Adultery स्कूल टीचर का तबादला

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मैं सोनल पात्रा हूं और मैं 28 साल की सेक्सी औरत हूं. मेरा फिगर 34-30-36 का है. मेरी हाइट 5 फिट 4 इंच है. मेरी सेक्सी फिगर के कारण मैं काफी कामुक लगती हूं. मेरा रंग एकदम से गोरा है और मेरे गोरे बदन को देख कर हर कोई मेरा दीवाना सा हो जाता है.


मैं एक सरकारी स्कूल में टीचर की जॉब करती हूं. यह कहानी तब की है जब मेरी नयी नयी शादी हुई थी. हां ये अलग बात है कि मैं शादी से पहले ही चुद चुकी थी. इसलिए मुझे शादी से पहले ही लंड-चूत और सेक्स के बारे में पूर्ण ज्ञान हो गया था.


मेरे पति भी मुझे ठरकी ही मिले. वो बहुत ही चोदू किस्म के इन्सान थे और मैं उनके साथ काफी खुश थी. सेक्स लाइफ में कोई कमी नहीं थी. मेरे पति एक कम्पनी में काम करते थे. बाद में उन्हें उसी कम्पनी के मार्केटिंग विभाग में भेज दिया गया तो वे दूसरे शहरों में जाने लगे. कई कई हफ्ते तक वे घर नहीं आते थे. इसलिए मेरी चुदाई कई कई हफ्तों के बाद होने लगी.


अब आप ही सोचिये, औरत की चूत को हर रोज लंड चाहिए होता है. मेरे पति सेक्स में खूब संतुष्टि देते थे लेकिन यह संतुष्टि केवल 5-6 दिन के लिये ही होती थी. उसके बाद मेरे पति काम पर चले जाते थे और 4-5 महीने मैं प्यासी ही रहती थी.


टीचिंग के लिए मुझे शहर से दूर जाना पड़ता था. मेरी पोस्टिंग एक गांव में हो गयी थी. जिस गांव में मैं पढा़ने के लिए जाया करती थी वह गांव शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर था. मुझे आने जाने में काफी थकान हो जाती थी और रोज इतनी दूर के सफर में तकलीफ भी काफी होती थी.


किसी भी तरह करके मैंने मुश्किल से मैंने 3 महीने का समय पूरा किया. उसके बाद सर्दी का मौसम आ गया. सर्दी में समस्या भी बढ़ गयी थी. एक तो दूर का सफर था और साथ ही ठंड भी बहुत लगती थी.


आप लोग तो जानते ही हैं कि ठंड के मौसम में सफर करना कितना मुश्किल होता है. 4 बजे तक मैं स्कूल में ही होती थी. 4 बजे वहां से निकलती थी तो घर पहुंचने में ही 7 बज जाते थे. इसी परेशानी के कारण मैंने अपना ट्रांन्सफर करवाने की सोच ली थी.


मेरे स्कूल के एक सहायक टीचर से मैंने बात की. उनकी प्रिंसिपल से अच्छी दोस्ती भी थी. उन्होंने मुझे बताया कि स्कूल प्रिंसीपल से बात करके देख लेनी चाहिए, शायद कुछ रास्ता निकल आये.


एक दिन मैं बात करने के लिए प्रिंसीपल सर के पास गयी. उनके पास जाकर मैंने उनसे अपनी समस्या के बारे में बताया कि मुझे यहां पर इतनी दूर स्कूल में आने में समस्या हो रही है.


स्कूल के प्रिंसीपल एक 6 फीट लम्बे और तगड़े बदन वाले हट्टे कट्टे मर्द थे. बात करने पर उन्होंने आश्वासन दिया कि मेरा काम हो जायेगा. प्रिंसीपल सर ने कहा कि वे अपने दोस्त से इस बारे में बात करके देखेंगे.


आप लोग तो जानते ही हो कि अगर सरकारी काम कहीं भी करवाने जाओ तो बिना रिश्वत के तो कोई काम होने से रहा. इसलिए ये समस्या मेरे साथ भी आने वाली थी. जब मेरे सामने ये समस्या आई तो मैंने कहा कि कोई बात नहीं सर इस काम में जितने भी पैसे लगेंगे मैं देने के लिए तैयार हूं.


वो बोले- सोनल जी, देखिये, इसमें मेरा तो कुछ फायदा नहीं है. काम तो आपका ही हो रहा है. बदले में मुझे भी कुछ मिलना चाहिए कि नहीं?


मैं समझ गयी थी कि उसे क्या चाहिए था. उस दिन मैंने एक पीले रंग की कुर्ती और उजले रंग की लेगिंग पहन रखी थी. मेरे कपड़ों की फिटिंग काफी टाइट थी जिसमें से मेरे शरीर का हर एक अंग उभर कर आ रहा था.


अब आप सोच ही सकते हैं कि एक गोरी चिट्टी औरत जिसका फिगर भी इतना कमाल हो और जो देखने में भी इतनी सुंदर हो, उसके लिये एक मर्द की नियत भला कैसे न फिसल जाती.


मैंने भी साफ साफ शब्दों में बात करते हुए सर से कह दिया- सर आपको जो कुछ रूपया पैसा जितना भी चाहिए आप मुझे कह सकते हैं. मैं आपसे सिर्फ इतना चाहती हूं कि आप किसी भी तरह मेरा ट्रान्सफर यहां से करवा दीजिये. मेरे तबादले के बदले में आपको जो पैसा चाहिए होगा वो आपको मिल जायेगा.


ये बात सुन कर वो उठ कर आये और मेरी तरफ आते हुए अपने लंड को खुजलाने लगे. लंड को खुजलाते हुए वो मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रख कर अपने हाथ से मेरे कंधे पर सहलाने लगे. उनकी इस हरकत से मैं हैरान सी रह गयी.


मैंने गुस्से में आकर कहा- सर, आपने मुझे समझ क्या रखा है? मैं कोई बाजारू औरत नहीं हूं.
ये कह कर मैं गुस्से उनके रूम से बाहर आ गयी. उस दिन मैं गुस्से में ही घर लौट गयी.


मगर घर पहुंच कर प्रिंसिपल की ये हरकत मुझे चैन से लेटने या बैठने नहीं दे रही थी. रात को बेड पर लेटे हुए मेरे मन में दिन में हुई घटना के बारे में ही विचार आ रहे थे. मेरे घर में भी कोई नहीं था. मैं घर पर बिल्कुल अकेली थी. प्रिंसिपल के बारे में बार बार सोच रही थी.


बाकी दिनों में तो जब मैं घर में जब थकी हुई आती थी तो पति ठुकाई कर देते थे और मेरी सारी थकान उतर जाती थी. मगर आज रात तो मैं बहुत तनहा महसूस कर रही थी. बस किसी तरह करवटें बदलते हुए ही रात काट ली मैंने.


