Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

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अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
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Abhi kar dete hai :D

:slap: ab kita revo du

ye din dayal kyun aayush natak mein nautanki karaane mein tula hai, jab ki aayush ko aitraaj hai ye sab karne se...
waise ye bhi ek kala hi hai... jisko dil se karo to wahi waahi milti hai aur taaliyaan bajti hai.. wohi jor jabardasti karo to jute chappal se nawaaza jaa sakta hai... Kyunki jor jabardasti se kiye gaye kala pradarshan vahiyaat hi hote hai.... Kya us din dayal ko itna bhi akal nahi... kya itni bhi budhi nahi uske dimag mein...
Khair.... ek baat to saaf hai... ab jab aayush family walo k intro itne details mein pesh kiye gaye hai to unka bhi aham role honge is kahani mein...

Shaandaar update, shaandaar lekhni, shabdon ka chayan aur saath hi dilchasp kirdaaro ki bhumika bhi...

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :clapping: :clapping:

Bhaiya sahi kahein to garda uda diye ho, dahi jalebi ki kasam bahut hi badhiya log nazar aa rahe hain ye sab khas kar humare 3D bhaiya bahut rochak admi maalum hote hain...
Inke kaand sunne ko utsuk rahenge.

Fabulous update.. ayush ki job salary achi hai par kya ghar se dur rehkar naukri karna jaruri hai?
Rangmanch me abhinay karna koi buri bat nhi, fir apne pita se kyo dar rha tha ayush. jindgi bhi natak ki tarah hoti hai. suru se ant tak. dono me farak itna hai, natak me abhinay karne wale ko pata hota hai age kya hone wala hai lekin real lif me nahi .

superb intro
family drama wali kahani me ek do najdik ke aur dur ki ristedari me bua fufi hone chahiye. aloo chat me masale ka kam yahi log karte hai . bhouji bahut khubsurat hai .kajrari ankhe, lal hoth :love:

wonderful update. Ek kayar apne ke bajaye ek sahasi insaan se dosti karna jyada behtar hai. wo hame apne dar se ,apne dard se jujhne ke liye madad karega. anischitao par vijay prapt karne ke liye sahas dega .
lekin agar hamara koi apna bhi kayar ho, hamare nirasha aur dukh ke samay dur chala jayega. 3D din dayal dube un sahisi dosto me se hai .wese uski bol chal bhi funny hai .par uske opposite uska friend aayus sharmila hai, 3D k tarah jo muh me aye bol nahi deta.
Per year 1.5 crore package. wow !! par fir bhi jamin se juda hai. koi ahankar nahi. Koi aur hota to natak me part lene se mana kar deta. fir chahe request karne wala besti hi kyu na ho.



Update de dijiye waiting

Apki PRATIKRIYA ke liye DHANYWAAD

2nd update is posted
Read and review
 
Dramatic Entrance
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UPDATE 002


अब तक आपने पढा कि 3D अपने मित्र यानी कहानी के नायक को अपने ड्रामा कम्पनी मे एक रोल करने के लिए अपने पुराने कालेज , जहा वो दोनो बचपन से साथ पढे थे ।
मिस मनोरमा इंटरमीडियट कालेज , नवाबगंज , कानपुर
वहा आयुष को उसके पिता का घर आने का बुलावा आता है , तो वो जल्दी से 3D को घर चलने के लिये बोलता है और वो दोनो घर के लिए निकल जाते है ।
अब आगे


रास्ते मे
आयुष - अरे अरे घाट की ओर ले ना भाई , बाऊजी की स्कूटी लेनी है

3D - अबे हा बे , तुम्हाये बप्पा की सवारी तो हाईबे पे है

फिर वो जल्दी से वापस अटल घाट हाईवे पर जाते है और वहा से आयुष अपनी स्कूटी लेके घर की ओर निकल जाता है ।

वैसे तो दोनो का घर एक ही मुहल्ले मे था , मजह 100 मीटर की दुरी जान लो । वही उस्से ठीक 200 मीटर पहले बाजार के मुहाने पर आयुष के भैया आशीष शुक्ला की मिठाई की दुकान है । जो आयुष की माता जी के नाम पर है
शान्ति देवी मिष्ठान्न भण्डार

घर जाते जाते हुए रास्ते मे ही 3D ने अपनी बुलेट शान्ति देवी मिष्ठान्न भंड़ार के बाहर पार्क कर दी । फिर आयुष की स्कूटी पर बैठ कर आ गया शुक्ला भवन


भईया इस कहानी मे इंसानी किरदारो के साथ साथ शुक्ला भवन भी एक अहम किरदार है ।
अब कुछ महानुभाव अपनी खोपड़ी खुरचेन्गे कि आखिर अइसा का है इ शुक्ला भवन मे

तो आओ अब इस घर की भी खतौनी पढ लेते है ।

सटीक 2400 स्कवायर फुट का क्षेत्रफल का घेराव लिये कानपुर के नवाबगंज थाना क्षेत्र के शिवपुरी कालोनी का मकान नं 96 है हमारा शुक्ला भवन ।

शुक्ला भवन की डेट ऑफ बर्थ उसके सामने की दिवार पर खुदी हुई है - 10 मई 1970
वैसे तो इस भवन के कर्ता धर्ता और मुखिया श्री मनोहर शुक्ला ही है । लेकिन औपचारिकता के तौर पर जब इस भवन का कुछ साल पहले फिर से मरम्मत करवायी जा रही थी तब बड़े मोह मे श्री मनोहर शुक्ला ने भवन के गेट पर एक संगमरमर की प्लेट लगवा कर अपने स्वर्णवासी पिता श्री का नाम खुदवाया ।


शुक्ला भवन
स्व. श्री राधेश्याम शुक्ला
शिवपूरी 23/96 , नवाबगंज

ये तो हो गया शुक्ला भवन का बाह्य चरित्र जो दुनिया जमाने को दिखाने के लिए है
अब थोडा इनके भीतर के
आगन - कमरे कितने आचार × विचार × संस्कार मे बने है और एकान्त विचरण का स्थान यानी शौचालय कितना स्वच्छ और सामाजिक गन्दगी से दूर है ।
ये है शुक्ला भवन का जमीनी हकीकत यानी की ग्राउंड फ्लोर का नक्शा जो मनोहर शुक्ला जी के स्व. पिता श्री राधेश्याम शुक्ला जी द्वारा बनवाया गया था ।

Pics-Art-11-09-08-55-07

और ये है उपरी मंजिल जो स्वयं मनोहर शुक्ला जी ने कुछ सालो पहले तब बनवाया था जब उनके बड़के ब्च्चु अशीष शुक्ला की शादी तय हुई थी ।

Pics-Art-11-09-09-08-47

अब इस घर के ग्राउंड फ्लोर पर मनोहर शुक्ला अपनी धर्मपत्नी शान्ति शुक्ला के साथ रहते है और बाकी ऊपर उनके बड़े बेटे और बहू के लिए बाल्किनी से लगा कमरा था । एक कमरा हमारे आयुष बाबू का था और एक गेस्टरूम ।

वापस कहानी पर
आयुष शुक्ला तेज धडकते दिल के साथ फटाफट गाड़ी को शुक्ला भवन के सामने पार्क करते है और जल्दी से स्कूटी के शिसे मे खुद को निहार कर बाल वाल सवार कर 3D की ओर घूमते है और उनका पारा चढ़ जाता है

कारण ये थे अभी थोडी देर पहले 3D भैया ने जो पान खाई वो उगल तो दिया रास्ते मे लेकिन होठो से उसकी लाली और गाल से छीटे ना साफ किए

आयुष 3D का गम्छा जो उसके गले मे था उसका किनारा पकड के 3D के होठ पर दर कर साफ करते हुए - अबे ये क्या बवासीर बहा रहे हो बे ,,, जल्दी से कुल्ला करो , साले अपने साथ हमको भी पेलवा दोगे ।

3D मुस्कुरा कर मुह पोछता हुआ गेट खोल कर अन्दर शुक्ला भवन मे घुसते हुए - भैया बस दु मिंट

फिर 3D फटाक से शुक्ला भवन के बाहरी परिसर के दाई तरफ बने एक बेसिन के पास फटाफट
कुल्ला गरारा कर मुह पोछते हुए वापस आता और वो दोनो हाल मे प्रवेश करते है ।

हाल मे एक बैठक लगी है
जहा आयुष के पिता जी , उसके मामाजी और उसकी माता जी बैठी हुई है और वही बगल मे आयुष की भाभी खड़ी है अपनी सास के बगल मे सर पर पल्लु काढ़े
सास और बडकी बहू दोनो की नजरे जीजा-साले यानी आयुष के पापा-मामा के बीच पास हो रही तस्वीरो और उससे जुडी जानकारी पर जमी हुई थी ।

जी हा आज फिर आयुष के मामा जी श्री बांकेलाल जी , आयुष के लिये शादी का रिश्ता लेके आये थे ।

हाल मे प्रवेश करते ही आयुष मामा को नमसते करता है और अंदर का माजरा जानने समझने की कोशिस करता है

इतने मे 3D आयुष के मामा और पिता को प्रणाम करता है । फिर आयुष के मा के पैर छुए हुए - अम्मा आशीर्वाद

शान्ति मुस्कुरा कर - हा खुश रहो बच्चा
तभी 3D की नजर आयुष की भाभी मीरा पर जाती है

3D हाथ खड़ा कर मीरा से हस कर - औ भौउजी चौकस!!!!

