Fantasy The 13th fantasy adventure magic

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वो थोड़ा जंगली इलाका था, सड़क किसी छोटे से जंगल के बीच से निकल के जा रही थी। अभी सूरज ढलने में काफी समय था और इस रास्ते से अभी कुछ देर पहले ही कुछ गाड़ियां निकलीं थी। आगे सड़क में एक घुमाव था जो इन जंगलों से दूर ले जाता था, इसी छोर पर एक पेट्रोल पंप था जो अभी कहली पड़ा हुआ था, वहां कोई गाड़ी नही थी सिवाय एक के जो पेट्रोल पंप के किनारे पर खाई हुई थी। वो एक ‘किआ सोरेंटो’ थी...................

एलेनोरा गाड़ी में बैठे हुए अपना फ़ोन बार-बार बंद चालू कर रही थी, किसी सोच में थी जैसे किसी फैसले पर अटक गई हो। आखिरकार उसने कांटेक्ट लिस्ट खोली और एक नंबर निकाला जो कि ‘डार्लिंग’(Darling) नाम से सेव(save) था। उसने कॉल किया.......... कुछ देर तक घंटी गयी पर उसने फ़ोन नहीं उठाया। एलेनोरा ने फिर से फ़ोन लगाना चाहा पर रुक गयी, उसने फ़ोन में टाइम देखा.... और फिर फ़ोन को कार के अंदर सामने पटक कर, तेज़ी से गियर बदलते हुए उसने कार को न्यूयॉर्क की तरफ बढ़ा दिया।

कुछ ही देर में वो छोटे घरों की जगह बड़ी-बड़ी इमारतों ने ले ली, आधुनिकता की असली चमक जो किसी को भी अपनी तरफ खींच ले। आसमान छूती इमारते, जाने माने ब्रांड्स(Brands)- मैकडोनाल्ड, के.एफ.सी., कोकाकोला,सैमसंग, जैक एंड जोंस और ना जाने इतने अलग-अलग तरह के ब्रांड्स जिनका हम नाम तक नहीं जानते। पीक्सकिल की वो शांत सी सड़के यहां पर इतनी तेज थी कि मानो कोई रेस चल रही हो, लोगों की भीड़ और यातायात यहां पर बहुत ही ज्यादा थे। लोग रेस्टोरेंट्स में बैठे हुए थे, काम पर जा रहे थे, ऐंसा लग रहा था मानो सब कुछ एक चक्र सा था। एलेनोरा ने मैनहैट्टन से कार निकालते हुए सीधे ब्रिज की तरफ बढ़ा दी और आखिरकार उसने अपनी कार ब्रूकलिन हाइट(Brooklin Height) में जाकर एक बड़े से होटल सामने रोक दी जिसका नाम था;

“पैराडाइज़ व्हाइट मोटेल”

इस मोटेल के बाहर काफी सारी खुली जगह थी, नोंकदार पेड़ कतारों में लगे हुए थे जहां पर कुछ गाड़ियां खड़ी हुई थी। कुछ पत्थर की बनी हुई बेंचें वहां पर रखी हुई थी और वहीं पर फूल वाली झाड़ियों के कुछ ब्लॉक्स(Blocks) बने थे। मोटेल के किनारे में एक अंडरग्राउंड पार्किंग लॉट था जिसका डिजिटल बोर्ड अलग ही दिख रहा था और उसके पास खड़े सिक्योरिटी गार्ड्स। एलेनोरा ने अपनी कार ले जाकर अंदर अंडरग्राउंड ही पार्क की, उसने सिक्योरिटी गार्ड को अपना पुलिस का बैच दिखाया जिसके आगे उसने कोई सवाल नहीं किया। एलेनोरा वहाँ से सीधे मोटेल के गेट पर गयी जहाँ पर एक हट्टा कट्टा दरबान खड़ा हुआ था, उसने स्वागत में कुछ शब्द कहे जिसके बाद एलेनोरा रिसेप्शन की ओर गई जहां से पूरा मोटेल शानदार लग रहा था।

