Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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नूरी बाहर जाने के पहने बिना ब्रा के अपनी टी शर्ट और बिना पैंटी के स्कर्ट पहनी और बाहर आकर मालिनी से बोली: मैं चाय बनाती हूँ। ठीक है ना?

मालिनी: अरे आप क्यों बनाओगी? मैं बनाती हूँ।

नूरी : ये तो सो रहा है चलो दोनों बनाते हैं। वो दोनों किचन में गयीं तो राजीव भी आवाज़ लगाया: मैं भी चाय पीयूँगा ।

जब सब सोफ़े पर बैठे थे तो चाय पीते हुए राजीव बोला: नूरी तुम कल बोल रही थी ना कि वापिस जाना है। क्या हुआ कोई बात हो गयी है ससुराल में?

नूरी: अरे नहीं अंकल, वो बस मेरे ससुर और सास मुझे मिस कर रहे हैं। और यहाँ भी तो अब तक सब कुछ हो ही चुका होगा जो होना है। वो अपने पेट पर हाथ फेर कर बोली। राजीव भी उसके पेट पर हाथ फेरकर बोला: सच में बेबी आ गया होगा भगवान ने चाहा तो। अब वह उसकी जाँघ सहलाने लगा। और उसने उसे इशारा किया कि वो मिस्ड कॉल करे। नूरी ने मालिनी की आँखें बचाकर मिस्ड कॉल किया और फिर फ़ोन काट दिया।

अब नूरी का फ़ोन बजा और वो उसे देखकर बोली: अरे आज डैड को मेरी याद कैसे आ गयी। फिर वह चाय पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डालकर बोली: हेलो डैड कैसे हैं?

डैड: अरे बहु कैसी हो?

नूरी: जी डैड ठीक हूँ। मॉम ठीक है ना? और ये भी ठीक हैं ना?

डैड: अरे यहाँ सब ठीक है। तुम अपनी बताओ बेटी, चुदाई कैसी चल रही है अंकल से ? कितनी बार चोदतें हैं एक दिन में?
मालिनी यह सुनकर सन्न रह गयी।
नूरी: दो बार तो चोद ही लेते हैं। और उतना ही मज़ा देते हैं जितना आप देते हैं। और उनका लौड़ा भी आपकी तरह ही काफ़ी बड़ा है। यह कहते हुए उसने राजीव की लूँगी से उसका लौड़ा पकड़ लिया और उसको दबाने लगी। राजीव ने भी उसकी टी शर्ट उठा दी और उसकी बड़ी बड़ी नंगी चूचियाँ दबाने लगा।

मालिनी यह देख और सुनकर थोड़ी उत्तेजित होने लगी।

डैड: और बेटी ,अब तक तो तुम प्रेगनेंट हो गयी होगी?

नूरी : हाँ डैड अब तक तो हो चुकी होंगी। पर मैं कोई चान्स नहीं लेना चाहती इसलिए पूरा अन्सेफ़ पिरीयड में चुदवा कर ही आऊँगी। उसने लूँगी से लौंडा बाहर निकाल कर इसको सहलाने लगी। मालिनी की बुर अब गीली होने लगी थी।

डैड: चलो अब जल्दी से वापस आओ । मेरा लौड़ा तुम्हारी बुर की याद मे बार बार खड़ा होता रहता है ।

नूरी: डैड मैं मॉम को तो वहाँ छोड़ कर आयी हूँ। उनको नहीं चोद रहे हैं क्या?

डैड: अरे बेटी, उसकी ढीली बुर में अब मज़ा नहीं आता।

नूरी राजीव के लौड़े को सहलाते हुए बोली: पर डैड उनकी गाँड़ तो आपको पसंद है ना? फिर क्या समस्या है?
तभी राजीव ने उसकी स्कर्ट उठायी और उसकी बुर को सहलाने लगा।
मालिनी उसकी बातें सुनकर और ये सब देखकर हैरानी और उत्तेजना से भर रही थी। उसका हाथ अपनी बुर पर चला गया।

डैड : अरे फ़ोन क्यों छीन रही हो? अच्छा बेटी,अपनी मॉम से बात करो।

मॉम : बेटी। वापस आ जा जल्दी से ।इन्होंने तो मेरे जीना मुश्किल कर रखा है। दिन भर मेरी गाँड़ मारते रहते है। उफ़ क्या बताऊँ। पहले बुर चोदतें है और फिर साथ में गाँड़ भी मार लेते हैं। मेरी हालत ख़राब हो गयी है।

नूरी: ओह डैड आप भी ना। बंद करिए मॉम को तंग करना। मैं जल्दी ही वापस आऊँगी और आपको पहले की तरह मज़ा दूँगी। मॉम बस कुछ दिन की बात है ।

