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पापी परिवार--11

जब दोनो भाई बहेन पार्क मे थे उसी बीच दीप भी घर लौट आया ..कम्मो जो रात भर ठीक से सो नही पाई थी ..दीप के घर आने पर उसने चैन की साँस ली और उसे हल्की सी डाँट भी लगाई

" कहाँ थे रात भर ..कल से मैं कितनी परेशान थी ..कम से कम एक कॉल ही कर दिया होता ..कल पहली बार मैने आप को इतना परेशान देखा था ..क्या निम्मी से कुछ बात हुई ? "

कम्मो ने उसके हॉल मे बैठते ही अपने सवालो की झड़ी लगा दी ..दीप वैसे ही कयि प्रॉब्लम्स मे फसा हुआ था ..अचानक से उसे कम्मो पर गुस्सा आ गया

" तुम क्या पागल हो गयी हो ..मैं कोई छोटा बच्चा नही हूँ जो तुम मेरे लिए इतनी परेशान हो रही हो ..एक कप चाइ बनाओ और मुझे अकेला छोड़ दो "

दीप ने चिल्ला कर कहा और अपना सर सोफे के बॅक पर लिटा कर रिलॅक्स हो गया ..कम्मो 2 मिनट. तक उसके पास ही खड़ी रही ..आख़िरी बार उसने दीप को इतना परेशान तब देखा था जब वो शादी कर के घर से भागे थे ..लेकिन आज तो उनके पास किसी चीज़ की कोई कमी नही ..फिर क्यों दीप इतना परेशान है ..कम्मो पर भी चिल्ला दिया ..आख़िर - कार खुद से ऐसे अनगिनत सवाल करते हुए वो किचन मे चल दी

निम्मी अपनी आदत अनुसार अभी गहरी नींद मे थी ..कल रात जो कुछ भी उसने सोचा था ..शायद उसी का सपना उसकी नींद मे चल रहा था ..रह - रह कर कुछ ना कुछ बड़बड़ाती भी जा रही थी

3 कप चाइ बना कर पहला कम्मो ने दीप के सामने लगी टेबल पर रख दिया और दूसरा 2 कप ले कर वो सीढ़ियाँ चढ़ती हुई निम्मी के रूम की तरफ बढ़ गयी ..जानती थी गेट अनलॉक होगा ..हलका ज़ोर लगाते ही दरवाज़ा पूरा खुल गया और कम्मो उसके बेड के सिराहने पहुच गयी

" शायद ये निम्मी की वजह से इतने परेशान हैं ..इसी से पूछना पड़ेगा कि कल जब दोनो बाप - बेटी कमरे मे बंद थे तब ऐसी क्या बात हुई जो दीप कल रात भर गायब रहा और अभी भी उसका मूड ठीक नही है "

इतना सोच कर उसने दोनो कप बेड के स्टॅंड पर रख दिए और निम्मी को नींद से जगाने लगी

" उठ निम्मी ..देख कितनी सुबह हो गयी है "

कम्मो ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेर कर कहा ..निम्मी ने उसे कोई जवाब नही दिया और कुछ बड़बड़ाती हुई करवट से सीधे पीठ के बल लेट गयी

" उठ जा राक्षस ..इस लड़की ने तो नाक मे दम कर रखा है "

कम्मो ने उसके बड़बड़ाने पर तो कोई गौर नही किया ..लेकिन उसके रूम की हालत देख उसे बहुत गुस्सा आया ..जगह - जगह फैले कपड़े ..कपड़े भी ऐसे जिसे देख कर तो दीप और निकुंज कतई उसके रूम मे नही घुसते ..बेड के बगल की स्टडी टेबल पर रखा लॅपटॉप चालू हालत मे था और स्क्रीन पर फ़ेसबुक का लोगिन पेज दिखाई दे रहा था

अचानक से निम्मी की बॉडी मे हलचल हुई और उसकी एक टाँग जाँघ तक चादर से बाहर निकल आई ..काम्मो की नज़रें उसकी नंगी टाँग पर गयी तो उसे कल की अपेक्षा आज कुछ बदलाव नज़र आया

