Incest संभ्रांत नगर के आठ परिवार

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मेरी ये कहानी दूसरे फोरम पर अलग नाम से चल रही है.

प्रस्तावना

एक बड़े शहर में एक सुंदर कॉलोनी थी. कुछ ८ घर ही घर थे इस कॉलोनी में. इनके मालिक ज़्यादातर या तो व्यवसाई थे या ऊँचे ओहदे पर काम करने वाले लोग. सारे आदमियों की आयु ४०-५० और औरतों की ३५-४५ के बीच थी. आदमियों की एक मित्र मंडली थी, और औरतों की किटी. आठों मकान दो पंक्तियों में थे. एक ओर इन्होने एक जिम, स्पोर्ट्स हाल और स्विमिंग पूल बनवाया था, और दूसरी ओर एक दो मंज़िला भवन जिसमे लगभग ४०० लोगों की पार्टी आराम से हो सकती थी. इसमें ही एक किचॅन था. पहले रेस्तराँ खोलने का प्लान था पर इतने कम लोगों के लिए उसका कोई औचित्य नहीं था. किटी पार्टीस और जेंट्स पार्टीस यहीं होती थीं. हालाँकि सब अच्छे दोस्त थे पर एक दूसरे के जीवन में कोई दखलंदाजी नहीं करता था. ये पार्टीस ही थीं जिनमें कुछ बातें सामने आती थीं. पर कभी भी इस कमरे से बाहर किसी ने इसको दोबारा नहीं बोला.

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६ लोग इन दोनों की देखभाल के लिए रखे थे, और एक सेक्यूरिटी एजेन्सी पहरेदारी के लिए. अब क्योंकि इस कॉलोनी का कोई नाम भी होना चाहिए, तो हम इसे "संभ्रांत नगर" से बुला लेगे. ये अलग बात है कि पर्दे के पीछे झाँकने पर कुछ और ही मिलेगा. ये तो अब समझ आता ही है कि ये सब धनाढ्य और संभ्रांत थे. सबके बच्चे या तो शहर के कॉलेज में पढ़ते थे, या विदेश में. बच्चों की उम्र १८-२२ के बीच थी.

हम अब हर घर का लेखा जोखा लेंगे और देखेंगे की उन घरों में कब कब क्या क्या गुल खिलते हैं.
 
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पात्र परिचय

पहला घर: अदिति और अजीत बजाज.


अदिति बजाज : ग्रहणी , अजीत की पत्नी। अलोक और अनन्या की माँ। बेहद सुन्दर और कामुक स्त्री.
अजीत बजाज: व्यवसायी. अच्छी कद काठी है, लंड काफी भारी भरकम, मोटा और लम्बा. बेहद शौक़ीन आदमी.
गौतम बजाज: घर का बेटा, होशियार और सबको बहुत चाहने वाला. शारीरिक रूप से अपने पिता पर गया है. चुदाई का नया नया शौक़ीन है, किस्मत ने एकदम से ही कपाट खोल दिए हैं.
अनन्या बजाज: घर की सबसे छोटी सदस्य. अल्हड़ और चंचल. माँ से उसे खूबसूरती मिली है. जानने वाले इसे देखकर अदिति की जवानी की याद करते हैं. गौतम से १. ५ साल छोटी है.
शालिनी देवी बजाज: अजीत की माँ. ३ साल पहले पति का देहांत हो गया. एक साल से यहाँ अपने बच्चों के साथ रहती हैं. जब तक पति जीवित थे, इनका सेक्स जीवन भरपूर था. आज भी इन्हें देखकर हर उम्र का आदमी एक बार तो चोदने की इच्छा करता ही है.

मोनिका: अजीत की सेक्रटरी. जवान और शादी शुदा. पर इसे अजीत से चुदवाने में कोई परेशानी नहीं है.

घर में एक रसोइया गोकुल और एक नौकरानी राधा है जो पीछे के सर्वेंट क्वाटर में रहते हैं. हालाँकि वे पूरे समय के कर्मचारी हैं, पर उन्हें आवश्यकता रहते ही बुलाया जाता है, क्योंकि घर वाले इसे अपने जीवन में दखलंदाजी समझते हैं.

इन सारे बंगलों में यही चलन है.

