Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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दोस्तों अब मैं अपनी नयी कहानी शुरू कर रहा हूँ, ससुर कमीना और बहू नगीना।
आशा है आपको पसंद आएगी।


राजीव माथुर अपने कमरे में उदास बैठा है, और TV के रिमोट से चैनल बदल बदल कर अपने दुखी मन को शांत करने की कोशिश कर रहा है। वह ५० साल का एक तंदूरूस्त हट्टा क़ट्टा सुदर्शन गोरा व्यक्ति है और उसकी इस २० लाख की आबादी वाले शहर में कपड़ों की बड़ी दुकान है।

उसने यह काम बड़े ही छोटे लेवल पर चालू किया था पर आज वह एक बहुत ही शानदार दुकान का मालिक था। पर पिछले एक महीने से वह दुकान पर नहीं गया था। दुकान पर उसका जवान बेटा शिवा ही बैठ रहा था जो कि २५ साल का हो चला था। उसकी एक २४ साल की बेटी भी है जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हैं और वह एक दूसरे शहर में रहती है।

राजीव के दुःख का कारण यह है कि एक महीने पहले उसकी पत्नी का कैन्सर की बीमारी से देहांत हो गया। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसे दुःख इस बात का है कि बिना किसी पूर्वाभास के वह बीमार हुई और क़रीब एक महीने में स्वर्गवासी भी हो गयी। सब रिश्तेदार आए थे और अब सब अपने घर वापस चले गए । आख़िर में जाने वाली उसकी बेटी थी । अब सबके जाने के बाद वह फिर अकेला महसूस कर रहा था। बेटे शिवा ने कहा भी कि काम में मन लगाइए ताकि दुःख कुछ कम हो जाए, पर वह अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।

अचानक TV का चैनल बदलते हुए एक फ़िल्म लग गयी जिसमें एक भरे बदन की हीरोईंन बारिश के पानी में भीग रही थी और उसके बहुत ही मादक अंग साड़ी से दिख ज़्यादा रहे थे और छुप कम रहे थे। ये देखकर अचानक उसके लंड ने झटका मारा और उसका हाथ अपने लंड पर चला गया और वह उसे दबाने लगा। उसे अभी अभी महसूस हुआ कि आज पूरे दो महीने के बाद उसके लंड में हरकत हुई है। वरना एक महीने की सविता की बीमारी और एक महीने का शोक - उसका तो लंड- जैसे खड़ा होना ही भूल गया था।

उसे बड़ा अच्छा लगा और वह लंड को सहलाता ही चला गया। फिर उसने उसे अपनी लूँगी और चड्डी से बाहर निकाल लिया और अपने बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाते हुए उसने मूठ्ठ मारनी शुरू की। उसका क़रीब ८ इंचि मोटा लौड़ा उसकी मूठ्ठी में आधा भी समा नहीं रहा था। क़रीब १० मिनट उसे हिलाते हुए सविता के साथ बिताए हुए मादक लमहों को याद करते हुए वह झड़ने लगा। उसे लगा कि वह सविता के मुँह में झड़ रहा है। और वह पहले की तरह उसका गाढ़ा वीर्य स्वाद लेकर पीते जा रही है।

पर जब उसने आँख खोली तो अपने को अकेला पा कर उसने आह भरी और सविता को याद करके उसकी आँख भर आइ।

हालाँकि वह सविता को बहुत प्यार करता था पर अनेक सफल मर्दों की तरह वह भी कभी कभी यहाँ वहाँ मुँह मार लिया करता था उसकी कमज़ोरी भरे बदन की कम उम्र की लड़कियाँ थीं। उसने कई लड़कियों से मज़े लिए पर कभी भी किसी से रिश्ता नहीं बनाया। ज़्यादातर लड़कियाँ एक रात की ही मेहमान होती थीं। बस सिर्फ़ तीन लड़कियों से ही उसके सम्बंध अपेक्षाकृत लम्बे चले, यही कोई तीन चार महीने। इसके बारे में आगे कहानी में पता चलेगा, कि किन हालातों में उन तीन लड़कियों से उसका रिश्ता बना।

आज उसने अपना वीर्य साफ़ किया और बाद में सोफ़े पर आकर दुकान का हिसाब देखने की कोशिश किया। दिन के ११ बज गए थे। शिवा को दुकान गए १ घंटा हो चुका था। तभी कॉल बेल बजी। उसने दरवाज़ा खोला और सामने शीला खड़ी थी। वह घर की नौकरानी थी और सविता की बहुत चहेती थी। उसकी उम्र करींब ५० साल की थी और वह एक चूसे हुए आम की तरह थी। वह आकर किचन में चली गई। वह घर के सब काम करती थी और अब सविता के जाने के बाद खाना भी बना देती थी।

शिवा अपने काम में लग गया और तभी शीला वहाँ झाड़ू लगाने लगी। उसके सुखी हुई काया उसके सामने थी और दो महीने का प्यासा राजीव ये सोचने लगा कि क्या इसे ही चोद लूँ? पर जब साड़ी से उसकी नीचुड़ि हुई चूचियाँ देखा तो उसका लौड़ा शांत हो गया। उसने अपना ध्यान काम में लगाया।

तभी शीला का मोबाइल बज उठा और वह किचन में उसे लेकर बात करने लगी। थोड़ी देर बाद वह बाहर आयी और बोली: साहब, मुझे छुट्टी जाना होगा क्योंकि मेरी बहु को बच्चा होने वाला है। कम से कम तीन महीने लगेंगे।

राजीव: अरे तो हमारा क्या होगा? तुम किसी को काम पर लगा कर जाओ।

शीला: जी साहब, कल से मेरी भतीजी आएगी , उसका नाम रानी है वही काम करेगी, मेरी अभी उससे बात भी हो गई है।

राजीव: ओह उसको खाना बनाना आता है ना?

शीला: हाँ आता है वो कई साल एक परिवार में काम की है उसको सब आता है। आजकल ख़ाली है तो आपके यहाँ काम कर लेगी।

राजीव: क्या शादीशुदा है?

शीला: जी हाँ शादी को ७ साल हो गए हैं। मगर बेचारी को कोई बच्चा नहीं है। इसके कारण दुखी रहती है।

राजीव: ओह ऐसा क्या? अब ये तो भगवान की मर्ज़ी है ना ?

शीला फिर अपने काम में व्यस्त हो गई और राजीव भी अपने काम में लग गया। फिर उसने शिवा को फ़ोन लगाया: बेटा तुम्हारा कल का हिसाब ठीक है , अब तुम बढ़िया काम कर रहे हो। आज मुझे तुमसे एक ज़रूरी बात भी करनी है। रात को मिलते हैं।

रात को शिवा क़रीब ९ बजे घर पहुँचा और वो दोनों खाना खाए। बाद में राजीव बोला: बेटा, आज मैं तुमको एक बात कहना चाहता हूँ, मैं सविता के जाने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ, मैं सोच रहा था कि मैं दूसरी शादी कर लूँ। तुम्हारा क्या ख़याल है इस बारे में?

शिवा चौक कर बोला: क्या पापा, ये क्या बोल रहे हैं आप? कितना अजीब लगेगा प्लीज़ ऐसा मत करिए।

राजीव: अगर मैं नहीं कर सकता तो तुम कर लो। बेटा, घर में एक औरत होनी ही चाहिए। घर औरत के बिना अधूरा होता है।

शिवा: ठीक है पापा, अगर आप ऐसा चाहते हो तो यही सही।

राजीव: अब ये बताओ कि तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेंड है?

शिवा: पापा आप जानते ही हो कि मेरी किसी लड़की से दोस्ती नहीं है। मुझे तो दुकान से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती।

राजीव: तो फिर मैं तेरे लिए लड़की देखनी शुरू करूँ?

शिवा: ठीक है पापा आप देखिए । काश मॉ होती तो ये काम वो करतीं? है ना?

राजीव: हाँ बेटा वो तुम्हारी शादी का बहुत अरमान रखती थी पर बेचारी के अरमान पूरे ही नहीं हो सके।

थोड़ी देर और बातें करके वह दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
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सुबह ५ बजे उठकर राजीव फ़्रेश होकर एक घंटे की सैर पर गया। वहाँ बग़ीचे में कई लड़कियाँ और औरतें भी ट्रैक सूट में अपने गोल गोल चूतरों को उभारे घूम रही थीं और राजीव का मन बड़ा बेचेंन हो रहा था। उनकी छातियाँ भी दौड़ने के दौरान ऊपर नीचे होकर उसकी ट्रैक सूट के अंदर उसके हथियार को कड़ा किए जा रहीं थीं। इसी हालत में वह वापस आया और कमरे में बैठ के पसीना सुखाने लगा। तभी काल बेल बजी और उसने दरवाज़ा खोला।
बाहर एक दुबली सी लड़की खड़ी थी। वह समझ गया कि यह रानी ही होगी। उसने पूछा: तुम रानी हो ना?

रानी: जी साहब मैं ही शीला चाची की भतीजी हूँ।

राजीव: आओ अंदर आओ ।फिर उसने उसे पूरा घर दिखाया और कहा : पहले चाय बना दो। किचन से बाहर आते हुए उसने रानी को भरपूर निगाहों से देखा। वह कोई २०/२१ से बड़ी नहीं दिख रही थी। दुबली पतली , छाती भी छोटी और चूतरों में भी कोई ख़ास उभार नहीं। वह उसकी टाइप की तो लड़की है ही नहीं। उसे तो भरी हुई लड़की अच्छी लगती है।

थोड़ी देर बाद वह चाय लायी । चाय लेते हुए वह बोला: तुम सच में शादी शूदा हो? बहुत छोटी सी दिखती हो ।

रानी: जी साहब मेरी शादी को सात साल हो गए हैं । वैसे मैं ऐसी ही पतली दुबली हूँ शुरू से ।

राजीव: क्या उम्र है तुम्हारी? दिखती तो २०/२२ की हो।

रानी: जी मैं २७ की हूँ। पतली होने के कारण शायद छोटी लगती हूँ। फिर वह अपने काम में व्यस्त हो गयी। राजीव सोचने कहा कि साली थोड़ी सी भरे हुए बदन की होती तो कुछ मज़ा ले भी लेता पर ये तो मरी हुई चुहिया जैसी है। क्या मज़ा आएगा इसके साथ।

थोड़ी देर बाद वह उसके कमरे में झाड़ू लगा रही थी तो उसकी क़ुरती ऊपर चढ़ गयी थी और उसके चूतर सलवार से दिख रहे थे। राजीव सोचने लगा कि इतनी भी बुरी नहीं है। मज़ा लिया जा सकता है। शिवा अभी भी सो रहा था, वह अक्सर ८ बजे से पहले नहीं उठता था।

राजीव ने बात चलायी: कौन कौन घर में है तुम्हारे?

रानी : मेरा पति और मेरी सास।

राजीव जानबुझ कर पूछा: और बच्चे?

रानी उदास होकर बोली: जी नहीं हैं।

राजीव: शादी को सात साल हो गए? डॉक्टर को दिखाया कि नहीं?

रानी: जी दिखाया है वो बोले कि मेरे में कोई कमी नहीं है। और मेरा मर्द तो डॉक्टर के पास जाने को राज़ी ही नहीं है। क्या कर सकती हूँ भला मैं!