कल जब निम्मी ने क्रॉच लेस पैंटी के ज़रिए कम्मो को परेशान किया था तब उसकी टाँगो पर हल्के - हल्के बाल थे ..लेकिन आज पूरी जाँघ एक दम चिकनी दिख रही थी और स्वतः ही कम्मो का हाथ उसकी जाँघ पर घूमने लगा ..आज पहली बार वो उसकी जाँघ को इतने गौर से देख रही थी

" कितना माँस भरा हुआ है इस लड़की मे ..उमर मे निक्की से छोटी है लेकिन इस भराव के चलते उससे बड़ी ही दिखाई देती है "

इतना कह कर कम्मो के हाथ उसकी सुडोल जाँघ को सहलाने लगे ..ये कम्मो का अपनी बेटी के लिए प्यार था या जलन ..या शायद आज कयि सालो बाद कम्मो को इस नज़ारे से बड़ी बेचेनी हो रही थी

" हां हां चूसो ..ऐसे ही अंदर तक चाटो ..प्लीज़ "

सपने मे अपनी जाँघ पर रेंगते हाथ महसूस कर निम्मी के मूँह से काँपते हुए शब्द निकले ..कम्मो ने उन शब्दो को सुनते ही अपना हाथ जाँघ से हटा लिया और उसके सोते चेहरे को देखने लगी

निम्मी कल रात को पूरा मेक - अप कर के सोई थी ..मास्कारा से उसकी पॅल्को पर नीले रंग के शेड्स ..गालो पर लस्टर जो बड़ा ही शाइन कर रहा था और होंठो पर इतनी लालामी जिसे देख कम्मो की आँखें उसके चेहरे की खूबसूरती मे लगभग खो सी गयी

" उउउम्म्म्ममम ..खा जाओ इसे "

निम्मी के मूँह से एक हिचकी निकली और उसने अपनी टाँगो को काफ़ी स्प्रेड कर लिया ..शायद सपने मे भाई और बहेन की जगह अब दीप ने ले ली थी

जब कोई ताज़ी घटना वो भी ऐसी जिसे आपने पहली बार महसूस किया हो ..शुवर है कि वो कयि दिन तक आपके जेहेन मे घूमती रहती है ..यही इस वक़्त निम्मी के साथ हो रहा था ..कल जो पल उसने अपने डॅड के साथ बिताए थे वो पल निम्मी शायद लाइफ टाइम नही भूल पाती ..एक बाप के सामने उसकी बेटी का बे परदा होना और उत्तेजना मे बाप द्वारा उसके कोमल अंतरंग अंगो को चूमना ..उनसे छेड़ छाड़ करना ..यहाँ तक की दीप ने निम्मी की चूत और आस होल को अपनी जीभ से चाटा भी था ..ख़ास कर कल जो बात उनके दरमिया अधूरी रही इस वक़्त निम्मी उसे अपने ख्वाब मे पूरा करने को मचल रही थी

कम्मो उसके मूँह से निकली हिचकी सुन घबरा गयी और जब तक वो कुछ और सोच पाती निम्मी ने हाथ के ज़ोर से अपने शरीर पर पड़ी चादर को अलग कर दिया

कम्मो के नज़रिए से ये तो तय था कि चादर के नीचे उसकी बेटी ने कुछ नही पहना होगा लेकिन जिस बात ने उसके दिमाग़ मे घर किया वो थी उसकी बेटी का बुरी तरह से मचलना और ऐसे उत्तेजक शब्दो से बड़बड़ाना

निम्मी की चूचियाँ इस वक़्त ब्रा मे क़ैद थी लेकिन उस ब्रा के अलावा उसने कुछ और नही पहना था ..जाने क्यों कम्मो की नज़र उसके चेहरे से होती हुई उसकी चूत पर आ कर ठहर गयी ..वैसे तो उसकी बेटी ने कयि बार अपनी चूत का दीदार बड़ी बेशर्मी से उसे करवाया था लेकिन आज निम्मी ने नींद मे जो व्यू अपनी चूत का दिया वो देख कर कम्मो सकपका गयी ..कल रात हेर रिमूवर का यूज़ निम्मी ने अपनी पूरी निच्छली बॉडी पर किया ..तभी आज वो नीचे से एक दम चिकनी नज़र आ रही थी

" आआईयईईईईईईईईई ..मर गयी "


निम्मी फिर बड़बड़ाई और इस बार उसने अपने हाथ से चूत को मसल कर रख दिया ..हाथ मे आए उसके चूत रस को देख कर कम्मो को चक्कर आने लगे

