Adultery मम्मी की शादी ड्राइवर के बेटे से (लघु कहानी)

मुझे ये कहानी पूरी लिखना चाहिए या नहीं lustyweb.live.

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अगली शाम पापा कार से घर वापस आ रहे थे और साथ में हमारा फैमली ड्राइवर अब्दुल भी था पापा के साथ।

अब्दुल - साहब बहुत टेंशन में हो


क्या बात है आप बहुत परेशान लग रहे हो।


पापा- हां अब्दुल तुमसे क्या छुपाना तुम तो घर के ही हो जानते तो हो क्या हालत है परिवार की जान पर आ गई है अब तो मुझे समझ नहीं रहा क्या करु

अब्दुल- साहब आप तो इतने बड़े बिजनेसमैन हो आप सब ठीक कर देंगे
पापा- अरे अब्दुल सब खत्म हो चुका है एक रास्ता है तो वो नामुमकिन ही है


अब्दुल- कौन सा रास्ता साहब
पापा- तुमसे क्या छुपाना अब्दुल, मेरे ससुर को तो तुम जानते ही हो मेरे से नफ़रत करते थें।


अब्दुल- जी साहब
पापा- हम्म तो उसकी वजह से उन्होंने वसीयत में ऐसी शर्त रखी शादी ऐसी शर्त जो हो ही नहीं सकती पर अगर शर्त की प्रॉपर्टी मिल जाती है तो सब सॉल्व हो जाता है।

अब्दुल- कैसी शर्त

पापा- शर्त ये है कि सुनीता को शादी करनी होगी अभी की उम्र में किसी गरीब लड़के से और 3 साल रहना होगा।


अभी भी उसी का घर रहेगा तब शादी के बाद आधी प्रॉपर्टी 1000 करोड़ अभी के नाम ट्रांसफर होंगी फिर आधी 1000, 3 साल बाद मेरे नाम

अब्दुल- तो साहब आप ये शर्त पुरी कर दो।

पापा- क्या बोल रहे हो अब्दुल सुनीता की शादी किसी ऐसे से जो अभि की उम्र का हो ।

सुनीता भी कभी नहीं मानेगी,

अब्दुल- अरे साहब तो कोई भरोसेमंद व्यक्ति को ढूंढ़ो जो सिर्फ शादी करे 3 साल बाद तलाक दे,

आप उसे अच्छा पैसा दे देना ।

इसके सब हल होगा।
 
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पापा- हम्म अब्दुल बात तो सही कह रहे हो इससे सब हल भी हो जाएगा, कुछ गलत भी नहीं पर ऐसा भरोसेमंद व्यक्ति मिलेगा कहा कोई भला अपने बच्चों की लाइफ क्यों खराब करेगा।

अब्दुल- हम्म ये बात तो है मगर वो मिल भी गया तो मालकिन थोड़ी तैयार होंगी

पापा- हम्म ये बात भी है मगर बच्चों के लिए शायद मान जाए 3 साल की बात है और नाम की शादी।


अब्दुल- हम्म ये बात भी पर मिलेगी कहां ऐसा भरोसेमंद व्यक्ति।


पापा- अब्दुल मेरे दिमाग में एक लड़का है भरोसेमंद भी है और मेरे सबसे भरोसे का आदमी का बेटा भी,

अब्दुल- कौन साहब

पापा- तुम्हारा बेटे असलम

अब्दुल- क्या बोल रहे हैं साहब

असलम अभि बेटा की उम्र का है, और अभि बेटा और वो सबसे अच्छा दोस्त है।

दोनों में भाई की तरह प्यार है, और असलम भी मालकिन को बचपन से माँ ही मानता है ।

मालकिन भी असलम से कैसे


पापा- तभी तो सेफ है कोई प्रॉब्लम नहीं है सबसे भरोसेमंद है

ये एक ही रास्ता है तुम बोलो तैयार हो तुम, आज मुझे तुम्हारी जरूरत है अब्दुल

अब्दुल- साहब पर कैसे बात करूं,

आप हिंदू हो, हम मुस्लिम कैसे आपके रिश्तेदार ,परिवार सब या मेरी बीवी भी असलम की शादी कैसे


