अब्दुल फिर अंदर आ गए पापा से साहब आप से एक बात करनी है।
पापा; हा हा बोलो अब्दुल
अब्दुल; साहब आप जानते ही हैं ये निकाह सिर्फ सिर्फ दिखावे के लिए ही पर लोग जो निकाह में आएंगे वो तो नहीं जानते अगर उन्हें ये पता चले तो मोहल्ले में हमारी इज्जत चली जाएगी।
पापा; मैं समझ सकता हूं किसी को इसके बारे में, मुझे पता नहीं चलेगा आखिर हम दोनों की इज्जत का सवाल है।
अब्दुल; साहब हम सब जानते ही हैं कि यह निकाह किस मज़बूरी में हो रहा है।
मेम साहब को इस निकाह से दुखी हैं, पर वो क्या है निकाह में मेम साहब थोड़ा खुश रहेगी, तो आप समझ रहे हैं।
पापा; मैं समझ सकता हूं तुम उसकी चिंता मत करो, चलों अब सगाई कर देते हैं।
दादी- तो सगाई की रस्म शुरू करे राधा बहू दोनो को अंगूठी दे दो
चाची- जी मां अभी लाई, ये लिजिए भाभी, ये लो असलम
मैं सोचा रहा था कि असलम कैसे मान गया गुस्सा भी आ रहा था पर कुछ बोल नहीं सकता था, सबके सामने
मम्मी पापा को देखती है कि ये सब झलेना है , अब दूसरा रिश्ता जुड़ रहा है, मम्मी की आंख नम थी।
असलम थोड़ा कन्फ्यूज है की आंटी है अभि की मम्मी है, अंदर थोड़ा खुश भी थी कि एक खूबसूरत भरे बदन की औरत उसकी बेगम बनेंगी।
सलमा - असलम मालकिन को अंगूठी पहनाओ।
असलम- हम्म अम्मी ( असलम मम्मी को अंगूठी पहना देता है)
दादी- सुनीता तुम भी असलम को पहनो,
मम्मी थोड़ी झिझक महसूस कर रही थी, आंखें नम थी।
मम्मी ने फिर अपने बेटे की उम्र के असलम को अंगूठी पहना दी, जो अभि का बेस्ट फ्रेंड है जल ही उसका शौहर होगा।
चाची- मुबारक हो सगाई हो गई।
चाचा- चुप
दादी- तो सगाई हो गई शादी की तैयारी करो, शादी अच्छे से होगी पैसे की फिक्र मत करो ।
राघव अब्दुल को शादी के लिए पैसे से दो,
पापा- जी मां अब्दुल ऑफिस से सब बिल पास करा लेना।
अब्दुल जी साहब
दादी- कल सुनीता बहू के घरवाले भी आ जाएंगे आप लोग बस 3 दिन बाद बारात लेकर आ जाना ठीक है
अब्दुल- जी मांजी सब कर लेंगे अब हमें आज्ञा दीजिए
दादी- ठीक है नमस्ते
अब्दुल- जी नमस्ते असलम चलो घर बहुत काम है।
अभि- आंटी मुझे कुछ स्कूल का काम है असलम थोड़ी देर बाद आ जाएगा आप लोग जाओ।
सलमा- पर बेटा टाइम काम है बहुत काम है
अब्दुल- अरे रहने दो आ जाएगा ३० मिनट में आ जाना असलम ठीक है अब तुम यहां नहीं आ सकते शादी तक ।
असलम- हां अब्बू
फिर अब्दुल और सलमा अपने घर चले जाते हैं, मम्मी भी कमरे में जाकर अपना सामान पैक करने लगती हैं ।
असलम मेरे कमरे में आता है कमरा बंद कर के।
अभि- मैं असलम को एक मुक्का मारता हूं ।
असलम- अबे ये क्या कर रहा है
अभि- एक ओर मुक्का मरता हूं अबे तूने क्यों किया बे, सब जानते हुएं भी।
असलम- अबे बात तो सुन अब्बू ने सब समझा था, वसीयत की वजह से तेरे परिवार के लिए अगर पैसे नहीं आये तो तेरे परिवार की जान को खतरा है।
अभि- पर मम्मी की शादी तूम से स्कूल में सब जगह मजाक उड़ायेगें, तू भी तो उस टाइप औरत पसंद है।
