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नूरी बाहर जाने के पहने बिना ब्रा के अपनी टी शर्ट और बिना पैंटी के स्कर्ट पहनी और बाहर आकर मालिनी से बोली: मैं चाय बनाती हूँ। ठीक है ना?
मालिनी: अरे आप क्यों बनाओगी? मैं बनाती हूँ।
नूरी : ये तो सो रहा है चलो दोनों बनाते हैं। वो दोनों किचन में गयीं तो राजीव भी आवाज़ लगाया: मैं भी चाय पीयूँगा ।
जब सब सोफ़े पर बैठे थे तो चाय पीते हुए राजीव बोला: नूरी तुम कल बोल रही थी ना कि वापिस जाना है। क्या हुआ कोई बात हो गयी है ससुराल में?
नूरी: अरे नहीं अंकल, वो बस मेरे ससुर और सास मुझे मिस कर रहे हैं। और यहाँ भी तो अब तक सब कुछ हो ही चुका होगा जो होना है। वो अपने पेट पर हाथ फेर कर बोली। राजीव भी उसके पेट पर हाथ फेरकर बोला: सच में बेबी आ गया होगा भगवान ने चाहा तो। अब वह उसकी जाँघ सहलाने लगा। और उसने उसे इशारा किया कि वो मिस्ड कॉल करे। नूरी ने मालिनी की आँखें बचाकर मिस्ड कॉल किया और फिर फ़ोन काट दिया।
अब नूरी का फ़ोन बजा और वो उसे देखकर बोली: अरे आज डैड को मेरी याद कैसे आ गयी। फिर वह चाय पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डालकर बोली: हेलो डैड कैसे हैं?
डैड: अरे बहु कैसी हो?
नूरी: जी डैड ठीक हूँ। मॉम ठीक है ना? और ये भी ठीक हैं ना?
डैड: अरे यहाँ सब ठीक है। तुम अपनी बताओ बेटी, चुदाई कैसी चल रही है अंकल से ? कितनी बार चोदतें हैं एक दिन में?
मालिनी यह सुनकर सन्न रह गयी।
नूरी: दो बार तो चोद ही लेते हैं। और उतना ही मज़ा देते हैं जितना आप देते हैं। और उनका लौड़ा भी आपकी तरह ही काफ़ी बड़ा है। यह कहते हुए उसने राजीव की लूँगी से उसका लौड़ा पकड़ लिया और उसको दबाने लगी। राजीव ने भी उसकी टी शर्ट उठा दी और उसकी बड़ी बड़ी नंगी चूचियाँ दबाने लगा।
मालिनी यह देख और सुनकर थोड़ी उत्तेजित होने लगी।
डैड: और बेटी ,अब तक तो तुम प्रेगनेंट हो गयी होगी?
नूरी : हाँ डैड अब तक तो हो चुकी होंगी। पर मैं कोई चान्स नहीं लेना चाहती इसलिए पूरा अन्सेफ़ पिरीयड में चुदवा कर ही आऊँगी। उसने लूँगी से लौंडा बाहर निकाल कर इसको सहलाने लगी। मालिनी की बुर अब गीली होने लगी थी।
डैड: चलो अब जल्दी से वापस आओ । मेरा लौड़ा तुम्हारी बुर की याद मे बार बार खड़ा होता रहता है ।
नूरी: डैड मैं मॉम को तो वहाँ छोड़ कर आयी हूँ। उनको नहीं चोद रहे हैं क्या?
डैड: अरे बेटी, उसकी ढीली बुर में अब मज़ा नहीं आता।
नूरी राजीव के लौड़े को सहलाते हुए बोली: पर डैड उनकी गाँड़ तो आपको पसंद है ना? फिर क्या समस्या है?
