Fantasy नागराज्य एक रहस्यमेय किताब अध्याय 2

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Frends mujhe iska pehla bhaag mil nahi Raha hai to yahi se start karte hainतो हमने अध्याय 1 में देखा कि चंदू को गांव में मन नहीं लग रहा होता है तो चंदू पहाड़ी की ओर चला जाता है चंदू को पहाड़ी वाली गुफा मिलती है जिससे चंदू वाकिफ होता है फिर भी चंदू उस गुफ मेेेें चला जाता है और उसे वहां एक किताब मिलती है और चंदू उस किताब को अपने साथ उठाकर घर ले आता है अब आगे।"

चंदू किताब को घर तो ले आता है लेकिन अब चंदू के साथ क्या होने वाला था वह किसी को पता नहीं था चंदू गुफा से जिस किताब को उठाकर अपने साथ लाया था और गुफा में जो नाग की मूर्ति देखी थी वह मूर्ति एक असली का नाग था। जो उस किताब पर निगरानी रखता था वह नाग, जिस समय चंदू को किताब मिलती है, उस समय बाहर सैर पर गया था और किताब को सुरक्षित रखने के लिए अपनी मूर्ति बनाकर गया था जब नाग वापस लौटा तो नाग अचंभित रह गया क्योंकि वह किताब तो वहां थी ही नहीं और नाग उस किताब को ढूंढने लगा।

नाग उधर किताब ढूंढने में लगा था और चंदू इधर उस किताब को चेक करने में। चंदू ने जब उस किताब को खोला तो उस किताब पर कुछ नहीं लिखा था और उस किताब में चंदू को एक पन्ना मिला जिस पर कुछ पहेलियां लिखी हुई थी चंदू को शुरू में कुछ समझ नहीं आया और किताब को पलट कर देखने लगा लेकिन किताब में चंदू को कुछ नहीं मिला मिला तो सिर्फ खाली सफेद पन्ना। चंदू ने फिर उस पहेली वाले पन्ने को उठाकर देखा और उस पर एक पहेली थी। "अगर पढ़ना चाहते हो किताब ढूंढो नागराज्य का सबसे ऊंचा पहाड़, जहॉ से दिखता हो पूरा नागराज्य साम्राज्य, वहां से दिखेगा सबसे पुराना पेड़ जिस पर रखना है उंगल सिर्फ एक"!
चंदू इस पहेली को पढ़कर कुछ समझ नहीं पाता है फिर चंदू पहेली के अनुसार वह अपने नागराज्य गांव के सबसे ऊंचे पहाड़ पर उस पहेली वाले पन्ने के साथ पहुंचता है पर चंदू को उस पहाड़ से घंटा कुछ नहीं दिखाई देता है पहाड़ कहाँ और उसका गांव कहाँ। तो चंदू फिर वापस गांव की तरफ चल पड़ता है फिर रास्ते में उसे गांव के हरिया चाचा मिलते हैं और पूछने लगते हैं कि और चंदू बेटा कहां से आ रहे हो बहुत दिन से दिखाई नहीं दिए, तो चंदू बोलता है बस ऐसे ही चाचा सोचा थोड़ा टहल लूू तो थोड़ा सैर पर निकला था।

बस इतने में ही चंदू को थोड़ी देर पर एक आदमी दिखता है जो बड़े गुस्से में होता है और वह उस किताब के बारे में सब से पूछ रहा होता है चंदू समझ जाता है कि वह उसी किताब के बारे में पूछ रहाा हैं। तो चंदू उस पन्ने को छुपा लेता है तो इतने में ही हरिया चाचा पूछने लगते हैं बेटा तुम क्या छुपा रहे हो और उधर क्या देख रहे हो बड़ी देर से तो चंदू कहता है कुछ नहीं चाचा बस ऐसे ही ठीक है तो मैं चला जल्दी में हूं चलता हूं तो चाचा कहते हैं ठीक है और चंदू वहां से तुरंत खिसक जाता है। चंदू अपने घर की तरफ उस आदमी से खुद को बचते बचाते निकलता है।

