Adultery सभ्य गृहिणी बनी स्थानीय गुंडे की रखैल???

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UPDATE-14

जयराज उसके कान में फुसफुसाया। जयराज: क्या हुआ स्वाति.. और पास आओ ना मेरे..

स्वाति: आआह्ह्ह्ह.. जयराज जी.. देखाए.. जो आज आपने सोनिया के लिए किया.. उसके जैसे मैं आपकी बहुत अभारी हूं.. उसके चेहरों पर खुशी बहुत दिनों के खराब देखी..

जयराज: तो ये आज रात को जो तुम मेरे साथ सोयी.. ये उसली था?

स्वाति: ww..oo...wwoo.. जी..

जयराज: तो कल नहीं सौगी क्या मेरे साथ?

स्वाति: प्लीज जयराज जी.. आप ऐसी बातें मत कीजिए.. देखिए.. 5 के ऊपर बज गए हैं.. अंशुल 5:30 बजे उठ जाते हैं.. हमारा दरवाजा बंद दिखा.. तो पता नहीं क्या सोचेंगे..

जयराज: इस्तेमाल करने दो जो सोचना हे.. हमें जो करना है करेंगे.. आई लव यू स्वाति.. तुम्हें तो पता हे..

स्वाति: आप कैसी बात कर रहे हैं.. मैं आपके बेटी की उमर की हूं.. ये सब ठीक नहीं है.. स्वाति को अभी भी जयराज ने कसकर गले लगाया था... उसके नर्म कूल्हे इस स्थिति में थे कि उसकी गांड की दरार उसकी जाँघों के बीच में थी.. जयराज ने अपना लंबा हाथ लिया और अपने दाहिने हाथ की तर्जनी से उसकी गांड की दरार को रगड़ा.. उसने एक रेखा खींची सीधी रेखा सीधे उसकी गांड की रेखा पर..स्वाति काँप उठी और उसका पूरा शरीर काँप उठा..सुबह का समय था और मौसम में हल्की ठंडक थी..

स्वाति ने हल्की सी कराह दी...आआहहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

जयराज ने उसे जवाब दिया.. अंशुल में तुम्हें क्या दिखता है.. चलो मन लिया कि लो अभी ने उसे लकवा मार दिया.. लेकिन वो तुम्हारे मेरे साथ क्यों सोने दे रहा है? क्या ये एक जोखिम नहीं उसके लिए?

स्वाति: प्लीज जयराज जी.. मैं सिर्फ सोनिया की खुशी देख कर आपके पास आई थी.. ये बार नहीं कर सकती.. मैं मर जाऊंगी..

जयराज: तुम इतनी खूबसूरत हो स्वाति.. कि आज भी तुम्हारे कोई भी पैसे वाला मिल जाएगा 2 मिनट में.. क्यों अंशुल के लिए बैठी हो..

स्वाति: अंशुल मेरा पति हे..

जयराज: और कितने दिनों तक? देखना तुम एक दिन खुद थक जाओगे उससे.. जिस तरह से वो अंशुल के बारे में बात कर रहा था उसे सुनकर स्वाति को बहुत बुरा लग रहा था। वह उससे बहुत प्यार करती थी। वह उसके बारे में कुछ भी बुरा नहीं सुन सकती थी.. जयराज ने उसका चेहरा अपनी ओर और खींच लिया और एक पल के लिए उसके होठों को चूसता रहा। स्वाति ने भी उनके किस का जवाब दिया। वे हल्के से किस करने लगे। स्वाति जानती थी कि उसे कम से कम अभी के लिए जयराज के आगे झुकना ही होगा.. चुम्बन बहुत कोमल था और धीरे-धीरे अनायास ही स्वाति के हाथ जयराज की गर्दन पर चढ़ गए।

जयराज ने अपने दोनों हाथों को उसके नर्म नितम्बों पर रखा था और हल्का-सा दबा रहा था.. स्वाति चूम रही थी. चुंबन और उसके लिंग और कमर पर उसके योनि और जघन बालों के कोमल स्पर्श के बारे में... वे मम्म्ममम जैसी कोमल चुंबन की आवाजें कर रहे थे... हुउउन्नन्नन... मम्मम्ममम्मम... हन्नन्नन्नन... वे अपने सिर एक तरफ घुमा रहे थे हर 2 सेकंड में.. स्वाति अपना नियंत्रण खोती जा रही थी..और उसके खड़े लिंग पर अपनी योनि रगड़ रही थी.. जयराज लगातार उसके नितम्बों को दबा रहा था और कभी उसकी छोटी-सी नितम्ब की दरार को सहला रहा था.. वह उसके छेद में अपनी उंगली नहीं डाल रहा था.. लेकिन बस अपनी तर्जनी को वहां रगड़ रहा था.. स्वाति एक बड़े आदमी के साथ ऐसी आपत्तिजनक स्थिति में बहुत शर्म महसूस कर रही थी जो कि शक्तिशाली स्थानीय गुंडे और राजनेता थे.. जबकि उसका मासूम पति बगल के कमरे में सो रहा था..