राजीव: ओह तो कमी उसी में होगी । सास कुछ बोलती नहीं तुमको?

रानी: दिन भर ताने सुनाती है और बेटे की दूसरी शादी की भी धमकी देती है।

राजीव: ओह ये तो बड़ी समस्या है। वैसे एक बात बोलूँ , तुमको अपने शरीर का ख़याल रखना चाहिए। इतनी दुबली हो अगर गर्भ ठहर भी गया तो बच्चा भी तेरे जैसा दुबला ही होगा ।

रानी: साहब ग़रीब लोग हैं हम लोग। आपके जैसा खाने पीने को थोड़े मिलता है।

राजीव हँसते हुए बोला: चलो अब हमारे घर में रहोगी तो तुम वही खाओगी जो हम खाएँगे। और जल्दी ही तगड़ी हो जाओगी।

रानी उसको अजीब निगाहों से देख रही थी, शायद यह समझने की कोशिश कर रही थी कि यह बुज़ुर्ग उसमें इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रहा है। वैसे उसे यह कुछ बुरा नहीं लगा। ये सच है कि उसे ज़्यादा अटेन्शन नहीं मिलता था। इसलिए साहब का उसमें दिलचस्पी लेना उसे अच्छा ही लग रहा था।

राजीव नहाने चला गया और उसे बग़ीचे की सेक्सी लड़कियाँ याद आ रही थीं और उसका लौड़ा खड़ा हो गया। आऽऽह क्या मस्त दूध थे और क्या उभरी हुई गाँड़ थी। वह अपने लौड़े को दबाए जा रहा था। तभी उसके ध्यान में रानी का बदन और उसके सलवार में चिपके चूतर आये और वह मज़े से मुस्कुराया और सोचा कि शायद उसको चोदने में भी बड़ा मज़ा आएगा।

वह नहा कर बाहर आया और टी शर्ट और लोअर पहन कर तय्यार हुआ और किचन में जाकर रानी को बोला: दो ग्लास केसर बादाम डाल कर दूध बनाओ। साथ ही २ सेब केले और नाशपाती भी काट के लाओ। रानी ने हाँ में सिर हिलाया और काम में लग गयी।

थोड़ी देर में वह एक ट्रे में दूध का दो गिलास और फल काटकर लायी। और सामने टी टेबल पर रख दिया जो कि सोफ़े के सामने रखा था।

राजीव ने एक गिलास दूध उठाया और उसके हाथ में दे दिया। रानी ने प्रश्न सूचक नज़रों से देखा और बोली: छोटे सांब उठ गए क्या? उनको देना है?

राजीव: अरे वो तो ९ बजे उठेगा। यह तुमको पीना है। मैंने कहा था ना कि तुमको तगड़ी बनाना है। तो चलो पीओ अब।

वह हैरान होकर उसको देखी और राजीव ने दूसरा गिलास उठाया और पीने लगा। और फिर से उसे पीने का इशारा किया। वह धीरे से पीने लगी। साफ़ लग रहा था कि उसे बहुत अच्छा लग रहा था।

फिर राजीव ने फल की प्लेट उठायी और पास ही खड़ी रानी को बोला: लो फल भी खाओ।

वह झिझकते हुए बोली: साहब पेट भर गया।

राजीव ने उसके पेट की तरफ़ इशारा करके कहा: देखो इतना छोटा भी नहीं है तुम्हारा पेट कि इसमे फल की भी जगह नहीं हो। चलो खाओ। फिर उसका हाथ पकड़कर पास में बिठाया और उसके मुँह में सेब का एक टुकड़ा डाल दिया। वो थोड़ी सी परेशान दिख रही थी, पर खाने लगी।

राजीव: सुबह से कुछ खाया है? उसने नहीं में सिर हिलाया। तब उसने एक टुकड़ा और उसके मुँह में डाल दिया। अब राजीव भी खाने लगा और उसे। भी खिलाए जा रहा था। रानी को कभी इतना अटेन्शन नहीं मिला था सो वह भी इन पलों का आनंद लेने लगी। फल ख़त्म होने के बाद राजीव बोला: शाबाश, बहुत बढ़िया। फिर उसके हाथ को पकड़कर बोला: आधे घंटे के बाद मैं पराँठा और ओमलेट खाऊँगा, वो भी मेरे और अपने लिए भी बना लेना। साथ ही खाएँगे। ठीक है?

रानी: जी साहब । फिर वह खड़ी होने लगी तो राजीव ने उसका हाथ छोड़ दिया। वह किचन में चली गयी। राजीव भी पेपर पढ़ने लगा। शिवा अभी भी सो रहा था।
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आधे घंटे के बाद वह नाश्ता डाइनिंग टेबल पर लगा दी। उसने राजीव के लिए एक प्लेट भी लगा दी थी।

राजीव: तुम्हारी प्लेट कहाँ है? मैंने कहा था ना कि जो मैं खाऊँगा वही तुमको भी खाना है। चलो प्लेट लाओ और बैठो यहाँ।

रानी: साहब मैं खा लूँगी, अभी आप खालो।

राजीव: पक्का बाद में खा लोगी?

रानी: पक्का खा लूँगी।

राजीव: अच्छा चलो एक कौर तो मेरे हाथ से खाओ। ये कहकर उसने उसके मुँह में एक कौर डाला और वो उसको खाते हुए किचन में चली गयी। उसने बड़े प्यार से गरम गरम पराँठे खिलाए और राजीव ने भी उसकी पाक कला की बहुत तारीफ़ की। वो शायद तारीफ़ की भी भूकी थी क्योंकि वह बहुत ख़ुश हो गयी थी। फिर राजीव ने दो कप चाय माँगी। जब वह चाय लायी तो उसने उसे ज़िद करके अपने बग़ल में बैठाया और चाय पीने को बोला। वह चुपचाप चाय पीने लगी।

राजीव: तुम्हारा पति तुम्हें प्यार तो करता है ना?

रानी की आँख गीली ही गयी और बोली: जैसे आज आपने इतने प्यार से खिलाया ऐसे भी आजतक उसने मुझे सात साल में कभी नहीं पूछा। वो औरत को बस एक काम के लिए ही समझता है।

राजीव ने भोलेपन से पूछा: किस काम के लिए?

रानी ने नज़रें झुका लीं और बोली: वही जो मर्द को चाहिए बिस्तर में औरत से।

राजीव: ओह अब समझा। सच में तुम्हारा मर्द ऐसा है? ये तो बड़ी अजीब बात है।

रानी: साहब हम ग़रीब औरतों का यही हाल है?

राजीव ने उसकी पतली कलाई पकड़ी और उसको सहलाने लगा और बोला: देखो तुम कितनी दुबली हो? मैं तो तुमको तगड़ी करके ही मानूँगा।

रानी हँसकर बोली: क्या आप मुझे तगड़ी बना कर पहलवानी करवाओगे? इस पर दोनों हँसने लगे।

फिर रानी अपने काम में लग गई, थोड़ी देर बाद शिवा भी उठकर आया और राजीव ने उसके लिए भी चाय मँगवाई। रानी चाय लाई और शिवा को नमस्ते की। राजीव ने बताया कि यह नई नौकरानी है। शिवा ने ओह कहकर चाय पी। फिर दोनों बाप बेटा दुकान की बात करने लगे। बाद में शिवा नहाने चला गया। राजीव ने रानी को उसके लिए नाश्ता और लंच के लिए डिब्बा भी बनाने को कहा।

शिवा तय्यार होकर नाश्ता करके लंच का डिब्बा लेकर १० बजे दुकान चला गया। अब घर में फिर से दोनों अकेले हो गए। थोड़ी देर बाद राजीव ने रानी को आवाज़ दी और बोला: मैं ज़रा बाज़ार जा रहा हूँ, तुम्हें कुछ चाहिए? फिर अचानक उसकी निगाहें उसकी बड़ी बड़ी आँख पर पड़ीं और उनमें एक सफ़ेदी सी देखकर वह उसका हाथ पकड़ा और उसकी उँगलियों के नाख़ून को चेक किया और बोला: अरे तुमको तो आयरन की कमी है , ऐसी ही कमी एक बार मेरी बीवी को भी हो गयी थी, तभी तुम इतनी कमज़ोर हो। मैं आज दवाई लाउँगा। ये कहकर उसने उसका हाथ छोड़ा और बाहर निकल गया।

वो पास के बाज़ार में एक दुकान में गया और वहाँ अपने दोस्त से मिला जिसने उसका बड़े तपाक से स्वागत किया। इधर उधर की बातों के बाद चाय पीकर राजीव बोला: यार, मैंने शिवा की शादी करने का फ़ैसला किया है, तेरी निगाह में कोई लड़की है उसके लायक तो बताना।

दोस्त: हाँ यार क्यों नहीं , थोड़ा सोच लेने दे जैसे ही ध्यान में आएगा बताऊँगा।

राजीव: ठीक है भाई फिर चलता हूँ।

वहाँ से निकल कर वह दवाई की दुकान से मल्टीविटामिन और आयरन टॉनिक ख़रीदा और कुछ ज़रूरी चीज़ें लेकर घर आया।

रानी को उसने पानी और चम्मच लाने को कहा। फिर उसने दो दो चम्मच दोनों दवाइयाँ उसको अपने हाथ से पिलायीं। रानी की आँखों में आँसू छलक आए। आज तक किसी ने भी उसकी इतनी फ़िक्र नहीं की थी। राजीव ने उसके आँसू पोंछें और झुक कर उसका माथा चूम लिया और बोला: अरे रो क्यों रही हो, अब तो जल्दी ही तुम तगड़ी हो जाओगी और फिर कुश्ती लड़ना। वह भावुक होकर बोली: आप बहुत अच्छे हैं साहब, मैं आपको बाऊजी बोल सकती हूँ क्या?

राजीव ने उसे खींचकर अपने से लिपटा लिया और बोला: क्यों नहीं ज़रूर बोलो। और उसके गालों पर चिमटी काट दी। वह हँसते हुए भाग गयी। अब जब भी मौक़ा मिलता राजीव उसके हाथ पकड़ लेता और कभी गाल भी सहला देता।

इस बीच राजीव ने अपने रिश्तेदारों को भी फ़ोन किया और शिवा के लिए लड़की ढूँढने को कहा।

इसी तरह पाँच दिन निकल गए और अब भी राजीव रानी को अपने हाथ से ही फल खिलाता और दवाई भी पिलाता। रानी की झिझक अब काफ़ी कम हो गयी थी। कई बार वह उसे अपने से चिपका लेता और प्यार से उसके गाल भी सहला देता। क़रीब पाँच दिनों में ही दोनों ने एक तरह का बोंड सा हो गया था। राजीव का अकेलापन दूर हो गया था और रानी भी अटेन्शन की भूकी थी जो उसे भरपूर मिल रहा था। वो सुबह आती फिर २ बजे अपने घर चली जाती और फिर ५ बजे से ८ बजे तक रात का खाना बना कर चली जाती। राजीव उसके तीनों टाइम के खाने का ध्यान रखता और उसे खिलाकर ही छोड़ता था। इस तरह के अच्छे खाने और ख़ुश रहने के कारण उसके चेहरे में एक चमक सी आने लगी थी और शरीर भी थोड़ा सा गदराने सा लगा था।

क़रीब एक हफ़्ते के बाद एक दिन सुबह जब उसने रानी के लिए दरवाज़ा खोला तो उसकी आँख के नीचे गाल में सूजन थी। वह चौंक कर बोला: रानी क्या हुआ ? ये चोट कैसी?

