Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

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अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
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fabulous update dear. 3D ne adhuri bat batake sabhi ke man me galat khayl lane ke liye majbur kar diya. par ayush ko lekar galat khayl aya bhi kese jab ki sabhi use bachpan se jante hai. sayad city me rehne wali ladkiyo ko lekar galat avadharna hai shukla family ke har ek saksh ke man me.
Thank you so much dear
 
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Wonderful update, sirf ek laparvahi ke karan sabhi kya se kya sochne lag gaye the jabki aisa kuch hua hi nahi tha. ayus sochta rehta gaya , akhir ghar me sabhi ko hua kiya tha. Finally munshi ji save the day .
meera se abhi bhi naraj hai. usko kuch aisa karna hoga jisse sabhi purani bato ko bhul ke usko maf kar de
Aapki PRATIKRIYA ke liye DHANYWAAD
Dekhate hai mira ke karanamo me aage kya kya shamil hota h
 
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UPDATE 009

अब तक आप सभी ने पढा कि कैसे 3D की लापरवाही से गरम तेल की कराही मे गिला कल्छुल पड जाने से आयुष को कितनी जिल्लत झेलनी पड़ी । देर सबेर 3D ने अपनी गलती मानी और फिर तवे सा हाईपर हुआ मामला ठण्डा हुआ । उधर जहा किस्मत ने आयुष बाबू की सब्जी मे पारुल नाम का गरम मसाला छिड़क दिया है वही शुक्ला भवन की मास्टर शेफ मीरा शुकला के दाल मे अशीष के गुस्से का नमक ज्यादा हुआ पडा है ।
आईये देखते है कि मीरा शुक्ला कौन सा छौका लगा कर अपनी दाल का स्वाद ठीक करने की तैयारी कर रही है ।
अब आगे


मायके की रेसिपी


शाम का समय करीब 7 बजे
लोकेशन : शान्ति देवी मिष्ठान भंडार, शिवपुरी - नवाबगंज, कानपुर

जैसा कि आप सब जान ही रहे हैं कि उस दिन की लभेड़ के बाद आशिष शुक्ला अपनी पत्नी मीरा शुक्ला से ऐसे मुह फुलाए बैठे है जैसे कद्दू
अब मीरा शुक्ला ने पिछ्ली तीन दिन से बहुत बार कोशिस की मगर आशिष बाबू का गुस्सा कम नही हो रहा था ।

असल मे इतने अखरोट-दिल भी नही है हमारे आशिष जी, बल्कि वो तो मन ही मन खुश थे कि उनकी रसमलाई सी बीवी को उसकी गलती का अह्सास हो गया है और वो आज आयुष के जाने के समय जब मीरा ने बेसन की लिट्टी से भरी टिफ़िन थमाई थी तो उन्हे खुशी भी हुई थी लेकिन मन में ।

तो आशिष बाबू ने भी यहा दुकान मे बैठे बैठे तय किया कि आज अगर मीरा ने उनसे पहल की तो वो उसे माफ कर देंगे ।

वही ठीक उसी समय शुक्ला भवन मास्टर शेफ मीरा शुक्ला द्वारा महगे मसालो से मह्काया जा रहा था । अरे वही मसाले जो अशिष बाबू खुद लाये थे ।
यहा किचन मे खाना बनाते हुए मीरा कान मे ईयरपोड्स डाले यूट्यूब से पति को मनाने की रेसिपी देख रही थी और बड़ब्डा रही थी ।

मीरा परेशान होते हुए - हे भगवान इ मुआ मोबाईल भी का दिखा रहो है हमे ,,,जे तो हमे भी पता है कि बिस्तर पर पति को कैसे खुश कई जात हय

मीरा - अरे ऊ बिस्तर तक आये तब ना ,,,का करे हम ,

तभी हाल से मनोहर जी आवाज आती है
मनोहर - ये दुल्हीन इहा आओ ,,, तुम्हाये घर से फोन आओ है लेओ बात करो

मीरा की हिक्की टाइट
मीरा मन में बड़बड़ाते हुए हाल मे आने लगी - हे भगवान कही चाची या बुआ ने उहा भी तो लभेड़ ना मचा दियो होगो ,,, चल मीरा देख का होवे वाला है

