Incest ससुर कमीना और बहू नगीना:- 2(completed)

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सरला और रंजू आगे आगे चल रहीं थीं और पीछे शिवा की हालत उनके मटकती गाँड़ देखकर ख़राब हो रही थी। दोनों ने छोटे छोटे टाइट कुर्ते पहने थे जो उनके बदन की उठान और कटाव को खुल कर प्रदर्शित कर रहे थे। वो एक ऐसे काउंटर पर ले गया जहाँ ज़मीन पर मोटे गद्दे बिछे थे और एक आदमी साड़ियों को लपेट रहा था। शिवा उस आदमी के साथ बैठा और दोनों औरतें उसके सामने गद्दे पर बैठ गयीं।

अब शिवा ने साड़ियाँ दिखानी शुरू कीं। रंजू खड़ी हो गयी और एक एक साड़ी को अपने बदन में लपेट कर देखने लगी। उसने अपनी चुन्नी नीचे रख दी थी। अब वो जब साड़ी लपेटने को झुकती तो उसकी आधी चूचियाँ उसके बड़े गले के कुर्ते से साफ़ दिख जातीं। वो घूमकर शीशे में ख़ुद को देखती तो उसके मस्त चूतर अपने उभार दिखा कर शिवा को मस्त कर देते। शिवा का लौड़ा अब बग़ावत पर उतर आया था और रंजू के शरीर से आती हुई मादक सेंट की गंध भी उसे उत्तेजित करने लगी।

मालिनी चुपचाप शिवा को रंजू का बदन घूरते हुए देख रही थी। उसके द्वारा अपनी पैंट को ऐडजस्ट करना भी उसकी आँखों से छिपा नहीं रहा। वो सोची कि उसका काम इतना भी मुश्किल नहीं है शायद ।

तभी रंजू बोली: अरे यार मैंने तो ये साड़ी फ़ाइनल की है। तू भी कुछ देख ना। अब सरला भी उठी और ऐसे उठी कि उसका पिछवाड़ा शिवा की तरफ़ था। उफफफफ मम्मी की गाँड़ तो और भी ज़्यादा मस्त है आंटी की गाँड़ से - शिवा सोचा।
अब सरला ने भी वही सब किया और उसकी चूचियाँ भी शिवा को वैसे ही दिखाई दे रही थीं जैसे आंटी की दीखीं थीं। फ़र्क़ इतना था कि मम्मी की ज़्यादा बड़ीं थीं। और शिवा को शुरू से बड़ी चूचियों का एक छिपा सा आकर्षण था ही। उसे याद आया कि उसकी अपनी माँ की भी चूचियाँ ऐसी ही बड़ी बड़ी थीं।सरला कनख़ियों से देख रही थी कि उसका पूरा ध्यान उसकी चूचियों और कूल्हों पर ही है। अब वो और ऐसे ऐसे पोज बनाई कि जिनमे उसके उभार और ज़्यादा सेक्सी नज़र आएँ। अब तक शिवा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। तब सरला ने बोंब फोड़ा: मुझे तो कोई पसंद नहीं आयी । चल अब तू अंडर्गार्मेंट्स ले ले।

रंजू: हाँ बेटा चलो अब कुछ मस्त ब्रा और पैंटी दिखा दो।

शिवा: जी आंटी जी चलिए । ये कहकर वो उनको एक दूसरे काउंटर में ले गया। वहाँ वह काउंटर के पीछे से कुछ नए डिज़ाइन के ब्रा निकाला और दिखाने लगा। और पूछा: आंटी साइज़ क्या होगा?

रंजू: चल तू गेस कर। ये कहकर वो चुन्नी हटाकर अपना सीना तान कर मुस्कुराने लगी।

शिवा भी अब उत्तेजित था सो बोला: आंटी जो ३६/३८ बी कप होगी।

वो मुस्कुरायी : सही है ३८बी । अच्छा अपनी सास का बताना तो?

शिवा एक बार सिर उठाकर सरला की छातियों को देखा और बोला: मम्मी जी का ४० सी होगा।

सरला: वाह बेटा इतना सही? सच में काम में पक्का है हमारा दामाद। वह भी मुस्करायी।

शिवा: मम्मी आपको भी दिखाऊँ क्या?

सरला: नहीं बेटा मेरे पास अभी हैं ।

रंजू: अरे थोड़ी सेक्सी दिखाओ ना। वह सरला को आँख मारते हुए बोली। शिवा ने नीचे से कुछ डिब्बे निकाले और उनको खोला और उसमें से लेस वाली और नेट वाली ब्रा निकाला और उनको दिखाने लगा।

रंजू: यार सरला ये तो मस्त हैं ना? उसने एक ब्रा दिखाई जिसमें नेट यानी जाली लगी थी और जिसमें निपल के लिए छेद था। यानी निपल बाहर निकल जाएगी ब्रा से बाहर। शिवा कल्पना किया कि रंजू की चूचियाँ उनमें से कैसी दिखेंगी और वो गरम होने लगा।

सरला: छी ऐसी ब्रा पहनेगी? इससे अच्छा है कि पहन ही मत।

रंजू: शिवा तुमने ऐसी ब्रा मालिनी को दिलायी है कि नहीं?

शिवा लाल होकर: अरे आंटी आप भी ना, वो ऐसी पहनेगी ही नहीं।

रंजू: अरे तुम दो तो सही उसको। अकेले में पहनकर दिखाएगी।

सरला: मुझे नहीं लगता कि वो पहनेगी।

रंजू: तो तुम ले लो ना।

सरला: धत्त मैं क्या करूँगी। तू ले ले।

रंजू: मैं तो लूँगी ही। और बेटा, ऐसी हो कोई पैंटी भी दिखा ना।

शिवा ने उसे ऐसी ही पैंटी दिखाई जिसमें बुर ज़्यादा दिखाई देगी छिपेगी कम ।

रंजू सरला को पैंटी दिखाई और बोली: बताओ कैसी है?

सरला उसकी गाँड़ पर एक चपत लगाकर बोली: देखो इसकी पीछे तो बस एक रस्सी है। ये पूरा पिछवाड़ा नंगा ही दिखेगा।

रंजू हँसने लगी और बोली: अरे इसी में तो मज़ा है। ये दे दो बेटा।

फिर वो स्कर्ट और टॉप्स भी देखी और वहाँ से भी कपड़े ली।

फिर रंजू बोली: बेटा, टोयलेट है क्या यहाँ?

शिवा: जी मेरे कैबिन में है, आइए मैं आपको ले जाता हूँ।

सरला: मैं ज़रा मालिनी से बात कर लेती हूँ फ़ोन पर। वो मालिनी को फ़ोन लगायी: हेलो, बेटी हम तो तुम्हारी शॉप में हैं। तुम आकर मिल लो ना।

मालिनी: मम्मी मेरा पिरीयड आया है , थोड़ी तबियत ढीली है। आज रहने दो । वैसे भी कल इतवार को हम दोनों आ ही रहे हैं तो मिल लेंगे।

सरला: ठीक है बेटी। फिर वो दोनों माँ बेटी इधर उधर की बातें करने लगे।

उधर शिवा रंजू को लेकर अपने कैबिन में पहुँचा और उसको दिखाया कि टोयलेट वहाँ है।

अचानक फिर जो हुआ शिवा उसके लिए तय्यार नहीं था। शिवा वापस जाने को मुड़ा और रंजू ने पीछे से उसको अपनी बाहों में लपेट लिया और उसके कंधे को चूमने लगी। शिवा हड़बड़ाकर मुड़ा और अब रंजू उसके होंठ को चूमने लगी। शिवा की छाती से उसके बड़े मम्मे सट गए थे। शिवा का लौड़ा उसके पेट पर कील की तरह चुभ रहा था। अब रंजू ने शिवा के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ा और अपनी दोनों चूचियों पर रख दिया और उनको दबाने लगी। शिवा भी मस्ती में आकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वह अपने हाथ को नीचे ले गयी और पैंट के ऊपर से उसके लौड़े को दबा कर बोली: बाबा रे कितना बड़ा है तेरा? मालिनी की तो फट जाती होगी ?

शिवा: नहीं आंटी वो तो अब आराम से ले लेती है। अब रंजू उसकी पैंट खोलने लगी। और पैंट को नीचे गिरा दी और फिर नीचे बैठ गयी। अब वो उसकी चड्डी पर अपना हाथ फिरायी। फिर वह बोली: आऽऽह सच में बहुत मस्त हथियार है।

शिवा: आऽऽह आंटी छोड़िए। मम्मी इंतज़ार कर रही होगी।

रंजू ने जैसे उसकी बात सुनी ना हो वो अब चड्डी को नीचे की और उसके मस्त लौड़े को देखकर सिसकी ली और बोली: उउउउउफफफ क्या लौड़ा है। अब वो लौड़े को सहलाने लगी।फिर उसका मुँह खुला और उसकी जीभ लौड़े और बॉल्ज़ पर घूमने लगी। शिवा आऽऽऽह कर उठा। फिर वह उसके लौड़े को चूसने लगी। अचानक शिवा को लगा कि कोई आ रहा है तो वो जल्दी से उसे हटाकर अपनी पैंट बंद किया और टोयलेट से बाहर आया और कैबिन में कुर्सी पर बैठा ताकि उसका खड़ा लौड़ा मम्मी को ना दिख सके।

तभी सरला अंदर आइ और बोली: बड़ी देर लगा दी रंजू ने टोयलेट में। फिर वो शिवा का लाल चेहरा देखी और बोली: क्या हुआ? इतना टेन्शन में क्यों हो? सब ठीक है?

शिवा: हाँ मम्मी सब ठीक है। आपकी मालिनी से बात हुई क्या?

