Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

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इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
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UPDATE 008

अब तक आपने पढा कि कैसे शुक्ला भवन की को-डिरेक्टर मीरा शुक्ला के नेपोटीजम का खुलासा उसी के शूटिंग टिम मेम्बर ने कर दी और रही सही कसर फिल्म के हीरो आयुष शुक्ला ने पूरी करते हुए पूरी मूवी का ही पैकअप करवा दिया ।
फिलहाल हीरो आयुष शुक्ला अपनी नयी फिल्म के लिए प्लेन से दिल्ली के लिए निकल गये है । उड़ान के दौरान ही उन्होने अपने आने की खबर किसी खास को और इस कहानी ने नये किरदार को देदी है ।
देखते है आज की इस एपिसोड मे क्या क्या देखने को मिलेगा ,,,,
और एक जरुरी बात INTRO कोई भी स्किप नही करेगा



INTRO

अपने मन मे डोली अरमानो की सजाये आयुष बाबू की उड़ान अपने तय समय पर इन्दिरा गांधी इंटरनेशनल हवाईअड्डे पर लैंड करती है ।

थोडे औपचारिक एयरपोर्टी रीत रिवाजो का अनुशरन करने के पश्चात आयुष बाबू बाहर पार्किंग एरिया की ओर बढ़ते है जहा एक खुबसूरत सी हुस्नपरि , वो जान-ए-जहां , वो सबसे हसिन , वो सबसे जवाँ कन्या आयुष शुकला के नाम की दफती पकडे खड़ी थी ।

आयुष बाबू की नजर पडते हुए वो उस मोहतरमा को हाथ दिखा कर हाय करते है तो बदले मे वो भी उसे मुस्कुरा कर हाय बोलती है ।
आयुष बाबू आगे बढ कर बडी ही नैतिकता और सम्मान भाव से बिना उस कन्या के युवा हुई दोनो बालिका वधु को निहारे सीधा उसकी आंखो मे देखते हुए हाथ आगे बढ़ाया ।

आयूष - हेलो एम आयुष शुक्ला
वो चंचल हसिना लिये मदमस्त नगीना भी मुस्कुरा कर आयुष से हाथ मिलाते हुए - हाय सर , एम पारुल मेहता , योर ऑफ़िस एसिस्टेंट

आयुष एक नजर उस खुबसुरत प्रोफ्रेसनल और पाश्च सभ्यता की वेशभुषा धारी देवी को उसकी पहाड़ीवाली चरण-पादुका " हिन्दी मे कहे तो हिल वाली सैंडल " से लेके उपर के शिखरो का अवलोकन करने के बाद मुस्कुराये ।
तभी पारुल आयुष का ट्रैवल बैग हाथ मे लेके पलटी और बोली - आईये सर
आयुष भी अपना पिठ्ठु बैग लिये मुस्कुरा कर उस देवसुन्दरी का अनुशरण करते हुए चलते है
फ़िलहाल कहानी मे एक नये पात्र की एन्ट्री हो चुकी है और जब तक आयुष बाबू कम्पनी द्वारा भेजी गयी गाडी के माध्यम से अपने गनतव्य तक पहुचते है तब तक एक छोटा सा इंट्रो शॉट शूट कर लेते है ।

नाम - पारुल मेहता

20211212-193655
पेशे और हुस्न से आप सभी मुखातिब हो ही चुके है ,,, उम्र भी तकरीबन आयुष के जितनी है लेकिन सिर्फ बी-टेक की डिग्री के बदौलत इतनी बडी कम्पनी मे इतना अच्छा पोस्ट कुछ जमा नही ।


वापस कहानी पर
आयुष बाबू कार की पिछ्ली सीट पर पारुल के साथ बैठे उसके आई-पैड पर कम्पनी के बारे मे कुछ जानकरिया ले रहे थे ।
करीब 45 मिंट के पिं पों और जड़तव के नियमो का भरी ट्रैफिक मे पालन करते हुए आयुश बाबू ग्रीन पार्क के ब्लाक - वी मे पहुचे ।

जहा कम्पनी के नाम से बनी एक 15 मंजिला हाऊसिंग सोसाइटी मे आयुष के नाम से वन बीएचके फ्लैट विथ बाल्किनी बुक था
गाडी पार्किंग लान मे लगा कर पारुल आयुश को लेके लिफ्ट की मदद से 7वी मंजिल पर रूम नम्बर 083 का कार्ड सवाईप कर वो कमरे मे प्रवेश करती है ।
आयुष ताज्जुब भरे नजरो से अपना नया फ्लैट देख रहा है था ।
वेल फर्नीश ए-वन किचन , खुबसूरत हाल,, मुलायम सोफे और बढिया बेडरूम वो भी बाथरूम से लगा हुआ ।
फिर हाल के बगल से ही एक बडा गेट था बल्किनी मे जाने के लिए,,,,जहा से आयुष पूरी कॉलोनी का जायजा लेता है ।

आयुष को ऑफ़िस सोमवार से जाना था तो पारुल उसे फ्रेश होने के लिए कहती है और फिर फोन पर कुछ खाने के लिए ओर्डेर दे देती है ।


द शुक्ला भवन शो

अब थोडा शुक्ला भवन मे चल रहे कुछ सीन की महत्वपूर्ण रिकॉर्डिंग कर लेते है , आखिर भाई दर्शकों को मजा पुरा चाहिए ना ।
इधर शुक्ला भवन की अदाकरा शान्ति देवी बडी ही अशांत मन से बेटे के परदेश जाने से बडी दुखी थी और हाल मे बैठा 3D उन्हे बार बार समझा रहा है कि कोई दिक्कत नही होगी ,,सब कुछ सामान्य ही रहने वाला है और आयुष उतरते ही फोन करेगा ,,, लेकिन ममता की मूरत शान्ति जी क्लेजे को ठन्डक कहा थी वो तो करन अर्जुन की राखी गुल्जार बनी हुई अपने बेटे की एक अवाज को तरस रही थी ।
हाल मे शुक्ला भवन के प्रोडुसर मुन्शी जी और मीरा शुक्ला ने भी उन्हे सम्झाना चाहा, मगर सुरज बर्जातिया के फिल्मो की तरह शुक्ला भवन मे भी ये रोने का सीन लम्बा ही खीचा जा रहा था ।
आखिर कार इमोसनल ड्रामो से तंग आकार मुन्शी जी ने 3D को आयुष के पास फोन लगाने को कहा और वो फोन डायल कर देता है ।

इधर आयुष बाथरूम मे होता है कि बेडरूम मे कपड़ो के साथ रखा उसका फोन रिंग कर रहा होता है ।

पारुल की नजर पड़ते ही वो एज ए एस्सीस्तेंट अपनी ड्यूटी समझ कर आयुष का फोन उठाती है और फोन 3D का होता है ।

फोन उठाते ही 3D भडकते हुए - अबे कहा हो बे,, प्लेन से उतर गये तो फोन नही करना चाहिये

पारुल पहले चौकी और फिर स्क्रीन पर नाम पढा 3D ,,,फिर वो थोडा उलझन से बोली - माफ करिये , सर अभी बिज़ी है आप थोडी देर बाद फोन करियेगा ।

यहा 3D फोन पर लड़की की मीठी आवाज सुन कर चौक गया और उसे लगा कि शायद आयुष किसी मिटिंग मे है तो वो मोबाईल के माइक पर हाथ रख कर शान्ति देवी को देखा जो उसे बडी उम्मीद से देख रही थी ।

3D शान्ति देवी से - अम्मा ,कोनो लड़की फोन उठाईस हय ,, कहत है कि सर बिजी हय , हमका तो लगी रहा है कि ऊ कोनो मेटिंग मे है ।

शान्ति थोडा राहत की सांस मिली और अपने आंसू पोछते हुए- अच्छा उसे पुछ बबुआ हमार कब छुट्टी पाओगो


3D वापस फोन पर - अच्छा मैडिम ,,, इ आयुष के मेटिंग कब खतम होगा

इधर पारुल 3D की बात पर थोडी हसी और बोली - अरे नही , वो अभी नहाने गये है और मै उनके कमरे में हू ,,,अभी वो बाहर आते है तो मै आपकी बात उनसे करवा देती हू ।

फिर पारुल फोन काट देती है

यहा 3D का माथा ही ठनक गया ये सोच कर कि आयूष के कमरे मे कोई लडकी बैठी है और वो उसके सामने ही नहाने बाथरूम मे गया ।
वही 3D के चेहरे की उड़ी हवाईयो से शान्ति शुक्ला परेशान हो गयी और उससे पूछती है

शान्ति - का हुआ 3D, का बोली उ फोन वाली मैडीम

3D तो जैसे शॉक मे था - अम्मा ऊ तो नहा तो रहा है बाथरूम म और ई मैडिम उका कमरा मे बैठी है और कही है कि अबे सर नहा के बाहर आयेंगे तो बात करवाएंगे ।

3D की बाते सुनते ही शुक्ला भवन मे सारे लोग अपनी अपनी कल्पना मे आयुष के फ्लैट मे चल रहे हैं सीन को एक अश्लील नजरिये से देखने लगे कि कैसे आयुष नहा कर बाथरूम से सिर्फ तौलिये मे नंगा आयेगा उस लडकी के सामने , वो लड़की कौन होगी ,,कैसी होगी ,, कही कोई चक्कर तो नही है उस लडकी से आयुष का ,,,कही वो लोग शादी से पहले वो सब तो नही ।

शान्ति जी तेज आवाज मे अपनी कल्पना मे उठे स्वालो का जवाब देते हुए बोली - नही नही हमार बबुआ ऐसा नाही है

3D जो कि खुद विश्मय स्थिति मे था वो चौक कर - का हुआ अम्मा , काहे परेशान हो

शान्ति बड़ी उखड़े मन से मुन्शी की ओर देख कर बोली - कही हम लोग गलती तो नाही न कर दिये आशिष के बाऊजी

मुन्शी जी जो खुद अपनी कल्पना मे उन्ही मिलते जुलते सवालो से घिरे थे जो शान्ति देवी के मन मे उठी थी

