Fantasy The 13th fantasy adventure magic

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a0ce536c75657e175d42ab94c27c4c99f7f8597b-1 बरसात के मौसम में आज का सूरज ढल रहा था जिसकी रोशनी में वो नहर जैसी नदी की धारा का पानी सोने सा चमक रहा था। इसी नदी की पतली धारा के दोनों ओर जो कुछ जगह थी वहां पर अक्सर बच्चें खेलने के लिए आया करते थे। दोंनो तरफ सड़क कुछ ऊपर की ओर थीं जहाँ से वाहन कम ही निकला करते थे और हमेशा की तरह सब कुछ शांत ही था, माहौल भी और उन दोनो के बीच का फासला भी।

“ क्या बात है, तुम ने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?” उस भूरे बालों वाली लड़की की आवाज़ कम होते हुए भी माहौल के सन्नाटे में गूंज गई।

सामने खड़ा वो लड़का अब भी दोनों हांथो को पीछे किये हुए चुप ही खड़ा था।

“ कुछ दिनों से तुम काफी परेशानी में लग रहे हों, मुझे बताओ आख़िर हम दोनों दोस्त है।“ लड़की की आवाज़ में काफी नरमी थी इस बार और वह उस लड़के को बहुत मासूमियत से देख रही थी।

“ तुम कल वापस अपने देश चली जाओगी_______” लड़के की आवाज में कुछ परेशानी झलक रही थी

“ हाँ।“ लड़की ने जवाब दिया।

“ और फिर में तुमसे कभी नहीं मिल पाऊंगा।“

“ अच्छा तो तुम इस बात से परेशान थे।“ उस लड़की ने तेजी से उसके पास आकर कहा, उसके हाथों को थामा और मुस्कान के साथ बोली “ तुम्हारे पास मेरा मोबाइल नम्बर और ईमेल तो है ना, उसी से हम रोज मिल लिया करेंगे। और अगर में तुमसे मिलने ना आ पाई तो तुम खुद आ जाना।“

फिर उस लड़के के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ ही गई।

“ हाँ, जरूर। पर में तुम्हें कुछ और भी बताना चाहता हूँ।“ एक बार फिर कुछ परेशानी भरी नजरें उस लजाते हुए चेहरे पर आ गई।

“ मैं सुन कर रही हूँ, कहो।“ लड़की ने बहुत ही उत्सुकता से पूछा।

एक पल को उस लड़के के हाथ कांपे, नजरे झुकी रही। पर अगले ही उसने अपनी ज़ेब में हाथ डाला और उसमें से कुछ निकाल कर लड़की की तरफ बढ़ाते हुए बोला,

“ आई लव यू रोज़। मैं तुम्हे बहुत चाहता हूं, समझ नही आ रहा था कि तुमसे यह कैसे कहुँ, इसलिए हिम्मत जुटाने में काफी समय लग गया।“ हांथ उसके अब भी कांप रहे थे, आंखें बंद थीं और जुबान भी लड़खड़ा रही थी। उसके हाथ में एक लव लेटर था और उसके ऊपर दो काले रंग की नक्काशी वाली अंगूठियां। और अब इंतज़ार था तो बस उसके जवाब का ________

वो सूनी सी ठंडी हवा उन दोनों को छूकर चली गई , माहौल अब भी शांत था। सूरज ढलने में बस कुछ ही वक्त बाकी था और उसका जवाब सुनते-सुनते वह सूरज भी ढल गया।

“ आई एम सॉरी, पर मेरे लिए तुम एक दोस्त से ज्यादा कुछ भी नही हो, आई डू लाइक यु वेरी मच पर में तुमसे उस तरह प्यार नही करती।“ रोज़ उसका हाथ छोड़ पीछे हट गई, उसकी वो पहले वाली मुस्कुराहट गायब हो गई। उसके जवाब को सुन कर लड़के का चेहरा सफेद पड़ गया, उसकी हिम्मत जैसे जवाब दे गई पर उसने कुछ ब भी नहीं कहा

“ कल में जा रही हूँ और मैं नहीं चाहती कि तुम मुझे इस तरह दुखी होकर विदा करो।“ रोज़ के हाथ उस लड़के के पास पहुंचते ठिठक गए, उस लड़के को इस तरह दुखी देखना शायद उससे देखा नहीं गया। इतने में वहाँ ऊपर से एक जानी पहचानी आवाज़ आ गई

“ रोज़, प्रोफेसर तुम्हें बुला रहे है, जल्दी।“ कोई लड़की रोज़ को सड़क के ऊपर से बुला रही थी।

रोज़ ने एक दफा उस लड़के को देखा, दूसरी ओर ऊपर उसे बुलाने वाली लड़की को देखा

“ मैं जा रहीं हूं, तुम भी जल्दी आ जाना।“ रोज़ की आवाज़ कुछ झिझक गई और मुठ्ठी भींचे वो वहाँ से चली गई।

