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Frends mujhe iska pehla bhaag mil nahi Raha hai to yahi se start karte hainतो हमने अध्याय 1 में देखा कि चंदू को गांव में मन नहीं लग रहा होता है तो चंदू पहाड़ी की ओर चला जाता है चंदू को पहाड़ी वाली गुफा मिलती है जिससे चंदू वाकिफ होता है फिर भी चंदू उस गुफ मेेेें चला जाता है और उसे वहां एक किताब मिलती है और चंदू उस किताब को अपने साथ उठाकर घर ले आता है अब आगे।"
चंदू किताब को घर तो ले आता है लेकिन अब चंदू के साथ क्या होने वाला था वह किसी को पता नहीं था चंदू गुफा से जिस किताब को उठाकर अपने साथ लाया था और गुफा में जो नाग की मूर्ति देखी थी वह मूर्ति एक असली का नाग था। जो उस किताब पर निगरानी रखता था वह नाग, जिस समय चंदू को किताब मिलती है, उस समय बाहर सैर पर गया था और किताब को सुरक्षित रखने के लिए अपनी मूर्ति बनाकर गया था जब नाग वापस लौटा तो नाग अचंभित रह गया क्योंकि वह किताब तो वहां थी ही नहीं और नाग उस किताब को ढूंढने लगा।
नाग उधर किताब ढूंढने में लगा था और चंदू इधर उस किताब को चेक करने में। चंदू ने जब उस किताब को खोला तो उस किताब पर कुछ नहीं लिखा था और उस किताब में चंदू को एक पन्ना मिला जिस पर कुछ पहेलियां लिखी हुई थी चंदू को शुरू में कुछ समझ नहीं आया और किताब को पलट कर देखने लगा लेकिन किताब में चंदू को कुछ नहीं मिला मिला तो सिर्फ खाली सफेद पन्ना। चंदू ने फिर उस पहेली वाले पन्ने को उठाकर देखा और उस पर एक पहेली थी। "अगर पढ़ना चाहते हो किताब ढूंढो नागराज्य का सबसे ऊंचा पहाड़, जहॉ से दिखता हो पूरा नागराज्य साम्राज्य, वहां से दिखेगा सबसे पुराना पेड़ जिस पर रखना है उंगल सिर्फ एक"!
चंदू इस पहेली को पढ़कर कुछ समझ नहीं पाता है फिर चंदू पहेली के अनुसार वह अपने नागराज्य गांव के सबसे ऊंचे पहाड़ पर उस पहेली वाले पन्ने के साथ पहुंचता है पर चंदू को उस पहाड़ से घंटा कुछ नहीं दिखाई देता है पहाड़ कहाँ और उसका गांव कहाँ। तो चंदू फिर वापस गांव की तरफ चल पड़ता है फिर रास्ते में उसे गांव के हरिया चाचा मिलते हैं और पूछने लगते हैं कि और चंदू बेटा कहां से आ रहे हो बहुत दिन से दिखाई नहीं दिए, तो चंदू बोलता है बस ऐसे ही चाचा सोचा थोड़ा टहल लूू तो थोड़ा सैर पर निकला था।
बस इतने में ही चंदू को थोड़ी देर पर एक आदमी दिखता है जो बड़े गुस्से में होता है और वह उस किताब के बारे में सब से पूछ रहा होता है चंदू समझ जाता है कि वह उसी किताब के बारे में पूछ रहाा हैं। तो चंदू उस पन्ने को छुपा लेता है तो इतने में ही हरिया चाचा पूछने लगते हैं बेटा तुम क्या छुपा रहे हो और उधर क्या देख रहे हो बड़ी देर से तो चंदू कहता है कुछ नहीं चाचा बस ऐसे ही ठीक है तो मैं चला जल्दी में हूं चलता हूं तो चाचा कहते हैं ठीक है और चंदू वहां से तुरंत खिसक जाता है। चंदू अपने घर की तरफ उस आदमी से खुद को बचते बचाते निकलता है।