" हे भगवान ..ये तो सपने मे ..छ्ह्हीईईई "

कम्मो ने तेज़ी दिखा कर उसका हाथ चूत से हटाया लेकिन निम्मी ने अगले ही पल वापस उसे वहीं रख लिया ..इसी तरह 2 - 3 बार और हुआ तो कम्मो के दिमाग़ की बत्ती जली

" कहीं ये मेरे साथ नाटक तो नही कर रही "

अक्सर निम्मी के नेचर से घर के दूसरे मेंबर्ज़ को यही शक़ होता कि वो नाटक कर रही होगी और तभी हर बंदा उससे जल्दी पीछा छुड़ाने के लिए उसकी बात को मान जाता था

" हाथ हटा निम्मी ..नही तो एक जड़ दूँगी "

कम्मो ने सोचा कि उसकी बात सुन कर निम्मी अपनी आँखें खोल देगी और ये नाटक भी ख़तम हो जाएगा ..लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी बेटी ने तो अपने सपने मे चुदना भी शुरू कर दिया ..वो भी अपने डॅड से

" नही मानेगी तू "

जब कयि बार उसका हाथ हटाने पर भी निम्मी ने वही क्रिया दोहराई तो कम्मो ने सख्ती से उसका एक हाथ चूत से हटा कर अपने पैर के नीचे दबा लिया लेकिन इसका ये नतीज़ा हुया कि निम्मी ने अपने दूसरे हाथ से कम्मो का हाथ पकड़ कर अपनी रस छोड़ती गरम चूत रख दिया

" उफफफफफ्फ़........ "

दोनो मा बेटी के मूँह से एक साथ सिसकी निकल गयी ..वाकई चूत इस वक़्त लावा उगल रही थी ..कम्मो ने तुरंत ही अपना हाथ चूत से हाटना चाहा लेकिन अब उसका ध्यान किसी और बात पर लग चुका था

" ये सपने मे ही है ..तभी इतनी गीली हो ....... "

कम्मो ने पूरी बात सोच भी नही पाई कि निम्मी का बदन अकड़ गया ..उसने अपने दूसरे हाथ को ब्रा के अंदर डाला और बेतहासा अपना बूब भीचने लगी ..साथ ही पूरी ताक़त से कम्मो के पैर के नीचे दबा हाथ खीचना शुरू कर दिया

" हाए मेरी बच्ची "

कम्मो जान गयी कि निम्मी का ऑर्गॅज़म नज़दीक है ..पैर के नीचे दबा निम्मी का हाथ आज़ादी चाहने लगा ..लेकिन कम्मो ने अभी भी उसे अपनी गिरफ़्त मे रखा हुआ था ..जब निम्मी झड़ने के बिल्कुल नज़दीक पहुचि और मन मुताबिक अपना हाथ कम्मो से नही छुड़ा पाई तो सहसा उसके मूँह से एक शब्द फूटा

" मोममम्ममममम....... "

ये जग वीदित है कि जब कोई बच्चा किसी मुसीबत मे फँसता है तो उसकी ज़ुबान पर मदद के लिए सिर्फ़ एक ही नाम आता है " मा "

यहाँ निम्मी ने जिस तरह से अपनी मा को मदद की गुहार लगाई ..कम्मो का दिल उसकी तकलीफ़ से पासीजने लगा और उसके दिल ने सच का साथ दिया

" वैसे तो ये सरासर ग़लत है ..एक मा हो कर मुझे ऐसा नही करना चाहिए ..लेकिन अगर इस वक़्त इसका झड़ना ज़बरदस्ती रोका गया तो शायद बाद मे अंजाम बहुत ही घातक हो सकता है "

अपने मन मे ऐसा विचार कर उसने तुरंत ही अपने हाथ की पकड़ चूत पर कस दी ..निम्मी को तो जैसे जन्नत का नज़ारा दिखाई देने लगा ..उसने अपने चूतडो को हवा मे उछाला और अगले ही पल एक चीख के साथ उसका ऑर्गॅज़म होने लगा

" आहह......... "

निम्मी के चीखने पर कम्मो तेज़ी से अपने हाथ को चूत के दाने पर रगड़ने लगी ..ना जाने उसका दिल इतना क्यों बैठ गया कि उसकी आँखों से आँसुओ की बरसात शुरू हो गयी