अगले दिन जब मैं स्कूल में पहुंची तो मुझे पता चला कि मेरी ड्यूटी अब और आगे 10 किलोमीटर की दूरी पर एक दूसरे स्कूल में लगा दी गयी है. मेरा दिमाग खराब हो गया. मैं गुस्से में भन्नाती हुई सीधा प्रिंसीपल के रूम में गयी.


मैंने जाकर तीखे अंदाज में कहा- सर मैंने आपको बताया था न कि मैं पहले ही बहुत परेशान हूं. मेरी ड्यूटी यहां से और ज्यादी दूरी पर लगा दी गयी है. अब रोज इतनी दूर का सफर कैसे करूंगी. आपने ड्यूटी लगवाने से पहले एक बार भी नहीं सोचा?


वो अहसान सा करते हुए बोले- मैं इसमें क्या कर सकता हूं सोनल जी. ये ऊपर से ऑर्डर हुए हैं. मैंने इसमें कुछ नहीं किया है.
मैंने कहा- ये सब आप के द्वारा ही की गयी हरकत है.
वो बोले- मैंने कुछ नहीं किया है सोनल जी. हां अगर आप ने मेरी बात मान ली होती तो शायद मैं आपके लिए कुछ कर भी सकता था. मगर आप तो गुस्सा हो गयीं.


मैंने कहा- मैं आपके बारे में पूरे स्कूल में बता दूंगी.
वो बोले- हां, बिल्कुल, आप बता सकती हैं. बताने से पहले मगर अपने बारे में भी सोच लीजियेगा. यदि कल आपने मेरी बात मान ली होती तो आप किसी और स्कूल में होतीं, जो आपकी सुविधा के दायरे में होता. वैसे मेरे पास अभी भी विकल्प के दरवाजे खुले हुए हैं. आपके पास आज शाम तक का समय है. आप विचार कर लीजिये. उसके बाद बता दीजियेगा. वरना कल से तो आपको अपने नये स्कूल में जाना ही होगा.


गुस्से में बड़बड़ाते हुए मैं प्रिंसीपल के रूम से निकल गयी. मेरा दिमाग खराब हो गया था. स्टाफ रूम में जाकर मैं बैठ गयी और सोचने लगी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. अगर मैं किसी को इस बारे में बताऊंगी तो पहले तो मेरी ही बदनामी होगी.


यदि बात फैली तो फिर बात मेरे पति तक भी पहुंचेगी. जब मेरे पति को इस बारे में पता चलेगा तो पता नहीं वो मेरे साथ में क्या करेंगे. अगर उन्होंने मुझे अपने साथ न रखने का सोच लिया तो मैं कहां जाऊंगी.


इसी उधेड़बुन में उस दिन मैं क्लास में अच्छे से नहीं पढ़ा पायी. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मुझे क्या करना चाहिेए. घड़ी में 3.30 का समय हो गया था. चार बजने में आधे घंटे का ही समय रह गया था और मैं अभी तक किसी संतोषजनक निर्णय को लेने में सफल नहीं हो पायी थी.


मैं स्टाफ रूम में सिर पकड़े हुए बैठी ही थी कि तभी चपरासी ने मेरे पास आकर कहा- मैडम, आपको प्रिंसीपल सर ने अपने ऑफिस में बुलाया है.
छुट्टी हो चुकी थी और सारे टीचर एक एक करके चले गये थे. स्कूल में चपरासी, प्रिंसीपल और मेरे अलावा शायद कोई और नहीं था.


उठ कर मैं सर के पास गयी. मैं जाकर बैठ गयी. चपरासी को सर ने बाहर जाने के लिए कह दिया. सर ने कहा कि जाते समय स्कूल को वो खुद ही बंद कर देंगे. सर के ऐसा कहने पर वो वहां से बाहर चला गया.


उसके जाने के बाद सर ने कहा- तो कहिये सोनल जी, क्या सोचा है आपने? आपका तबादला आपको अपने घर के बगल वाले स्कूल में चाहिए या फिर इस स्कूल से भी 10 किलोमीटर आगे किसी और स्कूल में चाहिए है?


मैंने कहा- सर अगर किसी को पता चल गया तो?
वो बोले- उसकी चिंता आप क्यों करती हैं, मैं विश्वास दिलाता हूं कि किसी को हमारे बीच की बात का पता नहीं चलेगा.


संकोचवश मैंने कहा- जी ठीक है, आप जैसा कहेंगे मैं वैसा करने के लिए तैयार हूं.
मेरे हां करते ही वो झट से उठ कर रूम के दरवाजे की ओर चले. उन्होंने फटाक से दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.


मैं उठ गयी और हाथ बांध कर खड़ी हो गयी. वो मेरे पास आये और मुझे घूरने लगे.
मुझे सिर से पैर तक घूरते हुए उसने कहा- वाह! क्या चीज हो यार तुम सोनल. जिस दिन तुमको मैंने पहली बार स्कूल में देखा था उसी दिन से तुम मेरी नजर में चढ़ गयी थी.


उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से सहलाने लगे. मैं चुपचाप खड़ी थी. मुझे अजीब सा लगने लगा. मैं डर रही थी. मेरी आंखों में आंसू आने लगे थे.
वो बोले- अरे पगली, रो क्यूं रही हो? अगर ट्रान्सफर करवाना है तो पजामी तो तुमको मेरे सामने ढीली करनी ही होगी.


उस दिन मैं एक सूट सलवार पहन कर गयी हुई थी.
वो बोले- चल अपना पजामा नीचे कर.
उस दिन मैंने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी. मैं अपनी नजरें झुकाये हुए पत्थर बन कर खड़ी हुई थी.


वो बोले- अरे यार … तुम तो ऐसे नाटक कर रही हो जैसे आज तक तुमने अभी तक ऐसा कुछ किया ही नहीं, तुम्हारे पति के साथ भी तो तुम ये सब कर ही चुकी हो, तो फिर मेरे सामने एक बार कर लोगी तो क्या फर्क हो जायेगा, चलो इतना मत सोचो, जल्दी से अपनी पजामी को खोलो मेरी जान।


रोते रोते मैंने अपनी पजामी को खोलना शुरू कर दिया.
वो ललचाई जुबान से बोले- हां शाबाश खोलो खोलो. घबराओ नहीं. मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा. बस एक बार तुम्हें बिना कपड़ों के देख लूं बस. तुम बिल्कुल चिंता न करो.


मैंने पजामा खोल दिया और मेरी चूत नीचे से नंगी हो गयी. सर ने मुझे पीछे सोफे पर धक्का दे दिया और मेरी टांगें फैल कर मेरी चूत सर को सामने साफ दिखाई देने लगी.
मेरी बालों वाली चूत और मेरी गोरी जांघें देख कर सर ने सिसकारते हुए कहा- आह्ह … क्या चूत है यार।


मेरे पास कोई चारा नहीं था. मेरी इज्जत जो मेरी चूत के साथ ही नंगी हो गयी थी अब मैं कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि मेरी चूत को तो उस ठरकी प्रिंसीपल ने देख ही लिया था. मगर मेरे पास दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं था. और बड़ी बात तो यह थी कि मुझे भी चूत चुदाई की जरूरत थी तो कहीं ना कहीं मैं भी प्रिंसिपल के लंड का मजा लेना चाह रही थी. लेकिन मैं यह नहीं दिखा सकती थी कि मैं अपने मजे के लिए ये सब कर रही हूँ.