रानी अंदर आयी और ज़मीन पर बैठ गयी और फफक कर रोने लगी। राजीव थोड़ा सा परेशान हो कर उसको उठाया और सोफ़े पर बिठा कर उसके बग़ल में बैठ गया और उसको अपने से सटा कर उसकी पीठ पर हाथ फेरा और बोला: अरे क्या हुआ? बताएगी भी? क्या मर्द ने मारा?

रानी उसके कंधे पर सिर रखकर रोते हुए बोली: हाँ बहुत मारा। ये देखिए, कहते हुए उसने अपना गला भी दिखाया जहाँ लाल निशान थे । फिर उसने अपनी सलवार भी पैरों से उठाकर अपनी टांगो को दिखाया जहाँ लाल निशान थे । उसकी बाँह भी लाल हुई जा रही थी। राजीव उठकर दवाई लाया और उसकी सब जगह दवाई लगाया। वह फिर से रोने लगी और बोली: मैं मर जाऊँगी। मुझे नहीं जीना।

अब राजीव ने उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गाल को चूमते हुए बोला: ऐसा नहीं बोलते। मैं हूँ ना अभी । अच्छा अब बताओ क्या हुआ था?

रानी: कल रात को वह देर से आया और उसने शराब पी हुई थी। वह बिस्तर पर आया और मेरी मैक्सी उठाने लगा। मैंने मना किया कि तुम बहुत बास मार रहे हो। वह ग़ुस्सा हो गया और चिल्लाया कि साली बच्चा भी नहीं पैदा कर सकती और मुझे करने भी नहीं देती, मादरचोद , आज तेरी लेकर ही रहूँगा। मैं बहुत चिल्लायी और रोई पर उसने एक नहीं मानी और मेरी मैक्सी उठाने लगा। मेरे विरोध करने पर उसने मुझे बहुत मारा और आख़िर में उसने अपनी मन की कर ही ली।

राजीव उसकी बाँह सहलाते हुए बोला: ओह तो वो तुमको ज़बरदस्ती चोद लिया? ये तो बलात्कार हुआ।

रानी एक मिनट के लिए राजीव की भाषा पर चौकी पर उसके घर में तो इस तरह की भाषा का उपयोग होते ही रहता था , सो उसने ध्यान नहीं दिया। रानी बोली: क्या करें बाऊजी हम औरतों का तो यही हाल होता है? साला ख़ुद नामर्द है और मुझे बाँझ कहता है। कमीना कहीं का। ये कहते हुए उसने राजीव की छाती पर अपना सिर रख दिया। वो अभी भी उसकी गोद में बैठी थी।
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अब राजीव ने उसे प्यार से देखते हुए उसकी बाँह को सहलाते हुए उसके गाल चूमने शुरू किए। फिर वह उसके सब लाल निशान को चूमने लगा। उसकी बाँह गाल और गरदन भी चूमा। फिर उसने अपने से जकड़ कर कहा: इस समस्या का एक ही हल है रानी।

रानी ने उसकी छाती से अपना सिर उठाया और बोली: क्या हल है बाऊजी?

राजीव उसकी आँखों में देखते हुए बोला: तुम्हें माँ बनना पड़ेगा। तभी उस कमीने का मुँह बंद होगा।

रानी: पर ये कैसे होगा?

राजीव झुका और उसके होंठ चूमकर बोला: मैं हूँ ना, इस काम के लिए।

रानी चौक कर बोली: आप ये क्या कह रहे हैं? मैं ऐसी औरत नहीं हूँ।

राजीव ने फिर से उसके होंठ चूमे और बोले: मुझे पता है तुम औरत हो ही नहीं। असल में तुम तो अभी छोटी सी लड़की हो जिसे कभी प्यार मिला ही नहीं। और वह प्यार मैं तुमको दूँगा बहुत बहुत प्यार , ढेर सारा प्यार। समझी? उसने अब उसे अपने बदन से भींच लिया और उसकी गरदन चूमने लगा।

रानी भी अब कमज़ोर पड़ने लगी थी। उसे भी अच्छा लगने लगा। वह भी समर्पण के मूड में आने लगी।

राजीव: एक बात बताओ कि तुम्हारा पति तुम्हें कितने दिन में चोदता है? और कितनी देर चोदता है?

रानी इतने खुले शब्दों से हकला सी गयी: वो वो तीन चार दिन में एक बार। क़रीब ५/६ मिनट ही चो-- मतलब करते हैं।

राजीव: ओह इतनी जल्दी झड़ जाता है? तो तुम तो प्यासी रह जाती होगी?

रानी ने सिर हाँ में हिलाया और शर्माकर उसकी छाती में छिपा लिया। राजीव ने उसके कान को चूमते हुए कहा: जानती हो मैं कितनी देर चोदता हूँ? कम से कम एक घंटा और आधा घंटा तो मैं धक्के ही मारता रहता हूँ।

रानी की आँख फैल गयी वो बोली: एक घंटा? ओह इतना ज़्यादा ?

राजीव: अरे एक बार चुदवा के तो देखो मज़े से मस्त हो जाओगी। और मेरा दावा है कि भगवान ने चाहा तो एक महीने में तुमको गर्भवती कर दूँगा। ठीक है मेरी रानी? ये कहकर वो अब उसके होंठ को चूसने लगा।

फिर होंठ छोड़कर बोला: चलो अब तुमको हल्दी वाला दूध पिलाएँ। इससे तुम्हारा दर्द भी कम होगा और चोट में भी आराम मिलेगा।

वह उसकी गोद से उठी और राजीव ने खड़े होकर उसको अपनी गोद में उठा लिया और किचन के प्लेटफ़ार्म पर बिठा दिया और उसके लिए दूध तय्यार किया और अपने हाथ से पिलाने लगा। रानी को लगा कि वो बहुत भाग्यशाली है जो बाऊजी उसका इतना ध्यान रखते हैं। फिर राजीव ने उसको गोद में लेकर उतारा और पूछा: अब कैसे लग रहा है?

रानी हँसकर बोली: मुझे क्या हुआ है? ऐसी पिटाई तो मेरे लिए आम बात है । चलिए आप बैठिए मैं आपको बढ़िया चाय पिलाती हूँ। राजीव उसके गाल चूमकर बाहर आ गया।

थोड़ी देर में वो चाय लायी तो राजीव ने उसे फिर से अपने पास खींच लिया और बोला: तो फिर माँ बनना हैं ना एक महीने में? अब उसके हाथ उसकी कमर पर था। जिसे सहलाते हुए वह पहली बार उसके चूतर पर ले गया और उसको भी हल्के से दबा दिया। रानी भी मस्ती से भरने लगी।

वह बोली: आऽऽह सच में में मॉ बनना चाहती हूँ। आप मुझे एक महीने में मुझे गर्भबती बना देंगे?

वह उसे अपने गोद में बैठाकर बोला: हाँ मेरी रानी पक्का एक महीने में ही तुम गर्भबती हो जाओगी। असल में मैं तुम्हारी जैसी तीन लड़कियों को पहले ही माँ बना चुका हूँ और वो भी एक महीने की चुदाई से ही। भगवान ने मुझे शायद तुम्हारी जैसी लड़कियों को माँ बनाने के लिए ही पैदा किया है। चलो अब शिवा के दुकान जाने के बाद हम तुमको माँ बनाने की कोशिश में लग जाएँगे। ठीक है ना?

यह कहते हुए उसने रानी के होंठ चूमे और पहली बार उसकी छाती पर हाथ रखा और हल्के से दबाया। आऽऽऽऽहहहह क्या ठस छाती थी एकदम कड़क। रानी भी उसके मर्दाने स्पर्श से मज़े से भर गयी। फिर उसकी गोद से उठते हुए बोली: बाऊजी, बहुत काम है छोड़िए ना।

राजीव उसे छोड़ते हुए बोला: तो फिर पक्का है ना माँ बनने का प्रोग्राम ?

रानी हँसते हुए धत्त कहकर भाग गयी। उसकी हँसी में हामी भरी हुई थी।
क़रीब १० बजे शिवा नाश्ता करके अपना टिफ़िन लेकर घर से चला गया। उसके जाने के बाद राजीव ने सोचा कि वो अपनी ओर से पहल नहीं करेगा, देखते हैं कि रानी को भी कितनी इच्छा है चुदवाने की। वह चुपचाप दुकान का हिसाब देखता रहा। आधा घंटा गुज़र गया और उसने एक बार भी रानी को नहीं पुकारा।

तभी रानी अपना पसीना अपनी चुन्नी से पोंछते हुए आयी और बोली: बाऊजी, चाय बनाऊँ?

राजीव ने कहा: नहीं रहने दो। फिर काम में लग गया। रानी थोड़ी देर उसको काम करते हुए देखी और बोली: आज बहुत ज़्यादा ही काम हो रहा है? क्या बात है?

राजीव समझ गया कि वह बात आगे बढ़ाना चाहती है , पर वह बनते हुए बोला: हाँ थोड़ा है तो?

रानी अपना मुँह उतार के बोली: ठीक है तो मैं किचन में जा रही हूँ, कुछ काम हो तो बुला लीजिएगा।

राजीव: एक काम के लिए तो बोला था पर शायद तुम उसके लिए राज़ी नहीं हो।

रानी: कौन सा काम?

राजीव: वही तुमको माँ बनाने वाला काम? तुमने तो हाँ कही ही नहीं?

रानी शर्माकर: ओह वो काम? मैंने नहीं भी तो नहीं कहा।

राजीव: देखो रानी मैं तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती नहीं करना चाहता हूँ, तुम्हारे पति की तरह। अगर सच में यह तुम चाहती हो तो चलो आओ और अभी मेरी गोद में बैठ जाओ वरना किचन में चली जाओ। यह कहते हुए उसने अपना काम बंद किया और अपनी टाँगें फैला दी जैसे कह रहा हो आओ रानी यहाँ बैठो।

रानी एक मिनट के लिए झिझकी और दूसरे ही पल जैसे कुछ निर्णय ले लिया हो वह आकर उसकी गोद में बैठ गयी, और अपना मुँह उसकी छाती में छिपा ली। उसके बदन से तेज़ पसीने की गंध आ रही थी जिससे वह मस्त होने लगा।

राजीव अपनी गोद में बैठी उस लड़की को जकड़ लिया और उसके गाल और होंठ चूम लिया। फिर उसने उसकी गरदन में भी चूमना शुरू किया।

रानी बोली: मुझे बहुत पसीना आया है , मैं मुँह धो लूँ क्या?

राजीव उसके पसीने को चाटते हुए बोला: आह्ह्ह्ह्ह्ह क्या स्वाद है तुम्हारा पसीना, चाटने में बहुत मज़ा आ रहा है।

रानी: छी इसमे क्या मज़ा आ रहा है?