तभी राजीव ने उसकी स्कर्ट उठायी और उसकी बुर को सहलाने लगा।
मालिनी उसकी बातें सुनकर और ये सब देखकर हैरानी और उत्तेजना से भर रही थी। उसका हाथ अपनी बुर पर चला गया।
डैड : अरे फ़ोन क्यों छीन रही हो? अच्छा बेटी,अपनी मॉम से बात करो।
मॉम : बेटी। वापस आ जा जल्दी से ।इन्होंने तो मेरे जीना मुश्किल कर रखा है। दिन भर मेरी गाँड़ मारते रहते है। उफ़ क्या बताऊँ। पहले बुर चोदतें है और फिर साथ में गाँड़ भी मार लेते हैं। मेरी हालत ख़राब हो गयी है।
नूरी: ओह डैड आप भी ना। बंद करिए मॉम को तंग करना। मैं जल्दी ही वापस आऊँगी और आपको पहले की तरह मज़ा दूँगी। मॉम बस कुछ दिन की बात है ।
मॉम : चलो कोई बात नहीं बस जल्दी से प्रेगनेंट हो जाओ और वापस आ जाओ ।
नूरी : ठीक है मॉम। बस तीन दिन में आती हूँ।
मॉम : अच्छा चल रखती हूँ। कहते हुए फ़ोन काट दिया।
अब राजीव का लौड़ा उसकी मूठ्ठी में खड़ा था। राजीव मालिनी से बोला: बेटी ज़रा तेल लाना तो। मालिनी जाके तेल लेकर वापस आयी और वहाँ का नज़ारा देखकर सन्न रह गयी। राजीव ने नूरी की स्कर्ट निकाल दी थी और वह सोफ़े को पकड़कर आगे को झुकी हुई थी और राजीव नीचे बैठ कर उसकी भूरि गाँड़ चाट रहा था। मालिनी के हाथ में तेल देखकर वह उठा और मालिनी से लौड़े पर तेल गिराने को कहा। मालिनी कांपते हाथ से तेल उसके लौड़े पर गिराई। फिर वह अपने लौड़े पर तेल मला और दो उँगलियों में तेल लगाया और उसकी गाँड़ में डालकर अंदर बाहर करने लगा। फिर उसने मालिनी के सामने ही अपने लौड़े को नूरी की खुली हुई गाँड़ में डाल दिया। नूरी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी।
मालिनी के सामने ही उसने नूरी की गाँड़ मारनी शुरू कर दी। मालिनी उसके लौड़े को नूरी की गाँड़ के अंदर बाहर होते देख कर मूर्ति बनकर वहीं खड़ी रह गयी और उत्तेजना वश अपनी बुर को खुजा दी। उसे गरम होते हुए देखकर राजीव ने मालिनी का हाथ पकड़कर अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।अब वो एक हाथ से नूरी की कमर पकड़कर उसकी गाँड़ मार रहा था और दूसरे हाथ से क़ुर्ती के ऊपर से मालिनी की चूचियाँ बारी बारी से दबा रहा था।
मालिनी भी बहुत गरम हो कर अपनी बुर खुजा दी। तब राजीव ने नूरी की गाँड़ में धक्के मारते हुए कहा: बेटी। ज़रा सलवार उतार दो। तुम्हारी बुर खुजा दूँगा।
मालिनी उत्तेजना वश जैसे सोचने समझने की शक्ति ही खो बैठी थी। उसने चुपचाप अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार उसके पैर चूमने लगी। राजीव ने अब अपना हाथ उसकी बुर पर रखा और उसमें ऊँगली डालकर मालिनी को मज़े से भरने लगा। उधर नूरी भी अब जोश में आकर अपनी गाँड़ राजीव के पेट पर दबाने लगी ताकि पूरा लौड़ा उसकी गाँड़ में जड़ तक समा जाए। अब नूरी की सिसकियाँ गूँज रहीं थीं : आऽऽऽऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो मेंरी गाँड़ आऽऽऽऽऽऽऽह। आऽऽऽऽप वहाँ झड़नाआऽऽऽऽऽऽ नहीं आऽऽऽहहह। पाआऽऽऽऽऽनि बुर में ही छोओओओओओओओड़ना। ह्म्म्म्म्म्म ।
अब राजीव ने अपना लौड़ा बाहर निकाला। उफफफफ कितना मोटा लग रहा था वो मालिनी सोची। फिर उसने मालिनी से उसकी चुन्नी माँगी जो उसने दे दी। राजीव ने अपने लौड़े को मालिनी की चुन्नी से अच्छी तरह से साफ़ किया और फिर नूरी को दीवान में पटककर उसकी टाँगें उठाकर अपना लौड़ा एक ही झटके में डालकर बुरी तरह से चोदने लगा। मालिनी को अपनी जगह से उसका लौड़ा उसकी बुर में अंदर बाहर होते साफ़ साफ़ दिख रहा था और उसके बड़े बॉल्ज़ उसकी गाँड़ के छेद का मानो चुम्बन ले रहे थे। मालिनी की उँगलिया अब तेज़ी से बुर में चल रही थीं। नूरी भी पागलों की तरह चिल्ला कर उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ हाऽऽऽऽऽऽय चोओओओओओओदो कहकर झड़ने लगी। राजीव भी अब अपना पानी उसकी बुर में गिराने लगा।