इतने में ही प्रिंसिपल नीचे मेरी टांगों के पास आकर बैठ गया. घुटनों पर बैठ कर वो मेरी दोनों टांगों को चौड़ी करके मेरी बालों वाली चूत को ध्यान से देखने लगा. उसने मेरी चूत पर उंगली से सहला कर देखा. मुझे भी मजा सा आया.


उसके बाद उन्होंने मेरी चूत के दाने पर उंगली से घिसना शुरू किया. अब मेरा ध्यान मेरी परेशानी से हटने लगा. सर की उंगली से चूत को घिसवाने में मुझे मजा सा आने लगा. उन्होंने मेरी चूत के छेद में उंगली फंसाने की कोशिश की तो मैंने उनके हाथ को पकड़ लिया.


सर ने मेरी ओर गुस्से देखा और मुझे आंखें दिखाने लगे. मैंने उनके हाथ को छोड़ दिया. उन्होंने मेरे दोनों हाथों को पीछे ले जाकर अपने हाथ से पकड़ लिया और दूसरे हाथ से फिर मेरी चूत को छेड़ना शुरू कर दिया.


कुछ देर तक वो मेरी चूत की फांकों को छेड़ते रहे. उसके बाद उन्होंने मेरी चूत में उंगली दे दी और उसे अंदर बाहर करने लगे. मेरी चूत को मजा आने लगा. मैं अब चूत में उंगली का मजा ले रही थी.


उसके बाद सर ने मेरी चूत पर मुंह रख दिया और मेरी चूत को चूसने लगे. कभी मेरी चूत को होंठों से चूमने लगे और कभी जीभ अंदर देकर उसको चूसने चाटने लगते. मेरे मुंह से भी अब सिसकारियां निकल रही थीं. आह्ह … उफ्फ करते हुए मैं प्रिंसीपल से अपनी चूत चटवाने लगी.


मेरी सिसकारियां सुन कर प्रिंसीपल सर को और ज्यादा जोश आ गया और वो मेरी चूत के बालों को नोचते हुए मेरी चूत के छेद में अपनी जीभ से लपलपाने लगे. मैं एकदम से चिहुंक उठी. सर की इस हरकत ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया.


वो जोर जोर से मेरी चूत को चूसने लगे. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने कहा- आह्ह सर .. ये आप क्या कर रहे हैं.
मगर वो मेरी बात को नहीं सुन रहे थे. बस लगातार वो मेरी चूत को चूसते ही जा रहे थे. मेरी हालत खराब हो रही थी.


उत्तेजना में आकर मैंने उनके सिर को अपनी चूत पर दबाना शुरू कर दिया. मैं अपनी चूत को उनके मुंह की ओर धकेलने लगी और वो अभी भी उतनी ही तेजी से मेरी चूत में जीभ से चूसते रहे.


उनको पता लग गया था कि मैं बहुत ज्यादा गर्म हो गयी हूं और जल्दी ही झड़ने वाली हूं. मैं सच में काफी गर्म हो गयी थी और ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पायेगी.


मैं सिसकारियां लेते हुए सर के बालों को सहलाते हुए उनका मुंह अपनी चूत में दबाती रही. मेरे मुंह से जोर जोर की कामुक आवाजें निकलने लगीं- आह्ह … मर गयी … ओह्ह सर … आह्ह … मैं तो गयी.


वो बोले- अभी नहीं साली रंडी, अभी तो मुझे तेरी चूत में लंड भी डालना है.
इतना कह कर वो उठ गये. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैं सर के सामने ही अपनी चूत में उंगली करने लगी. मैंने तेजी से उंगली चलाते हुए अपनी चूत को रगड़ डाला और मेरी चूत से पानी निकल गया.


मैं थोड़ी शांत हुई और हांफने लगी.
सर मेरे पास आकर मेरे होंठों पर अंगूठे से फिराते हुए बोले- वाह रे रांड, तू तो बहुत ही चुदक्कड़ चीज है. इतना गजब माल मेरे स्कूल में इतने दिनों से घूम रहा था. मुझे तो तेरी गर्मी का अंदाजा भी नहीं था साली. तुझे तो आज ही चोदना पड़ेगा. ये बता इस वक्त तेरे घर में कौन कौन है?


पजामे का नाड़ा बांधते हुए मैंने कहा- कोई नहीं है. सास-ससुर अपने पैतृक घर में रहते हैं और मेरे पति शहर से बाहर गये हुए हैं. घर में मैं अकेली ही रहती हूं.


वो बोले- तब तो और अच्छी बात है. तू आज रात में ही चुद ले मेरे लंड से. मैं तेरी चूत मारने के लिए बहुत बेचैन हूं. अगर तूने आज मेरी प्यास को बुझा दिया तो तेरा तबादला टीचर के तौर पर नहीं बल्कि प्रिंसिपल के तौर पर होगा. मैं वादा करता हूं.


मैं उनकी बात सुनकर हैरानी से उनकी ओर देखने लगी और सोचने लगी कि कहां मैं दूसरे स्कूल में धक्के खाने की सोच रही थी, यहां तो मुझे चूत के बदले में प्रमोशन भी फ्री मिल रहा है. हम दोनों उनके केबिन से बाहर आ गये.


उन्होंने अपनी गाड़ी निकाली और स्कूल के गेट के बाहर ले जाकर रोक दी. कार से नीचे उतर कर उन्होंने स्कूल के मेन गेट को बंद किया और वापस से गाड़ी में आकर बैठ गये.


अपने प्रिंसिपल सर के साथ मैं उन्हीं की गाड़ी में अपने घर की ओर चल दी. उन्होंने अपने फोन पर किसी को कुछ मैसेज लिखा और फिर गाड़ी की स्पीड तेज कर दी.
 
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कहानी को आगे बढ़ाते हैं सोनल के ही शब्दों में.
मैं सोनल पात्रा हूं और कहानी के पिछले भाग में मैंने आपको बताया था कि शादी से पहले ही मैं चुद चुकी थी. मेरे पति एक मार्केटिंग कम्पनी में थे और कई कई सप्ताह घर नहीं आते थे.


मैं स्कूल में टीचर थी. मेरा स्कूल शहर से काफी दूर था. थोड़े दिन में ही मैं थकावट महसूस करने लगी. सर्दी में परेशानी और बढ़ गयी. मैंने अपने तबादले के बारे में प्रिंसीपल से बात की.