राजीव ने उसकी चुन्नी हटा दी और कुर्ते के ऊपर से उसकी कसी हुई चूचियों को पकड़कर दबाते हुए कहा: आऽऽहहह तुम्हारी तो चूचियाँ किसी कमसिंन लौंडिया के जैसी हैं। मस्त सख़्त हैं। क्या गोल गोल हैं रानी। ज़रा इनको दिखाओ ना प्लीज़।

रानी को अपनी गाँड़ के नीचे उसका लौड़ा खड़ा होकर चुभता सा महसूस होने लगा था सो वह भी मस्ती से बोली: आऽऽऽंहहह उतार लीजिए ना क़ुरती हाऽऽऽऽऽय किसने मना किया है। राजीव के द्वारा किए जा रहे चूचि मर्दन से वह आऽऽऽहहह करे जा रही थी।

राजीव उसका कुर्ता उतारने लगा और रानी ने अपने हाथ ऊपर कर दिए। कुर्ता निकालने के बाद उसकी ठोस चूचियाँ एक सस्ती सी पुरानी ब्रा में मस्त लग रही थीं। वह उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूमने लगा।

रानी को अब उसका लौड़ा बुरी तरह से गड़ रहा था और उसने अपनी गाँड़ हिलायी ताकि उसकी चुभन कम हो जाए। अब राजीव ने ब्रा का हुक भी खोला और रानी ने हाथ उठाकर उसकी ब्रा निकालने में मदद की। राजीव की आँखों के सामने बड़े सेब की आकार की दो चूचियाँ आ गयीं जिनके काले लम्बे निपल बिलकुल तने हुए थे जो रानी की उत्तेजना को दिखा रहे थे। राजीव कुछ देर तक उनको एकटक देखा और फिर उनपर अपने दोनों पंजे रखा और उनकी सख़्ती और कोमलता को महसूस करने लगा। उसने आज तक इतनी ठोस चूचियाँ नहीं दबायीं थीं। वह उनको बहुत देर तक दबाते रहा। फिर उसने उसकी बाहों को उठाया और बालों से भरे बग़ल को देखकर कहा: यहाँ भी जंगल उगा रखा है। फिर अपनी नाक लगाके बालों से भरी बग़ल को सूँघा और फिर जीभ निकालके वहाँ चाटने लगा। फिर वह चूचिया दबाने लगा।

तब रानी बोली: आऽऽऽऽऽह बाऊजी , क्या उखाड़ ही डालोगे इनको?

राजीव : अरे नहीं, पर क्या करूँ, जी ही नहीं भर रहा है दबाने से । क्या मस्त चूचियाँ है। फिर वह झुककर एक चूचि मुँह में ले लिया और चूसने लगा। उसके बड़े मुँह में उसकी आधी से भी ज़्यादा चूचि चली गयी थी और उसकी जीभ निपल को सहलाए जा रही थी और रानी आऽऽऽऽझ्ह्ह्ह्ह्ह बाउजीइइइइइइइइइइ करके सिसकी भर रही थी। अब राजीव ने उसकी सलवार का नाड़ा खोला। उसने रानी को उठने का इशारा किया तो रानी खड़ी हुई और उसकी सलवार नीचे गिर गयी। अब उसकी पुरानी सी पैंटी में छुपी बुर का हिस्सा दिख रहा था और सब तरफ़ से घने बाल भी दिख रहे थे । उसने रानी की पैंटी भी एक झटके में उतार दी और उसके सामने काले बालों का एक झुंड था जिसमें से उसकी बुर बहुत थोड़ी सी ही दिख रही थी।
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राजीव उसकी जाँघों को सहलाते हुए बोला: ये क्या इतने बाल उगा रखे हैं, कभी सफ़ाई नहीं करती क्या?

रानी: मैं जब कभी समय मिलता है कैंची से काट लेती हूँ। वैसे भी मेरे पति को तो कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ता, वह तो इसीमे कुछ धक्के मारता है और पाँच मिनट में झड़ जाता है।

राजीव ने उसे खींच कर अपनी गोद ने बिठा लिया और उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूचि और निपल्ज़ दबाकर उसको गरम कर दिया। फिर उसने उसकी बुर को ऊपर से सहलाया और बालों को अलग करके उसने दो ऊँगली अंदर डाली और उसको बिलकुल गीला पाकर वह उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगा। उसने सोचा कि आऽऽऽह क्या टाइट बुर है जैसे किसी कुँवारी कन्या की बुर हो। पता नहीं उसका पति उसे चोद भी पाता है या नहीं! वह और ज़ोर से उँगलियाँ हिलाने लगा।

रानी भी जल्दी ही अपने कमर को उछालकर उसकी उँगलियों की चुदाई का मज़ा लेने लगी। फिर उसने उसकी clit को रगड़ते हुए उसकी बुर में ऊँगली डालनी जारी रखी । अब रानी आऽऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह बाउuuuuuuजीइइइइइइ कहकर ज़ोर ज़ोर से कमर उछालकर झड़ने लगी। हाऽऽऽऽऽऽऽयय्यय मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है बाअअअअअउउउउउउउजीइइइइ।

राजीव की उँगलियाँ पूरी भीग गयी थीं। रानी ने सिसकारियाँ भरते हुए अपना सिर उसकी छाती में छिपा लिया। अब वह गहरी सासें ले रही थी। राजीव ने उसको हिलाया और उसकी आँखों में देखकर बोला: मज़ा आया रानी? कैसा लगा?

रानी: आऽऽहहहह बाऊजी बहुत अच्छा लगा। आपकी उँगलियों में तो जादू है। मज़ा आ गया।

राजीव: ऊँगली से इतना मज़ा आया तो सोचो कि मेरे लौड़े से कितना मज़ा आएगा?

रानी शर्मा गयी और मुस्कुरा दी। राजीव ने कहा: चलो अब तुम बेड रूम में आओ मेरे साथ। ये कहते हुए उसने उसको एक बच्ची की तरह गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। वह चुपचाप नंगी बिस्तर पर आँख बंद करके लेट गयी।

राजीव किचन में जाकर आइस क्रीम लाया और अपने हाथ से उसको खिलाने लगा और बोला: तुम अभी झड़ी हो ना तो थक गयी होगी। ये खाओगी तो ताक़त मिलेगी।

रानी इतने प्यार से अंदर तक भीग गयी और वह राजीव से चिपट गयी। दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थे।फिर रानी ने कहा: आप मुझे तो नंगी कर चुके हो और ख़ुद कपड़े पहन कर बैठे हो।

राजीव: तुम्हारे कपड़े मैंने उतारे तो तुम मेरे उतारो।

रानी हँसती हुई बैठ गयी और उसको भी बिठाके उसकी टी शर्ट निकाल दी। उसकी बालों से भरी चौड़ी छाती देखकर वह मस्त हो गयी। फिर उसने लोअर उतारा और उसके सामने चड्डी में बहुत फूला हुआ लौड़ा उसके मज़बूत जाँघों के बीच में जैसे चड्डी फाड़कर निकलने को बेताब था। उसने चड्डी के ऊपर से उसको सहलाया। फिर चड्डी उतारने लगी। उसके नंगे लौड़े को देखकर वह हैरान रह गयी। कितना लम्बा और मोटा था। उसके बॉल्ज़ भी बहुत बड़े थे। वह मंत्र मुग्ध होकर उस शानदार हथियार को देखती रही। उसकी चारों ओर बाल भी बहुत ही कम थे, जैसे हाल ही में शेव किया गया हो।

राजीव: रानी क्या देख रही हो? पसंद नहीं आया मेरा लौड़ा?

रानी: हाय ये तो बहुत बड़ा है। ये मेरे अंदर कैसे जाएगा। मेरे पति का तो इससे आधा ही लम्बा होगा और बहुत पतला भी है।

राजीव हँसते हुए: अरे शादी के सात साल बाद एकदम कुँवारी लड़की की तरह बात कर रही हो? ले लोगी आराम से इसको भी और मज़े से चिल्लाओगी और चोदो और चोदो । समझी कुछ? इसको पकड़ो तो सही और थोड़ा सहला कर तो देखो मेरी रानी।

रानी ने अपने हाथ बढ़ाए और उसके लौड़े को अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाने लगी। वह सोची कि बाप रे कितना बड़ा और मोटा है और मस्त गरम है । फिर उसने उसके बॉल्ज़ को सहलाया और बोली: आपके ये आँड भी कितने बड़े हैं?

राजीव: अरे मेरी जान, इसी में तो तुमको माँ बनाने वाला रस भरा है। इसका रस जब मेरे लौड़े से तेरी बुर में जाएगा, तभी तो तुम माँ बनोगी।

रानी को शायद बॉल्ज़ की महत्ता नहीं पता थी इसलिए वह चुपचाप उसकी बात सुन रही थी और लौड़े को सहलाए जा रही थी।

राजीव: चलो पहले मैं तुम्हारे बालों की सफ़ाई कर देता हूँ। चलो मैं पुराने न्यूज़ पेपर लेकर आता हूँ।

वह पेपर लाया और बिस्तर पर बिछाया और रानी के चूतरों को उनपर रखा और बाथरूम से शेविंग सेट ले आया। अब उसने उसकी टांगों को मोड़कर फैला दिया और ब्रश में साबुन लगाकर उसकी झाँटों में मलने लगा। फिर रेज़र से उसकी झाँटें काटने लगा। बालों के बड़े बड़े गुच्छे पेपर में जमा होने लगे। उसने बड़े मेहनत से उसकी झाँटे साफ़ की। फिर उसने उसकी कमर को और उठाया और थोड़े से बाल भूरि सी सिकुड़ी हुई मासूम सी गाँड़ में भी दिखाई दिए। उसने वहाँ भी साबुन लगाया और शेविंग की।अब उसने उसकी बुर और गाँड़ पर अपनी उँगलियाँ फिरायी और बोला: वह क्या माखन सी चिकनी हो गयी है तुम्हारे दोनों छेद । वह आऽऽह कर उठी।

राजीव उसकी गाँड़ में ऊँगली डाला और बोला: अब तो एकदम बच्ची की सी हो गई है तुम्हारी गाँड़ और बुर।

रानी: आआऽऽहहह क्या आप गंदी जगह में ऊँगली डाल रहे हैं? छी मत करिए ना।

राजीव: तुम्हारी गाँड़ गंदी नहीं मस्त जगह है चुदाई के लिए। देखना तुम्हें दोनों छेदों का मज़ा दूँगा ।

फिर वह बोला: चलो बाथरूम में चलते हैं। वह उसे उठाके बाथरूम में लेज़ाकर उसको टोयलेट की सीट पर बिठा दिया और बोला: चलो मूत लो जल्दी से ।

रानी शर्म से दोहरी हो गयी पर शायद उसको पिशाब आ रही थी सो करने लगी। वहाँ सीइइइइइइइइइ की आवाज़ आने लगी। वह अपने खड़े लौड़ेको मसलने लगा। जब रानी का हो गया तो उसने उसको एक ओर खड़ा किया और हैंड शॉवर से उसकी बुर और गाँड़ को धोने लगा। फिर उसने बुर पर साबुन लगाया और उस जगह को अच्छी तरह से साफ़ किया। फिर वह उसके पीछे जाकर उसकी चूतरों को धोया और फिर उसकी गाँड़ की दरार में साबुन लगाके वहाँ भी हाथ डालके अच्छी तरह से सफ़ाई की।