" आजा आराम से ..तेरी मा है तेरे पास "

अपने आँसुओ की परवाह ना करते हुए कम्मो अपनी बेटी को झड्वाये जा रही थी ..एक के बाद एक ..7 - 8 बार निम्मी के जिस्म ने लावा बाहर फेका ..कम्मो का हाथ उस लावे की गर्मी को महसूस कर जल रहा था लेकिन एक पल को भी उसने अपना हाथ चूत से हटाने की कोशिश नही की ना ही हाथ को ढीला छोड़ा

कुछ वक़्त बीतने पर निम्मी का बदन शांत पड़ गया ..कम्मो ने अपना हाथ चूत से हटाया जो उसकी बेटी की जवानी से भिड़ा हुआ था ..वो हैरान थी कि निम्मी ने इतना हेवी फॉल क्यों किया ..जाने कब से उसकी बेटी अपने सैलाब को अपने जिस्म मे समेटे हुए थी ..चूत रस से फैली खुश्बू पूरे कमरे को महकाने लगी ..कम्मो ने देखा रस निक्की की चूत से बहता हुआ उसकी गांद के छेद को पार कर ..बेड शीट को भी भिगो रहा था

" सुधर जा निम्मी ..वरना एक दिन तुझे खुद पर बहुत पछ्तावा होगा "

कम्मो ने उसके सोते चेहरे को देख कर एक डाँट लगाई और अपनी साड़ी के आँचल से चूत को सॉफ करने लगी ..उसकी टाँगे फैला कर कम्मो ने आस होल और जाँघो पर से भी सारा पानी पोंछ दिया

" जब तू उठेगी तब मैं तुझसे बात करूँगी "

इतना कह कर कम्मो ने उसके माथे को चूमा और बेड से नीचे उतरने लगी ..अपने कदम ज़मीन पर रखते ही उसे एक और झटका लगा ..कमरे का पूरा गेट खुला हुआ था ..वो तेज़ी से दौड़ कर बाहर आई और हॉल मे झाक कर दीप को देखने लगी ..लेकिन दीप वहाँ नही दिखाई दिया

पलट कर कम्मो ने निम्मी के रूम का गेट बाहर से लॉक कर दिया और शंकित मन से अपने कमरे की तरफ जाने लगी

दरवाज़े से अंदर झाका तो दीप अपने सर पर हाथ रखे कुछ सोचने की मुद्रा मे बेड पर बैठा था ..कम्मो की साँसे रुक गयी

" इसका मतलब इन्होने ...... "

मूँह से निकले आधूरे वाक्य को उसने कयि बार अपने मन मे दोहराया ..बात ही कुछ ऐसी थी ..घर की बनावट के अनुसार अगर दीप अपने कमरे मे जाता तो उसे निम्मी के कमरे के सामने से गुज़रना पड़ता ..कम्मो का पूरा बदन इस बात से दरवाज़े की ओट लिए जम गया ..अब वो क्या जवाब देगी अपने पति को ..एक तो दीप पहले से ही परेशान था और तो और एक मा को अपनी बेटी के नंगे बदन से खेलते भी देख चुका था ..जाने वो क्या सोच रहा होगा कम्मो के बारे मे

" ज़रूर ये सोच रहे होंगे कि मैं अपनी सेक्स की भूख अपनी बेटियों के साथ मिटाती हूँ ..नही नही मैने ऐसा कुछ नही किया ..हे भगवान ये कहाँ फसा दिया मुझे ..क्या जवाब दूँगी "

कम्मो इसी कशमकश मे थी कि उसके दिमाग़ ने कुछ सोचा और अगले ही पल अपनी उखड़ी सांसो को संभालते हुए वो कमरे मे एंटर हो गयी

" आप हॉल से कमरे मे कब आए ? "

कम्मो ने रूम का गेट अनलॉक कर कहा ..साथ ही तेज़ी दिखाते हुए अपनी सारी का पल्लू ज़मीन पर गिरा दिया

" अभी थोड़ी देर पहले ही आया हूँ "

बात सच थी कि जब दीप सीढ़ियाँ चड़ते हुए अपने कमरे की तरफ आ रहा था तब उसने निम्मी के कमरे मे चल रही सारी घटना देखी और जब कम्मो अपने पल्लू से निम्मी के चूत रस को सॉफ कर रही थी तब दीप अपने कमरे मे आ गया

