Incest Madarchod Kahaniya ~ Sab ki Maa Chod Denge

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Madarchod Kahaniya
~
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Dinesh ji ki Fantasy k upar maine y Kahani post ki hai​

Ummed hai aap sab ko maza aae ga
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मौसी के चक्कर में माँ की गांड चुद गई

(Mosi Aur Maa Ko Choda)

दोस्तो, मैं इस साईट का रेगूलर रीडर हूँ और देशी स्टोरीज को काफ़ी पसंद करता हूँ। इतनी कहानियाँ पढ़ने के बाद मेरा भी मन सेक्स करने का काफ़ी करता हैं लेकिन आज तक मौक़ा नहीं मिला।
आज जो कहानी मैं सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरे साथ बीती हुई सच्ची कहानी है। यह वाकिया आज से क़रीब एक महीने पहले की है। सबसे पहले मैं आपको मेरे परिवार से परिचित करा दूं ताकि आप मेरी सत्य कथा का आनन्द ले सके।

मैं दिनेश (Fake name) अपने माँ बाप का एकलौता बेटा हूँ। अभी मेरी उम्र 19 साल की है और मैं सभी बैंकों का एग्जाम दिया है। मेरा शरीर हट्टा कट्टा बलिष्ठ है पर मेरा रंग सांवला है। हम मुंबई के चोल मे सिंगल रूम में रहते हैं। जब मैं 5 साल का था पिताजी का स्वर्गवास हो गया था।

मेरी माँ अब जो कि 38 साल की हैं और शरीर सांवला और मोटा है। जिसके कारण जब वो चलती है तो उसके चूतड़ काफ़ी हिलते हैं।

उन्होंने फैक्ट्रीज में काम कर कर मेरी पढ़ाई लिखाई करा रही थीं और पिछले 2 साल से मैं एक प्राइवेट कम्पनी में पार्ट टाइम को-ओपेरटर का काम करता हूँ और कॉलेज भी जाता हूँ।

हमारे घर में अब केवल 3 सदस्य रहते हैं मैं मेरी माँ और मेरी मौसी। मेरी मौसी की उम्र 36 साल की हैं और वो भी विधवा हैं।

उनके पति का देहांत क़रीब 3 साल पहले हुआ था और उनकी कोई औलाद नहीं थीं। इसलिए माँ ने मौसी को अपने पास बुला लिया और दोनों साथ साथ फैक्ट्री में काम करने लगे।

एक ही रूम होने के कारण हम तीनों साथ साथ सोते थे। मेरे बाजू में मौसी सोती थीं, मौसी के बगल में माँ सोती थीं।

सोते समय माँ और मौसी अपने ब्रा और लहंगा उतार कर केवल नाईटी पहनती थीं (वो दोनों नाईटी यूज़ नहीं करती थीं दिन में साड़ी ब्लाउज और इनर गारमेंट्स में ब्रा और लहंगा पहनती थीं।) और मैं केवल लूंगी और अंडरवियर पहनकर सोता था।

एक दिन अचानक क़रीब 12:30 बजे रात को मेरी नींद खुली, क्यों कि मुझे पेशाब लगी थी पर मैंने देखा कि मौसी की नाईटी कमर तक उठी हुई थी।

वह धीरे धीरे आहह उईई की आवाज़े निकाल रही थी और वह अपने दाहिने हाथ की उंगलियों से अपने चूत के अन्दर बाहर कर रही थीं और उनका बायां हाथ माँ की चूत को सहला रहे थें।

यह देखते ही मेरा लण्ड तन कर 6 इंच लंबा और क़रीब 2.75 इंच मोटा हो गया था। कुछ देर के बाद मौसी सो गई थीं शायद उनका पानी झड़ गया था और वो सो गई थीं, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और बार बार मौसी की हरकत मेरी नज़रों के सामने नाच रहा था।

खैर कुछ देर बाद उठ कर मैं पेशाब करने चला गया और ना जाने कब नींद आ गई।
अब मैं मौसी को वासना की नज़रों से देखता था।

अगले दिन शनिवार था मैंने माँ से कहा कि ‘माँ शाम को चिकन बनाना।’
माँ ने कहा- ऑफिस से आते समय चिकन ले आना।
मैंने कहा- ठीक हैं माँ।

एक बात मैं आपको बताना भूल गया कि 1-2 महीने में माँ और मौसी कभी कभी व्हिस्की का 1-1 पेग पीती थीं।

एक दिन मैं दोस्तो के साथ होटल में पी कर घर आया तो माँ ने आते ही पूछा- बेटा क्या तुमने शराब पी है?
मैंने कहा- हाँ माँ, एक दोस्त मुझे होटल ले गया और वहाँ हम लोगो ने व्हिस्की पी।
माँ ने कहा- बेटा अब तू बड़ा हो गया है और अगर तुझे पीना है तो घर पर पिया करो क्योंकि बाहर पीने से पैसे ज़्यादा लगते हैं और आदत भी ख़राब होती है।
मैंने कहा- ठीक है! माँ, अब से मैं घर में ही पिया करूँगा।

उस दिन के बाद जब भी मेरा मन 1-2 महीने में पीने का होता है, तो मैं घर पर ही व्हिस्की पिया करता हूँ और पीते समय माँ और मौसी भी मेरा साथ देती हैं।

शनिवार के शाम को ऑफ़िस से आते समय मैं चिकन लाया और साथ में व्हिस्की की बोतलें भी लाया। क़रीब 9:30 बजे माँ ने आवाज़ दीं ‘चलो खाना तैयार है आ ज़ाओ।’
मौसी 3 गिलास और व्हिस्की ले आई और हम तीनों पीने लगे माँ और मौसी केवल 1-1 पेग पिये और मैंने 3 पेग पिया।
खाना खाने के बाद माँ और मौसी ने सब काम ख़त्म करके सोने की तैयारी करने लगी। रोज़ाना की तरह हम तीनों सो गए।

रात क़रीब 1:15 बजे मैं पेशाब करने उठा तो देखा कि मौसी, माँ की तरफ़ करवट करके लेटी थीं और उनका दाहिना पैर माँ के पैर पर था और माँ की नाईटी घुटनों के थोड़े ऊपर सी उठी हुई थीं जबी मौसी की नाईटी चूतड़ों से थोड़ी नीचे तक सरकी हुई थीं।

मैंने बिना आवाज़ किए पेशाब करके लेटा तो देखा कि दोनों गहरी नींद में सोए थे शायद व्हिस्की के असर से उन्हे गहरी नींद आ गई थीं। मैंने धीरे से मौसी की नाईटी को कमर तक उठा दिया। अब मौसी की झांटों से भरी चूत साफ़ नज़र आ रही थीं।

मौसी का दाहिना पैर माँ के पैर पर होने के कारण मौसी की चूत की दोनों काली फांकें फैली थीं और अन्दर का गुलाबी भाग साफ़ नज़र आ रहे थें। उनकी चूत को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और अंडरवियर से बाहर आ गया।

मुझसे रहा नहीं गया और सोचा कि मौसी की चूत में लण्ड पेल दूं पर हिम्मत नहीं हो रही थी, फिर मैंने मौसी की तरफ़ करवट करके सोने का नाटक करने लगा और मैंने मेरा लण्ड हाथ से पकड़ कर मौसी की चूत के पास रख दिया।

डर की वजह से मैं लण्ड को उनकी चूत में घूसा नहीं सका क्यों कि अगर मौसी जाग जाएगी तो शायद नाराज़ हो कर माँ से शिकायत कर देगी। इसलिए लण्ड को चूत के पास लगा कर धीरे धीरे लण्ड को रगड़ने लगा।

ऐसा करते हुए कुछ ही देर के बाद मेरे लण्ड ने बहुत सारा वीर्य मौसी की चूत पर और झांटों पर जा गिरा।

सुबह सुहावना होने के कारण मैं क़रीब 11 बजे उठा, तो मैंने मौसी और माँ को धीमे आवाज़ में बात करते सुना।

मुझे लगा शायद मौसी मेरी शिकायत माँ से कर रही है इसलिए मैं ध्यान लगाकर उनकी बातें सुनने लगा।

मौसी- दीदी, पता है रात को क्या हुआ?
माँ- क्या हुआ?
मौसी- रात जब मैं क़रीब 2:30 बजे पेशाब के लिए उठी तो देखा कि दीनू बेटा का लण्ड बाहर निकला हुआ था।
माँ- शायद उसका अंडरवियर ढीला होगा इसलिए उसकी नूनी बाहर निकल आई होगी?

मौसी- दीदी अब उसकी नूनी, नूनी नहीं रही, अब तो मर्दों की तरह लण्ड बन चुका है।
माँ- अच्छा, तब तो उसकी शादी की तैयारी करनी पड़ेगी, खैर यह बताओ कितना बड़ा लण्ड था उसका।
मौसी- उसका सिकुड़ा हुआ लण्ड ही काफ़ी बड़ा लग रहा था।
माँ आश्चर्य से- अच्छा, तब तो जब उसका लण्ड खड़ा होगा तो काफ़ी बड़ा होगा!

मौसी- दीदी और जब मैं पेशाब करके उठी और चूत को साफ़ करने लगी तो मेरी हथेली पर झांटों से और चूत की फांकों से कुछ चिपचिपा सा चीज लग गया था। शायद नींद में बेटे का लण्ड का पानी गिरा होगा।
माँ- इसलिए कहती हूँ, रात में नींद में अपनी नाईटी का ख्याल रखाना चाहिए तुझे। क्यों कि अक्सर मैं देखती हूँ तेरी नाईटी कमर पे आ जाती है।

अब मैं समझ गया कि रात को जो कुछ भी मैंने किया उसका मौसी ने बुरा नहीं माना, और मैं उठ कर नहा धोकर नाश्ते का इन्तजार करने लगा।

इतने में माँ ने मौसी से कहा- दीनू को नाश्ता दे दो में कपड़े सुखाने जा रही हूँ।

मौसी मेरे लिए नाश्ता लेकर आई और पास ही बैठ गई रात की घटना के बाद मैं मौसी को कामुक निगाहों से देखता था।

जब मेरी नज़र उनकी चूची पर पड़ी, तो उन्होंने पूछा- क्या देख रहे हो बेटा?
मैंने कहा- मौसी, आज आप खूबसूरत लग रही हो।

मौसी हँसी और उठकर चली गईं।

रात को खाना खाने के बाद हम सब सोने की तैयारी में लग गए, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं केवल सोने का नाटक कर रहा था और मौसी को कैसे चोदा जाए यह प्लानिंग बना रहा था।

करीब 12:45 को मैंने आँख खोल कर देखा तो मौसी आज रात भी कल रात की तरह सोई थीं लेकिन आज उनकी नाइटी पूरी कमर के ऊपर थी और उनकी चूत मुझे साफ़ नज़र आ रही थी।

उनकी चूत देख कर मेरा लण्ड खड़ा होकर चोदने के लिए तैयार हो चुका था।

इतने में मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने उठ कर लाइट बंद कर दी और मेरे लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा के आया।

अब मैं मौसी की ओर करवट कर कल रात की तरह उनकी चूत के मुख पर लण्ड रख दिया। मेरा लण्ड का सुपारा चिकना होने के कारण थोड़ा मौसी की चूत में चला गया।

मुझे मौसी की चूत का एहसास लण्ड पर महसूस हुआ। जिस कारण मैं और उत्तेजित हो गया और धीरे से जोर लगा कर आधा सुपारा मौसी की चूत में डाल दिया।

आधा सुपाड़ा जाते ही मौसी के शरीर में कुछ हरकत हुई। मैंने सोचा शायद मौसी जाग गई होंगी इसलिए कुछ देर तक ऐसे ही सोने का नाटक करने लगा।

जब कुछ देर तक मेरे शरीर से कुछ हरकत ना होने पर मौसी ने थोड़ी गांड मेरी ओर सरका दी जिस कारण मेरा पूरा सुपाड़ा उनकी चूत में घुस गया।

मैं समझ नहीं पाया कि मौसी ने नींद में यह हरकत की या जानबूझ कर रखीं।

मैंने हिम्मत जुटाई और एक हाथ उनकी बूब्स पर रख दिया और हौले हौले दबाने लगा।

इतने में मौसी सीधी होकर सो गई जिस कारण मेरा लण्ड चूत से बाहर निकल गया।

थोड़ी देर बाद मैंने मौसी का हाथ मेरे लण्ड पर महसूस किया। वह मेरे लण्ड को पकड़ कर आगे पीछे कर रही थीं। मैं भी एक हाथ से उनके बूब्स दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत सहला रहा था।

यह काम हम लोग करीब 5 मिनट तक करते रहे.
फिर मौसी ने मेरे कान में कहा- बेटा तुम मेरी चूत की ओर मुंह रख कर मेरी चूत को चाटो, मैं तुम्हारा लण्ड चाटूंगी।

अब हम 69 कि पोजीशन में होकर एक दूसरे के चूत और लण्ड चूमने चाटने लगे।

मैं जब अपनी जीभ से उनकी चूत के फ़न को रगड़ रहा था तो वह आआह्ह ऊऊईई माँआ की धीरे धीरे आवाजें करती थीं।


कुछ देर बाद उनकी चूत से सफ़ेद पानी आ गया और उस वक़्त उन्होंने मेरा सिर पूरी तरह से चूत पर दबा रखा था जिस कारण मेरे मुंह पर पूरा चूत का पानी लग गया।


फिर मौसी ने मुझे अपनी तरफ़ करते हुए कहा- बेटा, अब रहा नहीं जाता है जल्दी से तुम्हारा यह मोटा लण्ड मेरी चूत में डाल दे।


मैं भी जोश में आ गया था और मौसी की चूतड के नीचे तकिया रख कर उनकी चूत को थोड़ा उठा दिया और अपने लण्ड का सुपाड़ा चूत के मुंह पर रख कर एक जोरदार धक्का लगाया।


एक ही धक्के में मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया था और जोरदार धक्के के कारण उनकी मुंह से हल्की सी चींख निकल गई।


‘ऊऊईई माँआ धीरेरेए डालोओ!’ उनकी हल्की चीख सुन कर माँ जाग चुकी थीं लेकिन अँधेरा होने के कारण वह हमें या हमारे चुदाई को देख ना सकी और पूछा ‘क्या हुआ?’


मौसी ने धीमे से माँ के कान में कहा- कुछ नहीं, मैं अपनी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर कर रही थी कि मुझसे रहा नहीं गया और मैं हल्की सी चींख उठी।


माँ ने कहा- ठीक है, आवाज़ धीरे करो क्योंकि बगल में दीनू सोया है।
हालांकि उन दोनों ने इतनी धीमी आवाज़ में बातचीत की फिर भी रात होने के कारण मुझे उनकी बातचीत सुनाई पड़ी।


अब मैं कुछ देर रुक गया था। मेरा आधा लण्ड अभी भी मौसी की चूत में घुसा था।


थोड़ी देर बाद मैं मौसी के होंठों को चूसना शुरु किया और फ़िर से एक जोरदार धक्का मारा तो मेरा लण्ड पूरा चूत में चला गया।


मेरा लण्ड जड़ तक घुसते ही मौसी चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मेरा मुँह मौसी के मुँह में था इसलिए वह चिल्ला ना सकी।


थोड़ी देर बाद मैं अपना लण्ड अन्दर बाहर करने लगा जिससे मौसी को जोश आ गया और धीरे धीरे ‘ऊऊईई ऊऊफ़्फ़!!’ और चोदो मुझे कहने लगी।


मैं करीब 20 मिनट तक उन्हें चोदता रहा इसी बीच मौसी 4 बार झड़ चुकी थी जब मेरा पानी निकलने वाला था।


मैं अपना लण्ड उनकी चूत से निकाल कर मुँह में दे दिया और मेरा पानी मौसी के मुँह में पूरा भर गया और वह मेरे पानी तो गटगट पीने लगी।
फिर मैं मौसी के बगल में आकर लेट गया।


कुछ देर बाद मैंने मौसी के हाथ में अपना सिकुड़ा हुआ लण्ड पकड़ा दिया।


मौसी मेरे लण्ड को सहलाने लगी और पूछा कि ‘अभी भी पेट भरा नहीं क्या मुझे चोद कर?’
मैंने कहा- मौसी मैं अब आपकी गांड भी मारना चाहता हूँ।


उन्होंने कहा- बेटा, मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई और तुम्हारा लण्ड भी काफी बड़ा और मोटा है मुझे तकलीफ होगी।
मैंने कहा- डरो मत मैं आहिस्ता आहिस्ता डालूंगा।


तो मौसी बोलीं- बेटा पहले अपने लण्ड पर और मेरी गांड में ढेर सारा तेल लगा लो तो लण्ड आसानी से गांड में चला जाएगा।
मैंने कहा- ठीक है मैं तेल की बोतल ले के आता हूँ तुम पेट के बल अपनी गांड फैला कर रखना’ और मैं तेल लेने चला गया।


अँधेरा होने के कारण मुझे तेल की शीशी नहीं मिल रही थी। तेल की शीशी जब लेकर आया तो काफी समय लग गया तो देखा कि मौसी पेट के बल लेटी हुई थीं।


मैंने कहा- अपने दोनों हाथों से अपनी गांड फैला दो ताकि मैं गांड में अच्छी तरह से तेल लगा सकूं।
उन्होंने कुछ नहीं कहा और अपने दोनों हाथों से चूतड़ पाकर गांड फ़ैला दी, मैंने अपनी हथेली पर ढेर सारा तेल डाल कर उसकी गांड के छेद में तेल लगाने लगा।


जब ढेर सारा तेल लगा चुका तो मैंने अपनी एक उंगली उनकी गांड में डाल दी।


उंगली में तेल लगा होने के कारण मेरी बीच की उंगली आसानी से आराम से घूस गई, लेकिन उनहोने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर खींचा जिस वजह से मेरी उंगली गांड से बाहर निकल आई शायद उनको दर्द हुआ होगा।


अब मैं अपने लण्ड पर भी काफी तेल लगा लिया था। मेरे लण्ड के सुपाड़े पर भी काफी तेल लगा लिया था ताकि सुपाड़ा आसानी से उनकी गांड में जा सके। अब मैं उनसे कहा- अपने दोनों हाथों से चूतड को फ़ैला लो ताकि गांड में लण्ड डालने मे आसानी हो जाएगी।
उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूतड़ उठा कर फ़ैला दी।


अब मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गांड की छेद पर रख कर हल्का सा पुश किया थोड़ा सा सुपाड़ा जाते ही उन्होंने अपनी गांड सिकोड़ ली, जिस कारण मेरा सुपाड़ा गांड से बाहर निकल गया।
मैंने पूछा- गांड क्यों सिकोड़ी? क्या दर्द हो रहा है?
उन्होंने केवल अपना सिर हिला कर ‘हाँ’ का जवाब दिया।


मैंने कहा- आप अपने मुँह में नाईटी का कुछ हिस्सा दबा लें’ ताकि दर्द होगा तो आवाज़ नहीं निकालेंगी वरना आवाज़ सुनकर माँ जाग जाएंगी।


उन्होंने अपने मुँह में नाईटी का कुछ भाग डाल लिया, अब मैंने दुबारा उनसे चूतड़ फैलाने को कहा और उनकी गांड की छेद पर लण्ड का सुपाड़ा लगा कर एक जोर का धक्का मारा।
मेरा लण्ड का सुपाड़ा पूरा गांड में घुस गया और उनके मुँह से गूं गूं की आवाज़ आने लगी क्योंकि मुँह में कपड़ा दबा हुआ था।


कुछ देर बाद मैं फिर से एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लण्ड गांड में घुस गया था और दर्द के मारे उनका शरीर कांप रहा था।


अब मैं अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगा।


अभी गांड मारते हुए मुझे 10 मिनट ही हुए थे कि अचानक किसी ने लाइट जला दी और रोशनी में मैंने देखा कि मौसी की जगह माँ लेटी हुई थीं और मैं माँ की गांड मर रहा था।


अचानक लाइट जलाने वाली मौसी पास ही नंगी खड़ी मुझे माँ की गांड मारते हुए देख रही थीं।


अचानक माँ को देख कर मैंने अपना लण्ड माँ की गांड से निकाल लिया और माँ ने भी अपने मुँह से कपड़ा निकाल लिया और कहने लगी- फिर से मेरी गांड मारो, जब तुमने गांड में पूरा लण्ड डाल दिया था तो अब क्या डरना!