सरला: हाँ हुई है। उसकी तबियत ठीक नहीं है। सो वह यहाँ नहीं आ रही है। फिर हम कल तो मिलेंगे ही ना। बस रंजू आ जाए तो उससे पैसे ले लो फिर हम वापस जाएँगे।

शिवा: ऐसे कैसे वापस जाएँगी? बिना भोजन किए। यहाँ पास में एक रेस्तराँ है, वहाँ खाना खा लीजिए फिर चले जायियेगा।

तभी रंजू बाहर आयी और वो सब रेस्तराँ में पहुँचे। वहाँ सबने खाना खाया। शिवा बार बार रंजू से आँख चुरा रहा था क्योंकि उसे याद आता था कि वो कैसे उसका लौड़ा चूसी थी। रंजू को कोई शर्म नहीं थी। वो सरला की आँख बचा कर शिवा को आँख भी मार देती थी। वह टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसकी जाँघ सहला रही थी। बाद में वो उसके पैंट के ऊपर से उसका लौड़ा दबाकर मस्त होने लगी। शिवा भी मस्ती में आकर मज़े ले रहा था।

सरला शिवा के चेहरे की उत्तेजना से थोड़ा सा शक करके उनकी साइड में लगे शीशे में देखी और वहाँ उसने देखा कि रंजू उसके पैंट के ऊपर से उसके लौड़े को दबा रही है। वह सन्न रह गयी। तभी शिवा की निगाह शीशे पर पड़ी और उसने देखा कि सरला उन दोनों को देख रही थी। वो सकपका गया और रंजू का हाथ वहाँ से हटाया। रंजू ने भी देखा कि सरला देख रही है तो वो आँख मार दी।

खाना खा कर रंजू और सरला वापस जाने के किए कार से निकल गए ।शिवा ने कहा कि मम्मी पहुँच कर फ़ोन कर देना।
रास्ते में सरला: रंजू मैं बहुत शोक्ड हूँ तुम्हारे व्यवहार से।

रंजू: अरे वो जो मैं शिवा को मज़े दे रही थी। अरे इसमें क्या है। थोड़ा सा फ़्लर्ट कर लिया तो क्या हुआ।

सरला: मैं तो शिवा को शरीफ़ समझती थी पर वो तो जैसे तुमसे मज़ा ले रहा था, मुझे तो वो भी ठरकी ही लगा। बेचारी मेरी बेटी।

रंजू: अरे पर एक बात बताऊँ मालिनी बहुत क़िस्मत वाली है।

सरला: वो कैसे ?

रंजू: शिवा का हथियार बहुत मस्त है। म्म्म्म्म्म्म ।

सरला: अच्छा पैंट के ऊपर से सब समझ गयी?

रंजू: अरे मैंने तो टोयलेट में उसका लौड़ा चूसा और बहुत मज़ा लिया। बस तू आ गयी इसलिए काम पूरा नहीं हो सका।

सरला: ओह ये सब भी कर लिया? हे भगवान। तुम भी ना कुछ भी करती हो। पर एक बात बता ना कि तूने उसे आसानी से सिडयूस कर लिया या तुझसे थोड़ी दिक़्क़त हुई?

रंजू: अरे आसानी से पटा लिया और वो तो जैसे मज़ा लेने को तय्यार ही था। पर सच में बहुत मस्त हथियार है उसका।

सरला: क्या उस तेरे लौंडे से भी बड़ा?

रंजू: हाँ उससे भी बड़ा और मोटा? क्या तेरे पति का भी इतना ही बड़ा और मोटा था?

सरला: हाँ उनका भी बड़ा ही था।

रंजू: आऽऽह कितनी क़िस्मत वाली हो तुम और मालिनी। मेरा वाला तो पेन्सल लेकर घूमता है। अगर वो लौंडा ना होता तो मेरा क्या होता। वो अपनी बुर खुजाते हुए बोली: आज तो उसको बुलाना ही पड़ेगा। तेरे आने से काम अधूरा रह गया था। आज उससे दो बार चुदवाऊँगी तभी चैन मिलेगा।

सरला: ओह ठीक है अब ध्यान से गाड़ी चला।
 
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इसी तरह दिन बीत रहे थे । राजीव की प्यास बहू को पाने की अब अपनी चरम सीमा पर थी। पर बहू की तरफ़ से कोई भी पहल होने का प्रश्न ही नहीं था। वह भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जिससे उसे शिवा के सामने शर्मिंदा होना पड़े। वह अब यह चाहने लगा था कि दिन में मालिनी उसकी प्यास बुझाए और शिवा के आने के बाद वह उसके साथ रहे और मज़े करे। ये उसके हिसाब से बहुत सीधा और सरल उपाय था, पर बात आगे बढ़ ही नहीं पा रही थी। उसके हिसाब से यह बहुत ही सिम्पल सा ऐडजस्टमेंट था जो मालिनी को करना चाहिए और इस तरह वह भी दुगुना मज़ा पा सकती है, और शिवा और वो भी ख़ुश रहेंगे। ।वह बहुत सारी योजना बनाता था मालिनी को पटाने का ,पर कोई भी प्रैक्टिकल नहीं थी। सच ये है कि मालिनी को इस तरह के रिश्ते की कोई ज़रूरत ही नहीं थी क्योंकि वह अपने पति से पूरी तरह संतुष्ट थी। दिक़्क़त तो राजीव की ही थी। इसी तरह समय व्यतीत होते रहा।
फिर एक दिन राजीव नाश्ता करके अपने कमरे में बैठा था तभी पंडित का फ़ोन आया।
पंडित: जज़मान, मुझे रमेश जी ने आपका नम्बर दिया है। वो कह रहे थे कि आपके लिए लड़कियाँ पसंद करूँ।
राजीव: ओह फिर ?
पंडित: दो लड़कियाँ है शादी में लायक। एक की उम्र २२ साल है और दूसरी २५ की है। दोनों सुंदर हैं और उनका परिवार इसके लिए तय्यार है।
तभी राजीव के कमीने दिमाग़ में अचानक ही एक ख़तरनाक योजना ने जन्म लिया और वह सोचने लगा कि अगर उसकी यह योजना सफल हो गयी तो शायद मालिनी उसके पहलू में होगी।
वह एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ पंडित को अपनी योजना समझाया और बोला : जैसे मैंने कहा है वैसे करोगे तो तुमको मैं दस हज़ार रुपए दूँगा।
पंडित: ज़रूर जज़मान, जैसे आपने कहा है मैं वैसे ही बात करूँगा। आप जब भी फ़ोन करोगे। और आपके मिस्ड कॉल आने पर मैं आपको फ़ोन करूँगा। पर जज़मान, पैसे की बात याद रखना।
राजीव: अरे पंडित , तुम्हारा पैसा तुमको मिलेगा ही मिलेगा।
पंडित ने ख़ुशी दिखाकर फ़ोन बंद किया।
राजीव ने अपनी योजना पर और विचार किया और अब अपने आप पर ही मुस्कुरा पड़ा और सोचा कि सच में मेरा दिमाग़ भी मेरे जैसा ही कमीना है। क्या ज़बरदस्त आइडिया आया है।
उसने सोचा कि शुभ काम में देरी क्यों। वह लूँगी और बनियान में बाहर आया। मालिनी कमला से काम करवा रही थी। वह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा ।
थोड़ी देर में कमला चली गई और मालिनी भी अपना पसीना पोंछते हुए बाहर आयी किचन से बोली: पापा जी चाय बनाऊँ?
राजीव मुस्कुराकर: हाँ बहू बनाओ।
थोड़ी देर में दोनों चाय पी रहे थे , तब मालिनी उससे शिवा की दुकान के बारे में बात करने लगी।
मालिनी: पापा जी। ये बोल रहे थे कि दुकान में एक सेक्शन और खोलने से आमदनी बढ़ जाएगी। पर क़रीब ३ लाख और लगाने पड़ेंगे।
राजीव: बेटी, मैं तो अभी पैसा नहीं लगाउँगा। शिवा के पास कुछ इकट्ठा हुआ है क्या? वो लगा ले।
मालिनी: पापा जी, वो तो सारा पैसा आपको ही दे देते हैं, उनके पास कुछ नहीं है।
राजीव: ओह, अभी तो एक और ख़र्चा आ सकता है।
मालिनी: कैसा ख़र्चा ,पापा जी?
राजीव: बेटी, मेरे कई दोस्त बोल रहे हैं कि मैं शादी कर लूँ। मैं कई दिन से इसके बारे में सोचा और आख़िर में मुझे लगा कि इस बात में दम है।
मालिनी हतप्रभ होकर: पापा जी , आपकी शादी? इस उम्र में? ओह !!!!
राजीव: बेटी, अजीब तो मुझे भी लग रहा है, पर किया क्या जाए? बहुत अकेला पड़ गया हूँ। सविता ने तो बीच राह में साथ छोड़ दिया।
मालिनी: ओह, पापा जी पर लोग क्या कहेंगे? और आपके दोनों बच्चे क्या सोचेंगे? मेरी रिक्वेस्ट है कि इस पर फिर से विचार कर लीजिए। यह बड़ी अजीब बात होगी।
राजीव: ठीक है बेटी। और सोच लेता हूँ, पर मेरे दोस्त पीछे पड़े हैं। एक दोस्त ने तो गाँव के पंडित को काम पर भी लगा दिया है।वह मेरे लिए गाँव में लड़की देख रहा है।
मालिनी अब शॉक में आकर बोली: लड़की देखनी भी शुरू कर दिए? आपको शिवा और महक दीदी से बात तो करनी चाहिए थी। पता नहीं वो दोनों पर क्या बीतेगी?
राजीव: अरे कुछ नहीं होगा , कुछ दिनों में सब समान्य हो जाएगा।
मालनी: तो सच में आप शादी करने को तय्यार हैं? लड़की की उम्र क्या होगी?
राजीव: समस्या यहीं है, जो लड़कियाँ मिल रहीं हैं , वो तुमसे भी उम्र में छोटी हैं। पता नहीं तुम अपनी से भी छोटी लड़की को कैसे मम्मी कहकर बुला पाओगी?
अब मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया, बोली: मेरे से भी छोटी ? ये क्या कह रहें हैं आप? हे भगवान! उसके माँ बाप शादी के लिए राज़ी हो गए?
राजीव: बेटी, पैसे का लालच बहुत बड़ा होता है। मुझे काफ़ी पैसे ख़र्च करने पड़ेंगे। इसी लिए तो बोला कि आगे आगे ख़र्चे और बढ़ेंगे, तो शिवा की दुकान ने कैसे पैसा लगा पाउँगा?
मालिनी: ओह , बड़ी मुश्किल हो जाएगी।
राजीव: बेटी, फिर शादी के बाद मेरा परिवार भी तो बढ़ेगा, शिवा का भाई या बहन होगी और ख़र्चा तो बढ़ेगा ही ना?
मालिनी का तो जैसे दिमाग़ ही घूम गया अपने ससुर की बातें सुनकर। वह चुपचाप उठी और अपने कमरे में चली गयी। वो सोचने लगी कि इस उम्र में इनको ये क्या सूझी है शादी और बच्चा पैदा करने की । कितनी जग हँसाई होगी? और हमारे बच्चे का क्या ? उसे सबकुछ गड़बड़ लगा, वह बहुत परेशान हो गयी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। पता नहीं शिवा इसे कैसे लेगा? पता भी उस पर क्या बीतेगी? वह तो अपने पापा से पैसे की आस लगाए बैठा है।
इसी तरह की सोच में वो खोई हुई थी ।
राजीव आज बहुत ख़ुश था, क्योंकि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा था। वह जानता था की अब आगे आगे वो मालिनी को मजबूर करेगा कि वह उसकी बात मान ले। वह अपना लंड दबाया और बोला: बस अब कुछ दिनों की ही बात है, तू जल्द ही बहू की बुर के मज़े लेगा। वह कमीनी मुस्कुराहट के साथ मोबाइल पर सेक्स विडीओ देखने लगा।
लंच के बाद सोफ़े पर बैठकर मालिनी ने फिर से वही टॉपिक उठाया और बोली: पापा जी। मैं आपसे फिर से कहती हूँ कि प्लीज़ इस पर विचार कीजिए, ये सही नहीं है। आपको इस उम्र में २० साल की लड़की से शादी शोभा नहीं देती।
राजीव कुटीलता से बोला: बहू , इस सबके लिए कुछ हद तक तो तुम ही ज़िम्मेदार हो?
मालिनी हैरानी से : में ? वो कैसे ?
राजीव: अच्छा भला मेरा काम चल रहा था, रानी के साथ। तुमने उसे भी निकाल दिया। अब बताओ मैं क्या करूँ? कैसे अपना काम चलाऊँ? यह कहकर वह बेशर्मी से अपने लूँगी के ऊपर से अपने लण्ड को दबाने लगा। राजीव घर में चड्डी भी नहीं पहनता था।
मालिनी के गाल लाल हो गए। वो पापाजी की इस हरकत से स्तब्ध रह गयी।
वह लूँगी के ऊपर से उनके आधे खड़े लौड़े को देखकर हकला कर बोली: पापाजी, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं? रानी एक ग़लत लड़की थी और आपको उससे कभी भी कोई बीमारी भी लग सकती थी। वो आपके लायक नहीं थी।
राजीव: मैं नहीं मानता। वो सिर्फ़ अपने पति और मुझसे ही चु- मतलब रिश्ता रखती थी। वो एक अच्छी लड़की थी। तुमने उसको नाहक ही निकाल दिया।
मालिनी परेशान होकर उठ बैठी और बोली: पापा जी मैंने तो अपनी ओर से आपके स्वास्थ्य के हित के लिए किया था और आप मुझे ही दोष दे रहे हैं।