अब उसने शॉवर चालू किया और रानी को अपने से चिपका लिया और वह दोनों एक साथ नहाने लगे । रानी के लिए सब एक नया अनुभव था उसका लौड़ा उसकी नाभि में धँसा जा रहा था । फिर नहाने के बाद उसने अपने आप को फिर रानी को तौलिए से सुखाया। रानी की चूचियाँ, बुर और गाँड़ को भी अच्छी तरह से पोंछा।

फिर वह बिस्तर में जाकर उसके साथ लेटा और दोनों एक दूसरे से चिपक कर चुम्बन की मस्ती में डूब गए। राजीव के हाथ उसकी पीठ, कमर से होते हुए उसके चूतरों को दबाने लगे और फिर उसकी दरार में जाकर उसकी गाँड़ और बुर के साथ छेड़खानी करने लगे। रानी भी मस्ती में आके उसके लौड़े को मुठियाने लगी।

बदन की गरमी थी कि बढ़ती ही जा रही थी। राजीव उसके होंठों को चूसे जा रहा था । अब उसके हाथ उसकी चूचियाँ भी दबा रहे थे । जल्दी ही वह चूचियाँ चूसने लगा। रानी भी आऽऽह्ह्ह्ह्ह कहकर अपनी मस्ती का इजहार कर रही थी। अब वह नीचे आकर उसके पेट और नाभि को चूमने लगा और फिर नीचे जाके उसने उसकी चिकनी बुर को देखा और उसमें मुँह डालकर उसको चूमने लगा। रानी चौंक कर बोली: छी आप ये क्या गंदी जगह को मुँह लगा रहे हैं?

राजीव मुँह उठाकर हँसा और बोला: तुम्हारी सबसे प्यारी जगह को तुम गंदी बोलती हो? अरे मेरी जान मेरा बस चले तो मैं यहाँ से मुँह ही नहीं हटाऊँ। ये कहकर वह उसकी बुर को अब चाटने लगा। रानी आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह कर उठी । अब उसे बहुत मज़ा आने लगा था। वह अपनी कमर उछालकर उसके मुँह में अपनी बुर दबाने लगी थी।

अब उसने उसकी टांगों को और ऊपर उठाया और उसकी गाँड़ चाटने लगा। फिर से रानी चिल्लाई: क्या कर रहे हैं वह तो बिलकुल ही गंदी जगह है हटाइए मुँह वहाँ से ।

राजीव: अरे मेरी जान कोई भी अंग धुलने के बाद गंदा नहीं रहता । देख क्या मस्त चिकनी गाँड़ है तेरी। यह कहते हुए वह उसकी गाँड़ चाटने लगा और जीभ से उसकी गाँड़ में रगड़ाई करने लगा। रानी अब हाऽऽव्य्य्य्य उईइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कहते हुए वह अपनी गाँड़ उसके मुँह पर दबाने लगी।

अब उसने फिर से उसकी बुर पर ध्यान दिया और उसे चाटने लगा और clit को जीभ से छेड़ने लगा। उसकी बुर पूरी तरह से पनिया गई थी और वह जानता था कि कुछ मिनटों में ही वह झड़ जाएगी। अब उसने अपना मुँह उठाया और अपने लौड़े में ढेर सारा थूक लगाया और फिर उसकी बुर के ऊपर अपने सुपाडे को रखकर दबाया और उसकी बुर में सुपाड़ा पूरा चला गया। वह चिल्लाई: आऽऽऽहहह आपका बहुत मोटाआऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्य्य।

अब राजीव उसके ऊपर झुका और और उसकी चूचियाँ दबाकर उसके होंठ चूसते हुए एक करारा धक्का लगाया और अपना लौड़ा आधे से भी ज़्यादा उसकी बुर में उतार दिया। वह ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाकर चिल्लाई: आऽऽऽहहह बाउउउउउउउउउउजीइइइइइ निकाऽऽऽऽऽऽऽल लोओओओओओओओ नाआऽऽऽऽ उईइइइइइइइइइइ मरीइइइइइइइइइइइ । छोड़ो आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह।

राजीव को लगा कि वह कुँवारी बुर को चोद रहा है। आऽऽह क्या टाइट बुर है । उसने उसकी चूचियाँ चूसीं और निपल्ज़ को मसलकर उसको बहुत गरम कर दिया। फिर वह बोला: रानी अब चोदूँ?

रानी: आऽऽऽह जी चोदिए आऽऽऽह बहुत मज़ा आ रहा है। हाऽऽयय्यय ।

अब राजीव ने आख़री धक्का लगाया और उसका लौड़ा जड़ तक उसकी बुर में समा गया था। रानी को लगा कि उसका लौड़ा उसके बच्चादानी को ठोकर मारने लगा। वह ख़ुशी से भर गयी क्योंकि ऐसी फ़ीलिंग उसे कभी भी नहीं हुई थी। पहली बार उसे चुदाई में इतना मज़ा आ रहा था।
NICE MJA AA GYA RAJIV KA PRE WORK PAD :reading1: KE
 
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अब रानी भी अपनी कमर हिलाके उसका साथ देने लगी। राजीव भी मज़े से धक्के लगाने लगा। कमरे में चुदाई का मानो तूफ़ान आया हुआ था। फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी। साथ ही रानी की सिसकारियाँ भी आऽऽऽहहह और चोओओओओओओओओओदो बाअअअअअअअअउउउउउजीइइइइइइइइइ । फ़ाड़ दोओओओओओओओओ मेरीइइइइइइइइइइइ फुद्दीइइइइइइइइइ। राजीव उसके चूतरोंको दबाके उसकी ज़बरदस्त चुदाई कर रहा था और उसकी एक ऊँगली उसकी गाँड़ जे छेद में भी हलचल मचा रही थी।
अब रानी से नहीं रहा गया और वह ज़ोर से चिल्लाई: हाऽऽऽऽऽय्यय मैं गईइइइइइइइइइइइइ आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है और ज़ोर से चोदोओओओओओओओप्प बाऊजीइइइइइइइइइइइइ। उइइइइइइइइइ मैं गईइइइइइइइ। ये कहकर उसने अपनी जाँघों को दबाकर उसके लौंडे को जकड़ लिया और अपने ऑर्गैज़म के चरम आनंद में डूबने लगी। राजीव भी अब मज़े से उसकी बुर में अपना रस गिराने लगा। उसने पूरा लौड़ा दबाकर रस को अंदर तक छोड़ दिया । रानी को महसूस हुआ कि उसकी बच्चादानी के मुँह पर ही उसका वीर्य गिर रहा था।
वह आनंद से भर कर अपनी आँख बंद कर ली और चरम आनंद में डूब गई। अब राजीव भी बहुत मस्त होकर उसको चूमा और उसके साइड में लेट गया। अब दोनों नंगे अग़ल बग़ल लेटे हुए थे।
राजीव: मज़ा आया रानी?
रानी उससे लिपट कर बोली: सच बोलूँ ? मुझे तो आज ही पता चला कि असली चुदाई क्या होती है। आह सच में बहुत मज़ा आया बाऊजी । मैं आज बहुत ख़ुश हूँ।
फिर वह उसके लौड़े को पकड़कर प्यार से सहलाते हुए बोली: आज मुझे विश्वास हो गया है कि आप मुझे भी माँ बना ही देंगे जैसे अपने उन तीन लड़कियों को बनाया है। मुझे आप उन लड़कियों की कहानी कब सुनाएँगे?
राजीव उसके चूतरों को दबाकर बोला: ज़रूर बताऊँगा पर आज नहीं।
तभी उसका फ़ोन बजा उसने फ़ोन उठाया ।
राजीव: हेलो , अरे रमेश तुम? बोलो क्या बात है?
रमेश जो उसका दोस्त है: अरे तुमको अपने बेटे की शादी नहीं करनी है क्या?
राजीव: अरे करनी है ना , कोई है क्या तुम्हारी नज़र में?
रमेश : हाँ एक लड़की है मेरे एक दोस्त की ही बेटी है। अच्छी सुंदर और सुशील है और पढ़ी लिखी भी है।
राजीव: अरे तो फिर देर किस बात की है। बात आगे बढ़ाओ।
रमेश: ठीक है मैं फिर तुमको बताऊँगा उन लोगों से बात करके । ठीक है ना?
राजीव : बिलकुल ठीक है। मैं इंतज़ार करूँगा। बाई।
राजीव को ख़ुश देख कर रानी उसके बॉल्ज़ को सहला कर बोली: आप शिवा भय्या की शादी तय कर रहे हैं?
राजीव उसकी चूचि दबाके बोला: हाँ लड़की खोज रहा हूँ। देखो कब मिलती है?
फिर दोनों एक दूसरे से लिपट गए और राजीव उसको दूसरे राउंड की चुदाई के लिए तय्यार करने लगा।
रानी उसके बॉल्ज़ को सहलाते हुए बोली: मुझे तो लगता है कि आपने इतना रस मेरे अंदर छोड़ा है मैं शायद आज ही गर्भ से हो गयी हों गई होऊँगी।
राजीव हँसते हुए: शायद नहीं ,पक्का गर्भ ठहर ही गया होगा। मेरे लौड़ा तुम्हारी बच्चे दानी के ऊपर ठोकरें मार रहा था। वैसे मुझे एक बार तुमको फिर से चोदना है। सच क्या टाइट बुर है तुम्हारी।
रानी उठकर बैठी और बोली: मुझे ज़रा बाथरूम जाना है।
राजीव : चलो मुझे भी जाना है।
दोनों बाथरूम में जाकर मूते और राजीव झुककर हैंड शॉवर से उसकी बुर को धोया और फिर रानी ने भी उसके लौड़े को धोया। फिर वो दोनों बाहर आकर बिस्तर पर लेटे और एक दूसरे को चूमने लगे। जल्दी ही दोनों गरम हो गए। राजीव उसके ऊपर ६९ की पोजीशन में आ गया और उसकी बुर को चूमने और चाटने लगा। उधर उसका लौड़ा रानी के मुँह के सामने था। उसने कभी लौड़ा नहीं चूसा था। मगर उसने कुछ फ़ोटो देखीं थीं उसके सहेलियों की मोबाइल में जिनमे अंग्रेज़ औरतें आदमियों का लौड़ा चूस रहीं थीं। उसकी कुछ सहेलियाँ भी उसको बतायी थी कि वो अपने पति के लौड़े चूसती हैं।
उसने भी हिम्मत की और उसके लौड़ेको सहलाते हुए अपने मुँह के पास लायी और उसके सुपाडे को सूँघा। उसका पूरा शरीर मस्ती से भरने लगा। उधर उसकी बुर पर राजीव की जीभ तांडव कर रही थी और वह बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी। तभी उसने सुपाडे को चूम लिया और फिर वह जीभ से उसे चाटने लगी। उधर राजीव ने भी उसके मुँह में लौड़े का दबाव बढ़ाया और रानी के मुँह में उसका लौड़ा जैसे घुसता चला गया। अब राजीव उसके मुँह की चुदाई करने लगा। साथ ही बुर की रगड़ाई भी जीभ से किए जा रहा था। अब रानी मस्ती से लौड़ा चूसे जा रही थी। फिर राजीव उठा और उसने रानी को पेट के बल लिटाया और फिर उसको चूतर उठाने को बोला। अब उसकी बुर और गाँड़ उसकी आँखों के सामने थे। उसने गाँड़ की सुराख़ पर ऊँगली फेरी और फिर मस्ती से उसकी बुर मसलने लगा और फिर अपने लौड़े को उसकी बुर में लगाकर उसके अंदर अपना लौड़ा ठेल दिया और फिर उसकी नीचे को लटकी हुईं चूचियाँ दबाकर उसकी मस्त चुदाई करने लगा।
वह भी मज़े से अपनी गाँड़ पीछे करके चुदवाने लगी। कमरा एक बार फिर से फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँजने लगा। जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। राजीव ने उसकी बुर में अपना वीर्य अंदर तक छोड़ दिया।
फिर वो दोनों एक साथ लिपट कर सो गए।
अगले कुछ दिन ऐसे ही चला रोज़ शिवा के जाने के बाद वो चुदाई करते और राजीव उसको विश्वास दिला रहा था कि वह जल्दी ही गर्भ से हो जाएगी।
उस दिन भी वो दोनों चुदाई के बाद आराम कर रहे थे रानी उसके लौड़े को हल्के से सहला रही थी। तभी उसके दोस्त रमेश का फ़ोन आया और वह बोला: यार क्या तुम और शिवा कल यहाँ आ सकते हो? मैं चाहता हूँ कि कल तुम मेरे दोस्त श्याम की भतीजी को देख लो। बहुत प्यारी बच्ची है तुम लोगों को ज़रूर पसंद आएगी।
राजीव ने रानी की गाँड़ सहलाते हुए कहा: अच्छा ये तो बहुत अच्छी बात है। कौन कौन है उसके घर में?
रमेश: यार बेचारी के पिता का तो बचपन में ही देहांत हो गया था वह अपनी माँ के साथ मेरे दोस्त के यहाँ पली है जो कि उसका ताया है । यानी वह श्याम की भतीजी है। बी कॉम किया है और दिखने में भी बहुत सुंदर है।
राजीव: ओह चलो हम कल का प्लान बनाते हैं। तुमको ख़बर कर के कल शाम को आएँगे । तुम्हारा शहर सिर्फ़ दो घण्टे की ही दूर पर तो है। हम वहाँ पाँच बजे तक तो पहुँच ही जाएँगे।
फिर इधर उधर की बात करके उसने फ़ोन रख दिया। फिर राजीव ने उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाल दी और रानी आऽऽंह कर उठी ।
राजीव: अरे एक ऊँगली नहीं ले पा रही है तो मेरा लौड़ा कैसे अंदर लेगी?
रानी: मुझे नहीं लेना आपका लौड़ा यहाँ। बुर को जितना चाहिए चोदिए। पर गाँड़ नहीं मरवाऊँगी।
राजीव: अरे जब तुम गर्भ से हो जाओगी तो गाँड़ से ही काम चलाउंगा ना। डॉक्टर बोल देगी तीन चार महीने बाद कि बुर को चोदना बंद करो।
रानी हँसते हुए बोली: तब की तब देखी जाएगी। अच्छा तो कल आप बहु देखने जा रहे हैं।
राजीव : हाँ हम जाएँगे। देखें क्या होता है वहाँ?