मीरा तुनक के - कहा लिवाय गये थे तुम ब्च्चु को सबेरे सबेरे ,,ना चाय ना कुल्ला

वही आयुष की माता शान्ति भी मीरा की बात पर 3D को ऐसे देखती है कि मानो उसके सवाल मे उनकी भी हा हो

3D आयुष की मा के पाव के पास जमीन के पास बैठ कर - उ का है अम्मा , आज हमाये स्कूल मा है अनुयल पोरिग्राम, तो वही घुमाये के लिए लियाय गये थे ।

3D एक नजर जीजा साले की ओर देख कर वापस शान्ति से - इ का हो रहा है

शांति मुस्कुरा कर - अरे ब्च्चु के लिए रिश्ता आया है ,, ले तुहू देख

उधर आयुष अपनी शादी की बात सुन कर तनमना गया लेकिन बाऊजी के डर से अम्मा से बात करते हुए - अम्मा इ का है सब, फिर से

शान्ति कुछ बोलती उससे पहले आयुष नाराज होकर उपर चला जाता है ।

ये नया नही था आयुष के लिए जब रिश्ता आया था । हा लेकिन जॉब मिलने के बाद शान्ति की जल्दीबाजी आयुष की शादी को लेके ज्यादा ही होने लगी
हालाकि आयुष के पिता जी बहुत ही खुले विचार वाले थे और वो खुद चाहते थे कि आयुष खुद की पसंद और जब उसकी मर्जी हो तब ही शादी करे । लेकिन शुक्ला भवन की मैनेजर श्रीमती शान्ति शुक्ला को इस बात के लिए ऐतराज था और क्या कारण था इसका ये तो वो ही जाने ।

इधर आयुष बाबू अपना मुह फुलाए छत पर कमरे मे चले आये ।
मुह इसलिये फुला था कि उनकी दिली इच्छा थी कि वो भी फिल्मो के हीरो की तरह कोई अच्छी सी लड़की पटाये और उसके साथ समय बिता , मिल कर कुछ नये ख्वाब सजाये और फिर शादी करे ।

ऐसा नही था कि आयुष अपने पिता से डरता था , बस वो उनका सम्मान बहुत करता था क्योकि मुन्शी जी थे बडे गंभीर इन्सान , भले ही मानसिकता अच्छी थी लेकिन एक भारतीय मध्यम वर्गीय बाप का प्यार जताने का अपना तरीका होता है । वो कभी आपको आपके अच्छे काम के लिए सामने से शाबासी नही देगा ।
यही हाल आयुष बाबू के साथ भी था कि आईआईटी पास करने से लेके डेढ़ करोड़ का सालाना पैकेज की नौकरी मिलने के बाद भी आज तक मनोहर शुक्ला ने कभी उनकी पीठ नही थपथपाई ।
जिसका कचोट आयुष के मन मे हमेशा रहता था । काफी समय से उम्मीद का दिया लिये थक गये थे तो पिता से सम्मुख नही होते थे ज्यादा ।
इतना सब होने के बाद भी आयुष ने कभी भी अपने पिता को तिरसकार की दृष्टी से नही देखा ।

एक तरफ जहा आयुष बाबू अपने भविषय की चिन्ता मे लिन और थोडा तुनमुनाये थे वही निचे हाल मे

3D शान्ति के हाथ से तस्वीर लेते हुए - लाओ अम्मा दिखाओ हमको ,, आयुष का ब्याह ना SSC का रीजल्ट हो गया है , फाइनल ही नही होई रहा है

शांति हस कर - धत्त ,,,हे लल्ला जरा कौनौ परसन्द कर ना एक इ दुनो म से

3D दो लड़कियो की फ़ोटो देख रहा था - एकदम चऊकस अम्मा ,,,इका हमसे कराये देओ और इका अपने बच्चु से

3D की बात सुन कर सब हसने लग जाते है
इन सब के बीच मनोहर शुक्ला काफी गंभीर रहे और कुछ सोचने के बाद अपने साले साहब यानी आयुष के मामा से कहते हैं- ऐसा है बाँकेलाल तुम आज आराम करो कल सुबह तड़के निकल जाना मथुरा और ये दोनो रिश्ते के बारे में हम आयुष से बात कर बताते है फिर ।

अब घर मे भले जोर जबरदस्ती शान्ति शुक्ला चला ले , लेकिन मुन्शी जी के फैसले की इज्जत तो वो भी करती थी ।
थोडी देर मे आयुष के मामा ने अपना तान्ता बांता पोथी-पतरा समेटा और बैग मे रख लिये ।
थोडी देर बाद खाना की बैठक हुई और 3D अपने काम से निकल गया था ।
आयुष बाबू अभी भी मुह फुलाये अपने कमरे मे रहे ।
खाने के वक़्त घर मे उपस्थित सभी को आयुष की खाली टेबल पर खटक हुई और मुरझाये चेहरे से एक दुसरे को देखा लेकिन इस पर कोई चर्चा नही हुई ।

माहौल ठण्डा होता देख मीरा ने पहल कर खुद से सबको खाना परोसा और थोडी जोर जबरदस्ती कर खाना खिलाया और खुद से एक प्लेट मे खाना लेके उपर आयुष के कमरे मे जाती है ।
जहा आयुष किसी मित्र से फोन पर बातो मे व्यस्त होता है और दरवाजे पर दस्तक पाते ही फोन रख कर दरवाजा खोलता है ।

आयुष - अरे भाऊजी आप ,,,आओ
मीरा थोडा आयुष का मूड ठीक करने के अंदाज मे कुछ मुस्कुरा कर कुछ इतरा कर - हा , हम , अब चलो जगह दो

आयुष दरवाजे पर खडे होकर अपनी भाऊजी का मुस्कुराता चेहरा देख कर सब भूल गया , अपना दर्द तकलीफ , भविष्य की चिन्ता ।

आखिर कुछ ऐसा ही तो था हमारा हीरो एक दम मासूम भोला और प्यारा
उसको लाख तकलीफ हो , हजार चिन्ताये घेरे हो लेकिन कोई उससे प्यार से मुस्करा कर बात कर ले वो अपना सब कुछ भूल कर उसकी खुशी मे शामिल हो जाता था ।

आयुष मुस्कराते हुए आंखो से खाने की थाली दिखाते हुए - का भाऊजी आज भैया का बखरा (हिस्सा ) हमको देने आई हो का हिहिहिही

मीरा थोडा शर्मायी और आयुष को धकेल कर कमरे मे घुसते हुए - जे एक बात तो तुम समझ लो देवर बाबू ,,,जे दोहरी बातो वाला मजाक हमसे तभी करना जब भईया के सामने भी हक जमा सको ,,,, जे चोरी चोरी नैन मटक्का अपनी मुड़ी से करवाना

आयुष मीरा के तीखे तेवर से थोडा सहमा लेकिन उसे पता था ये उसके और उसकी भाभी के बीच की प्यारी सी नोक झोक थी जो समान्य थी और उसे अपनी भाभी को छेड़ कर तुनकाने मे मजा आता था आखिर उनका स्वभाव था ही कुछ ऐसा
आयुष उनको थोड़ा शांत करने और अपने दिल का हाल बताने के लिये मीरा का हाथ पकड कर बेड पर बिठाता है

आयुष थोड़ा परेशान होकर - भाऊजी काहे आप समझा नही रही हो अम्मा बाऊजी को कि अबही हम ब्याह नाही करना चाहते है ,

मीरा थोडा मुस्कुरा कर - अरे अभी कर कौन रहा है ,, तुम देख लेयो , समझ लेयो , मिल लेयो ,,, वैसे भी खुशी मनाओ तुम्हाये जितना हमको भेरायिटी नही मिला था परसन्द के लिए

आयुष मीरा की बाते सुन कर थोडा मुस्कुराता है फिर कुछ सोच कर उदास हो जाता है कि शायद उसकी बाते उसकी भाभी भी नही समझ पा रही है

मीरा आयुष को चुप देख कर - अरे बाबू ,,चिन्ता ना करो कोय तुमको जबरदस्ती ना करोगो ।
अब जोका किस्मत मे लिखो होगो वाई इ शुक्ला भवन की जूनियर इंचार्ज हैगी ।

आयुष थोडा उलझन और उत्सुकता से - जूनियर इंचार्ज
मीरा हस कर - हा अब आयेगी तो हम सीनियर इंचार्ज हो जायेंगे ना हिहिहिही

आयुष अपनी भाभी की बात सुन कर हस देता है और फिर खाना खाता है ।

उसी शाम को 5 बजे आयुष शुक्ला सो रहे होते है कि उनके मोबाईल की घंटी बज उठी और फोन पर 3D होता है

