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Pretkanya
S ::: T::: 0 ::: R ::: Y
Update 1
ए बात लगभग 2 साल पुरानी है संजय मेरे दोस्त था हम कॉलेज में साथ साथ पढ़ते थे संजय और उसका परिवार अन्य प्रदेश से थे नौकरी की वजह से उत्तर प्रदेश में आकर रहने लगी थी जाने क्या वजह थी कि संजय मुझे काफी दिन से दिखाई नहीं दे रहा था शायद इसकी वजह यह भी हो सकती थी कि मैं कॉलेज जाने के बाद शोध के लिए जंगल और निर्जन स्थान पर चला जाता था और शहर और घर में ज्यादातर कम ही रहता था
लेकिन उस दिन जब मैं बाजार में था तो मुझे संजय की मम्मी रजनी आंटी की आवाज सुनाई दी
हाय प्रसून क्या तुम हो जरा रुको मैंने बाइक रोक दी रजनी आंटी मेरे करीब आई वो बेहद उदास दिख रही थी संजय कैसा है और आजकल दिखाई क्यों नहीं दे रहा है मैंने आंटी से पूछा मैंने उसी के बारे में बात करने के लिए तुम्हें रोका है तुम एक बार कह रहे थे कि तुम वानखंडी वाले बाबा को जानते हो और उससे परिचित हो प्लीज प्रसून मुझे एक बार उनसे मिलना है तुम्हारे दोस्त के खातिर अपने बेटे के खातिर मामला सीरियस था आंटी डरी हुई से प्रतीत होती थी मुझे आश्चर्य था कि आज ओ बाबा जी को पूछ रही थी कभी इस परिवार ने मेरी हंसी इस बात के लिए उड़ाया था की दृश्य जगत के अलावा अदृश्य जगत भी है आप मुझे कुछ हिंट दे मैंने कहा बाबा u11 किसी से नहीं मिलते और आप जिस वजह से बाबा से मिलना चाहती हैं उचित भी है कि नहीं आंटी ने मुझे भीड़ से हटकर
एकांत में आने का इशारा किया आते ही बोला संजय 3 महीने से अजीब ,,,, प्लीज प्रसून उसे बचा लो मामला वाकई गंभीर था मैंने पूछा संजय अक्षर कहां मिलता है इत्तेफाक से वह जगह मेरे आवागमन मार्ग के बीच में थी पर यह बात अलग है कि संजय जहां जाता था वहां से आधा किलोमीटर हटकर थी मैं तुरंत बाइक से संजय के पास पहुंचा ओ आराम से मुझे आम के पेड़ के नीचे बैठा नजर आया और अपलक सामने बहती नदी की धारा को देख रहा था मैं यह देख कर चौक गया कुछ ही दिन में उसका हष्ट पुष्ट शरीर मात्र हड्डियों का ढांचा रह गया था उसने बाइक की आवाज सुनकर एक बार मुझे देखा और फिर उसी तरह नदी की धारा को देखने लगा जैसे मुझे पहचानता ही ना हो मैंने बाइक खड़ी करके सिगरेट जलाई टहलते टहलते उसके पास पहुंच गया
हाय संजय हाउ आर यू मैंने उससे पूछा
तुम यहां क्यों आए हो काफी नफरत से मुझसे पूछा मैं पहले ही काफी परेशान हूं
आई नो आई नो डिअर मैंने उसकी आंखों का अनुसरण करते हुए कहां सिरी आई नहीं क्या अब तक
वह चढ़कर बोला तुम सब मेरे दुश्मन हो
सब जानता हूं बेटा मैंने मन ही मन कहां
मैंने मन ही मन बाबा को याद किया और एक धमाकेदार थप्पड़ मार दिया
वह लड़खड़ाते हुए जमीन पर गिरने को हुआ
मैंने संभालते हुए उसे एक पेड़ के नीचे बैठाया वापस जाकर बाइक का हारन बजाया उस सुनसान जगह पर हारन डरावनी आवाज करके गूंज गया
कुछ ही दूर में पेड़ की ओट में छिपी
अभी तक आपने पढ़ा संजय कैसी मेरी बात का जवाब दे रहा था और मैं उसे एक धमाकेदार थप्पड़ मारा
आगे
