Rasili amma
अरे का हाल बा......बीटवा, बहुत दीन के बाद खेत की तरफ दीखाई दीयो!!
राजू - अरेअब का बताये काकी, अब घर मे अकेला हू, साला काम इतना बाटे की पूछो मत काकी!!
अब का कर सके हो बीटवा, बाप के गुजर गु जाने के बाद सारा काम तो तोहरेसर पर ही आ टुटे है........तोहरी अम्मा नही दीख रही दो- चार
दीन से!
राजू - अरेहा रमती काकी, उ का है की हमरी नानी की तबीयत थोड़ी खराब हैतो , वो नानी के यहा गयी है.....आ जायेगी दो चार दीन मे.!!
कहानी के पात्र--
1. राजू (22)
2. रसीली (45) राजू की मां
3. सरला (60) राजू की दादी
4. रमती (45) गांव की ही एक औरत
कहानी के और कीरदार......कहानी के साथ उभरेगें!!
शाम के 4 बज रहेथे , रमती अपने खेत में फसल काटने आयी थी! रमती की कोयी औलाद नही है, और उमर भी हो आयी थी इसी वजह से
वो कुछ ज्यादा दुखी रहती है!
हालाकी रमती इस उमर में भी अच्छे अच्छो का लंड खड़ा कर देती है ऐसा बदन है उसका, रंग सावला , बड़ी-बड़ी चुचीयां और वजन ज्यादा
होनेकी वजह से मांसल बदन है, हालाकी रसीली भी रमती की तरह ही है , लेकीनी रसीली का रंग गोरा और चुचीया कसी-कसी हैगांड का
तो पुछो मत दोनो चुतरे जब आपस मे एक एक करके मटकते है , तो गाँव के लोगो का लंड पानी टपकानेलगता है!!
रमती - अरे अब का बताया राजू बीटवा, अगर आज हमरी भी औलाद होती तो, वो भी तुम्हारे जीतना होता.....लेकीन हमरी तो नसीब ही फूटी
है!!
रमती खेत में हंसीया लेकर बैठी थी, उसके ब्लाउज पसीने से भीग गयेथे, उसने अपनी साड़ी के पल्लू सेअपनेे मुह के पसीनेपोछने
लगी......साड़ी का पल्लू हटाते ही रमती की बड़ी-बड़ी चुचीया उसके ब्लाउज से झाकने लगी,
राजूकी नज़र जैसे ही रमती की चुचीयों पर पड़ी , वो दंग रह गया, लेकीन वो अपनी नज़र दुसरी तरफ कर लेता है...
राज़ू - अरेबाप रे......काकी की चुचीया तो बहुतेमस्त है, बड़ी-बड़ी है ,
ये सोच ते हुए राजू एक बार फीर अपनी नज़र रमती से छुपातेहुए उसकी चुचीयों पर गड़ा देता है......।
राजू के लंड में सरसराहय होने लगती है..... जीससे रमती को पता चला जाता है, राजूके लंड के झटके उसके पैट पर साफ पता चल रहा था,
जीसे रमती भी अपनी नज़र राजू से बचा कर उसके पैट की तरफ देखती!!
रमती (मन) - अरे इसका लंड तो झटके मार रहा है.......लेकीन अचानक से क्यूं ?
तभी रमती ये सोच ते हुए अपनी नज़र राजू की तरफ़ धीरे-धीरेलेजाती हैतो देखती है की, राजू की नज़र उसकी बड़ी-बड़ी दुधारु चुचीयों को
ताड़ रही थी!!
रमती मन में- हे भगवान, तो इसका लंड मेरी चुचीयां देख के झटके दे रहा है......ये सोच कर रमती की बुर मेंभी सीरहन उठने लगती है!!
रमती - का हुआ बीटवा, इतना चुप काहे हो....कुछ देख लीयेका!!