असलम- अबे सिर्फ वसीयत के लिए है, लोग तो बोले रहेंगे हम मिल के सॉल्व कर लेंगे भाई।
मैं मेरी आंटी की बहुत रिस्पेक्ट करता हूं अम्मी की तरह है, ये बात तो है कि आंटी बहुत खूबसूरत है पर ख़ूबसूरत तो मेरी अम्मी भी है मैं उनकी भी रिस्पेक्ट करता हूं।
3 साल की बात है तू फिक्र मत कर तू भी तो होगा ना मेरे घर में।
अभी - ठीक है पर देख जो भी हो तू बदलना नहीं समझा
असलम - हम्म भाई ये भी कोई कहने की बात है चल मैं घर जाता हूं ।
अम्मी अबू तो चले गए, तो में भी चलता हूं, फिर असलम चला गया।
मैंने एक बात नोटिस की जब से मम्मी से असलम की सगाई हुई थी असलम का लौड़ा
मम्मी अपने कमरे में पैकिंग कर रही होती हैं, सन्ध्या दीदी के कमरे में शिफ्ट होने के लिए, तभी पापा कमरे में आते हैं,
पापा- सुनीता सॉरी यार और थैंक यू अपने इस त्याग के लिए मैंने तुझे बहुत दुख दिया, ये जुदाई बस 3 साल की है फिर हम साथ ही हैं।
मम्मी- रोते हुए पापा के गले लग जाती हैं, वो मैं कैसे रहूंगी अपनों से दूर इस घर से, एक नये रिश्ते को एक नये धर्म में जाकर कैसे,
पापा- बस ये समझ लो हम दोनों की परीक्षा है सुनीता
मम्मी- हम्म ठीक है, पर मैं मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोगों से तब क्या होंगे इज्जत चली जाएगी बच्चों का भी सब खराब होगा संध्या तो अभी लंदन में है, जब वो आएगी तो उससे भी कैसा लगेगा।
पापा- सब ठीक होगा 3 साल बाद हम दोनों आपने परिवार सहित इस शहर से शिफ्ट हो जाएंगे।
मम्मी- ठीक है इस कमरे को आखिर बार देख लूं बहुत यादें हैं इसमें हमारी अब 3 साल बाद ही होंगे।
पापा; सुनीता एक बात और है कल निकाह में प्लीज ये अपना दुख छुपा लेना,
क्योंकि निकाह में तुम यही चेहरा ले कर जाओगी तो लोग क्या कहेंगे समझ रही हो ना।
मम्मी; जी वो तो ही हम अपनी कुर्बानी को यू ही बेकार तो नहीं देंगे या (फिर मम्मी शिफ्ट हो जाती है दीदी के कमरे में)
यहां दादी सबको शादी का काम लगा देती है, शादी की तैयारी जोर जो चल रही थी,
अब्दुल के घर में भी मम्मी पापा थे मैं भी परेशान थी वही असलम थोड़ा दुखी था,
या खुश भी की इतनी खूबसूरत औरत मेरी बेगम होगी चाहे शादी का कोई भी कारण ही क्यों ना हो ।
उधर असलम अपने घर पर एक कोने में लेटा था, उसकी आंखों के सामने बार - बार अभि की मम्मी (यानि उसकी बेगम) का चेहरा सामने आ रहा था, हंसते हुए
मुस्कुराता चेहरा सामने आ रहा था, जब असलम से रहा नहीं गया तो असलम ने अपने मोबाइल से अपनी होने वाली बेगम (अभि की मम्मी ) की तस्वीर निकाल कर उसे देखने लगा। असलम को मानो ऐसा लग रहा था जैसे अभि की मम्मी साक्षात उसके सामने ही बैठी हो।
आँखों से ही बात कर रही हो,
अभि की मम्मी; हाय दैया ऐसे क्या देख रहे हैं, जैसे पहले कभी देखे ही नहीं हो अब ऐसे देखोगे मुझे शर्म आती है अब बस बी करो ना।
