Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

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अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
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पिछले भाग मे शुक्ला भवन के बारे मे आप सभी ने पढा और यहा कैसे किस किरदार मे लोग है वो भी आप समझ ही गये होगे । नायक की माता को उनके लडके के शादी की चिन्ता है और वही उसके पिता को उसके दुर जाने की और इन सब से अलग हमारे नायक को आज के अपने परफोर्मेंस की चिन्ता है तो चलिये ले चलते है आपको मिस मनोरमा इंटरमिडिएट कालेज नवाबगंज , कानपुर
जहा 3D भैया की अल्बेला ड्रामा कम्पनी आज के अनुवल प्रोग्राम मे एक नाट्य पेश करने जा रही है ।

अब आगे

मिस मनोरमा कालेज का सेमिनार हाल तालियो की गड़गड़ाहट और सिटीयो की आवाज से गूंज रहा था क्योकि अभी अभी कार्यक्रम के संचालक महोदय ने एक हास्य नाट्य प्रस्तुत होने की घोषणा की थी ।

स्टेज का पर्दा खुलता है और सामने दीन-ए-इलाही जलालुद्दीन मुहम्मद बादशाह ए अकबर का सेट लगा हुआ था ।
मन्च पर सामने की तरफ अकबर अपने आसन पर बिराजमान थे और 3 मंत्रीयो और शह्जादे सलीम की तसरिफ भी ऐसे ही लगाई गयी थी की audience को उनका लूक सही से दिखे ।
कुछ पहरेदार भी खडे थे
स्टेज के एक किनारे म्यूज़िक टीम ने अपना तासा बजाया जिससे आभास हो गया कि सभा की शुरुवात हो गयी थी ।

तभी एक गाने की तर्ज पर एक नर्तकी ने बगल से आकर अपना चेहरा ढके हुए एक नृत्य पेश किया और फिर बादशाह सलामत की पैरवी कर पीछे हट गयी ।

अकबर एक तुकबंदी भरे अंदाज मे - दिवान जी ,,, आज इस कनिज से क्यू किया कोटा पुरा ,, आखिर अरे कहा है हमारी मलाइका अरोरा

सेट पर एक बगल का मंत्री खड़ा होता है - माफी हुजूर , लेकिन अनारकली को हो गया है गुरुर


अकबर थोडा रोब मे - अगर हो गया है उसे गुरुर
तो निकाल फेको उसे महल से दुर
और खोजो कोई नयी गीता कपूर
दिवान - जी हुजूर , अभी बजवा देते नगर मे डँका, मिल ही जायेगी कोई प्रियंका

एक तरफ जहा स्टेज पर सामने रंगमच जमा हुआ अपने जोर पर था वही स्टेज के पीछे आयुष बाबू अपने रोल का ड्रेसअप किये नर्वश हुए जा रहे थे और बार बार डायलाग की पर्ची पढ रहे थे ।

तभी 3D भागता हुआ आता है तो आयुष को पसीना बहाते देख - अबे का यार शुक्ला , काहे इतना नरभसाय रहे हो

आयुष झल्ला कर - यार हमसे ना होगा ये ,, एक भी डायलोग हम याद नही कर पा रहे है

3D - यार अब तुम्हाये सीन का समय हो गया है तो तुम अपनी नौटंकी ,,,,,,

तभी बाहर आयुष के सीन के लिए पर्दा गिरता है तो 3D उसका हाथ पकड कर खिच कर स्टेज पर ले जाता है।

3D आयुष को समझाते हुए - बाबू तुम बस अपनी ये अनारकली वाली अदाये दिखाना बाकी डायलोग हम बगल से बोलते रहेन्गे ,,और कोसिस करना की जब डायलोग चले तो अपना मुह छिपा लेना

तबतक सलमान जो सलीम के रोल मे था वो आता है - 3D भैया जल्दी करो रोल का समय होई रहा है

फिर सारे लोग अपने काम पर लग जाते है और एक बगीचे के सीन पर मंच का पर्दा खुलता है ।
अनारकली ( आयुष) एक पेड़ के किनारे खड़ा होती है और सलीम( सलमान) उसके पीछे एक गुलाब लेके खड़ा होता है ।

सलीम - आज तुम दरबार मे क्यू नही आई अनारु

3D के कहे अनुसार आयुष तुरंत मूह फेर लेता है और बगल से 3D अनारकली का डायलोग बोलता है -- हम अब दरबार नही जाना चाहते है शहजादे ,
क्योकि ठीक नही है बादशाह सलामत के इरादे ।।


सलीम एक कदम आगे जाकर अनारकली के कन्धे पकडता है जिससे आयुष थोडा खुद को uncomfortable मह्सूस करता है

सलीम - अब यू ना रुस्वा हो मेरी जान ,
आखिर बुड्ढों के भी होते है अपने अरमान ।


इधर audience मे हसी और तालिया सिटिया जोरो पे होती है

आयुष सलमान से थोडी दुर होकर खड़ा हो जाता है
अनारकली आहे भरने के भाव मे - आखिर कब मुझे सहना पडेगा ,,
थके पैरो मे झन्दू बाम मलना पडेगा ।।


सलमान वापस से आयुष के कन्धे पकड लेता है
सलीम - तुम ही बताओ मै क्या करु ये हसिना ,
जब बाप ही मिला है मुझे कमीना ।।


अनारकली (आयुष ) अपना चेहरा सलीम के तरफ घुमाकर - जीना है साथ मे तो पल पल यू मारना क्या,
और जब प्यार किया है तो डरना क्या ।।



ये डायलोग खतम होते ही आयुष यानी अनारकली सेट से हट जाती है ।

वही सलीम थोडा रोने का नाटक कर निचे बैठते हुए - अगर मैने ये अब्बा को बता दिया तो कयामत आ जायेगी ,
घर से निकलना तो दुर कमरे की वाईफाई भी बन्द हो जायेगी ।।


इधर पर्दा गिरता है और एक नये सीन की फटाफट तैयारी होती है

उधर आयुष पीछे जाकर बैठ जाता है और कपडे निकलता है तब तक 3D हसते हुए - अबे यार मस्त छमिया लग रहे थे बे
और आयुश के गाल खीचता है

आयुष झल्ला कर - अबे हटो बे ,,,साले तुम्हाये चक्कर मे तुम्हारा सलीम हमको सच की अनारकली समझ बैठा था,,,,

3D हसने लगता है
आयुष झल्ला कर - अबे हसो मत 3D ,,,,फट रही थी हमारी यार

आयुष कपड़े बदलते हुए - अब चलो तुम्हारा काम हो गया छोड दो हमे घर

3D उसके कन्धे पर हाथ रख हसते हूए - अबे इतना चौकस परफारमिन्स दिये हो बे थोडा देख तो लो तुम्हारा आशिक का कर रिया है स्टेज पर

फिर वो दोनो वापस मन्च के बगल मे खडे होकर बाकी बचे नाट्य का आखिरी सीन देख रहे होते है । जहा अकबर और सलीम के बीच जुगलबंदी भरे हास्य संवाद चल रहे होते है ।

अकबर - सलीम तुम ऐसा करोगे हमे ज्ञान ना था ,
थोडा भी अपने अब्बा के अरमानो का ध्यान ना था।।


सलीम - अब्बा हुजूर अनारु मेरी है ये जान लो ,
करवा दो निगाह हमारा और अपनी बहू मान लो।।


अकबर रोश मे - हमे ही नही तुम्हारी मा को भी नागवार होगा
जब एक कनिज के लिए बाप बेटे मे मार होगा।।


ये बोलकर अकबर दुसरी से मन्च से हट जाता है
सलीम दुखी होने के भाव मे - ना खुदा मिला ना मिसाले सनम ,
बाप बाप होता है ये समझ गये हम।।


सलीम और अकबर के बीच के संवाद से आयुष भी बहुत हस रहा था वही audience भी फुल जोश मे तालीया सिटिया बजा रही थी ।

तभी मन्च का पर्दा गिरता है और संचालक नाट्य समाप्ति की घोषणा करता है ।

इधर 3D और आयुष भी निकल जाते है घर के लिए
रास्ते मे वो एक रोड साइड ठेले पर छोले भटूरे खाते है और फिर समय से 11 बजे तक घर आ जाते है ।


अगली सुबह
सारे लोग नास्ते के लिए हाल मे इकठ्ठा होते है
शान्ति , मनोहर जी को आयुष की तरफ इशारा करती है तो मनोहर जी उनहे इत्मीनान होने का कहते है ।
इधर नासता खतम होता है और आशिष दुकान के लिये निकलता हुआ --- ठीक है बाऊ जी हम दुकान के लिए निकल रहे है

आयुष - भैया हम भी चले दुकान , यहा घर मे बोर हो जाते है बैठे बैठे

अशीष एक नजर अपने पिता को देखता है लेकिन वो मना भी नही कर सकता था तो मनोहर जी हा मे इशारा करते है

