Romance मेरी यादगार सुहागरात

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ये मेरी अपनी आपबीती है, ये कोई कहानी नही है और इसमे कुछ ऐसा भी नही है जो मैंने कल्पना से लिखा हो.

बचपन में जब मैं पांच साल का था तब मेरी ताईजी का देहाँत होने के कारण उनकी लड़की जो मुझसे सात साल बड़ी हैं हमारे साथ रहती थी. उनका नाम मंजू है. मेरे पिताजी सरकारी ऑफिस में अच्छी पोस्ट पर काम करते थे. हमें सरकारी मकान मिला हुआ था. मकान बहुत बड़ा था और उसके कमरे भी बहुत बड़े थे. चार बैडरूम, रसोई और बैठक थे उस मकान में. जबकि उस समय मैं नीरज, मेरा छोटा भाई छोटा और छोटी बहिन मुन्नी, मां, बाबूजी और मंजू जीजी कुल छः लोग ही उस मकान में रहते थे.

जैसे जैसे बड़ा हुआ एक्सरसाइज़ ठीक होने से लंड का साइज़ भी सात इंच का हो गया. पिताजी का तबादला राजस्थान के अलग अलग शहरों में होता हुआ जयपुर में कुछ समय रुका तो पिताजी ने यहाँ घर बनवा लिया. अब स्कूल में उसके बाद लड़को के कोलेज में पढ़ा लेकिन लड़कियों से बात करने में गांड फटती थी इसलिए हमारी गली में आठ लड़कियां होते हुए भी खूब इच्छा होने पर भी मैं उनमे से एक को भी पटा नही पाया. इच्छा बहुत होती थी चोदने कि लेकिन मुट्ठ मारकर ही काम चलाना पड़ता था. साइंस का छात्र था इसलिए पढ़ा सबकुछ लेकिन प्रैक्टिकल हो नही पाया. बाईस साल का होने पर मेरा कद छः फुट आ गया रंग साफ़ और चेहरा आकर्षक.

मैंने इलेक्ट्रॉनिक आइटम की रिपेरिंग की दुकान खोली. ठीक ठाक चलने लग गई. दुकान के बहार से कुछ लड़कियां मुझे देख कर चक्कर लगाती, लेकिन बात करने में अब भी मेरी गांड फटती थी. अब मुझे देखने लड़की वाले आने लग गए. एक लड़की, जो की आज मेरी पत्नी है, ठीक ठाक लगी तो जुलाइ में सगाई हो गई. सगाई छः महीने तक रही. हमने ढेरों फोन किए लेकिन लंड चूत की कोई बात करने की हिम्मत नही होती थी तो शादी होने तक उसको भी नही चोद पाया. मन में लड्डू फूटते थे कि अब मेरी कहने को भी कोई है. सगाई होने के बाद मैंने मुठ मरना बंद कर दिया.

खैर शादी हो गई और अब बहुत साल प्रतीक्षा के बाद आया सुहागरात का समय. शाम को ससुराल आनीजानी रस्म थी सो पत्नी को स्कूटर पर बिठा कर छोटे सगे व रिश्ते के भाई बहिनों को साथ लेकर ससुराल गया. रात को साडे दस बज गये रस्मो रिवाज निबटाते हुए. जैसे ही फ्री हुए मैंने सभी भाई बहिनों को ऑटो रिक्शा में घर भेज दिया और पत्नी को स्कूटर पर बिठा कर उसका हाथ अपनी कमर पर कस कर सटे चिपके से घर के लिए रवाना हुए.