“ हेलो मैम, हाऊ कैन आई हेल्प यु ?(How can I help you ?)” रिसेप्शन पर खड़ी एक गोल चेहरे वाली लड़की ने विनम्रतापूर्वक पूछा जिसने लाल रंग की ड्रेस पहन रखी थी।

“ आई हैव ए रूम बुक्ड हेयर(I have a room booked here)” एलेनोरा ने अभी अपनी बात पूरी नहीं कि थी कि

“जी, अपना नाम बता दीजिए, प्लीज”। एलेनोरा हॉल !” उसने सीधे-सीधे अपना नाम बता दिया। रिसेप्शनिस्ट ने उसका नाम अपने कंप्यूटर पर सर्च किया और कुछ ही पलों में

“रूम नंबर 313, 25th फ्लोर ! यूज़ योर फिंगरप्रिंट हेयर(Use your fingerprint here)” उसने एक टैब एलेनोरा के सामने रख दिया जिसमें नीचे की ओर एक फिंगरप्रिंट स्कैनर दिख रहा था। एलेनोरा ने उस पर अपना अंगूठा रखा और स्कैन होते ही एलेनोरा कि सारी डिटेल्स पुलिस डिपार्टमेंट के डेटाबेस(Database) से निकल कर आ गईं।

“ हैव आ नाइस डे मैम।

रिसेप्शन से हट कर एलेनोरा नहीं रुकी, सीधे जाकर लिफ्ट में खड़ी हो गयी जिसमें उससे पहले ही एक 30-35 साल का युवक पीली शर्ट और ब्लैक जैकेट में खड़ा हुआ था। एलेनोरा ने उसमें 25th फ्लोर का बटन दबाया और लिफ्ट के दरवाजे बंद हो गए।

“हाय, में भी 25th फ्लोर पर ही जा रहा हूं, क्या आप यहां नए है”। उस युवक ने लहजे के साथ पूछा

“हां, अभी ही आई हूँ” एलेनोरा ने दोस्ताना व्यवहार दिखाया “ क्या आप भी 25th फ्लोर पर ही जा रहे है ?”

पहले वो युवक एलेनोरा की आंखों में देख कर बात कर रहा था पर जैसे ही उसकी नजर उसकी कमर पर लटकी हैंडगन पर गयी वो कुछ हिचक गया

“ हां......... हां मैं .... वहीं जा रहा हूँ”। उसके बाद पूरे रास्ते ना उसने एलेनोरा से बात की ना ही एलेनोरा ने उससे। कुछ ही देर में दोनों 25th फ्लोर पर पहुंच गए, एलेनोरा आगे चल रही थी और वो उसके पीछे चल रहा था जैसे उससे बच कर जा रहा हो। एलेनोरा जाकर अपने रूम के सामने खाई हो गयी.......... और वो शक़्स भी, दोनों ने एक दूसरे को देखा

“आप रूम 313 में है ?” वो थोड़ी हैरानी से पूछा

“ हां, हाय; मेरा नाम एलेनोरा हॉल है फ्रॉम डिपार्टमेंट ऑफ पुलिस !” उसका चेहरा पढ़ते हुए एलेनोरा ने अपना हाथ बढ़ाया

“ओह....... हेलो, मैं कारलोस मिलर, आपकी गन देख कर मैं थोड़ा घबरा गया था। मैंने सोचा आप,..”

“ एक क्रिमिनल हूँ ! ” एलेनोरा ने एक भौं ऊंची कर कहा

“ नहीं...... न....म... हां, सॉरी। यहां पर ऐंसे बहुत से लोग है

जो.... खैर छोड़िये। आपसे मिलकर अच्छा लगा”

“मैं तो यूँ ही पूछ रही थी, मुझे भी आपसे मिलकर अच्छा लगा”। एलेनोरा ने हाथ मिलाया ओर अपने दरवाजे के पास लगा फिंगरप्रिंट लॉक पर अपना अंगूठा लगाया जिससे दरवाजा खुला गया।

“ उम्मीद है फिर मुलाकात होगी” कारलोस ने कहा जिस पर एलेनोरा मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चली गयी और वो भी।

