलोनी- ओह तुम भी न… अरे ऐसा भी क्या… बस जब वो मेरे साथ नाच रहा था… तब ही उसने कुछ शरारत की थीं…
मैं- अरे नहीं यार… वो उस बेचारे ने बहुत पी ली थी… इसीलिए ..थोड़ा बहुत हाथ लग गया होगा…
सलोनी- अच्छा आपको तो बहुत पता है ना… क्या आपको याद है उस दिन मैंने अपनी वो पतली वाली लाल जींस और सफ़ेद शार्ट टॉप पहना था… जो कमर तक ही आता है…
मैं- अरे हाँ जान, मैं कैसे भूल सकता हूँ…
सलोनी- बस वो नाचते-नाचते बार-बार मेरे कमर पर हाथ रख रहा था… मैं हटाती तो फिर से टॉप के अंदर कर मेरी नंगी कमर को सहला देता… कई बार उसने अपने गाल मेरे गालों से चिपकाये और नाचते हुए चूम भी लेता था…
मैं- अरे यार, ये सब तो नार्मल है ना…
सलोनी- अच्छा और उसके हाथों का कई बार सरककर मेरे चूतड़ों तक पहुँच जाना और ना केवल सहलाना बल्कि दबा भी देना…
मैं- हम्म्म… तब तो हो सकता है… मगर यह भी तो हो सकता है कि वाकयी गलती से ही हुआ हो…
सलोनी- हाँ गलती से… अगर गलती से हुआ होता तो आदमी का यह खड़ा नहीं होता…
उसने मेरे लण्ड को छूते हुए कहा। यह कहानी आप lustyweb.live पर पढ़ रहे हैं !
मैं- क्या कहती हो यार… क्या उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था… क्या तुमने उसको छुआ भी था…
मैंने अब उसके सामने खुले शब्दों का प्रयोग करने लगा जिससे वो और भी खुल जाये… वैसे मैंने सुना तो था कि वो बहुत आसानी से सभी लण्ड, चूत जैसे शब्द बोलती है…
सलोनी- हाँ जानू, जब वो मुझे खुद से चिपकाता तो अपनी कमर भी मेरे से चिपका देता था, तो मुझे उसका अहसास तो होगा ना…
मैं- अच्छा कहाँ लगा उसका लण्ड तुम्हारे?
सलोनी- ओह… अब ज्यादा क्यों परेशान कर रहे हो… मेरी जांघ के ऊपर के भाग पर… पर मैं एकदम दूर हो गई…
बस अब आप जल्दी तैयार हो जाओ, मैं भी फटाफट तैयार हो आपका नाश्ता लगाती हूँ…
मैं- अच्छा जानू…
उसके बाथरूम में जाते ही सबसे पहले मैंने अपना रिकॉर्डर पेन ओन कर उसके पर्स में डाला…
और यह भी सोचने लगा कि यार कैसे आज इनकी उस शॉपिंग को देखा जाए…
मैंने एक बार फिर बिल पर से उस दुकान का पता नोट किया और सलोनी से उसका जाने के समय के बारे में जानने कि सोचने लगा…
तभी सलोनी भी बाथरूम से बिल्कुल नंगी नहाकर बाहर आ गई…
सलोनी में ये दो आदते हैं कि एक तो वो कपड़े हमेशा कमरे में आकर ही पहनती थी… इसलिए बाथरूम से हमेशा नंगी या केवल तौलिया लपेट कर ही बाहर आती थी…
और रात को सोते हुए मेरे लण्ड पर अपना हाथ रखकर ही सोती थी…
और ये दोनों आदतें मुझे बहुत पसन्द थी…
उसने हल्का सा गाउन ही डाला और हम दोनों ने नाश्ता किया… फिर मैं उसको चूमकर अपने मन में अच्छी तरह सब कुछ सोच विचार कर मैं घर से ऑफिस के लिए निकल गया…
कहानी जारी रहेगी।
 
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उसके बाथरूम में जाते ही सबसे पहले मैंने अपना रिकॉर्डर पेन ओन कर उसके पर्स में डाला…
और यह भी सोचने लगा कि यार कैसे आज इनकी उस शॉपिंग को देखा जाए…
मैंने एक बार फिर बिल पर से उस दुकान का पता नोट किया और सलोनी से उसका जाने के समय के बारे में जानने कि सोचने लगा…
तभी सलोनी भी बाथरूम से बिल्कुल नंगी नहाकर बाहर आ गई…
सलोनी में ये दो आदते हैं कि एक तो वो कपड़े हमेशा कमरे में आकर ही पहनती थी… इसलिए बाथरूम से हमेशा नंगी या केवल तौलिया लपेट कर ही बाहर आती थी…
और रात को सोते हुए मेरे लण्ड पर अपना हाथ रखकर ही सोती थी…
और ये दोनों आदतें मुझे बहुत पसन्द थी…
उसने हल्का सा गाउन ही डाला और हम दोनों ने नाश्ता किया… फिर मैं उसको चूमकर अपने मन में अच्छी तरह सब कुछ सोच विचार कर मैं घर से ऑफिस के लिए निकल गया…
ऑफिस में भी मन नहीं लग रहा था, दिल में कुछ अलग ही विचारों ने घर कर लिया था…
मैं किसी भी तरह आज सलोनी की उस दुकानदार के साथ मुलाकात को देखना चाहता था जिसने मेरी सुन्दरता की मूरत सलोनी को ना केवल नंगी ही नहीं देखा था… बल्कि उसकी गद्देदार, गुलाबी और रसीली चूत एवं गांड को सहलाया था…
उसकी चोटियों जैसी नुकीली चूचियों को दबाया और निप्पल तक को छुआ था…
उस दिन तो वो पारस के साथ थी… जो उस दुकानदार के लिए तो सलोनी का पति ही था…
शायद इसलिए वो ज्यादा हिम्मत नहीं कर पाया होगा… पर आज जब सलोनी उससे अकेले मिलेगी… तो पता नहीं क्या-क्या करेगा…
इसीलिए आज मैंने सलोनी के पर्स में वॉउस रिकॉर्डर तो रखा… परन्तु पैसे नहीं रखे… जिससे उसकी दुकान पर जाने का कार्यक्रम पता लग सके…
करीब बारह बजे मुझे सलोनी का फोन आया…
सलोनी- अरे सॉरी, मैंने आपको परेशान किया… वो आज आप शायद पैसे देना भूल गए… वो क्या है कि मैं बाजार आई थी तो…
मैं- ओह जान… यह आज कैसे हो गया… तुम चिंता ना करो… बताओ तुम कहाँ हो… मैं भिजवाता हूँ…
सलोनी- मैं कश्मीरी मार्किट में हूँ…
मैं- ठीक है… दस मिनट रुको…


