Fantasy पक्षीराज - अनोखी लव स्टोरी

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इंसानी दुनिया से अलग है एक दूसरी दुनिया
""" पक्षीलोक """
यहाँ के लोग दिखते तो आम लोग जैसे ही है पर आम इंसान जैसे है भी नही इनका आधा चेहरा पक्षी जैसा है और बड़े बड़े पंख है ।
ये लोग अपनी जिंदगी सुकुन से जिते है इन्हे किसी बात की दिक्कत नहीं थी क्योकि पक्षीलोक का "राजा अधिराज "बहुत ही दयालु है जोकि अपनी प्रजा को खुश रखता है।
पर अधिराज के जीवन में ही कोई खुशी नहीं थी
उसके जीवन के उथलपुथल का कारण है" कालाशौंक "
कालाशौंक अधिराज कि दुश्मनी का कारण है अधिराज की मणि (शक्ति मणि और इच्छा मणि )
ये मणि अधिराज को सबसे अलग बनाती है मतलब इन मणि के जरिए अधिराज शक्तिशाली है
इसी मणि के कारण अधिराज को कोई नहीं हरा सकता था और इच्छा मणि अधिराज को किसी भी रुप में बदल सकती थी ।
ये मणि ही अधिराज की दुश्मनी का कारण था कालाशौंक इन्ही मणि को हाशील करने के लिए कूकूपूर पर हमला करता था पर हर बार हार कर वापस अपने राज्य को लौट आता ।
कालाशौंक प्रतिशोध की आग में जलता रहता था बस अधिराज से मणि छिनने की कोशिश करता रहता था ।
अधिराज के जीवन में भी अशांति सी बनी रहती थी इसी कारण से राजमाता आंगिकी अधिराज को विवाह के लिए कहती रहती थीं पर अधिराज को अभी तक कोई भी लड़की अपने लायक नहीं मिली ।
आंगिकी चाहती थी की अधिराज सतरपूर की राजकुमारी सागरिका से विवाह कर ले पर अधिराज सागरिका के मतलबी स्वभाव को जानता था इसलिए मना करता रहा ।
पूरे राज्य में अधिराज को अपने लायक कोई लड़की नही लगी यही चिंता मां को विचलित करती रहती थीं ।
एक दिन अचानक
"महाराज महाराज !"
"क्या बात है पुरु(एक सैनिक)"
"महाराज आपकी बहन रांजीकी कही नही मिल रही है राजमाता बहुत परेशान हैं""
"क्या!(गुस्से में ) उसके अंगरक्षक क्या कर रहे थे "
तभी एक और सैनिक आता है
"महाराज ! राजकुमारी के अंगरक्षक नदी किनारे घायल पड़े
है उन्होंने बताया है कि कालाशौंक के सैनिको न राजकुमारी का अपहरण करने की कोशिश की उन्हे बचाने में वो घायल हुऐ है पर राजकुमारी उनके चंगुल से तो बच गयी लेकिन पता नेही कहा लुप्त हो गयी हमने पूरा कूकूपूर छान लिया पर हमे वो कही नही मिली "
"ऐसा कैसे हो सकता है तुम सब किसी काम के नही हो मुझे ही अपनी बहन को ढुंढना होगा जाओ शशांक (मित्र) से कहो हमारे साथ चले "
"जी !महाराज"
अधिराज और शशांक पूरा राज्य छान लेते है पर रांजिकी को नही ढुंढ पाते
तभी अचानक उन्हे एक विचित्र दरवाजा मिलता है दोनो हैरान रह जाते है तभी अधिराज अपनी शक्ति से उस दरवाजे का रहस्य समझ जाता है ये दरवाजा इंसानी दुनिया का है जहां के लोग साधारण है ।
अधिराज अपनी बहन को ढुंढने के लिए इंसानी दुनिया में जाता है वहां के लोग उसका रुप देखकर डर न जाऐ इसलिए वो अपना रुप साधारण इंसान की तरह बना लेता है और रांजिकी को ढुंढने जाता है
तभी उसकी मुलाक़ात एक लड़की से होती है
ये पहली लड़की है जिसने अधिराज को आर्कषित कर लिया ।कौन है ये लड़की
 
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मुझे माफ करना मेरा ध्यान कही और था "धीरे अधिराज ने कहा
" कहॉं देखकर चल रहे थे मिस्टर सारी दवाई गिरा दी "उस लड़की ने कहा
" मैं अभी उठा देता हूँ अपनी बहन को ढुंढने के चक्कर में आपसे टक्करा गया माफ करना "
"कोई बात नही "
इतना कहकर वो चली जाती हैं तभी शशांक ने अधिराज से कहा
"कहां खो गये पक्षीराज रांजीकी को नही ढुंढना "
"ह हां।चलो शशांक यही आसपास ही मुझे रांजी के होने का आभास हो रहा है मुझे लगता है मेरी बहन यही आसपास है चलो"
"हां!चलो जल्दी राजमाता परेशान हो रही होंगी "
काफी समय ढुंढने के बाद दोनो एक घर में जाते है
"आप कौन ?"