चंदू उस किताब को उस आदमी को नहीं देना चाहता था इसलिए वह सीधे घर की और चला जाता है। चंदू घर पर पहुंचने के बाद थोड़ा घबरा जाता है और सोचने लगता है कि वह आदमी आखिर इस किताब के बारे में क्यों सब से पूछ रहा था। फिर चंदू अपने बिस्तर पर लेट कर सोचने लगता है कि पहेली आखिर सुलझेगी कैसे और सोचते-सोचते चंदू अपने बिस्तर पर सो जाता है।तो बस दोस्तो इस अध्याय हैं बस इतना ही अगर आप अध्याय 3 पढ़ना चाहते हैं तो बने रहिए
 
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अध्याय 2 में चंदू किताब की पहली को पूरा करने के लिए गांव के पहाड़ी पर जाता है लेकिन पहेली सुलझती नहीं है। पहाड़ से आते वक्त चंदू को हरिया चाचा रास्ते में रोक लेते हैं फिर चंदू को एक आदमी दिखता जो उस किताब के बारे में पूछ रहा होता है चंदू उस आदमी से बचते बचाते अपने घर पहुंचता है और सो जाता है। अब आगे।

जब चंदू सोकर उठता है तब तक शाम हो चुकी होती है तो चंदू शाम में टहलने के लिए निकल पड़ता है चंदू थोड़ी देर आसपास के इलाके में घूमने के बाद घर की तरफ चल पड़ता है और घर पहुंचते-पहुंचते रात हो जाती है रात में चंदू घर में खाना खाने के बाद बाहर खाट पर उस किताब को लेकर लेट जाता है चंदू को समझ नहीं आ रहा होता है कि आखिर वह पहेली सुलझाए कैसे।

रात में चंदू किताब को उल्टा सीधा कर के घुमा रहा होता है तब उसे किताब के ऊपर वाले चित्र पर नजर पड़ती है और चंदू किताब को उल्टा करके देखता है ध्यान से देखने पर चंदू को पता चलता है कि नागराज्य का पहाड़ और पेड़ दोनों उस किताब पर ही है फिर चंदू अपने उंगल को उस पेड़ पर रखता है और वहां से हल्की सी सफेद रोशनी निकलती है और एक छोटी सी पीन उसके उंगल में चुभ जाती है चंदू के उंगल से खून निकलने लगता है और वह खून पूरी किताब पर चारों तरफ एक डिजाइन में फैल जाता है फिर वह हल्की रोशनी एक तेज रोशनी बदल जाती है और चंदू के साथ कुछ अजीब सा होने लगता है चंदू को समझ नहीं आ रहा होता है कि वह रोशनी आ कंहा से रही होती है और चंदू इतने में ही किताब के अंदर चला जाता है।

चंदू फिसलते हुए एक पहाड़ी पर आ गिरता है चंदू खड़ा होकर पहाड़ी के चारों तरफ देखता है तो चंदू को उसकी आंखों पर विश्वास नहीं होता, एक बहुत ही सुंदर सा दृश्य उसकी आंखों के सामने होता है। उसके चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ पौधे और झड़ने दिखाई देता है खुला आसमान ठंडी ठंडी हवा बह रही होती है आसमान में पक्षी मजे से उड़ रहे होते हैं मानो चंदू जन्नत में आ गया हो। चंदू को समझ नहीं आ रहा होता है कि वो आ कहां गया है अभी तो वो अपने घर पर खाट पर लेटा होता है और फिर अचानक से यहां, उसे समझ नहीं आ रहा होता है कि उसके साथ हो क्या रहा है चंदू को पहाड़ के ऊपर से नजर तो अच्छा दिख रहा होता है लेकिन उसे क्या पता कि पहाड़ के नीचे उसके साथ क्या होने वाला है।

चंदू इन सब चीजों को देखकर काफी हैरान होता है उसे समझ नहीं आ रहा होता है कि वो अब करें तो क्या करें चंदू काफी मक्कसद करने के बाद पहाड़ी की दूसरी तरफ से नीचे उतर रहा होता है तो उसे एक झील दिखती है। चंदू नीचे उतरने के बाद वह झील की तरफ जाता है तो उसे वहां पर दिनदहाड़े सुंदर - सुंदर लड़कियां नहाते हुए दिखती है चंदू मजे से उन्हें नहाते हुए देख रहा होता है और सोचने लगता है कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रहा है।