मैं वहाँ पहुंचा और एक जानकार के हाथ उसको पैसे भिजवा दिए…
वो उस अंडरगार्मेंट्स की दुकान के बहुत पास थी…
और आज मेरी जान क्या लग रही थी… मैंने देखा हर कोई केवल उसे ही घूर रहा था…
उसने एक स्किन टाइट सफ़ेद कैप्री पहनी थी, जो उसके घुटनों से करीब 6 इंच नीचे थी… और गुलाबी कसी सिल्की शर्ट पहनी थी…
उसने अपने रेशमी बाल खुले छोड़ रखे थे और गोरे मुखड़े पर… गुलाबी फ्रेम का फैशनेबल गोगल्ज़ थे जो उसके चेहरे को हीरोइन की तरह चमका रहे थे…
उसने हाई हील की सफ़ेद कई तनी वाली सैंडल पहनी थी… कुल मिलाकर वो क़यामत लग रही थी…
मैंने बहुत सावधानी से उसका पीछा किया… उसने कुछ दुकानों पर इधर उधर कुछ-कुछ वस्तुओं को देखा…
मगर कुछ लिया नहीं… हाँ इस दौरान कुछ मनचलों ने जरूर उसको छुआ… वो उसके पास से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए निकल गए…
दरअसल उसकी सफ़ेद कैप्री कुछ पतले कपड़े की थी… जिससे कुछ पारदर्शी हो गई थी…
उसकी कैप्री से सलोनी की गुलाबी त्वचा झांक रही थी जिससे उसका बदन गजब ढा रहा था…
इसके ऊपर मेरी जान का क़यामत बदन… जिसका एक-एक अंग सांचे में ढला था…
मैं अब सलोनी के काफी निकट था… मैंने ध्यान दिया कि उसकी कैप्री से उसकी पैंटी की किनारी का तो पता चल रहा था… मगर रंग का नहीं.. इसका मतलब आज उसने सफ़ेद ही कच्छी पहनी थी…
मगर उसकी शर्ट से कहीं भी ब्रा की किसी भी तनी का पता नहीं चल रहा था… यानि वो बिना ब्रा के ही शर्ट पहने थी…
तभी उसकी गोल मटोल चूची इतना हिल रही थी… और जालिम ने अपना ऊपर का बटन भी खोल रखा था जिससे गोलाइयों का पूरा आकार पता चल रहा था…
ज्यादातर लोग उससे टकराने का प्रयास कर रहे थे…
मैंने आज तक सलोनी की इस तरह से निगरानी नहीं की थी… यह एक अलग ही अनुभव था…
उसके पीछे चलते हुए, सलोनी के एक रिदम में हिलते डुलते चूतड़ देख मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल आ रहा था कि…
इस दृश्य को देख जब मेरा यह हाल था तो दूसरों के दिल का क्या होता होगा…
कुछ देर में ही सलोनी उसी दुकान में प्रवेश कर गई…
दुकान काफी बड़ी थी… मैं भी अंदर जा एक ओर खुद को छुपाते हुए… सलोनी पर नजर रखे था…
वो सीधे एक ओर जहाँ कोई मध्यम कद का एक लड़का खड़ा था… उस ओर गई..
मैं इधर उधर देखता हुआ, सलोनी से छिपता छिपाता… उस पर नजर रखे था…
उन दोनों की कोई आवाज तो मुझे सुनाई नहीं दे रही थी… मगर सलोनी उस लड़के से बहुत हंस हंस कर बात कर रही थी…
लड़का भी बार बार सलोनी को छू रहा था और उसकी चूचियों की ओर ही देख रहा था…
सलोनी बार बार अपनी शर्ट सही करने का बहाना कर उसका ध्यान और भी ज्यादा अपनी चूचियों पर आकर्षित कर रही थी…
इधर उधर नजर मारते हुए ही मैंने देखा कि एक लड़की बहुत कामुक ढंग से एक छोटी सी… डोरी वाली कच्छी को अपनी जीन्स के ऊपर से ही बांधकर देख-परख रही थी…
और दूसरी तरफ एक मोटी सी लड़की एक उम्रदराज अंकल को अपनी मोटी-मोटी छातियाँ उभारकर न जाने क्या बता रही थी…
कुल मिलाकर बहुत सेक्सी दृश्य थे…
तभी सलोनी एक और बने पर्दों के पीछे जाने लगी… मेरे सामने ही उस लड़के ने सलोनी के चूतड़ों पर हाथ रख उसे आगे आने के लिए कहा…
मैं अभी उस ओर जाने का जुगाड़ कर ही रहा था कि एक बहुत सेक्सी लड़की मेरे सामने आ पूछने लगी- क्या चाहिए सर?
मैं- व… वव… वो…
लड़की- अरे शर्माइये नहीं सर… यहाँ हर तरह के अंडरगार्मेंट्स मिलते हैं… आपको अपनी बीवी के लिए चाहिए या गर्लफ्रेंड के लिए…
मैं- अररर्र रे नहीं… व… वव वो क्या है कि…
लड़की- अरे सर, आप तो केवल साइज बताइये… मैं आपको ऐसे डिज़ाइन दिखाऊँगी कि आपकी गर्लफ्रेंड खुश हो जायगी… और आपको भी… हे हे…
मैं- अरे वो क्या है कि मुझे बीवी के लिए ही चाहिए… और वो अभी यहीं आने वाली है… मैं उसी का इन्तजार कर रहा हूँ !
लड़की- ओह… ठीक है सर… मैं वहाँ हूँ… आप कहें, तो तब तक मैं आपको भी दिखा सकती हूँ…
उसके खुले गले के टॉप से उसकी गदराई चूची का काफी भाग दिख रहा था…
मैं उसकी चूची को ही देखते हुए- क्या? यह कहानी आप lustyweb.live पर पढ़ रहे हैं !
लड़की अपना टॉप सही करते हुए- …क्या सर आप भी… अंडरगारमेंट और क्या…
मैं- ठीक है, अभी आता हूँ…
उस लड़की के जाने के बाद मैंने पर्दों की ओर रुख किया… तभी वो लड़का बाहर को आ गया…
मैंने एक कोने के थोड़ा सा पर्दा हटा… अपने लिए जगह बनाई…
चारों ओर देखा किसी की नजर वहाँ नहीं थी… यह जगह एक कोने में बनी थी…
और चारों ओर काफी परदे लगे थे… मैं दो पर्दो के बीच खुद को छिपाकर… नीचे को बैठ गया…
अब कोई आसानी से मुझे नहीं देख सकता था…
मैंने अंदर की ओर देखा… अंदर दो तीन जमीन पर गद्दे बिछे थे… एक बड़ी सी मेज रखी थी…
मेज पर कुछ ब्रा चड्डी से सेट रखे थे… और दो कुर्सी भी थीं, बाकी चारों ओर सामान बिखरा था…
सलोनी मेज के पास खड़ी थी ..उसके हाथ में एक बहुत नए स्टाइल की ब्रा थी… जिसे वो चारों ओर से देख रही थी…
फिर उसने ब्रा को मेज पर रखा ओर एक बार पर्दों को देखा… फिर अचानक उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए…
 
