उधर सरला की रात करवट लेते हुए बीत गयी थीं। वो सोच रही थी कि क्या जवाब दे वो राजीव को? अगर मना करती है तो वो शादी करेगा और मालिनी की ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी। और अगर मान जाती है तो वो शिवा के साथ ये सब कैसे कर सकती है। क्या मुसीबत है इधर कुआँ और उधर खाई? वो करे तो क्या करे?
सुबह चाय पीते हुए मालिनी बोली: पापा आपने मम्मी को फ़ालतू टेन्शन में डाला है अपनी दूसरी शादी का बोल कर।
राजीव ने सिर उठाया और देखा कि वो एक काली नायटी में बहुत ही सुंदर दिख रही थी। वह बोला: देखो बेटी ज़रा शीशे में अपने आप को। काली नायटी में तुम्हारा दूधिया और जवान बदन कैसे दमक रहा है। उफफफफ ऐसी मस्त खिली जवानी देखकर कोई कैसे शांत रह सकता है। अब तुम तो अपनी देती नहीं हो तो मैं और क्या करूँ? अच्छा ये बताओ मम्मी से क्या बात हुई?
मालिनी: बस आपकी शादी का बोल रही थीं और मेरे लिए चिंता कर रहीं थीं।
राजीव : और कोई बात हुई?
मालिनी: नहीं बस यही हुई।
राजीव सोचा कि शिवा को फाँसने वाली बात सरला मालिनी को नहीं बताई है। चलो ठीक ही है। चाय के ख़ाली प्याले लेकर मालिनी जब वापस गयी किचन में, तो वो उसके पीछे ही किचन में जा पहुँचा। वह बोला: बेटी नूरी से कोई बात हुई क्या?
मालिनी: हाँ जी बात हुई थी , वो आज पेशाब का टेस्ट कराएगी और उसका महीना चार दिन ऊपर हो गया है। अब मालिनी ने मस्ती करते हुए लूँगी के ऊपर से उसके लौड़े को दबाकर कहा: बहुत ही तगड़ा है ये , देखो ना एक और लड़की को माँ बना दिया।
राजीव उसके गाल को चूमकर उसकी बुर को नायटी के ऊपर से दबोच कर बोला: बेटी, ये दे दो और देखो तुम भी माँ बन जाओगी।
मालिनी उसके लौड़े को दबाकर बोली: पापा ,क्या सच में हमारी शादी को अब तो कई महीने हो गए और मैं अब तक माँ नहीं बनी। कहीं मुझमें कोई गड़बड़ तो नहीं?
राजीव अब उसे अपने से चिपका लिया और उसकी गरदन और कंधे चूमकर बोला: अरे बेटी, कोई गड़बड़ नहीं होगी तुममें । वो क्या है ना शायद तुमको भी भगवान मेरे इस हथियार से ही माँ बनाना चाहते हैं। हा हा ।
मालिनी प्यार से उसकी छाती पर दो मुक्के मारी और बोली : उफफफफ पापा आप भी ना, मुझे शिवा के बेटे की माँ बनना है। आप तो उसके दादा होंगे।
राजीव: अरे मैं दादा हूँ या बाप उससे क्या फ़र्क़ पड़ता है, माँ तो तुम्हीं होगी ना। यह कहकर वो झुका और अपनी मस्त गदराई हुई जवान बहु के होंठ चूम लिया।
अब मालिनी की बुर गरम होने लगी थी सो वो बोली: पापा अब मुझे शिवा को चाय देना है और उसे उठाना भी है। छोड़िए मुझे।
राजीव पीछे हटा और बोला: बेटी एक चुम्बन तो बनता है।
मालिनी अपने गाल आगे करके बोली: ले लो।
वह उसे चूमा और बोला: बेटी गाल के साथ बुर को भी चूमना है। वो ये कहकर नीचे घुटनो के बल बैठ गया। मालिनी नीचे देखी और बोली: पापा जो करना है जल्दी से करो।
राजीव मज़े से मुस्कुराया और बोला: बेटी, तुम अपनी नायटी उठाओ ना । मैं उठाऊँगा तो वो मज़ा नहीं आएगा जो कि तुम ख़ुद उठाओगी तो आएगा।
मालिनी मुस्कुराती हुई बोली: ओह पापा आप बहुत नॉटी हो। ठीक है लो उठायी पर जल्दी से करो। ये कहकर वो अपनी नायटी कमर से ऊपर तक उठा दी और अपनी बुर का पूरा दर्शन उसको करा दी। राजीव थोड़ी देर मंत्रमुग्ध सा उसकी बुर की ख़ूबसूरती को देखता रहा फिर उस पर हाथ फिराया और उसके गीलेपन और चिकनेपन का अहसास किया और फिर धीरे से उसकी जाँघ को चूमता हुआ उसकी बुर को चूमने लगा। फिर जीभ से चाटकर मस्ती से भर उठा।
