Incest मौसी बनी बीवी

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मौसी बनी बीवी-3

मेरी मौसी की चुत चुदाई कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रात को सोने से पहले मैंने मौसी के कपड़े उतार दिए और नंगी मौसी की चूत चाट कर गर्म करने लगा।


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फिर वो मेरे लंड को मुँह में भर कर चूसने लगी।

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अब आगे:

मैं उठा और ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूची को मसलने लगा। मैं अब उनकी मम्मे को अपने मुँह में भरना चाहता था। मैंने उनका ब्लाउज पकड़ा और अधिक उत्तेजना के कारण उसे फाड़ डाला। मैं ब्रा के ऊपर से उनके दूध कलश को मिंजने लगा। ब्रा हटाने के बाद मैं उनके एक मम्मे मुँह में भर कर किसी शिशु की तरह खींच-खींच के पीने लगा, दूसरी चूची को हाथ से मसलने लगा। मौसी मेरे बालो को हाथ से सहला रही थी।

कभी कभी मैं उनके हल्के भूरे रंग के निप्पल को कस के दो उंगलियों से ऐंठ देता। उनकी सिसकारी अब चीख में बदल गयी थी, उन्होंने मुझसे कहा- बेटू, कैसे कर रहे हो? आज मुझे दर्द हो रहा है, प्यार से करो!
मैंने कुछ नहीं कहा बस काम में लगा रहा। मैंने उनके होंठ पर किस किया और नीचे की तरफ बढ़ गया। मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को उनके जिस्म से अलग कर दिया।

मौसी अब केवल एक नीले रंग की छोटे फूल वाली चड्डी में रह गयी थी। मैंने उनकी चड्डी को जोर से खींचा जिससे वो फट गयी और उनकी टांगों को खोल कर उनकी चूत को मुँह में भर लिया। और चूसने लगा, कभी उनकी चूत को चाटता तो कभी चूत के दाने को दांत से काट लेता तो वो दर्द से मचल जाती।

मैं बेड से उठा और अपने सारे कपड़े उतार कर मौसी के मुँह के पास खड़ा हो गया। उन्होंने आगे बढ़ कर मेरा लंड मुँह में भर लिया जैसे उन्हें पता हो कि मुझे क्या चाहिए। लंड चूसने की वजह से गीला हो गया था।

मैंने अपना गीला लंड उनके मुँह से बाहर निकाला और उनकी टांगों के बीच में बैठ कर लंड को उनकी चूत की लकीर में रगड़ने लगा। फिर एक तगड़े शॉट के साथ पूरा अंदर कर दिया। मेरा लंड उनकी चूत में फिट हो गया था।


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इस अचानक हमले से उनका मुँह खुल गया था। कुछ देर रुकने के बाद मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु किए। मौसी की चूत गीली हो गई थी और चोदते वक़्त पच-पच की आवाज आ रही थी।

मौसी भी अब मस्त हो कर उम्म्ह… अहह… हय… याह… जैसी कामुक आवाज निकाल रही थी। मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी थी। मेरे टट्टे मौसी की गांड से टकरा कर ठप-ठप का शोर कर रहे थे।
मौसी अब यही बोल रही थी- मेरे राजा, क्या मस्त चुदाई करता है… तूने तो मुझे अपने लंड का गुलाम बना लिया है। ऐसे ही चोदते रहना मुझे… बड़ा सुकून मिलता है मेरी चूत को तुम्हारे लंड से चुदवा कर।

कुछ मिनट की जोरदार चुदाई करने के बाद वो झड़ने को हो गयी थी। फिर मौसी ने एक आह… की आवाज के झड़ना शुरु कर दिया। उनकी चूत से निकल रहे काम रस से मेरा लंड गीला हो गया था और मैं उनकी गीली चूत में दनादन तेजी से लंड अंदर बाहर करने में लगा रहा।

थोड़ी देर और मौसी की चुदाई करने के बाद मैं भी झड़ने वाला था, मैंने लंड निकाल कर उनके मुँह में पेल दिया जिसे वो किसी लालीपॉप की तरह चूस रही थी। कुछ देर बाद मेरे लंड ने सारा गाढ़ा सफ़ेद रस उनके मुँह में भर दिया।


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पहला राउंड खत्म करने के बाद मैंने उनसे पूछा- मज़ा आया जान?
उन्होंने कहा- सच में बहुत मज़ा आया।
मैंने कहा- अभी तो बहुत मज़ा आने वाला है।

कुछ देर हम वैसे ही पड़े रहे। फिर मैंने उनकी चूत में उंगली करना चालू कर दिया। मौसी फिर से गर्म होने लगी थी, उन्होंने 69 की अवस्था में आने को बोला तो मैंने अपना लंड उनके मुँह में दे दिया और उनकी चूत पर अपनी जीभ से हमला करना शुरू कर दिया, उनकी चूत की फाँकों की अपने होंठों में भर कर खींचने लगा।

मैंने लंड उनके मुँह से बाहर निकाला और उनको पेट के बल लिटा दिया और उनके दोनों चूतड़ों को चूमने लगा। दोनों चूतड़ को हाथ से फैला कर उनके गांड के गुलाबी छेद पर अपना थूक लगा दिया फिर गांड के गुलाबी छेद को उंगली से सहलाने लगा।

मैंने मौसी को घोड़ी बनने को बोला तो वो झट से घोड़ी बन गई जिससे उनकी गांड बाहर की तरफ निकल आयी थी।


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फिर मैंने अपना लंड उनके छेद में डाल दिया और हल्के हल्के धक्के से मौसी की गांड मारने लगा। मेरे हर धक्के के साथ मेरा लंड उनकी गांड के छेद की सैर कर रहा था।

मैं अपने लंड से उनकी गांड को चौड़ी कर रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे मेरे लंड पर तनाव महसूस होने लगा था। मैंने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी। कुछ15-20 जोरदार धक्के मारने के बाद मैंने अपना रस उनकी गांड में छोड़ दिया और उनके बगल में लेट कर आराम करने लगा।
मुझे पता ही नहीं चला कब मैं सो गया।

आधी रात को मेरे लंड में हलचल होने की वजह से मेरी नींद टूट गयी थी। मैंने आँख खोल कर देखा तो मौसी मेरा लंड मुँह में भर कर उसे चूस रही थी।
उन्होंने मेरी तरफ देखा और बोली- मैं रात को मूतने के लिये उठी और जब वापस आई तो तुम्हारे लंड को देखकर मेरी चूत में खुजली होने लगी थी। लेकिन तुम गहरी नींद में सो रहे थे इसलिये तुमको उठाने का मन नहीं हुआ तो तुम्हारे लंड से खेलने लगी.
मौसी सारा कुछ एक साँस में बोल गयी।

मैंने उनके होंठ पर किस किया और पूछा- अब क्या चाहती हो आप?
बड़े ही प्यार से वो बोली- क्या तुम एक बार फिर से चुदाई कर के चूत को शांत कर सकते हो?
मैंने हाँ में सर हिलाया और उनको कुतिया बनने को बोला.