हमेशा की तरह आज भी अंधेरा छाने लगा, जो पहले से कही ज्यादा घाना मालूम पड़ रहा था। और उस पर जंचने के लिए बादलों ने अपना बोझ हल्का कर दिया। धीरे धीरे शुरू हुईं बारिश ने रफ्तार पकड़ ली किसी रेलगाड़ी की तरह, कुछ दूरी पर जल रहे स्ट्रीट लाइट की रोशनी उस पेड़ के पास नाम मात्र की पड़ रही थी जिसके नीचे बरसात में वह लड़का बैठा भीग रहा था।

पेड़ से टिक कर वह एक घुटने को मोड़ कर उस पर हांथ रखा हुआ था, बरसात की बूंदे उसके शरीर को तर कर रही थी और वह पेड़ उसे पानी से पूरी तरह बचाने में असमर्थ था। जैसे बादल अपना बोझ कम करने को बरस रहे थे वैसे ही उस लड़के की पलके अपने बोझ हल्का करने के लिए रो रही थी। उसने एक आह भरी और अपना चेहरा ऊपर कर बैठा रहा। आँसू उसकी आँखों के किनारों से निकलते हुए गालों को रास्ता बनाये हुए थे, अपने हांथो में गीले होते लेटर को उसने जल्दी से वापस जेब मे रख लिया, अंगूठियों के सांथ।

उसके होंठ धीरे से हिल और वह कुछ बड़बड़ाया

“ हाँ, सही तो कहा रोज़, ने मुझसे ज़्यादा उसके बारे में को जानता है” उसकी आवाज़ धीमी होने के बावजूद भारी थी “ उसने तो खुद मुझे बताया था कि उसे किस तरह का लड़का पसंद है। जो स्मार्ट हो और मज़ाकिया भी, अच्छी बॉडी हो और जिसे डर छू भी ना पाए।“

बड़बड़ाते हुए उसका दिल जैसे दर्द से रिस गया, उसके आँसुओ ने एकाएक तेज़ रफ़्तार पकड़ ली। उसे आज पता चल रहा था कि दिल का दर्द शरीर को लगी चोट से कहीं ज्यादा दर्दनाक होता है, क्योंकि उस पर ऊपर से कोई मरहम भी नही लगाया जा सकता। अपनी छाती को कचोटते हुए एक बार फिर उसके होंठ हिले

“ कहना तुम्हारे लिए शायद आसान था रोज़, मगर सुनना मेरे लिए एक श्राप जैसा था। 4 साल साथ गुजारे है हमने और तुम कहती हो में भूल जाऊ__________ कैसे रोज़ कैसे।“

अब जाकर उसके सब्र का बांध पूरी तरह से टूट गया, वो वहीं फूट फूट के रो पड़ा, असहाय सा वह ख़ुद से ही बातें करता हुआ रोता रहा। अपने आप को ढांढस बांधता पर उसके चुप होने पर भी उसकी आंखें चुप नहीं रह पाई और पता नहीं कब उसके अंदर दर्द ने लंबे समय के लिए अपना घर कर लिया।

रात का वह कौन सा पहर था यह नहीं पता, पर उसकी लाल आंखे अब सूज कर बंद हो चुकी थी, दर्द अब भी चेहरे पर था और अब तक वो एक लंबी नींद में जा चुका था। उसका शरीर वही निढाल सा पेड़ से टिका हुआ था जिसमें नाम मात्र की भी जिंदगी नही दिख रही थी। तेज हवाओं की सनन-सनन में गजब की ठंडक थी पर उसका शरीर उससे भी ज्यादा शीत जान पड़ता था, जिसमें कोई हलचल नहीं थी।

यू ही रात का अन्धकार घना था जिसमें सिर्फ तारे टिमटिमा रहे थे और चाँद तो अमावस्या को वैसे भी नहीं आता था। आज किसी का दिल टूटा तो बादलों ने भी उसके साथ शोक किया पर उसका कल तो कोई भी नहीं जानता, वो ख़ुद भी नहीं। कई बार किस्मत ऐंसे खेल खेलती है जिसका जोड़ कई खिलाड़ियों से होता है और खिलाड़ियों को तो यह पता भी नहीं होता कि वे इस खेल में उतर चुके है।

यहाँ हमारे दोस्त का दिल टूटा और वहाँ आसमान में एक अनजान तारा जिसकी रोशनी ने उसे सराबोर कर दिया।
 
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असल किस्मत का खेल तो यहाँ चल रहा था......

वो एक बहुत ही चकाचोंध वाली जगह थी, आस पास की इमारतें, दुकानें आंखफोड़ू रोशनी से जगमग थीं। देखने में ये सब एक मुख्य सड़क के आसपास थीं। बी एम डब्ल्यू, फ़रारी जैसी गाड़ियां बहुत ही आम लग रहीं थी, ऐंसा लग रहा था साक्षात कुबेर जमीन पर उतर कर वाहन में घूम रहे हो।

उन्ही में से एक इमारत शायद होटेल थी, जिसके बाहर एक 20-25 साल का युवक बहुत जल्दी में अपनी बाइक से उतरा और सनसनाते हुए उस महंगी सी इमारत में दौड़ पड़ा, उसके कपड़े इतने भी अच्छे नही थे कि उस इमारत के दरवाजे के बाहर खड़ा वो हट्टा कट्टा दरबान उसे रोकता नहीं...................