3D - हा बाबू तुम फटाफट तैयार हो जाओ हम 10 मिंट म पहुच रहे है

आयुष को शायद याद नही था कि उसे आज रात की ड्रामा मे रोल करना था तो वो हुआअस भरते हुए - क्याआआ हुआआआ 3D कोई बात है क्या

3D - अरे जाना नही है क्या ड्रामा सेट पर
आयुष को याद आता है तो वो झट से दीवाल पे टंगी घड़ी को देखता है और बोलता है - हा यार ,,ठीक है तुम आओ हम तैयार हो रहे है ।

फिर फोन कटता है और आयुष बाबू मस्त तैयार होकर निचे हाल मे आते है और किचन मे लगी अपनी भाऊजी को आवाज देते है ।

इस वक़्त शाम के समय घर मे अकसर कोई होता नही है
क्योकि शान्ति जी अपने सत्संग के लिए निकल जाती है और मनोहर जी अपने डिपार्ट वालो से मिलने जुलने और थोडा घूमने पार्क की ओर निकल जाते है

मीरा हाथ मे कल्चुल लिये बाहर आती है ,,शायद किचन मे कुछ भुन रही थी - हा बाबू बोलो का हयगो

आयुष बाबू अपनी बाजू फ़ोल्ड करते हुए जल्दी मे - भाऊजी फटाक से एक कप चाय बना दो ,,नाही दो ,वो 3D भी आई रहा है

मीरा एक नजर टिप टॉप तैयार हुए आयुश को देखती है और मुस्कुरा कर -- हाय हाय हाय ,, आज कहा गिरी इ बिजली

आयुष थोडा सिरिअस होते हुए - भाऊजी अबही कुछ ना ,,लेट होई रहा है प्लीज चाय बना दो ना

मीरा अपने मुताबिक जवाब ना पाकर तुनक जाती है और बड़बड़ाते हुए किचन मे घुस जाती है

आयुष बाबू अपना जुता जो हाल के एक किनारे दरख्त मे रखा था वहा से निकालते है और उसे साफ कर रहे होते है एक गंदे कपड़े से कि 3D हाल मे घुसता है

3D मुह पर हाथ रख कर थोडा खासते हुए - उह्ह्हुऊऊऊ ,,, का गरदा मचाये हो शुक्ला तुम

आयुष मुस्कुरा कर जुता साफ कर उसे लेके हाल मे लगी कुर्सी पर बैठ जाता है और पहनने लगता है

तभी किचन से मीरा दो कप चाय लेके आती है

3D चाय देख के - अरे भाऊजी दो ही कप ,,हमसे फिफ्टी फिफ्टी करेक ह का

मीरा जो थोडी देर पहले ही आयुष के जवाब से भड़की थी - का फिफ्टी फिफ्टी 3D भैया का फिफ्टी फिफ्टी ,, औ जे तुम फिर से जर्दा वाला पान खाये हो का


3D तुरंत मुह पर हाथ रख लेता है और एक नजर आयुष की ओर देखता है ।
मीरा - उका ना देखो तुम खाली हमका जवाब देओ ,,,औ कहा लिया जा रहे अब ब्च्चु को इतना टाईम फिर से

3D को उसका मजाक उसी पर भारी पड़ गया था तो वो बनावती हसी लाते हुए - अरे भाऊजी हेहेहेहे ,,कहा पान खाये है हम औ हम तो आयुष को अपने कालिज वाले पोरिग्राम मा लिवा जा रहे है

मीरा एक नजर आयुष को देखी और फिर अपनी कमर पर हाथ रख कर - औ वापस कब ला कर छोडोगे इका घर

3D चाय का सिप लेते हुए ह्स कर - इहे कोई 11 12 बजे तक

आयुष ना मे सर हिलाता है तो
3D हड़बड़ा कर - मतलब 11 बजे से पहीले ही , हा पहिले ही लेते आयेंगे

मीरा थोडी सोच कर - ठीक है, लेकिन 11 बजे से कान्टा एक सूत भी आगे ना जाये , नाही तो यहा दुसरी नौटंकी शुरु करवा देंगे हम इ जान लेओ ।

तबतक आयुश अपनी आधी खतम चाय छोड कर 3D को लेके बाहर जाता हुआ - हा भाऊजी हम आ जायेन्गे समय से आप अम्मा बाऊजी को खाना खिला देना ।

इससे पहिले मीरा अपनी कोई बात कहती वो दोनो फटाफट निकल जाते है ।

रास्ते मे गाड़ी पर
आयुष 3D के सर पर मारता है
आयुष - साले कितनी बार कहे है तुमसे की भाउजि से ना अझुराया करो ,, औ साले तुम ये पनवाड़ी बनना कब छोड़ोगे

3D - अरे कम कर दिया है यार, अब आदित बदलन मा टाईम तो लागि ना


ऐसे ही बाते करते हुए आयूष और 3D कालेज पहुच जाते है और अपनी तैयारियो मे जुड़ जाते है , रात 8 बजे का शो शुरु होने का समय होता है ।
एक एक प्रोग्राम शुरु किये जाते है बारी बारी लेकिन अपने हीरो की एन्ट्री मे समय था ।

इधर शुक्ला भवन मे मीरा खाने परोसने की तैयारी मे थी । शान्ति देवी भी अपने सतसंग से वापस आ चुकी थी । हाल मे आयुष के पिता जी और उसके भईया बैठे थे ।

आशीष - मीराआआआ ,,, इ ब्च्चु कहा है दिखाई नही दे रहा है
मीरा किचन से - हा ऊ 3D भैया के साथ अपने कालिज गये है । आज कोई फनसन है उहा

आशीष मीरा के जवाब से सन्तुष्ट होता है और अपने पिता से कुछ बोलना चाहता है कि उसकी नजर गम्भिर और शांत होकर किसी गहरी सोच मे डुबे हुए अपने पिता पर जाती है ।

उसे अपने पिता का ऐसे सोच मे डूबा होना थोडा खटक जाता है
वो अपने पिता के पास होकर - बाऊजी क्या सोच रहे है

मनोहर - कुछ नही आशीष , सोच रहे है बच्चु को हमसे का नाराजगी है जो ऊ हमसे बात नहीं कर रहा है

आशीष ऐसे भावुक बाते सुन कर थोडा माहौल हसनुमा करता हुआ -- अरे नाही बाऊजी , कोनो नाराजगी ना हयगी , ऊ तो बचपन से शर्मीला है और आपके सामने आने मे हिचक करता है ।

मनोहर अपने दिल की भड़ास निकालते हुए - अरे वही तो ,,,काहे ऊ अइसा करी रहा है , अगर ऊ का मन मे कोई बात हो तो एक बार हमसे कहे का चाहि ,

तब तक हाल मे शान्ति जी प्रवेश करती है - अगर ऊ बात नाही करत हय तो तुम्हू कौन सा पहिल कर लेत हो ,, तुम्हू तो बात नाही करत ब्च्चु से

शान्ति मनोहर को समझाते हुए -- चुप्पी रिश्तन की अहमियत को खोखला कर देतो है आशीष के बाऊजी

शान्ति - समय है अबही पहिल कर लो, इक बार ब्च्चु नौकरी के लिए निकल गवा तो यो मौका भी निकल जायोगो

मनोहर थोडा सोच विचार कर - ए आशिष जरा बहू को पुछ,, आयुष अब तक अयोगो

आशिष -- ए मीराआआ ,, इ ब्च्चु कब तक आने को बोलो है

मीरा किचन से बाहर आकर - इहे कोऊ दस इगारह बजे तक

मनोहर मुस्कुरा कर - ठीक है कल सुबह उका हम बात कर लेंगे ,, चलो खाना खा लेओ सब


फिर आशिष को थोडा राहत होती है और सारे लोग खाना खाने चले जाते है


जारी रहेगी
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
Behatareen update mittar..
Ghar ke nakse se lekar bachhu ki zindagi ka naksa sab bade hi sajeev tareeke se darshaya... Baki ki kami itane rochak sanwaad ne poori kardi...
Full too entertaining..
 