इस समय दोनो पति - पत्नी घबराए हुए थे लेकिन वक़्त की नज़ाकत के चलते चेहरे पर कोई भाव नही आने दिया

" आज गर्मी कितनी है "

ये बोल कर कम्मो ने अपनी साड़ी को उतार फेका ..साड़ी उतारते वक़्त उसने जो अदायें अपने पति को दिखाई उससे दीप तुरंत समझ गया कि या तो उसकी बीवी गरम हो गयी है या उसे पता चल गया है कि दीप ने कमरे मे चलता सारा घटना क्रम देखा था और शायद तभी वो अपनी अदाओ से इस बात पर परदा डालना चाहती है

" ए/सी तो ओं है ..फिर भी गर्मी लग रही है "

दीप ने कम्मो की बात का जवाब दिया और बेड पर लेट गया ..उसने जो कपड़े पहने थे वो अब तक उसके बदन पर थे

" हां ऑन है लेकिन आप नही समझोगे "

इतना बोल कर कम्मो अपनी गांद मतकाती हुई दीप के नज़दीक आई और बेड पर उसके बगल मे लेट गयी

" क्या बात है आज बड़ी खुश हो ? "

दीप ने उसके चेहरे को देख कर कहा जिसमे उसे उस वक़्त की कम्मो नज़र आने लगी जब उसने अपने घरवालो से बग़ावत कर दीप के प्यार को कुबूला था ..ये तो मजबूरी थी कि वो अपनी बीवी से बेवफ़ाई कर बैठा ..जब कि अपनी औलादो से भी ज़्यादा प्यार था उसे कम्मो से

" आप कितना ख्याल रखते हो घर का लेकिन..... "

लेकिन शब्द पर बात अधूरी छोड़ कम्मो ने अपना पेटिकोट धीरे - धीरे ऊपर उठाना शुरू कर दिया ..जब वो घुटनो से ऊपर पहुचि तब उसने अपने चेहरे को दीप की तरफ घुमाया ..जानती थी ये दीप के लिए किसी झटके से कम नही होगा ..आज पूरे 10 - 12 सालो बाद दोनो इस तरह से आमने सामने थे

वैसे तो कम्मो ने चुदाई मे दीप का साथ कभी नही दिया ..जब भी दोनो सेक्स करने के लिए तैयार होते ..कम्मो हमेशा अपनी चूत खोल कर लेट जाती और दीप झटके मार कर असन्तुस्त रह जाता ..ना तो बात कभी चूमने पर बढ़ी ना ही कम्मो ने कभी ओरल का साथ दिया ..यहाँ तक कि उसकी गान्ड भी अभी कुँवारी थी

एक बार जब दीप ने ज़बरदस्ती लंड को उसकी गान्ड के सुराख पर टीकाया तो कम्मो बुरी तरह रोने लगी थी ..बस तब का दिन है और आज का दिन दीप ने फिर कभी अपनी तरफ से कोई फर्माहिश नही की ..डेली सेक्स ..वीक्स मे बदला और बढ़ते - बढ़ते बात सालो पर पहुच गयी ..तभी बाहर की मलाई खाने का चस्का दीप को इतना चढ़ा था कि उसने तनवी तक को नही छोड़ा ..खेर ब्लोवजोब सीन तो दोनो की मर्ज़ी से हुआ था ..लेकिन अब दीप की परेशानी की असली वजह निम्मी ना हो कर तनवी बन गयी

जब जीत ने उससे उनकी दोस्ती को रिश्तेदारी मे बदलने की बात की तब दीप बहुत खुश हुआ लेकिन जब इस बात से परदा हटा कि तनवी ही जीत की बेटी है तब उसे झटका भी लगा और साथ ही एक बात उसके दिमाग़ मे ठहर गयी

" अगर तनवी दीप के घर की बहू बनी तो ज़्यादा वक़्त तक दोनो ससुर - बहू खुद को रोक नही पाएँगे ..एक बार यदि दोनो मे संबंध बन गया तो उसका एफेक्ट घर के बाकी सदस्यों पर पड़ना निश्चित था और तो और दीप को ये बात भी अंदर ही अंदर खाए जा रही थी कि निम्मी का नेचर बिल्कुल तनवी से मॅच करता है ..अगर दोनो मिल गयी फिर तो घर का कल्याण ही हुआ समझो "

