जब वो नॉर्मल हुए तो सुनीता असलम के ऊपर से उतरी तो असलम का लंड सुनीता की चूत से बाहर निकल गया,
असलम के लंड पर अभी ही कंडोम चढ़ा हुआ था और वो आधे से ज्यादा वीर्य से भरा हुआ था,
सुनीता असलम से मुस्कुराती हुई बोली, अब इसको तो उतार कर फेंक दीजिए या फिर इसे चढ़ाएं ही रखना है
हाय अल्लाह असलम सुनीता का हाथ पकड़ इसे चढ़ाने की और उतारने की जिम्मेवारी अब तुम्हारी है,
सुनीता ने भी मुस्कराते हुए असलम के लंड से वीर्य से भरा कंडोम उतारा और वहीं बिस्तर की तरफ रखें डस्टबिन में फेंक दिया
उस दिन सुनीता और असलम के बीच 3 धमाकेदार राउंड हुए,
सुनीता और असलम दोनों ही बुरी तरह थके हुए थे
उन दोनों में अब जरा भी हिम्मत नहीं थी उठने की पर असलम का मन अभी पूरी तरह से भरा नहीं था, जिसका सिग्नल असलम का हथियार अपना फन उठा कर दे रहा था,
सुनीता जानती थी अगर वो एक राउंड ओर असलम के साथ खेलने लग गई तो काफी देर हो जाएगी क्योंकि 6 बज रहे थे,
अभि कभी भी आ सकता था,
सुनीता असलम से लिपटी उनके गाल, होंठ और गर्दन पर चुमती अपने हाथ को असलम के लंड पर ले जा कर उसे सहलाती बोली,
उठना नहीं है आपको, इसे देख कर तो नहीं लगता कि ये मुझे उठने देगा, तो असलम वापस सुनीता को अपनी बाहों में भर उसके होठों को चूमते हुए बोला,
कौन कमबख़्त उठाना चाहेगा मैं तो सोचता हूं कि अब सारी जिंदगी तुम्हारी बाहों में ऐसे ही गुजर दू।
सुनीता असलम की बांहों से निकल कर उठ जायेंगे 6 बज रहे हैं अभि आता ही होगा आप को जो करना है रात में कर लिजियेगा,
असलम अपने लंड को सहलाते हुए ये देखो ना ये फिर से खड़ा हो गया है
तो सुनीता भी बहुत ही कामुक तरीके से मुस्कुरा कर, असलम की आंखों देख कर मुस्कुराते हुए बोली,
आपका ये बैठा ही कब है, जब से आई हूं ये कुतुबमीनार की तरह खड़ा हैं ,
चलिये उठिये अभि आ गया तो सोचेगा।
असलम को सुनीता की बात सही लगी और बिस्तर से उठ कर कपड़े पहनने लगा,
असलम पर सुनीता के हुस्न का नशा कुछ इस तरह से चढ़ा हुआ था कि उसे कुछ होश भी नहीं था। कि वो क्या कर रहे हैं वो सुनीता की पैंटी को हाथ में उठा कर अपनी टांगो में डालने लगा
तो सुनीता ने मुस्कुराहट के साथ रोका
सुनीता; ये आप क्या कर रहे हैं हाय ये क्या पहन रहे हैं हाय ये मेरी है
सुनीता की बात है सुन असलम को ध्यान आया कि वो अपना अंडरवियर नहीं बल्कि बाल्की सुनीता की पैंटी को अपने टैंगो के बीच डाल रहा हैं
असलम अपनी बात जारी रखते हुए बोला, जब तुम मेरी हो तो तुम्हारी पैंटी भी तो मेरी हुई,
मैं तुम्हारी पैंटी पहन लेता हूं तुम मेरी पहन लो सुनीता भी जवाब मैं अपनी साड़ी को ठीक करती हुई आ कर अपने हाथ को असलम के लंड पर ले जा कर बोली,
इसे पहन लोगे पर ये जो आपका इतना बड़ा है ये कहां इसमें आएगा।
सुनीता की बात सुन असलम सुनीता को चूम कर बोला तुम्हारे अंदर भी तो घुस गया है इसे तुम अपने अंदर ले लेना लंड अंदर लेने की बात सुन कर सुनीता शरमा कर बोली