कुछ ही क्षणों में पेड़ में छिपी रजनी आंटी आती हुई दिखाई दी मैं आराम से सिगरेट के कश लगाने लगे
हमें अभी इसे लेकर बाबाजी की गुफा की ओर जाना होगा
मैं रजनी आंटी से कहा
अफसोस मुझे सब आपको पहले बताना चाहिए था
आंटी ने लगभग रोते हुई दूसरी तरफ देखा मैंने सहारा देकर संजय को बाइक पर बैठाया
और आंटी से कहा कि वह पीछे बैठ कर संजय को सहारा दे इस समय वह होश में नहीं है
मैंने बाइक दौड़ा दी निर्जन वन का वह क्षेत्र आम आदमी को डरावने एहसासों
से रू-ब-रू कराता था
पर मेरे लिए तो परिचित जगह थी मैं महसूस कर रहा था की रजनी आंटी भयभीत थी और संजय तो अपने होश में नहीं था आधे घंटे के बाद वन खंडी गुफा के सामने पहुंच गए थे
मेरे लिए बेहद परिचित स्थान किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकता था
वातावरण बेहद अजीब अजीब आवाजों के साथ डरावना बना रहा था
दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था
प्रसून मुझे आंटी की भयभीत आवाज सुनाई दी
डरो मत मैं उनकी तरफ बिना देखे कहा और गुफा के अंदर प्रवेश कर गया
और बोला अलख बाबा अलख
कल्याण हो अंदर से बाबा की रहस्यमई आवाज आई
इस औरत को बोल डरे नहीं इसका पुत्र ठीक होगा
बिना कुछ बताए बाबा रजनी आंटी के बारे में बोल रहे थे
यह सुनकर मैंने संजय को सहारा दिया और आंटी के साथ गुफा के अंदर प्रवेश कर गया
आंटी भय वश लगभग मुझसे सटी हुई थी
हम लोग अंदर जाकर बैठ गए
आंटी बेहद हैरत से गुफा का मुआयना कर रही थी मुझे उनकी हैरत मालूम थी
वह यह कि बेहद अंदर गुफा होने के बावजूद उसने दूधिया रोशनी मौजूद थी
पर वह प्रकाश किस चीज से हो रहा था यह मालूम नहीं चलता
और बाहर से जंगल जितने डरावना था उधर शांति और सुकून मौजूद थे
गुफा में डरावना एहसास कराने वाली कोई भी चीज नहीं थी बराबरी से चबूतरे में कंबल का आसन लगाए बैठे थे
उनकी बड़ी-बड़ी तेज युक्त आंखों में मानव मात्र के लिए स्नेह
था उनकी लंबी लंबी जटाये उनकी शक्ति बता रही थी
इसको आराम से लेटा दो बाबा संजय की तरफ देखकर कहा
मैंने संजय को आराम से मिटा दिया आंटी अपलक बाबा को देख रही थी
बाबाजी रजनी आंटी ने कुछ बोलने कि कोशिश की
शांत बेटा शांत बाबा ने बीच में ही हाथ उठाकर कहां
यह बताने की आवश्यकता नहीं कि इसे क्या परेशानी है और कैसे हुई और क्या होगा
फिर बाबा मुझसे गुप्त भाषा में बात करने लगे
जिसका मतलब यह था कि मुझसे गलती हो गई
वह यह थी कि मुझे एक हिम्मती पुरुष को साथ में लाना चाहिए
जो तमाम कार्यक्रम में रजनी आंटी को संभाल लेता
दरअसल एक विशेष विधि द्वारा मुझे बाबा जी के साथ प्रेत लोक में जाना था
जहां की एक प्रेत कन्या संजय को अपने साथ ले गई थी अब यह बड़ी रहस्यमई हकीकत थी कि संजय जहांगीर चलती फिरती लाश के रूप में अवश्य नजर आता था
पर वास्तव में वह प्रेत लोक का वासी हो चुका था
और बाबा जी के अनुसार वह अगले 6 महीने में मर जाने वाले था
क्योंकि उसने यह रास्ता खुद चुना था
और एक प्रेत कन्या के रूप जाल में आसक्त होकर धीरे-धीरे प्रेत देही हो रहा था