लंड महाराज आज अपनी पूरी जवानी में तने खड़े थे लग रहा था कि सूट फाड़ कर अभी बाहर आ जायेंगे. इच्छा तो बहुत हो रही थी कि इस जनवरी की ठण्ड में घर से सात किलोमीटर दूर कहीं सुनसान में रोक कर चोद चाद दूँ. साला लंड फेरे में हाथ पकड़ते ही कंट्रोल से बाहर था. लेकिन अपने को ये सोचकर कंट्रोल किया की माल अपना है और जरा देर बाद घर पहुँचते ही मेरा ही होने वाला है. साडे ग्यारह बजे घर पहुंचे तो चाचाजी के बेटे, मेरे बड़े भाई की पत्नी मेरी भाभी ने रस्म निभाई की ये मेरी देवरानी आज तुम्हारे साथ सोएगी. दिल उछल कर गले में आ गया. कमरे में आकर एक दूसरे की ओर पीठ करके हमने कपड़े बदले. कंडोम का पैकेट मेरे दोस्त ने पहले ही इंतजाम कर दिया था.

पत्नी ने जेवर भी उतारे और मैंने सजे धजे पलंग पर पत्नी को बिठाया. कमरे में पन्द्रह वाट का बल्ब जल रहा था. कैमरे से चार छः फोटो लिए और उसकी बगल में बैठ गया. फोन पर ढेरो बात करने वाली मेरी पत्नी के जबान पर ताला लग गया और वो नीची नजर किए बैठी थी, उसके होंट सूख रहे थे. मैंने इधर उधर की दो चार बातें करने के बाद कहा कि किस करूँ तो उसने नजरें नीचे किए धीरे से गर्दन हिला दी. लंड बैठने का नाम नही ले रहा था. मैंने उसके गाल पर किस किया जो मेरी जिन्दगी का किसी जवान लड़की का पहला किस था. फ़िर मैंने उसको बोला किस करने को तो उसने भी मेरे गाल पर धीरे से किस किया अब मैंने उसके बूब्स पर हाथ रखा, वो सिहर गई लेकिन हाथ नही हटाया. अब धीरे धीरे मैंने बूब्स दबाना शुरू किया मुझे वैसे ही बहुत चढी हुई थी, जिन्दगी में पहली बार बूबू दबा रहा था, मजा बहुत आ रहा था, धीरे धीरे उसका ब्लाउज खोल दिया. ब्रा भी हटा दी. सेब के साइज़ से थोड़े बड़े उसके गोरे स्पंज की बोल की तरह सख्त नरम बूबू बाहर आ गए.

पत्नी निढाल सी मेरे सीने से चिपकी पड़ी थी धीरे धीरे किस चल रहा था. अब मैंने उसके पेटीकोट को ऊपर सरकाना शुरू किया. एक बात माननी पड़ेगी की उसने किसी भी बात के लिए रोका नही. बस निढाल सी चिपकी रही. आज एक जवान नंगी लड़की मेरे बिस्तर पर थी और उसके गोरे सवा पाँच फुट के बदन पर एक बाल भी नही था और उबटन लगने से पूरा बदन मक्खन जैसा चिकना हो गया था. झांटे थी इसका मुझे ज़रा भी बुरा नही लगा. क्यूंकि झांटों से मुझे जवानी का एहसास होता है न की नादानी का. उसका बदन देखकर कोई भी फख्र कर सकता था. हालाँकि कद में हमारे नौ इंच का फर्क था.

मैंने उसे धीरे से लिटाया अपने कपड़े उतारे, तन्नाया फन्नाया लंड इतना तन चुका था की टंकार तक नही मार रहा था. लंड पर कंडोम चढाया, उत्तेजना इतनी ज्यादा थी की कभी भी क्रीम बाहर आ सकती थी. पत्नी के ऊपर आया तो उसकी टाँगे मेरी टांगों पर आ गई, मेरा माथा ठनक गया कि इसका कोई चक्कर तो नही चल चुका. उसी वक्त मुझे एक परिचित की बात याद आ गई की कुंवारी लड़की के ऊपर लड़का आते ही लड़की की टाँगे अपने आप लड़के की टांगों पर आ जाती है. और कहीं किसी किताब मैं पढ़ा था कि अच्छा चोदक वो है जो अपना वजन अपने घुटनों और कोहनी पर रखता है. अब हालत ये थी कि यदि अपना वजन घुटनों और कोहनी पर रखता तो लंड अपनी जगह से हिल जाता और यदि लंड को गीले छेद पर सेट करता तो एक कोहनी से दम नही लग रहा था. इतने में उत्तेजना इतनी ज्यादा हुई कि लंड से छः महीने का स्टॉक क्रीम बह निकला. लंड अपनी अकड़ खो चुका था. मैंने बहुत कोशिश की कि लंड दोबारा खड़़ा हो जाए लेकिन वो सारी रात खड़़ा नही हुआ. कंडोम निकाल कर मैंने पलंग से नीचे डाल दिया.

