अभि - अंकल ने कहा है असलम को रहना होगा यहां मैं बाहर हाल में सो रहा हूं समान रखनें आया था।
मम्मी- क्या तू सोफे पर कैसे सोएगा तू यहां सो जा मैं बाहर सो जाऊंगी।
अभि - अरे मम्मी अंकल बोले कि मैं उनके कमरे में सो जाऊं पर मैंने सोचा मेरे करण 3 लाग बाहर सोये ठीक नहीं है इसीलिए मैं बोल रहा हूं मैं बाहर सो जाता हूं।
मम्मी- मेरा बेटा कितना अच्छा है आज सोफे पर सो जा अभी मैं बोल नहीं सकती, कल कुछ करती हूं।
यही हूं कुछ भी हो आवाज लगाना,
अभि - हां मम्मी ये मेरे कपड़े हैं बैग और लैपटॉप है आप कपड़े ठीक से लागा देना।
मम्मी- अच्छा ठीक है, मैं इनको यहां कमरे में ही लगा देती हूं फिर मम्मी मेरे कपड़े लगा को देती है मैं मम्मी को बोल बाहर आ जाता हूं, मम्मी भी मेरे साथ कमरे से बाहर निकल आई थी
असलम- आ गया सामान रख कर, मैं तो अब भी बोल रहा हूं तू सो जा अंदर पर बुआ और बाकी आदमी नहीं मान रहे।
अभि- कोई नहीं मेरा लैपटॉप अंदर चार्ज लगा देना।
असलम- ठीक है
असलम की बुआ मम्मी से तूम असलम साथ में अपने कमरे में चलो।
असलम की बुआ- असलम थोड़ा अंदर आ।
असलम- हां बुआ आया जी बुआ बोलिए।
बुआ- असलम देख अब तेरा निकाह हो गया है
असलम- हां बुआ जानता हूं
बुआ- तो अब सुनीता तेरी आंटी नहीं तेरी बेगम है, तेरी आज सुहागरात है जानता नहीं क्या करते है सुहागरात में,
असलम- पर ये सब शादी वसीयत के कारण हुई है, वो आंटी है मेरी सबसे अच्छी दोस्त की मम्मी है और वो भी यहीं है।
बुआ- वो सब जो है था, मगर निकाह हुआ है तो निभाना ही है तो जा सुहागरात मना कर निकाह मुक्कमल कर
असलम की बुआ ने असलम ओर मम्मी दोनों को रोका,
असलम की बुआ- बहूं रुकों जरा तो सुनीता रुक गयी
तो असलम की बुआ ने अपने पास से एक कोंडोम पैकेट निकाल कर सुनीता की ओर बढ़ा कर बोली,
सुनीता जब तक तुम दोनों इस रिश्ते को निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाते,
मैं समझती हूं कि सुनीता तुमको असलम को अपने तालाब में डुबकी लगाने से पहले इस गुब्बारे का उद्देश्य पूरा करना चाहिए।
वो क्या है ना असलम अभी जवान है इसके बिना कुछ किया तुम दोनो ने रिश्ते आगे नहीं बढ़ाया तो फिर कुछ गड़बड़ हो सकती है
बुआ ने गुब्बारे का इस्तमाल कहा पहले तो सुनीता को समझ नहीं आया की बुआ गुब्बारे के इस्तमाल की बात क्यों कर रही थी,
पर जब ध्यान तो देखा तो बुआ जिसे गुब्बारे बोली रहीं थीं दरअसल वो कंडोम था।
आज गुब्बारे का इस्तमाल सुनीता पर होना था ये देख बड़ा आश्चर्य हुआ,
असलम की बुआ के हाथ से वो कंडोम का पैकेट लेने में सुनीता हिचक ने लगी,
और धीरे से बोली, असलम को दे दीजियेगा।
सुनीता ने असलम को कंडोम देने की बात एक तरह से कह दी,
सुनीता शरमाती हुई वहां से जाने लगी तो असलम पीछे मुड़कर सुनीता को जाते देखने लगा।
असलम की आंखे सुनीता की फुटबॉल जैसी बड़ी गांड पर थी
तो असलम की बुआ ने असलम की चोरी पकड़ते बोली क्या देख रहे हो
असलम शरमाते हुए; जी कुछ नहीं बुआ
असलम की बुआ;अरे शरमाते क्यों हो अच्छे से देखो मस्त है ना
असलम; जी बुआ
असलम की बुआ; क्या लगता है तुम्हें क्या साइज होगा 34 या 36
असलम; नहीं बुआ सुनीता के पिछवाड़े का 34 36 नहीं ही बाल्की 38 है,
असलम की बुआ, अच्छा इतनी बड़ी है असलम मियां इसको सिर्फ देखो ही या खेलोगे भी इन फुटबॉल से आज की रात तुम्हारी ही है जम कर खेलो वैसे अभी सुनीता की पिछवाड़े की नाथ उतारी नहीं है,
फिर असलम की बुआ ने कोंडोम का वो पैकेट असलम को पकड़ा दिया ओर असलम से बोली;
सुनीता के तालाब में उतरने से पहले गुब्बारे का इस्तमाल जरूर कर लेना,
जब तक तुम दोनो इस रिश्ते को 3 साल बाद आगे के लिए राजी नहीं होते जब तुम दोनों को लगे कि तुम दोनों इस रिश्ते को आगे बढ़ा सकते हो तो फिर इसका इस्तमाल बंद कर सकते हो,