मनोहर - अब का बताये हम अशीष की अम्मा ,, चिंता तो हमे भी होई रही है ।

यहा थोडी देर सस्पेंस का सीन शूट हो ही रहा था कि आयुष का फोन वापस 3D को फोन करता है ।

मोबाइल रिंग बजते ही 3D हड़बड़ाकर - अम्मा अम्मा , आयुश के फोन

मनोहर - ये दुबे ,, स्पीकर पे कर तो बाबू , हा उठाओ

3D तुरंत स्पीकर पर करते हुए फोन पिक किया
आयुष - हा 3D बोल भाई ,,कैसे याद किया

3D गुस्सा कर- अबे इहा अम्मा रो रो के निरुपा रॉय हुई जा रही है औ बाऊजी मारे चिंता के आलोकनाथ हुए पड़े हैं औ तुम पुछ रहे हो कैसे याद किया ,,, औ साले वहा पहूचते ही अय्याशी शुरु कर दिये बे ,

आयुष पहले थोडा हस लेकिन अय्याशी शब्द सुनते ही भडक उठा और एक नजर पारुल को देख कर उससे थोडा दुर हो कर धीरे से बोला - अबे पगलाय गये हो का बे ,, जो अम्मा बाउजी के सामने भी बकचोदी पेल रहे हो

3D रौब जमाता हुआ - अच्छा ,, बंद कमरे मे लौंडीया रख के नहाओ तुम और बकचोदी हम करे ,,, हम नाही कुछ बोलेंगे तुम अब सीधा अम्मा को जवाब देओ

3D तुरंत फोन शान्ति शुक्ला को दे देता है
आयुष की हालत खराब
आयुष हकला कर - हा हा अम्म्ंम्ं अम्म्मा बोलो ,,, माफ करना हम यहा आकर सुचना नही दे पाये

शान्ति गुस्से मे - हा अब सुचना देवे की जरुरत भी ना है ,,,वही अपने मेहरी के साथ रहो और भूल जाओ तुम्हाओ एक बाप है , एक अम्मा है


इतना बोल कर शान्ति देवी फफक पड़ती है ।
इधर आयुष को कुछ समझ ही नही आ रहा था कि क्या बात हुआ है,,,उसे तो लग रहा था कि वो फोन करने मे ही बस लेट हुआ था ,,, मगर ये अय्याशी ,, मेहरि के साथ रहना
ये सब उसके समझ से परे था

आयुष उलझन भरे लहजे मे अपने मन चल रहे वक्तव्य को बोला - का कह रही हो अम्मा ये सब ,, कौन मेहरि ,,का अय्याशी कर दिये हम


मुन्शी जी ने बात बिगड़ते देख शान्ति देवी से फोन ले लिया और बोले - हा बाबू हम बोल रहे है

आयुष - का बात है बाऊजी ,,ये सब का बोल रही हैं अम्मा
मनोहर - बेटा तुम्हाये कमरा पे कोनो लड़की हय का
आयुष ने एक नजर पारुल को देखा जो इस समय अपने आई-पैड मे व्यस्त थी ।

आयुष - हा बाऊजी ,,वो हमारी एसिस्टेंट है,,वही हमे हमारे नये फ्लैट पर लेके आई है ,,क्यो क्या बात है

मुन्शी जी सारा माजरा समझ गये तो हस कर बोले - कुछ नही बेटा वो बस एक गलतफहमी थी ,,,और कुशल से पहुच गये ना कोनो दिक्कत ना हुई ना प्लेन मे

आयुष - हा बाऊजी ठीक है लेकिन अम्मा को क्या हुआ

मनोहर हस कर - अरे कुछ नाही बबुआ उकी तो आदत है बड़ब्ड़ की ,,अच्छा हम रखित है फोन ,, फुर्सत मिले तो फोन करना

आयूष और भी उलझन मे था मगर उधर से मुन्शी जी ने फोन काट दिया और उस्की बाते पूरी नही हुई थी अभी ,,,मगर ऐन मौके पारूल आयुष को आवाज देती है कि ऑफ़िस से फोन आया है

इधर आयुष कुछ कागजी कामो मे व्यस्त हो गया और वही शुक्ला भवन मे जब मनोहर ने सारी बाते सही सही और साफ भाषा मे शान्ति शुक्ला को समझायी तो उन्हे काफी दुख हुआ कि वो अपने बेटे पर खामखा गुस्सा की और बदले मे 3D को बिना जानकारी लिये अधुरी बात बताने के डाट भी लगाई


खैर जैसा भी था वो दिन खतम हुआ ,,,आयुष बाबू भी पारुल से थोडा जान पहचान कर , घर की लाई लिट्टी भी उससे साझा की और थोडे देर बाद वो ऑफ़िस चली गयी ।

पारुल के जाते ही आयुष बाबू बड़ी खुशी और एक नयी ऊर्जा के साथ अपने बेडरूम मे आये और स्पंजी बेड पे कूद पड़े और जेटलैग की उत्पीडन से थके हुए वैसे ही सो गये ।


दोस्ताना

इधर आयुष को सोये 3 घन्टे से ज्यादा बीत गये और वही शाम को नवाबगंज मे एक चाय के दुकान पर बैठे 3D बडी गहरी चिन्ता मे डुबा हुआ था कि आखिर वो इतनी बडी गलती कैसे कर दिया ,,,,कि अपने जिगरी दोस्त के चरित्र पर लांछन लगा दिया वो भी उसके अम्मा बाऊजी के सामने ।
बट्टे की चाय रखे रखे रबड़ी होने लगी थी और 3D बाबू अपनी पश्चात्ताप मे डुबे हुए थे और बार बार घड़ी देख कर आयुष के पास फोन करने का सोच रहे थे।
काफी समय तक मन मे कुछ सवालो के जवाब को लेके द्वंद-मल्ल-संग्राम कर लेने के बाद एक नतिजेदार उत्तर मिलने पर 3D के चेहरे पर मुस्कान आई और वो अपनी चाय का सिप लेता है तो मुह का स्वाद फीका पड़ जाता है तो

3D - ये लल्लन सुनो ,,जरा एक दुसरा चाय बनवाओ

लल्लन
समाधान पार्टी का एक कार्यकर्ता , 3D का शुभचिंतक , चमचा या मृतह्रदय वाला प्रसंसक हिन्दी मे कहे तो DIE-HEART FAN

"अगर 3D भैया कह दे तो उनके लिए शोले का रामलाल भी बन जाये "


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वापस कहानी पर
लल्लन 3D भैया की आज्ञा का पालन करते हुए वापस चाय वाली भठ्ठी पर गये ।

लल्लन एक छोटे लडके को उसके सर पर टूनका कर - ये भईया के लिए चाय भेजो बे

छोटा लड़का अपने दुकान के सेठ से - सेठ इ चौथी चाय है 3D भैया की नोट कर लेओ

लल्लन के कलेजे को तो जैसे आग लग गयी तो वो उस लडके के कान पकड के एठता हुआ बोला - भोस्डी के ज्यादा ना बोलो ,,,, तुम्हाई अम्मा को याद है ना हम कौन है

तब तक 3D जो कि ये सब देख रहा था वो बोला - साले एक नम्बर के चुतिया हो तुम
3D की तेज आवाज पर दुकान मे बैठे बाकी के लोग उसे देखने लगे की क्या बात हो गयी ।

3D की आवाज सुन कर लल्लन उस लड़के को छोड़ देता है - स स सॉरी भैया हम चाय ला रहे है

3D चाय की दुकान मे बैठे हुए लोगो मे अपना वर्चस्व जमाने के भाव से - और सुनो ,,उसकी अम्मा हमारी वोटर है तो आगे से ध्यान रखना बेटा किसी से कोई बदतमिजी नही ।

लल्ल्न डर और शर्म से - जी भैया
फिर 3D चाय पीने के बाद लल्लन को गाडी शुरु करने को बोलता है और खुद चाय का हिसाब कर निकल जाता है ।

फिर वो दो बार आयुष को फोन करता है तो वो फोन नही उठाता है और यहा 3D के मन मे एक डर बैठने लगता है कही वो उससे नाराज तो नही है । इसी डर मे थोडी देर बाद वो फिर से ट्राई करता है लेकिन कोई रेपोंस नही मिलता है ।

इधर आयुष बाबू 8 बजे तक मस्त एक जोर की नीद लेने के बाद उठते है और फ्रेश होकर अपना मोबाईल चेक करते है तो 3D मे 4 मिस्काल पड़े हुए थे तो आयुष को चिन्ता होने लगती है कि कोई दिक्कत तो नही है नवाबगंज मे ।

आयुष जल्दी से फोन लगाता है और फोन उठते ही दोनो एक साथ ही एक-दूसरे को सॉरी बोलते है ।
दोनो एक साथ ही चौक जाते है कि सामने वाले क्यू सॉरी बोला और फिर हसने लग जाते है ।

आयुष - सॉरी 3D , वो हम सो गये थे,,,कोनो दिक्कत तो नही है ना उहा फोन कर रहे थे तुम

3D- न न नही भाई क्या दिक्कत होगी इहा , सब चौक्स है इहा ,,तुम बताओ वहा सब कैसा है

आयुष इस वक़्त बाल्किनी मे खड़ा होकर बाते कर रहा था - यहा भी सब चौकस है बे ,,
3D बस हम्म्म्म बोला और चुप रहा
आयुष को 3D की चुप्पी जमी नही
आयुष - का हुआ बे काहे इतना चुप हो ,
3D गिरे हुए मन से - यार गुरू हमको माफ कर दो बे
आयुष हस कर - काहे बे औ किस लिये
3D - उ दुपहर मे अम्मा बाऊजी के सामने तुमाये चरित्र पर ऊँगली उठा दिये हम ,,,हमसे बड़ी गलती हुई माफ कर दो ना बे

आयुष हस कर - अबे वही तो समझ ही नही आया कि कौन सी अय्याशी की बात कर रहे थे तुम ,,,अब बताओगे