वाह ! अंदर का क्या नजरा था। दीवारें हल्के सुनहरे रंग की थी और उसी रंग के बल्ब भी लगे हुए थे वो भी नक्काशीदार किसी लैंप की तरह। दाई तरफ एक छोटा सा से दारू का अड्डा था जिसे लोग ‘बार’ भी कहते है, जो कि एक कांच की दीवार से घिरा हुआ था जिसमें एक दरवाज़ा भी था। एक रिसेप्शन की डेस्क की तरह वहां भी एक डेस्क लगी हुई थी आधे गोले के आकार की और उसके पीछे किसी पुस्तक की खुलने वाली अलमारी की तरह एक अलमारी थी जिसमें शराब की अलग-अलग किस्म की बोतलें सजी पड़ी थी। इसी के ठीक सामने एक डबलबेड(Doublebed) था जिसमें सफेद मखमली गद्दा बिछा हुआ था और साथ में दो तकिये। पास में एक मेज़ पर लैंप रखा हुआ था और बिस्तर की दूसरी तरफ कांच की दो बड़ी-बड़ी खिड़कियां। बीच में 2 सोफे, 4 गद्देदार कुर्सियां और उनके ठीक बगल में एक छोटी सी पुस्तक की अलमारी जिसके किनारे से लगी हुई एक स्टडी टेबल (Study Table), कुर्सी, दीवारों पर पहाड़ों-नदियों की कुछ तस्वीरें और बाएं तरफ के आखिरी कोने में एक वॉशरूम(washroom)।

एलेनोरा अभी सिर्फ बिस्तर तक ही पहुंची थी कि उसका फ़ोन बजा। उसने जल्दी से उसे निकाला और देखा कि उस पर एक मैसेज आया है- “[50th फ्लोर, रूम नंबर 500]

मैसेज देखकर वो कुछ सोच में पड़ गयी पर फिर उसने अपना फ़ोन अपनी जीन्स की पॉकेट में डाल ओर बाहर निकल गयी। लिफ्ट लेकर सीधे 50th फ्लोर पर रूम नम. 500 के सामने जो कि बिल्डिंग का सबसे आखिरी वाला कमर था पर बाकी सारे फ्लोर के कमरों से 2 गुना बड़ा था। एलेनोरा ने बेल बजाई-डिंग-डोंग.... डिंग-डोंग....डिंग !” उसके बाद कुछ देर में दरवाजे के बाहर जो फिंगरप्रिंट स्कैनर था उसके ऊपर लगे स्पीकर से आवाज आई- “ क्या तुम मेरे चैस का पीस मुझे देने आए हो ?

जिस प एलेनोरा ने स्पीकर के नीचे का बटन दबा कर कहा “हां”

“ कौन सा पीस ?” एक बार फिर वहीं रेडियो जैसी आवाज आई

“रेड क्वीन(Red Queen)”

एलेनोरा का इतना कहते ही किसी काले कोट वाले बॉडीगार्ड जैसे दिखने वाले ने दरवाजा खोला और एलेनोरा अंदर चली गयी। अंदर का कमरा सच में काफी बड़ा था, जिसमें बीच में सिर्फ एक लंबी सी कांच की टेबल और उसके सामने घिरी हुई 10 गद्देदार कुर्सियां। जिनमें से सिर्फ एक ही खाली थी, उन कुर्सियों पर अलग-अलग से कपड़े पहने हुए लोग बैठे हुए थे पर ज्यादातर फॉर्मल ही पहने थे और उनमें से एक औरत हिज़ाब पहने हुए थी और कोई फ़ाइल पढ़ रही थी।

“आओ एलेन, हम सब तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे। आओ अपनी सीट लो”। सबसे आगे की सीट पर बैठे हुए काले आदमी ने एलेनोरा को बैठने को कहा, वो 45-50 साल का आदमी एलेनोरा के आने से काफी खुश दिख रहा था