वह परेशानी की हालत में अपने कमरे में आ गयी।
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राजीव उसकी परेशानी का मज़े से आनंद ले रहा था।

रात को जब शिवा आया तो मालिनी से बात बात में पूछा: पापा से पैसे की बात हो पाई क्या?

मालिनी: नहीं हो पाई।

शिवा: अच्छा आज डिनर पर मैं ही बात करता हूँ।

मालिनी: नहीं नहीं, आज मत करिए, फिर किसी दिन मौक़ा देख कर करेंगे।

शिवा: क्यों आज क्या हुआ?

मालिनी: आज उनका मूड ठीक नहीं है।

शिवा: जान, कल तुम बात ज़रूर करना , तुमको पता है कि मेरे लिए ये पैसे कितने ज़रूरी हैं । प्लीज़ जल्दी बात करना। तुम्हारी बात वो नहीं टालेंगे। अपनी बहू को बहुत प्यार करते हैं वो।

मालिनी: अच्छा करूँगी जल्दी ही बात।

वह मन ही मन में सोचने लगी कि अगर मैं शिवा को बता दूँ कि पापा जी के मन में क्या चल रहा है तो वह सकते में आ जाएँगे। और अभी तो पापा जी का पैसा देने का कोई मूड ही नहीं है।

रात को शिवा सोने के पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई किया और वो भी मज़े से चुदवाई। पर बार बार उसके कानों में पापा जी की बात गूँजती थी कि तुम ही हो इस सबकी ज़िम्मेदार , रानी को क्यों भगाया? वो सोची की पापा को तो बिलकुल ही अपने किए पर पश्चत्ताप नहीं है। उलटा मुझे दोष दे रहे हैं। तो क्या रानी को वापस बुला लूँ? नहीं नहीं ये नहीं कर सकती तो क्या करूँ। उफफफफ वो शिवा से भी कुछ शेयर नहीं कर पा रही थी। वो ये सोचती हुई सो गयी।

अगले दिन मालिनी शिवा के जाने के बाद कमला से काम करवाई और उसके भी जाने के बाद अपनी योजना के हिसाब से राजीव बाहर आया। मालिनी उसको देखके पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?

राजीव: नहीं रहने दो। पानी पिला दो।

जैसे ही वह पानी लेने गयी , उसने पंडित को मिस्ड कॉल दी। मालिनी के आते ही राजीव के फ़ोन की घंटी बजी। मालिनी के हाथ से पानी लेकर वह बोला: हेलो, अरे पंडित जी आप?

मालिनी पंडित के नाम से चौंकी और ध्यान से सुनने लगी।

राजीव ने पानी पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डाला।

पंडित: जज़मान, आपके लिए दो लड़कियाँ देख लीं हैं , एक २० साल की है और दूसरी २२ की। दोनों बहुत ही मासूम और सुंदर लड़कियाँ हैं।

मालिनी हैरान रह गयी, कि ये सब क्या हो रहा है। ये पापा जी तो बड़ी तेज़ी से शादी का चक्कर चला रहे हैं।

राजीव: अरे यार थोड़ी बड़ी उम्र की लड़की नहीं मिली क्या? ये तो मेरी बहु से भी छोटी हो जाएँगी ।

पंडित: अरे जज़मान, मज़े करो, ऐसी लड़कियाँ दिला रहा हूँ कि आप फिर से जवान हो जाओगे। तो बोलो क्या कहते हो?

राजीव: ख़र्चा कितना आएगा?

पंडित: ३/४ लाख तो लगेंगे ही। आख़िर शादी का सवाल है ।

मालिनी सोची ३/४ लाख, इतना ही तो शिवा को चाहिए। और पापा इसे शादी में बर्बाद कर रहे हैं।

राजीव: पंडित जी , थोड़ा सा मोल भाव करों भाई। देखो और कम हो सकता है क्या?

पंडित: चलिए मैं कोशिश करता हूँ, पर आप लड़कियाँ देखने कल आएँगे ना।

मालिनी का तो जैसे कलेजा मुँह में आ गया, कल ही? हे प्रभु, क्या करूँ? कैसे रोकूँ इनको?

राजीव: अरे पंडित जी, कल का मत रखो , मुझे पैसे का भी इंतज़ाम करना होगा। आप ३ दिन बाद का कर लो। ठीक है?

पंडित: ठीक है तो तीन दिन बाद ही सही। और कुछ?

राजीव: देखो, पंडित , कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए लड़कियों पर । वह अपनी मर्ज़ी से शादी करेंगी। ठीक है?

पंडित: बिलकुल ठीक है। ठीक है फिर रखता हूँ।

राजीव ने फ़ोन रखा और मालिनी को देखा जो बहुत परेशान दिख रही थी। राजीव मन ही मन ख़ुश हो रहा था कि तीर निशाने पर लगा है।

मालिनी: पापा जी, कोई तरीक़ा नहीं है इस शादी को टालने का?
आप चाहो तो मैं रानी को वापस बुला लेती हूँ। उसने अपने हथियार डालते हुए कहा।

राजीव: क्या फ़ायदा अब? उसके गर्भ को काफ़ी समय हो गया है। अब वो चु- मतलब करवाने के लायक होगी भी नहीं। अक्सर डॉक्टर ऐसे समय में चु- मतलब सेक्स करने को मना करते हैं।

मालिनी: ओह, फिर क्या करें? यह रानी वाला आप्शन भी गया।

राजीव: देखो, मेरी हालत तो तुमने बिगाड़ ही दी है। रानी को निकाल दिया और ऊपर से तुम्हारा ये क़ातिलाना सौंदर्य मैं तो पगला ही गया हूँ।

मालिनी बुरी तरह से चौकी: मेरा सौंदर्य? मतलब? मैंने क्या किया? आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?

राजीव: और क्या बोलूँ? कभी अपना रूप देखा है आइने में। इतनी सुंदर और सेक्सी हो तुम। दिन भर तुम्हारे इस रूप और इस सेक्सी बदन को देखकर मेरा क्या हाल होता है , जैसे तुमको मालूम ही नहीं? यह कहकर वह फिर से अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबाया।

मालिनी को तो जैसे काटों ख़ून नहीं!!! हे ईश्वर, ये मैं क्या सुन रही हूँ। पापा जी खूल्लम ख़ूल्ला बोल रहे हैं कि वह उसे वासना की नज़र से देखते है। अब तो वह कांप उठी। पता नहीं भविष्य में उसके लिए क्या लिखा है?

वह बोली: पापा जी। ये कैसी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ ,बेटी के जैसे हूँ। महक दीदी के जैसे हूँ। आप मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं?

राजीव: देखो, पिछले दिनो में मेरी भावनाएँ तुम्हारे लिए बहुत बदल गयी है। अब मैं तुमको एक जवान लड़की की तरह देख रहा हूँ और तुम्हारा भरा हुआ बदन मुझे पागल कर रहा है। पर मैंने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की है तुम्हारे साथ। मैं हमेशा लड़की को उसकी रज़ामंदी से पाना चाहता हूँ। आज मैंने तुमको बता दिया कि ये शादी अब सिर्फ़ तुम ही रोक सकती हो। वो भी मेरी बन कर।

मालिनी: पापा जी, पर मैं तो आपके बेटे की बीवी हूँ। आपकी कैसे बन सकती हूँ?

