Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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राजीव मालिनी को आँख मारा और लूँगी हटाकर उसके हाथ में अपना लौड़ा पकड़ा कर बोला: अरे नहीं मेरी बहु तो नगीना है। हाँ यहाँ वहाँ मुँह मैं भी मार लेता हूँ। पर बहु के बारे में ऐसा नहीं सोचा। मालिनी उसका लौड़ा सहलाते हुए सोची कि कितना झूठ बोल रहे हैं। इधर मेरे हाथ में लौड़ा दे दिए है और कहते हैं की बहु के बारे में गन्दा नहीं सोचते।

डॉली: रहने दो अब तो भाभी भी नहीं है आपको रोकने वाली। अब तो आप महक को भी नहीं छोड़ोगे , बहु क्या चीज़ है।

मालिनी चौक कर उसे देखी और वो उसके होंठ चूम लिया और बोला: अरे वो बाहर रहती है उसकी क्यों बात कर रही हो। वैसे अब तुम कभी आ जाओ तो पुरानी यादें ताज़ा हो जाएँगी।

डॉली: मैं आऊँगी तो शिवा से भी चुदवाऊँगी । बोलो मंज़ूर है?

मालिनी अब चौकी और राजीव को देखी, वो बोला: तुम जानो और शिवा या उसकी बीवी जाने। मुझे इससे क्या। हाँ अगर तुम मेरी भांजी को लाओगी तो मैं ज़रूर उसे पटा कर चोद लूँगा।

मालिनी इन भाई बहन की बातों से बहुत हैरान हो गयी थी।

डॉली: चलो कुछ प्रोग्राम बना तो बताऊँगी। बाई।

राजीव अब मालिनी को देखा तो वह उत्तेजित दिख रही थी। वह बोला: बहु , एक बार और चूस दूँ तुम्हारी बुर?

मालिनी: नहीं नहीं पापा जी। ये सब ग़लत है।

राजीव: अच्छा मेरे लौड़े को ही चूस दो प्लीज़।

मालिनी ने अपने हाथ में रखे लौड़े को देखा और पता नहीं उसे क्या हुआ कि वह झुक कर उसे चूसने लगी। हालाँकि वो चूसने के मामले में अभी भी अनाड़ी थी, पर राजीव तो सिर्फ़ यह सोचकर कि आख़िर में उसकी बहु उसकी पकड़ में आने वाली है, वह बहुत गरम हो गया। वह अब उसके बदन में भी हाथ फेर रहा था और मस्त हुए जा रहा था।क़रीब २० मिनट की चुसाई के बाद वो उसके मुँह में आऽऽऽँहहह बेटीइइइइइइ करके झड़ने लगा। मालिनी उसका पूरा वीर्य पी गई। वो अभी भी उसका लौड़ा चूसती रही जब तक एक एक बूँद रस निकल नहीं गया।

राजीव बहुत ख़ुश होकर बोला: आऽऽऽह बेटी मस्ती आ गयी तुमसे चूसवा कर। आज का दिन बहुत अच्छा है जब हम दोनों ने एक दूसरे के अंगों को चूस ही लिया।

मालिनी चुपचाप जाकर वाशबेसिन में मुँह साफ़ की और अपने कमरे में चली गयी। वहाँ जाकर एक बार से वह आत्मग्लानि से भर गयी कि वो ऐसा कैसे कर सकती है। अपने पति को जो कि उससे बेइंतहा प्यार करता है को कैसे धोना दे सकती है।उसने सोच लिया कि जो हुआ सो हुआ । अब वो अपने ससुर को बिलकुल ही लिफ़्ट नहीं देगी। और उसके साथ कोई भी ग़लत काम नहीं करेगी और ना ही उसे करने देगी। यह सोचकर उसे तसल्ली हुई और वो शिवा को फ़ोन लगाने लगी। उसने शिवा को बताया कि पापा उसके लिए एक महँगी गिफ़्ट लाए है और उसके लिए भी एक बढ़िया घड़ी लाए हैं तो वो बहुत ख़ुश हुआ। शिवा से बात करके उसको अच्छा लगा और वह अपनी आत्मग्लानि से काफ़ी हद तक बाहर आ गई। अब उसका विश्वास और बढ़ गया कि अब तक उसके ससुर और उसके बीच में जो भी हुआ था ग़लत था और उसे ये सबको यहाँ ही रोकना पड़ेगा। उसने सोचा कि पता नहीं पापा जी उसके इस नए निर्णय को कैसे लेंगे। पता नहीं क्या नई मुसीबत खड़ी होगी उसके इस निर्णय से । वह थोड़ी चिन्ता में डूब गयी।
शाम को शिवा आया और उसके पापा ने उसे घड़ी उपहार में दी तो वो बोला: थैंक्स पापा जी बहुत सुंदर घड़ी है। पर कार का क्या फ़ैसला किए।

राजीव: अरे बेटा सब कुछ तो तुम दोनों का ही है, वो भी बदल लेना।

शिवा ख़ुश होकर अपने कमरे में आया और फिर सब कुछ रूटीन सा हुआ।

अगले दिन सुबह मालिनी ने नायटी के नीचे पेटिकोट और पैंटी भी पहन ली। जब वो राजीव को चाय दी तो उसने उसकी गाँड़ पर हाथ फेरकर कहा: कैसी हो मेरी जान । रात कि चुदाई का सुनाओ। कितनी बार ठोका मेरा बेटे ने तुमको?
फिर उसे यह अहसास हुआ कि वो नायटी के नीचे बहुत कुछ पहनी है । तो वह बोला: ये क्या बेटी। आज नायटी के नीचे ये सब क्या पहन लिया?

मालिनी: पापा जी मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ।

राजीव अब भी उसकी गाँड़ में हाथ फेरकर बोला: बोलो बेटी। क्या बात है?