आशिष हस कर - हा हा क्यो नही आओ चलो
फिर आयुष भी आशिष के साथ निकल जाता है दुकान के लिए

इधर इन दोनो के जाते ही शान्ति भडक जाती है
शान्ति भड़के हुए स्वर मे - इ का कर रहे है अशीष के बाऊ जी , हा , बात काहे नाही किये ब्च्चु से

मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे अशीष की अम्मा ,, काहे परेशान हो , आयुष के शहर जाये मा अभी 4 दिन का बख्त है

शांति थोडा गुस्से मे समझाते हुए - अरे इहे 4 दिन के इन्तेजार मे 24 साल बीत गवा ,
मनोहर शान्ति के तानो से चुप हो जाते है और उनको भी शान्ति की बाते सही लगती है। वो तय करते है कि आज किसी भी तरह वो आयुष से बात करेंगे ही ।
इधर मनोहर जी अपनी चिन्ता मे दुबे हुए थे और उधर नवाबगंज बस स्टैंड पर लोहिया बस परिवहन के कानपुर डिपो से कहानी मे नये किरदारो ने एन्ट्री लेली थी ।

सोनमती मिश्रा
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रिश्ते मे ये शुक्ला भवन की इंचार्ज मीरा शुक्ला की सगी बुआ है और फतेहपुर - कानपुर बार्डर के पास एक गाव चौबेपुर से है । स्वभाव से काफी हसमुख और चंचल है लेकिन जहा स्वार्थ सिद्ध हो रहा हो वहा इनका भाव बदल जाते है ।
और आज इनके साथ आई थी इनकी सुपुत्रि

चारु मिश्रा
20211113-191827
उम्र 22 साल हो गयी है लेकिन समय के साथ मेच्योर नही हो पाई है । बचपना और भूलने की आदत से इनकी अम्मा यानी सोनमती मिश्रा बहुत परेशान होती है इसिलिए कोई खास इज्जत मिलती नही है इनको ।


तो मिश्राइन ने बड़ी जद्दोजहद के बाद एक औटो कर लिया जो कम पैसे मे उनको शिवपूरी कालोनी के शुक्ला भवन मे ले जा सके ।

थोडी ही देर मे औटो शुक्ला भवन के गेट पर रुकता है ।
दो भारी भरकम बैग चारु से खिचवाते हुए और एक झोला खुद हाथो मे लेके मिश्राइन शुक्ला भवन मे प्रवेश करती है ।
सोनमती - मिराआ ये मिराआआ

सोनमती मीरा को आवाज देती हुई हाल मे घुस्ती है
मीरा किचन से बाहर आते हुए - अरे सोनमती बुआ आप
मीरा झुक कर सोनमती के पैर छूटी है

वही हाल मे बैठी शान्ति मुह बनाते हुए मनोहर से फुसफुसाती है - अब इ भईसिया की कमी थी जे भी आ गयी
मनोहर - अरे कभी अपने नाम का ही लाज रख लिया करो आशिष की अम्मा ,,,मेहमान है बसने थोडी आये है

शान्ति - देख नाही रहे पुरा बक्सा भर समान पसार दी है आते ही
मनोहर शान्ति की बात पर हस देते है

इधर मीरा चारु से मिलती है और उसका बैग लेके उसको हाल मे बैठने को बोलती है

सोनमती हाल मे लगे चौकी पर बैठते हुए - नमस्ते भाई साब ,, नमस्ते जीजी

शांति भी अपने जज्बात दबा कर - नमस्ते , और आज बडी सुबह सुबह मिश्राइन

सोनमती ह्स कर - अरे ऊ तो हम इ चारु ,,,
सोनमती चारु को डांटते हुए - हे पगली ,, चल नमस्ते कर जीजी और भाईसाब को

चारु बैठे बैठे ही हाथ जोड लेती है
इधर शान्ति देवी अपनी बात फिर से रखती उससे पहले मीरा एक ट्रे मे बिस्कुट और चाय लेके आ जाती है

मीरा वही चारु के बगल मेखडे होते हुए - लेओ बुआ नासता करो , लेओ चारु तुम्हू

मीरा - औ बताओ बुआ , चौबेपुर मे सब कइसे है

सोनमती बिस्किट डुबो कर खाती हुई - चौबेपुर मा तो सब ठीक है
मनोहर - और आने कौनौ तकलीफ तो ना हुई ना चारु की अम्मा

सोनमती हस कर - ना ना भाईसाब , सब ठीक ठाक रहा
मनोहर हाल मे पडे बैग को इशारे से दिखा कर - फिर इधर कैसे आना हुआ

सोनमती थोडा सोच मे पड़ गयी और कुछ जवाब देने मे हिचकने लगी ,उसकी हालत खराब होते देख मीरा बोलती है

मीरा चहक कर - बाऊजी , उ चारु के इही नवाबगंज के उनीभरसिटी मा एडमिशन मिलो हो , तो वही लिया हैगी

चारु इसपे कुछ बोलना चाहती है लेकिन मीरा ने उसका कन्धा दबा कर चुप किया उसे


मनोहर जी ने आगे कुछ नही कहा और शान्ति जी तो बात करने के मूड मे नही थी ।
फिर मीरा , सोनमती बुआ और चारु को लिवा के उन्के समान के साथ उपर गेस्टरूम मे चली गयी ।

गेस्टरूम मे कमरे का दरवाज बन्द होते ही
मीरा सोनमती पर चिल्लाती है - जे का लहभर लेके आ गयी तुम बुआ , , अभी से दहेज का समान उठा लाई का

मीरा गरमाते हुए - जे हम तुमको बोले थे कि ऐसे आना की कुछ अजीब ना लागे ,,,

सोनमती - जे हम तो सोचे कि आयुष हमायी चारु को परसन्द कर लोगो तो लगे हाथ सगुन करवा देबे

मीरा अपने सर पर हाथ रख कर बिस्तर पर बैठ जाती है ।

सोनमती थोडी चिन्ता के भाव मे - का हुआ मीरा ,,कपार दर्द करी रहा है का

मीरा झ्ल्लाते हुए - कपार दर्द तो तुम खुद बन गयी हो बुआ ,,,जे हम तुम को लाख बार समझाये थे

तभी मीरा को चारु नजर नही आती है
मीरा - जे चारु कहा गयी अब ,,,हे भोलेनाथ का करे हम

चारु वही कमरे मे दोनो बैग खोल कर अपने सारे समान निकाल कर फैला रही होती है

सोनमती - हे पगली छोड ऊ सब
मीरा परेशान होकर - जे पगली ऐसी रहेगी तो कैसे आयुष इको परसन्द करोगो

सोनमती मीरा को पालिश लगाती हुई - अच्छा सुन छोड उ सब हम तुम्हारे लिये चौबेपुर से साडी लाये है ।

मीरा थोडा पिघल जाती है और फिर थोडी देर बाद मीरा और सोनमती अपनी प्लानिंग करते है कि कैसे घर मे सबको शादी के तैयार करे और कैसे आयुष हा करे ।
इधर आयुष बाबू हमारे पहली बार दुकान पर बैठे थे तो अशीष शुक्ला ने इनको ओर्डेर वाले काउंटर पर बिठा दिया ।

आयुष बाबू की हिन्दी लिखावट थोडी कमजोर थी तो उनको ओर्डेर लेने मे भी सम्स्या हो रही थी थोडी तो कैसे भी करके मैनेज कर रहे थे ।
ऐसे मे उन्ही की मुहल्ले की दो लड़कीया आती है दुकान पर

अब आयुष बाबू कम हीरो थोडी थे और आज तो दुकान के लिये अलग से अच्छी राउंड नेक वाली नेवी ब्लू टीशर्ट और वाइट जीन्स पहने थे ।

तभी वो लडकीयो मे एक लडकी जिसका नाम मोनी था ।
वो बिना आयुष को देखे अपनी पर्ची पढते हुए - भैया सवा पौवा मोतीचुर के लड्डु ,, पौना पौवा हलुआ सोहन ,, 3 किलो सेव और पपड़ी

हीरो मोनी और उसकी सहेली को देख कर हसी छूट जाती है
तभी मोनी की सहेली उसको रोकते हुए एक नजर सामने देखने को कहती है
मोनी हीरो को देख कर आंखे बड़ी कर लेती है और उसको मुह रोने जैसे हो जाता है ,,, क्योकि वो मोनी आयुष बाबू की मुहल्ले की दिवानीयो मे से एक होती है और आयुष को अनजाने मे भैया बोल कर वो खुद के पैर पर कुलहाडी मार लेती है

आयुष जो कि उसे पता होता है कि मोनी उसके लिये चिपकु है तो आज उसे भी मौका मिल गया छूटकारा पाने का

आयुष उसका मजा लेते हुए - जी बहन जी ये 3 किलो सेव और पापडी तो समझ आ गया लेकिन ये सवा पाव और पौवा पाव क्या होता है ।

मोनी जैसे ही आयुष के मुह से बहन जी सुनती है उसका चेहरा और भी रोने जैसा हो जाता है वही उसकी सहेली हस रही होती