पापा- अरे अब्दुल जब मुश्किल होगी तो कोई आएगा थोड़ी बस 3 साल की बात है।

शादी कोई असली है।

अब बोलो मान जाओ अब्दुल

अब्दुल- ठीक है साहब मैं तैयार हूं मगर असलम की अम्मी या असलम को मुझे पूछना होगा।

पापा- ठीक है हम भी घर पर आकर सब से बात करके मैं तुम्हे कॉल करूंगा।

तुम भी बात कर लो अपनी बीवी से


फिर पापा घर आ जाते हैं, अब्दुल अपने घर चला जाता है।
 
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पापा घर आते ही पहले दादी से बात करते हैं


पापा- मां सब रास्ते खत्म हो गए हैं बस एक ही रास्ता बचा है वो सुनीता के पापा की वसीयत।


दादी- क्या बोल रहा है तू राघव जानता है वो नामुमकिन है सुनीता की शादी किसी और से कैसे सोच सकता है।

बहू एक संस्कारी औरत है २ जवान बच्चे हैं।

पापा - मां कोई ओर रास्ता नहीं है।

6.जेपीजी


दादी- ठीक पर सुनीता मानेगी तेरे बच्चे ।

ऐसे भरोसेमंद व्यक्ति मिलेगा इतना कम उमर का

पापा- मिल गया है मां अपने अब्दुल का बेटा असलम

दादी- क्या असलम क्या बोल रहा है तू वो सुनीता को मां जैसा मानता है सुनीता भी असलम को अपने बेटे जैसा।

अभी और वो सबसे अच्छी दोस्त है और एक बात की वो मुस्लिम है।
नहीं हो सकती सब मान भी लू तो वो मुस्लिम कैसे,


पापा- मां तभी तो सुरक्षित है क्योंकि वो सुनीता की इज्जत करता है अभी का दोस्त भी है तो उसका घर अभी रह सकता है

माँ मुस्लिम है तो क्या हुआ है तो इंसान ही ना बहुत भरोसेमंद है वो

3 साल की ही तो बात है

दादी- पर वो मुस्लिम है सुनीता कैसे वहां 3 साल रह पायेगी मुस्लिमों में

पापा- मां यही रास्ता है मान जाओ देखो 3 साल की बात है फिर सब नॉर्मल
दादी- ठीक है पहले सुनीता से बात कर ले


पापा- जी मां


फिर पापा कमरे में चले गए मम्मी से बात करने लगे

पापा- सुनीता देखो मैं जो कह रहा हू शांति से सुनना गुस्सा मत करना और सोचना।


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मम्मी- जी क्या बोलिए

पापा- सुनीता सब रास्ते खत्म हो गए हैं अब एक ही रास्ता बचा है तुम्हारे पापा की वसीयत

मम्मी- क्या बोल रहे हो आप जानते हो ना वो नामुमकिन है

पापा- पहले सुनो तो देखो मैंने सोचा है किसी भरोसे से शादी करेंगे बस 3 साल की बात है फिर सब नॉर्मल हो जाएगा।

ये बस शादी होगी जिसमें कुछ भी नहीं होगा।


मम्मी- मैं ये नहीं कर सकती रिश्ते निभाना होता है शादी मजाक नहीं है।

मैं आप से प्यार करती हूं

मेरे 2 बच्चे है समझें।

पापा- अरे सुनीता मैं भी बहुत प्यार करती हूं पर मजबूर हूं ।

तुम रिश्ते निभाना है वो नहीं होगा शारीरिक संबंध।

हम भरोसेमंद से करेंगे और अभि भी तो होगा वहां मैं बच्चों की जान के लिए ही तो कर रहा हूं ।


मम्मी- (रोते हुए) हे भगवान ये मैं कैसे कर सकती हो आप सोचिये ।

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पापा- मैं जानती हूं सुनीता पर कोई रास्ता नहीं है।

इसलिए मैं मर रहा था और फिर मेरे बच्चे क्या सोचेंगे।

इसलिए करना पड़ रहा है


मम्मी- (रोते हुए अपने बच्चों की जान के लिए) ठीक है पर ऐसा भरोसेमंद व्यक्ति होगा जो अपने बच्चों की लाइफ खराब करेगा


पापा- वो हो गया हमारे अब्दुल का बेटा असलम

मम्मी- चोकते हुए ।

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क्या हमारा असलम आपको पता है आप क्या कह रहे हैं

