Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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इधर शिवा और राजीव को तो नींद आ गयी थी, पर सरला और मालिनी की आँखों से नींद अभी भी ग़ायब थी। वो तो अपने घर रात को ११ बजे ही पहुँची थीं।

सरला अपने बिस्तर पर करवट बदल रही थी। वह अभी नायटी पहनी थी। उसकी आँखों में आज की पूरी घटनाएँ घूम रही थी। वो संतुष्ट थी कि सगाई अच्छी तरह से हो गयी थी। सच में राजीव कितने अच्छें है जिनकी मदद से सब कुछ आराम से निपट गया। और फिर उसे शाम की चुदाई याद आ गयी। बहुत मज़ा आया था। सच में श्याम और राजीव ने क्या मस्त चुदायी की थी। उसका हाथ अपनी नायटी के अंदर से अपने निपल्ज़ पर चला गया और वह राजीव के मस्त लौड़े को याद करने अपना दूसरा हाथ अपनी पैंटी में डालकर अपनी बुर को सहलाने लगी।

फिर उसे राजीव की पहली चुदाई की याद आ गयी और वो उन पलों को याद करके अपनी बुर में तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगी।उसकी ऊँगली clit को भी रगड़ रही थी। अपने निपल को मसलते हुए और अपनी बुर में अंगुलियाँ चलाते हुए वह सीइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह करने लगी। फिर उसे वह पल याद आया जब श्याम उसकी गाँड़ में और राजीव उसकी बुर में अपना अपना गरम माल छोड़ रहे थे। वह अब उइइइइइइइइओओ करके अपनी गीली बुर में और ज़ोर से उँगलियाँ चलाने लगी और फिर उइइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। शांत होकर वह करवट बदली और तकिए से चिपक कर सो गयी।

उधर मालिनी का भी यही हाल था। वह आज दिन भर की बातें याद कर रही थी। उसे सगाई की वो रस्म याद आइ जब शिवा ने उसकी ऊँगली में अँगूठी पहनाई थी। उसने वह अँगूठी चूम ली जैसे वह शिवा को चूम रही हो। फिर उसे वह दृश्य याद आया जिसमें वो पार्क में बैठे हुए शिवा से मीठी बातें कर रही थी। फिर उसे अचानक देवर भाभी की चुदाई याद आयी। कैसे वो दोनों एक दूसरेमें समाए जा रहे थे। और कैसे वह लड़की उसका लिंग चूस रही थी। उसे याद आया कि वह लड़की प्यासी थी क्योंकि वह बोली थी कि उसका पति उसे वह सुख नहीं दे पाता जो उसका देवर देता है। फिर उसे अपनी माँ का चक्कर याद आया । उसे पता था कि उसकी माँ के अपने जेठ यानी की ताऊजी से सम्बंध हैं। उसने कई बार दोनों को प्यार करते देखा है। वो उन दोनों को दो बार सेक्स करते भी देख चुकी थी। शायद पापा की कमी वो ताऊजी से पूरा करती हैं। यह सब सोचकर उसकी बुर भी गीली होने लगी। वह अपनी नायटी के ऊपर से अपनी चूचियाँ दबाने लगी। तभी उसको याद आया कि कैसे शिवा ने भी उसकी चूचियाँ दबायीं थीं। अब वो गरम होने लगी और उसने अपनी नायटी सामने से खोली और अपनी ब्रा के अंदर हाथ डालकर अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल्ज़ भी मसलने लगी। उसके मुँह से सीइइइइइ और हाऽऽय्य निकल रही थी।

फिर उसको याद आया किकैसे ससुर अपनी बहूके साथ लगा हुआ था। और कितनी गंदी बातें कर रहा था।
उनकी बातों से साफ़ पता चल रहा था कि ससुर और बहू का खेल कई दिनों से चला आ रहा है। और वो बहू को अपने दोस्त के साथ शेयर करने की बात भी किया जो उसको बहुत हैरान कर गयी थी। ऐसा भी कोई अपनी बहू के साथ करता है भला। फिर उस ससुर और बहू का सेक्स आ गया और वह फिर से गरम होने लगी। अब वह अपना हाथ अपनी पेंटी के अंदर लेकर अपनी बुर के साथ खेलने लगी। एक हाथ से वह बारी बारी से अपने निपल मसल रही थी और दूसरे हाथ से वह अपनी बुर में एक ऊँगली डाल कर रगड़ रही थी। उसकी आँखों के सामने बहू का अपने ससुर के लौड़े पर उछलकर चुदवाना और चिल्लाकर और ज़ोर से चोदो बोलना घूम रहा था। वह अब पूरी तरह से गीली हो चुकी बुर की clit भी रगड़ कर मस्ती से भर रही थी। अचानक उसके दिमाग़ में एक विचार आया कि क्या उसके ससुर भी उसके साथ ऐसा करेंगे? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता। पर फिर उसे याद आया किउसने राजीव को उसकी छातियों को घूरता पाया था। पर यह सोचकर कि वो उसका वहम होगा , उसने ध्यान नहीं दिया था। पर अब उसे शक सा होने लगा। तभी उसको ध्यान आया कि आज जब वह उनके पैर छू रही थी तो वह उसकी चूचि को घूर रहे थे। उसने सोचा कि ही भगवान क्या ये भी मुझे ऐसी ही नज़र से देखते हैं? कहीं मेरे ससुर भी मेरा वही हाल तो नहीं करेंगे जैसा कि उस आदमी ने अपनी बहू का किया हुआ है।

फिर वह यह सोचकर कि शिवा के रहते शायद वह ऐसा नहीं कर पाएँगे, वो शिवा के बारे में सोचने लगी। फिर उसे याद आया कि कैसे उसने उसकी छाती सहलायी थी और उसके पिछवाड़े में अपना लिंग रगड़ा था। अब वह बहुत गरम हो चुकी थी और शिवा का बड़ा सा लिंग उसकी आँखों के सामने झूलने लगा। वह रोमांच से भरने लगी। उसकी बुर में ऊँगली अब और तेज़ी से हिल रही थी और वह अब उइइइइइइइइ हाऽऽऽय्य कर रही थी। तभी उसे याद आया कि कैसे उसके लिंग ने सफ़ेद पिचकारी छोड़ी थी गाढ़ी सी । जिस तरह से उसके लिंग ने झटके मारे थे वो याद करके वह झड़ने लगी। उसकी सिसकियाँ गूँज रही थी और वह अपनी कमर उछालकर अपनी ऊँगली के दबाव को बढ़ाकर मस्ती से झड़ी जा रही थी।

झड़ने के बाद वह भी तकिए से चिपक कर सो गयी।
 
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अगले दिन सुबह रानी आयी और राजीव को चाय बना कर दी। राजीव ने रानी को कहा: आज तुम मुझसे पैसे ले लेना और डॉक्टर को दिखा देना । अब तुमको समय समय पर डॉक्टर को दिखाना होगा, समझी?

रानी: जी अच्छा दिखा दूँगी। आप ये तो बताओ कि कल सरला को ठोके कि नहीं?

राजीव हँसते हुए: अरे उसे ठोके बिना मुझे चैन कहाँ। वैसे कल उसकी मैंने और उसके जेठ दोनों ने मिलकर चुदाई की।

रानी: दोनों ने एक साथ ? हे भगवान ! आप भी ना क्या क्या करते रहते हो? वो तय्यार हो गई इसके लिए?

राजीव: अरे वो तो मस्त मज़े से चुदवाई किसी रँडी की तरह। मज़ा आ गया।

रानी: और वो रीमा का क्या चक्कर था, आप उसकी तरफ़ भी बहुत गंदी नज़रों से देख रहे थे ?