“जी नहीं !” एलेनोरा ने थोड़े सख़्त लहजे से वहीं पर खड़े होकर कहा “पहले तो ये बताइये जोस की अपने मुझे सीधे फ़ोन क्यों नहीं किया,पुलिस स्टेशन में फ़ोन करने की क्या जरूरत थी ? आपके कारण फालतू में मेरा नाम हाईलाइट हो गया। मेरे पूरे दिन की ऐसी की तैसी कर दी आपने....... और ऐसा भी को से अर्जेंट काम आया गया जो इतनी जल्दी में बुलाया”। एलेनोरा का गुस्सा देख कर वहां बैठा हर कोई थोड़ा सकते में था। मिस्टर जोस से इस तरह आज तक किसी ने बात नहीं कि थी। वहां बैठा कोई कुछ नहीं बोला सिवाय एक आदमी के जो कि ठीक एलेनोरा के सामने बैठ हुआ था, कुछ ज्यादा ही अभिमान मे डूबा हुआ जान पड़ता था...........

“अपनी जुबान संभाल कर बात करो मिस एलेनोरा ! ये कोई तरीका नहीं है बॉस से बात करने का।”

“ तुम हो कौन मुझे तरीका सिखाने वाले। अपने काम से काम रखो...” एलेनोरा का इतना कहते ही उसका फ़ोन बजा पर उसने देख कर वापस रख दिया

“मैं नहीं जानतीयहां क्या हो रहा हैं ? और जब मैंने आपसे इस्तीफे की बात की थी तो आज आपने मुझे यहां वापस क्यों बुला लिया ? मै.......... !” अचानक ही उसका फ़ोन फिर से बजा और एलेनोरा ने जैसे ही उसे बाहर निकला उस सामने बैठे युवक ने अचानक से फ़ोन छीनकर उसे जमीन पर पटकना चाहा

“लो, कर दी न गलती रोबर्ट”। मिस्टर जोस ने धीमी आवाज में कहा

रोबर्ट के फ़ोन फेंकने से पहले ही एलेनोरा ने उसका हाथ पकड़ लिया और रोबर्ट को ऐसा लग जैसे सब कुछ हिल गया, अगले ही पल उसका सर खून से सन गया क्योँकि एलेनोरा ने उसका सर झटके से उस ग्लास की टेबल पर पटक कर वापस उठा लिया। रोबर्ट को चक्कर से आने लगे, एलेनोरा ने उसे कॉलर से पकड़ कर वापस उसकी कुर्सी पर बिठाल दिया। ऐंसा लगा जैसे रोबर्ट किसी सदमें में चला गया हो

“अपने इस शहर की समस्याओं को खुद ही संभालिए। इसके लिए आपके पास ऐंसे बहुत सारे अफसर पड़े हुए है !” रोबर्ट की तरफ देखते हुए एलेनोरा बाहर जाने लगी

“ अगर मैं कहूँ की ये समस्या सिर्फ शहर की नहीं है तो ?” मिस्टर जोस के शब्दों ने एलेनोरा के कदम बांध दिए “सिर्फ शहर की समस्या होती तो मैं तुम्हे नहीं बुलाता। तुम्हे बुलाने का कारण ये है कि..... वी आर लुकिंग एट ए वर्ल्ड लेवल कैटेस्टरोप(We are looking at a world level Catastroph.) !”

मिस्टर जोस की बात में गंभीरता थी, इसके अलावा वहां पर बैठा हुआ हर कोई ऊँचे दर्जे का अफसर था। एलेनोरा ने रोबर्ट के पास वाली कुर्सी पर खुद को टिकाया और चुप चाप बैठ गयी। मिस्टर जोस खड़े हो गए, उनके पीछे लग हुआ टी. वी. चालू हुआ जिस पर कुछ जानकारी आने लगी और मिस्टर जोस ने समझना चालू किया

“ये वाली अभी-अभी चाइना से आई है; वहां की सबसे बड़ी जेल किनचेंग से एक खतरनाक अपराधी चोंगयुन शोई काल रात को फरार हो गया।“

“ तो इसमें को सी वर्ल्ड लेवल की प्रोब्लेम है” एलेनोरा ने तुरंत ही पूछा

“ क्योंकि उसने 5फुट मोटी सीमेंट और लोहे की शीट की बनी दीवार को अपने हांथो से तोड़ डाला और बाह भी एक नहीं पूरी 7 दीवारों को।“