दूसरा घर: सुनीति और आशीष राणा

आशीष राणा: घर के मुखिया। हरियाणा के जाट और कसरत के बेहद शौक़ीन. शरीर एकदम गठा हुआ. चेहरे पर एक रौब रहता है. जो इनसे एक बार चुदवा ले वो एकदम दीवानी हो जाती है. पर इनके मन में बस एक ही बसती है.
सुनीति राणा: आशीष की पत्नी और उसके बचपन की साथी. दोनों बचपन से एक ही मोहल्ले में पले बढ़े. दोनों के परिवारों में घनिष्ट मित्रता थी. दोनों का विवाह कालेज से निकलते ही हो गया था. अब २४ साल के बाद भी दोनों का प्यार परवान चढ़ रहा है. इसकी प्यास बुझाना बिरलों के ही बस में है. असीम सुंदरता की देवी, पर अपनी जिस्म के भूख से लाचार .
अग्रिमा राणा: पहली संतान. माँ बाप के आँखों का तारा. क्या नहीं जो सुनीति और आशीष इसके लिये न कर दें. माँ की सुंदरता विरासत में मिली है. और सेक्स की भूख भी.
असीम राणा: पहला बेटा, अपने पिता की तरह मजबूत और कसरती. इसे थोड़ा कठोर सेक्स पसंद है. फिर भी लड़कियाँ इसका साथ पाने को तड़पती हैं. अग्रिमा से १ साल छोटा.
कुमार राणा: दूसरा बेटा। असीम से लगभग २ साल छोटा है. दोनों भाई उम्र के सिवाय लगभग एक जैसे हैं. शौक भी लगभग एक हैं. असीम के साथ लगा रहता और इसका फायदा भी उठाता है भरपूर. जब अपने किसी कॉलेज के साथी की माँ लाइन पर आती है, तो तीन चार बार के बाद अक्सर दोनों भाई उसको जुगलबंदी में बजाते हैं.
जीवन राणा: आशीष का पिता. ये अब साथ रहते हैं. देखकर ही पता लगता ही की आशीष का बीज कितना प्रबल था.
सलोनी: घर की सहायक. सांवला गठा शरीर. सुनीति के बचपन से उसके साथ है. इसकी पढ़ाई और शादी का सारा खर्चा सुनीति के पिता ने ही किया था. सुनीति के साथ ही वो आ गई थी. घर की सदस्य ही मानी जाती है. तीनों राणा संतानें इसे मौसी पुकारती हैं. जब बंगला बना था तो उसके परिवार को भी एक सटा हुआ दो बैडरूम का आउट हाउस बनवाया था.
शंकर: सलोनी का पति. शुरू में इसे यहाँ आना रास नहीं आया था. पर राणा परिवार के व्यव्हार ने इसे जीत लिया.
भाग्या: सलोनी और शंकर की बेटी. साल भर पहले शादी हो चुकी है. अभी गर्भवती है. पास ही के गांव में शादी हुई है तो अक्सर चली आती है. पहले सास बहुत परेशान करती थी, फिर एक दिन अदिति ने बुला कर उसे समझाया और कुछ पैसे दिए. ये चेता दिया की ये तब तक मिलते रहेंगे जब तक भाग्या सुख से रहेगी। तब से सास उसे सर पर बैठाती है. सप्ताह में एक दो दिन तो यहीं रहती है. पति भी कुछ नहीं कहता क्योंकि वो बहुत चाहता है.
सूरज: भाग्या का पति.
बलवंत मान: जीवन के बचपन का मित्र. सुनीति के पिता. अभी गांव में ही रहते हैं और अपनी और जीवन के खेती की देखभाल करते हैं.
गीता मान: बलवंत की पत्नी और सुनीति की माँ.
 
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पात्र परिचय

तीसरा घर: शीला और समर्थ सिंह

समर्थ सिंह: एक बड़ी सिक्यूरिटी कंपनी के मालिक हैं. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से वे बहुत बड़े बड़े व्यवसायों में हर तरह की सुरक्षा का इंतजाम करते हैं. हालाँकि अब अर्ध रिटायरमेंट में हैं. संभ्रांत नगर की सुरक्षा का भी यही ध्यान रखते हैं. उम्र अब ६५ पार कर चुकी होगी.

शीला सिंह: समर्थ की पत्नी. जिस प्रकार से अपने आप को बनाये रखना चाहिए, ये कोई इनसे सीखे। दोनों की शादी को लगभग ४० साल हो चुके हैं. आज भी बेहद चुस्त और सक्रिय। इनका एक शौक है जिसे हम आगे जान पाएंगे.

सुप्रिया: समर्थ और शीला की बड़ी बेटी. शादी के पांच साल बाद तलाक हो गया. कारण हम आगे जान पाएंगे. अपने दोनों बेटों को पलने और बड़ा करने में उसने अपना जीवन लगा दिया. समर्थ की कंपनी में MD के पद पर है, और संभवतः समर्थ के पूर्ण रिटायरमेंट के बाद चेयरमैन भी बनेगी. ये शहर में अपने घर में रहता है, पर अक्सर सप्ताहांत अपने माता पिता के घर ही बिताती है.