मौसी तुरंत बेड पर कुतिया की तरह झुक गयी, मैंने पीछे से लंड उनकी चूत में डाल दिया और उनकी चूत को चोदने लगा।


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जब भी मैं झटके लगता तो उनकी चूचियाँ हवा में झूल जाती। मैं हाथ आगे बढ़ा कर उनकी रुई की तरह नर्म नर्म चूची को मसलने लगा।

मौसी की चूत अब गीली होकर झड़ने वाली थी इसलिये मैंने उनको पीठ के लिटा दिया और उनकी चुदाई करने लगा। कुछ धक्के लगाने के बाद उनकी चूत ने झड़ना शुरू कर दिया था। अब मुझे भी लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। कुछ तेज धक्के मारने के बाद मैंने लंड चूत से निकाला और उनकी नाभि को अपने वीर्य से भरने लगा।

अब हम दोनों बहुत थक चुके थे, मैं अपने और मौसी के कामरस से गीली चादर पर लेट गया। मौसी ने भी अपने स्तन मेरी पीठ से सटा दिये और हम ऐसे ही सो गये।

रात की चुदाई के बाद अगली सुबह मेरी आँख देर से खुली। आँख खुलते ही मुझको बहुत तेज़ से पेशाब लगा हुआ था। मैं भाग कर बाथरुम गया पेशाब करते वक़्त मुझे मेरे लंड पर हल्का सा दर्द महसूस हो रहा था।

बाथरुम से बाहर निकल कर मौसी को देखा आज वो किचन में नहीं थी बल्कि आज वो दूसरे कमरे में सो रही थी।
मैंने उनको जगाया और पूछा- क्या हुआ? अभी तक सो रही हो मौसी?
मौसी- रात की चुदाई के बाद मेरी चूत में जलन हो रही है और सूज भी गई है।
मै- अच्छा मैं कुछ करता हूँ! क्या हर्ष स्कूल चला गया?
मौसी- हाँ!

मैं किचन में गया एक बर्तन में पानी गुनगुना किया। उनके पास आ कर उनके पेटीकोट को उनकी टांगों से सरका कर उतार दिया। उन्होंने अंदर पैंटी नहीं पहनी हुई थी। सच में उनकी चूत सूज कर पाव रोटी हो गई थी।

मैंने एक साफ़ रुमाल को पानी में गीला किया, फिर अच्छे से निचोड़ कर उनकी चूत पर रख दिया। दर्द के कारण मौसी ने अपनी मुट्ठी को बंद कर लिया था। मैं धीरे धीरे चूत की सिंकाई करने लगा, मौसी को अब आराम मिल रहा था। मैंने मौसी की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली और उनके गांड के छेद की भी सिंकाई करने लगा।

थोड़ी देर बाद जब उनके चेहरे की तरफ देखा तो वो फिर से सो गई थी। मैंने उनको एक चादर उढ़ा दी। फिर मैं नहाने चला गया।

नहा कर निकलने के बाद मैंने कपड़े पहने और मौसी को उठाया।
मौसी ने मेरी तरफ देख कर पूछा- बेटू तुम नहा लिए?
मैं- हां, मैं नहा लिया, आप भी साफ़ हो जाओ तब तक आपके लिये पेनकिलर ले आता हूँ।

मौसी नहाने चली गयी मैं स्टोर से दवा ले आया था और टीवी देखने लगा। थोड़ी देर में वो तैयार हो कर आयीं। आज उन्होंने लाल रंग का सूट सलवार पहन रखा था, उसमें वो बहुत कामुक लग रही थी।
मैंने उनसे पूछा- अब कैसा लग रहा है?

उन्होंने कहा- अब दर्द में आराम है।

मैंने एक ग्लास में पानी निकाल कर पेनकिलर उनकी तरफ बढ़ा दी और खाने को बोला। मौसी ने दवा खा ली और घर के काम करने में लगी।

मेरा टीवी देखने में मन नहीं कर रहा था तो मैं उठा मौसी के पास गया वो किचन में खाना बना रही थी। मैंने उनके गर्दन से बालों को हटाया और उनकी गर्दन को चूम लिया। मौसी मेरी ओर मुड़ी मेरे गले में अपने दोनों हाथ डाल दिये।


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इससे पहले वो कुछ कहती, मैंने आगे बढ़ कर उनके होंठों से अपने होंठ लगा कर उन्हें चूमने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैं अपने दोनों हाथों से उनकी गांड को दबा रहा था। मैंने उनको कमर से पकड़ कर उठाया और किचन के स्लेब पर बैठा कर उनकी टांगों के बीच में आकर उनको जोर जोर से किस कर रहा था और उनकी चूचियों को हाथों से हल्के हल्के दबा रहा था।

मैं मौसी के होंठ को छोड़ कर उनकी गर्दन के नीचे चूमने लगा था। फिर मैं अपना एक हाथ मौसी की सलवार में अंदर डाल कर उनकी पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाने लगा था। उनकी चूत गीली होने लगी थी। अब हम दोनों एक बार फिर से तन के मिलन को तैयार थे!