“ ऐss रुको कहाँ घुसे जा रहें होss!” उसने झपट्टा मरते हुए उस युवक को रोकने की कोशिश की।

“ ये लो!” हांफते हुए उस दरबान की तरफ एक कार्ड उछाल दिया कर उसके झपट्टे से बचता हुआ अंदर भाग गया। दरबान ने वो कार्ड देखा जो उनकी होटेल में रुके हुए लोगों को दिया जाता है, उस पर लिखा था

“ पैराडाइज व्हाईट मोटेल

एन. वाय.

रूम नंबर 312 “

“ अजीब आदमी हैं, यहीं रुका हुआ है तब भी ऐंसे भाग रहा है जैसे घुसपैठ करने के इरादे हो।“ झल्लाते हुए दरबान ने उस कार्ड को रिसेप्शन पर दे दिया।

वो युवक जल्दी से लिफ्ट में चढ़ कर 25वे माले पर पहुंच गया। 312 नंबर के कमरे के दरवाजे को जोर से पीटने लगा, इतनी तेज़ की आस पास के लोग दरवाजे खोल कर उसे देखने लगे। कुछ ही देर में दरवाजा खुला और वो युवक बिना देखे तुरंत अंदर जा घुसाअरे कारलोस, इतनी हड़बड़ाहट में क्यों है?” दरवाजा बंद करते हुए उस लम्बे बाल वाले लड़के ने पूछा, कर उसके पीछे आ गया। उसे इस हड़बड़ाहट में देख कर अंदर बैठे हुए वो 2 और युवक सकते में आ गए। कारलोस जल्दी में सामने रखी टेबल पर गया और उस पर अपने जेब में से एक लंबा सा काग़ज निकाल कर बिछा दिया, उसके चेहरे पर खुशी और ख़ौफ़ का मिला जुला से भाव था।

“बोरिस, दरवाजा बंद कर जल्दी यहाँ आओ, जॉर्ज तुम भी।“ कारलोस ने सामने खड़े उस दाड़ी वाले युवक को बुलाया जिसका नाम जॉर्ज था।

“ क्या मैथ्यू को यही बैठे रहने दूँ?” जॉर्ज ने कुर्सी पर आराम फरमा रहे उस युवक की तरफ इशारा कर कहा जो कि उसके कपड़ो से अलग ही अमीर लग रहा था, और उसके सुनहरे बाल उसके अमीरीपन को अलग ही परिभाषित करते थे।

“ हाँ, उसे वही रहने दो” अपनी सांस संभालता हुआ कारलोस बोला “ आखिरकार मुझे उस किताब के बारे में पता चल ही गया जो हमारी किस्मत बदल देगी।“ उसके चेहरे पर कुछ तीखी सी हंसी थी कर उसकी बात सुन सभी बहुत खुश हुए, यहां तक कि मजे से बैठा मैथ्यू भी खुशी से उछल पड़ा।

“ वाह यार वाह, तेरी बात सुनकर तो दिल खुश हो गया पर तुझे इसका पता कहा से चला?” तेज़ी से पास आकर मैथ्यू ने पूछा

“ मै कब से पापा का सामान टटोल रहा था और आखिर उनकी मेज़ के नींचे छुपी हुई उनकी डायरी मुझे मिल गई जिसमें से मैंने जरूरत की सारी चीजों को इसमें उतार लिया।“ सामने बिछे हुए उस काग़ज पर हांथ रख उसने कहा

“ इससे अच्छा तू वो डायरी ही ले आता!” जॉर्ज ने उसे ताना मारते हुए कहा और प्रश्न भरी निगाहों से घेर लिया। तीनों ही उसके उत्तर की राह देख रहे थे।

“ अरे यार तुम्हें तो मालूम है ना मेरे घर पर अब भी पुलिस लगी हुई है। अगर मैं वो डायरी लाने की कोशिश करता तो पुलिस को शक हो जाता कि इस डायरी में कुछ खास है। और अगर ये पुलिस वाले उस कमीने रुसेव से मिले हुए हो तो वो मेरे पापा की रिसर्च को अपने नाम कर लेता जैसे पहले किया था।“ आखिरी शब्दों में गुस्सा छा गया था। उसने पास रखी कुर्सी खिसकाई और उस पर बैठ गया।

कुछ देर यू ही शांति छाई रही, वो चारों ही जिंदगी के बचकाने खेल से परेशान थे। उन्हें जिंदगी पर और लोगों पर भरोसा नहीं रह गया था, सभी अच्छी भली जिंदगी जी रहे थे पर उन्हें शायद किसी की नजर लग गई। कारलोस के पिता एक पुरातात्विक विद्वान और वे पुरानी परंपराओं से जुड़ी चीजों पर खोजबीन करते थे पर एक दिन कारलोस के पिता के दोस्त डॉ रुसेव ने उन्हें धोका दिया और उनकी रिसचर्स को चुरा कर अपने नाम कर लिया। परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली, जहर पीकर और डॉ रूसेव के आरोप के कारण अब तक उनके घर पुलिस की जांच जारी है।