राजीव: देखो बहू , तुम दिन में मेरी बन कर रहो और शिवा के आने के बाद उसकी बन कर रहो। इस तरह हम दोनों तुमसे ख़ुश रहेंगे। इसमे क्या समस्या है?

मालिनी: पापा जी, आप क्या उलटा पुल्टा बोल रहे है? मैं शिवा से बहुत प्यार करती हूँ, उनको धोका नहीं दे सकती हूँ। आप अपनी सोच बदल लीजिए। आप नहीं जानते मुझे आपकी बात ने कितना दुखी किया है। और वह रोने लगी।

राजीव: देखो बहू, रोना इस समस्या का हल नहीं है। तुमको या तो मेरी बात माननी होगी या मेरी शादी होते देख लो। अब जो भी करना है, तुमको ही करना है।

मालिनी वहाँ से रोते हुए भाग कर अपने कमरे में आ गयी।

मालिनी के आँसू जब थमें वह बाथरूम में जाकर मुँह धोयी और बाहर कर बिस्तर पर बैठ गयी और पूरे घटनाक्रम के बारे में फिर से सोचने लगी। यह तो समझ आ गया था कि पापा की आँखों पर हवस का पर्दा पड़ा है और वो उसे पाने के लिए पागल हो रहे हैं। अगर वह उनको नहीं मिली तो वह शादी करके एक दूसरी लड़की की ज़िन्दगी बरबाद करेंगे। हे भगवान, मैं क्या करूँ।? पापा की शादी से और क्या क्या नुक़सान हो सकते है ? वो इसपर भी विचार करने लगी। एक बात तो पक्का है कि पैसे का तो काफ़ी नुक़सान होगा ही। और क्या पता कैसी लड़की आए घर में। हो सकता है वह इस घर की शांति ही भंग कर देगी। उफ़ वो क्या करे ? किसकी मदद ले? शिवा, महक या मम्मी की। उसने सोचा कि उसके पास ३ दिन है । देखें क्या रास्ता निकलता है इस उलझन का?

पापा के साथ लंच करने की इच्छा ही नहीं हुई। उसने उनको खाना खिलाया।

राजीव: तुम नहीं खा रही हो?

मालिनी: आपने मेरी भूक़ प्यास सब मार दी है। आपने तो मुझे पागल ही कर दिया है।

राजीव: बहू, मैंने नहीं , तुम्हारी जवानी ने मुझे पागल कर दिया है। बस तुम एक बार मेरी बात मान जाओ , सब ठीक हो जाएगा। दिन में तुम मेरी जान और रात में शिवा की जान। आख़िर इसमें इतना ग़लत क्या है? घर की बात घर में ही रहेगी। और समय आने पर शिवा को भी बता देंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि वह इसे सामान्य रूप से ही लेगा।

मालिनी: आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। छि, ये सब कितना ग़लत है। शिवा को धोका देना मेरे लिए असम्भव सा है। प्लीज़ मुझे बक्श दीजिए। प्लीज़ शादी मत करिए।

राजीव खाना खाकर वापस सोफ़े में बैठ चुका था। वो बोला: देखो बहु, अगर मैं तुम्हारी बात मान लूँ तो मेरे इसका क्या होगा? इस बार वो अपनी लूँगी के ऊपर से लौड़ा दबाकर बोला। उसकी इस कमीनी हरकत से एक बार मालिनी फिर से सकते में आ गयी।

राजीव अपने लौड़े को मसलते हुए बोला: देखो बहु, मैं कैसे मरे जा रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा था लूँगी में और वह चड्डी भी नहीं पहनता था। मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया,और सोची कि इनका पागलपन तो बढ़ता ही जा रहा है। उफ़्फ़ इस सब का क्या हल निकल सकता है?

वह फिर से उठकर अपने कमरे में चली गयी। रात को ८ बजे शिवा आया और मालिनी सोचती रही कि इनको बताऊँ क्या कि पापा मुझसे क्या चाहते हैं। फिर वह सोची कि घर में कितना बड़ा घमासान हो सकता है बाप बेटे के बीच में। वह अभी चुप ही रहना चाहती थी।


उसने सोचा कि कल महक या माँ से बात करूँगी, शायद वो कुछ मदद कर सकें।
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अगले दिन शिवा और कमला के जाने के बाद मालिनी सोफ़े पर बैठी सोच रही थी कि मम्मी से सलाह ले लेती हूँ। तभी राजीव अपने कमरे से बाहर आया और आकर मालिनी के सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया।

मालिनी: पापा जी चाय लेंगे?

राजीव: ले आओ। ले लेंगे। वैसे लेना तो कुछ और भी है तुम्हारा,पर तुम तो सिर्फ़ चाय पिलाती हो। वह अब बेशर्मी पर उतर आया था। अब उसे अश्लील भाषा का भी लिहाज़ नहीं रहा था।

मालिनी उसकी इस तरह के लहजे से हैरान हो गयी और बोली: पापा जी आप किस तरह की बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ आख़िर। छी कोई अपनी बहू से भी ऐसी बातें करता है भला।

राजीव: देखो बहु, मैंने तो कल ही साफ़ साफ़ कह चुका हूँ कि मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूँ। अब इसी बात को दुहरा ही तो रहा हूँ, कि मुझे तुम और तुम्हारी चाहिए।

मालिनी: पापा जी आपके कोई संस्कार हैं या नहीं? अच्छे परिवार के लोग ऐसी बातें थोड़े ही करते हैं।

राजीव: संस्कार? हा हा हममें से किसी में भी संस्कार नहीं है। ना हमारे परिवार में और ना तुम्हारे परिवार में। बड़ी आयी संस्कार की बातें करने वाली।

मालिनी: पापा जी आपके परिवार का तो पता नहीं पर मेरे परिवार में संस्कार का बहुत महत्व है।

राजीव कुटिल मुस्कुराहट के साथ बोला: अच्छा , और अगर मैं ये साबित कर दूँ कि तुम्हारा परिवार संस्कारी नहीं है तो तुम मुझे वो दे दोगी जो मुझे चाहिए?

मालिनी: छी फिर वही गंदी बातें कर रहे हैं। और जहाँ तक मेरे परिवार का प्रश्न है वह पूरी तरह से संस्कारी है।

राजीव हँसते हुए: तुम बोलो तो अभी तुम्हारे संस्कारी परिवार का भांडा फोड़ दूँ।

मालिनी: क्या मतलब है आपका?

राजीव: वही जो कहा? तुम्हें अपने संस्कारी परिवार पर बहुत घमंड है ना? उसकी सच्चाई दिखाऊँ?

मालिनी: मुझे समझ नहीं आ रहा है आप क्या बोले जा रहे हो? किस सच्चाई की बात कर रहे हैं आप?

राजीव :चलो अब तुम्हें दिखा ही देते हैं कि कितना संस्कारी है तुम्हारा परिवार?

राजीव ने मालिनी की माँ सरला को फ़ोन लगाया। स्पीकर मोड में फ़ोन रखकर वह मालिनी को चुप रहने का इशारा किया।

राजीव: हेलो , कैसी हो?

सरला: ठीक हूँ आप कैसे हैं? आज मेरी याद कैसे आ गयी।

राजीव: अरे मेरी जान तुमको तो मैं हमेशा याद करता हूँ। बस आजकल फ़ुर्सत ही नहीं मिलती।

मालिनी का मुँह खुल गया वह सोची कि पापा जी माँ को जान क्यों बोल रहे हैं।

सरला: जाइए झूठ मत बोलिए। आपको तो रानी के रहते किसी और की क्या ज़रूरत है।

राजीव: अरे रानी को तो तुम्हारी बेटी ने कब का निकाल दिया।

सरला: ओह क्यों निकाल दिया? वो तो आपका बहुत ख़याल रखती थी और पूरा मज़ा भी देती थी।

राजीव: अरे तुम्हारी बेटी ने मुझे उसे चोदते हुए देख लिया। बस उसके पीछे पड़ गयी और निकाल कर ही दम लिया। अब मैं अपना लौड़ा लेकर कहाँ जाऊँ? फिर तुम्हारी याद आयी और सोचा कि तुमसे बात कर लूँ तो अच्छा लगेगा।

मालिनी राजीव के मुँह से ऐसी गंदी बातें सुनकर वह हैरान थी।

सरला हँसकर: मैं आ जाती हूँ और आपके हथियार को शांत कर देती हूँ।
अब मालिनी को समझ में आ गया कि पापा और उसकी माँ का चक्कर पुराना है। वह सकते में आ गयी।
राजीव उसके चेहरे के बदलते भावों को बड़े ध्यान से देख रहा था और अपनी योजना की सफलता पर ख़ुश हो रहा था ।

वह बोला: अरे तुमने यहाँ एक मेरे ऊपर थानेदारनी बहु जो बिठा रखी है, वह संस्कार की दुहाई दे कर तुमको भी चुदवाने नहीं देगी।

मालिनी बिलकुल इस तरह की भाषा के लिए तय्यार नहीं थी।

सरला: अरे उसे कहाँ पता चलेगा। मैं आ जाती हूँ, दिन भर मालिनी के साथ रहूँगी और रात को आपके पास आ जाऊँगी।

अब तो मालिनी के चेहरे का रंग पूरी तरह उड़ गया।

राजीव: श्याम को भी लाओगी ना साथ में? हम दोनों तुम्हारी वैसे ही चुदाई करेंगे जैसे उस दिन होटेल में की थी। बहुत मज़ा आया था, है ना

सरला: हाँ जी, उस दिन का मज़ा सच में नहीं भूल पाऊँगी। मैंने श्याम से कहा है कि बुर चूसने में आपका कोई जवाब ही नहीं है। मैं आजकल श्याम को सिखा रही हूँ बुर चूसना। सच उस दिन आपको पता है मैं चार बार झड़ी थी।

राजीव: उस दिन की बात सुनकर देखो मेरा खड़ा हो गया। और ये कहकर मालिनी को दिखाकर लूँगी के ऊपर से उसने अपना लौड़ा मसल दिया।

अब मालिनी की आँखों में शर्म और दुःख के आँसू आ गए थे। उसे अपनी माँ से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वह जानती थी कि श्याम के साथ उनका रिश्ता है। पर वह उसे स्वीकार कर चुकी थी। पर ये बातें जो उसने अभी सुनी , उफफफ ये तो बहुत ही घटिया हरकत है पापा , श्याम ताऊ और माँ की। छी कोई ऐसा भी करता है क्या? वह रोते हुए अपने कमरे में आकर बिस्तर पर गिर गयी और तकिए में मुँह छिपाकर रोने लगी।

अब राजीव ने सरला से कुछ और बातें की , फिर फ़ोन काट दिया। अब वह उठकर मालिनी के कमरे में आया और वहाँ मालिनी को पेट के बल लेटके रोते देखा। उसकी बड़ी सी गाँड़ रोने से हिल रही थी, उसकी इच्छा हुई कि उन मोटे उभारों को मसल दे । पर उसने अपने आप पर क़ाबू किया और जाकर उसके पास बिस्तर पर बैठ गया। उसने मालिनी की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:बहु रो क्यों रही हो? जब तुम्हारी माँ को मुझसे चुदवाने में मज़ा आ रहा है और वो ख़ुश है तो तुम क्यों दुखी हो रही हो?