पत्नी को हलकी सिहरन हो रही थी. मैं समझ रहा था, उत्तेजना से उसकी तबियत बिगड़ रही थी और मैं कुछ भी कर नही पा रहा था. उसको अपनी बाँहों में लेकर पडा रहा. उसने एक बार कहा कि करो लेकिन मेरा लंड सिकुड़ चुका था.

सुबह चार बजे माँ ने आवाज लगाई तो मेरी बीवी चली गई, कोई घंटे भर सोया हूँगा. नींद नही आई, सुबह साडे छः बजे बाहर निकलने कि हिम्मत नही हो रही थी. कोई सामने आएगा तो क्या होगा. जैसे तैसे हिम्मत करके कमरे से बहार आया. बुआ की लड़की सामने थी जो मुझसे दो साल छोटी थी और कुंवारी थी, हम दोनों में अच्छी पटती थी. वो गहरी नजरों से देख रही थी, मैंने पूछा क्या है. तो वो बोली “कुछ नही”. पिताजी सामने आए मैंने नजरें घुमा ली. अब मैं गुसलखाने में गया. अपने दिमाग को ठिकाने पर लाने की कोशिश करने लगा. लंड को हाथ में लिया. धीरे धीरे सहलाने लगा, दिमाग को केंद्रित किया. लगभग पाँच मिनट में लंड खड़़ा होने लगा, मैंने हाथो को तेज चलाना शुरू किया. मुठ मारने में जरुरत से ज्यादा समय लगा. लेकिन सब कुछ सही हो गया. मैंने छः महीने मुठ नही मारकर अपनी उत्तेजना ख़ुद बढ़ा ली थी.

अब मुझको रात का इंतजार था. खैर धीरे धीरे रात पास आती गई. रात के साडे दस ग्यारह के करीब मेरी जान कमरे में आई, मैंने कमरे की सांकल बंद की, जान को अपनी आगोश में लिया. किस किया. लंड अब अपनी दस्तक देने लग गया. दो मिनट बीते होंगे की पत्नी दूर हो गई. मैंने कहा कि क्या हुआ. वो बोली एमसी हो गई. उसने अपनी अभी तक कुंवारी चूत पे हाथ लगा कर देखा. बोली मम्मी को बोलती हूं. मैंने कहा “क्यूँ ” तो बोली कि नीचे सौउंगी. वो मेरी माँ को बोलके आई तो साथ में कम्बल और रजाई लेके आई.

उसने बिस्तर बेड से नीचे किए. कमरा बंद किया. अब तक मैं कुछ नही बोला था. मन लेकिन थोड़ा उदास हो गया था. आज मेरा लंड तैयार था तो उसकी चूत ने धोखा दे दिया. जैसे ही वो नीचे लेटने को हुई तो मैंने उसे अपने पलंग पे खींच लिया. पत्नी बोली कि मम्मी को पता चल गया तो? मैंने कहा कौन बताएगा ? तुम या मैं. वो समझ गई और मेरे साथ पलंग पर आ गई. उसने चूत पर कपड़ा लगा लिया था. आज दिनभर में वो घरवालो के साथ घुलमिल गई थी, शर्म भी बहुत कम हो गई थी.

