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सानिया अपने बेटे के सामने बैठि अपनी चुत बेटे को दिखाते हुए उस के लंड को मुठ मारते हुए ये सब कह रही है.
सतीश : ओह... मम्मी मुझे यकीन नहीं हो रहा है. कहीं में सपना तो नहीं देख रहा. अगर ये सपना है तो ये कभी न टूटे, और अगर ये हक़ीक़त है तो फिर में इस दुनिया का सब से खुश किस्मत इंसान हु. आह... मम्मी में गया.. मेरा वीर्य निकल रहा है.....
सतीश मस्ती में झड गया, उसका वीर्य मम्मी के हाथों में और उसके पैंट पे निकल गया. जिसे देख के सतीश परेशान हो गया.
सतीश : मम्मी ओह्ह शीट.. ये क्या हो गया... मेरी पैंट मेरे वीर्य से पूरी गीली हो गयी, अब में इस हालत में बाहर डैड के पास कैसे जाउँ?
सतीश : डैड ने अगर ये देख लिया तो वो मुझे जान से मार देंगे.
सानिया : क्यूँ क्या हुआ...? बस इतने से डर गया...? इस तरहा डरोगे तो...? अपनी मम्मी को कैसे चोदोगे...?
सतीश : मैं डर इस लिए रहा हूँ क्यूँकि में अपनी सेक्सी मम्मी को चोदने से पहले नहीं पकड़ा जाना चाहता. तुम हाँ कहो तो में अभी तुम्हे चोद सकता हु...
सानिया : अभी नही... इसके बारे में हम रात में डिस्कस करेंगे. अभी तुम जल्दी से खुद को ठीक करो.. मेरे ख्याल से तुम्हारे डैड अंदर आ रहे है, मैंने डोर के खुलने की आवाज़ सुनी.
सतीश : मम्मी अब क्या होगा...?
सानिया : तु फ़िक्र मत कर में सब संभाल लुंगी. तु जल्दी से अपनी पैंट पहन ले.
ये कह के सानिया उठि और उसने जल्दी से अपनी पेन्टी पहनी और अपनी ड्रेस ठीक की फिर सामने टेबल से स्वीटकॉर्न की बोतल उठा के उसका ढक्कन खोला और अपनी ड्रेस पे ज़मीन पे और सतीश की पैंट पे स्वीटकॉर्न दाल दिया और फिर टॉवल लेके अपने पैर और ड्रेस पे से अपने बेटे का वीर्य और स्वीटकॉर्न साफ़ करने लगी.
इतने में डैड किचन का दरवाज़ा खोल के कहते है.
डैड : ये सतीश कर क्या रहा है. उसे क्यों इतनी देर लग रही है...? ये सब क्या है...?
सानिया : वो मेरे हाथ से स्वीटकॉर्न की बोतल गिर गई थी... सतीश के पैंट पे भी स्वीटकॉर्न लग गया था... वो अपनी पैंट चेंज करने गया है... इस में उसकी कोई ग़लती नहीं है... पूरी ग़लती मेरी है प्लीज तुम उसे कुछ मत कहना...
डैड : ठीक है... लेकिन उसे कहो की वो जल्दी करे. हम लेट हो रहे है.
ये कह के डैड बाहर चले गए और सोनिआ ने राहत की सांस ली.
सतीश पैंट चेंज कर के किचन में आता है.
सतीश : मम्मी.. जब में वापिस आउंगा तब क्य...? तुम मुझे कम कपडे पहने मिल सकती हो.
सानिया ने अपने बेटे के गले में हाथ ड़ाला और कहा.
"हनी... मेरी पेन्टी मे... हाथ दाल के... मेरी चुत को... मेहसुस करो..."
"अपनी ऊंगली... मेरी वीर्य भरी.. चुत में घुसाव..."
"ईस तरहा तुम्... मेरी रसीली चुत.. का वीर्य... और खुशबु... अपने साथ ले जा सकते हो... अभी से ले कर घर आने तक्... तुम मेरी खुशबु.... सूँघ सकते हो..."
सतीश फ़ौरन अपनी मम्मी की स्कर्ट उठा के अपना हाथ अपनी मम्मी की चुत वीर्य से भीगी पेन्टी में डालता है... और मम्मी की वीर्य से भीगी चुत पे अपने हाथ को फिराते हुये.. अपनी ऊँगली मम्मी की रसीली चुत में डालता है... और अंदर बाहर करने लगता है...