और असलम को देखते हुए मम्मी शर्माने लगी।
ये सोचते ही असलम का लंड उसके कच्चे में खड़ा हो गया उसने जल्दी से अपनी लुंगी खोल दीं और अपनी होने वाली बेगम (अभि की मम्मी ) की पिक्चर को देखकर कच्चे के ऊपर से आपने लन्ड को सहलाने लगा,
असलम लंड को सहलाने लगा उस समय असलम का लंबा लन्ड कहा माने वाला था वो तो बगावत के लिए तैयार था, फिर असलम ने अपने कच्छे को उतार अपने मुस्लिम लन्ड बाहर निकाल दिया।
असलम का लंबा लन्ड ऐसे खड़ा देख
मम्मी तो ऐसे मुंह झुकायें खड़ी मुस्करा रही थी।
जैसा आंखों ही आंखों में पुछ रहीं हों हाय दैया रे इतना बड़ा और
मानो मम्मी ने अभी तक सच में असलम का लंड देख रही हो।
असलम भी मम्मी की तस्वीर से बात करता हुआ, बेगम देखो ना इसकी तरफ
तो मम्मी मुंह झुकाये
बस मुस्करा रही थी
असलम; अभी शरमा लो अब तीन साल तो बेगम तुम्हें इसी ही देखना है इसी खोली में,
इसी बिस्तर में मेरे साथ तब देखोगी की नहीं और अपने लंड को अपने हाथ में दबाये ऊपर नीचे करने लगा।
तो मम्मी मानो ऐसे बोल रही है।
तब काहे नहीं देखेंगे अपने मर्द का हम तो देखेंगे भी खेलेंगे-कूदेंगे इस डन्डे से,
फिर खुद ही शर्मा कर है दैया हमारे मर्द का कितना लंबा ओर मोटा है हमरी तो रसभरी फाड़ देगा ।
अपना काला मुस्टंडा लंड हिलाते - हिलाते असलम बेंड पर उल्टा लेट गया और मम्मी की तस्वीर को सामने रख कर अपनी कमर को धीरे-धीरे गोल घुमाने लगा ओर धक्के लगाने लगा मानो की असल का लंड मम्मी की चुत में फंसा हुआ है।
असलम को ऐसे अपनी कमर चलते देख मम्मी मनो बोली,
दैया तुम तो हमें पेलने के लिए प्रैक्टिस शुरू कर दी है,
असलम तो तकिये के ऊपर चढ़ अपनी कमर को तेज़ तेज़ चलने लगा
तकिये ऐसी हालत देख मम्मी बोली,
हाय दैया रे बाप रे बाप, तकिये की क्या हालत कर रहे हैं ,जब मैं इसके नीचे पड़ी हूंगी तब मेरी क्या हालत करेगा।
असलम बहुत ही तूफानी गति से अपनी कमर चला रहा था।
जैसे उसका माल निकलने वाला हो कुछ ही मिनट में असलम के लंड का सब्र का बांध टूट गया जो माल उसे मम्मी के अंदर डालना था वो असलम ने उड़ेल दिया।
असलम जब शांत हुआ मम्मी की तस्वीर को देखते हुए तो मम्मी से बोला,
बेगम देखना निकाह के बाद आपको ऐसे ही पेलूंगा बोलिये ना पिलवाओगी ना मुझसे ऐसे।
मम्मी ; हाय दईया ये कैसी बात कर रहे हैं
और मुस्कुरा कर , हम तो कहते हैं निकाह के बाद हमें
इस से भी बुरी तरह पेलना, और मम्मी ने असलम को देख मुस्कुराने लगी।
आँखो के इशारों-इशारों से कह रहीं हों हाय रे, समझें कि नहीं,
बीवी को उसका मर्द नहीं पेलेगा तो कौन पेलेगा,
ऐसे ही सोचते - सोचते रात गुज़र गई।
फिर शादी का दिन आ जाता है सारे मेहमान , रिश्तेदार आ गए , नाना नानी, मामा मामी बाकी सब भी,
नानी को भी ये अच्छा नहीं लग रहा था ना ही मामा को पर मजबूरी थी, मम्मी भी बहुत दुखी थी क्या कर सकती थी उन्हें पता है कि आज वो 3 साल के लिए एक नए रिश्ते बंध रही ये घर छोड़ के जाना होगा,