आप नहीं सुधरोगे और जल्दी से बाहर निकलने लगी तो असलम ने अपने दोनो हाथो को बढ़ा कर सुनीता को कमर से थाम,
अपनी ओर खींच कर अपने से चिपका कर बोले बता दो इस को तुम्हारे अंदर डाल दू फिर तो पहन सकता हूं ना, बोलो ना रानी,
तो जवाब मेरी सुनीता पीछे मुंह करके असलम की आंखों में देख कर मुस्कुराती हुई बोली,
जहां भी डालना है रात को डालना फिल्हाल तो चाय लेकर कर आती हूं, और कमरे से बाहर निकल आई।
असलम और सुनीता बाहर ड्राइंग हॉल बैठे चाय पी रहे थे कि तभी अभि भी कालेज से वापस आ गया,
कुछ देर बैठने के बाद असलम ने पूछा,
असलम; अभि वो तूमने हमारे हनीमून की टिकट बुक करवा दी, कि तभी सुनीता बीच में ही बोल उठी हां अभि क्या हुआ टिकट कन्फर्म हो गई,
अभि; जी मम्मी परसो शाम की गाड़ी की टिकट हुई है।
ट्रेन से हनीमून पर जाने की बात सुन कर सुनीता झट से बोली, मुझे ट्रेन से जाना नहीं और असलम की ओर देख कर अगर मुझे हनीमून पर ले जाना है तो प्लेन से चलूंगी और अगर आपको ट्रेन से जाना है तो मुझे नहीं किसी ओर को ले जाइए।
ये कह कर सुनीता वहां से जाने लगी तो असलम ने सुनीता का हाथ पकड़ लिया और बोला, गुस्सा क्यों करती हो जानेमन तुम जैसा कहोगी वैसे चलेंगे, तो सुनीता भी खुश हो गई,
और प्यार से अपने हाथ से असलम के चेहरे पर रख कर अपनी नाक असलम की नाक से रगड़ते कर मुस्कुराते हुए तो फिर प्लेन की टिकट करवाइए ना अपने हनीमून की,
भला अब असलम अपनी हॉट जवान बीवी की इतने प्यार से कि गई छोटी सी फरमाइश को कैसे ठुकराता,
उसे डर था कि अगर उनको इस समय उसने अपनी बेगम साहिबा को नाराज कर दिया तो कहीं बेडरूम में हड़ताल ना हो जाए, असलम अभि को कुछ बोलता,
तभी सुनीता ने से कहा, अभि ये टिकट कैंसिल करवा दो और जो तुम्हारे अब्बू बोलते हैं वो करवा दो
( अभि को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि सुनीता उसकी मम्मी ऐसा क्यों कर रही है वह सुनीता से इस बारे में बात करना चाहता था पर कर नहीं पा रहा था, अभि सुनीता से इस बारे में बात करने की सोच ही रहा था उसे सही समय का इन्तजार था )
अभि; सर झुकाए जी मम्मी वो टिकट बुक करवाने के लिए इनकी आईडी लेगी
अभि के मुंह से इनकी आईडी लगेगी की बात सुन असलम आंख से सुनीता को इशारा करके बताने लगा कि अभि हमारे निकाह से खुश नहीं हैं वो उसको अपना अब्बू नहीं मान सकता है
तो सुनीता अपने शौहर असलम की आंखों का इशारा पा कर अभि से बोली, अभि ये क्या बदतमीजी है ये इनको क्या होता है सीधे अब्बू नहीं बोल सकते।
अभि; सॉरी मम्मी
सुनीता; ठीक ही आगे से ध्यान रखना, इनसे आईडी लो और टिकट अभी बुक करवाओ,
अभि; जी और फिर असलम की ओर देख कर अब्बू वो आपकी आईडी,
असलम; वो हमारे बिस्तर की साइड की दराज में जाओ वहां से ले लो, असलम की बात सुन कर अभि सुनीता के बेडरूम में उसकी आईडी लेने चला गया,