लेकिन वे कहते हैं कि प्यार और वासना अच्छे दिमाग को नष्ट कर देते हैं.. तो दो छोटे बच्चों की शर्मीली खूबसूरत मासूम गृहिणी स्वाति का मामला था.. 5:30 बजे लगभग दिन का ब्रेक था... वे अभी भी बीच-बीच में थोड़ा विरोध करने पर स्वाति के साथ चुंबन कर रहे थे.. जयराज और स्वाति बिस्तर पर लोटते हुए.. पूरी तरह से नग्न.. कभी जयराज स्वाति के ऊपर थे.. और कभी स्वाति जयराज के ऊपर.. यह 10 मिनट तक चलता रहा.. जयराज ने अपने बाएं हाथ की तर्जनी को धक्का दिया बिना किसी सूचना के उसके छोटे से छेद में उंगली डाल दी.. स्वाति की आधी खुली आंखें अचानक हमले के कारण चौड़ी हो गईं और उसने अपनी जांघों को बंद कर लिया..

जयराज ने हिंसक रूप से उसे अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.. और उसी समय उसके पैरों को अलग करने की कोशिश की.. स्वाति ने आराम किया इस अचानक हमले के 2 मिनट बाद और धीरे-धीरे उसके पैर खोल दिए.. उसने बहुत तेजी से अपनी क्लिट पर काम किया और अपने प्रेमी को अधिकतम आनंद देने के लिए उसे मध्यम गति से रगड़ना शुरू कर दिया.. स्वाति अपने पैरों को बंद करने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन उसके साथ जयराज ने उसे पास नहीं आने दिया.. उसने चुंबन रोक कर उसकी ओर देखा.. उसने उसकी ओर देखा.. वह मुस्कुराया.. वह शरमा गई.. उसने अपने होठों को उसकी गर्दन के पास लाकर एक बार चाटा.. उसने देखा फिर से उसके पास गया.. वह वापस गया और उसे फिर से चाटा..

स्वाति ने एक कराह निकाली.. अपने बाएं हाथ से उसकी योनि के प्रवेश को आनंदित किया.. उसने अपने दाहिने हाथ से उसके बाएं स्तन को 4 बार निचोड़ा.. जैसे कि वह बस का हॉर्न बजा रहा था.. यह स्पंज बॉल की तरह निचोड़ा हुआ था.. उसने इसे इस तरह दबाया कि केवल उसके मातृ निप्पल दिखाई दे रहे थे.. वह लगातार उसके निप्पल को देख रहा था.. स्वाति को शर्म आ रही थी जब उसने उसे अपनी तरफ देखा निप्पल.. उसने झुक कर.. और उसके निप्पल को चाट लिया..

स्वाति...आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह... अनुष्का शर्मा जयराज ने हरकत दोहराई.. उसके निप्पलों को चाटा.. उसने उसके दाहिने स्तन को जाने दिया और उसके लगातार स्तनपान के कारण बने गहरे दरार को चाटा.. उसने उसके बाएं स्तन को काफी खुला देखा और उसे ले लिया। पूरी तरह से उसके मुँह में जैसे कि वे उसकी अपनी संपत्ति हों.. वह उसके पूरे स्तन को जितना हो सके चूसने लगा.. वे अच्छे आकार के पके आम थे..वह उसे वैसे ही चूसने लगा जैसे कोई आदमी एक बड़े आम को चूसता है..

वह चला गया उसका गोल-गोल चेहरा.. उसके सफ़ेद..पक्के.. स्तनों को चूसते हुए.. उसने उन्हें कुछ देर तक चूसा.. स्वाति को पागल बनाते हुए.. वो उस विशाल आदमी के नीचे अपनी टाँगें घुमा रही थी.. उसकी जाँघों को उसकी बाँहों पर रगड़ रही थी उसकी उंगली उसकी योनि में प्रवेश पर थी.. जयराज अब तैयार था और वह अब और इंतजार नहीं कर सकता था..