"माफ कीजियेगा मैं एक लड़की को ढुंढ रहा हूँ जो मतलब जिसने पक्षी जैसे कपड़े पहने हैं "
"हां-हां!लेकिन तुम कौन हो?"
"मैं उसका भाई हुं"
"अच्छा !मां उस लड़की के भाई आऐ है "
"आओ बेटा !सुचेता इन्हे पानी वानी दो आओ बैठो "
"उसकी जरुरत नही है आप मेरी बहन को भेज दो मां परेशान हो रही हैं"
"हां!ले तो जा सकते हो लेकिन मेरी बेटी के आने के बाद उसने ही तुम्हारी बहन को ठीक किया है "
"कहां है ?आपकी बेटी "
"बस आती होगी"
"ठीक है
" लो आ गयी "
अधिराज उसे देखकर हैरान रह जाता ये वही लड़की है जो अधिराज के मन भायी
"तुम यहां" हैरानी से उसने कहा
"हां!मैं अपनी बहन को ढुंढते हुऐ यहां तक आया हूँ"
"तुम इसे जानती हो बेटा "
"नही !मम्मी ये रास्ते में टक्करा गया था जो दवाई मैं रांजीकी के लिए लेकर आ रही थी इसने गिरा दी थी"
"अच्छा !आप मेरी बहन के लिए ही दवा लेकर जा रही थी"
"भैय्या !इन्होने ही मेरा ध्यान रखा है"
"आप सबका ध्न्यवाद इसका ध्यान रखने के लिए"
तभी अधिराज कुछ देता है
"ये क्या है"
"मेरी बहन का ध्यान रखने के लिए एक छोटा सा उपहार "
"इसकी जरूरत नही है हमने इसकी देखभाल इसलिए नही की कोई हमें गिफ्ट वगैरह दे इसे टाइम से दवाई दे देना बस यही कहना है मुझे"
"ठीक है चलो रांजी "
तीनो चले जाते है
"भैय्या इंसानी दुनिया के लोग अच्छे हैं आज मैं उन्ही की वजह से ठीक हूंँ"
"कुछ लोग अच्छे हो सकते है सभी तो नही "
"क्या पता?"
"चलो पहूँच गये पक्षीराज अब तुम अपने असली रूप में आ जाओ "
"हां!"
तीनो महल पहुंचते है
"मां !रांजीकी मिल गयी "
"रांजी !कहां चली गयीं थीं मेरी बच्ची "
"मां !कालाशौंक के सैनिको ने हम पर हमला किया था उनसे बचते बचते मैं चोटील हालत में इंसानी दुनिया में पहुंच गयी थी वहां पर एक लड़की ने ही हमे ठीक किया था"
"इस कालाशौंक को तो सबक सिखाना पड़ेगा लगता है पहले का सबक भुल गया है" गुस्से से अधिराज ने कहा
"अब तुम सब आराम कर लो थक गये होगे "
सब अपने कमरे में चले जाते हैं पर अधिराज को अब चैन कहा अपने कमरे में जाकर उसे ध्यान आया
"अरे! हमने तो उसका परिचय पुछा ही नही ...ऐ! मेरे नील दर्पण मुझे उस लड़की को दिखा जिससे मैं सुबह मिला था"
नील दर्पण उसे दिखा देता है
"इस लड़की में जरूर कोई बात है जिसने मुझे एक बार में अपनी तरफ आकर्षित कर लिया इससे तो मिलना चाहिए
पर क्या ये मुझे मिलेगी?"