मोनी रोते हुए समान की पर्ची अपनी सहेली को देके भाग जाती है
फिर आयुष और वो दुसरी लडकी हसने लगते है ।

आयुष मजे लेते हुए - वैसे इन्हे क्या हुआ , रो क्यू रही थी
मोनी की सहेली हस्ते हुए - कुछ नही , दिल टूटा है बेचारी का ,,,आप ये ओर्डेर लिख लिजिये और घर भिजवा दिजियेगा मोनी के ,मै चलती हू

आयुष हस्ते हूए उस लड़की से पर्ची ले लेता है
और वो चली जाती है

जारी रहेगी
bade shukla ji ka nature accha laga khule vichar wale :D bhauji bhi chaukas hai. Par lagta hai shanti ji ke man me shanti nahi hai eeh ltna unko jaldi padi hai shadi ki..ab dekhte hai kya hota hai..waise tumne shukla ka vivran bhaut chaukas diya hai. Vese Shukla aur Mishra ka character ache laga hamko but mere jindigi me Mishra mere khadus dosto me se ek hai :sigh2:..aur 3d ke roop me best friend :love: bhotehi romanchak update hai :clapping:
 
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UPDATE 004

रिवीजन

अब तक आप सभी ने पढा कि कहानी ने जहा आयुष बाबू अपनी समान्य जीवन मे मस्तियाँ और रोमांच के मजे ले रहे हैं ।
वही पुरा शुक्ला भवन का स्टाफ अपनी चुलबुली और तुनकमिजाजी इंचार्ज मीरा के इरादो से बेखबर है । जो अपने बुआ की एक बक्लोल सी लड़की को आयुष के पल्ले बान्धने के फिराक मे अपने ताने बाने बुन रही है ।
अब आगे,,,



सेम डे सेम होमवर्क

रोज की दिनचर्या के हिसाब दोपहर के भोजन के लिए आशिष , आयुष को लिवा कर घर आता है ।

हाल की चौकी पर मुन्शी जी आराम कर रहे थे और बगल के कमरे से टीवी पर किसी सत्संग के प्रसारण की आवाजे आ रही थी ।

आशिष हाल मे घुसते हुए कुर्सी पकड कर बैठते है और मीरा को आवाज देते है

आशिष - मीराआआआ ये मिराआआ

मनोहर आंखे मुंदे ही - जरा सीढ़ी पर जाय के आवाज देओ ,,, चौबेपुर वाली मिश्राइन आई है

आशिष अचरज से - बुआ इहा , उ कौन काम से

मनोहर करवट बदलते हुए - अरे उका मुड़ी के इहा नवाबगंज मे कालिज मिला है उका लिये हैगी

आशिष कुछ सोचते हुए उठा और सीढि से फिर से मीरा को आवाज दी तो मीरा दौडते हुए निचे आई

मीरा हाफते हुए - आ गये का आप,,ऊ चौबेपुर वाली बुआ आई ना तो

आशिष कुछ मुह बनाते हुए - हा ठीक है खाना लगाओ और ब्च्चु के लिए भी ,,,
आशिष इधर उधर देख कर - इ ब्च्चु कहा गया

आशिष - आयुष ये आयुष
तभी आयुष बाहर से हाल मे प्रवेश करता है - जी भैया

आशिष - कहा गये रहे , खाना नाही खाना का

आयुष अपना मोबाईल जेब मे रखते हुए - खाना है ना भैया , वो कम्पनी से फोन आया था

फिर दोनो खाने के टेबल पर खाना खा रहे होते है इसी दौरान

आशिष- अच्छा, का कौनौ खास बात थी का आयुष

आयुष मुस्कुरा कर - हा भैया , कम्पनी ने हमारा फ्लाइट का टिकट बुक कर दिया है , उसी के लिए फोन आया था ।


आयुष की बाते आशिष के साथ मीरा भी बडे ध्यान से सुन रही थी और उसके मन की छ्टपटाहट बढ़ रही थी ।

अशीष खाने के प्लेट मे चावल मे चम्मच घुमाते हुए - अच्छा कब की है टिकट

आयुष मुसकुराते हुए- भैया शुक्रवार को

अशीष - औ वहा रहे के कोई इन्तेजाम है कि नाही
आयुष खाना खाते हुए - भैया कम्पनी की तरफ से फ्लैट मिल रहा है

आशिष थोडा निश्चिंत होकर - हा वही मतलब अगर कोई दिक्कत हो तो बताओ , सुशीला बुआ है उही नोएडा मे ,,वही बात कर लेंगे बाऊ जी

आयुष , आशिष को आस्व्श्त करते हुए - अरे नाही भैया कोनो दिक्कत नही होगा


लंच ओवर क्लास स्टार्ट

खाना खतम कर आयुष बाबू अपने कमरे मे चले गये जबकि अशीष का खाना जारी था

मीरा - ये जी ,, हमको तो आयुष बाबू को लेके टेनशन हो रहा है

अशीष - काहे , का हुआ
मीरा तुनक कर - जे आप को तो कोनो टेन्सन ही ना हैगी ,, जे ना सोच रहे छोटकन भाई है , नया शहिर मे अकेले रहने जा रहा है , भगवान ना करे कोनो करमजली फास ले उको तो

आशिष मुस्कुरा कर - अरे काहे टेनसनीया रही हो ,, ब्च्चु अब बड़ा होई गवा है और अपना भला बुरा खुद समझ सकता है

मीरा मुह बना कर - जे कौनौ गड़बड़ हुई तो ,,,हम तो कही रहे हैं कि उका जल्दी से शादी तय करा देओ और कोनो मुड़ी पठाये दो ,,, अझुराया रहोगो उसी मा


अशीष खाना खतम कर हाथ धुलता हुआ - तुम झूठहे टेन्सनियाय रही हो मीरा ,,, आयुष समझदार है

फ़िलहाल तो मीरा के लेक्चर का आशिष पर कोई असर नही हुआ
अशीष शुक्ला खाने के बाद वापस दुकान की ओर निकल गये और मीरा अपनी बात न मनवा पाने पर भनभना कर रह गई और कुछ सोच कर उपर अपने बुआ के पास गयी ।


टेस्ट विदआउट नोटिस

कमरे मे
सोनमती - जे का हुआ , का बात हुई जमाई बाऊ से

मीरा भन्नाते हुए - अरे का होगा बुआ , 4 दिन मा आयुष की फ्लाइट है और इनको हमाये बात को जू तक ना रेंगो

सोनमती चिंतित होके - हे भोलेनाथ , अब ???

मीरा कुछ सोच कर थोडा आत्मविश्वासी होकर - जे अब तो नयो खेल खेलनो पडोगो बुआ

सोनमती परेशान होकर - जे हमको टेनसन हो रहा है औ तुम खेल खेलन जा रही हो

मीरा झल्ला कर - इ पगलीया के साथ रह के तुम्हू पगलाये गयी हो का बुआ

मीरा - अरे हम कुछ प्लान करने की बात कही रहे हैं और तुम

सोनमती हस कर - हेहेहेहे अच्छा अच्छा सोच सोच

मीरा कुछ सोच कर चारु से , जो कि बिस्तर पर लेटे हुए मोबाइल मे रिल्स स्पाईप कर रही थी और हस रही थी

मीरा - हे पगली उठ ,, इधर आओ

मीरा - निचे किचन मे फिरीज मा , संतरा वाला जूस होगो जग मा , उका एक ग्लास मे लेके आओ

चारु मुह बनाते हुए उठी और निचे से एक ट्रे मे संतरे का जूस लेके उपर आई और वही टेबल पर रखा और वापस बिस्तर की ओर जाने लगी

मीरा - उधर का जा रही है ये मोटासी , इधर आ ,,

चारु तुनक कर बुदबुदाते हुए - हा जीजी बोलो

मीरा उसके पास खड़ी होकर एक बार उसके बाल थोडे सवारे और एक तरफ से कुछ बाल निकाल कर सामने कर दिये ।
फिर उसके दुपट्टा पीछे से खिच कर गले से चिपका दिया ताकि उसका क्लिवेज दिखे

फिर निचे झुक के उसके पैजामी की चूडिया सेट की और खड़ी हो गयी ।

चारु अपने गले स चिपके दुपट्टे को खीचते हुए - ऐसे काहे कर रही ही जीजी सब खुला खुला दिख रहा है

मीरा उसे समझाते हुए वापस उसका दुपट्टा गले पर चढा देती है
मीरा- भक्क पगली , जे इतना सुन्दर गले का डिजाईन का करने के लिए बनवाई है ,,दिखेगा नही तो पैसे बर्बाद ही है ना क्यू बुआ

सोनमती मजबूरी बस मीरा की हा मे हा मिलाती है क्योकि मीरा की हरकत तो उसे भी पसंद नही आती है

फिर मीरा चारु को वही जूस वाला ट्रे थामा देती है

मीरा - जा , आयुष बाबू को ये जूस देके आ

चारु को अटपटा सा लगता है , वो जानती है कि मीरा और उसकी मा जबरदस्ती उसकी शादी करवाना चाहते है लेकिन वो भी क्या कर सकती थी ।
ये सब उसके लिए ठीक वैसा ही था जैसे स्कूल मे टीचर हमे बिना कोई अग्रिम सूचना दिये अपने मूड के हिसाब से टेस्ट के लिए बोल देते थे ।


वो भी ट्रे लेके आयुष के कमरे का दरवाजा खटखटाती है ।
वही मीरा और सोनमती अपने कमरे के दरवाजे से बाहर झाक रहे होते है

इधर आयुष उठ कर आता है और दरवाजा खोलता है

चारु एक नजर आयुष को देखती है और फिर नजरे नीची कर लेती है

आयुष चारु को देख के - अरे चारु तुम ??

