Incest सपना या हकीकत

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koi kisi se kam nahi kya shila kya rageeni.... haraaman waqt aane par lesbo bhi ban gayi kutiya kahi ki.....
dusri taraf raj, wo itna bada hawasi hai ki ab usko paas aane par uski khud ki didi darne lagi hai.....
btw in kamini kamino ko gaaliyaa deke koi faidaa nahi ..... already ye log maan samman sharam ijjat sab kuch bech chuke hai... :popcorn1:
I think jo ladka pasand kiya gaya hai sonal ke liye ushi se shaadi karke sonal ko jald se jald us ghar vidayi le leni chaahiye.... coz zyada din ghar pe rahi to raj ya uske baap ke hawas ka shikaar ban jaayegi sonal definitely......

Khair mujhe kya :popcorn1: jo marzi kare ye log ya ch aahe bhad mein jaaye :D


Shaandaar update, shaandaar lekni aur shaandaar shabdon ka chayan...
bahot nirale aur uttejak tarike se update ko pesh kiya gaya hai..

.. let's see what happens next...
Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:
Aabhaar apka :thank-you:
 
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Nice update

very very good and nice updated waiting for next update


Badhiya update bua ka Kalyan ho gawa ab mausi ki kahani Sunni hai :d

Fabulous update dreamboy bhai..

Bahut pyara update hai bhai.
Behtareen shuruwaat kiya hai aap ne.

Behad hi shandar or jabardast update bhai.
Bahut khoob superb.

अजब है इश्क यारा पल दो पल की खुशियाँ
गरम होके खजाने मिलते हैं , मिलती है मिठाईया 🤭
बुआ के कभी आंसूं , कभी आहें , कभी सीसकी, कभी नालें
फिर भी राज के चेहरे पर रहम नज़र ना आये
मौका मिलते ही राज ने बुआ की हर तरफ से सुजा दी
अब बस मचल-मचल के उसकी इतनी आह निकलती रही . 🤭

itna utejak, update padhke bubhe ka bhi khada ho jae :D kamal hi kar diya bhai.
pehli bar baap se pehle raaj ne baji mar li. pehle sirf dekhke hilata rehta tha. par ragini ki pelem pelai abhi bhi pending hai.

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नमस्कार दोंस्तो ,

मेरा नाम ना जानिए मेरी कहानी मेरा असली चरित्र चित्रण करेगी।
ये मेरी पहली कहानी है और किसी अन्य फोरम पर रनिंग भी है , फिर भी भूल चूक माफ कीजिएगा ।
इस कहानी मैने मेरे व्यक्तिगत जीवन के कुछ fantesy को सजीव रूप दिया है और आपका प्यार और साथ रहा तो ये एक लम्बी कहानी होगी ।

इसमे मुख्य रूप से पारिवारिक किरदार है तो जिन बंधु को Incest स्टोरी मे रुचि नहीं है वो ना पढे ।


आशा करता हूँ कि आपका प्यार और समर्थन जरुर मिलेगा ।
शाम तक एक जोरदार अपडेट के लिए तैयार रहे और पेज को बुकमार्क कर ले क्योकि मुझे पुरा विश्वास है आपको मेरी रचना निराश नही करेगी ।


धन्यवाद
ख़ुद का चरित्र चित्रण वाहा भाई वाह
 
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UPDATE 001


ये कहानी उत्तरी भारत के एक नये बने कस्बे की है जिसका नाम चमनपुरा है । यहा मुख्य रूप से बाज़ार पुराने है और कुछ बैंक , स्कूल कालेज है बाकी किसी सरकारी कार्य और अन्य जरुरी शिक्षाओ , मेडिकल सेवाओ के लिए शहर जाना पड़ता है ।धीरे धीरे अब कुछ सुविधाएँ उपलब्ध होने लगी है और बाज़ार भी होने लगा है


मेरा नाम राज है और मेरे पिता जी रंगीलाल एक बर्तनों के व्यापारी है । ये कोई पुस्तैनी व्यापार नही है ये मेरे पिता जी द्वारा ही मेरे जन्म से कुछ साल पहले ही सुरु हुआ था और अच्छा खासा दर्जा है आज बाज़ार मे उनका ।

आईये अब थोड़ा अपने परिवार का परिचय करा देता हू ।

मै - राज , उम्र अभी 21 साल है , बॉडी से नॉर्मल हू अच्छी हाईट है और 7" लंड है और घर पर एक कास्मेटिक की दुकान अपनी मा के साथ चलता हू । ( इस दुकान का विस्तार आगे मिलेगा )

पिता - रंगीलाल , उम्र 49 साल , स्वभाव से गंभीर है लेकिन बहुत मजाकिया भी है और मैने इनका लंड ध्यान देखा नही तो क्या उसका वर्णन " हा हा हा हा " खैर आगे जरुर पता चलेगा
मेरे पिता 2 भाई और 2 बहन है उनका परिचय समय आने पर दिया जायेगा ताकि आपको किरदारो को याद रखने मे ना समस्या हो ।

मा - रागिनी देवी , उम्र 45 साल , बहुत ही आकर्षक और कामुक महिला और स्वभाव से थोडी चंचल भी है और मै भी मुख्य रूप से अपने मा के स्वभाव से जुडा हू , उनका शरीर हल्का शाव्ला है और भरा हुआ है साइज़ में देखे तो 38 35 42 , थोडी सी मोटी है लेकिन इस उम्र में भी इनका ये रूप जवान लड़कियो के हुस्न को भी मात दे दे