उन्होंने ट्रांस्फर का इंतजाम करने की कही लेकिन बदले में वो मुझसे मेरी चूत भी मांगने लगे. मैंने मना कर दिया तो सर ने मेरा तबादला किसी और स्कूल में कर दिया जो मेरे घर से और भी ज्यादा दूर था.


सर ने मुझे एक बार और सोचने का मौका दिया और मैं उनकी बात मान गयी. उस दिन स्कूल में ही उन्होंने मुझे नंगी कर लिया और मेरी चूत को चाटने लगे. मैं भी अपनी चूत में उंगली करके वहीं पर झड़ गयी.


सर ने कहा कि अगर मैं आज रात उनकी प्यास को बुझा दूं तो वो मुझे प्रिंसीपल बना देंगे. मैं उनकी बात मान गयी और हम दोनों घर के लिए निकल गये. मैं उनको अपने घर की ओर लेकर जा रही थी.


रास्ते में सर ने कहा- अरे अब तो खुल जाओ सोनम जी, एक ही रात तो गुजारनी है आपको मेरे साथ, कौन सा रोज मेरा बिस्तर गर्म करने आओगी आप।


ये बोलते हुए उन्होंने मेरी चूचियों को दबा दिया. काफी दिनों से न चुदने के कारण मैं भी वासना में चूर हो गयी थी. शाम भी हो चली थी और अंधेरा हो गया था. रोड पर भी ज्यादा ट्रैफिक नहीं था.


सर ने अपनी पैंट की चेन खोल दी और एक हाथ जिप में अंदर डाल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. मैंने उनके लंड को देखा तो देखती ही रह गयी. उफ्फ क्या लंड था उसका, पूरा 8 इंच लम्बा था. मोटाई भी अच्छी थी.


उन्होंने तुरंत मेरा हाथ पकड़ कर खींचा और मेरे हाथ को अपने लंड पर रख दिया और बोले- ये लो सोनम मेरी जान, खेलो इससे. जितना अच्छे से तुम खेलोगी, उतनी ही अच्छी तुम्हें पोस्टिंग भी मिल जायेगी.


सर के लंड को देख कर मेरे मुंह में भी पानी आ गया. मैंने उनके लंड को हाथ में ले लिया और मुठ मारने लगी. कभी उनके लंड को जोर से ऊपर नीचे करने लगती. कभी धीरे से लेकिन पूरा दबा देती थी जिससे उनकी आह्ह निकल जाती थी.


तभी उन्होंने गाड़ी को दूसरे रास्ते पर मोड़ दिया.
मैंने कहा- ये आप मुझे कहां लेकर जा रहे हो? हम तो घर जाने वाले थे न?
वो बोले- मैंने प्लान बदल दिया है. हम लोग तुम्हारे घर नहीं जा रहे हैं. हम एक फ्लैट पर जा रहे हैं जो सेफ है. वहां पर कोई नहीं है.


थोड़ी ही देर में हम एक सोसायटी के फ्लैट में पहुंच गये. सर्दी का टाइम था इसलिए बाहर कोई नहीं दिख रहा था.
हम लोग एक फ्लैट पर पहुंचे. सर ने दरवाजा खोला. हम लोग अंदर चले गये. मुझे लगा कि सर के किसी दोस्त का फ्लैट था. वैसे भी मुझे चूत चुदवा कर यहां से जाना ही था इसलिए मैं ज्यादा नहीं सोच रही थी.


हम लोग अंदर बेडरूम में गये और जाते ही सर मुझे पर टूट पड़े. उन्होंने मेरे सूट को उतरवा दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगे. मैंने भी सर को बांहों में जकड़ लिया और उनको प्यार करने लगी.


सर ने मुझे बेड पर गिरा लिया और मेरी पजामी भी खींच कर निकाल दी. मैं केवल ब्रा में पड़ी हुई थी. सर ने मेरी ब्रा को खींच कर उतार दिया. मेरी चूचियां नंगी हो गयीं. मैं पूरी नंगी हो गयी.


एकदम से सर मेरी चूचियों पर टूट पड़े और उनको जोर जोर से पीने लगे. मैं भी उनकी पैंट के ऊपर से उनके लंड को मसलने लगी. उनके लंड को सहलाते हुए खींचने लगी.


सर ने मेरे बूब्स चूसने के बाद सर ने अपने कपड़े भी उतारे और पूरे नंगे होकर मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को पीने लगे.


नीचे से सर ने मेरी चूत में उंगली दे दी और अंदर बाहर करते हुए मेरे होंठों को चूसते रहे. मैं एकदम से सिहर गयी और सर के नंगे बदन से लिपटने लगी.


तभी वो अपने घुटने पर बैठ कर मेरे सामने लंड को हिलाने लगे. मैंने उनका लंड मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी. मैं मस्ती में सर का लंड चूस रही थी.


फिर वो पीछे हुए और अपनी पैंट को टटोलने लगे. उन्होंने अपनी पैंट की जेब से रुमाल निकाला और बोले- इसको अपनी आंखों पर बांध लो मेरी जान, मैं तुम्हें पट्टी बांध कर चोदना चाहता हूं.
मैंने रूमाल को आंखों पर बांध लिया. उसके बाद सर ने मेरे मुंह में फिर से लंड घुसा दिया. मैं एक बार फिर से उनके लंड को मस्त होकर चूसने लगी.


दो मिनट तक चुसवाने के बाद उन्होंने लंड को निकाल दिया. इससे पहले कि मैं कुछ कहती मेरे मुंह में फिर से लंड आ घुसा. मगर अबकी बार लंड का स्वाद कुछ और था.
मैंने कहा- ये किसका लंड है सर?
वो बोले- मेरा ही है यार, बस कपड़े पोंछ कर फिर से डाल दिया है.


मैं फिर से लंड को चूसने लगी. थोड़ी देर लंड चुसाई के बाद उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया. बेड पर लिटा कर उन्होंने मेरी चूत में थूक दिया. मेरी चूत पर मुझे थूक की ठंडक महसूस हो रही थी.


उसके बाद उन्होंने मेरी चूत पर अपने लंड को रगड़ना शुरू कर दिया. फिर एकदम से अचानक ही उन्होंने मेरी चूत में लंड को घुसा दिया.
मेरी जान निकल गयी.


काफी दिनों से मैंने चूत में लंड नहीं लिया था. सर का लंड था भी बहुत बड़ा इसलिए लंड अंदर जाते ही मेरी चीख निकल गयी. मैंने सर को धकेलना चाहा लेकिन उनका शरीर बहुत भारी था.


उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चूत जैसे फैल कर फटने को हो गयी.
इतने में ही उन्होंने मेरी चूत में धक्के लगाना शुरू कर दिया. मैंने उनको कस कर पकड़ लिया और लंड का दर्द चूत में बर्दाश्त करने लगी.


