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अंकल अब, मेरी मम्मी के अंगों के साथ खेल रहे थे और इस खेल मे, मेरी मम्मी अंकल का बराबर साथ दे रही थीं.
अंकल अब, उठ के बैठ गये.
उन्होंने मेरी मम्मी की पेटीकोट को खींच के, उनके बदन से निकाल दिया और साड़ी के बगल मे गिरा दिया और मेरी मम्मी के जांघों को पकड़ के फैला दिया.
मैंने देखा, मेरी मम्मी ने लाल जालीदार पैंटी पहन रखी थीं और चूत के हिस्से पर पानी लगा हुआ था.
पैंटी इतनी गीली थी की चूत के हिस्से से, पूरी अंदर घुसी हुई थी.
इतना असर था, “अश्लील बातों” का की बिना कपड़े उतारे, दोनों की रस धार बह रही थी.
अंकल मेरी मम्मी की फुददी को पैंटी के ऊपर से ठीक वैसे ही देख रहे थे, जैसे एक जानवर, अपने शिकार को देखता है.
कुछ देर देखने के बाद, वो लेट के अपनी जीभ से मेरी मम्मी की पैंटी को फुददी के ऊपर से चाटने लगे.
अंकल की आँखों से, हरकत से, सब से वासना सॉफ झलक रही थी.
कुछ देर चूत चाटने के बाद, उसे रगड़ते हुए अंकल बोले – महक, तूने तो दो से चुदवाने के नाम से ही छोड़ दिया था… सही में चुदि थी, तब क्या हुआ था… बता ना, महक…
मम्मी तो आज थी ही बिंदास, पहले की ही तरह गाली निकालते हुए बोली – माँ के लौड़े, तेरी अम्मा का भोसड़ा… गाण्ड फटी हुई थी, जब पहली बार दो से चुदि थी… दोनों ने, कुतिया की तरह चोदा… तू रहम करता है, क्या मुझ पर अकेला… दो लंड फिर क्या लौड़ा, रहम करेगें… गान्डू… एक ने नीचे लेट कर चूत में पेल दिया था और दूसरा ऊपर चढ़ कर, गाण्ड चोद रहा था… मां चुद रही थी, मेरी…
अंकल का हाथ, इस दौरान मम्मी की चूत को ऐसे रगड़ रहा था जैसे उनके हाथ में कोई मशीन लगी हो और वो तेज़ी से, आगे पीछे हो रही हो…
अंकल भी ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ भर रहे थे और फिर, वो बोले – माँ की चूत तेरी, महक… तेरी बहन का भोसड़ा…. रंडी बनने के लिए ही पैदा हुई है तू… साली मां की लौड़ी, तू तो कह रही थी तूने अपने घर में ही चुदवाया था… तेरे घर वाले, कहाँ मां चुदा रहे थे तब…
मम्मी – गान्डू, तेरी गाण्ड में दम नहीं होगा सुनने का…
अंकल – माँ की चूत तेरी, छीनाल… मैं जानता हूँ, तू कितनी बड़ी रंडी है… अपने बाप से चुदि है अगर ये भी बोले तो भी मैं मान लूँ…
मम्मी – गाण्ड के छेद, तू भी तो अपनी मां चोद के बैठा है… सुन सकता है तो सुन मेरी माँ लेकर आई थी, मेरे ग्राहक…
अंकल – महक, तेरी मां की चूत… ये तो सच नहीं हो सकता…
मम्मी ने ज़ोर की सिसकारी भरी और अंकल के हाथ को अपनी चूत पर भींच लिया…
मम्मी – सच है… खूब चुदवाया मेरी माँ ने मुझे, मेरे बाप के बिस्तर पकड़ने के बाद… आ आ ह ह ह ह ह…
और मम्मी ने बहुत ज़ोर से पानी छोड दिया…
उनका इतना पानी निकला की मैंने उनकी जांघों तक पर बहते देखा.
इसके बाद भी, मम्मी से काबू नहीं हुआ.
वो उठी, अंकल को पटका और अपनी पैंटी किनारे करके, अंकल के मुँह में बेहद तेज़ धार मारने लगी.
पहले अंकल ने थोड़ा मुँह इधर उधर किया, फिर वो भी बड़े मज़े से मम्मी का “मूत पान” करने लगे.