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और चारों ओर काफी परदे लगे थे… मैं दो पर्दो के बीच खुद को छिपाकर… नीचे को बैठ गया…
अब कोई आसानी से मुझे नहीं देख सकता था…
मैंने अंदर की ओर देखा… अंदर दो तीन जमीन पर गद्दे बिछे थे… एक बड़ी सी मेज रखी थी…
मेज पर कुछ ब्रा चड्डी से सेट रखे थे… और दो कुर्सी भी थीं, बाकी चारों ओर सामान बिखरा था…
सलोनी मेज के पास खड़ी थी ..उसके हाथ में एक बहुत नए स्टाइल की ब्रा थी… जिसे वो चारों ओर से देख रही थी…
फिर उसने ब्रा को मेज पर रखा ओर एक बार पर्दों को देखा… फिर अचानक उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए…
माय गॉड ! उसको जरा भी नहीं लगा कि यह एक खुली दुकान है… और चारों ओर केवल पर्दों का ही पार्टीशन है?
सलोनी ने बिना किसी डर और शर्म के अपनी शर्ट पूरी निकाल कर वहीं मेज पर दी…
उसका दमकता शरीर अब केवल एक सफ़ेद कैप्री में… मेरे सामने था…
उसके पूरी तरह गोलाई लिए हुए चूचियाँ.. और उन पर कामुकता के रस से भरे उसके गुलाबी निप्पल… ऊपर उठे हुए जो किसी को भी पागल करने के लिए काफी थे… इस समय पूरी तरह नग्न मेरे सामने थे…
उसने अपनी चूचियों को एक बार खुद अपने हाथों से मसलकर ठीक किया…
जैसे टाइट शर्ट में कसी होने से उनको कष्ट हुआ हो और सलोनी उन दोनों को सहलाकर उनको पुचकार के मना रही हो…
कुल मिलाकर बहुत सेक्सी दृश्य था…
फिर वो अपनी ब्रा को उठा उसे… उलट पुलट कर पहनने के लिए देखने लगी…
तभी वो लड़का बिना कोई आवाज लगाये अंदर आ गया…
सलोनी शरमाते हुए, अपनी ब्रा को चूची पर रख उनको छुपाने का नाकामयाब प्रयास करते हुए- …अररर… एक मिनट… ववव… वो मैं पहन ही रही थी…
लड़का- क्या मैडम जी, आप भी अभी तक शरमा रही हो… लाइए मैं सही कर देता हूँ…
उसके हाथ में एक क्रीम का डब्बा था…
वो उसको खोल उसमें से क्रीम निकाल सलोनी की ओर बढ़ा और बहुत अधिकार से उसके हाथ से ब्रा ले कर मेज पर रख दी…
सलोनी बुरी तरह शरमा रही थी… मगर उसकी आखों में चुदास साफ़ दिख रही थी…
लड़के ने अपने एक हाथ से सलोनी के हाथों को उसकी चूची से हटाते हुए अपना सीधे हाथ में लगी क्रीम उसकी चूची के ऊपरी भाग पर मलनी शुरू कर दी…
बहुत रोमांचित अनुभव था… एक सार्वजनिक स्थान में.. मेरे सामने… मेरी सेक्सी बीवी अनावृत वक्षा यानि टॉपलेस खड़ी थी..
और एक अनजान लड़का उसकी नंगी चूचियों पर क्रीम लगा रहा था… मेरी बीवी क्रीम लगवा भी रही थी और शरमा भी रही थी…
सलोनी- अह्हाआ… क्या कर रहे हो… क्यों यो ओ… ??
लड़का- अरे मैडम जी… नई ब्रा है… और ये विदेशी कपड़े की है… आपकी इतनी मुलायम त्वचा को कोई नुकसान ना हो इसीलिए यह क्रीम लगा रहा हूँ…
सलोनी- ओह ठीक है…
बस इतना सुनते ही उस लड़के हाथ अब पूरी चूची पर चलने लगे…
सलोनी- अहा धीरे धीरे…
सलोनी ने अपने चूतड़ मेज पर टिकाकर अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया…
इस अवस्था में सलोनी की दोनों चूची और भी ज्यादा ऊपर उठ गई..
उस लड़के ने अब अपने दोनों हाथों में क्रीम ले ली…
और सलोनी के दोनों उरोज़ अपने हाथों में लेकर क्रीम मलने के बहाने से मसलने लगा…
सलोनी ने अपनी आँखें बंद कर ली थी… और उसके मुख से आनन्द भरी हल्की सिसकारी भी निकल रही थी…
साफ़ लग रहा था… सलोनी को बहुत मज़ा आ रहा है…
मैं खुद को पूरी तरह से छुपाये हुए सलोनी की रासलीला देख रहा था…
सलोनी को देखकर कतई ये नहीं लग रहा था कि वो परेशान हो रही हो या उसको किसी का डर हो…
उसकी बंद आँखों और मुँह से निकलती हलकी सीत्कारों से यही प्रतीत हो रहा था कि उसको इस वक्ष मर्दन में मजा आ रहा है…
सलोनी- अहाआआ… क्या कर रहे हो.. बस्स्स्स ना…
लड़का- हाँ मैडम जी बस हो ही गया… आप यही वाली क्रीम लेना… इससे बॉडी चमाचम हो जाती है और नए कपड़े से कोई निशान भी नहीं पड़ता…
वह सलोनी के चारों ओर ब्रा वाले भाग पर क्रीम मलते हुए ही बोला…
अब लड़के का हाथ उसकी चूची से फिसलता हुआ नीचे उसके समतल पेट पर था…
उसने पूरे पेट पर मालिश करने के बाद उसकी सबसे खूबसूरत और गहरी टुंडी में अपनी उंगली घुसा दी..
सलोनी- अहाआआ… आआआ… इइइइइ…
सलोनी ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया…
लड़का- अर्रर… मैडमजी, इसको चमका रहा हूँ…
सलोनी- बस्स्स्स… अब रहने दो… मैं ब्रा पहन कर बताती हूँ कि सही है या नहीं…
लड़का ने जबरदस्ती अपना हाथ छुड़ाते हुए… अपने बाएं हाथ से सलोनी का हाथ पकड़कर अपना सीधा हाथ आगे से उसकी कैप्री में डालने का प्रयास करने लगा..
सलोनी- ओह… नहीईईईई… यह क्या कर रहे हो… वहाँ नहीं…
लड़का- अरे क्या मैडम जी… आप ऐसा क्यों कर रही हो.. यहाँ कोई नहीं आएगा…
उसने थोड़ा और जोर लगाकर अपना हाथ कुछ इंच और उसकी कैप्री में अंदर को सरका दिया…
एक तो पहले से ही सलोनी ने अपनी कैप्री अपनी टुंडी से काफी नीचे पहनी थी… और इस समय उस लड़के का हाथ करीब 5-6 इंच तो उसकी कैप्री में था…
मेरे हिसाब से उसकी उँगलियों का अगला भाग सलोनी की चूत के ऊपरी हिस्से तक तो पहुँच ही गया था…
और यह भी पक्का था कि वो नंगी चूत को ही छू रहा होगा क्योंकि जब हम ऊपर से हाथ घुसाते हैं तो हाथ सीधा कच्छी के अंदर ही जाता है…
परन्तु आज शायद सलोनी पूरे मूड में नहीं थी.. उसने अपना दूसरे हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया और जोर लगाकर अपनी कैप्री से बाहर खींच लिया…
सलोनी- मैंने मना किया न… मैं केवल ब्रा चेक करुँगी… बस… पैंटी घर जाकर चेक करके बता दूंगी… यहाँ नहीं..
लड़के का मुँह देख लग रहा था जैसे उसके हाथ से ना जाने कितनी कीमती चीज छीन ली गई हो…
 
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सलोनी- मैंने मना किया न… मैं केवल ब्रा चेक करुँगी… बस… पैंटी घर जाकर चेक करके बता दूँगी… यहाँ नहीं..
लड़के का मुँह देख लग रहा था जैसे उसके हाथ से ना जाने कितनी कीमती चीज छीन ली गई हो…
सलोनी- ओह ज़मील, आज मुझे जल्दी जाना है… फिर कभी तुम घर आकर आराम से चेक कर लेना…
और सलोनी ने झुककर उस लड़के के मुँह पर चूम लिया…

बस अब तो कबीर की प्रसन्नता का गुब्बारा फट पड़ा..
उसने सलोनी को कसकर अपनी बाँहों में भर लिया…

उसने अपनी कमर सलोनी के चूत वाले भाग पर घिसते हुए ही बोला…
लड़का- मैडम जी कल से आपकी याद में मेरा लण्ड खड़ा ही है… यह साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा…
साफ़ लग रहा था कि वो अपना लण्ड सलोनी कि चूत पर रगड़ रहा था… चाहे कैप्री के ऊपर से ही…

लड़का- मैडम जी, जब से आपकी इतनी प्यारी चूत देखी है… मेरा लण्ड ने तो जिद पकड़ ली है कि एक बार तो वहाँ जरूर जाऊँगा…
सलोनी- ओह छोड़ो ना…