वो तेजी से मेरी चूत को चोद रहे थे. फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बना लिया. पीछे से मेरी चूत में लंड को घुसा दिया और चोदने लगे. अब मुझे भी मजा आने लगा. सर पीछे से मेरी चूत में लंड घुसा रहे थे और साथ में मेरी चूचियों को भी जोर जोर से दबा रहे थे.


पंद्रह मिनट तक ऐसी ही जोरदार चुदाई चली. मैं दस मिनट में ही झड़ गयी थी. अब सर का भी होने वाला था. वो पूरी स्पीड में धक्के लगा रहे थे. दो मिनट के बाद सर की स्पीड कम हो गयी और मेरी चूत में गर्म गर्म सा महसूस हुआ. सर ने अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया था.


मैं भी थक कर चूर हो गयी थी और ऐसे औंधे मुंह पड़ी रही. सर भी मेरे ऊपर ही ढेर हो गये थे. कुछ देर हम दोनों हाँफते रहे. मैंने हिल डुल कर अपनी आंखों पर से पट्टी हटाना शुरू किया तो सर ने मुझे रोक लिया.


वो बोले- रुक जा सोनल रानी, अभी तो तेरी गांड की चुदाई भी करनी है.
मैंने कहा- सर लेकिन मैंने पीछे कभी नहीं करवाया है.
वो बोले- तब तो और अच्छी बात है. तेरी गांड की सील भी मैं ही तोड़ूंगा.


इतना कह कर उन्होंने मुझे उठाया और मेरे होंठों पर लंड लगा कर फिराने लगे.
मुझे भी ये अच्छा लग रहा था. सर के लंड का सुपारा मेरे होंठों को सहला रहा था.


सर बोले- चूस ले इसको मेरी जान.
मैंने सर का लंड अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में सर का लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया.


पूरा लंड टाइट होने के बाद एक बार फिर से उन्होंने मुझे कुतिया बना दिया. कुतिया बना कर उन्होंने मेरी गांड को अपनी उंगली सहलाना शुरू कर दिया.
कुछ देर उंगली से सहलाने के बाद वो बोले- रुक, मैं जरा तेल की शीशी लेकर आता हूं. तेरी सील पैक गांड वैसे नहीं खुलेगी.


वो नीचे उतर गये. मैं इंतजार कर रही थी. मुझे कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा था.
मैंने सर को आवाज दी- सर? कहां हो आप?
पीछे से आवाज आई- यहीं हूं, रुक आ रहा हूं तेल लेकर।


फिर वो बेड पर आ गये. तभी मेरी गांड पर तेल गिरने लगा. इससे पहले कि मैं कुछ और समझ पाती मेरी गांड पर लंड का सुपारा सेट हो चुका था. मगर इस बार ये सुपारा कुछ मोटा सा लग रहा था. ऐसा लग रहा था कि सर के लंड का सुपारा फूल गया है.


तभी मेरी गांड में एक जोर का धक्का लगा और मेरी चीख निकल गयी. ये लंड सर का नहीं था. इतना मोटा लंड सर का नहीं हो सकता है. मगर मुझे अभी बेहोशी होने लगी थी. मैं खुद को संभाल नहीं पा रही थी.


पकड़ से छूटने के लिए मैं आगे की ओर खिसकी ही थी कि मुझे किसी ने आगे से रोक लिया.
ये क्या? दो-दो आदमी?
मैंने बोला ही था कि इतने में ही मेरी गांड में एक दूसरा प्रहार हुआ. ऐसा लगा कि मैं आज नहीं बचूंगी.


मैं बेसुध सी होने लगी कि तभी मेरे कानों में आवाज आई- अरे प्रिंसीपल साहब, ये तो बहुत ही मस्त माल है. इसकी गांड तो एकदम से कसी हुई है. मैं तो सोच रहा हूं कि इसका प्रोमोशन करवा कर इसको अपने ही ऑफिस में रख लूं.


ऐसा कहते हुए वो आदमी मेरी गांड में धक्के लगाने लगा था. इतने में ही मेरी आँख की पट्टी खोल दी गयी. सामने प्रिंसीपल ही था लेकिन पीछे से गांड में किसी और का लंड घुसा हुआ था.


सर उठ कर सामने सोफे पर जा बैठे और मेरी ओर देख कर अपना लंड हिलाने लगे. मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो एक 45 साल के करीब का आदमी अपने 8 इंच लम्बे और 2.5 इंच मोटे लंड को मेरी गांड में ठोक रहा था.


वो बोला- ऐसे क्या देख रही है साली रंडी? तेरा ट्रान्सफर ऑर्डर तो मुझे ही देना है. अगर तू मुझे खुश नहीं करेगी तो तेरा तबादला किसी और शहर में हो जायेगा.


इतना कह कर उसने अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया. मैं दर्द से बिलबिला उठी. हां अगर सच कहूं तो उस वक्त मजा भी बहुत आया. गांड में लंड पूरा घुसा तो उसका मजा भी अलग ही था.


सामने बैठे प्रिंसीपल से मैंने कहा- सर ये गलत बात है.
वो बोले- कुछ गलत नहीं है रानी. तू एकदम से मस्त होकर चुदवा ले. यदि सही जगह काम करना है तो सर की सेवा भी करनी पड़ेगी.


इतने में ही उस दूसरे आदमी ने मेरी गांड को बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया. मुझे कुतिया बना कर उन्होंने मुझे पूरे 25 मिनट तक चोदा. मैं अपनी चूत से दो बार पानी निकाल चुकी थी.


बड़े अधिकारी ने भी अपना माल मेरी गांड में ही गिरा दिया और हम दोनों बेड पर ढेर हो गये. मुझे तभी नींद आ गयी. जब मेरी आंख खुली तो वो दोनों मेरी चूचियों के साथ खेल रहे थे.


उन दोनों का मन अभी भी नहीं भरा था. उसके बाद उन्होंने फिर से मुझे लंड चूसने के लिए कहा. मैं उठ कर बारी बारी से उन दोनों के लंड को चूसने लगी.


अब बडा़ अधिकारी उठा और बगल में लेट गया. उसने मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया और नीचे से मेरी चूत में लंड को पेल दिया. वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरी चूत में नीचे से लंड के धक्के देने लगा. मेरी चूत में बहुत आनंद आने लगा. मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी और उछल उछल कर चुदने लगी.


उसके दो मिनट के बाद ही प्रिंसीपल सर भी पीछे से आ गये और मुझे बड़े साहब की छाती पर झुका कर मेरी गांड में लंड को सटा दिया. बड़े साहब मेरे होंठों को चूसने लगे और दूसरे सर ने मेरी गांड में लंड को पेल दिया.


अब मेरी चूत में नीचे से बड़े साहब का लंड जा रहा था और पीछे से मेरी गांड में प्रिंसीपल का लंड चोद रहा था.
मेरे मुंह से निकल गया- हाय दैय्या, मर गयी रे.