समाज रिश्तेदार भी बोल रहे हैं कि क्या हो रहा है ये पर अब तो होना ही था पापा भी मजबूरी में सब कर रहे थे।
मम्मी को दुल्हन की तरह सजाया गया हाथों में असलम के नाम की मेहंदी पूरे बदन को एक दम चिकना बना दिया था।
दादी पापा के कहने पर मम्मी अपने चेहरे पर एक मुस्कान लिए हुई थी।
आज मम्मी भी अपने सारे दुख भुला पर लोगों को दिखाने के लिए अपने होठों पर मुस्कान ले आई थी।
दुल्हन के जैसे ही मम्मी के चेहरे पर शर्म की लाली थी,
फिर बारात आ जाती है बारात बहुत अच्छे से आई होती है क्योंकि इसमें सब झलेना है और पैसा दिए थे ओर बोले थे,
तो सलमा और अब्दुल भी जनता है सब पर खुश भी थे, कि इतने अच्छे से बारातियों का स्वागत करते हुआ, शादी ही रही समाज में रोब बन रहा है।
बारात में सारे मोहल्ले के लोग आए उसके मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोग, ये लोग पहली बार इतनी बड़ी शादी में आए थे सब नाच गा रहे थे असलम भी खुश ही था, कि इतने अच्छे से शादी हो रही थी फिर बारात दरवाजे पर आ गई
दादी- (नाना -नानी से) अरे बारात आ गई समधन समधी जी स्वागत करिए बारात का , आप मां बाप है सुनीता बहू के ,
सब आपको ही करना है।
नाना - हम्म समधन जी , नानी बहू थाली लाओ, बेटा, उतारों असलम बेटे को घोड़ी से
मामा- जी मां (फिर मामा असलम को घोड़ी से उतर दरवाजे पर आ जाता है
नानी- आइये सलमा जी आइये
सलमा- जी समधन जी
असलम की बुआ- अरे भाई - भाभी अब आपनी समधन से अच्छे से मिलो क्यों भाईजान
अब्दुल- हम्म ठीक ही जो भी ही चलो आगे का करते हैं मांजी अंदर चले
दादी- हम्मा आओ अंदर आओ सब का स्वागत है
(असलम ओर सारे बाराती अंदर आते हैं सब चोक जाते हैं कि इतनी शान असलम तो बड़े घर में गया है उनको थोड़ा सब पता था)
मैं भी साइड में खड़ा था क्या बोलता मेरे स्कूल के कुछ दोस्त भी बारात में आए थे कुछ असलम के मोहल्ले के लड़के मैं छूट रहा था उन से।
असलम- अभि कहीं नहीं दिखायी नहीं दे रहा कहा है कहीं आया ही ना हो,
समझ नहीं सकता हूं उसकी भी बुरा लगता होगा दोस्त मेरे,
फिर असलम कॉल करता है अभि कहां है तू दिख नहीं रहा
अभि - यही हू बस काम कर रहा हूं
असलम- तू ठीक है ना
अभि - हम्म ठीक हूं
असलम- सॉरी भाई समझ सकता हूं क्या सोच रहा होगा,
ये तू भी जानता है कि ये निकाह सिर्फ किस लिए हो रहा है 3 साल की बात है कुछ नहीं बदलने वाला उस सब से,
अभि - हम्म लेकिन समझ सकता हूं थोड़ा तो टाइम लगेगा,
असलम- हम्म समझता हूं कहा है तू ,
तू मेरा बेस्ट फ्रेंड है मेरे साथ बैठ मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा ये लोग बकवास कर रहे हैं, तू रहेगा तो नहीं आएंगे मेरे पास
अभि - ठीक है आता है फिर मैं आ जाता हूं सब खाना खा रहे होते हैं
असलम- सॉरी भाई