उसने महसूस किया कि स्वाति ने अपनी आँखें बंद कर ली हैं.. और एक चरमोत्कर्ष की प्रतीक्षा कर रही थी.. उसे कुछ समय के लिए इंतजार करना पड़ा.. उसके लिए कामोत्तेजना... उसने अपनी ऊँगली उसकी क्लिट पर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया.. उसका खड़ा लिंग इधर-उधर लहरा रहा था.. कभी खुद को उसकी कोमल मांसल जांघों पर रगड़ रहा था.. उसकी जांघों पर अपने प्री-कम लिक्विड के साथ..

वह उसे चूस रहा था एक मजबूत आदमी की तरह स्तन.. स्वाति इस स्वर्गीय क्षण का आनंद ले रही थी.. फिर अचानक उसकी आँखें भारी हो गईं.. उसे अपना चरमोत्कर्ष मिल रहा था क्योंकि जयराज ने अपनी क्लिट को रगड़ने की गति बढ़ा दी थी... वह अपने चरमोत्कर्ष के करीब थी। उसने उसका हाथ पकड़ा.. अंतिम क्षणों में.. और फिर ऐसा हुआ.. वो चरमोत्कर्ष पर थी.. उसने धीरे-धीरे पेल्विक थ्रस्ट देना शुरू किया लेकिन जयराज ने अपनी उंगली को अपने प्रेमी के प्यार के छेद से बाहर नहीं जाने दिया..

उसने जयराज के कंधों में अपने दाँत गड़ा दिए। .चिल्लाने से बचने के लिए.. और फिर उसका शरीर शिथिल हो गया.. वो बिस्तर पर लेट गई.. फिर भी... वो झरने सी भीगी हुई थी.. जयराज ने मौका भांप लिया और उसकी फैली हुई टांगों के बीच में आ गया.. और उसे खींच लिया उसके पास उसकी मांसल जांघों से..स्वाति ने उत्सुकता से उसकी ओर देखा... क्योंकि वह इस विशाल काले राक्षस के सामने एक सफेद बच्ची की गुड़िया की तरह थी.. वह उसकी ताकत से खिंच गई...

उसने अपनी सख्त लोहे की छड़ को रगड़ना शुरू कर दिया उसकी योनि में प्रवेश पर.. उसकी इस हरकत से वह उत्तेजित हो गई.. और अपने शरीर को पीछे की ओर झुका लिया.. सुबह 6 बजे की धूप सुबह-सुबह प्रेमियों पर झाँक रही थी.. उसकी चूत जयराज के प्रेम रस और सूरज की रोशनी से जगमगा रही थी। . जयराज खुद को रोक नहीं पाया.. एक तेज़ स्लाइड के साथ.. उसने उसे अपनी तंग बिल्ली के अंदर धकेल दिया..

यह बिना किसी प्रकार के प्रतिरोध के अंदर चला गया लेकिन ऐसा लग रहा था कि जयराज के लिंग के लिए उसका छेद पूरी तरह से उकेरा गया था.. उसकी योनि की दीवारें पकड़ी हुई थीं उसका लिंग कसकर.. इतना कड़ा था.. कि जैसे ही वह अंदर गया जयराज ने एक कराह निकाली.. उसने उसे वापस खींच लिया.. और फिर से तेजी से जोर दिया... स्वाति के हाथ उसके पीछे लगे बेड हैंडल पर चले गए। .. और उसे कस कर पकड़ लिया..यहाँ जयराज ने उसे धीरे-धीरे अंदर-बाहर पंप करना शुरू किया..

पहले तो लय बहुत धीमी थी.. लेकिन प्रत्येक जोर के साथ स्वाति पीछे हट रही थी.. वह अपने मजबूत जोर से हिला रही थी.. बिस्तर चरमरा रहा था और आवाजें कर रहा था... चीईंन्नं चीईंन्नं चीईंन्नं चीईंन्नं..... अचानक जयराज ने अपनी गति को दोगुना कर दिया... वह अपनी पूरी ताकत से उसे चोदने लगा.. बिस्तर ऐसा लगा जैसे वह टूट जाएगा... वह नहीं रह सका अपनी स्त्री से बहुत दूर.. और उस पर झुक गई..

स्वाति ने अपने आप को जयराज पर लपेट लिया.. वे पिस्टन की तरह चल रहे थे.. उनके शरीर एक साथ.. एक दूसरे में जुड़ गए.. एक साथ चल रहे थे.. उसकी चूड़ियाँ उसके चारों ओर घूम रही थीं पीछे.. वो स्वाति की गर्दन को चाट रहा था और ज़ोर से धक्का दे रहा था..

जयराज: स्वाति...

स्वाति: आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .... आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...

जयराज: मम्म्मम्म्म्म आई लव यू... आई लव यू.. आई लव यूउउउउ...

SWATI: AAAOOOOOOUU .. UUUUUUUIIIII ... वे स्वर्ग में थे..
 

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