वो दोनों बड़ी ताल मेल के साथ मेरी चूत और गांड को एक साथ बजाने लगे. पहली बार मेरी ऐसी चुदाई हो रही थी जिसमें मैं एक साथ दो लंड का मजा ले रही थी. चुदाई में दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मजा उससे भी ज्यादा आ रहा था.


प्रिंसीपल जब गांड में लंड को अंदर करते तो अधिकारी साहब चूत से लंड को बाहर निकाल लेते. जब अधिकारी साहब चूत में लंड को अंदर करते तो प्रिंसीपल सर अपने लंड को बाहर कर लेते. इस तरह दोनों ही तालमेल से चोदने लगे.


मैं तो आनंद की लहरों में गोता लगाने लगी थी. ऐसे ही चुदते हुए 20 मिनट से ज्यादा हो गये थे. जब दोनों छेद एक साथ दो-दो लंड से चुदते हैं तो चूत बहुत जल्दी पानी छोड़ देती है. उन 20 मिनट में मैं 5 बार झड़ गयी थी. मैं बिल्कुल शिथिल होती जा रही थी.


ऐसा लग रहा था कि जैसे सब कुछ अपने आप ही हो रहा है. ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला था. अब उन दोनों ने मुझे घुटने के बल बैठने के लिए कहा. मेरे सामने आकर दोनों अपने लंड को हिलाने लगे. मैं जान गयी कि दोनों का पानी निकलने वाला है.


थोड़ी ही देर के बाद प्रिंसीपल सर ने अपना पानी निकाल दिया जो मेरी चूचियों और मेरे मुंह पर आकर लगा. उसके कुछ पल बाद ही अधिकारी साहब ने मेरे मुंह में लंड दे दिया. वो मेरे मुंह को चूत समझ कर झड़ने लगे.


अपना माल छोड़ते हुए वो सिसकारते हुए बोले- आह्ह… पी जा इसे मेरी रानी.
मैं उनके लंड का माल अंदर ही अंदर साथ साथ पी गयी. तीनों के तीनों बेड पर पसर कर लेट गये. आधे घंटे के बाद मैं उठी और बाथरूम में गयी. मैंने खुद को साफ किया.


मेरे पूरे बदन निशान पड़ गये थे. उन दोनों ने मुझे जानवरों की तरह चोद डाला था. उसके बाद हम सोने लगे. रात को मेरी चुदाई 4 बार हुई. सुबह के समय अधिकारी ने एक बार अकेले में ही मेरी चुदाई की.


फिर मुझे मेरे घर पर छोड़ दिया गया. पांच दिन के बाद मेरे तबादले के ऑर्डर आ गये. उसमें एक मेमरी कार्ड थी. मैंने उसको फोन में चला कर देखा तो उसमें हम तीनों के नंगे फोटो थे. फोटो में वे दोनों मुझे चोदते हुए दिख रहे थे.


उसमें वीडियो भी थे. ये सब देख कर मैं समझ गयी थी कि ये सब अब रुकने वाला नहीं है.


आज भी मैं उन दोनों से मजे ले लेकर चुदती रहती हूं.
तो ये थी मेरे तबादले की कहानी.
 
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कहानी को आगे बढ़ाते हैं सोनल के ही शब्दों में.
मैं सोनल पात्रा हूं और कहानी के पिछले भाग में मैंने आपको बताया था कि शादी से पहले ही मैं चुद चुकी थी. मेरे पति एक मार्केटिंग कम्पनी में थे और कई कई सप्ताह घर नहीं आते थे.


मैं स्कूल में टीचर थी. मेरा स्कूल शहर से काफी दूर था. थोड़े दिन में ही मैं थकावट महसूस करने लगी. सर्दी में परेशानी और बढ़ गयी. मैंने अपने तबादले के बारे में प्रिंसीपल से बात की.


उन्होंने ट्रांस्फर का इंतजाम करने की कही लेकिन बदले में वो मुझसे मेरी चूत भी मांगने लगे. मैंने मना कर दिया तो सर ने मेरा तबादला किसी और स्कूल में कर दिया जो मेरे घर से और भी ज्यादा दूर था.


सर ने मुझे एक बार और सोचने का मौका दिया और मैं उनकी बात मान गयी. उस दिन स्कूल में ही उन्होंने मुझे नंगी कर लिया और मेरी चूत को चाटने लगे. मैं भी अपनी चूत में उंगली करके वहीं पर झड़ गयी.


सर ने कहा कि अगर मैं आज रात उनकी प्यास को बुझा दूं तो वो मुझे प्रिंसीपल बना देंगे. मैं उनकी बात मान गयी और हम दोनों घर के लिए निकल गये. मैं उनको अपने घर की ओर लेकर जा रही थी.


रास्ते में सर ने कहा- अरे अब तो खुल जाओ सोनम जी, एक ही रात तो गुजारनी है आपको मेरे साथ, कौन सा रोज मेरा बिस्तर गर्म करने आओगी आप।


ये बोलते हुए उन्होंने मेरी चूचियों को दबा दिया. काफी दिनों से न चुदने के कारण मैं भी वासना में चूर हो गयी थी. शाम भी हो चली थी और अंधेरा हो गया था. रोड पर भी ज्यादा ट्रैफिक नहीं था.


सर ने अपनी पैंट की चेन खोल दी और एक हाथ जिप में अंदर डाल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. मैंने उनके लंड को देखा तो देखती ही रह गयी. उफ्फ क्या लंड था उसका, पूरा 8 इंच लम्बा था. मोटाई भी अच्छी थी.


उन्होंने तुरंत मेरा हाथ पकड़ कर खींचा और मेरे हाथ को अपने लंड पर रख दिया और बोले- ये लो सोनम मेरी जान, खेलो इससे. जितना अच्छे से तुम खेलोगी, उतनी ही अच्छी तुम्हें पोस्टिंग भी मिल जायेगी.


सर के लंड को देख कर मेरे मुंह में भी पानी आ गया. मैंने उनके लंड को हाथ में ले लिया और मुठ मारने लगी. कभी उनके लंड को जोर से ऊपर नीचे करने लगती. कभी धीरे से लेकिन पूरा दबा देती थी जिससे उनकी आह्ह निकल जाती थी.


तभी उन्होंने गाड़ी को दूसरे रास्ते पर मोड़ दिया.
मैंने कहा- ये आप मुझे कहां लेकर जा रहे हो? हम तो घर जाने वाले थे न?
वो बोले- मैंने प्लान बदल दिया है. हम लोग तुम्हारे घर नहीं जा रहे हैं. हम एक फ्लैट पर जा रहे हैं जो सेफ है. वहां पर कोई नहीं है.


थोड़ी ही देर में हम एक सोसायटी के फ्लैट में पहुंच गये. सर्दी का टाइम था इसलिए बाहर कोई नहीं दिख रहा था.
हम लोग एक फ्लैट पर पहुंचे. सर ने दरवाजा खोला. हम लोग अंदर चले गये. मुझे लगा कि सर के किसी दोस्त का फ्लैट था. वैसे भी मुझे चूत चुदवा कर यहां से जाना ही था इसलिए मैं ज्यादा नहीं सोच रही थी.