मालिनी: पापा जी मुझे माँ से इस तरह की उम्मीद नहीं थी।

राजीव: अरे वाह पहले भी तो तुम्हारे ताऊ से चुदवा ही रही थी? तुमको पता तो होगा ही?

मालिनी रोते हुए बोली: वो दूसरी बात है और उसे मैंने स्वीकार कर लिया था क्योंकि ताई जी बीमार रहती हैं और मेरे पापा नहीं है। पर आपके साथ करने की क्या ज़रूरत थी?

राजीव: बहु तुम उसे एक माँ की नज़र से ही देखती हो। उसे एक औरत की नज़र से देखो। उसकी बुर मज़ा चाहती थी। जो मैंने उसे दिया। हर बुर को एक लौड़ा चाहिए। और हर लौड़े को एक बुर। यही दुनिया की रीत है। सभी संस्कार धरे रह जाते है, जब औरत की बुर में आग लगती है या आदमी के लौड़े में तनाव आता है। यह कहते उसने उसकी पीठ सहलाते हुए उसका नंगा कंधा भी सहलाया । उसकी चिकने बदन का स्पर्श उसे दीवाना कर रहा था। अब वह उसके आँसू पोछने के बहाने उसके चिकने गाल को भी सहलाने लगा।

मालिनी: पर पापा जी आपको तो उनको समझाना चाहिए था ना? आपने भी उनका साथ दिया।

राजीव उसकी पीठ सहलाते हुए अब उसकी चिकनी कमर जो ब्लाउस के नीचे का हिस्सा था सहलाने लगा और बोला:बहु,श्याम के साथ वह बहुत दिन से मज़ा कर रही थी और वो ख़ुश थी। पर जब वो मुझसे चुदी तो उसने जाना कि असली चुदाई का सुख क्या होता है। इसीलिए हमारा रिश्ता गहरा हो गया और बाद में श्याम भी इसमे शामिल हो गया। फिर हम तीनों मज़े लेने लगे।

मालिनी आँसू पोछते हुई उठी और और बैठ कर बोली: पापा जी मुझे अकेला छोड़ दीजिए । मैं बहुत परेशान हूँ। मेरी सोचने समझने की शक्ति चली गयी है।

राजीव उसके हाथ सहलाता हुआ बोला: बहु मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे संस्कारी परिवार के बारे में बता रहा था । समझ गयी ना कि कैसा परिवार है तुम्हारा? अब भी मेरी बात मान लो। एक बार हाँ कर दो, रानी बन कर रहोगी। दिन में मेरी और रात में शिवा की। दुनिया की हर ख़ुशी तुम्हारी झोली में डाल दूँगा। और डबल मज़ा मिलेगा वह अलग । ये कहते हुए वह खड़ा हुआ और उसकी लूँगी से उसका उभरा हुआ खड़ा लौड़ा अलग से मालिनी की आँखों के सामने था। उफफफफ पापा जी भी ना, वह सोची कि क्या हो गया है इनको?


उनके जाने के बाद वह स्तब्ध सी बैठी अब तक की घटनाक्रम के बारे में सोचने लगी। पापा तो हाथ धो कर पीछे पड़ गए हैं, वो बार बार उसे अपनी बनाने की बात करते हैं। आख़िर वो ऐसा कैसे कर सकती है ? वह शिवा को धोका कैसे दे सकती है? इसी ऊहापोह में वह सो गयी।
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शिवा शाम को आया और आते ही मालिनी की चुदाई में लग गया। जब वह शांत हुआ तो मालिनी बोली: आपका दिन कैसा रहा?
वो: ठीक था, पर तुम पापा से पैसों की बात करी या नहीं?

मालिनी: नहीं कर पाई। अवसर ही नहीं मिला।

शिवा: चलो मैं ही बात कर लेता हूँ।

मालिनी; नहीं नहीं। आप अभी रहने दो, मैं ही कर लूँगी।
मालिनी को डर था कि कही पापा शिवा को पैसे के लिए मना करके अपनी शादी की बात ना बता दें। शिवा को बड़ा धक्का लगेगा।

शिवा: ठीक है, तुम ही बात कर लेना। अच्छा एक बात बताऊँ? आज असलम आया था। मेरे कॉलेज का दोस्त। शादी के बाद वह पहली बार मिला है। हमारी शादी भी अटेंड नहीं कर पाया क्योंकि वह विदेश में था। उसका इक्स्पॉर्ट का बिज़नेस है।

मालिनी: अच्छा क्या बोल रहा था?

शिवा: अरे वो जो बोल रहा था , सुनोगी तो चक्कर आ जाएगा।

मालिनी: ओह ऐसा क्या बोल दिया उसने।

शिवा: वो बोल रहा था कि वो जब भी बाहर जाता है अपनी बीवी को भी ले जाता है। और वह वहाँ जाकर वाइफ़ सवेप्पिंग यानी बीवियों की अदला बदली का खेल खेलता है।

मालिनी: हे राम, ये क्या कह रहे हैं आप? छि कोई ऐसा भी करता है क्या?

शिवा: अरे बड़ी सोसायटी में सब चलता है । वह कह रहा था कि अब अपने शहर में भी ये सब शुरू हो गया है। वह यहाँ भी अपने दो दोस्तों की बीवियों को चोद चुका है और बदले में उसकी बीवी भी उसके दोनों दोस्तों से चुद चुकी है।

मालिनी: ओह ये तो बड़ी गंदी बात है।

शिवा: मैं भी मज़ाक़ में बोला कि मुझसे भी चुदवा दे भाभी को। जानती हो वो क्या बोला?

मालिनी: क्या बोला?

शिवा: वह बोला कि अरे भाई चल अभी चोद ले उसको, पर अपनी वाली कब दिलवाएगा। ? मैं बोला साले मैं मज़ाक़ कर रहा था। मेरी बीवी इसके लिए कभी तय्यार नहीं होगी। वो बहुत संस्कारी परिवार से है।

मालिनी संस्कारी शब्द से चौकी। और सोची काहे का संस्कारी परिवार ? सत्यानाश हो रखा है संस्कारों का। अपनी माँ और ससुर के सम्बन्धों का जान कर तो वो शर्म से गड़ गयी है।
वह बोली: चलिए हमें क्या करना है इन फ़ालतू बातों से । आप फ़्रेश हो लीजिए मैं खाना लगाती हूँ।

सबने खाना खाया और शिवा ने रात को दो राउंड और चुदाई की।
अगले दिन सुबह मालिनी उठी और चाय बनाकर राजीव के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी, आइए चाय बन गयी।

राजीव लूँगी और बनयान में बाहर आया और टेबल पर बैठकर चाय पीने लगा और बोला: बहु गुड मॉर्निंग।

मालिनी ने झुककर उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग पापा जी कहा। वह भी चाय पीने लगी।

राजीव: बहु , रात को शिवा ने मज़ा दिया?

मालिनी चौक कर और शर्म से लाल होकर: छी पापा जी , ये कैसा प्रश्न है?

राजीव: अच्छा प्रश्न है कि रात को मज़ा किया या नहीं? ये तो सामान्य सा प्रश्न है?

मालिनी: मुझे इसका जवाब नहीं देना है। वह चाय पीते हुए बोली।

राजीव: अगर तुमने मज़ा किया तो यह सामान्य बात है। और अब दिन में उसके जाने के बाद तुम मुझसे मज़ा लो तो भी वह समान्य बात हो सकती है। है ना?

मालिनी: बिलकुल नहीं। वो मेरे पति हैं आप नहीं। फिर वह उठी और चाय के ख़ाली प्यालियाँ उठा कर किचन में ले गयी। राजीव उसके पीछे किचन में गया और बोला: जानती हो जब तुम चलती हो तो तुम्हारा पिछवाड़ा बहुत सेक्सी दिखता है।

मालिनी पीछे को मुड़ी और बोली: पापा जी प्लीज़ ऐसी बातें मत करिए । मुझे बहुत दुःख होता है।

अब राजीव उसकी छातियों को घूरते हुए बोला: और तुम्हारी इन मस्त छातियों ने तो मेरी नींद ही उड़ा दी है।

मालिनी अब लाल होकर चुपचाप वहाँ से बाहर निकलने लगी। तभी राजीव ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:मान जाओ ना मेरी बात, क्यों मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं इस घर में एक और जवान लड़की लाऊँ और घर की शांति भंग करूँ।

मालिनी दुखी मन से अपना हाथ छुड़ाया और बोली: पापा जी ये बिलकुल ग़लत है । ये कैसे हो सकता है?