मीरा हाल मे आती है मनोहर उसे फोन देता है

मीरा - ह ह हा हलो!!!
सामने मीरा की मा होती है जानकी मिश्रा

जानकी - हा मीरा , हम बोल रहे है
मीरा - हा नमस्ते अम्मा ,
मीरा मनोहर से - बाऊजी हम किचन मे जा रहे है ,,सब्जी जल रहो होगो

मनोहर हा मे सर हिलाता है और मीरा फौरन फोन लेके खसक लेती है ।

मीरा - हा अम्मा बोलो ,,, हमाये वाले नम्बर पर काहे नाही की
जानकी मीरा को डांटते हुए - चुप कर तू ,,, जे पगलाय गयी है का ,,, इ का परपंच पढ रही है आजकल तू ,
जानकी - मेरिज भ्युरो खोले के हय का ,,,
मीरा जान गयी कि बात उसके मायके तक पहुच ही चुकी है तो सिवाय चुप रहने के अलावा कोई उपाय था ।

मीरा - सारी अम्मा ,,, अब का करे गलती हो गई तो ,,
जानकी भी कितना देर गुस्सा होती ,,,आखिर मीरा उसकी इकलौती संतान थी और प्यार दुलार बहुत था ही उन्हे भी ।

जानकी मीरा की हालत पर तरस खा कर - अच्छा इ बताव बबुआ( अशिष ) तो नाराज नाही है ना अब तोसे

मीरा सिस्कते हुए - नाही अम्मा ,,ऊ तबसे हमसे बात नाही कर रहे

जानकी - अच्छा ठीक है अब मन छोट ना करो ,,, अब जो इतना रायता फैला दी हो तो एक काम करो ,

फिर जानकी मीरा को कुछ घरेलू नुस्खे देती है जिसपर मीरा को शर्म और हसी आती है ।
मीरा शर्मा कर - भक्क नाही अम्मा ,, हिहिहिही

जानकी मीरा को डांट कर - अब ज्यादा दाँत ना चियारो ,,,जे हम कही रहे है उको करो ,,,,फिर काल्ह सबेरे जइसा होगो बता दियो

मीरा हस कर - जी अम्मा ,, ठीक है नमस्ते
फिर फोन कट जाता है और मीरा खाना बनाने लग जाती है ।


पोषक युक्त रबड़ी

इधर जहा मीरा खाने की तैयारियो मे पूरी तरह लगी हुई थी ,,,वही आशिष मन ही मन ये तय कर लिया कि आज जब सब कुछ सही करना ही है तो क्यू ना मीरा की मनपसंद रबड़ी लेके जाऊ ।

अब शुक्ला जी ठहरे सज्जन परिवार से , अगर घर मे कुछ ले जाये तो किसी एक के लिए थोडी ना जायेगा ।

तो उन्होने पाव भर रबड़ी बान्ध लिया और दुकान बढा कर निकल गये घर के लिये ।
थोडे ही समय में आशिष अपने निवास स्थान पर पहुचते है तो किचन से खाने की आ रही खुस्बु से ही मुह गिला कर लेते है ।

फिर वो एक नजर अपने बाऊजी के कमरे मे डालते है जहा दोनो दम्पति साथ मे बैठे संध्या भजन का रसपान कर रहे थे ।
आशिष भी मुस्कुरा कर किचन की ओर बढ़ते है जहा उनकी रसिली बीवी बतरन धुल रही होती है ।

आशिष वही किचन के दरवाजे पर खडे होकर मीरा को एक बार निहारते है और उनकी नजर मीरा की कमर मे पर जाती है और काम करने से मीरा पसीने से भीगी हुई थी ,,,ऐसे मे शुक्ला जी के दिल की चाय ने उबाल लेना शुरु कर दिया ।


उनकी नजरे मीरा के टाइट ब्लाउज के निचली पट्टी से रिस्ते पसीने पर जमी थी जो बूंद बूंद जूट करके मीरा के कमर तक जा रही थी ।



3pWM1

यहा आशिष बाबू अपनी कल्पना मे आंखे बंद किये सोच रहे थे कि काश वो अभी जाये और अपनी मीरा के कमर पर मुह से ठंडी फुक मारे ,,,,
वही मीरा की छठी इन्द्रि को कुछ आभास हुआ और वो गरदन घुमा कर दरवाजे पर देखती है कि उसके पति परमेश्वर हाथ मे शान्ति देवी मिष्ठान भंडार के प्रिंट वाली झोली लिये और आंखे बंद किये खडे होकर मुस्कुरा रहे है और उस मुस्कुराहट मे वो काफी आनन्द मे भी थे ।