बच्चे का प्लान कर सकते हो वो क्या है ना अगर अभी इस के बिना तुम दोनों ने कुछ किया तो असलम सुनीता मां बन सकती है,
असलम की बुआ ने असलम को अपनी बेगम के पीछे भेज दिया।
असलम की जिस तरह तुमने वसीयत के लिए 3 साल की शर्त पर सब के सामने अपनी मर्दानगी दिखाई थी,
उसी तरह से सुनीता को अपनी मर्दानगी तुम सुनीता को बिस्तर पर अपनी मर्दानगी दिखाओ,
फिर वह हमेशा के लिए तुम्हारी हो जाएगी,
फिर असलम की बुआ ने असलम को सुनीता के कमरे के बहार तक छोड़ दिया,
कमरे में सुनीता असलम का इंतज़ार कर रही थी,
असलम-(मन ही मन मैं तो चाहता है पर ये भी है आंटी है अभि की मम्मी है पर तो मस्त मेरे सपनों की हूर सुहागरात हो तो मज़े ही मज़े हैं)
असलम- अब्बू आप ही बोलो ना कुछ,
अब्दुल- तू बुआ की बात पर ध्यान मत देना, अब टाइम हो गया है तो जा मेम साहब भी इंतज़ार कर रही होगी।
असलम- हां अब्बू मैं जा रहा हूं ।
सब लड़के की तरह असलम भी सोचने लगा कि वो अपने कमरे जाए उसकी बेगम भी दूसरी औरतों की तरह सुहाग की सेज पर घूंघट में बैठी उसका इंतज़ार कर रही होगी।
मैं जा कर बड़े प्यार से अपनी बेगम का घूंघट हटाऊंगा।
अपनी गोरी बेगम का चांद सा चेहरे देख कर उसके लाल रसीले होंठों का रस निचोड़ डालूंगा।
ये सोचते हुए असलम अभि को बोल के कमरे में चला जाता है, ओर दरवाजा बंद करके लेता है।
असलम देखता है (उसके सपनों की हूर परी अभि की मम्मी बैठी है कमरे में)
असलम- आंटी आप अभी तक बैठी हो सोई नहीं
सुनीता- अरे मैं सोचती तुम आ जाओ तो फिर सोते हैं
असलम- जी आंटी सॉरी वो अब्बू ओर बुआ के कारण मुझे यही सोना होगा ओर अभि को बाहर सोना पड़ रहा है।
सुनीता- हम्म समझती हूं बेटा, पर क्या करें अब सच भी यही है कि शादी हुई है, रिश्ते में तूम मेरे शौहर ओर मैं बेगम हूं, तो निभाना तो होगा ना।
असलम- मतलब आंटी
सुनीता- मतलब बेटा की रिश्ता निभाना होगा जो भी हो, हम सबके सामने पति पत्नि के फ़र्ज़ निभायेगें,
बाकी सिर्फ एक चीज़ नहीं होगी बाकी सब ठीक है।
असलम- ठीक है आंटी अभि मेरा दोस्त है, और आप उसकी मम्मी हो,
सब के सामने आप मेरी बेगम हो,
सुनीता- हां तभी तो बोल रही हूं कि सबके सामने मैं तुम्हारी बेगम हूं बाकी तो हमें पता है अभि को भी पता है।
असलम- ठीक है आंटी जैसा आप कहो मैं ऐसा करता हूं मैं नीचे सो जाता हूं आप ऊपर सो जाओ।
सुनीता- अरे उसकी कोई जरूरत नहीं है तुम भी ऊपर ही सो जाओ कुछ नहीं होता है,
देखो हमारे कारण तुम कभी भी किसी की बात में आ कर अभि के साथ अपने चीज खराब मत करना,
असलम- जी आंटी अभी मेरा भाई जैसा हमेशा रहेगा मुझे भी बुरा लग रहा है उसके पास इतने पैसे है पर वो ऐसे रह रहा है।
सुनीता- हम्म क्या करें चलो सो जाते बहुत रात हो गई है, अभि को तो शायद ही नींद आयेगी,
मैं थोड़ी थक गई हूं मुझे तो आ रही है, पर कितनी गर्मी है ये पंखा भी कितना धीरे चल रहा है तेज़ नहीं होता क्या पसीने से भीग गई हूं।
असलम- हम्म आंटी ये खराब है ठीक करवा देंगे अब्बू से बोल कर आप एक काम करो कुछ हल्की साड़ी पहन लो इतने बारी लहंगे चोली में नींद नहीं आएगी,
सुनीता- हम्म ठीक है मैं बदल कर लेती हूं
असलम- मेरी बाहर चला जाता हूं
सुनीता- नहीं ठीक है बस तुम दूसरी तरफ मुंह कर लो बस
असलम- ठीक है आंटी
सुनीता कपड़े बदलने लगती है,
असलम जैसे ही मुंह करके खड़ा होता है, उसे कंट्रोल नहीं होता तो हल्का सा मुड़ कर देखता है तो सुनीता लेंसी ब्रा पेंटी में दिखती है ,
असलम नज़ारा देख गर्म हो जाता है क्योंकि वह पहली बार यह नजारा देखा रहा था,
तभी उसे अपने सामने छोटा सा आईना दिखाता है जिसमें सुनीता असलम को साफ दिखा रही थी
सुनीता गोरी चिकनी पीठ के नीचे सुनीता के बड़े बड़े चूतड़ और चूतड़ों पर काले रंग की डिजाइनर पेन्टी फंसी हुई थी जिसमें से सुनीता की फूली हुई चुत साफ़ दिखाई दे रही थी