जॉर्ज बहुत ही बदकिस्मत युवा था, वो कोई भी काम करता तो हमेशा ही कुछ ना कुछ उल्टा पुल्टा हो जाता। बचपन से ही उसने अच्छी कहानियां सुनी थी और उन्हीं पर अमल कर वो अच्छे काम करने की कोशिश करता था पर हमेशा उसका काम किसी का या खुद का नुकसान कर देता था। एक बार उसने अपने एक कॉलेज के दोस्त की मदद के लिए उसे 10000 डॉलर दिए तो पुलिस ने जॉर्ज को ही अंदर डाल दिया। दरअसल उसका वो दोस्त ड्रग्स बेंचा करता था, उसने पुलिस को जॉर्ज का नाम देकर यह कह दिया कि जॉर्ज ही ड्रग्स का धंधा करता था और ये पैसे उसी ने दिए थे। बेचारे जॉर्ज को पुलिस ने बहुमारा और ड्रग्स केस में अंदर कर दिया, जॉर्ज के माता पिता ने उसे घर से निकाल दिया और आखिर में वो थक हार कर आत्महत्या करने जा रहा था कि कारलोस ने उसे रोक लिया। कारलोस भी जॉर्ज का दोस्त था और उस पर नज़र रखे हुए था, उसी ने जॉर्ज की बेल कराई थी पर उसके मां बाप को नहीं समझा पाया।

बोरिस उन चारों में सबसे बड़ा था, वो एक डॉ था और उसने हमेशा अपने माँ बाप की सेवा की, उनकी इच्छाओं को सबसे ऊपर रख कर पूरा किया पर आखिर में हुआ क्या? उसके मां बाप ने उसे जायदाद से दखल कर दिया क्योंकि वो उनका सौतेला बेटा था और इतने समय की उसकी कमाई, वो घर सब कुछ तो बोरिस ने उन्हीं के नाम कर दिया था। सो अब ना घर था ना ही गाड़ी, बची थी तो सिर्फ वो निजी नौकरी जो हमेशा ही चले इसका कोई भरोसा नहीं।

सिर्फ़ मैथ्यू ही था जिसका आगा पीछा सब सही था। उसके पिता शहर के सबसे अमीर आदमी थे और उनकी मौत के बाद सब कुछ मैथ्यू का हो गया। अब क्योंकि ये चारों बचपन के दोस्त थे, कारलोस के प्लान में शामिल भी हो गए और क्यों ना हो? आखिर कारलोस उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता बना रहा था।

“ तो, कहाँ जाने का प्रोग्राम है हमारा?” बोरिस ने कुर्सी पकड़ते हुए कहा

“ अफ्रीका के चाड देश में एक गांव है गालो, बस वहीं चलना हैं।“ कारलोस ने अपनी आंखें बंद किये हुए कहा

“ कुछ ज्यादा दूर नहीं है ये जगह?”

“ वैसे भी हमें वहाँ जल्दी पहुंचा पड़ेगा!” कारलोस की बात सुनकर सब चोंक गए।

“ ऐंसा क्यों, कुछ गड़बड़ है क्या?”

“वहां पर फितरी नाम का तालाब है, जहाँ पर आज से 4 दिन बाद रात को वहाँ के आदिवासी अपनी परंपरा के अनुसार हर 100 साल में वहां चन्द्रमा की पूजा करते है। हमें उस पूजा के समय ही अपना काम करना पड़ेगा, वारना फिर 100 साल का इंतजार!” कारलोस ने सर पर हांथ रख कहा।

“ और येsss..........Ss........ हो गया!” मैथ्यू ने अपने फोन पर उंगलियां चलते हुए सबका ध्यान खींचा

“ क्या हो गया?” जॉर्ज ने कुछ गर्म लहजे से पूछा

“ चाड जाने का इंतजाम! और क्या” उसने सभी को फ़ोन सामने दिखाया, जिसकी स्क्रीन पर 4 लोगों की टिकटों का चित्रण था। और वो भी हवाई जहाज की टिकटों का।

सूरज की रोशनी से छंट कर अब अँधेरा घिरने लगा था,चाँद बेधड़क खुले आसमान में बिना बादल की चादर ओढ़े घूम रहा था। सामने एक बस्ती यही जो बहुत ही बेजान लग रही थी, न कोई आवाज थी न ही कोई घर की रोशनी चालू थी। वैसे तो गांव जैसी इस बस्ती में ज्यादातर घर छोटे और लकड़ी के मालूम हो रहे थे पर वहाँ मिट्टी की दीवार वाले घरों की कमी भी नहीं थी। एक तो इतना खाली माहौल था कि पूरा गांव वीरान लग रहा था, ऊपर से चढ़ती रात में घरों में से रोशनी न आना और भी डरावना था।