R

Riya

UPDATE 002


अब तक आपने पढा कि 3D अपने मित्र यानी कहानी के नायक को अपने ड्रामा कम्पनी मे एक रोल करने के लिए अपने पुराने कालेज , जहा वो दोनो बचपन से साथ पढे थे ।
मिस मनोरमा इंटरमीडियट कालेज , नवाबगंज , कानपुर
वहा आयुष को उसके पिता का घर आने का बुलावा आता है , तो वो जल्दी से 3D को घर चलने के लिये बोलता है और वो दोनो घर के लिए निकल जाते है ।
अब आगे


रास्ते मे
आयुष - अरे अरे घाट की ओर ले ना भाई , बाऊजी की स्कूटी लेनी है

3D - अबे हा बे , तुम्हाये बप्पा की सवारी तो हाईबे पे है

फिर वो जल्दी से वापस अटल घाट हाईवे पर जाते है और वहा से आयुष अपनी स्कूटी लेके घर की ओर निकल जाता है ।

वैसे तो दोनो का घर एक ही मुहल्ले मे था , मजह 100 मीटर की दुरी जान लो । वही उस्से ठीक 200 मीटर पहले बाजार के मुहाने पर आयुष के भैया आशीष शुक्ला की मिठाई की दुकान है । जो आयुष की माता जी के नाम पर है
शान्ति देवी मिष्ठान्न भण्डार

घर जाते जाते हुए रास्ते मे ही 3D ने अपनी बुलेट शान्ति देवी मिष्ठान्न भंड़ार के बाहर पार्क कर दी । फिर आयुष की स्कूटी पर बैठ कर आ गया शुक्ला भवन


भईया इस कहानी मे इंसानी किरदारो के साथ साथ शुक्ला भवन भी एक अहम किरदार है ।
अब कुछ महानुभाव अपनी खोपड़ी खुरचेन्गे कि आखिर अइसा का है इ शुक्ला भवन मे

तो आओ अब इस घर की भी खतौनी पढ लेते है ।

सटीक 2400 स्कवायर फुट का क्षेत्रफल का घेराव लिये कानपुर के नवाबगंज थाना क्षेत्र के शिवपुरी कालोनी का मकान नं 96 है हमारा शुक्ला भवन ।

शुक्ला भवन की डेट ऑफ बर्थ उसके सामने की दिवार पर खुदी हुई है - 10 मई 1970
वैसे तो इस भवन के कर्ता धर्ता और मुखिया श्री मनोहर शुक्ला ही है । लेकिन औपचारिकता के तौर पर जब इस भवन का कुछ साल पहले फिर से मरम्मत करवायी जा रही थी तब बड़े मोह मे श्री मनोहर शुक्ला ने भवन के गेट पर एक संगमरमर की प्लेट लगवा कर अपने स्वर्णवासी पिता श्री का नाम खुदवाया ।


शुक्ला भवन
स्व. श्री राधेश्याम शुक्ला
शिवपूरी 23/96 , नवाबगंज

ये तो हो गया शुक्ला भवन का बाह्य चरित्र जो दुनिया जमाने को दिखाने के लिए है
अब थोडा इनके भीतर के
आगन - कमरे कितने आचार × विचार × संस्कार मे बने है और एकान्त विचरण का स्थान यानी शौचालय कितना स्वच्छ और सामाजिक गन्दगी से दूर है ।
ये है शुक्ला भवन का जमीनी हकीकत यानी की ग्राउंड फ्लोर का नक्शा जो मनोहर शुक्ला जी के स्व. पिता श्री राधेश्याम शुक्ला जी द्वारा बनवाया गया था ।

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और ये है उपरी मंजिल जो स्वयं मनोहर शुक्ला जी ने कुछ सालो पहले तब बनवाया था जब उनके बड़के ब्च्चु अशीष शुक्ला की शादी तय हुई थी ।

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अब इस घर के ग्राउंड फ्लोर पर मनोहर शुक्ला अपनी धर्मपत्नी शान्ति शुक्ला के साथ रहते है और बाकी ऊपर उनके बड़े बेटे और बहू के लिए बाल्किनी से लगा कमरा था । एक कमरा हमारे आयुष बाबू का था और एक गेस्टरूम ।

वापस कहानी पर
आयुष शुक्ला तेज धडकते दिल के साथ फटाफट गाड़ी को शुक्ला भवन के सामने पार्क करते है और जल्दी से स्कूटी के शिसे मे खुद को निहार कर बाल वाल सवार कर 3D की ओर घूमते है और उनका पारा चढ़ जाता है

कारण ये थे अभी थोडी देर पहले 3D भैया ने जो पान खाई वो उगल तो दिया रास्ते मे लेकिन होठो से उसकी लाली और गाल से छीटे ना साफ किए

आयुष 3D का गम्छा जो उसके गले मे था उसका किनारा पकड के 3D के होठ पर दर कर साफ करते हुए - अबे ये क्या बवासीर बहा रहे हो बे ,,, जल्दी से कुल्ला करो , साले अपने साथ हमको भी पेलवा दोगे ।

3D मुस्कुरा कर मुह पोछता हुआ गेट खोल कर अन्दर शुक्ला भवन मे घुसते हुए - भैया बस दु मिंट

फिर 3D फटाक से शुक्ला भवन के बाहरी परिसर के दाई तरफ बने एक बेसिन के पास फटाफट
कुल्ला गरारा कर मुह पोछते हुए वापस आता और वो दोनो हाल मे प्रवेश करते है ।

हाल मे एक बैठक लगी है
जहा आयुष के पिता जी , उसके मामाजी और उसकी माता जी बैठी हुई है और वही बगल मे आयुष की भाभी खड़ी है अपनी सास के बगल मे सर पर पल्लु काढ़े
सास और बडकी बहू दोनो की नजरे जीजा-साले यानी आयुष के पापा-मामा के बीच पास हो रही तस्वीरो और उससे जुडी जानकारी पर जमी हुई थी ।

जी हा आज फिर आयुष के मामा जी श्री बांकेलाल जी , आयुष के लिये शादी का रिश्ता लेके आये थे ।

हाल मे प्रवेश करते ही आयुष मामा को नमसते करता है और अंदर का माजरा जानने समझने की कोशिस करता है

इतने मे 3D आयुष के मामा और पिता को प्रणाम करता है । फिर आयुष के मा के पैर छुए हुए - अम्मा आशीर्वाद

शान्ति मुस्कुरा कर - हा खुश रहो बच्चा
तभी 3D की नजर आयुष की भाभी मीरा पर जाती है

3D हाथ खड़ा कर मीरा से हस कर - औ भौउजी चौकस!!!!

मीरा तुनक के - कहा लिवाय गये थे तुम ब्च्चु को सबेरे सबेरे ,,ना चाय ना कुल्ला

वही आयुष की माता शान्ति भी मीरा की बात पर 3D को ऐसे देखती है कि मानो उसके सवाल मे उनकी भी हा हो

3D आयुष की मा के पाव के पास जमीन के पास बैठ कर - उ का है अम्मा , आज हमाये स्कूल मा है अनुयल पोरिग्राम, तो वही घुमाये के लिए लियाय गये थे ।

3D एक नजर जीजा साले की ओर देख कर वापस शान्ति से - इ का हो रहा है

शांति मुस्कुरा कर - अरे ब्च्चु के लिए रिश्ता आया है ,, ले तुहू देख

उधर आयुष अपनी शादी की बात सुन कर तनमना गया लेकिन बाऊजी के डर से अम्मा से बात करते हुए - अम्मा इ का है सब, फिर से

शान्ति कुछ बोलती उससे पहले आयुष नाराज होकर उपर चला जाता है ।

ये नया नही था आयुष के लिए जब रिश्ता आया था । हा लेकिन जॉब मिलने के बाद शान्ति की जल्दीबाजी आयुष की शादी को लेके ज्यादा ही होने लगी
हालाकि आयुष के पिता जी बहुत ही खुले विचार वाले थे और वो खुद चाहते थे कि आयुष खुद की पसंद और जब उसकी मर्जी हो तब ही शादी करे । लेकिन शुक्ला भवन की मैनेजर श्रीमती शान्ति शुक्ला को इस बात के लिए ऐतराज था और क्या कारण था इसका ये तो वो ही जाने ।

इधर आयुष बाबू अपना मुह फुलाए छत पर कमरे मे चले आये ।
मुह इसलिये फुला था कि उनकी दिली इच्छा थी कि वो भी फिल्मो के हीरो की तरह कोई अच्छी सी लड़की पटाये और उसके साथ समय बिता , मिल कर कुछ नये ख्वाब सजाये और फिर शादी करे ।

ऐसा नही था कि आयुष अपने पिता से डरता था , बस वो उनका सम्मान बहुत करता था क्योकि मुन्शी जी थे बडे गंभीर इन्सान , भले ही मानसिकता अच्छी थी लेकिन एक भारतीय मध्यम वर्गीय बाप का प्यार जताने का अपना तरीका होता है । वो कभी आपको आपके अच्छे काम के लिए सामने से शाबासी नही देगा ।
यही हाल आयुष बाबू के साथ भी था कि आईआईटी पास करने से लेके डेढ़ करोड़ का सालाना पैकेज की नौकरी मिलने के बाद भी आज तक मनोहर शुक्ला ने कभी उनकी पीठ नही थपथपाई ।
जिसका कचोट आयुष के मन मे हमेशा रहता था । काफी समय से उम्मीद का दिया लिये थक गये थे तो पिता से सम्मुख नही होते थे ज्यादा ।
इतना सब होने के बाद भी आयुष ने कभी भी अपने पिता को तिरसकार की दृष्टी से नही देखा ।

एक तरफ जहा आयुष बाबू अपने भविषय की चिन्ता मे लिन और थोडा तुनमुनाये थे वही निचे हाल मे

3D शान्ति के हाथ से तस्वीर लेते हुए - लाओ अम्मा दिखाओ हमको ,, आयुष का ब्याह ना SSC का रीजल्ट हो गया है , फाइनल ही नही होई रहा है

शांति हस कर - धत्त ,,,हे लल्ला जरा कौनौ परसन्द कर ना एक इ दुनो म से

3D दो लड़कियो की फ़ोटो देख रहा था - एकदम चऊकस अम्मा ,,,इका हमसे कराये देओ और इका अपने बच्चु से