मॉम : चलो कोई बात नहीं बस जल्दी से प्रेगनेंट हो जाओ और वापस आ जाओ ।

नूरी : ठीक है मॉम। बस तीन दिन में आती हूँ।

मॉम : अच्छा चल रखती हूँ। कहते हुए फ़ोन काट दिया।

अब राजीव का लौड़ा उसकी मूठ्ठी में खड़ा था। राजीव मालिनी से बोला: बेटी ज़रा तेल लाना तो। मालिनी जाके तेल लेकर वापस आयी और वहाँ का नज़ारा देखकर सन्न रह गयी। राजीव ने नूरी की स्कर्ट निकाल दी थी और वह सोफ़े को पकड़कर आगे को झुकी हुई थी और राजीव नीचे बैठ कर उसकी भूरि गाँड़ चाट रहा था। मालिनी के हाथ में तेल देखकर वह उठा और मालिनी से लौड़े पर तेल गिराने को कहा। मालिनी कांपते हाथ से तेल उसके लौड़े पर गिराई। फिर वह अपने लौड़े पर तेल मला और दो उँगलियों में तेल लगाया और उसकी गाँड़ में डालकर अंदर बाहर करने लगा। फिर उसने मालिनी के सामने ही अपने लौड़े को नूरी की खुली हुई गाँड़ में डाल दिया। नूरी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी।

मालिनी के सामने ही उसने नूरी की गाँड़ मारनी शुरू कर दी। मालिनी उसके लौड़े को नूरी की गाँड़ के अंदर बाहर होते देख कर मूर्ति बनकर वहीं खड़ी रह गयी और उत्तेजना वश अपनी बुर को खुजा दी। उसे गरम होते हुए देखकर राजीव ने मालिनी का हाथ पकड़कर अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।अब वो एक हाथ से नूरी की कमर पकड़कर उसकी गाँड़ मार रहा था और दूसरे हाथ से क़ुर्ती के ऊपर से मालिनी की चूचियाँ बारी बारी से दबा रहा था।

मालिनी भी बहुत गरम हो कर अपनी बुर खुजा दी। तब राजीव ने नूरी की गाँड़ में धक्के मारते हुए कहा: बेटी। ज़रा सलवार उतार दो। तुम्हारी बुर खुजा दूँगा।

मालिनी उत्तेजना वश जैसे सोचने समझने की शक्ति ही खो बैठी थी। उसने चुपचाप अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार उसके पैर चूमने लगी। राजीव ने अब अपना हाथ उसकी बुर पर रखा और उसमें ऊँगली डालकर मालिनी को मज़े से भरने लगा। उधर नूरी भी अब जोश में आकर अपनी गाँड़ राजीव के पेट पर दबाने लगी ताकि पूरा लौड़ा उसकी गाँड़ में जड़ तक समा जाए। अब नूरी की सिसकियाँ गूँज रहीं थीं : आऽऽऽऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो मेंरी गाँड़ आऽऽऽऽऽऽऽह। आऽऽऽऽप वहाँ झड़नाआऽऽऽऽऽऽ नहीं आऽऽऽहहह। पाआऽऽऽऽऽनि बुर में ही छोओओओओओओओड़ना। ह्म्म्म्म्म्म ।

अब राजीव ने अपना लौड़ा बाहर निकाला। उफफफफ कितना मोटा लग रहा था वो मालिनी सोची। फिर उसने मालिनी से उसकी चुन्नी माँगी जो उसने दे दी। राजीव ने अपने लौड़े को मालिनी की चुन्नी से अच्छी तरह से साफ़ किया और फिर नूरी को दीवान में पटककर उसकी टाँगें उठाकर अपना लौड़ा एक ही झटके में डालकर बुरी तरह से चोदने लगा। मालिनी को अपनी जगह से उसका लौड़ा उसकी बुर में अंदर बाहर होते साफ़ साफ़ दिख रहा था और उसके बड़े बॉल्ज़ उसकी गाँड़ के छेद का मानो चुम्बन ले रहे थे। मालिनी की उँगलिया अब तेज़ी से बुर में चल रही थीं। नूरी भी पागलों की तरह चिल्ला कर उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ हाऽऽऽऽऽऽय चोओओओओओओदो कहकर झड़ने लगी। राजीव भी अब अपना पानी उसकी बुर में गिराने लगा।

राजीव ने सिर उठाकर देखा कि मालिनी अब उत्तेजना वश अपनी बुर में ऊँगली डाल रही थी। वो मुस्कुराया और नूरी को बोला: ज़रा उसकी बुर चाट दो ना। नूरी उठकर मालिनी को सोफ़े में गिराई और उसकी टांगों के बीच ज़मीन में बैठी और उसकी बुर चाटने लगी। अब मालिनी आऽऽऽहहह करने लगी और अपनी कमर उछालकर उसके मुँह में दबाने लगी तभी राजीव उठा और उन दोनों के पास आया और मालिनी की चूचि दबाने लगा। मालिनी हाऽऽऽऽऽय करके मज़े से भर गयी।

अब जो हुआ उसकी किसी ने कल्पना किसी ने नहीं की थी यहाँ तक कि मालिनी ने भी नहीं की थी।

अचानक मालिनी बोली: आऽऽऽँहह पापा जी अब आप चूसिए मेरी बुर आऽऽऽऽऽहहह आऽऽऽऽप बहुत अच्छाआऽऽऽऽ चूसते हैं हाऽऽऽय्यय पापा जी चूसियेएएएएएएए ना प्लीज़।