लड़का उसको और कसकर चिपकते हुए- …सच मेमसाब मैंने पूरी जिंदगी में इतनी प्यारी और चिकनी चूत नहीं देखी… यहाँ बाहर मेरे यहाँ 6-7 लड़कियां काम करती हैं, मैं सबको यहीं कई बार चोद चुका हूँ… मगर सबकी चूत आपकी चूत के सामने बिल्कुल बेकार है…
सच कहूँ कल एक बार आपकी चूत छूने से ही मेरा पानी निकल गया था… और आपके पति भी कितने अच्छे हैं, उन्होंने खुद अपने हाथों से मेरे को मजा करवाया…

सलोनी- ओह नहीं…!!!
लड़का- अहा हा… ह्ह्ह… सही मैडम जी… मैंने 3-4 शादीशुदा को भी चोदा है और मेरी दिली इच्छा थी कि काश मैं उनको… उनके पति के सामने चोदूँ… पर वो सभी ना जाने क्यों डरती हैं… सुसरी चुदवाते हुए तो खूब आवाज करेंगी पर पति से कहने से भी डरती हैं… पर आप एकदम अलग हो, आप तो अपने पति के सामने ही मजा करती हो… आपको तो भाई शाब के सामने ही चोदूंगा…

तभी अचानक सलोनी ने उसको कसकर धक्का दिया… वो पीछे को हो गया…
सलोनी- बस बहुत हो गया… अब मुझे जाने दो… और हाँ वो मेरे पति नहीं थे समझे… तुम अपना काम करो… मैं ऐसी वैसी नहीं हूँ…

लड़का- ओह सॉरी मैडम जी… वो मैं समझा इसीलिए… इसका मतलब…
सलोनी ने जल्दी से अपनी शर्ट पहनी और… जल्दी जल्दी वहाँ से बाहर निकल गई…
मैं और वो लड़का भौंचक्के से उसको जाते देखते रह गए…
कि अचानक यह हुआ क्या?

मैं वहाँ खड़ा अभी सलोनी के बारे में सोच ही रहा था कि यह अचानक उसको क्या हुआ…
वो चुदवाने को मना तो कर सकती थी… मगर इस तरह… अपनी नई वाली कच्छी-ब्रा भी छोड़कर यूँ भाग जाना…?
जरूर कोई बात तो है…

मैं वहाँ से निकल… सलोनी के पीछे जाने की सोच ही रहा था… और उस लड़के कबीर के हटने का इन्तजार कर रहा था कि…
लगता था कि कबीर कुछ ज्यादा ही गर्म हो गया था… उसने अपना लोअर नीचे कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया…
उसका लण्ड कुछ बहुत ही अजीब सा था… 6-7 इंच लम्बा और शायद 2.5 से 3 इंच मोटा… पर उसका सुपाड़ा बहुत खतरनाक था… बिल्कुल खुला और बहुत मोटा…

मुझे लगा कि इसके लण्ड का यह अगला भाग अच्छी अच्छी चूतों की चीखें निकाल देता होगा…
और खास बात यह थी कि लण्ड बहुत अजीब तरीके से मुड़ा हुआ था, एकदम सीधा नहीं था…
तो इस समय वो अपने लण्ड को सहलाते हुए ही बात भी कर रहा था… जैसे उसको समझा रहा हो…
लड़का- ओह मेरे यार, मैं क्या करूँ… साली, अच्छी खासी पट गई थी… मगर ना जाने क्या हुआ… पुच…पुच… मान जा… फिर किसी दिन दिलाऊँगा…

मैं अभी यह सोच ही रहा था… कि क्या सलोनी को उसके इस भयंकर लण्ड का आभास हो गया था… जो वो ऐसे भाग गई?
कि तभी उस लड़के और मेरी नजर एक साथ ही सामने एक परदे पर पड़ी…
वहाँ एक लड़की जो शायद उसी दुकान पर काम करती थी… दिखी.. जो छुपकर जाने का प्रयास कर रही थी…

लड़का- ऐ एएए… नाज़नीन… इधर आ… तू क्या कर रही है… यहाँ…
मैं स्थिति को समझने का प्रयास कर ही रहा था… कि उस लड़के के पास आ गई थी…
मगर वो अभी भी लण्ड को अपने हाथ से पकड़े उससे बात कर रहा था… उसने अपना लण्ड अभी तक लोअर के अंदर नहीं किया था…

नाज़नीन- वो सर… मैं तो आपको ही ढूंढ रही थी… ये सामान दिखाना था… उसके हाथ में दो ब्रा थीं…
नाज़नीन कोई 5 फुट की छोटे कद की, पतली दुबली… सांवले रंग की थी… उसके पहनावे और मेकअप से लग रहा था कि वो एक गरीब परिवार की होगी…

उसने एक सस्ती सी झीनी काले रंग की कुर्ती और सफ़ेद टाइट पजामी पहनी थी… कुर्ती से उसकी ब्रा साफ़ दिख रही थी…
उसने अपने कंधे तक के बालों को खुला छोड़ रखा था… जो कुछ बिखरे हुए भी थे…
उसकी चूचियाँ तो कुछ खास नहीं थीं…कुर्ती से हलकी सी ही उभरी हुई दिख रही थीं…
मगर हाँ उसकी गांड काफी उभरी हुई दिख रही थी… जो उसके पूरे शरीर का सबसे आकर्षक भाग था…

तभी…
वहाँ एक मोबाइल बजने लगा…
लड़का- रुक तू अभी… यह तो उसी का फोन है… हाँ मैडम जी, क्या हुआ आप इतना नाराज क्यों हो गई… अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो माफ़ कर दो… अपना सामान तो ले जाती…
…ओह ये तो सलोनी का ही फोन था… मैंने रात को अपने वॉयस रिकॉर्डर से जान लिया था कि सलोनी ने उससे क्या बात की थी… जो यहाँ बता रहा हूँ…

सलोनी- अरे मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ… वो वहा कोई खड़ा था ना… इसलिए मैं आ गई… मुझे बहुत शर्म आ रही थी… वहाँ…
लड़का- अरे मैडम जी ये कोई नहीं… नाज़नीन ही थी… आप ही के कपड़े लेकर आई थी… यह यहाँ सिलाई का काम करती है… इससे न डरो… आप आ जाओ…

सलोनी- अरे नहीं, अब नहीं… और वहाँ मुझे अच्छा नहीं लगा… तुम्हारे यहाँ एक चेंज रूम भी होना चाहिए ना…
लड़का- अब क्या करूँ मैडम जी… वो हो ही नहीं पाया… मगर आप डरो नहीं… यहाँ कोई नहीं आता…केवल यही सब ही आती हैं… बस…

सलोनी- छोड़ो ये सब, तुम ऐसा करना, मैं बता दूंगी… मेरे घर ही भिजवा देना… या खुद ही ले आना…मैं वहीं चेक करके बता दूँगी…
लड़का- ठीक है मैडम जी, बताओ… कहाँ??… मैं अभी आ जाता हूँ…

सलोनी- अरे अभी तो नहीं… मुझे अभी बाजार में ही काम है… और फिर इनके ऑफिस जाना है… फिर 1-2 दिन में बता दूंगी…
लड़का- ओह मैडम जी… यह तो बहुत बुरा हुआ… इस साली की वजह से…
वो नाज़नीन को बालों से पकड़ अपने लण्ड पर झुका देता है… जो फिर से तन गया था…
और इस समय कहीं ज्यादा भयंकर हो गया था… यह शायद सलोनी की सेक्सी आवाज के कारण हुआ था…