राजीव ने सिर उठाकर देखा कि मालिनी अब उत्तेजना वश अपनी बुर में ऊँगली डाल रही थी। वो मुस्कुराया और नूरी को बोला: ज़रा उसकी बुर चाट दो ना। नूरी उठकर मालिनी को सोफ़े में गिराई और उसकी टांगों के बीच ज़मीन में बैठी और उसकी बुर चाटने लगी। अब मालिनी आऽऽऽहहह करने लगी और अपनी कमर उछालकर उसके मुँह में दबाने लगी तभी राजीव उठा और उन दोनों के पास आया और मालिनी की चूचि दबाने लगा। मालिनी हाऽऽऽऽऽय करके मज़े से भर गयी।
अब जो हुआ उसकी किसी ने कल्पना किसी ने नहीं की थी यहाँ तक कि मालिनी ने भी नहीं की थी।
अचानक मालिनी बोली: आऽऽऽँहह पापा जी अब आप चूसिए मेरी बुर आऽऽऽऽऽहहह आऽऽऽऽप बहुत अच्छाआऽऽऽऽ चूसते हैं हाऽऽऽय्यय पापा जी चूसियेएएएएएएए ना प्लीज़।
राजीव नूरी को हटाया और ख़ुद नीचे बैठ कर अपना मुँह उसकी बुर में रखा और उसकी बुर चूसने लगा। साथ ही वो उसकी गाँड़ में ऊँगली भी डालकर हिलाने लगा। अब मालिनी की सिसकियाँ चरम सीमा पर आने लगीं और वो उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर गाँड़ उछाल कर झड़ने लगी। राजीव भी उसकी रस की धार को पीने लगा। राजीव ने अब अपना मुँह उसकी बुर से और ऊँगली गाँड़ से निकाला। मालिनी अब भी नीचे से नंगी अपनी जाँघें फैलायी लेटीं हुई थी ।
अब राजीव उठते हुए उसकी बुर का और गाँड़ का एक एक चूम्मा लिया और बोला : बेटी, ये दोनों कब दोगी चोदने के लिए।
मालिनी अब शर्मा रही थी क्योंकि उसकी वासना अब शांत हो चुकी थी। उसने अपनी सलवार हाथ में ली और अपने कमरे की ओर भाग गयी।
राजीव: नूरी क्या लगता है? अब चुदवाएगी ये, या और नख़रे करेगी?
नूरी: मुझे तो लगता है कि अब जल्दी ही चुदवा लेगी। आज तो पहली बार मेरे सामने आपको ख़ुद बोली चूसने के लिए।
राजीव: सच मैं मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ जब वो ख़ुद बोली कि पापा जी मेरी बुर चूसो। आऽऽऽऽऽह मारे कानों को कितना अच्छा लगा। और अब मेरे कान ये सुनना चाहते हैं कि पापा जी मुझे चोदिए। और मैं उसे पागलों की तरह चोदूँगा। आऽऽऽऽँहह देखो सोच कर ही मेरा फिर से खड़ा होने लगा है।
नूरी हँसकर बोली: अंकल अब मैं और नहीं चुदवाऊँगी । दो बार चुदवा चुकी हूँ। आज के लिए बहुत है।
राजीव भी हँसकर: अरे नहीं अब तुमको और तंग नहीं करूँगा।
फिर नूरी तय्यार होकर चली गयी। राजीव कुछ सोचकर मालिनी के कमरे में गया । वहाँ मालिनी बिस्तर पर करवट लेकर लेटी हुई थी। उसकी पीठ दरवाज़े की तरफ़ थी। राजीव अंदर आया और उसकी गाँड़ के उभार को देखा जो क़ुर्ती के ऊपर उठ जाने के कारण मस्त उभरी हुई दिख रही थी। उसकी गोरी कमर भी नंगी दिखाई दे रही थी। उसका लौड़ा टाइट होने लगा। अब वह आकर बिस्तर पर बैठा तो मालिनी को लगा कि कोई है । वह सीधी हुई और उसके सामने पापा जी को देख कर चौकी और बोली: पापा जी आप ? कुछ चाहिए क्या? मुझे आवाज़ दे देते।
मालिनी: अरे आप क्यों बनाओगी? मैं बनाती हूँ।
नूरी : ये तो सो रहा है चलो दोनों बनाते हैं। वो दोनों किचन में गयीं तो राजीव भी आवाज़ लगाया: मैं भी चाय पीयूँगा ।
जब सब सोफ़े पर बैठे थे तो चाय पीते हुए राजीव बोला: नूरी तुम कल बोल रही थी ना कि वापिस जाना है। क्या हुआ कोई बात हो गयी है ससुराल में?