सुनीता को इस हाल में देख कर असलम का लंड खड़ा हो गया तो उसने अपने लंड को दबा लेता ही कहीं सुनीता देख देख ना ले
सुनीता साड़ी चेंज करके
सुनीता- असलम पलट जाओ चलो सो जाते हैं
वैसे आज पहली बार था सुनीता अपने पति के इलावा किसी दूसरे मर्द के सामने इस हालत में मेरे कपड़े उतारे थे खैर अब तो रोज ही ये सब करना था,
असलम सुनीता को देख (मन में सोचता है आंटी सच में क्या है उफ्फ इतनी खूबसूरत भारी हुई है)
सुनीता- असलम चलों अब सो जाओ।
असलम- हम्म जी आंटी चलिए
अब सुनीता जैसा गरम माल किसी जवान मर्द के साथ एक ही बेंड पर इतना चिपक कर सोये, तो उस मर्द का क्या हाल होगा।
उसका लंड तो एकदम बांस जैसा हो जाएगा,
सुनीता- हम्म तो सो जाते हैं बहुत गर्मी नींद भी आ रही है क्या करें पसीने से भीग गई हूं,
मम्मी सो जाती है पसीने से भीगी हुई,
असलम भी लेट जाता है, पर उसके दिमाग बहुत कुछ चल रहा है, सुनीता के बाजू लेटते ही उसका लंड खड़ा हो गया,
क्योंकि सुनीता है ही ऐसी बड़े बूब पकड़ जैसे भारी हुई पूरी कोई बाजू लेट के कंट्रोल कैसे करे,
सुनीता तो लेटते ही सो गई ,
सुनीता की पीठ असलम की तरफ से ही जो पसीने से भीगी हुई,
असलम सुनीता की पीठ के पास मुंह लेकर जाता ही असलम उफ्फ बेगम की क्या पीठ है क्या खुशबू पसीने की ओ-आह,
तूम अभि की मम्मी ही नहीं मेरी बेगम भी हो , अब कंट्रोल नहीं हो सकता किसी से नहीं होगा,जब हुस्न की परी बाजू लेती हो आह, उफ्फ पसीने की खुशबू बेकाबू कर रही है,
असलम मम्मी के पसीने की खुशबू लेते ही सपनों की दुनिया मी खो जाता वो सपने में देखता है ,
सुनीता खुद असलम के ऊपर आ कर खुद असलम को अपनी बाहों में भर कर असलम की आंखों में आंखे डाल कर,
क्या हुआ सो रहे हो आज हमारी सुहागरात है सुहागरात मुझे भला कोई सोता है ,
सुहागरात में तो मर्द अपनी बीवी को प्यार करता है और सुनीता ने खुद असलम के होंठों पर अपने होंठ रख चुमती है
असलम मेरे सोहर सरकार मेरे सरताज करो ना प्यार अपनी सुनीता को असलम,
सुनीता असलम को अपने पास देख कर मुस्कराती हुई , असलम की ओर देख कर, क्या कह रही थी बुआ जी,
असलम - जी कुछ नहीं बस ये पैकेट दिया है,
सुनीता वो मुझे पता ही था और जो कहा था वो भी सुना और धीरे से बोली, रूम में चले फिर , अभी कुछ देर यहीं तो असलम थोड़ा डर कर इधर उधर देखने लगा तो सुनीता ने एक अदा से शरमा कर
अपनी आंखें झुका कर धीरे से क्या कहते हैं चले कमरे में तो असलम सुनीता की बात सुन कर पीछे से सुनीता के साथ बैठ कर अपने खड़े लंड को
सुनीता की गांड पर रगड़ते बोला, जैसा आप कहें बेगम साहिबा, सुनीता असलम के आगे बेडरूम की ओर चलने लगी,
असलम और सुनीता बेडरूम के दरवाजे पर आ कर रुक गया तो सुनीता भी असलम के पीछे पीछे आ कर उसके पीछे दरवाजे पर खड़ी हो गई,
असलम की नजर उस बेडरूम में पड़े बेड पर थी
सुनीता सरमाते हुए अपनी मदक निगाहे असलम की ओर थोड़ा सा उठा कर
पसंद नहीं आया मैंने खुद सजाया है तो जवाब में असलम हकलाता बोला ऐसी बात नहीं बेगम हमारी औकात कहां।
सुनीता ऐसा क्यों सोच रहे हैं अब इस बिस्तर पर आपका ही हक है
असलम- सच सुनीता बेगम, और सुनीता का चेहरा उठा कर
सिर्फ इस बिस्तर पर सुनीता बेगम आप पर नहीं। बेड की साथ साथ खुद पर अपने हक की बात सुन सुनीता शरमा कर मुस्कुराने लगी
असलम- बेगम बताओ ना बिस्तर पर साथ आप पर हक है ना
सुनीता- जी खड़े क्यों ही आप अभि के अब्बू, और सुनीता इतना बोल शर्माने लगी,
इतना सुनते ही असलम धीरे धीरे चलते हुए बेड के पास आ गया,
मुझे प्यास लगी है मैं अभी आती हूं।
इतना कहकर सुनीता कमरे से बाहर निकल आई,
पायल छनकाती और चूड़ियां खनकती, किचन में पानी पीने के बाद सुनीता अपने सुहाग सेज के गेट के बाहर खड़ी थी...