नाज़नीन भी उसके लण्ड को अपने हाथ से पकड़ झुक कर उसको पुचकारने लगती है…
मैं उस लड़के की किस्मत पर रस्क करने लगता हूँ… कि क्या किस्मत है साले की…
अभी कुछ देर पहले मेरी बीवी के मम्मो को मसल रहा था… और अब इस लड़की से अपना लण्ड चुसवा रहा है…

नाज़नीन की पीठ मेरी ओर थी… जब वो झुकी तो उसकी कुर्ती उसके मोटे चूतड़ों से ऊपर सरक गई…
ओह माय गॉड… उसके विशाल चूतड़ केवल सफ़ेद टाइट पजामी में मेरे सामने थे…
उसके चूतड़ उसकी उस इलास्टिक वाली पजामी में नहीं समां रहे थे…

उसके झुकने से उसकी पजामी उसके चूतड़ों से काफी नीचे को फिसल रही थी जिससे उसके चूतड़ों का ऊपरी हिस्सा… और चूतड़ों की दरार तक साफ़-साफ़ दिख रही थी…
उसने एक काली कच्छी भी पहनी थी… जो पूरी साफ़ उसकी पजामी से दिख रही थी…

लेकिन उसकी कच्छी बहुत पुरानी थी… जिसकी इलास्टिक तक ढीली हो गई थी…
जो उसकी पजामी के साथ ही नीचे को सिमट गई थी…
इस सेक्सी नज़ारे को देख मैं सलोनी को भूल गया… सोचा उसको तो बाद में भी देख लेंगे… पहले इसको ही देखा जाये…
लड़का अपना लण्ड चुसवाते हुए… सलोनी से अभी भी बात कर रहा था…
लड़का- क्या मैडम जी, आप तो मेरा खड़ा करके भाग गई… अब मैं क्या करूँ…?

सलोनी- तुम पागल हो क्या? इसमें मैं क्या कर सकती हूँ… वो तुम समझो… मुझे मेरे कपड़े चाहिए बस… बाकी अपना जो भी है वो तुम जानो… हे हे हे हे हा हा…
लड़का- मैडम जी ऐसा ना करो…

सलोनी- अच्छा ठीक है… फिर बात करती हूँ… अभी तुम अपना काम करो… बाय…
लड़का- ओह नहींईई मैडम जी… ये क्या…
और वो गुस्से में ही… उस बेचारी नाज़नीन पर टूट पड़ता है…
कहानी जारी रहेगी।
 
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लड़का अपना लण्ड चुसवाते हुए… सलोनी से अभी भी बात कर रहा था…
लड़का- क्या मैडम जी, आप तो मेरा खड़ा करके भाग गई… अब मैं क्या करूँ…?
सलोनी- तुम पागल हो क्या? इसमें मैं क्या कर सकती हूँ… वो तुम समझो… मुझे मेरे कपड़े चाहिए बस… बाकी अपना जो भी है वो तुम जानो… हे हे हे हे हा हा…
लड़का- मैडम जी ऐसा ना करो…
सलोनी- अच्छा ठीक है… फिर बात करती हूँ… अभी तुम अपना काम करो… बाय…
लड़का- ओह नहींईई मैडम जी… ये क्या…
और वो गुस्से में ही… उस बेचारी नाज़नीन पर टूट पड़ता है…
लड़का- चल सुसरी… तेरी वजह से आज एक प्यारी चूत निकल गई… चल अब तू ही इसे शांत कर…
वो उसको उसी मेज पर झुकाकर… उसकी पजामी एकदम से नीचे खींच देता है…
मैं बिना पलक झपकाये उधर देख रहा था… वो लड़का कबीर कैसे नाज़नीन के साथ मस्ती कर रहा था…
कुछ लड़कियाँ कपड़ों में बेइंतहा खूबसूरत लगती हैं मगर वो अपने अंदर के अंगों का ध्यान नहीं रखती… इसलिए कपड़ों के बिना उनमें वो रस नहीं आता…
मगर कुछ देखने में तो साधारण ही होती हैं, पर कच्छी निकालते ही उनकी गाण्ड और चूत देखते ही लण्ड पानी छोड़ देता है…
नाज़नीन कुछ वैसी ही थी… उसकी गाण्ड और चूत में एक अलग ही कशिश थी… जो उसको खास बना रही थी…
कबीर ने लण्ड चूसती नाज़नीन का हाथ पकड़ ऊपर उठाया और उसको घुमाकर मेज की ओर झुका दिया…
उसने अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया और खुद को तैयार करने लगी…
उसको पता था कि आगे क्या होने वाला है…
कबीर मेरी बीवी के साथ तो बहुत प्यार से पेश आ रहा था…
मगर नाज़नीन के साथ जालिम की तरह व्यव्हार कर रहा था…
वो उन मर्दों में था कि जब तक चूत नहीं मिलती तब तक उसको प्यार से सहलाते हैं…
और जब एक बार उस चूत में लण्ड चला जाये…तो फिर बेदर्दी पर उतर आते हैं…
वो नाज़नीन को पहले कई बार चोद चुका था… जो कि साफ़ पता चल रहा था… इसलिए उस बेचारी के साथ जालिमो जैसा व्यव्हार कर रहा था…
नाज़नीन मेज पर झुककर खड़ी थी, उसकी कुर्ती तो पहले ही बहुत ऊपर खिसक गई थी और पजामी भी चूतड़ से काफी नीचे आ गई थी…
कबीर ने अपने बाएं हाथ की सभी उँगलियाँ एक साथ पजामी में फंसाई और एक झटके से उसको नाज़नीन की जांघों से खींच टखनोंतक ला दिया…
नाज़नीन- उफ़्फ़्फ़…
नाज़नीन के विशाल चूतड़… पूरी गोलाई लिए मेरे सामने थे…
नाज़नीन की कच्छी क्या साथ देती वो तो पहले ही अपनी अंतिम साँसे गिन रही थी… वो भी पजामी के साथ ही नीचे आ गई…
मैं नाज़नीन के विशाल चूतड़ों का दृश्य ज्यादा देर नहीं देख पाया…
क्योंकि उस कमीन कबीर ने अपना लण्ड पीछे से नाज़नीन के चूतड़ों से चिपका उसको ढक दिया…
नाज़नीन- अहा ह्ह्ह्ह… नहीं सर… अव्वह… नहीं करो…
कबीर- क्यों तुझे अब क्या हुआ… साली उसको भी भगा दिया और खुद भी नखरे कर रही है…
नाज़नीन लगातार अपनी कमर हिला कबीर के खतरनाक लण्ड को अपने चूतड़ों से हटा रही थी…
नाज़नीन- नहीं सर बहुत दर्द हो रहा है… आज सुबह ही अंकल ने मेरी गाण्ड को सुजा दिया है… बहुत चीस उठ रही है… आप आगे से कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी…
कबीर अब थोड़ा रहम दिल भी दिखा… वो नीचे बैठकर उसके चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ खोलकर देखता है…
वाओ मेरा दिल कब से ये देखने का कर रहा था…
नाज़नीन के विशाल चूतड़ इस कदर गोलाई लिए और आपस में चिपके थे कि उसके झुककर खड़े होने पर भी… गाण्ड या चूत का छेद नहीं दिख रहा था…
मगर कबीर के द्वारा दोनों भाग चीरने से अब उसके दोनों छेद दिखने लगे…
गाण्ड का छेद तो पूरा लाल और काफी कटा कटा सा दिख रहा था…
मगर पीछे से झांकती चूत बहुत खूबसूरत दिख रही थी…
कबीर ने वहाँ रखी क्रीम अपने हाथ में ली और उसके गाण्ड के छेद पर बड़े प्यार से लगाई…
कबीर- ये साला अब्बू भी न… तुझे मना किया है ना कि मत जाया कर सुबह सुबह उसके पास… उसके लिए तो जाकिरा और सलीमा ही सही हैं, झेल तो लेती हैं उसका आराम से… फड़ावा लेगी तू किसी दिन उससे अपनी…
और उसने कुछ क्रीम उसकी चूत के छेद पर भी लगाई…
मैंने सोचा कि ये साले दोनों बाप बेटे कितनी चूतों के साथ मजे ले रहे हैं…
फिर कबीर ने खड़े हो पीछे से ही अपना लण्ड नाज़नीन की चूत में फंसा दिया…
नाज़नीन- आआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… इइइइ…
वो तो दुकान में चल रहे तेज म्यूजिक की वजह से उसकी चीख किसी ने नहीं सुनी…
वाकयी कबीर के लण्ड का सुपारा था ही ऐसा… जो मैंने सोचा था वही हुआ… उस बेचारी नाज़नीन की नाजुक चूत की चीख निकल गई…
लेकिन एक खास बात यह भी थी कि अब लण्ड आराम से अंदर जा रहा था…
मतलब केवल पहली चोट के बाद वो चूत को फिर मजे ही देता था…
मैं ना जाने क्यों ऐसा सोच रहा था कि यह लण्ड सलोनी की चूत में जा रहा है और वो चिल्ला रही है…
अब वहाँ कबीर अपनी कमर हिला हिला कर नाज़नीन को चोद रहा था…
और वहाँ दोनों की आहें गूंज रही थीं…
मेरा लण्ड भी बेकाबू हो गया था… और अब मुझे वहाँ रुकना भारी लगने लगा…
मैं चुपचाप वहाँ से बाहर निकला… और बिना किसी से मिले दुकान से बाहर आ गया…
दुकान से बाहर आते समय मुझे वो लड़की फिर मिली जो मुझे ब्रा चड्डी खरीदने के लिए कह रही थी…
ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी…
मैंने भी उसको एक स्माइल दी… और दुकान से बाहर निकल आया…
पहले चारों ओर देखा… फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा… और ऑफिस आ गया…
मन बहुत रोमांचित था… मगर काम में नहीं लगा…
फिर प्रणव को फोन किया…
 