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अतः अभी तक अपने जाना की संजय प्रेतकन्या के प्रेम में पर चुका था अब आगे
ये समान्य ओझाऔ का झाड़ फूंक का मामला ना था दरअसल मुझे माध्यम बनकर बाबा के साथ किनझर जाना था
और संजय के विगत 3 महीने प्रेतकन्या के साथ गुजारा समय संजय के दिमाग से कनेक्ट करके मिटाना था इसको इस
तरह समझ सकते है की किसी टेप कि रील को बैक स्थित मे
लाकर खाली करना या किसी कापी में लिखे गये अनुपयुक्त लेटर को इरेजर द्वारा मिटाना तब संजय अपनी पूर्व स्थिति में उसी तरह से आ जाता मानो गहरी नींद के बाद जागा हो और इस तरह वह मरने से बच जाता
अब समस्या यह थी कि मैं बाबा जी जब किनझर प्रेतलोक जाते तो हमारे शरीर निर्जीव हो जाते और संजय पहले ही बेहोशी जैसी अवस्था में पड़ा हुआ था तब पीछे अकेली रह जाती रजनी आंटी जो निश्चय ही उस बियाबान जंगल में 12 घंटे तक नहीं रह सकती थी जबकि प्रेत कन्या से उलझने में 15 से 20 घंटे तक लग
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सकते हैं अगर मान लो उन्हें भी एक विशेष मूर्छा अवस्था में कर दिया जाता तो गुफा में मौजूद चारों शरीर मृतक के समान होते और कोई दुर्घटना किसी जंगली जानवर या आकस्मिक आपदा से हुआ शरीरिक नुकसान हो जाने पर शरीर किसी भी कीमत पर प्राप्त नहीं किया जा सकता था
अतः शरीरों की रक्षा करने वाली किसी जिगर वाली इंसान का होना जरूरी था इसीलिए एक बार तो बाबाजी ने तय किया कि किसी आदमी का बंदोबस्त कर के ही किनझर जाएंगे
माय बड़े असमंजस में था कि क्या करूं क्या ना करूं दरअसल मैं अब अकेले ही किंजर जाने की सोच रहा था क्योंकि इसके पूर्व भी मैंने बाबाजी से कई बार कहा था कि मैं किसी सुदूर लोग की यात्रा पर चले जाने का अनुभव प्राप्त करना चाहता हूं और बाबा जी ने कहा भी था कि वह मुझे ऐसा मौका अवश्य देंगे
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पर यहां मामला दूसरा था मेरी थोड़ी सी गलती संजय को मौत के मुंह में ले जा सकती थी और यह भी संभव था कि मैं वहां से वापस ना आ पाता क्योंकि किसी शक्तिशाली प्रेत से मुकाबले में यदि में हार जाता है और उन्हें पता चल जाता कि मैं मानव हूं
तो मुझे दिमाग परिवर्तन करके प्रेत बना देते और इस तरह की फीडिंग से मैं खुद को प्रेत ही समझने लगता
इस तरह रिस्क की ढेरों बातें थी जिनका ज्यों का त्यों समझना मुश्किल है पर कहने का अर्थ यही है कि इस तरह में संजय और अपनी दोनों की जान जोखिम में डाल रहा है और बाबा जी इसके लिए तैयार नहीं थे
ओके मैंने अंग्रेजी में कहा सिंपल सी बात है मैं अकेली ही चले जाता हू
फिर मैंने आंटी को जो हमारे वार्तालापो को अजीब तरीकों से सुन रही थी ( क्योंकि वह भाषा उनके पल्ले ही नहीं पड़ रही थी)
को समझाया कि कोई दो-तीन घंटे
जबकि मुझे अच्छे से पता था कि किंजर से मेरी वापसी अगली सुबह को हो
पायेगी
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पर मैं इसलिए निश्चिंत था
क्योंकि एक तो बाबाजी पृथ्वी पर ही रुक रहे थे