सुनीता वापस आ कर बिस्तर के एक कोने में बैठ गई। भले ही सुनीता जानती थी कि इस बंद कमरे में उसके साथ क्या होने वाला है,
सुनीता भी इसके लिए तैयार थी पर एक औरत की शर्म उसे रोक रही थी,
असलम तो दीवानो की तरह ताकते हुए सुनीता को ही निहार रहा था,
आखिर असलम बोला,
असलम- सुनीता बेगम यहां आइए ना तो जवाब सुनीता असलम के करीब आ कर अपना सर असलम के कंधे पर रख दिया।
आज बरसो बाद सुनीता ने अपने सर किसी मर्द के मज़बूत कंधो पर रखा था।
असलम के कंधे पर अपनी सर रखे सुनीता असलम से बोली,
असलम जी आप जीवन भर मेरा साथ दोगे ना मुझे धोखा तो नहीं दोगे बड़ी अकेली हूं,
असलम थोड़ा रोमांटिक होकर सुनीता को अपने से अलग करता है,
सुनीता जो असलम का जवाब सुन ने के लिए अपनी आंखे नीचे किये मुस्करा रही थी,
असलम अपने चेहरे को सुनीता के चेहरे के करीब ले जाते बोला, बेगम आपको लगता ही है कि मैं अपनी बेगम को धोखा दूंगा, 3 साल नहीं मैं तो हमेशा के लिए अभि का अब्बू बनना चाहता हूं,
जिसकी बेगम इतनी गोरी चिट्टी सुंदर हो
असलम ने अपना चेहरा सुनीता के गालों के करीब ले जाकर बड़ी हिम्मत करके उस के होंठों को चूम लिया,
वैसे बेगम जितना मैंने आपके बारे में सोचा था आप उस से काफी ज़्यादा सुंदर हो,
सुनीता- मुस्कुरा कर अच्छा मैं आपको इतनी सुन्दर लगती हूं तो पहले बताया क्यों नहीं
असलम डर लगता था
असलम ने सुनीता आंखों को देख कर अब अपने होठों को सुनीता के गालों पर रख कर चूमते बोला,
अब प्यार, सच में सुनीता बेगम आप बहुत ही प्यारी हैं।
दिल करता ही बस आप को प्यार करता ही रहूं
सुनीता असलम की बांहों, थोड़ा प्यार भरा गुस्सा दिखा कर
झूठे अगर इतनी प्यारी लगती हूं तो डरना कैसा कर दो प्यार मैंने रोका है
आप तो मुझे प्यार करने की बजाए माधुरी दीक्षित को अपनी मानते हो,
असलम - बेगम आप तो माधुरी दीक्षित से भी ज़्यादा सुंदर और प्यारी लगती हो, बेगम आपके बगल में तो माधुरी दीक्षित कुछ नहीं है, इक दम मक्खन के जैसे मुलायम मुलायम,
ये सुन कर सुनीता ने अपनी बाहें असलम के गले डाल दी,
अपने चिकने मुलायम गालों को असलम के गालों से रगड़ने हुए असलम के कान के पास अपने होठ ले जाकर धीरे से बोली,
असलम अपनी बेगम को जम कर प्यार कीजिये बरसो से इस प्यार के लिए तड़प रही हूं मिटा दीजियेगा अपनी बेगम की बरसो की तड़प और अपनी चूत को असलम के लंड पर घिसते हुए कर बोली..
असलम अपने होठों से सुनीता के होठों को कस कर चुसते हुए हुए
किसी फिल्मी हीरो की तरह सुनीता का चेहरा पकड़ अपनी ओर घुमाते हुए
बोला, सुनीता बेगम आप को हमारा इस तरह चूमी लेनी अच्छा नहीं लगा।
चुम्मी लेने की बात सुन कर सुनीता थोड़ा मुस्कुराई थोड़ा शर्म करो
अगर अच्छा नहीं लगता तो अभि के अब्बू आपके साथ इस कमरे में होती,
असलम अगर अच्छा लगा तो आप दीजियेगा ना चुम्मी और सुनीता को अपनी बांहों में भर लिया तो सुनीता असलम की बांहों में मचलते हुए बडे ही कामुक अंदाज़ में बोली, आपको मना कब किया है चुम्मा लेने से,
वो तो आप इतना जोर से करते ही सांस भी नहीं लेने देते
असलम थोड़ा फिल्मी अंदाज़ में बोला,
सुनीता, मज़ा तो जोर से ही करने में आता है औरत को भी मर्द को भी, क्या आपको हमारा जोर से करना अच्छा नहीं लगा।
असलम- वैसे सुनीता आप जैसी खूबसूरत लुगाई इस तरह किसी मर्द के साथ अकेले बंद कमरे में हो तो मैं क्या वो कंट्रोल कर पाएंगे,
सुनीता; अपनी जुल्फें को ठीक करते हुए प्यार से
मैंने कंट्रोल करने को कब कहा है,
इतना सुनते ही असलम सुनीता के उपर चढ़ उसके रसीले होंठों को चूसने लगा जबरदस्त चुम्बन चलने लगे दोनो के बीच...
सुनीता भी अटैक कर रही थी असलम के होंठो पर..