मालिनी उसका हाथ अपनी गाँड़ से हटाती हुई बोली: पापा जी, मैंने आपके और अपने रिश्ते के बारे में बहुत सोचा और फ़ैसला किया है कि अब मैं आपसे इस तरह का कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। आप मेरे ससुर हैं बस मेरे लिए यही सच है और कुछ नहीं।

राजीव हैरान होकर बोला: अरे बेटी, रात भर में ऐसा क्या हो गया? बताओ तो सही।

मालिनी: पापा जी कुछ नहीं हुआ। बस मुझे समझ में आ गया है कि मैं ग़लत रास्ते पर बहक रही थी और अपने पति अव धोका करने जा रही थी। बस इतना ही है और कुछ नहीं।
फिर पापा जी सासु माँ भी तो इसके ख़िलाफ़ थीं। मैं भी उनके पद चिन्हों पर चलूँगी। रिश्तों की पवित्रता बनाए रखूँगी।

राजीव उलझन में पड़कर बोला : क्या कह रही हो पता नहीं? अच्छा अगर तुमने ऐसा ही सोच लिया है तो यही सही। अब मैं तुमको तंग नहीं करूँगा।

मालिनी फिर अपने कमरे से वो ईयरिंग ला कर राजीव को देते हुए कहा: पापा जी यह आप वापस लीजिए। मैं इसे नहीं रख सकती।

राजीव मुस्कुरा कर बोला: यह मैं अपनी बहु को दिया था नाकि अपनी प्रेमिका को। ठीक है ना, ये तुम्हारे पास ही रहेगी। चलो सम्भाल लो।
राजीव उसे वापस करके वहाँ से चला गया। अपने कमरे में आकर वो सोचा कि ये क्या गड़बड़ हो गयी? आख़िर सब बढ़िया चल रहा था और वह उसकी बुर चूस चुका था और अपना लौड़ा भी चुसवा लिया था उससे , फिर ये अचानक इतना बड़ा बदलाव क्यों और वो भी एकदम से । उसने सोचा कि चलो देखते हैं आगे आगे क्या होता है।

उधर मालिनी सोचने लगी कि पता नहीं पापा जी इस इंकार को कैसे लेंगे? फिर वो शिवा को उठाई और चाय दी। नाश्ता भी शांति से गुज़रा और शिवा दुकान चला गया। मालिनी कमरे में जाकर नहाई और फिर किचन में जाकर कमला से काम करवाने लगी। मालिनी सोचने लगी कि पापा क्या फिर से अपनी दूसरी शादी करने की ज़िद करेंगे। फिर वह क्या करेगी? इसे शिवा की दुकान की रीमा की याद आइ और वो सोची कि उसका ससुर भी उसे ज़बरदस्ती चोद दिया था पर यहाँ पापाजी उसे दूसरी तरह से मजबूर करके चोदना चाहते हैं। बात तो एक ही थी। वहाँ शारीरिक जनरदस्ती थी रीमा के साथ और यहाँ पापा उसके साथ मानसिक ज़बरदस्ती कर रहे थे ।

वो सोच रही थी कि अभी तो नूरी है कुछ दिन पापा जी की प्यास बुझाने के लिए। उसके बाद क्या होगा? वो फिर से अपनी शादी की ज़िद करेंगे। उफफफ क्या मुसीबत है।

उधर राजीव सोचने लगा कि क्या किया जाए अब आगे का। ये तो हाथ आया हुआ शिकार हाथ से निकला जा रहा था। फिर क्या उसे वही शादी का ड्रामा फिर से चलाना होगा? पता नहीं क्या किया जाए। उलझने थीं कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही थीं।

ससुर बहु में कोई बात नहीं हुई उस दिन। खाना भी चुप चाप खाए। थोड़ी देर में नूरी आयी और बच्चे को मालिनी के कमरे में सुला कर राजीव के कमरे में चली गयी और एक राउंड की चुदाई के बाद वो बोली: आज आप कुछ चुपचाप से लग रहे हो क्या बात है?

वो: अरे कुछ ख़ास नहीं।

नूरी: बताइए ना , शायद मैं कोई काम आ सकूँ।

राजीव ने अब उसको बहु के बारे में सब कुछ बता दिया और बोला: सब कुछ बढ़िया चल रहा था, कि अचानक वो फिर से मुकर गयी चुदाई के लिए। कुछ समझ नहीं आया।

नूरी मुस्कुराकर बोली: मुझे तो पहले से ही शक था कि आप दोनों के बीच कुछ चल रहा है, पर आप मानते ही नहीं थे। अच्छा मैं कोशिश करती हूँ।

राजीव: तुम क्या करोगी ?

नूरी: कोशिश करने में क्या हर्ज है।

राजीव: पर तुम उसे यह पता नहीं चलने देना कि मैंने तुमको ये बता दिया है।

नूरी मुस्कुराकर उसके लौड़े को सहला कर बोली: जानू इतना तो समझती हूँ। देखो मैंने अब तक आपको भी नहीं बताया है कि मैं भी अपने ससुर से फँसी हुईं हूँ। वो आपसे भी ६/७ साल बड़े हैं। और इस उम्र में भी मेरे पति से ज़्यादा मज़ा देते हैं। पर उनके वीर्य में बच्चा पैदा करने की शक्ति नहीं बची है। इसीलिए मैं वापस आपके पास आइ हूँ।

राजीव: ओह, कबसे चुदवा रही हो उनसे?

नूरी: पहले उनकी पोस्टिंग दूसरे शहर में थी पर रेटायअर होकर वो अब हमारे साथ ही रहते हैं।

राजीव: और तुम्हारी सास का क्या?

नूरी : उसे सब पता है और उसे इसमे कोई समस्या नहीं है। असल में ससुर की सेक्स ड्राइव बहुत ज़्यादा है और वह उसे झेल नहीं पाती। इसलिए वो ख़ुश है कि ससुर उसे भी ज़्यादा तंग नहीं करता और बाहर भी मुँह नहीं मारता।घर की बात घर में ही रहती है। मेरे सास और ससुर को पता है कि मैं आपसे यहाँ चुदवाने आयी हूँ बच्चा पाने के लिए। उनको पहले बच्चे के बारे में भी पता है कि उसका बाप भी उनका बेटा नहीं है।

राजीव: ओह ये तो अनोखी बात बताई है तुमने।

नूरी: मैं आपको यह बात नहीं बताती अगर आप अपनी बहु का क़िस्सा नहीं छेड़ते। चलिए मैं कोशिश करती हूँ। अभी मेरे पास कुछ दिन हैं। मैं थोड़ा समय मालिनी के साथ बिताती हूँ और फिर सेकंड राउंड के लिए आऊँगी। ठीक है मेरे जानू?

राजीव उसकी चूचियाँ चूसकर बोला: ठीक है मेरी जान।

नूरी उठकर कपड़े पहनी और बाहर आकर मालिनी के कमरे में गयी। वहाँ मालिनी और उसका बेटा खेल रहे थे।

नूरी: ये कब उठा?