यही सोचते हुए अधिराज सो जाता है
 
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अगली सुबह सतरपूर की राजकुमारी सागरिका आती है
"प्रणाम राजमाता !"
"आओ !राजकुमारी कैसे आना हुआ !"
तभी अधिराज आता है
"सागरिका !(हैरानी से) इतनी सुबह "
"जी !पक्षिराज पिताजी ने वार्षिक उत्सव आयोजित किया है और आपको विशेष रूप से आमंत्रित किया है जरुर आईऐ "
"नही ...! हम नहीं आ सकते हमें कुछ विशेष कार्य है मां और रांजिकी आ जाऐंगे .."
"पर पक्षिराज पिताजी ने विशेष रूप से आपको आमंत्रित किया है"
"राजकुमारी ज्यादा हट्ट मत कीजिये"
"ठीक है ! राजमाता आप आ जाईऐगा "
इतना कहकर वो चली जाती है
"मां ! हम भी शाम तक ही आऐंगे ....शशांक !इनका ध्यान रखना "
"ठीक है! अधिराज "
अधिराज अपने मन की हलचल को खत्म करने के लिए इच्छा मणि के जरिए इंसानी दुनिया में पहुंचता है
"इच्छा मणि हमे उस लड़की के आसपास पहुँचा दे "
एक साधारण इंसान के चाल ढाल में ढलने में उसे दस मिनट लगे .....अधिराज एक काँलेज में पहुंचता है
"इतना प्यारा गिटार कौन प्ले कर रहा है रीना "
"पता नही कोई नया लड़का है सब उसके पास ही जा रहे ...तू चलेगी देखने "
"ठीक है चल"
दोनो वहां पहुंचती है
"अरे .....! ये तो वही लड़का है"
"कौन ...?"
"अरे ! रीना हमने जिस लड़की को जंगल के पास लाये थे जिसे चोट लगी थी .....उसका भाई है ये "
अधिराज चलने लगता है क्योकि उसे ये तस्सली मिल गयी की वो सही जगह आया है
...तभी आवाज लगती है ..
"रूको ....!"
"आप ....मेरा पीछा मत कीजिये"
"रूको तो सही ....तुम्हारीं गिटार की धुन बहुत अच्छी लगी "
"धन्यवाद .." चल देता है
"तुम कुछ ज्यादा ही शुध्द हिंदी बोलते हो ....(.तभी...)आह! छोड़ो मुझे "
"ऐ ! तूने ही हमारे बोस पर हाथ उठाया था न "
"छोड़ो मुझे "
"छोड़ो उसे ..."
"तू कौन है हीरो ..चल निकल यहां से "
"आख़िरी बार चेतावनी है मेरी छोड़ो उसे "
"पहले तुझ से ही निपट लेटे है "
आखिर पक्षिराज के आगे कौन टिक सकता था सब ढेर हो गये ...
"बस इतनी ही ताकत है तुम सब में ...एक लड़की पर अपनी ताकत दिखाते हो निकलो यहां से "
"थैंक्स ...!मुझे बचाने के लिए "
"ये तो मेरा फर्ज था "
"वैसे हाय ..! मैं आरुषि ..."
"आरुषि ...मैं अधि(सोचकर) अर्जुन "
"अर्जुन ..फ्रेंडस ...! "
"हां !"
आज अधिराज बहुत खुश है क्योकि उसकी जिदंगी में एक नयी खुशी मिल रही है वो अपने प्यार को पाने की राह में बढ़ रहा है
"तुम यहां रोज आती हो "
"हां ! कालेज तो रोज ही आती हूंँ पर तुम्हे पहली बार देखा है "
"हां ....अब रोज आ जाया करूंगा "
"अच्छा !मैं कल मिलूंगी .....बाय !"
अधिराज वापस अपने महल पहुंचता है
"शशांक ! मां आ गयी ...!"
"हां !अधिराज अपने कक्ष में है जाओ मिल लो उनसे "
" हां !"........प्रणाम मां !"