हम लोग अंदर बेडरूम में गये और जाते ही सर मुझे पर टूट पड़े. उन्होंने मेरे सूट को उतरवा दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगे. मैंने भी सर को बांहों में जकड़ लिया और उनको प्यार करने लगी.


सर ने मुझे बेड पर गिरा लिया और मेरी पजामी भी खींच कर निकाल दी. मैं केवल ब्रा में पड़ी हुई थी. सर ने मेरी ब्रा को खींच कर उतार दिया. मेरी चूचियां नंगी हो गयीं. मैं पूरी नंगी हो गयी.


एकदम से सर मेरी चूचियों पर टूट पड़े और उनको जोर जोर से पीने लगे. मैं भी उनकी पैंट के ऊपर से उनके लंड को मसलने लगी. उनके लंड को सहलाते हुए खींचने लगी.


सर ने मेरे बूब्स चूसने के बाद सर ने अपने कपड़े भी उतारे और पूरे नंगे होकर मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को पीने लगे.


नीचे से सर ने मेरी चूत में उंगली दे दी और अंदर बाहर करते हुए मेरे होंठों को चूसते रहे. मैं एकदम से सिहर गयी और सर के नंगे बदन से लिपटने लगी.


तभी वो अपने घुटने पर बैठ कर मेरे सामने लंड को हिलाने लगे. मैंने उनका लंड मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी. मैं मस्ती में सर का लंड चूस रही थी.


फिर वो पीछे हुए और अपनी पैंट को टटोलने लगे. उन्होंने अपनी पैंट की जेब से रुमाल निकाला और बोले- इसको अपनी आंखों पर बांध लो मेरी जान, मैं तुम्हें पट्टी बांध कर चोदना चाहता हूं.
मैंने रूमाल को आंखों पर बांध लिया. उसके बाद सर ने मेरे मुंह में फिर से लंड घुसा दिया. मैं एक बार फिर से उनके लंड को मस्त होकर चूसने लगी.


दो मिनट तक चुसवाने के बाद उन्होंने लंड को निकाल दिया. इससे पहले कि मैं कुछ कहती मेरे मुंह में फिर से लंड आ घुसा. मगर अबकी बार लंड का स्वाद कुछ और था.
मैंने कहा- ये किसका लंड है सर?
वो बोले- मेरा ही है यार, बस कपड़े पोंछ कर फिर से डाल दिया है.


मैं फिर से लंड को चूसने लगी. थोड़ी देर लंड चुसाई के बाद उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया. बेड पर लिटा कर उन्होंने मेरी चूत में थूक दिया. मेरी चूत पर मुझे थूक की ठंडक महसूस हो रही थी.


उसके बाद उन्होंने मेरी चूत पर अपने लंड को रगड़ना शुरू कर दिया. फिर एकदम से अचानक ही उन्होंने मेरी चूत में लंड को घुसा दिया.
मेरी जान निकल गयी.


काफी दिनों से मैंने चूत में लंड नहीं लिया था. सर का लंड था भी बहुत बड़ा इसलिए लंड अंदर जाते ही मेरी चीख निकल गयी. मैंने सर को धकेलना चाहा लेकिन उनका शरीर बहुत भारी था.


उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चूत जैसे फैल कर फटने को हो गयी.
इतने में ही उन्होंने मेरी चूत में धक्के लगाना शुरू कर दिया. मैंने उनको कस कर पकड़ लिया और लंड का दर्द चूत में बर्दाश्त करने लगी.


वो तेजी से मेरी चूत को चोद रहे थे. फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बना लिया. पीछे से मेरी चूत में लंड को घुसा दिया और चोदने लगे. अब मुझे भी मजा आने लगा. सर पीछे से मेरी चूत में लंड घुसा रहे थे और साथ में मेरी चूचियों को भी जोर जोर से दबा रहे थे.


पंद्रह मिनट तक ऐसी ही जोरदार चुदाई चली. मैं दस मिनट में ही झड़ गयी थी. अब सर का भी होने वाला था. वो पूरी स्पीड में धक्के लगा रहे थे. दो मिनट के बाद सर की स्पीड कम हो गयी और मेरी चूत में गर्म गर्म सा महसूस हुआ. सर ने अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया था.


मैं भी थक कर चूर हो गयी थी और ऐसे औंधे मुंह पड़ी रही. सर भी मेरे ऊपर ही ढेर हो गये थे. कुछ देर हम दोनों हाँफते रहे. मैंने हिल डुल कर अपनी आंखों पर से पट्टी हटाना शुरू किया तो सर ने मुझे रोक लिया.


वो बोले- रुक जा सोनल रानी, अभी तो तेरी गांड की चुदाई भी करनी है.
मैंने कहा- सर लेकिन मैंने पीछे कभी नहीं करवाया है.
वो बोले- तब तो और अच्छी बात है. तेरी गांड की सील भी मैं ही तोड़ूंगा.


इतना कह कर उन्होंने मुझे उठाया और मेरे होंठों पर लंड लगा कर फिराने लगे.
मुझे भी ये अच्छा लग रहा था. सर के लंड का सुपारा मेरे होंठों को सहला रहा था.


सर बोले- चूस ले इसको मेरी जान.
मैंने सर का लंड अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में सर का लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया.


पूरा लंड टाइट होने के बाद एक बार फिर से उन्होंने मुझे कुतिया बना दिया. कुतिया बना कर उन्होंने मेरी गांड को अपनी उंगली सहलाना शुरू कर दिया.
कुछ देर उंगली से सहलाने के बाद वो बोले- रुक, मैं जरा तेल की शीशी लेकर आता हूं. तेरी सील पैक गांड वैसे नहीं खुलेगी.


वो नीचे उतर गये. मैं इंतजार कर रही थी. मुझे कुछ सुनाई भी नहीं दे रहा था.
मैंने सर को आवाज दी- सर? कहां हो आप?
पीछे से आवाज आई- यहीं हूं, रुक आ रहा हूं तेल लेकर।


फिर वो बेड पर आ गये. तभी मेरी गांड पर तेल गिरने लगा. इससे पहले कि मैं कुछ और समझ पाती मेरी गांड पर लंड का सुपारा सेट हो चुका था. मगर इस बार ये सुपारा कुछ मोटा सा लग रहा था. ऐसा लग रहा था कि सर के लंड का सुपारा फूल गया है.


तभी मेरी गांड में एक जोर का धक्का लगा और मेरी चीख निकल गयी. ये लंड सर का नहीं था. इतना मोटा लंड सर का नहीं हो सकता है. मगर मुझे अभी बेहोशी होने लगी थी. मैं खुद को संभाल नहीं पा रही थी.