चंदू उस किताब को उस आदमी को नहीं देना चाहता था इसलिए वह सीधे घर की और चला जाता है। चंदू घर पर पहुंचने के बाद थोड़ा घबरा जाता है और सोचने लगता है कि वह आदमी आखिर इस किताब के बारे में क्यों सब से पूछ रहा था। फिर चंदू अपने बिस्तर पर लेट कर सोचने लगता है कि पहेली आखिर सुलझेगी कैसे और सोचते-सोचते चंदू अपने बिस्तर पर सो जाता है।तो बस दोस्तो इस अध्याय हैं बस इतना ही अगर आप अध्याय 3 पढ़ना चाहते हैं तो बने रहिए
चंदू किताब को घर तो ले आता है लेकिन अब चंदू के साथ क्या होने वाला था वह किसी को पता नहीं था चंदू गुफा से जिस किताब को उठाकर अपने साथ लाया था और गुफा में जो नाग की मूर्ति देखी थी वह मूर्ति एक असली का नाग था। जो उस किताब पर निगरानी रखता था वह नाग, जिस समय चंदू को किताब मिलती है, उस समय बाहर सैर पर गया था और किताब को सुरक्षित रखने के लिए अपनी मूर्ति बनाकर गया था जब नाग वापस लौटा तो नाग अचंभित रह गया क्योंकि वह किताब तो वहां थी ही नहीं और नाग उस किताब को ढूंढने लगा।
नाग उधर किताब ढूंढने में लगा था और चंदू इधर उस किताब को चेक करने में। चंदू ने जब उस किताब को खोला तो उस किताब पर कुछ नहीं लिखा था और उस किताब में चंदू को एक पन्ना मिला जिस पर कुछ पहेलियां लिखी हुई थी चंदू को शुरू में कुछ समझ नहीं आया और किताब को पलट कर देखने लगा लेकिन किताब में चंदू को कुछ नहीं मिला मिला तो सिर्फ खाली सफेद पन्ना। चंदू ने फिर उस पहेली वाले पन्ने को उठाकर देखा और उस पर एक पहेली थी। "अगर पढ़ना चाहते हो किताब ढूंढो नागराज्य का सबसे ऊंचा पहाड़, जहॉ से दिखता हो पूरा नागराज्य साम्राज्य, वहां से दिखेगा सबसे पुराना पेड़ जिस पर रखना है उंगल सिर्फ एक"!
चंदू इस पहेली को पढ़कर कुछ समझ नहीं पाता है फिर चंदू पहेली के अनुसार वह अपने नागराज्य गांव के सबसे ऊंचे पहाड़ पर उस पहेली वाले पन्ने के साथ पहुंचता है पर चंदू को उस पहाड़ से घंटा कुछ नहीं दिखाई देता है पहाड़ कहाँ और उसका गांव कहाँ। तो चंदू फिर वापस गांव की तरफ चल पड़ता है फिर रास्ते में उसे गांव के हरिया चाचा मिलते हैं और पूछने लगते हैं कि और चंदू बेटा कहां से आ रहे हो बहुत दिन से दिखाई नहीं दिए, तो चंदू बोलता है बस ऐसे ही चाचा सोचा थोड़ा टहल लूू तो थोड़ा सैर पर निकला था।
बस इतने में ही चंदू को थोड़ी देर पर एक आदमी दिखता है जो बड़े गुस्से में होता है और वह उस किताब के बारे में सब से पूछ रहा होता है चंदू समझ जाता है कि वह उसी किताब के बारे में पूछ रहाा हैं। तो चंदू उस पन्ने को छुपा लेता है तो इतने में ही हरिया चाचा पूछने लगते हैं बेटा तुम क्या छुपा रहे हो और उधर क्या देख रहे हो बड़ी देर से तो चंदू कहता है कुछ नहीं चाचा बस ऐसे ही ठीक है तो मैं चला जल्दी में हूं चलता हूं तो चाचा कहते हैं ठीक है और चंदू वहां से तुरंत खिसक जाता है। चंदू अपने घर की तरफ उस आदमी से खुद को बचते बचाते निकलता है।
चंदू उस किताब को उस आदमी को नहीं देना चाहता था इसलिए वह सीधे घर की और चला जाता है। चंदू घर पर पहुंचने के बाद थोड़ा घबरा जाता है और सोचने लगता है कि वह आदमी आखिर इस किताब के बारे में क्यों सब से पूछ रहा था। फिर चंदू अपने बिस्तर पर लेट कर सोचने लगता है कि पहेली आखिर सुलझेगी कैसे और सोचते-सोचते चंदू अपने बिस्तर पर सो जाता है।तो बस दोस्तो इस अध्याय हैं बस इतना ही अगर आप अध्याय 3 पढ़ना चाहते हैं तो बने रहिए