सुरेखा : दूसरी बेटी. अपने पति से अब बहुत दुखी है. एक बेटा और एक बेटी है. समर्थ की कंपनी में डायरेक्टर है. दोनों बहनों में कोई द्वेष नहीं है कंपनी में अपने पद को लेकर. ऑफिस कम ही जाती है. सुप्रिया के निकट ही अपने घर में रहती है.

निखिल: सुप्रिया का बड़ा बेटा। बिलकुल हीरो जैसा लम्बा चौड़ा. इसका हथियार भी इसके शरीर से मेल खाता है. तेज तर्रार और आक्रामक.

नितिन: सुप्रिया का दूसरा बेटा। निखिल की कार्बन कॉपी. हालाँकि स्वाभाव में दोनों बहुत अलग हैं. तीव्र बुद्धि और सौम्य स्वभाव। पर इसका औजार निखिल से भी भारी है.

सजल: सुरेखा का बड़ा बेटा. इसके बारे में बाद में जानेंगे।

संजना: सुरेखा की बेटी. इसके बारे में बाद में जानेंगे।

नागेश: सुरेखा का पति. इसका कोई खास रोल नहीं है.

चौथा घर: मिशेल और रिचर्ड डिसूज़ा

रिचर्ड डिसूज़ा: इनका इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक्स का बिज़नेस है. काफी साल साउथ अफ्रीका भी रहे है. वैसे केरल से हैं, पर अफ्रीका से लौटकर इसी शहर में बस गए. समर्थ के अच्छे दोस्त हैं और उनके कहने पर ही साथ में यहाँ घर लिया था.

मिशेल डिसूज़ा: रिचर्ड की पत्नी. ये भारतीय नस्ल की अफ्रीकन महिला हैं. रंग थोड़ा हल्का है, पर नैन नक्श और जिस्म बिलकुल कटावदार. रिचर्ड से शादी के ७ साल बाद वो भारत आ गए थे. पहले इन्हें बड़ी मुश्किल हुई, पर अंततः अच्छा लगने लगा. इनके लगभग सारे रिश्तेदार अफ्रिका में ही है.

शैली डिसूज़ा: बड़ी बेटी, ये शादी के एक साल बाद पैदा हुई थी. रंग रूप और सुंदरता में एकदम माँ पर गई है. अब कॉलेज के लास्ट ईयर में है. संभवतः आगे की पढाई के लिए विदेश जाये.

डेविड डिसूज़ा: बेटा , शैली से दो साल छोटा. फूटबाल का खिलाडी और शानदार शरीर का मालिक. कसरत और तैराकी का शौक़ीन. अपनी क्लास की लड़कियों और उनकी मम्मियों का चहेता।

जैसन वार्ड: मिशेल का बड़ा भाई. अफ्रीका में अपना बिज़नेस है. रिचर्ड और जैसन ट्रेडिंग पार्टनर्स हैं. दोनों में अब अच्छी घनिष्ठता है. हालाँकि आरम्भ में जैसन उसे पसंद नहीं करता था, पर जानने के बाद ठीक हो गया.

ईव वार्ड: जैसन की पत्नी. मिशेल की अंतरंग मित्र.

ऐलिस वार्ड: जैसन और ईव की बेटी. ये मॉडलिंग करती है. और बहुत प्रख्यात है अफ्रीका के देशों में.

मार्क वार्ड: जैसन और ईव का बेटा।

बोरिस, रिकी, मार्टिन और डॉन: ये जैसन के बिज़नेस पार्टनर्स है.
 
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पात्र परिचय

पाँचवाँ घर: शोनाली और जॉय चटर्जी

जॉय चटर्जी: ये एक प्राइवेट कंपनी में ऊंचे ओहदे पर काम करते है. बहुत आकर्षक व्यक्तित्व और मृदुभाषी. अपनी पत्नी शोनाली पर जान छिड़कते हैं. नयी और कमसिन लड़कियों के शौकीन, जो इन्हें इनकी पोजीशन के कारण पूरा करने में कोई समस्या नहीं होती.

शोनाली चटर्जी: बेहद हसीन, थोड़ी गुदाज और मांसल हैं, पर इनके व्यक्तित्व पर खूब फबता है. गांड ऐसी चौड़ी की ट्रैफिक लाइट की जरूरत नहीं, बस इन्हे खड़ा कर दो, ट्रैफिक अपने आप रुक जाये. पर इनकी शरीर की भूख इतनी है की आसानी से नहीं मिटती। जवान लड़कों की शौक़ीन.

सागरिका चटर्जी: बड़ी बेटी. बिलकुल रोशोगुल्ला. अपने पिता की चहेती। पर बहुत कुछ माँ पर गई है.