असलम ने सुनीता को अपनी बाहों में भर लिया और असलम ने सुनीता को,
सुनीता- अभि के अब्बू ,
अभि के अब्बू कुछ चूभ रहा है,
असलम- क्या चूभ रहा है बेगम,
सुनीता- हम्म सरमाते हुए बोली पता नहीं,
असलम कंडोम का पैकेट निकाल सुनीता से बोला ये चुभ रहा था मैं इसे वहां टेबल पर रख कर आता हूं,
कंडोम का पैकेट बिस्तर से दूर रखने का सुन सुनीता कामुक नजर उठा कर असलम की ओर देख कर
इसको इस्तमाल करने के टाइम क्या इसे वहां से लेने जायेंगे उस समय तो आप को इतना जोश चढ़ा होगा की इसको चढ़ाये बिना ही मुझ पर,
इतना बोल कर सुनीता शर्म से चुप हो गयी
असलम सुनीता को इस हद तक आगे बढ़ा देख, जोश में भर गया और सुनीता को अपनी बाहों में भर गालों को चुसते बोला,
बताइये ना बेगम इसको बिना चढ़ाये आप पर,.....? क्या
सुनीता भी बड़े ही कामुक नज़रों से असलम को देख कर बोली
पुछ तो ऐसे रहे हो जैसे जानते ही नहीं हो,
असलम भी अब रोमांटिक होते हुए जनता हूं, अभि की मम्मी फिर भी आपके मुंह से सुन ना चाहता हूं बताए ना कि इस गुब्बारे को चढ़ाए बिना आप पर,
सुनीता; शरमाते मुस्कुराते मुझे शर्म आती है,
असलम सुनीता के गालों को चूमते बताओ ना सुनीता बेगम
तो सुनीता बोली कान में बताऊंगी, और असलम के गले लग गई,
असलम के कान में धीरे से बोली,
असलम मेरे शौहर इस गुब्बारे को चढ़ाए बिना ही मुझ पर चढ़ जाएंगे और फिर अपने मुसल की पिचकारियां अपनी बेगम की बच्चेदानी के अंदर गिराएंगे,
सुनीता मुझे दीजिए मैं इसको बेड की साइड टेबल पर रख देती हूं जब आपको इसका इस्तमाल करना हो तो यहां से ले लीजिए और कंडोम का पैकेट असलम से लेकर बेड की साइड टेबल पर रख दिया,
कंडोम इस्तमाल की बात करके एक तरह से सुनीता ने पूरी तरह असलम को चोदने का ग्रीन सिग्नल दे दिया था,
असलम आखिर मर्द था सुनीता का इस तरह से उसे ग्रीन सिग्नल देना उसकी मर्दानगी को ललकारने जैसा था,
वह सुनीता के बिल्कुल नजदीक बैठा बोला, सुनीता मैंने आज से पहले कभी इसका इस्तमाल नहीं किया,
मैं नहीं जनता की इसका इस्तमाल कैसे किया जाता है ही आप इसका इस्तमाल करना सिखा दोगी
और सुनीता के गालों के पास अपने होठों ले जा कर बोलो ना सिखा दोगी ना इसका इस्तमाल करना, और सुनीता के गाल हो चूम लिया तो सुनीता भी मुस्करा पड़ी,
असलम बेगम बताओ ना कैसे इस्तमाल करते ही इस गुब्बारे को,
सुनीता को असलम बांहों और असलम की बातों में मजा आ रहा था,
जब असलम ने बार बार पूछा तो सुनीता शरमाते हुए बोली इसको निकाल कर चढ़ा लेते हैं
असलम किस पर चढ़ते हैं
सुनीता; अपने केले पर और सरमाते हुए अपना मुंह घुमा लिया,
असलम- सुनीता बेगम इतने छोटे से गुब्बारे में आ जाएगा वो तो कितना लंबा, मोटा होता है कैसे एक में जाएगा क्या दो को मिलाकर चढ़ाते हैं
सुनीता- नहीं एक में ही जितना लंबा या मोटा क्यों ना हो आ जाता है,
असलम- बेगम पर इस को लोड़े पर चढ़ाना ही क्यों क्या इस को चढ़ाने पर मजा जायदा मिलता है
सुनीता- ऐसी बात नहीं वो क्या ही इस को लगाने से आप मर्दों का हमारे अंदर नहीं गिरता और वो इस मैं गिरता है इसीलिए
असलम- सुनीता अगर हमारा आपके अंदर गिरेगा तो क्या होगा,
सुनीता भी अब थोड़ा खुल कर ज़्यादा तो कुछ नहीं होगा, और अपने पेंट की ओर कर इशारे से बोली,
बस कल से बड़ा सा पेट ले कर घूमूंगी,
असलम- सुनीता बेगम तो फिर आप नहीं चाहती कि हम आपके अंदर गिराये,
सुनीता मुस्करा गिरा लेना पर अभी तुम्हारी बुआ ने कहा इसको चढ़ा कर, मुस्कराती हुई बोली
असलम अच्छा तो बेगम तो फिर आज आप ही चढ़ा दीजिए मेरे केले पर राघव सहाब के भी तो आप ही चढ़ती होगी वैसे सुनीता को चढ़ा कर करने में मजा कहां आता होगा मजा तो इसको बिना चढ़ाने में आता है,
सुनीता- धत्त
असलम मैंने आपकी चुम्मी ली तो आपको मजा आया,
तो सुनीता शर्मिंदा होकर अपना चेहरा झुका लिया
असलम चुम्मी तो मुंह में मुंह डालकर ही लेने में मजा आता है जैसे मैंने आपकी ली
सुनीता- शर्म से चुप
असलम सुनीता से- बेगम तुम्हारे होंठों के साथ-साथ तुम्हारे संतरे भी बहुत मस्त है और कितने रसीले भी
सुनीता असलम की बात सुन कर मुस्करा अच्छा,
असलम- सुनीता तुमने इसको साड़ी के नीचे छुपा कर रखा है खोल दो ना
सुनीता भी असलम की बातें में मस्त हो बोली,
सुनीता; सिर्फ साड़ी ही खोलेंगे आप,
तो असलम सुनीता के गालों की पप्पी लेते हुए सुनीता के कान को दांतों से काटता हुआ बोला साड़ी ही क्यों सब कुछ खोलूंगा,
असलम सुनीता को को पीछे से अपनी बाहों में भर कर सुनीता के गले को चूमते हुए अपने हाथ को सुनीता के बगीचे
पर फिरने लगा तो सुनीता असलम की बांहों से निकाल कर, असलम की ओर देख सरमाते हुए मुस्कुरा रही थी,
असलम ने सुनीता के हाथ पकड़ कर बेंड से उठा और उनकी साड़ी उतार के जमीन के ऊपर फेंक दी...