लेकिन तभी दरवाजे की घंटी बजी…
साला उस दिन पता चला कि खड़े लंड पर धोखा क्या होता है।
हम अलग हुए… मौसी ने दरवाजा खोला, हर्ष स्कूल से वापस आ गया था।

मैं हर्ष के साथ खेलने लगा। थोड़ी देर में खाना बन गया, सबने खाना खाया। मैं हर्ष का स्कूल का काम करवाने लगा और मौसी किचन के काम में व्यस्त हो गई।
दोपहर को मौसी और हर्ष सो गये लेकिन मैं जाग रहा था और सोच रहा था कि आज कुछ नया किया जाय मौसी के साथ… यही सोचते सोचते पता नहीं कब मुझे भी नींद आ गई।

शाम को मौसी ने मुझे जगाया। उन्होंने मुझसे घर के लिये कुछ सामान लाने के लिए बोला।
मैं बाजार गया। वहाँ मुझे मौसी के लिये कुछ लेने का ख्याल आया। मैंने उनके लिये काले रंग की एक जालीदार ब्रा और पैंटी ली। थोड़ी देर बाद घर वापस आ गया।
घर आकर मैंने उनको सामान दे दिया लेकिन उनके लिय खरीदी हुआ गिफ्ट उनको नहीं दिया।

थोड़ी देर बाद हम सब खाना खा लिया और मौसी हर्ष को सुलाने लगी।

मैं अपने कमरे में आ गया। हर्ष के सो जाने के बाद मौसी मेरे कमरे में आयीं। मैं आँख बंद के लेटा हुआ था। उन्होंने आगे झुक कर मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिये और चूमने लगी।
मैं उनको अपने बराबर बेड में लिटा कर उनका साथ देने लगा, कभी उनके होंठ चूमता तो कभी उनकी जीभ को अपने मुँह से चूसने लगता। हम दोनों की लार एक दूसरे के मुँह में मिश्री की तरह घुलने लगी थी।

अब हम दोनों को एक दूसरे को चूमते और सहलाते हुए 5-6 मिनट से ज्यादा हो गया था। अब उनको साँस लेने में तकलीफ होने लगी थी, वो सांस लेने के लिय संघर्ष कर रही थी।
फिर उन्होंने मुझे हल्का सा धक्का दे कर अपने होंठों को आजाद किया और मेरी बगल में लेट गई.

उनकी सांस सच में इतनी तेज़ चल रही थी जैसे मीलों दूर से दौड़ कर आयी हों। उन्होंने मुझसे कहा- आज तो तुम मेरी जान ही ले लेते।
मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनके चेहरे को देख कर मुस्करा दिया।

फिर मैं उनका कुर्ता पकड़ कर ऊपर करने लगा। उन्होंने आगे झुक कर कुर्ता उतारने में मेरी मदद की और बेड पर चित लेट गयी। उनके मम्मों को हाथ में लेकर दबाने लगा मैं।
मैं आगे झुका और अपनी जीभ निकाल कर उनके चिकने और दूध से सफ़ेद क्लीवज को चाटने और चूमने लगा। मैं लगातार अपनी जीभ उनके स्तनों पर घुमाये जा रहा था। मौसी तो बस 'शबाश… मेरे राजा… ऐसे ही अपनी जान को जन्नत की सैर कराते रहो।' उत्तेजना में मौसी पता नहीं क्या क्या बोले जा रही थी।

एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी चूत को सलवार के ऊपर से सहलाने लगा। थोड़ा नीचे सरक उनकी नाभि को चाट कर गीला करने लगा।
मौसी ने खुद ही अपनी सलवार के नाड़े की गांठ को खोलकर उसे सरका के उनकी टांगों से अलग कर दिया। उनकी दुधिया सफ़ेद टांगों को लालची नजर से मन भर देखने लगा। फिर उनकी टांगों को चूमते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। मैं मौसी की जांघों को पकड़ कर चूमने लगा।

वो बार बार मेरे सर के बालों को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खींच रही थी लेकिन मैं उनको और तड़पाना चाहता था इसलिये मैं उनकी जांघों को चूमता रहा।
थोड़ी देर बाद मौसी ने कामाग्नि से उत्तेजित होकर मुझसे कहा- राहुल, मेरी चूत को चाट कर इसे शांत करो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी!


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मैंने अपने मुँह को उनकी चूत के पास किया, उनकी भूरी चड्डी कुछ जगह से गीली हो गई थी। उनकी कमर को हाथों से पकड़ कर अपने होंठ चड्डी के ऊपर रखकर उसे चाटने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने चड्डी को अपनी उंगलियों में फंसा कर उतार कर फेंक दिया। अपनी एक उंगली को चूत के अंदर डाल कर मस्ती से अंदर बाहर करने लगा। फिर मैंने चूत के ऊपरी भाग पर एक पप्पी की और जीभ से उनकी चूत के साथ खेलने लगा।

कहानी जारी रहेगी,
Awesome and hot Update diya
 
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मौसी बनी बीवी-4

अब तक मेरी मौसी के साथ सेक्स कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी मौसी की चड्डी को उतार दिया और अपनी एक उंगली को चूत के अंदर डाल कर मस्ती से अंदर बाहर करने लगा। फिर मैंने चूत के ऊपरी भाग पर एक पप्पी की और जीभ से उनकी चूत के साथ खेलने लगा।
अब आगे:

मौसी की चूत की खुशबू मेरे नाक घुस रही थी जिसकी वजह से मुझे किसी नशे जैसा अनुभव होने लगा था। कभी मैं चूत में अंदर तक जीभ घुसा देता तो कभी फाँकों को मुँह में भर कर खींचने लग जाता। मौसी मेरे बालो में अपनी उंगलियाँ घुमा रही थी और आह्ह्ह… शश… हाययय… उम्म्म जैसी आवाजें निकाल रही थी।
मैं हाथ ऊपर ले जा कर उनकी चूचियों को पकड़ कर उन्हें दबाने लगा।

अब मुझे उनकी चूत में तनाव महसूस होने लगा था, वो अपनी गांड उचका कर मेरे मुँह में अपनी चूत देने लगी थी। मौसी बोली- ऐसे ही चाटते रहो बेटू… मैं आने वाली हूँ।
उन्होंने मेरे सिर को अपनी जाँघों में दबा लिया और आअह्ह्ह…. मैं आ गयी मेरे राजा….. कहते हुए झड़ना चालू कर दिया।
उनके रस का स्वाद इस बार कुछ नमकीन और कुछ पेशाब जैसी गंध वाला मिश्रण था।

मैंने उनका थोड़ा सा रस अपने मुँह में भर लिया और उनकी बहती हुई चूत को छोड़ कर उनके होंठ तरफ चल दिया। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। शायद मौसी को मेरी शरारत का पूर्वाभास हो गया था इसलिये उन्होंने अपनी आँखें और होंठ दोनों बलपूर्वक बंद कर रखे थे। मैंने अपने होंठों से उनके होंठ को अच्छे से दबा रखे थे। अब उन्हें साँस लेने परेशानी होने लगी थी। वो साँस लेने के लिय मचलने लगी।