सानिया : मस्ती में सिसकार उठती है... मम.... उह.... आह.... वो मस्ती भरी आँखों से अपने बेटे को देखने लगती है...
सतीश मम्मी की वीर्य छोडती चुत में से हाथ निकाल के सूंघता है... फिर न जाने क्या सोच के अपनी जुबान बाहर निकाल के अपनी ऊँगली पे लगे मम्मी की चुत के वीर्य को चाटता है... फिर अपनी ऊँगली अपने मुह में दाल के चूसने लगता है...
सतीश : मम... वाओ मम्मी.. तुम्हारी चुत... का वीर्य तो बहुत टेस्टी है... और तुम्हारी चुत.. की खुश्बु... भी बहुत मस्त है...
अपने बेटे की हरकत को देख कर सानिया मस्ती में झड़ने लगती है.
सानिया : मम.... ओह.... आह.... सतीश... मैं गयी... आई..
ओ सिंक से टेक लगा के झड़ने लगी..
सानिया सिंक से टेक लगा के झड़ने लगी. झड़ने के बाद उसने कहा.
सानिया : ओह्ह गोड़... सतीश आज तुम ने बिना छुये मुझे दूसरी बार झाड़ दिया. आज में अपने बेटे को अपनी चुत वीर्य चाट ते देख मस्ती में झड गयी. अब इस से पहले की हमारे बीच में कुछ और हो... तुम जल्दी से अपने डैड के साथ एयरपोर्ट निकल जाव. किसे पता की आगे क्या होने वाला है....?
"शायद में तुम्हे अपनी चुत चुदने दुं...."
सतीश : शायद नहीं मम्मी.. मुझे पूरा यकीन है की एक दिन... तुम ज़रूर मुझे अपनी चुत चोदने दोगी...
सानिया : ओये शेखचिल्ली... वो दिन अभी बहुत दूर है... अभी से खयाली पुलाओ मत पकाओ... अभी तुम जाव... वो सब हम बाद में सोचेंगे...
सतीश मम्मी को बाई बोल के बाहर आके कार में बैठता है और डैड के साथ एयरपोर्ट के लिए निकल जाता है.
सतीश : ओह... मम्मी मुझे यकीन नहीं हो रहा है. कहीं में सपना तो नहीं देख रहा. अगर ये सपना है तो ये कभी न टूटे, और अगर ये हक़ीक़त है तो फिर में इस दुनिया का सब से खुश किस्मत इंसान हु. आह... मम्मी में गया.. मेरा वीर्य निकल रहा है.....
सतीश मस्ती में झड गया, उसका वीर्य मम्मी के हाथों में और उसके पैंट पे निकल गया. जिसे देख के सतीश परेशान हो गया.
सतीश : मम्मी ओह्ह शीट.. ये क्या हो गया... मेरी पैंट मेरे वीर्य से पूरी गीली हो गयी, अब में इस हालत में बाहर डैड के पास कैसे जाउँ?
सतीश : डैड ने अगर ये देख लिया तो वो मुझे जान से मार देंगे.
सानिया : क्यूँ क्या हुआ...? बस इतने से डर गया...? इस तरहा डरोगे तो...? अपनी मम्मी को कैसे चोदोगे...?
सतीश : मैं डर इस लिए रहा हूँ क्यूँकि में अपनी सेक्सी मम्मी को चोदने से पहले नहीं पकड़ा जाना चाहता. तुम हाँ कहो तो में अभी तुम्हे चोद सकता हु...
सानिया : अभी नही... इसके बारे में हम रात में डिस्कस करेंगे. अभी तुम जल्दी से खुद को ठीक करो.. मेरे ख्याल से तुम्हारे डैड अंदर आ रहे है, मैंने डोर के खुलने की आवाज़ सुनी.
सतीश : मम्मी अब क्या होगा...?
सानिया : तु फ़िक्र मत कर में सब संभाल लुंगी. तु जल्दी से अपनी पैंट पहन ले.