सुनीता अब बस ब्लाउज पेटीकोट में खड़ी थी असलम के सामने...
असलम ने सुनीता को पिछे से पकड़ गर्दन पर चुम्बन की बरसात कर दी,
और साथ ही सुनीता की बड़ी बड़ी चूचियां दबाने लगा।
सुनीता; आह... क्या कर रहे हो.. आह...
सुनीता कुछ बोल पाती इसके पहले ही असलम ने पीछे से अपने दोनो हाथों से सुनीता को जकड़ लिया, और अपने होंठों को सुनीता की गर्दन पर रख कर चूमते अपने हाथो को उसके बदन पर घुमाने लगा,
बेगम आज की रात तो हमारी सुहागरात है मिलन की रात है, इस असलम को अपनी बेगम को प्यार करने की इजाजत है,
असलम- सुनीता बेगम अभी तक एकदम कच्ची कली हो मुझे नहीं लगता कि राघव सहाब तुम्हें अच्छे से प्यार किया हों।
तुम्हारी जैसी कच्ची कली को मेरे जैसा मर्द ही मज़े दे सकते है,
असलम- मेरी सपनों की रानी हो, अपनी जवानी के इस अनमोल खजाने को मेरे हाथों में शोप दो तुम्हारी इस जवानी को और निखार दूंगा,
आज तुम्हे कच्ची कली से औरत बना दूंगा। असलम के दोनों हाथ सुनीता चूचियों पर चल रहे थे।
असलम- (अपने बिस्तर की ओर इशारा करते हुए) बोलो सुनीता इसी बिस्तर पर हम दोनों निकाह मुक्कमल करें सुहाग की सेज पर ,
सुनीता भी शरमा कर,
सुनीता; बाहर अभि सोया हुआ है उसे पता चल जाएगा,
असलम- सुनीता बेगम अभि सो रहा है अभि का नया अब्बू अपनी बेगम को प्यार करना है।
असलम सुनीता से फ़िर से पुछता है
असलम- क्या यही इस सुहाग की सेज पर, सुनीता बेगम क्या मुझे अभि का अब्बू बने की इजाज़त है।
सुनीता- थोड़ा शर्मा कर, हां इजाज़त है,
असलम- सुनीता बेगम बढ़िया है मेरी खोली में मेरी खटिया पर आज रात मेरी बेगम का घूंघट ओर टांगें फैला कर सुनीता बेगम के उपर चढूंगा या बेगम असलम के उपर चढ़ेगी।
सुनीता- हम्म (शर्माने लगी)
असलम- आज देखा हूं की पलंग जल्दी चू चू करता है या तूम,
सुनीता शरमा कर पलंग का तो पता नहीं मैं जरूर चू चू चू करूंगी।
असलम सुनीता के ऊपर चढ़ सुनीता के चेहरे से अपना चहेरा रगड़ते हुए, गर्दन को चूमते बोला, सुनीता बेगम क्या मैं तुम्हारी इस मदमस्त जवानी को आज रात चख सकता हूं
सुनीता भी अब तक गर्म भी हो गयी, इस समय कैसे इंकार कर सकती थी तो खुद मस्ती के घोड़े पर सवार थी मस्ती के नशे में बिगड़ती बोली, असलम मियां अभि के अब्बू, आपको रोक कह रही हूं,
असलम- तो सुनीता बेगम तो तुम मेरी सपनों में खोना चहाती हो।
अपनी बनियान उतार कर,
फिर अपनी लुंगी को खोल कर फेंक दी
असलम का एकदम नंगा उसके बदन पर बस कच्छा बचा था और कच्छे में असलम का लंड खड़ा हो कर झूलता दिखा रहा था,
असलम ने बड़े ही प्यार से अपने कच्छे के उपर से ही अपने पर लंड हाथ फेरते हुए अपना कच्छा नीचे कर दिया
सुनीता बिस्तर पर लेट गई बड़े कामुक नज़रों से असलम के लौड़े को निहार रही थी,
असलम नंगा होकर वहीं बेंड पर सुनीता के ऊपर सवार हो गया।
उसी पल असलम की नींद खुल गई उस ने अपनी गांड पास से देखा उसकी बगल में सुनीता सो रही थी,
सुनीता की गांड असलम के लंड के साथ चिपकी हुई थी
असलम हिम्मत करके सुनीता की पसीने वाली पीठ चूम लेता है
असलम के शरीर में करंट दौड़ जाता है पहली बार उसने किसी औरत को छुआ था,
सुनीता गहरी नींद में थी तो उन्हें नहीं पता चला
असलम- आह क्या पीठ है उफ्फ क्या स्वाद है पसीने का अब नहीं रहता और वो पीठ को चूमने चाटने लगता है,
सुनीता गहरी नींद में थी तो उन्हें ज्यादा समझ नहीं आता तो असलम हिम्मत बढ़ती जाती है
असलम- आह सुनीता माफ़ करना पर अब आप मेरी बेगम हो, ओर आप जैसी खुबसूरत बेगम को शायद ही कोई बिना चोदे छोड़ सकता है,
मैं कंट्रोल नहीं कर सकता उम्म-उम्म आह क्या पसीना है आपका ,
माफ़ करना अभि पर अब नहीं हो रहा सुनीता जैसी खुबसूरत बेगम किसी मर्द के पहलू में हो कोई मर्द उसकी जवानी को ना चखे ये तो उस मर्द की मर्दानगी का अपमान होगा उम्मउम्म्म्मउम्म
सुनीता नींद में थी तो सीधी लेट जाती है जिसकी सुनीता के पहाड़ की चोटी जैसी चूचियां ऊपर होती है असलम देख के एक्साइटेड हो जाता है