"आओ अधिराज हो गया तुम्हारा विशेष कार्य"
"जी !मां आप बताओ वहां कैसा लगा आपको "
"बहुत अच्छा आयोजन था बस सब तुम्हे ही पुछ रहे थे.....और हमने तुम्हारें और सागरिका के विवाह प्रस्ताव राजा पांजीर से के समक्ष रखा उन्हे स्वीकार है "
"पर मां आपने हमसे क्यु नहीं पुछा हमे सागरिका स्वीकार नहीं है बस आपसे कितनी बार कहा है "
गुस्सें में अधिराज अपने कमरे में चला जाता है
"एक राजा की खुशी की कोई परवाह नही करता इससे तो अच्छा मैं एक इंसान होता....... अब तो मैं सिर्फ आरूषि को ही अपने जीवन में अपनाऊंगा उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े करूंगा..."
 
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अगले दिन अधिराज बिना किसी को बताऐ इंसानी दुनिया में पहुंच जाता है.... उसे तो बस ...आरुषि से मिलने की जल्दी है बस किसी तरह वो आज भी आरुषि से मिल ले
पहले तो कुछ बात नही हो पाई थी लेकिन अब जरुर बात करेगा ...! यही सोचते सोचते वो कालेज की तरफ बढ़ रहा था ...जैसे ही वो कालेज में ऐंटर होता है सब लड़कियो का ध्यान उसकी तरफ जाता है ... आखिर क्यूं न जाए अधिराज था ही इतना हैंडसम ,😘चार्मिंग और तो और कैज्युल लुक ड्रेस अप ,बैक पर गिटार लिए ,होठो पर स्विट स्माइल तो बस सबको उसकी और देखने पर मजबूर कर रही थी ......सब लड़कियां ने उसे घेर लिया और बस गिटार प्ले करने की जिद्द करने लगी पर अधिराज ने साफ इंकार कर दिया ...वो ये गिटार बस किसी खास के लिए प्ले करता है ........आखिर ये खास कौन है ..?.....सबका यही सवाल हो जाता है पर अधिराज कि निगाहें तो बस आरुषि को ही ढुंढ रही थी .....तभी पीछे से एक आवाज आती है .....
" अर्जुन ....."
अधिराज पीछे मुड़ता है और आरुषि को देखकर बहुत खुश हो जाता है आखिर इतनी देर से निगाहें जिसे देखना चाहती थी वो सामने थी
"...एक्सक्यूज मी साइड ही इज माई फ्रेंड ...हाय अर्जुन ...प्लीज जाने दो हमे ( सारी लड़कियां चली जाती है)..
तुम कब आऐ .."
" बस अभी ही आया था इन्होने मुझे रास्ते में ही रोक लिया इसलिए अंदर नहीं आ पाया ..."
" ये तो है ही ऐसी तुम चलो मैं तुम्हे अपने फ्रेंडस से मिलवाती हूं "
" अच्छा हुआ आप मुझे वहां से ले आई पता नहीं मैं कैसे उनसे बच पाता ..."
आरुषि हंस जाती हैं " तुम भी न ..चलो .."
" ये कौन है आरुषि ..?.."
" बताती हूं .... ये है मिस्टर अर्जुन ...मतलब न्यू फ्रेंड है मेरा ...अर्जुन ये पगली मेरी बेस्ट फ्रेंड है रिना ...ये हैं तानिया मिस पढाकू ..और हां गाइज तुम्हे पता है कालेज से जाते टाइम अर्जुन ने मेरी जान बचाई थी ...अगर ये न होता तो पता नही कल क्या .." ..तभी अर्जुन उसे रोकता है
" ये क्या कह रही हो ये तो मेरा फर्ज था आपकी जान बचाना ..."
" एक मिनट अर्जुन प्लीज ये आप आप मत बोलो मुझे अच्छा नहीं लग रहा है ..."
" ठीक है नही बोलूंगा "
" हे ! अर्जुन प्लीज गिटार प्ले करो न .."
" हां हां जरूर .....तुम्हारे लिए ही तो सिखा है ये मैने ( मन में कहा )
अर्जुन आरुषि के कहने पर गिटार बजाने लगता हैं जैसे जैसे गिटार कि धुन सब तरफ फैलती है वैसे वैसे सब लड़कियां इकठ्ठा होने लगती है और बस गौर से अर्जुन को ही देखने लगती है पर अर्जुन तो बस आरुषि को ही देख रहा था ....
गिटार तो एक बहाना था बस उसे आरुषि को ही निहारना था ...तभी अचानक आरुषि निगाहें ऊपर करके देखती है अर्जुन को खुद को देखते देख शर्मा जाती है ......तभी आरुषि कहती .." अच्छा अब हमे चलना चाहिए
....कालेज आफ हो चुका है न .."