रमती की बात सुनकर राजू अटपटाते हुए, अपनी नज़र रमती की चुचीयों पर से हटाते हुए बोला-
राजू - अ......अ....रेनाही रे......काकी , भला हम का देख लीया.....
रमती राजू के आखों में देखती हुई अपने साड़ी के पल्लू से ब्लाउज से बाहर नीकली हुई चुचीयो के कुछ हीस्सो को पोछती हुई मुस्कुरा कर
बोली-
रमती - अरे हमके लगा की बीटवा ने कुछ देख लीया।
रमती के इस रवेयैपर राजूके लंड ने तो कोहराम मचा दीया.......उसके लंड में ताकत सी आ गयी , उसका लंड पैटं मेंही खड़ा हो गया,
जीससे पैंट का हीस्सा उठ गया और साफ पता चलने लगा!!
राजू घबराने लगा की कही काकी देख ना ले.......
ये कहानी है, एक छोटे से गांव की करीब 50 घर होगे उस गांव में , गरीब गांव था खेत कीसानी करके अपना पेट पालतेथे..!!
आगे.......
'रमती की नजर जैसेही राजूके पैट पर पड़ी वो समझ जाती हैकी, लड़के का लंड मेरी चुचीयां देख कर बेकाबू हो गया, रमती के चेहरेपर
एक हल्की मुस्कान फैल जाती है.....
राजूअपना हाथ अपनेपैटं के उठे हुए हीस्सेपर रख कर छुपानेकी कोशीश करनेलगता है!! जीसेरमती देख लेती है!!
रमती - का हुआ बीटवा, कोई दीक्कत हैका?
येकहकर रमती, अपनी चुतरो को जमीन पर रख कर बैठ जाती है, और अपनी साड़ी को अपने जांघ तक सरका लेती है!! जीससे उसकी
मोटी-मोटी जांघे दिखने लगी है!!
रमती की जांघे देखकर तो, राजू कि हालत और खराब हो जाती है......उसके शरीर मेंखून की गती तेज हो जाती है, उसने आज तक कीसी
औरत की जाँघे नही देखी थी......उसके लंड में दर्द होने लगा था, क्यूकीं पैटं की वजह से वो पूरी तरह खड़ा नही पा रहा था!!
और इधर रमती , राजूको अपनी मोटी जांघेदीखा -दीखा कर मज़े ले रही थी!!
राज़ू - अच्छा त ठीक बा काकी, मैभी अपना खेत थोड़ा देख लू!!
और ये कहकर राजू अपने खेत की तरफ नीकल जाता है!!
रमती , वही बैठी राजूको जातेहुए देख कर मंद - मंद मुस्कुरा रही थी। और खुद सेबोली-
रमती - अब तो हमरी बुर को तूही कुटेगा बीटवा.......बहुत सालो से बंजर सी पड़ी है,
और ये कहकर , रमती जैसेही अपना हाथ अपनी साड़ी के अंदर ले जाकर बुर पर रखती हैतो उसे उसकी बुर गीली लगी......रमती ने अपनी
एक उगलीं अपने बुर में घुसा दी,
रमती - आ.......ह, अरेबीटवा आज तो तू अपनी काकी के बुर को गीला कर दीया रे..*
और इधर राजू अपने खेत की तरफ़ ना जा कर सीधा अपने घर की तरफ नीकल जाता है!!
राजू जैसे ही घर पहुचता है.......!!
सरला - अरे बीटवा आ गया तू, खेत देखकर!!
राजू - ह......हां दादी,
सरला - तो फसल काटने लायक हो गयी है,?
राजू - 1 - 2 दीन मेंहो जायेगी दादी!!
सरला , खाट पर बैठी हुई थी!! वो खाट पर सेउठतेहुए बोली-
सरला - ठीक है, चल मैंखाना नीकाल देती हू तूखा ले!
राजू - नही, दादी भूख नही लगी है, अब सीधा रात को खाउगां!!