मेरी बड़ी बहन - सोनल , उम्र 23 , अभी सादी हो चुकी है और एक बच्चा भी है । मुहल्ले में ही लव मैरिज हुआ है इसका भी विस्तार आगे मिलेगा कि क्यो मेरी दीदी ने बगल के मोहल्ले में ही सादी की
ये भी मा की तरह गदरयी बदन वाली है लेकिन हाईट पिता जी की तरह कम है ।
इसका साइज़ इस समय 36 34 38 है ।


मेरा छोटा भाई जो इस समय 18 का हो चूका है उसका नाम अनुज है और उसका कोई खास किरदार अभी कुछ अपडेट तक नही है ।


दोस्तों ये था परिचय
और एक बात बता दू इस कहानी मे कोई मैजिक या अप्राकृतिक घटना या विज्ञान विरोधी चीजे नही होने वाली है
मेरा मानना है की कहानी को दैनिक जीवन में नेचूरल तरीके से चलाना ही अच्छा है ।
क्योकि मैने एक जगह पढा था साधरणता से लम्बा सफ़र तय कर सकते है ।


तो चलिये इस कहानी को शुरू करते है
दोस्तो आज मेरी उम्र 21 साल है लेकिन इस कहानी को समझने के लिए आपको मेरे पास्ट को जानना होगा । जब मैने पहली बार सेक्स को बड़े करीब से मह्सूस किया था ।

बात उस समय की है जब मै सातवी कक्षा में था । उस समय मेरा चमनपुरा ग्राम सभा हुआ करता था लेकिन पुराना बाज़ार होने से आस पास गाव के लोगो की रौनाक लगी रह्ती थी । और मेरे पिता जी का दुकान घर पर ही था तब और हमारे मुहल्ले मे कच्ची सड़क ही थी और कुछ किराने की और कुछ कपड़े की और एक दर्जी की दुकान थी ।

उस समय मै गाव के ही स्कूल मे पढने जाता था और दोपहर मे लंच के घर आ जाता था फिर वापस स्कूल ।
मेरे साथ मेरी बड़ी बहन भी उसी स्कूल मे जाती थी और मेरे कक्षा मे ही पढ़ती थी लेकिन वो लंच के लिए घर नही आती थी आपने सहलियो के साथ ही खा लिया करती थी । मेरा भी एक मित्र था अमन ( इसकी चर्चा आगे मिलेगी ) और स्कूल से छुट्टी होने पर घर और फिर घुमने निकल जाता था मुहल्ले मे अपने दोस्तो के साथ जिसमे मेरा एक मनपसंद साथी था चंदू वो मेरा दूर के रिस्ते से भंजा लगता था और उसकी मा , मेरी दीदी लगती थी । मै अक्सर उसके घर जाया करता था ।

उसके पिता रामवीर थे उसकी मा रजनी एक कामुक महिला थी जिसकी चुचिया इतनी बड़ी थी लगता था कितना दूध भरा हो इनमे । रजनी का उम्र मेरे मा जितनी थी (जैसा कि मैने बताया ये दूर की रिस्ते मे दीदी लगती है ) उसका साइज़ 40 34 36 का था जो भी देखता तो चेहरे से पहले नजर चुचो पर ही जाती थी ।

चंदू की एक बड़ी बहन भी थी चम्पा, जो उससे 1 साल बड़ी थी वो थोडी नॉर्मल सी थी लेकिन उसकी गांड बाहर की ओर निकले थे और सुट सलवार या घाघरा मे उसकी गाड़ और बाहर आ जाती थी । मेरा चंपा से कुछ खास लगाव नही था मै अक्सर उससे शर्मा कर ही बात किया करता था ।
एक दिन मेरे स्कूल से जल्दी छुट्टी हो गयी
और आदत अनुसार घर आते ही मै चंदू से मिलने उसके घर गया मुझे लगा कि मेरी तरह उसके स्कूल की भी छुट्टी हो गयी है पर मै गलत था
मै उसके घर गया तो बरामदे मे कोई नहीं था मै चंदू करके पुकारता उससे पहले ही मुझे किसी के झगड़ा करने की आवाज सुनाई देने लगती है और मै धीरे धीरे गलियारे से कमरे की तरफ जाता हू
अन्दर देखने से पहले ही झगड़ा शांत हो जाता है और मुझे चंदू के मा की आवाज आती है


आगे के अपडेट मे हम जानेगे की कमरे मे अखिर ऐसा क्या हो रहा था जिससे मेरे समाज को देखने का नजरिया बदल गया ।

कहानी का पहला अपडेट दे दिया गया है आपके प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा रहेगी ।
धन्यवाद
कहानी का पहला भाग सिर्फ परिचय में निकल गया थोड बहुत हीरो के जीवन के बारे में बताया गया। जो कि संभोग जैसी मजेदार कम से अपरिचित हैं। बाकी के पात्र खासकर की महिलाए बहुत ज्यादा भरी हुई और भारी भरकम है। मैं सोच रह हुं दुबला पतला हीरो अपना इन भरी भरकम महिलाओं के साथ स्टेंड अप पोजीशन कैसे ट्राई करेगा।

खैर अभी तो शुरुवात है आगे देखते है क्या होता हैं
 
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ये कहानी उत्तरी भारत के एक नये बने कस्बे की है जिसका नाम चमनपुरा है । यहा मुख्य रूप से बाज़ार पुराने है और कुछ बैंक , स्कूल कालेज है बाकी किसी सरकारी कार्य और अन्य जरुरी शिक्षाओ , मेडिकल सेवाओ के लिए शहर जाना पड़ता है ।धीरे धीरे अब कुछ सुविधाएँ उपलब्ध होने लगी है और बाज़ार भी होने लगा है