चारु नजरे नीची किये हुए थी और उसे अपने दुपट्टे के लिए बहुत ही शर्म आ रही थी
चारु दबी हुई आवाज - जूस
आयुष मुस्कुरा कर - अरे आओ आओ ,,, भाभी नही थी क्या

चारु अब क्या बोलती की सारी करतुत भाभी की ही तो है
आयुष कमरे मे आकर बिस्तर पर टेक लेके बैठ जाता है और बगल मे लगी चेयर पर चारु को बैठने को कहता है ।


चारु बहुत घबरा रही थी और टेबल पर जूस का ट्रे रख कर कुर्सी पर बैठ जाती है ।

इधर ये दोनो कमरे मे जाते है तो वही मीरा फटाक से दौड़ कर आयुष के दरवाजे से कान लगा कर खड़ी हो जाती है और उसके पीछे सोनमती भी

अन्दर आयुष इस समय एक बुक लेके बैठा था जो कि उसके बिस्तर पर पडा था ।
चारु कुछ सोच विचार दबे स्वर मे - आप अब भी पढाई करते है क्या

आयुष हस कर - नही , ये तो नावेल है ,,वैसे तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है

चारु उदास मन से- मेरी पढाई तो खतम हो गयी ,, BA कर ली है मैने

आयूष - ओह फिर आगे
चारु उखड़े मन से - अम्मा आगे नही पढने दे रही है ,

आयुष को थोडा अजीब सा लगा चारु के जवाब मे लेकिन वो समझ रहा था कि दुनिया समाज की दकियानुसी सोच को जो आज भी कही न कही लड़का और लडकी के लिए अलग अलग भावना रखे हुए थे ।

आयुष मुस्कुरा कर चारु को देखता जिसकी नजर उसकी टेबल पर रखे हिन्दी साहित्य के ख्यातिमान लेखक जयशंकर प्रसाद की लिखी एक किताब - तितली पर टिकी हुई थी ।


आयुष - अगर तुम चाहो तो ये ले सकती हो , पढ कर वापस दे देना

चारु को मानो खुशियो की गाड़ी मिल गयी हो और वो लपक कर वो किताब उठा लेती है ।

आयुष को भी अच्छा मह्सूस होता है कि इतने समय मे चारु के चेहरे पर मुस्कान बिखरि थी । जिसमे उसका भोलापन और मासूमियत और बचपना सबकी झलक थी ।

चारु खड़ी हुई और नजरे झुका कर आयुष को किताब के लिए धन्यवाद किया लेकिन इस बार कोई डर का भाव नही था ,, एक मुस्कान थी चेहरे पर

इधर मीरा और सोनमती को आभास हुआ कि चारु वापस आ रही है तो वो वापस कमरे मे आ गयी ।

थोड़ी ही देर मे चारु कमरे मे किताब लेके आई

मीरा लपक कर उसे खिचती हुए - हे पगली,, का बात हुआ उहा

चारु फिर से डर सी गयी - कुछ भी तो नही जीजी , बस ऐसे ही पढाई लिखाई की बाते

मीरा अपना सर पकड कर बैठ जाती है - हे भोलेनाथ,,, का होगो इ पगली का ,

मीरा थोडा चारु पर गरमा कर - हम काहे लिये तुमको भेजे थे उहा

चारु मासूमियत से - जूस के लिये जीजी ,, दे तो आये

मीरा का तो खुन उबल कर रह गया और वो सोनमती को देख कर - का होगा बुआ इ बकलोली का

सोनमती मीरा को परेशान देख कर- अरे इहमे उका का दोष , ऊ तो वाई की जे तुमने कही

मीरा खुद को शांत कर कुछ सोचते हुए एक नया प्लान बनाती है - हमम्म मतलब , इको बहुत कुछ सिखानो पडोगो

इधर मीरा और सोनमती अगले प्लान के लिए अपनी खोपड़ी मे जोर दे रहे थे ,,वही उसी कमरे मे चारु बड़ी मासूमियत से सब कुछ भूल कर किताब खोल कर बैठ गयी थी ।


क्लास बंक प्लान

एक तरफ जहा मीरा अपनी खोपड़ी मे जोर देके कुछ नये की प्लानिंग मे थी
वही आयुष बाबू कमरे मे बैठे बैठे बोर रहे थे और बाहर कही घूमना चाह रहे थे । इसिलिए वो अपने घनिष्ट , लन्गोटिया और एकमात्र मित्र 3D के पास फोन घुमाते है ।

3D बाबू जो नवाबगंज के एक राजनीतिक पार्टी के निजी कार्यालय मे हो रही एक मिटिंग मे व्यस्त थे । पार्टी उनकी खुद की नही थी बल्कि कार्यकर्ता मात्र थे। लेकिन 3D भैया नवाबगंज के पूर्व चेयरमैन के सुपुत्र रह चुके थे तो पार्टी का महामन्त्री इन्हे ही बनाया गया था ।
पैसे की वजह से पार्टी मे रुतबा इतना था कि अध्यक्ष के बाद दुसरी बडी फ़ोटो , पार्टी के हर बैनर पर इनकी होती थी ।

अब ऐसे मे 3D बाबू खुद को पार्टी का खास हिस्सा मानते थे और हमेशा अपनी जिम्मेदारि को समझते थे ।
अब इतने जिम्मेदार व्यक्ति का बीच मिटिंग से उठ कर जाना भी सही नही था , जबकि मिटिंग की अगुवाई खुद अध्यक्ष महोदय कर रहे हो तो ।
लेकिन लेकिन लेकिन ,,,लेकिन 3D भैया इतने भी खुदगर्ज नही थे कि उनके परम मित्र का फोन आये और वो ना उठाये ।

धर्मसंकट आ गया था 3D के लिए , आखिर करे तो क्या करे

एक तरफ आयुष बाबू के फोन की रिंग आ रही थी, वही अध्यक्ष जी पार्टी की योजना को लेके गंभीर चर्चा कर रहे थे ।

कुछ सेकंड की इस मानसिक जद्दोजहद के बाद कि पार्टी जरुरी या दोस्त

आखिरकार दोसती का मान रखते हुए फोन उठा लिया और उठाते हुए बोल पड़े- हा बाऊजी, हम पार्टी मिटिंग मे है ,, कोनो जरुरी काम

आयुष 3D के बहाने पे पहले हसा और बोला - बेटा, हम घर पर जरा बोर रहे है और तुमको कुछ जरुरी बात बतानी है ,,, जल्दी से अनवर पान वाले के यहा पहुचो ।

फिर आयूष हस कर फोन रख देता है ।
बुरे फसे 3D भैया ,, क्योकि आयुष ने उनको बिना कोई सफाई देने का मौका दिये ,सीधे फैसला सुना दिया


इधर पार्टी मिटिंग मे ये सोच कर शान्ति हो गयी कि पूर्व चेयरमैन साहब का फोन आया है । फोन कटते ही

अध्यक्ष - क्या हुआ दुबे ,, चेयरमैन साहब ठीक है ना ,,काहे परसान दिख रहे हो

3D को जैसे मौका मिल गया बहाने का
3D- हा भैया ऊ बाउजी का दस्त नही रुक रहा है सुबह से तो दवाई बदलेक लिये कही रहे है ।

अध्यक्ष बड़ी चिन्ता भाव से - अच्छा ठीक है तो तुम जाओ दवा लेके जल्दी घर फिर फोन करना जैसा हो ,,,,आते है हम शाम तक घर

3D - जी भैया
फिर 3D तुरंत कार्यालय से बाहर आता है और बुलेट लेके निकल जाता है , अनवर पान स्टाल पर



प्राइवेट टयूशन

इधर एक तरफ जहा 3D और आयुष , अनवर पान स्टाल पर मिल कर निकल जाते है घूमने
वही शुक्ला भवन मे मीरा , चारु की प्राइवेट टयूशन ले रही होती है ।

बंद कमरे मे मीरा और चारु अकेले होते है । मीरा, सोनमती को गेस्टरूम मे आराम करने का बोल कर चारु को अपने साथ अपने बेडरूम मे ले जाती है ।