राजीव नूरी को हटाया और ख़ुद नीचे बैठ कर अपना मुँह उसकी बुर में रखा और उसकी बुर चूसने लगा। साथ ही वो उसकी गाँड़ में ऊँगली भी डालकर हिलाने लगा। अब मालिनी की सिसकियाँ चरम सीमा पर आने लगीं और वो उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर गाँड़ उछाल कर झड़ने लगी। राजीव भी उसकी रस की धार को पीने लगा। राजीव ने अब अपना मुँह उसकी बुर से और ऊँगली गाँड़ से निकाला। मालिनी अब भी नीचे से नंगी अपनी जाँघें फैलायी लेटीं हुई थी ।

अब राजीव उठते हुए उसकी बुर का और गाँड़ का एक एक चूम्मा लिया और बोला : बेटी, ये दोनों कब दोगी चोदने के लिए।

मालिनी अब शर्मा रही थी क्योंकि उसकी वासना अब शांत हो चुकी थी। उसने अपनी सलवार हाथ में ली और अपने कमरे की ओर भाग गयी।

राजीव: नूरी क्या लगता है? अब चुदवाएगी ये, या और नख़रे करेगी?

नूरी: मुझे तो लगता है कि अब जल्दी ही चुदवा लेगी। आज तो पहली बार मेरे सामने आपको ख़ुद बोली चूसने के लिए।

राजीव: सच मैं मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ जब वो ख़ुद बोली कि पापा जी मेरी बुर चूसो। आऽऽऽऽऽह मारे कानों को कितना अच्छा लगा। और अब मेरे कान ये सुनना चाहते हैं कि पापा जी मुझे चोदिए। और मैं उसे पागलों की तरह चोदूँगा। आऽऽऽऽँहह देखो सोच कर ही मेरा फिर से खड़ा होने लगा है।

नूरी हँसकर बोली: अंकल अब मैं और नहीं चुदवाऊँगी । दो बार चुदवा चुकी हूँ। आज के लिए बहुत है।

राजीव भी हँसकर: अरे नहीं अब तुमको और तंग नहीं करूँगा।

फिर नूरी तय्यार होकर चली गयी। राजीव कुछ सोचकर मालिनी के कमरे में गया । वहाँ मालिनी बिस्तर पर करवट लेकर लेटी हुई थी। उसकी पीठ दरवाज़े की तरफ़ थी। राजीव अंदर आया और उसकी गाँड़ के उभार को देखा जो क़ुर्ती के ऊपर उठ जाने के कारण मस्त उभरी हुई दिख रही थी। उसकी गोरी कमर भी नंगी दिखाई दे रही थी। उसका लौड़ा टाइट होने लगा। अब वह आकर बिस्तर पर बैठा तो मालिनी को लगा कि कोई है । वह सीधी हुई और उसके सामने पापा जी को देख कर चौकी और बोली: पापा जी आप ? कुछ चाहिए क्या? मुझे आवाज़ दे देते।
 
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राजीव झुका और उसके गाल को चूमकर बोला: बेटी, मुझे तो तुमसे एक ही चीज़ चाहिए और वो है ये। यह कहकर वो उसकी बुर पर सलवार के ऊपर से सहला दिया।

मालिनी: उफफफफ पापा जी अभी तो इसको चूसा है आपने। अब फिर से वही चाहिए।

राजीव: बेटी, चूसने और चोदने में बहुत फ़र्क़ है। जैसे चूसवाने में मज़ा आया है ना , वैसे ही एक बार चुदवा कर देख लो और भी ज़्यादा मज़ा आएगा मेरी रानी बेटी। वह अब भी उसकी बुर सहला रहा था।

अब मालिनी उठी और बोली: पापा जी मुझे समय चाहिए प्लीज़ । मैं अभी भी मानसिक रूप से इसके लिए तय्यार नहीं हूँ। नूरी का पति उसको सेक्स का सुख नहीं देता और उसका वो भी पतला है और ना ही उसको माँ भी बना पाता है। इसलिए उसके पास कारण है पति से बात छिपाने का और उसे धोका देने का। पर पापा जी आप ही बताइए कि मेरे पास क्या कारण है शिवा को धोका देने का। वो तो मुझे पूरी तरह से संतुष्ट करते हैं ,उनका भी आपके जैसा ही बड़ा भी है, फिर क्यों धोका दूँ मैं उनको? सच में मैं बहुत ही उलझन में हूँ। प्लीज़ पापा जी अभी भी मैं तय्यार नहीं हूँ इसके लिए।

राजीव: अच्छा एक बात बताओ , कि तुम मुझसे बुर चूसवाने का और मेरा लौड़ा चूसने का कार्यक्रम तो बंद नहीं करोगी। या यह भी बन्द कर दोगी?

मालिनी: उफफफ पापा जी आप भी कैसे कैसे सवाल पूछते हैं।

राजीव: बेटी, और क्या पूछूँ ? चुदवाने को तो तुम अब भी तय्यार नहीं हो तो यही सही?

मालिनी: ठीक है पापा जी ये सब हम आगे भी करते रहेंगे। पर आप लिमिट क्रॉस नहीं करेंगे? ठीक है ना?