जैसे ही उन्होंने अपना मुँह सांस लेने के लिय खोला, मैंने उनके मुँह में उन्ही के कामरस को अन्दर उड़ेल दिया और फिर से उनके होंठ को अपने होंठ में बंद कर लिया।
मौसी को न चाहते हुए भी वो करना पड़ा जो मैं चाह रहा था। उन्होंने अपनी चूत के कामरस को गले के नीचे उतार लिया। मैंने उनका ऊपर वाला होंठ चूमा और पैरो के पास सिर रख कर लेट गया।
मैं उनके पैर के पास सर करके लेट गया।

मौसी मुझसे बात करने लगी- बेटू, तुम सच में बहुत गंदे हो!
मै- क्यों क्या हुआ मौसी जान?
मौसी- मेरा ही चूत का रस मुझे ही चटा कर पूछते हो कि क्या हुआ।
मैं- अरे जान, यह भी एक तरह का सेक्स का हिस्सा ही है।

मौसी उठी और मेरी कमर के पास आयीं, उन्होंने मेरी चड्डी को सरका के घुटनों तक कर दिया। मेरा लंड आसमान की ओर तना हुआ खड़ा था, मौसी ने हाथों से लंड की चमड़ी नीचे की, लंड के मूत्रछेद पर उत्तेजना की एक चमकदार बूँद रखी हुई थी जिसे मौसी ने अपनी जीभ नुकीली कर के चाट लिया।

लंड सुपारा भी फूल कर बड़ा हो गया था। मौसी अपनी जीभ से मेरे लंड को ऊपर नीचे चाटती तो कभी सुपारे पर अपनी जीभ घुमा देती। वो अब लंड चूसने में एक माहिर खिलाड़ी हो गयी थी, मौसी एक हाथ से मेरे टट्टे को सहलाने लगी।

मैं अब ज्यादा देर रुकने वाला नहीं था तो मैंने उनका सर कस के पकड़ लिया और अपनी कमर को नीचे से उचका कर मौसी का मुख-चोदन करने लगा, फिर कुछ देर बाद उनके मुख में झड़ने लगा। मौसी मेरे वीर्य को गटक गई।
कुछ देर में लंड भी मुरझाने लगा।

थोड़ी देर बाद मौसी मेरे लंड से फिर खेलने लगी।
मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?
तो उन्होंने अपनी एक उंगली चूत पर रखी और बोली- अभी इसका काम बाकी है।

मौसी कभी मेरे लंड को चूसती तो कभी मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करने लगती। कुछ देर में लंड भी खड़ा होने लगा था।
पूरी तरह से लंड खड़ा होने के बाद मैंने मौसी को अपने ऊपर आने को बोला!
मौसी मेरे ऊपर आ गयी।

मैंने लंड उनकी चूत के मुहाने पर रखा और उनको धीरे-धीरे बैठने को बोला। यह हम दोनों के लिय बिल्कुल नया अनुभव था। मौसी धीमे से लंड पर दबाव बनाते हुए बैठने लगी। इस बार मुझे भी कुछ दर्द महसूस हुआ। वो जब नीचे सरकती तो मेरा थोड़ा सा लंड उनकी चूत में चला जाता। इस तरह कुछ देर में मेरा पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया।
मौसी की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

मैंने मौसी को लंड पर ऊपर नीचे होने का इशारा किया तो वो धीरे धीरे मेरे लंड पर उछलने लगी। मैं उनके दोनों चूतड़ों पर हाथ रख कर नीचे से धक्के लगाने लगा। जब मौसी थक जाती तो अपनी कमर को मेरे लंड पर रख कर गोल-गोल घुमाने लगती। कभी कभी मैं उनके चूतड़ पर जोर से हाथ मार देता जिससे वो और तेजी से उछलने लगती।
उनके झूलते हुए आमों को कभी मैं मुख में भर कर चूस लेता तो उनका मज़ा दोहरा हो जाता। मैं उनकी कमर को अपने हाथों में लॉक कर के नीचे से उनकी चूत में लंड अंदर बाहर करने में लगा था।

मौसी की रफ़्तार अब कुछ कम हो गई थी इसलिये मैंने मौसी मैंने उनको अपने ऊपर से उतार कर बेड पर लिटा दिया और उनकी टांगों के बीच में आ गया। मैं अपना लंड उनकी चूत की लकीर में रगड़ने लगा तो उन्होंने हाथ आगे बढ़ा कर लंड चूत के अंदर डाल लिया।

मैंने उनकी एक टांग अपने कंधे पर रख कर उनकी जोरदार चुदाई करने लगा। मौसी अब 'आह्ह… ह्ह्ह… हम्म… उफ्फ्फ… और जोर से चोदो… उम्म्ह… अहह… हय… याह… चूत की चटनी बना दे!' कहने लगी।
उनकी चूत भी अब पनियाने लगी थी। मौसी ने कहा- ऐसे ही चोदते रहो, मैं आने वाली हूँ।
कुछ 10-15 धक्के के बाद वो 'मैं आई… मैं आई…' कहते हुए एक आह्ह की आवाज के साथ झड़ने लगी।

उनकी चूत से निकलते हुए पानी की गर्मी को मैं अपने लंड पर महसूस कर सकता था। उनकी चूत मेरे लंड को अपने अंदर खींचने लगी। चूत से रस निकल कर मेरे लंड को गीला कर रहा था। जिससे चुदाई करते वक़्त कमरे में पच…पच… का मधुर शोर हो रहा था। उनका माल उनकी चूत के कोने से बह कर उनकी जांघ को गीला करने लगा।
अब वो झड़ कर शांत हो गयी थी लेकिन मैं चूत में तेजी से लंड पेलता रहा। गीले होने की वजह से लंड चूत में सटासट अंदर बाहर हो रहा था।

कुछ मिनट बाद मेरे लंड की नसें फूलने लगी, टट्टे भी भरी होने लगे। अब मैं कभी भी अपने अंत-बिंदु पर पहुँच सकता था। कुछ धक्के मारने के बाद मैंने लंड को चूत से निकाला और उनके मुख में दिया।
मेरा लंड उनकी चूत रस सना पड़ा था जिसे मौसी बड़े मज़े से मुख में लेकर चूसने लगी। मेरा लंड उनके मुख में रह रह कर तुनके मार रहा था।

कुछ देर बाद मेरे लंड ने उनके मुख को गाढ़े, गर्म और चिपचिपे वीर्य से भर दिया। वो मेरे वीर्य को मजे से पी गई और लंड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
थोड़ी देर में लंड भी सिकुड़ कर छोटा हो गया था। मैंने लंड उनके मुंह से निकाला और उनके बदन से चिपक कर लेट गया।