तो चंदू खुद को चिकोटि काट कर देखता है उसे बहुत दर्द होता है मतलब वह जो देख रहा होता है वो कोई सपना नहीं होता बल्कि हकीकत होती है इतनी ही देर में उसे महसूस होता है कि कोई उसका पीछा कर रहा है चंदू के चारों तरफ देखता है लेकिन उसे कोई नहीं दिखता चंदू समझ जाता है कि वह किसी मुसीबत में फंसने वाला है लेकिन चंदू को दूर-दूर तक सिर्फ जंगल ही दिख रहा होता है वहां से सिर्फ एक ही रास्ता जा रहा होता है जो पहाड़ी के दूसरी तरफ जाता है जहां चंदू को पहाड़ पर से झड़ने और जंगल दिखते हैं। और चंदू उस रास्ते की तरफ निकल पड़ता हैं।



"बस इस अध्याय में इतना ही दोस्तों आगे की कहानियां अध्याय 4 में पढ़ने को मिलेगा तब तक के लिए Good by.
 
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पिछले अध्याय में हमने पढ़ा कि चंदू किस तरह किताब के अंदर चला जाता है और दूसरी दुनिया में पहुंच जाता है चंदू पहाड़ पर लुढ़कते हुए नीचे गिरता है चंदू को वहां से नजारा अच्छा दिख रहा होता है पहाड़ से नीचे उतरने के बाद चंदू एक अनजान रास्ते पर निकल पड़ता है अब आगे।"



चंदू के रास्ते में जाते हुए कोई भी नहीं दिखाई देता है वह रास्ता पूरा सुनसान होता है बहुत देर तक चलने के बाद चंदू को जंगल और पहाड़ों के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता है चंदू को समझ नहीं आ रहा होता है कि उसके साथ हो क्या रहा है फिर भी चंदू उसी रास्ते से आगे बढ़ता रहता है कुछ दूर तक चलने पर उसे एक पहाड़ दिखता है वह पहाड़ पर चढ़कर देखने जाता है कि उसके आसपास घर वा गांव है या सिर्फ जंगल है।



चंदू उधर पहाड़ पर चढ़कर अपने आसपास के इलाकों का मुआयना कर रहा होता है इधर वह आदमी जो किताब की रक्षा करता है वह गायब होकर नागलोक प्रस्थान करता है नागलोक पहुंचने के बाद वह अपने गुरु के पास जाता है जो उसे किताब की रक्षा करने के लिए भेजता है वह अपने गुरु को बताता है कि कैसे उसने किताब खो दी यह सुनकर उसके गुरु बहुत क्रोधित होते हैं उसके गुरु जी कहते हैं तुमने क्या कर दिया वह एक सिर्फ किताब ही नहीं है वह नागलोक में आने और जाने का रास्ता है इससे पहले कि यह बात महाराज को पता चले और बहुत देर हो जाए उसे ढूंढ कर वापस लाओ वरना तुम्हें महाराज के गुस्से से कोई नहीं बचा सकता है।



यह बात सुनकर नीग्र बहुत परेशान हो जाता है और उसके चेहरे पर एक अजीब सा डर देखने को मिलता है नीग्र ज्यादा देरी नहीं करते हुए अपने नागों की सेना को किताब ढूंढने पर लगा देता है नीग्र की सेना पूरी नागराज जी गांव में फैल जाती है और दिनदहाड़े घरों में हमला बोल देते हैं और किताब को ढूंढने लगते हैं नीग्र किताब को ढूंढते ढूंढते चंदू के घर पहुंच जाता है लेकिन उसे वह किताब चंदू के घर में भी नहीं मिलती है नीग्र को वह किताब इसलिए नहीं मिलती है क्योंकि उस किताब का नियम होता है कि अगर उस किताब के द्वारा कोई नाग लोक में जाता है तो वह किताब अदृश्य हो जाती है और फिर वह किताब तभी दिखती है जब तक वह सक्स उस किताब से वापस नहीं आता इसलिए नीग्र को किताब चंदू के घर पर भी नहीं मिलती है।



