Adultery Naina - नारीशक्ति का घमंड

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Doston ye meri fev story hai aur iske writer hain ~ Rachit Chaudhary~

Title से ही पता लग गया होगा की कहानी किस तरह की होगी ।
ये कहानी है नैना की । ये कहानी शुरू होती है नैना के गाँव जगतपुर से।

वो नैना जिसे घमंड है अपने संस्कारों पर , जिसे गुरूर है अपनी खूबसूरती पर । जिसे घमंड है एक लड़की होने पर ।

घमंड हो भी क्यो ना , नैना जैसी खूबसूरती बहुत ही कम लड़कियों को मिलती है । और उसकी वजह थे नैना के मां-बाप ।


नैना के पापा बलराज सिंह फ़ौज से रिटायर्ड है , उनकी लंबाई 7 फुट के आसपास होगी और एक तगड़े तंदरुस्त पहलवानों वाले शरीर की तरह हट्टे-कट्टे शरीर के मालिक है ।

नैना की माँ विनीता एक निहायती ही शरीफ और सीधी साधी औरत है । अगर बात करे शरीर की तो इनकी लंबाई भी 6 फुट के आसपास होगी । लेकिन खास बात यह कि ये फिर भी लंबी नजर नही आती और इसकी वजह है कि इनका शरीर दुबला पतला नही है। इनका शरीर भारी भरकम है । ना ही ये मोटी दिखती है ना ही पतली ।

नैना का भाई नवीन सिंह एक पहुंचे हुए पहलवान है । अच्छे अच्छे पहलवानों को ये 2 मिनट से भी कम समय मे ये धूल चटा देते है ।

दोस्तो बच्चो के नैन-नक्श , बच्चो की कद-काठी , बच्चों का रंग रूप , ये सब कुछ माँ बाप पर ही तो निर्भर करता है ।
यही वजह थी कि नैना अपने साथ कि लड़कियों में सबसे अलग थी ।अपनी 22 साल की उम्र में नैना ने शरीर के मुकाबले में अपनी सारी सहेलियों को कई किलोमीटर पीछे छोड़ दिया था ।
नैना की लंबाई 5.8 फ़ीट थी । बिल्कुल अपने माँ बाप पर गयी थी नैना ।
नैना के बदन की अगर बात करे तो 22 की उम्र में ही नैना का फिगर 34×30×38 था।
अब आप समझ गए होंगे कि क्यो अलग थी नैना सब सहिलयो से। नैना अपनी माँ की तरह ही तगड़ी और कामुक औरत जैसी लगने लगी थी 22 कि उम्र में।
नैना ढीले ढाले पटियाला सूट सलवार ही पहनती थी ज्यादातर जिस वजह से उसका बदन ज्यादा एक्सपोज़ तो नही होता है लेकिन देखने वाले फिर भी उसे पलटकर देखे बिना नही रह पाते थे । खाते पीते घर की लड़की नैना । नैना की काली आंखे , गोरे और लालिमा लिए हुए कश्मीरी सेब जैसे गाल । गले मे एक प्यारा सा लॉकेट रहता था जिसमे उसके मां-बाप की फ़ोटो थी छोटी सी। उसके नीचे उसके स्तन यानी चूचे ऐसे थे बिल्कुल कड़क जैसे सीने पर पर्वत की दो चोटियां हों । नैना के चूचे उसके सीने की बहुत ज्यादा जगह को घेरते थे । सीने पर बस मोटी मोटी छातियां ही नजर आती थी ।
उसके नीचे उसके गोरा पेट जिसे आजतक किसी ने नही देखा था क्योंकि हमेशा सूट सालार पहनती थी नैना ।
फिर उसके नीचे शुरू होता था उसका सबसे अनमोल , सबसे कीमती खजाना जिस पर उसे गुरुर था । नैना के नितंब उम्र से पहले ही भारी होकर बाहर को निकल गए थे ।
दोस्तों किसी लड़की का पिछवाड़ा निकला हुआ हो या चूचे बड़े हो तो ये जरूरी नही की इसके पीछे किसी मर्द या पुरुष का हाथ है । कुदरती भी किसी किसी का बदन ऐसा होता है । और नैना के साथ भी ऐसा ही था ।
नैना की बहार को निकली उठे उठे कूल्हों का अंदाजा उसकी सलवार पहनने के बावजूद बड़ी आसानी से लगाया जा सकता था ।

जांघे सलवार में दिखती नही थी लेकिन भारी भारी पिछवाड़े को देखकर ही लोग समझ जाते थे कि जांघे गदरायी हुई होंगी ।

नैना के अंदर एक कमी थी बस और वो थी उसका गुस्सा । नैना के गुस्से के सामने अच्छे अच्छे थर्रा जाते थे जब वो दहाड़ती तो सब ऐसे कांप जाते जैसे कोई शेरनी सामने आगयी हो ।

अब चलते है कहानी की ओर ।

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दोस्तों ये कहानी मेरी पहली कहानी (संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां) से बिल्कुल अलग है तो इसे एक अलग माइंडसेट से पढ़िएगा ।
मेरी पहली कहानी को अपने इतना प्यार दिया उसका आभार व्यक्त करने के लिये मेरे पास शब्द नही है ।
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गब्बर सिंह जगतपुर गांव के प्रधान हैं। इनका इतना खोफ है कि आसपास के बड़े नेता इनके पैर छूने रोज इनके घर आते हैं । 45 साल की उम्र है गब्बर सिंह की । अभी तक इन्होंने शादी नही की है और ना ही किसी लड़की या औरत के साथ सोए है आजतक । इसकी वजह आपको कहानी में पता चलेगी ।
एक नंबर के अय्याश, आवारा और ठरकी और काले रंग का आदमी है । पर गांव में और आसपास के इलाके में इनका पूरा दबदबा है । क्योंकि अगर कोई इनकी बात नही मानता तो उसे मार पीटकर ये गांव से भगा देते है । हर वक्त इनके साथ इनके आठ दस चमचे रहते है जो सारे के सारे गुंडे टाइप के आदमी है । इसलिए सब इनसे बचकर चलते है ।

आज गब्बर सिंह ने गांव में एक नये मंदिर का उदघाटन किया । गांव के सारे लोग लोग और लुगाई मंदिर के उद्घाटन में शामिल हुए है ।

नैना भी अपनी सहेली शीतल के साथ फंक्शन में शामिल हुई थी ।
शीतल एक सीधी साधी लड़की थी ।
नैना ने पटियाला सूट सलवार पहने हुए थे और शीतल ने चूड़ीदार पजामी कुर्ती । जिसमे से शीतल की मोटी मोटी जांघे साफ दिख रही थी ।
शीतल प्रशाद लेकर भीड़ में से जैसे ही निकली उसकी नजर सामने खड़ी जीप पर पड़ी । जीप के बोनट पर गब्बर सिंह के दो गुंडे बैठे थे दो चार गुंडे अंदर जीप में थे और दो चार गुंडे जीप के बाहर खड़े थे ।
ये सब गब्बर सिंह की प्रतीक्षा कर रहे थे क्योंकि गब्बर सिंह अभी प्रशाद ले रहा था पंडित जी से ।

शीतल ने देखा कि नैना का नंबर मुझसे बाद में था इसलिए वो अभी प्रशाद लेती रह गयी है । तभी भीड़ में से गब्बर सिंह निकला और अपनी जीप की तरफ बढ़ने लगा ।

तभी अचानक पूरा माहौल जयकारों से गूंज उठा- गब्बर सिंह जिंदाबाद , गब्बर सिंह अमर रहे , हमारा मालिक कैसा हो गब्बर सिंह जैसा हो । हमारा मालिक कैसा हो गब्बर सिंह जैसा हो ।

गब्बर सिंह ने एक बार भीड़ की तरफ मुड़कर बड़े रौब से अपना काला चश्मा उतारा और एक कुटिल मुस्कान के साथ हाथ ऊपर उठाकर हिलाया । जयकारे बंद हो गए ।

तभी भीड़ में से गांव का एक बुजुर्ग बूढ़ा आदमी लाठी के सहारे चलते हुए निकल और गब्बर सिंह के पास आकर अचानक ठोकर खाकर गिर गया ।

तभी गब्बर सिंह का एक चमचा भागकर आया और बुड्ढे व्यक्ति का कुर्ते का कॉलर पकड़कर उठाते हुए थप्पड़ मारकर बोला - ओ बूढ़े मालिक के सामने गिरने का नाटक करता करता है चल भाग यहां से ।

पूरी भीड़ एकदम चुपचाप ये सब देख रही थी खड़ी होकर । गब्बर सिंह ने आंख उठाकर भीड़ की तरफ देखा तो जिसकी भी तरफ गब्बर सिंह अपनी नजरें घुमाता उसी इंसान का चेहरा झुक जाता । इतना ख़ौफ़ था गब्बर सिंह का ।

बूढ़ा व्यक्ति अपनी आंखों में बेबसी के आंसू लाते हुए लाचार नजरों से भीड़ की तरफ देखने लगा ।
तभी गब्बर का चमचा बोला - ओ बूढ़े देख क्या रहा है अभी भी यही खड़ा है साले दूसरे थप्पड़ में तू मर जायेगा चल निकल यहां से ।

बूढ़ा रोते हुए चला गया ।
अंदर नैना को समय लग रहा था क्योंकि उसके भाई नवीन का फोन आगया था ।

नवीन - हेलो नैना कहाँ हो ।

नैना - भैया मंदिर में ही हु । आप कहाँ हो ।

नवीन - मैं भी बस मंदिर पहुंचने वाला हूँ कुछ मिनट में ।

नैना - हां आजाओ । पर मंदिर के आगे बहुत भीड़ लगी है, पूरा गांव जो आया है तो आकर फोन कर लेना ।

नवीन - ok bye ।


तभी भीड़ में से गब्बर का एक और गुंडा निकला हाथ मे प्रशाद लेकर जिसका नाम शेरू था ।

शेरू जैसे ही भीड़ से निकल तो वो अपनी गर्दन पीछे भीड़ की तरफ कुछ देखते हुए निकला । और इस तरह निकलने से उसकि टक्कर बाहर खड़ी शीतल से हो गयी । शेरू के हाथ से प्रशाद नीचे जमीन पर गिर गया ।
शेरू जैसे ही हाथ अपने सफेद कुर्ते से झाड़ता हुआ आगे की तरफ कदम बढ़ाने को हुआ तभी एक आवाज से ठिठक गया ।

दरअसल ये सब कुछ इतना जल्दी हुआ था कि शीतल को अभी तक समझ नही आया था कि उससे कौन टकराकर जा रहा है उसके मुंह से तो बस अचानक निकल गया - अंधे हो क्या ?