पारुल चटर्जी: छोटी बेटी. एकदम रसमलाई की मिठास और रास से भरपूर. सागरिका की पिछलग्गू. माँ की सुंदरता पाई है.

सुमति बोस: जॉय की विधवा बहन. अब साथ ही रहती है.

पार्थ बोस: सुमति का बेटा। अपने पिता की अकाल मृत्यु से इस पर काफी बोझ पड़ गया था. अंततः यहाँ आने के बाद अब बहुत आराम से है. पढाई बीच में छूटी तो दोबारा नहीं की. दिंची क्लब का मालिक और सदस्य चयन समिति का मुखिया. चयन समिति में शोनाली भी हैं.


छठा घर: दिया और आकाश पटेल

आकाश पटेल: ये एक गुजराती व्यवसाई हैं. इनका ट्रेडिंग का काम है और बहुत सफल है. इनकी शादी इनके पिता के व्यवसाई दोस्त की बेटी से हुई थी. दोनों एक दूसरे को बचपन से जानते थे और ये तय था कि इनका विवाह होना ही है. अपने काम को बढ़ने के उद्देश्य से ये करीब १६ साल पहले इस शहर में आये थे. व्यवसाई वर्ग में इनकी अच्छी पहचान और प्रतिष्ठा है.

दिया पटेल: आकाश की पत्नी. इनका समय अक्सर किट्टी पार्टी और महिलाओं से मिलने जुलने में ही जाता है. घरेलू महिला हैं पर अपना बहुत ध्यान रखती हैं. एकदम कटीले नैन नक्श. बनने संवरने का शौक जैसा की किसी भी संपन्न स्त्री का स्वभाव होता है.

आलोक पटेल: दिया और आकाश का इकलौता बेटा। अपने पिता के बिज़नेस को अब अपने एम बी ए के बाद साथ में संभाल रहा है. बेहद आकर्षक लड़कियों के लिए चुंबक सामान व्यक्तित्व. मौका देख कर चौका लगाने में निपुण. ये बिना उम्र के लिहाज के खेलता है.

आकार पटेल: ये आकाश का छोटा भाई है. ७ साल पहले जब बिज़नेस में बहुत उतर चढ़ाव थे तब आकाश ने इसे अपने ही पास बुला लिया था. संयुक्त परिवार के समर्थक आकाश ने इसे अपने ही घर साथ रखा है. हालाँकि व्यावसायिक कारणों से उससे एक किराया लिया जाता है, जो लेशमात्र ही है. परन्तु घर के कुछ खर्चे केवल आकार के ही कहते में आते हैं. ऐसे समझौते का एक कारण और भी है, और वो है नीलम. ये अब अपना अलग एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट का काम करते हैं और दोनों भाइयों के बिज़नेस पृथक हैं.

नीलम पटेल: आकार की पत्नी. ये जरा चतुर और तेज तर्रार है. हालाँकि घरेलू ये भी है, पर इसकी ऑंखें चारों ओर रहती हैं. इसी कारण दिया ने किराये पर आने का सुझाव दिया था, क्योंकि वो नहीं चाहती थी की कोई अनबन हो. इस निर्णय से दोनों परिवारों में एक सहजता आ गई है. नीलम और आकार ने अपना एक घर भी बना लिया है कुछ २ किमी दूर, पर वो रहते यहीं हैं. अभी सप्ताहांत में या किसी पार्टी के लिए प्रयोग में लाया जाता है.

कनिका पटेल: आकार और नीलम की इकलौती बेटी. अभी बी कॉम फाइनल ईयर में है और CA की इच्छुक है. पढ़ने में तेज है और स्वभाव में भी. ज्यादा किसी को भाव नहीं देती, पर घर में बहुत सरल और सलीके से रहती है.

हितेश पटेल: दिया की बहन सिया का बेटा है जो पढाई के लिए यहाँ पर है. इसका अभी १० महीना बाकि है कोर्स का, फिर ये वापिस घर जाकर अपने पिता के काम में जुड़ जायेगा.
 
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पात्र परिचय

सातवां घर: वर्षा और समीर नायक

समीर नायक: ये एक पुराने जमींदार परिवार से हैं और अब इनका बहुत बड़ा खेती बाड़ी का काम है. इनके पास जितना पैसा है वो शायद सात पुश्तों तक भी नहीं संभले। इन्होने अपनी बेटी के लिए इसीलिए एक घर दामाद को चुना था जिससे वो इनसे दूर न रहे. अब इनका काम दामाद और बेटा ही सँभालते हैं.

वर्षा नायक: समीर की पत्नी. ये खुद भी एक धनाढ्य परिवार से हैं और उसी तरह के इनके शौक भी हैं.