जब चंदू अपने आसपास के इलाकों को देख रहा होता है तो उसे एक दूर छोटा सा गांव दिखता है तो चंदू उस गांव के लिए पहाड़ से नीचे उतरता है चंदू के नीचे उतरते ही एक बड़ा सा काले रंग का सांप उसके सामने फन फेलाकर खड़ा हो जाता है और वह सांप चंदू से तीन चार गुना बड़ा होता है चंदू उसे देखकर हक्का-बक्का हो जाता है देखते ही देखते वह सांप चंदू को अपनी कुंडली में जकड़ लेता है चंदू को बहुत दर्द होता है चंदू को लगता है कि वह नहीं बच पाएगा लेकिन अचानक से वह सांप चंदू को छोड़कर जंगल की तरफ बहुत तेजी से भागता हुआ गायब हो जाता है अब चंदू के जान में जान आती है चंदू को समझ में नहीं आया कि वह सांप अचानक से उसे छोड़ कर भाग क्यों जाता है चंदू खड़ा होने के बाद जब पीछे पलटा तो उसने जो देखा वह देख कर चौक गया।



"बस दोस्तों इस अध्याय में इतना ही आगे की कहानी अगले अध्याय में पढ़ने को मिलेगी"
 
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हमने पिछले अध्याय में देखा कि कैसे चंदू नागलोक में आता है और उसे समझ नहीं आता कि वह करे तो करे क्या। चंदू अपने आसपास के इलाकों का मुआयना करता है तो उसे एक गांव दिखता है और वह उस गांव की तरफ आगे को बढ़ जाता है। तो उसे रास्ते में काला नाग अपनी कुंडली में जकड़ लेता है फिर वो नाग उसे छोड़कर बड़ी तेजी से जंगलों में गायब हो जाता है और चंदू को समझ नहीं आता कि आखिर वो नाग उसे छोड़ कर भाग क्यों गया। अब आगे"

चंदू जैसे ही पीछे पलट के देखते हैं तो उसके पीछे एक लंबा चौड़ा आदमी खड़ा होता है जिसकी हाइट करीब सात-आठ फुट के करीब होती है चंदू उसे देखकर घबरा जाता है आखिर यह है कौन जो देखने में इंसानों जैसे बिल्कुल लग रहा था। वो चंदू से कहता है ठीक तो हो बच्चे चोट तो नहीं लगी। चंदू कहता है हां ठीक हूं बस उस सांप ने मार ही डाला था। वो तुम्हें देख कर भाग क्यों गया और आप हो कौन।

वह शख्स कहता है यह सब बाद में तुम यहां के नहीं लग रहे हो। तुम आए कहां से हो तो चंदू कहता है मैं नागराज्य गांव से आया हूं मैं उस किताब को पढ़ रहा था और अचानक से मैं उस पहाड़ पर आ गिरा जो उधर ऊपर दिख रहा है। वह शख्स कहता है मतलब तुम पृथ्वीलोक से हो चंदू कहता हैं हां मैं पृथ्वी से हूं। वह शख्स कहता है तुम्हें यहां बहुत खतरा है तुम मेरे साथ चलो वरना मारे जाओगे। चंदू कहता है पर कहां और यह कौन सी जगह है मैंने इतना बड़ा सांप अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा था।

वह शख्स कहता है मेरा नाम सांग है और मैं एक इच्छाधारी सांप हूं यह नाग लोक है और तुम गलती से नागलोक में आ गए हो। वह किताब कहां है जो तुम पढ़ रहे थे तो चंदू कहता है पता नहीं वो किताब कहां है जब मैं यहां पर आया तो मैं अकेले था किताब मेरे साथ नहीं था। सांग कहता है हमें उस जगह पर वापस जाना होगा जहां पर तुम आए थे और किताब ढूंढना होगा तभी तुम घर जा पाओगे। वरना यहां तुम हमेशा के लिए फस जाओगे।
चंदू रास्ते में सांग के साथ जाते-जाते कहता है वह सांप मुझे मारना चाह रहा था लेकिन आप मुझे नहीं मारना चाहते हो ऐसा क्यों? तो सांग कहता है मैं एक बुद्धिजीवी सांप हूं और वह एक आम सांप था। तो चंदू कहता हैं आम सांप आम सांप तो इतने बड़े नहीं होते हैं वो तो काफी छोटे होते हैं। तो सांग कहता है ऐसा पृथ्वी लोक में होता है यह नागलोक है यहां के आम सांप भी बड़े बड़े होते हैं। इतने में ही चंदू कहता है अगर वह एक आम सांप था तो आप कितने बड़े सांप होगें जरा आप एक बारी सांप बन के दिखाना। तो सांग कहता है रहने दो बच्चे तुम डर जाओगे।

