Adultery मेरे जीवन के गुप्त रहस्य

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कम्मो के सबक

मेरा कम्मो से मिलना जारी रहा।
लेकिन अब मैं महसूस कर रहा था कि मेरा लंड भी अब बहुत अकड़ता रहता था, ज़रा सा भी चूत का ख्याल आते ही वह एकदम तन जाता था और तब उसका बैठना बहुत मुश्किल होता था जब तक वो चोद न ले या फिर मुठी न मार ले… कई बार तो कम्मो ने बताया था कि लंड पर ठंडा पानी डाल देने से वो बैठ जाता था।
और अब मैं रोज़ उसका नाप फीते से लेता था। अब मेरा लण्ड करीब 6 इंच का हो गया था और मोटा भी हो गया था। कम्मो अब रोज़ लंड की मालिश नहीं कर पाती थी लेकिन मैंने मालिश जारी रखी। कम्मो मेरे लंड से अब बेहद खुश थी और भरी दोपहरी में चुदवाने ज़रूर आती थी। अब उसने मुझ को तरह तरह चोदने के तरीके बता दिए थे।


उसको घोड़ी बन कर चुदवाना बहुत अच्छा लगता था और मैं भी उसके बताये हुए चुदाई के तरीकों में माहिर हो रहा था।हर बार चुदाई के दौरान वह 2-3 बार झड़ जाती थी जिसके कारण उसके चेहरे का निखार और भी बढ़ रहा था। मेरी मम्मी ने 1-2 बार उसको जताया भी कि वह अब बहुत सुन्दर लग रही है और उसको दोबारा शादी कर लेनी चाहये लेकिन कम्मो को मेरे लंड की आदत पड़ गई थी, उसने मम्मी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया।
दोपहर को जब कम्मो आई तो मैं उस पर रोज़ की तरह चढ़ गया लेकिन 10-12 धक्के के बाद ही मेरे लंड से जैसे एक बहुत ही तेज़ फव्वारा छूटा और कम्मो की चूत को एकदम पानी से भर दिया। लेकिन मेरे लंड की सख्ती में कोई कमी नहीं आई और मैं उसी जोश के साथ धक्के मारता रहा और रोज़ाना की तरह जब कम्मो 3-4 बार छूट गई तो मुझको उतरने के लिए कहने लगी और जब मैं उतरा तो चूत में ऊँगली डाल कर कुछ देखने की कोशिश करने लगी तब मैंने देखा कि उसके हाथ में कुछ सफ़ेद चिपचिपा पानी लगा हुआ है।
वह एकदम चौंक कर बोली- छोटे मालिक, आज आपके लंड से कुछ पानी छूटा था?
और मैं बोला- हाँ, मुझको ऐसा लगा कि मेरे लंड से कोई गरम लावा सा पदार्थ निकला था और मुझ को बहुत आनन्द आया था।


कम्मो बोली- बधाई हो छोटे मालिक… आप तो पूरे जवान बन गए हो।
और यह कह कर जल्दी से गुसलखाने की तरफ भागी। मैं भी उसके पीछे गया तो वह बैठ कर चूत को पानी से धो रही थी और मुझ को इशारे से बहार जाने के लिए कहने लगी।
थोड़ी देर के बाद वो निकली तो बोली- अब मैं आपसे चुदाई नहीं करवाऊँगी। अब आप पूरे मर्द हो गए हैं इसी लिए अब चोदना नहीं होगा।


मैं हैरान था कि ऐसा क्या हुआ है आज चुदाई के दौरान कि कम्मो चुदाई से भाग रही है।
तब मैंने उसको ज़ोर देकर पूछा कि चुदाई न करवाने की क्या वजह है?
पहले तो वह चुप रही और फिर बोली- छोटे मालिक, आपके अंदर से छूटने वाले पानी से मैं गर्भवती हो जाऊँगी।
मैं एकदम हैरान हो गया और बोला- क्या यह सच कह रही हो या फिर तुम्हारा मुझ से दिल भर गया है?


वो उदास हो कर बोली- नहीं छोटे मालिक, अब चुदाई रोकनी होगी, नहीं तो किसी दिन भी मैं फंस जाऊँगी।
मैंने पूछा कि कुछ उपाय तो होगा जिससे तुम ठीक रहो?
कम्मो बोली एक ही तरीका है और वो है कि तुम जब छूटने लगो तो तुम अपना लंड बाहर निकाल लिया करो और चूत के बाहर ही अपना पानी छूटा दिया करो? ऐसा कर सकोगे क्या?