मालिनी: थोड़ी देर हुए उठा है। मैंने इसे दूध दे दिया है तबसे खेल रहा है। वह मालिनी की गोद में बैठे हुए एक खिलोने से खेल रहा था।

नूरी: सच में तुम बहुत अच्छी लड़की हो जो मेरे लिए इतना कुछ कर रही हो।

मालिनी: आज आप जल्दी आ गयी बाहर। क्या बात है?

नूरी : अरे आज तो अंकल का मूड कुछ उखड़ा सा है। एक बार ही किए और लगता है कि पता नहीं दूसरा राउंड करेंगे भी कि नहीं।

मालिनी अनजान बन कर: क्या हुआ ? उनकी तबियत तो ठीक है ना?

नूरी : तबियत तो ठीक ही है। पर मूड सही नहीं है लगता है।

तभी बच्चे ने मालिनी की छाती को पकड़ लिया और वहाँ कुर्ते में लगे एक मछली के आकार के छाप से खेलने लगा। मालिनी ने उसका हाथ वहाँ से हटाया तो वह ज़िद करके फिर उसकी छाती में हाथ मारा उस मछली के प्रिंट को पकड़ने के लिए।
नूरी हँसकर : नालायक वही करेगा जो कि इसके बड़े करेंगे।

मालिनी: क्या मतलब?

नूरी हँसते हुए: अरे ये तुम्हारी छाती पकड़ रहा है ना, वैसे ही इसका पापा , दादा और दादी भी मेरी छातियाँ पकड़ते रहते हैं। आख़िर है तो उसी खानदान का ।

मालिनी हैरानी से : मतलब? क्या सब लोग आपकी छातियाँ पकड़ते हैं? ये कैसी बात हुई।

नूरी : बड़ा अजीब खानदान है। सब मेरे पीछे पड़े रहते हैं दिन रात। ख़ासकर इसके दादा तो मेरे पीछे पागल ही हैं।

मालिनी सकपका कर: क्या कह रही हो दीदी? मतलब आपके ससुर जी?

नूरी : और क्या? वो तो मुझे दिन भर अपने से चिपटाए रहते हैं। और रात को इसका पापा । बस यही है मेरी ज़िन्दगी। तेरे ससुर तो बहुत अच्छे हैं जो हम जैसे बाहर वालों से मज़ा लेते हैं। मेरी सास तो कहती है कि उनका पति घर में चाहे जो कर ले पर बाहर वाली से मज़े नहीं ले सकता।

मालिनी: ओह ये बड़ी अजीब बात है । सोचकर भी अजीब लगता है। इसका मतलब है कि आपकी सासु मा को पता है कि आपके ससुर आपके साथ ग़लत काम करते हैं?

नूरी : उनको क्या पता होना है। अरे वही तो मुझे और ससुर जी को चुदाई के लिए मनाई थीं।

मालिनी ने आश्चर्य से अपने मुँह पर हाथ रखा और बोली: हाय राम ! क्या कह रही हो? घोर कलयुग। इसके पहले कि कोई कुछ कहता राजीव आवाज़ दिया: नूरी ज़रा पानी लाना प्लीज़।

मालिनी ने नोटिस किया कि उन्होंने उसको आवाज़ नहीं दी बल्कि नूरी का नाम लिया। नूरी: जी लाई अंकल जी।

वह उठी और बोली: पानी तो बहाना होगा । एक बार और चोदने का मूड बन गया होगा। मैं आती हूँ। वह आँख मारकर चली गई और मालिनी हैरान सी नूरी की कही बातों के बारे में सोचती रह गयी।

जब नूरी दस मिनट तक वापस नहीं आइ तो मालिनी समझ गयी कि उनकी चुदाई चालू हो गयी होगी। उसका मन बोला कि चलो एक बार देख लेते हैं पर उसने अपने मन को समझाया कि अगर पापा जी ने देख लिया तो वो फिर से पीछे पड़ जाएँगे। उसने ख़ुद को कंट्रोल किया और बच्चे से खेलने लगी।

उधर राजीव उसको चोदते हुए पूछा: कुछ बात हुई?

नूरी ने नीचे से गाँड़ उछालके चुदवाते हुए कहा: आऽऽऽह हाँ हुई। हाय्य्य्य्य्य्य । मैंने बात शुरू की है। उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽ।
 
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राजीव ने भी हाँफते हुए और ज़ोर से धक्का मारते हुए कहा: क्या बोली तुम उसको?

नूरी: उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उसे बताया कि मेरे ससुर मुझे चोद रहे हैं और सासु माँ को भीइइइइइइइइइ माआऽऽऽऽऽलूम हैएएएएएएए। हाऽऽऽऽऽऽऽययय। और जोओओओओओर से चोओओओओओदो ।

फिर चिल्लाते हुए दोनों झड़ने लगे।

बाद में साथ लेटकर एक दूसरे को चूमते हुए राजीव बोला: तुमको लगता है वो इसमें इंट्रेस्टेड होगी?

नूरी: मुझे विश्वास है कि वो मेरे पीछे पीछे घूमेगी डिटेल्ज़ जानने के लिए कि ये सब कैसे हुआ और क्या क्या करते हैं हम लोग।

राजीव: अगर ऐसा हुआ तो इसका मतलब साफ़ है की वह ख़ुद भी मुझसे चुदवाना चाहती है।

नूरी: चुदवाना तो चाहती है पर उसका ज़मीर बार बार बीच में आ जाता है। उसको इतना उत्तेजित करना होगा कि वो सही ग़लत का फ़ैसला ना कर सके और चुदाई की मस्ती में डूब जाए। यही तरीक़ा है उसको क़ाबू में करने का।

राजीव: तो जान तुमको क्या लगता है तुम कर लोगी ये काम? ये कहते हुए उसने उसकी मोटे चूतरों को दबाया और गाँड़ में एक ऊँगली डाला और कहा: जानू तुम्हारा ससुर गाँड़ भी मारता है क्या? काफ़ी खुली हुई गाँड़ है तुम्हारी।

नूरी : अरे वो तो महा गाँड़ प्रेमी हैं। सासु माँ बोलती हैं कि वो उनकी गाँड़ सुहागरत को ही मार दिए थे ।

राजीव: यार तेरा ससुर तो मेरे से भी बड़ा कमीना है। फिर उसकी गाँड़ में ऊँगली करके उसको बोला: कल एक राउंड गाँड़ भी मरवा लेना।

नूरी हँसकर: जो हुक्म मेरे आका। कल बुर की एक बार तो चुदाई कर दीजिएगा। फिर भले ही गाँड़ भी मार लीजिएगा। लेकिन पानी गाँड़ में नहीं बुर में ही छोड़िएगा। माँ बुर से ही बनूँगी गाँड़ से तो नहीं। हा हा ।

दोनों हँसने लगे। फिर वो उसकी गाँड़ से ऊँगली निकाला और पकककक से आवाज़ हुई और वो दोनों सफ़ाई करके बाहर आए।

नूरी मालिनी के कमरे में आयी और बच्चे को लेकर जाने लगी तो उत्सुकता से भरी मालिनी बोली: जा रही हो दीदी?