अतः आंटी घबराती भी
तो वो उन्हें मूर्छा में भेज देंगे
और आंटी को ऐसा प्रतीत होता मानो उन्हें स्वभाविक नींद आ गई हो दूसरा यही मैं अकेले जाने का बेहद इच्छुक था क्योंकि बाबा जी के साथ सैकड़ों बार अंतरिक्ष यात्रा पर गया
मै बाबा जी से कहा कि मैं ध्यान से जाऊंगा आप फिक्र ना करें
और आंटी से कहा कि आप चिंता ना करें संजय ठीक हो जाएगा
आंटी ने हा की अवस्था में सिर हिला दिया
बाबाजी हल्के से मुस्कुराए उन्हें मेरा यह साहस अच्छा लग
रहा था
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मैं लेट गया और गहरी सांस लेते हुए मृतप्राय सा होने लगा
बाबाजी भी धीरे-धीरे मेरे साथ आने लगे
दरअसल बाबा जी ने तय किया था कि पृथ्वी से ब्रह्मांड तक की सीमा तक वह मेरे साथ आएंगे ऐसी हालत में रजनी आंटी को लगेगा कि वह कुछ सोच रहे हैं
और अगर वह उस हालत में उनसे कोई बातचीत भी करती हैं तो बाबाजी आसानी से उसका जवाब देते रहेंगे
लेकिन अगर बाबा जी ब्रह्मांड की सीमा पार करते हैं तो उसी समय उनका शरीर निर्जीव समान हो जाएगा
खैर बाबा जी मुझे ब्रह्मांड की सीमा के पास छोड़कर ज्यों का त्यों वापस आ गए उनका शरीर सचेत प्रतीत होने लगेगा
मानो किसी सोच से बाहर आए हैं
मुझे इस विचार से हंसी आ गई कि आम मनुष्य के लिए किसी गड़बड़ झाले से
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कम नहीं था
पर यह भी सत्य है कि अलौकिक रहस्य को जानना और उन में प्रविष्ट कर पाना बच्चों का खेल नहीं होता
ब्रह्मांड की सीमा आते ही मैंने
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ए बात लगभग 2 साल पुरानी है संजय मेरे दोस्त था हम कॉलेज में साथ साथ पढ़ते थे संजय और उसका परिवार अन्य प्रदेश से थे नौकरी की वजह से उत्तर प्रदेश में आकर रहने लगी थी जाने क्या वजह थी कि संजय मुझे काफी दिन से दिखाई नहीं दे रहा था शायद इसकी वजह यह भी हो सकती थी कि मैं कॉलेज जाने के बाद शोध के लिए जंगल और निर्जन स्थान पर चला जाता था और शहर और घर में ज्यादातर कम ही रहता था
लेकिन उस दिन जब मैं बाजार में था तो मुझे संजय की मम्मी रजनी आंटी की आवाज सुनाई दी
हाय प्रसून क्या तुम हो जरा रुको मैंने बाइक रोक दी रजनी आंटी मेरे करीब आई वो बेहद उदास दिख रही थी संजय कैसा है और आजकल दिखाई क्यों नहीं दे रहा है मैंने आंटी से पूछा मैंने उसी के बारे में बात करने के लिए तुम्हें रोका है तुम एक बार कह रहे थे कि तुम वानखंडी वाले बाबा को जानते हो और उससे परिचित हो प्लीज प्रसून मुझे एक बार उनसे मिलना है तुम्हारे दोस्त के खातिर अपने बेटे के खातिर मामला सीरियस था आंटी डरी हुई से प्रतीत होती थी मुझे आश्चर्य था कि आज ओ बाबा जी को पूछ रही थी कभी इस परिवार ने मेरी हंसी इस बात के लिए उड़ाया था की दृश्य जगत के अलावा अदृश्य जगत भी है आप मुझे कुछ हिंट दे मैंने कहा बाबा u11 किसी से नहीं मिलते और आप जिस वजह से बाबा से मिलना चाहती हैं उचित भी है कि नहीं आंटी ने मुझे भीड़ से हटकर