मेरा नाम राज है और मेरे पिता जी रंगीलाल एक बर्तनों के व्यापारी है । ये कोई पुस्तैनी व्यापार नही है ये मेरे पिता जी द्वारा ही मेरे जन्म से कुछ साल पहले ही सुरु हुआ था और अच्छा खासा दर्जा है आज बाज़ार मे उनका ।

आईये अब थोड़ा अपने परिवार का परिचय करा देता हू ।

मै - राज , उम्र अभी 21 साल है , बॉडी से नॉर्मल हू अच्छी हाईट है और 7" लंड है और घर पर एक कास्मेटिक की दुकान अपनी मा के साथ चलता हू । ( इस दुकान का विस्तार आगे मिलेगा )

पिता - रंगीलाल , उम्र 49 साल , स्वभाव से गंभीर है लेकिन बहुत मजाकिया भी है और मैने इनका लंड ध्यान देखा नही तो क्या उसका वर्णन " हा हा हा हा " खैर आगे जरुर पता चलेगा
मेरे पिता 2 भाई और 2 बहन है उनका परिचय समय आने पर दिया जायेगा ताकि आपको किरदारो को याद रखने मे ना समस्या हो ।

मा - रागिनी देवी , उम्र 45 साल , बहुत ही आकर्षक और कामुक महिला और स्वभाव से थोडी चंचल भी है और मै भी मुख्य रूप से अपने मा के स्वभाव से जुडा हू , उनका शरीर हल्का शाव्ला है और भरा हुआ है साइज़ में देखे तो 38 35 42 , थोडी सी मोटी है लेकिन इस उम्र में भी इनका ये रूप जवान लड़कियो के हुस्न को भी मात दे दे

मेरी बड़ी बहन - सोनल , उम्र 23 , अभी सादी हो चुकी है और एक बच्चा भी है । मुहल्ले में ही लव मैरिज हुआ है इसका भी विस्तार आगे मिलेगा कि क्यो मेरी दीदी ने बगल के मोहल्ले में ही सादी की
ये भी मा की तरह गदरयी बदन वाली है लेकिन हाईट पिता जी की तरह कम है ।
इसका साइज़ इस समय 36 34 38 है ।


मेरा छोटा भाई जो इस समय 18 का हो चूका है उसका नाम अनुज है और उसका कोई खास किरदार अभी कुछ अपडेट तक नही है ।


दोस्तों ये था परिचय
और एक बात बता दू इस कहानी मे कोई मैजिक या अप्राकृतिक घटना या विज्ञान विरोधी चीजे नही होने वाली है
मेरा मानना है की कहानी को दैनिक जीवन में नेचूरल तरीके से चलाना ही अच्छा है ।
क्योकि मैने एक जगह पढा था साधरणता से लम्बा सफ़र तय कर सकते है ।


तो चलिये इस कहानी को शुरू करते है
दोस्तो आज मेरी उम्र 21 साल है लेकिन इस कहानी को समझने के लिए आपको मेरे पास्ट को जानना होगा । जब मैने पहली बार सेक्स को बड़े करीब से मह्सूस किया था ।

बात उस समय की है जब मै सातवी कक्षा में था । उस समय मेरा चमनपुरा ग्राम सभा हुआ करता था लेकिन पुराना बाज़ार होने से आस पास गाव के लोगो की रौनाक लगी रह्ती थी । और मेरे पिता जी का दुकान घर पर ही था तब और हमारे मुहल्ले मे कच्ची सड़क ही थी और कुछ किराने की और कुछ कपड़े की और एक दर्जी की दुकान थी ।

उस समय मै गाव के ही स्कूल मे पढने जाता था और दोपहर मे लंच के घर आ जाता था फिर वापस स्कूल ।
मेरे साथ मेरी बड़ी बहन भी उसी स्कूल मे जाती थी और मेरे कक्षा मे ही पढ़ती थी लेकिन वो लंच के लिए घर नही आती थी आपने सहलियो के साथ ही खा लिया करती थी । मेरा भी एक मित्र था अमन ( इसकी चर्चा आगे मिलेगी ) और स्कूल से छुट्टी होने पर घर और फिर घुमने निकल जाता था मुहल्ले मे अपने दोस्तो के साथ जिसमे मेरा एक मनपसंद साथी था चंदू वो मेरा दूर के रिस्ते से भंजा लगता था और उसकी मा , मेरी दीदी लगती थी । मै अक्सर उसके घर जाया करता था ।

उसके पिता रामवीर थे उसकी मा रजनी एक कामुक महिला थी जिसकी चुचिया इतनी बड़ी थी लगता था कितना दूध भरा हो इनमे । रजनी का उम्र मेरे मा जितनी थी (जैसा कि मैने बताया ये दूर की रिस्ते मे दीदी लगती है ) उसका साइज़ 40 34 36 का था जो भी देखता तो चेहरे से पहले नजर चुचो पर ही जाती थी ।

चंदू की एक बड़ी बहन भी थी चम्पा, जो उससे 1 साल बड़ी थी वो थोडी नॉर्मल सी थी लेकिन उसकी गांड बाहर की ओर निकले थे और सुट सलवार या घाघरा मे उसकी गाड़ और बाहर आ जाती थी । मेरा चंपा से कुछ खास लगाव नही था मै अक्सर उससे शर्मा कर ही बात किया करता था ।
एक दिन मेरे स्कूल से जल्दी छुट्टी हो गयी
और आदत अनुसार घर आते ही मै चंदू से मिलने उसके घर गया मुझे लगा कि मेरी तरह उसके स्कूल की भी छुट्टी हो गयी है पर मै गलत था
मै उसके घर गया तो बरामदे मे कोई नहीं था मै चंदू करके पुकारता उससे पहले ही मुझे किसी के झगड़ा करने की आवाज सुनाई देने लगती है और मै धीरे धीरे गलियारे से कमरे की तरफ जाता हू
अन्दर देखने से पहले ही झगड़ा शांत हो जाता है और मुझे चंदू के मा की आवाज आती है