अभि के जाते ही असलम ने सुनीता को अपनी बाहों में भर लिया और बोला डार्लिंग अब खुश वैसे अगर आप का हुकम हो तो मैं तुम्हें अपने रॉकेट पर बैठा कर ले चालू देखो डार्लिंग मेरी जान के लिए रॉकेट तैयार ही खड़ा हैं
सुनीता; मुस्करा कर मुझे बैठने के लिए आपका रॉकेट तयार ही रहता है रात को बेडरूम में देखूंगी कि आपका रॉकेट मुझे कहां कहां की सैर करवाता है।
असलम; तो चलो अभी मेरी जान अभी तुम्हें तीनो लोक की सैर करवाता हूं
सुनीता; धत्त आप भी ना और जैसा ही उन्हें अभि आता दिखाई दिया तो वो दोनों झट से अलग हो गए
सुनीता; मुस्करा कर बोली आप दोनों बाप बेटे बैठ कर टिकट बुक करो और बात करो तब तक मैं डिनर की तयारी कर लेती हूं।
असलम; जो हुकम सरकार और सुनीता किचन में चली गई,
अभि सुनीता से बात करने सुनीता के पीछे किचन में चला गया,
अभि सुनीता से इस के बारे में बात करना चाहता था।
अभि; मम्मी ये सब क्या है हनीमून पर जाना,
ये सब क्या चल रहा है, मुझे असलम अब्बू बोलना पड़ेगा वगेरह वगेरह
सुनीता; अभि बेटा तुम सब तो जानते हो, ये निकाह हुआ है वसीयत की शर्त पूरी भी तो करनी है और बेटा मैं ये सब तुम्हारे लिए ही तो कर रही हूं
(अभि अब तक ये नहीं जानता था कि सुनीता उसकी मम्मी अब असलम की हो चुकी है असलम का 9 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा पहाड़ी आलू जैसा मोटा सुपाड़ा वाला लौड़े सुनीता की चूत में वहां तक पहुंच गया है जहां तक राघव का छोटा सा हथियार कभी भी नहीं पहुंच पाया। जब एक औरत की चूत में लंड इस तरह से अपनी जगह बना लेते हैं तो संस्कारी औरत भी उस मर्द के नीचे अपनी टांगें चौड़ी करके बार बार लेटना चहाती है। सुनीता का भी यही हाल था, सुनीता असलम के लंड की दिवानी हो चुकी थी,)
सुनीता; अभि बेटा मेरा और असलम का नया नया निकाह हुआ है,
तो सब को दिखाने के लिए ये सब हो रहा है बाकी तो तुमको पता ही है कि ये निकाह ३ साल के लिए है, मुझे रिश्ता भी तो निभाना पड़ेगा ना।
अभि; हम्म वो तो ठीक है लेकिन मुझे असलम को अब्बू भी बोलना पड़ेगा
सुनीता; बेटा अभि लोगो को दिखाने के लिए तो ये सब करना ही पड़ेगा, तुम तो जानते ही हो मैं खुद ये सब नहीं करना चाहती हूं।
अभि; ठीक है मम्मी जैसा आपको ठीक लगे।
सुनीता; अभि बेटा (सब के सामने तूम असलम अब्बू ही बुलाया करों।)
अभि; ठीक है मम्मी। मम्मी वो फ्लाइट की टिकट अगले हफ्ते की हुई है आप बोलो तो बुक कर दूं।
सुनीता; अपने अब्बू से पूछ लो अगर वो हां कहें से करवा दो,
अब अभि के पास असलम को अब्बू कह कर बुलाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था,
तभी अभि ने बड़े ही हकलाते हुए असलम को आवाज दी 'अब्बू'
अभि के मुंह से इस तरह असलम को अब्बू सुन कर सुनीता किचन से बाहर आई।
सुनीता एक अलग ही मुस्कान अपने चेहरे पर ला कर असलम की ओर देखने लगी,