अंजलि शिर्के: ये समीर और वर्षा की बेटी है. बचपन से लाड़ प्यार में बड़ी हुई. इसके भाव ही अलग हैं. ये किसी भी लड़के को दोबारा देखती भी नहीं थी. हाँ अनगिनत बॉय फ्रेंड बनाया और शायद एक बार से ज्यादा किसी से नहीं चुदी। पर एक माध्यम वर्ग के लड़के राहुल ने इसका दिल जीत लिया. या यूँ कहिये कि उसके लंड ने इसका दिल जीत लिया.

राहुल शिर्के: अंजलि का पति. एक बहुत ही तेज और होनहार आदमी है. अंजलि इसके पास ट्यूशन के लिए आयी थी. उधर अंजलि अपनी पढाई में पास हुई और इधर राहुल अंजलि के मापदंड पर. हालाँकि समीर ने ये स्पष्ट कर दिया था की उसे घर जमाई ही चाहिए. आखिर जब समीर ने माना की राहुल का परिवार भी साथ रहेगा तब ये रिश्ता पक्का हो पाया था. इसके लिए राहुल को अपनी सासू माँ के कठोर मापदंडों पर भी खरा उतरना पड़ा था. पर एक रात में ही वो अपनी विशेष योग्यता से उत्तीर्ण हो गया था.

जयंत नायक: समीर और वर्षा का बेटा। ये अब राहुल के साथ खेती संभालता है. अक्सर ये महीने में एक हफ्ते साथ जाते है, और बाकी में एक हफ्ते के लिए एक जाता है. इसकी अभी शादी नहीं हुई है. पर इसको चूत की कभी कमी नहीं हुई. पैसे और बलिष्ठ शरीर के आकर्षण से न जाने कितने फूलों का रस चूसा है. इसे औरत की उम्र नहीं उसके जिस्म में दिलचस्पी रहती है.

सुलभा शिर्के: राहुल की माँ. आज ये जितना सुख भोग रही हैं उतना उन्हें जीवन में कभी नहीं मिला. एक मध्यम वर्ग के रोज के संघर्ष से ये उम्र से पहले बूढी लगने लगी थीं. पर अब इनकी मानो जवानी लौट आयी थी. और इसका ये भरपूर लाभ उठा रही हैं और दूसरों को भी उठाने दे रही हैं.

पवन शिर्के: राहुल के पिता. सुलभा की तरह जीवन का भरपूर आनंद ले रहे हैं. वो उन कुछ भाग्यशाली लोगों में से हैं जिनके बेटे उनके जीवन के सारे दुःख दूर कर देते हैं.

कुसुम: ये घर की नौकरानी है, हालाँकि घर की सदस्य की तरह ही रहती है. घर वाले भी उसे उतना ही आदर देते है. इसकी उम्र अब ४० से ४२ के बीच है.

संतोष: कुसुम का पति. ये खेतों पर ही रहता है. उसे एक दो कमरे का मकान दिया है, जिसमे वो आराम से रहता है. जब खेती का काम बंद रहता है, वो यहीं आ जाता है. बाकी समय में कुसुम महीने में दो बार २-३ दिन के लिए चली जाती है समय देखकर.

काम्या: संतोष और कुसुम की बेटी. ये अभी कर्णाटक के एक कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढाई कर रही है. अभी फाइनल ईयर में है.

कमलेश: काम्या का जुड़वाँ भाई. ये भी उसी कॉलेज में मेकैनिकल इंजीनियरिंग पढ़ रहा है और फाइनल ईयर में है. पहले दो साल हॉस्टल में रहने के बाद दोनों भाई बहन अब एक किराये के फ़्लैट में रहते हैं.

आठवाँ घर: शेट्टी

विक्रम शेट्टी: ये एक ट्रेवल एजेंसी के मालिक है. इनका नेटवर्क पूरे देश में और कुछ अन्य देशों में भी है. घूमने और पार्टियों के शौक़ीन। इनके संपर्कों के कारण अधिकतर इनके मित्र पार्टियों के लिए इनकी ही सहायता लेते है. पार्टी में जो चाहिए उसका प्रबंध कर सकते हैं और वो भी २-४ घंटों में ही.

स्मिता शेट्टी: विक्रम की पत्नी। इनका वैसे तो अपना ब्यूटी सलून का काम है, जिसकी चार शाखाएं इनके ही शहर में हैं. पर इन्होंने स्वयं जाना छोड़ दिया है. और अपना समय एक विशिष्ट समुदाय के प्रबंधन में लगाती हैं. और घर से ही ज्यादा काम करती हैं. देखने में टीवी सीरियल की किसी सुन्दर माँ की तरह है.