राजीव: ठीक है बेटी, पर एक बात और है कि मैंने अब तेरी चूचियाँ नहीं देखी हैं। एक बार उनको दिखा दे और चुसवा ले।

मालिनी: पापा जी वो बिलकुल नहीं हो सकता। असल में मेरी छातियाँ मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी है। अगर वो आपने नंगी करके दबायीं और चूसीं तो मैं इतना गरम हो जाऊँगी कि बिना चुदवाए रह ही नहीं पाऊँगी। और वो अभी मैं नहीं चाहती इस समय।इसलिए प्लीज़ आप मुझे इसके लिए मजबूर नहीं करिएगा।

राजीव: ठीक है जैसा तुम चाहोगी बेटी वैसा ही होगा। पर इनको इस तरह से कपड़ों के ऊपर से तो सहला सकता हूँ ना? वो उसकी चूची दबाकर बोला ।

मालिनी अब मुस्कुरा कर बोली: ये तो आप करते है ही रहते हैं । चलिए अब चाय बनाती हूँ। मुझे उठने दीजिए ना।

राजीव ने उसे छोड़ दिया और बोला: सच में बेटी, अब चाय पीने की बड़ी इच्छा हो रही है। चलो मैं भी तुम्हारी मदद करता हूँ।

मालिनी हँसी और बोली: आप किचन में आए तो मुझे सब जगह से दबाएँगे। चाय तो बनाने नहीं देंगे। आप सोफ़े पर बैठिए मैं अभी चाय बनाकर लाती हूँ।

राजीव हँसते हुए सोफ़े पर बैठा और चाय का इंतज़ार करने लगा। उसे लगा कि बात सही दिशा में जा रही है लगता है जल्दी ही काम बन जाएगा।

उधर मालिनी चाय बनाते हुए सोच रही थी कि पापा जी को आज उसने जो छूट दी है उसका अंत क्या होगा? वो सोचने लगी कि वो क्या करे ? अगर पापा जी को चूस कर भी शांत नहीं किया तो वो फिर से दूसरी शादी की बात करेंगे। और वो ऐसा किसी भी क़ीमत पर होने नहीं दे सकती थी। उसका बदन भी पापा जी से मिलन के लिए लगभग तय्यार ही था बस उसकी अपराध भावना उसे चुदवाने से रोक रही थी। वो चाय बनाई और लेकर ड्रॉइंग रूम में आयी जहाँ उसका ससुर या आशिक़ उसका इंतज़ार कर रहा था।

मालिनी चाय लेकर आयी और राजीव को दी। दोनों आमने सामने बैठ कर चाय पीने लगे।
राजीव: बेटी, नूरी तो लगता है कि तीन दिन में चली जाएगी। अब तक तो तुमको मैं मना नहीं पाया हूँ चुदवाने के लिए। अब क्या मैं तुम्हारी मम्मी सरला को बोल दूँ तीन दिनों के बाद जब भी सुविधा हो आ जाए एक हफ़्ते के लिए । क्या कहती हो?

मालिनी सब समझ रही थी कि ये भी उसके ऊपर दबाव डालने का एक तरीक़ा है पापा जी का । पर वह सामने से बोली: आप देख लीजिए। ये तो आप दोनों के बीच की बात है । इसमें मैं भला क्या कह सकती हूँ।

राजीव: पर अगर वो आ गयी तो मैं जो तुमसे अभी ओरल सेक्स कर रहा हूँ वो भी बंद हो जाएगा।

मालिनी: तो क्या हुआ । मम्मी तो आपको ओरल के अलावा टोटल सेक्स भी देगी। आपको क्या फ़र्क़ पड़ेगा?

राजीव: और तुमको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा?

मालिनी: पापा जी मेरे लिए शिवा है ना। आप क्यों उनको भूल जाते है।

राजीव: हाँ है तो। पर तुम कहती हो ना कि मैं ही तुम्हारी बुर सबसे अच्छी चूसता हूँ। फिर क्या करोगी?

मालिनी मुस्कुराकर: इंतज़ार करूँगी मम्मी के वापस जाने का।

राजीव भी मुस्कुरा कर बोला: बड़ी बदमाश हो गयी हो। फिर से प्यार आ रहा है तुम पर।

मालिनी हँसती हुई: आपका बस चले तो मुझे दिन भर ही प्यार करते रहें। पर मुझे बहुत काम है और अभी बाई आएगी और खाना भी बनाना है। ये कहकर वो किचन में चली गयी।

उस शाम या रात को और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को सामान्य चुदाई के बाद शिवा और मालिनी सो गए।

सुबह उठकर मालिनी ने ब्रा पहनी और एक नयी स्लीवलेस नायटी पहनी। पेटिकोट उठाई पहनने के लिए , फिर शरारत से मन ही मन मुस्करायी और उसे नहीं पहनी। पैंटी तो मानो उसने पहनना ही छोड़ दिया था। उसने शीशे में अपने आप को देखा तो वह ख़ुद ही अपने रूप पर मुग्ध हो गयी। एक तो वैसे ही दूधिया गोरा बदन और उस पर से स्लीवलेस नायटी से उसकी गदराई बाँहें जैसे क़यामत ढा रही थीं। और इस नायटी से थोड़ा सा कलिवेज भी दिख रहा था। गोरे गोरे गोलाइयों की झलक बहुत ही कामुक दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। वह सोची कि बेचारे पापा जी का आज क्या होगा?