" रुक जा आरुषि " रिना ने कहा
" तू यही रह मैं जा रही हूं .."
आरुषि की जाने कि बात सुनकर अर्जुन भी चलने के लिए गिटार पैक कर लेता है ..
"..अब नही बजाओगे .."
" नही मैं भी चलता हूं अब ....आरुषि सुनो .."
" हां ...."
" कल आओगी कालेज "
मुस्कुराते हुए ".. हां आऊंगी ..जरूर "
आज पक्षीराज बहुत खुश है उसने आज अपने प्यार की तरफ पहला कदम बढा़या ..उसे वापस अपने पक्षीलोक जाने की जल्दी नहीं थी बल्कि आरुषि से दोबारा मिलने की हलचल लिए पक्षीराज अपनी दुनिया में वापस लौटता है ....!
.....क्रमशः .......!
 
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अधिराज वापस अपने महल पहुंचता है और अपना काम पूरा करके अपने कमरे में पहुंचता हैं
"। ..नीलदर्पण .... आरुषि को दिखाओ.... ये तो सो गयीा इतनी जल्दी... कोई बात नहीं कल मिलूंंगा इससे .....
...पता नहीं क्या खास बात हैं इसमेंं पहली नजर में ही अपना बना लिया ....."
अगली सुबह अधिराज बिना किसी को बताऐ इंसानी दुनिया में पहुंच जाता है.....
कंचन : आरुषि...! अर्जुन तुझे ढुंढ रहा हैं...!
आरुषि : कहां है वो ....!
कंचन : पार्क में गया हैं अभी ....!
आरुषि : ठीक है...!
********
"" हेलो ..मिस्टर गिटारिस्ट....! """
"आरुषि.. मैं तुम्हें ही ढुंढ रहा था..."
" हां कंचन ने बताया मुझे ..तुम कब आये ..."
"बस अभी ही आया था ....तुम्हारी क्लास हो गयी ...."
" हां ....आज जल्दी ही जाना पड़ेगा घर ...."
" अगर तुम ....बुरा न मानो तो क्या मेरे साथ चलोगी..."
" कहां ...? "
" यही रेस्टोरेंट में... "
" ठीक है...वैसे तुम ये सवाल बिना हेजीटेट के भी पुछ सकते हो ..."
" हां ..."
दोनो रेस्टोरेंट में पहुंचते हैं खाने-पीने ,,बाते करने के बाद जाने के लिए बाहर आते हैं..... तभी
" प्लीज हेल्प .....प्लीज मुझे बचा लिजिए.. भाई ...ये लोग मुझे मार देंगे... "
आरुषि : कौन तुम्हें मार देंगे...?
" ...ऐ ..! हटो सामने से उस लड़की को हमारे हवाले कर दो चुपचाप..... "
अर्जुन : नहीं करेंगे.... ( दोनों को पीछे करके आगे खड़ा हो जाता है)...!
" ...तू कौन हैं इसे बचाने वाला ....दो -दो लड़कियों को अकेले ही हड़पना चाहता है... "
अर्जुन : तुम जैसे घटिय लोग सोच भी क्या सकते हो.....!
" क्यूं खामखां पिटना चाहता है.. "
अर्जुन : अच्छा.... हिम्मत है तो ले जा इस लड़की को... !
" रुक तुझे अभी बताते हैं.. "
अर्जुन पर हाकी से वार करते हैं..... पर क्या अधिराज के सामने वो टिक सकते थे.....
अधिराज सबको अधमरी हालत में पहुंचा देता है.... खुद को हारता देख एक गुंडा अर्जुन पर पीछे से हमला करता है......... पर अर्जुन को बचा लिया जाता है...
किसी और ने नहीं आरुषि डंडा उठाकर उसी को मारती हैं
आरुषि : बहुत बड़े... कमिने हो तुम पीट लिये तो पीठ पीछे से हमला करेगा ....एक बात का ध्यान रखना अर्जुन अकेला नही हैं, आरुषि उसके साथ हैं जो ...(चुप हो जाती है ....ये मैने अचानक क्या बोल दिया...
अर्जुन बस आरुषि को देख रहा था...