असलम- आ आह क्या दूध है बेगम के उफ्फ इतने बड़े-बड़े संतरे,
असलम सुनीता की साड़ी का पल्लू हटा देता है, सुनीता का ब्लाउज पसीने से लथपथ था
सुनीता की पहाड़ जैसी चूचियां कुछ बाहर दिख रही थी ओर चेहरा भी बहुत खूबसूरत प्यारा लग रहा था
असलम ये सब देख कर अब कंट्रोल नहीं कर सकते था,
असलम- ओह उफ्फ बेगम आह ये चेहरा मासा अल्लाह कितना खुश आ आह पसीने में क्या खुशबू आ रही है उफ्फ,
असलम ने सुनीता का माथा चुम्मा और बोला माफ़ करना अभि,
असलम सुनीता की गर्दन चूमते हुए सुनीता का पसीना चाटने लगता है ,
उम्म उम्म उम्म आह उम्म क्या खुशबू आ रही है
( सुनीता नींद में असलम को राघव समझ रही थी)
असलम- बेगम अभी आपकी चुम्मी ही ली है तो आप इतना शर्मा रही हैं अभी तो आपका बहुत कुछ लेना है
असलम अब अपने को रोक नहीं सका, सुनीता ने अपनी पहाड़ जैसी चूचियों को साड़ी के पल्लू से ढक रखा था,
असलम अपने एक हाथ की मम्मी का पल्लू मम्मी की पहाड़ जैसी चुचियों से हटाने लगा
सुनीता के ब्लाउज में कैद चुचियों को देख असलम खुद से कंट्रोल ना कर पाया और सुनीता की चुचिया जो थोड़ी बाहर नंगी दिख रही थी वहां अपने होठों को रगड़ने लगा
तो जवाब में सुनीता ने भी अपनी बाहें असलम के बदन पर कस उसके बदन पर फिरती हुई अपने बदन पर कसने लगी
सुनीता असलम को उत्तेजित करने के इरादे से जोर से आआ ...
उई माँआआआआआआआआआआआआ बस करो बोल रही थी, साथ में असलम को अपने बदन पर कस भी रही थी।
असलम सुनीता के ऊपर से उठा और बराबर लेट कर सुनीता के होंठो को चूमते हुए सुनीता की पहाड़ जैसी चूचियों को अपनी मुट्ठी में भर कर किसी हॉर्न की दबाने लगा
असलम- सुनीता बेगम कितनी टाइट चूंचियां है इन पहाड़ जैसी चूचियों कितना रस भरा है,
असलम और सुनीता के साथ दोनो एक दूसरे की बांहों में बाहें, मुंह में मुंह डाले एक दूसरे को चूम रहे थे ।
असलम सुनीता के मुंह में मुंह डाले,
सुनीता की साड़ी को पेटीकोट के साथ ऊपर सरका रहा था,
सुनीता की गोरी चिकनी जांघें जो दूधिया रोशनी में चमक रही थी साड़ी के हटते ही असलम की आंखों के सामने थी,
सुनीता के बड़े-बड़े पहाड़ जैसे चूतड़ जिस पर काले रंग की लेक्सी पेंटी चढ़ी हुई थी उस पर असलम ने अपने हाथ को सुनीता के चूतड़ पर रख कर उसे मसलना शुरू कर दिया, असलम का हाथ सीधे सुनीता की चूत पर पहुंच गया,
कुछ देर ऐसा करने के बाद असलम थोड़ा सा ऊपर उठा और सुनीता के चेहरे को देखने लगा,
सुनीता का चेहरा उस समय गर्म होकर एक दम लाल टमाटर के जैसा हो गया था,
असलम ने अपनी दोनो बांहों का हार डाल सुनीता की गर्दन में डाल सुनीता के ऊपर झुकने लगा
असलम ने सुनीता के होंठो को चूम लिया और जैसे ही असलम के होंठ सुनीता के नाज़ुक होंठो से मिले सुनीता ने भी असलम को अपनी बाहों में कस लिया
सुनीता खुद असलम होंठो चूसने लगी
असलम सुनीता के होंठो को चूसते अपने हाथ को नीचे खिसका कर सुनीता की कड़क चुची पर रख कर दबाने लगा तो सुनीता ने ओर जोर से असलम के होंठो को कस लिया आआ ...उम्मम्म उम्म
असलम धीरे से सुनीता के ब्लाउज के हुक खोलने लगा,
असलम सुनीता की ब्रा में कैद हुई बड़ी बड़ी चूचियों को देख के असलम और भी गरम हो जाता है क्योंकि पहली बार ये नज़ारा देख रहा था असल में किसी औरत का,
असलम- आह ओह क्या गोरे कितने बड़े दूध आ आह सुनीता उफ्फ़ विश्वास नहीं हो रहा ये मेरे सामने है आह ,,
असलम ब्रा में कैद इतने बड़े हैं जब खुलेंगे तो कितने बड़े होंगे आह ,
सुनीता गहरी नींद में लम्बी लम्बी सांस ले रही है
सुनीता- (नींद में) आह्ह उम्म अभि के पापा ओह क्या कर रहे हो
सोने दो उफ्फ़ आप भी ना आह उउउउउउहहहहहह (सुनीता नींद में असलम को राघव समझ रही होती है)
वैसे सुनीता अब कुछ गलत थोड़े ही कह रही थी असलम को अभि का पापा ही तो बोल रही थी।
असलम अब एक तरह से अभि बाप बन चुका था सुनीता से निकाह करके
असलम- लगता ही सुनीता बेगम मुझे अंकल समझ रही है आआह्ह उम्म्म उम्म पर अब ३ साल में शौहर हूं अंकल नहीं,
सुनीता; आआह्ह आह्ह उम्म्म उउउउईईईईईईईई