वो एक बार फिर से वाशरूम गयी और मूत कर अपनी बुर और गाँड़ को अच्छी तरह से धोयी। फिर उसे सुखाकर वह बाहर आकर किचन में जाकर चाय बनाई।

चाय बनाकर वह आवाज़ दी: पापाजी आइए चाय बन गयी है।

राजीव: बेटी, चाय आज यहीं दे दो। थोड़ा पैर में चोट लग गयी है।

मालिनी चाय लाकर: क्या हुआ पापा जी ? चोट कैसे लगी?

राजीव अभी ट्रैक सूट में ही था। वो बोला: बेटी, वॉक पर एक ऊँची नीची जगह में ठोकर लगी और गिर गया हूँ। थोड़ी सी छिल गयी है चमड़ी और कुछ नहीं।

मालिनी हँसते हुए: ज़रूर लड़कियों को देख रहे होंगे इसलिए रास्ते से ध्यान हट गया होगा।

राजीव: अरे बेटी, जिसके घर में तुमसी हसीन लड़की हो उसे बाहर देखने की क्या ज़रूरत है। वैसे आज ये नायटी तुम पर बहुत फ़ब रही है। वह उसकी नंगी बाँह सहला कर बोला।

मालिनी: मैं डेटोल लाती हूँ आप बताइए कहाँ खरोंच लगी है।

वह डेटोल लायी तब तक उसने अपनी क़मीज़ उतार दी थी और उसकी नंगी चौड़ी छाती उसके सामने थी जिसमें बाँह पर कुछ चोट के निशान थे। फिर उसने अपनी पैंट उतारी और अपनी चड्डी में आ गया। उसकी जाँघ और नीचे पिंडली पर भी चोट के
निशान थे।
राजीव अब चड्डी में था और चड्डी में से उसके बड़े बॉल्ज़ और आधा खड़ा लौंडा काफ़ी भरा हुआ से दिख रहा था और उसने रुई में डेटोल लिया और उसकी बाँह में लगाने लगी। वह बिस्तर पर बैठे हुए था। उसने हाथ बढ़ाकर मालिनी के मस्त चुतरों को सहलाया और बोला: बेटी , आज पेटिकोट नहीं पहना है इसलिए मस्त लग रहा है तुम्हारा पिछवाड़ा। उफफफ क्या नरम गाँड़ है। वह अब उसकी गाँड़ के छेद में ऊँगली डाल नायटी के ऊपर से बहुत ज़्यादा मस्त हो गया।

मालिनी चुपचाप अपनी गाँड़ में ऊँगली करवा रही थी और अब उसकी जाँघ में भी दवाई लगाई और अब तो उसकी चड्डी में से उसका लौंडा खड़ा होकर अचानक उसकी चड्डी से बाहर आ गया। मोटा सुपाड़ा बाहर आकर बाहर झाँक रहा था और उसके छेद से एक बूँद प्रीकम भी दिख रहा था। अब मालिनी की बुर भी गीली होने लगी।

राजीव: बेटी, जल रहा है, फूँक मारो ना।

मालिनी हँसकर : क्या पापा जी आप भी बच्चों जैसे हल्ला मचा रहे हैं। वो फूँक मारने लगी। अब वो नीचे बैठी और उसकी पिंडलियों में दवाई लगाई और तभी नीचे बैठी मालिनी की छातियाँ बैठने के कारण उसके घुटनों में दबी और काफ़ी सारी छाती का गोरा मांसल हिस्सा बाहर झाँक रहा था। अब राजीव हाथ बढ़ाकर उसके छातियों के नंगे हिस्से को सहलाने लगा। वह उनको दबा भी दिया। मालिनी अब गरम होने लगी। वह झट से खड़ी हुई और अब राजीव ने उसका हाथ अपने लौंडे पर रख दिया। मालिनी भी मज़े से सुपाड़े को दबायी और उसकी प्रीकम को उसके सुपाड़े पर मलने लगी। फिर वह उसको अपनी गोद में खिंचा और उसकी छातियाँ दबाकर उसको चूम लिया। मालिनी हँसकर बोली: पापा जी ये क्या सुबह सुबह ही चालू हो गए। चलिए अभी छोड़िए ना, शिवा को भी उठाना है। प्लीज़ ।

राजीव : बाद में तो मज़ा दोगी ना?

मालिनी: अच्छा अगर मैं नहीं दूँगी मज़ा ,बोलती हूँ तो आप क्या मानोगे।

फिर वह हँसती हुई बोली: अच्छा अभी तो जाने दीजिए ना प्लीज़।

राजीव : ठीक है बेटी, चलो जाओ पर आज थोड़ी मस्ती करेंगे ठीक है ना, शिवा के जाने के बाद।

मालिनी बाहर जाते हुए बोली: वो तो आप करेंगे ही हा हा।

अब मालिनी शिवा को चाय देकर उसको भी उठाई। वो पेट के बल लेटे हुए था। मालिनी के उठाने से वो सीधा हुआ और मालिनी के सामने उसका खड़ा लौंडा था।

मालिनी: उसके लौंडे को दबा कर बोली: ये मॉर्निंग इरेक्शन है या सपने में किसी को चोद रहे थे?