मैंने कहा- कोशिश करने दो अगर अभ्यास करूंगा तो शायद यह कर सकूं।
और फिर मैंने लंड कम्मो की चूत में डाल दिया और तेज़ धक्के मारने लगा।
कम्मो ने मुझ को रोक दिया और बोली- छोटे मालिक, धक्के धीरे मारो ताकि जब तुम छूटने लगो तो तुमको पता चल जायेगा कि तुम्हारा पानी छूटने वाला है और उसके बाद तुम बाहर छूटा देना।

मैंने ऐसा ही किया लेकिन अबकी बार मैं धक्के काफी देर तक मारता रहा और मैंने महसूस किया कम्मो का पानी 3-4 बार छूट गया और वह थक कर अपनी टांगें सीधी करने लगी और बोली- छोटे मालिक, अब बस करो, मैं थक चुकी हूँ।


यह कह कर उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और जल्दी से बाथरूम में घुस गई और जब मैंने देखा तो वह चूत को पानी से धो रही थी। उस दिन के बाद वो दोपहर को आती तो थी लेकिन उसकी गरम जोशी अब कम हो रही थी, मेरे से चुदवाती तो थी लेकिन अब उसमें वो जोश नहीं था। क्यूंकि वो रात अपने घर चली जाती थी तो मैं नहीं जानता वो वहाँ क्या करती थी।


फिर एक दिन मैंने उससे पूछा कि उसके घर में कौन कौन लोग हैं?
तो बोली- बूढ़ी माँ है और छोटी बहन है।
उसने बताया कि उसकी झोंपड़ी में दो कमरे हैं, एक में उसकी माँ और बहन सोती हैं और दूसरे में वो सोती है।


मैं बोला- अगर मैं रात में तुम्हारी झोंपड़ी में आऊं तो तुमको कोई मुश्किल तो नहीं होगी?
वो एकदम चौंक कर बोली- कभी ऐसा मत करना, सारा गाँव जान जायेगा हमारी कहानी। तुम वहाँ क्यों आना चाहते हो?
मैंने कहा- तुम आजकल मुझसे पहले की तरह गर्मागर्म चुदवा नहीं रहो हो, कहीं कोई और आदमी तो नहीं आ गया तुम्हारे जीवन में?


वो हंस दी और बोली- छोटे मालिक, तुम मुझको बुरी तरह से थका देते हो और घर जाकर मैं बस सो जाती हूँ। यही कारण है कि तुम को लगता है कि मेरे जीवन में कोई और आ गया है। अच्छा तुम कहो तो मैं बड़ी मालकिन से कह कर तुम्हारी दूसरी नौकरानी रखवा देती हूँ।
मैं बोला- कभी नहीं।
वो बोली- मालकिन कह रही थी कि कोई और कामवाली लड़की चाहये उनको, और मैं सोचती हूँ कि क्यों न चम्पा को रखवा दें तुम्हारे साथ? मैं भी रहूंगी और वो भी। बोलो मंज़ूर है?
मैं बोला- कभी नहीं, जब तक तुम हो, और कोई नहीं आएगी।


कम्मो बोली- अरे चम्पा भी रहेगी और मैं भी… दोनों ही तुम्हारा काम करेंगी। मान जाओ छोटे मालिक?
मैंने कहा- ठीक है लेकिन दोपहर में सिर्फ तुम ही आया करोगी… ठीक है?
वो बोली- मंज़ूर है।


कुछ दिन वैसे ही चलता रहा जैसा पहले था, अब कम्मो की सिखाई के बाद अब मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था। चुदाई के समय मैं अब पूरा ध्यान रखता था कि किसी तरह भी मेरा वीर्य समय से पहले न छूटे और अगर छूटे भी तो वह चूत के बाहर छूटे।

धीरे धीरे कम्मो को मुझ पर विश्वास बढ़ता गया और हमारा चुदाई जीवन फिर पहले की तरह हो गया, दोपहर में चुदाई जारी रहने लगी। उस दिन के बाद कम्मो ने चम्पा की कोई बात की, न वो हमारी हवेली में आई। कम्मो और मेरी कहानी तकरीबन एक साल चली जिस के दौरान मैं पूरा जवान हो गया, मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी।

मैं शारीरिक तौर भी अब बहुत बड़ा बड़ा लगने लगा था और तब एक दिन मम्मी और पापा बोले कि सोमू तो जल्दी से बड़ा हो रहा है, यह बहुत ही अच्छी बात है।


लेकिन वो दोनों अपनी जमींदारी के काम में इतने उलझे और व्यस्त रहते थे कि उनके पास मेरे लिए समय निकालना मुश्किल था। एक तरह से यह मेरे लिए अच्छा था क्यूंकि मेरी कामातुर वासना को कम्मो रोज़ बढ़ा देती और फिर शांत भी कर देती थी।
उन्
ही दिनों मैं रोज़ शाम को नदी किनारे भी जाता था लेकिन नहाती हुई औरतों को देखने की कोशिश नहीं करता था।
कहानी जारी रहेगी।
 