मोहन शेट्टी: स्मिता और विक्रम का बड़ा बेटा। ये अब अपने पिता बिज़नस के लिए एक कार कंपनी चलाता है. भारत के हर बड़े नगर में इनकी कारें उपलब्ध है. महीने में १० दिन बाहर रहता है काम के सिलसिले में.

श्रेया शेट्टी: मोहन की पत्नी। इनकी शादी को लगभग ३ साल हुए हैं. समुदाय के आदेशानुसार मोहन के साथ शादी थोड़ी जल्दी ही हो गयी थी. पर ससुराल में आकर उसने अपनी पढाई पूरी की. अभी एम बी ए की तैयारी कर रही है. हालाँकि आगे करेगी या नहीं कुछ पक्का नहीं है. पति और ससुर दोनों उसे अपने बिज़नेस में सहयोग देने के लिए कह रहे हैं. पर उसका कहना है की जब तक उनकी पहली संतान (जब भी होगी) ५ वर्ष की न हो जाये, वो कुछ नहीं ज्वाइन करेगी. परिवार वाले भी सहमत हैं. ससुराल के अथाह प्यार ने उसे अपने घर की कमी अनुभव नहीं करने दी.

महक शेट्टी: स्मिता और विक्रम की बेटी, ये मोहन से छोटी है और घर की सबसे लाड़ली. अभी इसने अपनी मास्टर की पढाई समाप्त की है. पिता के बिज़नेस की देखभाल करना शुरू किया है, बिलकुल जूनियर स्तर से. समुदाय में शादी के लिए बहुत दबाव है और रिश्ते भी आये हुए हैं. संभवतः अगले साल के अंत तक विवाह हो ही जायेगा.

मेहुल शेट्टी: स्मिता और विक्रम का दूसरा बेटा। ये बहुत शर्मीला और शांत स्वभाव का है. पढ़ने में प्रखर और जटिल समस्याओं का सरल समाधान निकलने में निपुण. घर में सब इसे बहुत प्यार और दुलार से रखते हैं. अगले महीने इसका २०वां जन्मदिन है. अभी कॉलेज में ही है.

स्नेहा गौड़ा: श्रेया की छोटी बहन. श्रेया की बहन की उम्र मेहुल से कोई ६ महीने बड़ी है. मेहुल इसे बहुत पसंद करता है, जो स्नेहा को पता है. उसे मेहुल भी अच्छा लगता है, पर उसके इतने नम्र और सरल स्वभाव से वो थोड़ी असंतुष्ट है. श्रेया के घर बहुत आना जाना रहता है.

सुजाता गौड़ा: श्रेया की माँ. श्रेया की सुंदरता का श्रोत. बहुत अधिक सुन्दर. त्वचा ऐसी की छूने से मैली होने का आभास होता है. इनके बारे में आगे और बताया जायेगा.

अविरल गौड़ा: श्रेया के पिता। इनका भी अपना दवाईयों का काम है. शहर के बाहर ३ फैक्टरियां हैं. बहुत आकर्षक व्यक्तित्व. इनकी जोड़ी किसी भी जगह जाती है तो लोग कुछ देर के लिए बस इन दोनों को ही देखते रह जाते है.

विवेक गौड़ा: श्रेया का भाई. ये श्रेया से छोटा है. इसके बारे में आगे बताया जायेगा.
 
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अन्य पात्रों का परिचय
समय समय पर अन्य पात्र भी जुड़ेंगे जिनका परिचय यहाँ दिया जायेगा।
 
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पहला घर: अदिति और अजीत बजाज:
अध्याय १.

इस घर में वैसे तो चार ही लोग रहते हैं, पर कुछ महीनों से अजीत की माँ शालिनी बजाज भी यहीं आ गई थीं. अपने पति के देहांत के बाद तीन साल तो उन्होंने काट लिए, पर अजीत की बहुत ज़िद के कारण उन्होंने अपना घर बेचकर यहीं रहना शुरू कर दिया था. अब लगभग साल भर निकालने के बाद वो अपने निर्णय से बहुत संतुष्ट थीं. न सिर्फ़ अदिति उनकी इज़्ज़त करती थी, बल्कि बच्चों के साथ रहने से उनका अकेलापन भी अब उन्हें सताता नहीं था. अजीत तो दिन में हमेशा बाहर ही रहता था, पर दोनों सास बहू की खूब पटती थी.

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अदिति के बेटी अनन्या और बेटा गौतम भी अपनी दादी का बहुत ध्यान रखते थे. दोनों में बस १.५ साल का अंतर था और कॉलेज में थे. गौतम अनन्या से बड़ा था.