राजीव: अरे कुछ नहीं उसकी बुर चाटी और कुछ ख़ास नहीं।

रानी: एक बात बोलूँ ? नाराज़ मत होना!

राजीव: बोलो।

रानी: मैंने देखा था कि आप बहु की भी छाती को अजीब नज़रों से देख रहे थे। आपके मन में उसके लिए भी कहीं कुछ तो नहीं चल रहा?

राजीव: नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है। वह असल में क्या हुआ था कि सरला ने उसकी ब्रा का साइज़ ३४ बताया था। मुझे लगा कि वह बढ़ाकर बोल रही है, इसलिए मैं चेक कर रहा था कि क्या वाक़ई उसके इतने बड़े हैं क्या। और कुछ नहीं ।

रानी: वाह जी वाह क्या ससुर हैं जो बहू की ब्रा का नाप चेक कर रहे हैं वो भी सगाई के दिन। तो क्या परिणाम निकला जाँच का?

राजीव: हाँ उसके बड़े हैं ३४ से कम नहीं होंगे।

रानी: हाथ से पकड़कर देख लेते क्या साइज़ है?

राजीव झल्लाकर उसके पिछवाड़े पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोला: साली मेरा मज़ाक़ उड़ाती है? चल जा एक कप और चाय ला। रानी हँसती हुई अपने चूतर सहलाते हुए भाग गयी।

शिवा भी उठा और तय्यार होकर दुकान चला गया।

राजीव नहाकर सरला को फ़ोन लगाया: हाय मेरी जान कैसी हो?

सरला: ठीक हूँ, आपका बहुत धन्यवाद सगाई अच्छी तरह से हो गयी। सब कुछ बहुत बढ़िया रहा।

राजीव: हाँ सब कुछ बढ़िया था ,तुम्हारी चुदाई भी।

सरला: छि आपको तो बस एक ही बात आती है। और कल जो आप उस बच्ची रीमा के साथ करने जा रहे थे ना वो आपको हवालात की सैर करा देती।

राजीव: अरे जिसे तुम बच्ची कह रही हो वह कार में एक बार फिर से मुझे मज़ा दी। चालू चीज़ है। जल्दी ही चोदूंग़ा उसे। छोड़ो उसे, तुम बताओ तुमको तो मज़ा आया ना डबल धमाके का?

सरला हँसते हुए: इसका जवाब तो मैंने कल ही दे दिया था कि मुझे बहुत मज़ा आया।

राजीव: तो फिर कब इस मज़े को रीपीट करेंगे? एक बार फिर से वही मज़ा अपने घर पर लेंगे, प्रोग्राम बनाओ श्याम के साथ?

सरला: ठीक है बात करूँगी और बताऊँगी। शिवा कैसा है?

राजीव: ठीक है और दुकान चला गया है। मालिनी बेटी कैसी है?

सरला: वह भी ठीक है किचन में कुछ बना रही है। चलिए मैं रखती हूँ।

राजीव: अरे मेरी जान एक पप्पी तो दे दो और फिर वह एक चुम्बन की आवाज़ निकाला। उधर से सरला ने भी वही पुच्हह मी आवाज़ निकाली और फ़ोन रख दिया।

उधर मालिनी किचन में आकर खाना बनाने लगी, तभी उसको याद आया कि उसने अपने ज़ेवरों का डिब्बा तायी जी को दिया था , वो उसे वापस माँ को देना है। वह श्याम के कमरे की ओर चल पड़ी। जैसे ही वह उनके कमरे के पास पहुँची उसे माँ की आवाज़ सुनाई दी। वह हंस रही थी और धीमी आवाज़ में बात कर रही थी। उसने खिड़की से देखा कि ताऊजी ने मम्मी को अपनी बाँहों में जकड़ रखा था और उनके हाथ उनकी चूतरों पर घूम रहे थे। बग़ल में बिस्तर पर ताई जो सोई हुई थी या पता नहीं सोने का नाटक कर रहीं थीं। जब ताऊजी की उँगलियाँ उनके पिछवाड़े से होकर नीचे उनकी बुर या गाँड़ में जाने लगी तो मालिनी शर्म से वहाँ से हट गई। वह सोच रही थी कि इस उम्र में भी मम्मी को कितनी गरमी चढ़ी हुई है।

ये अच्छा ही हुआ कि मालिनी वहाँ से चली आयी वरना वो जो उनकी बातें सुन लेती तो उसका दिमाग़ ही घूम जाता।

सरला फुसफुसाकर बोली: राजीव जी का फ़ोन आया था, वह हम दोनों को फिर से बुला रहे हैं वही थ्रीसम के लिए।

श्याम उसकी चूचियाँ दबाते हुए: हाँ यार जल्दी ही प्रोग्राम बनाते है। सच बहुत मज़ा आया था कल। हैं ना?

सरला: हाँ आया तो था, पर ऐसे रोज़ रोज़ थोड़े ही जा सकते हैं? अगले हफ़्ते का प्रोग्राम बनाएँगे।

श्याम: ठीक है जैसा तुम कहो। तभी श्याम का फ़ोन बजा और सरला भी बाहर आ गयी और अपने काम में लग गयी।

उधर शिवा ने दुकान से सरला को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान?

सरला: ठीक हूँ मेरे जानू , आप कैसे हैं?

शिवा: कल की सगाई का नशा अभी भी नहीं उतरा।

सरला: अच्छा सगाई का या पार्क का?

शिवा हँसते हुए: पार्क का भी नहीं उतरा। क्या लोग हैं इस दुनिया में? ससुर बहु से लगा हुआ है और देवर भाभी से।

सरला: रिश्तों का तो जैसे महत्व ही नहीं रह गया हो। यह बोलते हुए इसे थोड़ी देर पहले का माँ और ताऊजी का आलिंगन याद आ गया। वह सकपका गयी।

शिवा: मुझे तो ऐसा लगता है कि वासना इंसान को रिश्तों को भूलने के लिए मज़बूर कर देती है , तुमको क्या लगता है?

सरला: सिर्फ़ वासना नहीं कभी कभी मजबूरियाँ भी हो सकती हैं। अब जिसने जो करना है करे , हम कौन होते हैं दूसरों की ज़िंदगी का फ़ैसला करने वाले, है कि नहीं?

शिवा: सही कहा तुमने। हर कोई फ़्री है अपने जीवन के फ़ैसले लेने के लिए? जिसे जो सही लगे वह वही करेगा। चलो छोड़ो ये सब , पर कल तुम साड़ी में बहुत मस्त लग रही थी। बहुत प्यार आ रहा था तुमपर।

मालिनी हँसते हुए: तभी शायद अपने प्यार को मेरे पिछवाड़े से रगड़ रहे थे।

शिवा झेंपकर बोला: अरे वो तो ऐसे ही पार्क में वो सब देखकर मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया था वरना मैं ऐसा करने का सोच भी नहीं सकता ।

मालिनी: कोई बात नहीं फिर क्या हुआ? अब तो मैं आपकी ही होने वाली हूँ , थोड़ी बहुत शरारत कर भी ली तो क्या हुआ? वैसे आपने एक बार मेरी छाती ज़रा ज़ोर से ही दबा दी थी, मुझे दुःख गया था।

शिवा: सॉरी वो पार्क में साला वो सब देखकर मैं ज़्यादा ही उत्तेजित हो गया था। अच्छा एक बात बताओ , मैंने सुना है कि लड़कियाँ एक दूसरे की छातियाँ दबाती है मज़ाक़ मज़ाक़ में ,ये सही है क्या?