कुछ देर बाद हम सो गये।

अगली सुबह मैं देर तक सोता रहा। मेरे चेहरे पर पानी की कुछ बूँद पड़ने से मेरी आँख खुल गई। मैंने आँख खोल के देखा तो मौसी मेरे सामने नग्न अवस्था में खड़ी खुद को शीशे में निहार रही थी। उनके बालों से टपकते हुए पानी से पता चल रहा था कि वो अभी अभी नहा कर आयी हैं।
मौसी अपने बालों को झटक कर सुखा रही थी जिससे पानी की छीटें मेरे चेहरे पर आ रहे थे। उनके बदन की भीनी भीनी खुशबू से कमरा महक रहा था।
इस समय वो बिना कपड़ों के संगमरमर की सफ़ेद मूर्ति की तरह लग रही थी।

मैं उठा और नंगा उनकी पीठ से चिपक के खड़ा हो गया। उनके कंधे पर किस किया और उनको शीशा दिखाते हुए कहा- देखो आपकी चूचियाँ कुछ दिनों में थोड़ी बड़ी और सुडौल हो गई हैं.
तो उन्होंने कहा- यह सब तुम्हारी शैतानी का नतीजा है।

मैं अपना हाथ नीचे ले जा कर उनकी चूत को उंगली से सहलाने लगा तो मौसी ने मुझे रोका और मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ कर बोली- क्या तुम हर वक़्त सेक्स के लिय तैयार रहते हो?
मैंने अपनी एक उंगली को मौसी चूत के अंदर डालते हुए कहा- जब से आप यहाँ आई हो, तब से ये हमेशा तैयार रहता है।
वो बोली- नहीं, पहले नहा आओ, फिर बाकी काम बाद में।

थोड़ी देर बाद मैं नहा कर निकला और कपड़े पहनने के बाद अपनी अलमारी से मौसी का गिफ्ट निकाला। वो कमरे में बैठी थी, मैंने गिफ्ट उनके हाथ में रखकर उनसे खोलने को बोला।
उन्होंने गिफ्ट खोला और मुझसे पूछा- यह किसलिये?
मैंने कहा- आज आपका यहाँ आखिरी दिन है, कल आप किसी भी वक़्त चली जाओगी। मैं चाहता हूँ कि आप मेरे लिये इसे पहन कर अच्छे से तैयार हो जैसे मौसा जी के लिये होती हो।
मौसी ने कहा- इसके बदले में मुझे क्या मिलेगा?
मैंने कहा- जो भी आपका मन हो!
तो मौसी ने कहा- हम इतने दिनों से साथ में सेक्स कर रहे हैं लेकिन तुमने कभी मेरे अंदर अपना रस नहीं छोड़ा, मैं चाहती हूँ कि तुम आज मेरी चूत को अपने रस से भर दो।
कुछ देर सोचने के बाद मैंने मौसी से हां कह दिया।

थोड़ी देर बाद हर्ष स्कूल से आ गया, हमने खाया और दोपहर को सो गये।

रात को मौसी आज हर्ष को खाना खिला कर जल्दी सुलाने लगी। लेकिन आज जैसे हर्ष ने कसम खा रखी हो कि आज वो हमको कुछ नहीं करने देगा। लेकिन थोड़ी देर बाद हर्ष सो गया।

दस बजे मौसी मेरे पास आयी और कहा- मुझे बस थोड़ा सा समय दो, तब तक तुम आराम से दूसरे कमरे में बैठो।

मैं कमरे में इन्तजार करने लगा कि कब मेरी सेक्सी मौसी मुझे बुलाएगी। धीरे-धीरे घड़ी में ग्यारह बज गये तो मेरे लिये खुद को रोक पाना अब मुश्किल हो रहा था।
लेकिन कुछ मिनट बाद मौसी ने आवाज लगाई तो मैं भाग कर कमरे में पंहुचा और आखिर भागता भी क्यों नहीं… आज की चुदाई में अलग सा मज़ा जो मिलने वाला था।

कमरे में पूरा अँधेरा हुआ पड़ा था। मैंने लाइट चालू की तो देखा कि मौसी बेड के एक कोने में मेरी तरफ पीठ कर के बैठी थी। उन्होंने आज हल्के नीले रंग की साड़ी पहन रखी थी।
मैंने मौसी को आवाज दी तो वो मेरी तरफ मुड़ी।

सच में यार… आज मुझे वो रोज़ से ज्यादा सुंदर लग रही थी। मैं सोचने लगा कि क्या ये वही औरत है जिसकी चुदाई मैं इतने दिन से कर रहा था।

तभी मेरे कान में आवाज पड़ी- कहाँ खो गये बेटू?
मैंने देखा कि मेरी जान मौसी मेरे बगल में खड़ी थी।

मैंने आगे बढ़ कर उनके चेहरे को हाथ में थाम कर उनके माथे को चूम लिया और उनको अपने हाथों में उठा कर बेड पर लिटा दिया। आँखों में काजल, चेहरे पर हल्का सा मेकअप, अच्छे से बांधे हुए बाल, होंठों पर लाल लिपस्टिक और बदन से आती हुई भीनी भीनी खुशबू… ये सब मुझे दीवाना बना रहे थे। आज मौसी अपनी सुन्दरता से किसी भी अप्सरा को टक्कर दे रही थी।

मैंने उनके कान पर किस किया और उनकी झुमकी उतार कर अलग रखने के बाद कान की लौ को अपने होंठों में भर चूसने लगा। उनको गुदगुदी होने लगी थी जिससे वो अपने सिर को हिलाने लगी।

थोड़ी देर बाद मैंने दूसरे के साथ भी ऐसा किया। फिर मैं थोड़ा नीचे सरक कर उनके गालों को चूमने और चाटने लगा। मैं थोड़ी देर और उनके गालों को चूमना चाहता था लेकिन मौसी ने मेरे बाल पकड़ कर मेरा सर नीचे किया और मेरे होंठों को अपने होंठों से मिला दिया।

मैं भी मौसी के होंठों का रस पीने लगा, कभी उनके ऊपर वाले होंठ को अपने मुंह में भर कर चूसता तो कभी नीचे वाले को। बीच में अचानक से मौसी मेरी जीभ को अपने होंठ में दबा कर चूसने लगती। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैं उनके मुंह में पिघलता जा रहा हूँ।
कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे को चूमने के बाद उनके होंठ को छोड़ कर मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा। मौसी तो इतने में सिसियाने लगी थी, उनके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाययय… श्श्श… जैसी आवाजें निकलने लगी थी।