यही वो आवाज थी जिसे सुनकर शेरू ठिठक गया था । अब जैसे ही शीतल ने देखा कि वो टकराने वाला कोई गांव का आम आदमी नही बल्कि गब्बर का गुंडा था तो उसके पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई । माथे पर पसीना आगया । शीतल का गला सूख गया कि उसने ये क्या अनर्थ कर दिया ।

शेरू ने अपनी शराबी लाल आंखों से शीतल को घूरा और बहुत धीरे से बोला जिसे बस शीतल ही सुन सकी ।

शेरू - क्या बोली तू बहन-की-लौड़ी दोबारा बोल ।

शीतल ने ऐसी गंदी गाली पहले नही सुनी थी , शीतल की हालत काटो तो खून नही वाली हो गयी । उसके माथे का पसीना पूरे चेहरे पर आगया । शीतल कुछ नही बोली अपनी नजरे झुकाए खड़ी रही ।

तभी एक आवाज पूरे गुर्राते हुए गूंजी तो सारी की सारी की भीड़ की नजरें शेरू और शीतल पर जम गयीं ।क्योंकि इस बार शेरू ने धीरे से नही बल्कि चीखकर पूछा था ।

शेरू - मैंने पूछा तू क्या बोली रंडी ।

शीतल की हालत ऐसी हो गयी कि वो सोचने लगी कि काश मैं इसी पल धरती में समा जाऊं । शीतल नजरे झुकाए चुपचाप खड़ी रही ।

शेरू ने एक नजर गब्बर सिंह की तरफ देखा जैसे पूछ रहा हो कि क्या करूँ ।

गब्बर सिंह - पर काट दे साली के ।

गब्बर की ये बात पूरी भीड़ ने सुनी । और गब्बर सिंह जीप के बोनट पर जाकर बैठ गया । तभी एक गुंडे ने गब्बर सिंह के सामने हुक्का लाकर रखा । गब्बर सिंह कभी शेरू शीतल की तरफ तो कभी भीड़ की तरफ हुक्का पीते हुए देखने लगा ।

शेरू - पर तो इसके काटने पड़ेंगे मालिक । लेकिन इसके पर आज ऐसे काटूंगा की फिर इस गांव में दोबारा किसी की औकात नही होगी ऐसा करने की ।

शेरू ने ऐसा बोलकर शीतल के बाल पकड़े और उसे बीच मे खाली जगह में खींच लाया ।
शीतल का दुपट्टा खींचकर फेंक दिया शेरू ने । तभी भीड़ से एक रोती हुई आवाज आई । जो कि शीतल के मां बाप की थी ।

शीतल के मां-बाप - भगवान के लिए माफ करदो मेरी बच्ची को । मेरी बेटी से गलती हो गयी । हम आपकी सारी सजा भुगतने को तैयार हैं ।

शेरू - भीड़ की तरफ देखते हुए- अगर ये आवाज दोबारा सुनाई दी तो सारे गांव की औरतों और लौंडियों से मुजरा करवाऊंगा यहां भोसड़ी वालों ।

जैसे ही भीड़ ने ये सुना तो जो लोग शीतल के मां बाप के पास खड़े थे उन्होंने शीतल के मां बाप का मुंह अपने हाथों से भींचकर बंद कर लिया जिससे कि उनके मुह से आवाज ना निकल सके ।

यह देखकर गब्बर सिंह के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान फैल गई । भीड़ में जिन्होंने शीतल के मा बाप का मुह अपने हाथों से बंद किया हुआ था वो शीतल के मां बाप को समझाने लगे दिलासा देने लगे- आप चुप हो जाइए बेटी को भगवान के भरोसे छोड़ दीजिए , वरना ये लोग शीतल के साथ साथ हमारी बेटियों के साथ ऐसा ही करेंगे ।


शेरू - शीतल से - देख कुतिया तेरे मां बाप की बोलती तो बंद करदी अब तेरी करनी है । शीतल की छातियों को घूरते हुवे शेरू गब्बर सिंह और अपने गुंडे साथियों से बात करने लगा । ये बाते पूरी भीड़ पुतला बनकर सुन रही थी ।

शेरू - मालिक साली पकी हुआ पपीता है ये तो बिल्कुल ।

गब्बर सिंह - निचोड़ डाल साली को ।

तभी गब्बर का एक गुंडा बोला जिसका नाम भीमा था - मालिक मैं तो कहता हूं साली के ऊपर मैं और शेरू एकसाथ चढ़ जाते है ।

अपनी दशा देखकर शीतल की आंखों से आंसू निकलने लगे ।

शेरू - नही भीमा इस साली के दाँत तो मैं अकेला ही तोडूंगा ।
ऐसा कहकर शेरू ने शीतल की कुर्ती अपने दोनों हाथों से फाड़ दी ।

शीतल ने निचे समीज पहनी हुई थी । कुर्ती फटते ही उसकी समीज में कसी चुचियाँ सामने आगयीं ।
शीतल अपने दोनों हाथो से अपनी चुचियाँ छुपाने की नाकाम कोसिस करने लगी ।

शेरू- मालिक देखा साली के चूचे , मुझे तो लगता है अपने बाप भाइयों से मसलवाकर फुलाये है इस कुतिया ने ।

गब्बर सिंह - हां देखने से लग रहा है कि अपने बाप भाइयों की रात की रंडी होगी ये ।

शीतल के आंसू और तेज बहना शुरू हो गए ।

शेरू शीतल के पीछे आया और उसके कूल्हों के बीच मे दोनों हाथों से उसकी पजामी को फाड़कर पजामी के टुकड़ों को फेंक दिया । अब शीतल घुटनो से ऊपर बस पैंटी और समीज में थी । उसकी सलवार बस अब घुटनों के नीचे ही बची थी बाकी फाड़कर फेंक दी थी शेरू ने ।

शीतल भी 24 साल की जवान लड़की थी दोस्तों पिछवाड़ा नैना के बराबर तो नही था लेकिन एक सामान्य लड़की से तो भारी थी शीतल की गांड ।
गदरायी हुई शीतल एक हाथ से अपनी चुचियों को और दूसरे हाथ से अपने कूल्हों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी ।

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शेरू फिर शीतल के पीछे आकर उसकी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर कर उसके दो टुकड़े कर दिए ।
अब तो शीतल नंगी हो गई पूरी भीड़ के सामने और जैसे ही शीतल नंगी हुई नीचे से तो गब्बर सिंह और उसके साथी गुंडे ठहाका लगाकर बहुत जोर जोर से हंसने लगे हा हा हा । उनके ठहाकों भरी हंसी भरी हंसी से पूरा माहौल गूंज गया और इस तरह हंसने की वजह थी शीतल की झांटें ।

हां दोस्तों शीतल एक सीधी-सादी लड़की थी । अपनी झांटे उसने आज तक एक भी बार साफ नहीं की थी और इस वजह से उसकी झांटे उंगलियों से भी भी ज्यादा लंबी थी । उसकी चूत बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रही थी

तभी एक हाथ से शेरू ने शीतल के बाल पकड़े और दूसरे हाथ से शीतल के दोनों हाथों को पकड़कर उसकी पीठ पर कर दिया और शीतल को भीड़ की तरफ घुमा दिया । पूरी भीड़ आंखें फाड़ फाड़ कर शीतल की तरफ देख रही थी और शीतल अपनी नजरें झुकाकर आंखों से आंखों से आंसू बहाते हुए चुपचाप खड़ी थी ।

शेरू ठहाका लगा कर हंसते हुए भीड़ से बोला - हमारे गांव की कुतियों के पास झांटे साफ करने का भी टाइम नहीं है क्या इस रंडी की झांटों ने तो कसम खा ली है की चूत को दिखने ही नहीं देंगी। इतनी लंबी झांटे रखती हैं मेरे गांव की औरतें और लौंडिया।

मुझे तो आज पता चला है ऐसा बोलकर शीतल के हाथ छोड़कर उसकी गांड पर जोरदार थप्पड़ मारा । थप्पड़ इतना जोरदार था कि चटाक की आवाज के साथ शीतल एक दो कदम आगे को बढ़ गई ।

शेरू भीड़ से - इतनी गदरायी हुई बेटियों और बहनों को अपने घर में रखते हो तुम और हमें खबर तक नहीं करते। ऐसे कैसे चलेगा काम।
कम से कम हमें बताएं तो करें ताकि हम उनकी जवानी झाड़ सकें , इनकी नथ उतार सकें । अब तुम ही देख लो गांव वालों की लौंडिया पूरा लंड खाने लायक हो गई है । पूरे गांव के सारे मर्द गांडू और हिजड़े हैं क्या कि इनकी चूतों पर लंड नहीं बजा सकते सकते ।


ऐसा कहते हुए शेरू नंगा हो गया । शेरों का काला लंड बाहर आ गया ।
पूरे गांव की भीड़ की नजरें झुक गई तभी शेरू बोला अगर किसी की नजर मुझे झुकी हुई मिली तो उसी की बहन या बेटी के ऊपर भी चढ़ूंगा आज मैं। या तो मुझे देखो या अपनी रंडी बहन बेटियों को भेजो मेरे पास ।

पूरी भीड़ ने एक साथ अपनी नजरें उठाकर आंखें फाड़ फाड़ कर शेरु और शीतल को देखने लगे । किसी ने भी नजरें झुकाने की गुस्ताखी नहीं की ।

शेरू ने अपना एक हाथ शीतल की चूत पर ले जाना चाहा लेकिन शीतल ने पकड़ लिया । शेरू ने गुस्से से शीतल के गाल पर थप्पड़ मारा और बोला- अगर दोबारा मेरा हाथ पकड़ा या अपने हाथ तूने नीचे की तो अभी तो मैं अकेला ही हूं फिर अपने सारे साथियों को चढ़ा दूंगा भोसड़ी वाली तेरे ऊपर। हाथ ऊपर कर अपने ।
 
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शीतल ने 1 सेकंड का भी समय नहीं लगाया अपने हाथों को उपर करने में क्योंकि वह बेहद डर गई जब उसने सुना कि वह उसका रेप सारे साथियों से कराएगा और आंखों से आंसू बहती हुई हाथ ऊपर करके खड़ी हो गई।

शेरू ने अपना हाथ शीतल की चूत पर रखा और उसकी झांटों में उसकी उंगलियां उलझ गयीं । झनझना गयी शीतल चूत पर हाथ पढ़ते ही । उसकी जिंदगी में यह पहला अवसर था जब किसी ने उसकी चूत पर हाथ रखा था और यहां तो पूरी भीड़ के सामने नंगी करके उसको छुआ जा रहा था।


दोस्तों आप शीतल की हालत समझ सकते हैं । शेरू ने उसकी झांटों से खेल कर अपना हाथ अपनी नाक के पास लाया और गहरी सांस लेकर बोला।

शेरू - मालिक यह तो वैसी ही है जैसी आप ढूंढ रहे है 20 साल से ।

तुरंत शेरू शीतल से दूर हट कर खड़ा हो गया ।
जैसे ही शेरू ने यह शब्द बोले सारी भीड़ आश्चर्य से उनको देखे जा रही थी।
शेरों के सारे गुंडे लोग और गब्बर सिंह के मुंह से एक साथ निकला - क्या ?