यह कहकर वह वहाँ से चली गयी। राजीव भी अपनी लूँगी के ऊपर से अपना लौड़ा मसलते हुए चला गया अपने कमरे में।

मालिनी ने शिवा को उठाया और उसे भी चाय पिलाई। शिवा फ़्रेश होकर मालिनी को बिस्तर पर पटक दिया और बोला: क्या बात है थोड़ी उदास दिख रही हो? वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।

मालिनी क्या बोलती कि पापा ने अभी कितनी गंदी बात की है? वह सोची कि शिवा को बतायी तो उसे बहुत ग़ुस्सा आ जाएगा और परिवार बिखर जाएगा । वह उससे चिपट गयी और दोनों प्यार के संसार में खो गए। शिवा उत्तेजित होता चला गया और उसने मालिनी की जम कर चुदाई कर दी।

चुदाई के बाद थोड़ा आराम कर मालिनी बाहर आइ और नाश्ता बनाने लगी । नाश्ते के टेबल पर राजीव बिलकुल सामान्य लग रहा था और उससे बड़ी अच्छी तरह से बातें कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। उधर मालिनी को उसके लिए सामान्य होने में बड़ी दिक़्क़त हो रही थी । शिवा अपने पापा से बहुत सी बातें किया। मालिनी सोच रही थी कि पापा कितने बड़े गिरगिट हैं । अभी ऐसा लग ही नहीं रहा है जैसे उन्होंने उससे कुछ गंदी बात की ही ना हो। उफ़्फ़्फ़ वह कैसे इस सिचूएशन को हैंडल करे।

शिवा के जाने के बाद वह नहाने चली गयी।बाथरूम में शीशे में अपनी जवानी देखकर वह सोची कि शायद पापा की इसमें कोई ग़लती नहीं है। सच में शादी के बाद उसका बदन बहुत ही मस्त हो गया है। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ एकदम गोल गोल और पूरी तरह टाइट थे। बड़े बड़े काले निपल बहुत मस्त लग रहे थे। नीचे उसका सपाट पेट और गहरी नाभि और पतली कमर बहुत ही ग़ज़ब ढा रही थी। उसके नीचे मस्त भरी हुई जाँघें और उसके बीच में फूली हुई बुर का नज़ारा उसे ख़ुद ही मस्त कर दिया था। तभी उसके कान में पापा के शब्द सुनाई दिए कि क्या मस्त पिछवाड़ा है । वह अब मुड़ी और उसके सामने उसके सेक्सी चूतर थे। उफफफफ सच पापा जी का कोई दोष नहीं है। कितने आकर्षक हो गए हैं उसके चूतर । वह ख़ुद ही अपनी चूतरों पर मुग्ध हो गयी और उनपर हाथ फिराकर उनके चिकनेपन से वह मस्त हो गयी। फिर उसने अपना सिर झटका और सोची कि वो पापा की बातों के बारे में क्यों सोच रही है। अब वो नहाने लगी।

नहाकर तय्यार होकर साड़ी में वह बाहर आइ और बाई से काम करवाने लगी। फिर वह आकर सोफ़े पर बैठी और पेपर पढ़ने लगी। राजीव भी थोड़ी देर में नहाकर बाहर आया और पंडित को मिस्ड काल किया। जल्दी ही पंडित का फ़ोन आ गया।
राजीव: नमस्ते पंडित जी। कैसे याद किया? फिर उसने फ़ोन स्पीकर मोड में डाल दिया ताकि सामने बैठी मालिनी सब सुन ले।

पंडित: जज़मान, आज एक लड़की वाले के यहाँ गया था। वो बोल रहे थे कि अगर शादी हो गयी और उस लड़की के बच्चा हुआ तो आपके बड़े बेटे और इस नए बच्चे में सम्पत्ति बराबर से बाटनी होगी। मैंने कह दिया कि ये तो होगा ही। पर वो स्टैम्प पेपर में अग्रीमेंट चाहते हैं। वो बोल रहे हैं की आप तो उससे क़रीब ३० साल बड़े है। आपके बाद उस लड़की और उसके बच्चे का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा। आप बताओ क्या बोलना है?

राजीव: अरे साले मेरे मरने का अभी से इंतज़ार कर रहे हैं क्या? वैसे उनकी बात में दम है, अगर मैं १५/२० साल में मर गया तो वह लड़की तो उस समय सिर्फ़ ३५/४० की होगी। उसका और उसके बच्चे का भविष्य सच में ख़तरे में होगा मतलब मुझे अभी से जायदाद का बँटवारा करना होगा। ताकि बाद में उसके साथ अन्याय ना हो।

यह कहते हुए वह मालिनी की ओर देखा जिसके मुँह का रंग उड़ गया था। वह सोच रही थी कि शिवा के हिस्से में आधी प्रॉपर्टी ही आएगी। वह कितना दुखी होगा। पापा को इस शादी से रोकना ही होगा। उफफफफ वह क्या करे? शादी रोकने की शर्त तो बड़ी घटिया है। उसे पापा जी से चुदवाना होगा। वो सिहर उठी ये सोचकर।

राजीव मन ही मन मुस्कुराया मालिनी की परेशानी देखकर और बोला: ठीक है पंडित जी मैं परसों आ ही रहा हूँ। एक अग्रीमेंट बना कर ले आऊँगा। चलो अभी रखता हूँ।

मालिनी: पापा जी आप अपने बेटे शिवा के साथ इस तरह का अन्याय कैसे कर सकते हैं? वह बहुत दुखी होंगे और टूट जाएँगे।

राजीव: बहु इसके लिए तुम ही ज़िम्मेदार हो। अगर तुम मेरी बात मान लो तो कोई शादी का झमेला ही नहीं होगा। और हम तीनों एक परिवार की तरह आराम से रहेंगे। कोई बँटवारा नहीं होगा। पर तुम तो अपनी बात पर अड़ी हुई हो। मैं भी क्या करूँ?

मालिनी: पापा जी फिर वही बात?

राजीव: चलो तुम चाहती हो तो यही सही। अब तो शिवा की दुकान, ये घर और सोना रुपया भी बराबर से बँटेगा। मैं भी मजबूर हूँ।


मालिनी की आँखें मजबूरी से गीली हो गयीं और वह वहाँ से उठकर अपने कमरे में आके रोने लगी।
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उस दिन और कुछ नहीं हुआ । मालिनी ने सोचा कि अब उसकी आख़री आस महक दीदी थी। अभी तो अमेरिका में वो सो रही होगी। वह शाम को उससे बात करेगी ताकि वह पापा जी को समझाए। वह थोड़ी संतुष्ट होकर लेट गयी।

तभी उसे शिवा की कही बात याद आइ जो वह अपने दोस्त असलम के बारे में बता रहा था कि वो बीवियों की अदला बदली में मज़ा लेता है। वह थोड़ी सी बेचैन हुई कि क्या यह सब आजकल समान्य सी बात हो गयी है। क्या पति से वफ़ादारी और रिश्तों की पवित्रता अब बाक़ी नहीं रह गयी है। और क्या शिवा सच में असलम से जो बोला कि वह उसकी बीवी को करना चाहता है यह मज़ाक़ ही था या कुछ और? क्या शिवा उसे भी अपने दोस्त से चुदवाना चाहता है? पता नहीं क्या क्या चल रहा है किसके मन में यहाँ? हे भगवान मैं क्या करूँ? फिर वह सोची कि शाम को महक दीदी से बात करूँगी तभी कुछ शायद मदद होगी। ये सोचते हुए उसकी आँख लग गयी ।
शाम को उसने देखा कि पापा टी वी देख रहे हैं। वह अपने कमरे में आयी और महक को लैंडलाइन से फ़ोन लगायी। महक ने फ़ोन उठाया और बोली: हाय पापा जी क्या हाल है?

मालिनी: दीदी नमस्ते , मैं मालिनी बोल रही हूँ।

महक: ओह, मैं सोची पापा होंगे। बोलो क्या हाल है भाभी जी?

मालिनी: कुछ ठीक नहीं है, इसीलिए आपको फ़ोन किया है, शायद आप कोई मदद कर सको।

महक: हाँ हाँ बोलो ना क्या समस्या है?

मालिनी: समस्या तो बड़ी गम्भीर है दीदी। और वो पापा के बारे में है।

महक: ओह, हेलो हेलो आवाज़ नहीं आ रही है। मैं लगाती हूँ फिर से फ़ोन। यह कहकर महक ने फ़ोन काट दिया।

फिर महक अपने मोबाइल से राजीव को फ़ोन लगायी और बोली: पापा मालिनी मुझसे आपके बारे में बात करना चाहती है। ज़रूर आपकी शिकायत करेगी। अगर सुनना चाहते हैं तो मैं लैंड लाइन पर लगाती हूँ आप पैरलेल फ़ोन उठा कर अपने बेडरूम से सुन लेना। पर बोलना कुछ नहीं।

राजीव: ठीक है बेटी लगाओ फ़ोन।

अब महक ने फ़ोन लगाया और मालिनी ने उठाया और साथ ही राजीव ने भी अपने कमरे में उठा लिया।

महक: अरे भाभी आपका फ़ोन कट गया था, इसलिए मैंने फिर से लगाया है।

मालिनी: ओह ठीक है दीदी, मैं आपसे पापा जी के बारे में बात करना चाहती हूँ, उनको शादी करने का भूत सवार है और वह भी मुझसे भी छोटी लड़की से।

महक: ओह क्या कह रही हो? ये तो बड़ी बेकार बात है।

मालिनी: वही तो, अब आप ही उनको समझाइए। वो तो कल गाँव जा रहे हैं लड़की पसंद करने। और ये भी बोल रहे हैं कि शिवा को प्रॉपर्टी का आधा हिस्सा ही मिलेगा। आधा हिस्सा वो उस लड़की को दे देंगे।

राजीव सुनकर कुटीलता से मुस्कुराया और सोचा कि ये बेवक़ूफ़ किससे मदद माँग रही है, हा हा ।

महक: ओह तो तुमने उनको समझाया नहीं?

मालिनी: क्या समझाऊँ? वो तो मेरे को ही दोष दे रहें हैं इस सबके लिए।

महक: तुमको ? वो क्यों?

मालिनी: अब कैसे कहूँ आपको ये सब? मैंने तो अभी तक ये सब शिवा को भी नहीं बताया है।

महक: अरे तुम बताओगी नहीं तो मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँगी?

मालिनी: आप इसे अन्यथा ना लेना, असल में वो रानी थी ना हमारे घर की नौकरानी? पापा के उसके साथ सम्बंध थे। एक दिन मैंने दोनों को साथ देख लिया और उसे नौकरी से निकाल दिया। बस तब से मेरे पीछे पड़े हैं कि अब मेरी प्यास कैसे बुझेगी? और भी ना जाने क्या क्या।

महक: ओह, तुमने उसे निकाल क्यों दिया? अरे माँ के जाने बाद अगर वह अपनी प्यास उससे बुझा रहे थे तो तुमको क्या समस्या थी? घर की बात घर में ही थी। किसी रँडी को तो नहीं चो- मतलब लगा रहे थे ना?