असलम मेरे बेटे जैसा अभि का बेस्ट फ्रेंड है एक जिस्म 2 जान।

हर बात शेयर करते हैं ।

दूसरी बात मुस्लिम है वो लोग कैसे 3 साल मुस्लिम घर में


पापा- अरे असलम हमारा है तो सेफ है, कोई दिक्कत नहीं होगी समझी क्योंकि अपना बच्चा है ।

मुस्लिम है तो क्या हुआ असलम तुम्हारा मां जैसा सम्मान करता है।

मुस्लिम है तो क्या हुआ सब पागल है तुम खुद उससे बेटा जैसा समझी कभी मुस्लिम सोची हो

मम्मी- हां पर कैसे मुस्लिम घर में और अभि या असलम भी नहीं मानेंगे।

पापा- क्या समझने पर मान जाएंगे जब सिचुएशन पता चलेगी।

बस 3 साल की बात है मैंने मां से बात कर ली।


मम्मी- ठीक है (धीमी आवाज में) पर आपके बिना उस घर के बिना कैसे रहूंगी।
 
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पापा- मैं भी सुनीता पर ये हमारी तपस्या है 3 साल की जुदाई तुम फिक्र मत करो सब ठीक होगा ।

हमें ये सब झलेना है बच्चों के लिए


फिर मम्मी मान जाती हैं दोनों बाहर आ जाते हैं दादी भी चाचा चाची से बात कर लेती हैं

चाचा- पर मां भाभी की शादी अब्दुल के बेटे से क्यों हम हिंदू हैं वो मुस्लिम

दादी- हम्म पर भाई बोला है बस 3 साल की बात है मानी पड़ रहा है मजबूरी है।

चाची - (मन ही मनअच्छा हुआ अब इस घर में मेरा राज होगा भाभी बहुत बोलती थी मुझे अब मुस्लिम की बहू बनेगी)

हम्म भाई साहब सही कहते हैं कोई रास्ता नहीं है तभी तो कर रहे हैं धर्म क्या है बस शादी है 3 साल की बात है।


आईएमजी-20240415-155013-500
चाचा - ठीक है अगर यही है तो

(यहां अब्दुल अपने घर में अपनी बीवी सलमा से बात करता है)

अब्दुल - सलमा साहब को हमारी ज़रूरत है (वो सलमा को वसीयत के बारे में बताता है) इसीलिए मेम साहब की शादी के लिए साहब असलम से कराना चहाते है।

सलमा - अरे ये कैसे हो सकता है असलम छोटा है अभि बेटे का दोस्त है हम मुसलमान हैं वो हिंदू कैसे होगा ये समझ कर भी तो देखना है ना

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अब्दुल- सलमा साहब के कितने अहसान हैं हम पर असलम इतना बड़ा स्कूल छात्रा है अभि बेटे के साथ साहब फ्री देते हैं हमें समान देते हैं मुस्लिम होने पर भी घर में अपने समझते हैं तो हम नहीं कर सकते बस 3 साल की बात


सलमा - मैं समझी हूं उनका अहसान है ।

पर असलम बेटा है हमारा मजहब भी है अगर अगर कुछ हो गया तो तो बाद में कोई असलम को लड़की देगा ।

मैं समझती मैं तैयार हूं पर कुछ मेरी भी शर्त होंगी

अब्दुल- क्या बोलो

सलमा- शादी मुस्लिम तरीके से होगी 3 साल तक सब के सामने मालकिन को नियम माने होंगे

अब्दुल- ठीक है मैं बात ठीक करुंगा

फिर सलमा भी मान जाती है फिर पापा का फ़ोन आता है


पापा- हेलो अब्दुल तुमने सलमा से बात कर ली

छवियाँ-1


अब्दुल- जी साहब वो तैयार है बस कुछ चीजें है वो बताती है अपनी मां साहब घर में बात कर ली


पापा हां कर ली सब मान गए हैं कल तुम सलमा बीबी और असलम को लेकर आ जाओ मां ने शादी की बात करने बुलाया है।

अब्दुल जी साहब हम आ जाएंगे


फिर दोनो फोन रख देते है।
 
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अगले दिन सुबह ग्यारह बजे अब्दुल सलमा, असलम के साथ मेरे घर आ गए,