चंदू सांग के साथ उस जगह पर पहुंचता है जहां पर चंदू आया था लेकिन चंदू को वह किताब उसे वहां पर नहीं मिलती है सांग कहता है तुम्हें अच्छे से याद है बच्चे तुम यहीं पर आए थे। तो चंदू कहता हैं हां मैं यही आया था। सांग कहता है अगर वो किताब नहीं मिली तो मुझे तुम्हें बचाना मुश्किल साबित होगा इसलिए उस किताब को जल्दी ढूंढना होगा लगता है वह किताब यहां से कोई ले गया हैं। तुमने अपने आसपास यहां पर किसी को देखा भी था तो चंदू कहता हैं नहीं जब मैं यहां पर आया था यहां पर कोई भी नहीं था तो सॉन्ग फिर खड़ा होकर सोचने लगता है।

सांग चंदू से पूछता है तुम यहां पर कितनी देर पहले आए थे तो चंदू कहता है यही करीबन तीन-चार घंटे पहले फिर सांग अपनी शक्तियों से पता करता है कि तीन-चार घंटे पहले यहां पर कौन-कौन आया था। सॉन्ग को दिखता है एक बूढ़ा व्यक्ति उस किताब को उठाकर अपने थैले में लेकर अपने घर की तरफ निकल जाता है। सॉन्ग कहता है मिल गया। सॉन्ग कहता है हमें उस बूढ़े व्यक्ति के बाजार पहुंचने से पहले हमें उस तक पहुंचना पड़ेगा चलो। चंदू कहता है क्या मतलब बाजार से, तो सांग कहता है वह बूढ़ा व्यक्ति उस किताब को बाजार में बेचने जा रहा है हमें उस तक पहले पहुंचना होगा। तो इतने में ही चंदू कहता है इच्छाधारी सांपो के पास तो गायब होने की शक्ति होती है एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाते हैं तो आप अपने उस शक्ति का इस्तेमाल क्यों नहीं करते। तो सांग कहता है शक्ति को ज्यादा इस्तेमाल करने से हम इच्छाधारी सांप कमजोर हो जाते हैं ये सांपों के लिए खतरनाक साबित होता है। लेकिन मैं कर सकता हूं लेकिन हम पैदल जाएंगे।

यह सब बातें सुनकर चंदू समझ जाता है कि सॉन्ग एक बेहद ताकतवर इच्छाधारी सांप है। इसलिए वह सांप सांग को देखकर जंगल की तरफ भाग गया था। सॉन्ग कहता है चलो हमें ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए और चंदू सांग के साथ निकल जाता है।

"तो बस दोस्तों इस अध्याय में इतना ही अगर आप उसके आगे का अध्याय पढ़ना चाहते हैं तो कमेंट करें। मैं जल्द ही इसके आगे का अध्याय भी डाल दूंगा
 
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तो चंदू को सांग नाम का इच्छाधारी सांप मिलता है जो अच्छा सांप होता है चंदू को वापस पृथ्वीलोक में भेजने के लिए चंदू कि मदद करता है। सांग चंदू से नागराज्य किताब के बारे में पूछता है। और पता चलता है कि उस किताब को किसी बूढ़े व्यक्ति ने अपने साथ पास के गांव में बेचने के लिए ले गया है। सांग को चंदू को नाग पृथ्वीलोक भेजने के लिए उस किताब की जरूरत होती है तो सांग और चंदू दोनों उस किताब की तरफ चल पड़ते हैं अब आगे।"

चंदू सांग के साथ जाते वक़्त एक चीज नोटिस करता है रास्ते में मिलने वाले लोग चंदू को घूर घूर के देख रहे थे। लेकिन चंदू लोगों को अनदेखा कर सांग के साथ चलता रहता है चलते चलते रास्ते में एक छोटा सा गांव मिलता है सांग उस गांव में जाता है और वहां चंदू को कुछ अजीब सा एहसास होता है। जैसे वहां के लोग चंदू को एक लजीज खाना समझकर खाना चाहते हो। लेकिन चंदू को कोई छूता तक नहीं है सिर्फ घूर-घूर के देखे जा रहे थे। सांग चंदू को एक घर में ले जाकर उसे एक कपड़ा देता है और कहता है इसे पहन लों। चंदू उस कपड़े को पहन लेता है। पहनने के बाद चंदू एक चीज नोटिस करता हैं कि अब गांव के लोग चंदू को घुर घूर के नहीं देख रहें थे। उस कपड़े कि वजह से अब चंदू के शरीर से इंसानों वाली गंध नहीं आ रहीं थीं।