फिर वह किचन ने चली गयी और वह भी आराम करने लगा।
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तभी राजीव एक बॉक्स लेकर आया और दीवान पर बैठा और उसके चूतरों को जी भर कर दबाया और चूमा।फिर वो उसके गाँड़ के भूरे छेद को सहलाया। फिर उसने एक पतला सा नक़ली लंड निकाला और उसमें जेल मला और फिर मालिनी की गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगा।

राजीव: बेटा अब तो ये नहीं दुखता ना?

मालिनी: आऽऽह नहीं पापा। अब ठीक लगता है। हाऽऽयययय।

राजीव ने अपनी लूँगी निकाली और मालिनी को बोला: बेटा मेरे लौड़ा सहला दे ना प्लीज़। बहुत गरम हो गया हूँ तेरी मस्तानी गाँड़ देखकर। वो उसके लौंडे को पकड़कर सहलाने लगी।

राजीव ने अब नम्बर २ का लण्ड डाला और उसे हिलाने लगा और पूछा: बेटा ये कैसा लग रहा है?

मालिनी: पापा आऽऽऽऽह ये थोड़ा सा दुखा था पर अब अच्छा लग रहा है। उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ।

क़रीब ५ मिनट के बाद अब राजीव नम्बर ३ वाला लम्बा और थोड़ा मोटा लंड डाला और मालिनी : आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽपा दर्द कर रहाआऽऽऽऽ है।

राजीव: बस बेटा थोड़ी देर बस, फिर मज़ा आएगा। वो हिलाते जा रहा था।

मालिनी: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽपा अब अच्छा लगाआऽऽऽऽऽऽ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मस्त लग रहा है । हाऽऽऽऽय्य उम्म्म्म्म्म्म कहकर वो अपनी गाँड़ उछालने लगी। अब वो बोली: पापा प्लीज़ बुर में ऊँगली डालो नाआऽऽऽऽऽऽऽ। आऽऽऽऽहहह बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है पाआऽऽऽऽऽपा।

शिवा आँखें फाड़े देख रहा था कि पापा उसकी गाँड़ में मोटा नक़ली लंड भी डालकर हिला रहे थे और एक हाथ उसकी बुर में भी घुसा कर उसकी बुर में उँगलियाँ कर रहे थे। मालिनी भी उनके लंड को दबाकर आऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽऽपा। उम्म्म्म्म्म मैं गयीइइइइइइ कहकर झड़ने लगी।

शिवा भी अपना लंड दबाकर पागल हुए जा रहा था ।

अब राजीव बोला : बेटा मज़ा आया? मेरे ख़याल से तुम्हारी गाँड़ इसके लिए ही खुजा रही थी। फिर उसने नक़ली लंड निकाला और कहा: देखो क्या मस्त फैल गयी है तुम्हारी गाँड़? अब बस एक इससे मोटा वाला ले लोगी कल तो तय्यार हो जाओगी गाँड़ मरवाने के लिए।

इसके बाद जो मालिनी ने कहा उसको सुनकर शिवा अपने लंड का माल अपने रुमाल में गिरा बैठा। वो अपना हाथ अपनी गाँड़ में ले जाकर छेद में ऊँगली फेरकर बोली: हाँ पापा ये तो बहुत बड़ा हो गया। अब आप मेरी गाँड़ की सील तोड़ दो। बुर की सील शिवा ने तोड़ी और गाँड़ की आप तोड़ दो।

शिवा सोचा कि उफफफफ ये लड़की क्या से क्या बन गयी है। पापा ने तो इसको पक्की रँडी बना दिया है।

तभी घंटी बजी, राजीव: लगता है बाई आ गयी। मैं जाता हूँ। तुम दरवाज़ा खोल दो।

मालिनी ने अपनी साड़ी नीचे की और दरवाज़ा खोलने गयी। राजीव समान लेकर अपने कमरे में चला गया। शिवा भी बाहर आया और ऊपर चढ़ कर सीढ़ी को ऊपर खिंचा और चुपचाप बाहर चला गया। वो दुकान जाते समय मोबाइल से आयशा को फ़ोन किया और उसको सब आज की बातें बताया।

आयशा: हम्म मतलब ससुर और बहु पूरा मज़ा ले रहे है।

शिवा: उफफक मैं क्या बताऊँ? मेरे पास शब्द नहीं हैं ।

आयशा: आपको ग़ुस्सा आया। या उत्तेजना हुई?

शिवा: सच कहूँ तो मैं बहुत उत्तेजित हो गया था और मैंने मूठ्ठ भी मार ली ।

आयशा हँसकर बोली: आह और मेरा नुक़सान करा दिया ।

दोनों हँसने लगे।

आयशा: मैं आज उसको २ बजे फ़ोन करूँगी। अगर वो उत्तेजित होगी तो आज भी मिलने आएगी। उसे आगे की कहानी सुननी है।

शिवा: वो तो मुझे भी सुननी है।

आयशा: ठीक है आपको भी सुना दूँगी। अच्छा कुछ काम बना तो बताऊँगी। बाई ।

शिवा भी फ़ोन काटकर सोचते हुए दुकान पहुँचा। उसे पता था कि शायद आज पापा और मालिनी साथ ही नहाएँगे और चुदाई भी होगी। वो सोचा कि काश वो ये देख पाता ।

उधर आज भी राकेश १० बजे सबके जाने के बाद सरला के पास आके बैठा और उसकी जाँघ सहलाकर बोला: मम्मी आप बहुत थक जाती हो ना? मेरी नौकरी लगने दो आपको महारानी बना कर रखूँगा । नौकर ही घर का काम करेंगे ।

सरला: तू बहु ले आना, तो मुझे आराम मिल जाएगा।

राकेश: मम्मी फिर वही बात? मुझे शादी करनी ही नहीं। मेरी तो आप ही दुल्हन हो । वो उसकी गोद में लेट कर उसकी चूची साड़ी के पल्लू को गिराकर ब्लाउस के ऊपर से ही दबाने लगा।

सरला उसके गाल चुमी और बोली: आह्ह्ह्ह्ह तेरी यही बातें तो मेरी सारी थकान उतार देतीं हैं बेटा। फिर दोनों एक मादक चुम्बन में लीन हो गए। सरला जानती थी कि वो अब उसे बिना चोदे छोड़ेगा नहीं। उसकी बुर भी पनियाने लगी और उसने पैंट के ऊपर से उसका लंड पकड़ लिया और दबाकर मस्त होने लगी।

उधर श्याम को चैन नहीं था। वो बार बार ये सोचता कि सरला और राकेश ग़लत कर रहे है। आख़िर वो सोचा कि कम से कम राजीव को तो वो ये बता ही सकता है। वो राजीव को फ़ोन किया ।

राजीव: हेलो श्याम कैसे हो भाई बड़े दिन बाद फ़ोन किया ।
मालिनी इस समय बाई के साथ किचन में थी।

श्याम: भाई बात ही कुछ ऐसी है। आपसे सलाह करनी थी।

राजीव: हाँ हाँ बोलो।

श्याम: वो क्या है ना कि अब कैसे बोलूँ ? बड़ा अजीब लग रहा है।

राजीव: अरे बोलो यार । सरला के बारे में है क्या?

श्याम: हाँ मगर आपको कैसे पता?

राजीव: यार वो माल है ही ऐसी कि उसके पीछे कोई ना कोई पड़ा ही रहेगा। बोलो क्या हुआ?

श्याम: यार इस बार तो इसने हद कर दी। जानते हो आजकल अपने बेटे से चुदवा रही है। उसे और राकेश को मैंने चुदाई करते देखा है।

राजीव थोड़ा सा चौंका फिर बोला: ओह तो ये बात है। देखो भाई मैं इसे ग़लत नहीं मानता। वो एक मस्त सेक्सी औरत है जिसे भरपूर चुदाई चाहिए। वो उसे राकेश या शायद शिवा ही दे सकते हैं। अब तुम उसका उतना ख़याल तो रख नहीं पाते। इसलिए वो अगर राकेश से चुदवा रही है तो तुमको बुरा नहीं लगना चाहिए।

श्याम: ओह आप ऐसा सोचते हो? मतलब वो अगर शिवा से भी चुदवा ले तो आपको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा?