नूरी : हाँ अब चलती हूँ। कल मिलेंगे।

मालिनी: थोड़ा रुक जाती तो साथ में चाय पी लेते?

नूरी मन में मुस्कारायी और बोली: नहीं अब देरी हो रही है चलती हूँ। वो जानती थी कि मालिनी उसको इसलिए रोकना चाहती है ताकि वो उसकी कहानी सुन सके। पर वो उसकी उत्सुकता को बरक़रार रखना चाहती थी।

वो चली गयी और पीछे छोड़ गयी बेकरार मालिनी जो अभी उसके ख़यालों में उलझी हुई थी। वो सोची कि लो एक और औरत अपने ससुर से मज़े ले रही है और वो भी सास की मंज़ूरी से । हे भगवान ! क्या सही है और क्या ग़लत ? समझ ही नहीं आ रहा।

वो शाम को पापा को चाय के लिए आवाज़ दी। दोनों ने चुपचाप चाय पी । तब राजीव बोला: बेटी, ये सही है कि तुम अब मेरे साथ आगे नहीं बढ़ना चाहती। मैं तो सोचा था कि आजकल में हमारे बदन एक हो जाएँगे। पर अगर तुमको मंज़ूर नहीं तो ठीक है। पर हम दोस्त तो बन सकते हैं। या इसमे भी कोई समस्या है।

मालिनी: पापा जी हम दोस्त कैसे बन सकते हैं? मैं तो आपकी बहू हूँ तो वही रहूँगी ना। दोस्त कैसे बनूँगी।

राजीव: अरे चलो मेरी बहु के साथ साथ दोस्त बनने में क्या हर्ज है?

मालिनी: ठीक है पापा जी आप जैसा कहें।

राजीव अपना हाथ बढ़ा कर : तो फिर फ़्रेंड्स ??

मालिनी हँसकर हाथ मिलाई और बोली: जी फ़्रेंड्स।

दोनों मुस्कुराने लगे। अब वातावरण का तनाव ख़त्म हो गया था।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को शिवा से चुदवाते समय मालिनी के कानों में नूरी की बातें घूम रही थीं। वो सोच रही थी कि कल नूरी से पूरी बात सुनेगी।

अगले दिन भी राजीव सुबह मालिनी के लिए जलेबी लाया और उसके मुँह में डालकर उसे ख़ुद खिलाया।

मालिनी: पापा जी रोज़ रोज़ इतना मीठा खाऊँगी तो मोटी हो जाऊँगी।

राजीव: अच्छा तो है थोड़ी मोटी होगी तो और सेक्सी लगोगी।

मालिनी: धत्त मुझे ना मोटी होना है और ना ही सेक्सी दिखना है।

राजीव: सेक्सी तो तुम हो ही । हाँ अगर थोड़ा सा और भर गई तो और ज़्यादा सेक्सी हो जाओगी।

मालिनी हँसकर वहाँ से चली गई।

दोपहर को नूरी आइ और बच्चे को मालिनी को सौंप कर राजीव से चुदवाने चली गई। चुदवाने के बाद राजीव से बोली: आज तो मस्त चोदे । कल कुछ हुआ क्या मेरे जाने के बाद।

राजीव हँसकर: हाँ हम ससुर बहु दोस्त बन गए हैं।

नूरी मुस्कुराके: यानी पटाने का काम चालू रहेगा? सही है जानू।

राजीव: अरे अब तुम जाओ ना और उसे उत्तेजित करो अपनी कहानी सुनाकर ।

नूरी हँसते हुए बोली: अच्छा जाती हूँ । आपको भी सुनना है तो मैं फ़ोन चालू कर दूँगी आप सुनते रहना।

राजीव अपना लौड़ा मसलकर बोला: नहीं मैं उसके चेहरे की प्रतिक्रिया भी देखना चाहूँगा। मैं खिड़की में आकर झाँकता हूँ। तुम उसे बिस्तर पर बिठाए रखना तो खिड़की से उसका साइड दिखेगा और वो मुझे नहीं देख पाएगी।

नूरी: अच्छा जी जैसा आप चाहो। फिर उसके लौड़े को चूमकर वह कपड़े पहनकर मालिनी के कमरे में आइ।

मालिनी उसे देखकर ख़ुश हो गई मानो उसका ही इंतज़ार कर रही थी। आज बच्चा सो रहा था।

मालिनी: दूध पीकर थोड़ी देर खेला और अब सो गया है।

नूरी: थैंक्स डीयर अगर तुम ना होती तो पता नहीं मेरा क्या
होता।

मालिनी: अरे बार बार आप क्यों ऐसा बोलती हैं। और आपका पहला राउंड हो गया?

नूरी : हाँ हो गया। आज अंकल अच्छे मूड में थे और मस्त चुदाई किए। अब वो आराम कर रहे हैं तो मैं इधर आ गयी।

मालिनी: दीदी आपको लगता है कि आप अब तक प्रेगनेंट हो चुकी होगी?

नूरी: अरे अंकल की ताक़त पर मुझे पूरा विश्वास है। पक्का ही मैं अब तक प्रेगनेंट हो चुकी हो गयी हूँगी। उसने खिड़की की तरफ़ देखा तो वहाँ उसको अंकल खड़े नज़र आए। उसने उसे आँख मारी।

मालिनी: आप कल कह रही थी कि ना आप अपने ससुर से भी मज़ा लेती हो तो फिर आप उनसे ही प्रेगनेंट क्यों नहीं हो गयी? यहाँ पापा जी के पास क्यों आयीं?