कुछ ही दिन पहले अदिति का एक ऑपरेशन हुआ था जिससे उसको शारीरिक संबंध बनाने की ३ महीने की मनाही थी. अजीत उसे पहले हफ्ते में लगभग तीन से चार दिन चोदता था, पर इस ऑपरेशन ने उस पर लगाम लगा दी थी.
अदिति और गौतम अक्सर अपने दोस्तों के घर रुक जाते थे, उनके भी दोस्त अक्सर ऐसा ही करते थे. सप्ताह में एक दिन तो वो बाहर ही रहते थे.

आज भी वो अपने दोस्तों के साथ बाहर थे. शाम को अजीत घर पहुँचा और फ्रेश होकर अदिति के साथ सोफे पर बैठ गया. अदिति ने उसे उसकी मनपसंद ड्रिंक हाथ में थमाई और एक अपने लिए भी ले ली. तभी किचन से शालिनी भी अपनी ड्रिंक के साथ आ गई. तीनों पूरे दिन की बातें करने लगे. ड्रिंक्स का एक और राउंड होने के बाद सब खाने के लिए बैठ गये. अजीत को इस सबमें कुछ पकता हुआ दिख रहा था. पर वो शांत रहा और उचित समय की प्रतीक्षा करने लगा. खाने के बाद अदिति ने एक और ड्रिंक की बात की तो अजीत चौंक गया. पर उसने हामी भारी और जाकर सोफे पर बैठ गया. तीनों अपनी ड्रिंक्स की चुस्कियाँ लेने लगे.

"हनी, मेरे ऑपरेशन के बाद तुमने बहुत धीरज रखा है." ये कहते हुए उसने अजीत के हाथ में एक गोली थमा दी. गोली देखते ही अजीत सकपका गया.
"पर तुम्हें तो अभी २ महीने तक कुछ भी नहीं करना है." अजीत ने अदिति की ओर देखकर कहा.
"वो तो है. पर मैं चाहती हूँ कि अब मैं भी तुम्हारी और शालिनी की प्रेम कहानी में भागीदार बन जाऊं."
अजीत का दिमाग़ चक्कर खाने लगा. उसकी पत्नी उसकी माँ को नाम से पुकार रही थी. न सिर्फ़ इतना बल्कि उसे संभवतः उन दोनों के बारे में पता था. अजीत ने अपनी माँ को ओर नज़र डाली तो वो मुस्कुरा रही थी.
"मैं तुम्हें हमेशा कहती हूँ कि मुझे इस घर में बहुत प्यार मिला है." शालिनी उठकर अदिति के पास बैठ गई और उसके होंठ चूम लिए. "अदिति को अपने बारे में मैने ही बताया, पर शायद तुम्हें हम दोनों के बारे में कुछ नहीं पता." शालिनी ने फिर से अदिति को चूमते हुए कहा.
"मैने तुम्हारे लिए एक यादगार शाम की तैयारी की है."
अजीत का ध्यान अपनी माँ की ओर गया, अभी तक उसने ध्यान नहीं दिया थे पर वो इस समय बहुत सुंदर लग रही थी. वो अपने शरीर का बहुत ध्यान रखती थी और इस आयु में भी लोगों को आकर्षित कर सकती थी. अजीत के दिमाग़ पर छाई धुन्ध छटने लगी. उसने बेध्यानी में अपने हाथ की गोली तो एक सिप के साथ खा लिया.

अब ऐसा नहीं था की अजीत इन तीन हफ्तों में सेक्स से वंचित रहा था. वो हफ्ते दो बार तो अपनी सेक्रेटरी को चोद लेता था. इसका लाइसेन्स उसे अदिति ने ही दिया था. दरअसल दोनों काफ़ी खुले विचारों के थे. जब वो कहीं बाहर जाता तो उसे और अदिति के बाहर जाने पर अदिति को कुछ हद तक दूसरों को चोदने की छूट थी. पर वो ऐसा कम ही करते थे. पर अपनी माँ के साथ संबंधों का अदिति को भी पता नहीं था, जैसा वो सोचता था.

"बेडरूम में चलें?" अदिति ने अचंभित अजीत का हाथ पकडकर उसे उठाया और अपनी सास को साथ आने का इशारा किया.

बिस्तर के पास पहुँचकर अदिति ने उसे जोरदार चुंबन दिया और उसे बिस्तर पर धकेल दिया.