फिर 3D आयुष को शुरु से सब बताता है और कैसे कन्फुज बस ये सब हुआ

आयुष हस कर - अबे वो हमायी अस्सीस्तेंट थी पारुल जी ,,,, काहे सीता को शूर्पनखा बना रहे हो बे हाहाहाह

3D जिज्ञासा से - वैसे दीखने मे कैसी है पारुल मैडम
आयुष - अबे आना कभी मिला देंगे ,,, एकदम नोरा फतेही दिखती है
3D खुश होकर - सही है गुरू ,,,तुम्हायी ही जिन्दगी मजेदार है बे
आयुष हस कर - और घर पर सब ठीक है ना ,,,थोड़ा समय निकाल कर देख लिया करना बे हमारे घर का भी

3D भी उसको आश्वासन देता है और फिर थोडी मस्ती मजाक भरी बाते चलती ,, आयुष 3D को आज के अनुभव के बारे मे बताता है ।


पोस्ट क्रेडिट सीन

शुक्ला भवन मे खाना खजाना की संजीव कपूर यानी हमारी मीरा शुक्ला जी काफी दुखी मन से खाना बना रही थी और कान मे ईयरफोन डाले यूट्यूब से पति को मनाने के नुश्खे का लाइव टुटोरियल देख रही है।



जारी रहेगी
Mast fadu update tha bhai.
ahhh parul mehta :jerker: ek jaao ek bar karu teri thukai bar bar. :sex:
sala ayush ko ghar , noida har jagah ek se ek item mil rahi hai. aur apun try kare to admin ki dhamki milti he :cry2:
waqt par ayush ne sari bate apne bap ko nhi batata to aj uski thukai paki thi :lol:
 
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याचना एवं निवेदन
एक कहानी के कई हिस्से होते है और उन हिस्सो की भी अपनी अपनी कहानी होती है । ये कहानी भी एक ऐसे ही ढेर सारे मजेदार गुदगुदीदार कहानियो का संगम है और हर कहानी अपने अपने किरदारो के व्यकितगत जीवन शैली से जुडी है । जिन्हे मैने एक संयोग का रूप देते हुए एक दुसरे से जोड कर एक सामाजिक छवि देने की कोशिस की है ।
उम्मीद है आपको मेरी ये कृति निराश नही करेगी।
आप लोग भी इस कहानी को अपना प्यार जरुर देंगे
🙏


Congratulations:encore:ek aur nahi kahani ke liye.
 
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इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
पर लेखक महोदय आप ये न भूले की रीडर भी काम न हैं। बिना आपकी खोले आपकी फाड़ सकता है।:yahoo:
 
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UPDATE 001
:welcometrain:
तो भैया बिगुल बज चूका है कहानी का भी और कानपुर मे अटलघाट के हाईवे साइड पर सुबह 10 बजे के करीब गुल्लु चाय मठरी वाले के ठेले पर टाँगे रेडिओ का भी ,,,, हेमंत कुमार का सुपरहिट गाना -

है अपना दिल तो आवारा
ना जाने किस पे आयेगा !!!


ठेले के जस्ट सामने मार्च महीने की शुरुवाती दिनो की सुनहरी सुबह की हल्की तीखी धूप मे एक हैंडसम सा 5 फुट 10 इन्च की लम्बाई लिये , हीरो मैटेरियल टाइप का लड़का अपनी एक्टिवा पर पिछवाड़े की टीकाए , कुल्हड़ वाली चाय की सिप लेते हुए एक तरफ बार बार भरी भीड़ मे गरदन उठा कर किसी की राह देख रहा है ।

हल्की हवा मे हिलते उसके स्पा हुए बाल उसके आंखे ढक देती है जिसे वो स्टाइल मे हाथ से फेर देता है ।
उपर और सामने से चमकती भीनी भीनी सी धूप मे उसके चेहरे पर एक मुस्कान सी आजाती है

क्योकि सामने उसे कोई दिख जाता है जिसका उसे इन्तजार था वहा
तभी सामने एक चमचमाती रॉयल इंफील्ड क्लासिक 350 अपनी धुन बजाते हुए रुकती है पावरब्रेक के साथ ।


लड़का - अबे यार 3D , कबसे इहा खडे तुम्हरा भेट कर रहे है और तुम साले फटफटी लेने चले गये ,,,तुम्हाये चक्कर मे तीन कुल्हड़ चाय गटक गये आधे घंटे मे

सामने जो लड़का रॉयल इंफील्ड क्लासिक 350 लेके आया वो कोई और नही उसी का दोस्त है , चड्डी बड्डी यार - 3D , पुरा नाम - दीन दयाल दुबे

3D बाबू थोड़ा सा अपना दोस्ती का रोब और अपनी झेलि हुई समस्या का जोड़ तोड़ बना कर झल्लाकर बोलते है - अबे यार आयुष तूम कैसे प्राणी हो बे ,, कानपुर के गंगा भैया के घाट पर आये हो और रोड साइड टपरी पर कुल्हड़ की चाय पी रहे हो , शांत होने के बजाय भडक रहे हो ,,,,अरे हमसे पुछो कानपुर की सवेरे की गंगा घाट की भीड़ और उपर से आज दिन कौन सा है , बताओ बताओ , बोलो बोलो

आयुष थोड़ा हड़बड़ा कर - आ आ आज ज्ज्ज्ज सोमवार है

3D बाबू को मानो आयुष को चित्त करने का मौका मिल गया हो - हाआआ , सोमवारररर ,, बाबू जानते हो कानपुर में सोमवार को गंगा घाट पर कितनी भीड़ लगती है ,,, ये देख रहे हो कहने को बुलेट है लेकिन पिछले 3km मे 10 के मायलेज मे चला कर लाये है इसको


आयुष उसकी बात सुन कर हसने लगता है ।
3D भडक जाता है और फिर कुछ सोच कर उसकी नजर आयुष के एक्टिवा पर जाती है जो उसके पिता जी की थी


3D एक बार पूरी स्कूटी की जांच कर सामने की नम्बर प्लेट देख कर सर पकड कर बैठ जाता है - अबे गंगा मईया की कसम ,कर दिया सत्यानाश ,,, तूम कतई कानपुर का नाम डुबो दोगे दिल्ली मे


आयुष हसते हुए - क्यू
3D - अबे तुमको हो क्या गया है , बाबू तुम आईआईटीयन हो , ये सब क्या

3D - अरे तुम दीन दयाल दुबे यानी 3D बाबू यानी हम ,,,तुम हमाये दोस्त होकर हमाया ही नाम डुबो दोगे बे

आयुष हस कर - अरे वो गाड़ी बाऊजी लेके गये है मामा के यहा तो हम यही लेके आये

3D - ठीक है बेटा इससे को काम चला लेंगे , लेकिन आज रात मे कौनौ बकचोदी ना पेल देना तुम अपनी शराफती का

आयुष थोड़ा परेशान होकर - यार 3D , इ करना जरुरी है ,,बाऊ जी को पता चला तो भले हमको सालाना पैकेज डेढ़ करोड़ का मिला है ,, लेकिन पूरे नवाबगंज मे 150 वाले जुते से पेलन्गे हमको

आयुष - और बात फैल गयी तो कौनौ लडकी भाव भी नही देगी


3D - अबे तुम सोचते ज्यादा हो, आओ बैठो ,,,,हो इन्जीनियर और बुद्धि तुम्हारा मिस्त्रीयो वाला है ।

3D - आओ बैठो , चलो

आयुष बुलेट पर बैठते हुए - और हमायी स्कूटी

3D सामने चाय की दुकान वाले से - अरे सुनो गुल्लू , जरा आईआईटियन बाबू के बाप की दहेज वाली सवारी देखना , हम अब ही आते है

गुल्लू - जी भैया

फिर वो दोनो निकल जाते है नवाबगंज बाजार की ओर
3D गाड़ी चलाते हुए - अबे तुमको कानपुर छोड़ना ही नही चाहिये था

आयुष 3D के कान के बगल मे मुह लगा कर बोला - काहे बे
3D - अबे लूल्ल हो गये यहा से जा कर ,, इतनी भी सम्वेदनशीलता अच्छी नही है

आयुष सफाई देते हुए - अबे नही ऐसा कुछ नहीं
3D झल्लाकर - अबे छोडो तुम


दो भैया ये है दो जिगरी मित्र
आयुष और 3D
अब कहानी शुरु हो ही गयी है तो इनका राशन कार्ड भी पढ़ लेते है

1. दीन दयाल दुबे उर्फ 3D बाबू

20211109-020024

एक समय था जब इनके पिता हरिशंकर दुबे नवाबगंज के चेयरमैन थे ।
लेकिन पिछ्ली बार हार का मुह देखे तबसे राजनीति से थोडा किनारा कर लिया । लेकिन दौलत की कमी नही है इनको इसिलिए 3D बाबू खुद थोडा बहुत राजनीती मे सक्रिय है और अलबेला ड्रामा कम्पनी के प्रोडुसर है ।
कहानी मे 3D बाबू का किरदार जबरजस्त है लेकिन इनकी फैमली का अगले कुछ अपडेट तक नही है ।


तो खोलते है राशन कार्ड नं 02

2. आयुष शुक्ला

20211109-142217

अच्छी खासी स्टाइलिश लाइफ है इनकी और स्मार्ट वाला लूक भी है । मासूम सा चेहरा और लहल्हाते बाल
ये है महानुभाव आयुष शुक्ला जी और हमारी कहानी के नायक
उम्र 24 साल , लेकिन अभी तक स्टील वरजिन , कुवारे , मतलब लडकी के नाम पर किसी ने सुँघा तक नही है इनको

इसका एक कारण है कि महाशय है नवाबगंज मे सुपर स्मार्ट , पढाई मे अव्वल और तो और आईआईटीएन
अब जो कोई लड़की इन्हे देखती है उसे यही लगता है कि ये सिंगल हो तो हो कैसे ।

ऐसा नही है कि महानुभाव से कभी किसी कन्या से अपना संपर्क साधने की चेस्टा नही की ,, की है बहुतो ने की है
लेकिन ये मासूम दिल वाले आयुष बाबू को मुहल्ले की लड़कियो मे तनिक भी रुचि नही है ।