मालिनी: सब ऐसी नहीं होतीं पर हाँ कुछ को ज़्यादा ही गरमी रहती है। मेरी भी एक दो लड़कियों ने दबाई थीं पर ज़ोर से नहीं।

शिवा: कई बार बदमाश लड़के भीड़ का फ़ायदा उठाकर दबा देते हैं, ऐसा कभी हुआ तुम्हारे साथ?

मालिनी: हाँ हुआ है जब मैं ट्रेन से उतर रही थी तो एक अधेड़ आदमी ने भीड़ का फ़ायदा उठाकर बहुत ज़ोर से दबा दिया। मैं तो मारे दर्द के रोने लगी थी। तब मेरे साथ में ताऊजी भी थे । मम्मी मुझे संभाल रही थी और ताऊजी ने उसकी बहुत पिटायी की थी। आपको बताऊँ लड़कों से ज़्यादा कमीने बड़ी उम्र के आदमी होते हैं। मेरा और मेरी सहेलियों का तो यही अनुभव है।

शिवा: ओह तुम्हारी सहेलियों के साथ भी ये हुआ है ?

मालिनी: हाँ सबके साथ कुछ ना कुछ हुआ ही है। कई सहेलियों को तो घर के आदमी भी ग़लत तरीक़े से छूते हैं।
जैसे पद्मा बता रही थी उसके मामा ही उसकी छाती और नीचे भी सहलाने की कोशिश करते हैं। वो जब छोटी थी तो उनके गोद में बैठती थी पर अब जब वो जवान हो चुकी है तब भी वो उसे अपनी गोद में बैठा लेते हैं और फिर यहाँ वहाँ छूते हैं।

शिवा: ओह ये तो बड़ी अजीब बात है। चलो दूसरों का छोड़ो और ये बताओ की मैं तुमको कैसा लगा?

मालिनी: बहुत अच्छे है आप। सच कह रही हूँ।

शिवा : और मेरा कैसा है?

मालिनी: आपका क्या कैसा है?

शिवा शरारत से हँसते हुए: हथियार और क्या?

मालिनी: छि आप बहुत बिगड़ रहे हैं। मैं आपको शरीफ़ समझती थी। कोई लड़की से ऐसे पूछता है भला?

शिवा: अरे मैं तो तुम्हारा इम्प्रेशन पूछ रहा हूँ उसके बारे में? और कुछ नहीं।

मालिनी: तो सुनिए मुझे तो वह ज़्यादा ही भयानक लगा है। और वो मेरी फाड़ ही देगा। आप ऐसा करना सुहाग रात को एक डॉक्टर बुला कर रखना क्योंकि बाद में सिलाई की ज़रूरत पड़ेगी। यह कहते हुए वह हँसने लगी और शिवा को भी हँसी आ गयी। फिर मालिनी ने आइ लव यू कहकर फ़ोन काट दिया। फिर उसे अहसास हुआ कि शिवा से बात करते करते उसकी बुर गीली हो गई थी। उधर दुकान में काउंटर के नीचे से शिवा ने भी अपना खड़ा लौड़ा अजस्ट किया। शिवा सोच रहा था कि अभी शादी में १५ दिन हैं कैसे कटेंगे ये दिन?

राजीव आज बहुत ध्यान से काम कर रहा था क्योंकि शादी में बस सिर्फ़ १५ दिन बचे थे। बहुत लिस्ट वो बना चुका था पर जब लड़की और उसके रिश्तेदारों को क्या उपहार देना है सोचा तब उसका दिमाग़ चलना बन्द हो गया। काश आज सविता होती तो कुछ भी परेशानी नहीं होती। तभी उसको अपनी बेटी का ख़याल आया और वह उसी समय उसको फ़ोन लगाया।

राज उसके दामाद ने फ़ोन उठाया: नमस्ते पापा जी।

राजीव : नमस्ते बेटा, फिर क्या प्रोग्राम बना?

राज: पापा मेरा अभी भी डांवाडोल है ओर महक की बुकिंग हो गयी है।लो महक से बात करो।

महक: नमस्ते पापा जी, मैं आऽऽऽऽऽऽ रही हूँ एक हफ़्ते में। ख़ूब मज़ा आएगा शिवा की शादी में। ख़ूब धमाल करेंगे।

राजीव: बेटी जल्दी से आओ और सब सम्भालो, तुम्हारी माँ के बिना बड़ी दिक़्क़त हो रही है। वैसे भी अपने परिवार की शायद आख़री शादी है। क्योंकि तुमने तो शायद बच्चे पैदा करने नहीं है और पता नहीं शिवा भी क्या सोचता है इस बारे में। तो मेरे जीवन में तो पोता पोती की शादी का नसीब होगा ही नहीं।

महक: क्या पापा आप क्या उलटा पुल्टा सोच रहे हैं। आप नाती पोता की शादी ज़रूर देखेंगे।

राजीव : हाँ अगर होंगे तो ही ना देखूँगा। तुम लोग अब ये फ़ैमिली प्लानिंग बंद करो मुझे नाती चाहिए समझी?

महक की आवाज़ इस बार थोड़ी सी उदास होकर आइ: ठीक है पापा। अब रखती हूँ, बाई।

राजीव ने भी बाई करके फ़ोन काटा और सोचने लगा कि महक अचानक उदास क्यों हो गयी? फिर वह ख़ुश होकर शिवा को फ़ोन कर बताया कि महक अगले हफ़्ते ही आ रही है। शिवा भी इस समाचार से ख़ुश हो गया।

तभी रानी आइ और बोली: मैंने खाना बना दिया है, आप खा लेना।

राजीव: बड़ी जल्दी है जाने की। चल जाते जाते अपनी गाँड़ दिखा कर जा।

रानी हँसने लगी और बोली: देखने से क्या होगा?

राजीव: मैंने कहा ना दिखा। वह हँसते हुए अपनी साड़ी लहंगे के साथ उठा दी और घूम गयी। अब उसकी पैंटी में क़ैद चूतर राजीव के सामने थे। वह अपना लौड़ा मसलते हुए बोला: चल पैंटी नीचे कर ताकि उनको नंगा देख सकूँ।

रानी ने मुस्कुरा कर पैंटी को नीचे किया और उसके गोल गोल चूतर उसके सामने थे। रानी का रंग गहुआं था पर चूतर काफ़ी गोरे थे।

राजीव: सामने झुक और चूतरों को फैला।

रानी ने सोफ़े का सहारा लिया और आगे झुकी और फिर हाथ पीछे करके अपने चूतरों को फैलाया। आह क्या दृश्य था उसकी सूजी हुई बुर और टाइट गाँड़ का छेद मस्त लग रहा था। वह अब अपना संयम खो दिया और अपने नीचे का हिस्सा नंगा करके अपने लौड़े को मसल कर झुकी हुई रानी के गाँड़ के सामने घुटने के बल बैठा और अपना मुँह उसकी दरार ने डाल कर उसकी बुर को चूसने लगा और जीभ से चोदने लगा।

रानी उइइइइइइइइइइ कर उठी और फिर वह अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने किया और वो उसे भूक़े की तरह चूसने लगी। फिर वह थूक से सने लौड़े को उसकी बुर में फ़िट किया और पीछे से दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। अब ठप ठप की आवाज़ के साथ उसकी मज़बूत जाँघें रानी के चूतरों से टकरा रही थीं और फ़च फ़च की आवाज़ भी बुर से आ रही थी।

रानी भी हाय्य्य्य्य और जोओओओओओओओओओर सेएएएएएए चोओओओओओओओदो कहकर चिल्लाई जा रही थी। अब जैसे जैसे वो अपनी चरम सीमा पर पहुँचने लगी वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न हुन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह अपनी जाँघों को आपस में भींचकर उसके लौड़े को जकड़ ली और राजीव भी इतना मज़ा बर्दाश्त नहीं कर पाया और वो दोनों झड़ने लगे।

रानी बाथरूम से बाहर आयी और बोली: अब जाऊँ?