अभि- हम्म ठीक है कोई बात नहीं वसीयत के लिए 3 साल की बात है।
असलम- हम्म सही कहा अच्छा हुआ तू आ गया अजीब लग रहा था ये मोहल्ले के दोस्त बकवास चीज बोल रहे थे अजीब लग रहा था।
अभि- हम्म ठीक है बस अच्छा लग रहा है तेरे मोहल्ले के मेहमान थोड़े लो ग्रेड बिहेव कर रहे हैं।
असलम- पहली बार इतनी बड़ी शानदार शादी देख रहे हैं ना
अभि- हम्म मोहल्ले के यार तो ठीक है पर तुम ने तो यहां स्कूल और ट्यूशन के दोस्तो को भी बुलाया है।
मुझे राज, अली, रवि किशन दिखाई दिये।
असलम- मैंने नहीं बुलाया साले खुद आ गए
अभि- हम्म फिर भी यार समझ नहीं आया रहा है अच्छा बस पेपर ही बचे हैं स्कूल तो जा ही नहीं सकता।
असलम- हम्म सब जल्दी से खत्म हो बस इसलिए सब नॉर्मल है तेरी फैमिली से खतरा टले।
प्रॉपर्टी तो तेरे नाम होगी ना सुना है अब्बू से मैंने 3 साल बाद आधी अंकल के नाम पर
अभि - मुझे ज्यादा नहीं पता इस बारे में,
असलम- मैंने सब पता किया भाई अंकल की कंपनी पर 500 करोड़ का कर्ज है तेरे नाम 1000 करोड़ होंगे तो तू अमीर हो जाएगा, खुद के पैसे
अभि - हम्म ऐसे पैसे काम के लिए है पापा का कर्ज खत्म हो फैमिली सिक्योर हो ये 3 साल का खत्म हो सब फिर से नॉर्मल हो।
मौलवी- अब्दुल निकाह का वक्त आ गया है बुलाओ दूल्हा-दुल्हन को।
अब्दुल- जी मौलवी साहब
अब्दुल- पापा, दादी से कहता है कि निकाह का वक्त हो गया है मालकिन को बुलाओ
दादी - बहू जाओ सुनीता बहू को ले आओ।
चाची- जी मांजी
(चलो अब 3 साल आराम से इस घर में मेरा राज कोई नहीं होगा डांटने वाला नहीं भाभी बड़ी बनती थी अब मुसलमान के गरीब घर में मुसलमान की बीवी कहलाएगी ।
क्योंकि 3 साल बाद तो पहले जैसा नियम का हवाला नहीं दे पाएगी। ३ साल मुस्लिम मर्द के नीचे रहेगी, वो इज्जत थोड़े ही रहेगी बस अभि का बुरा लग रहा है उससे भी उस गरीब घर में रहना होगा )
उधर मम्मी के कमरे में।
(मम्मी कमरे में मम्मी मामी के साथ तैयार बैठी थी चुप)
चाची - भाभी चलिये निकाह का वक्त हो गया बुलाया है आपको
फिर मम्मी धीरे से आंख के आंसू पूछती है फिर मामी चाची मम्मी को लेकर आ जाते हैं
मोलवी- ये निकाह हो रहा है तो असलम तुम्हारे सुनीता के साथ निकाह कबूल है।
क्या तुम सुनीता को अपनी बेगम कबूल करते हो।
असलम- सोचता है पहले (कि उफ़ आंटी क्या लग रही है बिल्कुल परी वो सब वीडियो की हीरोइन फेल है पर आंटी मेरी शादी हो रही है पर वजह पता है वफादारी भी है पर फिर भी ये हुस्न की परी मेरे कमरे में मेरे बिस्तर पर मेरे साथ होगी, क्या मैं वफ़ा निभा सकूंगा मुझे तो नहीं लगता, वैसे रिस्पेक्ट करता हूं आंटी की अभि की मम्मी है )
असलम की बुआ - असलम - असलम क्या सोच रहा है बोलो कबूल है
सलमा - हम्म बेटा बोलो
असलम- मुझे देखता है मैं खड़ा हुआ था चुप फिर मम्मी को देख के धीरे से (कबूल है कबूल है कबूल है)
असलम के बोलते ही उसकी तरफके लोग मुबारक हो मुबारक हो कहने लगते हैं।