मालिनी: आऽऽऽऽह पापा अब छोड़ो। बस करो। शिवा के जाने के बाद कर लेना।
राजीव ने उसको घुमाया और उसकी कमर को साइड से चूमते हुए अब उसके बड़े चूतरों को सहलाया और फिर वहाँ भी चुंबनों की झड़ी लगा दी। फिर उसने उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ केछेद में अँगूठा फिराया और वहाँ भी चूम लिया। अब मालिनी हाऽऽऽऽऽऽय्य करके पीछे हटी और बोली: उफफफफ पापा मार ही डालोगे क्या? पूरी गीली हो गयी हूँ मैं। वह नायटी से अपने बुर को पोंछते हुए बोली।
राजीव हँसकर खड़ा हुआ और उसका अकड़ा हुआ लौड़ा भी लूँगी से साफ़ उठा हुआ दिख रहा था। वह बोला: अरे एक बार उसे दे दो मस्त कर दूँगा जान। वह उसकी बुर की ओर इशारा किया।
मालिनी अब चाय बनाती हुई बोली: अब आप जाओ मुझे काम करने दो। शिवा के लिए चाय लेकर जा रही हूँ।
वह अपने कमरे में पहुँची तो शिवा एक चादर ओढ़े सो रहा था। उसका लौड़ा खड़ा था जो कि चादर को उस जगह से उठा रखा था। वो उसकी हालत देखकर मुस्करायी और अपनी बुर खुजायी। फिर उसने चादर उतार दी और नीचे शिवा पूरा नंगा अपने मोर्निंग इरेक्शन के साथ सोया हुआ था। वो अब अपनी नायटी एक झटके में उतारी और अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी। उसकी बुर में जैसे आग लगी थी। वो उसके लौड़े को सहलाई और फिर उसे चूसने लगी ताकि ख़ूब सा थूक लग जाए। अब शिवा उठ गया और हैरानी से मालिनी को देखने लगा। इसके पहले कि वो कुछ बोल पाता मालिनी उसके ऊपर आकर बैठी और उसके लौड़े को अपनी मूठ्ठी में लेकर अपनी बुर पर लगाई और नीचे होकर उसे अंदर डालने लगी।
जब तक शिवा की पूरी नींद खुली तब तक उसका लौड़ा उसकी बुर में पूरा समा गया था। शिवा: आऽऽऽऽह क्या हो गया जान। आज सुबह सुबह। आऽऽऽहहह ।
मालिनी: आऽऽऽऽह चुप रहो और काम करो। ये कहकर उसने अपनी ब्रा का हुक खोला और अपने मस्त चूचियों को नंगा की और उसके दोनों हाथ पकड़कर अपनी छातियों पर रख दी और उसे दबाने का इशारा की। अब तक शिवा भी चुदाई के लय में आ चुका था। उसने उसकी चूचियाँ दबाते हुए नीचे से अपनी कमर उछालना शुरू किया। अब मालिनी की मस्ती भरी सिसकारियाँ निकलने लगी। वो भी ऊपर नीचे हो कर मज़े से चुदवा रही थी। जल्दी ही चुदाई पूरे शबाब पर आ गई और पलंग बुरी तरह से हिलने लगा। मालिनी: उइइइइइइइ मॉआऽऽऽऽऽ क्याआऽऽऽऽऽ मज़ाआऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ है मेरेएएएएएए राऽऽऽऽऽऽऽऽजा । और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो।
शिवा भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर मालिनी के साथ ही झड़ गया क़रीब १५ मिनट की चुदाई के बाद।
मालिनी उठी और अपनी ब्रा और नायटी लेकर बाथरूम में जाकर फ़्रेश होकर वापस आयी। शिवा वैसे ही अलसाया हुआ लेता था और उसका सोया हुआ लौड़ा उसकी जाँघ पर सांप के जैसे पड़ा हुआ था। वह बोला: क्या हुआ जान आज इतनी गरम कैसे हो गयी सुबह सुबह?
मालिनी हँसकर: आपने रात को एक बार ही किया था ना इसलिए सुबह सुबह ही गरम हो गयी। चलो उठो चाय फिर से गरम कर लाती हूँ। वह सोची कि आपको क्या बताऊँ कि आपके पापा ने ही मुझे इतना गरम कर दिया था कि आपसे चुदवाना ही पड़ा। अब वो शांत थी और एक गाना गुनगुना रही थी। तभी राजीव आकर बोला: क्या बात है बहुत ख़ुश हो? कुछ ख़ास बात है क्या?