राजीव ने उसे प्यार से चूमा और कहा: जाओ मेरी जान, पर डॉक्टर को शाम को ज़रूर दिखा देना और ये लो पैसे।

रानी भी उसको चूमकर पैसे लेकर चली गयी।

राजीव अब आराम करने लगा।
अगले दो दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ। रानी डॉक्टर को दिखा आइ थी और टोनिक और दूसरी दवाइयाँ लेने लगी थी । राजीव दिन में एक बार उसको चोद देता था।
उस दिन राजीव नाश्ता करके रानी से शादी के कपड़े संभलवा रहा था तभी फ़ोन बजा। उसने हेलो कहा और दूसरी तरफ़ से एक लड़की की पतली सी आवाज़ आयी: हेलो, कौन बोल रहे हैं?

राजीव: मैं राजीव बोल रहा हूँ, आप कौन बोल रही हैं?

लड़की: अंकल जी मैं रीमा बोल रही हूँ।

राजीव हैरानी से फ़ोन को देखा और बोला: अरे रीमा बेटी, कैसी हो? बोलो आज हमारी याद कैसे आ गयी।

रीमा: अंकल वो आपने अपना विज़िटिंग कार्ड रख दिया था ना मेरे पर्स में , वहीं से आपका नम्बर मिला है। इसलिए फ़ोन किया है।
 
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राजीव का लौड़ा खड़ा होने लगा। वह बोला: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं, बोलो क्या हाल है? आज स्कूल नहीं गयी?

रीमा: जी अंकल आज स्कूल की छुट्टी हो गयी है , हमारे प्रिन्सिपल की माता जी का निधन हो गया है।

राजीव: बेटी इस समय तुम कहाँ हो?

रीमा: जी स्कूल से बाहर आ रही हूँ।

राजीव: तो यहाँ आ जाओ हमारे घर , तुम्हें रानी बढ़िया पकोड़े खिलाएगी।

रीमा: जी मैं तो स्कूल बस से आती हूँ, मैं आपके घर कैसे आऊँगी?

राजीव: अरे बेटी ऑटो कर लो और हमारे घर तक आ जाओ। नीचे रानी खड़ी रहेगी वो पैसे दे देगी। ठीक है ना? उसने अपना लौड़ा मसलते हुए कहा।

रीमा: जी अंकल मैं आती हूँ, पर आप रानी दीदी को तो बाहर भेज दीजिएगा।

राजीव: हाँ हाँ तुम बिलकुल फ़िकर ना करो वह घर के सामने खड़ी मिलेगी पैसों के साथ। फिर उसने फ़ोन काट दिया।

रानी उसकी बात सुन रही थी , वो बोली: ये क्यों आ रही है यहाँ? पकोड़े खाने, या कुछ और खाने?

राजीव कुटिल हँसी हंस कर बोला: साली पकोड़े नहीं मेरा लौड़ा खाने आ रही है। और तुम मेरी मदद करोगी उसकी बुर फाड़ने में, समझी?

रानी: वह थोड़ी छोटी नहीं है आपके इस मोटे हथियार के लिए? उसको अपनी उम्र के लौंडों से चुदवाना चाहिए जिनके छोटे और पतले हथियार होते हैं। पता नहीं वो आपका कैसे लेगी?

राजीव: अरे बहुत प्यार से मस्त गीला करके क्रीम लगाकर लेंगे उसकी। आह देखो मेरा लौड़ा कैसे अकड़ गया है? मैंने तो उसे फ़ोन किया नहीं वो ख़ुद ही चुदवाने आ रही है तो क्या मैं उसे छोड़ दूँ?

रानी ने प्यार से उसके लौड़े को लोअर के ऊपर से सहलाया और बोली: आप ऐसा करो लूँगी पहन लो और चड्डी भी खोल दो ताकि उसको आपके लौड़े का अहसास हो जाए। वो मस्त गरम हो जाएगी।

राजीव: वाह क्या सुझाव दिया है, बल्कि अब तो मैं लूँगी में हीं रहना शुरू कर देता हूँ। चड्डी भी नहीं पहनूँगा । शाबाश क्या मस्त सेक्सी लड़की हो तुम। सोचकर ही मज़ा आ गया, जाओ लूँगी लाओ।

रानी जब लूँगी लायी तो वह नीचे से पूरा नंगा था और उसका लौड़ा ऊपर नीचे हो रहा था। रानी आकर झुकी और उसके लौड़े के टोप को चूम ली। फिर वह लूँगी डाला और उसका खूँटा लूँगी से अलग से दिख रहा था। रानी इस सेक्सी दृश्य को देखकर मुस्कुराई। तभी रीमा की मिस्ड कोल आयी। उसने जल्दी से रानी को पैसे देकर बाहर रीमा को लाने भेजा।

जब रीमा रानी के साथ अंदर आयी, तो वो सोफ़े पर अपनी गोद में एक किताब रख कर बैठा था। रीमा आकर उसे नमस्ते की और सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। वह स्कर्ट और टॉप की स्कूल यूनीफ़ॉर्म में थी। उसकी गदराइ जाँघें साफ़ दिखाई पड़ रही थीं। टॉप उसकी चूचियो पर कसा हुआ था। क्या ग़ज़ब कि लौड़ियाँ थी, राजीव के लौड़े ने प्रीकम छोड़ना शुरू कर दिया।

राजीव: बेटी, बताओ क्या खाओगी? रानी बहुत अच्छे पकोड़े बनाती है।

रीमा: जी अंकल खा लूँगी।

राजीव ने रानी को पकोड़े बनाने को बोला। फिर वह उससे स्कूल की और उसकी सहेलियों की बातें करने लगा। जब उसकी बातों से वो सहज हो गयी तब वह उससे शिवा की शादी की बातें करने लगा। उसने देखा कि अब वो पूरी तरह से सहज हो चुकी थी।

तभी रानी पकोड़े की प्लेट लायी और राजीव रीमा को बोला: आओ बेटी मेरे पास बैठ जाओ, यहाँ से पकोड़े उठाने में मुश्किल नहीं होगी।

अब वह उठकर उसके पास आकर बैठ गयी। राजीव ने पकोड़े उठाए और उसे दिया। वह उसकी प्लेट से लेकर खाने लगी। तभी रानी चटनी भी लायी और राजीव एक पकोड़े में चटनी लगाकर अपने हाथ से उसके मुँह में डालने लगा। वह हँसती हुई बोली: अंकल मैं कोई बच्ची थोड़ी हूँ, जो आप मुझे ऐसे खिला रहे हैं!

राजीव हँसते हुए बोला: ये तो सच है कि तुम अब बच्ची नहीं रही पूरी जवान हो गयी हो। उस दिन होटेल में मैंने ख़ुद सब कुछ जाँच करके देख लिया था। ठीक है ना?

रीमा: अंकल उस दिन पता नहीं मुझे ऐसा लगता है कि कुछ नशा सा हो गया था। मुझे कुछ ठीक से याद नहीं है।

राजीव: होटेल का याद नहीं है पर कार का याद है क्या?

रीमा अबके शर्मा कर: हाँ वो थोड़ा थोड़ा याद है।

अब राजीव ने एक हाथ उसकी नंगी जाँघ पर रखा और उसे सहलाते हुए बोला: सच में बेटी तुम मस्त जवान हो गयी हो और अब तुमको जवानी के मज़े लूटने चाहिए।

तभी रानी चाय लायी। राजीव: रानी, बोलो तो हमारी रीमा जवान हो गयी है कि नहीं?