फिर कुछ मिनट तक सन्नाटा छाया रहा। गब्बर सिंह अपने हुक्के में आखरी घूंट मारकर जीप से नीचे उतरा और शीतल की तरफ आने लगा ।

शीतल का चेहरा भीड़ की तरफ था जिस वजह से उसकी गांड गब्बर सिंह की तरफ थी ।
और शीतल की हालत ऐसी हो गई थी कि मुड़कर देखना तो दूर अपनी आंखें भी खोलने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।


गब्बर सिंह पास आया और शीतल के आगे खड़ा होकर उसे घूरने लगा।
फिर शीतल के पीछे खड़ा हुआ और ध्यान से शीतल की गांड को देखते हुए बोला।

गब्बर सिंह - नहीं शेरू यह मुझे नहीं लगती कि यही मेरी तलाश है।

शेरू- मालिक गुस्ताखी माफ करना लेकिन एक बार मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि ध्यान से आप इसके चूतड़ों की चौड़ाई देखिए और उसके बाद वह टेस्ट कीजिए कीजिए जो मैंने टेस्ट किया है । आपको अपने इस प्यादे की बात पर भरोसा हो जाएगा अगर आपको मुझ पर तब भी भरोसा ना हो तो आप एक रात के लिए इसे अपने नीचे सुला लीजिए। सुबह को उठकर आप इसके गुणगान करते नहीं थकेंगे । क्योंकि यह वही है जिसके बारे में तांत्रिक बाबा ने आपको बताया था ।


पूरी भीड़ बड़ी गौर से से उनकी बात सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर यह ढूंढ क्या रहे हैं । शीतल के अंदर भी यही चल रहा था इन्हें किसकी तलाश है ।

तभी गब्बर सिंह शेरू से बोला- अगर यह वह नहीं निकली जो तांत्रिक बाबा ने बताया है तो मैं तुझे जमीन में दफना दूंगा जिंदा ही ।


यह सुनकर शेरू का हलक सूख गया लेकिन फिर भी हकलाते हुए बोला- गुस्ताखी माफ करना मालिक लेकिन आपको सलाह देना आपके इस प्यादे का कर्तव्य है । मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता लेकिन फिर भी आप एक बार चेक कर लीजिए । हो सकता है यह वही हो ।


अब शीतल भी असमंजस में पड़ गई थी कि आखिर यह लोग ढूंढ क्या रहे हैं। मुझसे चाहते क्या है । मुझमें किस चीज की यह तलाश कर रहे हैं और इन्हें क्या चीज चाहिए । यह सारे सवाल शीतल के भी दिमाग में कौंध रहे थे।


तभी गब्बर सिंह शीतल के पीछे घुटनों के बल बैठ गया और शीतल के नितंबों पर हल्के से थप्पड़ मार कर कूल्हों को सहलाता हुआ बोला- लग तो मुझे भी रहा है शेरू लेकिन मैं भी यकीन के साथ नहीं कह सकता और लग मुझे इसलिए रहा है क्योंकि यह बिना चुदे ही इतनी भारी गांड लिए हुए हैं तो लौड़ा खा कर तो ये घोड़ी की तरह हिनहीनयेगी।


तभी गब्बर सिंह शीतल के पीछे अपने घुटनों के बल बैठा और उसके चौड़े चौड़े चूतड़ों को विपरीत दिशा में फैलाता हुआ और अपनी नाक को उसकी चूत और गांड के छेद के बीच वाली जगह में रखकर गब्बर सिंह ने अपने दोनों हाथो को चूतड़ों से हटा लिया जैसे ही हाथ कूल्हों से हटे तो जो चूतड़ अभी अभी विपरीत दिशाओं में फैले हुए थे उन दोनों मोटे मोटे नितंबों ने गब्बर सिंह का चेहरा दबा लिया। अपना चेहरा शीतल की गांड में दबाकर एक गहरी और लंबी सांस खींची गब्बर सिंह ने ।


दोस्तों जैसे ही एक साथ गब्बर सिंह ने उसकी गांड में मुँह रखकर सांस ली शीतल की आंखें अपने आप खुल गई ।

गहरी सांस लेकर शीतल की गांड से अपना मुंह हटा कर गब्बर सिंह बोला- सही कहा शेरू तूने नशा तो है साली में पर कैसे पता किया जाए यह वही है या नहीं ।
 
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गब्बर सिंह शीतल के सामने आया और उसकी झांटे भरी चूत में अपनी उंगलियां फसा दीं । गब्बर सिंह उसकी झांटों के बालों को खींचते हुए भीमा की तरफ देखते हुए बोला ।

गब्बर सिंह - देखा साली की झांटें इतनी बड़ी है कि तुम लोगों का लोड़ा झांटों में ही खो जाएगा । तुम्हारे बस की नहीं है इसे चोदना और ऐसा कहकर गब्बर सिंह ने अपने बीच वाली उंगली से शीतल की चूत के छेद को ढूंढना शुरू कर दिया।

फिर दोबारा बोला गब्बर सिंह - कितनी गहरी चूत होगी इस कुतिया की। छेद ही नहीं मिल रहा बहन की लोड़ी का । तभी अपनी उंगली शीतल की चूत के छेद पर हल्की सी ऊँगली शीतल की चूत में घुसानी चाही लेकिन नाखून बराबर उंगली घुसते ही शीतल पीछे की तरफ हट गई । आह की आवाज के साथ ।
यह आवाज मस्ती कि नहीं बल्कि दर्द की थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार शीतल ने अपनी चूत के छेद पर किसी की उंगली महसूस की थी। उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर गब्बर सिंह भीड़ से बोला ।

गब्बर सिंह - भोसड़ी वालों करते क्या हो तुम लोग । तुम्हारे घर बहन बेटियों की चूतों के छेद बंद पड़े हैं और तुम्हारे बस की नहीं है इन चूतों को खोलना ।देखा किसी ने नाखून बराबर उंगली भी चूत में नहीं गई और साली उछल पड़ी । लंड लेने में तो यह गला फाड़ कर रोएगी ।

गब्बर सिंह ने शीतल की चूत के छेद पर दोबारा से उंगली रखकर नाखून बराबर घुसाई । शीतल को फिर दर्द का एहसास हुआ ।

इस बार गब्बर ने उंगली को हल्की सी घुसाकर निकाल लिया और अपनी नाक के पास लाकर अपनी आंखें बंद करके उसकी खुशबू लेने लगा ।

गब्बर फिर बोला - शेरू हम अभी भी असमंजस में हैं कि यह वही लड़की है या नहीं और ऐसा कह कर उसने शीतल की चूत के छेद पर उंगली रखी और पूरी जान से उसकी चूत में उंगली घुसा दी ।

जैसे ही शीतल की चूत में उंगली गयी असहनीय दर्द के साथ शीतल पैरों के पंजों पर उचक कर खड़ी हो गई मानो उंगली पर टांग ली हो गब्बर सिंह ने।

और अपने दोनों कानों पर हाथ रखकर शीतल बुरी तरह से चीखी - नैना Nainaaaaaaaa ।

दोस्तों शीतल इतनी तेज चीखी थी कि उसकी यह पुकार नैना के कानों में पड़ी । उसने जल्दी से मंदिर की बाहर की तरफ देखा तो सारी की सारी भीड़ मंदिर की तरफ पीठ करके खड़ी थी ।

उसे समझने में देर ना लगी कि शीतल किसी मुसीबत में है । शीतल की आवाज मानो नैना के कानों में गूंज रही थी- नैना नैना नैना नैना ।

नैना ने चाकू को अपनी पीठ के पीछे हाथ करके छुपाया और अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ करके भीड़ की तरफ आने लगी ।

नैना बड़ी ही मस्तानी चाल से बिल्कुल निडर होकर भीड़ को चीरती हुई भीड़ को पार किया ।

जैसे ही भीड़ से निकली नैना। उसकी आंखों के सामने जो नजारा था उसे यकीन नहीं हुआ । उसकी आंखों में मानो चंडी तांडव करने लगी नैना ने अपने दांत गुस्से से पीस लिए और पीछे हाथ में लिए चाकू को हाथों से कस लिया ।

गब्बर सिंह ने जैसे ही देखा कि शीतल ने किसी नैना को पुकारा है और एक लड़की भीड़ में से निकल कर आई है।

गब्बर सिंह हंसते हुए बोला- यह बचाएगी तुझको हा हा हा । बुलाले जिस को बुलाना है आज तो तुझे हम अपने कंधे पर उठाकर नंगी ही अपने शयनकक्ष में ले जाएंगे ऐसा बोल ही रहा था गब्बर सिंह कि नैना बढ़ते हुए उनकी तरफ आने लगी ।

जैसे-जैसे नैना गब्बर सिंह की तरफ बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे गब्बर सिंह और उसके साथियों की आंखें चौड़ी होती जा रही थी और मुंह खुले के खुले रह गए थे उसकी वजह थी नैना का जिस्म नैना का गदराया बदन ।

क्योंकि वास्तव में नैना पर पहली बार नजर पड़ी थी गब्बर सिंह और उसके साथियों की। उन्होंने पहले ऐसी लड़की नहीं देखी थी जिसकी छातियां बाहर को निकल कर तनी हुई हों और चलते हुए किसी मस्तानी हथनी की तरह उसके मस्ताने कूल्हे थलथला रहे हो । अजीब सा नशा था नैना की चाल में। पटियाला सलवार में चलते हुए उसके चूतड़ों की थिरकन छुपी नहीं रहती थी।
 
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अब तक नैना पास आ चुकी थी गब्बर सिंह और शीतल के ।

नैना गब्बर की आंखों में घूरती हुई बोली- हाथ छोड़ शीतल का।


गब्बर को यकीन ही नहीं हो रहा था कि इस दुनिया में उससे कोई इस तरीके से भी आंख मिला सकता है । उसकी हैरानी से आंखें फैल गई ।

तभी नैना गुस्से से अपने दांत पीसते हुए बोली - मैंने कहा हाथ छोड़ ।

पूरे गांव वाले आंखें फाड़ कर नैना की दिलेरी को देख रहे थे ।


तभी बराबर में जो नंगा शेरू खड़ा था वह उखड़ते हुए नैना से बोला- साली क्या बोलती है मालिक से। तेरी बोलती भी अभी बंद करता हूं इस रंडी की तरह । ले मैं तेरा हाथ पकड़ता हूं।

फिर उसने ऐसा बोलकर जैसे ही नैना का हाथ पकड़ना चाहा। तो सारी भीड़ के हाथ अपने मुंह पर चले गए । सब ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया ।

दोस्तों हुआ ही कुछ ऐसा था जैसे ही शेरू ने नैना का हाथ पकड़ना चाहा नैना ने गजब की फुर्ती से अपने चाकू वाले हाथ से शेरों के लंड की जड़ पर चाकू मारा। प्रहार इतना तेज था की शेरू का लंड कट कर जमीन पर गिर पड़ा। और उसी सेकंड शेरू भी अपने दोनों हाथ लंड वाली जगह पर रख कर जमीन पर चित हो गया । खून की नाली सी बहने लगी ।


यह नजारा देखकर गब्बर सिंह ने 1 सेकेंड के अंदर शीतल का हाथ छोड़कर दोनों हाथ ऊपर कर लिए । अब गब्बर सिंह नैना के सामने ऐसे खड़ा था जैसे पुलिस के सामने चोर अपने दोनों हाथ ऊपर करके खड़ा होता है ।

पूरे गांव की भीड़ यह नजारा देख रही थी और अजीब सा सन्नाटा था । तभी एक और चटाक की आवाज गूंजी और यह आवाज थी नैना के थप्पड़ की जो उसने गब्बर सिंह के गाल पर मारा था । नैना के हाथ का थप्पड़ पड़ते गब्बर ने एक हाथ अपने गाल पर रख लिया ।


तभी गांव वालों की भीड़ ने एक अजीब शोर उठा दिया । भीड़ वालों की आवाज से आसमान तक गूंज उठा । गांव वालों की ये आवाज सुनकर गब्बर को पहली बार डर का अनुभव हुआ था । गब्बर सिंह को इस आवाज ने अंदर से झकझोर कर रख दिया । गब्बर सिंह के खोफ की जड़ो को हिला दिया था इस आवाज ने ।
हां दोस्तों जानना चाहते हो ना आप की ये क्या आवाज थी ।
ये आवाज थी सभी गांव वालों की, सभी बूढ़े और बच्चो को , सभी बहन और बेटियों की , सभी पुरुषों की जो अपना हाथ बार बार उठाकर
बस बार बार एक ही शब्द बोल रहे थे - नैना नैना नैना नैना नैना ...