मिस्टर जोस की इस बात को सुनकर हर किसी का मुंह खुल का खुला रह गए। सबके मन मे एक ही बात थी, “ असंभव !”और क्योंकि हम CIA है, ये बात सिर्फ हम जानते है। मीडिया को सिर्फ ये पता है कि वो अपराधी फरार है। और अब में तुम सभी को कुछ और असंभव सी चीज दिखता हूँ.....” मिस्टर जोस ने उस अपराधी की वो सीसीटवी फुटेज दिखाई जिसे देख कर सभी के होश उड़ गए, आँखे फटी की फटी रह गयी। उस समय पहली बार एलेनोरा ने महसूस किया कि उसका शरीर कांप रहा था।

“तोsssssssss... क्या तुम सब लड़ने के लिए तैयार हो ?”

समुद्र किनारे की हवा बहुत उमस भरी थी, धूप भी इतनी तेज हो जाती कभी-कभी की पूरा शरीर पसीने में नहा जाता। ‘रूबी फार्मसूइटिकल’ के सामने काफी सारे कर्मचारी आ जा रहे थे, सुपर मार्केट में मिलने वाली वो चके वाली टोकरियों में काफी सारी दवाईयां रखा कर ट्रको में लोड की जा रहीं थी जिन के हल्के नारंगी बॉक्स के ऊपर एक लाल रंग के रूबी का सिम्बोल बना हुआ था। समान लोड होते ही ट्रकों की भारी लाइन खाली हो गयी और अब इमारत के सामने का माहौल शांत था।

“हेलो मिस अलका, क्या आपने सृजल को देखा”। नीचे रिसेप्शन से गुजरते हुए आनंद ने पूछा

“अरे हाँ !” मिस अलका की जैसे जान में जान आ गयी “मैं तुम्हे ही ढूंढ रही थी। सृजल और मिस रूबी ऊपर कमरे में है और खाने पर तुम्हारा इंतज़ार कर रहे है। जल्दी जाओ !” इतना कह कर मिस अलका मेडिकल वार्ड की ओर चली गयी और आनंद ने भी लिफ्ट में अपने कदम रखे..........भागते हुए आनंद कमरे में दाखिल हुआ, वहीं जहाँ काल रात को वो सब थे। टेबल पर खाना लगा हुआ था, सृजल और रूबी अपने गीले हाथो को छोटे-छोटे रूमालों से पोंछ रहे थे।

“चल यार जल्दी आ जा। आधे घंटे से तेरा इंतज़ार कर रहे है”। सृजल ने कहा

“इतनी देर हमेशा ही कहाँ लगा देता है ? कभी भी खाने पर टाइम से नहीं आता”। रूबी ने थोड़ा मुस्कुरा कर कहा

आनंद ने उनकी बातें सुनते हुए जल्दी से हाथ धोयें और अपनी कुर्सी संभाल कर बैठ गया।

“कितनी बार तो बताया है यार, रोज इतनी बड़ी कंपनी का एकाउंट संभालना आसान थोड़े ही है”। आनंद ने पानी पीते हुए कहा

“हाँ, हाँ, ठीक है। पहले कहना कहा लेते है, आई एम वेरी हंगरी(I am very Hungry)” रूबी के आखिरी शब्दों को सुनकर आनंद को हंसी आ गयी जो उसने सृजल के साथ शेयर की पर चुप चाप ताकि कहीं रूबी उन्हें देख ना ले। सामने टेबल पर पनीर की सब्जी, रोटी, लांचा पराठा, दाल मखनी, दही और कुछ मिठाइयां रखी हुई थी जिन्हें देखना तो छोड़ो ! उनकी खुशबू मात्र से मुँह में पानी आया जाता। तीनो ने आराम से खाना खाया बिना किसी बातचीत के और फिर सोफे पर आराम से बैठ गए। वेटर आ कर बर्तन ले कर चला गया, तीनों ने फॉर्मल ड्रेस पहनी हुई थी। अचानक ही तीनों के हाथ अपनी टाई पर गए जिन्हें उन्होंने खींच कर ढीला किया और जब उनकी नजर एक दूसरे पर पड़ी तो वो खिलखिला उठे