नूरी: अरे नहीं अंकल, वो बस मेरे ससुर और सास मुझे मिस कर रहे हैं। और यहाँ भी तो अब तक सब कुछ हो ही चुका होगा जो होना है। वो अपने पेट पर हाथ फेर कर बोली। राजीव भी उसके पेट पर हाथ फेरकर बोला: सच में बेबी आ गया होगा भगवान ने चाहा तो। अब वह उसकी जाँघ सहलाने लगा। और उसने उसे इशारा किया कि वो मिस्ड कॉल करे। नूरी ने मालिनी की आँखें बचाकर मिस्ड कॉल किया और फिर फ़ोन काट दिया।
अब नूरी का फ़ोन बजा और वो उसे देखकर बोली: अरे आज डैड को मेरी याद कैसे आ गयी। फिर वह चाय पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डालकर बोली: हेलो डैड कैसे हैं?
डैड: अरे बहु कैसी हो?
नूरी: जी डैड ठीक हूँ। मॉम ठीक है ना? और ये भी ठीक हैं ना?
डैड: अरे यहाँ सब ठीक है। तुम अपनी बताओ बेटी, चुदाई कैसी चल रही है अंकल से ? कितनी बार चोदतें हैं एक दिन में?
मालिनी यह सुनकर सन्न रह गयी।
नूरी: दो बार तो चोद ही लेते हैं। और उतना ही मज़ा देते हैं जितना आप देते हैं। और उनका लौड़ा भी आपकी तरह ही काफ़ी बड़ा है। यह कहते हुए उसने राजीव की लूँगी से उसका लौड़ा पकड़ लिया और उसको दबाने लगी। राजीव ने भी उसकी टी शर्ट उठा दी और उसकी बड़ी बड़ी नंगी चूचियाँ दबाने लगा।
मालिनी यह देख और सुनकर थोड़ी उत्तेजित होने लगी।
डैड: और बेटी ,अब तक तो तुम प्रेगनेंट हो गयी होगी?
नूरी : हाँ डैड अब तक तो हो चुकी होंगी। पर मैं कोई चान्स नहीं लेना चाहती इसलिए पूरा अन्सेफ़ पिरीयड में चुदवा कर ही आऊँगी। उसने लूँगी से लौंडा बाहर निकाल कर इसको सहलाने लगी। मालिनी की बुर अब गीली होने लगी थी।
डैड: चलो अब जल्दी से वापस आओ । मेरा लौड़ा तुम्हारी बुर की याद मे बार बार खड़ा होता रहता है ।
नूरी: डैड मैं मॉम को तो वहाँ छोड़ कर आयी हूँ। उनको नहीं चोद रहे हैं क्या?
डैड: अरे बेटी, उसकी ढीली बुर में अब मज़ा नहीं आता।
नूरी राजीव के लौड़े को सहलाते हुए बोली: पर डैड उनकी गाँड़ तो आपको पसंद है ना? फिर क्या समस्या है?