आगे के अपडेट मे हम जानेगे की कमरे मे अखिर ऐसा क्या हो रहा था जिससे मेरे समाज को देखने का नजरिया बदल गया ।

कहानी का पहला अपडेट दे दिया गया है आपके प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा रहेगी ।
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पहला भाग में दिया गया पत्र परिचय शानदार रहा कहीं भरी भरी माल से भरा हुआ था देखते है आगे राज कौन कौन से कारनामे करता हैं।
 
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ये कहानी उत्तरी भारत के एक नये बने कस्बे की है जिसका नाम चमनपुरा है । यहा मुख्य रूप से बाज़ार पुराने है और कुछ बैंक , स्कूल कालेज है बाकी किसी सरकारी कार्य और अन्य जरुरी शिक्षाओ , मेडिकल सेवाओ के लिए शहर जाना पड़ता है ।धीरे धीरे अब कुछ सुविधाएँ उपलब्ध होने लगी है और बाज़ार भी होने लगा है


मेरा नाम राज है और मेरे पिता जी रंगीलाल एक बर्तनों के व्यापारी है । ये कोई पुस्तैनी व्यापार नही है ये मेरे पिता जी द्वारा ही मेरे जन्म से कुछ साल पहले ही सुरु हुआ था और अच्छा खासा दर्जा है आज बाज़ार मे उनका ।

आईये अब थोड़ा अपने परिवार का परिचय करा देता हू ।

मै - राज , उम्र अभी 21 साल है , बॉडी से नॉर्मल हू अच्छी हाईट है और 7" लंड है और घर पर एक कास्मेटिक की दुकान अपनी मा के साथ चलता हू । ( इस दुकान का विस्तार आगे मिलेगा )

पिता - रंगीलाल , उम्र 49 साल , स्वभाव से गंभीर है लेकिन बहुत मजाकिया भी है और मैने इनका लंड ध्यान देखा नही तो क्या उसका वर्णन " हा हा हा हा " खैर आगे जरुर पता चलेगा
मेरे पिता 2 भाई और 2 बहन है उनका परिचय समय आने पर दिया जायेगा ताकि आपको किरदारो को याद रखने मे ना समस्या हो ।

मा - रागिनी देवी , उम्र 45 साल , बहुत ही आकर्षक और कामुक महिला और स्वभाव से थोडी चंचल भी है और मै भी मुख्य रूप से अपने मा के स्वभाव से जुडा हू , उनका शरीर हल्का शाव्ला है और भरा हुआ है साइज़ में देखे तो 38 35 42 , थोडी सी मोटी है लेकिन इस उम्र में भी इनका ये रूप जवान लड़कियो के हुस्न को भी मात दे दे

मेरी बड़ी बहन - सोनल , उम्र 23 , अभी सादी हो चुकी है और एक बच्चा भी है । मुहल्ले में ही लव मैरिज हुआ है इसका भी विस्तार आगे मिलेगा कि क्यो मेरी दीदी ने बगल के मोहल्ले में ही सादी की
ये भी मा की तरह गदरयी बदन वाली है लेकिन हाईट पिता जी की तरह कम है ।
इसका साइज़ इस समय 36 34 38 है ।


मेरा छोटा भाई जो इस समय 18 का हो चूका है उसका नाम अनुज है और उसका कोई खास किरदार अभी कुछ अपडेट तक नही है ।


दोस्तों ये था परिचय
और एक बात बता दू इस कहानी मे कोई मैजिक या अप्राकृतिक घटना या विज्ञान विरोधी चीजे नही होने वाली है
मेरा मानना है की कहानी को दैनिक जीवन में नेचूरल तरीके से चलाना ही अच्छा है ।
क्योकि मैने एक जगह पढा था साधरणता से लम्बा सफ़र तय कर सकते है ।


तो चलिये इस कहानी को शुरू करते है
दोस्तो आज मेरी उम्र 21 साल है लेकिन इस कहानी को समझने के लिए आपको मेरे पास्ट को जानना होगा । जब मैने पहली बार सेक्स को बड़े करीब से मह्सूस किया था ।

बात उस समय की है जब मै सातवी कक्षा में था । उस समय मेरा चमनपुरा ग्राम सभा हुआ करता था लेकिन पुराना बाज़ार होने से आस पास गाव के लोगो की रौनाक लगी रह्ती थी । और मेरे पिता जी का दुकान घर पर ही था तब और हमारे मुहल्ले मे कच्ची सड़क ही थी और कुछ किराने की और कुछ कपड़े की और एक दर्जी की दुकान थी ।

उस समय मै गाव के ही स्कूल मे पढने जाता था और दोपहर मे लंच के घर आ जाता था फिर वापस स्कूल ।
मेरे साथ मेरी बड़ी बहन भी उसी स्कूल मे जाती थी और मेरे कक्षा मे ही पढ़ती थी लेकिन वो लंच के लिए घर नही आती थी आपने सहलियो के साथ ही खा लिया करती थी । मेरा भी एक मित्र था अमन ( इसकी चर्चा आगे मिलेगी ) और स्कूल से छुट्टी होने पर घर और फिर घुमने निकल जाता था मुहल्ले मे अपने दोस्तो के साथ जिसमे मेरा एक मनपसंद साथी था चंदू वो मेरा दूर के रिस्ते से भंजा लगता था और उसकी मा , मेरी दीदी लगती थी । मै अक्सर उसके घर जाया करता था ।