मीरा को थोडा ताजुब हुआ और वो संस्कार वश तुरंत अपना पल्लू कमर से निकाल कर सर पर लिया और चल कर आशिष के पास गयी

मीरा - अरे आप आ गये का
आशिष की कल्पना टूटी और आन्खो के सामने अपनी मीरा को देख कर थोडा मुस्कुराये और फिर उन्हे अपनी स्थिति का ज्ञान हुआ और वो खुद को सामान्य करते हुए - अब ब ब हा हा ,


मीरा को कुछ कुछ अपनी पति की मुस्कुराहत पर शक हुआ तो वो मुस्कुरा कर बोली - जे इ झोली मे का लाये है

आशिष अभी भी अपनी कल्पना से पूरी तरह से निकल नही पाया था ,,,ना जाने क्यू आज उसे अपनी मीरा बहुत ही आकर्षक लग रही थी और इसी हड़ब्ड़ी मे वो ना जाने क्या बोल गया ।

आशिष - हा हा वो वो , रबड़ी लाये है अम्मा बोली थी

बस इतना बोल कर आशिष बाबू अपनी भावनाये छिपाने के लिए घूम गये और
फ्रेश होने के लिए उपर चले गये ।

इधर मीरा थोडा उलझन मे थी और मन मे बडबड़ाते हुए - जे अम्मा को गुलाब जामुन परसन्द रहो होगो , तो बा ने रबड़ी काहे लाई हैगी

मीरा रबड़ी की थैली को मेज पर रखते हुए- कही बा हमाये लिये तो ,,,

मीरा खुशी से चहक उठी और अभी हुई थोडी देर पहले की सारी घटनाओं को अपने हिसाब से अपनी कल्प्नाओ मे जोड कर देखने लगी ।

मीरा को थोडी शर्म आई और मुस्कुराते हुए वो अपनी जुल्फो को कान में फसाते हुए वापस अपनी क्रिया मे लग गयी ।

थोडी देर बाद हाल मे बैठक हुई खाने के लिए
मीरा ने सबकी थाली लगाई सिवाय खुद के
बारी बारी से उनसे बाऊजी और अम्मा को परोसा और फिर आशिष के पास जाते ही ना जाने क्यू उसकी सांसे बढ गयी ,, हाथ कापने लगे उसके , वो बिना आशिष को देखे खाना परोस रही थी ,वही आशिष बाबू मुस्कुरा कर मीरा को ही ताडे जा रहे थे और मीरा की नजर उनकी ओर घूमते ही मुह फेर लेते है ।

मीरा को इसका अह्सास होते ही वो थोडी सामन्य होती है और मुस्कुरा देती है ।
फिर खाने का प्रोग्राम शुरु हो जाता है और इधर किचन मे मीरा आशिष के द्वारा लाई गयी रबड़ी को पौष्टिक बनाने मे लगी थी ।

तिन कटोरी मे उसने रबड़ी निकाल कर उसमे बादाम और केसर डाल दिया । वही एक कटोरी मे अपनी मायके की रेसिपी के अनुसार शिलाजीत के कुछ दाने अन्दर मिला दिये ।

फिर मीरा ने बडी सावधानी से सबको एक एक कटोरी रबड़ी लगाई कि शुक्लाईन भडक पड़ी

शान्ति - जे का है दुल्हीन , जे जानत हो कि हम रबड़ी ना खाइत है फिर भी

मीरा अब क्या बोलती वो बस एक नजर आशिष को देखती है और आशिष को उसकी गलती समझ आ जाती है,,

अशीष मन मे मीरा पर प्यार जताते हुए - हे भोलेनाथ,, कितनी भोली हय हमाई मीरा ,,, पगली एतना भी ना समझी कि हम इ रबड़ी उका लिये ही लाये थे ।

इधर शांति को मनोहर जी जवाब देते है - का हुई गवा , अब परोस दई हय दुल्हीन ने तो खाय ल्यो

इस पर आशीष भी अपनी मीरा का बचाव करते हुए बोले - ऊ का है अम्मा कि आज शाम को ही ताजी रबड़ी बनी रही दुकान मा , तो हम लई आये ,,