वो फिल्म आई थी ना गरम मसाला
उसमे अक्षय जी का संवाद है - जो लड़की हमे चाहिये, उसे हम नही चाहिये और जिसे हम चाहिये वो किसको चाहिये :D

खैर कहानी पर वापस आते हैं
करियर के बारे मे तो अन्दाजा लग ही गया होगा आपको
चलिये थोडा विस्तार मे बता देते है
हमारे नायक साहब है दिल्ली से आईआईटीयन और हालही मे दिल्ली के एक ब्ड़ी मल्टीनेशनल कंपनी मे जॉब मिली है और सालाना पैकेज जानते ही है आप

हा जोइनींग से पहले कुछ फुरसत भरे पल बिताने अपने घर नवाबगंज , कानपुर आये हुए है ।


पिता - मनोहर शुक्ला

20211113-201958

पेशे से मुन्शी रह चुके है । अभी दो बेटो के बाप है
बहुत ही खुले विचारों वाले इन्सान हैं , फिलहाल घर रहते है ।


माता - शान्ति शुक्ला

20211113-202006
कहने को तो मकान माल्किन है लेकिन चाबियो का गुच्छा बडकी पतोह के कमर मे दिखेगा । बढती उम्र के साथ बीपी भी बढ़ गया है । लेकिन मजाल है अन्ग्रेजी दवा करवा ले । मायके का कोई चुरण की गोली है जो पास रखे होती है और थोडी भागा दौडी पर टपप से गटक लेती है ।
काफी धार्मिक है और बड़ी बहू के आने के बाद बचे समय को भी सत्संग मे आने जाने लगा दिया ।


अशीष शुक्ला

20211113-203407
आयुष शुकला के बडे भाई , दोस्त यार जिगरी सब , नवाबगंज मे मिठाई की दुकान चलाते है , काफी चर्चित भी है ।

मीरा शुक्ला

20211113-201949

भाभी जी , खुशमिजाज , संस्कारी और कहने को तो साफदिल वाली भी है । हा कभी कभी तुनक जरुर जाती है । बाकी कहानी मे अहम रोल है इनका


खैर तो ये हुआ पारिवारिक पृष्ठभूमि
अब देखते है हमारे आयुष शुक्ला और 3D बाबू जा कहा रहे है ।
गाड़ी रुकती है नवाबगंज के एक कालेज के बाहर पार्किग एरिया मे और दोनो उतर कर सामने मेन गेट के बोर्ड पर कालेज का नाम पढते है

आयुष अपनी भौहे चढा कर सर पर चढ़ती धूप में आंखो का फोकस बढ़ाते हुए कालेज का नाम बड़बडाटा है - मिस मनोरमा इंटरमिडिएट कालेज , नवाबगंज, कानपुर , उत्तर प्रदेश

आयुष थोड़ा उलझन भरे भाव मे - अबे इ मिस मनोरमा कैसे ,,हम जब इमे पढ रहे थे तो श्रीमती मनोरमा देवी इंटरमिडिएट था और अब

3D हस कर आयुष के कन्धे पर हाथ रखकर बोर्ड की ओर देखतें हुए बोला - अरे मनोरमा मैडिम का उन्के पति से डाईवारस हो गया ना तो आजकल सिंगल है तो श्रीमती से मिस कर दिया हाह्हहह

आयुष अचरज भरे भाव से हसता हुआ 3D के साथ कालेज मे घुसा - हिहिही अजीब है बे सब

फिर वो दोनो सेमिनार हाल मे गये जहा एक ड्रामा टीम उनका इन्तजार कर रही थी ।

आयुष थोड़ा झिझक कर - यार 3D हमसे ना हो पायेगा ,,,कही बाऊ जी जान गये तो ,,,रहने दो यार चलते है

3D - अबे यार अब तुम फिर से लुल्ल हो रहे हो ,, समझो यार अपने कालेज की इज्जत का सवाल है और मेकअप कर लोगे तो कोई जान ही नही पायेगा तो मुन्शी जी का बेटा खड़ा है स्टेज पर

आयुष - साले मार लो हमायी मौका मिला है

3D हस्कर आयुष को ड्रामा टीम की ओर भेजता है और बोल्ता है - अरे बब्बन सुनो ,,, हा तुमको ही बोल रहे है बे ,,,ये भैया को लिवा जाऊ और थोड़ा ड्रेस व्रेस ट्राई करवा लेयो

बगल से सलमान जो कि एक नाटककार था - 3D भैया माल तो जोरदार है , डायलाग याद कर लेगा ना

3D सलमान की चुटिया पकड कर रवा कर उसके हाथ से पान का बीडा लेके मुह मे भर लेता है - साले जितना पैसा पाये हो उन्ने ही बोलो ,,

पान चबाते हुए 3D ने सलमान की कालर पकड कर - खबरदार जो रात मे स्टेज पर कौनौ भड्वागिरी की तो ,,, दोस्त है हमारा इज्जत से पेश आना ,, नही तो यही सूता के पेल देंगे भोस्डीके
3D सलमान पर मुक्का तानते हुए बोला

थोडी देर बाद आयुष बाहर आया
3D पान की पीच पास पडे डस्टबिन मे मारते हुए अपनी सफेद शर्त के बाजू से मुह पोछते हुए - हो गया बाबू , ड्रेस तो ठीक है ना

आयुष थोडा उलझन मे था फिर भडक कर - हा वो सब ठीक है लेकिन साले तुम क्या गुह भर लेते हो मुह मे
चलो बाऊजी का फोन आया है घर बुला रहे है ।
फिर वो दोनो कालेज से घर की ओर निकल जाते है ।


देखते है आगे क्या होने वाला है , आज की रात क्या खास है जिसके लिए आयुष परेशान है ।


जारी रहेगी
आप सभी से अनुरोध है की पढने के बाद
आज के अपडेट का मूल्यांकन जरुर करे
कोई कमी , त्रुटी या समसया नजर आये तो जरुर बताये ।

आपकी प्रतिक्रिया के इन्तजार मे

कहानी की शुरुवात ही चाय की टापरी से हुआ। हीरो आयुष बाबू बाहुजी की दहेजिया पर कुल्ला टिकाए चाय पे चाय पीए जा रहे हैं। और ये 3d न जाने कौन गली में कौन चमिया के साथ नैन मटका करने में अटके थे। देर से आया सच बताने के जगह पट्टी पड़ने लग गया।

परिवारिक राशन कार्ड बहुत बड़ा है लगे है। पर जैसा है ठीक ठाक रहा वैसा ये मीरा भाभी को देख हमक भाई जी घर पर हो याद आ गया।

अदभुत अतुलनीय लेखन कौशल :clapclap::clapclap::clapclap:
 
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Ishani

UPDATE 008

अब तक आपने पढा कि कैसे शुक्ला भवन की को-डिरेक्टर मीरा शुक्ला के नेपोटीजम का खुलासा उसी के शूटिंग टिम मेम्बर ने कर दी और रही सही कसर फिल्म के हीरो आयुष शुक्ला ने पूरी करते हुए पूरी मूवी का ही पैकअप करवा दिया ।
फिलहाल हीरो आयुष शुक्ला अपनी नयी फिल्म के लिए प्लेन से दिल्ली के लिए निकल गये है । उड़ान के दौरान ही उन्होने अपने आने की खबर किसी खास को और इस कहानी ने नये किरदार को देदी है ।
देखते है आज की इस एपिसोड मे क्या क्या देखने को मिलेगा ,,,,
और एक जरुरी बात INTRO कोई भी स्किप नही करेगा



INTRO

अपने मन मे डोली अरमानो की सजाये आयुष बाबू की उड़ान अपने तय समय पर इन्दिरा गांधी इंटरनेशनल हवाईअड्डे पर लैंड करती है ।

थोडे औपचारिक एयरपोर्टी रीत रिवाजो का अनुशरन करने के पश्चात आयुष बाबू बाहर पार्किंग एरिया की ओर बढ़ते है जहा एक खुबसूरत सी हुस्नपरि , वो जान-ए-जहां , वो सबसे हसिन , वो सबसे जवाँ कन्या आयुष शुकला के नाम की दफती पकडे खड़ी थी ।

आयुष बाबू की नजर पडते हुए वो उस मोहतरमा को हाथ दिखा कर हाय करते है तो बदले मे वो भी उसे मुस्कुरा कर हाय बोलती है ।
आयुष बाबू आगे बढ कर बडी ही नैतिकता और सम्मान भाव से बिना उस कन्या के युवा हुई दोनो बालिका वधु को निहारे सीधा उसकी आंखो मे देखते हुए हाथ आगे बढ़ाया ।

आयूष - हेलो एम आयुष शुक्ला
वो चंचल हसिना लिये मदमस्त नगीना भी मुस्कुरा कर आयुष से हाथ मिलाते हुए - हाय सर , एम पारुल मेहता , योर ऑफ़िस एसिस्टेंट

आयुष एक नजर उस खुबसुरत प्रोफ्रेसनल और पाश्च सभ्यता की वेशभुषा धारी देवी को उसकी पहाड़ीवाली चरण-पादुका " हिन्दी मे कहे तो हिल वाली सैंडल " से लेके उपर के शिखरो का अवलोकन करने के बाद मुस्कुराये ।
तभी पारुल आयुष का ट्रैवल बैग हाथ मे लेके पलटी और बोली - आईये सर
आयुष भी अपना पिठ्ठु बैग लिये मुस्कुरा कर उस देवसुन्दरी का अनुशरण करते हुए चलते है
फ़िलहाल कहानी मे एक नये पात्र की एन्ट्री हो चुकी है और जब तक आयुष बाबू कम्पनी द्वारा भेजी गयी गाडी के माध्यम से अपने गनतव्य तक पहुचते है तब तक एक छोटा सा इंट्रो शॉट शूट कर लेते है ।

नाम - पारुल मेहता

20211212-193655
पेशे और हुस्न से आप सभी मुखातिब हो ही चुके है ,,, उम्र भी तकरीबन आयुष के जितनी है लेकिन सिर्फ बी-टेक की डिग्री के बदौलत इतनी बडी कम्पनी मे इतना अच्छा पोस्ट कुछ जमा नही ।