मैंने मौसी के ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिये। फिर मैंने उनके ब्लाउज को उनके गोरे बदन से अलग कर दिया और उनके हाथ को ऊपर कर के उनकी बगलों में नाक लगा कर उसकी गंध को नाक में भरने लगा, फिर अपनी जीभ निकाल कर बगलों को चाटने लगा।
मेरी हरकतों से मौसी को गुदगुदी हो रही थी जिससे वो मचलने लगी थी।

मौसी की चूचियाँ मेरी लायी हुई काली ब्रा में कैद थी, उस पारदर्शी ब्रा में उनकी सुडौल चूची साफ़ दिख रही थी। मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उनकी चूची पर रख दिये और उनको हल्के से दबाने लगा। फिर ब्रा के ऊपर से उनके निप्पल पर जीभ चलाने लगा। थोड़ा और नीचे आने के बाद उनके चिकने पेट पर जगह जगह किस करने लगा, फिर अपने होंठ उनकी नाभि पर रख कर उसे चाट कर गीला करने लगा।

मैं उठा कर उनके पैर के पास बैठ गया, उनके पैर के तलवे को चूमने लगा। फिर मैंने उनके एक पैर के अंगूठे को मुंह में भर कर चूसते हुए ऊपर बढ़ने लगा। उनके पैर से पायल निकाल कर अलग रख दी और उनकी साड़ी को धीरे धीरे खोलने लगा।

साड़ी उतारने के बाद मैंने उनके पेटीकोट को थोड़ा ऊपर कर के टांगों पर चुम्मियों की बरसात कर दी।
फिर मैंने मौसी का पेटीकोट भी निकाल दिया।

मौसी की चूत पर वो तिकोने आकार की नयी पैंटी बहुत गजब की लग रही थी। मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उनकी ब्रा उतारी और चुचियों को जोर जोर से मसलने लगा। एक को दबाता तो दूसरी को मुंह में भर कर पीने लगता।

अब उनके शरीर पर केवल पैंटी शेष रही थी जिसे मैंने हाथों से खींच कर उतार दिया। उनके सारे आभूषण और कपड़े उतारने के बाद अब मेरी मम्मी की बहन मेरे सामने मादरजात नंगी पड़ी हुई थी।
यह सब देख कर मेरे लंड में दर्द होने लगा।

कामुकता से भरपूर यह कहानी जारी रहेगी,
 
😈😈😈ENDLESS 😈😈😈
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मौसी बनी बीवी-5

अब तक मेरी मौसी के साथ सेक्स कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि आज मौसी की चुदाई का आखिरी दिन था, मौसी बहुत सज संवर कर तैयार हुई थी. मैंने अपनी मौसी को मादरजात नंगी कर लिया था.
अब आगे:

मैंने मौसी से 69 की अवस्था में आने को कहा। उन्होंने तुरंत अपनी जगह बदल ली, मेरी फ्रेंची को अपने हाथ से उतार दिया। अब उनका मुंह मेरे लंड के पास था। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी और धीमे से घुमाना चालू कर दिया। मौसी ने मेरे सुपारे को मुंह में भर लिया और आराम से चूसने लगी।

उधर मैं अपनी जीभ से उनकी चूत की मलाई निकालने में लगा हुआ था। वो कभी मेरे टट्टे चूसती तो कभी दाँतों से हल्के से दबा देती तो मैं दर्द से विचलित हो उठता। मैं उनकी चूत में उंगली कर के चूत को गीला कर रहा था।
थोड़ी देर तक ऐसे ही एक दूसरे के अंगों के साथ खेलने के बाद हम एक दूसरे के मुंह में झड़ गये।

फिर मैंने उनको पेट के बल लिटा दिया, उनकी पीठ पर जगह जगह चुम्बन करने लगा। थोड़ी देर बाद मेरे लंड में भी हरकत होने लगी थी तो मैंने उनको घोड़ी बनने को बोला। घोड़ी बनाने के बाद मैंने मौसी की चूत में पीछे से लंड अंदर कर दिया। उनकी चूत किसी भट्टी की तरह तप रही थी।

मैंने उनकी कमर को हाथों से पकड़ लिया और चूत में लंड आगे पीछे करने लगा। थोड़ी देर में मैंने अपने रफ़्तार बढ़ा दी, हर धक्का पहले से तेज़ होता जा रहा था और वो धक्कों के जवाब में बस आह्ह…आह्ह… कर रही थी।
फिर मौसी बोली- ऐसे ही और तेज़ से चोदो, मसल दो मेरी चूत हरामजादी को! तेरे ही लंड से चुदवा कर सुकून मिलता है इसे… मैं आने वाली हूँ!

कुछ 15-20 धक्कों के बाद वो झड़ने लगी। उनकी चूत से निकलते कामरस को मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था लेकिन मैं बिना लंड निकाले उनकी चूत की चुदाई करता रहा और कुछ देर मेरा लंड भी अकड़ने लगा था। फिर 10-12 करारे धक्के लगाने के बाद मैं मौसी की चूत में झड़ने लगा। मेरे लंड से वीर्य की 6-7 पिचकारी निकली। मेरे वीर्य से उनकी चूत लबालब भर गयी थी।

जैसे ही मेरा लंड सिकुड़ कर उनकी चूत से बाहर आया तो हम दोनों का मिश्रित काम रस उनकी चूत से होता हुआ चादर पर टपकने लगा। मौसी बेड पर पेट के बल लेट गई मैं भी उनके बगल में लेट गया।
आज उनके चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे।

मैंने उनके माथे को प्यार से चूम कर उनसे एक बार और करने को पूछा तो उन्होंने अपनी मूक सहमति दे दी।

मैं उनके मम्मे को मुंह में भर कर चूसने लगा। मम्मे का पिंक निप्पल मेरे चूसने से लाल पड़ गया।

फिर मैं उठा और उनकी टाँगों को फैला कर उनकी चूत को पास में पड़े कपड़े से अच्छे पौंछ कर अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी और धीरे धीरे चूत को चाटने लगा। मैं उनकी चूत में अंदर तक जीभ डाल कर उनके उत्तेजक बिंदु के साथ खेलने लगा। मौसी की चूत का दाना अब फड़फड़ा रहा था जिसे मैं कभी मुंह में भर कर खींच लेता तो वो चहक उठती।

फिर मैं बेड पर लेट गया। शायद उनको पता था मुझे क्या चाहिये उन्होंने आगे बढ़ कर गप्प से मेरा लंड मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगी। धीरे धीरे हम दोनों गर्म होने लगे थे।
मैंने उनको अपने ऊपर आने को बोला.