" कहाँ खो गये ? "

कम्मो ने दीप को किसी सोच मे डूबा देख पूछा

" नही कुछ नही "

दीप ने उसे जवाब दिया और तभी उनके गेट पर किसी ने नॉक किया

" मोम बाथरूम मे पानी नही आ रहा ..मुझे ऑफीस जाना है "

आवाज़ निकुंज की थी जिसे सुन कर दोनो मिया बीवी चौंकते हुए बेड पर उठ कर बैठ गये ..कम्मो ने तुरंत दौड़ लगाई और अपनी साड़ी को वापस पहेन ने लगी

" खोल रही हूँ "

घबराने मे कम्मो ना तो ठीक से साड़ी लपेट पाई ना ही अपनी चढ़ती सांसो को कंट्रोल ..उसके चेहरे पर शरम के भाव थे

गेट खोल कर देखा तो निकुंज टवल लिए बाहर खड़ा था ..अपनी मा का ये रूप देख वो एक पल मे समझ गया कि उसके आने से पहले कमरे मे क्या चल रहा होगा

" क्या हुआ ..बाथरूम मे पानी नही आ रहा क्या ? "

कमरे के अंदर से आई दीप की आवाज़ सुन वो थोड़ा झिझका और पलट कर वहाँ से जाने लगा ..शायद बीच मे आ कर उसने दोनो का गेम बिगाड़ दिया था और फिर कम्मो को भी समझते देर नही लगी कि निकुंज क्यों वापस जा रहा है

" मैं छत का बाथरूम यूज़ कर लूँगा "

इतना बोल कर वो बिना पीछे मुड़े तेज़ी से छत की स्टेर्स चढ़ने लगा और कम्मो के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान उतर आई

" कितना भोला है मेरा बेटा "

मन मे ऐसा सोचते हुए कम्मो भी किचन की तरफ बढ़ गयी ....

'''''ट्रिंग ट्रिंग'''''

दीप को हल्की सी झपकी लगी तभी उसका मोबाइल बज उठा..

उसने नंबर चेक किया तो जीत का कॉल था..उसका नाम पढ़ते ही दीप के जेहन में उठ रही अधीरता और भी ज्यादा बढ़ गई..उसने फोन साइलेंट पर कर के वापस सोना चाहा लेकिन इसी तरह जब चौथी बार सेल रिंग हुआ तो इस्तेमाल करने के लिए कॉल पिक करना ही पड़ा

"साले इतना बिजी हो गया है कि अपने दोस्त का फोन उठाना भी गंवारा नहीं तुझे" जीत ने उसे डराया

"नहीं यार वो थोड़ी झपकी लग गई थी" दीप की आवाज वैसे भी बता रही थी कि वो नींद में है

"कितना सोएगा..तेरी तबीयत तो ठीक है..कल रात भी सोते मिला था और अभी भी" जीत ने इस बार नरमी से पूछा "हां यार थोड़ा सा दर्द है..बिस्तर से उठ नहीं रहा"

दीप ने जो सच था बता दिया जीत:- "डॉक्टर की दिखा ले" दीप:- "ज़रूर" "अच्छा सुन तन्वी को निकुंज पसंद है..बधाई हो..शायद इस खबर से तेरी तबीयत सही हो जाएगी" जीत ने दीप के मजे ले कर कहा..वो दो चीजों से अच्छी तरह वाकिफ था..अपने दोस्त से और प्रकृति का उपयोग करें

"तुझे भी यार..खेर मैंने अभी निकुंज से कोई बात नहीं की इस बारे में" दीप ने दुखी मन से अपनी बात कही.. जीत तुरंट समझ गया कि माजरा क्या है "कोई बात नहीं..मैं आज तन्वी को होटल रॉयल इन भेज दूंगा..तू निकुंज को फोन कर के बता दे इस बारे में..दोनो आपस में मिल लेंगे तो ठीक रहेगा"

जीत ने रिश्ता थोपने जैसी बात कहीं तो दीप के चेहरे पर नाराजगी के भाव आ गए "यार हम कोई जल्दीबाजी तो नहीं कर रहे..मेरा मतलब है जब दोनों बच्चे अपने जोड़े पर खड़े हो जाएं तब शादी पर विचार करें तो कैसा रहेगा?" दीप को बात टालने की वजह मिल गई..

