समय बचे चाहे न बचे पर पानी की बचत जरूर हो सकता है। शायद वो भी न बचे क्योंकि आग और पेट्रोल एक जगह होने पर जो ज्वाला धधकती है उसे बुझाना पानी के क्षमता से बाहर होता है।
रेशमी को देखकर आंटी की डर के मारे घिग्घी बंध गई। ऐसा होना लाजमी था। बंद कमरे में को रास रचाए उसको धोने दोनों संग में बाथरूम में घुस गई पर जब नंग धड़ंग बाहर निकली और ऐसे वक्त में कोई सामने आ जाए तो डर लगना स्भविक है
अरे हवस की मारी निर्लाज नारी तेरी बर्बादी की चिता सजा रहा हैं। बस देखती जा तुझे कैसे कैसे अंकित इस्तेमाल करता हैं। तू बेटा बेटा करती रहना और अंकित तुझे आंटी आंटी बोलकर एक नंबर की रण्डी बना देगा