रानी हँसकर: हाँ जी पूरी जवान हो गयी है यह तो।

राजीव: देखो इसकी टॉप के ऊपर से इसके दूध कितने बड़े दिख रहे हैं। यह कहते हुए उसने उसकी छातियों को सहला दिया। रीमा का बदन सिहर उठा। अब वह झुका और उसकी स्कर्ट को थोड़ा सा उठाकर उसकी जाँघ सहलाने लगा। वह फिर से सिहर उठी।

रीमा: आप ये कौन सी किताब पढ़ रहे हैं अंकल जी? वह उसकी गोद में रखी किताब को देखकर बोली जो राजीव ने अपने लौड़े का कड़ापन छिपाने के लिए रखी हुआ था।

राजीव: बस बेटी ऐसी ही एक कहानी की किताब है। उसे छोड़ो , लो तुम पकोड़े खाओ। यह कहकर उसके मुँह में चटनी लगा के एक और पकोडा डाला । उसका दूसरा हाथ अब उसकी पैंटी के आसपास आ चुका था। आऽह क्या चिकनी जाँघ है, सोचकर उसके लौड़े ने फिर से एक झटका मारा और किताब भी हिल गयी। अब रानी ने ही उसकी एक चूचि दबाई और बोली: आह सच में ये जवान हो गयी है, तुम यहाँ अंकल से मज़ा लेने आयी जो ना रीमा?

रीमा शर्माकर: मैं तो बस ऐसे ही मिलने आयी हूँ।

रानी: रीमा अगर तुमको मज़ा चाहिए तो अंकल की गोद में बैठ जाओ।

राजीव: हाँ बेटी आओ मेरी गोद में बैठकर पकोड़े खाओ।

रीमा शर्माकर उसकी गोद में बैठी और फिर उछल गयी और बोली: बाप रे ये क्या चुभा?

राजीव हँसते हुए: अरे बेटी कुछ नहीं, ये तो मेरा डंडा है जो सब आदमियों के पास होता है। यह कह कर उसने अपने लौंडे को लूँगी के ऊपर से दबाकर उसे उसका अहसास कराया। वह उसे फिर से अपनी गोद में खिंचा और इस बार उसको अपने लौड़े को ऐसे दबाकर रखा ताकि वह उसकी गाँड़ में ना चुभे। बल्कि वह उसकी बुर को लम्बाई में छू जाए।

रीमा अब गरम होने लगी क्योंकि उसकी पैंटी पर उसका लौड़ा लम्बाई में पूरी तरह से रगड़ रहा था और वह अब गीली होने लगी थी। तभी राजीव ने उसकी दोनों छातियाँ अपने हाथों में ले लिया और उनको दबाकर उसे और मस्ती से भरने लगा। अब रीमा की सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसकी कमर अपने आप हिलने लगी और पैंटी के ऊपर से वह अपनी बुर उसके लौड़े पर रगड़ने लगी। राजीव उसके गालों को चूमते हुए,उसके होंठ भी चूमने लगा।

अब रानी अपनी बुर खुजाते हुए बोली: चलिए ना इसे बिस्तर पर ले चलिए और इसकी जवानी की प्यास बुझा दीजिए। इसीलिए तो यह यहाँ आयी है।

राजीव ने उसको बच्चे की तरह गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वह बोला: बेटी, तुम्हारा कोई बोय फ़्रेंड है क्या?

रीमा: जी अंकल है।

राजीव: उसने तुम्हें चोदा है क्या, बेटी?

रीमा शर्माकर: जी हाँ कई बार।

राजीव: ये बढ़िया है कि तुम कुँवारी नहीं हो? अच्छा जब वह तुमको चोदता है तो मेरे पास क्यों आइ हो चुदवाने?

रीमा: जी उसके साथ मज़ा नहीं आता, और उस दिन आप जो मेरी नीचे वाली चूसे थे और सहलाए थे , मुझे उसमें बहुत मज़ा आया था।

अब राजीव ने अपने कपड़े उतारे और उसका लौड़ा देखकर उसकी आँखें फैल गयी। वो बोली: बाप रे इतना बड़ा? रितेश का बहुत छोटा और पतला है।

रानी: अरे ये मर्द का लौड़ा है कोई बच्चे की नूनी थोड़े है। वह उसको सहलाकर बोली।

राजीव अब झुक कर उसकी टॉप को निकाला और उसकी स्कर्ट भी उतार दिया। वाह क्या माल लग रही थी वह ब्रा और पैंटी में। वह पागल सा होकर उसके पेट को चूमने लगा फिर ऊपर जाकर उसकी ब्रा पर से चूचियाँ दबाके उसके होंठ और गाल चूमने लगा। फिर उसने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और रीमा उसे चूसने लगी। अब वो उसकी ब्रा भी निकाला और उसके मस्त संतरों को देखकर वह मज़े से चूसने लगा। अभी अधबने निपल्ज़ को चूसते हुए वह रीमा की बुर को गीला कर दिया। फिर नीचे आकर उसकी जाँघों को चूमा और चाटा। अब रीमा भी मज़े में आकर हाय्य कर उठी। अब वो उसकी पैंटी नीचे किया और उसकी हल्के काले बालों वाली बुर देखा और उसकी चुम्मियाँ लेने लगा। उसकी जीभ उसकी बुर के अंदर जाकर उसे पागल कर रही थी और वह उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कर उठी।

अब रीमा बुरी तरह गीली हो चुकी थी और अपनी कमर उछालकर अपनी वासना का प्रदर्शन कर रही थी।

रानी: लीजिए क्रीम लगा लीजिए , बहुत टाइट है , ऐसे नहीं घुसेगा। रानी उसके लौड़े पर क्रीम लगायी और फिर उसने रीमा की बुर में भी दो ऊँगली डालकर क्रीम चुपड़ा। फिर बोली: बहुत टाइट है , आराम से करिएगा।

अब राजीव ने उसकी गाँड़ के नीचे एक तकिया रखा और फिर उसकी टाँगे घुटनो से मोड़कर उनको फैलाके ऊपर कर दिया। रानी ने उसके दोनों पैर पकड़ लिए ।अब वो अपना लौड़ा हाथ में लेकर दूसरे हाथ से उसकी बुर की पुत्तियों को फैलाया। अब अपना मोटा सुपाड़ा उसकी तंग छेद पर रखा और हल्के से दबाने लगा। मोटा लौड़ा क्रीम के कारण अंदर को जैसे धँसने लगा। फिर उसने एक धक्का मारा और वह चिल्लाई: आऽऽऽऽहहहह मरीiiiiiii। उइइइइइइइइ अंकल जी निकालो नाआऽऽऽऽऽऽ आह्ह्ह्ह्ह्ज।

रीमा के चिल्लाने पर ध्यान ना देकर वह अब आख़री धक्का मारा और पूरा लौड़ा उसकी बुर में पेल दिया। रीमा अब गिड़गिड़ाने लगी: प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽऽऽल लो बहुत दर्द हो रहा है। आऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह प्लीज़ प्लीज़ ।

राजीव ने आगे होकर उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और वह अब गन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह उसके निपल्ज़ को मसल कर उसकी मस्ती जगाने में लग गया। रीमा भी अब थोड़ा शांत हो गयी थी।

राजीव: बेटी, दर्द कम हुआ?

रीमा: जी अंकल, पर आपका बहुत बड़ा है ना उफ़्फ़् बहुत दुख रहा था।

राजीव: बस बेटी अब मज़ा लो , तुम नीचे से धीरे धीरे अपनी कमर हिलाओ और देखो तुमको कैसा लगता है?

रीमा वैसे ही करी और बोली: हाऽऽऽऽऽय अंकल अच्छा लग रहा है।

राजीव: फिर मैं अब चुदाई शुरू करूँ मेरी गुड़िया?