राजीव मन में सोचा कि वो तो शिवा से चुदवा ही चुकी है। फिर बोला: नहीं मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा। अच्छा ये बताओ कि उसने तुमसे चुदवाने से कभी मना किया क्या?

श्याम: नहीं कभी नहीं। वो तो बीचारी महवारी में भी गाँड़ मरवा लेती है । इस मामले में कभी कोई शिकायत का मौक़ा नहीं दी।

राजीव: फिर क्या समस्या है? तुम भी चोदो और राकेश को भी चोदने दो। दोनों मज़ा लो उससे । एक बात बोलूँ चुदाई में रिश्तों की कोई अहमियत नहीं होती। चुदाई औरत और आदमी के बीच होती है बस ।

श्याम: इसका मतलब है कि आप भी अपनी बहु से ये सब कर सकते हो?

राजीव मन ही मन हँसा और बोला: हाँ अगर बहु को ऐतराज़ नहीं हो तो? वैसे मैं बेटी महक से भी कर सकता हूँ अगर उसे ऐतराज़ ना हो तो।

श्याम: ओह बड़ी विचित्र सोच है आपकी? अच्छा रखता हूँ।

श्याम सोचने लगा कि मेरी भी तो दो बेटियाँ हैं तो क्या मैं उनके साथ सम्बंध बना लूँ? ये तो बड़ी ही फ़ालतू सी बात लगती है।

उधर मालिनी बाई को घर भेजकर राजीव के कमरे में गयी । अभी दिन के १२:३० बजे थे। राजीव कुर्सी पर बैठ कर उसका ही इंतज़ार कर रहा था। वो अब तक नहाया नहीं था।


राजीव अपने कमरे ने बिना नहाए मालिनी के आने का इंतज़ार कर रहा था। मालिनी आयी और बोली: पापा आप अभी तक नहाए नहीं?

राजीव: बेटा आज तो तुम्हारे साथ ही नहाने का तय था ना।

मालिनी: पापा मैं तो एक बार शिवा के साथ नहा ली हूँ ना।

राजीव: मेरे साथ भी नहा लो। क्या फ़र्क़ पड़ता है।

मालिनी: ठीक है पापा जैसा आप बोलो। वैसे हम कल भी साथ नहा सकते हैं।

राजीव: कोई बात नहीं बेटा कल ही साथ नहा लेंगे। तो फिर मैं नहा लेता हूँ।

मालिनी: ठीक है पापा आप नहाओ , मैं थोड़ी देर में आती हूँ।

राजीव नहाने चला गया और मालिनी किचन में काम निपटाने लगी।

राजीव नहा कर तय्यार होकर आया और मालिनी को बोला: बेटा मैं ज़रा बैंक का कुछ काम निपटा कर आता हूँ।

मालिनी : ठीक है पापा।

राजीव के जाने के बाद मालिनी घर के काम निपटा रही थी तभी आयशा का फ़ोन आया: हाय कैसी हो?

मालिनी: ठीक हूँ। आप कैसी हो? मैं आपको फ़ोन करने ही वाली थी।

आयशा: किस लिए।

मालिनी: बस ऐसे ही। वैसे भी कल बात आधी रह गयी थी ना।

आयशा शरारत से हँसी: कैसी बात?

मालिनी भी हँसी: अरे वही आपकी शादी की बात जो आप बता रही थीं ।

आयशा: ओह वो बात? तो उसके लिए तो तुम कल आने वाली थी ना।

मालिनी: अरे मैं आज भी फ़्री हूँ। आप बोलो तो चार बजे आ जाऊँ?

आयशा: तुम्हारा ससुर तुमको आने देगा?

मालिनी: वो क्यों रोकेंगे? उनका काम करके ही आऊँगी ना।
इस पर दोनों हँसने लगे। आयशा बोली कि वह उसका इंतज़ार करेगी। फिर आयशा ने शिवा को फ़ोन किया और बताया कि मालिनी आएगी । तो वो फिर से बात सुनने की विनती किया और आयशा ने मान लिया।

मालिनी आयशा से मिलने का सोचकर थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी। ख़ैर थोड़ी देर बाद राजीव वापस आया और अपने हाथ में एक मिठाई का डिब्बा लाया था। वो राजीव के पीछे पीछे उसके कमरे में गयी और पूछी: पापा क्या लाए हैं?

राजीव: तुम्हारे लिए मलाई रबड़ी लाया हूँ।
मालिनी ख़ुशी से बोली: पापा ये तो मेरी मनपसंद मिठाई है।

राजीव उसको अपनी बाँह में खींचकर बोला: बेटा तभी तो लाया हूँ अपनी मीठी गुड़िया के लिए। वैसे बाई गयी क्या? मालिनी ने हाँ में सिर हिलाया। अब वह मालिनी के होंठ चूमने लगा। मालिनी भी उससे चिपट गयी। राजीव के हाथ उसके पीठ को दबा रहे थे। वो ब्लाउस के नीचे से उसकी चिकनी कमर को सहला रहा था। अब वो उसके मोटे चूतरों को पकड़कर अपने से चिपका लिया और मालिनी अपने बुर का हिस्सा उसके पैंट के सामने भाग से चिपका कर मस्त होकर उसके होंठ चूसने लगी। अब वो मालिनी की साड़ी खोलकर उसका ब्लाउस भी निकाला और अब ब्रा में क़ैद मालिनी के चूचों को वो दबाने लगा। अब उसने ब्रा भी निकाली और पेटिकोट का नाड़ा भी खोला और उसको पूरी नंगी करके मज़े से उसने नंगे बदन पर हाथ फेरने लगा।

मालिनी बिस्तर पर लेटी और वो भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। अब वो उसके बग़ल में लेटकर उसकी चूचियाँ सहलाया और निपल को ऐंठ कर उसे मस्त कर दिया । फिर बहुत देर तक चूमा चाटी होती रही। वो: ६९ का मूड है?

मालिनी: ठीक है पापा। वो ये कहकर उसके ऊपर आने लगी।

राजीव: रुको एक मिनट। फिर वो मिठाई लाया और उसकी चूचियों में मलने लगा और फिर उसकी जाँघों ,पेट,चूतरों , गाँड़ और बुर के ऊपर भी मलाई को मला। फिर वो मालिनी से भी यही करने को कहा। मालिनी हँसी और मलाई को उसकी छाती उसकी जाँघों और चूतरों पर मलने के बाद वह उसके लौड़े और बॉल्ज़ पर भी मली । अब राजीव उसकी चूचियों के ऊपर से मलाई चाटने लगा। मालिनी सी सी कर उठी। अब वो उसके पेट और जाँघों से भी मलाई चाटा। इस तरह वो उसके चूतरों की भी मलाई चाटा। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। वो गाँड़ और बुर को छोड़कर सब जगह की मलाई चाट चुका था।

अब वो मालिनी से बोला: बेटा अब तुम चाटो पर लौड़े के आसपास को छोड़ देना। अब वो। भी उसकी छाती पेट जाँघें चाटी और बोली: पापा मलाई बड़ी स्वाद है। इसको ऐसे भी खाते हैं मुझे तो पता ही नहीं था। अब सिर्फ़ लंड के ऊपर और बॉल्ज़ के आसपास की मलाई बची हुई थी। अब राजीव बोला: बेटा चलो ऊपर आ जाओ,६९ की पोजीसन में । वो उलटी होकर अपनी गाँड़ को उसके मुँह के ऊपर रखी और ख़ुद अपना मुँह उसके लंड पर रखी और उसके लंड पर लगी मलाई चाटने लगी। फिर वो उसके बॉल्ज़ और नीचे होकर उसकी बालों से भरी गाँड़ भी बड़े प्यार से चाटी। उधर राजीव भी अपना मुँह उसकी बुर में डालकर उसकी मलाई चाटा और फिर उसकी गाँड़ भी चाटा। अब वो दोनों पूरी तरह से ओरल सेक्स में लग गए। मालिनी की बुर में जिस तरह से जीभ डालकर वो उसे मस्त कर रहा था मालिनी को लगा वो झड़ जाएगी। वो उठकर बैठी और सीधी होकर उसके लंड को पकड़कर अपनी बुर ने घुसा ली और उसके ऊपर चिल्ला कर: उम्म्म्म्म आऽऽऽऽऽऽह हाऽऽऽय्य मरीइइइइइइ कहकर उसको चोदने लगी। अब राजीव भी उसकी चूचियाँ मसल कर नीचे से अपनी कमर उछालकर उसकी मस्ती को दुगुना करने लगा। अब मालिनी: आऽऽऽऽऽहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा कहकर झड़ने लगी। राजीव भी ह्म्म्म्म्म्म ओह्ह्ह्ह्ह कहकर झड़ने लगा। अब दोनों लस्त होकर पड़े हुए थे तो मालिनी बोली: पापा मलाई रबड़ी इतनी स्वाद कभी नहीं लगी जितनी आपके लंड के ऊपर से चाट कर लगी थी। राजीव हँसकर: हाँ मुझे भी तुम्हारी गाँड़ और बुर में इतना मीठा स्वाद कभी नहीं आया। अब वो दोनों हँसने लगे।

अब मालिनी ने उसको चूमते हुए कहा: पापा आज मैं फिर आयशा के घर जाऊँगी।
राजीव : अरे क्यों अब क्या हो गया?

मालिनी ने सफ़ाई से झूठ बोला: पापा वो आज और अपने कुछ प्रॉडक्ट्स दिखाएगी। बस मैं चार बजे जाऊँगी और एक घंटे में ही आ जाऊँगी।

राजीव: ठीक है बेटा जाओ। वैसे इस आयशा के मम्मे काफ़ी बड़े हैं जैसे तुम्हारी माँ के हैं। एक बार चुदवा दो ना उसको?

मालिनी: पापा आप भी ना, बस अब फ़ालतू बातें मत करिए।

शाम को मालिनी आयशा के घर पहुँची। आज आयशा ने टॉप और स्कर्ट पहना हुआ था। मालिनी साड़ी ब्लाउस में थी। दोनों गले मिलीं। आयशा चाय बनाकर लायी और तबतक मालिनी आयशा के द्वारा दी हुई एक एल्बम की तस्वीरें देख रही थी। कोई उन तस्वीरों को देख कर सोच भी नहीं सकता था कि इतनी अजीब फ़ैमिली है। तस्वीरों में असलम और आयशा थे और उसके ससुर सास और देवर भी था। सब बड़े ख़ुश दिख रहे थे। कुछ तस्वीरें तो पहाड़ों की थीं जहाँ पूरा परिवार मस्ती से घूम रहा था। कौन कह सकता है कि ये परिवार रिश्तों में चुदाई में विश्वास करते हैं।

आयशा चाय लायी और दोनों चाय पीने लगे। आयशा ने पहले ही फ़ोन कनेक्ट कर दिया था शिवा के फ़ोन से । थोड़ी देर इधर उधर की बातें की और फिर आयशा बोली: अभी ससुर से चुदवा के आयी हो क्या?