माँ से अनुमति लेकर मैंने फिर अपना लण्ड माँ की गांड में घुसा दिया और माँ की गांड मारने लगा।


मैं जब माँ की गांड मार रहा था तो माँ कह रही थीं- बेटा आज तुमने अपने माँ की गांड की सील तोड़ दी। और जोर जोर से अन्दर बाहर करो अपना यह घोड़े जैसा लण्ड।


अब मैं माँ से पूछा- अच्छा माँ यह तो बताओ कि तुम मौसी के जगह कैसे आ गई?
उन्होंने कहा- उस दिन जब तुम मौसी को चोद रहे थे तब मुझे कुछ शक हो गया क्योंकि तुम्हारी मौसी के मुँह से ऊउईई म्माँआ की आवाजें निकाल रही थी और आज जब तुम तेल लेने गए तब तुम्हारी मौसी ने मुझे सब बता दिया। इस तरह मौसी की जगह में मैं आ गई तुमसे गांड मरवाने। चल जल्दी से अब मेरी चूत में अपना लण्ड पेल दे अब रहा नहीं जाता।

मैंने तुरंत ही अपना लण्ड निकाल कर माँ की चूत में डाल कर पेलने लगा और जब मैं माँ को चोद रहा था तब मौसी माँ की मुँह पर अपनी चूत रख कर रगड़ रही थीं।

करीब 20 मिनट के बाद मैंने अपना वीर्य माँ की चूत में डाल दिया। इसी दरमियान माँ 3 बार झड़ चुकी थीं।

अब 2 महीने से मैं माँ और मौसी को रोज़ रोज़ नई नई स्टाइल में चोदता हूँ।
 
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Raju ji ki Fantasy par ye Kahani...Ummed karta hu aap sabhi ko pasand aaege​

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मम्मी की दमदार चुदाई

(Mommy Ki Damdaar Chudai)

मम्मी की भड़कते जिस्म को देख मेरा मन उत्तेजित हो हरेक रात उनकी दमदार चुदाई के सपने देखने लगा हालांकि उससे दोगुना मजा उनकी असल चुदाई करके मैंने महसूस किया।


मम्मी की दमदार चुदाई की कल्पना


हैलो दोस्तो, मेरा नाम राजू है और मैं स्लिम मिड हाईट 5’7″ का और वजन करीब 54-55 किलो है। मैं 26 साल का हूँ, इन दिनों मैं देहरादून में रहता हूँ।


आज मैं आपको मेरे और मेरे मम्मी के सेक्स की कहानी सुनाता हूँ। यह बात आज से करीब 6-7 साल पहले की है जब मेरी उम्र 20 साल की थी और मेरी मम्मी 32 की थीं।


मेरी जवानी शुरु हुई थी और उनकी जवानी के शोले भड़कते थे। मेरी मम्मी बहुत सेक्सी और सुन्दर है। शी हेज गोट ए ब्यूटीफुल बॉडी शेप 36-28-36! शी हेज गॉड मेड बूब्स एज वेल एज बटक्स!


उनका सुडौल गोरा बदन बहुत हसीन है। वैसे वो मेरी रियल मम्मी नहीं हैं वह मेरे डैड की सेक्रेटरी थी, बाद में पापा ने माता जी के कोंन्सेंट से उससे अनओफियसली शादी कर ली।


मैं पहले उनको संध्या आंटी कहता था, पर अब मम्मी ही कहता हूँ।


मैं मम्मी को जब भी देखता तो मुझे उनका सेक्सी फिगर देखकर मन मे गुदगुदी होती थी।


मैंने उनको एक दो बार डैड के ऑफिस में आधा नंगा (जैसे जब वह स्कर्ट पहनती थी तो उनकी थाईज बड़ी जबरदस्त होती थी तब वह मेरे पापा की सेक्रेटरी थी।


एक दो बार मैंने मम्मी को डैड के ऑफिस के प्राइवेट रूम में जो चेंजिंग रूम कम रेस्ट रूम था। मैं छुप कर कपड़े चेंज करते भी देखा था, और मैं उनके चूचे और चड्डी के नीचे के एरिया को छोड़कर पूरा नंगा देख चुका था।


मम्मी की बॉडी एकदम संगमरमर की तरह चिकनी थी। उनकी जांघें ऐसी लगती थी जैसे दो केले का जोड़ा हो। उनके होंठ एकदम गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थे और गाल एकदम कश्मीरी सेब जैसे पिंक।


मम्मी एकदम टाईट फिटिंग के कपड़े पहनती थी और मैं उनको बहुत नज़दीक से देखकर अपनी आँखों को सुकुन दिया करता था।


मतलब जब से मेरा लण्ड खड़ा होना शुरू हुआ वो बस संध्या (मम्मी) को ही तलाशता और सोचता था। मैं उनकी बॉडी को देखकर अपने मन और आँखों की प्यास बुझाया करता था।


लेकिन पहले जब तक वह संध्या आंटी थी मुझे उनसे नफरत थी और मैं सोचता था कि एक दिन इनको तसल्ली से चोदकर अपनी भड़ास निकालूँगा।


पर बाद में उनके लिए मेरे पापा के प्यार ने और उनके अच्छे व्यवहार ने मुझे चेंज कर दिया।


अब वो हमारे घर पर फर्स्ट फ्लोर में रहती थी। डैड और उनका बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर था और हुम लोग ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं।


डैड संध्या(मम्मी) के साथ फर्स्ट फ्लोर पर ही सोते हैं बेड रूम के साथ ही एक और रूम है जो एज ए कॉमन रूम यूज़ होता है। धीरे धीरे मैं मम्मी के और करीब आने लगा।


वह शायद मेरा इरादा नहीं समझ पा रही थीं। वह मुझको वही बच्चा समझती थी पर अब मैं जवान हो गया था।


जैसे ही मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया तो डैड ने ऑफिस का वर्क भी मुझको सिखाना शुरू कर दिया और मैं भी फ्री टाइम में रेगुलरली ऑफिस का काम देखने लगा।


मोस्टली मैं एसोसिएट्स का काम देखता हूँ क्योंकि मैं समवेयर स्टूडेंट था।


कॉलेज में भी मुझे कोई भी लड़की मम्मी से ज्यादा सेक्सी नहीं लगती थी।


अब मझे जब मौका मिले मोन्स को टच करके, जैसे उनकी जाँघों पर हाथ फ़ेर के, उनके चूतड़ पर रब करके या कभी जानबुझकर उनके बूब्स छु लिया करता।


मम्मी पता नहीं जानबूझकर या अनजाने में अनदेखा कर देती थी, या वह मेरा उद्देश्य नहीं समझ पाती थी।


कभी डैड रात को मुझे अपने बेड रूम में बुलाते थे और ऑफिस के बारे में मम्मी और मेरे साथ डिसकस करते। क्योंकि मम्मी अक्सर नाईट गाऊन में होती थी और मैं पूरी तसल्ली से उनके बदन का मुआयना करता था।


उनके बूब्स बिल्कुल पके हुए आम जैसे मुझे बड़ा ललचाते थे, कई बार मम्मी को भी मेरा इरादा पता चल जता था पर वो कुछ नहीं कहती थी।


अब तो मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी और मैंने मम्मी की चुदाई का पक्का इरादा कर लिया और मौके की तलाश करने लगा।


एक दिन जब डैड ने मुझे फर्स्ट फ्लोर पर रात को 11 बजे बुलाया तो मैं ऊपर गया तो डैड ने बताया कि उनको रात 1 बजे की फ्लाइट से 1 सप्ताह के लिये अर्जेंट बाहर जाना है और वो मुझे और मम्मी (संध्या) को जरूरी बातें ब्रीफ करने लगे।


मम्मी थोड़ा घबरा रही थीं तो डैड ने कहा- सैंडी डार्लिंग, यू डोंट वरी! तुम और राजू सब सम्भाल लोगे, राजू तुम्हारी मदद करेगा। कोई प्रॉब्लम हो तो, मुझे कॉल करना! वैसे यू विल मैनेज, देयर विल बी नो प्रॉब्लम!


मम्मी और पापा का फोरप्ले


उसके बाद डैड ने मुझसे कहा- सैंडी थोड़ी नर्वस है, तुम जरा बाहर जाओ मैं उसको समझाता हूँ।


मैं बाहर आ गया तो डैड ने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया, लेकिन मुझको शक हुआ कि डैड मेरी अनुपस्थिति में संध्या(मम्मी) को क्या समझाते हैं?


मैं की-होल से चुपके से देखने लगा। लोजिकली डोर पर कर्टेन नहीं चढ़ा था और लाईट भी जल रही थी। लेकिन मैंने जो देखा तो मैं स्तब्ध रह गया।


डैड मम्मी को बाहों में लेकर किश कर रहे थे और मम्मी क्राई कर रही थी। फिर डैड ने मम्मी के होंठ अपने होंठों पर लेकर डीप किश लिया तो मम्मी भी जवाब देने लगी। फिर डैड ने मम्मी का गाऊन पीछे से खोल दिया और पीठ पर रब करने लगे।


मम्मी और डैड अभी भी एक दुसरे को किश कर रहे थे और दोनों लम्बी सांसें ले रहे थे कि मैं सुन सकता था। फिर डैड ने मम्मी का गाऊन पीछे से उठाया और उनकी चड्डी भी नीचे करके मम्मी के चूतड़ पर रब करने लगे।


मम्मी के चूतड़ के दर्शन


मम्मी की पीठ दरवाजे के तरफ थी जिस कारण मुझे मम्मी की गांड और चूतड़ के दर्शन पहली बार करने का मौका मिला।


मम्मी के चूतड़ एकदम संगमरमर से मुलायम और चिकने नजर आ रहे थे। मम्मी क्राई भी कर रही थीं और मस्ती में लम्बी सांसें भी ले रही थीं।


फिर अचानक डैड ने मम्मी का गाऊन आगे से ऊपर किया और उनकी चूत पर उंगलियाँ फिराने लगे पर मैं कुछ देख नहीं पाया क्योंकि वो दूसरी साइड थीं।


फिर डैड दूसरी तरफ़ पलटे तो मम्मी की चूत वाली साइड मेरे तरफ़ हो गई और अब मैं मम्मी की चूत थोड़ी बहुत देख सकता था।


पर डोर से कुछ नज़र साफ नहीं आ रहा था। मम्मी की चूत का मैं अन्दाज लगा सकता था क्योंकि डैड वहाँ पर उंगलियाँ फिरा रहे थे और मम्मी के खड़े होने के कारण चूत पूरी नजर नहीं आ रही थी।


वो बस एक छोटी लाइन से दिख रही थी जहाँ डैड उंगली फिरा रहे थे। उसके बाद डैड नीचे झुके और मम्मी की चूत पर अपने होंठ रख दिए।


यह मुझे साफ़ नहीं दिख रहा था पर मैं गेस कर सकता था कि मम्मी अब जोर जोर से सिसकारियाँ लेकर मजे ले रही थी और डैड भी मस्ती में थे।


लेकिन अचानक जाने क्या हुआ कि डैड रुक गए और उन्होंने मम्मी को छोड़ दिया और मम्मी को लिप्स पर किश करते हुए बोले- डार्लिंग आई ऍम सॉरी! आई कांट गो बियॉन्ड लेट आई कम बिकॉज़? राजू इज आल्सो आउट, एंड आई ऍम गेटिंग लेट आई ऍम वैरी सॉरी!


मम्मी भी तब तक शांत हो चुकी थी पर वो असन्तुष्ट लग रही थी। वो सामान्य होते हुए बोली, इट्स ओके!
और उन्होंने अपना गाऊन ठीक किया।


उसके बाद डैड ने मुझको आवाज़ लगाते हुए कहा- राजू, आर यू देयर बेटा?


मैं चौकन्ना हो गया और अपने को नार्मल करने लगा क्योंकि मेरा लण्ड एकदम खंभे के माफिक खड़ा हो गया था और मेरी धड़कन भी नार्मल नहीं थी। लेकिन जब तक डैड डोर खोलते मैं नार्मल हो गया था।


फिर डैड ने दरवाजा खोला और बोले- ड्राईवर को बुलाओ और मेरे सामान गाड़ी में रखो। रात काफी हो गई है, यू डोंट नीड टू कम एयरपोर्ट आई विल मेनेज एंड प्लीज! सी द ऑफिस एंड फोर वन वीक टेक लीव फ्रॉम द कॉलेज एंड असिस्ट सैंडी।


मैं और मम्मी डैड को ड्रॉप करने जाना चाहते थे पर डैड ने स्ट्रिक्टली मना कर दिया। डैड को हमने गुड बाय कहा और डैड ने हुमको बेस्ट ऑफ़ लक कहते हुए किश किया।


जब डैड चले गए तो मम्मी ने मुझसे कहा- राजू आज तुम ऊपर वाले कमरे में ही सो जाओ मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है।
मैं तो ऐसे मौके की तलाश में ही था। मैं एकदम से थोड़ा झिझकने का नाटक करते हुए हाँ! कह दिया।


मम्मी और मैं फर्स्ट फ्लोर पर आ गए और मम्मी बेडरूम में चली गई उनहोने मुझे पुछा कि, आर यू कोम्फरटेबल ना?
मैंने कहा, यस!


वो बोली- एक्टचुअली आई ऍम नॉट फीलिंग वेल इसलिए तुमको परेशान किया!


मैंने कहा, इट्स ओके! मम्मी, फिर मम्मी अन्दर चली गई और मैं बाहर कॉमन रूम में लाइट ऑफ करके सो गया।


मम्मी थोड़ा घबरा रही थी, इसलिए उनहोने दरवाजा बन्द तो किया पर लॉक नहीं किया और नाईट लैंप ऑफ नहीं किया।


अब मेरे को तो नींद कहाँ आनी थी?, मैं तो मम्मी के साथ सपनो की दुनिया सजा रहा था और मेरी नज़र मम्मी की एक्टिविटीज पर थी।


करीब आधे घंटे बाद मम्मी मेरे कमरे में आई और जैसे ही उन्होंने लाइट ओन की तो देखा कि, मैं भी लेटा हुआ जग रहा हूँ।


मम्मी बोली- राजु लगता है, तुमको भी नींद नहीं आ रही है, 2:00 बज गए हैं!


तुम भी शायद, अपने डैड के बारे में और कल ऑफिस के बारे में सोच रहा हो।


मैंने कहा- बात तो आप ठीक कर रही हैं, पर पता नहीं क्यों? मुझे ऐसी कोई चिंता नहीं है, पर नींद नहीं आ रही है! आप सो जाओ, मैं भी सो जाता हूँ थोड़ी देर में नींद आ जाएगी।


मम्मी बोली- ओके! राजु पर मैं थोड़ा कम्फ़र्टेबल नहीं फील कर रही हूँ।


तुम सो जाओ, मैं लाइट ऑफ कर देती हूँ।


तब मैं मम्मी से कहा कि, मम्मी अगर आप बुरा ना माने तो ऐसा करते हैं कि, अन्दर ही मैं भी आपके पास बैठता हूँ बातें करते हुए शायद नींद आ जाए!


वो बोली- गुड आईडिया! चलो, अन्दर आ जाओ, और मैं और मम्मी अन्दर बेड रूम में चले गए।


मैं अन्दर चेयर पर बैठ गया और मम्मी बेड पर बैठ गईं। फिर मम्मी बोली, राजु ठण्ड ज्यादा है! तुम भी बेड पर ही बैठ जाओ।


मैंने मना करने का बहाना बनाया पर मम्मी ने जब दुबारा बोला तो, मैं उनके सामने बेड पर बैठ गया और रजाई से आधा कभर कर लिया।


अब मैं मम्मी को तसल्ली से बात कर रहा था और रजाई के अन्दर मैं पायजामे का नादा थोड़ा ढीला कर लिया था। फिर मैंने मम्मी से कहा कि, ऑफिस की बात नहीं करेंगे कुछ गप शप करतें हैं।


मम्मी नंगी जिस्म दिखाने को हुई राजी


फिर मम्मी बोली, ओके! तो मैंने कहा, मम्मी तुम बुरा ना मानो तो तुमसे एक प्राइवेट बात कहनी थी!


मम्मी बोली- कम ओन डोंट कंफ्यूज खुल कर कहो।


मैंने कहा- मम्मी यू आर मोस्ट ब्यूटीफुल लेडी आई इवर मेट!


आई रियली मीन इट मैं गप शप नहीं कर रहा हूँ।


मैं आज से नहीं जब से तुमको देखा है, तुमको अपनी कल्पना, अपना प्यार और सब कुछ मानता हूँ!


यू आर रियली ग्रेट! मम्मी, एंड योर फिगर इज मारवलस एंड इवन मोस्ट गॉर्जियस गर्ल ऑफ 16 कांट बीट योर ब्यूटी एंड सेंसुअलिटी।


मैं ये सब एक ही साथ कह गया कुछ तो मैं कहा कुछ मैं कहता चला गया पता नहीं मुझे क्या हो गया था।


मम्मी मुझे देखती रही और हँसने लगीं! बोली, तुम पागल हो एक बुढ़िया के दीवाने हो गए हो।


मैंने कहा- नो मम्मी यू आर मारवलस! कोई भी जवान लड़की, तुम्हारा मुकबला नहीं कर सकती!


मम्मी प्लीज अगर तुम मेरी एक बात मान लो तो मैं तुमसे जिन्दगी में कुछ नहीं माँगूंगा।


मम्मी बोली- अरे बुद्धु कुछ बोलो भी, ये शायरों की तरह शायरी मत करो!


मैं तुम्हारी क्या हेल्प कर सकती हूँ?


मैंने कहा- मम्मी प्लीज! बुरा मत मानना पर मैं तुमको सबसे खूबसुरत मानता हूँ, इसलिए अपनी सबसे खूबसूरत लेडी की खूबसूरती को एक बार पूरी तरह देख लेना चाहता हूँ!


मम्मी प्लीज! मना मत करना, नहीं तो मैं सचमुच मर जाऊँगा और अगर जिंदा भी रहा तो मारा जैसा ही समझो।


मम्मी एकदम चुप हो गई और सोचने लगी फिर धीरे से बोली- राजु, तुम सचमुच दीवाने हो गए हो, वह भी अपनी मम्मी के!


अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो ओके! बट प्रॉमिस, मेरे साथ कोई शरारत नहीं करना नहीं तो, तुम्हारे डैड को बोल दूँगी और आँख मारते हुए बोली तुम्हारी पिटाई भी करूंगी!


मैंने कहा- ओके! पर एक शर्त है कि, मैं अपने आप देखूँगा आप शान्त बैठी रहो।


मम्मी बोली- ओके! मैं मम्मी के नज़दीक गया और मम्मी का गाऊन के पीछे का बटन खोलकर गाऊन को डाउन कर दिया फिर उसको उनकी कमर से नीचे लाया। इसके बाद मैंने रजाई हटाई।


अब मम्मी मेरे सामने ऊपर से सेमी न्यूड हो गई थी उनके ऊपर केवल ब्रा ही रह गई थी।


मम्मी बिल्कुल बुत की तरह शांत थी। मैं नहीं समझ पा रहा था कि उनको क्या हुआ है। मुझे लगता है कि वह बड़े कन्फ्जयून में थी पर?