मौसी उठी और अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर के बगल में रख दी। उन्होंने अपने एक हाथ से लंड को चूत के छेद पर सेट किया और धीरे से नीचे बैठ गई। मेरा पूरा लंड अब उनकी चूत के अंदर था। मौसी अपने भानजे के लंड पर कूदने लगी थी, मैं भी नीचे अपनी कमर को उचका कर उनका सहयोग देने लगा था।
मैं अपने हाथ की बड़ी उंगली को मौसी की गांड के अंदर डाल कर लंड की गति से आगे पीछे करने लगा था। वो अब दोहरे मजे के साथ आनंद के सागर में गोते लगाने लगी, उनके चेहरे पर बिखरे हुए बाल और हवा में झूलते हुए मम्मों को देख कर खुद को रोक न पाया और उनके एक मम्मे को मुंह में भर कर चूसने लगा।

कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही आपस में उलझे रहे।

मौसी अब थक गयी थी, उन्होंने मेरे सीने पर सर रख दिया और बोली- बेटू अब मैं थक गयी हूँ।
तो मैंने उनको बेड पर सीधा लेटा दिया, मैं उनकी चूत में एक बार मे पूरा लंड डाल देता और बाहर निकाल के फिर से जोर के धक्के से अंदर ठोक देता। मेरे बार बार ऐसा करने से उनकी चूत अंदर से चिपचिपा तरल छोड़ रही थी, वो एक बार फिर पूर्ण रूप से झड़ने को तैयार थी।

मैंने मौसी के दोनों कन्धों को अपने हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में लंड डाल कर चुदाई करने लगा। कभी मैं अपनी रफ़्तार बढ़ा देता तो कभी उनको प्यार से हल्के हल्के धक्कों से उनकी चुदाई करने लगता।
उन्होंने मेरी कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया और कामुकता भरे स्वर में मुझसे बोली- और जोर से चोद मुझे… मैं आने वाली हूँ…

मौसी मेरी पीठ पर अपने हाथ घुमाने लगी, मैं उनकी चूत में तेजी से लंड अंदर बाहर करने लगा। कुछ देर वो आह्ह…आह्ह…ह्ह्ह कहते हुए जोर से झड़ने लगी। अधिक उत्तेजना के कारण मौसी मेरे सीने पर होंठों से चूमने लगी और मेरी पीठ पर अपने नाखून से जगह जगह निशान बना दिये।
झड़ने के बाद वो बेसुध हो गयी थी।


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मैं एक बार पहले झड़ चुका था इसलिये अब मुझे समय लगने वाला था। मैंने मौसी की टाँगें फैला ली। उनकी चूत गीली होने की वजह से चोदते समय उससे फच… फच… की आवाज आ रही थी। मैं भी अब जल्दी से झड़ जाना चाहता था क्योंकि मुझे भी अब थकान होने लगी थी।
मैंने उनकी एक टांग को अपने कंधे पर रख ली और चोदने लगा।


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8-10 मिनट की तूफानी चुदाई से मैं झड़ने वाला था, मैंने अपना लंड उनकी चूत से सटा कर झड़ना चालू कर दिया। उनकी चूत ने फिर से चूतरस छोड़ना शुरू कर दिया था। मेरे लंड से निकलने वाली वीर्य की हर फुहार उनकी चूत की दीवार को भिगोने लगी। मैंने लंड को उनकी चूत में वैसे ही पड़ा रहने दिया।

कमरे में पंखा फुल स्पीड से चल रहा था लेकिन फिर भी हम दोनों पसीने से तर-बतर हो गये थे।
मैंने थक कर अपना सिर मौसी के सीने पर रख कर दिया। हम दोनों में बोलने की भी ताकत नहीं थी। उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उनके सीने से आती हुई धक्क… धक… की आवाज को मैं साफ़ सुन रहा था।

फिर पता नहीं कब हम सो गये।


अगली सुबह मैं रोज की तुलना में जल्दी उठ गया क्योंकि आज शनिवार था और यही वो दिन था जब मम्मी पापा और मौसा जी कभी भी आने वाले थे। मैंने घर में एक चक्कर घूम कर देखा, हर्ष रोज की तरह स्कूल चला गया था और मौसी घर के काम में व्यस्त थी।

मैंने अपने कपड़े उठाये और नहाने के लिये बाथरूम में घुस गया। थोड़ी देर बाद जब मैं नहा कर निकला तो मौसी किसी से फोन पर बात कर रही थी.
शायद दूसरी तरफ मौसा जी थे।
उन्होंने बताया कि वो दोपहर 2 बजे तक घर आ जायेंगे।
मैंने कपड़े पहने और बेड पर लेट कर टीवी देखने लगा।

मौसी आकर मेरे बगल में लेट गयी और मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बोली- क्या हुआ? आज सुबह से मेरे पास नहीं आये? गुस्सा हो क्या हम से?
मैं कुछ नहीं बोला, बस टीवी देखता रहा तो उन्होंने आगे बढ़ कर मेरे होंठों को चूम लिया।

मैंने उनसे कहा- अभी आप कुछ देर में घर चली जाओगी, फिर मेरा क्या होगा?
मौसी- तो तुमको क्या लगता है मैं तेरे बिना चैन से रह सकती हूँ। तुमने मेरे अंदर ऐसी कामवासना की आग लगा दी है कि अब तुमसे बिना चुदे एक दिन भी रह पाना मुश्किल है।
मैं बस उनको ध्यान से सुनता रहा।

फिर मौसी ने कहा- मेरा एक काम करेगा?
मैंने कहा- हां बोलो क्या कर सकता हूँ आपके लिये?
उन्होंने कहा- क्या मेरे नीचे के बाल एक बार फिर से बना देगा तू?
मैंने हाँ में सर हिला दिया।

मैंने उनका हाथ पकड़ा और उनको आँगन में खड़ा किया, अपने कमरे से सेविंग किट ले आया। मैंने मौसी को आँगन में लेटने को बोला तो वो आँगन में लेट गयी। हमारी छत बाकी घरों से ऊँची है तो किसी के आने का डर नहीं था।

मैंने उनकी मैक्सी को उतार दिया, उन्होंने केवल पैंटी पहनी हुई थी, मैंने उनकी पैंटी को उतारा तो देखा कि मौसी की चूत पर छोटे छोटे बाल फिर से निकल आये थे। मैंने उनकी चूत पे शेविंग क्रीम लगा दी और रेजर से हल्के हाथों से नन्ही उगी हुई झांटों को साफ़ करने लगा। बीच बीच में उनकी चूत को हल्के से सहला देता या उसके दाने को उंगलियों से छू लेता।