मीरा चारु को समझाते हुए - देख चारु एक बात हमायी तू धियान से समझ

चारु मन उतार कर हा मे सर हिलाती है ।
मीरा - तू ठहरी बक्लोल और दब्बू ,, आज नाही तो कल ससुराल जायेगी ना ,, औ कल को तुमहारो मुड़ा शराबी जुआरि निकल गवो तो का करेगी , उपर से जेठानी ननंद परेशान करोगो सो अलग

चारु चुपचाप मीरा की बातो को सुन रही थी और उससे खुद को जोड़ रही थी ।

मीरा को भी इस बात का बखूबी अह्सास था
ऐसे मे उसने अपना अगला पासा फेका
मीरा - अच्छा इ बताओ ,, आयुष कैसा है

एक पल के लिए चारु को आयुष की सादगी का ख्याल आया और वो अपने आप उसी कमरे मे वापस ले गयी ।
जहा वो अपने दुपट्टे को गलत ढंग से लेने के लिए झिझक मह्सूस कर रही थी वही आयुष ने एक नजर भी उसके बेआबरु हुए सीने को नही देखा था ।

वही सोच कर चारु मुस्कुराई- वो तो अच्छे है जीजी

मीरा चारु से कबूलवाते हुए - शादी करेगी उका से
चारु हस कर - का जीजी , हम इ सब थोडी सोचे है

मीरा चारु को समझाते हुए - तो पगली सोच ना ,, सोच आयुष से ब्याह हो जायोगो तो इहे घर मे रहेगी ,,, जेठानी और ननद से कोनो डर ना रहोगो ,,हमाये जैसे ठाट से रहेगी ।

चारु मीरा की बाते ध्यान से सुन रही थी
मीरा उसको फुसलाते हुए - जे सोच , डेढ़ करोड़ सालाना कमाई है उकी ,,सब कुछ तुमाओ हो जाओगो और गाड़ी मे घुमे के मिलोगो सो अलग

चारु भी धीरे धीरे मीरा के ब्रेन वास वाले बिचार से प्रभावित हो रही थी ।
वो तो थी ही ऐसी , मासूम , शांत और एक बच्चे से दिल वाली
जहा कही भी थोडी सी खुशिया नजर आती उसी मे खो जाती थी । उसी मे अपनी दुनिया बना लेती थी ।


चारु थोडी जिज्ञासा से - लेकिन आयुष जी थोडी ना मानेगे


मीरा एक शरारती मुस्कान के साथ चारु के सर पर हाथ फेर कर - उकी चिन्ता ना कर ,, हम है ना उका लिये

चारु चुप रही और बस अभी अभी मीरा द्वारा सजाये गये एक माया की दुनिया मे खुद को तालाशने लगी ।

जारी रहेगी


शब्दार्थ
उका = उसका
उ = वो
इको = इसको
इहा = यहा
उहा = वहा
बक्लोल = मन्द बुद्धि
मुड़ी = लड़की
मुड़ा = लड़का
हैगी = आई है या आयेगी
ब्च्चु = घर मे सबसे छोटा
टेनसनिया रही = परेशान हो रही
दस्त ना रुकना = पेट खराब होना

क्लिवेज = दरार 😂😂😂 [ DON'T GOOGLE IT ]
पठाय दो = साथ मे रखने के लिए मंजूरी
अझुराना = फसा रहना


इम्पोर्टेंट नोटिस
सभी विद्यार्थीयो को सूचित किया जाता है कि आज का अपडेट पढने के बाद सभी लोग अपने अपने विचार से इस गद्यान्श का सार और उसपे टिप्पणियाँ लिख कर मुझे दिखाएँगे ।।

सभी विद्यार्थियो को उनके प्रर्दशन के अनुसार एमोजी रियेक्शन और प्रतिक्रिया दी जायेगी ।
धन्यवाद
Yeh jo aap kahi kahi Desi bhasha ka prayog kerte h padhne bahot achcha lgta hai :cool2:
Meera apni taraf se poori koshish ker rahi h Charu ki shadi Ayush se ho jaye :pleasantry:
Dekhte h Bua bhatiji ka plan kamyab hota h ya nahi :watermelon:
Bahot behtareen shaandaar update bhai :clapping:
 
ADMIN :D
Senior Moderator
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मुड़ी = लड़की
मुड़ा = लड़का
Mundi Munda name se to song yaad aa gawa hamka brown munde :lol4: vese ye kider boli jati hai coz kanpur ya up side na suna mene kabhi


हैगी = आई है या आयेगी
Suru me hagi suna to dimagh khai aur chala gaya but :googleit: kiya to pata chala hagi Nani hoga hogi hai :lol2:
क्लिवेज = दरार 😂😂😂 [ DON'T GOOGLE IT ]
Isne to Google karne ki jarurat hi na thi :D
उका = उसका
उ = वो
Uka :hmm: mere gav me ukar bolte hai :slap2:
इको = इसको
इहा = यहा
उहा = वहा
Yah mostly up side boli jati hai khadi boli :love:
दस्त ना रुकना = पेट खराब होना
Yah to Rahul jii ki bhote badi samasya hai 😆😆
अझुराना = फसा रहना
Ajurana :hmm2: mere ider uljhan Bolte hai :idk:


Vese thanks ju ne mast sabdart diya maza aa gawa phad kar up east me jada bola jata hai yah bhasha
 
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UPDATE 005


अब तक आप सभी ने पढा कि पुरे शुक्ला भवन के स्टाफ मेम्बर से चोरी चोरी चुपके चुपके मीरा ने चारु को अपनी देवरानी बनाने की फुल प्लानिंग कर ली और पहला मोहरा ने खुद चारु को बनाया उसका ब्रेन वाश किया और उसे सपनो का आशियां दिखा दिया । इधर हमारे नायक साहब को भनक तक नही कि उनके लिये क्या कयामत आने वाली है । वो तो अपने मन मौजी दोस्त 3D के साथ घूमने निकले हुए हैं । और 3D उसे एक सिनेमा हाल की ओर ले जा रहा है । तो देखते है आज कौन फ़िल्म चलने वाली है इस कहनी मे
अब आगे



प्यार का पंचनामा
3D आयुष को लेकर एक सिनेमा हाल के पास आता है और गाड़ी पार्क करता है ।

आयुष - अबे कल रात की नौटंकी उतरी नही जो फिर से पिच्चर दिखाये लेके आ गये

3D आयुष को चिल्ल कराता हुआ - अबे शुक्ला तुम भाउक बहूते जल्दी हो जाते हो यार ।

3D एक फालुदा स्टाल के ओर इशारा करके - उधर देखो क्या है
आयुष की नजर फालुदा स्टाल पर जाते ही चेहरे पर मुस्कान आजाती है - अबे इ तो वही अपने कालेज के बाहर वाला फालुदा स्टाल है बे

3D थोडा अपने अंदाज मे - हा तो ,
आयुष - लेकिन ये तो बंद हो गया था ना
3D- अबे तुम्हाये लिये हम फायनैन्स कराये इसको बे
आयुष चौक कर - सच मे
3D हस्ते हुए - गुरू तुम फिर भाऊक हो गये ,,, वो बाऊजी से सूद का पैसा लेके खोला है शानू ने

आयुष उसका मजाक समझ कर अपना माथा पीट लेटा है ।

फिर दोनो स्टाल पर जाते है
3D - अरे शानू ,, दो फालुदा कुल्फ़ी लगाओ विथ एक्स्ट्रा कोल्ड ,,,, इतना समझ लो कि आज इ फलुदा की सीलन हमाये इन्जीनियर साब के नीव तक जाये के चाही

आयुष 3D के नानवेज जोक पर हस्ते हुए उसकी गर्दन पीछे से दबोच कर कुछ बर्फ के टुकड़े उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डालकर उसकी बनियान मे गिरा देता है।

अब 3D को ठण्ड भरी गुदगुदी होने लगी और बर्फ निकालते निकालते उसका डीप बेली एरिया भीग गया ।

आयुष हस कर 3D को उसका भीग हुआ हिस्सा दिखाते हुए - हा अब पहुची है नीव मे सीलन हाहाहाहा

3D झल्ला कर - क्या यार शुक्ला , तुम सारा गिला गिला कर दिये बे

आयुष हस कर - अबे थोडा सा ही तो है , निमोनिया नही हो जायेगा तुमको उससे

3D रौंदू सा मुह बना कर- अरे यार स्वीटी आ रही होगी मिलने हमसे ,,, का सोचेगी ऊ

आयुष और तेज हसने लगा
और 3D भैया की बुरी किसमत तो देखो , स्वीटी ठीक उनके सामने ही आ गयी ।
और उसको देखते ही 3D घूम जाता है

स्वीटी सामने से एक साइड बैग लिये आयुष से मुखातिब होते हुए - अरे आयुष जी ,, का हो गया इनको ,

स्वीटी 3D से - काहे मुह छिपा रहे है दुबे जी

तो कहानी मे एक और नये किरदार की एन्ट्री हो गयी है
नाम - स्वीटी
20211118-185859
उम्र कद अता पता ठिकाना ये सब तो बाद मे भी जान लेंगे लेकिन फिलहाल इतना जान लिजीये , ये हमारे 3D की प्रेमिका है और स्वभाव से थोडी कम अकल और बक्लोल टाइप की लगती तो है मगर स्ट्रेट फोर्वोर्ड मिन्ड सेट ,,, किसी के झांसे मे नही आती है ।


3D रौंदू सी शकल के साथ स्वीटी की ओर पीठ किये - काहे की हम मुह दिखाये लायक नही रहे स्वीटी,,,

स्वीटी चौक के - का !!!!
स्वीटी तेजी से रोते हुए - कौन मुइ आपके साथ मुह काला कर गयी ,हाय राम !!!!