शिवा उसको अपने ऊपर खींच कर गिरा दिया और बोला: अरे जागते हुए और सपने में भी सिर्फ़ तुमको ही चोदता हूँ।
अब दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। फिर मालिनी हँसकर बोली: चलो अब उठो और नहाओ।

शिवा: चलो ना साथ में नहाते हैं।

मालिनी: इतवार को हम साथ में नहा लेंगे। आपकी छुट्टी के दिन। ठीक है चलिए अब आप तय्यार हो जाओ।

शिवा उठके बाथरूम में चला गया। मालिनी किचन में जाकर बाई से काम करवाने लगी और नाश्ते की तय्यारी में लग गई।

शिवा के जाने के बाद बाई भी काम करके चली गई और मालिनी भी एक तौलिए से अपना पसीना पोंछने लगी। तभी राजीव लूँगी और बनयान में आया तो वह थोड़ा सा लँगड़ा रहा था । वह बोला: बेटी, कोई दर्द कम करने की दवाई दो। पैर दुःख रहा है।

मालिनी उठकर दवाई और पानी लाकर उसे दी जो वह खा लिया और मालिनी बोली: पापा जी डॉक्टर को दिखा दीजिए ना।

राजीव: बेटी, ज़रा सरसों का तेल गरम कर दो ना। जाँघ में मालिश करना पड़ेगा।

मालिनी तेल गरम करके लायी और नीचे ज़मीन पर बैठ गयी। उसने राजीव की लूँगी हटाई और उसकी जाँघ में तेल लगाने लगी। अब राजीव ने कहा: बेटी, लूँगी उतार देता हूँ वरना तेल लग जाएगा। यह कहकर उसने लूँगी निकाल दिया।
 
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अब वो नंगा सोफ़े पर बैठा था। मालिनी उसकी जाँघ में तेल मलने लगी। उसकी बालों से भरी पुष्ट जाँघ को वो सहला रही थी और मज़े से भर रही थी। उफफफफ क्या मर्दाना बदन है पापा का।

राजीव का लौंडा मालिनी के नरम स्पर्श से गरम होकर सिर उठाने लगा। अब मालिनी को भी मज़ा आने लगा था।

राजीव: बेटी, बहुत अच्छा लग रहा है । आराम मिल रहा है बहुत।

मालिनी: पापा आपको अच्छा लग रहा है ये तो मुझे भी दिख रहा है। वो उसके खड़े होते हुए लौंडे को देखकर मुस्कुराकर बोली।

राजीव हँसकर: बड़ी शरारती हो गयी हो तुम मेरी प्यारी बेटी। ज़रा इसकी भी मालिश कर देना।

वो आँख मारकर बोली: पापा ठीक है मैं तेल मल देती हूँ। अब मालिनी गरम हो गयी थी और उसकी इच्छा हो रही थी कि बुर को खुजा दे पर हाथ में तेल लगे होने के कारण वह अपनी जाँघें रगड़ कर ख़ुद को शान्त की। अब राजीव भी मस्ती में आकर अपने पैर फैला दिया और उसका खड़ा लौड़ा मालिनी की आँखों के सामने हिले जा रहा था। उसके बड़े बॉल्ज़ को देख कर मालिनी मस्त हो गई।

वो बोली: पापा आप सोफ़े पर बैठे रहेंगे तो वो तेल से गन्दा हो जाएगा। मैं एक चादर लाती हूँ आप उस पर बैठिएगा।

वह उठके एक पुरानी चादर लायी और सोफ़े पर बिछा दी। अब वो फिर से उसपर बैठ गया और अपनी कमर को हिला कर ऐसे बैठा कि उसके बॉल्ज़ एकदम सोफ़े के किनारे पर आ गए थे।
अब मालिनी ने तेल अपने हाथ में लिया और उसको लौडे पर मला। अब वो उसकी मालिश करने लगी। अब उसने सुपाड़े पर भी तेल मला और उसकी भी मालिश करने लगी। उफफफफ क्या मज़ा आ रहा था। अब वो उसके बॉल्ज़ को भी तेल लगाकर मालिश करने लगी। राजीव की आँखें मज़े से बंद हो रही थीं। वह अब हाथ बढ़ाकर उसकी छातियाँ दबाने लगा। मालिनी की बुर पनिया गई थी। वो लौड़ा सहलाते हुए सीइइइइइइइ कर उठी।

अब मालिनी ने उसके लौडे को मूठीयाने लगी। और दूसरे हाथ से उसके बॉल्ज़ को सहलाने लगी। राजीव अब अपनी कमर हिलाकर मज़े लेने लगा। राजीव अब आऽऽऽऽऽऽहहह बेटीइइइइइइइ क्या मस्त लग रहा है। और जोओओओओओओओर से करोओओओओओओओओ। मैं गयाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ। अब वो सफ़ेद गाढ़ा वीर्य मालिनी की नायटी पर छोड़ने लगा। फिर मस्ती से मालिनी ने भी उसकी दिशा अपने मुँह की ओर कर दिया और कुछ रस उसके मुँह में भी गिर गया। वह चाटकर मस्ती से भरने लगी। जब राजीव झड़कर शान्त हो गया तो वो वहीं लुढ़ककर लेट गया। मालिनी उठी और बाथरूम में जाकर हाथ मुँह धोकर किचन में जाते हुए बोली: पापा जूस पिएँगे ?