उसके पिता रामवीर थे उसकी मा रजनी एक कामुक महिला थी जिसकी चुचिया इतनी बड़ी थी लगता था कितना दूध भरा हो इनमे । रजनी का उम्र मेरे मा जितनी थी (जैसा कि मैने बताया ये दूर की रिस्ते मे दीदी लगती है ) उसका साइज़ 40 34 36 का था जो भी देखता तो चेहरे से पहले नजर चुचो पर ही जाती थी ।

चंदू की एक बड़ी बहन भी थी चम्पा, जो उससे 1 साल बड़ी थी वो थोडी नॉर्मल सी थी लेकिन उसकी गांड बाहर की ओर निकले थे और सुट सलवार या घाघरा मे उसकी गाड़ और बाहर आ जाती थी । मेरा चंपा से कुछ खास लगाव नही था मै अक्सर उससे शर्मा कर ही बात किया करता था ।
एक दिन मेरे स्कूल से जल्दी छुट्टी हो गयी
और आदत अनुसार घर आते ही मै चंदू से मिलने उसके घर गया मुझे लगा कि मेरी तरह उसके स्कूल की भी छुट्टी हो गयी है पर मै गलत था
मै उसके घर गया तो बरामदे मे कोई नहीं था मै चंदू करके पुकारता उससे पहले ही मुझे किसी के झगड़ा करने की आवाज सुनाई देने लगती है और मै धीरे धीरे गलियारे से कमरे की तरफ जाता हू
अन्दर देखने से पहले ही झगड़ा शांत हो जाता है और मुझे चंदू के मा की आवाज आती है


आगे के अपडेट मे हम जानेगे की कमरे मे अखिर ऐसा क्या हो रहा था जिससे मेरे समाज को देखने का नजरिया बदल गया ।

कहानी का पहला अपडेट दे दिया गया है आपके प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा रहेगी ।
धन्यवाद
पहला भाग उम्मीद से छोटा पर लाजवाब रहा पात्र सभी एक से बडकर एक हैं। महिलाओं का बॉडी मेजरमेंट से जान पड़ता है सभी महिलाएं बहुत गुल खिलाने वाले हैं।
 
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अबतक :

मै उसके घर गया तो बरामदे मे कोई नहीं था मै चंदू करके पुकारता उससे पहले ही मुझे किसी के झगड़ा करने की आवाज सुनाई देने लगती है और मै धीरे धीरे गलियारे से कमरे की तरफ जाता हू ।अन्दर देखने से पहले ही झगड़ा शांत हो जाता है और मुझे चंदू के मा की आवाज आती है ....


अब आगे :

कमरे मे से पहले चंदू की मा रजनी की आवाज आती है

रजनी - आखिर हर बार तुम इतना नाटक क्यू करते हो मेरी चुत चाटने मे

तभी मुझे एक और आवाज सुनाई देती है जो चंदू के पिता रामवीर की थी

रामवीर - देख रजनी मुझे ऐसा सेक्स पसंद नही है मुझे इसमे घिन आती है

रजनी - अच्छा और रोज सुबह शाम चोदते टाईम उसी चुत मे लंड डालते हो तब नही आती

थोड़ा सिस्कते हुए रजनी फिर बोली ..... देखो चंदू के पापा मै कुछ नही जानती मुझे आज अपनी चुत चुस्वानी है आपसे , अगर नही हो तैयार तो मै मायके चली जाउंगी और फिर देखते रहना मुझे चोदने के सपने ।


ये सब बाते सुन के मेरे कान खड़े हो गये , हालाकि मैने पहले भी चुदाई की साधरण बाते सुनी थी लेकिन किसी औरत के लिए उसका चुत चटवाने का इतना पागलपन मैने नही सुना ,

मै ज्यादा देर तक वहा रुक नही सकता था और मेरा शरीर भी साथ नही दे रहा था , मेरी सांसे तेज़ होने लगी थी
वहा रूकने की इच्छा भी थी की रामवीर कैसे अपनी पत्नी की चुत को चाटेगा , लेकिन मन मे एक अन्जाना सा डर आ गया और मै वहा से निकल गया बागो की तरफ


काफी समय मै अकेले बाग मे घूमते हुए उस घटना को याद कर रहा था साथ ही ये भी सोच रहा था कि कैसा होता होगा वो अनुभव जब मेरी जुबान किसी की चुत को छुएगी ।

फिर मुझे भी थोडी घृणा हुए लेकिन मेरे चडडी मे मेरा नुन्नु खड़ा हो रहा था और बार बार मुझे कल्पना मे रामवीर का सर रजनी दिदी के साडी मे घुसा हुआ दिखने लगा ।


काफी समय इसी उधेड़बुन मे शाम हो गयी और घर गया तो मेरी बड़ी बहन ने मुझे बताया कि आज मा बहुत गुस्सा है और हो भी क्यो ना मै पीछले 4 घन्टे से गायब था ।

फिर मा आई और थोड़ा बहुत डाँटा फिर चाय पीने को दिया
मेरी एक आदत थी भले ही मै कितना बड़ा हो गया था मै अपनी मा से लिपट जाया करता था वो भी खुश हो जाया करती थी

और फिर चाय पीकर मै मा की गोद मे उन्के पेट से लिपट कर लेट गया ।
थोडी देर बीता था समय की अनुज रोने लगा तो मा ने मुझे उठा कर उसे गोद मे लेकर सुलाने लगी

फिर मै भी अनुज के साथ खेलने लगा ।
लेकिन मेरे मन से वो घटना नही जा रही थी और मै सोचने लगा क्या मेरी मा भी पापा से अपनी चुत चटवाती होगी ।

