राजीव बाहर आकर चाय पीने लगा और मालिनी को घूरने लगा। वो चुपचाप चाय पीती रही । राजीव उसकी चुप्पी से असहज हो कर पूछा: बेटा क्या बात है? जब से तुमने शिवा और सरला की मस्ती का सुना है तुम थोड़ा अजीब सा व्यवहार कर रही हो? वह उसकी बाँह सहला कर बोला।
मालिनी : कुछ नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है। सब ठीक है।
अब राजीव उसकी नायटी के ऊपर से उसकी चूची दबाकर बोला: नहीं कुछ बात तो है, बेटा। बताओ ना? उफफफफ क्या मस्त चूचि है तुम्हारी। पता नहीं कब इनका रस पिलाओगी?
मालिनी: पापा आप भी बस पीछे ही पड़े रहते हो।
राजीव ने नोटिस किया कि आज वो उसका हाथ अपनी चूचि से नहीं हटा रही थी। अब वो उसकी चूची को ऊपर से सहलाना शुरू किया जहाँ से वो थोड़ी सी नंगी दिखाई दे रहीं थीं । मालिनी बोली: पापा आप छोड़िए ना मुझे शिवा को भी जगाना है। वैसे आज बाई भी नहीं आएगी तो काम भी ज़्यादा होगा ।
राजीव ने उसको अपनी गोद में खींचकर बिठा लिया और बोला: अरे बाई नहीं आएगी तो क्या हुआ? मैं तुम्हारी मदद करूँगा । बोलो क्या करना है। वो उसकी चूचियों को ऊपर से चूमकर बोला।
मालिनी हँसकर: पापा आप पहले इनको छोड़िए। तभी तो मैं कोई काम कर सकूँगी। और हाँ देखती हूँ क्या मदद करते हो आप?
राजीव उसको छोड़ते हुए बोला: बेटा बोलो बर्तन साफ़ करूँ या झाड़ू लगाऊँ?
मालिनी उठकर उसके गाल को चूमकर बोली: अरे आपको ये सब नहीं करना पड़ेगा। फिर प्यार से उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से दबाकर बोली: पापा ये तो बस खड़ा होने का बहाना ही ढूँढता रहता है, है ना?
राजीव: बेटा अब इसको पता नहीं कितने दिन तुम प्यासा रखोगी? ये तो यहाँ घुसने के लिए मरा जा रहा है। उसने उसकी बुर को नायटी के ऊपर से दबाकर कहा।
मालिनी हँसकर: पापा इसके अंदर डालने का आपका प्लान तो बहुत पहले से ही है। चलो मैं शिवा को उठाती हूँ। और हाँ एक बात और, आज आप नाश्ता नहीं करोगे। शिवा पूछेगा तो कोई बहाना बना दीजिएगा। मैं भी नाश्ता नहीं करूँगी। ठीक है?
राजीव: वो क्यों?
मालिनी: पापा आप सवाल बहुत पूछते हो। एक दिन थोड़ा देर से नाश्ता नहीं कर सकते मेरे लिए।
राजीव: अरे बेटा तेरे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ। नाश्ते की क्या बात है ।
मालिनी: अच्छा अब मैं शिवा को चाय देकर आती हूँ। फिर वो किचन में जाकर शिवा के लिए चाय बनाई और शिवा को उठाई। शिवा चाय पीकर फ़्रेश हुआ और नहाने चला गया। जब वो नाश्ता करने बैठा तो राजीव बोला: मैं आज नाश्ता देर से करूँगा , अभी मेरी तबियत थोड़ी ढीली है।
मालिनी : आज मैं भी नहा कर ही खाऊँगी ।
शिवा नाश्ता करके जाने लगा तो मालिनी बोली: आज का क्या प्रोग्राम है?
शिवा हैरानी से: कुछ नहीं बस दुकान जाऊँगा, और क्या?
मालिनी: बस ऐसे ही पूछा ,और कुछ नहीं ।
फिर वो चला गया। मालिनी उसके जाने के बाद राजीव से बोली: आप ज़रा अपने कमरे में आयिए ना।
राजीव उठकर उसके पीछे अपने कमरे में आया और बोला: क्या हुआ बेटा? क्या बात है?