नूरी : अरे मेरे ससुर के वीर्य में अब बच्चा पैदा करने की ताक़त नहीं है। पर चुदाई बिलकुल अंकल की तरह करते हैं।

मालिनी: तो उनको क्या पता है कि आप यहाँ किसलिए आइ हो।

नूरी : बिलकुल पता है। बल्कि वो तो रोज़ मेरा हाल पूछते हैं।

मालिनी: ओह ऐसा क्या। एक बात पूछूँ ? ये सब शुरू कैसे हुआ? ना बताना चाहो तो ना बताना।

नूरी: अरे इसमे छिपाने वाली कोई बात नहीं है। असल में जब डैड रेटायअर होकर हमारे साथ रहने आए तो शुरू में मुझे बहुत अजीब लगा। मुझे लगता था कि वो मेरी छातियों और मेरे पिछवाड़े को देखते रहते थे ।मैं मॉम को देखती तो पाती कि उनको सब पता है पर वो अनदेखी सी करती ।ऐसे ही चल रहा था। तब एक दिन हमारे घर की नौकरानी जो करींब ३५ साल की थी , एकदम से रोती हुई मेरे पास आइ और बोली कि मुझे नौकरी नहीं करनी ।मैंने पूछा कि क्या हुआ ? वो बोली कि आपके ससुर ने मुझे अभी पकड़ लिया था और मेरे साथ ज़बरदस्ती की कोशिश की। मैं किसी तरह से अपने को बचाया और भाग कर आपके पास आइ। मेरा हिसाब कर दो। मैंने अपने सास को बताया और उसका हिसाब कर दिया। फिर मैंने सास को कहा कि ये सब क्या है ? डैड ऐसा क्यों कर रहे हैं। मॉम बोली कि उनकी सेक्स ड्राइव बहुत ज़्यादा है और मैं आजकल उनकी प्यास बुझा नहीं पाती। मैं बोली कि इसका मतलब तो नहीं कि वो रेप करेंगे। मॉम रोने लगी। मैंने उनको चुप कराया। फिर वो डैड के पास गयीं शायद उनको समझाने। पर थोड़ी देर बाद जब वो वापस नहीं आइ तो मुझे चिंता हुई तो मैं उनके कमरे की ओर गयी और वहाँ मैंने सिसकी की आवाज़ सुनी। मैंने खिड़की से झाँका और मैं हैरान रह गयी। डैड मॉम को उलटी पेट के बल लिटाके उनके ऊपर चढ़ के उनको चोद रहे थे। और मैंने देखा कि वो उनकी गाँड़ मार रहे थे। मॉम दर्द से बिलख रहीं थीं। साफ़ लग रहा था कि वो दर्द से कराह रही थी। फिर वो बोली कि आप तेल तो लगा लो। उफफफफ सूखे में बहुत दुखता है। डैड ने अपना लौड़ा बाहर किया और मैंने देखा कि उनका बड़ा और मोटा लौड़ा बिलकुल अंकल के जैसा ही बड़ा था। मेरे पति से बहुत बड़ा और मोटा। अब डैड ने तेल लगाया और फिर मॉम की गाँड़ मारने लगे। क़रीब १५ मिनट की चुदाई के बाद वो झड़े और मॉम ने राहत की साँस ली। मैंवहाँ से हट गयी।

मालिनी: ओह तो वो बहुत ही कामुक है? उसने अपनी गीली होती हुई बुर को सलवार के ऊपर से खुजाया। उसने ऐसा दिखाया जैसे वो सलवार ऐडजस्ट कर रही हो। पर राजीव की आँखों से वह बच नहीं पाई और वो देख लिया कि वो अपनी बुर खुजा रही है। वो मुस्कुराया और अपना लौड़ा दबाने लगा।

उधर नूरी बोली : बाद में मॉम ने बताया कि डैड ने उनकी गाँड़ मारी और मैंने ऐसा दिखाया कि जैसे मुझे पता नहीं है। मैंने पूछा कि मॉम इसका इलाज क्या है ? वो बोली कि बेटी वो तो तुमको चोदना चाहते है । अगर तुम मान जाओ तो वो दिन में तुमको मज़ा देंगे और रात में अपने पति से चुदवा लेना। मुझे भी डैड का लौंडा पसंद आया था और मैं मान गयी। बस फिर क्या था वो अगले दिन ही मेरी चुदाई का प्रोग्राम बना लीं। अगले दिन मॉम और डैड मुझे बिस्तर पर नंगा किए और तुम विश्वास नहीं करोगी मॉम और डैड दोनों ने मेरी एक एक चूची मुँह में ली और चूसने लगे। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या अनुभव था एक बहु के लिए जब उसकी चूचियाँ उसके सास और ससुर मिलकर चूस रहे थे।

मालिनी की आँखें फैल गयीं थीं और उसका हाथ अपने आप अपनी सलवार के ऊपर से बुर पर चला गया और वो उसको अनजाने में रगड़ने लगी। राजीव ध्यान से उसकी हरकत देख कर ख़ुश हो रहा था। वो अब अपना लौड़ा भी रगड़ रहा था।

मालिनी: ओह क्या ऐसा भी हो सकता है? सच में आपको बड़ा अजीब नहीं लगा?

नूरी: मुझे तो बड़ा मज़ा आया। सच में डैड ने उस दिन मेरी ऐसी चुदाई की जो कि मैं कभी भूल नहीं सकती। तुमको पता कि उनका लौड़ा मॉम ने अपने हाथ में पकड़कर मेरी बुर में सेट किया था। वो पल मैं कभी नहीं भूल सकती। यह कहते हुए वो अपनी बुर खुजाई और बोली : आऽऽह याद करके मेरी बुर में खुजली हो रही है।

मालिनी का हाथ भी अपनी बुर पर ही था।

नूरी बोली: तुमको एक बात और बताऊँ कि मॉम बाई सेक्शूअल है। वो मेरी चूचियाँ दबाती हैं और मेरे साथ भी लेज़्बीयन सेक्स भी करती हैं। उनको मेरी बुर चूसना बहुत पसंद है। अब तो मैं भी उनकी बुर चूसती हूँ।

मालिनी जैसे बेहोश होते बची। ये क्या कह कर रही है ये लड़की। इसकी सास और ये सेक्स करती हैं । वैसे ही शायद जैसे उसने कुछ ब्लू फ़िल्म में शिवा के साथ देखी है।

तभी नूरी उसको देख कर बोली: तुम तो बहुत उत्तेजित हो गयी हो। ये क्या बहुत खुजा रही हैं? उसकी बुर की ओर इशारा करके बोली। फिर बोली: कुछ करूँ इसके लिए?