इस दिलेरी की उम्मीद तो दूर कल्पना भी नहीं की थी गब्बर ने ।

गब्बर सिंह के सारे गुंडे कांपने लगे लेकिन जैसे ही गब्बर सिंह ने अपने साथियों की तरफ देखा तो गुंडों ने मजबूर होकर नैना की तरफ बढ़ना शुरू किया क्योंकि उन्होंने गब्बर सिंह का नमक खाया था ।

एक गुंडा नैना के पास आया और नैना को थप्पड़ मारने लगा जैसे ही उसने थप्पड़ मारने के लिए हाथ बढ़ाया कि अचानक उसका हाथ किसने पकड़ लिया । यह देखकर नैना मुस्कुरा पड़ी । अचानक गुंडे ने अपना चेहरा पीछे की तरफ घुमाया तो चेहरा घूमते ही उसके मुंह पर घुसा पड़ा जिससे वह वहीं जमीन पर चित्त हो गया । और उसी समय एक लात गब्बर सिंह के पेट में पड़ी । लात लगते ही गब्बर सिंह जीप के शीशे में जाकर लगा और जीप का शीशा टूट गया । दरअसल हुआ ऐसा जब वह गुंडा नैना को थप्पड़ मारने के लिए बढ़ा वैसे ही पीछे से नवीन ने उसका हाथ पकड़ लिया।
हां दोस्तों यह लात मारने वाला कोई और नहीं बल्कि नैना का भाई नवीन था ।


अब तो सारे गुंडे दुम दबाकर भागने लगे । सारे गुंडे गब्बर सिंह सुख को जीप में डालकर जल्दी से यहां से भागे ।

सारे गांव की भीड़ अभी खड़ी खड़ी तमाशा देख रही थी।
नैना ने अपना दुपट्टा उतारा और उससे शीतल को ढक दिया ।
तभी भीड़ में से नैना के पास एक लड़का आया जो शीतल के चाचा का लड़का था , उसने आकर नैना को धन्यवाद कहा हाथ जोड़कर , तभी उसके गाल पर नैना का तमाचा पड़ा ।
जैसे ही नैना में शीतल के चाचा के लड़के को तमाचा मारा शीतल हैरानी से नैना को देखने लगी ।

तभी किसी शेरनी की तरह दहाड़ी नैना - हिजड़ों की बस्ती में कोई ऐसा नहीं जो अपनी बहन और बेटी की रक्षा कर सके। अब मुझे तुम धन्यवाद देने आ रहे हो जब तुम्हारी बहन के यहां नंगा किया जा रहा था तब तुम कहां थे । अगर इस गांव का यही हाल रहा। इसी तरह जलालत भरी जिंदगी जीते रहे तो एक दिन गब्बर सिंह तुम सब की बहन बेटियों को ऐसे ही नंगी करेगा । थूकती हूं मैं ऐसे मर्दो पर मेरी नजर में तुम मर्द नहीं छक्के हो छक्के ।

पूरे गांव को शर्मिंदा करके नैना ने अपने भाई नवीन का हाथ पकड़ा और बढ़ गई अपने घर की तरफ ।

नैना और नवीन के चलने का स्टाइल कुछ ऐसा था जैसे मानो फिल्म के दो हीरो अपना मिशन पूरा करके attitude से चल रहे हों ।


रात के 9:00 बज चुके थे पूरे गांव में आज सन्नाटा था।
कोई अपने घर से बाहर नहीं निकल रहा था ।


उधर दूसरी तरफ गब्बर सिंह अपने साथियों के साथ बैठा हुआ था ।
बीच में मेज रखी थी जिस पर दारू की चार बोतल रखी थी , और चारों तरफ उसके गुंडे बैठे थे , कुछ गुंडे खड़े भी थे जिनके हाथों में हथियार थे ।

तभी भीमा बोला - मालिक आप चिंता ना कीजिए आप मुझे हुकुम दें मैं उनका खेल अभी खत्म करके आता हूं ।

गब्बर सिंह - नहीं भीमा नहीं सोचना पड़ेगा , सोचना पड़ेगा मुझे उनके बारे में । बहुत गहराई से सोचना पड़ेगा। पहली बार आज मुझे किसी ने थप्पड़ मारा है । जिसने इतनी हिम्मत की है उसका खेल खत्म करने के लिए बहुत सोचना पड़ेगा भीमा । मुझे वह लड़की शीतल चाहिए । अगर वह लड़की वही निकली जिसे मैं 20 सालों से ढूंढ रहा हूं तो मैं तुझे क्षेत्र का राजा बना दूंगा । लेकिन मुझे वह लड़की चाहिए जो मुझे तांत्रिक ने बताया था और वह लड़की मुझे चाहिए किसी भी कीमत पर ।


भीमा - मालिक माफ कीजिएगा लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि क्या वही वह लड़की है जिसे हम ढूंढ रहे हैं अपने मालिक के लिए ।

गब्बर सिंह - मुझे लग रहा है कि वही है पर मैं यकीन के साथ नहीं कह सकता ।

तभी गब्बर ने हाथ से भीमा को चुप रहने का इशारा किया । और खुद भी चुप हो गया ।

कुछ देर बाद भीमा - क्या हुआ मालिक आप खामोश क्यों हो गए ।

गब्बर सिंह ने खामोशी की वजह किसी को नही बताई । और उठकर सोने चला गया सबको वही छोड़कर ।

बिस्तर पर जब गब्बर सिंह सोने लगा कि अचानक उसने फिर से वही खामोशि महसूस की और उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए ।

दोस्तो इसकी वजह ये थी कि गब्बर सिंह के कानों में बस एक ही आवाज गूंज रही थी ।
और वो आवाज थी गांव वालों की - नैना नैना नैना नैना ---------

**********
दोस्तों अगर आपको कहानी समझ में आ रही हो या अच्छी लगी हो तो कृपया करके कमेंट करें ।

ताकि मैं इसे आगे लिखना जारी रखूं ।
साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद।
आपका अपना - रचित ।
 
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Update- 2

_____अब तक आपने पढ़ा_____
बिस्तर पर जब गब्बर सिंह सोने लगा कि अचानक उसने फिर से वही खामोशि महसूस की और उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए ।


दोस्तो इसकी वजह ये थी कि गब्बर सिंह के कानों में बस एक ही आवाज गूंज रही थी ।

और वो आवाज थी गांव वालों की - नैना नैना नैना नैना ---------

_______अब आगे_______

अब इस घटना को 10 - 15 दिन बीत चुके थे ।

उधर गब्बर सिंह की नींद उड़ी हुई थी । वह पाना चाहता था शीतल को क्योंकि जिस लड़की की उसे तलाश थी वही शीतल है ऐसा गब्बर सिंह को लग रहा था ।
गांव में भी हालात नॉर्मल होने लगे।

1 दिन गब्बर सिंह ने भीमा को बुलाया ।

गब्बर सिंह - भीमा मैं देखना चाहता हूं कि शीतल वही लड़की है क्या जिसकी मुझे तलाश है ।

भीमा - मालिक मुझे तो वही लड़की लगती है। क्योंकि उसकी गांड और चूत नहीं देखे क्या आपने ?

तभी गब्बर सिंह ने घूरते हुए भीमा की तरफ देखा , भीमा सपकपा गया।

भीमा - माफी चाहता हूं मालिक , मैं अपनी होने वाली भाभी के बारे में ऐसा बोला। मैं तो कहता हूं शीतल ही हमारी भाभी है । जिसकी आपको तलाश है।
यह सुनकर गब्बर सिंह मुस्कुरा पड़ा ।

गब्बर सिंह - भीमा हम उस लड़की की पहचान करना चाहते हैं। हम देखना चाहते हैं कि वह वही लड़की है क्या या कोई सामान्य लड़की । इसलिए आज अपने आदमियों को लेकर जाओ और उसे हमारी हवेली पर लेकर आओ । हम तैयार मिलेंगे ।

भीमा समझ गया उसे क्या करना है , वो बस इतना ही बोल पाया- जी मालिक । और गब्बर सिंह के सामने से चला गया ।


दोस्तों गब्बर सिंह की हवेली गांव के बिल्कुल बीचो-बीच बनी हुई थी ।
उसकी हवेली से 200 मीटर के आस पास कोई घर नहीं था , बिल्कुल खाली जगह में बनाई थी गब्बर सिंह ने अपनी हवेली ।

भीमा अपने साथ 10-15 गुंडे लेकर निकल गया।

उधर शीतल अपने घर बैठे हुई थी । शीतल अपनी मां सावित्री से बिल्कुल खुली हुई थी
कहने का मतलब है दोनों मां बेटियों में दोस्ती का रिश्ता कुछ ज्यादा था।
इसलिए दोनों अपने दिल की बात एक दूसरे से शेयर कर लेती थी ।
घर पर केवल शीतल और उसकी मां सावित्री थे ।


सावित्री- बेटी में सोच रही हूं तेरी शादी कर देनी चाहिए ।

शीतल- मुझे नहीं करनी अभी शादी वादी । अभी तो मेरे खेलने खाने के दिन है मम्मी ।

सावित्री- रहने दे बेटी । तू मेरा मुंह मत खुलवाया कर ।

शीतल हंसते हुए - अब मेरी कमीनी मां फिर कुछ ना कुछ उल्टा सीधा बोलेगी।


सावित्री - क्यों ना बोलूं उल्टा सीधा जब तू बात ही ऐसी करती है कि अभी तो मेरे खेलने खाने के दिन हैं । बेटी अब तेरे खेलने खाने के नहीं अपने ऊपर चढ़ाने के दिन हैं ।


मम्मी- कितनी गंदी बातें करती हैं आप । मुझे शर्म आती है ।

सावित्री- पगली यह शर्म ही तो लड़की का गहना होती है । जो लड़की जितनी शर्मीली होती उसके अंदर उतनी ही ज्यादा एक बेशर्म औरत होती है । अब तू इतनी शर्मीली है तो सोच रही हूं कि बेशर्म कितनी होगी तू ।


शीतल - मुझे तो लगता है मम्मी मैं बेशर्म हूं या नहीं लेकिन आप पक्की बेशर्म हो ।

सावित्री - जब मैं बेशर्म हूं तभी तो तू बेशर्म है , आखिर तू बेटी किसकी है।

अचानक शीतल को कुछ शैतानी सूझी वह मुस्कुराते हुए बोली- मैं उसकी बेटी हूं जिसे चलते हुए अपने नितंब हिलाने में मजा आता है , जिसे अपना पिछवाड़ा हिलाकर चलने में मजा आता है ।


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इतनी बात हो ही रही थी तभी दरवाजे पर भीमा दिखाई दिया ।