रीमा: जी अंकल करिए।

राजीव मुस्कुरा के: क्या शुरू करूँ?

रीमा शर्माकर: : चुदाई ।

अब राजीव मस्त हो गया और उसने चुदाई चालू की और उसकी कमर अब ऊपर नीचे होकर उसे मस्ती से भर रही थी। वह अब भी उसके होंठ चूस रहा था और उसके निपल्ज़ दबा रहा था। उसका पूरा बदन रीमा के बदन के ऊपर था पर वज़न उसने अपनी कुहनियों और घुटने पर के रखा था। उसके बालों से भरे विशाल चूतर ऊपर नीचे होकर रीमा की बुर में मानो आग लगा रहे थे। रानी उसके बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहला रही थी जो कि इस चुदाई के प्रत्यक्ष दर्शी थे।

अब वो चिल्लाने लगी: उइइओइइइइइ उम्म्म्म्म्म्म्म हाऽऽऽऽऽय्यय उइइइइइइइइ ओओओओओओओओओ । और वह अब झड़ने लगी और राजीव भी उसकी टाइट बुर की जकड़न को और बर्दाश्त नहीं कर सका और उसकी बुर में अपना माल गिराने लगा। दोनों एक दूसरे से बुरी तरह से चिपक कर अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेने लगे।फिर पूक्क की आवाज़ से उसका लौड़ा बाहर आ गया। रीमा बुरी तरह से थक कर लस्त होकर पड़ी थी। रानी ने उसकी बुर की जाँच की, वहाँ उसे कुछ बूँदें ख़ून की भी वीर्य से सनी हुई दिखी। वह बोली: रीमा , आज तुम्हारी असली चुदाई हुई है , इसके पहले तुम्हारे दोस्त ने बस तुम्हारी बुर का उद्घाटन किया था , चुदाई तो आज ही हुई है।

रीमा उठी और बाथरूम से आकर बोली: आऽऽह मुझे बात दर्द हो रहा है नीचे में। चला भी नहीं जा रहा ।

रानी: पहली चुदाई में ऐसा होता है। आज घर में बहाना बना देना कि स्कूल में गिर गयी तो पैर में मोच आ गयी है, समझी?

रीमा: जी समझी। वह अब कपड़े पहन रही थी।

राजीव भी बाथरूम से बाहर आया और बोला: बेटी एक बार और हो जाए?

रीमा: नहीं अंकल मैं तो ऐसे ही दर्द के मारे मरी जा रही हूँ, अब और नहीं। फिर राजीव उसके पास आया और उसके चूतरों को सहलाया और उसकी चुम्मी लेकर बोला: बेटी जब भी चुदाई का मन हो फ़ोन कर देना, मैं सब इंतज़ाम कर दूँगा, ठीक है? और हाँ एंटी प्रेग्नन्सी पिल्ज़ खा लेना। अभी बहुत छोटी हो अभी से माँ तो नहीं बनना है ना?

रीमा: जी अभी कई दिन तक हिम्मत ही नहीं होगी। आपका यह मोटू इतना दुखाया है कि क्या बोलूँ। ये कहते हुए उसने उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया। फिर बोली:और हाँ , मैं अभी माँ नहीं बनूँगी, मैं वो गोली खा रही हूँ।
राजीव हँसने लगा।

रानी उसे नीचे जाकर ऑटो में बिठा आयी और उसके पैसे भी दे दिए।

जब रानी वापस आयी तो उसके हाथ में एक बंडल था। वह बोली: लीजिए शादी के कार्ड छप कर आ गए। अब लड़कियों को चोदना छोड़िए और कार्ड बाँटिये वरना कोई भी शादी में नहीं आएगा।

राजीव: आह महक की शादी में भी सबसे परेशानी वाला काम यही था और अब शिवा की शादी में भी यही काम सबसे कष्टप्रद है।

रानी: पर कार्ड तो बाटना ही होगा ना?

राजीव: हाँ सच है, पर इसमें भी कभी कभी मज़ा मिलता है। कई घरों में अकेली औरतें रहतीं हैं , उनके साथ थोड़ी सी चूहल हो जाती है। और कभी कोई पुराना माल अकेला मिल जाए तो ठुकाई भी हो सकती है।

रानी: हे भगवान, कमसे काम कार्ड तो सही मन से बाट आओ आप। सब जगह बस एक ही जुगाड़ में रहते हैं, चुदाई की।

अब दोनों हँसने लगे।
 
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सरला और श्याम कार्ड बाँट कर पूरी तरह से थक चुके थे, पिछले तीन दिनों से वो कार्ड ही बाँट रहे थे।

श्याम: चलो थोड़ा आराम कर लेते हैं एक एक कॉफ़ी पी लेते हैं इस रेस्तराँ में। वो अंदर जाकर कॉफ़ी ऑर्डर करते हैं।

सरला: भाई सांब, चलो कार्ड बाटने का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। अब थोड़ी चैन की साँस के सकते हैं।

श्याम: राजीव का भी फ़ोन आया था । वह भी कार्ड बाट बाट कर पूरी तरह से थक चुका है।

सरला: उनके कार्ड बट गए?

श्याम: हाँ उनके कल ही पूरे बट गए थे। असल में वो हमको वहाँ बुला रहे हैं कल मज़े लेने के लिए। उसने सरला के हाथ को अपने हाथ में लिया और एक ऊँगली से उसकी हथेली से रगड़ कर चुदाई का सिग्नल दिया।

सरला लाल होकर : अभी उनको इसकी सूझ रही है? अब शादी को आठ दिन बचे हैं इनको मस्ती सूझ रही है। इनको बोल दो अब शादी के बाद ही प्रोग्राम बनाएँ।

श्याम: तुम ही बोल दो ना। मेरी कहाँ मानेंगे।

सरला ने राजीव को फ़ोन किया: हाय नमस्ते कैसे हैं?

राजीव: पागल हो रहा हूँ तुम्हारी याद में। बस अब आ जाओ श्याम के साथ।

सरला: क्या भाई सांब ? आप भी क्या बोल रहे हो? शादी को बस आठ दिन बचे हैं। इतना काम पड़ा है और आपको ये सब सूझ रहा है? महक बेटी कब आ रही है?

राजीव: वह परसों आ रही है, तभी तो कह रहा हूँ कि कल आ जाओ और इसके बाद और कोई मौक़ा नहीं मिलेगा।

सरला: पर यहाँ बहुत काम बचा है। दो दिनो के बाद रिश्तेदार भी आने लगेंगे। शादी के बाद प्रोग्राम जमा लीजिएगा ना प्लीज़।

राजीव: देखो सरला, अब कोई बहाना नहीं, कल आना ही होगा। अगर श्याम के पास समय नहीं है तो तुम अकेली आ जाओ।

सरला : आप भी बड़े ज़िद्दी हैं। फिर वह श्याम को बोली: आप ही समझाइए ना ये तो मान ही नहीं रहे हैं।

श्याम फ़ोन लेकर: देखो यार मन तो हमारा भी है पर टाइमिंग सही नहीं है। बहुत काम हैं यहाँ ।

राजीव: चलो ऐसा करो कल १० बजे आ जाना और खाना खा कर दो बजे वापस चले जाना। आधा दिन तो मिल ही जाएगा। अब कोई बहाना नहीं चलेगा। सरला को मनाओ।

श्याम: ठीक है भाई कल हम यहाँ से ८ बजे निकलते हैं और दो बजे तुम हमें फ़्री कर देना।

सरला: पर कल के काम ?

श्याम: चलो अब जैसे भी होगा काम चला लेंगे। ठीक है भाई, कल का पक्का।

राजीव: एक बार सरला से बात करा दो।

सरला फ़ोन पर आके: तो आपने अपनी बात मनवा ही ली?