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कम्मो के सबक

एक दिन ऐसे ही घूमते हुए मैं अपने घोड़ों के अस्तबल की ओर निकल गया जहाँ का मुखिया राम सिंह था। तब वो घोड़ों को घुमा रहा था, मुझ देखते ही बोला- आओ छोटे मालिक, आज इधर कैसे आना हुआ?
मैं बोला- बहुत दिनों से घोड़ों को देखने नहीं आया था तो सोचा कि देखूं क्या हाल है सबका, कैसे चल रहे सब हैं? अब कितने घोड़े और कितनी घोड़ियाँ हैं?
रामू बोला- छोटे मालिक, अभी 6 घोड़े हैं और 10 घोड़ियाँ हैं, हर रोज़ लगभग 6-7 घोड़ियाँ दूसरी ज़मीनदारों से आती हैं हमारे यहाँ क्यूंकि हमारे 6 घोड़े बहुत बढ़िया नसल के हैं और उनके द्वारा पैदा किये हुए बच्चे बड़े ही उम्दा घोड़े या घोड़ियाँ बनते हैं। इससे काफी अच्छी आमदनी हो जाती है।

यह कह कर उसने मुझ को पूरा अस्तबल दिखाया और कहा- कल अगर दोपहर को आएँ तो घोड़ी को कैसे हरा किया जाता है, देख सकते हैं आप!
मैंने कहा- देखो कल आ सकता हूँ या नहीं!

फिर मैं वहाँ से चला आया। मैंने बात कम्मो को बताई तो वह बोली- ज़रूर जाना छोटे मालिक, वहाँ बड़ा गरम नज़ारा देखने को मिलेगा। कैसे घोड़ा घोड़ी को चोदता है देखने को मिलेगा। बाप रे बाप… घोड़े का कितना लम्बा और मोटा लंड होता है, तौबा रे… हम औरतें वहाँ नहीं जा सकती क्यूंकि औरतों का वहाँ जाना मना है, लेकिन छोटे मालिक आप ज़रूर जाना कल… बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा आप को!
यह कह कर उसने मुझको आँख मारी और मैंने फैसला कर लिया कि कल ज़रूर जाऊँगा अस्तबल।


जैसा कि मैंने सोचा था, स्कूल से वापस आने के बाद मैं अस्तबल की तरफ चल दिया। वहाँ पहुँचा तो राम सिंह एक घोड़े को एक घोड़ी के चारों और घुमा रहा था।
घोड़ा रुक रुक कर घोड़ी की चूत को सूंघता था और फिर घूमने लगता था। ऐसा कुछ 4-5 मिनट हुआ और फिर वो घोड़ी के पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत को सूंघने लगा।


देखते देखते ही उसका लंड एकदम बाहर निकल आया और बहुत लम्बा होता गया, वो काफी मोटा भी था और फिर घोड़ा एकदम ज़ोर से हिनहिनाया और झट घोड़ी के ऊपर चढ़ गया और उसका 2 फ़ीट का लंड एकदम घोड़ी की चूत में घुस गया और घोड़ा ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा और फिर 2-3 मिनट में घोड़े का पानी छूट गया और वो नीचे उतर आया।

यह देखते हुए मेरा भी लंड तन गया और मैं भी जल्दी से घर की ओर चल पड़ा। मेरा दिल यह चाह रहा था कि मैं भी किसी लड़की के ऊपर चढ़ जाऊँ।

मैं थोड़ी दूर ही गया था कि मुझ को शी शी की आवाज़ सुनाई दी।
जिधर से आवाज़ आई थी, उधर देखा तो कम्मो हाथ से इशारा कर रही थी और अपने पीछे आने को कह रही थी।

मैं काम के वश में था तो बिना कुछ सोचे समझे उसके पीछे चल पड़ा। वो जल्दी चलती हुए एक छोटी सी कुटिया में घुस गई और मैं भी उसके पीछे घुस गया, देखा कि एक साफ़ सुथरी कुटिया थी जिसमें एक चारपाई बिछी थी और साफ़ सुथरी सफ़ेद चादर उस पर पड़ी थी।