शीतल और सावित्री की तो जैसे जान ही सूख गई ।

भीमा- ये रही दोनों मां बेटियां । इसकी बेटी को उठा लो ।

तभी 4-5 गुंडों ने शीतल की तरफ लपक्का मारा और शीतल को दबोच लिया ।
एक ने रुमाल निकाल कर शीतल के मुंह को बंद कर दिया ।
और शीतल को जबरदस्ती घर से बाहर ले जाकर गाड़ी में डाल दिया ।

उधर सावित्री ने भी रोना पीटना शुरू कर दिया - मेरी बेटी को छोड़ दो, कहां ले जा रहे हो मेरी बेटी को । तुम्हें जो चाहिए मुझसे लो मेरी बेटी को छोड़ दो।

लेकिन भीमा और उसके गुंडों ने उन दोनों की चीखों को अनसुना कर दिया और शीतल को गाड़ी में डालकर चल पड़े हवेली की तरफ ।

तभी शीतल की मां रोते हुए दौड़ती हुई नैना के घर गई (बलराज सिंह के घर गई ) ।

सावित्री बलराज से गेट पर रोती हुई बोली - भाई साहब मेरी बेटी को बचा लो । मेरी बेटी को गब्बर सिंह के आदमी उठाकर ले गए हैं , वो मेरी बेटी को भी मार देगा।


हां प्रिय पाठकों यही सच्चाई थी कि जिस लड़की को भी गब्बर सिंह के गुंडे उठाकर गब्बर सिंह के पास ले जाते थे उसकी लाश ही वापस आती थी ।


अंदर घर में नैना खाना खा रही थी । नैना ने जैसी ही यह सुना उसे लगा कि ये तो सावित्री की मां की आवाज है । नैना तुरंत भाग खड़ी हुई और पेट पर आई ।

नैना - क्या हुआ चाची जी ।

सावित्री ने रोते हुए बताया - नैना बेटी तेरी सहेली शीतल को गब्बर सिंह के आदमी उठाकर ले गए हैं ।

नैना ने जैसी ही यह सुना , नैना की आंखों में सफेद रंग की जगह लाल रंग ने ले ली ।
उसकी आंखों में चंडी उतर आई ,
नैना का गुस्सा उसके सर पर तांडव करने लगा ।
उसकी मुट्ठियाँ भिंचती हुई चली गयी ।


दूसरी तरफ जैसे ही शीतल को गाड़ी से उतारकर हवेली में ले जाया गया ।
गब्बर सिंह की आंखों में एक अजीब चमक आ गई । उसके माथे पर हैरानी के भाव दिखे क्योंकि शीतल को देखकर गब्बर सिंह का मुंह खुला का खुला रह गया ।

शीतल इस वक्त जींस टॉप में गजब की कयामत थी । उसकी गदरायी हुई जांघे थोड़ा सा बाहर को निकल हुआ पिछवाड़ा जानलेवा लग रहा था ।


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गब्बर सिंह बोला- इसे हमारे शयनकक्ष में ले जाकर छोड़ दो मैं इससे वही मिलता हूं ।


शीतल को एक कमरे में पहुंचा दिया गया। शीतल ने वह कमरा देखा तो उसकी आंखें बड़ी हो गई और उसके मुंह से निकला - नहीं -- मेरी इज्जत बचा लो भगवान ।

क्योकि दोस्तों कमरे में ना कोई बैड था , ना कोई सोफा , ना कोई कुर्सी , ना ही कमरे में कुछ सामान था , ना ही कोई अलमारी ।
उस कमरे में नीचे मोटे मोटे गद्दे बिछे हुए थे और गद्दों पर सफेद रंग की चादर और उस पर कुछ गुलाब के फूल ।

जैसे ही शीतल कमरे में घुसी तुरंत भीमा ने दरवाजा बाहर से लगा दिया।

शीतल दरवाजा पकड़ कर रह गई । आने वाले पल के बारे में सोच कर घबराने लगी । तभी शीतल की नजर अपने पैरों पर गई उसने चप्पल पहने हुई थी । शीतल गद्दों पर खड़ी थी जिस वजह से उसकी चप्पल से सफेद चादर गंदी हो रही थी ।
अचानक उसके मन में पता नहीं क्या आया उसने अपनी चप्पल उतार कर एक तरफ रख दी और नंगे पैर बेड पर खड़ी हो गयी।
शीतल बिल्कुल मौन चुपचाप घबराए हुए अपनी आंखों से आंसू बहाते हुए खड़ी थी ।

भीमा गब्बर सिंह से आकर बोला - मालिक पहुंचा दिया है आपके कमरे में , जाइये और पहचान कर लीजिए ।

गब्बर सिंह अपनी सोच में डूबा हुआ बैठा था तभी भीमा की आवाज से उसे झटका सा लगा और बोला ।

गब्बर सिंह- हां मैं भी यही सोच रहा हूं लेकिन भीमा यदि यह शीतल मर गई तो ।

भीमा मालिक इतना मत सोचिए आपको जिस लड़की की तलाश है उसकी पहचान कीजिए। मर भी जाएगी तो भी आप का कोई बाल भी नहीं उखाड़ सकता । आप चिंता मत कीजिए ।

यह सुनकर गब्बर सिंह शीतल के कमरे की तरफ चलने लगा।
उसने कुर्ता पजामा पहना हुआ था काले रंग का । ऊपर से गब्बर सिंह का रंग भी काला था । लेकिन दोस्तों गजब की फुर्ती और ताकत थी गब्बर सिंह में ।
गब्बर सिंह में अकेले 30 आदमियों का सामना करने की ताकत थी। इतना ताकतवर था वो । अपनी ताकत के दम पर ही अपने इलाके में राज करता था ।

शीतल को महसूस हुआ जैसे दरवाजे को कोई बाहर से खोल रहा हो। शीतल के दिल की धड़कन बढ़ गयीं।
तभी शीतल को दरवाजे पर गब्बर सिंह दिखा , क्योंकि दरवाजा खुल चुका था ।

गब्बर सिंह के चेहरा और उसके शरीर को देखकर कांप गई शीतल ।
उसके अंदर का भय और घबराहट शीतल के चेहरे पर दिखने लगी ।

गब्बर सिंह ने दरवाजा बंद कर दिया जूते उतार कर एक तरफ रख दिये।
कमरे के बीचो बीच गद्दों पर आकर खड़ा हो गया ।
बड़ी गौर से से शीतल को देखने लगा । शीतल की जीन्स का साइज तो बड़ा लग रहा था लेकिन वो जीन्स फंसी हुई थी शीतल की जांघो में ।

शीतल के बदन को देखकर गब्बर सिंह बोला - मुझे तुझसे कोई दुश्मनी नहीं है लेकिन मैं तुझ में अपना भविष्य देख रहा हूं । शीतल तुम मुझे एक गुंडा समझती हो मैं जानता हूं लेकिन। तुम यह भी जानती हो कि मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं छेड़ा। किसी भी लड़की के साथ गुंडागर्दी नहीं की । मैं मानता हूं कि मैंने लोगों को मौत के घाट उतारा है । मैं जानता हूं कि मेरे खिलाफ बोलने वाले हर शख्स की गर्दन कटती आई है आज तक लेकिन मैंने आज तक कभी किसी औरत या लड़की को नहीं छेड़ा ।


शीतल ने जैसे ही ये सुना उसकी आँखों ने डर की जगह नफरत और गुस्से ने ले ली । तभी शीतल चीखते हुए बोली ।

शीतल - तुम्हारे जैसा कमीना गुंडा और जल्लाद इंसान मैने आजतक नही देखा । तुम कहते हो कि तुमने आजतक किसी लड़की को नही छेड़ा बल्कि सच्चाई तो सारा गांव जनता है कि तुम सैकड़ो लड़कियों की हत्या कर चुके हो उन्हें अगवा करके । पता नही कितनी लड़कियों को अगवा किया है तुमने ।

गब्बर सिंह ने पूछा - तुम मुझसे जानना नहीं चाहोगी इसकी वजह क्या है ?


शीतल- एक गुंडे की वजह क्या हो सकती है ये सब जानते है ।


गब्बर सिंह बोलने लगा - शीतल जब मैं 18 साल का था तब मैंने एक साधु महात्मा की धर्मपत्नी को छेड़ दिया था, उनका रेप कर दिया था मैंने और उसी बीच वह साधु महात्मा वहां पहुंच गए । उन्होंने मुझे अपनी बीवी के साथ जबरदस्ती करते हुए देख लिया । उन्होंने दरवाजे पर खड़े हुए अपनी ऊंची आवाज में मुझे श्राप दिया ।

साधू महात्मा - हे नीच बालक अपनी इस ताकत के मद में चूर होकर तूने मेरी पतिव्रता धर्मपत्नी पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करके मेरी पत्नी के पतिव्रता व्रत को तोड़ा है । मैं तुझे श्राप देता हूं कि तेरी यही ताकत 30 मनुष्यों के बराबर हो जाए , तुझमे अकेले ही एक हाथी के बराबर बल आजाये । और इतनी ताकत आने के बाद तेरे नीचे तेरे शयन कक्ष में जो भी औरत या कन्या तेरे साथ सोएगी वह तेरे लिंग के प्रहारों से मर जाएगी , तेरे लिंग की ताकत से वो कन्या मर जाएगी जिस वजह से तू कभी स्खलन का सुख नही ले पायेगा , मेरा श्राप है तू कभी यौन सुख का आनंद नही ले पायेगा ।


गब्बर सिंह - हां शीतल यही सच है श्राप मिलने के बाद मैंने देखा कि मेरा शरीर दोगुना हो गया है । मेरे अंदर एक अजीब सी ताकत आ गई । मैंन जो कपड़ें पहन रखे थे वो चर्रर चर्रर करते हुए फट गए । मैं खुद हैरान रह गया क्योंकि 30 इंसानों की ताकत आने की वजह से और मेरा शरीर दोगुना होने की वजह से मेरे लिंग का साइज भी दोगुना हो गया। मेरा लिंग उस वक्त 8 इंच का था जो कि 16 इंच का हो गया । मैं बिल्कुल घबरा गया मैं रोते हुए बाबा के साधु महात्मा के चरणों में गिर गया
और माफी मांगने लगा - हे साधु महात्मा जी मुझे माफ कर दीजिए मुझसे घोर अपराध हुआ है मुझे यह श्राप मत दीजिए । मैं आपका ऋणी रहूंगा। मुझे आप श्रापमुक्त कीजिए। जब मैं ज्यादा रोने पीटने लगा तो साधु महात्मा को मुझ पर दया आ गई और वे बोले।

साधू महात्मा - यह श्राप मेरा दिया हुआ है इसलिए कभी वापस नहीं हो सकता है लेकिन इसका उपाय जरूर हो सकता है बालक । मैं तुझे श्राप के साथ साथ एक वरदान भी देता हूं । कुछ समय के बाद इस धरती पर एक ऐसी कन्या जन्म लेगी जो पूरी दुनिया में सबसे अलग होगी । तेरी ही तरह तगड़ी होगी । जब तू उस कन्या के साथ संभोग करेगा तो वह कन्या नहीं मरेगी केवल वही कन्या होगी जो तुझे सहन कर पाएगी , तेरा सामना कर पाएगी , तेरे लिंग के प्रहारों को केवल उसी की योनी झेल पाएगी। उसकी तलाश तुझे खुद करनी होगी।

मैं फिर रोते हुए बोला - महात्मा जी इतनी बड़ी दुनिया में उस लड़की की तलाश कैसे करूंगा मैं ।