3D की बात सुन कर सब हसने लग जाते है
इन सब के बीच मनोहर शुक्ला काफी गंभीर रहे और कुछ सोचने के बाद अपने साले साहब यानी आयुष के मामा से कहते हैं- ऐसा है बाँकेलाल तुम आज आराम करो कल सुबह तड़के निकल जाना मथुरा और ये दोनो रिश्ते के बारे में हम आयुष से बात कर बताते है फिर ।

अब घर मे भले जोर जबरदस्ती शान्ति शुक्ला चला ले , लेकिन मुन्शी जी के फैसले की इज्जत तो वो भी करती थी ।
थोडी देर मे आयुष के मामा ने अपना तान्ता बांता पोथी-पतरा समेटा और बैग मे रख लिये ।
थोडी देर बाद खाना की बैठक हुई और 3D अपने काम से निकल गया था ।
आयुष बाबू अभी भी मुह फुलाये अपने कमरे मे रहे ।
खाने के वक़्त घर मे उपस्थित सभी को आयुष की खाली टेबल पर खटक हुई और मुरझाये चेहरे से एक दुसरे को देखा लेकिन इस पर कोई चर्चा नही हुई ।

माहौल ठण्डा होता देख मीरा ने पहल कर खुद से सबको खाना परोसा और थोडी जोर जबरदस्ती कर खाना खिलाया और खुद से एक प्लेट मे खाना लेके उपर आयुष के कमरे मे जाती है ।
जहा आयुष किसी मित्र से फोन पर बातो मे व्यस्त होता है और दरवाजे पर दस्तक पाते ही फोन रख कर दरवाजा खोलता है ।

आयुष - अरे भाऊजी आप ,,,आओ
मीरा थोडा आयुष का मूड ठीक करने के अंदाज मे कुछ मुस्कुरा कर कुछ इतरा कर - हा , हम , अब चलो जगह दो

आयुष दरवाजे पर खडे होकर अपनी भाऊजी का मुस्कुराता चेहरा देख कर सब भूल गया , अपना दर्द तकलीफ , भविष्य की चिन्ता ।

आखिर कुछ ऐसा ही तो था हमारा हीरो एक दम मासूम भोला और प्यारा
उसको लाख तकलीफ हो , हजार चिन्ताये घेरे हो लेकिन कोई उससे प्यार से मुस्करा कर बात कर ले वो अपना सब कुछ भूल कर उसकी खुशी मे शामिल हो जाता था ।

आयुष मुस्कराते हुए आंखो से खाने की थाली दिखाते हुए - का भाऊजी आज भैया का बखरा (हिस्सा ) हमको देने आई हो का हिहिहिही

मीरा थोडा शर्मायी और आयुष को धकेल कर कमरे मे घुसते हुए - जे एक बात तो तुम समझ लो देवर बाबू ,,,जे दोहरी बातो वाला मजाक हमसे तभी करना जब भईया के सामने भी हक जमा सको ,,,, जे चोरी चोरी नैन मटक्का अपनी मुड़ी से करवाना

आयुष मीरा के तीखे तेवर से थोडा सहमा लेकिन उसे पता था ये उसके और उसकी भाभी के बीच की प्यारी सी नोक झोक थी जो समान्य थी और उसे अपनी भाभी को छेड़ कर तुनकाने मे मजा आता था आखिर उनका स्वभाव था ही कुछ ऐसा
आयुष उनको थोड़ा शांत करने और अपने दिल का हाल बताने के लिये मीरा का हाथ पकड कर बेड पर बिठाता है

आयुष थोड़ा परेशान होकर - भाऊजी काहे आप समझा नही रही हो अम्मा बाऊजी को कि अबही हम ब्याह नाही करना चाहते है ,

मीरा थोडा मुस्कुरा कर - अरे अभी कर कौन रहा है ,, तुम देख लेयो , समझ लेयो , मिल लेयो ,,, वैसे भी खुशी मनाओ तुम्हाये जितना हमको भेरायिटी नही मिला था परसन्द के लिए

आयुष मीरा की बाते सुन कर थोडा मुस्कुराता है फिर कुछ सोच कर उदास हो जाता है कि शायद उसकी बाते उसकी भाभी भी नही समझ पा रही है

मीरा आयुष को चुप देख कर - अरे बाबू ,,चिन्ता ना करो कोय तुमको जबरदस्ती ना करोगो ।
अब जोका किस्मत मे लिखो होगो वाई इ शुक्ला भवन की जूनियर इंचार्ज हैगी ।

आयुष थोडा उलझन और उत्सुकता से - जूनियर इंचार्ज
मीरा हस कर - हा अब आयेगी तो हम सीनियर इंचार्ज हो जायेंगे ना हिहिहिही

आयुष अपनी भाभी की बात सुन कर हस देता है और फिर खाना खाता है ।

उसी शाम को 5 बजे आयुष शुक्ला सो रहे होते है कि उनके मोबाईल की घंटी बज उठी और फोन पर 3D होता है

3D - हा बाबू तुम फटाफट तैयार हो जाओ हम 10 मिंट म पहुच रहे है

आयुष को शायद याद नही था कि उसे आज रात की ड्रामा मे रोल करना था तो वो हुआअस भरते हुए - क्याआआ हुआआआ 3D कोई बात है क्या

3D - अरे जाना नही है क्या ड्रामा सेट पर
आयुष को याद आता है तो वो झट से दीवाल पे टंगी घड़ी को देखता है और बोलता है - हा यार ,,ठीक है तुम आओ हम तैयार हो रहे है ।

फिर फोन कटता है और आयुष बाबू मस्त तैयार होकर निचे हाल मे आते है और किचन मे लगी अपनी भाऊजी को आवाज देते है ।

इस वक़्त शाम के समय घर मे अकसर कोई होता नही है
क्योकि शान्ति जी अपने सत्संग के लिए निकल जाती है और मनोहर जी अपने डिपार्ट वालो से मिलने जुलने और थोडा घूमने पार्क की ओर निकल जाते है

मीरा हाथ मे कल्चुल लिये बाहर आती है ,,शायद किचन मे कुछ भुन रही थी - हा बाबू बोलो का हयगो

आयुष बाबू अपनी बाजू फ़ोल्ड करते हुए जल्दी मे - भाऊजी फटाक से एक कप चाय बना दो ,,नाही दो ,वो 3D भी आई रहा है

मीरा एक नजर टिप टॉप तैयार हुए आयुश को देखती है और मुस्कुरा कर -- हाय हाय हाय ,, आज कहा गिरी इ बिजली

आयुष थोडा सिरिअस होते हुए - भाऊजी अबही कुछ ना ,,लेट होई रहा है प्लीज चाय बना दो ना

मीरा अपने मुताबिक जवाब ना पाकर तुनक जाती है और बड़बड़ाते हुए किचन मे घुस जाती है

आयुष बाबू अपना जुता जो हाल के एक किनारे दरख्त मे रखा था वहा से निकालते है और उसे साफ कर रहे होते है एक गंदे कपड़े से कि 3D हाल मे घुसता है

3D मुह पर हाथ रख कर थोडा खासते हुए - उह्ह्हुऊऊऊ ,,, का गरदा मचाये हो शुक्ला तुम

आयुष मुस्कुरा कर जुता साफ कर उसे लेके हाल मे लगी कुर्सी पर बैठ जाता है और पहनने लगता है

तभी किचन से मीरा दो कप चाय लेके आती है

3D चाय देख के - अरे भाऊजी दो ही कप ,,हमसे फिफ्टी फिफ्टी करेक ह का

मीरा जो थोडी देर पहले ही आयुष के जवाब से भड़की थी - का फिफ्टी फिफ्टी 3D भैया का फिफ्टी फिफ्टी ,, औ जे तुम फिर से जर्दा वाला पान खाये हो का


3D तुरंत मुह पर हाथ रख लेता है और एक नजर आयुष की ओर देखता है ।
मीरा - उका ना देखो तुम खाली हमका जवाब देओ ,,,औ कहा लिया जा रहे अब ब्च्चु को इतना टाईम फिर से

3D को उसका मजाक उसी पर भारी पड़ गया था तो वो बनावती हसी लाते हुए - अरे भाऊजी हेहेहेहे ,,कहा पान खाये है हम औ हम तो आयुष को अपने कालिज वाले पोरिग्राम मा लिवा जा रहे है

मीरा एक नजर आयुष को देखी और फिर अपनी कमर पर हाथ रख कर - औ वापस कब ला कर छोडोगे इका घर

3D चाय का सिप लेते हुए ह्स कर - इहे कोई 11 12 बजे तक

आयुष ना मे सर हिलाता है तो
3D हड़बड़ा कर - मतलब 11 बजे से पहीले ही , हा पहिले ही लेते आयेंगे

मीरा थोडी सोच कर - ठीक है, लेकिन 11 बजे से कान्टा एक सूत भी आगे ना जाये , नाही तो यहा दुसरी नौटंकी शुरु करवा देंगे हम इ जान लेओ ।

तबतक आयुश अपनी आधी खतम चाय छोड कर 3D को लेके बाहर जाता हुआ - हा भाऊजी हम आ जायेन्गे समय से आप अम्मा बाऊजी को खाना खिला देना ।