मालिनी: हाँ और क्या? जवान बहु को छोड़ेंगे थोड़ी ना? आज तो उन्होंने स्पेशल चुदाई की। मलाई रबड़ी वाली चुदाई। फिर वो विस्तार से उसको आज की चुदाई का क़िस्सा सुनाई। आयशा मस्त होकर बोली: तेरे ससुर भी मेरे ससुर की तरह नयी नयी आसान और तरीक़े खोजते हैं।
( उधर शिवा उसके मुँह से ये सब सुन कर वो मस्ती से भर गया। उफफफ पापा भी क्या क्या आयडिया लगाते हैं।मलाई रबड़ी लगाकर ।उफफफफ )

मालिनी: अच्छा ये सब छोड़ो और उस दिन जब आपको आपकी अम्मी असलम के घर लेकर गयी तो क्या हुआ वहाँ विस्तार से बताओ।

आयशा हँसकर उसका हाथ पकड़ कर सहलाती हुई बोलने लगी: ठीक है सुनो-------////////----

अम्मी मुझे लेकर अपने चचेरे भाई के यहाँ पहुँची। वो असलम के अब्बा थे। दोनों भाई बहन गले मिले। मुझे लगा कि दोनों ज़रा ज़्यादा देर ही आपस में चिपके थे। फिर अलग हुए और उन्होंने मेरे सामने ही कहा: भाई जान ये मेरी बेटी आयशा है और में इसके लिए असलम का हाथ माँगने आयी हूँ।

असलम के अब्बा जिनका नाम वाहिद है मुझे घूरते हुए बोले: हाँ हाँ क्यों नहीं ? ये तो बहुत प्यारी बच्ची है । इसकी और असलम की जोड़ी ख़ूब सही रहेगी।
वो मेरी छातियों को घूरे जा रहे थे। फिर उन्होंने असलम को आवाज़ दी और मैंने उसे पहली बार देखा। वो बहुत सुन्दर थे और थोड़े दुबले पतले थे। असलम के अब्बा बोले: बेटा ये आयशा है। इनकी अम्माँ इसका रिश्ता तुम्हारे लिए लाई है। बोलो पसंद है? ये शर्मा कर बोले: जी अब्बा पसंद है। ये भी मेरे बदन और ख़ासकर चूचियाँ देख कर बोले थे।
असलम की अम्मी उसकी सौतेलि माँ थी। वो बोली: हाँ इनकी जोड़ी मस्त जमेगी। उनका नाम सलमा था। तभी एक लड़का समोसे लेकर आया । वो अजमल था। सलमा का बेटा और असलम का सौतेला भाई। वो मेरी उम्र का ही था।

अम्मी तो पूरी तैयारी से आयी थी। वो बोली: आज सगाई कर देते हैं। क्या कहते हो भाई जान?

वाहिद: हाँ हाँ क्यों नहीं? सलमा चलो सगाई की तैयारी करो । शाम को कुछ रिश्तेदारों और पड़ोसियों को बुला लो और फिर सगाई कर देते हैं । पर इसके अब्बा तो आ ही नहीं पाएँगे?

अम्मी: कोई बात नहीं है। उनको बहुत काम था। शादी का पूरा इंतज़ाम तो वही करेंगे। अब हम सब बैठकर समोसा खाते हुए बातें करने लगे। फिर दोपहर का खाना खाकर सलमा मुझे लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आइ और वहाँ असलम और अजमल आए। अब हम तीनों बातें करने लगे। अजमल तो मुझे भाभी भी बोलने लगा। असलम की आँखें बार बार मेरी बड़ी चूचियों पर चली जाती थीं । मेरी आँख भी असलम के पैंट के उभार को देखी क्योंकि वहाँ एक ज़बरदस्त उभार बन गया था। असलम और उसका भाई वहीं एक बिस्तर पर लेट गए और मैं कुर्सी पर बैठी थी।

तभी मुझे पिशाब लगी और मैं पूछी: बाथरूम कहाँ है? अजमल मुझे लेकर दो कमरे पार किया और एक कॉमन बाथरूम में ले गया। मैं उसे थैंक्स कहकर अंदर गयी।

जब मैं बाहर आयी तो देखी कि अजमल वहाँ नहीं था। मैं धीरे धीरे उस कमरे की ओर जाने लगी जहाँ से आयी थी। तभी एक कमरे के सामने मुझे कुछ सिसकियों की आवाज़ें आयीं। मैं रुकी और खिड़की के पास जाकर धीरे से पर्दा हटाकर अंदर झाँकी तो मेरा सिर ही घूम गया। अंदर मेरी अम्मी और असलम के अब्बा बिस्तर पर चिपके हुए लेटे थे। अम्मी की ब्लाउस के हुक खुले हुए थे और मेरे होने वाले ससुर उसमें मुँह डालकर मेरी अम्मी की चूचियाँ चूस रहे थे। उन्होंने चूचियाँ ब्रा से बाहर निकाल रखी थी।

अम्मी सीइइइइइइइ उइइइइइइ कहे जा रही थी। अब ससुर ने अपना पजामा निकाला और वो चड्डी नहीं पहने थे। उफफफ क्या काला सा बहुत मोटा लंड था। मेरे अब्बा से भी ज़्यादा ही मोटा और लम्बा था। अम्मी बड़े प्यार से उनका लंड पकड़ी और सहलाने लगी और बोली: उफफफ कितना मिस करती हूँ इसको। आऽऽऽहहह कितना गरम है । इसको अंदर डालिए भाई जान बहुत दिन हो गए इसको लिए हुए।

ससुर: सच में मैं भी तुम्हारी बुर को बहुत याद करता हूँ। वो अम्मी की साड़ी उठाकर उनकी जाँघें सहलाते हुए अम्मी की बुर सहलाने लगे। अम्मी पैंटी नहीं पहनती थीं। अब वो उठे और अम्मी को बोले: लौड़ा चूसोगी नहीं क्या?
अम्मी किसी भूक़े की तरह उनके लौड़े पर टूट पड़ी और उसे चूसने लगी। ससुर: आऽऽऽऽऽहहह ह्म्म्म्म्म्म कहकर उसके मुँह को अपने लंड पर दबाने लगे। फिर वो बोले: चलो अब चोदता हूँ। अम्मी ने लौड़े से मुँह हटाया और सीधे लेट गयीं और अपने घुटने मोड़ कर अपनी जाँघें फैला दीं। ससुर उसमें अपना मुँह डाले और थोड़ी देर बुर चूसे और अम्मी की सिसकियाँ मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं। अब वो अपना लंड अम्मी की बुर में डाले और उनको बेतहाशा चोदने लगे। अब अम्मी भी उइइइइइइ आऽऽऽहहह करने चुदवाने लगी। क़रीब आधे घंटे की रगड़ाई के बाद वो दोनों शांत हुए। मेरी बुर पूरी गीली हो चुकी थी। अब अम्मी को चूमकर वो बोले: आह बहुत दिन बाद मिली तुम। पिछली बार हमारी चुदाई तुम्हारे घर में हुई थी एक साल हो गए उस बात को।

अम्मी: हाँ आपने मुझे और आयशा के अब्बा ने सलमा भाभी को चोदा था। ये तो अब भी सलमा को याद करते हैं।

मैं सन्न रह गयी कि मेरी सास भी मेरे अब्बा से चुदवा चुकी है।

ससुर: वैसे आयशा भी मस्त जवान हो गयी है। क्या छातियाँ है उसकी , बिलकुल तुम पर ही गयी हैं। वो अम्मी की छातियाँ दबाकर बोले।
अम्मी: इसलिए तो मैं उसकी शादी कर रही हूँ। कहीं बाहर वालों के चक्कर में ना पड़े और शादी के बाद उसका शौहर उसका ख़याल रखे।

ससुर आँख मारकर: हाँ हाँ क्यों नहीं असलम भी रखेगा और हम भी रखेंगे।

अम्मी: पहले असलम को अच्छे से सुहागरत और हनीमून मना लेने देना। फिर आप उसको जो करना है , बाद में ही करना। यह नहीं कि दोनों बेटा और बाप पहले दिन से ही उस पर टूट पड़ो।

ससुर अम्मी की जाँघ सहलाकर: अरे ऐसा ही होगा। पहले असलम से तो ठीक से काम बना ले वो। हम बाद में अपना काम बना लेंगे। अब बच्ची को कोई डराना थोड़े ही है।

मैं हैरानी से सुन रही थी किमेरा इस घर में क्या होने वाला है और वो भी अम्मी की मर्ज़ी से ।

तभी सलमा अंदर आयी और बोली: अगर आप लोगों का हो गया हो तो चलो शाम की सगाई की तय्यारियाँ कर लें?

वो दोनों हँसे और बाथरूम से फ़्रेश होकर सलमा के सामने ही कपड़े पहने और फिर बाहर निकल गए। मैं भी वापस असलम और अजमल के वापस आयी। वहाँ वो दोनों सो गए थे। खाना खाकर लेटे थे सो शायद नींद आ गयी। मैं बाहर आके बड़े हाल में गयी तो वहाँ ससुर और सास और अम्मी थे। वो सगाई की थाल सज़ा रहे थे। मुझे देखकर ससुर बोले: आओ बेटा मेरे पास आओ और यहाँ बैठो। मैं उनके पास बैठ गयी और वो मुझसे स्कूल की और मेरे शौक़ वगेरा की बातें करने लगे। मैंने देखा कि बात करते करते वो मेरी चूचियों को घूरने लगते और मेरी सलवार में से मेरी जाँघों की शायद गोलाइयों का अन्दाज़ लगा रहे थे। मेरी आँखें भी उनकी पजामा में से उनके उभार की ओर चली जाती थी।

शाम हुई और हमारी सगाई भी हो गयी। अब जब हम घर जाने के लिए निकले तो पूरा परिवार हम माँ बेटी तो छोड़ने बाहर तक आया। दरवाज़ा छोटा सा था। सबके साथ होने के कारण भीड़ सी हो गयी थी। तभी मैं जब बाहर निकल रही थी तो मैंने महसूस किया कि एक हथेली मेरे एक चूतर को दबोच कर दबा रही है। मैं उफफफ करके पीछे मुड़ी और मेरे ससुर की नज़र मुझसे मिली। वो मुस्कुरा रहे थे और चूतर दबाए जा रहे थे। मैं जल्दी से बाहर आयी और वो मेरी चूतर से हाथ हटा दिए ।

मैं ऑटो में बैठ कर सोची कि क्या ससुराल है जहाँ ससुर ज़्यादा बेताब है दूल्हे से ,दुल्हन की लेने के लिए।

शिवा अबतक बहुत उत्तेजित हो चुका था , फ़ोन पर ये सब सुनकर। उधर मालिनी का हाथ साड़ी के ऊपर से अपनी बुर पर जा चुका था।
आयशा ने मालिनी की हालत देखी और मुस्कुराकर उसकी बुर को दबाकर बोली: कुछ करूँ क्या इसको?


मालिनी: आह अभी नहीं अभी कहानी आगे बताओ।

बहुत कामुक कहानी, बहुत बहुत रोमांचक, बहुत बढ़िया।🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
 

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