मालिनी उसकी बात सुनकर हैरानी से बोली: दीदी वो नौकरानी थी और पापा जी को उससे कोई बीमारी भी हो सकती थी। मैंने तो पापा के स्वास्थ्य के लिए ही ऐसा किया। अब आप भी उनका ही पक्ष ले रही हो।

महक: अरे भाभी, पापा बच्चे थोड़े हैं। अपना भला बुरा समझते हैं। तुमको उनके व्यक्तिगत जीवन में दख़ल नहीं देना चाहिए था।

मालिनी: ओह दीदी अब तो जो हुआ सो हुआ। आगे जो बताऊँगी आपको सुनकर और भी अजीब लगेगा।

महक: अच्छा बताओ।

मालिनी: उसके बाद वो शादी की बातें करने लगे। जब मैंने मना किया तो वो बोले कि मैं बहुत सुंदर और मादक हो गयी हूँ। और मुझे दिन भर देख देख कर वह वासना से भर जाते हैं और मुझे दिन में उनकी प्यास बुझानी चाहिए। और रात को शिवा की बीवी बनकर रहना चाहिए। छी दीदी, मुझे तो बोलते हुए भी ख़राब लग रहा है। आप ही बोलो कोई ससुर अपनी बहु से ऐसा भी भला बोलता है?

राजीव यह सुनकर मुस्कुरा कर अपना खड़ा होता हुआ लौड़ा दबाने लगा।

महक: ओह, क्या सच में तुम इतनी मादक हो गयी हो? जब मैंने तुमको देखा था तो तुम सामान्य सी लड़की थी।

मालिनी: ओह दीदी आप भी ना? शादी के बाद लड़की के बदन में परिवर्तन तो आता ही है। मैं भी थोड़ी भर गयी हूँ।

महक हँसकर: क्या ब्रा का साइज़ भी बढ़ गया है? और पिछवाड़ा भी भारी हो गया है?

मालिनी: छी दीदी आप भी मज़ाक़ करती हो। वैसे ब्रा का साइज़ दो नम्बर बढ़ा है और हाँ पापा जी कह रहे थे की मेरी छातियाँ और पिछवाड़ा उनको बहुत मादक लगता है।

अब राजीव ने यह सुनकर लूँगी से अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसको मुठियाने लगा।

महक: तो ऐसे बोल ना कि तुम माल बन गयी हो, तभी तो पापा पागल हो रहे हैं। अब देख ना, एक तो वैसे ही रानी को तुमने भगा दिया और अब उनके सामने दिन भर अपनी चूचियाँ और गाँड़ मटकाओगी तो बेचारे उन पर क्या गुज़रेगी?
उनका बदन तो फड़फड़ायेगा ना तुमको पाने के लिए।

मालिनी उसकी भाषा और उसके विचारों से सकते में आ गयी और बोली: आप भी क्या क्या बोल रही हो? छी आप अपने पापा के बारे में ऐसा कैसे बोल सकती हो? फिर मैं उनकी बहु हूँ, कोई आम लड़की नहीं हूँ।

महक: अरे तुम अपने ही घर की हो तभी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी और कोई बाहर वाले से ऐसा थोड़े ही बोल सकते थे।

मालिनी: मतलब? मैं समझी नहीं।

महक: देखो भाभी, उनको तुम अच्छी लगी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी। वो तुमको शिवा को छोड़ने को तो नहीं कह रहे, बस उनकी भी बन जाने को कह रहे है। मुझे तो लगता है कि इसमे कोई बुराई नहीं है। घर की बात घर में ही रहेगी और प्रॉपर्टी का भी बँटवारा नहीं होगा। बाद में शिवा को भी बता देना कि उसका आधा हिस्सा बचाने के लिए तुम पापा से चुद-- मतलब करवाई थी।

राजीव अब ज़ोर ज़ोर से अपना लौड़ा हिलाने लगा। अपनी बेटी और बहु की कामुक बातें उसे पागल बना रही थी ।

मालिनी: उफफफ दीदी आपकी सोच से तो भगवान ही बचाए। आप साफ़ साफ़ कह रही हो कि पापा के सामने मुझे संपरण कर देना चाहिए? पता नहीं मैं क्या करूँगी?

महक: अपने घर को दो टुकड़ों में बटने से बचाने के लिए ये त्याग तुमको करना ही पड़ेगा। अगर पापा जी ने शादी कर ली, तो घर की शांति हमेशा के लिए खतम समझो।

मालिनी: यही चिंता तो मुझे खाए जा रही है। समझ में नहीं आ रहा है कि शिवा को कैसे धोका दूँ। वो मुझे बहुत प्यार करते है।

अब राजीव कॉर्ड्लेस फ़ोन को लेकर मालिनी के कमरे के सामने आया और खुली खिड़की से अंदर झाँका, वहाँ मालिनी फ़ोन से महक से बातें कर रही थी। उसकी छाती साँसों के तेज़ चलने की वजह से हिल रही थी।

महक: अरे ये सब तुम शिवा के हक़ के लिए ही तो कर रही हो और साथ ही इस घर को भी बहुत बड़ी मुसीबत से बचा रही हो। दिन में पापा का प्यार लेना और रात में शिवा का। काश मेरे ससुर होते तो मैं तो ऐसे ही मज़ा करती। बहुत ख़ुशक़िस्मत लड़की हो तुम जिसकी जवानी की प्यास दो दो मर्द बुझाएँगे। मुझे तो सोचकर ही नीचे खुजली होने लगी।

मालिनी: उफफफ दीदी कैसी बातें कर रही हो? ये कहते हुए उसने भी अपनी बुर खुजा दी। और सोची कि छी मुझे वहाँ क्यों खुजली हुई? क्या मैं भी अब ये चाहने लगी हूँ जो दीदी बोल रही है।

जैसे ही राजीव ने देखा कि मालिनी महक की बुर की खुजली की बात सुनकर अपनी भी बुर खुजा रही है, उसके लौड़े ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया जिसे वह लूँगी में सुखाने लगा।

मालिनी ने ठीक है दीदी रखती हूँ कहकर फ़ोन बंद कर दिया। अब वह सोचने लगी कि उसके सामने क्या रास्ता बचा है? क्या शिवा को सब बता दे और घर में क्लेश मचने दे या दीदी की बात मान ले।


वह अपना सिर पकड़कर रह गयी।
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राजीव ने महक को फ़ोन किया और बोला: थैंक्स बेटी, तुमने बहुत साथ दिया। अब वो ज़रूर कुछ सोचेगी मेरी शादी को रोकने के लिए।

महक: अच्छा पापा मेरे को तो बताओ कि क्या आप सच में आप शादी करोगे ?

राजीव: अरे नहीं बेटी, इस उम्र में में कैसे शादी कर सकता हूँ। किसी लड़की की ज़िन्दगी नहीं खराब करूँगा।

महक: फिर ठीक है, ये आप मालिनी को पटाने के लिए कर रहे हो। है ना?

राजीव: बिलकुल बेटी यही सच है। अब तुम मेरे पास होती तो हम मज़े कर लेते। पर तुम तो जॉन से मज़े कर रही हूँ। यहाँ मैं अपना डंडा दबा दबा कर परेशान हो रहा हूँ। क्या बताऊँ तुम्हें कि ये मालिनी इतनी ग़दरा गयी है कि इसको देखकर ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है। साली की गाँड़ मस्त मोटी हो गयी है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या बताऊँ तुम्हें।

महक हँसती हुई बोली: बस बस पापा बस करिए। समझ में आ गया कि आपकी बहू मस्त माल हो गयी है। और अब बहुत जल्दी ही वो आपके आग़ोश में होगी। चलिए रखती हूँ। बाई ।

राजीव का लौड़ा महक से बात करते हुए खड़ा हो गया था। इसने उसको दबाया और लम्बी साँस ली और सोचा कि चलो कल देखते हैं क्या होता है।

शिवा घर आया तो उदास मालिनी को देखकर पूछा: क्या हुआ जान , उदास दिख रही हो ।

मालिनी: अरे कुछ नहीं, बस थोड़ी सुस्ती लग रही थी। चलो आप फ़्रेश हो मैं खाना लगती हूँ।

शिवा: अरे पहले तुम्हें तो खा लूँ फिर खाना खाऊँगा। यह कहते हुए उसने मालिनी को बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर आकर उसके गाल और होंठ चूसने लगा।

मालिनी उसको धक्का दी और बोली: चलो अभी छोड़ो और खाना खाते हैं।
शिवा थोड़ा हैरानी से : क्या हुआ जान? सब ठीक है ना?

मालिनी: सब ठीक है, अभी मूड नहीं है।

शिवा उसे छोड़कर बिस्तर से उठा और बोला: अच्छा आज भी बात हुई पापा जी से पैसे के बारे में?

मालिनी झल्ला कर बोली: नहीं हुई और आप भी मत करना । कोई ज़रूरत नहीं है।

शिवा उसको पकड़कर बोला: बताओ ना क्या बात हुई है? तुम्हारा मूड इतना ख़राब मैंने कभी नहीं देखा।

मालिनी: कुछ नहीं हुआ है बस सर दर्द कर रहा है। इसलिए आराम करना चाहती हूँ।

फिर वह किचन में चली गयी। खाना लगाते हुए उसे अपने व्यवहार पर काफ़ी बुरा लगा और वह वापस अपने कमरे में आयी और शिवा से लिपट गयी और बोली: रात को कर लेना । मना नहीं करूँगी और ये कहते हुए उसने लोअर के ऊपर से उसका लौड़ा दबा दिया। शिवा भी मस्ती में आकर उसकी कमर सहलाने लगा। फिर उसका हाथ उसके चूतरों पर आ गया और उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी पैंटी पर हाथ फिराकर बोला: जान, घर में पैंटी मत पहना करो। बाहर जाओ तो पहन लिया करो। ऐसे हाथ फिरा रहा हूँ तो पैंटी के कारण तुम्हारे चूतरों का मज़ा भी नहीं मिल पा रहा है।

मालिनी: आपका बस चले तो मुझे नंगी ही रखोगे क्या पता?