3D पलट कर स्वीटी के कन्धे को पकड कर - अरे नही नही यार हम अभी भी स्टील भरजिन है ,,, यार बताओ ना शुक्ला

स्वीटी सुबकते हुए - पक्का ना ,किसी और से वो सब
3D स्वीटी को विश्वास दिलाते हुए - तुम्हाई कसम स्वीटी ,,,

आयुष उन दोनो की बाते सुन कर हस रहा होता है ।

तभी स्वीटी की नजर 3D के भिगे पजामे पर गयी और 3D से दुर होते हुए अपनी नाक पर हाथ रख कर बोली - आप दारु पिए हो का ,,,जे पैंट मे ही सब लभेड़ लिये हो

3D परेशान होकर - अरे नाही हमार अम्मा ,, इ शुक्ला ,

3D आयुष को दिखा कर - इ शुक्ला ने बर्फ डाल थी हमाये कपड़ो म तो गलत जगह से बही रहो है

आयुष उन दो प्यार के कबूतरों के चोच लड़ाई से काफी ज्यादा हस हस कर पागल हुआ जा रहा था ।
तब तक शानू ने फालूदा तैयार किया और फिर तीनो ने खाया और थोडा गप्प हाके और फिर 3D ने एक इ-रिक्शा रुक्वाया

3D- यार काहे इतना चिकचिक की हो ,, चलो ना हम छोड दे रहे है घर
स्वीटी इतरा के रिक्से मे बैठते हुए - हम कह दिये ना ,, अब आप अम्मा बाऊजी को लेके ही आईयेगा घर ,तब ही आपके साथ घूमेंगे

स्वीटी - चलो भैया , वर्मा कालोनी लेलो

फिर इ-रिक्शा वाला स्वीटी को लेके निकल जाता है ।

3D पिछे से आवाज देता है - स्वीटी सुनो तो ,
मगर वो आगे जा चुकी थी ।

आयुष 3D को उदास देख कर - अबे इतना प्यार करते हो तो शादी कर काहे नही लेते बे

3D उखड़ कर - यार हम तो तैयार है , लेकिन बाऊजी तो रट लगाये है ना कि लड़के वाले है हम नाही जायेंगे बात करने ,,,

3D झल्ला कर - जे कोनो बात होता है का शुक्ला ,,, यार बडी मुस्किल से उसका तीन रिस्ता तुड़वाये है ,,, 23 की हो गयी है तो बाप को बोझ लग रही है


आयुष 3D की भड़ास पर चुपचाप मुस्कुराता रहा
क्योकि वो जानता था अगर वो थोडा भी रियक्ट करेगा तो फिर से 3D अपना वही पुराना रोना गाना लेके बैठ जायेगा ।


मेरा पिया घर आयो

इधर हमारे नायक साहब मौज मस्ती मे थे वही ,, शुक्ला भवन की इंचार्ज ने आज अपने पति को लपेटने की तैयारी मे थी ।
तो शाम से किचन मे लगी पड़ी है और नये नये अशीष के मनपसंद पकवानो की तैयारी मे लगी है ।

वही निचे के कमरे मे टीवी के आगे बैठे हुए मुन्शी जी की मैनेजर श्री मती शान्ति शुक्ला जी भन्नाय जा रही है

शान्ति - जे सूंघ रहे हो अशीष के बाऊजी ,, जे सब ऊ चौबेपुर वाली मोटासी के खाये के लिए बन रहो है

मनोहर अपनी पत्नी की बातो से मुस्कुरा कर वापस टीवी मे ध्यान लगा देते है

तभी उनको एक बढिया म्साले के भूनने की महक आती है

शान्ति अपना माथा पिटते हुए - हय भोलेनाथ!!! देखो देखो ,,अशीष के बाऊजी ,, आपन बड़के जो महगा वाला मसालो ला के दियो रहो ,,जे भी डाल रही है दुल्हीन


मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे तुम का फाल्तू की बात लेके बैठ गयी हो आशिष की अम्मा ,,, मेहमान है , खायेंगे ही ना
इधर किचन मे छौका तडका जोरो पर था और मीरा के दिमाग मे आगे की प्लानिंग भी ।

शाम ढली और आशिष जी घर आये और फिर थोड़ी ही देर मे आयुष बाबू भी ।

हाल मे घुसते ही आयुष की नजर अशीष पर गयी ।
आयुष किचन से आते खाने की खुस्बु लेते हुए - आह्ह भैया का पक्वा रहे हो आज भऊजी से

आशीष किचन मे आवाज देके - का बना रही हो मीरा ,, बड़ी जोरदार महक है

मीरा हाथ धुल कर बाहर आई- अरे आ गये का आप ,, रुकिये पानी लाई रहे है

मीरा कीचन से पानी लेके वापस आई तो आयुष ने पुछा- का बनाई हो भऊजी ,, गजब की खुस्बु है

मीरा थोडा मुस्कुरा कर - कुछ नाही देवर जी बस खाना ही तो बनाये हैगे ना

आयुष अपनी नाक सुरकते हुए - फिर भी आज कुछ चटक महीक रहा है,, है ना भैया

आशीष - अब तो खाने का मन है बबुआ ,, ये मीरा खाना लगाओ

फिर सब खाने के लिए बैठ जाते है और खा कर सब मीरा की तारिफ करते है सिवाय शान्ति जी के ,,, कारण तो जानती ही है आप लोग ,,,भई उनका महगा वाला मसाला जो खर्च हुआ था


राणा जी मुझे माफ करना

यहा सब खाने पिने के बाद अपने कमरे मे गये और मीरा आखिर मे दो ग्लास दूध लेके उपर गेस्टरूम मे जाती है ।

जिसे देख कर सोनमती मुस्करा कर - अरे नाही नाही मीरा, हमसे दूध नही पिया जाता है ,,,गैस होती है

मीरा तुनक कर मुह बनाते हुए - अरे ENO डालो है इमा बुआ, गटक लो गटक लो

सोनमती बिस्तर से उठ कर दूध का ग्लास लेने आती है तो मीरा डांटते हुए - जे पगला गयी का बुआ ,,,जे दूध हम आयूष के लिए लाये है

सोनमती मीरा का टोंट सुन कर थोडा अजीब सा मुह बना कर हसती है

मीरा चारु से - हे पगली इधर आ
फिर चारु उठकर आती है और मन गिरा कर बोलती है - अब का है जीजी ,,

मीरा उसको एक ग्लास दूध थमा कर- जा आयुष को देके आ ,,और सुन थोडा बात कर लेओ और थोडा ,,,समझ रही है ना

सोनमती उलझन से - का करने को बोल रहि है मीरा उको ,

मीरा चारु को दूध के साथ बाहर भेजते हुए - हे पगली तू जा, और ध्यान रखना जे हम बोले है

सोनमती मीरा को खीच कर - अरे ऊ ग्लास तो आयुष के लिये था तो जे किसके लिये है

मीरा शर्मा के - जे ग्लास हमाओ उनको लिये है बुआ हिहिही

सोनमती भी समझ गयी और वो सोने चली गयी ।
वही आयुष के कमरे मे चारु दूध लेके घुसती है ।

आयुष - अरे चारु तुम , ये भाभी भी ना तुमको भी भिड़ा ली है घर के काम मे हिहिही

चारु थोडी डरी हुई मुस्कराइ क्योकि मीरा ने उसे आयुष से घूलने मिलने के लिए भेजा था , अपने हुस्न का जादू चलाने भेजा था

मगर हमारे आयुष बाबू तो संत ठहरे ,,मजाल है कोई माया उन्हे अपने जाल मे फास ले ।

इधर चारु बडी उल्झन मे थी कि क्या करे , कहा से सुरु करे ,, एक तो घबडाहट मे उसका दिमाग भी सही से काम नही कर रहा था ।।
बडी कोसिस कर चारु ने मीरा के सिखाये अदाओ मे से एक का इस्तेमाल करते हुए ,दूध का ग्लास टेबल पर रख कर, एक बार आयूष के सामने ही अपने लम्बे बालो को झटका कर एक तरफ से दुसरे तरफ करना चाहा लेकिन उसके बालो की चुटिया आयुष बाबू की कनपटी पर ऐसे जोर कि पड़ी की आयुष बाबू तुरंत चौन्हा गये और अपना कान पकड कर लेट गये ।


चारु को ज्ञान हुआ की उस्से गलती हुई है और जब उसे ध्यान आया कि उसके बाल खुले हुए ही नही है तो मन मे बड़बड़ाई - हाय राम जे बडी गडब्ड़ी हय गयी ,, जे ईसटाइल तो जीजी ने भिगे बालन के साथ करने के कही रही

और चारु इतना डर गयी कि बस इतना बोली - सारी आयुष जी

और फिर कमरे से भाग गयी ।


जारी रहेगी



इजहार ए मोहब्बत
अरमानो के सेज सजाये , उम्मीद का दिया लिये
आपके की प्रतिक्रिया के इंतजार मे
:reading1:
चोरी चोरी चुपके चुपके
Chori chori chupke chupke dil tera churaye ge charu ko apna banaye ge :sing:

Charu ne to kamal kar diya gile balo ke sath jis action ko karna tha. Usko shukhe aur bandhe balo ke sath kar diya jiske pebhav se aayush babu charo khane chit ho gaye balo ke jhannate dar chata jo pada.