मैंने घुसते ही कम्मो को दबोच लिया, ताबड़ तोड़ उसको चूमने लगा और झट से अपनी पैंट को उतार फ़ेंक दिया और उसकी साड़ी को ऊपर कर के अपना तना हुआ लंड चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।
कम्मो की चूत भी पूरी गीली हो रही थी तो ‘फिच फिच’ की आवाज़ आने लगी और थोड़े ही समय में ही उसके मुंह से ‘आह आह ओह ओह…’ की आवाज़ें निकल रही थी और उसने मुझको कस कर भींच लिया और अपनी गोल बाहों में जकड़ लिया और फिर ज़ोर से उस के चूतड़ ऊपर को उठे और मेरे लंड को पूरा अंदर लेकर अपनी जांघों में बाँध लिया और फिर मैं कोशिश करने के बावजूद भी झड़ गया।

मैंने जल्दी से उसको सॉरी बोला लेकिन वो आँखें बंद करके पड़ी रही, कुछ न बोली और न उसने मुझको अपनी बाहों से आज़ाद किया। कोई 5 मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैंने महसूस किया कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है और मैंने धीरे से धक्के मारने शुरु कर दिए और तब उसने आँखें खोली, हैरानी से मुझको देखने लगी, हँसते हुए बोली- फिर खड़ा हो गया क्या?

मैंने भी हाँ में सर हिला दिया और फिर हम दोनों की चूत और लंड की लड़ाई चालू हो गई। कोई 10 मिनट बाद कम्मो फिर से झड़ गई लेकिन मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और हमारी जंग जारी रही। अब जब कम्मो ने पानी छोड़ा तो उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और एकदम थक कर लेट गई, थोड़ी देर बाद बोली- छोटे मालिक, आज आपने फिर अंदर छूटा दिया?

‘सॉरी कम्मो, मैं इतनी मस्ती में था कि अपने को रोक नहीं सका! अब क्या होगा?’
वह हंस कर बोली- कोई बात नहीं। आजकल में मेरी मासिक शुरू होने वाली है तो कोई डर वाली बात नहीं है। पर आज तुमने तो कमाल कर दिया छूटने के बाद भी तुम्हारा नहीं बैठा?

और यह कह कर वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी और मेरा लंड झट से फिर खड़ा हो गया, फिर से उसके ऊपर चढ़ने की मैंने कोशिश की लेकिन कम्मो ने मना कर दिया और बोली- आज घोड़े का तमाशा देखा क्या?

मैं बोला- हाँ, बड़ी ही मस्त है उनकी चुदाई भी… देख कर जिस्म में आग लग गई थी जो तुमने वक्त पर आकर बुझा दी।
कम्मो बोली- मैंने भी देखा सारा तमाशा!
‘कैसे? कहाँ से देखा?’
‘है एक गुप्त जगह जो हम गाँव वाली लड़कियों को मालूम है सिर्फ। कभी कभी मन करता है तो आ जाती हैं दो या तीन और बाद में बहुत मस्ती करती हैं हम यहाँ इसी झोंपड़ी में…’
‘क्या मस्ती करती हो तुम लड़कियाँ?’
‘कभी किसी दिन बता दूंगी और दिखा भी दूंगी।’


फिर हम वहाँ से चल दिए पहले कम्मो निकली और बोल गई- आप कुछ देर बाद आना!
मैं भी 10 मिनट बाद वहाँ से चल दिया।

कहानी जारी रहेगी।
 
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कम्मो गई और चम्पा आई

मेरा जीवन कम्मो के साथ बड़े आनन्द के साथ चल रहा था, वह रोज़ मुझको काम क्रीड़ा के बारे में कुछ न कुछ नई बात बताती थी जिसको मैं पूरे ध्यान से सुनता था और भरसक कोशिश करता था कि उसके सिखाये हुए तरीके इस्तमाल करूँ और जिस तरह वह मेरे साथ चुदाई के बाद मुझको चूमती चाटती थी, यह साबित करता था कि मैं उसके बताये हुए तरीकों का सही इस्तेमाल कर रहा हूँ।

और धीरे धीरे मुझको लगा कि कम्मो को मुझसे चुदवाने की आदत सी बनती जा रही थी और मैं भी उसे चोदे बिना नहीं रह पाता था। हर महीने वो चार दिन मेरे पास नहीं आती थी और बहुत पूछने पर भी कारण नहीं बताती थी।
बहुत पूछने की कोशिश की लेकिन वो इस बारे में कोई बात कर के राज़ी ही न थी। हाँ इतना ज़रूर कहती जब मैं शादी करूंगा तो समझ जाऊंगा।
वो महीने के चार दिन मेरे बड़ी मुश्कल से गुज़रते थे, 5-6 दिन बाद वो खुद ही मेरे कमरे में दोपहर में आ जाती थी और हमारा चुदाई का दौर फिर ज़ोरों से शुरू हो जाता था।