मालिनी: क्या करोगी?

नूरी: चलो अभी बताती हूँ। फिर वह उठ कर उसके पास आइ और उसके होंठ पर अपने होंठ रखे और उसे चूमने लगी ।फिर वो उसकी चूचियाँ दबाने लगी। मालिनी आऽऽँहह कर उठी। उसकी चुम्बन का अब मालिनी भी जवाब दने लगी। वो दोनों एक दूसरे से चिपक गयीं। नूरी ने मालिनी के हाथ को अपनी चूचियों पर रखा और वो भी उनको दबाने लगी। अब नूरी उसको गिरा कर उसके ऊपर आ गयी और उसको चूमते हुए उसकी क़ुर्ती उठा दी। अब वो ब्रा के ऊपर से उसकी चूची दबाने और चूमने लगी।

राजीव की आँखें ये देखकर बड़ी बड़ी हो गयीं थीं। अब वह नीचे आकर उसकी सलवार और पैंटी उतारी और फिर उसकी बुर चूमकर उसे चूसने लगी। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके अपनी गाँड़ उछालकर मज़े लेने लगी। नूरी उसकी बुर चाट कर मालिनी को पागल कर रही थी और जल्दी ही वो हाऽऽऽयययय कहकर झड़ गयी।

तभी दरवाज़ा खुला और मालिनी ने देखा कि पापा जी अंदर आए और उनकी लूँगी उनके हाथ में थी। वो नीचे से नंगे थे और उनका लौड़ा पूरा तना हुआ था। वो आकर नूरी को लिटाए और उसकी सलवार उतारकर उसकी टांगों को उठाया और फैलाकर वहाँ अपना लौड़ा पेल दिया और उसको ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा।

मालिनी हड़बड़ा कर वहाँ से उठने की कोशिश की पर नूरी उसके हाथ को पकड़कर अपनी छाती पर रखी और उसको दबाने लगी। उधर राजीव ज़ोर ज़ोर से धक्का मारकर नूरी को पागल कर रहा था। मालिनी सोची कि ये क्या हो रहा है। उसके और शिवा के बिस्तर पर पापा नूरी को उसके सामने चोद रहे हैं। हे राम ये क्या हो रहा है? और लगता है पापा जी ने उसे नूरी से मज़ा लेते देख लिया है। क्योंकि जब वह आए थे तो उसकी बुर नंगी थी और नूरी उसको चूस कर उठी थी। पता नहीं क्या होने वाला है।अब चुदाई की फ़च फ़च से कमरा गूँज रहा था। तभी पापा और मालिनी की नज़रें मिलीं। मालिनी तो शर्म से जैसे गड़ गयी। तभी पापा और नूरी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर झड़ने लगे । मालिनी की बुर फिर से गरम होने लगी थी। वह उठकर बाहर आ गयी।

थोड़ी देर में दोनों बाहर आए। नूरी जल्दी से चली गयी क्योंकि उसको बहुत देर हो चुकि थी। पापा भी अपने कमरे में चले गए। मालिनी ने अपने कमरे में जाकर चादर पर पड़े धब्बों को देखा जोकि उसकी बुर के रस और पापा जी और नूरी के रस के धब्बे भी थे। उसने चादर बदल दी। वह सोच रही थी कि आज उसके बेडरूम में क्या क्या हो गया। वो ख़ुद नूरी से लेज़्बीयन सेक्स की और पापा ने नूरी को यहीं चोद लिया। उफफफफ वो क्या करे क्या ना करे । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो थक कर लेटी और सो गयी। सपने में उसने देखा कि वो पूरी नंगी पड़ी है और दो लोग उसकी चूचियाँ चूस रहे हैं। वो देख नहीं पा रही थी कि कौन कौन उसकी चूची चूस रहा है। दिर उन दोनों ने अपना मुँह ऊपर किया और ये तो पापा जी और उसकी सरला मम्मी थीं। वह चौंक कर उठी और उसका दिल बहुत ज़ोर से धड़कने लगा था। उसकी बुर पानी छोड़ चुकी थी। वो अपने सपने पर हैरान थी। वह बहुत परेशान थी कि उसने इतना अजीब सा सपना कैसे देखा??
 
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मालिनी सोकर उठी और सपने के बारे में सोचते हुए किचन में जाकर काम करने लगी। थोड़ी देर बाद राजीव ने चाय माँगी और वह चाय लाकर उसे दी। वह सोफ़े पर बैठा था।उसने मालिनी को ग़हरी निगाहों से देखा और बोला: बेटी, आज जो भी हुआ उसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ। असल में मैं खिड़की से नूरी की बातें सुन रहा था और नूरी को तुम्हारी बुर चूसते देखा तो बहुत गरम हो गया। मैं तो बड़ा हैरान हुआ कि वो बाइसेक्शूअल है। इसी कारण मैं बहुत गरम हो गया और तुम्हारे कमरे में आकर तुम्हारे ही बिस्तर पर उसे चोद दिया। तुमने चादर बदल दी है ना?

मालिनी: जी बदल दी है। वह शर्म से लाल होकर बोली।

राजीव: बेटी, एक बात पूछूँ सच सच बताना। बताओगी ना!

मालिनी: जी पापा पूछिए ।

राजीव: ये बताओ कि कौन अच्छा चूसता है तुम्हारी बुर ,मैं या नूरी ? देखो तुमने कहा था कि जवाब दोगी।

मालिनी खड़ी हो गयी वहाँ से जाने के लिए। राजीव ने उसका हाथ पकड़ा और उसको बिठाकर बोला: जवाब दो ना?