मम्मी की मूत की गंध उस दिन इतनी तेज़ थी की मुझे बाहर तक जली जली सी, गंध आ रही थी.
अंकल अब, उठ के बैठ गये.
उन्होंने मेरी मम्मी की पेटीकोट को खींच के, उनके बदन से निकाल दिया और साड़ी के बगल मे गिरा दिया और मेरी मम्मी के जांघों को पकड़ के फैला दिया.
मैंने देखा, मेरी मम्मी ने लाल जालीदार पैंटी पहन रखी थीं और चूत के हिस्से पर पानी लगा हुआ था.
पैंटी इतनी गीली थी की चूत के हिस्से से, पूरी अंदर घुसी हुई थी.
इतना असर था, “अश्लील बातों” का की बिना कपड़े उतारे, दोनों की रस धार बह रही थी.
अंकल मेरी मम्मी की फुददी को पैंटी के ऊपर से ठीक वैसे ही देख रहे थे, जैसे एक जानवर, अपने शिकार को देखता है.
कुछ देर देखने के बाद, वो लेट के अपनी जीभ से मेरी मम्मी की पैंटी को फुददी के ऊपर से चाटने लगे.
अंकल की आँखों से, हरकत से, सब से वासना सॉफ झलक रही थी.
कुछ देर चूत चाटने के बाद, उसे रगड़ते हुए अंकल बोले – महक, तूने तो दो से चुदवाने के नाम से ही छोड़ दिया था… सही में चुदि थी, तब क्या हुआ था… बता ना, महक…
मम्मी तो आज थी ही बिंदास, पहले की ही तरह गाली निकालते हुए बोली – माँ के लौड़े, तेरी अम्मा का भोसड़ा… गाण्ड फटी हुई थी, जब पहली बार दो से चुदि थी… दोनों ने, कुतिया की तरह चोदा… तू रहम करता है, क्या मुझ पर अकेला… दो लंड फिर क्या लौड़ा, रहम करेगें… गान्डू… एक ने नीचे लेट कर चूत में पेल दिया था और दूसरा ऊपर चढ़ कर, गाण्ड चोद रहा था… मां चुद रही थी, मेरी…
अंकल का हाथ, इस दौरान मम्मी की चूत को ऐसे रगड़ रहा था जैसे उनके हाथ में कोई मशीन लगी हो और वो तेज़ी से, आगे पीछे हो रही हो…
अंकल भी ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ भर रहे थे और फिर, वो बोले – माँ की चूत तेरी, महक… तेरी बहन का भोसड़ा…. रंडी बनने के लिए ही पैदा हुई है तू… साली मां की लौड़ी, तू तो कह रही थी तूने अपने घर में ही चुदवाया था… तेरे घर वाले, कहाँ मां चुदा रहे थे तब…
मम्मी – गान्डू, तेरी गाण्ड में दम नहीं होगा सुनने का…
अंकल – माँ की चूत तेरी, छीनाल… मैं जानता हूँ, तू कितनी बड़ी रंडी है… अपने बाप से चुदि है अगर ये भी बोले तो भी मैं मान लूँ…
मम्मी – गाण्ड के छेद, तू भी तो अपनी मां चोद के बैठा है… सुन सकता है तो सुन मेरी माँ लेकर आई थी, मेरे ग्राहक…
अंकल – महक, तेरी मां की चूत… ये तो सच नहीं हो सकता…
मम्मी ने ज़ोर की सिसकारी भरी और अंकल के हाथ को अपनी चूत पर भींच लिया…
मम्मी – सच है… खूब चुदवाया मेरी माँ ने मुझे, मेरे बाप के बिस्तर पकड़ने के बाद… आ आ ह ह ह ह ह…
और मम्मी ने बहुत ज़ोर से पानी छोड दिया…
उनका इतना पानी निकला की मैंने उनकी जांघों तक पर बहते देखा.
इसके बाद भी, मम्मी से काबू नहीं हुआ.
वो उठी, अंकल को पटका और अपनी पैंटी किनारे करके, अंकल के मुँह में बेहद तेज़ धार मारने लगी.
पहले अंकल ने थोड़ा मुँह इधर उधर किया, फिर वो भी बड़े मज़े से मम्मी का “मूत पान” करने लगे.
मम्मी की मूत की गंध उस दिन इतनी तेज़ थी की मुझे बाहर तक जली जली सी, गंध आ रही थी.