तभी एक एक करके सभी घरों की लाइटें जल उठी, लोगों का घर से निकलना शुरू हो गया। वहाँ सभी थे, बच्चे- बूढ़े- जवान- महिलाएं और बहुत ही शांति से सभी अपने घरों से निकल कर पास के झुरमुट में घुसे जा रहे थे। खाली हाथ नहीं थे, सभी के हाथों में थैलियाँ थी, कुछ बच्चों को उनके मां बाप मुँह पर उंगली रख कर चुपचाप चलने का इशारा कर रहे थे मानो उनके बोलने से कोई आ जाएगा। उनमें से कुछ लोगों ने अजीब से कपड़े पहन रखे थे, आदिवासी जैसे, सर पर रंगीन पंखों का मुकुट, शरीर के ऊपर सिर्फ छाती ढकने मात्र का कपड़ा वो भी काले रंग का, नीचे एक पत्तों की बनी स्कर्ट के ऊपर काले रंग का कपड़ा जिसकी नक्काशी सोने के रंग में थी और उनके चेहरे पर सफेद रंग से कलाकारी की हुई थी जैसे कोई और चेहरा बनाने की कोशिश की हो। सभी लोग उन पेड़ो के झुरमुट में से गुजरने लगे, काले अंधेरे में अब चांद की रोशनी छितरा गई थी सो रास्ता ढूंढने में कोई परेशानी नहीं मालूम दिख रही थी। कुछ ही समय में वो झुरमुट ख़त्म हो गया और सामने खुले में वे सब एक तालाब के किनारें आ गए। सभी लोग इकट्ठे हुए, सामने लंबी लकड़ियों से आग जलाई गई और सभी लोग आस पास घेरा बना कर बैठ गए। फिर सबने अपनी थैलियाँ खोली, किसी की थैली से बाजे का सामान निकला तो किसी ने खाने पीने की चीजें निकाल कर आग के सामने रख दी। अब वो अजीब से पहनावे वाले लोग सामने आए, अजीब सी भाषा में उन्होंने कुछ कहा और फिर वहां ढोल नगाड़े से बजने लगे। वो सभी वहाँ पर नाच रहे थे और बीच-बीच में वे गुमनाम सी भाषा में कुछ कहते ओर खाने पीने का सामान जैसे फल और मांस उस आग में फेंक देते। किसी उत्सव की तरह वहाँ का माहौल था और इसी बीच तालाब के उस पार कुछ लोग इकट्ठे हुए थे और उन्होंने भी वैसे ही आग जलाई हुई थी जैसे उन आदिवासी लोगों ने जलाई थी।ये कारलोस अभी तक आया क्यों नहीं? मुझे बहुत घबराहट हो रही हैं।“ बोरिस ने जॉर्ज को एक तरफ बुला कर कहा

“ चिंता मत कर, उसे समय का ध्यान हैं।“ जॉर्ज ने उसे सीधे कहा

मैथ्यू भी उन्हीं के पास खड़ा हुआ था क्योंकि वो जिन लोगों को यहाँ पर लेकर आए थे वो उसी गांव के थे और बहुत ही अजीब तरह से इन लोगों को देख रहे थे।

“ चलो, अब हम यह पूजा शुरू करते है।“ झाड़ियों में से निकलते हुए कारलोस ने सभी को कहा और उसके बाक़ी दोस्त भी आग के आस पास इकट्ठा हो गए। कुल मिलाकर वहाँ पर 13 लोग थे, जिनमें से 9 तो उसी गांव के लोग थे जिन्हें कारलोस ने इकट्ठा किया था। अब क्योंकि वो लोग उनकी जानकारी के नहीं थे तो भरोसे वाली बात तो होती ही नहीं है।

“ सुन कारलोस, शक्तियां मिलने के बाद तुम तुम्हारे रास्ते हम हमारे! समझ गए न” वहां खड़े एक भारी शरीर वाले व्यक्ति ने कहा

“हाँ, वैसे भी हम जो कर रहे है वो गांववालों के उसूलों के खिलाफ हैं।“ उसी भारी शरीर वाले आदमी के बगल वाला लंबा से आदमी बोला।

“ चलो में आखिरी बार सभी से पूछता हूँ, क्या यहाँ पर कोई ऐसा है जो हमारे इस प्रयोग में शामिल नहीं होना चाहता? क्योंकि एक बार ये शक्तियां मिल जाने के बाद क्या परिणाम होगा यह हममें से कोई भी नहीं जानता।“ कारलोस ने सभी की आंखों में आंखें डाल कर पूछा, पर किसी ने कुछ नहीं कहा, भला इस तरह की शक्तियां पाने के लिए को मना करता। पर कारलोस की ये बात सुनकर उसके दोस्तों का दृढ़ और मजबूत हो गया।ठीक है सभी अपने-अपने चाकू निकाल लो; मैं पढना शुरू करता हूं।“

कारलोस ने अपने हाथ में एक पुरानी सी पुस्तक पकड़ी हुई थी जिसका बाहरी पृष्ठ किसी चमड़े का बना लग रहा था जिसके ऊपर 13 अलग-अलग तरह के चिन्ह एक गोलाकार रूप में जमे हुए थे और उस गोले के बीच किसी उसी अजीब भाषा में कुछ लिखा हुआ था जिसकी जानकारी उन गांव के कुछ लोगों और कारलोस को थी। उसने उसी अजीब भाषा में कुछ मंत्र पढ़ना शुरू किया, सभी उसे ध्यान से देख रहे थे क्योंकि कारलोस के हाथ कांप रहे थे पर वो मंत्रों को पढ़ता जा रहा था। फिर उसने वो किताब बंद की और अपना चाकू निकाल कर सभी की ओर देखा और फिर .............................................. “ खच्च”!