चंदू गांव से निकल कर एक छोटे से शहर की तरफ निकल जाता हैं। गांव से निकलते वक़्त गांव के मुख्य द्वार पर कुछ पहरे दार खरे होते हैं। उन पहरेदारों में से एक पहरेदार थोड़ा होशियार होता है वो सांग को पहचान लेता हैं लेकिन उसे चंदू पर सक हो जाता है वो उस कपड़े को पहचान लेता हैं जो चंदू ने पहन रखा होता हैं। वो सांग से केहता हैं। मेरे मालिक ये लड़का आप के साथ कौन हैं अंजान लगता हैं। मुझे माफ़ करना लेकिन मुझे इसकी तलाशी लेनी पड़ेगी ये महाराज का आदेश हैं की कोई भी अंजान व्यक्ति नहीं तो गांव के अंदर आ सकता हैं और नाही गांव से बाहर जा सकता हैं। ये कहने के बाद वो चंदू कि तलाशी लेने के लिए उसकी तरफ बढ़ता हैं।

इतने में ही सांग कहता हैं ये बच्चा मेरे साथ हैं। और इसकी कोई तलाशी नहीं लेगा। ये बच्चा मेरे साथ जाएगा अगर किसी को किसी तरह की तकलीफ़ हैं तो बताओ में उसकी तकलीफ़ कम कर देता हूं। ये बात सुनकर वो पहरेदार वहीं रुक जाता हैं। और समझ जाता है कि वो बच्चा इंसानी बच्चा हैं जो नागलोक में बिना बताए घुस आया हैं। वो सांग से पंगा नहीं लेना चाहता था क्योंकि उसे पता था कि वो कौन हैं। वो ये बात सुनकर अपने कदम पीछे करते हुए कहता हैं जैसी आपकी इच्छा। आप जा सकते हैं। पहरेदार के साथी उससे कहने लगते हैं कि तुम उसे जाने क्यों दे रहे हो अगर ये बात महाराज को पता चली तो हमारी खेर नहीं। इतने में ही वो कहता हैं अगर हम इसे अभी नहीं जाने दिए तो हम फिर दुबारा कभी किसी और को नहीं रोक पाएंगे समझे।

सांग चंदू के साथ उस गांव से निकल जाता हैं और शहर कि तरफ निकल पड़ता हैं। इधर वो सिपाही ये बात महाराज तक पहुंचा देता हैं कि लगलोक के ही एक सख्स के साथ जो लंबा चौरा है उसके साथ एक अंजान इंसानी बच्चा देखा गया हैं जो चोरी छुपे नागलोक में घुस आया हैं। महाराज ये बात सुनकर उस सिपाही को दरवार में बुलाते हैं। और उससे पूछते हैं कि वो कोन हैं जो इंसानी बच्चे को नागलोक में लेकर आया हैं। वो बताता है कि वो सांग था जिसके साथ वो बच्चा देखा गया हैं। नागलोक का राजा नागेश्वर उसे इस बात के लिए इनाम देता हैं और ये बात पूरे नाग लोक में फैला देता हैं कि जो कोई उसका सही ठिकाना बताएगा उसे। हजार सोने की मुद्राए इनाम में दी जाएगी। और नागेश्वर अपने सेनाओं को सांग को ढूंढने पर लगा देता हैं। नागेश्वर का सांग के साथ पहले से ही अनबन थीं और वो मौका ढूंढ रहा था। और ये मौका नागेश्वर को मिल जाता हैं।