मालिनी : आआऽऽऽप । बस अब जाने दीजिए। प्लीज़।

राजीव: देखो मेरे चूसने से ज़्यादा मज़ा आया ना ? फिर उस मज़े को रोज़ लेने में क्या बुराई है बेटी? और सच कहता हूँ एक बार मेरे से चुदवा लो फिर हमेशा के लिए मेरी भी हो जाओगी। बोलो क्या कहती हो? वह अभी भी उसका हाथ पकड़े हुए था। मालिनी की छातियाँ कड़ी होने लगी। उसके बुर में भी खुजली मचने लगी थी।

राजीव: बेटी, एक बार और मुझे बुर चूसने दो। मैं बड़े प्यार से चूसूँगा। और सच कहता हूँ कि चोदने को कोशिश नहीं करूँगा। प्लीज़ एक बार अपनी बुर चुसवा लो। ये कहते हुए उसने सलवार के ऊपर से उसकी बुर सहला दी जो कि गीली हुई जा रही थी। मालिनी ने हिलने की कोशिश की पर जैसे पैर में पत्थर भर गए थे, वो हिले ही नहीं। राजीव की उँगलियाँ उसकी सलवार के ऊपर से बुर के अंदर उँगलियाँ घुसेड़कर वह उसको मस्ती से भर रहा था।

जब राजीव ने देखा कि उसका विरोध अब कम हो गया था तो वह इसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसको नीचे गिरा कर वह ज़मीन पर आकर उसकी जाँघों के बीच आकर उनको फैलाया और उसकी बुर को सूँघा और बोला: ह्म्म्म्म्म क्या मस्त गंध है बेटी , उफफफ । फिर वो उसको चूमने लगा। उसने पूरी फाँक अपने मुँह में लेकर चूसा और बाद में उसकी बुर की फाँकों को अलग किया और उसकी गुलाबी बुर को जीभ से कुरेदने लगा। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके अपनी गाँड़ उछालकर उसके मुँह में रगड़ने लगी। आऽऽऽ पाआऽऽऽऽऽपा जीइइइइइइइ मैं मरीइइइइइइइइइ। उईइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ।

अचानक राजीव ने अपना मुँह नीचे किया और उसकी गाँड़ के छेद को चाटने लगा। मालिनी: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा जी आऽऽऽह क्या कर रहे हैं। हाऽऽऽययह । राजीव अब उसकी गाँड़ के छेद को भी जीभ से कुरेदने लगा। वह मस्ती से भर के उफफफफ कर उठी। फिर वो अपनी जीभ वापस से उसकी बुर में डाला और चोदने लगा। अब उसने एक थूक लगी ऊँगली उसकी गाँड़ में डाल दी और उसे भी अंदर बाहर करके उसे मस्ती से भरने लगा।

अब मालिनी की बुर में उसकी दो उँगलियाँ और उसकी गाँड़ में एक ऊँगली अंदर बाहर हो रहीं थीं और उसकी जीभ उसकी clit से छेड़छाड कर रही थी। मालिनी अपनी गाँड़ उछालकर अपनी जाँघों को चिपका कर राजीव के सिर को दबाने लगी और आऽऽहहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽपा जीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। राजीव उसका रस पीता गया। फिर राजीव ने उसकी सलवार उठाई और उसकी जाँघें फैलाकर उसकी पूरी गीली जाँघें और बुर को पोछा और फिर वहाँ चूमने लगा।
अब अपना मुँह उठाकर उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा: बेटी, उफफफ क्या क़यामत ढा रही है तुम्हारी बुर। फिर उसे अपनी हथेली से सहला कर कहा: ऐसी सुंदर और चिकनी बुर किसे ना पागल कर देगी। बेटी, कब होगी ये मेरी भी? बताओ ना? वह फिर से बुर को चूम लिया।

मालिनी झड़ने के बाद थकी हुई बैठी थी बोली: आऽऽऽह पापा जी मुझे अब छोड़िए। बाथरूम जाना है।

राजीव खड़ा हुआ तो उसकी लूँगी से फूला हुआ लौड़ा अलग से हो दिखाई से रहा था । पता नहीं उसे क्या सूझा कि वह नीचे से नंगी मालिनी को गोद में उठाकर उसके बाथरूम में ले गया और टोयलेट की सीट पर बिठा दिया। फिर उसने अपनी लूँगी खोली और अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने झूला दिया। मालिनी का मुँह खुला और उसने लौड़े को उसके होंठों पर रगड़ा और वो उसके लौंडे को चूसने लगी। राजीव अपनी कमर हिलाकर मानो उसके मुँह को चोदने लगा। तभी सीसी की आवाज़ आइ और वो समझ गया कि मालिनी मूत रही है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था कि उसकी प्यारी बहु मूत रही है और उसका लौड़ा भी चूस रही है। अब वो अपने दोनों हाथ उसकी क़ुर्ती के ऊपर से उसकी मस्त छातियों पर रखा और उनको दबाते हुए अपनी कमर दबाकर उसके मुँह को चोदने लगा। अचानक मालिनी ने अपना हाथ उसके बड़े बड़े बॉल्ज़ के नीचे रख कर उनको पकड़ा और उनको सहलाने लगी। अब राजीव के लिए अपने आप को रोकना मुश्किल हुआ और वो आऽऽहहहह बेएएएएएएटी कह कर झड़ने लगा। मालिनी मज़े से उसका रस पीते चली गयी और आख़िर तक उसको चूसती रही। फिर अपनी जीभ से उसके लौड़े को साफ़ किया। अब राजीव शांत होकर मालिनी के गाल को चूमा और प्यार करते हुए बोला: आऽऽह थैंक्स बेटी। आज जो तुमने मुझे सुख दिया है मैं कभी नहीं भूलूँगा। तुम्हारा मूतना हो गया क्या? मुझे भी मूतना है।

मालिनी राजीव के बड़े लटके लौंडे को देखकर उठी और उसके पहले हैंड शॉवर से अपनी बुर और गाँड़ में पानी डाली। उसके हटने के बाद राजीव उसके हाथ को अपने लौड़े पर रखा और बोला: बेटी हमको सू सू करवाओ ना।

मालिनी मुस्कुराती हुई उसके लौड़े को कोमोड की ओर मोड़ा और वो मूतने लगा। मालिनी की आँखें उसके लौड़े से हट ही नहीं पा रही थी। अब वो पिशाब करके हटा और मालिनी को बाहों में भरकर चूमा और बोला: थैंक्स मेरी बच्ची , आज का दिन मेरे जीवन का बहुत ही सुंदर दिन है।

मालिनी: पापा जी अब आप चलिए। अभी शिवा आने वाले होंगे।

राजीव मुस्कुराकर फिर से ज़मीन पर बैठा और उसकी क़ुर्ती को उठाकर उसकी पानी से गीली बुर को एक तौलिए से सुखाया और फिर से उसको चूमा और फिर खड़े होकर वो उसके गाल को चूमकर अपने कमरे में चला गया।