मालिनी शरारत से बोली: गेस करिए क्या बात हो सकती है?
राजीव: ह्म्म्म्म्म नहीं मैं हार गया । बताओ ना क्या हुआ?
मालिनी शरारत से बोली: आपने इतना गरम कर दिया था कि अभी जाकर आपके बेटे का रेप करके आ रही हूँ। और वो खिलखिला कर हँसने लगी।
राजीव हतप्रभ होकर बोला: वाह बेटी तुमने तो कमाल कर दिया। शिवा पूछा नहीं कि इतनी गरम क्यों हो गयी?
मालिनी: पूछने पर मैंने कहा कि आप कल रात को एक ही राउंड किए थे तो मैंने दूसरा अभी कर लिया। अब उनको ये तो नहीं बोल सकती थी कि तुम्हारे पापा ने मेरी आग सुबह सुबह भड़का दी है। हा हा ।
राजीव उसको बाँहों में भरकर चूमा और बोला: शाबाश बेटी , बिलकुल मुझ पर जा रही हो।
मालिनी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली: पापा वो उठ गए हैं और कभी भी बाहर आ सकते हैं।
राजीव ने उसको छोड़ दिया और हँसते हुए अपने कमरे में चला गया।
जब वो शिवा के जाने के बाद अपने कमरे में बैठा दुकान का हिसाब चेक कर रहा था। तभी सरला का फ़ोन आया: हेलो।
राजीव: हेलो कैसी हो मेरी जान।
सरला: बहुत बुरी हालत में हूँ । रात भर सो नहीं पाई हूँ।
राजीव: लगता है श्याम रात भर चुदाई किया है , है ना?
सरला: मज़ाक़ मत करिए श्याम के कारण नहीं, आपके कारण नींद उड़ी हुई है।
राजीव: अरे तो मैं सपने में आकर चोद गया था क्या?
सरला रुआंसी होकर : बस करिए ना मज़ाक़। आप बतायिए शादी का इरादा छोड़ दिया है ना? या अभी भी पागलपन सवार है आप पर।
राजीव: अरे अभी पंडित का फ़ोन आया था कि लड़की वाले जल्दी मचा रहे हैं शादी की। उनको पैसे जो मिलने वाले हैं बहुत सारे।
सरला: प्लीज़ ऐसा मत करिए । सबकी ज़िंदगी ख़राब हो जाएगी।
राजीव : देखो सरला, अब सब तुम्हारे हाथ में है? अगर तुम चाहो तो सब कुछ ठीक हो सकता है। बस शिवा को पटा लो।
सरला: आप समझते क्यों नहीं है वो मेरे बेटे जैसा है। अच्छा एक बात बताओ आप क्यों नहीं किसी लड़की को पैसा देकर शिवा को फाँस लो ना। मुझे क्यों इसमें घसीट रहे हो?
राजीव: अरे जब वो किसी भी लड़की के साथ चुदाई करेगा तो मालिनी को वो भावना नहीं आएगी जो उसे तुम्हारे साथ देखकर आएगी। तुम भी शिवा की रिश्तेदार हो और अगर उससे चुदवाती हो तो वो भी अपने एक रिश्तेदार याने ससुर से चुदवाने में कोई संकोच नहीं करेगी। ठीक कहा ना?
सरला: आप मेरे माध्यम से, ना सिर्फ़ मुझे अपने दामाद से ग़लत काम करने को कह रहे हैं ,बल्कि अपनी बहु से भी ग़लत काम करने जा रहे हैं। उफफफ मैं क्या करूँ? वो रोने लगी।
राजीव: देखो सरला रोने से कोई हल नहीं निकलेगा। तुमको शिवा को अपने जाल में फँसाना ही होगा। वरना मेरा शादी का फ़ैसला नहीं बदलेगा।
सरला ने रोते हुए फ़ोन काट दिया।
राजीव अब सोचने लगा कि पता नहीं सरला मानेगी या नहीं?
उसी दिन शाम को फिर से सरला का फ़ोन आया। वो बोली: मैंने बहुत सोचा है और मैं समझ गयीं हूँ कि मेरे पास सिवाय आपकी बात मानने के अलावा कोई और चारा नहीं है।
राजीव ख़ुश होकर: वाह सरला वाह आज तुमने दिल ख़ुश कर दिया। बस अब लग जाओ काम में। शिवा को अपने क़ाबू में कर लो।
सरला: पर मैं हूँ यहाँ और शिवा है वहाँ आपके शहर में। ये सब कैसे होगा?