फिर सुनीता असलम की ओर देख कर बोली, जी कुछ काम था,
असलम; सरकार हमारी क्या मजाल हम तो आपके नौकर है वो अभि बता रहा है अगले हफ्ते की फ्लाइट की टिकट की है बोलो।
सुनीता; तो क्या हुआ आप करवा लीजिए, हम अगले हफ्ते चलेंगे ओर कुछ और फिर से सुनीता किचन चली गई।
असलम बहार बैठा अभि से बात कर रहा था लेकिन उसका ध्यान बार बार किचन की ही ओर जा रहा था उसका दिल तो यहीं चाह रहा था,
कि किचन मिल जाए और अपनी खूबसूरत बेगम से बात करे उसके साथ खेले।
आखिर जब असलम से रहा नहीं गया वो अपनी जगह से उठा और अभि से बोले, बेटा मैं जरा देख कर आता हूं कि खाना बना या नहीं तुम्हारी मम्मी को कुछ मदद की जरूरत होगी तो कर देता हूं,
और राहुल का जवाब सुने बिना ही असलम किचन कि ओर चला गया।
अभि (अपने मन में गुस्से से) पता है कौन सी मदद करने गया होंगे अपनी खिचड़ी पकाने गया है ( और पता नहीं मम्मी को भी क्या हो गया है असलम के ही गुण गा रही है)
अंदर किचन में सुनीता खाने की तैयारी कर रही थी।
सुनीता को इस बात का एहसास तक नहीं था कि असलम रसोई में आ चुके हैं और उसके पीछे ही खड़े हैं।
कुछ देर तक असलम सुनीता के पिच खड़ा सुनीता की खूबसूरती को निहारता रहा,
जिस से असलम का हथियार फिर से अपनी औकात में आ चूका था,
आटा गुथने के करण सुनीता बहार को निकली गांड हिल रही थी,
असलम से रहा नहीं गया उसने जा कर पीछे से अपनी दोनो बाहें सुनीता की कमर में डाल दी
असलम ने सुनीता अपने से चिपका लिया एक बार तो सुनीता चौंक पड़ी पर जैसे ही पीछे मुड़ कर असलम को देखा मुस्कुरा पड़ी और प्यार से पलट कर असलम धक्का दे कर बोली,
ऐ जी यहां क्या कर रहे हैं आप जाइये ना देख नहीं रहे मैं खाना बना रही हूं
असलम ने फिर से सुनीता को अपनी बाहों में जकड़ लिया और सुनीता की जुल्फों को पीछे करके उसके गालों को चूमते हुए बोला।
मैं तो तुम्हारी मदद ही कर रहा हूं
सुनीता; मदद ओर आप,
जानते हैं नीचे आपका शेर मुझे तंग कर रहा है,
ऐसा खाना बनाना देगा, ऐसा लग रहा है मुझे, कि अगर कुछ देर ओर मैं आपके साथ ऐसी खड़ी रहूं तो ये जरूर मेरी सलवार में छेद कर देगा।
असलम; अगर सरकार का हुकम तो खोल देता हूं फिर तो ये उसमें छेद नहीं करेगा बाल्की किसी ओर छेद को खोलेगा।
सुनीता मुस्कुराती हुई अच्छा पहले खाना बना लेती हूं खा लीजिए उसके बाद जो आपकी इच्छा हो कर लीजिएगा।
असलम; यार मेरा खाने का मन नहीं है
एकता असलम की आंखों में देख कर मुस्कुराते हुए अच्छा तो फिर जनाब का क्या खाने का मन हैं।
असलम ये भी बताना पड़ेगा और अपने होठों को सुनीता के गालों होठों और गर्दन पर रख कर चूमने लगा,
सुनीता और असलम अपने में ही मगन थे, कि तभी अभि ने बहार से आवाज दी मम्मी अगर खाना बन जाए तो मुझे आवाज लगाना देना,
अभि की आवाज सुनकर दोनों अलग हुए और असलम जल्दी से बाहर आ गया