मौलवी ( मम्मी की ओर देख )
मौलवी - सुनीता तुम्हें अब्दुल के बेटे असलम के साथ निकाह कबूल है
(मम्मी चुप चाप थी उनको सब याद आ रहा है इतने साल सब कुछ सोच रही होती है, कि आज ३ साल के लिए नए रिश्ते, नए घर, नयी संस्कृति कैसे)
मौलवी- ज़ोर से सुनीता तुम्हें असलम के साथ निकाह कबूल है।
दादी- सुनीता बहू बेटी बोलो,
मम्मी की आंखें भरी हुई होती है भारी मन से (कबूल है कबूल है कबूल है)
इतना कहकर मम्मी सर झुका कर चुप हो जाती है उन्हें पता था क्या हुआ है
मेरी भी आंख में पानी आ गया, पापा भी रोने लगे पर क्या कर सकते थे।
जैसे ही मम्मी ने कबूल कहा तभी मम्मी के साथ बैठी औरते खुशी से दुल्हन को निकाह की मुबारकबाद देने लगतीं हैं।
मौलवी- मुबारक हो अब आप दोनो मिया बीवी हुए , निकाह हो गया।
फिर मम्मी ओर असलम की हिंदू तरीके से शादी हुई क्योंकि मम्मी को बुरा ना लगे
नानी मम्मी को घर के मंदिर ले गई और असलम मेरे पास आया
असलम- भाई सॉरी मैं समझ सकता हूं
अभी - हम्म ठीक है अब जो भी हो ३ साल ये है
नानी मम्मी को पूजा करा के बैठ जाती हैं
नानी - बेटी माफ़ कर दे तेरे पापा के कारण ये हुआ वो वसीयत लिखें पर बदले नहीं पर और ये ३ साल की बात ही बेटी ,
मम्मी (दुखी मन से) हम्म मम्मी
नानी - सुनीता वो सुहागरात तो तुम नहीं करोगी पर बाकी पत्नी धर्म तो निभाना होगा ना घर का काम दांव सब।
नानी - हम्म ठीक है इतने में मामी आती हैं,
मामी - मां दीदी को बाहर बुला रहे हैं, विदाई का वक्त हो गया है।
मम्मी बाहर आ जाती है जहाँ वकील होता है,
वकील - हम्म तो राघव की वसीयत की शर्त हो गई है तो आधी प्रॉपर्टी और पैसे आपके बेटे अभिराज (अभि ) का नाम कर रहे हैं ठीक है,
वकील - पहले सुनीता जी और आप साइन कर दीजिए मम्मी साइन कर देती हैं आखिर इसी के लिए तो यह शादी हुई है।
वकील- थैंक यू अब असलम तुम भी साइन करो यहां पति वाले मैं
असलम- (अब्दुल को देखता है) अब्बू
अब्दुल- असलम कर दो साइन
फिर असलम भी साइन कर देता है
वकील- ठीक है आप दोनो के हो गए अब अभि बेटा तुम भी यहां साइन करो अपनी ज़ायदाद संभालों।
मैं पापा और मम्मी को देखता हूं साइन कर देता हूं।
वकील- और ये 1000 करोड़ की ज़ायदाद अभिराज (अभि ) की हुई मुबारक हो।
अब बाकी की आधी प्रॉपर्टी 3 साल बाद आपके नाम होगी।
राघव जी ३ साल से पहले शादी खत्म नहीं हो सकती वरना आपके ऊपर उल्टा केस होगा बाकी सब प्रॉपर्टी सीज हो जायेगी और जो भी इन सब में जो लोग इस मामले में हैं सब को सज़ा होगी।
अगर आप चाहो तो 3 साल बाद तलाक ले सकते हो या जारी रख सकते हो ।
अच्छा अब मैं चलता हूं ये बोलवकील चला जाता है ।
सलमा- अब्दुल से क्या मतलब की 3 साल बाद चाहे तो हमेशा के लिए शादी जारी रख कर सकते हैं।
अब्दुल- देखो जो है 3 साल की बात है बस चलो अब बाकी का करते हैं,
सलमा- पर 3 साल के बाद हमें क्या मिलेगा असलम की तो जिंदगी खराब होगी इसी वजह से।