मैं बड़ा खुश था और एक्साईटमेंट में मेरी खुशी को और बढ़ा दिया था। फिर मैंने मम्मी का गाऊन उनकी टाँगों से होते हुए अलग कर दिया।


अब मम्मी केवल पैन्टी और ब्रा में बेड पर लेटी थी। फिर मैंने मम्मी की ब्रा का हुक खोल दिया।


मम्मी की एक चीख सी निकली पर फिर वह चुप हो गई। फिर मैं मम्मी की ब्रा को उनके शरीर से अलग कर दिया।


मम्मी की चूचियों को चूमा


उनके बूब्स देखकर मैं पागल हो गया और एक्साईटमेंट में मैंने उनके बूब्स को चूम लिया।


मम्मी की सिसकारी निकल गई, पर नेक्स्ट मोमेन्ट वो क्रीटिसाईट होती हुई बोली- राजु बिहेव योरसेल्फ तुमने वादा किया था?


मैंने कहा- मम्मी, तुम इतनी मस्त चीज़ हो! कि मैं अपना वादा भूल गया।


फिर मैंने मम्मी की पैन्टी को निकालने लगा और मम्मी ने भी इसमें मेरी मदद की पर, वो एक बूत सी बनी थी।
उनकी इस हरकत से मैं भी थोड़ा नर्वस हो गया, पर मैंने अपना काम नहीं रोका, और पैन्टी के निकलते ही मेरे कल्पनाएँ साकार हो गई थी!


मम्मी की चूत का अनोखा एहसास


मैंने मम्मी की चूत पहली बार देखी थी, एकदम चिकनी मखमल जैसी! और एकदम बन्द, ऐसा लगती थी जैसे संतरे की दो फांकें हों!


मैंने ब्लू फिल्मों में बहुत सी चूतें देखी थी। वो एकदम चौड़ी और मरकस वाली होती हैं, पर मम्मी की चूत को देखकर यह लगता ही नहीं था कि, वो एक 32 साल की औरत की चूत है।


सबसे बड़ी बात यह थी कि, उनकी चूत एक दम क्लीन शेवड थी और गोरी ऐसी कि, ताजमहल का टुकड़ा! अब मेरे सामने एक 32 साल की लड़की नंगी लेटी थी।


आप खुद सोचो! ऐसे में एक 20 साल के लड़के का क्या हाल हो रहा होगा?


फिर मैंने कहा, मम्मी प्लीज! मैं एक बार तुम्हारी बॉडी को महसूस करना चाहता हूँ कि, एक औरत की बॉडी के रियल टच का क्या एहसास होता है?


मम्मी बोली- तुम अपना वादा याद रखो, सोच लो वादा खिलाफी नहीं होनी चाहिए!


मैं उनका सही मतलब नहीं समझ पाया पर उनकी नंगी काया देखकर मैं पहले ही बेशुध हो चुका था, अगर कोई कमी थी तो मम्मी के रेस्पोंस की और मेरे पहले एक्स्पेक्ट की वजह से झिझकी।


मम्मी के चूचियों का छुवन का आनन्द


फिर मैं मम्मी के ल्पिस का एक डीप किश लिया और उनको उनकी पीठ से बाहों में ले लिया, और उनकी पीठ पर रब करने लगा।


मम्मी का कोई रेस्पोंस नहीं आया पर, उनके बूब्स का टच मुझे पागल कर रहा था। ऐसा टच मुझे पहली बार हुआ था!


मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो बूब्स थे या, मार्बल और वेल्लेट का मिक्स! आअह!! फ्रेंड्स, इट वाज अ रियली ग्रेट फीलिंग। उसके बाद मैंने मम्मी को पलटा और अब उनकी पीठ पर किश करने लगा और उनके बूब्स को मसलने लगा।


ऊह!! आई वाज इन 7थ स्काई! फ्रेंड्स, आई कान्ट टेल यू क्या मजा आ रहा था।


मम्मी भी अब कोई विरोध नहीं कर रही थी पर, उनका रेस्पोंस बहुत पॉजिटिव नहीं था, पर मुझे अब इस बात का कोई एहसास नहीं था कि मम्मी क्या सोच रही है?


मैं तो सचमुच! जन्नत के दरवाजे की तरफ बढ़ रहा था और मम्मी की बॉडी का टेस्ट ले रहा था।


मम्मी को चुदने के लिए राजी किया


मम्मी के बूब्स का रस सचमुच बड़ा रसीला था। मैंने अब उनके निप्पल्स पर दांतों से काटना शुरू किया तो मम्मी पहली बार चीखी! और बोली, अरे काट डालेगा क्या? आराम से कर हरामी।


मैं समझ गया कि अब मम्मी भी मस्त हो चुकी हैं। मैंने अपना पायजामा उतार दिया और बनियान भी उतार दी।


अब मैं केवल अंडरवियर में था। कुछ देर मम्मी के बूब्स चूसने के बाद मैंने मम्मी की नेवेल पर किश करना शुरू कर दिया तो, मम्मी बेड पर उछलने लगीं और सिसकारियाँ लेने लगीं।


मैं हाथों से उनके बूब्स दबा रहा था और होंठों से उन नेवेल को चुम रहा था, फिर मैं और नीचे गया और मम्मी के अब्डोमन के पास और पुबिक्स एरियाज में किश करने लगा।


दोस्तों, मैं बता नहीं सकता और, आप भी केवल मस्सुस कर सकते हैं कि क्या मजा! आ रहा था?


इसके बाद मैंने मम्मी की टागों पर भी हाथ फिराना शुरु कर दिया। उनकी टांगें बड़ी मुलायम और स्मूथ थी!


मुझे लगता है कि, मम्मी अपनी बॉडी का बहुत ख्याल रखती हैं और डैड भी तो उनकी इस लाजवाब! बॉडी के गुलाम हो गए थे। बट शी इज ग्रेट लेडी रियली इन आल रिस्पेक्ट! और इस टाइम तो वो मेरी क्लिओपेट्रा बनी हुई थी।


अब मैं मम्मी की टाँगों और जाँघों पर अपना कमाल! दिखाना शुरु कर दिया और मैं कभी उनको चूमता कभी दबाता और कभी रब करता।


मम्मी भी अब तक मस्त हो चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी पर, मैंने अब तक एन्ट्री गेट पर दस्तक नहीं दी थी।


मैं मम्मी को पूरा मस्त कर देना चाहता था और मैंने अपने लण्ड को फुल कन्ट्रोल में रखा था। मैं मम्मी की बॉडी को अभी भी अपने होंठों और उंगलियों और हाथों से ही रौंद रहा था।


अब तो मम्मी भी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और वादे वाली बात भुलकर मस्ती में पूरे जोर से मेरा साथ दे रही थीं, और चीखने लगी- अरे राजू, अब आ भी जा यार प्लीज! मत तड़पा जालिम जल्दी से मेरे ऊपर आ जा!


मैंने कहा- बस मम्मी, जस्ट वेट मैं तैयार हो रहा हूँ बस एक मिनट रूक जाओ मैं भी आता हूँ।


मम्मी की धक्कापेल चुदाई


तभी मम्मी ने मेरा अंडरवियर नीचे खिसका दिया और वो बोली- अबे मादरचोद अपनी मम्मी की बात नहीं मानेगा?


इतना कहकर उन्होंने अब मेरा लण्ड पकड़ कर जोर से दबा दिया।


मेरी तो चीख निकल गई और अब तक जो मेरा लण्ड तैयार था बिल्कुल बेताब हो गया।


मैंने मम्मी की दोनों टाँगों को दूर करते हुए उनकी राईट थाई पर बैठ गया, और उनके चूतड़ को दोनों हाथों से धकेलते हुए अपना लण्ड उनकी चूत के पास ले गया, और पूरे जोर का धक्का दिया तो मेरा आधा लण्ड उनके चूत में समा गया।


मेरी तो चीख निकल गई लेकिन मम्मी को कुछ तसल्ली हुई और वो मेरे अगले एक्शन का इंतज़ार करने लगी।


मैंने एक और ज़ोरदार धक्का लगाया तो पूरा लण्ड अन्दर चला गया। अब मैंने धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया और मम्मी की दूसरी जाँघ को अपने कंधे की तरफ़ रख दिया। राईट थाई पर बैठ कर अपना चुदाई कार्यक्रम शुरू कर दिया।


अब तो मम्मी पूरे मज़े में आ गई और मेरा पूरा सहयोग करने लगीं।पूरे कमरे में मेरे और मम्मी के चुदाई प्रोग्राम का म्यूजिक शुरू हो गया।


मम्मी भी शश!! अह्ह!! करने लगीं और बोली- अन्दर तक घुसेड़ दे अपना लण्ड, मैं भी जोर से अन्दर बाहर करने लगा।


बोलीं- मस्ती आ रही है, तुझे भी मज़ा आ गया! आज बहुत दिन बाद जवानी का मज़ा पाया है। कसम से आज तूने मुझे अपनी जवानी के दिन याद दिला दिए! अयीई ईस्स!


मैं भी बहुत जोश के साथ चुदाई कर रहा था।
मैं बोला- आज तेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दूँगा। अब तू डैड से चुदवाना भूल जाएगी, हर वक्त मेरा ही लण्ड अपनी चूत मे डलवाने को तड़पा करेगी।


मम्मी- आह्ह!! आयीई!! क्या मज़ा आ रहा है, फ़क मी हार्डर रआजु कम ऑन और फर्स्ट यू आर माई डार्लिंग।
मैं भी बोला- यस माई फेयर लेडी स्योर!


मम्मी बोली- मुझको संध्या के नाम से बुलाओ, कहो संध्या मेरी जान!


मैंने कहा- ओके संध्या डार्लिंग ये ले मजा आअ रहा है ना! आज मैं भी अपने लण्ड से तेरी चूत को फाड़ के रख देता हूँ।


वह चिल्ला रही थी- आअह गुड। म्मम!! आह!! उह!! म्म!!


फिर अचानक जब मुझे कुछ दबाव सा महसूस होने लगा तो मम्मी बोली- राजू अब बस एक बार अब धीरे धीरे कर दे … मेरा तो पानी निकाल दिया तूने।


मैंने स्पीड थोड़ी कम कर दी और अब मम्मी और मैं थकने भी लगे थे।
अचानक मेरा सारा दबाव मेरे लण्ड के रास्ते मम्मी की चूत की घाटी में समा गया और मम्मी भी शान्त हो गई और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए।


मेरा लण्ड मम्मी की चूत के अन्दर ही था।


एक दूसरे से बिना कुछ बोले ही हम दोनों वैसे ही सो गए।


सुबह जब नींद खुली तो 6:00 बज गए थे और मेरा लण्ड मम्मी की चूत में वैसे पड़ा था।


मैंने मम्मी को जगाया तो वह शरमाने सा लगीं फिर बोली- राजू तुम तो एकदम जवान हो गए हो!


तुमने आज, इस 38 साल की बुढ़िया को, 18 साल की गुड़िया बना दिया!


तब मैंने कहा- अब तू मुझे बुलाएगी क्या बोल?
उसने मुझे अलग करके दूर करते हुए कहा- जरुर मेरी जान!
मम्मी ने अपने उपर लिटाया मुझे किश किया।


मैंने भी फिर से मम्मी के माथे पर, बूब्स पर, नाभि पर किश कर बगल में ही लेट गया और सुबह तक एक साथ लिपट कर चिपक कर सोए रहे।


7:00 बजे मम्मी ने उठाया और मुस्कुराईं, बोली- याद रखना इसको राज रखना!
मैं भी बोला- ऐसे ही इनटरटेनमेंट कर रहना!


तो दोस्तो, ये तो थी मेरी और मम्मी की चुदाई की कहानी
आपको कैसी लगी?
 
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Ramu ji ki Fantasy par ye Kahani..Ummed Karta hu aap sab ko maza aaega​

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सौतेली माँ और उनकी माँ की चुदाई

(Sauteli Maa Aur Unki Maa Ki Choot Chudai)

मैंने नीचे उसकी कहानी का वर्णन उसी के शब्दों में किया है:


मैं रामू 18 साल का तंदरुस्त जवान हूँ, हम लोग उत्तर प्रदेश के एक गाँव में रहते हैं।
जब मैं 10 साल का था तभी मेरी माँ का देहान्त हो गया और पिताजी ने 22 साल की एक गरीब लड़की से दूसरी शादी कर ली। हम लोग खेती-बाड़ी करके अपना दिन गुजारते थे।


मेरे ज्यादा पढ़ा लिखा न होने की वजह से पिताजी ने एक छोटी सी किराने की दुकान खोल ली। पिताजी खेती पर जाते थे और मैं या मेरी सौतेली माँ दुकान पर बैठते थे। जब मैं 19 साल का हुआ तो पिताजी का अचानक देहान्त हो गया। अब घर में केवल मैं और मेरी सौतेली माँ रहते थे। मेरी सौतेली माँ को मैं माँ कहकर बुलाता था। घर का इकलौता बेटा होने के कारण मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करती थी।


मेरी माँ थोड़ी मोटी और सावली हैं, और उनकी उम्र 31 साल की है। उसके चूतड़ काफी मोटे हैं, जब वो चलती है तो उसके चूतड़ हिलते हैं। उसके बूब्स भी बड़े-बड़े हैं। मैंने कई बार नहाते समय उनके बूब्स देखे हैं।


पिताजी के देहान्त के बाद हम माँ बेटे ही घर में रहते थे और अकेलापन महसूस करते थे। दुकान में रहने के कारण हम लोग खेती नहीं कर पाते थे इसलिए खेत को हमने किसी और को जुताई के लिए दे दिया था। मैं सुबह सात बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक दुकान में बैठता था और तीन बजे तक घर में रहता था। फिर दुकान खोलकर सात बजे तक दुकान बंद कर घर चला जाता था।
जब मुझे दुकान का माल खरीदने शहर जाना पड़ता तो माँ दुकान पर बैठती थी।


एक दिन माँ ने दोपहर में खाना खाते वक़्त मुझसे पूछा- रामू बेटे! अगर तुम्हे ऐतराज न हो तो, क्या मैं अपनी माँ को यहाँ बुला लूँ, क्योंकि वो भी गाँव में अकेली रहती है। उनके यहाँ आने से हमारा अकेलापन दूर हो जाएगा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं माँ! आप नानी जी को यहाँ बुला लो!


अगले हफ्ते नानी जी हमारे घर पहुँच गईं। वो करीब 45 साल की थी और उनके पति का देहान्त 3 साल पहले हुआ था। नानी भी मोटी और सांवली थी और उनका बदन काफी सेक्सी था।


जाड़े का समय था, इसलिए सुबह दुकान देर से खुलती थी और शाम को जल्दी ही बंद भी कर देता था।


घर पर माँ और नानी दोनों साड़ी और ब्लाउज पहनती थीं और रात को सोते समय साड़ी खोल देती थी और केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर सोती थी।
मैं सोते समय केवल अंडरवियर और लुंगी पहन कर सोता था।


एक दिन सुबह मेरी आँख खुली तो, देखा नानी मेरे कमरे में थी और मेरी लुंगी की तरफ आँखें फाड़-फाड़ कर देख रही थी।
मैंने झट से आँखे बंद कर ली ताकि वो समझे कि मैं अभी तक सो रहा हूँ।
मैंने महसूस किया कि मेरा लंड खड़ा होकर अंडरवियर से बाहर निकला था और लुंगी थोड़ी सरकी हुई थी इसलिए मेरा लंड जो 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, नानी उसे आखें फाड़-फाड़ कर देख रही थी।


कुछ देर इसी तरह देखने के बाद वो कमरे से बाहर चली गई। तब मैंने उठ कर मेरा मोटा लंड अंडरवियर के अन्दर किया और लुंगी ठीक करके मूतने चला गया।


नहा धोकर जब हम सब मिलकर नाश्ता कर रहे थे, नानी बार-बार मेरे लंड की तरफ देख रही थी। शायद वो इस ताक में थी कि उसे मेरे लंड के दर्शन हो जायें!


जाड़े के दिनों में हम दुकान देर से खोलते थे इसलिए मैं बाहर आकर खेत पर बैठकर धूप का आनंद ले रहा था।
बाहर एक छोटा पार्टीशन था जिसमें हम लोग पेशाब वगैरह करते थे।


थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि नानी आई और पेशाब करने चली गई। वो पार्टीशन में जाकर अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक ऊंची की और इस तरह बैठी की नानी की काली फांकों वाली, झांटों से घिरी चूत मुझे साफ दिखाई दे रही थी।
नानी का सर नीचे था और मेरी नजर उनकी चूत पर थी। पेशाब करने के बाद नानी करीब पांच मिनट उसी तरह बैठी रही और अपने दाहिने हाथ से चूत को रगड़ रही थी।


ये सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और जब नानी उठी तो मैंने नजर घुमा ली। मेरे पास से गुजरते हुए नानी ने पूछा- आज दुकान नहीं खोलनी है क्या?
मैंने कहा- बस नानी जी, दस मिनट में जाकर दुकान खोलता हूँ!
और मैं दुकान खोलने चला गया।


शाम को दुकान से जब घर आया तो नानी फिर से मेरे सामने पेशाब करने चली गई और सुबह की तरह पेशाब करके अपनी चूत रगड़ रही थी।


थोड़ी देर बाद मैं बाहर घूमने निकल गया। जाते वक़्त माँ ने कहा! बेटा जल्दी आ जाना, जाड़े का समय है न! मैंने कहा ठीक है माँ, और निकल गया।


रास्ते में, मेरे दिमाग में केवल नानी की चूत ही चूत घूम रही थी। मैं कभी-कभी एक पौवा देशी शराब पिया करता था। हालाँकि आदत नहीं थी। महीने दो महीने में एक आध बार पी लिया करता था।
आज मेरे दिमाग में केवल चूत ही चूत घूम रही थी इसलिए मैंने देसी ठेके पे डेढ़ पौवा पी लिया और चुपचाप घर की ओर चल पड़ा। मेरे पीने के बारे में मेरी माँ जानती थी। लेकिन कुछ बोलती नहीं थी क्योंकि मैं पी कर चुप चाप सो जाता था।


रात करीब नौ बजे हम सबने साथ में खाना खाया। खाना खाने के बाद माँ घर के काम में लग गई और मैं और नानी खेत पर बैठकर बातें करने लगे। थोड़ी ही देर में माँ भी आ गई और बातें करने लगी।
नानी ने कहा- चलो! कमरे में चलते हैं, वहीं बातें करेंगे क्योंकि बाहर ठण्ड लग रही है।


इसलिए हम सब कमरे में आ गए। माँ ने अपना और नानी का बिस्तर जमीन पर लगाया और हम सब नीचे बैठकर बातें करने लगे।
बातों-बातों में नानी ने कहा- रामू! आज तू हमारे साथ ही सो जा!
माँ ने कहा- ये यहाँ कहाँ सोयेगा। और वैसे भी मुझे मर्दों के बीच सोने में शर्म आती है और नींद भी नहीं आती है।
नानी बोली- बेटी क्या हुआ? ये भी तो तेरे बेटे जैसा ही है। हालाँकि तुम इसकी सौतेली माँ हो लेकिन इसका कितना ध्यान रखती हो। अगर बेटा साथ सो रहा है तो इसमें शर्म की क्या बात है।


खैर नानी की बात माँ मान गई। मैं माँ और नानी की बीच में सो गया। मेरी दाहिनी तरफ माँ सो रही थी और बाईं तरफ नानी।