साधु महात्मा बोले - बालक मैं तुझे उस कन्या की कुछ विशेषताओं के बारे में बता देता हूँ जिससे तुझे उस कन्या को खोजने में आसानी होगी लेकिन अपनी खोज तुझे स्वयं करनी होगी । तो सुन उस कन्या की विशेषताएं ---
1- उस कन्या का शरीर उसकी उम्र से ज्यादा बड़ा प्रतीत होगा ।
2- उस कन्या के वक्ष जैसे उसकी छातियां और नितंब भी विशालकाय होंगे।
3- उस कन्या को तेरे अलावा कोई और संतुष्ट नही कर पायेगा ।
4- और उस कन्या की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि उसके शरीर से उसके मूत्र की महक हर समय बिखरेगी, लेकिन उसे वही सूंघ पायेगा जिसके सामने वो नग्न होगी या जब उसके कोई बिल्कुल करीब होगा ।।
 
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update 3​


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आपने पीछे update- 2 में पढ़ा था -----
साधु महात्मा बोले - बालक मैं तुझे उस कन्या की कुछ विशेषताओं के बारे में बता देता हूँ जिससे तुझे उस कन्या को खोजने में आसानी होगी लेकिन अपनी खोज तुझे स्वयं करनी होगी । तो सुन उस कन्या की विशेषताएं ---

1- उस कन्या का शरीर उसकी उम्र से ज्यादा बड़ा प्रतीत होगा ।

2- उस कन्या के वक्ष जैसे उसकी छातियां और नितंब भी विशालकाय होंगे।

3- उस कन्या को तेरे अलावा कोई और संतुष्ट नही कर पायेगा ।

4- और उस कन्या की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि उसके शरीर से उसके मूत्र की महक हर समय बिखरेगी, लेकिन उसे वही सूंघ पायेगा जिसके सामने वो नग्न होगी या जब उसके कोई बिल्कुल करीब होगा ।।
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अब आगे ---------

ऐसा कहकर साधु महात्मा अपनी पत्नी को लेकर चले गए ।
उस दिन से आज तक मैं उस लड़की की तलाश करता आ रहा हूं और मेरे नीचे जो भी लड़की आती है वह संभोग करते हुए ही मर जाती है । अब तक सैकड़ों लड़कियां मर चुकी हैं लेकिन वह आज तक नहीं मिली जिसकी मुझे तलाश है ।

शीतल तो यह सुनकर कांप गयी मानो उसे कानों पर विश्वास नही हो रहा था ।

शीतल- नहीं वह लड़की में नहीं हूं । मेरी जान मत लो । आखिर तुम कैसे कह सकते हो कि वो लड़की मैं ही हूं ।


गब्बर सिंह - ये तुम अपनी नजर से देख रही हो, मेरी नजर से देखो। कितना भारी पिछवाड़ा है तुम्हारा , हल्के मोटे इंसान को तो 1 मिनट भी नहीं रुकने दोगी अपने ऊपर ।

यह सुनकर बुरी तरह से शर्मा गयी शीतल ।

शीतल अपने मुंह पर उदासी लाते हुए - देखिए आप की कहानी जो भी है मैं समझ सकती हूं , लेकिन मुझे अपनी जान बहुत प्यारी है । मैं मरना नहीं चाहती ।


गब्बर सिंह- मेरा भी उद्देश्य तुम्हें मारने का का नहीं है , लेकिन मुझे लग रहा है तुम्हारा पिछवाड़ा इतना निकला हुआ है और तुम्हारी छातियां भी गोल गोल है , तो हो सकता है तूम ही निकल आओ वह लड़की और तुम मुझे जानती हो कि यह मैं जबर्दस्ती भी कर सकता हूं और मैं करूंगा ही । अब तुम पर निर्भर करता है कि अपनी मर्जी से मुझे यह करने दोगी या मैं जबर्दस्ती करूं ।


शीतल सुनकर डर गई अपनी इज्जत को बहुत ज्यादा प्यार करती थी।
उधर गब्बर सिंह ने अपना कुर्ता उतार दिया और अपना पजामा भी निकाल दिया ।
शीतल की तो आंखें फटी की फटी रह गई शीतल मन में सोचने लगी यह आदमी है या दानव । आज तक मैंने किसी भी लड़के या आदमी का ऐसा शरीर नहीं देखा । कितनी चौड़ी छाती है इस गुंडे की , दोनों निपल्स के बीच दो बिलांद का फासला है और कितने मांसल जांघ है इसकी । यह तो मेरी जान ही निकाल देगा तभी शीतल की नजर गब्बर सिंह के अंडरवियर पर पड़ी तो उसके हाथ उसके मुंह पर आ गए । क्योंकि कोई गोला सा रखा हुआ था गब्बर सिंह के अंडर वियर में ।

गब्बर सिंह ने अपना अंडरवियर भी उतार किया जैसे ही गब्बर सिंह ने अंडरवियर उतारा तो उसके अंडरवियर में गोला जैसी कोई और चीज नहीं बल्कि गब्बर सिंह का सोया हुआ महालंड था जो अंडर वियरउतरते ही लंबा होकर लटक गया । सोया हुआ लंड भी कम से कम 13 इंच का होगा ।
 
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शीतल की तो जान ही हलक को आ गई गब्बर सिंह का सोया हुआ महालंड देखकर । पहली बार लंड देखा था अपनी जिंदगी में शीतल ने लेकिन उसने पोर्न फिल्मों में सेक्स देखा था लेकिन उनके खड़े हुए लंड भी इतने लंबे उसने नहीं देखे थे जितना गब्बर सिंह का सोया हुआ लंड था । उसके सोए हुए लंड की मोटाई ही कलाई के बराबर थी ।

गब्बर सिंह हंसते हुए बोला - मुंह पर हाथ क्यों रखती है लंड का स्वागत कर। अगर तू इस लंड के नीचे टिक गई तो तेरी जिंदगी बचेगी वरना मर जाएगी। अब फैसला करना है कि तुम मेरे लंड को कैसे झेलोगी इसलिए अपने इस रोते हुए मुंह पर वासना ला और अपने पिछवाड़े को तैयार कर मेरे लंड का सामना करने के लिए और अपनी चूत में पानी ला मेरे लंड की रगड़ झेलने के लिए । यही एक रास्ता है बस तेरे पास बचने का ।

कमरे में सन्नाटा था लेकिन तभी कुछ देर बाद बाद एक भयंकर थप्पड़ की आवाज आई । बहुत ही ताकत से मारा गया थप्पड़ था ये ।

दोस्तों आप सोच रहे होगे कि कहानी में क्या ट्विस्ट आने वाला है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है हा हा हा हा । हां दोस्तों यह नैना का थप्पड़ नहीं बल्कि गब्बर सिंह का थप्पड़ था , जो शीतल की भारी भरकम गांड पर पड़ा था ।

बेशक शीतल के कूल्हे भरे हुए थे लेकिन फिर भी गब्बर सिंह जैसे दानव और ताकतवर गुंडे का थप्पड़ गांड पर पड़ते ही मुंह के बल गद्दे पर जा गिरी ।
शीतल के दोनों कूल्हे बुरी तरह से हिल गए शीतल के मुंह से एक दर्द भरी आह निकली शीतल हैरान रह गई उसकी ताकत का ये नमूना देखकर।
शीतल को विश्वास नहीं हुआ कि किसी इंसान के अंदर इतनी ताकत भी हो सकती हैं ।


गब्बर सिंह शीतल की गांड को बड़े ध्यान से देखे जा रहा था । जींस में फंसे हुए नितंब जीन्स फाड़कर बाहर आने को उतावले थे ।
गब्बर सिंह ने शीतल की जींस को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और चर्रर की आवाज से उसकी जीन्स को फाड़ दिया।


हां दोस्तों गब्बर सिंह में इतनी ताकत थी कि उसने डेनिम की जींस को अपने हाथों से दो भागों में चीर कर फाड़ दिया।
शीतल के कूल्हे आजाद हो गए और गब्बर सिंह दोनों कूल्हों को विपरीत दिशा में खोलकर बड़े ही ध्यान से देखने लगा ।

शीतल की गांड का छेद ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे बार-बार खुल रहा हो और बंद हो रहा हो उसके नीचे शीतल की झांटों के बाल थे जिन्होंने शीतल की चूत को बिल्कुल ढका हुआ था ।

दोस्तों आप लोग गब्बर सिंह की ताकत का अंदाजा तो लगा ही चुके होंगे ।
शीतल इस ताकत के सामने अपने आपको बेबस महसूस कर रही थी । शीतल को कोई भी विरोध गब्बर सिंह के गुस्से को बढ़ा सकता था। इसलिए शीतल ने चुप रहना ही उचित समझा।


गब्बर सिंह ने अपनी नाक को शीतल के चूतड़ों के बीच रखा और ऐसे ही 1 मिनट तक सूंघ कर ऊपर उठा और बोला।

गब्बर सिंह - हां खुशबू तो तेरे मूत की ही है ।

शीतल ने शर्म की वजह से अपना मुंह गद्दे में छुपाया हुआ था।

गब्बर सिंह बोला - खड़ी हो मैं भी तो देखूं कि मेरे नीचे टिकने वाली लड़की आखिर दिखती कैसी है । चल मुझे इस कमरे में चल कर दिखा।

शीतल बिल्कुल मौन थी अपनी फटी हुई जींस को पहने हुए ही वह खड़ी हुई और कमरे में घूमने लगी। जींस फटी होने की वजह से उसके नितंब आजाद हो गए थे और चलते हुए काफी हिल रहे थे उन्ही हिलते हुए चूतड़ों को देखकर वासना और हवस का शिकार हो गया गब्बर सिंह और उसने अपने लोड़े को हिलाना शुरू कर दिया । लंड धीरे-धीरे अपनी औकात में आने लगा।


गब्बर सिंह - क्या खाकर जना है तेरी मां ने तुझे जो तू इतनी गदरायी हुई है । तुझे तो चूतों की राजकुमारी होना चाहिए । मेरे लंड लीलने के लिए तेरे जैसी भरी हुई लौंडिया ही होनी चाहिए । तू ही है जो मेरे लोड़े को अपनी चूत में उतार पाएगी । चला आजा ।


ऐसा कहकर गब्बर सिंह गद्दे पर लेट गया ।
शीतल ने जैसे ही गब्बर सिंह को लेटा हुआ देखा तो उसके आश्चर्य की सीमा ना रही क्योंकि गब्बर सिंह का लोड़ा शीतल के हाथ की कोहनी के बराबर था।
इतना लंबा मोटा महालंड कैसे झेलेगी वह यही सोच रही थी शीतल।

धीरे-धीरे कदमों से गब्बर सिंह के पास गयी शीतल ।
गब्बर सिंह ने उसका हाथ पकड़कर उसे झटका दिया और अपनी तरफ खींच लिया ।

किसी बच्चे की तरह गब्बर सिंह के बराबर में लेट गई शीतल ।

गब्बर सिंह ने उसके कपड़ों को उतार दिया और बिल्कुल नंगी कर दिया शीतल को ।

शीतल ने तो अपने हाथों को अपने मुंह पर रख लिया अपनी आंखें मूंद ली। लेकिन गब्बर सिंह की आंखें सिर्फ एक जगह पर टिकी हुई थी और वह थी शीतल की झांटों से भरी हुई चूत ।