उसने कई बार मेरे छूटने के बाद मुझ को लंड चूत के बाहर नहीं निकालने दिया था और कुछ मिन्ट में मेरा लंड फिर चूत में ही खड़ा हो जाता था और मैं फिर से चुदाई शुरू कर देता था। कई बार उसने आज़मा के देख लिया था कि मेरा लंड चूत के अंदर ही दुबारा खड़ा हो जाता था और मैं छूटने के बाद भी चुदाई जारी रख सकता था।


वो कहती थी कि मुझमें चोदने की अपार शक्ति है और शायद भगवान ने मुझको इसी काम के लिए ही बनाया है। उसने यह भी बताया कि मेरे अंदर से बहुत ज़यादा वीर्य निकलता है जो 3-4 औरतों को एक साथ गर्भवती कर सकने की ताकत रखता है।


अब मेरे लंड की लम्बाई तकरीबन 7 इंच की हो गई थी और खासा मोटा भी हो गया था। कम्मो हर हफ्ते उसका नाप लेती थी और कॉपी में लिखती जाती थी। उसका कहना था कि वो जो तेल की मालिश करती थी शायद उससे यह लम्बा और अच्छा मोटा हो गया है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !


लेकिन वो अभी भी हैरान हो जाती थी जब उसके हाथ लगाते ही मेरा लंड लोहे की माफिक सख्त हो जाता था। अब वो चुदाई के दौरान 2-3 बार छूट जाती थी क्योंकि मैंने महसूस किया था कि जब वो छूटने वाली होती थी वो कस के मुझको अपनी बाहों में जकड़ लेती थी और अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को कस के दबा लेती थी और ज़ोर से कांपती थी और फिर एकदम ढीली पड़ जाती थी।

हालाँकि वो बताती नहीं थी लेकिन मैं अब उसकी आदतों से पूरा वाकिफ़ हो गया था और बड़ा आनन्द लेता था जब उसका छूटना शुरू होता था।
फिर उसने मुझको सिखाया कि कैसे औरतों के छूटने के बाद लंड को बिना हिलाये अंदर ही पड़ा रहने दो तो उनको बहुत आनन्द आता है और जल्दी दुबारा चुदाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
उसके सिखाये हुए सबक मेरे जीवन में मुझको बहुत काम आये और शायद यही कारण है कि जो भी स्त्री मेरे संपर्क में आती वह जल्दी मेरा साथ नहीं छोड़ती थी और मेरे साथ ही सम्भोग करने की सदा इच्छुक रहती थी।


और एक दिन कम्मो नहीं आई और पता किया गया तो पता चला कि वो गाँव छोड़ कर किसी के संग भाग गई थी। किसी ने देखा तो नहीं लेकिन ऐसा अंदाजा है कि वो अपने गाँव से बाहर वाले आदमी के साथ ही भागी है।
पर कैसे यकीन किया जाए कि कम्मो के साथ कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई?


मैंने मम्मी और पापा पर ज़ोर डाला कि पता करना चाहिये आखिर क्या हुआ उसको?
लेकिन बहुत दौड़ धूप के बाद भी कुछ पता नहीं चला।
मैं बेहद निराश था क्योंकि मेरा मौज मस्ती भरा जीवन एकदम बिखर गया। मम्मी ने कोशिश करके एक और औरत को मेरे लिए काम पर रख लिया।
उसका नाम था चम्पा।


कम्मो के जाने के कुछ दिनों बाद ही वो काम पर आ गई थी, उसको देखते ही मुझको लगा कि इस लड़की को मैंने पहले कहीं देखा है। बहुत ज़ोर डाला तो याद आया कि इसको तो नदी के किनारे नहाते हुए देखा था और इसने मेरी छुपने वाली जगह के सामने ही कपड़े बदले थे।

वो नज़ारा याद आते ही मेरा लंड पूरे ज़ोर से खड़ा हो गया क्यूंकि इसके स्तन बड़े ही गोल और गठे हुए दिखे थे और चुचूक भी काफी मोटे थे बाहर निकले हुए ! चूत पर काली झांटों का राज्य था, कमर और पेट एकदम उर्वशी की तरह एकदम गोल और गठा हुआ था, उसके नितम्ब एकदम गोल और काफी उभरे हुए थे।

थोड़ी देर बाद मम्मी चम्पा को लेकर मेरे कमरे में आई और उसको मुझ से मिलवाया।
वह मुझ को देख कर धीरे से मुस्करा दी और बोली- नमस्ते छोटे मालिक!
मैंने भी अपना सर हिला दिया।
मम्मी के सामने मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं और ऐसा बैठा रहा जैसे कि मुझको चम्पा से कुछ लेना देना नहीं।


मम्मी उसको समझाने लगी- सुनो चम्पा, सोमू भैया को सुबह बिस्तर में चाय पीने की आदत है, तुम रोज़ सुबह सोमू के लिए चाय लाओगी और चाय पिला कर उसका कप वापस रसोई में ले जाओगी और फिर आकर सोमू की स्कूल ड्रेस जो अलमारी में हैंगर पर लटकी है, वह बाहर लाकर उसके बेड पर रख दोगी और फिर उसके स्कूल वाले बूट पोलिश करके, उसका रुमाल वगैरा मेज पर रख देना। इसी तरह जब सोमू स्कूल से आये तो तुम इस कमरे में आ जाना और उसका खाना इत्यादि उसको परोस देना। और उसके कपड़े भी धो देना। समझ गई न?