" आपका बहुत बहुत शुक्रिया ...मेरी जान बचाने के लिए.."
अर्जुन : ये तो मेरा फर्ज था ...भाई बोला है तो भाई अपनी बहन की सुरक्षा तो करेगा न ......!
" काश ..! आपके जैसे थिंकिंग सबकी होती ..."
अर्जुन : तुम इस तरह क्यूं देख रही हो आरुषि...!
आरुषि : सच कहा उसने ....तुम सबसे अलग हो ...
अर्जुन : तुम भी तो अलग हो...!
आरुषि : वो कैसे..?
अर्जुन : तुम भूल गयी जब उस दिन वो दादी मां रोड पार जाने के लिए खड़ी थी तो तुम अपना काम छोड़कर उनके पास गयी थी .....!
आरुषि : तुम्हें कैसे पता ...?
अर्जुन : मुझे सब पता है ....
आरुषि : अच्छा अब मैं चलती हूं कल मिलेंगे... बाय
*********************************
ऐसे ही अधिराज बिना किसी को बताऐ अपना काम छोड़कर ... बस आरुषि से मिलने चला जाता ...आरुषि को भी बस अर्जुन का ही इंतजार रहता .....दोनों ऐसे ही मिलते मिलते एक महीना बीत गया ..अब अर्जुन ने आरुषि को अपनी दिल की बात बता ही दी....😘
अर्जुन : आई लव यू आरुषि..😍...मैने जबसे तुम्हें देखा है बस खो सा गया हूं तुममे ...मेरी जिंदगी में तुम्हारे सिवा कोई नहीं है और ये वादा है मेरा कभी कोई आईगी भी नहीं ...!आरुषि भी अर्जुन से प्यार करने लगी थी आज वो भी बहुत खुश है ,,उसने बिना देर किये अर्जुन के प्यार को स्वीकार लिया.......
***पर क्या ये दोनों की प्यार की शुरुआत है या ...फिर कुछ और .......😭
.........क्रमशः.........
 
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अधिराज..."
" जी मां...!
" अधिराज ...तुम किस विशेष कार्य के लिए प्रतिदिन जा रहे हो ...हमे बिनाा बताए ....ऐसा क्या विशेष हैं जो हमसे भी तुमने गुप्त रखा हुआ है ...??
" मां आप परेशान मत हो ...हमारा विशेष कार्य क्या है हम आपको बता देंगे समय आने पर ..."
" वो तो ठीक है किंतु तुम अपनी प्रजा पर भी ध्यान नहीं दे रहे हो ....और राजकुमारी सागरिका से भी उचित व्यवहार नहीं कर रहे हो एक बार उससे बात कर लेते.... "
" मां... आप क्यूं चिंतित हो रही है हम अपना कार्य कर रहे है ...हमारी प्रजा को कोई कष्ट नहीं है ...और राजकुमारी सागरिका ...हमने आपको स्पष्ट मना किया है उससे विवाह हमे स्वीकार नहीं है ...." इतना कहकर अधिराज वहां से चला जाता है ....!
"...अधिराज.. रुको ..."
" शंशाक ...आओ मित्र ...!"
" अधिराज ...तुम राजकुमारी सागरिका से विवाह के लिए क्यूं मना कर रहे हो ...
" मित्र तुम अभी उसके व्यवहार से अनजान हो और वैसे हमे हमारी राजकुमारी मिल गयी है ...वो जल्द ही पक्षिलोक की रानी बनेंगी ...."
" बहुत अच्छा आखिर पक्षिराज को कोई तो भायी ...वैसे कौन हैं वो सौभाग्यशाली.... कोई ऐसी वैसी तो होंगी नही तुमने चुना है तो कोई खास ही होंगी... "
" हां ...बहुत खास हैं वो हमारे लिए ..उस जैसा कोई नहीं हैं..... समय आने पर हम तुम्हें उससे जरुर मिलवाएंगे..."
उसी दिन.....अधिराज अपने कमरे में बैठा आरुषि के बारे में ही सोच रहा था... तभी नीलदर्पण के जरिेए आरुषि से बात करता है ....उसी समय सागरिका पहुंचती है...!
"..प्रणाम ...राजमाता..."
" आओ सागरिका.. "
"..राजमाता.. हमे पक्षीराज से विशेष वार्ता करनी है ...कहां है वो ...?.."