As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next :five:, Till then waiting for the next part of the story :waiting2: .
Thank You...
:thank-you::thank-you::thank-you::thank-you::thank-you::thank-you:
 
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bade shukla ji ka nature accha laga khule vichar wale :D bhauji bhi chaukas hai. Par lagta hai shanti ji ke man me shanti nahi hai eeh ltna unko jaldi padi hai shadi ki..ab dekhte hai kya hota hai..waise tumne shukla ka vivran bhaut chaukas diya hai. Vese Shukla aur Mishra ka character ache laga hamko but mere jindigi me Mishra mere khadus dosto me se ek hai :sigh2:..aur 3d ke roop me best friend :love: bhotehi romanchak update hai :clapping:
थोडा मिठास थोडा खटास चाहिये जीवन मे दोस्त ।
बाकी आपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद भाई
 
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Yeh jo aap kahi kahi Desi bhasha ka prayog kerte h padhne bahot achcha lgta hai :cool2:
Meera apni taraf se poori koshish ker rahi h Charu ki shadi Ayush se ho jaye :pleasantry:
Dekhte h Bua bhatiji ka plan kamyab hota h ya nahi :watermelon:
Bahot behtareen shaandaar update bhai :clapping:
भाषा नही है वो टोन है । का कहते उसको अन्गरेजि मे accents :D
 
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Mundi Munda name se to song yaad aa gawa hamka brown munde :lol4: vese ye kider boli jati hai coz kanpur ya up side na suna mene kabhi



Suru me hagi suna to dimagh khai aur chala gaya but :googleit: kiya to pata chala hagi Nani hoga hogi hai :lol2:

Isne to Google karne ki jarurat hi na thi :D

Uka :hmm: mere gav me ukar bolte hai :slap2:

Yah mostly up side boli jati hai khadi boli :love:

Yah to Rahul jii ki bhote badi samasya hai 😆😆

Ajurana :hmm2: mere ider uljhan Bolte hai :idk:


Vese thanks ju ne mast sabdart diya maza aa gawa phad kar up east me jada bola jata hai yah bhasha
शुरु मे काफी लोगो को मेरे संवाद के लहजे को लेके सम्स्या आई है कि आखिर क्यू कानपुर मे ग्वालियर और कुछ पूर्वी उत्तर प्रदेश के लहजो का मिश्रण है ।


इसका मूल कारण आपको आगे के अपडेट मे क्लियर मिलेगा । जहा मैने सब कुछ स्पष्ट दर्शाया है ।
 
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:reading1:

Chori chori chupke chupke dil tera churaye ge charu ko apna banaye ge :sing:

Charu ne to kamal kar diya gile balo ke sath jis action ko karna tha. Usko shukhe aur bandhe balo ke sath kar diya jiske pebhav se aayush babu charo khane chit ho gaye balo ke jhannate dar chata jo pada.

As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next :five:, Till then waiting for the next part of the story :waiting2: .
Thank You...
:thank-you::thank-you::thank-you::thank-you::thank-you::thank-you:
बहुत बहुत शुक्रिया दोस्त
आपकी प्रतिक्रिया के लिए
 
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अब तक आप सभी ने पढा कि पुरे शुक्ला भवन के स्टाफ मेम्बर से चोरी चोरी चुपके चुपके मीरा ने चारु को अपनी देवरानी बनाने की फुल प्लानिंग कर ली और पहला मोहरा ने खुद चारु को बनाया उसका ब्रेन वाश किया और उसे सपनो का आशियां दिखा दिया । इधर हमारे नायक साहब को भनक तक नही कि उनके लिये क्या कयामत आने वाली है । वो तो अपने मन मौजी दोस्त 3D के साथ घूमने निकले हुए हैं । और 3D उसे एक सिनेमा हाल की ओर ले जा रहा है । तो देखते है आज कौन फ़िल्म चलने वाली है इस कहनी मे
अब आगे



प्यार का पंचनामा
3D आयुष को लेकर एक सिनेमा हाल के पास आता है और गाड़ी पार्क करता है ।

आयुष - अबे कल रात की नौटंकी उतरी नही जो फिर से पिच्चर दिखाये लेके आ गये

3D आयुष को चिल्ल कराता हुआ - अबे शुक्ला तुम भाउक बहूते जल्दी हो जाते हो यार ।

3D एक फालुदा स्टाल के ओर इशारा करके - उधर देखो क्या है
आयुष की नजर फालुदा स्टाल पर जाते ही चेहरे पर मुस्कान आजाती है - अबे इ तो वही अपने कालेज के बाहर वाला फालुदा स्टाल है बे

3D थोडा अपने अंदाज मे - हा तो ,
आयुष - लेकिन ये तो बंद हो गया था ना
3D- अबे तुम्हाये लिये हम फायनैन्स कराये इसको बे
आयुष चौक कर - सच मे
3D हस्ते हुए - गुरू तुम फिर भाऊक हो गये ,,, वो बाऊजी से सूद का पैसा लेके खोला है शानू ने

आयुष उसका मजाक समझ कर अपना माथा पीट लेटा है ।

फिर दोनो स्टाल पर जाते है
3D - अरे शानू ,, दो फालुदा कुल्फ़ी लगाओ विथ एक्स्ट्रा कोल्ड ,,,, इतना समझ लो कि आज इ फलुदा की सीलन हमाये इन्जीनियर साब के नीव तक जाये के चाही

आयुष 3D के नानवेज जोक पर हस्ते हुए उसकी गर्दन पीछे से दबोच कर कुछ बर्फ के टुकड़े उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डालकर उसकी बनियान मे गिरा देता है।

अब 3D को ठण्ड भरी गुदगुदी होने लगी और बर्फ निकालते निकालते उसका डीप बेली एरिया भीग गया ।

आयुष हस कर 3D को उसका भीग हुआ हिस्सा दिखाते हुए - हा अब पहुची है नीव मे सीलन हाहाहाहा

3D झल्ला कर - क्या यार शुक्ला , तुम सारा गिला गिला कर दिये बे

आयुष हस कर - अबे थोडा सा ही तो है , निमोनिया नही हो जायेगा तुमको उससे

3D रौंदू सा मुह बना कर- अरे यार स्वीटी आ रही होगी मिलने हमसे ,,, का सोचेगी ऊ

आयुष और तेज हसने लगा
और 3D भैया की बुरी किसमत तो देखो , स्वीटी ठीक उनके सामने ही आ गयी ।
और उसको देखते ही 3D घूम जाता है

स्वीटी सामने से एक साइड बैग लिये आयुष से मुखातिब होते हुए - अरे आयुष जी ,, का हो गया इनको ,

स्वीटी 3D से - काहे मुह छिपा रहे है दुबे जी

तो कहानी मे एक और नये किरदार की एन्ट्री हो गयी है
नाम - स्वीटी
20211118-185859
उम्र कद अता पता ठिकाना ये सब तो बाद मे भी जान लेंगे लेकिन फिलहाल इतना जान लिजीये , ये हमारे 3D की प्रेमिका है और स्वभाव से थोडी कम अकल और बक्लोल टाइप की लगती तो है मगर स्ट्रेट फोर्वोर्ड मिन्ड सेट ,,, किसी के झांसे मे नही आती है ।


3D रौंदू सी शकल के साथ स्वीटी की ओर पीठ किये - काहे की हम मुह दिखाये लायक नही रहे स्वीटी,,,

स्वीटी चौक के - का !!!!
स्वीटी तेजी से रोते हुए - कौन मुइ आपके साथ मुह काला कर गयी ,हाय राम !!!!