फिर असलम अपनी शर्ट उतार देता है
और सुनीता की पीठ को चूमते ऊपर की ओर जाने लगा
असलम कुछ देर सुनीता के ऊपर चढ़ सुनीता की पीठ को चूमता नीचे आया
और सुनीता की साड़ी ऊपर सरकाना शुरु कर दिया,
सुनीता की गोरी चिकनी जांघ देख कर तो असलम पागल हो उठा,
असलम के हाथ सुनीता की जांघो पर फिसलते हुए सुनीता के अनमोल खजाने की ओर बढ़ाने लगे,
असलम के हाथ सुनीता की चड्डी में फंसा कर उसकी फूली हुई चूत पर पहुंच गया,
सुनीता की चूत उस समय काम रस छोड़ रही थी असलम की उंगली पर सुनीता की चूत का पानी लग चुका था।
असलम सुनीता को आह भरते हुए देख बहुत मस्त हो रहा था, असलम की उंगली अब सुनीता की पेन्टी की आउटलाइन में चल रही थी।
असलम ने सुनीता के पहाड़ जैसे चूतड, और बड़ी-बड़ी चूचियां को देख-देख पागल हो गया था,
अब असलम को सुनीता की सबसे कीमती चीज़ उसकी चूत को चाटना बाकी था,
असलम ने सुनीता की पेन्टी उतारने में अब और देरी नहीं करनी थी, उसकी आंखों में सुनीता की चूत देखने की ललक साफ़ दिखाई दे रही थी,
असलम ने बिना कोई वक्त गंवाए सुनीता की पेंटी की आउटलाइन में अपनी उंगली को फंसाया और सुनीता की पेन्टी उतारने लगा,
सुनीता की पेंटी अब उसके पहाड़ जैसे चूतड़ों और चिकनी टांगों का साथ छोड़ चुकी थी,
जब असलम ने सुनीता की चूत को देखा तो असलम जैसे अपनी सुध बुध ही खो बैठा, असलम की आंखों के सामने सुनीता की एकदम गुलाबी होंठ वालीं चिकनी चूत थी,
सुनीता ने निकाह के लिए अपनी चूत को चिकना करके रखा था
असलम- आह ये होती है वो चीज़ जिसके लिए हर लंड खड़ा होता है आह आज ये मेरी होगी उम्म
सुनीता की चिकनी गुलाबी होंठ और फूली हुई चूत असलम की आंखों के सामने थी
असलम की आंख फटी की फटी रह गई पहली बार असल में चूत देख रहा था,
असलम; आह उउउउउउहहहहहह तो ये होती है चूत आह उम्म इतनी सुंदर और कितनी साफ है,
सुनीता की चूत बहुत चिकनी है लगता है सुनीता अपनी चूत की झांटे बनती है उफ्फ़
असलम ने बिना एक पल गंवाए अपने होठों को सुनीता की गुलाबी होंठो वालीं चिकनी चूत पर रख सुनीता की चूत को चाटने लगा,
असलम की जीभ सुनीता की चूत छूते ही सुनीता की नींद में एक बांध पकड़ जाती है, आह आह अभि के पापा ओह ओह आआआआआहह उउउउउउहहहहहह
आआह्हआह्ह अभि के पापा उफ्फ मत करो ओह आह्ह आप भी ना आआह्ह,
असलम को सुनीता की ये सिसकियां सुन और भी जोश में आ जाता है,
असलम अब वो कहां मानने वाला था, फिर असलम सुनीता की चूत को चूमने चाटने लगता है
सुनीता हल्की-हल्की सिसकियां ले रही होती है
सुनीता- आआह्ह आह्ह अभि के पापा आह्ह उम्म उम्म आह्ह
असलम सुनीता की चूत चट रहा होता है बीच-बीच में मोटी गोरी जांघों को भी उम्म उम्म सुरप सुरप सुरप उम्म क्या चूत है
सुनीता भी नींद में बहुत गर्म हो गई थी क्योंकि राघव कभी सुनीता की चूत को नहीं चाटा था।
सुनीता असलम की चूत चटवाई से सिसकियां ले रही थी,
तो सुनीता भी नीचे से अपनी चूतड़ों को उछालने लगी ,
सुनीता झड़ने वाली थी,
सुनीता के हाथ खुद पर खुद असलम के सर पर पहुंच असलम के सर को पकड़ कर अपनी चूतड़ों को उछालने के साथ असलम के सिर को आपनी चूत पर दबाने लगी,
असलम ने सुनीता की गुलाबी होंठ वालीं चूत को ओर तेजी से चाटना शुरू कर दिया,
अचानक से सुनीता झड़ गई,
उनकी चूत से पानी की धार निकली, जो असलम के मुंह, होंठ पुरे चहरे पर फेल गयी
आआह्ह आह चूत से काम रस छूटते ही सुनीता उनकी नींद खुल गई आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अभि के पापा,
जब सुनीता ने असलम का मुंह देखा तो सुनीता को सब याद आ गया,
सुनीता ने जैसा देखा कि उनका ब्लाउज खुला हुआ है ,
उसकी पेन्टी उनके पैरों से निकल कर ज़मीन पर थी, असलम के होंठो पर सुनीता की गुलाबी होंठ वालीं चूत से चिपके हुए थे,
असलम के होंठों पर सुनीता की चूत का रस लगा हुआ है, असलम उसे धीरे से चाट रहा है,
असलम की चूत चटाई से सुनीता बहुत गर्म थी पर खुद पर कंट्रोल करते हुए हुई अपनी साड़ी नीचे कर, असलम को दूर करके अपनी साड़ी का पल्लू ली