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दुकान से बाहर आते समय मुझे वो लड़की फिर मिली जो मुझे ब्रा चड्डी खरीदने के लिए कह रही थी…
ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी…
मैंने भी उसको एक स्माइल दी… और दुकान से बाहर निकल आया…
पहले चारों ओर देखा… फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा… और ऑफिस आ गया…
मन बहुत रोमांचित था… मगर काम में नहीं लगा…
फिर प्रणव को फोन किया, उसको आज रात मेरे यहाँ डिनर पर आना था…
उसने कहा कि वो नौ बजे तक पहुँचेगा… साथ में रुचिका भी होगी…
यह सोचकर मेरे दिल में गुदगुदी हुई… पता नहीं आज सेक्सी क्या पहनकर आएगी…
फिर सलोनी के बारे में सोचने लगा कि ना जाने आज क्या पहनेगी और कैसे पेश आएगी…
जल्दी जल्दी कुछ काम निपटाकर 6 बजे तक ही घर पहुँच गया…
सलोनी ने दरवाजा खोला…
लगता है वो शाम के लिए तैयारी में ही लगी थी… और तैयार होने जा रही थी…
उसके गोरे बदन पर केवल एक नीला तौलिया था… जो उसने अपनी चूचियों से बांध रखा था…
जैसे अमूमन लड़कियाँ नहाने के बाद बांधती हैं… पर सलोनी अभी बिना नहाये लग रही थी…
उसके बाल बिखरे थे… और चेहरे पर भी पसीने के निशान थे…
लगता था कि वो बाथरूम में नहाने गई थी… और मेरी घंटी की आवाज सुन ऐसे ही दरवाजा खोलने आ गई…
उसका तौलिया कुछ लम्बा-चौड़ा था तो घुटनो से करीब 6 इंच ऊपर तक तो आता ही था… इसलिए सलोनी की गदराई जांघों का कुछ भाग ही दिखता था…
मैंने सलोनी को अपनी बाँहों में भर लिया…
उसने प्यार से मेरे गाल पर चूमा और कहा- अंदर नलिनी है…
वो रात वाले अरविन्द अंकल याद हैं ना… उनकी बीवी… हम दोनों ही उनको भाभी ही कहते थे…
अंकल तो 60-62 के करीब थे मगर यह उनकी दूसरी शादी थी तो भाभी केवल 40 के आसपास ही थी…
उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है… कुछ मोटी तो हैं… पर 5 फुट 4 इंच लम्बी ,रंग साफ़, 37-28-35 की फिगर उनको पूरी कॉलोनी में एक सेक्सी महिला की लाइन में रखती थी…
मैंने सलोनी से इशारे से ही पूछा- कहाँ…??
उसने हमरे बैडरूम की ओर इशारा किया…
मैं- और तुम क्या तैयार हो रही हो… सिर्फ़ यह तौलिया लपेटे ही क्यों घूम रही हो?
सलोनी- अरे मैं काम निपटाकर नहाने गई थी कि तभी ये आ गई… इसीलिए !
मैं- और अभी… मेरी जगह कोई और होता तो…
सलोनी- तो क्या… यहाँ कौन आता है?
तभी अंदर से ही नलिनी भाभी की आवाज आई- अरे कौन है सलोनी… क्या ये हैं…
वो अरविन्द अंकल को समझ रही थी।
तभी वो बैडरूम के दरवाजे से दिखीं… माय गॉड ! क़यामत लग रही थी…
उन्होंने सलोनी का जोगिंग वाला नेकर और एक पीली कुर्ती पहनी थी जो उनके पेट तक ही थी…
नेकर इतनी कसी थी कि उनकी फूली हुई चूत का उभार ही नहीं बल्कि चूत की पूरी शेप ही साफ़ दिख रही थी…
मेरी नजर तो वहाँ से हटी ही नहीं… ऐसा लग रहा था जैसे डबल रोटी को चूत का आकार दे वहाँ लगा दिया हो…
भाभी की नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी- हाय राम…
कह पीछे को हो गई…
सलोनी बैडरूम में जाते हुए- …अरे भाभी… ये हैं… आज थोड़ा जल्दी आ गए… मैंने बताया था न कि आज इनके दोस्त डिनर पर आने वाले हैं…
मैं भी बिना शरमाये बैडरूम में चला आया जहाँ भाभी सिकुड़ी-सिमटी खड़ी थीं…
मैं- अरे भाभी, शरमा क्यों रही हो… इतनी मस्त तो लग रही हो… आपको तो ऐसे कपड़े पहनकर ही रहना चाहिए…
भाभी- हाँ हाँ ठीक है… पर इस समय तुम बाहर जाओ ना… मैं जरा अपने कपड़े बदल लूँ…
सलोनी- हा हा हा क्या भाभी, आप इनसे क्यों शरमा रही हो…
फ़िए सलोनी ने मेरे से कहा- जानू, आज भाभी का मूड भी सेक्सी कपड़े पहनने का कर रहा था…
भाभी- चल पागल… मेरा कहाँ… वो तो ये एए…
सलोनी- हाँ हाँ… अंकल ने ही कहा… पर है तो आपका भी मन ना…
भाभी कुछ ज्यादा ही शरमा रही थीं… और अपनी दोनों टांगों की कैंची बना अपनी चूत के उभार को छुपाने की नाकामयाब कोशिश में लगीं थीं…
सलोनी- जानू, आज भाभी मेरे कपड़े पहन पहनकर देख रही है… कह रही थीं कि कल से अंकल ज़िद कर रहे हैं कि ये क्या बुड्ढों वाले कपड़े पहनती हो… सलोनी जैसे फैशन वाले कपड़े पहना करो… हा हा हा…
मैं- तो सही ही तो कहते हैं… हमारी भाभी है ही इतनी सेक्सी… और देखो इन कपड़ों में तो तुमसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हैं…
सलोनी- हा ह हा ह… कहीं तुम्हारा दिल तो खराब नहीं हो रहा…
भाभी- तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? चलो अब जाओ, मुझे चेंज करने दो…
मैं- ओह भाभी कितना शरमाती हो आप… ऐसा करो, आज इन्ही कपड़ों में अंकल के सामने जाओ… देखना वो कितने खुश हो जायेंगे…
सलोनी- हाँ भाभी… अंकल की भी मर्जी यही तो है… तो आज यही सही…
पता नहीं उन्होंने क्या सोचा और एक कातिल मुस्कुराहट के साथ कहा- …तुम दोनों ऐसी हरकतें कर मेरा हाल बुरा करवाओगे…
भाभी- अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो… और हाँ… खिड़की बंद कर लेना… ही… ही…
कहानी जारी रहेगी।
 
