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मैं – हुम्म्म: सोच रहा हूँ क्या करूँ… क्या डेयर दूँ…
पिंकी – तुम भी पूरे नंगे हो और मैं भी पूरी नंगी हूँ… चाहो तो, अपना लण्ड मुझ से चूसवा लो… मुझे भी मज़ा आएगा…
मैं – हाँ, आ जाओ ना… चूस लो ना, मेरा लण्ड… ये कब से बेताब है… और पिंकी सोफे से उठी और मेरे सोफे के सामने, अपने घुटने पर बैठ कर मेरी कमर पकड़ कर मेरा लण्ड चूसने लगी।
थोड़ी देर चूसने के बाद, पिंकी ने लण्ड मुंह से निकाला.!
पिंकी – चलो ना, अब बेड पर चलते हैं… गेम बंद करो और मुझे बेड पर ले चलो… कब से मैं तुम्हारे लण्ड की भूखी हूँ… प्लीज़, मुझे अब बेड पे ले जा के चोद दो ना, आलोक…
मैं – मैं भी कब से, तुम को चोदना चाहता हूँ… चलो उठो… बेड पर चलते हैं…
मैंने पिंकी को उठाया और हम दोनों, बेड पर आ गए।
मैं पिंकी के बूब्स चूसने लगा और वो बेड पर मचलने लगी।
थोड़ी देर बाद, मैं उसकी चूत चाटने लगा।
पिंकी – उंहमहम: आअहह… आलोक, बहुत मज़ा आ रहा है… जीभ अंदर डाल के, लीक करो ना…
और मैं उसकी चूत के अंदर, जीभ फिराने लगा और वो और ज़ोर से बेड पर तड़पने लगी।
पिंकी – आअहह… मैं एक दम तैयार हूँ, अब और इंतेज़ार नहीं होता… प्लीज़, अब लण्ड डालो ना…
फिर, मैंने पिंकी को सीधा बेड पर लिटाया और उसके उपर चढ़ गया।
अपना लण्ड हाथ में पकड़ कर, एक ही झटके में पूरा अंदर घुसा दिया।
पिंकी के मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी और मैं उसे धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर करते हुए, चोदने लगा।
धीरे धीरे, मैं अपनी स्पीड बड़ा रहा था और साथ ही पिंकी की सिसकारियाँ भी तेज़ होती जा रही थी.!
पिंकी – आ आ अहह… आ आ आह… ओह… ऐसे ही, ज़ोर से… चोदो… मेरी ले लो… मैं रंडी हूँ… मेरी मार लो… आ आ हह… मस्त लण्ड है तेरा… कुतिया की तरह, चोद मुझे… आ आहह… फाड़ डाल, मेरी चूत… मैं झड़ रही हूँ… करते रहो… ऐसे ही… आ आ आ आ आ आ आ आ ह ह ह ह ह ह ह ह…
मैं – साली, रंडी… कुतिया… ले और ले… आह अहहा… और फिर हम दोनों ने एक साथ चरम आनंद का अनुभव किया और मैंने पिंकी की चूत के अंदर ही निकाल दिया।
चुदाई के बाद, पिंकी ने विस्की का थर्ड पेग बनाया और हम दोनों सोफे पर नंगे ही, आमने सामने बैठ कर, विस्की सीप करने लगे।
पिंकी – बहुत मज़ा आया, आज चुदाई में… मैं कब से, तुम्हारे लण्ड की भूखी थी… आज तुम्हारे लण्ड का मज़ा मिल ही गया… अब हम दोनों जब तक यहाँ हैं, रोज़ चुदाई करेंगें और खूब ऐश करेंगें… बड़ा मज़ा आएगा…
मैं – हाँ, सच में मज़ा आएगा… मैं भी कब से, तुम को चोदने के लिए तड़प रहा था… जब भी तुम को देखता था, लण्ड टाइट हो जाता था…
पिंकी – काश, मुझे कभी वरुण का लण्ड भी मिल जाए… मुझे उसका भी चाहिए और क्या मस्त बॉडी है, उसकी…
मैं – सुरभि भी, कोई कम नहीं है…
पिंकी – हाँ, सुरभि भी कोई कम रंडी नहीं है… उसकी आँखों में भी मैंने तुम्हारे और ब्रजेश के लण्ड के लिए, भूख देखी है… ब्रजेश और सुरभि, पिछले 2 हफ्ते घर पे अकेले थे… मुझे पूरा यकीन है की सुरभि ने ब्रजेश को सिड्यूस कर के, उसका लण्ड ले लिया होगा और अब मुस्कान भी वहाँ पहुँच चुकी है… ब्रजेश ने कई बार, मुझे चोदते हुए मुस्कान का नाम लिया है… ब्रजेश मुस्कान की भी चूत मारना चाहते हैं… हो सकता है, सुरभि उनकी मदद कर दे तो तीनों मिल के, खूब चुदाई कर रहे होंगे…
मैं – मुझे तुम तो मिल ही गई हो… मुस्कान, अगर पापा और वरुण से चुदती है तो मुझे कोई प्राब्लम नहीं… पर, मुझे सुरभि की भी चाहिए… उसकी स्कर्ट में मोटी मोटी मस्त जांघें और बड़े बड़े बूब्स देख कर, मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है…
पिंकी – ठीक है, आगे जब भी मौका लगेगा, मैं तुम को सुरभि की दिलवाने की कोशिश करूँगी… पर तुम भी कोशिश करना की मुझे कभी वरुण के साथ अकेले रहने का मौका मिले… सिड्यूस तो, मैं उसे खुद ही कर लूँगी…
मैं – ठीक है… वादा रहा…
पिंकी – तुम भी पूरे नंगे हो और मैं भी पूरी नंगी हूँ… चाहो तो, अपना लण्ड मुझ से चूसवा लो… मुझे भी मज़ा आएगा…
मैं – हाँ, आ जाओ ना… चूस लो ना, मेरा लण्ड… ये कब से बेताब है… और पिंकी सोफे से उठी और मेरे सोफे के सामने, अपने घुटने पर बैठ कर मेरी कमर पकड़ कर मेरा लण्ड चूसने लगी।
थोड़ी देर चूसने के बाद, पिंकी ने लण्ड मुंह से निकाला.!