अभि और असलम को नहीं पता था।

असलम पापा दादी को प्रणाम करके मेरे कमरे में आ गया

अभि - अबे तू आया इतनी सुबह क्या बात है


असलम- अरे मैं अकेला नहीं अम्मी अब्बू भी आए

अभि - अच्छा क्यों क्या बात है तूने कुछ किया क्या

असलम -नही, पर तूम क्या कर रहे थे।

अभि - अरे कुछ नहीं बैठा हूं लैपटॉप में कुछ वीडियो देख रहा हूं

असलम - अच्छा कौन सी वो वाली

अभि - तू भी ना हर वक्त वही लगा रहता है

असलम - हां तू क्यों देखेगा ।

तुझे तो वो अर्बन पसंद है ना क्लास की। बोलता क्यों नहीं उस से

अभि - अरे क्या बोलू एक तो मुस्लिम ऊपर से उसका भाई को पता चला तो लफड़ा

असलम- पता नहीं होगा कुछ काम था तू क्या कर रहा है

असलम- तो क्या हुआ मैं हूं ना तेरे लिए कोई उस मोहल्ले का बोल सकता है क्या

अभि- वो बात नहीं है लेकिन फ्री का इश्यू हो जाएगा पता, ना पिछली बार में रुबीना के चक्कर में तेरे मोहल्ले के सोराब की पीट दिया था ।

तो साला पूरा समाज ले आया था वो तो पापा की पहचान थी पुलिस में तो सब सॉल्व ही हो गया

असलम- पर टेंशन ना ले जो भी है देख लेंगे बात तो कर उसे

अभि- हम्म देखता हूं तू किसी को पसंद करता है।

असलम- तू तो जनता है मुझे बड़ी उम्र की औरतें पसंद है तभी मिलफ वीडियो देखता हूं ।

यार सच में तबियत से देती है, खुदा कसम अगर ऐसी औरत मिल जाए तो मजा जाए।

क्या बदन होता ही एकदम भरा एक बार चढ़ जाओ तो गद्दे की जरूरत नहीं होती

अभि - हम्म जनता हूं पर फिर भी यार कोई लड़की पसंद कर समझा

असलम- देखा है पर मिल्फ़ की बात अलग है तू जनता है

अभि - हम्म ठीक है पर रिस्पेक्ट करना चाहिए ना उनकी

असलम- अरे रिस्पेक्ट अपनी जगह सबकी करता हूं पर दिल को अच्छी लगती है।

रिस्पेक्ट करने के लिए मेरी अम्मी, आंटी अपने घर के लोगों की पूरी करता हूं

अभि- हम्म चल कोई गेम नहीं खेलते हैं

फिर दोनो गेम खेलने लगते हैं


(बाहर सब )


पापा- आओ अब्दुल आओ बैठो ।

दादी-हां अब्दुल बैठो सलमा तुम भी बैठो

अब्दुल- साहब आपके बराबर कैसे

दादी- अरे अब्दुल अब हमारे बराबर ही हो रहे हो बैठो


अब्दुल- ठीक है मांजी

दादी- राधा बहू जाओ नास्ता, लाओ

चाची- जी मांजी (चाची अब इन नोकर के लिए भी नास्ता लाओ)


दादी- अब्दुल तुम्हें तो सब पता है कि क्या बात है तो शादी तो अब होना ही है।

ये शादी वसीयत के लिए है और शर्त तो पता हो सिर्फ 3 साल के लिए

अब्दुल- हां मांजी साहब ने सब बता दिया।

दादी- तो शादी की तारीख 3 दिन बाद निकली है।

तो तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं है।


कोई बात तो बता दो, शादी अच्छे से होगी। क्योंकि सुनीता के घरवाले बहुत बड़े लोग हैं इसी तरह से तो शादी की फ़िक्र मत करो बस शादी अच्छे से अमीर तरीके से ठीक ही है।

अब्दुल- जी मांजी जैसा आप कहे।

सलमा- मांजी हम आपके बोले बिना ही सब कुछ समझ गये, हम सब बात समझ रहे हैं आप हमारे मालिक आपसे ही हमारा घर चलता है पर बात ये है कि शादी जो मुस्लिम तरीके से होगी।

मतलब निकाह होगा।

दादी- क्या बोल रहे हो तुम अब्दुल
अब्दुल- सलमा क्या बोल रही हो।

सलमा- मांजी माफ करना हम मजबूर ही अगर हमने उस तरीके से नहीं किया तो हमें समाज से निकाल देंगे य, हमारे बेटे की दोबारा शादी नहीं होगी इसलिए आप भी समझिए बाकी सब आपके हिसाब से होगा।