वापस कहानी पर
आयुष बाबू कार की पिछ्ली सीट पर पारुल के साथ बैठे उसके आई-पैड पर कम्पनी के बारे मे कुछ जानकरिया ले रहे थे ।
करीब 45 मिंट के पिं पों और जड़तव के नियमो का भरी ट्रैफिक मे पालन करते हुए आयुश बाबू ग्रीन पार्क के ब्लाक - वी मे पहुचे ।

जहा कम्पनी के नाम से बनी एक 15 मंजिला हाऊसिंग सोसाइटी मे आयुष के नाम से वन बीएचके फ्लैट विथ बाल्किनी बुक था
गाडी पार्किंग लान मे लगा कर पारुल आयुश को लेके लिफ्ट की मदद से 7वी मंजिल पर रूम नम्बर 083 का कार्ड सवाईप कर वो कमरे मे प्रवेश करती है ।
आयुष ताज्जुब भरे नजरो से अपना नया फ्लैट देख रहा है था ।
वेल फर्नीश ए-वन किचन , खुबसूरत हाल,, मुलायम सोफे और बढिया बेडरूम वो भी बाथरूम से लगा हुआ ।
फिर हाल के बगल से ही एक बडा गेट था बल्किनी मे जाने के लिए,,,,जहा से आयुष पूरी कॉलोनी का जायजा लेता है ।

आयुष को ऑफ़िस सोमवार से जाना था तो पारुल उसे फ्रेश होने के लिए कहती है और फिर फोन पर कुछ खाने के लिए ओर्डेर दे देती है ।


द शुक्ला भवन शो

अब थोडा शुक्ला भवन मे चल रहे कुछ सीन की महत्वपूर्ण रिकॉर्डिंग कर लेते है , आखिर भाई दर्शकों को मजा पुरा चाहिए ना ।
इधर शुक्ला भवन की अदाकरा शान्ति देवी बडी ही अशांत मन से बेटे के परदेश जाने से बडी दुखी थी और हाल मे बैठा 3D उन्हे बार बार समझा रहा है कि कोई दिक्कत नही होगी ,,सब कुछ सामान्य ही रहने वाला है और आयुष उतरते ही फोन करेगा ,,, लेकिन ममता की मूरत शान्ति जी क्लेजे को ठन्डक कहा थी वो तो करन अर्जुन की राखी गुल्जार बनी हुई अपने बेटे की एक अवाज को तरस रही थी ।
हाल मे शुक्ला भवन के प्रोडुसर मुन्शी जी और मीरा शुक्ला ने भी उन्हे सम्झाना चाहा, मगर सुरज बर्जातिया के फिल्मो की तरह शुक्ला भवन मे भी ये रोने का सीन लम्बा ही खीचा जा रहा था ।
आखिर कार इमोसनल ड्रामो से तंग आकार मुन्शी जी ने 3D को आयुष के पास फोन लगाने को कहा और वो फोन डायल कर देता है ।

इधर आयुष बाथरूम मे होता है कि बेडरूम मे कपड़ो के साथ रखा उसका फोन रिंग कर रहा होता है ।

पारुल की नजर पड़ते ही वो एज ए एस्सीस्तेंट अपनी ड्यूटी समझ कर आयुष का फोन उठाती है और फोन 3D का होता है ।

फोन उठाते ही 3D भडकते हुए - अबे कहा हो बे,, प्लेन से उतर गये तो फोन नही करना चाहिये

पारुल पहले चौकी और फिर स्क्रीन पर नाम पढा 3D ,,,फिर वो थोडा उलझन से बोली - माफ करिये , सर अभी बिज़ी है आप थोडी देर बाद फोन करियेगा ।

यहा 3D फोन पर लड़की की मीठी आवाज सुन कर चौक गया और उसे लगा कि शायद आयुष किसी मिटिंग मे है तो वो मोबाईल के माइक पर हाथ रख कर शान्ति देवी को देखा जो उसे बडी उम्मीद से देख रही थी ।

3D शान्ति देवी से - अम्मा ,कोनो लड़की फोन उठाईस हय ,, कहत है कि सर बिजी हय , हमका तो लगी रहा है कि ऊ कोनो मेटिंग मे है ।

शान्ति थोडा राहत की सांस मिली और अपने आंसू पोछते हुए- अच्छा उसे पुछ बबुआ हमार कब छुट्टी पाओगो


3D वापस फोन पर - अच्छा मैडिम ,,, इ आयुष के मेटिंग कब खतम होगा

इधर पारुल 3D की बात पर थोडी हसी और बोली - अरे नही , वो अभी नहाने गये है और मै उनके कमरे में हू ,,,अभी वो बाहर आते है तो मै आपकी बात उनसे करवा देती हू ।

फिर पारुल फोन काट देती है

यहा 3D का माथा ही ठनक गया ये सोच कर कि आयूष के कमरे मे कोई लडकी बैठी है और वो उसके सामने ही नहाने बाथरूम मे गया ।
वही 3D के चेहरे की उड़ी हवाईयो से शान्ति शुक्ला परेशान हो गयी और उससे पूछती है

शान्ति - का हुआ 3D, का बोली उ फोन वाली मैडीम

3D तो जैसे शॉक मे था - अम्मा ऊ तो नहा तो रहा है बाथरूम म और ई मैडिम उका कमरा मे बैठी है और कही है कि अबे सर नहा के बाहर आयेंगे तो बात करवाएंगे ।

3D की बाते सुनते ही शुक्ला भवन मे सारे लोग अपनी अपनी कल्पना मे आयुष के फ्लैट मे चल रहे हैं सीन को एक अश्लील नजरिये से देखने लगे कि कैसे आयुष नहा कर बाथरूम से सिर्फ तौलिये मे नंगा आयेगा उस लडकी के सामने , वो लड़की कौन होगी ,,कैसी होगी ,, कही कोई चक्कर तो नही है उस लडकी से आयुष का ,,,कही वो लोग शादी से पहले वो सब तो नही ।

शान्ति जी तेज आवाज मे अपनी कल्पना मे उठे स्वालो का जवाब देते हुए बोली - नही नही हमार बबुआ ऐसा नाही है

3D जो कि खुद विश्मय स्थिति मे था वो चौक कर - का हुआ अम्मा , काहे परेशान हो

शान्ति बड़ी उखड़े मन से मुन्शी की ओर देख कर बोली - कही हम लोग गलती तो नाही न कर दिये आशिष के बाऊजी

मुन्शी जी जो खुद अपनी कल्पना मे उन्ही मिलते जुलते सवालो से घिरे थे जो शान्ति देवी के मन मे उठी थी

मनोहर - अब का बताये हम अशीष की अम्मा ,, चिंता तो हमे भी होई रही है ।

यहा थोडी देर सस्पेंस का सीन शूट हो ही रहा था कि आयुष का फोन वापस 3D को फोन करता है ।

मोबाइल रिंग बजते ही 3D हड़बड़ाकर - अम्मा अम्मा , आयुश के फोन

मनोहर - ये दुबे ,, स्पीकर पे कर तो बाबू , हा उठाओ

3D तुरंत स्पीकर पर करते हुए फोन पिक किया
आयुष - हा 3D बोल भाई ,,कैसे याद किया

3D गुस्सा कर- अबे इहा अम्मा रो रो के निरुपा रॉय हुई जा रही है औ बाऊजी मारे चिंता के आलोकनाथ हुए पड़े हैं औ तुम पुछ रहे हो कैसे याद किया ,,, औ साले वहा पहूचते ही अय्याशी शुरु कर दिये बे ,

आयुष पहले थोडा हस लेकिन अय्याशी शब्द सुनते ही भडक उठा और एक नजर पारुल को देख कर उससे थोडा दुर हो कर धीरे से बोला - अबे पगलाय गये हो का बे ,, जो अम्मा बाउजी के सामने भी बकचोदी पेल रहे हो

3D रौब जमाता हुआ - अच्छा ,, बंद कमरे मे लौंडीया रख के नहाओ तुम और बकचोदी हम करे ,,, हम नाही कुछ बोलेंगे तुम अब सीधा अम्मा को जवाब देओ

3D तुरंत फोन शान्ति शुक्ला को दे देता है
आयुष की हालत खराब
आयुष हकला कर - हा हा अम्म्ंम्ं अम्म्मा बोलो ,,, माफ करना हम यहा आकर सुचना नही दे पाये

शान्ति गुस्से मे - हा अब सुचना देवे की जरुरत भी ना है ,,,वही अपने मेहरी के साथ रहो और भूल जाओ तुम्हाओ एक बाप है , एक अम्मा है


इतना बोल कर शान्ति देवी फफक पड़ती है ।
इधर आयुष को कुछ समझ ही नही आ रहा था कि क्या बात हुआ है,,,उसे तो लग रहा था कि वो फोन करने मे ही बस लेट हुआ था ,,, मगर ये अय्याशी ,, मेहरि के साथ रहना
ये सब उसके समझ से परे था

आयुष उलझन भरे लहजे मे अपने मन चल रहे वक्तव्य को बोला - का कह रही हो अम्मा ये सब ,, कौन मेहरि ,,का अय्याशी कर दिये हम


मुन्शी जी ने बात बिगड़ते देख शान्ति देवी से फोन ले लिया और बोले - हा बाबू हम बोल रहे है

आयुष - का बात है बाऊजी ,,ये सब का बोल रही हैं अम्मा
मनोहर - बेटा तुम्हाये कमरा पे कोनो लड़की हय का
आयुष ने एक नजर पारुल को देखा जो इस समय अपने आई-पैड मे व्यस्त थी ।

आयुष - हा बाऊजी ,,वो हमारी एसिस्टेंट है,,वही हमे हमारे नये फ्लैट पर लेके आई है ,,क्यो क्या बात है

मुन्शी जी सारा माजरा समझ गये तो हस कर बोले - कुछ नही बेटा वो बस एक गलतफहमी थी ,,,और कुशल से पहुच गये ना कोनो दिक्कत ना हुई ना प्लेन मे