यह कह कर मम्मी चली गई।
अब मैंने चम्पा को गौर से दखना शुरू किया।
वो मुझको घूरते देख पहले तो शरमाई और फिर सर झुका कर खड़ी रही।
मैंने देखा कि वो एक सादी सी धोती और लाल ब्लाउज पहने थी, उसने अपने वक्ष अच्छी तरह से ढके हुए थे। उस सादी पोशाक में भी उसकी जवानी छलक रही थी।


उसने झिझकते हुए पूछा- सोमु भैया, मैं रुकूँ या जाऊँ बाहर?
मैं बोला- चम्पा, तुम मेरे लिए एक गरमागरम चाय ले आओ।


‘जी अच्छा… लाई!’ कह कर वो चली गई और थोड़ी देर में चाय ले कर आगई।
तब मैंने उससे पूछा- क्या तुम कम्मो को जानती हो?
वो बोली- हाँ सोमू भैया। वो मेरे साथ वाली झोंपड़ी में ही तो रहती थी।
‘तो फिर तुम ज़रूर जानती होगी कि वो कहाँ गई?’
‘नहीं भैया जी, गाँव में कोई नहीं जानता वो कहाँ गई और क्यों गई? बेचारी की बूढ़ी माँ है, पीछे उसको अब खाने के लाले पड़ गए हैं। कहाँ से खाएगी वो बेचारी? अभी तक तो गाँव वाले उसको थोड़ा बहुत खाना दे आते हैं लेकिन कब तक?


मैं कुछ देर सोचता रहा फिर बोला- क्या तुम उसकी माँ को यहाँ से खाना भिजवा दिया करोगी? मैं मम्मी से बात कर लूंगा।
वो बोली- ठीक है भैया जी!
और मम्मी से बात की तो वो मान गई और उसी वक्त चम्पा को हुक्म दिया कि दोनों वक्त का खाना कम्मो की माँ को चम्पा पहुँचा दिया करेगी।


अब मैं चम्पा को पटाने की तरकीब सोचने लगा, कुछ सूझ नहीं रहा था और इसी बारे में सोचते हुए मैं सो गया।
सुबह जब आँख खुली तो चम्पा चाय का कप लिए खड़ी थी। मैंने जल्दी से चादर उतारी और कप लेने के लिए हाथ आगे किया तो देखा की चम्पा मेरे पायजामे को देख रही थी।
जब मैंने उस तरफ देखा तो मेरा लंड एकदम अकड़ा खड़ा था, एक तम्बू सा बन गया था खड़े लंड के कारण और चम्पा की नज़रें उसी पर टिकी थी।


मैंने भी चुपचाप चाय ले ली और धीरे से गर्म चाय पीने लगा। मेरा लंड अब और भी तन गया था और थोड़ा थोड़ा ऊपर नीचे हो रहा था। चम्पा इस नाटक को बड़े ही ध्यान से देख रही थी। जब तक चम्पा खड़ी रही लंड भी अकड़ा रहा।
जब वो कप लेकर वापस गई तो तब ही वो बैठा अब मुझको चम्पा को पटाने का तरीका दिखने लगा।


अगले दिन मैं चम्पा के आने से पहले ही जाग गया, हाथ से लंड खड़ा कर लिया, उसको पायजामे से बाहर कर दिया और ऊपर फिर से चादर डाल दी और आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा।


जब चम्पा ने आकर बोला- चाय ले लीजये।
मैंने झट से आँखें खोली और अपने ऊपर से चादर हटा दी और मेरा अकड़ा लंड एकदम बाहर आ गया।
मैंने ऐसा व्यवहार किया जैसे मुझ को कुछ मालूम ही नहीं और उधर चम्पा की नज़र एकदम लंड पर टिक गई थी।


मैं चाय लेकर चुस्की लेने लगा और चम्पा को भी देखता रहा। उसका हाथ अपने आप अब धोती के ऊपर ठीक अपनी चूत पर रखा था और उसकी आँखें फटी रह गई थी।
चाय का खाली कप ले जाते हुए भी वो मुड़ कर मेरे लंड को ही देख रही थी।
अब मैं समझ गया कि वो लंड की प्यासी है।