शराब के नशे के कारण पता नहीं चला कि मुझे कब नींद आ गई।
करीब 1 बजे मुझे पेशाब लगी। मैंने आँख खोली तो बगल से अआह उम्म्ह… अहह… हय… याह… की धीमी आवाज सुनाई दी। मैंने महसूस किया कि ये तो माँ की फुसफुसाहट थी इसलिए मैंने धीरे से माँ की ओर देखा।
माँ को देखकर मेरी आखें खुली की खुली रह गईं।
माँ अपने पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके बाएं हाथ से चूत रगड़ रही थी जबकि दाहिने हाथ की उँगलियाँ चूत के अन्दर बाहर कर रही थी।
इसी तरह करीब दस मिनट बाद वो पेटीकोट नीचे कर के सो गई, शायद उसका पानी गिर गया होगा।


थोड़ी देर बाद मैं उठ कर पेशाब करने चला गया और पेशाब करके वापिस आकर नानी और माँ के बीच सो गया। अब मेरी नजर बार बार माँ पर थी और नींद नहीं आ रही थी। इसलिए मैं नानी की तरफ करवट लेकर सो गया। लेकिन फिर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि नानी की ओर सोने के कारण अब मेरे दिमाग में नानी की चूत नाच रही थी।


मैं काफी कशमकश में था और इसी तरह करीब एक घंटा बीत गया। अचानक मेरी नजर नानी के चूतड़ पर पड़ी मैंने देखा कि उनका पेटीकोट घुटनों से थोड़ा ऊपर उठा हुआ था।
अब मेरे शराबी दिमाग में शैतान जाग उठा, मैं उठा और तेल की शीशी ले आया और नानी के पास मुँह करके ख़ूब सारा तेल मेरे सुपारे पर और लंड के जड़ तक लगाया, फिर धीरे धीरे से नानी का पेटीकोट चूतड़ के ऊपर कर दिया।


नानी का मुँह दूसरी तरफ था इसलिए उनकी चूत के थोड़े दर्शन हो गए। अब मैंने हिम्मत करके अपने लंड का सुपारा नानी की चूत के मुँह के पास रखा।
मैंने महसूस किया कि नानी अहिस्ता-अहिस्ता अपनी गांड को मेरे लंड के पास कर रही हैं।


मैं समझ गया कि शायद नानी चुदने के मूड में है इसलिए मैंने भी अपनी कमर का धक्का उनकी चूत पर डाला जिससे मेरा सुपारा नानी की चूत में घुस गया और उनके मुँह से एक हल्की चीख निकली- हाय.. रामू! आहिस्ता डाल न, तेरा लंड काफी बड़ा और मोटा है, मैंने भी सालों से चूत चुदवाई नहीं है बेटा… धीरे-धीरे और आहिस्ता-आहिस्ता करो।


कह कर नानी सीधी लेट गई और अपना पेटीकोट कमर तक ऊँचा कर दिया। अब मैं नानी के ऊपर चढ़ कर धीरे धीरे अपना लंड घुसा रहा था। जैसे जैसे लंड अन्दर जाता था वो उह्हह हफ़्फ़ उफ़्फ़ ह्हह हहाआआ अनन्न आआऐ की आवाज निकालने लगी।


मैं जब अपना पूरा लंड नानी की चूत में डाल चुका था तो मैंने नानी की आँखों में आंसू देखे, मैंने पूछा- क्या आप रो रही हैं?उन्होंने कहा- नहीं रे! ये तो ख़ुशी के आंसू हैं। आज कितने बरसों बाद मेरी चूत में लंड घुसा है।


फिर मैं अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा और जोर जोर से नानी की चूत को चोद कर फाड़ने लगा, फिर नानी भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी और बीच-बीच में कह रही थी- और जोर से चोदो! मेरे राजा! वाकई तुम्हारा लंड इंसान का नहीं घोड़े या गधे का है।
मैं करीब दस मिनट तक उनकी चूत में अपना मोटा-तगड़ा हथियार अन्दर-बाहर कर रहा था।
इसी बीच मैंने महसूस किया कि माँ हमारी इस क्रिया को सोये-सोये देख रही थी और मन ही मन सोच शायद रही थी कि जब मेरी माँ अपने नाती से चुदवा सकती है तो क्यों न मैं भी गंगा में डुबकी लगा लूँ। कब तक मैं अपने हाथों का इस्तेमाल करती रहूंगी? आखिर ये मेरा सगा बेटा थोड़े ही है?


और उठकर कर उसने अपना पेटीकोट खोल दिया फिर अपनी चूत नानी के मुँह पे रखकर रगड़ने लगी।


पहले तो नानी सकपका गई, फिर समझ गई कि उसकी बेटी भी प्यासी है और अपने सौतेले बेटे का लंड खाना चाहती है।
फिर नानी माँ की चूत में जीभ डालकर जीभ से चोदने लगी। इसी दरमियान नानी झड़ चुकी थी और कहने लगी- बस रामू, अब सहा नहीं जाता है।
मैंने कहा- बस नानी, 5 मिनट और!
5 मिनट बाद मेरा सारा वीर्य नानी की चूत में जा गिरा।


अब नानी थक कर सो गई, माँ ने कहा- चलो पलंग पर चलते हैं, वहीं तुम मुझे चोदना।


हम दोनों पलंग पर आ गए, मेरा लंड अभी सिकुड़ा हुआ था, इसलिए माँ ने लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और मैं भी 69 की अवस्था में उनकी चूत चाटने लगा।
हम दोनों यह क्रिया करीब 10 मिनट तक करते रहे और मेरा लंड तानकर विशालकाय हो गया।


अब मैंने माँ की गांड के नीचे तकिया लगाया और उनकी दोनों टांगों को मेरे कंधे पे रखकर लंड पेलने लगा।
लंड का सुपारा अन्दर जाते ही बोली- हाय रे दैया! कितना मोटा है रे तेरा लंड… खूब मजा आएगा।


और फिर मैं माँ को जोर-जोर से चोदने लगा। वो भी मेरा खूब साथ दे रही थी। पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूँज रही थी। हम काफ़ी देर तक कई तरीकों में चुदाई करते रहे।
और बाद में मैंने माँ की गांड भी मारी, जिसमें मेरी माँ को काफी मजा आया।


अब रोज मैं दोपहर में नानी को चोदता था क्योंकि उम्र होने के कारण कभी-कभी साथ नहीं दे पाती थी और माँ को मध्य रात्रि तक चोदता था।
चूँकि माँ बाँझ थी इसलिए उन्हें कोई डर नहीं था और हम लोग खूब चुदाई करते थे।
 
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Ram Kumar ji ki Fantasy par ye Kahani...umeed karta hu aapko maza aaega​

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मेरी सेक्सी मॉम की चुत चुदाई

(Meri Sexy Maa Ki Chut Chudai)

मेरी उम्र 20 साल की थी जबकि मेरी सौतेली माँ 35 साल की थीं।


मेरी मॉम एक बहुत ही सेक्सी महिला थीं.. उनके जिस्म का एक-एक हिस्सा बिल्कुल तराशा हुआ था और अंग-अंग से मादकता टपकती थी। मैं कई बार उन्हें बाथरूम में सम्पूर्ण नग्नावस्था में देख चुका था। एक बार तो पापा उन्हें पूरा नंगा करके चोद रहे थे, तब भी उनकी मचलती जवानी को देखा था। जिस दिन पापा मॉम को चोद रहे थे, उसी दिन मेरा मन मॉम को चोदने के लिए मचल उठा था।


एक रात पापा शहर से बाहर गए हुए थे, मैं अपने बेडरूम में था। लेकिन मन में उत्तेजना के कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी, सो मैंने मॉम की चूचियों को याद करते हुए मुठ मारनी चालू कर दी। कुछ ही देर में मेरी उत्तेजना और अधिक बढ़ गई तो मैंने गोल तकिया को अपनी टांगों में फंसा लिया और उसे ही मॉम समझ कर चोदना शुरू कर दिया।


उसी समय मेरी मॉम ने मेरे बेडरूम का दरवाजा खोला और मेरे कमरे में आ गईं।


दरवाजा खुलने की आवाज़ से मैं घबराकर रुक गया लेकिन मैं तकिए के ऊपर था। फिर मैंने मॉम को देखा तो मैं तकिए के बगल में लेट गया।


मॉम ने पूछा- क्या हुआ.. क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- नींद नहीं आ रही है, कुछ बेचैनी सी है।
फिर मैंने मॉम से पूछा- क्या आपको भी नींद नहीं आ रही है?
वो बोलीं- हाँ मुझे भी नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- आप भी यहीं लेट जाओ न।


फिर वो मेरे पास बैठ गईं।


मैंने फिर कहा- यहीं सो जाओ ना, मेरे पास।
वो सीधी लेट गईं। कुछ देर बाद मैंने पूछा- नींद नहीं आ रही है.. तो कोई कहानी पढ़ लेते हैं।


उन्होंने सर हिला कर हामी भरी तो मैंने पापा की किताब की रेक से एक सेक्सी कहानी की बुक निकाली और कहा- इसको पढ़ते हैं।
मॉम बोलीं- ये कौन सी किताब है?
मैंने कहा- कहानी की किताब है, इसकी कहानी पढ़ने में बहुत मजा आएगा, इसको पढ़ने से बहुत गुदगुदी भी होती है।


फिर मैंने किताब को हम दोनों के बीच में रखकर पढ़ने लगा। ऐसे में मॉम को पढ़ने में जरा दिक्कत हो रही थी तो मैंने कहा- चलो मैं पढ़कर सुनाता हूँ..


मैं उनको सेक्सी कहानी पढ़कर सुनाने लगा। इसमें एक लड़की का दूसरे मर्द के साथ सेक्स का किस्सा था। ये सेक्स स्टोरी बहुत डिटेल में थी।


मॉम बोलीं- ये सब क्या है?
मैंने कहा- अल्मारी में रखी थी।
वो बोलीं- इसमें बड़ों की गन्दी बातें लिखी हैं। तुमको इसे नहीं पढ़ना चाहिए।
मैंने कहा- फिर आपकी और डैड की अल्मारी में क्यों रखी है? एक बार पढ़ते हैं, सुनो ना!


फिर मॉम को भी मज़ा आने लगा। वो भी गरम होने लगीं। मॉम बीच-बीच में अपनी बुर खुजला रही थीं।


मैंने कहा- कहो गुदगुदी हो रही है ना।


मॉम ने स्माइल दे दी।


मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- मेरे भी इसमें और सारे बदन में बहुत गुदगुदी हो रही।
फिर मैंने कहा- अब आप पढ़िए।


अब वो पढ़ने लगीं.. वो बहुत गरम हो गई थीं। तभी मॉम ने किताब बंद करके रख दी और बिस्तर पर अपने पैर पसार कर चित्त लेट गईं।


मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोलीं- बहुत बेचैनी हो रही है, नीचे बदन में कुछ खुजली भी हो रही है।
मैंने पूछा- शायद पावडर बदन पर लगाने से आराम मिल जाएगा।
वो बोलीं- हाँ ठीक है.. तुम पावडर ही लगा दो।


मैं बगल वाले रूम से पावडर लेकर आया।


मैंने देखा कि मॉम पेट के बल लेट गई थीं।


मॉम बोलीं- कमर में लगा दो।


मैंने देखा उन्होंने अपने ब्लाउज के बटन खोले हुए थे और ब्रा भी खोल दी थी।


मैं पावडर कमर पर लगाते हुए ब्लाउज के अन्दर हाथ डालकर मलने लगा। उनका कोई विरोध नहीं हुआ तो फिर मैं आहिस्ता-आहिस्ता पूरी कमर पर पावडर मलते हुए सीधे ही उनके मम्मों को मसलने लगा। मॉम को मम्मे मिंजवाने में मजा आ रहा था। वे मजा लेने लगीं तो मैंने सीधे ही उनके मम्मों पर पावडर लगाया और मम्मों को मसलने लगा।


अब उनको मजा आ रहा था।
फिर मैंने कहा- मॉम जरा आपकी गर्दन के पास भी पाउडर लगा देता हूँ।
वो घूमीं तो ब्लाउज के बटन खुले हुए थे और बूबस- पूरे नंगे दिखने लगे थे।
मॉम के बड़े-बड़े चूचे बहुत सेक्सी लग रहे थे।


मैंने उनकी गर्दन पर पावडर लगाने लगा। अब तो मैं सामने से मॉम के मम्मों को मसल रहा था और वो कुछ नहीं बोल रही थीं।


फिर मैंने मम्मे मसलते हुए हाथ नीचे पेट पर फिराया और नाभि को मसला। मॉम की आह निकली तो मैंने धीरे से उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ अन्दर डालकर जांघ पर फेरते हुए उनकी बुर पर भी पावडर लगाने लगा।


वो कामुक आवाज में बोलीं- उह.. ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- ठीक से लगा देता हूँ.. फिर नींद भी ठीक से आ जाएगी।


मॉम कुछ नहीं बोलीं तो मैं अपने हाथ को उनके गोल-गोल चूतड़ों पर फेरने लगा। सच में बड़ा मज़ा आ रहा था।


मैंने पूछा- मॉम क्या मज़ा आ रहा है.. आराम मिल रहा है?
अब मैं मॉम के चूतड़ों पर हाथ फेरते-फेरते उनके ऊपर चढ़ गया और बोला- इससे आपका बदन भी दब जाएगा।


मॉम भी मेरे मजे लेने लगीं।


मैंने कमर के नीचे से मॉम के चूचे पकड़ कर जोर-जोर से दबाने लगा।
अब तो मॉम पूरी तरह से चुदास से तड़फ रही थीं।


मैंने कहा- किताब वाला सीन करते हैं।
मेरे बदन में जोर-जोर से गुदगुदी हो रही है।


फिर अचानक से मॉम को कुछ याद आया और वे बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- दरवाजा बंद है, किसी को पता नहीं चलेगा, मैं भी किसी से नहीं कहूँगा, तुम्हारी कसम मॉम आपको मज़ा भी आ जाएगा, प्लीज़ मना मत करो।


मॉम ने कुछ नहीं कहा।


मैंने फिर से उनसे कहा- कहानी की तरह मज़ा करते हैं मॉम।


मैंने अपना पजामा खोल दिया और उनकी जाँघों पर बैठ गया।


अब मॉम ने मेरा लंड पकड़ कर लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- मुझसे वादा करो कि तुम किसी से कभी भी नहीं कहोगे।
मैंने कहा- वादा।


और फिर क्या था.. उन्होंने अपने सारे कपड़े बदन से अलग कर दिए।


मैंने कहा- आप जैसे बोलेंगी.. मैं वैसे ही करूँगा।
उन्होंने कहा- हाँ जैसा कहानी में पढ़ा था.. वैसे ही करते रहो। मैंने उनके एक चुचे को चूसना शुरू किया.. दूसरे चूचे को दबा भी रहा था।


फिर वो भी मेरे लंड पर हाथ फेरने लगीं। मैंने भी एक हाथ की उंगली से मॉम की बुर को दबाने लगा और उंगली चुत के अन्दर कर दी।


फिर वो मुँह से ‘शह्ह.. उह्हह..’ आवाज निकालने लगीं।


मैंने उनसे किताब के सीन की तरह उनसे डॉगी स्टाइल में बैठने को कहा। जैसे ही मेरी मॉम कुतिया के जैसे बनीं मैंने अपने लंड को पीछे से उनकी बुर के छेद के पास ले जाकर सुपारे को फेरने लगा। साथ ही मैं दोनों हाथों से मम्मों भी दबा रहा था। सच में बड़ा मज़ा आ रहा था।


अचानक ही लंड फिसला और झटके के साथ बुर में घुस गया, क्योंकि उनकी बुर का छेद चुदवाते चुदवाते कुछ तो बड़ा हो गया था।


उनके मुँह से भी और मेरे मुँह से भी जोर की ‘शह्हह.. आह..’ की आवाज निकलने लगी।


मैंने अब धक्का लगाना शुरू किया, धीरे-धीरे धक्के की स्पीड भी बढ़ा रहा था। सच में क्या मस्त मज़ा आ रहा था।
मॉम भी बोलीं- और जोर से चोद.. और जोर से पेल.. आह मजा आ रहा है।
मैंने मॉम के मम्मों को जोर से दबाकर निप्पलों को खींचा और धक्के लगाने लगा।


‘अह.. उह.. ओह.. सुपरब.. श्शश.. और और जोर से.. क्या बात है और झटका दूँ मॉम?’
‘हाँ पेलता रह..’


मैंने अपना लंड बाहर निकाला और वो बेड पर सीधी लेट गईं।


मैंने धीरे-धीरे उनके कामुक बदन पर हाथ फेरा, फिर बुर में उंगली घुसेड़ कर भीतर के पॉइंट को सहलाने लगा।


ये उनका जी-स्पॉटस था, वो बहुत जोर से हिल गईं और उनकी जोर से ‘आअ.. आअ.. श्शश.. उह..’ की आवाज निकल गई।


मैंने अब लंड को उनके मम्मों पर फिराना शुरू किया और ऊपर से नीचे की तरफ़ लंड लाने लगा। फिर उन्होंने मेरा मुँह अपने मुँह के पास खींचकर जोर से किस किया। मैं भी जोर-जोर से किस करने लगा और अपनी जीभ भी उनके मुँह पर फेरने लगा। उनकी जीभ को चूसने में मज़ा आ रहा था। वो साथ-साथ मेरे लंड को एक हाथ से जोर-जोर से सहला रही थीं।


मैं भी बोला- बहुत मज़ा दे रही हो।


फिर उन्होंने मेरे को जोर से अपनी तरफ़ खींचकर बांहों में जकड़ लिया। मैंने भी उनको भींच लिया, उनके चूचे मेरी छाती से चिपक कर दब रहे थे।


आह क्या रगड़ सुख मिल रहा था।


फिर उन्होंने अपनी जांघें फैलाईं और कहा- अब जल्दी-जल्दी जोर से यहाँ लंड ले आओ।


मैंने लंड को उनकी बुर में घुसेड़कर धीरे-धीरे हिलने लगा।


फिर वो बोलीं- आअह ऐसे नहीं चलेगा.. जोर-जोर से झटके लगाओ।


मैंने जोर से चोदना शुरू कर दिया।


क्या मस्त चुदाई का आनन्द आ रहा था। मॉम भी चुदाई का मजा ले रही थीं- शह.. शह आ.. क्या बात है आह.. आ.. शह.. अह्हह.. ओह्हह.. और जोर जोर से धक्के लगाओ.. बहुत मज़ा आ रहा है।


मैं भी पूरी ताकत से लंड को भीतर तक ठोकने लगा। चुदाई पूरी स्पीड पर थी और अब मैं झड़ने लगा था। मेरा रस झड़ने लगा और मैं ढीला होकर उनके नंगे बदन से जोर से लिपट गया। मॉम के गुदगुदे बदन पर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।


फिर वो बोलीं- चलो हटो.. बहुत देर हो गई है.. अब सोते हैं।
वो अपने कपड़े पहनने लगीं। फिर बोलीं- ये राज ही रखना, किसी से कभी मत कहना।


मैंने हाँ कहते हुए उनके मम्मों को दबाकर किस कर लिया और बुर को दबाते हुए कहा- फिर कभी गुदगुदी होगी तो..?
वो हंसने लगीं.. मैं भी समझ गया।
मॉम बोलीं- बदमाश हो गए हो, चलो अब सो जाओ।


वो अपने कमरे में सोने चली गईं।
 
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Dinesh ji, Ramu ji, Raju ji, Ram Kumar ji...aap sabhi ki khawaish anusar aapki maa ki chudai ki kahani humne likh di hai...aap ab aaram se hilao
Aur ha kisi ko apni maa ki bhi kahani yaha chahiye to comment kare ya dm kare
 