3D पलट कर स्वीटी के कन्धे को पकड कर - अरे नही नही यार हम अभी भी स्टील भरजिन है ,,, यार बताओ ना शुक्ला

स्वीटी सुबकते हुए - पक्का ना ,किसी और से वो सब
3D स्वीटी को विश्वास दिलाते हुए - तुम्हाई कसम स्वीटी ,,,

आयुष उन दोनो की बाते सुन कर हस रहा होता है ।

तभी स्वीटी की नजर 3D के भिगे पजामे पर गयी और 3D से दुर होते हुए अपनी नाक पर हाथ रख कर बोली - आप दारु पिए हो का ,,,जे पैंट मे ही सब लभेड़ लिये हो

3D परेशान होकर - अरे नाही हमार अम्मा ,, इ शुक्ला ,

3D आयुष को दिखा कर - इ शुक्ला ने बर्फ डाल थी हमाये कपड़ो म तो गलत जगह से बही रहो है

आयुष उन दो प्यार के कबूतरों के चोच लड़ाई से काफी ज्यादा हस हस कर पागल हुआ जा रहा था ।
तब तक शानू ने फालूदा तैयार किया और फिर तीनो ने खाया और थोडा गप्प हाके और फिर 3D ने एक इ-रिक्शा रुक्वाया

3D- यार काहे इतना चिकचिक की हो ,, चलो ना हम छोड दे रहे है घर
स्वीटी इतरा के रिक्से मे बैठते हुए - हम कह दिये ना ,, अब आप अम्मा बाऊजी को लेके ही आईयेगा घर ,तब ही आपके साथ घूमेंगे

स्वीटी - चलो भैया , वर्मा कालोनी लेलो

फिर इ-रिक्शा वाला स्वीटी को लेके निकल जाता है ।

3D पिछे से आवाज देता है - स्वीटी सुनो तो ,
मगर वो आगे जा चुकी थी ।

आयुष 3D को उदास देख कर - अबे इतना प्यार करते हो तो शादी कर काहे नही लेते बे

3D उखड़ कर - यार हम तो तैयार है , लेकिन बाऊजी तो रट लगाये है ना कि लड़के वाले है हम नाही जायेंगे बात करने ,,,

3D झल्ला कर - जे कोनो बात होता है का शुक्ला ,,, यार बडी मुस्किल से उसका तीन रिस्ता तुड़वाये है ,,, 23 की हो गयी है तो बाप को बोझ लग रही है


आयुष 3D की भड़ास पर चुपचाप मुस्कुराता रहा
क्योकि वो जानता था अगर वो थोडा भी रियक्ट करेगा तो फिर से 3D अपना वही पुराना रोना गाना लेके बैठ जायेगा ।


मेरा पिया घर आयो

इधर हमारे नायक साहब मौज मस्ती मे थे वही ,, शुक्ला भवन की इंचार्ज ने आज अपने पति को लपेटने की तैयारी मे थी ।
तो शाम से किचन मे लगी पड़ी है और नये नये अशीष के मनपसंद पकवानो की तैयारी मे लगी है ।

वही निचे के कमरे मे टीवी के आगे बैठे हुए मुन्शी जी की मैनेजर श्री मती शान्ति शुक्ला जी भन्नाय जा रही है

शान्ति - जे सूंघ रहे हो अशीष के बाऊजी ,, जे सब ऊ चौबेपुर वाली मोटासी के खाये के लिए बन रहो है

मनोहर अपनी पत्नी की बातो से मुस्कुरा कर वापस टीवी मे ध्यान लगा देते है

तभी उनको एक बढिया म्साले के भूनने की महक आती है

शान्ति अपना माथा पिटते हुए - हय भोलेनाथ!!! देखो देखो ,,अशीष के बाऊजी ,, आपन बड़के जो महगा वाला मसालो ला के दियो रहो ,,जे भी डाल रही है दुल्हीन


मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे तुम का फाल्तू की बात लेके बैठ गयी हो आशिष की अम्मा ,,, मेहमान है , खायेंगे ही ना
इधर किचन मे छौका तडका जोरो पर था और मीरा के दिमाग मे आगे की प्लानिंग भी ।

शाम ढली और आशिष जी घर आये और फिर थोड़ी ही देर मे आयुष बाबू भी ।

हाल मे घुसते ही आयुष की नजर अशीष पर गयी ।
आयुष किचन से आते खाने की खुस्बु लेते हुए - आह्ह भैया का पक्वा रहे हो आज भऊजी से

आशीष किचन मे आवाज देके - का बना रही हो मीरा ,, बड़ी जोरदार महक है

मीरा हाथ धुल कर बाहर आई- अरे आ गये का आप ,, रुकिये पानी लाई रहे है

मीरा कीचन से पानी लेके वापस आई तो आयुष ने पुछा- का बनाई हो भऊजी ,, गजब की खुस्बु है

मीरा थोडा मुस्कुरा कर - कुछ नाही देवर जी बस खाना ही तो बनाये हैगे ना

आयुष अपनी नाक सुरकते हुए - फिर भी आज कुछ चटक महीक रहा है,, है ना भैया

आशीष - अब तो खाने का मन है बबुआ ,, ये मीरा खाना लगाओ

फिर सब खाने के लिए बैठ जाते है और खा कर सब मीरा की तारिफ करते है सिवाय शान्ति जी के ,,, कारण तो जानती ही है आप लोग ,,,भई उनका महगा वाला मसाला जो खर्च हुआ था


राणा जी मुझे माफ करना

यहा सब खाने पिने के बाद अपने कमरे मे गये और मीरा आखिर मे दो ग्लास दूध लेके उपर गेस्टरूम मे जाती है ।

जिसे देख कर सोनमती मुस्करा कर - अरे नाही नाही मीरा, हमसे दूध नही पिया जाता है ,,,गैस होती है

मीरा तुनक कर मुह बनाते हुए - अरे ENO डालो है इमा बुआ, गटक लो गटक लो

सोनमती बिस्तर से उठ कर दूध का ग्लास लेने आती है तो मीरा डांटते हुए - जे पगला गयी का बुआ ,,,जे दूध हम आयूष के लिए लाये है

सोनमती मीरा का टोंट सुन कर थोडा अजीब सा मुह बना कर हसती है

मीरा चारु से - हे पगली इधर आ
फिर चारु उठकर आती है और मन गिरा कर बोलती है - अब का है जीजी ,,

मीरा उसको एक ग्लास दूध थमा कर- जा आयुष को देके आ ,,और सुन थोडा बात कर लेओ और थोडा ,,,समझ रही है ना

सोनमती उलझन से - का करने को बोल रहि है मीरा उको ,

मीरा चारु को दूध के साथ बाहर भेजते हुए - हे पगली तू जा, और ध्यान रखना जे हम बोले है

सोनमती मीरा को खीच कर - अरे ऊ ग्लास तो आयुष के लिये था तो जे किसके लिये है

मीरा शर्मा के - जे ग्लास हमाओ उनको लिये है बुआ हिहिही

सोनमती भी समझ गयी और वो सोने चली गयी ।
वही आयुष के कमरे मे चारु दूध लेके घुसती है ।

आयुष - अरे चारु तुम , ये भाभी भी ना तुमको भी भिड़ा ली है घर के काम मे हिहिही

चारु थोडी डरी हुई मुस्कराइ क्योकि मीरा ने उसे आयुष से घूलने मिलने के लिए भेजा था , अपने हुस्न का जादू चलाने भेजा था

मगर हमारे आयुष बाबू तो संत ठहरे ,,मजाल है कोई माया उन्हे अपने जाल मे फास ले ।

इधर चारु बडी उल्झन मे थी कि क्या करे , कहा से सुरु करे ,, एक तो घबडाहट मे उसका दिमाग भी सही से काम नही कर रहा था ।।
बडी कोसिस कर चारु ने मीरा के सिखाये अदाओ मे से एक का इस्तेमाल करते हुए ,दूध का ग्लास टेबल पर रख कर, एक बार आयूष के सामने ही अपने लम्बे बालो को झटका कर एक तरफ से दुसरे तरफ करना चाहा लेकिन उसके बालो की चुटिया आयुष बाबू की कनपटी पर ऐसे जोर कि पड़ी की आयुष बाबू तुरंत चौन्हा गये और अपना कान पकड कर लेट गये ।


चारु को ज्ञान हुआ की उस्से गलती हुई है और जब उसे ध्यान आया कि उसके बाल खुले हुए ही नही है तो मन मे बड़बड़ाई - हाय राम जे बडी गडब्ड़ी हय गयी ,, जे ईसटाइल तो जीजी ने भिगे बालन के साथ करने के कही रही

और चारु इतना डर गयी कि बस इतना बोली - सारी आयुष जी

और फिर कमरे से भाग गयी ।


जारी रहेगी



इजहार ए मोहब्बत
अरमानो के सेज सजाये , उम्मीद का दिया लिये
आपके की प्रतिक्रिया के इंतजार मे
mast fadu update tha bhai.
sweety ka body measurement nhi likha bhai :cry2: kitna ego usme ittu s bat par premi ko chod ke chali gayi.
Meera ko mast khusbu wala khana banata dekh garam dimag wali santi devi ka dimag aur jada garam hai . :lol: par mast khana banaya kai ku :thinking: ayush ko Pata ne ke liye kya :D
 

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