आयुष - हा बाऊजी ठीक है लेकिन अम्मा को क्या हुआ

मनोहर हस कर - अरे कुछ नाही बबुआ उकी तो आदत है बड़ब्ड़ की ,,अच्छा हम रखित है फोन ,, फुर्सत मिले तो फोन करना

आयूष और भी उलझन मे था मगर उधर से मुन्शी जी ने फोन काट दिया और उस्की बाते पूरी नही हुई थी अभी ,,,मगर ऐन मौके पारूल आयुष को आवाज देती है कि ऑफ़िस से फोन आया है

इधर आयुष कुछ कागजी कामो मे व्यस्त हो गया और वही शुक्ला भवन मे जब मनोहर ने सारी बाते सही सही और साफ भाषा मे शान्ति शुक्ला को समझायी तो उन्हे काफी दुख हुआ कि वो अपने बेटे पर खामखा गुस्सा की और बदले मे 3D को बिना जानकारी लिये अधुरी बात बताने के डाट भी लगाई


खैर जैसा भी था वो दिन खतम हुआ ,,,आयुष बाबू भी पारुल से थोडा जान पहचान कर , घर की लाई लिट्टी भी उससे साझा की और थोडे देर बाद वो ऑफ़िस चली गयी ।

पारुल के जाते ही आयुष बाबू बड़ी खुशी और एक नयी ऊर्जा के साथ अपने बेडरूम मे आये और स्पंजी बेड पे कूद पड़े और जेटलैग की उत्पीडन से थके हुए वैसे ही सो गये ।


दोस्ताना

इधर आयुष को सोये 3 घन्टे से ज्यादा बीत गये और वही शाम को नवाबगंज मे एक चाय के दुकान पर बैठे 3D बडी गहरी चिन्ता मे डुबा हुआ था कि आखिर वो इतनी बडी गलती कैसे कर दिया ,,,,कि अपने जिगरी दोस्त के चरित्र पर लांछन लगा दिया वो भी उसके अम्मा बाऊजी के सामने ।
बट्टे की चाय रखे रखे रबड़ी होने लगी थी और 3D बाबू अपनी पश्चात्ताप मे डुबे हुए थे और बार बार घड़ी देख कर आयुष के पास फोन करने का सोच रहे थे।
काफी समय तक मन मे कुछ सवालो के जवाब को लेके द्वंद-मल्ल-संग्राम कर लेने के बाद एक नतिजेदार उत्तर मिलने पर 3D के चेहरे पर मुस्कान आई और वो अपनी चाय का सिप लेता है तो मुह का स्वाद फीका पड़ जाता है तो

3D - ये लल्लन सुनो ,,जरा एक दुसरा चाय बनवाओ

लल्लन
समाधान पार्टी का एक कार्यकर्ता , 3D का शुभचिंतक , चमचा या मृतह्रदय वाला प्रसंसक हिन्दी मे कहे तो DIE-HEART FAN

"अगर 3D भैया कह दे तो उनके लिए शोले का रामलाल भी बन जाये "


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वापस कहानी पर
लल्लन 3D भैया की आज्ञा का पालन करते हुए वापस चाय वाली भठ्ठी पर गये ।

लल्लन एक छोटे लडके को उसके सर पर टूनका कर - ये भईया के लिए चाय भेजो बे

छोटा लड़का अपने दुकान के सेठ से - सेठ इ चौथी चाय है 3D भैया की नोट कर लेओ

लल्लन के कलेजे को तो जैसे आग लग गयी तो वो उस लडके के कान पकड के एठता हुआ बोला - भोस्डी के ज्यादा ना बोलो ,,,, तुम्हाई अम्मा को याद है ना हम कौन है

तब तक 3D जो कि ये सब देख रहा था वो बोला - साले एक नम्बर के चुतिया हो तुम
3D की तेज आवाज पर दुकान मे बैठे बाकी के लोग उसे देखने लगे की क्या बात हो गयी ।

3D की आवाज सुन कर लल्लन उस लड़के को छोड़ देता है - स स सॉरी भैया हम चाय ला रहे है

3D चाय की दुकान मे बैठे हुए लोगो मे अपना वर्चस्व जमाने के भाव से - और सुनो ,,उसकी अम्मा हमारी वोटर है तो आगे से ध्यान रखना बेटा किसी से कोई बदतमिजी नही ।

लल्ल्न डर और शर्म से - जी भैया
फिर 3D चाय पीने के बाद लल्लन को गाडी शुरु करने को बोलता है और खुद चाय का हिसाब कर निकल जाता है ।

फिर वो दो बार आयुष को फोन करता है तो वो फोन नही उठाता है और यहा 3D के मन मे एक डर बैठने लगता है कही वो उससे नाराज तो नही है । इसी डर मे थोडी देर बाद वो फिर से ट्राई करता है लेकिन कोई रेपोंस नही मिलता है ।

इधर आयुष बाबू 8 बजे तक मस्त एक जोर की नीद लेने के बाद उठते है और फ्रेश होकर अपना मोबाईल चेक करते है तो 3D मे 4 मिस्काल पड़े हुए थे तो आयुष को चिन्ता होने लगती है कि कोई दिक्कत तो नही है नवाबगंज मे ।

आयुष जल्दी से फोन लगाता है और फोन उठते ही दोनो एक साथ ही एक-दूसरे को सॉरी बोलते है ।
दोनो एक साथ ही चौक जाते है कि सामने वाले क्यू सॉरी बोला और फिर हसने लग जाते है ।

आयुष - सॉरी 3D , वो हम सो गये थे,,,कोनो दिक्कत तो नही है ना उहा फोन कर रहे थे तुम

3D- न न नही भाई क्या दिक्कत होगी इहा , सब चौक्स है इहा ,,तुम बताओ वहा सब कैसा है

आयुष इस वक़्त बाल्किनी मे खड़ा होकर बाते कर रहा था - यहा भी सब चौकस है बे ,,
3D बस हम्म्म्म बोला और चुप रहा
आयुष को 3D की चुप्पी जमी नही
आयुष - का हुआ बे काहे इतना चुप हो ,
3D गिरे हुए मन से - यार गुरू हमको माफ कर दो बे
आयुष हस कर - काहे बे औ किस लिये
3D - उ दुपहर मे अम्मा बाऊजी के सामने तुमाये चरित्र पर ऊँगली उठा दिये हम ,,,हमसे बड़ी गलती हुई माफ कर दो ना बे

आयुष हस कर - अबे वही तो समझ ही नही आया कि कौन सी अय्याशी की बात कर रहे थे तुम ,,,अब बताओगे

फिर 3D आयुष को शुरु से सब बताता है और कैसे कन्फुज बस ये सब हुआ

आयुष हस कर - अबे वो हमायी अस्सीस्तेंट थी पारुल जी ,,,, काहे सीता को शूर्पनखा बना रहे हो बे हाहाहाह

3D जिज्ञासा से - वैसे दीखने मे कैसी है पारुल मैडम
आयुष - अबे आना कभी मिला देंगे ,,, एकदम नोरा फतेही दिखती है
3D खुश होकर - सही है गुरू ,,,तुम्हायी ही जिन्दगी मजेदार है बे
आयुष हस कर - और घर पर सब ठीक है ना ,,,थोड़ा समय निकाल कर देख लिया करना बे हमारे घर का भी

3D भी उसको आश्वासन देता है और फिर थोडी मस्ती मजाक भरी बाते चलती ,, आयुष 3D को आज के अनुभव के बारे मे बताता है ।


पोस्ट क्रेडिट सीन

शुक्ला भवन मे खाना खजाना की संजीव कपूर यानी हमारी मीरा शुक्ला जी काफी दुखी मन से खाना बना रही थी और कान मे ईयरफोन डाले यूट्यूब से पति को मनाने के नुश्खे का लाइव टुटोरियल देख रही है।



जारी रहेगी

आई हो कहाँ से पारुल गोरी
आँखों में प्यार ले के
आई हो कहाँ से पारुल गोरी
आँखों में प्यार ले के
चढ़ती जवानी की तेरी , पहली बहार ले के
नोएडा शहर का सारा मीना बाज़ार ले के
नोएडा शहर का सारा मीना बाज़ार ले के
झुमका बरेली वाला , कानो में ऐसा ढला
झुमके ने ले ली आयुष् की जान
हाय रे आयुष् तुझ पर हो गया क़ुरबान 🤭
 
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Ishani

UPDATE 008

अब तक आपने पढा कि कैसे शुक्ला भवन की को-डिरेक्टर मीरा शुक्ला के नेपोटीजम का खुलासा उसी के शूटिंग टिम मेम्बर ने कर दी और रही सही कसर फिल्म के हीरो आयुष शुक्ला ने पूरी करते हुए पूरी मूवी का ही पैकअप करवा दिया ।
फिलहाल हीरो आयुष शुक्ला अपनी नयी फिल्म के लिए प्लेन से दिल्ली के लिए निकल गये है । उड़ान के दौरान ही उन्होने अपने आने की खबर किसी खास को और इस कहानी ने नये किरदार को देदी है ।
देखते है आज की इस एपिसोड मे क्या क्या देखने को मिलेगा ,,,,
और एक जरुरी बात INTRO कोई भी स्किप नही करेगा



INTRO

अपने मन मे डोली अरमानो की सजाये आयुष बाबू की उड़ान अपने तय समय पर इन्दिरा गांधी इंटरनेशनल हवाईअड्डे पर लैंड करती है ।

थोडे औपचारिक एयरपोर्टी रीत रिवाजो का अनुशरन करने के पश्चात आयुष बाबू बाहर पार्किंग एरिया की ओर बढ़ते है जहा एक खुबसूरत सी हुस्नपरि , वो जान-ए-जहां , वो सबसे हसिन , वो सबसे जवाँ कन्या आयुष शुकला के नाम की दफती पकडे खड़ी थी ।

आयुष बाबू की नजर पडते हुए वो उस मोहतरमा को हाथ दिखा कर हाय करते है तो बदले मे वो भी उसे मुस्कुरा कर हाय बोलती है ।
आयुष बाबू आगे बढ कर बडी ही नैतिकता और सम्मान भाव से बिना उस कन्या के युवा हुई दोनो बालिका वधु को निहारे सीधा उसकी आंखो मे देखते हुए हाथ आगे बढ़ाया ।