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Es Thread mai sabki maa chodi jaege....jo jo apni maa ko chodna chahta hai...ya kisi aur se chudwana chahta hai
Yaha comment kare....uski fantasy par story mai likhuga
AAPKA..BADA..NUNNU

Dinesh ji ki Fantasy k upar maine y Kahani post ki hai​

Ummed hai aap sab ko maza aae ga
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मौसी के चक्कर में माँ की गांड चुद गई

(Mosi Aur Maa Ko Choda)

दोस्तो, मैं इस साईट का रेगूलर रीडर हूँ और देशी स्टोरीज को काफ़ी पसंद करता हूँ। इतनी कहानियाँ पढ़ने के बाद मेरा भी मन सेक्स करने का काफ़ी करता हैं लेकिन आज तक मौक़ा नहीं मिला।
आज जो कहानी मैं सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरे साथ बीती हुई सच्ची कहानी है। यह वाकिया आज से क़रीब एक महीने पहले की है। सबसे पहले मैं आपको मेरे परिवार से परिचित करा दूं ताकि आप मेरी सत्य कथा का आनन्द ले सके।

मैं दिनेश (Fake name) अपने माँ बाप का एकलौता बेटा हूँ। अभी मेरी उम्र 19 साल की है और मैं सभी बैंकों का एग्जाम दिया है। मेरा शरीर हट्टा कट्टा बलिष्ठ है पर मेरा रंग सांवला है। हम मुंबई के चोल मे सिंगल रूम में रहते हैं। जब मैं 5 साल का था पिताजी का स्वर्गवास हो गया था।

मेरी माँ अब जो कि 38 साल की हैं और शरीर सांवला और मोटा है। जिसके कारण जब वो चलती है तो उसके चूतड़ काफ़ी हिलते हैं।

उन्होंने फैक्ट्रीज में काम कर कर मेरी पढ़ाई लिखाई करा रही थीं और पिछले 2 साल से मैं एक प्राइवेट कम्पनी में पार्ट टाइम को-ओपेरटर का काम करता हूँ और कॉलेज भी जाता हूँ।

हमारे घर में अब केवल 3 सदस्य रहते हैं मैं मेरी माँ और मेरी मौसी। मेरी मौसी की उम्र 36 साल की हैं और वो भी विधवा हैं।

उनके पति का देहांत क़रीब 3 साल पहले हुआ था और उनकी कोई औलाद नहीं थीं। इसलिए माँ ने मौसी को अपने पास बुला लिया और दोनों साथ साथ फैक्ट्री में काम करने लगे।

एक ही रूम होने के कारण हम तीनों साथ साथ सोते थे। मेरे बाजू में मौसी सोती थीं, मौसी के बगल में माँ सोती थीं।

सोते समय माँ और मौसी अपने ब्रा और लहंगा उतार कर केवल नाईटी पहनती थीं (वो दोनों नाईटी यूज़ नहीं करती थीं दिन में साड़ी ब्लाउज और इनर गारमेंट्स में ब्रा और लहंगा पहनती थीं।) और मैं केवल लूंगी और अंडरवियर पहनकर सोता था।

एक दिन अचानक क़रीब 12:30 बजे रात को मेरी नींद खुली, क्यों कि मुझे पेशाब लगी थी पर मैंने देखा कि मौसी की नाईटी कमर तक उठी हुई थी।

वह धीरे धीरे आहह उईई की आवाज़े निकाल रही थी और वह अपने दाहिने हाथ की उंगलियों से अपने चूत के अन्दर बाहर कर रही थीं और उनका बायां हाथ माँ की चूत को सहला रहे थें।

यह देखते ही मेरा लण्ड तन कर 6 इंच लंबा और क़रीब 2.75 इंच मोटा हो गया था। कुछ देर के बाद मौसी सो गई थीं शायद उनका पानी झड़ गया था और वो सो गई थीं, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और बार बार मौसी की हरकत मेरी नज़रों के सामने नाच रहा था।

खैर कुछ देर बाद उठ कर मैं पेशाब करने चला गया और ना जाने कब नींद आ गई।
अब मैं मौसी को वासना की नज़रों से देखता था।

अगले दिन शनिवार था मैंने माँ से कहा कि ‘माँ शाम को चिकन बनाना।’
माँ ने कहा- ऑफिस से आते समय चिकन ले आना।
मैंने कहा- ठीक हैं माँ।

एक बात मैं आपको बताना भूल गया कि 1-2 महीने में माँ और मौसी कभी कभी व्हिस्की का 1-1 पेग पीती थीं।

एक दिन मैं दोस्तो के साथ होटल में पी कर घर आया तो माँ ने आते ही पूछा- बेटा क्या तुमने शराब पी है?
मैंने कहा- हाँ माँ, एक दोस्त मुझे होटल ले गया और वहाँ हम लोगो ने व्हिस्की पी।
माँ ने कहा- बेटा अब तू बड़ा हो गया है और अगर तुझे पीना है तो घर पर पिया करो क्योंकि बाहर पीने से पैसे ज़्यादा लगते हैं और आदत भी ख़राब होती है।
मैंने कहा- ठीक है! माँ, अब से मैं घर में ही पिया करूँगा।

उस दिन के बाद जब भी मेरा मन 1-2 महीने में पीने का होता है, तो मैं घर पर ही व्हिस्की पिया करता हूँ और पीते समय माँ और मौसी भी मेरा साथ देती हैं।

शनिवार के शाम को ऑफ़िस से आते समय मैं चिकन लाया और साथ में व्हिस्की की बोतलें भी लाया। क़रीब 9:30 बजे माँ ने आवाज़ दीं ‘चलो खाना तैयार है आ ज़ाओ।’
मौसी 3 गिलास और व्हिस्की ले आई और हम तीनों पीने लगे माँ और मौसी केवल 1-1 पेग पिये और मैंने 3 पेग पिया।
खाना खाने के बाद माँ और मौसी ने सब काम ख़त्म करके सोने की तैयारी करने लगी। रोज़ाना की तरह हम तीनों सो गए।

रात क़रीब 1:15 बजे मैं पेशाब करने उठा तो देखा कि मौसी, माँ की तरफ़ करवट करके लेटी थीं और उनका दाहिना पैर माँ के पैर पर था और माँ की नाईटी घुटनों के थोड़े ऊपर सी उठी हुई थीं जबी मौसी की नाईटी चूतड़ों से थोड़ी नीचे तक सरकी हुई थीं।

मैंने बिना आवाज़ किए पेशाब करके लेटा तो देखा कि दोनों गहरी नींद में सोए थे शायद व्हिस्की के असर से उन्हे गहरी नींद आ गई थीं। मैंने धीरे से मौसी की नाईटी को कमर तक उठा दिया। अब मौसी की झांटों से भरी चूत साफ़ नज़र आ रही थीं।

मौसी का दाहिना पैर माँ के पैर पर होने के कारण मौसी की चूत की दोनों काली फांकें फैली थीं और अन्दर का गुलाबी भाग साफ़ नज़र आ रहे थें। उनकी चूत को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और अंडरवियर से बाहर आ गया।

मुझसे रहा नहीं गया और सोचा कि मौसी की चूत में लण्ड पेल दूं पर हिम्मत नहीं हो रही थी, फिर मैंने मौसी की तरफ़ करवट करके सोने का नाटक करने लगा और मैंने मेरा लण्ड हाथ से पकड़ कर मौसी की चूत के पास रख दिया।

डर की वजह से मैं लण्ड को उनकी चूत में घूसा नहीं सका क्यों कि अगर मौसी जाग जाएगी तो शायद नाराज़ हो कर माँ से शिकायत कर देगी। इसलिए लण्ड को चूत के पास लगा कर धीरे धीरे लण्ड को रगड़ने लगा।

ऐसा करते हुए कुछ ही देर के बाद मेरे लण्ड ने बहुत सारा वीर्य मौसी की चूत पर और झांटों पर जा गिरा।

सुबह सुहावना होने के कारण मैं क़रीब 11 बजे उठा, तो मैंने मौसी और माँ को धीमे आवाज़ में बात करते सुना।

मुझे लगा शायद मौसी मेरी शिकायत माँ से कर रही है इसलिए मैं ध्यान लगाकर उनकी बातें सुनने लगा।

मौसी- दीदी, पता है रात को क्या हुआ?
माँ- क्या हुआ?
मौसी- रात जब मैं क़रीब 2:30 बजे पेशाब के लिए उठी तो देखा कि दीनू बेटा का लण्ड बाहर निकला हुआ था।
माँ- शायद उसका अंडरवियर ढीला होगा इसलिए उसकी नूनी बाहर निकल आई होगी?

मौसी- दीदी अब उसकी नूनी, नूनी नहीं रही, अब तो मर्दों की तरह लण्ड बन चुका है।
माँ- अच्छा, तब तो उसकी शादी की तैयारी करनी पड़ेगी, खैर यह बताओ कितना बड़ा लण्ड था उसका।
मौसी- उसका सिकुड़ा हुआ लण्ड ही काफ़ी बड़ा लग रहा था।
माँ आश्चर्य से- अच्छा, तब तो जब उसका लण्ड खड़ा होगा तो काफ़ी बड़ा होगा!

मौसी- दीदी और जब मैं पेशाब करके उठी और चूत को साफ़ करने लगी तो मेरी हथेली पर झांटों से और चूत की फांकों से कुछ चिपचिपा सा चीज लग गया था। शायद नींद में बेटे का लण्ड का पानी गिरा होगा।
माँ- इसलिए कहती हूँ, रात में नींद में अपनी नाईटी का ख्याल रखाना चाहिए तुझे। क्यों कि अक्सर मैं देखती हूँ तेरी नाईटी कमर पे आ जाती है।

अब मैं समझ गया कि रात को जो कुछ भी मैंने किया उसका मौसी ने बुरा नहीं माना, और मैं उठ कर नहा धोकर नाश्ते का इन्तजार करने लगा।

इतने में माँ ने मौसी से कहा- दीनू को नाश्ता दे दो में कपड़े सुखाने जा रही हूँ।

मौसी मेरे लिए नाश्ता लेकर आई और पास ही बैठ गई रात की घटना के बाद मैं मौसी को कामुक निगाहों से देखता था।

जब मेरी नज़र उनकी चूची पर पड़ी, तो उन्होंने पूछा- क्या देख रहे हो बेटा?
मैंने कहा- मौसी, आज आप खूबसूरत लग रही हो।

मौसी हँसी और उठकर चली गईं।

रात को खाना खाने के बाद हम सब सोने की तैयारी में लग गए, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं केवल सोने का नाटक कर रहा था और मौसी को कैसे चोदा जाए यह प्लानिंग बना रहा था।

करीब 12:45 को मैंने आँख खोल कर देखा तो मौसी आज रात भी कल रात की तरह सोई थीं लेकिन आज उनकी नाइटी पूरी कमर के ऊपर थी और उनकी चूत मुझे साफ़ नज़र आ रही थी।

उनकी चूत देख कर मेरा लण्ड खड़ा होकर चोदने के लिए तैयार हो चुका था।

इतने में मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने उठ कर लाइट बंद कर दी और मेरे लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा के आया।

अब मैं मौसी की ओर करवट कर कल रात की तरह उनकी चूत के मुख पर लण्ड रख दिया। मेरा लण्ड का सुपारा चिकना होने के कारण थोड़ा मौसी की चूत में चला गया।

मुझे मौसी की चूत का एहसास लण्ड पर महसूस हुआ। जिस कारण मैं और उत्तेजित हो गया और धीरे से जोर लगा कर आधा सुपारा मौसी की चूत में डाल दिया।

आधा सुपाड़ा जाते ही मौसी के शरीर में कुछ हरकत हुई। मैंने सोचा शायद मौसी जाग गई होंगी इसलिए कुछ देर तक ऐसे ही सोने का नाटक करने लगा।

जब कुछ देर तक मेरे शरीर से कुछ हरकत ना होने पर मौसी ने थोड़ी गांड मेरी ओर सरका दी जिस कारण मेरा पूरा सुपाड़ा उनकी चूत में घुस गया।

मैं समझ नहीं पाया कि मौसी ने नींद में यह हरकत की या जानबूझ कर रखीं।

मैंने हिम्मत जुटाई और एक हाथ उनकी बूब्स पर रख दिया और हौले हौले दबाने लगा।

इतने में मौसी सीधी होकर सो गई जिस कारण मेरा लण्ड चूत से बाहर निकल गया।

थोड़ी देर बाद मैंने मौसी का हाथ मेरे लण्ड पर महसूस किया। वह मेरे लण्ड को पकड़ कर आगे पीछे कर रही थीं। मैं भी एक हाथ से उनके बूब्स दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत सहला रहा था।

यह काम हम लोग करीब 5 मिनट तक करते रहे.
फिर मौसी ने मेरे कान में कहा- बेटा तुम मेरी चूत की ओर मुंह रख कर मेरी चूत को चाटो, मैं तुम्हारा लण्ड चाटूंगी।

अब हम 69 कि पोजीशन में होकर एक दूसरे के चूत और लण्ड चूमने चाटने लगे।

मैं जब अपनी जीभ से उनकी चूत के फ़न को रगड़ रहा था तो वह आआह्ह ऊऊईई माँआ की धीरे धीरे आवाजें करती थीं।


कुछ देर बाद उनकी चूत से सफ़ेद पानी आ गया और उस वक़्त उन्होंने मेरा सिर पूरी तरह से चूत पर दबा रखा था जिस कारण मेरे मुंह पर पूरा चूत का पानी लग गया।


फिर मौसी ने मुझे अपनी तरफ़ करते हुए कहा- बेटा, अब रहा नहीं जाता है जल्दी से तुम्हारा यह मोटा लण्ड मेरी चूत में डाल दे।


मैं भी जोश में आ गया था और मौसी की चूतड के नीचे तकिया रख कर उनकी चूत को थोड़ा उठा दिया और अपने लण्ड का सुपाड़ा चूत के मुंह पर रख कर एक जोरदार धक्का लगाया।


एक ही धक्के में मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया था और जोरदार धक्के के कारण उनकी मुंह से हल्की सी चींख निकल गई।


‘ऊऊईई माँआ धीरेरेए डालोओ!’ उनकी हल्की चीख सुन कर माँ जाग चुकी थीं लेकिन अँधेरा होने के कारण वह हमें या हमारे चुदाई को देख ना सकी और पूछा ‘क्या हुआ?’


मौसी ने धीमे से माँ के कान में कहा- कुछ नहीं, मैं अपनी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर कर रही थी कि मुझसे रहा नहीं गया और मैं हल्की सी चींख उठी।


माँ ने कहा- ठीक है, आवाज़ धीरे करो क्योंकि बगल में दीनू सोया है।
हालांकि उन दोनों ने इतनी धीमी आवाज़ में बातचीत की फिर भी रात होने के कारण मुझे उनकी बातचीत सुनाई पड़ी।


अब मैं कुछ देर रुक गया था। मेरा आधा लण्ड अभी भी मौसी की चूत में घुसा था।


थोड़ी देर बाद मैं मौसी के होंठों को चूसना शुरु किया और फ़िर से एक जोरदार धक्का मारा तो मेरा लण्ड पूरा चूत में चला गया।


मेरा लण्ड जड़ तक घुसते ही मौसी चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मेरा मुँह मौसी के मुँह में था इसलिए वह चिल्ला ना सकी।


थोड़ी देर बाद मैं अपना लण्ड अन्दर बाहर करने लगा जिससे मौसी को जोश आ गया और धीरे धीरे ‘ऊऊईई ऊऊफ़्फ़!!’ और चोदो मुझे कहने लगी।


मैं करीब 20 मिनट तक उन्हें चोदता रहा इसी बीच मौसी 4 बार झड़ चुकी थी जब मेरा पानी निकलने वाला था।


मैं अपना लण्ड उनकी चूत से निकाल कर मुँह में दे दिया और मेरा पानी मौसी के मुँह में पूरा भर गया और वह मेरे पानी तो गटगट पीने लगी।
फिर मैं मौसी के बगल में आकर लेट गया।


कुछ देर बाद मैंने मौसी के हाथ में अपना सिकुड़ा हुआ लण्ड पकड़ा दिया।


मौसी मेरे लण्ड को सहलाने लगी और पूछा कि ‘अभी भी पेट भरा नहीं क्या मुझे चोद कर?’
मैंने कहा- मौसी मैं अब आपकी गांड भी मारना चाहता हूँ।


उन्होंने कहा- बेटा, मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई और तुम्हारा लण्ड भी काफी बड़ा और मोटा है मुझे तकलीफ होगी।
मैंने कहा- डरो मत मैं आहिस्ता आहिस्ता डालूंगा।


तो मौसी बोलीं- बेटा पहले अपने लण्ड पर और मेरी गांड में ढेर सारा तेल लगा लो तो लण्ड आसानी से गांड में चला जाएगा।
मैंने कहा- ठीक है मैं तेल की बोतल ले के आता हूँ तुम पेट के बल अपनी गांड फैला कर रखना’ और मैं तेल लेने चला गया।


अँधेरा होने के कारण मुझे तेल की शीशी नहीं मिल रही थी। तेल की शीशी जब लेकर आया तो काफी समय लग गया तो देखा कि मौसी पेट के बल लेटी हुई थीं।


मैंने कहा- अपने दोनों हाथों से अपनी गांड फैला दो ताकि मैं गांड में अच्छी तरह से तेल लगा सकूं।
उन्होंने कुछ नहीं कहा और अपने दोनों हाथों से चूतड़ पाकर गांड फ़ैला दी, मैंने अपनी हथेली पर ढेर सारा तेल डाल कर उसकी गांड के छेद में तेल लगाने लगा।


जब ढेर सारा तेल लगा चुका तो मैंने अपनी एक उंगली उनकी गांड में डाल दी।


उंगली में तेल लगा होने के कारण मेरी बीच की उंगली आसानी से आराम से घूस गई, लेकिन उनहोने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर खींचा जिस वजह से मेरी उंगली गांड से बाहर निकल आई शायद उनको दर्द हुआ होगा।


अब मैं अपने लण्ड पर भी काफी तेल लगा लिया था। मेरे लण्ड के सुपाड़े पर भी काफी तेल लगा लिया था ताकि सुपाड़ा आसानी से उनकी गांड में जा सके। अब मैं उनसे कहा- अपने दोनों हाथों से चूतड को फ़ैला लो ताकि गांड में लण्ड डालने मे आसानी हो जाएगी।
उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूतड़ उठा कर फ़ैला दी।


अब मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गांड की छेद पर रख कर हल्का सा पुश किया थोड़ा सा सुपाड़ा जाते ही उन्होंने अपनी गांड सिकोड़ ली, जिस कारण मेरा सुपाड़ा गांड से बाहर निकल गया।
मैंने पूछा- गांड क्यों सिकोड़ी? क्या दर्द हो रहा है?
उन्होंने केवल अपना सिर हिला कर ‘हाँ’ का जवाब दिया।


मैंने कहा- आप अपने मुँह में नाईटी का कुछ हिस्सा दबा लें’ ताकि दर्द होगा तो आवाज़ नहीं निकालेंगी वरना आवाज़ सुनकर माँ जाग जाएंगी।


उन्होंने अपने मुँह में नाईटी का कुछ भाग डाल लिया, अब मैंने दुबारा उनसे चूतड़ फैलाने को कहा और उनकी गांड की छेद पर लण्ड का सुपाड़ा लगा कर एक जोर का धक्का मारा।
मेरा लण्ड का सुपाड़ा पूरा गांड में घुस गया और उनके मुँह से गूं गूं की आवाज़ आने लगी क्योंकि मुँह में कपड़ा दबा हुआ था।


कुछ देर बाद मैं फिर से एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लण्ड गांड में घुस गया था और दर्द के मारे उनका शरीर कांप रहा था।


अब मैं अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगा।


अभी गांड मारते हुए मुझे 10 मिनट ही हुए थे कि अचानक किसी ने लाइट जला दी और रोशनी में मैंने देखा कि मौसी की जगह माँ लेटी हुई थीं और मैं माँ की गांड मर रहा था।


अचानक लाइट जलाने वाली मौसी पास ही नंगी खड़ी मुझे माँ की गांड मारते हुए देख रही थीं।


अचानक माँ को देख कर मैंने अपना लण्ड माँ की गांड से निकाल लिया और माँ ने भी अपने मुँह से कपड़ा निकाल लिया और कहने लगी- फिर से मेरी गांड मारो, जब तुमने गांड में पूरा लण्ड डाल दिया था तो अब क्या डरना!