राजीव: मेरी जान। तुम्हें चोदने को मरा जा रहा हूँ। इतना भी ना तड़पाओ ग़रीब को। आ जाओ कल और मजे से डबल चुदाई का आनंद लो। तुम कहोगी तो रानी को भी इसमे शामिल कर सकते है।

सरला: नहीं नहीं, जितने कम लोग जाने इसके बारे ने उतना ही भला है।

राजीव: ठीक है मेरी जान जैसा तुम चाहोगी वैसा ही सही। अब एक चूम्मा दे दो।

सरला: धत्त हम कोफ़ी पी रहे हैं बाहर। आप दे दो ।

राजीव: मुआ मुआ करके चुम्मी दिया। सरला ने कहा मिल गया। अब रखती हूँ।

श्याम: बड़ा ही सेक्सी आदमी है यह बंदा। कल लगता है तुम्हारी ज़ोर से चुदाई करेगा।

सरला: छी आप लोगों को गंदी बातें करने में मज़ा आता है ना? चलो अब चलें यहाँ से। सरला उठने लगी पर वह महसूस कर रही थी कि राजीव से बात करने के दौरान उसकी बुर पनियाने लगी थी और वह अपनी साड़ी ठीक करने के बहाने अपनी बुर को खुजा बैठी।

श्याम उसको बरसों से जानता था वो मुस्कुराया और बोला: लगता है खुजा रही है कल की चुदाई का सोचकर।

सरला लाल होकर: चुपचाप चलिए यहाँ से । ख़ुद तो कुछ करते नहीं और मुझे उलटा पुल्टा बोल रहें हैं।

श्याम: अरे क्या नहीं करता? अपने घर में मौक़ा ही मुश्किल से मिलता है । आज रात को आ जाना , तुम्हारी भाभी को नींद की गोली खिला दूँगा फिर मस्ती से चोदूँगा तुमको, ठीक है।

सरला: रहने दीजिए अब कल का प्रोग्राम तो बन ही गया है , आज आराम से सोते हैं, वैसे भी कार्ड बाट कर बहुत थक गयी हूँ।

श्याम: जब मैं प्रोग्राम बनाता हूँ तो तुम पीछे हट जाती हो, और मुझे ही सुनाती हो।

अब सरला हंस दी और बोली: सॉरी बाबा, ग़लती से बोल दिया। आप बहुत अच्छे हैं एंड आइ लव यु । यह कहकर उसने उसका हाथ दबा दिया।
अब दोनों घर के लिए निकल पड़े।

राजीव बहुत ख़ुश था कि सब कार्ड बट ही गए। साथ ही कल सरला और श्याम आएँगे और बहुत मज़ा लेंगे। वह अपना लौड़ा दबाकर मस्ती से भर उठा।

अगले दिन उसने रानी को बताया कि सरला और श्याम आ रहे हैं और मस्त चुदाई का प्लान है। इसलिए वह खाना बना कर १० बजे के आसपास चले जाये।

अगले दिन जब सरला ने मालिनी को बताया कि वो और श्याम उसके ससुराल जा रहे हैं तो वो हैरानी से पूछी: ऐसा क्या काम आ गया है?

सरला: बस कुछ ज़ेवर फ़ाइनल करने हैं, तेरे ससुर जी थोड़ी मदद कर देंगे । उनकी अच्छी पहचान है वहाँ। हम शाम तक वापस आ जाएँगे।

मालिनी: क्या मम्मी, ज़ेवर तो हमारे शहर में भी मिलते हैं। इसके लिए भला वहाँ जाने की क्या ज़रूरत है?

अब सरला क्या कहती अपनी बेटी से कि उसके ससुर की ज़िद के आगे उसकी नहीं चली और वह अभी उससे चुदवाने जा रही है। और तो और आज सरला ने अपनी झाँटें भी साफ़ की थी क्योंकि वो भी काफ़ी बड़ी हो गयीं थीं। वह बोली: चलो देख आते हैं, पसंद नहीं आएँगे तो नहीं लेंगें। तभी श्याम आ गया और उसकी आँखें सरला की सुंदरता देख कर चमक उठीं। आज सरला ने नाभि दर्शना साड़ी पहनी थी जो कि स्लीव्लेस ब्लाउस और उसकी छाती की गहराइयों को भी काफ़ी कुछ दिखा रहे थे। श्याम का लंड सरसरा उठा। उसके चूतरों में भी साड़ी का उठान बहुत ही मादक दिखाई दे रहा था।
 
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जब दोनों बाहर आए और पास के बस स्टैंड के लिए चल पड़े। श्याम: आज तो बहुत मस्त माल दिख रही हो? क्या सजी हुई हो? लाल होंठों के लिपस्टिंक को तो देख कर ही मेरे खड़ा हो गया है।

सरला: अच्छा फिर शुरू हो गयी गंदी बातें।

श्याम: इसमें गन्दा क्या है, तुम दिख ही रही हो इतनी मस्त। देखो वो काली क़मीज़ में बूढ़ा तुमको कैसे देख रहा है जैसे खा ही जाएगा। देखो अब अपना लंड भी खुजाने लगा।

सरला उसको देखकर मुस्कुराती हुए बोली: आप बस भी करो ।

श्याम: अच्छा छोड़ो ये सब, बताओ झाटें साफ़ की या नहीं? परसों जब चोदा था तो साली गड़ रहीं थीं।

सरला आँख मटका कर बोली: हाँ साफ़ कर ली हैं आज सुबह नहाने के पहले।

श्याम: चलो, अच्छा किया , राजीव को चिकनी बुर पसंद है।

सरला: और आपको बालों वाली पसंद है क्या? थोड़े से भी बढ़ जाते हैं तो हल्ला मचाने लगते हैं आप।

श्याम हँसने लगा। वो बस स्टैंड पहुँच गए थे। एक बस आइ तो उसमें बहुत भीड़ थी। श्याम बोला: जाने दो और आएँगी। पर पता नहीं क्या बात थी कि सभी बसें भरी हुई ही आ रही थी। आख़िर में सरला बोली: अब जो भी बस आएगी ऊसीमे घुस जाएँगे, वरना देर हो रही है।

श्याम : ठीक है अब जो भी आएगी उसमें ही चलते हैं।

तभी एक बस आयी और श्याम भाग कर उसमें चढ़ गया और सरला भी किसी तरह जगह बना कर अंदर आ गयी। तभी भीड़ आइ और श्याम आगे को हो गया। सरला के आस पास १८/१९ साल के दो लड़के खड़े थे जो उसे घूरने लगे। सरला समझ गयी कि ये लड़के उसको आज छोड़ेंगे नहीं। एक लड़के का हाथ तो उसकी नंगी कमर पर आ भी चुका था,और दूसरा भी उसके चूतरों को छू लेता था।

तभी सरला ने देखा कि अगले स्टॉप पर एक आदमी उतरने के लिए खड़ा हुआ तो वो जल्दी से उसकी सीट पर बैठ गयी। अब उसने देखा कि उसकी बग़ल में एक क़रीब ४० साल का बंदा बैठा था जो कि उसे बड़ी ही गंदी नज़र से देख रहा था। उधर वो दोनों लड़के अब उसके सीट के साथ आ कर खड़े हो गए थे। एक लड़के ने सरला के पीठ के पास वाली रोड पकडली और उसका हाथ बार बार उसकी पीठ से टकराने लगा। दूसरा लड़का अपना अगला भाग सरला की गरदन से बार बार छुआ रहा था । अब बग़ल में बैठा आदमी भी उसकी तरफ़ सरका और दोनों की जाँघें रगड़ने लगीं।