निकुंज अभी भी संघर्ष ही कर रहा था "जैसी तेरी मर्जी लेकिन दोनों आज मिल लेंगे तो आगे का रास्ता साफ हो जाएगा..सच बात तो ये है कि मुझे इसी माहीने तन्वी की शादी करनी है" जीत ने जवाब दिया "चल मैं बात करता हूँ निकुंज से" जीत के ज़ोर देने पर दीप को उसकी बात मान नी ही पड़ी "ठीक है भाई 3 बजे होटल रॉयल इन"

इतना कह कर जीत ने कॉल कट कर दिया "अजीब चुटुई है ये तो..बहनचोद उस रांड को बनाऊंगा अपने घर की बहू..पूरा सत्यनाश हो जाएगा मेरे घर का लेकिन अब फंस गया हूं तो बात कैसे टालू" गहरे गुस्से से आग बबूला हो रहा था..

कहां कल तक वो खुद तन्वी के पीछे बुरी तरह पागल था और आज जब वो उसके इतने करीब आ चुकी है तब दीप को ऐसी बातें समझ आ रही थी "निकुंज का मन देखता हूँ" गहरी तेजी से उठा और नीचे हॉल की तरफ बढ़ गया..

निकुंज ऑफिस जाने के लिए बिल्कुल तैयार नजर आया "आप भी नास्ता कर लीजिये" कम्मो ने दीप के सोफ़े पर बैठे ही पूछा "नहीं अब तो सीधा लंच करूंगा.. निकुंज बेटा तुझे देर ना हो तो कुछ बात करनी है" दीप ने मेन गेट के पास रोक दिया..निकुंज के कदम जैसे उसकी बात से वहीं जाम हो गए और उसके दिमाग ने सीधे सुबह की बात पर स्ट्राइक कर दिया "क्या हो गया टाइम नहीं है क्या?" दीप ने दूसरी बार उसे आवाज दी और इस बार निकुंज मेन गेट से चलता हुआ उसके करीब आ गया..

बिना चेहरा ऊपर उठाए वो दीप के सामने खड़ा था..एक गलती जो कहीं से कहीं तक उसकी नहीं थी जाने क्यों अप्राधि बोध के टेल वो दबा जा रहा था..पास खड़ी कम्मो ने अपने बेटे की मनोदशा को ख़त्म किया उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे ढाढ़स बंधाया "बैठ जा बेटा खड़ा क्यों है"

कम्मो की बात सुन निकुंज ने एक पल को उसके चेहरे पर नज़र डाली और अगले ही पल चेहरा झुका कर सोफ़े पर बैठ गया "हां तो बेटा मैं जो कहना चाहता हूं वो शायद इस वक्त की मांग है" दीप ने उसका मन भापने के लिए शुरूवात कर दी "जी बोलिए पापा" निकुंज ने जवाब दिया पर उसकी आवाज में पहले जैसा दम नहीं था

"बेटा अब मैं और तेरी माँ बूढ़े हो चले हैं..तो मुझे लगता है इस घर को संभालने के लिए जवान हाथों की ज़रूरत पड़ेगी"

दीप ने ये बात कम्मो के चेहरे को देख कर कही और समझदार औरत को सारी बात एक पल में समझ आ गई..उसने अपनी पलकें जोड़ कर हां में इशारा किया कि वो भी ऐसा ही चाहती है "पिताजी मैं अपनी तरफ से पूरी खुशी करूंगा..लेकिन मुझे अपना बिजनेस खुद खड़ा करना है..

फिर भी आप बोलिए मैं क्या कर सकता हूं" दीप को लगा डैड फ़िर से वही पुराण टॉपिक ले कर बैठ गए हैं..जिसमे वो दिलचस्पी नहीं थी

"बेटा बात कुछ और है..मेरे दोस्त जीत के बारे में तो तुझे पता ही होगा" दीप एक शब्द को तोल - तोल कर बोल रहा था "जी जानता हूँ"

निकुंज को पुराने विषय से मुक्ति मिली और वो मन ही मन मुस्कुराने लगा "बेटा वो इसी शहर में है..कल उसका कॉल आया था..हमारी दोस्ती को रिश्ते में बदलने को कह रहा था"
 
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