माँ से अनुमति लेकर मैंने फिर अपना लण्ड माँ की गांड में घुसा दिया और माँ की गांड मारने लगा।


मैं जब माँ की गांड मार रहा था तो माँ कह रही थीं- बेटा आज तुमने अपने माँ की गांड की सील तोड़ दी। और जोर जोर से अन्दर बाहर करो अपना यह घोड़े जैसा लण्ड।


अब मैं माँ से पूछा- अच्छा माँ यह तो बताओ कि तुम मौसी के जगह कैसे आ गई?
उन्होंने कहा- उस दिन जब तुम मौसी को चोद रहे थे तब मुझे कुछ शक हो गया क्योंकि तुम्हारी मौसी के मुँह से ऊउईई म्माँआ की आवाजें निकाल रही थी और आज जब तुम तेल लेने गए तब तुम्हारी मौसी ने मुझे सब बता दिया। इस तरह मौसी की जगह में मैं आ गई तुमसे गांड मरवाने। चल जल्दी से अब मेरी चूत में अपना लण्ड पेल दे अब रहा नहीं जाता।

मैंने तुरंत ही अपना लण्ड निकाल कर माँ की चूत में डाल कर पेलने लगा और जब मैं माँ को चोद रहा था तब मौसी माँ की मुँह पर अपनी चूत रख कर रगड़ रही थीं।

करीब 20 मिनट के बाद मैंने अपना वीर्य माँ की चूत में डाल दिया। इसी दरमियान माँ 3 बार झड़ चुकी थीं।

अब 2 महीने से मैं माँ और मौसी को रोज़ रोज़ नई नई स्टाइल में चोदता हूँ।

Raju ji ki Fantasy par ye Kahani...Ummed karta hu aap sabhi ko pasand aaege​

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मम्मी की दमदार चुदाई

(Mommy Ki Damdaar Chudai)

मम्मी की भड़कते जिस्म को देख मेरा मन उत्तेजित हो हरेक रात उनकी दमदार चुदाई के सपने देखने लगा हालांकि उससे दोगुना मजा उनकी असल चुदाई करके मैंने महसूस किया।


मम्मी की दमदार चुदाई की कल्पना


हैलो दोस्तो, मेरा नाम राजू है और मैं स्लिम मिड हाईट 5’7″ का और वजन करीब 54-55 किलो है। मैं 26 साल का हूँ, इन दिनों मैं देहरादून में रहता हूँ।


आज मैं आपको मेरे और मेरे मम्मी के सेक्स की कहानी सुनाता हूँ। यह बात आज से करीब 6-7 साल पहले की है जब मेरी उम्र 20 साल की थी और मेरी मम्मी 32 की थीं।


मेरी जवानी शुरु हुई थी और उनकी जवानी के शोले भड़कते थे। मेरी मम्मी बहुत सेक्सी और सुन्दर है। शी हेज गोट ए ब्यूटीफुल बॉडी शेप 36-28-36! शी हेज गॉड मेड बूब्स एज वेल एज बटक्स!


उनका सुडौल गोरा बदन बहुत हसीन है। वैसे वो मेरी रियल मम्मी नहीं हैं वह मेरे डैड की सेक्रेटरी थी, बाद में पापा ने माता जी के कोंन्सेंट से उससे अनओफियसली शादी कर ली।


मैं पहले उनको संध्या आंटी कहता था, पर अब मम्मी ही कहता हूँ।


मैं मम्मी को जब भी देखता तो मुझे उनका सेक्सी फिगर देखकर मन मे गुदगुदी होती थी।


मैंने उनको एक दो बार डैड के ऑफिस में आधा नंगा (जैसे जब वह स्कर्ट पहनती थी तो उनकी थाईज बड़ी जबरदस्त होती थी तब वह मेरे पापा की सेक्रेटरी थी।


एक दो बार मैंने मम्मी को डैड के ऑफिस के प्राइवेट रूम में जो चेंजिंग रूम कम रेस्ट रूम था। मैं छुप कर कपड़े चेंज करते भी देखा था, और मैं उनके चूचे और चड्डी के नीचे के एरिया को छोड़कर पूरा नंगा देख चुका था।


मम्मी की बॉडी एकदम संगमरमर की तरह चिकनी थी। उनकी जांघें ऐसी लगती थी जैसे दो केले का जोड़ा हो। उनके होंठ एकदम गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थे और गाल एकदम कश्मीरी सेब जैसे पिंक।


मम्मी एकदम टाईट फिटिंग के कपड़े पहनती थी और मैं उनको बहुत नज़दीक से देखकर अपनी आँखों को सुकुन दिया करता था।


मतलब जब से मेरा लण्ड खड़ा होना शुरू हुआ वो बस संध्या (मम्मी) को ही तलाशता और सोचता था। मैं उनकी बॉडी को देखकर अपने मन और आँखों की प्यास बुझाया करता था।


लेकिन पहले जब तक वह संध्या आंटी थी मुझे उनसे नफरत थी और मैं सोचता था कि एक दिन इनको तसल्ली से चोदकर अपनी भड़ास निकालूँगा।


पर बाद में उनके लिए मेरे पापा के प्यार ने और उनके अच्छे व्यवहार ने मुझे चेंज कर दिया।


अब वो हमारे घर पर फर्स्ट फ्लोर में रहती थी। डैड और उनका बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर था और हुम लोग ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं।


डैड संध्या(मम्मी) के साथ फर्स्ट फ्लोर पर ही सोते हैं बेड रूम के साथ ही एक और रूम है जो एज ए कॉमन रूम यूज़ होता है। धीरे धीरे मैं मम्मी के और करीब आने लगा।


वह शायद मेरा इरादा नहीं समझ पा रही थीं। वह मुझको वही बच्चा समझती थी पर अब मैं जवान हो गया था।


जैसे ही मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया तो डैड ने ऑफिस का वर्क भी मुझको सिखाना शुरू कर दिया और मैं भी फ्री टाइम में रेगुलरली ऑफिस का काम देखने लगा।


मोस्टली मैं एसोसिएट्स का काम देखता हूँ क्योंकि मैं समवेयर स्टूडेंट था।


कॉलेज में भी मुझे कोई भी लड़की मम्मी से ज्यादा सेक्सी नहीं लगती थी।


अब मझे जब मौका मिले मोन्स को टच करके, जैसे उनकी जाँघों पर हाथ फ़ेर के, उनके चूतड़ पर रब करके या कभी जानबुझकर उनके बूब्स छु लिया करता।


मम्मी पता नहीं जानबूझकर या अनजाने में अनदेखा कर देती थी, या वह मेरा उद्देश्य नहीं समझ पाती थी।


कभी डैड रात को मुझे अपने बेड रूम में बुलाते थे और ऑफिस के बारे में मम्मी और मेरे साथ डिसकस करते। क्योंकि मम्मी अक्सर नाईट गाऊन में होती थी और मैं पूरी तसल्ली से उनके बदन का मुआयना करता था।


उनके बूब्स बिल्कुल पके हुए आम जैसे मुझे बड़ा ललचाते थे, कई बार मम्मी को भी मेरा इरादा पता चल जता था पर वो कुछ नहीं कहती थी।


अब तो मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी और मैंने मम्मी की चुदाई का पक्का इरादा कर लिया और मौके की तलाश करने लगा।


एक दिन जब डैड ने मुझे फर्स्ट फ्लोर पर रात को 11 बजे बुलाया तो मैं ऊपर गया तो डैड ने बताया कि उनको रात 1 बजे की फ्लाइट से 1 सप्ताह के लिये अर्जेंट बाहर जाना है और वो मुझे और मम्मी (संध्या) को जरूरी बातें ब्रीफ करने लगे।


मम्मी थोड़ा घबरा रही थीं तो डैड ने कहा- सैंडी डार्लिंग, यू डोंट वरी! तुम और राजू सब सम्भाल लोगे, राजू तुम्हारी मदद करेगा। कोई प्रॉब्लम हो तो, मुझे कॉल करना! वैसे यू विल मैनेज, देयर विल बी नो प्रॉब्लम!



मम्मी और पापा का फोरप्ले


उसके बाद डैड ने मुझसे कहा- सैंडी थोड़ी नर्वस है, तुम जरा बाहर जाओ मैं उसको समझाता हूँ।


मैं बाहर आ गया तो डैड ने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया, लेकिन मुझको शक हुआ कि डैड मेरी अनुपस्थिति में संध्या(मम्मी) को क्या समझाते हैं?


मैं की-होल से चुपके से देखने लगा। लोजिकली डोर पर कर्टेन नहीं चढ़ा था और लाईट भी जल रही थी। लेकिन मैंने जो देखा तो मैं स्तब्ध रह गया।


डैड मम्मी को बाहों में लेकर किश कर रहे थे और मम्मी क्राई कर रही थी। फिर डैड ने मम्मी के होंठ अपने होंठों पर लेकर डीप किश लिया तो मम्मी भी जवाब देने लगी। फिर डैड ने मम्मी का गाऊन पीछे से खोल दिया और पीठ पर रब करने लगे।


मम्मी और डैड अभी भी एक दुसरे को किश कर रहे थे और दोनों लम्बी सांसें ले रहे थे कि मैं सुन सकता था। फिर डैड ने मम्मी का गाऊन पीछे से उठाया और उनकी चड्डी भी नीचे करके मम्मी के चूतड़ पर रब करने लगे।



मम्मी के चूतड़ के दर्शन


मम्मी की पीठ दरवाजे के तरफ थी जिस कारण मुझे मम्मी की गांड और चूतड़ के दर्शन पहली बार करने का मौका मिला।


मम्मी के चूतड़ एकदम संगमरमर से मुलायम और चिकने नजर आ रहे थे। मम्मी क्राई भी कर रही थीं और मस्ती में लम्बी सांसें भी ले रही थीं।


फिर अचानक डैड ने मम्मी का गाऊन आगे से ऊपर किया और उनकी चूत पर उंगलियाँ फिराने लगे पर मैं कुछ देख नहीं पाया क्योंकि वो दूसरी साइड थीं।


फिर डैड दूसरी तरफ़ पलटे तो मम्मी की चूत वाली साइड मेरे तरफ़ हो गई और अब मैं मम्मी की चूत थोड़ी बहुत देख सकता था।


पर डोर से कुछ नज़र साफ नहीं आ रहा था। मम्मी की चूत का मैं अन्दाज लगा सकता था क्योंकि डैड वहाँ पर उंगलियाँ फिरा रहे थे और मम्मी के खड़े होने के कारण चूत पूरी नजर नहीं आ रही थी।


वो बस एक छोटी लाइन से दिख रही थी जहाँ डैड उंगली फिरा रहे थे। उसके बाद डैड नीचे झुके और मम्मी की चूत पर अपने होंठ रख दिए।


यह मुझे साफ़ नहीं दिख रहा था पर मैं गेस कर सकता था कि मम्मी अब जोर जोर से सिसकारियाँ लेकर मजे ले रही थी और डैड भी मस्ती में थे।


लेकिन अचानक जाने क्या हुआ कि डैड रुक गए और उन्होंने मम्मी को छोड़ दिया और मम्मी को लिप्स पर किश करते हुए बोले- डार्लिंग आई ऍम सॉरी! आई कांट गो बियॉन्ड लेट आई कम बिकॉज़? राजू इज आल्सो आउट, एंड आई ऍम गेटिंग लेट आई ऍम वैरी सॉरी!


मम्मी भी तब तक शांत हो चुकी थी पर वो असन्तुष्ट लग रही थी। वो सामान्य होते हुए बोली, इट्स ओके!
और उन्होंने अपना गाऊन ठीक किया।


उसके बाद डैड ने मुझको आवाज़ लगाते हुए कहा- राजू, आर यू देयर बेटा?


मैं चौकन्ना हो गया और अपने को नार्मल करने लगा क्योंकि मेरा लण्ड एकदम खंभे के माफिक खड़ा हो गया था और मेरी धड़कन भी नार्मल नहीं थी। लेकिन जब तक डैड डोर खोलते मैं नार्मल हो गया था।


फिर डैड ने दरवाजा खोला और बोले- ड्राईवर को बुलाओ और मेरे सामान गाड़ी में रखो। रात काफी हो गई है, यू डोंट नीड टू कम एयरपोर्ट आई विल मेनेज एंड प्लीज! सी द ऑफिस एंड फोर वन वीक टेक लीव फ्रॉम द कॉलेज एंड असिस्ट सैंडी।


मैं और मम्मी डैड को ड्रॉप करने जाना चाहते थे पर डैड ने स्ट्रिक्टली मना कर दिया। डैड को हमने गुड बाय कहा और डैड ने हुमको बेस्ट ऑफ़ लक कहते हुए किश किया।


जब डैड चले गए तो मम्मी ने मुझसे कहा- राजू आज तुम ऊपर वाले कमरे में ही सो जाओ मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है।
मैं तो ऐसे मौके की तलाश में ही था। मैं एकदम से थोड़ा झिझकने का नाटक करते हुए हाँ! कह दिया।


मम्मी और मैं फर्स्ट फ्लोर पर आ गए और मम्मी बेडरूम में चली गई उनहोने मुझे पुछा कि, आर यू कोम्फरटेबल ना?
मैंने कहा, यस!


वो बोली- एक्टचुअली आई ऍम नॉट फीलिंग वेल इसलिए तुमको परेशान किया!


मैंने कहा, इट्स ओके! मम्मी, फिर मम्मी अन्दर चली गई और मैं बाहर कॉमन रूम में लाइट ऑफ करके सो गया।


मम्मी थोड़ा घबरा रही थी, इसलिए उनहोने दरवाजा बन्द तो किया पर लॉक नहीं किया और नाईट लैंप ऑफ नहीं किया।


अब मेरे को तो नींद कहाँ आनी थी?, मैं तो मम्मी के साथ सपनो की दुनिया सजा रहा था और मेरी नज़र मम्मी की एक्टिविटीज पर थी।


करीब आधे घंटे बाद मम्मी मेरे कमरे में आई और जैसे ही उन्होंने लाइट ओन की तो देखा कि, मैं भी लेटा हुआ जग रहा हूँ।


मम्मी बोली- राजु लगता है, तुमको भी नींद नहीं आ रही है, 2:00 बज गए हैं!


तुम भी शायद, अपने डैड के बारे में और कल ऑफिस के बारे में सोच रहा हो।


मैंने कहा- बात तो आप ठीक कर रही हैं, पर पता नहीं क्यों? मुझे ऐसी कोई चिंता नहीं है, पर नींद नहीं आ रही है! आप सो जाओ, मैं भी सो जाता हूँ थोड़ी देर में नींद आ जाएगी।


मम्मी बोली- ओके! राजु पर मैं थोड़ा कम्फ़र्टेबल नहीं फील कर रही हूँ।


तुम सो जाओ, मैं लाइट ऑफ कर देती हूँ।


तब मैं मम्मी से कहा कि, मम्मी अगर आप बुरा ना माने तो ऐसा करते हैं कि, अन्दर ही मैं भी आपके पास बैठता हूँ बातें करते हुए शायद नींद आ जाए!


वो बोली- गुड आईडिया! चलो, अन्दर आ जाओ, और मैं और मम्मी अन्दर बेड रूम में चले गए।


मैं अन्दर चेयर पर बैठ गया और मम्मी बेड पर बैठ गईं। फिर मम्मी बोली, राजु ठण्ड ज्यादा है! तुम भी बेड पर ही बैठ जाओ।


मैंने मना करने का बहाना बनाया पर मम्मी ने जब दुबारा बोला तो, मैं उनके सामने बेड पर बैठ गया और रजाई से आधा कभर कर लिया।


अब मैं मम्मी को तसल्ली से बात कर रहा था और रजाई के अन्दर मैं पायजामे का नादा थोड़ा ढीला कर लिया था। फिर मैंने मम्मी से कहा कि, ऑफिस की बात नहीं करेंगे कुछ गप शप करतें हैं।



मम्मी नंगी जिस्म दिखाने को हुई राजी


फिर मम्मी बोली, ओके! तो मैंने कहा, मम्मी तुम बुरा ना मानो तो तुमसे एक प्राइवेट बात कहनी थी!


मम्मी बोली- कम ओन डोंट कंफ्यूज खुल कर कहो।


मैंने कहा- मम्मी यू आर मोस्ट ब्यूटीफुल लेडी आई इवर मेट!


आई रियली मीन इट मैं गप शप नहीं कर रहा हूँ।


मैं आज से नहीं जब से तुमको देखा है, तुमको अपनी कल्पना, अपना प्यार और सब कुछ मानता हूँ!


यू आर रियली ग्रेट! मम्मी, एंड योर फिगर इज मारवलस एंड इवन मोस्ट गॉर्जियस गर्ल ऑफ 16 कांट बीट योर ब्यूटी एंड सेंसुअलिटी।


मैं ये सब एक ही साथ कह गया कुछ तो मैं कहा कुछ मैं कहता चला गया पता नहीं मुझे क्या हो गया था।


मम्मी मुझे देखती रही और हँसने लगीं! बोली, तुम पागल हो एक बुढ़िया के दीवाने हो गए हो।


मैंने कहा- नो मम्मी यू आर मारवलस! कोई भी जवान लड़की, तुम्हारा मुकबला नहीं कर सकती!


मम्मी प्लीज अगर तुम मेरी एक बात मान लो तो मैं तुमसे जिन्दगी में कुछ नहीं माँगूंगा।


मम्मी बोली- अरे बुद्धु कुछ बोलो भी, ये शायरों की तरह शायरी मत करो!


मैं तुम्हारी क्या हेल्प कर सकती हूँ?


मैंने कहा- मम्मी प्लीज! बुरा मत मानना पर मैं तुमको सबसे खूबसुरत मानता हूँ, इसलिए अपनी सबसे खूबसूरत लेडी की खूबसूरती को एक बार पूरी तरह देख लेना चाहता हूँ!


मम्मी प्लीज! मना मत करना, नहीं तो मैं सचमुच मर जाऊँगा और अगर जिंदा भी रहा तो मारा जैसा ही समझो।


मम्मी एकदम चुप हो गई और सोचने लगी फिर धीरे से बोली- राजु, तुम सचमुच दीवाने हो गए हो, वह भी अपनी मम्मी के!


अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो ओके! बट प्रॉमिस, मेरे साथ कोई शरारत नहीं करना नहीं तो, तुम्हारे डैड को बोल दूँगी और आँख मारते हुए बोली तुम्हारी पिटाई भी करूंगी!


मैंने कहा- ओके! पर एक शर्त है कि, मैं अपने आप देखूँगा आप शान्त बैठी रहो।


मम्मी बोली- ओके! मैं मम्मी के नज़दीक गया और मम्मी का गाऊन के पीछे का बटन खोलकर गाऊन को डाउन कर दिया फिर उसको उनकी कमर से नीचे लाया। इसके बाद मैंने रजाई हटाई।


अब मम्मी मेरे सामने ऊपर से सेमी न्यूड हो गई थी उनके ऊपर केवल ब्रा ही रह गई थी।


मम्मी बिल्कुल बुत की तरह शांत थी। मैं नहीं समझ पा रहा था कि उनको क्या हुआ है। मुझे लगता है कि वह बड़े कन्फ्जयून में थी पर?