कुछ देर बाद सुनीता असलम और अभि खाने के टेबल पर बैठे थे।
सुनीता असलम के बिल्कुल साथ वाली कुर्सी पर बैठी थी,
असलम खाने खाते-खाते सुनीता की ओर देख कर उसके खाने की तारीफ कर रहा था,
उन दोनों के बीच आंखों ही आंखों में इशारा हुआ तो सुनीता अपना एक हाथ खाने की टेबल के नीचे की ओर ली गई और असलम का हाथ भी नीचे ही था,
तो दोनों टेबल पर बैठे अभि की मौजूदगी में एक दूसरे के हाथों को सहलाने लगे
कुछ देर बाद असलम ने अपने हाथ को सुनीता की जांघ पर रख कर सुनीता की जांघ सहलाते सहलाते अपने हाथ को आगे बड़ा कर सुनीता की दोनों टांगों के बीच डाल कर उसकी सलवार के नाड़े को ढूंढने लगा।
जवान बेटे के सामने उसके ( सौतेले ) बाप को अपने साथ इस तरह से परेशान करते हुए देख कर सुनीता के बदन में एक अलग ही एक्साइटमेंट सी होने लगी थी उसकी चूत से अभी से मीठे पानी का झरना सा फटने लगा था
सुनीता और असलम दोनो अभि के सामने खाने की टेबल पर बैठे आंखो से और अपने हाथो को नीचे से छेड़े थे,
कि तभी असलम के फोन पर रिंग हुई, असलम एक हाथ से अपना फोन उठा कर देखा तो फोन उसकी सास यानि सुनीता की मां का था।
तो असलम ने फोन किया सुनीता की ओर बढ़ा कर मुस्कुराते हुए बोला, हजूर आपकी मम्मी का फोन है।
( सुनीता ने अपनी मम्मी कामिनी को अपनी और असलम बारे में सब कुछ बता दिया था पूरी बात सुन कर कामिनी भी सुनीता की बात से सहमत हो गयी थी।)
सुनीता असलम के हाथ से फोन ले कर असलम से बोली, वो मम्मी जी कह रही थी कि हम हनीमून पर पर जा रहें हैं ना,
वो सोच रही होंगी कि कल सुबह ही तो हनीमून के लिए नहीं जा रहे,
कह रही थी कि अगर निकलना से पहले एक बार मिलना है,
असलम फिर बता दो ना डार्लिंग कि कल नहीं जा रहे, असलम अपने एक हाथ को सुनीता की टांगों के बीच रख कर सहलाते हुए उसकी चूत को लगातार छेड़ भी रहा था।
सुनीता; जी मम्मी जी
कामिनी; कैसी हो बेटी
सुनीता; अच्छी हूं मम्मी
कामिनी; अच्छा दमाद जी आ गये घर
सुनीता; जी मम्मी, ये आज गए ही नहीं बोल रहे थे काफी थकावट हैं, इसलिए थोड़े घर पर आराम कर लूंगा।
कामिनी; मुस्करा कर सुनीता को छेड़ते हुए जानती हूं थकावट उन्हें हुई थी या तुझे और दमाद जी को तूने ही रोक कर अपनी थकावट उतारी होगी अभी कुछ ही दिन हुए शादी को ना, अब तो ऐसी थकावट रोज ही होगी।
सुनीता; क्या मम्मी कुछ भी बोलती हो यही पास में अभि भी है खाना खा रहा है,
कामिनी; अच्छा चल ये बात छोड़ ये बता कल तुम लोग हनीमून पर जा रहे हो पैकिंग वगैरा सब हो गई
सुनीता; वो मम्मी हम लोग कल नहीं जा हनीमून पर
कामिनी; क्यू क्या हुआ
सुनीता; वो कुछ नहीं मम्मी को अगले हफ्ते की टिकट मिलेगी है
कामिनी; अच्छा कोन सी ट्रेन की
सुनीता; वो ट्रेन की नहीं मम्मी वो कह रहे थे कि प्लेन से ही जाएंगे अपने हनीमून पर तो इन्होने प्लेन की ही टिकट निकाली है।