तभी राजीव ने उसकी स्कर्ट उठायी और उसकी बुर को सहलाने लगा।
मालिनी उसकी बातें सुनकर और ये सब देखकर हैरानी और उत्तेजना से भर रही थी। उसका हाथ अपनी बुर पर चला गया।
डैड : अरे फ़ोन क्यों छीन रही हो? अच्छा बेटी,अपनी मॉम से बात करो।
मॉम : बेटी। वापस आ जा जल्दी से ।इन्होंने तो मेरे जीना मुश्किल कर रखा है। दिन भर मेरी गाँड़ मारते रहते है। उफ़ क्या बताऊँ। पहले बुर चोदतें है और फिर साथ में गाँड़ भी मार लेते हैं। मेरी हालत ख़राब हो गयी है।
नूरी: ओह डैड आप भी ना। बंद करिए मॉम को तंग करना। मैं जल्दी ही वापस आऊँगी और आपको पहले की तरह मज़ा दूँगी। मॉम बस कुछ दिन की बात है ।
मॉम : चलो कोई बात नहीं बस जल्दी से प्रेगनेंट हो जाओ और वापस आ जाओ ।
नूरी : ठीक है मॉम। बस तीन दिन में आती हूँ।
मॉम : अच्छा चल रखती हूँ। कहते हुए फ़ोन काट दिया।
अब राजीव का लौड़ा उसकी मूठ्ठी में खड़ा था। राजीव मालिनी से बोला: बेटी ज़रा तेल लाना तो। मालिनी जाके तेल लेकर वापस आयी और वहाँ का नज़ारा देखकर सन्न रह गयी। राजीव ने नूरी की स्कर्ट निकाल दी थी और वह सोफ़े को पकड़कर आगे को झुकी हुई थी और राजीव नीचे बैठ कर उसकी भूरि गाँड़ चाट रहा था। मालिनी के हाथ में तेल देखकर वह उठा और मालिनी से लौड़े पर तेल गिराने को कहा। मालिनी कांपते हाथ से तेल उसके लौड़े पर गिराई। फिर वह अपने लौड़े पर तेल मला और दो उँगलियों में तेल लगाया और उसकी गाँड़ में डालकर अंदर बाहर करने लगा। फिर उसने मालिनी के सामने ही अपने लौड़े को नूरी की खुली हुई गाँड़ में डाल दिया। नूरी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी।
मालिनी के सामने ही उसने नूरी की गाँड़ मारनी शुरू कर दी। मालिनी उसके लौड़े को नूरी की गाँड़ के अंदर बाहर होते देख कर मूर्ति बनकर वहीं खड़ी रह गयी और उत्तेजना वश अपनी बुर को खुजा दी। उसे गरम होते हुए देखकर राजीव ने मालिनी का हाथ पकड़कर अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।अब वो एक हाथ से नूरी की कमर पकड़कर उसकी गाँड़ मार रहा था और दूसरे हाथ से क़ुर्ती के ऊपर से मालिनी की चूचियाँ बारी बारी से दबा रहा था।
मालिनी भी बहुत गरम हो कर अपनी बुर खुजा दी। तब राजीव ने नूरी की गाँड़ में धक्के मारते हुए कहा: बेटी। ज़रा सलवार उतार दो। तुम्हारी बुर खुजा दूँगा।
मालिनी उत्तेजना वश जैसे सोचने समझने की शक्ति ही खो बैठी थी। उसने चुपचाप अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार उसके पैर चूमने लगी। राजीव ने अब अपना हाथ उसकी बुर पर रखा और उसमें ऊँगली डालकर मालिनी को मज़े से भरने लगा। उधर नूरी भी अब जोश में आकर अपनी गाँड़ राजीव के पेट पर दबाने लगी ताकि पूरा लौड़ा उसकी गाँड़ में जड़ तक समा जाए। अब नूरी की सिसकियाँ गूँज रहीं थीं : आऽऽऽऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो मेंरी गाँड़ आऽऽऽऽऽऽऽह। आऽऽऽऽप वहाँ झड़नाआऽऽऽऽऽऽ नहीं आऽऽऽहहह। पाआऽऽऽऽऽनि बुर में ही छोओओओओओओओड़ना। ह्म्म्म्म्म्म ।