इससे पहिले मीरा अपनी कोई बात कहती वो दोनो फटाफट निकल जाते है ।

रास्ते मे गाड़ी पर
आयुष 3D के सर पर मारता है
आयुष - साले कितनी बार कहे है तुमसे की भाउजि से ना अझुराया करो ,, औ साले तुम ये पनवाड़ी बनना कब छोड़ोगे

3D - अरे कम कर दिया है यार, अब आदित बदलन मा टाईम तो लागि ना


ऐसे ही बाते करते हुए आयूष और 3D कालेज पहुच जाते है और अपनी तैयारियो मे जुड़ जाते है , रात 8 बजे का शो शुरु होने का समय होता है ।
एक एक प्रोग्राम शुरु किये जाते है बारी बारी लेकिन अपने हीरो की एन्ट्री मे समय था ।

इधर शुक्ला भवन मे मीरा खाने परोसने की तैयारी मे थी । शान्ति देवी भी अपने सतसंग से वापस आ चुकी थी । हाल मे आयुष के पिता जी और उसके भईया बैठे थे ।

आशीष - मीराआआआ ,,, इ ब्च्चु कहा है दिखाई नही दे रहा है
मीरा किचन से - हा ऊ 3D भैया के साथ अपने कालिज गये है । आज कोई फनसन है उहा

आशीष मीरा के जवाब से सन्तुष्ट होता है और अपने पिता से कुछ बोलना चाहता है कि उसकी नजर गम्भिर और शांत होकर किसी गहरी सोच मे डुबे हुए अपने पिता पर जाती है ।

उसे अपने पिता का ऐसे सोच मे डूबा होना थोडा खटक जाता है
वो अपने पिता के पास होकर - बाऊजी क्या सोच रहे है

मनोहर - कुछ नही आशीष , सोच रहे है बच्चु को हमसे का नाराजगी है जो ऊ हमसे बात नहीं कर रहा है

आशीष ऐसे भावुक बाते सुन कर थोडा माहौल हसनुमा करता हुआ -- अरे नाही बाऊजी , कोनो नाराजगी ना हयगी , ऊ तो बचपन से शर्मीला है और आपके सामने आने मे हिचक करता है ।

मनोहर अपने दिल की भड़ास निकालते हुए - अरे वही तो ,,,काहे ऊ अइसा करी रहा है , अगर ऊ का मन मे कोई बात हो तो एक बार हमसे कहे का चाहि ,

तब तक हाल मे शान्ति जी प्रवेश करती है - अगर ऊ बात नाही करत हय तो तुम्हू कौन सा पहिल कर लेत हो ,, तुम्हू तो बात नाही करत ब्च्चु से

शान्ति मनोहर को समझाते हुए -- चुप्पी रिश्तन की अहमियत को खोखला कर देतो है आशीष के बाऊजी

शान्ति - समय है अबही पहिल कर लो, इक बार ब्च्चु नौकरी के लिए निकल गवा तो यो मौका भी निकल जायोगो

मनोहर थोडा सोच विचार कर - ए आशिष जरा बहू को पुछ,, आयुष अब तक अयोगो

आशिष -- ए मीराआआ ,, इ ब्च्चु कब तक आने को बोलो है

मीरा किचन से बाहर आकर - इहे कोऊ दस इगारह बजे तक

मनोहर मुस्कुरा कर - ठीक है कल सुबह उका हम बात कर लेंगे ,, चलो खाना खा लेओ सब


फिर आशिष को थोडा राहत होती है और सारे लोग खाना खाने चले जाते है


जारी रहेगी
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
Wonderful update. tankha 1.5 crocre salana , wo bhi delhi me,ayus bhola bhala . galat ladki ki sangat me ake ya uske moh me ake usse shadi kar li to ghar se hi ayus ko alag kar degi. aesi ghatnae mei khud dekh chuki hu. Saanti ji ki chinta karna aur jalbaji karna jayaj hai. par ayus ko sayad man pasand ladki ki talas hai.
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
995
1,084
143
UPDATE 002


अब तक आपने पढा कि 3D अपने मित्र यानी कहानी के नायक को अपने ड्रामा कम्पनी मे एक रोल करने के लिए अपने पुराने कालेज , जहा वो दोनो बचपन से साथ पढे थे ।
मिस मनोरमा इंटरमीडियट कालेज , नवाबगंज , कानपुर
वहा आयुष को उसके पिता का घर आने का बुलावा आता है , तो वो जल्दी से 3D को घर चलने के लिये बोलता है और वो दोनो घर के लिए निकल जाते है ।
अब आगे


रास्ते मे
आयुष - अरे अरे घाट की ओर ले ना भाई , बाऊजी की स्कूटी लेनी है

3D - अबे हा बे , तुम्हाये बप्पा की सवारी तो हाईबे पे है

फिर वो जल्दी से वापस अटल घाट हाईवे पर जाते है और वहा से आयुष अपनी स्कूटी लेके घर की ओर निकल जाता है ।

वैसे तो दोनो का घर एक ही मुहल्ले मे था , मजह 100 मीटर की दुरी जान लो । वही उस्से ठीक 200 मीटर पहले बाजार के मुहाने पर आयुष के भैया आशीष शुक्ला की मिठाई की दुकान है । जो आयुष की माता जी के नाम पर है
शान्ति देवी मिष्ठान्न भण्डार

घर जाते जाते हुए रास्ते मे ही 3D ने अपनी बुलेट शान्ति देवी मिष्ठान्न भंड़ार के बाहर पार्क कर दी । फिर आयुष की स्कूटी पर बैठ कर आ गया शुक्ला भवन


भईया इस कहानी मे इंसानी किरदारो के साथ साथ शुक्ला भवन भी एक अहम किरदार है ।
अब कुछ महानुभाव अपनी खोपड़ी खुरचेन्गे कि आखिर अइसा का है इ शुक्ला भवन मे

तो आओ अब इस घर की भी खतौनी पढ लेते है ।

सटीक 2400 स्कवायर फुट का क्षेत्रफल का घेराव लिये कानपुर के नवाबगंज थाना क्षेत्र के शिवपुरी कालोनी का मकान नं 96 है हमारा शुक्ला भवन ।

शुक्ला भवन की डेट ऑफ बर्थ उसके सामने की दिवार पर खुदी हुई है - 10 मई 1970
वैसे तो इस भवन के कर्ता धर्ता और मुखिया श्री मनोहर शुक्ला ही है । लेकिन औपचारिकता के तौर पर जब इस भवन का कुछ साल पहले फिर से मरम्मत करवायी जा रही थी तब बड़े मोह मे श्री मनोहर शुक्ला ने भवन के गेट पर एक संगमरमर की प्लेट लगवा कर अपने स्वर्णवासी पिता श्री का नाम खुदवाया ।


शुक्ला भवन
स्व. श्री राधेश्याम शुक्ला
शिवपूरी 23/96 , नवाबगंज

ये तो हो गया शुक्ला भवन का बाह्य चरित्र जो दुनिया जमाने को दिखाने के लिए है
अब थोडा इनके भीतर के
आगन - कमरे कितने आचार × विचार × संस्कार मे बने है और एकान्त विचरण का स्थान यानी शौचालय कितना स्वच्छ और सामाजिक गन्दगी से दूर है ।
ये है शुक्ला भवन का जमीनी हकीकत यानी की ग्राउंड फ्लोर का नक्शा जो मनोहर शुक्ला जी के स्व. पिता श्री राधेश्याम शुक्ला जी द्वारा बनवाया गया था ।

Pics-Art-11-09-08-55-07

और ये है उपरी मंजिल जो स्वयं मनोहर शुक्ला जी ने कुछ सालो पहले तब बनवाया था जब उनके बड़के ब्च्चु अशीष शुक्ला की शादी तय हुई थी ।

Pics-Art-11-09-09-08-47

अब इस घर के ग्राउंड फ्लोर पर मनोहर शुक्ला अपनी धर्मपत्नी शान्ति शुक्ला के साथ रहते है और बाकी ऊपर उनके बड़े बेटे और बहू के लिए बाल्किनी से लगा कमरा था । एक कमरा हमारे आयुष बाबू का था और एक गेस्टरूम ।

वापस कहानी पर
आयुष शुक्ला तेज धडकते दिल के साथ फटाफट गाड़ी को शुक्ला भवन के सामने पार्क करते है और जल्दी से स्कूटी के शिसे मे खुद को निहार कर बाल वाल सवार कर 3D की ओर घूमते है और उनका पारा चढ़ जाता है

कारण ये थे अभी थोडी देर पहले 3D भैया ने जो पान खाई वो उगल तो दिया रास्ते मे लेकिन होठो से उसकी लाली और गाल से छीटे ना साफ किए

आयुष 3D का गम्छा जो उसके गले मे था उसका किनारा पकड के 3D के होठ पर दर कर साफ करते हुए - अबे ये क्या बवासीर बहा रहे हो बे ,,, जल्दी से कुल्ला करो , साले अपने साथ हमको भी पेलवा दोगे ।

3D मुस्कुरा कर मुह पोछता हुआ गेट खोल कर अन्दर शुक्ला भवन मे घुसते हुए - भैया बस दु मिंट