गब्बर सिंह ने चूत के जंगल में हाथ फेरा तो गनगना उठी शीतल ।

गब्बर सिंह- तेरी चूत पर तो झांटें ऐसे पहरा दे रही हैं जैसे इस खाजाने की रक्षा कर रही हों ।

शीतल - हम्म मुझे जाने दो प्लीज ।

गब्बर सिंह (झांटों में उंगलियां घूमाते हुए )- जाने दूंगा पहले लंड तो डाल दुं तेरी इस गीली चूत में ।

गब्बर सिंह ने शीतल की टांगों को मोड़ कर उसकी छाती से लगाया अब तो शीतल की चूत खुलकर सामने आगयी ।
मोटी मोटी जांघों के बीच में काली झांटों से भरी हुई वो चूत देखकर गब्बर सिंह को यकीन हो गया कि शीतल ही उसका लंड झेल पाएगी ।

अब गब्बर सिंह अपने मुंह से शीतल की चूत पर थूकना शुरू कर देता है ।गब्बर सिंह ने शीतल की चूत पर एक या दो बार नहीं बल्कि लगातार दो मिनट तक थूकता ही रहा । गब्बर सिंह से उनके मुंह से थूक निकलकर सीधा शीतल की चूत पड़ता और झांटों में उलझ जाता।
शीतल को कुछ अजीब सा लगा तो उसने देखा कि गब्बर सिंह उसकी टांगों को उसकी छाती से लगाकर उसकी चूत पर थूकता ही चला जा रहा है ।

शीतल को अपनी तरफ देखते हुए गब्बर सिंह बोला- हैरान मत हो मेरे लंड को झेलने के लिए तेरी चूत को पूरी तरह से तैयार कर रहा हूं । जितना ज्यादा थूक तेरी चूत पर थुकूँगा उतना ही आराम से झेल पाएगी मेरे लोड़े को।


शीतल ने फिर शर्म से अपना चेहरा छुपा लिया । लगभग दो-तीन मिनट तक शीतल की चूत पर थूकने के बाद गब्बर सिंह ने देखा कि शीतल की चूत उसके थूक से सन गई है । शीतल की चूत जो अभी झांटों की वजह से काली नजर आ रही थी वह अब सफेद नजर आने लगी थी।

गब्बर सिंह ने पास में रखी तेल की शीशी ली और उसमें से तेल निकालकर अपने लोड़े पर लगाने लगा । कम से कम आधी शीशी तेल लोड़े पर मलने के बाद अपने लंड को चिकनाहट से चमका लिया ।
तेल की कुछ बूंदे लोड़े के सुपड़े से होते हुए नीचे टपकने लगी। यह बूंदे नीचे गद्दे पर नहीं बल्कि सीधी शीतल की चूत पर गिर रही थी ।

अजीब नशा हुआ शीतल को इसका और ना चाहते हुए भी उसका हाथ अपनी चूत पर चला गया । शीतल अपनी छातियों को छत उठाकर चूत सहलाते हुए किसी मछली की तरह तड़पने लगी ।गब्बर सिंह शीतल की यह हालत देखकर मुस्कुराया और बोला ।

गब्बर सिंह- आज तेरी इस पनियाती हुई चूत में अपना लंड डालकर मैं तुझे अपनी रानी बना लूंगा, फिर कभी नहीं तड़पने दूंगा इस तरह तुझे लंड के लिए । तुझे देख कर ही लग रहा है कि तू एक गर्म लौंडिया है , ले झेल मेरा लौड़ा ।
ऐसा कहकर गब्बर सिंह ने अपने लंड का सुपाड़ा शीतल की चूत पर रखा और शीतल की चूत को अपने लंड से रगड़ने लगा ।


शीतल के लिए भी बर्दाश्त से बाहर हुआ जब चिकना लंड झांटों से भरी हुई चूत पर फिसलने लगा तो शीतल की चूत ने पानी उड़ेल दिया ।

अब गब्बर सिंह ने शीतल की दोनों टांगों को छाती से लगाया और शीतल के ऊपर आ गया ।

ऊपर छत की तरफ से देखने पर सिर्फ गब्बर सिंह ही दिखाई दे रहा था , शीतल तो उसके नीचे दिख ही नहीं रही थी , ऐसा शरीर था गब्बर सिंह का।


गब्बर सिंह अपने लंड को उसकी चूत पर रखने के बाद धीरे-धीरे सहलाते हुए चूत के छेद को टटोलने लगा ।
इतना मोटा सुपाड़ा होगा तो छेद का तो दोस्तों पता ही नहीं चलेगा और यही वजह थी की समझ नहीं आ रहा था गब्बर सिंह को की लंड कहां घुसाए और कहां नही ।


शीतल की जांघो पर मानो कोई पहाड़ रख दिया हो इतना वजन महसूस कर रही थी शीतल ।
तभी शीतल को महसूस हुआ कोई जैसे उसकी चूत में कोई गेंद घुसने की कोशिस कर रही हो , लेकिन ये कोई गेंद नहीं बल्कि गब्बर सिंह के महालंड का सुपाड़ा था ।

शीतल ने एक बार अपनी चूत को सहलाया तभी गब्बर सिंह बोला - हां मेरी गदरायी हुई भैंस अब ये चूत लौड़ा खाने के लिए तैयार है ।

जैसे ही गब्बर सिंह ने ऐसा बोला तो शीतल ने शर्म से अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया तभी शीतल को अपने चेहरे पर कुछ गीला गीला लगा , ये क्या ये तो गब्बर सिंह का थूक था जो गब्बर ने उसकी चूत पर 2,3 मिनट तक थूका था । शीतल ने तुरंत हाथ हटा लिए मुह से ।

अपनी चौड़ी चौड़ी जांघो को फैलाये गब्बर सिंह जैसे महाबली ताकतवर इंसान के नीचे लेटी हुई शीतल किसी कामदेवी से कम नही लग रही थी और अब तो मादकता की हद पार हो गयी जब उसने गलती से अपना ही चेहरा गब्बर सिंह के थूक से सान लिया ।
तभी---

तभी गब्बर सिंह ने अपनी कमर पर थोड़ा दबाव बनाया लेकिन शीतल की चूत पर ज्यादा थूक होने की वजह से लंड शीतल की चूत से फिसलकर उसकी गांड के छेद से रगड़ते हुए फिसल गया ।

शीतल गनगना गयी । गब्बर सिंह ने फिर अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ा शीतल यह देखकर हैरान रह गयी की गब्बर सिंह इंसान के चौड़े हाथ से लंड पकड़ने के बाद भी आधे से ज्यादा लंड तो हाथ से बाहर लटक रहा था ।

गब्बर सिंह ने दोबारा से शीतल की जांघो को चौड़ाया और अपने हाथ से अपना महालंड पकड़कर शीतल की चूत के छेद पर रखा । गब्बर सिंह ने अपने हाथ से कसकर पकड़ रखा था लौड़े को ताकि फिसल ना जाये ।

तभी ----


अपनी कमर में हल्की सी जान इक्कठी करके (हां दोस्तों गब्बर सिंह जैसे ताकतवर इंसान को थोड़ी सी ही जान लगाने की जरूरत थी) एक झटका लगाया । झटका लगाया ही था कि तभी ---

aaaaaaaaaaiiiiiiiiiiieeeeeeeeeeeeeehhhhaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaoooooooooooooooooooiiiiiiiiiiiiiiiiii mmaaaaarrrrrrrrr ggyyyyyiiiiiiiiiieeeeeeeeeee maaa

गब्बर सिंह का आलू जैसा सुपाड़ा चूत में घुस चुका था दोस्तों जिस वजह से ये भयंकर चीख शीतल के मुँह से निकली । चीख इतनी भयंकर और तेज थी कि पूरा कमरा गूंज गया शीतल की चीख से । गेट लगा होने के बाद भी ये चीख बाहर गब्बर सिंह के गुंडों ने साफ सुनी और आपस मे बात करने लगे


भीमा उदास सा होते हुए - लगता है ये भी मर गयी साली ।

दूसरा गुंडा (जिसका नाम जगवीर था लेकिन पूरा इलाका इसे जग्गा डाकू के नाम से जानता था ) बोला - हां यार भीमा सही कह रहा है इसकी चीख सुनकर तो यही लग रहा है कि इसका भी सबकी तरह काम तमाम हो गया ।

दोस्तों इन गुंडों को अभी ये पता नही था कि ये चीख तो सिर्फ सुपाड़ा घुसने से निकली थी ।

उधर शीतल की दोनों आंखों से आंसू बहकर साइड से नीचे गिरने लगे । शीतल अपनी पूरी ताकत से गब्बर सिंह को हटाने की कोशिस करने लगी लेकिन शीतल की ताकत का मानो गब्बर सिंह पर कोई असर ही नही हो रहा था । शीतल ने अपनी पूरी ताकत से गब्बर सिंह की छाती में मुक्के मारने शुरू किये और शीतल हैरान रह गयी । क्योंकि शीतल पूरी ताकत से घूंसे मार रही थी और बदले में गब्बर सिंह मुस्कुरा रहा था ।

अब गब्बर सिंह ने शीतल की हालत को देखकर उसे नॉर्मल करने के लिए एक अंगूठे से शीतल की चूत के दाने को सहलाना शुरू किया । शीतल के चुचों को सहलाना शुरू किया । पांच मिनट तक सहलाने के बाद भी शीतल की हालत में कोई सुधार नही हुआ । शीतल का मुंह लाल पड़ गया आंखों से आंसू बहने लगे , होंठ लगातार थरथरा रहे थे । कमरे में ac होने के बावजूद भी पसीने - पसीने थी शीतल ।

अब गब्बर सिंह ने देर करना उचित नही समझा उसने फिर एक झटका लगाया -
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झटका मारते वक्त गब्बर सिंह ने अपना पूरा वजन शीतल के ऊपर डाल दिया था । इतने भारी और बलशाली पुरुष के धक्के से पूरा लंड अंदर चला जाता लेकिन गब्बर सिंह का चार इंच लौड़ा ही शीतल की चूत में उतर पाया । इसकी वजह थी महालंड की मोटाई ।

शीतल की हालत तो बयां ही ना हो पाए ऐसी हालत हो चली थी शीतल की । चूत में कोई खूंटा गाढ़ रहा हो ऐसा लग रहा था शीतल को ।
शीतल का मुंह अब O के आकार में खुला हुआ था और माथे पर पसीना ।


जैसे ही ये दूसरी चीख बाहर गुंडों के कान में पहुंची अचानक उनमें खुशियों का माहौल सा छा गया ।
भीमा - अरे जग्गा ये तो जिन्दी है बे , मतलब ये वही लड़की है hahahaha । मतलब ये झेल गयी मालिक के महालंड को ।

जग्गा - अरे हां भीमा तूने सही बोला क्योंकि आजतक किसी लड़की की दूसरी चीख नही सुनाई दी हर लड़की मालिक के पहले झटके में ही मर जाती है ।

भीमा - आखिर मालिक को भी मिल गयी आज उनकी दुल्हन । मुझे पहले से ही पता था ये लड़की ही झेल पाएगी मालिक को ।

जग्गा - हां देखा नही है क्या कितनी गदरायी हुई माल है , ऐसी गदरायी हुई लौंडियों को ही जरूरत होती है मोटे तगड़े लौड़े की ।