ये कह के सानिया उठि और उसने जल्दी से अपनी पेन्टी पहनी और अपनी ड्रेस ठीक की फिर सामने टेबल से स्वीटकॉर्न की बोतल उठा के उसका ढक्कन खोला और अपनी ड्रेस पे ज़मीन पे और सतीश की पैंट पे स्वीटकॉर्न दाल दिया और फिर टॉवल लेके अपने पैर और ड्रेस पे से अपने बेटे का वीर्य और स्वीटकॉर्न साफ़ करने लगी.
इतने में डैड किचन का दरवाज़ा खोल के कहते है.
डैड : ये सतीश कर क्या रहा है. उसे क्यों इतनी देर लग रही है...? ये सब क्या है...?
सानिया : वो मेरे हाथ से स्वीटकॉर्न की बोतल गिर गई थी... सतीश के पैंट पे भी स्वीटकॉर्न लग गया था... वो अपनी पैंट चेंज करने गया है... इस में उसकी कोई ग़लती नहीं है... पूरी ग़लती मेरी है प्लीज तुम उसे कुछ मत कहना...
डैड : ठीक है... लेकिन उसे कहो की वो जल्दी करे. हम लेट हो रहे है.
ये कह के डैड बाहर चले गए और सोनिआ ने राहत की सांस ली.
सतीश पैंट चेंज कर के किचन में आता है.
सतीश : मम्मी.. जब में वापिस आउंगा तब क्य...? तुम मुझे कम कपडे पहने मिल सकती हो.
सानिया ने अपने बेटे के गले में हाथ ड़ाला और कहा.
"हनी... मेरी पेन्टी मे... हाथ दाल के... मेरी चुत को... मेहसुस करो..."
"अपनी ऊंगली... मेरी वीर्य भरी.. चुत में घुसाव..."
"ईस तरहा तुम्... मेरी रसीली चुत.. का वीर्य... और खुशबु... अपने साथ ले जा सकते हो... अभी से ले कर घर आने तक्... तुम मेरी खुशबु.... सूँघ सकते हो..."
सतीश फ़ौरन अपनी मम्मी की स्कर्ट उठा के अपना हाथ अपनी मम्मी की चुत वीर्य से भीगी पेन्टी में डालता है... और मम्मी की वीर्य से भीगी चुत पे अपने हाथ को फिराते हुये.. अपनी ऊँगली मम्मी की रसीली चुत में डालता है... और अंदर बाहर करने लगता है...
सानिया : मस्ती में सिसकार उठती है... मम.... उह.... आह.... वो मस्ती भरी आँखों से अपने बेटे को देखने लगती है...
सतीश मम्मी की वीर्य छोडती चुत में से हाथ निकाल के सूंघता है... फिर न जाने क्या सोच के अपनी जुबान बाहर निकाल के अपनी ऊँगली पे लगे मम्मी की चुत के वीर्य को चाटता है... फिर अपनी ऊँगली अपने मुह में दाल के चूसने लगता है...
सतीश : मम... वाओ मम्मी.. तुम्हारी चुत... का वीर्य तो बहुत टेस्टी है... और तुम्हारी चुत.. की खुश्बु... भी बहुत मस्त है...
अपने बेटे की हरकत को देख कर सानिया मस्ती में झड़ने लगती है.
सानिया : मम.... ओह.... आह.... सतीश... मैं गयी... आई..
ओ सिंक से टेक लगा के झड़ने लगी..
सानिया सिंक से टेक लगा के झड़ने लगी. झड़ने के बाद उसने कहा.
सानिया : ओह्ह गोड़... सतीश आज तुम ने बिना छुये मुझे दूसरी बार झाड़ दिया. आज में अपने बेटे को अपनी चुत वीर्य चाट ते देख मस्ती में झड गयी. अब इस से पहले की हमारे बीच में कुछ और हो... तुम जल्दी से अपने डैड के साथ एयरपोर्ट निकल जाव. किसे पता की आगे क्या होने वाला है....?
"शायद में तुम्हे अपनी चुत चुदने दुं...."
सतीश : शायद नहीं मम्मी.. मुझे पूरा यकीन है की एक दिन... तुम ज़रूर मुझे अपनी चुत चोदने दोगी...
सानिया : ओये शेखचिल्ली... वो दिन अभी बहुत दूर है... अभी से खयाली पुलाओ मत पकाओ... अभी तुम जाव... वो सब हम बाद में सोचेंगे...
सतीश मम्मी को बाई बोल के बाहर आके कार में बैठता है और डैड के साथ एयरपोर्ट के लिए निकल जाता है.