अपनी मा को जवाब देकर आशिष मुस्कुरा कर मीरा को देखते हैं कि वो उन्के जवाब से संतुष्ट हैं कि नही ,,मगर अपनी मीरा ठहरी भारतीय नारी वो ऐसे मौके कैसे छोड दे कि उसे अपने पति पर गुस्सा दिखाने का मौका मिले ।
हालकी उसे आभास हो चुका था कि आशिष अब नाराज नही है उससे और इसी का फायदा उठाकर वो आशिष से रबड़ी की बात को लेके मुह फुला कर किचन मे चली गयी ।

इधर शान्ति अपने बेटे का मान रख कर रबड़ी खाने लगी , वही आशिष को चिंता होने लगी कि उसकी मीरा उससे नाराज हो गयी है ।


दाने दाने मे केसर का दम

तो शुक्ला भवन मे शतरंज की विसात उल्टी पड़ गयी ,,, ये अकसर सभी भारतीय मध्यम वर्गीय परिवार की दासताँ रही है कि लाख गलती पत्नी की हो और पति नाराज हो ,,,लेकिन पत्नी को बस एक तिनका भर मौका मिल जाये तो वो पूरी बाजी उलट देती है । वही हमारे शुक्ला भवन के युवा दम्पतियो के बीच हो रहा है ।

कहा पिछ्ले 3 दिन से मीरा शुक्ला अपने पति के आगे पीछे होकर प्यार की हरी चटनी चटाने की कोशिस मे थी , लेकिन आशिष बाबू तीखे से पहरेज का बहाना बनाये भागते रहे ।
मगर आज उनकी लाई रबडी ही उनके लिए खट्टी दाल हुए जा रही थी ।

इधर मीरा किचन मे जाने के बाद खुब खिलखिलाई कि बाजी उसके पल्ले मे थी ,,वही आशिष बाबू भी खाना खा कर उपर कमरे चले गये और मीरा की राह देखने लगे ।

कमरे मे टीवी पर क्या खाना खजाना चल रहा है इससे कोई फर्क नही था ,,,आशिष बाबू तो तडप रहे थे अपनी मीरा के लिए और बार बार झाक रहे थे कमरे से बाहर ।

तभी उनके चेहरे पर हसी की एक लकीर आई जो क्षण भर की थी ,,क्योकि मीरा कमरे मे आते ही बिना उन्हे देखे बिस्तर की ओर बढ गयी और अपनी रातचर्या के कार्यो मे लग गयी ।
अरे भई वही ,,गहने उतारना , बिस्तर लगाना और पानी रखना ।
आशिष बड़ी हिम्मत करके मीरा के पीछे गये और पीछे खडे रहे ।
मीरा इस वक़्त रात्रिविश्राम की तैयारी कर रही थी ।
आशिष बाबू गहन चिन्ता के डुबे थे और बडी हिम्मत से उन्होने मीरा का नाम लिया ।

आशिष - मी इ इ रा आ आ
बिस्तर की सिलवटे सहेजती मीरा के हाथ क्षणिक ही रुके थे आशिष के सम्बोधन पर और फिर वो वापस क्रियाशिल हो गयी ।

आशिष वापस आगे बढ कर बोले - मीरा हमायी बात तो सुनो
मीरा ने तो मानो तय कर लिया था कि पिछ्ले 3 दिनो का बदला भी आज ही ले लेना है तो पलटी और भडक कर बोली ।

मीरा - जे का मीरा मीरा लगा रखे है , 3 दिन का कलेश कम नाही पडो जे आज अम्मा की डाट भी सुना दी आपने हा

ये बोल कर मीरा आशिष के सामने से निकल कर सोफे की ओर टीवी बंद करने जाती है और आशिष मीरा के पीछे पीछे जाता है

आशिष बड़े ही भावुक भाव मे रुआसे - हमको माफ कर देओ मीरा ,,ऊ रबड़ी तो हम तूम्हाये लिये लाये थे ।

मीरा आशिष की ओर पीठ किये खड़ी थी लेकिन अपने पति के मुह से अपने लिये प्यार की भावना सुनकर वो बहुत ही रोमांचित मह्सूस करती है और जैसे वो पटलकर आशिष की ओर घूमती है तो वो भी भावुक हो जाती है क्योकि आशिष बाबू पूरी तरह से फफक पड़े थे ।