सरला - अच्छा ठीक है, लेकीन अपनी अम्मा को भी खबर भीजवा की गेंहू की कटाई होनेवाली है, अब तो अपने मायके से आ जाये!!
राजू - 1 - 2 दीन में आजेगी अम्मा, दादी!!
सरला - अच्छा ठीक है,.
राजू सीधा अपने कमरे में चला जाता है, उसकी आंखो में आज रमती की चुचीयों और उसके मांसल जांघ ही घुम रही थी।
राजू के लंड ने एक बार फीर से हरकत की, राजू दरवाजा भीड़का कर खाट पर लेट जाता है, वो पैटं के उपर सेही अपने लंड को मसलने
लगता है। अपनी आखें बदं कीये वो रमती की जांघे और चुचीयों को ही अहसास कर रहा था!!
अब राजूका लंड बेकाबू होने लगा, तो राजू ने अपने पैंट का हुक खोलकर पैटं अपने जांघ तक सरका दीया.......और पहना हुआ कच्छा भी
जैसे नीचे कीया, उसका 9 इंच और 4 मोटा का लंड उपर की ओर मुह कीये खड़ा हो गया....!
राजू ने अपने लंड के टोपेको पकड़ कर जैसे ही उसकी चमड़ी को नीचे कीया.......उसे एक मस्त कर देने वाली आनंद की अनुभुती हुई!!
राजू ने आज से पहले कभी हस्तमैथुन नही कीया था, और गांव का माहौल भी साफ सुथरा था.......गांव के सभी लोग शरीफ थे, और घर-घर
में संस्कार बसे हुए थे। जीसके वजह से नौजवान लड़के भी , ये सब काम को गलत ही मानते थे......!
राजू इधर अपने लंड को पकड़ कर हीला रहा था, उसे बहुत आनंद मील रहा था...... उसे तो पता भी नही था की, ऐसा करने पर इस तरह का
आनंद मीलता है.......हा उसने टी. वी. पर देखा था ॥ लेकीन वो ही की हीरो , हीरोईन एक दुसरे से प्यार कैसे करते है, और कभी- कभी चुबंन
बस उससे ज्यादा नही।
उस जमाने में टी. वी पर भी एक ही चैनल था डी डी 1 , और हर घर मेंटी.वी भी नही होता था, गांव के पचास घरो में 3 या 4 लोगो के घर में
टी. वी था.....
राजू अपनी आखेंबदं की येअपना लंड अब तक 40 मीनट तक हीला चुका था, उसके लंड से सफेद रंग के प्री स्पर्म नीकल रहे थे, जीसे राजू
अपने लंड के टोपे पर फेट- फेट कर हीलाता तो उसे और भी मजा आता......।
जब राजू का नीकलनेवाला था तो, उसे और भी मजा आनेलगा , जी से वो पहली बार महसूस कर रहा था........ राजू अपनी गांड उठा कर
अपना लंड और जोर - जोर से ही लाने लगा.....
राजू - आह......अरेबाप रे, बहुत मजा आ रहा है....... ये क्या हो रहा है, मेरी लंड में , आह गज़ब का मजा आ रहा है, तभी राजू के लंड ने
पीचकारी छोड़ी और राजू अपनी आखें बदं कर के आनंद की सीमा पर पहुचंकर शांत हो गया था.......
राजू अपनी आंखेबंद कीये वैसे ही अपने हाथ में लंड पकड़े लेटा रहा, लंड से नीकला हुआ पानी उसके शर्ट , पैट और कुछ हीस्सा बीस्तर पर
भी गीरा था.........
राजू आज वो आंनद की अनुभूती को प्राप्त कीया था , जीससे वो अभी तक अनीभीग्य था!!
राजू अपने कपड़े उतार कर, उस पर लगे हुए वीर्य को एक कपड़े से साफ करता है, और फीर दुसरा कपड़ा पहन लेता है।
........राजूबेटा.......अरे वो राजूबेटा!