अब्दुल- हमें मालिक के लिए अपना फर्ज निभाना है समझी ओर क्या चाहिए।
पापा सब बात सून रहे थे,
पापा- अब्दुल सुनो मैं एक बात बोलना भूल गया था कि मैं अभी असलम को 5 करोड़ और 3 साल के बाद 5 करोड़ ओर दूंगा।
अब्दुल साहब इसकी कोई जरूरत नहीं है, वह सलमा बस असलम के लिए फिक्रमंद है,
पापा अरे ऐसा कुछ नहीं है, तुम जो कर रहे हो, बहुत कम है चलो अब कुछ मत बोलना ।
फिर पापा चले जाते हैं।
अब्दुल- सलमा से देखा सुन लिया अब खुश हो 5 करोड़ अब 5 करोड़ 3 साल बाद
सलमा- 10 करोड़ हम तो अपने मोहल्ले और समाज में बहुत अमीर ही जाएंगे , चलिए बिदाई का वक्त हो गया है
फिर बिदाई होने लगती है और मैं भी बारात के साथ मम्मी और असलम के साथ उसके घर जाता हूं
मम्मी की बिदाई हो जाती है ओर गाड़ी में हम असलम के घर जा रहे होते हैं,
जैसे ही असलम के मोहल्ले में घुसते हैं जो एक मुस्लिम बस्ती होती है थोड़ी गंदगी भी थी हम खुद पहली बार आए थे यहां बहुत अजीब लग रहा था ।
मम्मी भी ये सब पहली बार देख रही थीं फिर हम एक छोटे से कच्चे घर के सामने रुके
अब्दुल- आइये मेम सहाब घर आ गया।
असलम की बुआ- क्या बोल रहे हो भाई जान मेम साहब अब ये असलम की बेगम है।
अब्दुल- जो भी हो है तो मेम साहब ही ना तुम चुप रहो, मम्मी ओर असलम उतरे मैंने भी देखा तो एक छोटा कच्चा घर है ,
असलम का घर देख मम्मी भी अंदर से शॉक्ड थी मैं भी, कि यहां कैसे रहेंगे ऊपर से सब मुस्लिम लोग,
अब्दुल- सलमा अंदर से आई हम अंदर से आ जाते हैं , घर ज्यादा बड़ा नहीं पर ठीक ही था एक छोटा सा हॉल एक किचन ले दो छोटे कमरे।
मम्मी ओर असलम को साथ बैठा दिया , मेरे बाजू में बैठ गया सारे मोहल्ले के लोग घर भर गया था।
पड़ोसी जुबेदा- अरे सलमा आपा बहू तो काफी खूबसूरती और भारी हुई है मुबारक हो बेटे की शादी की,
सलमा - शुक्रिया
मोहल्ले का दोस्त - असलम भाभी जान तो बहुत खूबसूरत और भारी हुई है बहुत नसीब वाले हो अब तो मज़े है,
असलम ने कुछ नहीं बोला
पड़ोसी रुखसाना ; बहू की उमर थोड़ी बड़ी लग रही है
पड़ोसी फ़रीदा- बहन ये इश्क का मामला है और तुम तो जानो ही इश्क-विश्क के मामले में आज कल किसी की सुनते ही कहा है
पड़ोसी जुबीदा - ठीक कहती हो बहन ये मुहा इश्क होता ही नामुराद ऐसा है, वैसे बहन असलम ने लड़की तो बड़ी जोरदार पटाई है।
फिर जुबीदा असलम को छेड़ते हुए क्यों असलम मियां बहू के साथ कब से तेरा इलू- इलू चल रहा था ये सुन कर मम्मी ओर असलम दोनो शर्म से पानी- पानी हो रहें थे।
रुखसाना; अरे अपनी खाला से क्या शरमाना अब देखो कैसे शरमा रहे हैं जब बहू से प्यार कर रहा था, तब तो नहीं शरमा रहा था,
कब से चल रहा था ये चक्कर कितने साल से बता सिर्फ प्यार की बातें ही की या कुछ किया भी है।
असलम क्या बोलता,
अब्दुल- अरे सब हो गया सब अब जाओ रात हो गई सब थक गए होंगे तो कल मिलते है