फिर मैने सोचा की क्यो ना थोडी जासूसी की जाय घर पर

जैसा कि मैने बताया मुझे थोड़ा बहुत चुदाई का ज्ञान था जो मैने स्कूल मे बड़े बच्चो और मुहल्ले घुमक्कड़ आवारा लड़को को आपस मे बात करते हुए सुन कर जान गया था ।

मै रात का इंतजार किया फिर सब खाना खा कर सोने चले गये
अब मै आपको अपने घर के बारे मे बता दू

मेरा 2 मंजिला मकान है ज्यादा बड़ा नही है लेकिन छोटे परिवार के लिए गाव मे ठीक है ।
मेरे घर मे ही बर्तन का दुकान है और दुकान के बगल से छत पर सीढी जाती है जहा एक किचन और एक बेडरूम और एक छोटा स्टोर रुम है और नहाने के लिए बाथरूम और टॉयलेट रुम सबसे ऊपर की मंजिल पर है ।

अनुज और मेरी बहन एक साथ बेडरूम सोते थे और मैं स्टोररुम मे एक तख्ते पर सोता था
और मम्मी पापा नीचे दुकान मे सोते थे ।

अब आते है कहनी पर

गाव के लोग अकसर जल्दी सो जाते है
मेरे यहा दुकान की वजह से 9 बजे तक सब सोने के लिए जाता था ।
और दिन भर की थकान के वजह से मुझे भी नीद आ रही थी लेकिन मन मे एक जिज्ञासा थी कि आज अपने मा और पिता की चुदाई देखनी है
करीब 10 बजे एक बार पिता जी पानी लेने ऊपर आये जो कि वो रोज आते है और मुझे उस दिन पता चला कि वो ये देखने आते थे कि हम लोग सोये है या नही
उन्होने मेरे तरफ भी टॉर्च मारी मैं सोने का नाटक किया फिर वो चले गए
और फिर मै धीरे से उठा और नंगे पाव सीढ़ी से नीचे जाने लगा
और मुझे थोडी थोडी खुसफुसाहट मे बात चित की आवाज आ रही थी
फिर मै आखिरी सीढ़ी से पहले ही रुक गया और ध्यान से सुनने लगा

मुझे मेरी मा की चूडियों की खनखन सुनाई दे रही थी साथ मे पिता जी की सिसकी भी
तभी
पापा - ओह्ह्ह्ह रागिनी मेरी रान्ड कहा से सीख आई हो ये लंड चूसना आह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही मेरी जान और गिला करो जीभ से उफ्फ़ हा ऊह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह हा राआआअग्ग्ग्ग्गीईई ओह्ह्ह

मा - सच बताऊ कहा से सिखा , लंड को मुह से निकल्ने की आवाज स्स्स्स्स्ररर्र्र्र्र्र्र्रृउप्प्प्प्प के साथ बोली
और उसकी चूडियो की खनखन से साफ पता चल रहा था कि अभी भी वो लंड हिला रही थी ।
पापा - आआह्ह्ह्ह मेरी रान्ड बता ना कहा से सीखी

मा - अपने दीदी से हिहिह्हिहिही
मा ने खिलखिलाते हुए जवाब दिया और फिर गुगुगुगू के साथ चूडियों की खनखन की आवाजे आने लगी

पापा - सच मे रज्जो दीदी ने तुमको सिखाया है क्या ,,,, ओह्ह्ह आह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह्ह्ह
मा - हम्म्म्म्म्ं और फिर गुगुगुगगू के साथ चूडियो की खनखन

पापा - ओह्ह्ह जान फिर तो तुम्हारी दीदी भी अच्छा लंड चुस्ती होगी आह्ह्ह अह्ह्ह और अंडर लो मेरी रागु आह्ह्ह्ज
मा स्स्सरररउप्प्प करते हुए बोली - क्या बात जी मेरी दीदी की बात करते ही आपका लंड और कड़ा हो रहा है ,,,, हिहिहिहिही
पापा - क्या बताऊं जान रज्जो दीदी की बात छेड़ कर तूने आज उनकी चूचियो की याद दी

मा - ओहो क्या बात है , अपने कब देखी मेरी दीदी की चुचिया

पापा - अरे वो हमारी शादी में बिदायि वाले दिन जब सुबह सुबह मुझे दही भात खिलाया जा रहा था तभी,,,ओह्ह्ह्ह हम्म्म्म्म्ं बस ऐसी ही चुसो जान
पापा - मै नीचे बैठा था और तुम्हारी रज्जो दीदी हरी चमकीली सारी मे खडी थी थाली मे दही भात लिये फिर वो मेरे तरफ झुकी और मैने नजर ऊपर की तो देखा तेरी दीदी की बड़ी गोल गोल चुचिया आधी से ज्यादा बाहर की तरफ आ रही है और वो मुझे अपने हाथो से दही भात खिलाने लगी , मै भी उनकी चुचियो पर नजर डालें हुए दही भात खाने ल्गा जिससे कभी कभी मेरे चेहरे पर भी दही लगने लगा फिर जब उन्होने मुझे बोला कि कहा ध्यान है आपका जमाई जी हिहिही
तब मेरी तंद्रा टूटी फिर मै मुस्कुराने ल्गा
मा - आहहाहा , शादी मुझसे और नज़र मेरी दीदी पर
मा पापा को छेद्ते हुए बोली
पापा - अरे जान वो तो बस नज़र गयी थी दिल तो तुम्हारे पास ही था