मैं बड़ा खुश था और एक्साईटमेंट में मेरी खुशी को और बढ़ा दिया था। फिर मैंने मम्मी का गाऊन उनकी टाँगों से होते हुए अलग कर दिया।


अब मम्मी केवल पैन्टी और ब्रा में बेड पर लेटी थी। फिर मैंने मम्मी की ब्रा का हुक खोल दिया।


मम्मी की एक चीख सी निकली पर फिर वह चुप हो गई। फिर मैं मम्मी की ब्रा को उनके शरीर से अलग कर दिया।



मम्मी की चूचियों को चूमा


उनके बूब्स देखकर मैं पागल हो गया और एक्साईटमेंट में मैंने उनके बूब्स को चूम लिया।


मम्मी की सिसकारी निकल गई, पर नेक्स्ट मोमेन्ट वो क्रीटिसाईट होती हुई बोली- राजु बिहेव योरसेल्फ तुमने वादा किया था?


मैंने कहा- मम्मी, तुम इतनी मस्त चीज़ हो! कि मैं अपना वादा भूल गया।


फिर मैंने मम्मी की पैन्टी को निकालने लगा और मम्मी ने भी इसमें मेरी मदद की पर, वो एक बूत सी बनी थी।
उनकी इस हरकत से मैं भी थोड़ा नर्वस हो गया, पर मैंने अपना काम नहीं रोका, और पैन्टी के निकलते ही मेरे कल्पनाएँ साकार हो गई थी!



मम्मी की चूत का अनोखा एहसास


मैंने मम्मी की चूत पहली बार देखी थी, एकदम चिकनी मखमल जैसी! और एकदम बन्द, ऐसा लगती थी जैसे संतरे की दो फांकें हों!


मैंने ब्लू फिल्मों में बहुत सी चूतें देखी थी। वो एकदम चौड़ी और मरकस वाली होती हैं, पर मम्मी की चूत को देखकर यह लगता ही नहीं था कि, वो एक 32 साल की औरत की चूत है।


सबसे बड़ी बात यह थी कि, उनकी चूत एक दम क्लीन शेवड थी और गोरी ऐसी कि, ताजमहल का टुकड़ा! अब मेरे सामने एक 32 साल की लड़की नंगी लेटी थी।


आप खुद सोचो! ऐसे में एक 20 साल के लड़के का क्या हाल हो रहा होगा?


फिर मैंने कहा, मम्मी प्लीज! मैं एक बार तुम्हारी बॉडी को महसूस करना चाहता हूँ कि, एक औरत की बॉडी के रियल टच का क्या एहसास होता है?


मम्मी बोली- तुम अपना वादा याद रखो, सोच लो वादा खिलाफी नहीं होनी चाहिए!


मैं उनका सही मतलब नहीं समझ पाया पर उनकी नंगी काया देखकर मैं पहले ही बेशुध हो चुका था, अगर कोई कमी थी तो मम्मी के रेस्पोंस की और मेरे पहले एक्स्पेक्ट की वजह से झिझकी।



मम्मी के चूचियों का छुवन का आनन्द


फिर मैं मम्मी के ल्पिस का एक डीप किश लिया और उनको उनकी पीठ से बाहों में ले लिया, और उनकी पीठ पर रब करने लगा।


मम्मी का कोई रेस्पोंस नहीं आया पर, उनके बूब्स का टच मुझे पागल कर रहा था। ऐसा टच मुझे पहली बार हुआ था!


मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो बूब्स थे या, मार्बल और वेल्लेट का मिक्स! आअह!! फ्रेंड्स, इट वाज अ रियली ग्रेट फीलिंग। उसके बाद मैंने मम्मी को पलटा और अब उनकी पीठ पर किश करने लगा और उनके बूब्स को मसलने लगा।


ऊह!! आई वाज इन 7थ स्काई! फ्रेंड्स, आई कान्ट टेल यू क्या मजा आ रहा था।


मम्मी भी अब कोई विरोध नहीं कर रही थी पर, उनका रेस्पोंस बहुत पॉजिटिव नहीं था, पर मुझे अब इस बात का कोई एहसास नहीं था कि मम्मी क्या सोच रही है?


मैं तो सचमुच! जन्नत के दरवाजे की तरफ बढ़ रहा था और मम्मी की बॉडी का टेस्ट ले रहा था।



मम्मी को चुदने के लिए राजी किया


मम्मी के बूब्स का रस सचमुच बड़ा रसीला था। मैंने अब उनके निप्पल्स पर दांतों से काटना शुरू किया तो मम्मी पहली बार चीखी! और बोली, अरे काट डालेगा क्या? आराम से कर हरामी।


मैं समझ गया कि अब मम्मी भी मस्त हो चुकी हैं। मैंने अपना पायजामा उतार दिया और बनियान भी उतार दी।


अब मैं केवल अंडरवियर में था। कुछ देर मम्मी के बूब्स चूसने के बाद मैंने मम्मी की नेवेल पर किश करना शुरू कर दिया तो, मम्मी बेड पर उछलने लगीं और सिसकारियाँ लेने लगीं।


मैं हाथों से उनके बूब्स दबा रहा था और होंठों से उन नेवेल को चुम रहा था, फिर मैं और नीचे गया और मम्मी के अब्डोमन के पास और पुबिक्स एरियाज में किश करने लगा।


दोस्तों, मैं बता नहीं सकता और, आप भी केवल मस्सुस कर सकते हैं कि क्या मजा! आ रहा था?


इसके बाद मैंने मम्मी की टागों पर भी हाथ फिराना शुरु कर दिया। उनकी टांगें बड़ी मुलायम और स्मूथ थी!


मुझे लगता है कि, मम्मी अपनी बॉडी का बहुत ख्याल रखती हैं और डैड भी तो उनकी इस लाजवाब! बॉडी के गुलाम हो गए थे। बट शी इज ग्रेट लेडी रियली इन आल रिस्पेक्ट! और इस टाइम तो वो मेरी क्लिओपेट्रा बनी हुई थी।


अब मैं मम्मी की टाँगों और जाँघों पर अपना कमाल! दिखाना शुरु कर दिया और मैं कभी उनको चूमता कभी दबाता और कभी रब करता।


मम्मी भी अब तक मस्त हो चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी पर, मैंने अब तक एन्ट्री गेट पर दस्तक नहीं दी थी।


मैं मम्मी को पूरा मस्त कर देना चाहता था और मैंने अपने लण्ड को फुल कन्ट्रोल में रखा था। मैं मम्मी की बॉडी को अभी भी अपने होंठों और उंगलियों और हाथों से ही रौंद रहा था।


अब तो मम्मी भी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और वादे वाली बात भुलकर मस्ती में पूरे जोर से मेरा साथ दे रही थीं, और चीखने लगी- अरे राजू, अब आ भी जा यार प्लीज! मत तड़पा जालिम जल्दी से मेरे ऊपर आ जा!


मैंने कहा- बस मम्मी, जस्ट वेट मैं तैयार हो रहा हूँ बस एक मिनट रूक जाओ मैं भी आता हूँ।



मम्मी की धक्कापेल चुदाई


तभी मम्मी ने मेरा अंडरवियर नीचे खिसका दिया और वो बोली- अबे मादरचोद अपनी मम्मी की बात नहीं मानेगा?


इतना कहकर उन्होंने अब मेरा लण्ड पकड़ कर जोर से दबा दिया।


मेरी तो चीख निकल गई और अब तक जो मेरा लण्ड तैयार था बिल्कुल बेताब हो गया।


मैंने मम्मी की दोनों टाँगों को दूर करते हुए उनकी राईट थाई पर बैठ गया, और उनके चूतड़ को दोनों हाथों से धकेलते हुए अपना लण्ड उनकी चूत के पास ले गया, और पूरे जोर का धक्का दिया तो मेरा आधा लण्ड उनके चूत में समा गया।


मेरी तो चीख निकल गई लेकिन मम्मी को कुछ तसल्ली हुई और वो मेरे अगले एक्शन का इंतज़ार करने लगी।


मैंने एक और ज़ोरदार धक्का लगाया तो पूरा लण्ड अन्दर चला गया। अब मैंने धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया और मम्मी की दूसरी जाँघ को अपने कंधे की तरफ़ रख दिया। राईट थाई पर बैठ कर अपना चुदाई कार्यक्रम शुरू कर दिया।


अब तो मम्मी पूरे मज़े में आ गई और मेरा पूरा सहयोग करने लगीं।पूरे कमरे में मेरे और मम्मी के चुदाई प्रोग्राम का म्यूजिक शुरू हो गया।


मम्मी भी शश!! अह्ह!! करने लगीं और बोली- अन्दर तक घुसेड़ दे अपना लण्ड, मैं भी जोर से अन्दर बाहर करने लगा।


बोलीं- मस्ती आ रही है, तुझे भी मज़ा आ गया! आज बहुत दिन बाद जवानी का मज़ा पाया है। कसम से आज तूने मुझे अपनी जवानी के दिन याद दिला दिए! अयीई ईस्स!


मैं भी बहुत जोश के साथ चुदाई कर रहा था।
मैं बोला- आज तेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा दूँगा। अब तू डैड से चुदवाना भूल जाएगी, हर वक्त मेरा ही लण्ड अपनी चूत मे डलवाने को तड़पा करेगी।


मम्मी- आह्ह!! आयीई!! क्या मज़ा आ रहा है, फ़क मी हार्डर रआजु कम ऑन और फर्स्ट यू आर माई डार्लिंग।
मैं भी बोला- यस माई फेयर लेडी स्योर!


मम्मी बोली- मुझको संध्या के नाम से बुलाओ, कहो संध्या मेरी जान!


मैंने कहा- ओके संध्या डार्लिंग ये ले मजा आअ रहा है ना! आज मैं भी अपने लण्ड से तेरी चूत को फाड़ के रख देता हूँ।


वह चिल्ला रही थी- आअह गुड। म्मम!! आह!! उह!! म्म!!


फिर अचानक जब मुझे कुछ दबाव सा महसूस होने लगा तो मम्मी बोली- राजू अब बस एक बार अब धीरे धीरे कर दे … मेरा तो पानी निकाल दिया तूने।


मैंने स्पीड थोड़ी कम कर दी और अब मम्मी और मैं थकने भी लगे थे।
अचानक मेरा सारा दबाव मेरे लण्ड के रास्ते मम्मी की चूत की घाटी में समा गया और मम्मी भी शान्त हो गई और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए।


मेरा लण्ड मम्मी की चूत के अन्दर ही था।


एक दूसरे से बिना कुछ बोले ही हम दोनों वैसे ही सो गए।


सुबह जब नींद खुली तो 6:00 बज गए थे और मेरा लण्ड मम्मी की चूत में वैसे पड़ा था।


मैंने मम्मी को जगाया तो वह शरमाने सा लगीं फिर बोली- राजू तुम तो एकदम जवान हो गए हो!


तुमने आज, इस 38 साल की बुढ़िया को, 18 साल की गुड़िया बना दिया!


तब मैंने कहा- अब तू मुझे बुलाएगी क्या बोल?
उसने मुझे अलग करके दूर करते हुए कहा- जरुर मेरी जान!
मम्मी ने अपने उपर लिटाया मुझे किश किया।


मैंने भी फिर से मम्मी के माथे पर, बूब्स पर, नाभि पर किश कर बगल में ही लेट गया और सुबह तक एक साथ लिपट कर चिपक कर सोए रहे।


7:00 बजे मम्मी ने उठाया और मुस्कुराईं, बोली- याद रखना इसको राज रखना!
मैं भी बोला- ऐसे ही इनटरटेनमेंट कर रहना!


तो दोस्तो, ये तो थी मेरी और मम्मी की चुदाई की कहानी
आपको कैसी लगी?

Ramu ji ki Fantasy par ye Kahani..Ummed Karta hu aap sab ko maza aaega​

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सौतेली माँ और उनकी माँ की चुदाई

(Sauteli Maa Aur Unki Maa Ki Choot Chudai)

मैंने नीचे उसकी कहानी का वर्णन उसी के शब्दों में किया है:


मैं रामू 18 साल का तंदरुस्त जवान हूँ, हम लोग उत्तर प्रदेश के एक गाँव में रहते हैं।
जब मैं 10 साल का था तभी मेरी माँ का देहान्त हो गया और पिताजी ने 22 साल की एक गरीब लड़की से दूसरी शादी कर ली। हम लोग खेती-बाड़ी करके अपना दिन गुजारते थे।


मेरे ज्यादा पढ़ा लिखा न होने की वजह से पिताजी ने एक छोटी सी किराने की दुकान खोल ली। पिताजी खेती पर जाते थे और मैं या मेरी सौतेली माँ दुकान पर बैठते थे। जब मैं 19 साल का हुआ तो पिताजी का अचानक देहान्त हो गया। अब घर में केवल मैं और मेरी सौतेली माँ रहते थे। मेरी सौतेली माँ को मैं माँ कहकर बुलाता था। घर का इकलौता बेटा होने के कारण मेरी माँ मुझे बहुत प्यार करती थी।


मेरी माँ थोड़ी मोटी और सावली हैं, और उनकी उम्र 31 साल की है। उसके चूतड़ काफी मोटे हैं, जब वो चलती है तो उसके चूतड़ हिलते हैं। उसके बूब्स भी बड़े-बड़े हैं। मैंने कई बार नहाते समय उनके बूब्स देखे हैं।


पिताजी के देहान्त के बाद हम माँ बेटे ही घर में रहते थे और अकेलापन महसूस करते थे। दुकान में रहने के कारण हम लोग खेती नहीं कर पाते थे इसलिए खेत को हमने किसी और को जुताई के लिए दे दिया था। मैं सुबह सात बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक दुकान में बैठता था और तीन बजे तक घर में रहता था। फिर दुकान खोलकर सात बजे तक दुकान बंद कर घर चला जाता था।
जब मुझे दुकान का माल खरीदने शहर जाना पड़ता तो माँ दुकान पर बैठती थी।


एक दिन माँ ने दोपहर में खाना खाते वक़्त मुझसे पूछा- रामू बेटे! अगर तुम्हे ऐतराज न हो तो, क्या मैं अपनी माँ को यहाँ बुला लूँ, क्योंकि वो भी गाँव में अकेली रहती है। उनके यहाँ आने से हमारा अकेलापन दूर हो जाएगा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं माँ! आप नानी जी को यहाँ बुला लो!


अगले हफ्ते नानी जी हमारे घर पहुँच गईं। वो करीब 45 साल की थी और उनके पति का देहान्त 3 साल पहले हुआ था। नानी भी मोटी और सांवली थी और उनका बदन काफी सेक्सी था।


जाड़े का समय था, इसलिए सुबह दुकान देर से खुलती थी और शाम को जल्दी ही बंद भी कर देता था।


घर पर माँ और नानी दोनों साड़ी और ब्लाउज पहनती थीं और रात को सोते समय साड़ी खोल देती थी और केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर सोती थी।
मैं सोते समय केवल अंडरवियर और लुंगी पहन कर सोता था।


एक दिन सुबह मेरी आँख खुली तो, देखा नानी मेरे कमरे में थी और मेरी लुंगी की तरफ आँखें फाड़-फाड़ कर देख रही थी।
मैंने झट से आँखे बंद कर ली ताकि वो समझे कि मैं अभी तक सो रहा हूँ।
मैंने महसूस किया कि मेरा लंड खड़ा होकर अंडरवियर से बाहर निकला था और लुंगी थोड़ी सरकी हुई थी इसलिए मेरा लंड जो 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, नानी उसे आखें फाड़-फाड़ कर देख रही थी।


कुछ देर इसी तरह देखने के बाद वो कमरे से बाहर चली गई। तब मैंने उठ कर मेरा मोटा लंड अंडरवियर के अन्दर किया और लुंगी ठीक करके मूतने चला गया।


नहा धोकर जब हम सब मिलकर नाश्ता कर रहे थे, नानी बार-बार मेरे लंड की तरफ देख रही थी। शायद वो इस ताक में थी कि उसे मेरे लंड के दर्शन हो जायें!


जाड़े के दिनों में हम दुकान देर से खोलते थे इसलिए मैं बाहर आकर खेत पर बैठकर धूप का आनंद ले रहा था।
बाहर एक छोटा पार्टीशन था जिसमें हम लोग पेशाब वगैरह करते थे।


थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि नानी आई और पेशाब करने चली गई। वो पार्टीशन में जाकर अपनी साड़ी और पेटीकोट कमर तक ऊंची की और इस तरह बैठी की नानी की काली फांकों वाली, झांटों से घिरी चूत मुझे साफ दिखाई दे रही थी।
नानी का सर नीचे था और मेरी नजर उनकी चूत पर थी। पेशाब करने के बाद नानी करीब पांच मिनट उसी तरह बैठी रही और अपने दाहिने हाथ से चूत को रगड़ रही थी।


ये सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और जब नानी उठी तो मैंने नजर घुमा ली। मेरे पास से गुजरते हुए नानी ने पूछा- आज दुकान नहीं खोलनी है क्या?
मैंने कहा- बस नानी जी, दस मिनट में जाकर दुकान खोलता हूँ!
और मैं दुकान खोलने चला गया।


शाम को दुकान से जब घर आया तो नानी फिर से मेरे सामने पेशाब करने चली गई और सुबह की तरह पेशाब करके अपनी चूत रगड़ रही थी।


थोड़ी देर बाद मैं बाहर घूमने निकल गया। जाते वक़्त माँ ने कहा! बेटा जल्दी आ जाना, जाड़े का समय है न! मैंने कहा ठीक है माँ, और निकल गया।


रास्ते में, मेरे दिमाग में केवल नानी की चूत ही चूत घूम रही थी। मैं कभी-कभी एक पौवा देशी शराब पिया करता था। हालाँकि आदत नहीं थी। महीने दो महीने में एक आध बार पी लिया करता था।
आज मेरे दिमाग में केवल चूत ही चूत घूम रही थी इसलिए मैंने देसी ठेके पे डेढ़ पौवा पी लिया और चुपचाप घर की ओर चल पड़ा। मेरे पीने के बारे में मेरी माँ जानती थी। लेकिन कुछ बोलती नहीं थी क्योंकि मैं पी कर चुप चाप सो जाता था।


रात करीब नौ बजे हम सबने साथ में खाना खाया। खाना खाने के बाद माँ घर के काम में लग गई और मैं और नानी खेत पर बैठकर बातें करने लगे। थोड़ी ही देर में माँ भी आ गई और बातें करने लगी।
नानी ने कहा- चलो! कमरे में चलते हैं, वहीं बातें करेंगे क्योंकि बाहर ठण्ड लग रही है।


इसलिए हम सब कमरे में आ गए। माँ ने अपना और नानी का बिस्तर जमीन पर लगाया और हम सब नीचे बैठकर बातें करने लगे।
बातों-बातों में नानी ने कहा- रामू! आज तू हमारे साथ ही सो जा!
माँ ने कहा- ये यहाँ कहाँ सोयेगा। और वैसे भी मुझे मर्दों के बीच सोने में शर्म आती है और नींद भी नहीं आती है।
नानी बोली- बेटी क्या हुआ? ये भी तो तेरे बेटे जैसा ही है। हालाँकि तुम इसकी सौतेली माँ हो लेकिन इसका कितना ध्यान रखती हो। अगर बेटा साथ सो रहा है तो इसमें शर्म की क्या बात है।