अब मैंने उसके होटों को अपने होटों से चिपका के किस करना शुरू किया. होंट थे कि अलग होने का नाम नहीं ले रहे थे. मैंने उसके बोबे दबाने शुरू किए. मेरी बीवी के हाथ मेरी गर्दन के लिपट चुके थे. मेरे हाथ उसके बोबों को मसल रहे थे. धीरे धीरे ब्लाउज और ब्रा अलग हो गई. फ़िर थोडी देर में पेटीकोट भी खींच कर अलग कर दी. जल्दी से मैंने भी अपने कपड़े उतार फैके, मैंने बीवी को अपने ऊपर ले लिया और घमासान चालू हो गया वो ऊपर से अपनी गांड को चला रही थी और मैं नीचे से लंड को उसकी कपड़ा लगी चूत पे दबा के घिस रहा था.

होंट एक दूसरे का साथ छोड़ने को तैयार नहीं थे, मेरा एक हाथ उसके बोबे दाब रहा था जो मेरे सीने से चिपके पड़े थे और दूसरा हाथ मेरी बीवी का मखमली शरीर को ऊपर से नीचे तक नाप रहा था, मेरी बीवी के हाथ मेरी गर्दन के नीचे कसे थे. हम दोनों अपनी मंजिलों कि तरफ़ बढ़ रहे थे कि मेरी बीवी अकडी और ढीली पड़ गई. उसके होंट खुल गए, हाथ ढीले हो गए, मैं रुक गया, उसकी आँखें मुंदी हुई थी. दो मिनट बाद मैंने उसके बोबे वापस दबाने शुरू किए, उसका मुह अपनी और किया उसके होंट चूसने लगा, मेरी बीवी में जान आने लगी, उसके होंट मेरे होटों से चिपक गए, हाथ मेरी गर्दन पर कसते गए. अब वो अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी, मैं भी नीचे से उसकी चूत को लंड से दबाते हुए रगड़ने लगा, एक बार फ़िर घमासान होने लगा और लगा जैसे पलंग पर भूचाल आ गया हो. हम दोनों अपनी अपनी मंजिल कि और बढ़ने लगे फ़िर मेरी बीवी को ओर्गास्म हो गया।

लेकिन अबके मैं रुका नही. ढीली पड़ी बीवी को अपनी बाँहों में कसे नीचे से उसकी चूत को अपने लंड से रगड जा रहा था. अब मुझे भी ओर्गास्म आने लगा. मैं फ़िर भी रगड़ता गया और मुझे खूब जोर का ओर्गास्म आया. मैं भी ढीला पड़ गया. दोनों पसीने में लथपथ थे उस जनवरी कि ठंडी रात में भी. मैं ने अपने पैरों से रजाई धीरे से मेरे ऊपर पड़ी बीवी के कूल्हों तक ऊपर कर ली ताकि पसीना सूखने के बाद कोई गड़बड़ न हो. हम दोनों की एमसी की चार रातें ऐसे ही एक रात में चार चार पांच पाँच राउंड लगाते निकली. हम रात को सिर्फ़ दो घंटे मुश्किल से सो पाते थे. सुबह वो साडे चार बजे कमरा छोड़ देती थी. चारों दिन वो बिस्तर नीचे लगाती रही और मेरे पास सोती रही.

अब पांचवी रात को उसको पलंग पर लेकर कपड़े उतारने के बाद किस शुरू किया, बोबे दबाने शुरू किए, धीरे धीरे वो गरमाने लगी, उसके हाथ मैंने अपने लंड पर रख दिए आज उसकी पैंटी भी उतार फेंकी. उसकी चूत पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा, गर्मी बढ़ने लगी, उसके हाथ मेरे लंड पर कसने लगे, आज उसको एमसी में ब्लड भी जरा सा आया था. उसकी चूत से पानी बाहर आने लगा. मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में सरकानी शुरू की, करीब डेढ़ इंच अन्दर जाने के बाद उंगली अड़ गई, छेद छोटा था, मैंने बड़ी लाइट जलाई, उसकी टांगो को चोडा करके उसकी चूत को फैला कर अन्दर देखा तो हाईमन साफ़ नजर आया, छेद बहुत छोटा था, वापस छोटी लाइट जलाई, दोनों वापस पहले वाली पोजीशन में आ गए. अब मेरे दिमाग में ये बात आई की यदि ऐसे ही मैंने अपना सात इंच का रोड अन्दर डालने की कोशिश की तो इसको बहुत दर्द होगा, ये सोचकर मैं अपनी अंगुली उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