उसने अपनी हथेली पर चाकू से हल्का वार किया और अपना रक्त उस आग में टपका दिया। उसे देख सभी ने ऐसा ही किया और देखते ही देखते उस आग का रंग ख़ूनी लाल हो गया और उसके काले धुंए ने सभी को घेर लिया। उन लोगों ने किसी तरह से खुद को संयम में रखा। धीरे से उस आग में से एक अजीब सा पुंज निकला और फिर 13 अलग-अलग टुकड़ों में बंट कर अचानक से 4 पुंज उन चार दोस्तों के अंदर घुस गए जिससे उन चारों को चक्कर से आ गए और वे जमीन पर गिर पड़े। और बाकी के पुंज किसी टूटते तारे की तरह आसमान में गायब हो गए

आस पास खड़े बाकी के लोग बहुत ज्यादा ही हड़बड़ा गए क्योंकि वो शक्ति पुंज सिर्फ कारलोस और उसके दोस्तों को मिले थे और बाकी सब जो उनके साथ उस प्रक्रिया में शामिल थे उन्हें वो शक्तियां नहीं मिली थी। अब उनके क्रोध का पारा चढ़ गया

“ तुमने तो कहा था कि हम सभी को ये शक्तियां मिलेंगी, पर ये तो सिर्फ तुम चारों को मिली।“ उस भारी शरीर वाले ने अपने दांत पीस लिए

“ इस कारलोस ने जरूर हमें धोका दिया है तभी तो ये शक्तियां सिर्फ़ इन चारों को मिली हमें नहीं।“ उसके साथ खड़ा वो लंबा आदमी बहुत गुस्से में बोला। अब क्योंकि उन गांव के लोगों को शक्तियां नहीं मिली तो उनके क्रोध ने गुनाह का रूप ले लिया। उनके साथियों के मुख से धोका शब्द ऐसे में गूंजने लगा जैसे उनका दिमाग खाली हो गया। उन सभी ने अपने-अपने चाकुओं को इस तरह पकड़ रखा था मानो अब वो सभी उन चारों दोस्तों के टुकड़े-टुकड़े कर वहीं जंगली जानवरों को खिला देंगे। आंखों में खूनी जज़्बात लिए वो उनकी ओर बढ़ने लगे, चक्कर से संभल कर वो चारों एक दूसरे को उठाने लगे पर तब तक वो भारी शरीर वाला कारलोस के बिल्कुल सामने आ गया हमारे रिवाजों में धोखे की कीमत सिर्फ मौत होती हैं।......याsssss.....ह” उसने पूरी ताकत से कारलोस के पेट में चाकू पेल दिया

“ टनsssssss” पर ऐसा लगा जैसे चाकू कारलोस के पेट की जगह किसी धातु से टकरा गया, वहाँ खड़ा हर कोई चकरा गया और खासतौर पर वो भारी शरीर वाला। कारलोस ने खुद को बचाने के लिये पेट के ऊपर अपना हाथ लग लिया था जो अब किसी और ही चीज में तब्दील हो चुका था, ऐसा लग रहा था मानो उसके हाथ की खाल उत्तर गई हो और उसकी हड्डियाँ किसी धातु सी बन गई हो जिसके अगल – बगल मांसपेशियों की गठान बनी थी। तभी कारलोस के चेहरे पर बहुत ही भयानक हंसी छा गई जैसे वो अब इंसान ना होकर एक जानवर बन गया हो। उसने अपने हाथ से झटका देकर उस भारी शरीर वाले को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। अगले ही पल उसकी उंगलियों ने लंबे से चाबुकों का रुप ले लिया जिनके ऊपर अजीब सी नोंक लगी हुई थी और एक ही झटके में कारलोस ने उस भारी शरीर वाले व्यक्ति के 4 टुकड़े कर दिये, किसी फव्वारे की तरह खून उछल पड़ा। इससे पहले की बाकी संभल पाते, उन चाबुकों ने सभी के टुकड़े कर दिये। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि किसी को चीखने का मौका भी नहीं मिला।

“ अब इन लाशों को कहाँ ठिकाने लगाए?” वापस सामान्य होते हुए कारलोस हाँफते हुए बोला कि इतने में जॉर्ज ने अपने हाथ को सामने किया जो कि बहुत तप रहा था और उसमें से आग किसी सांप की तरह उन लाशों को निगल गई, रह गई तो सिर्फ राख!