आयूष - हेलो एम आयुष शुक्ला
वो चंचल हसिना लिये मदमस्त नगीना भी मुस्कुरा कर आयुष से हाथ मिलाते हुए - हाय सर , एम पारुल मेहता , योर ऑफ़िस एसिस्टेंट

आयुष एक नजर उस खुबसुरत प्रोफ्रेसनल और पाश्च सभ्यता की वेशभुषा धारी देवी को उसकी पहाड़ीवाली चरण-पादुका " हिन्दी मे कहे तो हिल वाली सैंडल " से लेके उपर के शिखरो का अवलोकन करने के बाद मुस्कुराये ।
तभी पारुल आयुष का ट्रैवल बैग हाथ मे लेके पलटी और बोली - आईये सर
आयुष भी अपना पिठ्ठु बैग लिये मुस्कुरा कर उस देवसुन्दरी का अनुशरण करते हुए चलते है
फ़िलहाल कहानी मे एक नये पात्र की एन्ट्री हो चुकी है और जब तक आयुष बाबू कम्पनी द्वारा भेजी गयी गाडी के माध्यम से अपने गनतव्य तक पहुचते है तब तक एक छोटा सा इंट्रो शॉट शूट कर लेते है ।

नाम - पारुल मेहता

20211212-193655
पेशे और हुस्न से आप सभी मुखातिब हो ही चुके है ,,, उम्र भी तकरीबन आयुष के जितनी है लेकिन सिर्फ बी-टेक की डिग्री के बदौलत इतनी बडी कम्पनी मे इतना अच्छा पोस्ट कुछ जमा नही ।


वापस कहानी पर
आयुष बाबू कार की पिछ्ली सीट पर पारुल के साथ बैठे उसके आई-पैड पर कम्पनी के बारे मे कुछ जानकरिया ले रहे थे ।
करीब 45 मिंट के पिं पों और जड़तव के नियमो का भरी ट्रैफिक मे पालन करते हुए आयुश बाबू ग्रीन पार्क के ब्लाक - वी मे पहुचे ।

जहा कम्पनी के नाम से बनी एक 15 मंजिला हाऊसिंग सोसाइटी मे आयुष के नाम से वन बीएचके फ्लैट विथ बाल्किनी बुक था
गाडी पार्किंग लान मे लगा कर पारुल आयुश को लेके लिफ्ट की मदद से 7वी मंजिल पर रूम नम्बर 083 का कार्ड सवाईप कर वो कमरे मे प्रवेश करती है ।
आयुष ताज्जुब भरे नजरो से अपना नया फ्लैट देख रहा है था ।
वेल फर्नीश ए-वन किचन , खुबसूरत हाल,, मुलायम सोफे और बढिया बेडरूम वो भी बाथरूम से लगा हुआ ।
फिर हाल के बगल से ही एक बडा गेट था बल्किनी मे जाने के लिए,,,,जहा से आयुष पूरी कॉलोनी का जायजा लेता है ।

आयुष को ऑफ़िस सोमवार से जाना था तो पारुल उसे फ्रेश होने के लिए कहती है और फिर फोन पर कुछ खाने के लिए ओर्डेर दे देती है ।


द शुक्ला भवन शो

अब थोडा शुक्ला भवन मे चल रहे कुछ सीन की महत्वपूर्ण रिकॉर्डिंग कर लेते है , आखिर भाई दर्शकों को मजा पुरा चाहिए ना ।
इधर शुक्ला भवन की अदाकरा शान्ति देवी बडी ही अशांत मन से बेटे के परदेश जाने से बडी दुखी थी और हाल मे बैठा 3D उन्हे बार बार समझा रहा है कि कोई दिक्कत नही होगी ,,सब कुछ सामान्य ही रहने वाला है और आयुष उतरते ही फोन करेगा ,,, लेकिन ममता की मूरत शान्ति जी क्लेजे को ठन्डक कहा थी वो तो करन अर्जुन की राखी गुल्जार बनी हुई अपने बेटे की एक अवाज को तरस रही थी ।
हाल मे शुक्ला भवन के प्रोडुसर मुन्शी जी और मीरा शुक्ला ने भी उन्हे सम्झाना चाहा, मगर सुरज बर्जातिया के फिल्मो की तरह शुक्ला भवन मे भी ये रोने का सीन लम्बा ही खीचा जा रहा था ।
आखिर कार इमोसनल ड्रामो से तंग आकार मुन्शी जी ने 3D को आयुष के पास फोन लगाने को कहा और वो फोन डायल कर देता है ।

इधर आयुष बाथरूम मे होता है कि बेडरूम मे कपड़ो के साथ रखा उसका फोन रिंग कर रहा होता है ।

पारुल की नजर पड़ते ही वो एज ए एस्सीस्तेंट अपनी ड्यूटी समझ कर आयुष का फोन उठाती है और फोन 3D का होता है ।

फोन उठाते ही 3D भडकते हुए - अबे कहा हो बे,, प्लेन से उतर गये तो फोन नही करना चाहिये

पारुल पहले चौकी और फिर स्क्रीन पर नाम पढा 3D ,,,फिर वो थोडा उलझन से बोली - माफ करिये , सर अभी बिज़ी है आप थोडी देर बाद फोन करियेगा ।

यहा 3D फोन पर लड़की की मीठी आवाज सुन कर चौक गया और उसे लगा कि शायद आयुष किसी मिटिंग मे है तो वो मोबाईल के माइक पर हाथ रख कर शान्ति देवी को देखा जो उसे बडी उम्मीद से देख रही थी ।

3D शान्ति देवी से - अम्मा ,कोनो लड़की फोन उठाईस हय ,, कहत है कि सर बिजी हय , हमका तो लगी रहा है कि ऊ कोनो मेटिंग मे है ।

शान्ति थोडा राहत की सांस मिली और अपने आंसू पोछते हुए- अच्छा उसे पुछ बबुआ हमार कब छुट्टी पाओगो


3D वापस फोन पर - अच्छा मैडिम ,,, इ आयुष के मेटिंग कब खतम होगा

इधर पारुल 3D की बात पर थोडी हसी और बोली - अरे नही , वो अभी नहाने गये है और मै उनके कमरे में हू ,,,अभी वो बाहर आते है तो मै आपकी बात उनसे करवा देती हू ।

फिर पारुल फोन काट देती है

यहा 3D का माथा ही ठनक गया ये सोच कर कि आयूष के कमरे मे कोई लडकी बैठी है और वो उसके सामने ही नहाने बाथरूम मे गया ।
वही 3D के चेहरे की उड़ी हवाईयो से शान्ति शुक्ला परेशान हो गयी और उससे पूछती है

शान्ति - का हुआ 3D, का बोली उ फोन वाली मैडीम

3D तो जैसे शॉक मे था - अम्मा ऊ तो नहा तो रहा है बाथरूम म और ई मैडिम उका कमरा मे बैठी है और कही है कि अबे सर नहा के बाहर आयेंगे तो बात करवाएंगे ।

3D की बाते सुनते ही शुक्ला भवन मे सारे लोग अपनी अपनी कल्पना मे आयुष के फ्लैट मे चल रहे हैं सीन को एक अश्लील नजरिये से देखने लगे कि कैसे आयुष नहा कर बाथरूम से सिर्फ तौलिये मे नंगा आयेगा उस लडकी के सामने , वो लड़की कौन होगी ,,कैसी होगी ,, कही कोई चक्कर तो नही है उस लडकी से आयुष का ,,,कही वो लोग शादी से पहले वो सब तो नही ।

शान्ति जी तेज आवाज मे अपनी कल्पना मे उठे स्वालो का जवाब देते हुए बोली - नही नही हमार बबुआ ऐसा नाही है

3D जो कि खुद विश्मय स्थिति मे था वो चौक कर - का हुआ अम्मा , काहे परेशान हो

शान्ति बड़ी उखड़े मन से मुन्शी की ओर देख कर बोली - कही हम लोग गलती तो नाही न कर दिये आशिष के बाऊजी

मुन्शी जी जो खुद अपनी कल्पना मे उन्ही मिलते जुलते सवालो से घिरे थे जो शान्ति देवी के मन मे उठी थी

मनोहर - अब का बताये हम अशीष की अम्मा ,, चिंता तो हमे भी होई रही है ।

यहा थोडी देर सस्पेंस का सीन शूट हो ही रहा था कि आयुष का फोन वापस 3D को फोन करता है ।

मोबाइल रिंग बजते ही 3D हड़बड़ाकर - अम्मा अम्मा , आयुश के फोन

मनोहर - ये दुबे ,, स्पीकर पे कर तो बाबू , हा उठाओ

3D तुरंत स्पीकर पर करते हुए फोन पिक किया
आयुष - हा 3D बोल भाई ,,कैसे याद किया

3D गुस्सा कर- अबे इहा अम्मा रो रो के निरुपा रॉय हुई जा रही है औ बाऊजी मारे चिंता के आलोकनाथ हुए पड़े हैं औ तुम पुछ रहे हो कैसे याद किया ,,, औ साले वहा पहूचते ही अय्याशी शुरु कर दिये बे ,

आयुष पहले थोडा हस लेकिन अय्याशी शब्द सुनते ही भडक उठा और एक नजर पारुल को देख कर उससे थोडा दुर हो कर धीरे से बोला - अबे पगलाय गये हो का बे ,, जो अम्मा बाउजी के सामने भी बकचोदी पेल रहे हो

3D रौब जमाता हुआ - अच्छा ,, बंद कमरे मे लौंडीया रख के नहाओ तुम और बकचोदी हम करे ,,, हम नाही कुछ बोलेंगे तुम अब सीधा अम्मा को जवाब देओ

3D तुरंत फोन शान्ति शुक्ला को दे देता है
आयुष की हालत खराब
आयुष हकला कर - हा हा अम्म्ंम्ं अम्म्मा बोलो ,,, माफ करना हम यहा आकर सुचना नही दे पाये