उसके जाने के बाद मैंने कॉल बैल दबा दी, और जैसे ही चम्पा आई, मैंने पायजामा ठीक करते हुए उससे कहा- मेरे स्कूल के कपड़े निकाल दो।

और वो जल्दी से अलमारी से मेरी स्कूल ड्रेस निकालने लगी।
मैं चुपके से उसके पीछे गया और उस मोटे नितम्बों को हाथ से दबा दिया।

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चम्पा की पहली चूत चुदाई

चाय का खाली कप ले जाते हुए भी वो मुड़ कर मेरे लंड को ही देख रही थी।
अब मैं समझ गया कि वो लंड की प्यासी है।


उसके जाने के बाद मैंने कॉल बैल दबा दी, और जैसे ही चम्पा आई, मैंने पायजामा ठीक करते हुए उससे कहा- मेरे स्कूल के कपड़े निकाल दो।


और वो जल्दी से अलमारी से मेरी स्कूल ड्रेस निकालने लगी।
मैं चुपके से उसके पीछे गया और उस मोटे नितम्बों को हाथ से दबा दिया।
उसने मुड़ के देखा और मुझ को देख कर हल्के से मुस्करा दी।
मैंने झट उसको बाँहों में भर लिया, वो थोड़ा कसमसाई और धीरे से बोली- कोई आ जाएगा, मत करो अभी!


मैंने उसको सीधा करके उसके होंटों को चूम लिया और पीछे हट गया।
यह अच्छा ही हुआ क्यूंकि मैंने मम्मी के आने की आवाज़ सुनी जो मेरे ही कमरे की तरफ ही आ रही थी।
मैं झट से बेड पर लेट गया।

मम्मी ने आते ही कहा- गुड मॉर्निंग सोमू बेटा, उठ गए क्या?
‘गुड मॉर्निंग मम्मी, मैं अभी ही उठा था… चाय पी ली है और चम्पा आंटी मेरे स्कूल के कपड़े निकाल रही है!’


मम्मी बोली- मैं यह बताने आई थी, मैं आज दिन और रात के लिए पड़ोस वाले गाँव जा रही हूँ। तुम अकेले घबराओगे तो नहीं? वैसे चम्पा तुम्हारे कमरे में ही सोयेगी, जैसे कम्मो सोती थी… ठीक है बेटा? और चम्पा, तुम अम्मा से बिस्तर ले लेना और अब दिन और रात को सोमू के कमरे में ही सोया करना! ठीक है?
चम्पा ने हाँ में सर हिलाया।
यह कह कर मम्मी तेज़ी से बाहर निकल गई।

और इससे पहले की चम्पा बाहर जाती, मैंने फिर उसको बाँहों में भर लिया और जल्दी से उसके होटों को चूम लिया। चम्पा अपने को छुड़ा कर जल्दी से बाहर भाग गई।
मैं बड़ा ही खुश हुआ कि काम इतनी जल्दी सेट हो जायेगा मुझको उम्मीद नहीं थी। मुझको मालूम था कि खड़े लंड का अपना अलग जादू होता है।
मैंने आगे चल कर जीवन में खड़े लौड़े की करामात कई बार देखी। जहाँ भी कोई स्त्री मेरे प्यार के जाल में नहीं फंसती थी, वहीं मैं हमेशा खड़े लौड़े वाली ट्रिक इस्तेमाल करता था और वो स्त्री या लड़की तुरंत मेरी ओर आकर्षित हो जाती थी।

स्कूल से आया तो कमरे में आकर सिर्फ बनियान और कच्छे में बिस्तर पर लेट गया।
चम्पा आई और मेरा खाना परोसने लगी।


मैंने पूछा- मम्मी चली गई क्या?
चम्पा मुस्कराई और बोली- हाँ सोमू भैया!
‘देखो चम्पा। तुम मुझको भैया न बुलाया करो, सिर्फ सोमू कहो ना… अच्छा यह बताओ आज मैंने सुबह तुमको चूमा, कुछ बुरा तो नहीं लगा?’
चम्पा बोली- नहीं सोमू भइया लेकिन वक्त देख कर यह करो तो ठीक रहेगा क्यूंकि किसी ने देख लिया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी।
‘ठीक है, जाओ ये खाने के बर्तन रख आओ और खाना खाकर वापस आ जाओ, मैं तुम्हारी राह देख रहा हूँ!’