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भाभी- अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो… और हाँ… खिड़की बंद कर लेना… ही… ही…
मैं चौंक गया…
सलोनी दरवाजा बंद करके आ गई…
मैं- यह भाभी क्या कह रही थीं… खिड़की मतलब… क्या कल ये भी थीं… इन्होंने भी कुछ देखा क्या…
सलोनी- अरे नहीं जानू… हा हा हा… आज तो बहुत खुश थी… कल अंकल ने जमकर इनको…
मैं- क्या?? यह सच है… इन्होंने खुद तुमको बताया?
सलोनी- और नहीं तो क्या… पहले तो शिकायत कर रही थी… फिर तो बहुत खुश होकर बता रही थी कि कल कई महीने के बाद इन्होंने मजे किये… जानू तुम्हारी शैतानी से इनके जीवन में भी रंग भर गया…
सलोनी- अच्छा आप चेंज करो, मैं बस जरा देर में नहाकर आती हूँ… अभी बहुत काम करने हैं…
मैंने देखा बेड पर सलोनी के काफी कपड़े फैले पड़े थे… एक कोने में एक सूट (सलवार, कुरता) भी रखा था…
वो सलोनी का तो नहीं था… वो जरूर भाभी का ही था…
मैंने उस सूट को उठा देखने लगा… तभी कुछ नीचे गिरा…
अरे ये तो एक जोड़ी ब्रा, चड्डी थे… सफ़ेद ब्रा और सफ़ेद ही चड्डी… दोनों साधारण बनावट के थे…
चड्डी तो उन्होंने पहनी ही नहीं थी, यह तो उनकी चूत के उभार से ही पता चल गया था…
पर अब इसका मतलब भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी..
मैंने दोनों को उठा एक बार अपने हाथ से सहलाया और वैसे ही रख दिया… और भाभी की चूत और चूची के बारे में सोचने लगा…
तभी मुझे अपने रिकॉर्डर का ध्यान आया… सलोनी तो बाथरूम में थी…
मैंने जल्दी से उसके पर्स से रिकॉर्डर निकाल उसको अपने फोन से जोड़ लिया…
और सुनते हुए… अपना काम करने लगा…
मैंने रिकॉर्डिंग सुनते हुए ही अपने सभी कपड़े निकाल दिए… कच्छा भी…
और तौलिया ले इन्तजार करने लगा… गर्मी बहुत थी.. सोचा नहाकर ही तैयार होता हूँ…
आज की रिकॉर्डिंग बहुत बोर थी… ज्यादातर खाली ही थी क्योंकि सलोनी अकेली थी तो बहुत जगह आवाज थी ही नहीं…
मैंने सोचा कि नहाने के बाद सलोनी के साथ ही मस्ती की जाये…
कि तभी… रिकॉर्डर मे आवाज आई…
ट्रीन्न्न्न्न… टिन्न्न्न्न…
यह तो मेरे घर की घण्टी थी…
कौन होगा…???
सलोनी- कौन है?
‘खोलो बेटा… ‘
दरवाजा खुलने की आवाज…
सलोनी- ओह आप… आइये अंकल… गुड मॉरनिंग…
ये अरविन्द अंकल थे… वो रात वाले… जिन्होंने पूरा लाइव शो देखा था…
अंकल- हाँ बेटा… गॉड ब्लेस यू… पुछ्ह्ह…
अंकल जब भी मिलते थे तो माथे पर किस करते थे… जो शायद उन्होंने की होगी…
सलोनी- अरे अंकल क्या करते हो, मेरे हाथ गंदे हैं… वो क्या है कि मैं कपड़े धो रही थी…
अंकल- अरे तो क्या हुआ बच्चे… तभी तू पूरी गीली है…
सलोनी- हाँ अंकल, बताइये क्या काम है…
मैं सोच रहा था कि पता नहीं सलोनी ने क्या पहना होगा… और अंकल को अब क्या दिखा रही होगी???
अंकल- बेटा वो तेरी आंटी को भी अब तेरी तरह मॉडर्न कपड़े पहनने का शौक हो गया है… क्या तू उसको बाजार से शॉपिंग करवा देगी… अब उसको शौक तो हो गया… पर पता नहीं है कि कहाँ और कैसे… तो तू उसकी हेल्प कर देना…
सलोनी- हा हा अंकल, उनको या आपको…?
अंकल- अरे मैं तो कबसे उसको बोलता था… कि तेरी तरह सेक्सी कपड़े पहना करे… पर मानती ही नहीं थी… अब खुद कह रही है…
सलोनी- क्यों ऐसा क्या हुआ?
अंकल- यह तू उसी से पूछना…
सलोनी- ठीक है अंकल…
अंकल- और 2-4 ऐसी नाइटी भी दिला देना… जिसमें सब दिखे…
सलोनी- हा हा अंकल… आप भी ना… अब आंटी ऐसे कपड़े पहन किसको दिखाएंगी…
अंकल- अरे बेटी कितनी सेक्सी लगती है ना… मैं चाहता हूँ… वो तुम जैसी हो जाये… और जीवन के मजे ले…
सलोनी- ओह छोड़ो ना अंकल, क्या करते हो?
??????