राजीव आँख मारते हुए: तुम्हारी बुर का?

मालिनी: नहीं संतरे का?

राजीव: अरे तुम्हारे संतरे का ?

मालिनी मुस्कुरा कर: मेरे नहीं असली संतरे का।

राजीव: चलो पी लेंगे बेटी।

मालिनी थोड़ी देर में जूस बना कर लाई और राजीव को भी दी। राजीव उसे पकड़कर गोद में बिठा लिया और बोला: बेटी इसे मीठा कर दो ना।

मालिनी हंस कर: अच्छा लायिए , मैं पहले पी लेती हूँ। वो उसमें से एक घूँट पी ली और फिर राजीव उसको पीने लगा। वो बोला: सच में मीठा हो गया है अब वो उसके गाल चूमा और बोला: बेटी बहुत मीठी हो तुम।

मालिनी: पापा अब मैं नहा लूँ? आप तो नहा लिए हैं।

राजीव : बेटी मैं नहला दूँ?

मालिनी: आज क्या हुआ है जो बाप बेटा दोनों साथ में ही नहाने को बोल रहे हैं।

राजीव: क्या शिवा भी यही बोला था?

मालिनी: हाँ पर मैंने कहा इतवार को नहा लीजिएगा। हा हा ।

राजीव: आज मेरे साथ नहा लो और इतवार को उसके साथ नहा लेना।

मालिनी: मैं उनके साथ नहाती हूँ तो पूरा कार्यक्रम हो जाता है। आपके साथ नहाऊँगी तो भी वही होगा।

राजीव: अरे बेटी, मैं नहीं चोदूँगा बस नहा लेना मेरे साथ।

मालिनी: आप नहीं करेंगे तो मैं ख़ुद करवा लूँगी। मैं बहुत उत्तेजित हो जाती हूँ साथ नहाने पर।

राजीव उसकी छाती मसल कर बोला: तो ठीक है चुदवा लेना। इसमें क्या समस्या है।

मालिनी : अच्छा अब जाती हूँ नहाने। बहुत पसीना आया था किचन में।

राजीव: सच पसीना आया था? देखूँ तो कैसी गंध है तुम्हारे पसीने की? वो उसकी बाँह उठाया और और अपनी नाक उसकी बग़ल में ले जाकर वहाँ सूँघने लगा। आऽऽऽह बेटी क्या मादक गंध है, सच में बहुत कामुक लग रही है । फिर उसने दूसरे हाथ के साथ भी वही किया । फिर उसको बोला: सच बेटी मस्त गंध है। और एक बात बताऊँ तुम्हारी बुर और गाँड़ की गंध भी बहुत मस्त है।

यह कहते हुए वह बोला: सच में बेटी, एक बार तुम्हारी बुर सूँघना है। वह अब नीचे बैठा और उसे खड़ा करके उसकी नायटी उठा कर उसकी बुर को देखा और वहीं नाक ले जाकर वह उसे सूँघने लगा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मालिनी को लगा कि वह अभी झड़ जाएगी। वह थोड़ी देर सूँघा और बोला: आऽऽऽन्भ्ह्ह्ह क्या मस्त गंध है। अब वह बुर चूमने लगा। फिर वह उसे घुमाया और अब उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ में अपनी नाक लगाया और बोला: हम्म कितनी मादक गंध है बेटी। पागल हो रहा हूँ इनको सूंघ कर। आऽऽऽऽऽऽऽहहहह। फिर उसने जीभ से उसकी गाँड़ चाटी। अब मालिनी उसको हटाई और बोली: पापा हटिए ना, उफफफफ क्या कर रहे हैं ? छोड़िए ना। मुझे नहाना है अभी । प्लीज़ ।

राजीव : चलो जाओ नहा लो। बेटी, तुम्हारी झाँटें बढ़ गयीं हैं , लगता है कई दिन से काटी नहीं हैं । मैं साफ़ कर दूँ?

मालिनी: मैं ख़ुद साफ़ कर लूँगी। अब चलती हूँ।

मालिनी ने अपनी नायटी नीचे की और अपने कमरे में चली गयी। उफफफ पापा भी कितने हॉट हैं। हर समय उसकी बुर को गीला कर देते हैं। फिर वो नहाने के लिए गयी और अपनी बुर को चेक की, सच में थोड़े बाल आ गए थे। उसने वीट क्रीम ली और वहाँ लगाकर सफ़ाई कर दी। फिर नहा के साड़ी और स्लीव्लेस ब्लाउस में बाहर आयी। पापा अपने कमरे में जा चुके थे। अब वो टी वी देखने लगी। थोड़ी देर बाद उसने खाने के लिए पापा को आवाज़ दी।
वो: बेटी आज मैं बेड पर ही खाऊँगा। पैर मैं अभी भी दर्द है।

मालिनी कमरे में जाकर उसको बिस्तर पर लेटे हुए देखी तो उसके पास जाकर बिस्तर पर बैठी और पूछी: पापा क्या बहुत दर्द हो रहा है?