“ क्या बात है यार तुम दोनों को तो धांसू पावर मिल गई।“ बोरिस ने वापस जमीन पर बैठकर कहा, जिस पर मैथ्यू ने भी हामी भरी।

“ हाँ, लगता है रिचुअल सही तरीके से हो गई।“ कारलोस ने जॉर्ज के साथ बैठते हुए कहातो फिर सिर्फ हम चारों को ही पावर्स क्यों मिली, और बाकियों को क्यों नहीं?” जॉर्ज ने सवाल पूछा, जो कि सभी जानना चाहते थे।

“ यह बात तो मैं भी ठीक तरह से नहीं जानता, सिर्फ इतना पता है कि जिसके मन में किसी एक तरह की भावना बहुत शक्तिशाली हो ये शक्तियां उसे ही चुनती है।“ सभी को समझाते हुए उसने किताब खोली “ मुझमें बदले की भावना है इसलिये मुझे ये ह्यूमन वेपन की पावर मिली, गुस्से के कारण जॉर्ज को आग की शक्ति मिली और,,,,,,,,,, तुम दोनों की पावर्स भी हम पता लगा ही लेंगे।“

कारलोस की बात सुनकर सभी मुस्कुरा दिए और उस सूनी रात में उन चारों ने वापस पास के अपने होटल में जाने का फैसला किया ताकि किसी को उन पर शक न हो। उधर उन आदिवासी लोगों की पूजा अब भी जारी थी, उसी बीच वो चारों दोस्त वापस अपने होटल में पहुंच कर सो गए। आज रात जो हुआ उससे आने वाले समय में क्या प्रभाव पड़ेगा ये तो वक्त ही बताएगा, क्योंकि ये शक्तियां किसी भगवान की देन तो मालूम नहीं पड़ती। अगले दिन बिना किसी दिक्कत के ये चारों दोस्त वापस अपने शहर आ गए और उस गांव के लोगों ने अपने कुछ साथियों के लापता होने की शिकायत पुलिस में दर्ज करा दी।

कुछ दिनों बाद टी. वी. पर एक न्यूज छा गई, जिसने हर न्यूज़ चैनल पर अपनी पकड़ बना ली। लोगों के लिए यह न्यूज़ कुछ खास नहीं थी पर कुछ बड़े अधिकारियों और कुछ लोगों के लिए यह रहस्य से भरी हुई थी

“ महान पुरातात्विक डॉ रूसेव जैस की हुई दर्दनाक मौत, घर में लगी आग में उनकी रिसर्च हुई ख़ाक, हत्यारे ने किये शरीर के कई टुकड़े।“ और इस न्यूज़ ने कुछ लोगों की जिंदगी में तहलका मचा दिया।
 
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Sorry Bhai hi English me nahi likh sakta
Aap ye wali pad lo
 
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5 साल बाद



हो हल्ले के शोर से उस ऊंची इमारत का पार्किंग लॉट गूँज रहा था, पर क्योंकि वो इमारत समुद्र तट के काफी पास थी तो वहां पर उस शोर से परेशान होने वाला कोई भी नहीं था। उधर समुद्र अपनी करवट बदल रहा था और यहाँ पर लोगों का मनोरंजन हो रहा था, पार्किंग में खड़ी गाड़ियों के पास काफ़ी सारे लोग जमा थे जिनके मुंह से खुशी भरी किलकारियां निकल रही थी, कुछ तो इस कदर पागलपन में थे कि अंधाधुन किसी व्यक्ति पर बोलियां लगा रहे थे। उस भीड़ से थोड़ी सी ही दूरी पर 1 पीली लैम्बोर्गिनी खड़ी हुई यही जिस पर एक लड़की रेशमी से वस्त्र पहने हुए बैठी हुई थी और उसी के बाजू में एक फ़रारी के ऊपर 2 विदेशी लोग बैठे हुए थे, सिल्वर से सूट और टाई के साथ, गोल चेहरे पर काला चश्मा और देखने में बिल्कुल ही दबंग।

तभी किसी ने माइक पर तीन बार “टक-टक” किया और सभी अचानक शांत हो गए।

“लेडीज एंड जेंटलमैन, आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है “रूबी फार्मसूइटिकल” की इस इंटरनेशनल बाउंटी एरीना में। यहाँ पर आज “रूबी फार्मसूइटिकल” और “अयामा मेडिकल फार्मा” के बीच एक मुकाबला होने जा रहा है जहाँ पर यह फैसला होगा की कौन वह कंपनी होगी जो अफ्रीकन मेडिसिन्स का 66 बिलियन का पैकेज खरीदेगी। बहुत ही जोशीली आवाज़ में इस पीली ड्रेस वाली लड़की ने कमेंट्री की “ मै हूँ जिया पटेल और अब मैं बुलाना चाहूंगी उन कंपनी रिप्रेजेन्टेटिव फाइटर्स को जो दोनों कंपनियों की तरफ से यह जबरदस्त मुकाबला करने वाले हैं।

तालियों ओर सीटियों की आवाज़ ने लोगो के उत्साह को जता दिया और एक बार फिर सभी फाइटर्स की एंट्री के लिए तैयार हो गए;

“ फाइटिंग की दुनिया में बहुत ही कम समय में इस फाइटर ने काफी नाम कमाया है, जुडो जैसे डिफेंसिव स्टाइल को इसने ओफ्फेन्सीव क़रार दे दिया है। अपने ओप्पोनेंट को बिजली की रफ्तार से जमीन की धूल चटा देने वाले इस फाइटर को आज तक कोई नहीं हरा पाया है; एरीना में कदम रख रहे हैं 6फुट 5इंच और 101 किलों. के “बोजुई कामोये” दी “हेल थ्रोअर.