मालिनी: पापा आप उस दिन मुझे एक लिंगरी निकाल कर दी थी ना। उस समय मैंने आलमारी में कुछ सुंदर साड़ियाँ देखीं थीं मम्मी जी की। एक बार दिखाएँगे क्या?
राजीव : हाँ हाँ क्यों नहीं बेटा, अब वो तो नहीं रही , इसलिए ये सब तुम्हारा ही है। लो देखो। ये कहकर वो आलमारी खोला और मालिनी वहाँ लटकी हुई साड़ियों का कलेक्शन देखकर बोली: पापा मम्मी बहुत शौक़ीन थीं । कितनी साड़ियाँ ख़रीद रखीं हैं। अब वो कुछ सुंदर साड़ी निकाली और फिर बोली: पापा ये लाल साड़ी कितनी भारी है ना? बहुत महँगी होगी?
राजीव: बेटा ये साड़ी उसने हमारी शादी के दिन पहनी थी। ये साड़ियाँ सिल्क की हैं जो उसे बहुत पसंद थीं। ये सब तुम रख लो।
मालिनी: पापा इनके ब्लाउस कहाँ हैं ? वो ढूँढती हुई बोली।
राजीव पीछे से आकर उसके चूतरों पर हाथ फेरा और बोला: ये देखो इस शेल्फ़ में रखे हैं। पर वो तुमको ढीले होंगे क्योंकि उसका बदन बाद में भारी हो गया था।
मालिनी: ये लाल ब्लाउस तो लगता है आ जाएगा। बाक़ी ज़रूर बड़े लग रहे हैं।
राजीव: अरे लाल वाला तो शादी के दिन पहनी थी ना, उस समय वो तुम्हारी जैसी थी । वो तो बच्चे होने के बाद ज़्यादा ही भारी हो गयी थी।
मालिनी: ठीक है पापा मैं ये ले लेती हूँ। जो बड़े होंगे वो दर्ज़ी से ठीक करवा लूँगी।
राजीव उसकी गाँड़ दबाकर और उसकी गर्दन चूमकर बोला: हाँ बेटा सब रख लो। सब तुम्हारा ही है और मैं भी तो तुम्हारा हूँ।
मालिनी हँसकर : आऽऽह पापा बस अब छोड़ो ना। मुझे नहाना है।
तभी उसकी निगाह कुछ डिब्बों पर पड़ीं और वो बोला: बेटा ये भी देख लो।ये तो उसने पहना ही नहीं। उसने डिब्बा खोला तो उसमें ब्रा और पैंटी रखीं थीं ।
राजीव: बेटा ये ब्रा तो तुमको बड़ी होंगी। उसकी छातियाँ बड़ी थीं ना। तुम्हारी उससे छोटी है अभी।
मालिनी हँसकर: पापा आप जितना इनको दबाते हैं उससे तो लगता है जल्दी ही ये भी इतने बड़े हो जाएँगे। ये कहते हुए उसने नयी ब्रा का कप अपनी एक छाती पर रखा और बोली: मेरी भी जल्दी ही आप इतना बड़ा कर दोगे हा हा ।
राजीव : बेटा सिर्फ़ दबाने से बड़ी नहीं होतीं उनको चूसना भी पड़ता है। वो तो मुझे तुम करने नहीं देती। अरे बेटा ये पैंटी रख लो। ये तो काम आ ही जाएँगी।
मालिनी हँसकर: हाँ जब आप बाप बेटा पहनने दोगे तो ही ना काम आएँगी। आप दोनों को तो मेरा पैंटी पहनना ही पसंद नहीं है।
राजीव उसकी गाँड़ की गोलायी को दबाकर बोला: बेटा देखो कितनी अच्छी लगती है बिना पैंटी की गाँड़ । उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त फ़ीलिंग आती है। पैंटी रहने से ऐसा अहसास थोड़े ना होता है।
मालिनी: आऽऽह पापा छोड़िए अब। ठीक है पैंटी रख लेती हूँ। बाहर तो मैं पहनकर ही जाती हूँ। अच्छा अब आप भी नहाकर तय्यार हो जाओ। आपकी आलमारी दिखाओ तो।
राजीव हैरान होकर बोला: क्यों क्या हुआ?