" वो अपने कक्ष में है तुम विश्राम करो ....मयुरी (अधिराज की विशेष सेविका)..."
" जी ..राजमाता.."
"मयुरी अधिराज को सुचित करो राजकुमारी सागरिका आपसे मिलना चाहती है..."
...मयुरी अधिराज को सुचित करती है तब अधिराज अतिथि ग्रह में पहुंचता है ....बेमन से अपनी मां के कहने पर अधिराज सागरिका से बाग में मिलता है.......
"..अधिराज... हम आपकी कबसे प्रतिक्षा कर रहे है ...पक्षीराज आप हमे अनदेखा क्यूं कर रहे हैं..."
"...सागरिका ...हमने तुमसे मना कर दिया है न हम तुमसे मिलना नहीं चाहते ...."
"..अधिराज पर हमारा तो विवाह होने वाला है..."
"..तुम गलतफहमी में हो हम तुमसे विवाह नहीं करेंगे ...राजमाता ने आपको बता दिया है.. फिर तुम एक ही बात क्यूं कह रही हो ..."
"..अधिराज आप हमसे विवाह क्यूं नहीं करना चाहते ...देखिए हमे हम सुंदर भी है और थोड़ी बहुत शक्तियां भी है ,हमारे पास ..इनसे हम आपकी कालाशौंक से युद्ध में सहायता करेंगें..."
" हां तुम्हारे पास शक्तियां हैं किंतु हमे तुम्हारी सहायता नहीं चाहिए ....कालाशौंक के लिए हम अकेले ही पर्याप्त हैं ...आज के बाद तुम हमसे विवाह की हठ मत करना ..तुम्हारे लिए अच्छा होगा... "
गुस्से में सागरिका वहां से चली जाती हैं पर उसे चैन कहां अधिराज का उससे विवाह न करने के कारण को जानने के लिए सागरिका अपने गुप्तचर को भेजती ही ......

.....अगले दिन बिना किसी को बताऐ अधिराज इंसानी दुनिया में चला जाता है ....इधर राजमाता आंगिकी अधिराज के इस तरह बिना किसी को सुचित किये जाना अजीब लग रहा था ..इसकी जानकारी लेने के लिए वो अपने गुप्तचर गौरेया को अधिराज की खबर लाने के लिए भेजती हैं...
**********
अर्जुन आरुषि के गोद में सिर रखकर बहुत ही सुकुन महसूस कर रहा था.... "..आरुषि एक बात कहूं ...बुरा तो नहीं मानोगी...."
"..मैं बुरा क्यूं मानूंगी तुम कहो .."
"आरुषि ...अब तुमसे अलग नहीं रहा जाता ....क्या तुम शादी करोगी मुझसे ...मैं तुम्हें कभी कोई तकलीफ नहीं होने दुं..(तभी आरुषि चुप करा देती है)
" क्या तकलीफ न होना ही साथ रहना है.... मैं तो खुश हूं तुम जैसा लाइफ पार्टनर को पाकर ...हां .."
ये सब खबर लेकर दोनों के गुप्तचर अपनी अपनी जगह पहुंचकर खबर देते है.....
सागरिका : ओह ....तो हमसे विवाह न करने का कारण वो इंसानी लड़की है .....मार दूंगी मैं उसे ....अधिराज की शक्तियां सिर्फ हमारी ....खत्म कर देंगे हम उसे ....
 
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आरुषि ...मुझे तुम्हारी यही बातें बहुत पसंद हैं ..मैने तुम्हें अपना लाइफ-पार्टनर चुनकर कोई गलती नहीं करी है ....आइ लव यू आरुषि ....."
" आइ लव यू टू अर्जुन .(गले लग जाती है ).."
" बहुत जल्द आरुषि तुम हमेशा के लिए मेरी हो जाओगी.. फिर मैं तुम्हें बहुत परेशान करुंगा ..(आरुषि हंस जाती है )"
"...तुम मुझे ऐसे क्यूं देख रहे हो ..."
"..तुम ऐसे ही हंसती रहा करो ....तुम्हारी यही हंसी मुझे सुकून देती है ( दोनों हाथों से आरुषि के गालो को पकड़कर माथे को चूमता है )...."
"..अर्जुन ...गिटार नहीं बजाओगे ..."
"..क्यूं नही ...जो आज्ञा माइ क्वीन ..."