फिर 3D फटाक से शुक्ला भवन के बाहरी परिसर के दाई तरफ बने एक बेसिन के पास फटाफट
कुल्ला गरारा कर मुह पोछते हुए वापस आता और वो दोनो हाल मे प्रवेश करते है ।

हाल मे एक बैठक लगी है
जहा आयुष के पिता जी , उसके मामाजी और उसकी माता जी बैठी हुई है और वही बगल मे आयुष की भाभी खड़ी है अपनी सास के बगल मे सर पर पल्लु काढ़े
सास और बडकी बहू दोनो की नजरे जीजा-साले यानी आयुष के पापा-मामा के बीच पास हो रही तस्वीरो और उससे जुडी जानकारी पर जमी हुई थी ।

जी हा आज फिर आयुष के मामा जी श्री बांकेलाल जी , आयुष के लिये शादी का रिश्ता लेके आये थे ।

हाल मे प्रवेश करते ही आयुष मामा को नमसते करता है और अंदर का माजरा जानने समझने की कोशिस करता है

इतने मे 3D आयुष के मामा और पिता को प्रणाम करता है । फिर आयुष के मा के पैर छुए हुए - अम्मा आशीर्वाद

शान्ति मुस्कुरा कर - हा खुश रहो बच्चा
तभी 3D की नजर आयुष की भाभी मीरा पर जाती है

3D हाथ खड़ा कर मीरा से हस कर - औ भौउजी चौकस!!!!

मीरा तुनक के - कहा लिवाय गये थे तुम ब्च्चु को सबेरे सबेरे ,,ना चाय ना कुल्ला

वही आयुष की माता शान्ति भी मीरा की बात पर 3D को ऐसे देखती है कि मानो उसके सवाल मे उनकी भी हा हो

3D आयुष की मा के पाव के पास जमीन के पास बैठ कर - उ का है अम्मा , आज हमाये स्कूल मा है अनुयल पोरिग्राम, तो वही घुमाये के लिए लियाय गये थे ।

3D एक नजर जीजा साले की ओर देख कर वापस शान्ति से - इ का हो रहा है

शांति मुस्कुरा कर - अरे ब्च्चु के लिए रिश्ता आया है ,, ले तुहू देख

उधर आयुष अपनी शादी की बात सुन कर तनमना गया लेकिन बाऊजी के डर से अम्मा से बात करते हुए - अम्मा इ का है सब, फिर से

शान्ति कुछ बोलती उससे पहले आयुष नाराज होकर उपर चला जाता है ।

ये नया नही था आयुष के लिए जब रिश्ता आया था । हा लेकिन जॉब मिलने के बाद शान्ति की जल्दीबाजी आयुष की शादी को लेके ज्यादा ही होने लगी
हालाकि आयुष के पिता जी बहुत ही खुले विचार वाले थे और वो खुद चाहते थे कि आयुष खुद की पसंद और जब उसकी मर्जी हो तब ही शादी करे । लेकिन शुक्ला भवन की मैनेजर श्रीमती शान्ति शुक्ला को इस बात के लिए ऐतराज था और क्या कारण था इसका ये तो वो ही जाने ।

इधर आयुष बाबू अपना मुह फुलाए छत पर कमरे मे चले आये ।
मुह इसलिये फुला था कि उनकी दिली इच्छा थी कि वो भी फिल्मो के हीरो की तरह कोई अच्छी सी लड़की पटाये और उसके साथ समय बिता , मिल कर कुछ नये ख्वाब सजाये और फिर शादी करे ।

ऐसा नही था कि आयुष अपने पिता से डरता था , बस वो उनका सम्मान बहुत करता था क्योकि मुन्शी जी थे बडे गंभीर इन्सान , भले ही मानसिकता अच्छी थी लेकिन एक भारतीय मध्यम वर्गीय बाप का प्यार जताने का अपना तरीका होता है । वो कभी आपको आपके अच्छे काम के लिए सामने से शाबासी नही देगा ।
यही हाल आयुष बाबू के साथ भी था कि आईआईटी पास करने से लेके डेढ़ करोड़ का सालाना पैकेज की नौकरी मिलने के बाद भी आज तक मनोहर शुक्ला ने कभी उनकी पीठ नही थपथपाई ।
जिसका कचोट आयुष के मन मे हमेशा रहता था । काफी समय से उम्मीद का दिया लिये थक गये थे तो पिता से सम्मुख नही होते थे ज्यादा ।
इतना सब होने के बाद भी आयुष ने कभी भी अपने पिता को तिरसकार की दृष्टी से नही देखा ।

एक तरफ जहा आयुष बाबू अपने भविषय की चिन्ता मे लिन और थोडा तुनमुनाये थे वही निचे हाल मे

3D शान्ति के हाथ से तस्वीर लेते हुए - लाओ अम्मा दिखाओ हमको ,, आयुष का ब्याह ना SSC का रीजल्ट हो गया है , फाइनल ही नही होई रहा है

शांति हस कर - धत्त ,,,हे लल्ला जरा कौनौ परसन्द कर ना एक इ दुनो म से

3D दो लड़कियो की फ़ोटो देख रहा था - एकदम चऊकस अम्मा ,,,इका हमसे कराये देओ और इका अपने बच्चु से

3D की बात सुन कर सब हसने लग जाते है
इन सब के बीच मनोहर शुक्ला काफी गंभीर रहे और कुछ सोचने के बाद अपने साले साहब यानी आयुष के मामा से कहते हैं- ऐसा है बाँकेलाल तुम आज आराम करो कल सुबह तड़के निकल जाना मथुरा और ये दोनो रिश्ते के बारे में हम आयुष से बात कर बताते है फिर ।

अब घर मे भले जोर जबरदस्ती शान्ति शुक्ला चला ले , लेकिन मुन्शी जी के फैसले की इज्जत तो वो भी करती थी ।
थोडी देर मे आयुष के मामा ने अपना तान्ता बांता पोथी-पतरा समेटा और बैग मे रख लिये ।
थोडी देर बाद खाना की बैठक हुई और 3D अपने काम से निकल गया था ।
आयुष बाबू अभी भी मुह फुलाये अपने कमरे मे रहे ।
खाने के वक़्त घर मे उपस्थित सभी को आयुष की खाली टेबल पर खटक हुई और मुरझाये चेहरे से एक दुसरे को देखा लेकिन इस पर कोई चर्चा नही हुई ।

माहौल ठण्डा होता देख मीरा ने पहल कर खुद से सबको खाना परोसा और थोडी जोर जबरदस्ती कर खाना खिलाया और खुद से एक प्लेट मे खाना लेके उपर आयुष के कमरे मे जाती है ।
जहा आयुष किसी मित्र से फोन पर बातो मे व्यस्त होता है और दरवाजे पर दस्तक पाते ही फोन रख कर दरवाजा खोलता है ।

आयुष - अरे भाऊजी आप ,,,आओ
मीरा थोडा आयुष का मूड ठीक करने के अंदाज मे कुछ मुस्कुरा कर कुछ इतरा कर - हा , हम , अब चलो जगह दो

आयुष दरवाजे पर खडे होकर अपनी भाऊजी का मुस्कुराता चेहरा देख कर सब भूल गया , अपना दर्द तकलीफ , भविष्य की चिन्ता ।

आखिर कुछ ऐसा ही तो था हमारा हीरो एक दम मासूम भोला और प्यारा
उसको लाख तकलीफ हो , हजार चिन्ताये घेरे हो लेकिन कोई उससे प्यार से मुस्करा कर बात कर ले वो अपना सब कुछ भूल कर उसकी खुशी मे शामिल हो जाता था ।

आयुष मुस्कराते हुए आंखो से खाने की थाली दिखाते हुए - का भाऊजी आज भैया का बखरा (हिस्सा ) हमको देने आई हो का हिहिहिही

मीरा थोडा शर्मायी और आयुष को धकेल कर कमरे मे घुसते हुए - जे एक बात तो तुम समझ लो देवर बाबू ,,,जे दोहरी बातो वाला मजाक हमसे तभी करना जब भईया के सामने भी हक जमा सको ,,,, जे चोरी चोरी नैन मटक्का अपनी मुड़ी से करवाना

आयुष मीरा के तीखे तेवर से थोडा सहमा लेकिन उसे पता था ये उसके और उसकी भाभी के बीच की प्यारी सी नोक झोक थी जो समान्य थी और उसे अपनी भाभी को छेड़ कर तुनकाने मे मजा आता था आखिर उनका स्वभाव था ही कुछ ऐसा
आयुष उनको थोड़ा शांत करने और अपने दिल का हाल बताने के लिये मीरा का हाथ पकड कर बेड पर बिठाता है

आयुष थोड़ा परेशान होकर - भाऊजी काहे आप समझा नही रही हो अम्मा बाऊजी को कि अबही हम ब्याह नाही करना चाहते है ,

मीरा थोडा मुस्कुरा कर - अरे अभी कर कौन रहा है ,, तुम देख लेयो , समझ लेयो , मिल लेयो ,,, वैसे भी खुशी मनाओ तुम्हाये जितना हमको भेरायिटी नही मिला था परसन्द के लिए

