Adultery मनीषा मेरे सामने नंगी लेट गयी

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मनीषा मेरे सामने नंगी लेट गयी

मेरे और आशा के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था मैं बहुत ही ज्यादा परेशान था। मैं सोचने लगा कि क्या आशा के साथ मुझे डिवोर्स ले लेना चाहिए या नहीं। पहले हम दोनों के बीच सब कुछ ठीक था हम दोनों की शादी को अभी एक वर्ष ही हुआ है लेकिन हम दोनों के बीच जिस तरह से रोज झगड़े होने लगे थे उससे हम दोनों ही बहुत ज्यादा परेशान थे। मैं इस वजह से अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा था और मुझे अपने ऑफिस से रिजाइन देना पड़ा। मैंने एक दिन आशा से इस बारे में बात करने का फैसला किया आशा और मेरी शादी को एक वर्ष ही हुआ था। जब हम दोनों की शादी हुई थी तो उसके बाद हम दोनों की जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन अचानक से ही आशा का बदलता हुआ स्वभाव देखकर मैं बहुत ही ज्यादा परेशान होने लगा था। मुझे यह भी लगने लगा था कि हम दोनों को अलग ही हो जाना चाहिए। आशा मुझे बिल्कुल भी नहीं समझती थी आशा और मेरी अरेंज मैरिज हुई थी और इस बात से पापा और मम्मी भी बहुत ज्यादा परेशान थे।
भैया ने भी मुझे कई बार समझाने की कोशिश की और कहा कि देखो तुम्हें आशा से बात करनी चाहिए। मैंने भी आशा से कई बार इस बारे में बात की लेकिन मुझे नहीं लगा कि हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा समय तक रह पाएंगे इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर ही लिया था। मैंने पूरा मन बना लिया था की मैं आशा से अलग हो जाऊं। हम दोनों एक दूसरे को डिवोर्स दे चुके थे मैं भी अब अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुका था और आशा भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी थी। हम दोनों की मुलाकात उसके बाद कभी हुई ही नहीं मैं भी अब एक नई कंपनी ज्वाइन कर चुका था और वहां पर मैं अपनी जॉब पर पूरी तरीके से ध्यान दे रहा था। आशा और मेरे डिवोर्स को हुए काफी लंबा समय बीत चुका था और अब पापा और मम्मी भी कई बार मुझे समझाते और कहते कि रजत बेटा तुम्हे शादी कर लेनी चाहिए। मैं शादी करना ही नहीं चाहता था परंतु कई बार मुझे ऐसा भी लगता कि जैसे मुझे शादी कर लेनी चाहिए।
मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए लेकिन जब मैं मनीषा से मिला तो मनीषा से मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा। मनीषा और मेरी मुलाकात मेरे दोस्त ने एक पार्टी में करवाई थी और उसके बाद मनीषा और मेरी मुलाकात हमेशा ही होने लगी। जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगता और हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा खुश रहते। मैं मनीषा के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करता हूं। जब भी मनीषा मेरे साथ होती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था। एक दिन मैं और मनीषा साथ में बैठे हुए थे उस दिन जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो मैं मनीषा के साथ बातें कर रहा था। मुझे उस दिन लगने लगा था कि मुझे मनीषा को अपने प्यार का इजहार कर ही देना चाहिए और मैंने पूरा मन भी बना लिया था। मैंने उस दिन मनीषा को प्रपोज कर दिया और जब मैंने मनीषा को प्रपोज किया तो वह भी मना ना कर सकी। वह मेरे बारे में सब कुछ जानती है और उसे मेरे बारे में सब पता था।
जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ में अपने रिलेशन को आगे बढ़ा रहे थे उससे हम दोनों बड़े ही खुश रहते। मुझे बहुत ही अच्छा लगता है जब भी मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ में होते है। हम दोनों एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों बड़े ही खुश रहते थे। अब हम दोनों की जिंदगी बड़े अच्छे से चलने लगी थी और मैं बड़ा खुश था जब मैं मनीषा के साथ में होता। हम दोनों के रिलेशन को अब काफी ज्यादा समय हो चुका था मैं मनीषा को अच्छी तरीके से समझता हूं और वह भी मेरा साथ हमेशा ही अच्छी तरीके से दिया करती। जब भी मुझे कोई परेशानी होती तो मैं तुरंत ही मनीषा से अपनी बात को शेयर कर लिया करता जिससे कि मनीषा को भी अच्छा लगता और मुझे भी बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता था। मैं अब मनीषा के बारे में अपनी फैमिली में बताना चाहता था और मैंने जब मनीषा के बारे में घर में बताया तो सब लोग मनीषा को मिलना चाहते थे।