राजीव: नहीं ज़्यादा तो नहीं पर हो रहा है। वह अब उसकी नंगी बाहों को सहला कर बोला: बेटी बहुत प्यारी लग रही हो इस साड़ी में।अब तक दर्द हो रहा था पर अब तुमको देख कर दर्द भाग गया है।

मालिनी: तो खाना यहाँ लगा दूँ?

राजीव: हाँ बेटी यहाँ ही लगा दो। वह अपनी जाँघ दबा कर बोला।

मालिनी: पापा आज नूरी की कैसे लोगे फिर ?

राजीव उसकी साड़ी को एक तरफ़ करके उसके चिकने पेट को सहलाया और फिर नाभि में एक ऊँगली डाल कर उसकी गहरी नाभि को छेड़ने लगा। फिर वह अपने हाथ उसके साड़ी के अंदर डालने की कोशिश किया और बोला: नूरी को आज अपने ऊपर चढ़ा लूँगा बेटी। तुम भी तो ऊपर चढ़ कर शिवा को चोदते होगी।

वो मज़े से हंस कर उठ खड़ी हुई और बोली: पापा मैं खाना लाती हूँ। आपकी बातों का कोई अंत नहीं है।

राजीव: ठीक है चलो अब खाना लगा दो।

मालिनी थोड़ी देर में उसे खाना निकाल कर दे गयी।

क़रीब एक घंटे के बाद नूरी आ गयी। मालिनी उसे पापा की चोट का बतायी। वो पापा के कमरे में गयी। फिर बाहर आकर वो हँसकर बोली: ज़्यादा चोट नहीं है। बोले हैं आज मैं ऊपर रहकर उनको चोदूँगी। मैं बोली वैसे भी आधे समय तो मैं ही ऊपर रहती हूँ। हा हा ।

मालिनी शर्मा कर: दीदी आप भी ना कुछ भी बोलते हो। चलो आप जाओ जो करना है करो। मैं इसको सुला देती हूँ।

नूरी राजीव के कमरे में घुस गयी। राजीव उसको दरवाज़ा खुला रखने को बोला। वो चाहता था कि मालिनी को आवाज़ें सुनाई दें और वो चाहे तो सब कुछ देख भी ले और गरम हो जाए।

थोड़ी देर में वहाँ से आवाज़ें आने लगीं। सिसकियाँ और आऽऽह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वग़ैरह। मालिनी उतसुक़्ता से वहाँ देखी और उसे दरवाज़े से साफ़ साफ़ नूरी पापा के ऊपर चढ़ी नज़र आयी और उसकी गाँड़ ऊपर नीचे हो रही थी और पापा के बड़े बॉल्ज़ साफ़ साफ़ दिख रहे थे जो कि उसकी गाँड़ को ठोकर मार रहे थे। वो अब मज़े से भरने लगी। जल्दी ही नूरी की आऽऽऽहहहह हाऽऽऽऽय्य और उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ सुनाई दी। और वो कुछ बोली। राजीव अब उसके ऊपर आ गया और उसे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। जल्दी ही उन दोनों के क्लाइमेक्स आ गए और वो झड़ गए। मालिनी की बुर गीली होने लगी।

वो किचन में जाकर पानी पी कर ख़ुद को शांत करी। नूरी बाहर आयी और बोली: आज अंकल बोले है कि एक राउंड ही करेंगे। मुझे भी कुछ काम है, मैं चलती हूँ। तुम अंकल का ख़याल रखना। यह कर वह आँख मारकर मुस्कुराई।

फिर वो चली गयी। पीछे रह गयी अशांत मालिनी। फिर वो दोनों अपने अपने कमरे में आराम करने लगे।

शाम को जब उसने चाय के लिए पापा को आवाज़ दी और बोली: पापा आइए चाय पी लीजिए।

राजीव: बेटी चाय भी यहीं दे दो। अब मालिनी को चिंता हुई किकहीं पापा को ज़्यादा चोट तो नहीं लग गयी। वो चाय लाकर बोली: पापा आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

यह कहते हुए मालिनी ने उसकी लूँगी जाँघ से हटाई और उस जगह को हल्के से दबाया। वह धीरे से उफफफफ कर उठा। अब उसका सोया हुआ लौड़ा लूँगी से दिखाई दे रहा था। अब मालिनी बोली: पापा और तेल लगा दूँ।

राजीव: हाँ बेटी, प्लीज़ लगा दो। वो बाहर जाकर तेल गरम की और वापस आइ और उसकी जाँघ में तेल लगाने लगी। राजीव बग़ल में बैठी अपनी जवान बहु की कमर सहलाने लगा। फिर उसके नंगे पेट को भी दबाया।

मालिनी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की तो राजीव का हौसला बाधा और अब वो उसकी साड़ी को हटाकर उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। मालिनी अब गरम होने लगी। राजीव ने कहा: बेटी, झाँटे साफ़ की?

मालिनी ने शर्मा कर हाँ में सिर हिलाया। वह मस्ती से भर गया और बोला: बेटी फिर एक काम करो ना ? मेरे मुँह पर बैठो ना। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब कोई जवान लड़की अपनी बुर मेरे मुँह में रखकर बैठती है। प्लीज़ ।
 

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