राजू - हा दादी.....का हुआ?
और फीर राजू अपने कमरे से बाहर नीकल कर ओसार में आ जाता है!!
उस गांव मे सारे मकान मीट्टी के ही थे! राजू के घर मे 3 कमरे थे,
एक कमरे में वो रहता था.....दुसरे कमरे में उसकी मां रसीली , और तीसरा कमरा छोठा था जंहा खाना पीना बनता था या यूं कह सकते हो
की रसोईं घर था ......उसके आगे कुछ जगह लेकर राजू ने मीट्टी की दीवाल चारो तरफ से बनाकर , एक आंगन बना दीया था ॥जहां पर एक
छोटा सा घुसल खाना बना था नहाने धोनेके लीये , जो राजू के ठीक कमरे के पीछे सटा हुआ था!!
सारेमकान मिट्टी के थे, और उपर छप्पर था जो कवले से छाया हुआ था !
राजू - क्या हुआ दादी ?
दादी - अरे बेटा, मेरी दवा नही दीख रही है, जा जरा अपनी अम्मा के कमरे में देख कही वंहा तो नही रखा है!
राजू - ठीक है दादी.....
ये कहकर राजू अपने अम्मा के कमरे में जाता है.......उसे दादी की दवाई ओटले पर रखी हुई मील जाती है!!
राजू दवा लेकर जैसे ही बाहर जाने के लीये घुमा.......उसकी नज़र एक बक्से पर पड़ी। बक्सा उसकी मां का था, और वो एक खाट के नीचे
रखा था !!
राजू ने सोचा की खोल के देखता हू , इसमे क्या होगा !
राजू ने बक्से को खाट से बाहर नीकाला, लेकीन बक्से में ताला लगा था!
राजू - अरेचाभी तो अम्मा के पास है, तो इसे खोलू कैसे? अरे हां एक चाभी का गुच्गुछा दादी के पास है! चलो बाद मे खोल कर देखूगां!
उसके बाद राजूने बक्से को खाट के नीचे वापस रख दीया! और दादी की दवा लेकर बाहर चला आया.!
राजू - ये ले दादी , अपनी दवा....
सरला दवा ले लेती है, और फीर बोली-
सरला - बीटवा, जा जाकर कुछ सब्जी तोड़ ले , शाम भी होने को आ गयी है खाना पीना भी तो बनाना है.......
राजू - ठीक हैदादी!
इतना कहकर, राजूघर के पीछवाड़े जाता है, और कुछ हरी सब्जीया तोड़ने लगता है, उसके बाद वो सब्जीयों को लेकर वापस आता है।
राजू - अरे दादी कहा गयी..... अभी तो यही पर थी,
राजू खुद से कहते हुए, अपने कदम आंगन की तरफ बढ़ा देता है!!
वो सीधा आंगन में घुस जाता है...... जहां उसकी दादी घुसलखाने में अपनी साड़ी उठा कर मुतने बैठी थी......
राजू की आखें फटी की फटी रह जाती है, उसकी नजर सीधा अपने दादी की बुर पर पड़ती है.....उसकी दादी के बुर पर बड़ी - बड़ी झाटे उगी
हुई थी, और उन्ही झांटो के अंदर छुपी उसके बुर के छेदं में से पेशाब की मोटी धार नीकल रही थी!!
राजू तो ये नज़ारा देखते ही, की सी पुतले की तरह वही खड़ा रहा, और उसकी दादी भी राजू को देखकर शर्म से पानी हो गयी, लेकीन वो अब
पेशाब रोक तो सकती नही थी, तो सरला ने अपनी साड़ी को नीचे करते हुए अपने बुर को ढक लीया!!
राजू सोचा की अब नज़र चुरा कर भागने से दादी शरमीदां होगीं तो इससे अच्छा है की ना समझ बनने का नाटक करने में ेहम दोनो की
भलाई है!