आयुष मीरा की बाते सुन कर थोडा मुस्कुराता है फिर कुछ सोच कर उदास हो जाता है कि शायद उसकी बाते उसकी भाभी भी नही समझ पा रही है

मीरा आयुष को चुप देख कर - अरे बाबू ,,चिन्ता ना करो कोय तुमको जबरदस्ती ना करोगो ।
अब जोका किस्मत मे लिखो होगो वाई इ शुक्ला भवन की जूनियर इंचार्ज हैगी ।

आयुष थोडा उलझन और उत्सुकता से - जूनियर इंचार्ज
मीरा हस कर - हा अब आयेगी तो हम सीनियर इंचार्ज हो जायेंगे ना हिहिहिही

आयुष अपनी भाभी की बात सुन कर हस देता है और फिर खाना खाता है ।

उसी शाम को 5 बजे आयुष शुक्ला सो रहे होते है कि उनके मोबाईल की घंटी बज उठी और फोन पर 3D होता है

3D - हा बाबू तुम फटाफट तैयार हो जाओ हम 10 मिंट म पहुच रहे है

आयुष को शायद याद नही था कि उसे आज रात की ड्रामा मे रोल करना था तो वो हुआअस भरते हुए - क्याआआ हुआआआ 3D कोई बात है क्या

3D - अरे जाना नही है क्या ड्रामा सेट पर
आयुष को याद आता है तो वो झट से दीवाल पे टंगी घड़ी को देखता है और बोलता है - हा यार ,,ठीक है तुम आओ हम तैयार हो रहे है ।

फिर फोन कटता है और आयुष बाबू मस्त तैयार होकर निचे हाल मे आते है और किचन मे लगी अपनी भाऊजी को आवाज देते है ।

इस वक़्त शाम के समय घर मे अकसर कोई होता नही है
क्योकि शान्ति जी अपने सत्संग के लिए निकल जाती है और मनोहर जी अपने डिपार्ट वालो से मिलने जुलने और थोडा घूमने पार्क की ओर निकल जाते है

मीरा हाथ मे कल्चुल लिये बाहर आती है ,,शायद किचन मे कुछ भुन रही थी - हा बाबू बोलो का हयगो

आयुष बाबू अपनी बाजू फ़ोल्ड करते हुए जल्दी मे - भाऊजी फटाक से एक कप चाय बना दो ,,नाही दो ,वो 3D भी आई रहा है

मीरा एक नजर टिप टॉप तैयार हुए आयुश को देखती है और मुस्कुरा कर -- हाय हाय हाय ,, आज कहा गिरी इ बिजली

आयुष थोडा सिरिअस होते हुए - भाऊजी अबही कुछ ना ,,लेट होई रहा है प्लीज चाय बना दो ना

मीरा अपने मुताबिक जवाब ना पाकर तुनक जाती है और बड़बड़ाते हुए किचन मे घुस जाती है

आयुष बाबू अपना जुता जो हाल के एक किनारे दरख्त मे रखा था वहा से निकालते है और उसे साफ कर रहे होते है एक गंदे कपड़े से कि 3D हाल मे घुसता है

3D मुह पर हाथ रख कर थोडा खासते हुए - उह्ह्हुऊऊऊ ,,, का गरदा मचाये हो शुक्ला तुम

आयुष मुस्कुरा कर जुता साफ कर उसे लेके हाल मे लगी कुर्सी पर बैठ जाता है और पहनने लगता है

तभी किचन से मीरा दो कप चाय लेके आती है

3D चाय देख के - अरे भाऊजी दो ही कप ,,हमसे फिफ्टी फिफ्टी करेक ह का

मीरा जो थोडी देर पहले ही आयुष के जवाब से भड़की थी - का फिफ्टी फिफ्टी 3D भैया का फिफ्टी फिफ्टी ,, औ जे तुम फिर से जर्दा वाला पान खाये हो का


3D तुरंत मुह पर हाथ रख लेता है और एक नजर आयुष की ओर देखता है ।
मीरा - उका ना देखो तुम खाली हमका जवाब देओ ,,,औ कहा लिया जा रहे अब ब्च्चु को इतना टाईम फिर से

3D को उसका मजाक उसी पर भारी पड़ गया था तो वो बनावती हसी लाते हुए - अरे भाऊजी हेहेहेहे ,,कहा पान खाये है हम औ हम तो आयुष को अपने कालिज वाले पोरिग्राम मा लिवा जा रहे है

मीरा एक नजर आयुष को देखी और फिर अपनी कमर पर हाथ रख कर - औ वापस कब ला कर छोडोगे इका घर

3D चाय का सिप लेते हुए ह्स कर - इहे कोई 11 12 बजे तक

आयुष ना मे सर हिलाता है तो
3D हड़बड़ा कर - मतलब 11 बजे से पहीले ही , हा पहिले ही लेते आयेंगे

मीरा थोडी सोच कर - ठीक है, लेकिन 11 बजे से कान्टा एक सूत भी आगे ना जाये , नाही तो यहा दुसरी नौटंकी शुरु करवा देंगे हम इ जान लेओ ।

तबतक आयुश अपनी आधी खतम चाय छोड कर 3D को लेके बाहर जाता हुआ - हा भाऊजी हम आ जायेन्गे समय से आप अम्मा बाऊजी को खाना खिला देना ।

इससे पहिले मीरा अपनी कोई बात कहती वो दोनो फटाफट निकल जाते है ।

रास्ते मे गाड़ी पर
आयुष 3D के सर पर मारता है
आयुष - साले कितनी बार कहे है तुमसे की भाउजि से ना अझुराया करो ,, औ साले तुम ये पनवाड़ी बनना कब छोड़ोगे

3D - अरे कम कर दिया है यार, अब आदित बदलन मा टाईम तो लागि ना


ऐसे ही बाते करते हुए आयूष और 3D कालेज पहुच जाते है और अपनी तैयारियो मे जुड़ जाते है , रात 8 बजे का शो शुरु होने का समय होता है ।
एक एक प्रोग्राम शुरु किये जाते है बारी बारी लेकिन अपने हीरो की एन्ट्री मे समय था ।

इधर शुक्ला भवन मे मीरा खाने परोसने की तैयारी मे थी । शान्ति देवी भी अपने सतसंग से वापस आ चुकी थी । हाल मे आयुष के पिता जी और उसके भईया बैठे थे ।

आशीष - मीराआआआ ,,, इ ब्च्चु कहा है दिखाई नही दे रहा है
मीरा किचन से - हा ऊ 3D भैया के साथ अपने कालिज गये है । आज कोई फनसन है उहा

आशीष मीरा के जवाब से सन्तुष्ट होता है और अपने पिता से कुछ बोलना चाहता है कि उसकी नजर गम्भिर और शांत होकर किसी गहरी सोच मे डुबे हुए अपने पिता पर जाती है ।

उसे अपने पिता का ऐसे सोच मे डूबा होना थोडा खटक जाता है
वो अपने पिता के पास होकर - बाऊजी क्या सोच रहे है

मनोहर - कुछ नही आशीष , सोच रहे है बच्चु को हमसे का नाराजगी है जो ऊ हमसे बात नहीं कर रहा है

आशीष ऐसे भावुक बाते सुन कर थोडा माहौल हसनुमा करता हुआ -- अरे नाही बाऊजी , कोनो नाराजगी ना हयगी , ऊ तो बचपन से शर्मीला है और आपके सामने आने मे हिचक करता है ।

मनोहर अपने दिल की भड़ास निकालते हुए - अरे वही तो ,,,काहे ऊ अइसा करी रहा है , अगर ऊ का मन मे कोई बात हो तो एक बार हमसे कहे का चाहि ,

तब तक हाल मे शान्ति जी प्रवेश करती है - अगर ऊ बात नाही करत हय तो तुम्हू कौन सा पहिल कर लेत हो ,, तुम्हू तो बात नाही करत ब्च्चु से

शान्ति मनोहर को समझाते हुए -- चुप्पी रिश्तन की अहमियत को खोखला कर देतो है आशीष के बाऊजी

शान्ति - समय है अबही पहिल कर लो, इक बार ब्च्चु नौकरी के लिए निकल गवा तो यो मौका भी निकल जायोगो

मनोहर थोडा सोच विचार कर - ए आशिष जरा बहू को पुछ,, आयुष अब तक अयोगो

आशिष -- ए मीराआआ ,, इ ब्च्चु कब तक आने को बोलो है

मीरा किचन से बाहर आकर - इहे कोऊ दस इगारह बजे तक

मनोहर मुस्कुरा कर - ठीक है कल सुबह उका हम बात कर लेंगे ,, चलो खाना खा लेओ सब


फिर आशिष को थोडा राहत होती है और सारे लोग खाना खाने चले जाते है


जारी रहेगी
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ayush kismat wala hai. fatak se Naukri , aur ab chokri sab mil rahi hai hai bin mange hi. par ayush hai ke mana kar raha hai :D
ayush ke bartav sabhi paresha hai. kyu na usko ache se bithake baat kar le sabhi. uske man me kya chal raha hai ye jaan le.
 

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