फिर वह लड़का अपने पैंट के आगे के भाग को उसके कंधे पर चुभाने लगा। दूसरे लड़के ने अब उसकी गरदन और पीठ सहलाना शुरू किया और उसका पड़ोसी अब उसकी जाँघ सहलाने लगा। सरला एक मिनट के लिए तो ग़ुस्सा हुई फिर मन ही मन सोची की क्यों ना मज़ा लिया जाए इस परिस्थिति का भी। फिर वह रिलैक्स हो गयी और उसने इन सबको मज़ा सिखाने का सोचा। उसने अपना पल्लू ठीक करने के बहाने उसको नीचे किया और अब उसकी बड़ी बड़ी आधी नंगी छातियाँ उन तीनों के सामने थी। फिर वह पल्लू को वापस इस तरह से रखी कि उसकी एक छाती साड़ी के बाहर थी। अब वह आगे होकर सामने की सीट का रॉड पकड़ ली और अब उसकी नंगी गदराई बाँह के नीचे एक चूचि कसे ब्लाउस में फँसी हुई थी। वो लड़का जो उसके कंधे पर अपना लण्ड रगड़ रहा था , अब उसके ब्लाउस पर लण्ड रगड़ने लगा । सरला को अपनी पैंटी गीली होती महसूस हुई।
उधर दूसरा लड़का पीछे से हाथ लगाकर उसकी साड़ी के अंदर हाथ डाला और दूसरी चूचि के नंगे भाग को छुआ। पड़ोसी तो जाँघ सहला ही रहा था। अब सरला ने अपना ख़ाली हाथ अपनी छाती के पास मोड और पहले लड़के के लण्ड को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया। अब उस लड़के की हालत ख़राब होने लगी। इस बात की उसने कल्पना नहीं की थी जो हो रहा था। अब सरला बग़ल वाले का अपनी जाँघ पर रखा हाथ पकड़ी और उसको दबाने लगी। वह भी बुरी तरह से उत्तेजित हो गया। तभी पीछे वाला लड़का उसकी चूचि दबाने लगा। अब सरला ने अपने हाथ का लंड ज़ोर ज़ोर से दबाना चालू किया और जल्दी ही वह लड़का अपना पानी छोड़ दिया और उसके पैंट के ऊपर एक धब्बा सा बन गया।

सरला मुस्कुराई और उसको पीछे को धक्का दी और फिर मुँह मोड़कर दूसरे लड़के को आगे आने का इशारा की। वह फट से आगे आया और अपना लंड उसके दूध पर दबाने लगा। सरला उसके भी पैंट के ऊपर से लंड पकड़ ली और तीन चार बार दबाने से ही वह भी झड़ गया। वह भी अब पीछे हट गया। सरला अपनी मस्ती से बहुत ख़ुश थी।

अब उसने अपने बग़ल वाले को देखा और अपनी साड़ी का पल्लू फिर से ठीक करने के बहाने अपनी एक चूची उसके सामने कर दी। वह तो आधी नंगी चूची देखकर ही बुरी तरह से उत्तेजित हो गया। अब सरला उससे सट कर बैठी और अपना साड़ी का पल्लू उसकी पैंट के ऊपर गिरा दी। अब वह अपनी साड़ी के पल्लू के नीचे से उसकी पैंट पर हाथ ले गयी और उसका लंड दबाने लगी। वह आदमी तो जैसे मस्ती के मारे उछल ही पड़ा। अब वह भी सरला की जाँघ को दबाते हुए उसकी चूचि को घूरते हुए अपनी कमर को हिलाने लगा , मानो उसके हाथ को चोद रहा हो। वह भी अब इस विकट परिस्थिति में झड़ने लगा। पैंट के ऊपर बन गए धब्बे को छुपाने जे लिए वह रुमाल निकाला और धब्बे के ऊपर रख दिया । सरला भी टिशू पेपर निकाली और अपना हाथ साफ़ की जिसने तीनों का थोड़ा सा वीर्य लगा था। फिर उसने वह किया जिसकी कल्पना भी उस आदमी ने कभी नहीं की थी। वह अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को अच्छी तरह से खुजाई और ये करते हुए वह मुस्कुराते हुए उस आदमी की आँखों में देखती रही। उस आदमी के पैंट में फिर से तंबू बनने लगा। अबके सरला ने ऐसे मुँह फेर लिया जैसे उस आदमी का अस्तित्व ही इस दुनिया ने नहीं है। अब वह चुप चाप बैठे हुए था। सरला अपनी बिजय पर मुस्कुराई।

थोड़ी देर में श्याम आया और उतरने को बोला। सरला उठी और अपने पिछवाड़े को उस आदमी की तरफ़ करके अपनी साड़ी ठीक करने के बहाने अपनी गाँड़ अच्छी तरह से खुजाई । फिर वह मुड़कर उसे देखी तो हँसने लगी क्योंकि वह फिर से अपना लौड़ा दबाकर झड़ रहा था , उसका चेहरा इस बात की गवाही दे रहा था।

सरला और श्याम उतरे तो श्याम बोला: भीड़ बहुत थी, कोई परेशानी तो नहीं हुई।

सरला मन ही मन मुस्कुराकर बोली: नहीं मुझे तो कोई परेशानी नहीं हुई। हाँ तीन लोगों को ज़रूर हुई।

श्याम: कौन तीन लोग?

सरलाटालते हुए बोली: अरे वही जिन्होंने मुझे बैठने के लिए जगह दी।

श्याम को कुछ समझ नहीं आया और उसने भी आगे कुछ नहीं पूछा।

फिर श्याम बोला: मैंने फ़ोन किया है राजीव आता ही होगा। तभी उसे वह दिख गया। वह फिर से बोला: देखो तुम्हारा आशिक़ आ गया। क्या जींस और टी शर्ट में अपनी मसल दिखा रहा है, इस उम्र में भी।

सरला हँसने लगी और मस्ती से बोली: मसल क्या अभी तो और बहुत कुछ दिखाएगा।

श्याम चौक कर उसे देखा और सोचने लगा कि इसे क्या हुआ है, एकदम से मस्ती के मूड में आ गई है। उसे भला क्या पता था कि यह औरत अपनी मस्ती में इसलिए है कि वह अभी तीन तीन लंडों का रस निकाल कर आइ है। और ख़ुद भी अपनी पैंटी गीली कर चुकी है।

तभी राजीव आया और श्याम से गले मिला और सरला के पास आकर उसकी कमर सहला कर बोला: क्या हाल है मेरी जान। बहुत ख़ुश दिख रही हो?

सरला चहक के बोली: बिलकुल बहुत ख़ुश हूँ आपसे मिलने जो आयी हूँ। इतने दिनों के बाद आपको देखकर अच्छा लग रहा है।

राजीव: आज तो तुम एकदम चक्कू ( चाक़ू) लग रही हो मेरी जान। पता नहीं किसको किसको कटोगी।

सरला: चक्कू तो आपके पास है मेरे जानू, मैं तो बस कटने आइ हूँ।

राजीव हँसते हुए : एक चक्कू साथ में भी तो लाई हो? उसने रास्ते में काटा तो नहीं?

सरला: वह चक्कू तो मेरे पास बैठा ही नहीं था, कैसे काटता ?

श्याम: चलो अभी घर चलो , वहाँ चक्कू और ख़रबूज़ा की बातें कर लेना।

तीनों हँसते हुए कार में बैठे और घर की तरफ़ चल पड़े। सरला की बुर बहुत गरम थी और वह घर पहुँचने का इंतज़ार कर रही थी। वह अकेली पीछे बैठ कर अपनी बुर को खुजा कर थोड़ी शांत हुई।
 

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