दादी- राघव क्या बोलता है

पापा- ठीक है कोई बात नहीं वसीयत में शर्त के लिए तो शादी हो या निकाह

दादी- ठीक है तो अभी सगाई कर देते अंगूठी बदल लेते हैं

अब्दुल- जैसा आप सही समझते दादी

दादी- तुम दोनो ने अपने बेटे से बात कर ली है ना
पापा- अभी कर लेता हूं

अब्दुल- मैं भी कर लेता हूं

पापा- अब्दुल तुम दोनो अभि के कमरे में जाकर असलम से बात कर लो।
अभि को बोलना कि मेंने अपने कमरे में बुलाया है
 
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अब्दुल- हां साहब


अब्दुल और सलमा अभि के कमरे में आते हैं तो अभि ओर असलम दोनों जल्दी से लैपटॉप बंद करते हैं।

अभि - अरे अंकल आंटी आप यहां क्या बात हैं।

अब्दुल- बेटा वो हमें असलम से कुछ बात करनी है तुम्हे भी साहब ने अपने कमरे में बुलाया है

अभि - ठीक है अंकल आप लोग कर लो।

अभि अपने मम्मी पापा के कमरे में चला गया।

अभि - पापा आपने बुलाया मुझे

पापा- हां अभी एक जरूरी बात करनी है (फिर पापा सब शुरू से समझते हैं बताते हैं क्या होना चाहिए)

अभि - क्या पापा ये क्या बोल रहे हैं आप ये नहीं हो सकते मम्मी की शादी कैसे हो सकतीं हैं वो भी मेरे दोस्त से,

पापा- बेटा सब समझ लिया है मज़बूरी है हमारी यही आखिरी रास्ता है ।

सिर्फ वसीयत के लिए बस ३ साल की बात हैं तू भी रहेगा ना।


अभि पर पापा वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है वो बहुत गरीब है।

मम्मी वहा कैसे रहेंगी।

मेरे दोस्त लोग सब मज़ाक बनाएंगे मेरा ,मम्मी की भी उनके समाज में पहचान है।

पापा- बेटा क्या करें मज़बूरी है अब ३ साल तो निभाना होगा, और सच्चाई तो हम लोग जानते है ना कि बस वसीयत के लिए यह सब।

अभि पर मुझे सही नहीं लग रहा है मम्मी आप ही कुछ कहो।

मम्मी- बेटा मैं भी मज़बूरी हूं मानी हु कि बस वसीयत के लिए कुछ नहीं है

असलम तो मेरे बच्चे जैसे है।

अभि; (मन ही मन )मैं अब कैसे समझाऊं मम्मी जिसे आप बच्चा कह रही हैं, वो कैसा मर्द है देखना, वो बच्चा, वो आपको अपने बच्चे की मां बना देगा ।

अभि - ठीक है पर मुझे पता है देखना असलम नहीं मानेगा।

पापा- अब्दुल माना लेगा चलो बाहर सगाई करनी है सुनीता तूम भी चलों।

फिर मैं दुखी होकर बाहर आ जाता हूं ,

मम्मी भी दुखी थी वो जानती थी चाहे शादी वसीयत के लिए हों मगर शादी तो हो रही है तो रिश्ते निभाने होंगे घर से पापा से 3 साल के लिए रिश्ता टूट रहा है)

(असलम को अब्दुल अंकल मेरे कमरे में सब बताते हैं)

असलम- क्या अब्बू आप क्या बोल रहे हैं सुनीता आंटी से निकाह कैसे वो अम्मी की तरह मेरे लिए अभी की मम्मी है।

अब्दुल- बेटा मजबूर है साहब पर मुश्किल यही रास्ता निकला है 3 साल की बात है बस

असलम- (मन में ये तो है कि अभी मेरा सबसे अच्छा दोस्त है, आंटी को मैं अम्मी की तरह ही माना हूं पर ये बात भी है कि आंटी बहुत खूबसूरत है भरी हुई बिलकुल जैसा सोचा था।
3 साल रिश्ते में बेगम होगी मेरी क्या पता कुछ हो जाए। पर अभि मेरा दोस्त है ये भी गलत है दोस्ती अपनी जगह हम हमेशा दोस्त रहेगा क्या)

असलम - अबू क्या आंटी मान गई है।

अब्दुल- हम्म बेटा

असलम- ठीक ही जैसा आप बोले।

फिर असलम अब्दुल और सलमा साथ बाहर आ जाता है।
 
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