मीरा भाग कर अपने पति के पास जाती है और अपने पल्लू से उसके आंखो से आंसू पोछती हुई बोली - जे आप रो काहे रहे है ,,,

आशिष सिस्क कर - हमको माफ कर दो मीरा , हम तुमको 3 दिन से कितना जलिल किये ,,कित्ना डाटे और आज अम्मा से भी

मीरा तुरंत अशीष के सीने से लग जाती है और खुद भी फफक पडती है - जे आप ना रोवो प्लेज ,, आपको हमाई कसम है ,, जे गलती तो हमाई हैगी और माफी आप माग रहे है

अशीष मीरा को अपने सीने से लगाये काफी अच्छा मह्सूस करते है और दोनो के बीच के सारे गीले हुए शिकवे आशुओ मे बह जाते है ।

थोडी देर तक वो आपस मे बिना कुछ बोले चिपके रहे और माहौल शांत देख कर मीरा को कुछ ध्यान आया ।

मीरा मन मे - जे हमाई अम्मा वाली रेसिपी काम काहे नाही की,, कही इनके रोवे से वो वाली फीलिंग चली तो नाही गयी

चेक करने के लिए मीरा ने अपने हाथ आशिष के शर्त मे घुसायी और नग्न सीने को स्पर्श किया ,,,वही आशिष को सिहरन सी हुई ।

मीरा अशीष की बाहो मे इतरा कर कुनमुनाते हुए - ये जी ,,जे आप को कुछ फिल ना हो रहो है का

अशीष मुस्कुरा कर - हा हो रहा है ना ,,तुमाओ प्यार

मीरा चहक कर - मतलब अम्मा वाली रेसिपी काम कई गयी
आशिष चौक कर - कैसी रेसिपी
मीरा इतरा कर - वो छोडो ,,,जे बताओ आपको रबड़ी कैसी लगी हुउऊ

अशीष मीरा को अपनी बाहो मे झुलाते हुए - जे हमने तो रबड़ी खाई ही नही मीरा ,, तो का बताये

मीरा कुनमुना के आंखे उठाकर अशीष को देखते हुए बोली - काहे

अशीष - वो जब अम्मा तुमको डाट दी और तुम नाराज होकर रसोई मे चली गयी थी तो हमको इच्छा ही नही हुई ,,तो हमने अपनी रबड़ी बाऊजी को देदी

मीरा चौकी - का बाऊजी को ,,हाय राम इ का कर दिये आप
आशिष अचरज से - अरे का हुआ मीरा
मीरा अपना माथा पिट कर आशिष के अलग होते हुए बड़ी चिन्ता मे बिस्तर पर बैठ गयी ।

आशिष भी परेशान होकर उसके बगल मे बैठ गया - का हुआ मीरा ?? का बात है ??

मीरा उखड़े मुह से - का बताये हम , जे हमसे पाप करवा दिये आप ।

अशीष - पाप ,,कईसा पाप मीरा ? हमको कुछ समझ नाही आ रहा है

मीरा बड़ी झिझक के साथ बोली - जे वो रबड़ी हमने आप के लिए रखी थी ,, उमा हमने वोओओओ ताकत वाली दवाई मिलाई थी और आपने ऊ रबड़ी बाऊजी को ???

आशिष चौका - का कह रही हो मीरा ,,,मतलब बाउजि जैसे संत आदमी को तुमने ??

मीरा तुनक कर - हमने नई , जे आप ने करी है ये सब
आशिष चिन्ता में डूब कर - अब तो भोलेनाथ ही मालिक है ।

इधर एक तरफ ये दोनो युवा दम्पत्ति गहन चिंता मे डूबे थे वही शुक्ला भवन के पौढ़ दम्पतियो के मध्य मे भी चिन्ता का विषय ही चर्चा मे था ।

मनोहर - जे पहले तो ऐसा ना हुओ कभी आशिष की अम्मा ,,

शान्ति झल्लाते हुए - जे इ उम्र मे केसर खाओगे तो यही होगो ना

मनोहर परेशान होकर - अब करना का है अशीष की अम्मा इ बताओ

शान्ति देवी बिस्तर से उठते हुए- जे हमसे तो उम्मिद ना ही लगाओ इ उम्र मा आशिष के बाऊजी , हम जा रहे है बाहर सोने