.....अर्जुन गिटार बजाता है और आरुषि अर्जुन के कंधे पर सिर रखकर उसकी धुन में खो जाती हैं ..
००००००००००००००००००००००००००००००००००००
सागरिका गुस्से में सबकुछ तोड़ने लगती है ....
मृगिका : राजकुुुमारी ....ये क्या कर रही हैं....क्या बात हैं ...?आप इतना परेशान क्यूं है ....?
सागरिका : मृगिका ...हम ही अधिराज की पत्नी बनना चाहते है उसकी शक्तियों पर केवल हमारा अधिकार है , वो इंसानी लड़की हमारा अधिकार नहीं लेे सकती.....अधिराज उस इंसानी लड़की को पक्षिलोक की रानी बनाना चाहते है......मृगिका हम ऐसा नहीं होने देंगे ..मार देेंगे उसे ..."
मृगिका : आप ऐसा मत कीजिए राजकुमारी अगर पक्षिराज उस इंसानी लड़की को चाहते हैं तो उस इंसानी लड़की को खत्म करने का मतलब हैं पक्षिराज सेेेे दुश्मनी लेना इसलिए उसे उनसे दूूूर करो ...नफरत भर दो उसके दिल में तभी वो दोनों अलग होंगेेेे ..."
सागरिका मृगिका की बात सुनती है पर कोई खास गौर नहीं करती बस झुठे में हां कर देती है पर अंदर से तो वो आरुषि को मार देना चाहती है ...
🏰पक्षिलोक अधिराज का महल 🏰
अधिराज अपने महल पहुंचता है, जहां राजमाता आंगिकी उसकी ही राह देख रही थी
आंगिकी : आइऐ ....महाराज...!
अधिराज :माां...इस तरह स्वागत क्यूं ...?
आंगिकी : आपका विशेष कार्य हो गया हैं तो हम कुछ पुछ सकते है ...?
अधिराज : माां ...आपको हमसे सवाल पुछने के लिए आज्ञा लेने कि आवश्यकता नहीं है ....आप पुछिए ...!
आंगिकी : इधर आईऐ आप .....ये बताइए क्या पक्षििलोक में लड़कियों की कमी रह गयी थी या कोई आपके लायक नहीं थी ,जो आपने उस इंसानी लड़की को‌ चुना ..."
अधिराज : माां ...आपने पता लगवा ही लिया ....हां .मां पक्षिलोक में हमे कोई नहीं भायी जिसे हम पक्षिलोक की रानी बना सके ....मां आरुषि हमारे विचारो जैसी है ...बहुत अलग हेैं वो और हम जानते है मां वो ही हमारा साथ दे सकती है और कोई नहीं ...हम आरुषि से ही विवाह करेंगे ...!
आंगिकी : ठीक है ...किंतु कालाशौंक ने आपकी कमजोरी समझकर उसे
अधिराज : नहीं मां हम आरुषि को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं , उसे कुछ भी नहीं होने देंगे .....अब बस आरुषि ही यहां की रानी बनेगी ....!
आंगिकी : जैसी आपकी इच्छा किंतुुुु क्या वो भी आप से प्यार करती है ...!
अधिराज : हाां...मां वो भी हमसे उतना ही प्यार करती है, और वो सागरिका जैसी मतलबी नहीं है ...!
आंगिकी : ठीक है ...एक बात और बताओ क्या वो तुुम्हारे
पक्षिरुप से प्यार करती है या इंसानी मतलब उसे पता तुम कौन हो ...!
अधिराज : नहीं मां हमने उसे अपनी सच्चाई नहींं बताई है...!
आंगिकी : तो फिर पहले उसे अपनी सच्चाई बताओ फिर हमे पता चलेेेगाा की वो तुम्हारे लायक है या नहीं ...!
अधिराज : मां ...ये आप क्यूं कह रही हैं ...आरुुुषि हमारे लायक हैं ..!
आंगिकी : ठीक है बेटा हमने तुुुम्हारीी बात मानी अब तुुम उसे अपनी सच्चाई बताओ.....!
अधिराज : ठीक है मां ....कल हम आरुषि को अपनी सच्चाई बताएंगे .....पर क्या तब आरुषि मेरी हो पाऐगी.. (अधिराज ने मन में कहा )
 

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