“याद है स्कूल में अक्सर कहना कहते समय जब गर्मी लगती थी तो हम ऐसे ही अपनी टाई ढीली कर लिया करते थे।“ रूबी ने सृजल की तरफ देख कर कहा जो सृजल की दाईं ओर बैठी हुई थी

“यार वो मेस भी ना ऐसे गरम होती थी जैसे भट्टी लगा रखी हो”। और बाई तरफ आनंद बैठा था

“पर यहाँ और वहां एक अंतर है ?” सृजल ने लोमड़ी से खुश होते हुए कहा

“क्या ?” रूबी और आनंद एक साथ बोले

“वहाँ पर ये नहीं था !” सृजल ने सोफे के कोने में से एक रिमोट निकाला और सामने के AC को ऑन कर दिया। कुछ ही देर में ठंडी हवा ने उस गरम माहौल को ठंडा कर दिया,

“कितना अच्छा लगता था न स्कूल में ! हम लोग कहीं-कहीं घूमने जाते थे, पार्टी करते थे, कभी-कभी तो किसी को बिना पता चले बाहर भी चले आते थे”। रूबी ने जम्हाई लेते हुए कहा

“पर सृजल तब काफी खुफिया रहा करता था, कभी-कभी गायब से हो जाता था”। आनंद ने भी जम्हाई ली और सृजल से चिपक गया। सृजल अपनी दोनों बाहें फैलाए सोफे से टिक कर आराम से लेटा हुआ था, एक तरफ से आनंद तो दूसरी तरफ से रूबी उससे चिपक कर सो रही थी। AC की ठंडी हवा के झोंके ने उस ताप्ती गर्मी में ऐंसा नशा चढ़ाया कि सृजल की भी आंखे झपकने लगीं................

सृजल, आनंद और रूबी ! तीनों ही पुणे के ‘थेलकर इंटरनेशन स्कूल से पढे हुए थे। तीनो वहां पर पांचवी कक्षा से साथ में पड़ रहे थे और क्योंकि वो एक बोर्डिंग(Boarding) स्कूल था तो तीनों वहीं पर रहा करते थे। ‘थेलकर’ का नाम काफी अच्छा था इसलिए न सिर्फ राज्यों से बल्कि दूसरे देशों से भी यहां पर स्टूडेंट्स पढ़ने आते थे। तीनों इतने पक्के दोस्त थे उस समय से की एक दूसरे के बिना उन्होंने कभी खाना ही नहीं खाया, यहां तक कि 11वी कक्षा में आते-आते उनकी दोस्ती के चर्चे पूरे स्कूल में मशहूर थे। सब कुछ काफी यही चल रहा था कि एकाएक स्कूल के आखिरी साल में अंतिम परीक्षा के बाद सृजल की तबियत खराब हो गयी और उसे 1 महीना पहले ही स्कूल छोड़ना पड़ा। इसी बीच रूबी के पिता का देहांत हो गया और पूरी कंपनी की जिम्मेदारी रूबी पर आ गयी, अपनेकाम से परेशान रूबी अपने दोस्तों से कट सी गयी। आनंद भी अकेला पड़ गया और उसने कुछ सोच कर CA की पढ़ाई शुरू कर दी; इस बीच तीनों दोस्तों की आने वाले 4 साल तक कभी बात नहीं हुए न ही कभी मिले। पर एक दिन किस्मत इन पर फिर से मेहरबां हो गयी और काम के रूप में ये तीनों वापस मिल गए..................................

आज भी मिलने के बाद कहाँ कुछ बदला है ? तीनो आज भी वैसे ही है जैसे सालों पहले स्कूल के दिनों में हुआ करते थे। आज भी खाना साथ में ही खाते है, एक दूसरे का ख्याल रखते है। और जिस तरह से तीनों सोफे पर पड़े हुए थे, उनकी दोस्ती का बचपना अभी काफी बाकी रह गए है......... सूरज की वो ढलती किरण भी उनके इस प्यार की घड़ी को शीशे की खिड़की से झांक कर देख रही थी जैसे खुद उनसे लिपटना चाहती हो।
 

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