अब राजीव ने अपना लौड़ा बाहर निकाला। उफफफफ कितना मोटा लग रहा था वो मालिनी सोची। फिर उसने मालिनी से उसकी चुन्नी माँगी जो उसने दे दी। राजीव ने अपने लौड़े को मालिनी की चुन्नी से अच्छी तरह से साफ़ किया और फिर नूरी को दीवान में पटककर उसकी टाँगें उठाकर अपना लौड़ा एक ही झटके में डालकर बुरी तरह से चोदने लगा। मालिनी को अपनी जगह से उसका लौड़ा उसकी बुर में अंदर बाहर होते साफ़ साफ़ दिख रहा था और उसके बड़े बॉल्ज़ उसकी गाँड़ के छेद का मानो चुम्बन ले रहे थे। मालिनी की उँगलिया अब तेज़ी से बुर में चल रही थीं। नूरी भी पागलों की तरह चिल्ला कर उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ हाऽऽऽऽऽऽय चोओओओओओओदो कहकर झड़ने लगी। राजीव भी अब अपना पानी उसकी बुर में गिराने लगा।
राजीव ने सिर उठाकर देखा कि मालिनी अब उत्तेजना वश अपनी बुर में ऊँगली डाल रही थी। वो मुस्कुराया और नूरी को बोला: ज़रा उसकी बुर चाट दो ना। नूरी उठकर मालिनी को सोफ़े में गिराई और उसकी टांगों के बीच ज़मीन में बैठी और उसकी बुर चाटने लगी। अब मालिनी आऽऽऽहहह करने लगी और अपनी कमर उछालकर उसके मुँह में दबाने लगी तभी राजीव उठा और उन दोनों के पास आया और मालिनी की चूचि दबाने लगा। मालिनी हाऽऽऽऽऽय करके मज़े से भर गयी।
अब जो हुआ उसकी किसी ने कल्पना किसी ने नहीं की थी यहाँ तक कि मालिनी ने भी नहीं की थी।
अचानक मालिनी बोली: आऽऽऽँहह पापा जी अब आप चूसिए मेरी बुर आऽऽऽऽऽहहह आऽऽऽऽप बहुत अच्छाआऽऽऽऽ चूसते हैं हाऽऽऽय्यय पापा जी चूसियेएएएएएएए ना प्लीज़।
राजीव नूरी को हटाया और ख़ुद नीचे बैठ कर अपना मुँह उसकी बुर में रखा और उसकी बुर चूसने लगा। साथ ही वो उसकी गाँड़ में ऊँगली भी डालकर हिलाने लगा। अब मालिनी की सिसकियाँ चरम सीमा पर आने लगीं और वो उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर गाँड़ उछाल कर झड़ने लगी। राजीव भी उसकी रस की धार को पीने लगा। राजीव ने अब अपना मुँह उसकी बुर से और ऊँगली गाँड़ से निकाला। मालिनी अब भी नीचे से नंगी अपनी जाँघें फैलायी लेटीं हुई थी ।
अब राजीव उठते हुए उसकी बुर का और गाँड़ का एक एक चूम्मा लिया और बोला : बेटी, ये दोनों कब दोगी चोदने के लिए।
मालिनी अब शर्मा रही थी क्योंकि उसकी वासना अब शांत हो चुकी थी। उसने अपनी सलवार हाथ में ली और अपने कमरे की ओर भाग गयी।
राजीव: नूरी क्या लगता है? अब चुदवाएगी ये, या और नख़रे करेगी?
नूरी: मुझे तो लगता है कि अब जल्दी ही चुदवा लेगी। आज तो पहली बार मेरे सामने आपको ख़ुद बोली चूसने के लिए।
राजीव: सच मैं मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ जब वो ख़ुद बोली कि पापा जी मेरी बुर चूसो। आऽऽऽऽऽह मारे कानों को कितना अच्छा लगा। और अब मेरे कान ये सुनना चाहते हैं कि पापा जी मुझे चोदिए। और मैं उसे पागलों की तरह चोदूँगा। आऽऽऽऽँहह देखो सोच कर ही मेरा फिर से खड़ा होने लगा है।
नूरी हँसकर बोली: अंकल अब मैं और नहीं चुदवाऊँगी । दो बार चुदवा चुकी हूँ। आज के लिए बहुत है।
राजीव भी हँसकर: अरे नहीं अब तुमको और तंग नहीं करूँगा।
फिर नूरी तय्यार होकर चली गयी। राजीव कुछ सोचकर मालिनी के कमरे में गया । वहाँ मालिनी बिस्तर पर करवट लेकर लेटी हुई थी। उसकी पीठ दरवाज़े की तरफ़ थी। राजीव अंदर आया और उसकी गाँड़ के उभार को देखा जो क़ुर्ती के ऊपर उठ जाने के कारण मस्त उभरी हुई दिख रही थी। उसकी गोरी कमर भी नंगी दिखाई दे रही थी। उसका लौड़ा टाइट होने लगा। अब वह आकर बिस्तर पर बैठा तो मालिनी को लगा कि कोई है । वह सीधी हुई और उसके सामने पापा जी को देख कर चौकी और बोली: पापा जी आप ? कुछ चाहिए क्या? मुझे आवाज़ दे देते।