एकांत में आने का इशारा किया आते ही बोला संजय 3 महीने से अजीब ,,,, प्लीज प्रसून उसे बचा लो मामला वाकई गंभीर था मैंने पूछा संजय अक्षर कहां मिलता है इत्तेफाक से वह जगह मेरे आवागमन मार्ग के बीच में थी पर यह बात अलग है कि संजय जहां जाता था वहां से आधा किलोमीटर हटकर थी मैं तुरंत बाइक से संजय के पास पहुंचा ओ आराम से मुझे आम के पेड़ के नीचे बैठा नजर आया और अपलक सामने बहती नदी की धारा को देख रहा था मैं यह देख कर चौक गया कुछ ही दिन में उसका हष्ट पुष्ट शरीर मात्र हड्डियों का ढांचा रह गया था उसने बाइक की आवाज सुनकर एक बार मुझे देखा और फिर उसी तरह नदी की धारा को देखने लगा जैसे मुझे पहचानता ही ना हो मैंने बाइक खड़ी करके सिगरेट जलाई टहलते टहलते उसके पास पहुंच गया
हाय संजय हाउ आर यू मैंने उससे पूछा
तुम यहां क्यों आए हो काफी नफरत से मुझसे पूछा मैं पहले ही काफी परेशान हूं
आई नो आई नो डिअर मैंने उसकी आंखों का अनुसरण करते हुए कहां सिरी आई नहीं क्या अब तक
वह चढ़कर बोला तुम सब मेरे दुश्मन हो
सब जानता हूं बेटा मैंने मन ही मन कहां
मैंने मन ही मन बाबा को याद किया और एक धमाकेदार थप्पड़ मार दिया
वह लड़खड़ाते हुए जमीन पर गिरने को हुआ
मैंने संभालते हुए उसे एक पेड़ के नीचे बैठाया वापस जाकर बाइक का हारन बजाया उस सुनसान जगह पर हारन डरावनी आवाज करके गूंज गया
कुछ ही दूर में पेड़ की ओट में छिपी
अभी तक आपने पढ़ा संजय कैसी मेरी बात का जवाब दे रहा था और मैं उसे एक धमाकेदार थप्पड़ मारा
आगे
कुछ ही क्षणों में पेड़ में छिपी रजनी आंटी आती हुई दिखाई दी मैं आराम से सिगरेट के कश लगाने लगे
हमें अभी इसे लेकर बाबाजी की गुफा की ओर जाना होगा
मैं रजनी आंटी से कहा
अफसोस मुझे सब आपको पहले बताना चाहिए था
आंटी ने लगभग रोते हुई दूसरी तरफ देखा मैंने सहारा देकर संजय को बाइक पर बैठाया
और आंटी से कहा कि वह पीछे बैठ कर संजय को सहारा दे इस समय वह होश में नहीं है
मैंने बाइक दौड़ा दी निर्जन वन का वह क्षेत्र आम आदमी को डरावने एहसासों
से रू-ब-रू कराता था
पर मेरे लिए तो परिचित जगह थी मैं महसूस कर रहा था की रजनी आंटी भयभीत थी और संजय तो अपने होश में नहीं था आधे घंटे के बाद वन खंडी गुफा के सामने पहुंच गए थे
मेरे लिए बेहद परिचित स्थान किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकता था
वातावरण बेहद अजीब अजीब आवाजों के साथ डरावना बना रहा था
दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था
प्रसून मुझे आंटी की भयभीत आवाज सुनाई दी
डरो मत मैं उनकी तरफ बिना देखे कहा और गुफा के अंदर प्रवेश कर गया
और बोला अलख बाबा अलख
कल्याण हो अंदर से बाबा की रहस्यमई आवाज आई
इस औरत को बोल डरे नहीं इसका पुत्र ठीक होगा
बिना कुछ बताए बाबा रजनी आंटी के बारे में बोल रहे थे
यह सुनकर मैंने संजय को सहारा दिया और आंटी के साथ गुफा के अंदर प्रवेश कर गया
आंटी भय वश लगभग मुझसे सटी हुई थी
हम लोग अंदर जाकर बैठ गए
आंटी बेहद हैरत से गुफा का मुआयना कर रही थी मुझे उनकी हैरत मालूम थी