खैर नानी की बात माँ मान गई। मैं माँ और नानी की बीच में सो गया। मेरी दाहिनी तरफ माँ सो रही थी और बाईं तरफ नानी।


शराब के नशे के कारण पता नहीं चला कि मुझे कब नींद आ गई।
करीब 1 बजे मुझे पेशाब लगी। मैंने आँख खोली तो बगल से अआह उम्म्ह… अहह… हय… याह… की धीमी आवाज सुनाई दी। मैंने महसूस किया कि ये तो माँ की फुसफुसाहट थी इसलिए मैंने धीरे से माँ की ओर देखा।
माँ को देखकर मेरी आखें खुली की खुली रह गईं।
माँ अपने पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके बाएं हाथ से चूत रगड़ रही थी जबकि दाहिने हाथ की उँगलियाँ चूत के अन्दर बाहर कर रही थी।
इसी तरह करीब दस मिनट बाद वो पेटीकोट नीचे कर के सो गई, शायद उसका पानी गिर गया होगा।


थोड़ी देर बाद मैं उठ कर पेशाब करने चला गया और पेशाब करके वापिस आकर नानी और माँ के बीच सो गया। अब मेरी नजर बार बार माँ पर थी और नींद नहीं आ रही थी। इसलिए मैं नानी की तरफ करवट लेकर सो गया। लेकिन फिर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि नानी की ओर सोने के कारण अब मेरे दिमाग में नानी की चूत नाच रही थी।


मैं काफी कशमकश में था और इसी तरह करीब एक घंटा बीत गया। अचानक मेरी नजर नानी के चूतड़ पर पड़ी मैंने देखा कि उनका पेटीकोट घुटनों से थोड़ा ऊपर उठा हुआ था।
अब मेरे शराबी दिमाग में शैतान जाग उठा, मैं उठा और तेल की शीशी ले आया और नानी के पास मुँह करके ख़ूब सारा तेल मेरे सुपारे पर और लंड के जड़ तक लगाया, फिर धीरे धीरे से नानी का पेटीकोट चूतड़ के ऊपर कर दिया।


नानी का मुँह दूसरी तरफ था इसलिए उनकी चूत के थोड़े दर्शन हो गए। अब मैंने हिम्मत करके अपने लंड का सुपारा नानी की चूत के मुँह के पास रखा।
मैंने महसूस किया कि नानी अहिस्ता-अहिस्ता अपनी गांड को मेरे लंड के पास कर रही हैं।


मैं समझ गया कि शायद नानी चुदने के मूड में है इसलिए मैंने भी अपनी कमर का धक्का उनकी चूत पर डाला जिससे मेरा सुपारा नानी की चूत में घुस गया और उनके मुँह से एक हल्की चीख निकली- हाय.. रामू! आहिस्ता डाल न, तेरा लंड काफी बड़ा और मोटा है, मैंने भी सालों से चूत चुदवाई नहीं है बेटा… धीरे-धीरे और आहिस्ता-आहिस्ता करो।


कह कर नानी सीधी लेट गई और अपना पेटीकोट कमर तक ऊँचा कर दिया। अब मैं नानी के ऊपर चढ़ कर धीरे धीरे अपना लंड घुसा रहा था। जैसे जैसे लंड अन्दर जाता था वो उह्हह हफ़्फ़ उफ़्फ़ ह्हह हहाआआ अनन्न आआऐ की आवाज निकालने लगी।


मैं जब अपना पूरा लंड नानी की चूत में डाल चुका था तो मैंने नानी की आँखों में आंसू देखे, मैंने पूछा- क्या आप रो रही हैं?उन्होंने कहा- नहीं रे! ये तो ख़ुशी के आंसू हैं। आज कितने बरसों बाद मेरी चूत में लंड घुसा है।


फिर मैं अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा और जोर जोर से नानी की चूत को चोद कर फाड़ने लगा, फिर नानी भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी और बीच-बीच में कह रही थी- और जोर से चोदो! मेरे राजा! वाकई तुम्हारा लंड इंसान का नहीं घोड़े या गधे का है।
मैं करीब दस मिनट तक उनकी चूत में अपना मोटा-तगड़ा हथियार अन्दर-बाहर कर रहा था।
इसी बीच मैंने महसूस किया कि माँ हमारी इस क्रिया को सोये-सोये देख रही थी और मन ही मन सोच शायद रही थी कि जब मेरी माँ अपने नाती से चुदवा सकती है तो क्यों न मैं भी गंगा में डुबकी लगा लूँ। कब तक मैं अपने हाथों का इस्तेमाल करती रहूंगी? आखिर ये मेरा सगा बेटा थोड़े ही है?


और उठकर कर उसने अपना पेटीकोट खोल दिया फिर अपनी चूत नानी के मुँह पे रखकर रगड़ने लगी।


पहले तो नानी सकपका गई, फिर समझ गई कि उसकी बेटी भी प्यासी है और अपने सौतेले बेटे का लंड खाना चाहती है।
फिर नानी माँ की चूत में जीभ डालकर जीभ से चोदने लगी। इसी दरमियान नानी झड़ चुकी थी और कहने लगी- बस रामू, अब सहा नहीं जाता है।
मैंने कहा- बस नानी, 5 मिनट और!
5 मिनट बाद मेरा सारा वीर्य नानी की चूत में जा गिरा।


अब नानी थक कर सो गई, माँ ने कहा- चलो पलंग पर चलते हैं, वहीं तुम मुझे चोदना।


हम दोनों पलंग पर आ गए, मेरा लंड अभी सिकुड़ा हुआ था, इसलिए माँ ने लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और मैं भी 69 की अवस्था में उनकी चूत चाटने लगा।
हम दोनों यह क्रिया करीब 10 मिनट तक करते रहे और मेरा लंड तानकर विशालकाय हो गया।


अब मैंने माँ की गांड के नीचे तकिया लगाया और उनकी दोनों टांगों को मेरे कंधे पे रखकर लंड पेलने लगा।
लंड का सुपारा अन्दर जाते ही बोली- हाय रे दैया! कितना मोटा है रे तेरा लंड… खूब मजा आएगा।


और फिर मैं माँ को जोर-जोर से चोदने लगा। वो भी मेरा खूब साथ दे रही थी। पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूँज रही थी। हम काफ़ी देर तक कई तरीकों में चुदाई करते रहे।
और बाद में मैंने माँ की गांड भी मारी, जिसमें मेरी माँ को काफी मजा आया।


अब रोज मैं दोपहर में नानी को चोदता था क्योंकि उम्र होने के कारण कभी-कभी साथ नहीं दे पाती थी और माँ को मध्य रात्रि तक चोदता था।
चूँकि माँ बाँझ थी इसलिए उन्हें कोई डर नहीं था और हम लोग खूब चुदाई करते थे।

Ram Kumar ji ki Fantasy par ye Kahani...umeed karta hu aapko maza aaega​

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मेरी सेक्सी मॉम की चुत चुदाई

(Meri Sexy Maa Ki Chut Chudai)

मेरी उम्र 20 साल की थी जबकि मेरी सौतेली माँ 35 साल की थीं।


मेरी मॉम एक बहुत ही सेक्सी महिला थीं.. उनके जिस्म का एक-एक हिस्सा बिल्कुल तराशा हुआ था और अंग-अंग से मादकता टपकती थी। मैं कई बार उन्हें बाथरूम में सम्पूर्ण नग्नावस्था में देख चुका था। एक बार तो पापा उन्हें पूरा नंगा करके चोद रहे थे, तब भी उनकी मचलती जवानी को देखा था। जिस दिन पापा मॉम को चोद रहे थे, उसी दिन मेरा मन मॉम को चोदने के लिए मचल उठा था।


एक रात पापा शहर से बाहर गए हुए थे, मैं अपने बेडरूम में था। लेकिन मन में उत्तेजना के कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी, सो मैंने मॉम की चूचियों को याद करते हुए मुठ मारनी चालू कर दी। कुछ ही देर में मेरी उत्तेजना और अधिक बढ़ गई तो मैंने गोल तकिया को अपनी टांगों में फंसा लिया और उसे ही मॉम समझ कर चोदना शुरू कर दिया।


उसी समय मेरी मॉम ने मेरे बेडरूम का दरवाजा खोला और मेरे कमरे में आ गईं।


दरवाजा खुलने की आवाज़ से मैं घबराकर रुक गया लेकिन मैं तकिए के ऊपर था। फिर मैंने मॉम को देखा तो मैं तकिए के बगल में लेट गया।


मॉम ने पूछा- क्या हुआ.. क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- नींद नहीं आ रही है, कुछ बेचैनी सी है।
फिर मैंने मॉम से पूछा- क्या आपको भी नींद नहीं आ रही है?
वो बोलीं- हाँ मुझे भी नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- आप भी यहीं लेट जाओ न।


फिर वो मेरे पास बैठ गईं।


मैंने फिर कहा- यहीं सो जाओ ना, मेरे पास।
वो सीधी लेट गईं। कुछ देर बाद मैंने पूछा- नींद नहीं आ रही है.. तो कोई कहानी पढ़ लेते हैं।


उन्होंने सर हिला कर हामी भरी तो मैंने पापा की किताब की रेक से एक सेक्सी कहानी की बुक निकाली और कहा- इसको पढ़ते हैं।
मॉम बोलीं- ये कौन सी किताब है?
मैंने कहा- कहानी की किताब है, इसकी कहानी पढ़ने में बहुत मजा आएगा, इसको पढ़ने से बहुत गुदगुदी भी होती है।


फिर मैंने किताब को हम दोनों के बीच में रखकर पढ़ने लगा। ऐसे में मॉम को पढ़ने में जरा दिक्कत हो रही थी तो मैंने कहा- चलो मैं पढ़कर सुनाता हूँ..


मैं उनको सेक्सी कहानी पढ़कर सुनाने लगा। इसमें एक लड़की का दूसरे मर्द के साथ सेक्स का किस्सा था। ये सेक्स स्टोरी बहुत डिटेल में थी।


मॉम बोलीं- ये सब क्या है?
मैंने कहा- अल्मारी में रखी थी।
वो बोलीं- इसमें बड़ों की गन्दी बातें लिखी हैं। तुमको इसे नहीं पढ़ना चाहिए।
मैंने कहा- फिर आपकी और डैड की अल्मारी में क्यों रखी है? एक बार पढ़ते हैं, सुनो ना!


फिर मॉम को भी मज़ा आने लगा। वो भी गरम होने लगीं। मॉम बीच-बीच में अपनी बुर खुजला रही थीं।


मैंने कहा- कहो गुदगुदी हो रही है ना।


मॉम ने स्माइल दे दी।


मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- मेरे भी इसमें और सारे बदन में बहुत गुदगुदी हो रही।
फिर मैंने कहा- अब आप पढ़िए।


अब वो पढ़ने लगीं.. वो बहुत गरम हो गई थीं। तभी मॉम ने किताब बंद करके रख दी और बिस्तर पर अपने पैर पसार कर चित्त लेट गईं।


मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोलीं- बहुत बेचैनी हो रही है, नीचे बदन में कुछ खुजली भी हो रही है।
मैंने पूछा- शायद पावडर बदन पर लगाने से आराम मिल जाएगा।
वो बोलीं- हाँ ठीक है.. तुम पावडर ही लगा दो।


मैं बगल वाले रूम से पावडर लेकर आया।


मैंने देखा कि मॉम पेट के बल लेट गई थीं।


मॉम बोलीं- कमर में लगा दो।


मैंने देखा उन्होंने अपने ब्लाउज के बटन खोले हुए थे और ब्रा भी खोल दी थी।


मैं पावडर कमर पर लगाते हुए ब्लाउज के अन्दर हाथ डालकर मलने लगा। उनका कोई विरोध नहीं हुआ तो फिर मैं आहिस्ता-आहिस्ता पूरी कमर पर पावडर मलते हुए सीधे ही उनके मम्मों को मसलने लगा। मॉम को मम्मे मिंजवाने में मजा आ रहा था। वे मजा लेने लगीं तो मैंने सीधे ही उनके मम्मों पर पावडर लगाया और मम्मों को मसलने लगा।


अब उनको मजा आ रहा था।
फिर मैंने कहा- मॉम जरा आपकी गर्दन के पास भी पाउडर लगा देता हूँ।
वो घूमीं तो ब्लाउज के बटन खुले हुए थे और बूबस- पूरे नंगे दिखने लगे थे।
मॉम के बड़े-बड़े चूचे बहुत सेक्सी लग रहे थे।


मैंने उनकी गर्दन पर पावडर लगाने लगा। अब तो मैं सामने से मॉम के मम्मों को मसल रहा था और वो कुछ नहीं बोल रही थीं।


फिर मैंने मम्मे मसलते हुए हाथ नीचे पेट पर फिराया और नाभि को मसला। मॉम की आह निकली तो मैंने धीरे से उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ अन्दर डालकर जांघ पर फेरते हुए उनकी बुर पर भी पावडर लगाने लगा।


वो कामुक आवाज में बोलीं- उह.. ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- ठीक से लगा देता हूँ.. फिर नींद भी ठीक से आ जाएगी।


मॉम कुछ नहीं बोलीं तो मैं अपने हाथ को उनके गोल-गोल चूतड़ों पर फेरने लगा। सच में बड़ा मज़ा आ रहा था।


मैंने पूछा- मॉम क्या मज़ा आ रहा है.. आराम मिल रहा है?
अब मैं मॉम के चूतड़ों पर हाथ फेरते-फेरते उनके ऊपर चढ़ गया और बोला- इससे आपका बदन भी दब जाएगा।


मॉम भी मेरे मजे लेने लगीं।


मैंने कमर के नीचे से मॉम के चूचे पकड़ कर जोर-जोर से दबाने लगा।
अब तो मॉम पूरी तरह से चुदास से तड़फ रही थीं।


मैंने कहा- किताब वाला सीन करते हैं।
मेरे बदन में जोर-जोर से गुदगुदी हो रही है।


फिर अचानक से मॉम को कुछ याद आया और वे बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- दरवाजा बंद है, किसी को पता नहीं चलेगा, मैं भी किसी से नहीं कहूँगा, तुम्हारी कसम मॉम आपको मज़ा भी आ जाएगा, प्लीज़ मना मत करो।


मॉम ने कुछ नहीं कहा।


मैंने फिर से उनसे कहा- कहानी की तरह मज़ा करते हैं मॉम।


मैंने अपना पजामा खोल दिया और उनकी जाँघों पर बैठ गया।


अब मॉम ने मेरा लंड पकड़ कर लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- मुझसे वादा करो कि तुम किसी से कभी भी नहीं कहोगे।
मैंने कहा- वादा।


और फिर क्या था.. उन्होंने अपने सारे कपड़े बदन से अलग कर दिए।


मैंने कहा- आप जैसे बोलेंगी.. मैं वैसे ही करूँगा।
उन्होंने कहा- हाँ जैसा कहानी में पढ़ा था.. वैसे ही करते रहो। मैंने उनके एक चुचे को चूसना शुरू किया.. दूसरे चूचे को दबा भी रहा था।


फिर वो भी मेरे लंड पर हाथ फेरने लगीं। मैंने भी एक हाथ की उंगली से मॉम की बुर को दबाने लगा और उंगली चुत के अन्दर कर दी।


फिर वो मुँह से ‘शह्ह.. उह्हह..’ आवाज निकालने लगीं।


मैंने उनसे किताब के सीन की तरह उनसे डॉगी स्टाइल में बैठने को कहा। जैसे ही मेरी मॉम कुतिया के जैसे बनीं मैंने अपने लंड को पीछे से उनकी बुर के छेद के पास ले जाकर सुपारे को फेरने लगा। साथ ही मैं दोनों हाथों से मम्मों भी दबा रहा था। सच में बड़ा मज़ा आ रहा था।


अचानक ही लंड फिसला और झटके के साथ बुर में घुस गया, क्योंकि उनकी बुर का छेद चुदवाते चुदवाते कुछ तो बड़ा हो गया था।


उनके मुँह से भी और मेरे मुँह से भी जोर की ‘शह्हह.. आह..’ की आवाज निकलने लगी।


मैंने अब धक्का लगाना शुरू किया, धीरे-धीरे धक्के की स्पीड भी बढ़ा रहा था। सच में क्या मस्त मज़ा आ रहा था।
मॉम भी बोलीं- और जोर से चोद.. और जोर से पेल.. आह मजा आ रहा है।
मैंने मॉम के मम्मों को जोर से दबाकर निप्पलों को खींचा और धक्के लगाने लगा।


‘अह.. उह.. ओह.. सुपरब.. श्शश.. और और जोर से.. क्या बात है और झटका दूँ मॉम?’
‘हाँ पेलता रह..’


मैंने अपना लंड बाहर निकाला और वो बेड पर सीधी लेट गईं।


मैंने धीरे-धीरे उनके कामुक बदन पर हाथ फेरा, फिर बुर में उंगली घुसेड़ कर भीतर के पॉइंट को सहलाने लगा।


ये उनका जी-स्पॉटस था, वो बहुत जोर से हिल गईं और उनकी जोर से ‘आअ.. आअ.. श्शश.. उह..’ की आवाज निकल गई।


मैंने अब लंड को उनके मम्मों पर फिराना शुरू किया और ऊपर से नीचे की तरफ़ लंड लाने लगा। फिर उन्होंने मेरा मुँह अपने मुँह के पास खींचकर जोर से किस किया। मैं भी जोर-जोर से किस करने लगा और अपनी जीभ भी उनके मुँह पर फेरने लगा। उनकी जीभ को चूसने में मज़ा आ रहा था। वो साथ-साथ मेरे लंड को एक हाथ से जोर-जोर से सहला रही थीं।


मैं भी बोला- बहुत मज़ा दे रही हो।


फिर उन्होंने मेरे को जोर से अपनी तरफ़ खींचकर बांहों में जकड़ लिया। मैंने भी उनको भींच लिया, उनके चूचे मेरी छाती से चिपक कर दब रहे थे।


आह क्या रगड़ सुख मिल रहा था।


फिर उन्होंने अपनी जांघें फैलाईं और कहा- अब जल्दी-जल्दी जोर से यहाँ लंड ले आओ।


मैंने लंड को उनकी बुर में घुसेड़कर धीरे-धीरे हिलने लगा।


फिर वो बोलीं- आअह ऐसे नहीं चलेगा.. जोर-जोर से झटके लगाओ।


मैंने जोर से चोदना शुरू कर दिया।


क्या मस्त चुदाई का आनन्द आ रहा था। मॉम भी चुदाई का मजा ले रही थीं- शह.. शह आ.. क्या बात है आह.. आ.. शह.. अह्हह.. ओह्हह.. और जोर जोर से धक्के लगाओ.. बहुत मज़ा आ रहा है।


मैं भी पूरी ताकत से लंड को भीतर तक ठोकने लगा। चुदाई पूरी स्पीड पर थी और अब मैं झड़ने लगा था। मेरा रस झड़ने लगा और मैं ढीला होकर उनके नंगे बदन से जोर से लिपट गया। मॉम के गुदगुदे बदन पर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।


फिर वो बोलीं- चलो हटो.. बहुत देर हो गई है.. अब सोते हैं।
वो अपने कपड़े पहनने लगीं। फिर बोलीं- ये राज ही रखना, किसी से कभी मत कहना।


मैंने हाँ कहते हुए उनके मम्मों को दबाकर किस कर लिया और बुर को दबाते हुए कहा- फिर कभी गुदगुदी होगी तो..?
वो हंसने लगीं.. मैं भी समझ गया।
मॉम बोलीं- बदमाश हो गए हो, चलो अब सो जाओ।


वो अपने कमरे में सोने चली गईं।
Update Posted Enjoy😎
 

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