और शान्ति देवी अपना एक तखिया और चादर लेके बाहर हाल की चौकी पर सोने चली गयी ।

अब कमरे मे मुन्शी जी अकेले पड़ गए और क्या करते ,,वो भी गूगल का माइक आइकन दबाते हुए अपनी सम्स्या से निजात पाने के घरेलू नुस्खे पूछने लगे ।

अब अगर आपके पास भी मुन्शी जी की सम्स्या के लिए कोई घरेलू नुस्खा हो तो कमेंट मे जरुर बता दीजिये ,,बाकी कहानी जारी रहेगी ।
आपके मनमोहक प्रतिक्रियाओ का इंतजार रहेगा ।
धन्यवाद
 
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ye to wohi Nachaniya hai dilbar dilbar gane ke remix song pe aagwara aur pichhwada hilaane wali :gaylaugh:
ab ye Nachaniya ish story mein aa gayi kya .. :roflol:
Btw ....ab kya story mein dance bar kholne wali hai ye parul nachaniya.. :hmm2:

mujhe laga ke parool ayush ki jane bahar hogi par ayush to khud usse pehli bar amne samne se mil rha tha. itni hot laundia dekh kar bhi man nhi dola hero ka :D sala kahi pehle se koi mal patake to ke to nahi rakha hai.
shukla bhavan me aaj hungama hote hote reh gaya tha. big cities me rehne wale ultra modern logo ke liye jo bate normal hoti wo baki jagaho par rehne wale logo ke liye sharmnak hoti hai. isliye 3D bhai aur baaki sabhi aese react kar rahe the. galti kiski nahi thi , par ek choti si galtfemi ki waja se ayush ke character par sawal uth khada hua. lekin munsi ji ne ayush se puri bat ko samjhke baki sabhi ke man se galtfemi ko dur kiya. kahani super ja rahi hai bhai .

Mast fadu update tha bhai.
ahhh parul mehta :jerker: ek jaao ek bar karu teri thukai bar bar. :sex:
sala ayush ko ghar , noida har jagah ek se ek item mil rahi hai. aur apun try kare to admin ki dhamki milti he :cry2:
waqt par ayush ne sari bate apne bap ko nhi batata to aj uski thukai paki thi :lol:

कहानी की शुरुवात ही चाय की टापरी से हुआ। हीरो आयुष बाबू बाहुजी की दहेजिया पर कुल्ला टिकाए चाय पे चाय पीए जा रहे हैं। और ये 3d न जाने कौन गली में कौन चमिया के साथ नैन मटका करने में अटके थे। देर से आया सच बताने के जगह पट्टी पड़ने लग गया।

परिवारिक राशन कार्ड बहुत बड़ा है लगे है। पर जैसा है ठीक ठाक रहा वैसा ये मीरा भाभी को देख हमक भाई जी घर पर हो याद आ गया।

अदभुत अतुलनीय लेखन कौशल :clapclap::clapclap::clapclap:

आई हो कहाँ से पारुल गोरी
आँखों में प्यार ले के
आई हो कहाँ से पारुल गोरी
आँखों में प्यार ले के
चढ़ती जवानी की तेरी , पहली बहार ले के
नोएडा शहर का सारा मीना बाज़ार ले के
नोएडा शहर का सारा मीना बाज़ार ले के
झुमका बरेली वाला , कानो में ऐसा ढला
झुमके ने ले ली आयुष् की जान
हाय रे आयुष् तुझ पर हो गया क़ुरबान 🤭

Excellent update bhai

Badhiya update ayush babu to aaj gharwalon ki misunderstanding ka shikar ho jate baal baal bache hain :D

fabulous update dear. 3D ne adhuri bat batake sabhi ke man me galat khayl lane ke liye majbur kar diya. par ayush ko lekar galat khayl aya bhi kese jab ki sabhi use bachpan se jante hai. sayad city me rehne wali ladkiyo ko lekar galat avadharna hai shukla family ke har ek saksh ke man me.

Wonderful update, sirf ek laparvahi ke karan sabhi kya se kya sochne lag gaye the jabki aisa kuch hua hi nahi tha. ayus sochta rehta gaya , akhir ghar me sabhi ko hua kiya tha. Finally munshi ji save the day .
meera se abhi bhi naraj hai. usko kuch aisa karna hoga jisse sabhi purani bato ko bhul ke usko maf kar de
New update is posted
Read and review my frnzzzz
 

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