शिवा उसके चूतरों के ऊपर से पैंटी को टटोलते हुए बोला: देखो ये पैंटी मेरे हाथ को तुम्हारी मस्तानी गाँड़ को महसूस ही करने नहीं दे रहा है।

मालिनी हँसकर बोली: अच्छा नहीं पहनूँगी पैंटी बस । चलो अब खाना खा लो।

वो दोनों बाहर आए और शिवा ने राजीव को आवाज़ दी और सब खाना खाए। राजीव ने कुछ भी ऐसा शो नहीं किया जैसे कि कोई बात है। मालिनी सोचने लगी कि कितना बड़ा नाटककार है ये पापा जी , ऐसे बर्ताव कर रहे है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। कल शादी करने के लिए लड़की देखने जा रहे हैं और बेटे को इसकी भनक भी नहीं लगने दे रहे हैं और मेरे पीछे भी पड़े हैं कि मैं अपनी जवानी इनको सौंप दूँ। उफफफफ क्या करूँ।

खाना खाते हुए बाप बेटा व्यापार की बातें करते रहे। फिर वो अपने अपने कमरे में चले गए।

रात को शिवा ने मालिनी की दो बार चुदाई की और फिर वो सो गए।

अगले दिन शिवा के जाने के बाद कमला किचन में आयी और मालिनी को बोली: बड़े साहब कहीं बाहर जा रहें हैं क्या?

मालिनी : क्यों क्या हुआ?

कमला: वो साहब सूटकेस पैक कर रहे हैं ना इसलिए पूछी।

मालिनी बहुत परेशान हो गयी । उफफफफ पापा जी को भी चैन नहीं है । लगता है आज जा रहें हैं लड़की देखने। वह सोची कि क्या करूँ कैसे रोकूँ उनको।

तभी राजीव ने चाय माँगी। मालिनी बोली: अभी लाती हूँ।

कमला अपना काम कर चली गयी। मालिनी चाय लेकर सोफ़े पर बैठे राजीव को दी।

राजीव चाय पीते हुए बोला: बहु आज मैं गाँव जा रहा हूँ। रात तक वापस आ जाऊँगा।

मालिनी: मैं शिवा को क्या बोलूँ?

राजीव: जो तुम्हें सही लगे बोल देना। वैसे भी उसे बताना तो होगा ही कि उसकी नयी माँ आने वाली है।

मालिनी रुआंसी होकर बोली: जानते हैं उनको कितना बुरा लगेगा। पता नहीं वो टूट ना जाए।

राजीव: मैं क्या कर सकता हूँ अगर तुम मेरी बात मान जाओ तो मुझे ये सब कुछ नहीं करना पड़ेगा।

मालिनी: पापा जी आप समझते क्यों नहीं कि मैं शिवा से आपके बेटे से बहुत प्यार करती हूँ और उनको धोका कैसे दे सकती हूँ।

राजीव: वही रट लगा रखी हो । कहा ना हम दोनों की बनकर रहो। पता नहीं क्यों तुम्हें समझ नहीं आ रहा है। तुम मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं शादी करूँ और इस घर का बँटवारा करूँ।

मालिनी रोने लगी और बोली: पापा जी क्यों मेरी ज़िंदगी तबाह करने पर तुले हैं। मैं बरबाद हो जाऊँगी।

राजीव: रोने से इस समस्या का हल नहीं होगा बहु। तुमको फ़ैसला करना ही होगा।

यह कहकर वह उठा और अपने कमरे में चला गया। वह दरवाज़ा खुला छोड़कर अपना सूट्केस पैक करने लगा। मालिनी सोफ़े पर बैठी हुई राजीव को पैकिंग करते हुए देख रही थी और उसका कलेजा मुँह को आ रहा था । उसे लगा कि ये पापाजी सूट्केस नहीं बल्कि इस घर की ख़ुशियाँ पैक करके बाहर ले जा रहे हैं। तभी उसने फ़ैसला लिया कि ये नहीं हो सकता और वह ये नहीं होने देगी चाहे इसके लिए उसे कितना बड़ा भी त्याग ना करना पड़े।

वह उठी और राजीव के कमरे में पहुँची और बोली: ठीक है पापाजी मुझे आपकी शर्त मंज़ूर है , आप गाँव नहीं जाएँगे।

राजीव बहुत ख़ुश हो कर बोला: सच में बहु! अगर तुम मान गयी हो तो मुझे क्या ज़रूरत है जाने की।

यह कहकर वह आगे बढ़ा और मालिनी को अपनी बाहों में जकड़ लिया। मालिनी ने छूटने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही कोई उत्साह दिखाया। राजीव उसके गाल चूमा पर मालिनी को जैसे कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ा। वह बुत की तरह खड़ी रही।

राजीव थोड़ा परेशान होकर बोला: क्या हुआ बहु ? क्या बात है?

मालिनी: पापा जी , आपको मैं अपना शरीर दे दी हूँ। आप जो चाहे कर लीजिए मेरे साथ। पर मेरा दिल आपको अभी भी अपना नहीं मान रहा है। शिवा ने मेरे तन और मन दोनों जीता है। पर आपको मेरा सिर्फ़ तन ही मिलेगा, मन नहीं। उसने राजीव को देखते हुए कहा।

राजीव उसे छोड़ कर बोला: बहु , मैंने आजतक किसी भी लड़की से कभी भी ज़बरदस्ती नहीं की। मैंने कई लड़कियों से मज़ा लिया है पर कभी भी उनकी मर्ज़ी के बिना नहीं किया। और सुन लो तुमसे भी कोई ज़बरदस्ती नहीं करूँगा।

मालिनी: मैंने तो आपको अपना बदन सौंप ही दिया है जो करना है कर लीजिए मेरे साथ। ज़बरदस्ती का सवाल ही नहीं है। यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया। उसकी ब्लाउस में भरी हुई बड़ी बड़ी छातियाँ राजीव के सामने थी। वो बोली: पापा जी, जो करना है कर लीजिए। आप साड़ी उतारेंगे या मैं ही उतार दूँ।

राजीव ने देखा कि उसका चेहरा बिलकुल ही भावहीन था। वह सकते में आ गया इस लड़की के व्यवहार से । वह चुपचाप खड़ा रहा , फिर वह पास आकर उसकी साड़ी का पल्लू उठाकर वापस उसके कंधे पर रखा। फिर बोला: बहु ,मुझे लाश से प्यार नहीं करना है। अब मैं भी पहले तुम्हारा मन जीतूँगा और फिर तन से मज़े लूँगा। बोलो मेरा चैलेंज स्वीकार है ?

मालिनी: मतलब आप मेरा पहले मन जीतेंगे और फिर मेरे साथ यह सब करेंगे?

राजीव: बिलकुल सही कहा तुमने।

मालिनी: फिर आप गाँव जाएँगे क्या?

राजीव: गाँव जा कर क्या करूँगा। अब तो तुमको जीतना है और तुम्हारा मन भी जीतना है। वो गाँव जाकर नहीं होगा बल्कि यहाँ रहकर ही होगा।

यह कहकर वो हँसने लगा। मालिनी को भी अजीब सी फ़ीलिंग हो रही थी। अब राजीव मालिनी के पास आकर उसको अपनी बाँह में लेकर उसके गाल को चूमा और बोला: बहुत जल्दी तुम्हारा मन भी जीतूँगा और ये भी । यह कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया और फिर उसको छोड़कर हँसते हुए कमरे से बाहर निकल गया। मालिनी उसकी इस हरकत से भौंचक्की रह गयी।

वह भी चुप चाप अपने कमरे में चली गयी । परिस्थितियाँ इतनी जल्दी से बदली थीं कि वह भी हैरान थी।
राजीव अपने कमरे में आकर सूट्केस का सामान निकाला और मन ही मन ख़ुश होकर सोचा कि आज एक जीत तो हो गयी है।मालिनी ने उसके सामने सरेंडर तो कर ही दिया है। उसको पता था कि उसका मर्दाना चार्म इस बला की मादक लड़की को जल्दी ही उसकी गोद में ले आएगा। उसने थोड़ी देर सोचा फिर एक sms किया सरला को याने मालिनी की मॉ को। उसने उसे आधे घंटे के बाद फ़ोन करने को कहा और उसे श्याम के साथ आने का और रात रुकने का न्योता भी दिया। उसने यह भी कहा कि इस sms का ज़िक्र वो श्याम से भी ना करे।

उधर मालिनी ससुर की हरकत से अभी भी सकते में थी। कितनी बेशर्मी से उसने उसकी साड़ी में ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया था। वह बहुत शर्मिंदा थी कि जिस चीज़ पर सिर्फ़ उसके पति का हक़ है उसे कैसे वह इस तरह से दबा सकता है। उसकी आँखें शर्मिंदगी से गीली हो गयीं। वह बाथरूम गयी और मुँह धोकर बाहर आयी।

वह सोफ़े पर बैठ कर टी वी देख रही थी तभी राजीव अपनी योजना के अनुसार बाहर आया और उसके साथ उसी सोफ़े पर बैठा और मालिनी को एक लिफ़ाफ़ा दिया और बोला: लो बहु , इसको संभाल लो।

मालिनी: पापा जी ये क्या है?

राजीव: ये दो लाख रुपए का चेक है, जो तुमने माँगे थे ,शिवा के बिज़नेस के लिए। अब क्योंकि शादी कैन्सल हो गयी है तो पैसे बच गए ना फ़ालतू ख़र्चे से । इसलिए तुमको दे दिए।

मालिनी बहुत ही हल्का महसूस की क्योंकि इसको लेकर शिवा बहुत तनाव में था। अब ज़रूर वह ख़ुश होगा।वह बोली: थैंक्स पापा जी। इनको पा कर शिवा को बहुत ख़ुशी होगी।

राजीव हँसकर: तुम्हें सिर्फ़ शिवा की ख़ुशी की चिंता है, कुछ ख़ुशी मुझे भी तो दो।

मालिनी: आपको क्या ख़ुशी चाहिए।


राजीव ने उसका हाथ पकड़ा और उसको चूमते हुए बोला: मुझे तो बस एक चुम्बन ही दे दो। यह कहके वह साइड में झुका और उसका एक गाल चूम लिया।
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