मा - अब रहने दो मक्खन ना लगाओ , मेरे हाथ थक गये है अब तुम करो
पापा - आजा मेरी रसीली जान तेरी चूचि चुस के तेरा दर्द कम कर दू
मा - उससे काम नही चलेगा मुझे जल्दी से ये लण्ड मेरी गरम चुत मे चाहिये

मेरे पापा और मम्मी के बिच हुए ऐसे बातचित से मै बहुत शौक हो गया मेरे मन में बहुत सारे विचार आने लगे और मै उनकी बाते सुनने लगा

अब आगे क्या होने वाला और कौन कौन सी बाते राज को पता चलने वाली है अगले अपडेट मे दिया जायेगा

आज का अपडेट कैसा लगा कमेंट मे अपनी जवाब जरुर दे ।
धन्यवाद
तो राज के कारनामे शुरू दोस्त के घर गया तो वहां रजनी को झगड़ा करते हुऐ सुना झगड़ा भी एक मामूली बात पर था । सभी मर्दों को चूत चाटना पसंद थोड ना होता हैं। ये बात रजनी को समझनी चाहिए। उसके बेफजूल के झगड़े ने विचरे राज के दिमाग में खलबली मचा दिया। उसे शांति तब मिलेगा जब वो किसी की चूत न चाट ले।
 
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UPDATE 002

अबतक :

मै उसके घर गया तो बरामदे मे कोई नहीं था मै चंदू करके पुकारता उससे पहले ही मुझे किसी के झगड़ा करने की आवाज सुनाई देने लगती है और मै धीरे धीरे गलियारे से कमरे की तरफ जाता हू ।अन्दर देखने से पहले ही झगड़ा शांत हो जाता है और मुझे चंदू के मा की आवाज आती है ....


अब आगे :

कमरे मे से पहले चंदू की मा रजनी की आवाज आती है

रजनी - आखिर हर बार तुम इतना नाटक क्यू करते हो मेरी चुत चाटने मे

तभी मुझे एक और आवाज सुनाई देती है जो चंदू के पिता रामवीर की थी

रामवीर - देख रजनी मुझे ऐसा सेक्स पसंद नही है मुझे इसमे घिन आती है

रजनी - अच्छा और रोज सुबह शाम चोदते टाईम उसी चुत मे लंड डालते हो तब नही आती

थोड़ा सिस्कते हुए रजनी फिर बोली ..... देखो चंदू के पापा मै कुछ नही जानती मुझे आज अपनी चुत चुस्वानी है आपसे , अगर नही हो तैयार तो मै मायके चली जाउंगी और फिर देखते रहना मुझे चोदने के सपने ।


ये सब बाते सुन के मेरे कान खड़े हो गये , हालाकि मैने पहले भी चुदाई की साधरण बाते सुनी थी लेकिन किसी औरत के लिए उसका चुत चटवाने का इतना पागलपन मैने नही सुना ,

मै ज्यादा देर तक वहा रुक नही सकता था और मेरा शरीर भी साथ नही दे रहा था , मेरी सांसे तेज़ होने लगी थी
वहा रूकने की इच्छा भी थी की रामवीर कैसे अपनी पत्नी की चुत को चाटेगा , लेकिन मन मे एक अन्जाना सा डर आ गया और मै वहा से निकल गया बागो की तरफ


काफी समय मै अकेले बाग मे घूमते हुए उस घटना को याद कर रहा था साथ ही ये भी सोच रहा था कि कैसा होता होगा वो अनुभव जब मेरी जुबान किसी की चुत को छुएगी ।

फिर मुझे भी थोडी घृणा हुए लेकिन मेरे चडडी मे मेरा नुन्नु खड़ा हो रहा था और बार बार मुझे कल्पना मे रामवीर का सर रजनी दिदी के साडी मे घुसा हुआ दिखने लगा ।


काफी समय इसी उधेड़बुन मे शाम हो गयी और घर गया तो मेरी बड़ी बहन ने मुझे बताया कि आज मा बहुत गुस्सा है और हो भी क्यो ना मै पीछले 4 घन्टे से गायब था ।

फिर मा आई और थोड़ा बहुत डाँटा फिर चाय पीने को दिया
मेरी एक आदत थी भले ही मै कितना बड़ा हो गया था मै अपनी मा से लिपट जाया करता था वो भी खुश हो जाया करती थी

और फिर चाय पीकर मै मा की गोद मे उन्के पेट से लिपट कर लेट गया ।
थोडी देर बीता था समय की अनुज रोने लगा तो मा ने मुझे उठा कर उसे गोद मे लेकर सुलाने लगी

फिर मै भी अनुज के साथ खेलने लगा ।
लेकिन मेरे मन से वो घटना नही जा रही थी और मै सोचने लगा क्या मेरी मा भी पापा से अपनी चुत चटवाती होगी ।

फिर मैने सोचा की क्यो ना थोडी जासूसी की जाय घर पर

जैसा कि मैने बताया मुझे थोड़ा बहुत चुदाई का ज्ञान था जो मैने स्कूल मे बड़े बच्चो और मुहल्ले घुमक्कड़ आवारा लड़को को आपस मे बात करते हुए सुन कर जान गया था ।

मै रात का इंतजार किया फिर सब खाना खा कर सोने चले गये
अब मै आपको अपने घर के बारे मे बता दू

मेरा 2 मंजिला मकान है ज्यादा बड़ा नही है लेकिन छोटे परिवार के लिए गाव मे ठीक है ।
मेरे घर मे ही बर्तन का दुकान है और दुकान के बगल से छत पर सीढी जाती है जहा एक किचन और एक बेडरूम और एक छोटा स्टोर रुम है और नहाने के लिए बाथरूम और टॉयलेट रुम सबसे ऊपर की मंजिल पर है ।