सुनीता ने कितनी सफाई से अभि के सामने अपनी मम्मी को कहा कि प्लेन से हनीमून पर जाने की इच्छा उसकी नहीं बाल्की उसके पिता की ही कुछ देर बात करने के लिए वो सब खाने की लग गए,
असलम सुनीता से पूछने लगा
असलम; जान मम्मी जी क्यों पूछ रही थी हनीमून का कि कब जाना है
सुनीता; उन्हें कुछ गिफ्ट देना होगा वो क्या देना है वो ही जाने ना,
असलम; अच्छा तो फिर मम्मी जी को बोल देना कि अगर गिफ्ट देना ही है तो वही देना जो हमारी सुहागरात के समय पर खाला ने दिया था,
असलम ये भूल चुका था कि वो सुनीता के जवान बेटे के सामने (यानि अभि की मम्मी) अपनी जवान बेगम के साथ इश्क लड़ा रहा है,
असलम के मुंह से सुहागरात को जो गिफ्ट असलम की खाला ने दिया था, उसका सुन कर सुनीता एक चेहरे पर मुस्कान आ गई, वो धीरे से बोली, अच्छा जी अगर आपको वही गिफ्ट मम्मी से चाहिए
ना,
तो मम्मी से खुद ही कह दीजिए कमरा में चलो मैं फोन मिला दूंगी कह दीजिए
ऐसे ही प्यार की चूहलबाजी करते वो खाना खा कर असलम अपने बेडरूम में और अभि अपने बेडरूम में चले गए,
असलम अपने शयनकक्ष में आ कर अपने कपड़े जल्दी से खोलने लगा।
क्यूंकि सुनीता उसकी बेगम जब रूम में आए तो कपड़े खोलने में टाइम बर्बाद नहीं करना चाहता था और जैसे ही असलम ने पैंट खोली और अंडरवियर में खड़े अपने लंड पर प्यार से अपना हाथ फिराते
मानो उसको समझा रहा हो कुछ पल ओर सबर कर फिर तुम्हें हुस्न की मलिका आ कर खुद अपने कोमल हाथों से आज़ाद करेगी।
असलम को सुनीता के बिना एक-एक पल बिताना मुश्किल लग रहा था, लेकिन सुनीता किचन में झूठे बर्तनों को साफ करने की लगी हुई थी,
जब असलम से बर्दाश्त नहीं हुआ तो सुनीता को ढूंढते बाहर आया और फिर किचन की ओर बढ़ गया,
अभि के कमरे का दरवाजा खुला था, असलम को अंडरवियर में ही किचन में सुनीता के पीछे जाते देख अभि (मन में बोला, ) पता नहीं साले ने क्या जादू कर दिया है और मम्मी से भी रुक नहीं जाता।
असलम पर तो सुनीता की जवानी का नशा चढ़ा हुआ था इसलिए असलम इन सब की परवाह किये बिना किचन में पहुंच गया,
किचन में पहुंचते ही असलम ने अपने दोनों हाथो को सुनीता की कमर पर कास लिया पहले तो सुनीता चौंकी और फिर पीछे असलम को पा कर मुस्कुराते हुए आप यहां।
असलम अपने होठों को सुनीता की गर्दन पर रख कर चूमते हुए बोला,
कितनी देर लगा रही हो जानती हो कब से इंतजार कर रहा हूं, तो सुनीता प्यार से असलम को धक्के देते हुए बोली, जाइए ना आप रूम में मैं इन बर्तनों से निपट कर आती हूं,
जैसे ही सुनीता ने असलम को अपने से दूर किया असलम को सिर्फ अंडरवियर में देख कर बोली,
कुछ तो शर्म करो घर में जवान लड़का है, और आप इसे ही खड़ा कर आ गए, तो असलम सुनीता के सामने अपने खड़े लंड को अंडरवियर के
ऊपर से सहलाते हुए सुनीता के पास आए और उसकी आंखो में देखते हुए बोला
मैं खड़ा करता हूं, या तुम इसे खड़ा रखती हो तो सुनीता असलम बात सुन कर शर्म के मुस्कुरा पड़ी।