सांग एक बेहद तागतवर नाग था इसलिए वो किसी से नहीं डरता था वो एक बहुत अच्छा लड़ाका भी था।( लड़ने में काफी माहिर) इसलिए उससे कोई उचि आवाज़ में बात नहीं करता था। लेकिन सांग के बारे में काफी कम लोग जानते थे क्योंकि वो एक गुमनाम व्यक्ती था। सांग उस किताब के लिए शहर कि तरफ निकल पड़ता हैं। और उस बूढ़े व्यक्ति को ढूंढने लगता हैं। सांग और चंदू को शहर जाते जाते 3 घंटे होने वाले होते हैं। वो दोनो शहर के काफी नजदीक होते हैं लेकिन उन दोनों के शहर पहुंचने से पहले सैनिक शहर में पहुंच चुके होते हैं वो सैनिक शहर में चारों तरफ फैल जाते हैं। और सांग और चंदू को ढूंढ रहे होते हैं। सांग और चंदू इस बात से बिल्कुल अंजान होते हैं। सांग और चंदू शहर के नजदीक पहुंचते हैं तो उन्हें शहर में भगदड़ दिखाई देती हैं सब अपने अपने घरों में छुप रहे होते हैं। सांग को भनक लग जाती हैं वो समझ जाता हैं कि वो सिपा
 
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वो सिपाही चंदू कि खबर राजमहल तक पहुंचा चुका हैं। सांग चंदू को कहता हैं रुक जाओ। आगे शायद कुछ गड़बड़ हैं।

सांग अपना रूप बदल लेता हैं। और चंदू से कहता हैं चुप चाप सर नीचे करके चलते रहना समझ गए बच्चे। चंदू कहता हैं हां। और मेरा नाम बच्चा नहीं चंदू हैं चंदू। बेहेस मत करो उन सिपाहियों को मत देखना। चंदू अपना सर नीचे करके चल रहा होता हैं। इस शहर में नीग्र भी पहुंचा होता हैं सांग और चंदू कि खबर नीग्र को भी मिलती हैं। नीग्र बस अपना किताब लेने आता हैं। उस सांग और चंदू से कोई मतलब नहीं होता। वो सांग को जनता हैं और सांग से कोई पंगा नहीं लेना चाहता हैं।

इधर सांग और चंदू सिपाहियों से खुद को बचाते हुए उस बूढ़े व्यक्ति को ढूंढ रहे होते हैं जिसके पास वो किताब होती हैं। सांग और चंदू सिपाहियों से बच कर निकल ही रहे होते हैं कि एक सिपाही आवाज़ लगता हैं। रुको तुम। सांग और चंदू सिपाही की तरफ पलट ही रहे होते हैं कि वो सिपाही कहता हैं नहीं तुम नहीं तुम्हारे बगल वाला तुम। इतना सुनते ही चंदू के जान में जान आती हैं। चंदू सोचता हैं अब तो वो गया। लेकिन चंदू कि किस्मत अच्छी होती हैं। सांग और चंदू वहां से थोड़ी दूर निकलते ही हैं कि सांग को वो बूढ़ा व्यक्ति दिख जाता हैं। और सांग उस बूढ़े व्यक्ति की तरफ बढ़ने लगता हैं। सांग उस बूढ़े व्यक्ति के पास पहुंचता ही हैं कि निग्र वहां पहुंच जाता हैं और उस बूढ़े व्यक्ति से पूछता हैं तुम्हें ये किताब कहां से मिली हैं। और तुम ये किताब यहां क्यों लाए हों। बूढ़ा व्यक्ति कहता हैं मुझे ये किताब सोन घाट के पहाड़ियों में मिला। और मैं इस किताब को बेचने लाया हूं। नीग्र कितने में किताब बेच रहे हों। जी आपसे क्या पैसे लेना आप फ्री में ले जाएं। नीग्र जी नहीं आपने ये किताब बहुत मेहनत से लाया हैं इसका कुछ तो मूल्य होगा ही बताईए। बूढ़ा व्यक्ति जी आपकी जो मर्जी हो वो दे दो। नीग्र बूढ़े व्यक्ति को सौ सोने के सिक्के देता हैं और वो किताब उससे ले लेता हैं।

तो बस दोस्तों इस अध्याय में इतना ही मिलते हैं अगले अध्याय में। अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके जरूर बताएं
 
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Behad Shaandar Aur Dilchasp Kahani Hai Bhai.
Thenk you sir AApne tareef ki to mujhe bahut achcha Laga sir me aap ka bahot bada fan hoo aapki kahaniyan PADI hain mujhe bahot pasand aayi sir Dil se shukriya aapke comment ke liye
 

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