मौसी की चूचियाँ अब कड़क होने लगी थी। वो अपने होंठों को दाँतों से मसलने लगी। मैंने उनकी चूत को साफ़ कपड़े से पौंछा और उनकी चूत पर हाथ फिरा कर देखा। उनकी चूत उनके गालों की तरह चिकनी व सॉफ्ट हो गयी थी।

अब उनके ऊपर कामवासना हावी हो गयी थी, उन्होंने मुझे खड़ा किया, मेरे बरमूडा को नीचे करके मेरे लंड को चूसने लगी।
थोड़ी देर में मुझे भी मज़ा आने लगा था, मैंने उनको सीढ़ियों पर हाथ रख कर झुकने को बोला। जिससे उनकी चूत पीछे की तरफ निकल आयी थी। मैंने अपनी जीभ उनकी फड़कती हुई चूत पर रख दी और उसे चाटने लगा।
बुर चाटते समय मैंने अपनी दो उँगलियाँ अंदर डाल दी और तेजी से उंगली से उनकी चूत चोदने लगा।

मौसी अब अम्म… याह्ह… आय्य्य… उफ्फ्फ्फ़… करके सिसकारी लेने लगी। थोड़ी देर उनके बदन में कम्पन होने लगा और वो झड़ने लगी।
मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया, उनकी बुर से लगातार बहते हुए कामरस को जीभ से चाटने लगा जिसका स्वाद कुछ सफ़ेद नमकीन पानी जैसा था। मेरा अभी बाकी था तो मैंने उनकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया और उनकी कमर को पकड़ के चुदाई करने लगा। उनकी चूत पीछे से किसी गुझिया जैसी लग रही थी जिसमें लंड डालने पर फैल जाती व बाहर निकलने पर सिकुड़ जाती।
थोड़ी देर बाद मैंने लंड बाहर निकाल लिया।


मैंने मौसी की गांड को हाथों से फैला कर उनके छेद को अपनी जीभ के नुकीले भाग से सहलाने लगा। मौसी मेरी ओर मुंह कर के बोली- छी… वहां मत चाट… वो गन्दी जगह है!
लेकिन मैं फिर भी लगा रहा।
उनके सांस लेने से उनकी गांड का छेद सिकुड़ और फैल रहा था।


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मैंने अपने लंड को उनकी गांड के अंदर डाल दिया और उनके कंधों को पकड़ कर मौसी की गांड मारने लगा। उनके दोनों चूतड़ों पर जोर जोर चपत मार मार कर मैंने लाल कर दिया था लेकिन मौसी को शायद इसमें भी मज़ा आ रहा था।
जब भी मेरी कमर उनके चूतड़ से टकराती तो ठप्प की आवाज होती। पूरे आंगन में ठप्प ठप्प का शोर मचा हुआ था।


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मैंने अपना लंड उनकी गांड से निकाल कर वापस से उनकी फुद्दी में पेल दिया और उनकी चुटिया को पकड़ लिया, मौसी की फुदी को लंड से मसलने लगा। मेरा गीला लंड उनकी चुत में सरपट भागे जा रहा था।
मौसी फिर से मस्ती में गनगना गई- क्या मस्त चुदाई करता है तू… ऐसे ही चोदता रह अपनी जान को सारी उम्र… तेरी चुदाई की तो कायल हो गई मैं… अपनी रखैल बना ले मुझे!
और पता नहीं क्या क्या बडबड़ाती रही।

कुछ धक्के के बाद वो बोली- रुकना मत, मैं आने वाली हूँ… मैं आई… मैं आई…
कहते हुए वो झड़ने लगी।
उनकी चूत निकलते पानी की गर्मी से मैं खुद पर काबू न रख सका और उनके साथ उनकी चूत में झड़ने लगा। सारा माल मैंने उनके अंदर भर दिया।

हम दोनों नीचे बैठ गये उनकी चूत से अभी भी सफ़ेद तरल बह रहा था।


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घड़ी की तरफ देखा तो एक बज गया था। मौसी उठी जल्दी जल्दी खाना बना कर अपना सामान पैक करने लगी। उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया मुझे 8000 रुपये दिये।
मैंने पूछा- कुछ चाहिये क्या आपको?
तो उन्होंने कहा- ये तेरा इनाम है बुद्धू मुझे खुश करने के लिये!

मैंने मना कर दिया तो उन्होंने कहा- रख ले… जो तेरी मर्जी हो वो ले लेना! अगर कम पड़े तो और मांग लेना।

फिर डोर बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला मम्मी पापा और मौसा जी वापस आ गये थे। मौसा जी मौसी के पास गये और धीरे से बोले- आज बहुत सुंदर लग रही हो! क्या बात है?
मौसी बोली- इतने दिन बाद देख रहे हो तो आपको ऐसा लग रहा है।

मैं यह सुन कर हल्के से हंस दिया। मैंने मन में सोचा कि यह सब मेरी मेहनत का नतीजा है। मौसी की तरफ देख कर मैंने आँख मार दी वो शर्मा गयी। पिछले कुछ दिनों से वो मेरे साथ मेरी बीवी बन कर रही। इस बात की ख़ुशी हम दोनों को थी।

थोड़ी देर बाद मौसा ने खाना खाया और मौसी को ले कर घर से चल दिये, रास्ते में हर्ष को भी स्कूल से ले लिया।

उस दिन के बाद जब भी मौसी घर आती तो मैं मौका देख कर उनके होंठ चूम लेता, मम्मे मसल देता या कभी साड़ी के ऊपर से गांड सहला देता। लेकिन हमको सुकून भरी चुदाई करने का मौका नहीं मिल रहा था।

एक बार मौसी के घर में उनकी चुदाई कर रहा था तो उनके घर आयी हुई उनकी जेठानी ने हमको देख लिया। फिर हमने उन्हें भी अपने खेल में शामिल कर लिया।

वो कहानी बाद में लिखूंगा अगर आपकी इजाज़त हुई तो।

पहली कहानी है यह मेरी… इसलिये कोई त्रुटि हुई हो तो उसके लिये माफ़ी चाहता हूँ।

आप सभी लोगे के सन्देश का इन्तजार रहेगा. तो चूत और लंड के प्रेमी व प्रेमिका सन्देश भेज कर मेरा उत्साह बढ़ायें
ताकि कहानी के दूसरा भाग आपके सामने प्रस्तुत करूँ!
 

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