शान्ति गुस्से मे - हा अब सुचना देवे की जरुरत भी ना है ,,,वही अपने मेहरी के साथ रहो और भूल जाओ तुम्हाओ एक बाप है , एक अम्मा है


इतना बोल कर शान्ति देवी फफक पड़ती है ।
इधर आयुष को कुछ समझ ही नही आ रहा था कि क्या बात हुआ है,,,उसे तो लग रहा था कि वो फोन करने मे ही बस लेट हुआ था ,,, मगर ये अय्याशी ,, मेहरि के साथ रहना
ये सब उसके समझ से परे था

आयुष उलझन भरे लहजे मे अपने मन चल रहे वक्तव्य को बोला - का कह रही हो अम्मा ये सब ,, कौन मेहरि ,,का अय्याशी कर दिये हम


मुन्शी जी ने बात बिगड़ते देख शान्ति देवी से फोन ले लिया और बोले - हा बाबू हम बोल रहे है

आयुष - का बात है बाऊजी ,,ये सब का बोल रही हैं अम्मा
मनोहर - बेटा तुम्हाये कमरा पे कोनो लड़की हय का
आयुष ने एक नजर पारुल को देखा जो इस समय अपने आई-पैड मे व्यस्त थी ।

आयुष - हा बाऊजी ,,वो हमारी एसिस्टेंट है,,वही हमे हमारे नये फ्लैट पर लेके आई है ,,क्यो क्या बात है

मुन्शी जी सारा माजरा समझ गये तो हस कर बोले - कुछ नही बेटा वो बस एक गलतफहमी थी ,,,और कुशल से पहुच गये ना कोनो दिक्कत ना हुई ना प्लेन मे

आयुष - हा बाऊजी ठीक है लेकिन अम्मा को क्या हुआ

मनोहर हस कर - अरे कुछ नाही बबुआ उकी तो आदत है बड़ब्ड़ की ,,अच्छा हम रखित है फोन ,, फुर्सत मिले तो फोन करना

आयूष और भी उलझन मे था मगर उधर से मुन्शी जी ने फोन काट दिया और उस्की बाते पूरी नही हुई थी अभी ,,,मगर ऐन मौके पारूल आयुष को आवाज देती है कि ऑफ़िस से फोन आया है

इधर आयुष कुछ कागजी कामो मे व्यस्त हो गया और वही शुक्ला भवन मे जब मनोहर ने सारी बाते सही सही और साफ भाषा मे शान्ति शुक्ला को समझायी तो उन्हे काफी दुख हुआ कि वो अपने बेटे पर खामखा गुस्सा की और बदले मे 3D को बिना जानकारी लिये अधुरी बात बताने के डाट भी लगाई


खैर जैसा भी था वो दिन खतम हुआ ,,,आयुष बाबू भी पारुल से थोडा जान पहचान कर , घर की लाई लिट्टी भी उससे साझा की और थोडे देर बाद वो ऑफ़िस चली गयी ।

पारुल के जाते ही आयुष बाबू बड़ी खुशी और एक नयी ऊर्जा के साथ अपने बेडरूम मे आये और स्पंजी बेड पे कूद पड़े और जेटलैग की उत्पीडन से थके हुए वैसे ही सो गये ।


दोस्ताना

इधर आयुष को सोये 3 घन्टे से ज्यादा बीत गये और वही शाम को नवाबगंज मे एक चाय के दुकान पर बैठे 3D बडी गहरी चिन्ता मे डुबा हुआ था कि आखिर वो इतनी बडी गलती कैसे कर दिया ,,,,कि अपने जिगरी दोस्त के चरित्र पर लांछन लगा दिया वो भी उसके अम्मा बाऊजी के सामने ।
बट्टे की चाय रखे रखे रबड़ी होने लगी थी और 3D बाबू अपनी पश्चात्ताप मे डुबे हुए थे और बार बार घड़ी देख कर आयुष के पास फोन करने का सोच रहे थे।
काफी समय तक मन मे कुछ सवालो के जवाब को लेके द्वंद-मल्ल-संग्राम कर लेने के बाद एक नतिजेदार उत्तर मिलने पर 3D के चेहरे पर मुस्कान आई और वो अपनी चाय का सिप लेता है तो मुह का स्वाद फीका पड़ जाता है तो

3D - ये लल्लन सुनो ,,जरा एक दुसरा चाय बनवाओ

लल्लन
समाधान पार्टी का एक कार्यकर्ता , 3D का शुभचिंतक , चमचा या मृतह्रदय वाला प्रसंसक हिन्दी मे कहे तो DIE-HEART FAN

"अगर 3D भैया कह दे तो उनके लिए शोले का रामलाल भी बन जाये "


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वापस कहानी पर
लल्लन 3D भैया की आज्ञा का पालन करते हुए वापस चाय वाली भठ्ठी पर गये ।

लल्लन एक छोटे लडके को उसके सर पर टूनका कर - ये भईया के लिए चाय भेजो बे

छोटा लड़का अपने दुकान के सेठ से - सेठ इ चौथी चाय है 3D भैया की नोट कर लेओ

लल्लन के कलेजे को तो जैसे आग लग गयी तो वो उस लडके के कान पकड के एठता हुआ बोला - भोस्डी के ज्यादा ना बोलो ,,,, तुम्हाई अम्मा को याद है ना हम कौन है

तब तक 3D जो कि ये सब देख रहा था वो बोला - साले एक नम्बर के चुतिया हो तुम
3D की तेज आवाज पर दुकान मे बैठे बाकी के लोग उसे देखने लगे की क्या बात हो गयी ।

3D की आवाज सुन कर लल्लन उस लड़के को छोड़ देता है - स स सॉरी भैया हम चाय ला रहे है

3D चाय की दुकान मे बैठे हुए लोगो मे अपना वर्चस्व जमाने के भाव से - और सुनो ,,उसकी अम्मा हमारी वोटर है तो आगे से ध्यान रखना बेटा किसी से कोई बदतमिजी नही ।

लल्ल्न डर और शर्म से - जी भैया
फिर 3D चाय पीने के बाद लल्लन को गाडी शुरु करने को बोलता है और खुद चाय का हिसाब कर निकल जाता है ।

फिर वो दो बार आयुष को फोन करता है तो वो फोन नही उठाता है और यहा 3D के मन मे एक डर बैठने लगता है कही वो उससे नाराज तो नही है । इसी डर मे थोडी देर बाद वो फिर से ट्राई करता है लेकिन कोई रेपोंस नही मिलता है ।

इधर आयुष बाबू 8 बजे तक मस्त एक जोर की नीद लेने के बाद उठते है और फ्रेश होकर अपना मोबाईल चेक करते है तो 3D मे 4 मिस्काल पड़े हुए थे तो आयुष को चिन्ता होने लगती है कि कोई दिक्कत तो नही है नवाबगंज मे ।

आयुष जल्दी से फोन लगाता है और फोन उठते ही दोनो एक साथ ही एक-दूसरे को सॉरी बोलते है ।
दोनो एक साथ ही चौक जाते है कि सामने वाले क्यू सॉरी बोला और फिर हसने लग जाते है ।

आयुष - सॉरी 3D , वो हम सो गये थे,,,कोनो दिक्कत तो नही है ना उहा फोन कर रहे थे तुम

3D- न न नही भाई क्या दिक्कत होगी इहा , सब चौक्स है इहा ,,तुम बताओ वहा सब कैसा है

आयुष इस वक़्त बाल्किनी मे खड़ा होकर बाते कर रहा था - यहा भी सब चौकस है बे ,,
3D बस हम्म्म्म बोला और चुप रहा
आयुष को 3D की चुप्पी जमी नही
आयुष - का हुआ बे काहे इतना चुप हो ,
3D गिरे हुए मन से - यार गुरू हमको माफ कर दो बे
आयुष हस कर - काहे बे औ किस लिये
3D - उ दुपहर मे अम्मा बाऊजी के सामने तुमाये चरित्र पर ऊँगली उठा दिये हम ,,,हमसे बड़ी गलती हुई माफ कर दो ना बे

आयुष हस कर - अबे वही तो समझ ही नही आया कि कौन सी अय्याशी की बात कर रहे थे तुम ,,,अब बताओगे

फिर 3D आयुष को शुरु से सब बताता है और कैसे कन्फुज बस ये सब हुआ

आयुष हस कर - अबे वो हमायी अस्सीस्तेंट थी पारुल जी ,,,, काहे सीता को शूर्पनखा बना रहे हो बे हाहाहाह

3D जिज्ञासा से - वैसे दीखने मे कैसी है पारुल मैडम
आयुष - अबे आना कभी मिला देंगे ,,, एकदम नोरा फतेही दिखती है
3D खुश होकर - सही है गुरू ,,,तुम्हायी ही जिन्दगी मजेदार है बे
आयुष हस कर - और घर पर सब ठीक है ना ,,,थोड़ा समय निकाल कर देख लिया करना बे हमारे घर का भी

3D भी उसको आश्वासन देता है और फिर थोडी मस्ती मजाक भरी बाते चलती ,, आयुष 3D को आज के अनुभव के बारे मे बताता है ।


पोस्ट क्रेडिट सीन

शुक्ला भवन मे खाना खजाना की संजीव कपूर यानी हमारी मीरा शुक्ला जी काफी दुखी मन से खाना बना रही थी और कान मे ईयरफोन डाले यूट्यूब से पति को मनाने के नुश्खे का लाइव टुटोरियल देख रही है।



जारी रहेगी
जब से शांति तेरा लाडला ने देखा है पारुल को:dance4:
हो गया गुलाम उसका
जब से शांति तेरा लाडला ने देखा है पारुल को
हो गया गुलाम उसका
पारुल ही अब उसका जीवन सारा
लिख देगा अपने सिने पे नाम उसका
शॉर्ट ड्रेस पहनती वो जाली वाला 👙
उसपर मोतियन की माला 📿
शॉर्ट ड्रेस ने ले ली तेरे लाडले की जान
हाय रे शांति तेरा लाडला उसपर हो गया क़ुरबान 🤭
 

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