भीमा - चलो तो देर किस बात की मालिक को मनाने दो अपनी सुहागरात दिन में ही और हम लोग पार्टी शुरू करते है ।

जग्गा - हां भीमा वैसे भी मालिक आज तक झड़े नही हैं कभी भी आज मालिक का वीर्य पहली बार उनके महालंड से बाहर निकलेगा । खुसी की तो बात है ही पार्टी में देरी कैसी फिर ।

ऐसा कहकर सभी गुंडे ठहाका लगाकर हंस पड़े ।
(दोस्तों अगर आपको पता नही हो तो बता दूं कि गांव में तो गब्बर सिंह का राज चलता ही था, साथ मे गब्बर सिंह के खुद के दस शराब के ठेके भी चलते थे जिनमें से एक ठेका गांव में ही खोल रखा था गब्बर सिंह ने)
तभी भीमा ने ठेके वाले को फोन किया और कहा आज मालिक बहुत खुश है उन्होंने खाने का इंतजाम करने को बोला है पांच मिनट में ।
भीमा ने आर्डर दिया - दारू की दो पेटियां मंगाई और 30 किलो मुर्गा ।

तकरीबन पांच मिनट बाद ही एक गाड़ी हवेली में घुसी जो order लेकर आया था ।
पार्टी शुरू हो चुकी थी बाहर गब्बर सिंह के सभी गुंडों की । बिना ये जाने की कमरे के अंदर क्या गब्बर सिंह और शीतल के बीच क्या चल रहा है ।

उधर कमरे में गब्बर सिंह अपना 4 इंच लौड़ा शीतल की चूत में उतरकर उसके ऊपर चढ़ा बैठा था ।
जब शीतल का दर्द असहनीय हो गया तो शीतल ने अपने हाथों से गब्बर सिंह की पीठ पर नोचा लेकिन गब्बर सिंह को कोई असर नही हुआ । गब्बर सिंह अपने भयानक चेहरे से शीतल को देखता रहा । शीतल के नाखूनों में गब्बर सिंह की पीठ की खाल भी नोचने के साथ छीलकर आगयी लेकिन गब्बर सिंह को कोई असर नही पड़ा । शीतल की चूत से खून निकालकर गद्दों पर गिरने लगा ।

तजरीबन दो मिनट तक ऐसे ही शीतल को दबोचे हुए अपना महालंड हल्का सा बाहर खींचना चाहा गब्बर सिंह ने लेकिन उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे शीतल भी उसके साथ उठती चली जायेगी , यह देखकर गब्बर सिंह रुक गया ।

गब्बर सिंह ने शीतल की मोटी मोटी जांघो को सहलाया । गब्बर सिंह ने देखा तो उसका एक चौथाई महालंड शीतल की चूत में फसा हुआ था । उसका आधा मोटा लौड़ा शीतल की चूत की झांटों ने घेरा हुआ था ।

गब्बर सिंह ने इस बार थोड़ा जोर लगाकर एक हुंकार भरते हुए लौड़ा अंदर ठेलने के लिए झटका मारा ।
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झटका इतना जोरदार मारा गया कि शीतल की चूत साइडों से चीरती हुई चली गयी , इतना बलशाली झटका खाकर शीतल बेहोश हो गयी । गब्बर सिंह ने अपने चूतड़ों को भींचकर ये धक्का मारा था जिस वजह से गब्बर सिंह के आधा महालंड यानी 8 या 9 इंच लौड़ा चूत में उतर गया ।


गब्बर सिंह ने देखा कि शीतल अभी होश में नही है । गब्बर सिंह फूला नही समा रहा था खुसी से क्योंकि उसका आधा महालंड भी आजतक कोई लड़की नही झेल पाई थी , लेकिन शीतल की चूत भी फटी खून भी बह रहा था लेकिन शीतल मरी नही थी सिर्फ बेहोश हुई थी ।
अब गब्बर सिंह को यकीन हो चला था कि शीतल ही वो लड़की है जिसकी तलाश उसे थी ।

बाहर गब्बर सिंह के गुंडो ने जैसे ही तीसरी चीख सुनी अब तो वो ताली मार-मारकर हंसने लगे और दारू मुर्गा उधेड़ने लगे ।

अंदर तकरीबन 5 मिनट बाद शीतल को होश आया जब गब्बर सिंह ने शीतल के गालों को चाटा ।
(प्रिय पाठकों यहाँ आप लोग सोच रहे होंगे कि कैसी चुदाई लिख रहा है राइटर । ना कोई किस चुम्मी , ना कोई चूत लंड चाटा-चाटी डायरेक्ट लौड़ा डलवा दिया, गाल भी चाटा तो होश में लाने के लिए , तो प्रिय पाठकों मै कहानी के अनुसार ही लिख रहा हूँ क्योंकि गब्बर सिंह को सबसे पहले उस लड़की की तलाश थी फिर उसे देखना था कि वो ही ये लड़की है या नही इसलिए चुम्मा चाटी में समय नही गंवाता था गब्बर सिंह । बाकी आप समझ गए होंगे )

अब तकरीबन पांच मिनट बाद शीतल को होश आया उसकी आंखें खुली ।
आंखे खुलते ही फिर से शीतल के चेहरे पर डर छा गया जब उसकी नजर मुस्कुराते हुए गब्बर सिंह पर पड़ी । शीतल को अब गब्बर सिंह का वजन झेलने में भी परेशानी हो रही थी इतना भारी भी था गब्बर सिंह । शीतल की मोटी गांड भी गद्दों में धंस गयी थी ।

गब्बर सिंह ने शीतल की आंखों में देखते हुए अपनी पूरी जान लगाकर झटका मारा , ये पहला झटका था जिसमे गब्बरसिंह ने जान लगाई थी--

इसबार कोई चीख नही कोई प्रितिक्रिया नही हुई शीतल की तरफ से ।
इसबार हुआ ये था कि गब्बर सिंह का लौड़ा शीतल के बच्चेदानी को फाड़ता हुआ , चूत की धज्जियां उड़ाता हुआ जड़ थक उतर गया था , उतर गया था कहना गलत होगा यारों गब्बर सिंह का महालंड चूत को चीरता हुआ जड़ तक ठुक गया था ।
यही वजह थी कि शीतल इसे सहन नही कर पाई और गब्बर सिंह की तरफ देखते हुए उसने अपनी आखरी सांस ली और इस दुनिया से विदा हो गयी ।

जैसे ही गब्बर सिंह की नजर शीतल की पथराई आंखों और रुकी हुई सांसो पर पड़ी गब्बर सिंह के मुंह से निकला - ये भी गयी भोसड़ी वाली , ये भी वो लड़की नही है ।

ऐसा कहकर गब्बर सिंह ने अपना लौड़ा बाहर खींचा तो शीतल की चुत की खाल भी खींचने लगी उसकी मोटाई की वजह से लेकिन अब क्या मर चुकी थी शीतल तो । गब्बरसिंह ने एक झटके से महालंड बाहर खींच लिया । लौड़ा बाहर आते ही खून की नाली सी बहने लगी शीतल की चूत से ।
गब्बर सिंह ने खून में लथपथ लौड़े को साफ किया और कमरे में टंगे दूसरे कुर्ते पजामा पहन लिया ।

गब्बर सिंह चिल्लाते हुए गेट खोलने लगा - भीमा ओ भीमा लगा दे भोसड़ी वाली की लाश को ठिकाने ।

लेकिन भीमा , जग्गा और सभी तो पार्टी में व्यस्त और मग्न थे ।

गेट खोलते ही जैसे ही गब्बर सिंह की नजर बाहर हॉल में पड़ी तो वहां सब दारू पी रहे थे मुर्गा खा रहे थे।

गब्बर सिंह( मन ही मन में) - इनकी मा का भोसड़ा , यहाँ जिस लड़की की तलाश है वो मिल नही रही , एक लड़की मर गयी ऊपर से ये माधरचोद यहाँ दारू मुर्गा के मजे ले रहे है ।

ऐसा सोचकर गब्बर सिंह ने अपनी पिस्तौल निकाली और सीधी तान दी अपने गुंडो के ऊपर ।

------ धाआयं -----

ये गोली एक गुंडे के माथे पर लगी जिससे वो वहीं पर ढेर हो गया।
गोली चलते ही सारे गुंडों का नशा एक सेकंड में मा की चूत में चला गया । hahaha मतलब एक सेकंड में सारा नशा उतर गया ।
सभी के हाथ कांपने लगे, माथे पर पसीने के साथ साथ ख़ौफ़ भी छा गया ।

सबके मुँह से एक ही बात निकली - म-मालिक हमसे क्या गलती हो गयी ।

गब्बर सिंह - बहन-के-लौड़ों ये किस बात की खुसी मनाई जा रही है । आज तुम्हारी जिंदगी का आखिरी दिन है ।

यह सुनकर सभी डरने लगे तब भीमा आगे आया (जो गब्बर सिंह का राइट हैंड था) और बोला - गुस्ताखी माफ करना मालिक । ये खुसी हमारी नही बल्कि आपकी है । आजतक किसी भी लड़की की दूसरी चीख नही सुनी थी हमने लेकिन आज जब दो तीन चीखें सुनी तो हमारी खुसी का ठिकाना नही रहा की मालिक को मिल गयी उनकी दुल्हन । इसलिए ये खुसी मनाई जा रही थी मालिक ।

जब गब्बर सिंह ने ये सुना तो उसका गुस्सा शांत हो गया उसने सोचा कि मेरे गुर्गे भी मेरे दुख से दुखी और सुख से सूखी होते है , कितने अच्छे बंदे रखे हैं मैंने । ऐसा सोचकर गब्बर सिंह बोला - नही भीमा , ये भी मर गयी ।

जैसे ही ये सुना सबने अपने मुँह पर हाथ रख लिया और एक ही बात निकली - क्या मालिक ।

तभी ----

तभी ----

गब्बर की हवेली ले बाहर किसी की चीख सुनकर सबके चेहरे गेट की तरफ मुड़ गए ।
कोई कुछ समझ पाता उससे पहले मेन गेट खुला और सबकी आंखे उस दृश्य पर जम गयीं ।

सबसे आगे नैना खड़ी थी और उसके पीछे पूरे गांव की भीड़ ।
नैना की लाल आंखे , खुले बाल बिल्कुल चंडी का रूप धारण किया हुआ था नैना ने ।
नैना के हाथ मे फसल काटने वाली दरांती थी जिसपर खून लगा हुआ था ।


आज पहली बार गब्बर सिंह को नैना के फिगर का अंदाजा हुआ । क्योंकि आज नैना ने भी एक white टॉप और नीली लैगिंग पहनी हुई थी ।
गब्बर सिंह नैना को देखकर , नैना की तुलना शीतल से करने लगा । गब्बर सिंह को अहसास हुआ कि शीतल भी गदरायी हुई है पूरी लेकिन फिर भी नैना और शीतल के फिगर में जमीन आसमान का अंतर है । गब्बर से अपने मन में दोनों की तुलना करने लगा कि अगर दोनों को एक जैसे कपड़े पहनाकर खड़ा किया जाए तो दोनों कैसी लगेंगी ।
गब्बर सिंह को समझते देर ना लगी कि नैना ने बाहर गेट पर खड़े उसके गुंडे को दरांती से मार दिया है ।

नैना धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी साथ मे पूरे गांव की भीड़ भी ।
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