मैंने एक दिन मनीषा को अपने घर पर सब से मिलाने का फैसला किया और उस दिन जब मैंने मनीषा को सब लोगों से मिलवाया तो वह लोग बड़े ही खुश हुए। हम दोनों को भी इस बात की खुशी थी कि अब हम दोनों के रिश्ते को हमारे घर वालों की रजामंदी मिल चुकी है। मनीषा ने भी अपनी फैमिली में इस बारे में बता दिया था। उसके परिवार में पहले इस बात को लेकर कोई तैयार नहीं था लेकिन समय के साथ-साथ वह लोग भी तैयार हो गये। जब मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ में होते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता। मुझे और मनीषा को बहुत ही अच्छा लगता जब भी हम लोग एक दूसरे के साथ में होते हैं और एक दूसरे के साथ में समय बिताया करते है। एक दिन मनीषा के किसी दोस्त की पार्टी थी तो मनीषा ने मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा, पहले तो मैंने मनीषा को मना किया। मैंने उसे कहा कि मैं वहां पर किसी को भी नहीं जानता हूं परंतु मनीषा की जिद करने की वजह से मुझे उसकी बात माननी पड़ी और मुझे मनीषा के दोस्त की पार्टी में जाना पड़ा।
हम दोनों जब साथ में गए तो मनीषा के दोस्तों को भी मेरे और मनीषा के रिलेशन के बारे में पता चल चुका था और फिर हम लोगों ने वहां पर उस पार्टी का खूब इंजॉय किया। हम दोनों को ही बड़ा अच्छा लगा जिस तरीके से हम लोग उस दिन साथ में थे। क्योंकि उस दिन मुझे और मनीषा को काफी लेट हो चुकी थी इसलिए हम दोनों से बाहर ही रूकना चाहते थे। मनीषा ने काफी ज्यादा ड्रिंक भी कर ली थी जिस वजह से वह घर जाने की हालत में भी नहीं थी। हम दोनों एक होटल में ही साथ में रुके थे। मैं और मनीषा एक दूसरे से बातें कर रहे थे। मैंने अपने हाथ को मनीषा की जांघ पर रख दिया था। जब मैंने उसकी जांघों पर अपने हाथ को रखा तो वह मचलने लगी थी। मै उसकी गर्मी को बढाने लगा था। मनीषा इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रहा था। मैंने जब मनीषा को गरम करना शुरू किया तो उसे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। जब हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे तो मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया मैंने मनीषा के बदन से कपड़े उतार दिए थे।
वह मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी उसके नंगे बदन को देखकर मैं पूरी तरीके से गर्म होता जा रहा था और मेरी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ रही थी। मेरी गर्मी इतनी बढ़ने लगी थी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मैंने मनीषा के सामने अपने मोटे लंड को किया। मैंने मनीषा से कहा मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है मनीषा को भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। मैंने मनीषा के स्तनों को चूसना शुरू किया तो उसे अच्छा लगने लगा थख और मै उसके निप्पल को चूसने लगा वह गर्म होने लगी थी उसके गोरे बदन को देख मेरी गर्मी और भी ज्यादा बढ़ रही थी। मैंने उसके दोनों स्तनों को आपस में मिलाने के बाद उसके स्तनो पर लंड रगडना शुरू कर दिया था वह बहुत ज्यादा गर्म होती जा रही थी और मैं भी बहुत ज्यादा गर्म हो चुका था। अब हम दोनों की गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ गई थी मैं मनीषा की चूत मे लंड को घुसाना चाहता था। मैंने मनीषा की चूत मे लंड डाला। हम दोनों को मजा आ रहा था मनीषा को बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से हम दोनो एक दूसरे की गर्मी को बढा रहे थे।
जब मैंने मनीषा की योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो हम दोनों की गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी थी और हम दोनों बहुत गरम होने लगे थे। मैं और मनीष एक दूसरे के साथ बड़े ही अच्छे तरीके से शारीरिक संबंध बनाने लगे थे। हम दोनो को एक दूसरे के साथ में सेक्स कर के बहुत अच्छा लग रहा था और मैं मनीषा की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी तेजी से करता जिस से उसकी सिसकारियां बढती जा रही थी। मैंने देखा मनीषा की चूत से खून निकल रहा है और मेरी गर्मी भी बढने लगी है। मैं उसे बहुत ही अच्छे तरीके से चोदता जा रहा था। मेरी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने मनीषा की चूत में अपने वीर्य को गिराया तो मनीषा खुश हो गई वह कहने लगी तुमने आज मेरी इच्छा को पूरा कर दिया है।
मनीषा और मेरे बीच जिस प्रकार से सेक्स हुआ था उस से हम दोनो खुश थे। उसकी टाइट और गुलाबी चूत मारकर मै खुश था। हम दोनो दोबारा से सेक्स करना चाहते थे। मुझे मजा आने लगा था वह मेरे ऊपर से आ चुकी थी। वह जिस तरीके से सेक्स के मजे ले रही थी हम दोनों को मजा आ रहा था। वह अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती जा रही थी उसे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी अब ना तो मैं अपने आप को रोक पा रहा था ना ही मनीषा अपने आपको रोक पा रही थी। मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा ले रहे थे। मेरे वीर्य की पिचकारी जैसे ही मनीषा की चूत में गिरी वह खुश हो गई और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था जिस तरह हम दोनों ने साथ में सेक्स किया था।
 

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