वह यह कि बेहद अंदर गुफा होने के बावजूद उसने दूधिया रोशनी मौजूद थी
पर वह प्रकाश किस चीज से हो रहा था यह मालूम नहीं चलता
और बाहर से जंगल जितने डरावना था उधर शांति और सुकून मौजूद थे
गुफा में डरावना एहसास कराने वाली कोई भी चीज नहीं थी बराबरी से चबूतरे में कंबल का आसन लगाए बैठे थे
उनकी बड़ी-बड़ी तेज युक्त आंखों में मानव मात्र के लिए स्नेह
था उनकी लंबी लंबी जटाये उनकी शक्ति बता रही थी
इसको आराम से लेटा दो बाबा संजय की तरफ देखकर कहा
मैंने संजय को आराम से मिटा दिया आंटी अपलक बाबा को देख रही थी
बाबाजी रजनी आंटी ने कुछ बोलने कि कोशिश की
शांत बेटा शांत बाबा ने बीच में ही हाथ उठाकर कहां
यह बताने की आवश्यकता नहीं कि इसे क्या परेशानी है और कैसे हुई और क्या होगा
फिर बाबा मुझसे गुप्त भाषा में बात करने लगे
जिसका मतलब यह था कि मुझसे गलती हो गई
वह यह थी कि मुझे एक हिम्मती पुरुष को साथ में लाना चाहिए
जो तमाम कार्यक्रम में रजनी आंटी को संभाल लेता
दरअसल एक विशेष विधि द्वारा मुझे बाबा जी के साथ प्रेत लोक में जाना था
जहां की एक प्रेत कन्या संजय को अपने साथ ले गई थी अब यह बड़ी रहस्यमई हकीकत थी कि संजय जहांगीर चलती फिरती लाश के रूप में अवश्य नजर आता था
पर वास्तव में वह प्रेत लोक का वासी हो चुका था
और बाबा जी के अनुसार वह अगले 6 महीने में मर जाने वाले था
क्योंकि उसने यह रास्ता खुद चुना था
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अतः अभी तक अपने जाना की संजय प्रेतकन्या के प्रेम में पर चुका था अब आगे
ये समान्य ओझाऔ का झाड़ फूंक का मामला ना था दरअसल मुझे माध्यम बनकर बाबा के साथ किनझर जाना था
और संजय के विगत 3 महीने प्रेतकन्या के साथ गुजारा समय संजय के दिमाग से कनेक्ट करके मिटाना था इसको इस
तरह समझ सकते है की किसी टेप कि रील को बैक स्थित मे
लाकर खाली करना या किसी कापी में लिखे गये अनुपयुक्त लेटर को इरेजर द्वारा मिटाना तब संजय अपनी पूर्व स्थिति में उसी तरह से आ जाता मानो गहरी नींद के बाद जागा हो और इस तरह वह मरने से बच जाता
अब समस्या यह थी कि मैं बाबा जी जब किनझर प्रेतलोक जाते तो हमारे शरीर निर्जीव हो जाते और संजय पहले ही बेहोशी जैसी अवस्था में पड़ा हुआ था तब पीछे अकेली रह जाती रजनी आंटी जो निश्चय ही उस बियाबान जंगल में 12 घंटे तक नहीं रह सकती थी जबकि प्रेत कन्या से उलझने में 15 से 20 घंटे तक लग
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सकते हैं अगर मान लो उन्हें भी एक विशेष मूर्छा अवस्था में कर दिया जाता तो गुफा में मौजूद चारों शरीर मृतक के समान होते और कोई दुर्घटना किसी जंगली जानवर या आकस्मिक आपदा से हुआ शरीरिक नुकसान हो जाने पर शरीर किसी भी कीमत पर प्राप्त नहीं किया जा सकता था
अतः शरीरों की रक्षा करने वाली किसी जिगर वाली इंसान का होना जरूरी था इसीलिए एक बार तो बाबाजी ने तय किया कि किसी आदमी का बंदोबस्त कर के ही किनझर जाएंगे