पकड़ से छूटने के लिए मैं आगे की ओर खिसकी ही थी कि मुझे किसी ने आगे से रोक लिया.
ये क्या? दो-दो आदमी?
मैंने बोला ही था कि इतने में ही मेरी गांड में एक दूसरा प्रहार हुआ. ऐसा लगा कि मैं आज नहीं बचूंगी.


मैं बेसुध सी होने लगी कि तभी मेरे कानों में आवाज आई- अरे प्रिंसीपल साहब, ये तो बहुत ही मस्त माल है. इसकी गांड तो एकदम से कसी हुई है. मैं तो सोच रहा हूं कि इसका प्रोमोशन करवा कर इसको अपने ही ऑफिस में रख लूं.


ऐसा कहते हुए वो आदमी मेरी गांड में धक्के लगाने लगा था. इतने में ही मेरी आँख की पट्टी खोल दी गयी. सामने प्रिंसीपल ही था लेकिन पीछे से गांड में किसी और का लंड घुसा हुआ था.


सर उठ कर सामने सोफे पर जा बैठे और मेरी ओर देख कर अपना लंड हिलाने लगे. मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो एक 45 साल के करीब का आदमी अपने 8 इंच लम्बे और 2.5 इंच मोटे लंड को मेरी गांड में ठोक रहा था.


वो बोला- ऐसे क्या देख रही है साली रंडी? तेरा ट्रान्सफर ऑर्डर तो मुझे ही देना है. अगर तू मुझे खुश नहीं करेगी तो तेरा तबादला किसी और शहर में हो जायेगा.


इतना कह कर उसने अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया. मैं दर्द से बिलबिला उठी. हां अगर सच कहूं तो उस वक्त मजा भी बहुत आया. गांड में लंड पूरा घुसा तो उसका मजा भी अलग ही था.


सामने बैठे प्रिंसीपल से मैंने कहा- सर ये गलत बात है.
वो बोले- कुछ गलत नहीं है रानी. तू एकदम से मस्त होकर चुदवा ले. यदि सही जगह काम करना है तो सर की सेवा भी करनी पड़ेगी.


इतने में ही उस दूसरे आदमी ने मेरी गांड को बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया. मुझे कुतिया बना कर उन्होंने मुझे पूरे 25 मिनट तक चोदा. मैं अपनी चूत से दो बार पानी निकाल चुकी थी.


बड़े अधिकारी ने भी अपना माल मेरी गांड में ही गिरा दिया और हम दोनों बेड पर ढेर हो गये. मुझे तभी नींद आ गयी. जब मेरी आंख खुली तो वो दोनों मेरी चूचियों के साथ खेल रहे थे.


उन दोनों का मन अभी भी नहीं भरा था. उसके बाद उन्होंने फिर से मुझे लंड चूसने के लिए कहा. मैं उठ कर बारी बारी से उन दोनों के लंड को चूसने लगी.


अब बडा़ अधिकारी उठा और बगल में लेट गया. उसने मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया और नीचे से मेरी चूत में लंड को पेल दिया. वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरी चूत में नीचे से लंड के धक्के देने लगा. मेरी चूत में बहुत आनंद आने लगा. मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी और उछल उछल कर चुदने लगी.


उसके दो मिनट के बाद ही प्रिंसीपल सर भी पीछे से आ गये और मुझे बड़े साहब की छाती पर झुका कर मेरी गांड में लंड को सटा दिया. बड़े साहब मेरे होंठों को चूसने लगे और दूसरे सर ने मेरी गांड में लंड को पेल दिया.


अब मेरी चूत में नीचे से बड़े साहब का लंड जा रहा था और पीछे से मेरी गांड में प्रिंसीपल का लंड चोद रहा था.
मेरे मुंह से निकल गया- हाय दैय्या, मर गयी रे.


वो दोनों बड़ी ताल मेल के साथ मेरी चूत और गांड को एक साथ बजाने लगे. पहली बार मेरी ऐसी चुदाई हो रही थी जिसमें मैं एक साथ दो लंड का मजा ले रही थी. चुदाई में दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मजा उससे भी ज्यादा आ रहा था.


प्रिंसीपल जब गांड में लंड को अंदर करते तो अधिकारी साहब चूत से लंड को बाहर निकाल लेते. जब अधिकारी साहब चूत में लंड को अंदर करते तो प्रिंसीपल सर अपने लंड को बाहर कर लेते. इस तरह दोनों ही तालमेल से चोदने लगे.


मैं तो आनंद की लहरों में गोता लगाने लगी थी. ऐसे ही चुदते हुए 20 मिनट से ज्यादा हो गये थे. जब दोनों छेद एक साथ दो-दो लंड से चुदते हैं तो चूत बहुत जल्दी पानी छोड़ देती है. उन 20 मिनट में मैं 5 बार झड़ गयी थी. मैं बिल्कुल शिथिल होती जा रही थी.


ऐसा लग रहा था कि जैसे सब कुछ अपने आप ही हो रहा है. ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला था. अब उन दोनों ने मुझे घुटने के बल बैठने के लिए कहा. मेरे सामने आकर दोनों अपने लंड को हिलाने लगे. मैं जान गयी कि दोनों का पानी निकलने वाला है.


थोड़ी ही देर के बाद प्रिंसीपल सर ने अपना पानी निकाल दिया जो मेरी चूचियों और मेरे मुंह पर आकर लगा. उसके कुछ पल बाद ही अधिकारी साहब ने मेरे मुंह में लंड दे दिया. वो मेरे मुंह को चूत समझ कर झड़ने लगे.


अपना माल छोड़ते हुए वो सिसकारते हुए बोले- आह्ह… पी जा इसे मेरी रानी.
मैं उनके लंड का माल अंदर ही अंदर साथ साथ पी गयी. तीनों के तीनों बेड पर पसर कर लेट गये. आधे घंटे के बाद मैं उठी और बाथरूम में गयी. मैंने खुद को साफ किया.


मेरे पूरे बदन निशान पड़ गये थे. उन दोनों ने मुझे जानवरों की तरह चोद डाला था. उसके बाद हम सोने लगे. रात को मेरी चुदाई 4 बार हुई. सुबह के समय अधिकारी ने एक बार अकेले में ही मेरी चुदाई की.


फिर मुझे मेरे घर पर छोड़ दिया गया. पांच दिन के बाद मेरे तबादले के ऑर्डर आ गये. उसमें एक मेमरी कार्ड थी. मैंने उसको फोन में चला कर देखा तो उसमें हम तीनों के नंगे फोटो थे. फोटो में वे दोनों मुझे चोदते हुए दिख रहे थे.


उसमें वीडियो भी थे. ये सब देख कर मैं समझ गयी थी कि ये सब अब रुकने वाला नहीं है.


आज भी मैं उन दोनों से मजे ले लेकर चुदती रहती हूं.
तो ये थी मेरे तबादले की कहानी.
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