मालिनी ने भी अपने कपड़े बदले। फिर वह बिस्तर पर बैठकर दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचने लगी। कैसे वो सुबह कुछ सोचती है और शाम तक क्या से क्या हो जाता है। पर इसमें कोई शक नहीं था कि पापा जी से मज़ा लेना ही होगा। उफफफफ क्या सुख देते हैं। उनको अपने मज़े से ज़्यादा मेरे मज़े की चिंता रहती है। कितने मर्द होंगे पापा जी जैसे । इसकी आँखें थकान से बोझिल होने लगी। वह उन लमहों को फिर से जीने लगी जब पापा जी ने उसकी जाँघों के बीच अपना मुँह डाला हुआ था और वो आनंद के समुद्र में गोते लगा रही थी। उफफफ क्या अपार सुख था उन लमहों का जब वो उसकी बुर और गाँड़ दोनों बड़े प्यार से चाट रहे थे उसका हाथ अपने आप ही अपनी बुर पर चला गया।

उधर राजीव भी आज बहुत ख़ुश था । उसे लग रहा था कि उसका लौड़ा मालिनी की बुर से अब सिर्फ़ दो क़दम ही दूर है। वो भी अपना लौड़ा सहला कर चुदाई के सपने देखने लगा था।

रात को खाना खाने के बाद शिवा को उसने बुर चूसने को कहा और वह बुर चूसवाते हुए तुलना करने लगी पापा और शिवा के चूसने की कला में। उफ़्फ़्फ़क पापा जी की बात ही कुछ और है। आऽऽंहहह क्या मज़ा दिए थे। फिर वह उसको हटाई और ख़ुद उसका लौड़ा चूसने लगी। बाद में चुदाई के बाद वो सोचने लगी कि आख़िर क्या किया जाए। पापा जी को और आगे बढ़ने दूँ या नहीं? वो अभी भी ऊहापोह में ही थी। फिर वह नींद की आग़ोश में चली गयी।

अगले दिन वो नायटी पहनने लगी तभी उसे ख़याल आया कि पेटिकोट नीचे पहने या नहीं? वो जानती थी कि पापा जी तो ध्यान से देखेंगे और कामेंट्स भी देंगे। सो उसने एक सलवार क़ुर्ती पहनी और नीचे ब्रा भी पहन ली। पैंटी तो वो पहनती ही नहीं थी घर पर। वो बाद में पापा जी को चाय के लिए आवाज़ दी और राजीव आकर उसको बाहों में लेकर चूमा और गाल पर प्यार किया। मालिनी ने उसे धीरे से हटाया और चाय दी। मालिनी की ठंडी प्रतिक्रिया को देखकर राजीव फिर से सोचने लगा कि ये गिरगिट तो आज लगता है फिर से रंग बदल रही है। वह चुपचाप चाय पीने लगा।

बाद में राजीव ने नूरी को फ़ोन किया और बोला: यार ये बहु तो फिर आज ठंडी दिखाई दे रही है। क्या किया जाये?

नूरी: ओह ऐसा क्या? एक काम करती हूँ डैड मतलब मेरे ससुर और सास को कहती हूँ कि वो मुझे फ़ोन करें और उसके सामने अश्लील बातें करें ताकि ये थोड़ा सा सोच में पड़ जाए और उत्तेजित भी हो जाए।

राजीव ख़ुश होकर: हाँ ये ठीक रहेगा।

नूरी: एक बात है कि आप उसके साथ किसी क़िस्म की ज़बरदस्ती मत कीजिएगा वरना सब काम ख़राब हो जाएगा।

राजीव: अरे नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा। ठीक है फिर दोपहर को मिलते हैं। बाई।

राजीव खाना खाते हुए भी मालिनी से इधर उधर की बात ही किया । और पूछा: सरला से बात हुई क्या हाल में?

मालिनी : जी पापा कल बात हुई थी । सब मज़े में हैं वहाँ।

राजीव: इधर आने का कोई प्लान नहीं बनाया क्या उन लोगों ने?

मालिनी: अभी तो ऐसा कुछ कहा नहीं। फिर मुस्कुराकर बोली: मैंने भी आने को नहीं कहा वरना आपके और नूरी के रंग में भंग पड़ जाता।

राजीव हँसकर: सही कहा तुमने। अब नूरी के भी वापस जाने का समय आ रहा है। कल बोल रही थी कि तीन दिनों में वापस चली जाएगी।

मालिनी: उसका काम तो बन चुका होगा अब तक?

राजीव: बेटी, ये सब तो भगवान के हाथ में है। हाँ मैंने पूरी कोशिश की है कि वो माँ बन जाए। अब इसका नतीजा तो कुछ दिनों बाद ही मिलेगा। वैसे अगर रानी के केस से नूरी की तुलना करें तो नूरी का चान्स सौ प्रतिशत है क्योंकि वो एक बार मॉ बन चुकी है और दूसरे उसका खान पान उस ग़रीब रानी से बहुत बेहतर है।

मालिनी हँसकर : पापा जी अब आप इसकी फ़ीस लेनी शुरू कर दीजिए। हा हा ।

राजीव: मेरी फ़ीस तो चुदाई ही है। इतनी जवान लड़की मज़े से चुदवाती है और क्या चाहिए।

मालिनी हँसने लगी। फिर वो उठकर अपने कमरे में चली गयी। थोड़ी देर में नूरी आ गयी अपने बच्चें के साथ। वो मालिनी के कमरे में बच्चे को सुलाकर बोली: फिर पापा जी के साथ बात आगे बढ़ी?

मालिनी: क्या दीदी कुछ भी बोल रही हो?

नूरी: कल तो अंकल ने तुम्हारे सामने ही मुझे चोद दिया था। तो मैं सोची कि बाद में शायद तुमको भी पकड़े होंगे।

मालिनी: नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ। आप व्यर्थ ही कल्पना कर रही हैं।

नूरी: अच्छा मैं अंकल के पास जाती हूँ, अपनी माँ बनने के अभियान को पूरा करने। वो ये कहकर वो हँसते हुए आँख मारकर बाहर चली गयी।

नूरी राजीव के कमरे में पहुँची और उसके ऊपर जाकर चढ़ गयी और उसके होंठ चूमने लगी। राजीव के हाथ उसके शरीर पर घूमने लगे। जल्दी ही वो चुदाई में लग गए। चुदाई के बाद राजीव हाँफते हुए बोला: नूरी अपने डैड और मॉम से बात हो गयी?

नूरी : हाँ हो गयी मैं जैसे ही मिस्ड कॉल दूँगी वो फ़ोन करेंगे। और अश्लील बातें करेंगे। तो मैं चलती हूँ आप भी आ जाओ।
 

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