अनुज और मेरी बहन एक साथ बेडरूम सोते थे और मैं स्टोररुम मे एक तख्ते पर सोता था
और मम्मी पापा नीचे दुकान मे सोते थे ।

अब आते है कहनी पर

गाव के लोग अकसर जल्दी सो जाते है
मेरे यहा दुकान की वजह से 9 बजे तक सब सोने के लिए जाता था ।
और दिन भर की थकान के वजह से मुझे भी नीद आ रही थी लेकिन मन मे एक जिज्ञासा थी कि आज अपने मा और पिता की चुदाई देखनी है
करीब 10 बजे एक बार पिता जी पानी लेने ऊपर आये जो कि वो रोज आते है और मुझे उस दिन पता चला कि वो ये देखने आते थे कि हम लोग सोये है या नही
उन्होने मेरे तरफ भी टॉर्च मारी मैं सोने का नाटक किया फिर वो चले गए
और फिर मै धीरे से उठा और नंगे पाव सीढ़ी से नीचे जाने लगा
और मुझे थोडी थोडी खुसफुसाहट मे बात चित की आवाज आ रही थी
फिर मै आखिरी सीढ़ी से पहले ही रुक गया और ध्यान से सुनने लगा

मुझे मेरी मा की चूडियों की खनखन सुनाई दे रही थी साथ मे पिता जी की सिसकी भी
तभी
पापा - ओह्ह्ह्ह रागिनी मेरी रान्ड कहा से सीख आई हो ये लंड चूसना आह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही मेरी जान और गिला करो जीभ से उफ्फ़ हा ऊह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह हा राआआअग्ग्ग्ग्गीईई ओह्ह्ह

मा - सच बताऊ कहा से सिखा , लंड को मुह से निकल्ने की आवाज स्स्स्स्स्ररर्र्र्र्र्र्र्रृउप्प्प्प्प के साथ बोली
और उसकी चूडियो की खनखन से साफ पता चल रहा था कि अभी भी वो लंड हिला रही थी ।
पापा - आआह्ह्ह्ह मेरी रान्ड बता ना कहा से सीखी

मा - अपने दीदी से हिहिह्हिहिही
मा ने खिलखिलाते हुए जवाब दिया और फिर गुगुगुगू के साथ चूडियों की खनखन की आवाजे आने लगी

पापा - सच मे रज्जो दीदी ने तुमको सिखाया है क्या ,,,, ओह्ह्ह आह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह्ह्ह
मा - हम्म्म्म्म्ं और फिर गुगुगुगगू के साथ चूडियो की खनखन

पापा - ओह्ह्ह जान फिर तो तुम्हारी दीदी भी अच्छा लंड चुस्ती होगी आह्ह्ह अह्ह्ह और अंडर लो मेरी रागु आह्ह्ह्ज
मा स्स्सरररउप्प्प करते हुए बोली - क्या बात जी मेरी दीदी की बात करते ही आपका लंड और कड़ा हो रहा है ,,,, हिहिहिहिही
पापा - क्या बताऊं जान रज्जो दीदी की बात छेड़ कर तूने आज उनकी चूचियो की याद दी

मा - ओहो क्या बात है , अपने कब देखी मेरी दीदी की चुचिया

पापा - अरे वो हमारी शादी में बिदायि वाले दिन जब सुबह सुबह मुझे दही भात खिलाया जा रहा था तभी,,,ओह्ह्ह्ह हम्म्म्म्म्ं बस ऐसी ही चुसो जान
पापा - मै नीचे बैठा था और तुम्हारी रज्जो दीदी हरी चमकीली सारी मे खडी थी थाली मे दही भात लिये फिर वो मेरे तरफ झुकी और मैने नजर ऊपर की तो देखा तेरी दीदी की बड़ी गोल गोल चुचिया आधी से ज्यादा बाहर की तरफ आ रही है और वो मुझे अपने हाथो से दही भात खिलाने लगी , मै भी उनकी चुचियो पर नजर डालें हुए दही भात खाने ल्गा जिससे कभी कभी मेरे चेहरे पर भी दही लगने लगा फिर जब उन्होने मुझे बोला कि कहा ध्यान है आपका जमाई जी हिहिही
तब मेरी तंद्रा टूटी फिर मै मुस्कुराने ल्गा
मा - आहहाहा , शादी मुझसे और नज़र मेरी दीदी पर
मा पापा को छेद्ते हुए बोली
पापा - अरे जान वो तो बस नज़र गयी थी दिल तो तुम्हारे पास ही था

मा - अब रहने दो मक्खन ना लगाओ , मेरे हाथ थक गये है अब तुम करो
पापा - आजा मेरी रसीली जान तेरी चूचि चुस के तेरा दर्द कम कर दू
मा - उससे काम नही चलेगा मुझे जल्दी से ये लण्ड मेरी गरम चुत मे चाहिये

मेरे पापा और मम्मी के बिच हुए ऐसे बातचित से मै बहुत शौक हो गया मेरे मन में बहुत सारे विचार आने लगे और मै उनकी बाते सुनने लगा

अब आगे क्या होने वाला और कौन कौन सी बाते राज को पता चलने वाली है अगले अपडेट मे दिया जायेगा

आज का अपडेट कैसा लगा कमेंट मे अपनी जवाब जरुर दे ।
धन्यवाद
रजनी की बाते सुनकर अजीब कशमकश में राज फाश गया है विचार सोच में डूब गया कैसा लगता होगा किसी लड़की की चूत चाटना। भाई इतना ही मन है तो चाट ले किसी की चूत को खैर देखते है राज किस किसकी चूत चाटता हैं।
 

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