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अंकल- और उसको अपने जैसा बोल्ड भी बना देना कि… किसी क़े सामने ऐसे कपड़े पहन आराम से खड़े हो सके…
सलोनी- अच्छा तो क्या आप भी मुझे गन्दी नजर से देख रहे हो…
अंकल- अरे नहीं बेटा… मैं तो तेरी तारीफ कर रहा हूँ… अगर तेरी आंटी भी तेरे जैसी हो जाये तो मैं तो फिर से जवान हो जाऊँगा…
सलोनी- अरे अंकल आप तो अभी भी जवान हो… किसने कह दिया कि आप बूढ़े हो…
अंकल- ओह थैक्स बेटा… कल तो तेरी आंटी भी मान गई… तभी तो ऐसे कपड़ों की ज़िद कर रही है !
सलोनी- ओके अंकल… मैं उनको खूब सेक्सी बना दूँगी… आप चिंता ना करो… अच्छा अब मुझे देखना बंद करो… आप आंटी को ही देखना… हे हे…
अंकल- अरे नहीं बेटा, तू तो है ही इतनी सेक्सी… कि हरदम देखने का दिल करता है…
सलोनी- ठीक है अब बहुत देख लिया… अब मुझे काम करने दो… बाय बाय…
अंकल- ओह बाय बेटा…

..
बस फिर ज्यादा कुछ नहीं था रिकॉर्डिंग में …
तभी सलोनी पूरी नंगी बाथरूम से बाहर आई.. हमेशा की तरह…
मुझे देख मुस्कुराई…
मैं भी उसको चूमकर- …अच्छा जान मैं भी फ्रेश हो लेता हूँ…
सलोनी- ओ के जानू…
मैं बाथरूम में चला गया।
मैं बाथरूम में जाकर नहाने की तैयारी कर ही रहा था कि मुझे दरवाजे की घण्टी की आवाज सुनाई दी….
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
मैं सोचने लगा कि अभी कौन आ गया… प्रणव तो रात को आने वाला था…
 
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मैं बाथरूम में जाकर नहाने की तैयारी कर ही रहा था कि मुझे दरवाजे की घण्टी की आवाज सुनाई दी…
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
मैं सोचने लगा कि अभी कौन आ गया… प्रणव तो रात को आने वाला था…
तभी मेरे दिमाग में आया… कि सलोनी तो सिर्फ तौलिया में ही थी… वो कैसे दरवाजा खोलेगी…
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
एक बार फिर से घंटी बजी…
इसका मतलब सलोनी कपड़े पहन रही होगी… इसीलिए कोई बेचारा इन्तजार कर रहा होगा…
मगर अचानक मुझे दरवाजा खुलने की आवाज भी आ गई…
इतनी जल्दी तो सलोनी कपड़े नहीं पहन सकती… उसने शायद गाउन डालकर ही दरवाजा खोल दिया होगा…
मैं खुद को रोक नहीं पाया… फिर से रोशनदान पर चढ़कर देखने लगा कि आखिर क्या पहनकर उसने दरवाजा खोला…
और है कौन आने वाला…??
और मैं चौंक गया… सलोनी अभी भी तौलिये में ही थी… उसने वैसे ही दरवाजा खोला था…
और आने वाले अरविन्द अंकल थे… उनके हाथ में सलोनी के कपड़े थे जो भाभी पहनकर गई थी…
सलोनी- ओह आप अंकल… क्या हुआ??
अंकल- बेटा लो ये तेरे कपड़े…
सलोनी- अरे इतनी क्या जल्दी थी… आ जाते…
फिर थोड़ा शरमा कर मुस्कुराते हुए- क्यों, आपको भाभी अच्छी नहीं लगी इन कपड़ों में?
अंकल- अरे नहीं, सही ही थी… उसमें इतना दम कहाँ… ये कपड़े तो तेरे ऊपर ही गजब ढाते हैं…
सलोनी- अरे नहीं अंकल… भाभी भी गजब ढा रही थीं… अंकुर तो बस उनको ही देख रहे थे…
अंकल- क्या अंकुर आ गया? उसने बताया नहीं…
सलोनी- अरे भूल गई होंगी… पर अंकुर उनको देख मस्त हो गए थे…
अंकल- अच्छा तो उसने भी… उसको इन कपड़ों में देख लिया?
सलोनी- वैसे सच बताओ अंकल… आंटी मस्त लग रही थी या नहीं?
अंकल- हाँ बेटा, लग तो जानमारु रही थी… अब तू कल उसको बढ़िया… बढ़िया सेट दिलवा देना…
सलोनी- ठीक है अंकल… आप चिंता ना करो… मैं उनको पूरा सेक्सी बना दूंगी…
अंकल- अच्छा अब उसके कपड़े तो दे दे… कह रही है वही पहनेगी… अपनी कच्छी ब्रा भी यहीं छोड़कर चली गई…
सलोनी- हाय, तो क्या भाभी अभी नंगी ही बैठी हैं?
दोनों अंदर बैडरूम में ही आ गये…
अंकल- हाँ बेटा… जब मैं आया तब तो नंगी ही थी… जल्दी दे… कहीं और कोई आ गया तो? …हे हे हे…

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सलोनी- क्या अंकल आप भी… ये रखे हैं भाभी के कपड़े…
अंकल कपड़ों को एक हाथ से पकड़… बेड पर सलोनी के बाकी कपड़े और कच्छी ब्रा देख रहे थे।
अंकल- बेटा तू अपनी भाभी को कुछ बढ़िया ऐसे छोटे छोटे… कच्छी-ब्रा भी दिला देना…
सलोनी थोड़ी शरमाते हुए- ओह क्या अंकल… आप भी ना… मेरे ना देखो, भाभी की कच्छी ब्रा लो और जाइये… वो वहाँ नंगी बैठी

इन्तजार कर रही होंगी…
हा हा हा…
तभी मेरे देखते-देखते अंकल ने तुरंत वो कर दिया जिसकी कल्पना भी नहीं की थी…
अंकल सलोनी के तौलिए को पकड़ कर- दिखा, तूने कौन से पहने हैं इस समय…
तौलिया शायद बहुत ढीला सा ही बंधा था… जो तुरंत खुल गया…
और मेरी आँखे खुली की खुली रह गईं…
बैडरूम की सफेद चमकती रोशनी में सलोनी पूरी नंगी… एक 60 साल के आदमी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी…
और वो भी तब जब उसका पति यानि कि मैं… घर पर… बाथरूम में था…
सलोनी बुरी तरह हड़बड़ाते हुए- नहींईईईईईईई अंकल… क्या कर रहे हो… मैंने अभी कुछ नहीं पहना…
और उनके हाथ से एकदम तौलिया खींच… अपने को आगे से ढकने की कोशिश करने लगी।
अंकल- ओह सॉरी बेटा… हा हा हा… मुझे नहीं पता था… पर कमाल लग रही हो…
सलोनी- अच्छा अब जल्दी जाओ… अंकुर अंदर ही हैं…
उसने बाथरूम की ओर चुपके से इशारा किया… और ना जाने क्यों बहुत फुसफुसाते हुए बात कर रही थी।
वो मजे भी लेना चाहती थी… और अभी भी मुझसे डरती थी… और ये सब छुपाना भी चाहती थी…
अंकल भी जो थोड़ा खुल गए थे… उनको भी शायद याद आ गया था कि मैं अभी घर पर ही हूँ…
वो भी थोड़ा सा डरकर बाहर को निकल गए…
अंकल- अरे सॉरी बेटा…
सलोनी- अब क्या हुआ??
अंकल- अरे उसी के लिए… मैंने तुमको नंगा देख लिया… वो वाकयी मुझे नहीं पता था कि तुमने…
सलोनी- अरे छोड़ो भी ना अंकल… ऐसे कह रहे हो जैसे… पहली बार देखा हो…
सलोनी की बातें सुन साफ़ लग रहा था… कि वो बहुत बोल्ड लड़की है…
अंकल- हे हे हे… वो क्या बेटा… वो तो हे हे… अलग बात थी… मगर इस टाइम तो गजब… सही में बेटा… तू बहुत सेक्सी है…
अंकुर बहुत लकी है…
सलोनी फिर शरमाते हुए- …ओह अंकल थैंक्स… अब आप जाओ अंकुर आते होंगे…
सलोनी ने अभी भी तौलिया बाँधा नहीं था… केवल अपने हाथ से अगला हिस्सा ढक कर अपनी बगल से पकड़ा हुआ था…
अंकल फुसफुसाते हुए- बेटा एक बात कहूँ… बुरा मत मानना प्लीज़…
सलोनी- अब क्या है????
अंकल- बेटा एक बार और हल्का सा दिखा दे… दिल कि इच्छा पूरी हो जाएगी !!!
 

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