मालिनी: अरे दिखाइए ना। फिर उसने राजीव के किए वो चूड़ीदार पजामा और कुर्ता निकाला जो कि उसने मालिनी की शादी में पहना था।
वो बोली: पापा आप आज इसको पहनो ।
राजीव: कहाँ जाना है हमको?
मालिनी: बताऊँगी ना अभी थोड़ी देर में। आप यही पहनना । ठीक है ? चलो दस बज गए हैं । आधे घंटे में बिलकुल तय्यार हो जाइए।
राजीव थोड़ा सा कन्फ़्यूज़्ड होकर हाँ में सर हिलाया, और सोचने लगा कि इसके मन में क्या चल रहा है। अब वो उसके कमरे से कपड़े लेकर निकल गयी।
अपने कमरे में आकर वो नहाने के लिए घुसी और अपनी नायटी उतारकर सिर्फ़ ब्रा में ख़ुद को निहार कर अपने आप पर ही मुग्ध हो गयी। अब उसने अपनी बग़लें चेक कीं और वहाँ वीट लगाकर उसने अपने बाल साफ़ किए। फिर उसने अपनी झाँटे चेक कीं और थोड़े से ही बाल उगे थे। उसने बुर और गाँड़ के आसपास की सभी बालों की सफ़ाई की। अब उसने अपनी ब्रा खोली और अपने मस्त टाइट मम्मे देखकर मुस्कुराई और फिर शॉवर लेने लगी। आज जो होने वाला है उसका सोचकर उसकी बुर पनिया चुकी थी। उसने उसे नहीं छेड़ा। वो आज बहुत मस्त मूड में थी। अब वो नहाकर अपनी मदमस्त जवानी को देखती रही और फिर तौलिए से बदन सुखाकर वो नंगी ही बाहर कमरे में आयी। अब वो लिंगरीपहनी जो पापा ने उस दिन दी थी जब शिवा भी एक लिंगरी लेकर आया था। इसमे जाली वाली ब्रा और जाली वाली ही पैंटी थी । जाँघों पर थोंग भी थी और गाँड़ की दरार में एक पट्टी सी थी। उसने ख़ुद को शीशे में देखा ।पूरी रँडी लग रही थी जैसे ब्लू फ़िल्मों की होती हैं। वो पीछे अपनी गोल ठोस गाँड़ देखकर मस्ती से मुस्कुराई। अब वो सास का लाल ब्लाउस पहनी और चेक की । मामूली सा ही ढीला था। फिर उसने लाल पेटिकोट पहना । अब वो और भी सेक्सी लग रही थी। फिर उसने सास की लाल साड़ी पहनी जो उसकी सास ने अपनी और पापा की शादी में पहनी थी।अब वो अपने चेहरे का मेकअप की और फिर वो ज़ेवर पहने जो कि उसको ससुर ने समय समय पर दिए थे। पैरों में पायल ,कानों में झूमके, गले में सुंदर सा हार और हाथों में लाल काँच की चूड़ियाँ भी पहनी। आख़िर में उसने लाल लिप्स्टिक लगाई। अब वो अपने आप को आगे और पिच्छे से देखी और मुस्कुराई । पता नहीं पापा का क्या हाल होगा उसको इस रूप में देखकर।
वो सज सँवर कर बाहर आयी और किचन में जाकर पिछले दिन जो सामान लायी थी उसे थाली में सजायी और ऊपर से एक सुंदर सा लाल कपड़ा डालकर उस थाल को ढाँक दी।
अब वो पूजा के कमरे में गयी और वहाँ उसने सजावट की थोड़ी सी। और वो ढाँकि हुई थाल भगवान के आगे रख दी। अब वो बाहर आकर आराम से टी वी देखने लगी। अब उसने पास के रेस्तराँ में पूरी और छोले ऑर्डर किए और कहा कि आधे घंटे में भेज दो। अब वो शांति से पापा का इंतज़ार करने लगी। तभी राजीव बाहर आया और मालिनी उसे देखकर मुस्कुराई और बोली: पापा आप तो बहुत जवान दिख रहे हो। ये ड्रेस आप पर बहुत फ़ब रही है।