शुरू में थोड़ा सा दर्द हुआ फ़िर उसको अच्छा लगने लगा. अब मैंने उसको सारी बात समझाते हुए कहा कि या तो तुम ज्यादा दर्द सहो या कम. वो बोली कि कम दर्द करो. फ़िर मैंने कहा कि अब मैं तुम्हारी चूत में दो उंगली करूंगा, सहयोग करो, ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी निकाल कर दोनों बड़ी उँगलियों पर अच्छी तरह वैसलीन लगाई, अब धीरे से उसकी चूत फैला कर दो उंगली उसकी चूत में डालना शुरू किया, हाईमन को चीरने पर उसको दर्द हुआ मैंने अपनी उंगली को रोका. मैं उसको दर्द नही करना चाहता था क्यूंकि फ़िर आनंद की चरम सीमा एकदम से कम हो जाती है, फ़िर एक बात और भी है, यदि अपने भी ऐसा ही दर्द हो तो क्या अपन भी मजा ले पाएंगे. धीरे धीरे करके मैंने उसके हाईमन को थोड़ा चोडा कर दिया, अब अंगूठा उसकी चूत में जाने पर दर्द नही हुआ.

मैंने सोच लिया के अब मेरी बीवी लंड ले सकती है, इतना दर्द तो वो सहन कर ही लेगी, मैं उसके ऊपर आ गया, लेकिन प्रैक्टिकल प्रॉब्लम वोही थी, की एक हाथ से लंड सही जगह पर लगाता तो लंड को घुसाने में जोर नही लगा पा रहा था, उस रात को फ़िर पिछली चार रातों जैसे ही रगड़ना पडा, समझ नही आ रहा था की अन्दर कैसे डालना है,

मेरे एक दोस्त की शादी एक महीने पहले हुई थी, उस से मिला, उसने बताया की पत्नी की गांड के नीचे तकिया रख ले, उसकी टांगो के बीच में बैठ कर लंड को उसकी चूत पर सेट कर ले, घुटने मोड़ दे, फ़िर बैठे बैठे ही उसकी दोनों जांघों को अपने हाथों से पकड़ कर धक्का लगा कर लंड चूत में पेल दे. सील टूटने दे. इसी को सील टूटना कहते हैं. मैंने उसको नही बताया कि उसकी सील मैं ढीली कर चुका हूँ.

अब टाइम निकलने लगा, रात आई, मेरी बीवी वोही ग्यारह बजे कमरे में आई, धीरे धीरे कपड़े उतारते गए, हम एक दूसरे से चिपकते गए, पसीना चुहचुहाने लगा, उसकी चूत गीली हो चुकी थी, अब वो समय आ गया, जिसके लिए मेरा लंड बाइस साल से तरस रहा था, मैंने वैसलीन कि शीशी का ढक्कन खोला, बीवी कि चूत पर खूब सारी वैसलीन अन्दर तक लगाई, गांड के नीचे तकिया लगाया, उसकी टांगो को फैला कर उनके बीच में बैठ गया, लंड को उसकी चूत पर सेट किया, टांगो को घुटने से मोड़ दिया, आज मेरे लंड उसकी चूत पर एकदम सही सेट हुआ, उसकी जाँघों पर अपना हाथ जकडा, धीर से दमदार धक्का लगाया, मेरा लंड उसके हाईमन को तोड़ता हुआ डेढ़ इंच अन्दर चला गया।