वो आधे घंटे में खाना खाकर वापस आ गई, जैसे ही वो कमरे में आई, मैंने झपट कर उसको बाँहों में दबोच लिया, कस कर प्यार की झप्पी दी जिसमें उसके उन्नत उरोज मेरी छाती में धंस गए। मेरा कद अब लगभग 5’7″ फ़ीट हो गया था और वो सिर्फ 5’3″ की थी।

उसको चूमते हुए मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया और देखा कि उसके पतले ब्लाउज में उसकी चूचियों में एकदम अकड़न आ गई थी।

मैं उसको जल्दी से अपने बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया और झट अपना कच्छा उतार दिया और उसका हाथ अपने खड़े लौड़े पर धर दिया।
वो भी मेरे लौड़े से खेलने लगी।


मैंने उसकी धोती उतारे बगैर उसको ऊपर कर दिया और काले बालों से घिरी उसकी चूत पर हाथ फेरा तो वो एकदम गीली हो चुकी थी और उसका पानी बाहर बहने वाला हो रहा था। मैंने झट उसकी टांगों में बैठा और अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रख दिया और चम्पा की तरफ देखा।
उसने आँखें बंद कर रखी थी और उसके होंट खुले थे!

एक धक्के में ही पूरा का पूरा लौड़ा उसकी कसी चूत में घप्प करके घुस गया और उसके मुख से हल्की सिसकारी निकल गई। मैं कुछ क्षण बिना हिले उसके ऊपर लेटा रहा और तभी मैंने महसूस किया कि चम्पा के चूतड़ हल्के से नीचे से थाप दे रहे हैं।
और मेरे लौड़े को पहली बार इतनी रसीली चूत मिली, वो तो चिकने पानी से लबालब भरी हुई थी।


मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा, पूरा का पूरा लंड चूत के मुंह तक बाहर लाकर फिर ज़ोर से अंदर डाल देता था। कोई 10-15 धक्कों के बाद मैंने महसूस किया चम्पा कि चूत अंदर से खुल रही और बंद हो रही थी और जल्दी ही चम्पा ने मुझको ज़ोर से अपने बदन से चिपका लिया और अपनी जाँघों से मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया।

इससे पहले कि उसके मुख से कोई आवाज़ निकले, मैंने अपने होंट उसके होंटों पर रख दिए और कुछ देर तक उसका शरीर ज़ोर ज़ोर से कांपता रहा और फिर वो झड़ जाने के बाद एकदम ढीली पड़ गई।
लेकिन मैंने अब उसको फिर धीरे से चोदना शुरू किया। धीरे धीरे उसको फिर स्खलन की ओर ले गया और उसका दूसरी बार भी बहुत तीव्र स्खलन हो गया।

अब मैंने अपना लंड उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया।
कुछ समय बाद मैंने उसको चूमना शुरू कर दिया, उसके उन्नत उरोजों और चुचूक चूसने लगा, एक ऊँगली उसकी चूत में डाल उसकी भगनासा को हल्के से मसलने लगा।
ऐसा करते ही चम्पा फिर से तैयार हो गई और अब उसने मुझ को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया और नीचे से चूत को लंड के साथ चिपकाने की कोशिश करने लगी।

मैंने फिर ऊपर से लंड से धक्के मारने शुरू कर दिए और इस बार मैं इतनी ज़ोर से धक्के मारने लगा कि चम्पा हांफ़ने लगी और करीब 10 मिन्ट के ज़ोरदार धक्कों से चम्पा फिर छूट गई और वह निढाल होकर टांगों को सीधा करने लगी लेकिन मैंने अपनी जांघों से उसको रोक दिया और धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ कर दी कि कुछ ही मिनटों में ही मेरा फव्वारा लंड से छूट गया और चम्पा की चूत की गहराइयों में पहुँच गया।

अब मैं चम्पा के ऊपर से उतर कर बिस्तर पर आ गया, मैंने चम्पा का हाथ अपने लंड पर रख दिया और वो एकदम चौंक गई और हैरानी से बोली- सोमू, तुम्हारा लंड अभी भी खड़ा है? अरे यह कभी बैठता नहीं?
मैं बोला- चम्पा रानी, जब तक तुम यहाँ हो, यह ऐसे ही खड़ा रहेगा और तुम्हारी चूत को सलामी देता रहेगा।
‘ऐसा है क्या?’ वो बोली।
‘हाँ ऐसा ही है!’ मैंने कहा।
‘अच्छा रात को देखेंगे… अब तुम सो जाओ, मैं चलती हूँ, रात को आऊँगी।’
यह कह कर चम्पा चली गई।


उसके जाने के बाद लंड धीरे धीरे अपने आप बैठ गया और फिर मैं भी गहरी नींद सो गया।
कहानी जारी रहेगी।
 
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