राजू - अरे दादी, तू यहा पेशाब कर रही है और मैं तूझे बाहर ढ़ुढ़ रहा हू!
अब तक सरला भी पेशाब कर चुकी थी, तो वो भी उठ खड़ी हो जाती है....
सरला , राजू की बात सुनकर दंग रह जाती ह ैकी ये कैसी बात कर रहा है,
सरला - तू बेशरम हो गया है क्या ? ये कैसी बात कर रहा है!?
अपनी दादी की तेज तर्रार बात सुनकर राजूकी गांड फट जाती है.....लेकीन वो ना समझ बनतेहुए बोला-
राजू - अरे इस मे शरम की क्या बात दादी, पेशाब ही कर रही थी ना , वो तो हर कोयी करता है!
राजू की बात सुनकर , सरला का दीमाग घुमा, उसने सोचा ये कैसी बेशरमो वाली बात कर रहा है, एकदम ना समझ ही है लगता है......और
होगा भी क्यू नही। इस गांव के लड़के तो जो भी सीखते है शादी के बाद ही सीखते है.....तो अभी तो राजू को जरुर कुछ नही पता होगा!!
सरला अपने चेहरे पर एक मुस्कान लाते हुए बोली-
सरला - अच्छा तू चल ओसार में मैं तूझे बताती हू!!
सरला को सामान्य अवस्था में देखकर ,राजू को चैन की सास मीली.....और वो अपने दादी के साथ ओसार की तरफ चल दीया!
राजू (मन में) - ना समझ बनने का नाटक तो सफल रहा, नही तो पता नही कैसे दादी से नज़र मीलाता!
सरला ओसार में आकर खाट पर बैठते हुए बोली -
सरला - बैठ तूभी, बीटवा!
दादी के कहने पर राजू भी उसके बगल में बैठ जाता है!
सरला - अरे बीटवा , औरतो को पेशाब करते हुए नही देखना चाहीए , ये गदीं बात है समझा?
राजू - हा दादी॥
सरला ये तो सच में बुद्धु है, क्यूंना इससेही मजे लीये जाये, जीस मजे को लीये हुए मुझे 20 साल हो गये, लेकीन कही कुछ गड़बड़ हो गया
तो। नही - नही कुछ गड़बड़ नही होगा, ये मौका अपने हाथ से जाने नही दूगीं ।
सरला - लेकीन बीटवा, अपनी दादी को पेशाब करते हुए देखने में कोयी बुरायी या गंदी बात नही है, लेकीन हां की सी को भी ये बात मत
बताना की तूने अपनी दादी को पेशाब करते हुए देखा है! अगर की सी को बताया तो लोग बोलेगें ये तो गंदा लड़का है!
अपनी दादी की बात सुनकर , राजू के पैरो तले जमीन खीसक गयी, वो सोचने लगा की दादी ये कैसी बात कर रही है.....लेकीन राजू ना समझ
बनते हुए बोला-
राजू - नही - नही दादी मैं गंदा लड़का नही हूं, मैं की सी को कुछ नही बताउगां?
राजू की बात सुनकर , सरला के चेहरे पर एक मुस्कान सी फैल गयी!
सरला - शाबाश बीटवा॥
राजू भी आज मस्त था, उस ेभी अपनी दादी के साथ ऐसी बात करके बहुत मजा आ रहा था...उसने सोचा क्यूंना और मज़ा लीया जाये॥
राजू - दादी......एक बार फीर पेशाब कर ना मुझे देखना है!
राजू की बात सुनकर, सरला जोर सेहसीं और बोली -
सरला - अरे बीटवा, अभी तो कर के आयी, अब जब लगेगी तब देख लेना!
राजू तो मस्त हो गया.....उसके लंड में खलबली मचने लगी!
राजू - ठीक है दादी!