बीवी बोली कि जलन होने लग रही है, मैंने अपने आपको रोका और बीवी को पूछा कि इतना तो सहन कर सकती हो न, बोली हाँ इतना तो सहन कर लुंगी, अन्दर जाने के अहसास से मेरे लंड में एक नया कड़कपॅन महसूस हो रहा था, मैंने डेढ़ इंच में ही बीवी कि चूत को अपने लंड से सम्भोग किया, धीरे धीरे आसानी से. पहली बार मेरी क्रीम किसी चूत में छूटी थी. पास में से नेपकिन उठा कर उसकी चूत साफ़ की, सिर्फ़ दो बूँद खून और थोडी क्रीम.

अब वापस वो ऊपर और मैं नीचे, अब बिना घुसाए फ़िर घमासान चालू हुआ और जब रुका तो पन्द्रह बीस मिनट शांत पड़े रहे, धीरे धीरे फ़िर दोनों के शरीर में गर्मी आने लगी, अबके जो किस और दबाने का कार्यक्रम चला तो बेधड़क, बिना किसी दर्द के डर के, बिना नयेपन के एहसास के. मुझे पता था कि लंड को अन्दर कैसे जाना है, जीभें एक दूसरे को चाट रही थी, उसकी चूत से पानी टपकने लगा, मैं उसकी टांगो को चौडी करके बीच में बैठ गया, लंड को चूत के छेद पर सेट किया, हलके से धीरे धीरे धक्का लगाते हुए बीवी के मुंह को दर्द के लिए देखते हुए अपने लंड को अन्दर देता चला गया।

क्या अहसास था लंड के चूत में अन्दर तक जाने का. लंड स्टील की रोड के माफिक सख्त हो गया था, थोड़ा सा कसमसाने के बाद सब कुछ ठीक हो गया, अब मैं पहली बार, लंड बीवी की चूत में दिए उसके ऊपर आ गया, हमारी जीभें एक दूसरे पर फिरने लगी, फ़िर मैं उसके बोबे चूसने लगा, उसकी चूत गीली हो गई, हमारे होंट एक दूसरे के चिपक गए और हमने एक दूसरे को बाँहों में जकड कर जो चक्की चलाई की उसके मुकाबले में क्या कोई भूकंप होगा, सच में आज पूरा मजा आ रहा था, आज पता चल रहा था की क्यूँ अप्सराएं ऋषि मुनियों की तपस्या भंग कर देती थी. दोनों ने अपना अपना काम बखूबी निबटाया. फ़िर पस्त से एक दूजे पर यूँ ही पड़े रहे, इस तरह से सातवें दिन पूरा सम्भोग हुआ.

एक महीने तक हम लोगों का कार्यक्रम रोज रात चार पाँच बार होता था, हम कई बार एक दूर पर ही सो जाते थे, लंड जब देखो खड़़ा ही मिलता था, आज इस बात को सत्ताईस साल हो गए हैं, मेरी बीवी को अब मैं जो कर लूँ वो अपनी तरफ़ से पहल नहीं करती है, मुझे आज भी चार पांच बार डेली मुठ मारनी पड़ती है, मेरे पहले साल एक बेटी और उसके दो साल बाद एक बेटा हुआ लेकिन आज मैं प्यासा हूँ, मुझे कोई साथी चाहिए, बिल्कुल अपनापन सा, प्यारा सा, एक दूसरे को साथ देने वाला,…
 
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Hello Everyone :hi: ,
We are Happy to present to you The Exclusive story contest of Lustyweb "The Exclusive Story Contest" (ESC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne ESC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat aka discussion thread toh pehle se he Hindi section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 2000 words and maximum 8000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Lustyweb dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki ESC Ki stories ko pure Lustyweb k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.


Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Lustyweb k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.


Entry thread aaj yaani 5th February ko open hogaya hai matlab aap aaj se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 25 February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.


Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Lweb Staff.
 

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