"माँ जी आइए." अदिति बोली और उन दोनों ने मिलकर कुछ ही क्षणों में अजीत को नंगा कर दिया. अजीत का शरीर काफ़ी गठा हुआ था. जो गोली उसने खाई थी उसके असर से उसका लंड भी बुरी तरह से तना हुआ था. अदिति घुटनों के बल बैठ गई और उसने अजीत का लंड अपने मुँह में भर लिया और पूरे ज़ोर शोर से चूसने लगी.
अजीत ने कनखियों से देखा तो उसकी माँ अपने कपड़े उतार रही थी और जल्दी ही वो भी नंगी हो गई. उसने अपने आप को अजीत के चेहरे की ओर लाकर, अजीत के मुँह को अपनी पसीजी हुई चूत को रख दिया. अजीत उसकी चूत को चूसने लगा. जल्दी ही उसने अपनी जीभ अंदर डाल दी और घुमाने लगा. नीचे अदिति उसके लंड को चूस रही थी और ऊपर वो शालिनी की चूत.
"माँ जी, आपका बेटा तैयार है सवारी के लिए. चढ जाइए."
"और तुम?"
"मुझे ज़्यादा तनाव नहीं लेना है. मैं आपकी जगह ले लेती हूँ."
ये कहते हुए, अदिति ऊपर आ गई और शालिनी ने अजीत का भारी मोटा लंड अपने हाथ में लिया. २ मिनट के लिए चूसा और फिर दोनों ओर पाँव फैलाकर अपनी रसीली चूत को उस पर उतार दिया.

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अदिति ने थोड़ा संभाल कर अपनी चूत को अजीत के मुँह पर रखा, अजीत की जीभ फिर हरकत में आ गई. पर अदिति के लिए इसमे थोड़ी मुश्किल हो रही थी. सो वो हट गई और एक तरफ बैठकर अपनी चूत को सहलाने लगी. अजीत को देखकर अच्छा नहीं लगा. उसने जानने के लिए पूछा, "तो तुम दोनों का क्या रहस्य है."

"हम दिन में एक दूसरे को सुख देते हैं." माँ ने बड़े नपे तुले शब्दों में कहा. अजीत को हँसी आ गई.
"अपने बेटे से यहाँ नंगी होकर अपनी बहू के सामने चुदवा रही हो और बातें ऐसी जैसे कोई सती सावित्री हो. कोई बात नहीं मैं समझ गया."
"अदिति, आओ तुम यहाँ लेट जाओ और माँ को तुम्हें सुख देने दो और मैं उन्हें घोडी बनाकर सुख दूँगा" अजीत ने व्यंग्य से कहा.
अदिति और शालिनी की हँसी छूट गई. पर शालिनी हट गई और उसने अदिति को बिस्तर पर लिटा दिया.
खुद घोड़ी बनकर, अदिति की चूत में अपना मुँह घुसा दिया. पीछे से अजीत ने उसकी चूत में लंड पेल दिया.

"ओह, माँ ! तुम्हारी चूत का कोई जवाब नहीं." अजीत ज़ोरदार धक्के लगता हुआ बोला. शालिनी भी पूरी मस्ती से इस तबाड़तोड़ चुदाई का आनंद ले रही थी. उसका मुँह उसकी बहू के चूत में था और अपनी जीभ पूरी अंदर कर रखी थी. अदिति भी इस समय एक अलग ही लोक में थी. अजीत ने ये दृश्य कभी सपने में भी नहीं सोचा था.उसने अपने धक्कों की गति तेज़ कर दी.

"अओऊउघह" अजीत की आँखों के आगे तारे से नाचने लगे. उसे अपने लंड में एक जबरदस्त फुलाव महसूस हुआ. वो झडने लगा था और उसने अपनी माँ की चूत में अपना रस भर दिया. ये दुनिया का संभवतः सबसे नीच काम था पर वो तीनों अपने वासना में ऐसे रंगे हुए थे कि इस सुख के आगे उन्हें कुछ न दिख रहा था.
तभी अदिति और शालिनी का भी पानी छूट गया. शालिनी बेझिझक अपनी बहू का स्वादिष्ट रस पी गई. अदिति भी इस समय निढाल सी हो गई.
"अपने पति और मेरे रस का एक साथ स्वाद लोगी?" शालिनी ने अदिति की चूत पर एक चुंबन लेते हुए पूछा.
अदिति की आँखों में एक चमक आ गई.
"क्यों नहीं"
"तुम लेटी रहो, मैं तुम्हारे मुँह में सीधे परोसती हूँ." ये कहकर उसने अजीत को हटने को कहा और अपने दोनों पाँव अदिति के सिर के पास रखकर अपनी चूत को उसके मुँह से लगा दिया.

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अदिति सडप सडप कर शालिनी की चूत से बहता हुआ रस गटक गई.

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तीनों एक संतुष्टि का अहसास करते हुए एक दूसरे से लिपट गए.
"आई लव यू" तीनों के मुँह से एक साथ निकला.
तीनों हँसते हुए आगे आने वाले नये रोमांच के बारे में सोचते हुए सो गये.

क्रमशः
 

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