माय बड़े असमंजस में था कि क्या करूं क्या ना करूं दरअसल मैं अब अकेले ही किंजर जाने की सोच रहा था क्योंकि इसके पूर्व भी मैंने बाबाजी से कई बार कहा था कि मैं किसी सुदूर लोग की यात्रा पर चले जाने का अनुभव प्राप्त करना चाहता हूं और बाबा जी ने कहा भी था कि वह मुझे ऐसा मौका अवश्य देंगे
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पर यहां मामला दूसरा था मेरी थोड़ी सी गलती संजय को मौत के मुंह में ले जा सकती थी और यह भी संभव था कि मैं वहां से वापस ना आ पाता क्योंकि किसी शक्तिशाली प्रेत से मुकाबले में यदि में हार जाता है और उन्हें पता चल जाता कि मैं मानव हूं
तो मुझे दिमाग परिवर्तन करके प्रेत बना देते और इस तरह की फीडिंग से मैं खुद को प्रेत ही समझने लगता
इस तरह रिस्क की ढेरों बातें थी जिनका ज्यों का त्यों समझना मुश्किल है पर कहने का अर्थ यही है कि इस तरह में संजय और अपनी दोनों की जान जोखिम में डाल रहा है और बाबा जी इसके लिए तैयार नहीं थे
ओके मैंने अंग्रेजी में कहा सिंपल सी बात है मैं अकेली ही चले जाता हू
फिर मैंने आंटी को जो हमारे वार्तालापो को अजीब तरीकों से सुन रही थी ( क्योंकि वह भाषा उनके पल्ले ही नहीं पड़ रही थी)
को समझाया कि कोई दो-तीन घंटे
जबकि मुझे अच्छे से पता था कि किंजर से मेरी वापसी अगली सुबह को हो
पायेगी
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पर मैं इसलिए निश्चिंत था
क्योंकि एक तो बाबाजी पृथ्वी पर ही रुक रहे थे
अतः आंटी घबराती भी
तो वो उन्हें मूर्छा में भेज देंगे
और आंटी को ऐसा प्रतीत होता मानो उन्हें स्वभाविक नींद आ गई हो दूसरा यही मैं अकेले जाने का बेहद इच्छुक था क्योंकि बाबा जी के साथ सैकड़ों बार अंतरिक्ष यात्रा पर गया
मै बाबा जी से कहा कि मैं ध्यान से जाऊंगा आप फिक्र ना करें
और आंटी से कहा कि आप चिंता ना करें संजय ठीक हो जाएगा
आंटी ने हा की अवस्था में सिर हिला दिया
बाबाजी हल्के से मुस्कुराए उन्हें मेरा यह साहस अच्छा लग
रहा था
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मैं लेट गया और गहरी सांस लेते हुए मृतप्राय सा होने लगा
बाबाजी भी धीरे-धीरे मेरे साथ आने लगे
दरअसल बाबा जी ने तय किया था कि पृथ्वी से ब्रह्मांड तक की सीमा तक वह मेरे साथ आएंगे ऐसी हालत में रजनी आंटी को लगेगा कि वह कुछ सोच रहे हैं
और अगर वह उस हालत में उनसे कोई बातचीत भी करती हैं तो बाबाजी आसानी से उसका जवाब देते रहेंगे
लेकिन अगर बाबा जी ब्रह्मांड की सीमा पार करते हैं तो उसी समय उनका शरीर निर्जीव समान हो जाएगा
खैर बाबा जी मुझे ब्रह्मांड की सीमा के पास छोड़कर ज्यों का त्यों वापस आ गए उनका शरीर सचेत प्रतीत होने लगेगा
मानो किसी सोच से बाहर आए हैं
मुझे इस विचार से हंसी आ गई कि आम मनुष्य के लिए किसी गड़बड़ झाले से
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कम नहीं था
पर यह भी सत्य है कि अलौकिक रहस्य को जानना और उन में प्रविष्ट कर पाना बच्चों का खेल नहीं होता
ब्रह्मांड की सीमा आते ही मैंने
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