पिंकी – चलो ना, अब बेड पर चलते हैं… गेम बंद करो और मुझे बेड पर ले चलो… कब से मैं तुम्हारे लण्ड की भूखी हूँ… प्लीज़, मुझे अब बेड पे ले जा के चोद दो ना, आलोक…
मैं – मैं भी कब से, तुम को चोदना चाहता हूँ… चलो उठो… बेड पर चलते हैं…
मैंने पिंकी को उठाया और हम दोनों, बेड पर आ गए।
मैं पिंकी के बूब्स चूसने लगा और वो बेड पर मचलने लगी।
थोड़ी देर बाद, मैं उसकी चूत चाटने लगा।
पिंकी – उंहमहम: आअहह… आलोक, बहुत मज़ा आ रहा है… जीभ अंदर डाल के, लीक करो ना…
और मैं उसकी चूत के अंदर, जीभ फिराने लगा और वो और ज़ोर से बेड पर तड़पने लगी।
पिंकी – आअहह… मैं एक दम तैयार हूँ, अब और इंतेज़ार नहीं होता… प्लीज़, अब लण्ड डालो ना…
फिर, मैंने पिंकी को सीधा बेड पर लिटाया और उसके उपर चढ़ गया।
अपना लण्ड हाथ में पकड़ कर, एक ही झटके में पूरा अंदर घुसा दिया।
पिंकी के मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी और मैं उसे धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर करते हुए, चोदने लगा।
धीरे धीरे, मैं अपनी स्पीड बड़ा रहा था और साथ ही पिंकी की सिसकारियाँ भी तेज़ होती जा रही थी.!
पिंकी – आ आ अहह… आ आ आह… ओह… ऐसे ही, ज़ोर से… चोदो… मेरी ले लो… मैं रंडी हूँ… मेरी मार लो… आ आ हह… मस्त लण्ड है तेरा… कुतिया की तरह, चोद मुझे… आ आहह… फाड़ डाल, मेरी चूत… मैं झड़ रही हूँ… करते रहो… ऐसे ही… आ आ आ आ आ आ आ आ ह ह ह ह ह ह ह ह…
मैं – साली, रंडी… कुतिया… ले और ले… आह अहहा… और फिर हम दोनों ने एक साथ चरम आनंद का अनुभव किया और मैंने पिंकी की चूत के अंदर ही निकाल दिया।
चुदाई के बाद, पिंकी ने विस्की का थर्ड पेग बनाया और हम दोनों सोफे पर नंगे ही, आमने सामने बैठ कर, विस्की सीप करने लगे।
पिंकी – बहुत मज़ा आया, आज चुदाई में… मैं कब से, तुम्हारे लण्ड की भूखी थी… आज तुम्हारे लण्ड का मज़ा मिल ही गया… अब हम दोनों जब तक यहाँ हैं, रोज़ चुदाई करेंगें और खूब ऐश करेंगें… बड़ा मज़ा आएगा…
मैं – हाँ, सच में मज़ा आएगा… मैं भी कब से, तुम को चोदने के लिए तड़प रहा था… जब भी तुम को देखता था, लण्ड टाइट हो जाता था…
पिंकी – काश, मुझे कभी वरुण का लण्ड भी मिल जाए… मुझे उसका भी चाहिए और क्या मस्त बॉडी है, उसकी…
मैं – सुरभि भी, कोई कम नहीं है…
पिंकी – हाँ, सुरभि भी कोई कम रंडी नहीं है… उसकी आँखों में भी मैंने तुम्हारे और ब्रजेश के लण्ड के लिए, भूख देखी है… ब्रजेश और सुरभि, पिछले 2 हफ्ते घर पे अकेले थे… मुझे पूरा यकीन है की सुरभि ने ब्रजेश को सिड्यूस कर के, उसका लण्ड ले लिया होगा और अब मुस्कान भी वहाँ पहुँच चुकी है… ब्रजेश ने कई बार, मुझे चोदते हुए मुस्कान का नाम लिया है… ब्रजेश मुस्कान की भी चूत मारना चाहते हैं… हो सकता है, सुरभि उनकी मदद कर दे तो तीनों मिल के, खूब चुदाई कर रहे होंगे…
मैं – मुझे तुम तो मिल ही गई हो… मुस्कान, अगर पापा और वरुण से चुदती है तो मुझे कोई प्राब्लम नहीं… पर, मुझे सुरभि की भी चाहिए… उसकी स्कर्ट में मोटी मोटी मस्त जांघें और बड़े बड़े बूब्स देख कर, मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है…
पिंकी – ठीक है, आगे जब भी मौका लगेगा, मैं तुम को सुरभि की दिलवाने की कोशिश करूँगी… पर तुम भी कोशिश करना की मुझे कभी वरुण के साथ अकेले रहने का मौका मिले… सिड्यूस तो, मैं उसे खुद ही कर लूँगी…
मैं – ठीक है… वादा रहा…