राजीव: अरे फ़ोन किस लिए बनाया गया है। उसी से शुरू करो। फिर आगे का रास्ता अपने आप खुलता जाएगा तुम्हारा शहर कौन सा बहुत दूर है सिर्फ़ २ घंटे का तो सफ़र है ।प्यार में लोग समुन्दर पार कर लेते हैं, तुमको और शिवा को तो बस दो घंटे का सफ़र तय करना है।
सरला: ठीक है कोशिश करती हूँ। पर एक बार फिर से आपको बोलती हूँ कि ये सब बहुत ग़लत है। एक बात और सोच लीजिए।
राजीव: सोच लिया है जान । बस अब काम में लग जाओ।
सरला अब सोच में पड़ गयी कि ये काम कैसे शुरू करे। उसने अपना फ़ोन चार्जिंग में लगाया और जब श्याम उसके पास किसी काम से आया तो वो बोली: कई दिन हो गए , मालिनी और शिवा से बात ही नहीं हुई। मेरा फ़ोन चार्जिंग में है आप लगाओ ना शिवा को । उसका हाल पूछते हैं।
श्याम फ़ोन लगाया और बोला: बेटा क्या हाल है?
शिवा: ताऊ जी सब बढ़िया । आप लोग सब ठीक हैं ना?
श्याम: लो अपनी मम्मी से बात करो।
सरला: हेलो बेटा कैसे हो? कई दिन से कोई ख़बर नहीं मिली।
शिवा: मम्मी जी सब ठीक है। बस ऐसे ही दुकान में कुछ काम ज़्यादा था। आप तो कई दिनों से यहाँ आयीं ही नहीं? प्रोग्राम बनाइए ना।
सरला: वाह बेटा, मैं तो कई बार आयी हूँ पर तुम लोग तो कभी प्रोग्राम ही नहीं बनाते। इस इतवार को क्या कर रहे हो? आओ ना आप सब ।
शिवा: जी मम्मी जी मैं मालिनी से बात करके प्रोग्राम बनाता हूँ।
सरला: चलो फिर रखती हूँ। बाई।
अब सरला मालिनी को फ़ोन की : कैसी है मेरी बेटी?
मालिनी: ठीक हूँ आज अपनी बेटी की कैसे याद आइ मम्मी जी?
सरला: बेटी हम सब तो तुमको बहुत याद करते हैं। अभी श्याम जी और मैंने दामाद से बात की और बोला है कि तुम सब इतवार को यहाँ आने का प्रोग्राम बनाओ।
मालिनी: ओह ठीक है मम्मी जी बनाते हैं। फिर आपको बताएँगे। फिर कुछ देर इधर उधर की बातें की और फ़ोन रख दिया ।
खाना खाते हुए मालिनी राजीव से बोली: मम्मी का फ़ोन आया था । वो हम सबको इतवार को आने को बोल रही थी।
राजीव: ओह तो जा रहे हो तुम लोग?
मालिनी: आप नहीं जाएँगे?
राजीव : अरे तुम लोग हो आओ। मैं चला गया तो श्याम के साथ मिलकर तुम्हारी माँ की चुदाई में लग जाऊँगा। तुम लोग उस बेचारी से मिल भी नहीं पाओगे। हा हा ।
मालिनी: छि आप तो बस हर समय चुदाई की ही बात करते रहते हैं। अच्छा आप मत जायिएगा।
राजीव: अरे बेटी, ग़ुस्सा क्यों करती हो। मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। वैसे भी इतवार को मेरे दोस्तों ने एक पार्टी रखी है। मैं वहाँ जाऊँगा।
राजीव का बस चलता तो वो मालिनी को भी ना जाने देता ताकि सरला आपका काम आराम से कर ले पर वो शायद सम्भव नहीं था ।
उस दिन शिवा रात को मालिनी को बोला: मम्मी का फ़ोन आया था । इतवार को बुलाई हैं। चलें क्या?
मालिनी: हाँ चलते हैं । बहुत दिन हो गए मैं भी वहाँ नहीं गयी हूँ।
इस तरह इतवार को जाने का प्रोग्राम तय हुआ। अगले दिन शिवा ने सरला को फ़ोन किया: मम्मी जी हम परसों यानी इतवार को आ रहे हैं।
सरला: बेटा ये तो बड़ी ख़ुशी की बात है। आपके पापा भी आएँगे?
शिवा: नहीं वो नहीं आ पाएँगे।
सरला ने चैन की साँस ली और बोली: ठीक है बेटा क्या बनाऊँ तुम्हारे लिए स्पेशल?
शिया : अरे मम्मी आपको जो पसंद हो बना लेना। वैसे आपको कौन सी सब्ज़ी पसंद है।
सरला बेटा, मुझे तो कच्चे केले और बैगन पसंद हैं। कहो तो इनकी सब्ज़ी बना दूँ ?