बाईं तरफ की गाड़ियों की कतार को पार कर बोजुई आगे बढ़ रहा था। उसने जुडो की किट की जगह एक बनियान और फूला हुआ सिल्वर पेंट पहन रखा था। उसके बड़े मांसल हाँथ किसी मेंटिस की तरह आगे की तरफ झुके हुए थे, आंखों में गंभीर भाव और चेहरे पर नाम मात्र की मुस्कान थी, नीचे की तरफ लटके हुए काले बाल और युवापन से भरपूर चेहरा। वह बड़े ही आराम से आगे बढ़ता हुआ आगे आ रहा था और उसके आते ही एरीना में लोगों की चिल्लपों तेज़ हो गई

“ येsssss.. बोजुई तुम ही जीतोगे!”

“ छोड़ना मत ‘उसे’ बोजुई, मेरे पैसे दांव पर लगे है।“

और कुछ तो जैपनीज़ में ही आवाजें लगा रहे थे, पर अभी तो खुद बोजुई भी ये नहीं जानता थे कि वो है कौन जिससे आज उसका मुकाबला होने वाला है। और एक बार फिर जिया के हाँथ माइक को देख कर सभी शांत हो गए, बोजुई भी अपनी धौंस जमा किसी चट्टान की तरह वह पर खड़ा हो गया

“ और अब बारी है हमारे अगले प्रतिद्वंदी की”। जिया की बात सुनकर सभी का ध्यान दांई तरफ आ गया जहाँ से “वो” आने वाला था। “फाइटिंग की दुनिया में इस ‘लोन वुल्फ’ ने पिछले साल ही एंट्री मारी और देखते ही देखते इस खेल के सारे उपलब्ध फाइटर्स को हरा कर यह साबित कर दिया कि भारत में भी अंडरवर्ल्ड लेवल के फाइटर होते है। उसे आज तक कोई हरा नहीं पाया और उसकी पहचान भी कम है और यह उसकी पहली इंटरनेशनल फाइट होने वाली है। एरीना में कदम रख रहे है 5फुट 10इंच, 90 किलो. के ‘सृजल यादव’ दीsssssss “डोमिनेटर” .

दाईं तरफ की कतार से रूबरू होते हुए उसने एंटर किया, उसका शरीर जैसे बनावट से भरा हुआ था न ज्यादा भारी न ही ज्यादा पतला था, नीचे उसने एक लाल रंग का शॉर्ट पहना हुआ था और ऊपर कुछ नहीं। एक हाँथ में पानी की प्लास्टिक की बोतल लिए वो चला आ रहा था, पर उसकी चाल ढाल कुछ ठीक नहीं लग रही थी, उसका ब्राउन रंग का शरीर यूं ही काफी आकर्षक था पर इस समय निकल रही उसके शरीर की भाप उसे और ज्यादा आकर्षक बना रही थी। लोगों में उसके आते ही जैसे रोमांच सा छा गया। सृजल का नाम पूरे माहौल में एक बार के लिए गूंज गया।

अब सृजल बोजुई के सामने था, एक ओर बोजुई इस फाइट को लेकर काफी उत्सुक था वहीं सृजल के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। इसके अलावा सभी ने एक बात और ध्यान में रखी थी कि सृजल के शरीर से अभी भाप निकलना बंद नही हुई थी। अभी दोनों फाइटर आमने सामने ही थे कि पीछे से एक सांवला से लड़का जिसने जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी, वो जल्दी से उन गाड़ियों के पास गया जहाँ पर रूबी बैठी हुई थी और उसके कान में जाकर कुछ कहा जिससे वो तुरंत नीचे उतरी और थोड़े किनारे पर जाकर कहने लगी

“ये क्या कह रहे हो आनंद, तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना?”

“सच कह रहा हूँ,” उसने कसम खाने की मुद्रा में अपने गले को पकड़ा “ सृजल को तेज बुखार है, मैं ने उसे लड़ने को मना किया पर वो है कि मानता ही नहीं, इसलिए तुम्हे बताना ठीक समझा”।

“चलो हमें जल्दी से मैच रोकना होगा”।

वे दोनों जल्दी से जिया के पास पहुँचे पर उनके कुछ कहने से पहले ही रूबी की नजरें सृजल से जा मिलीं जिनने इशारों से रूबी को ऐंसा करने को मना कर दिया। अब रूबी को समझ नहीं आ रहा था की क्या करे पर आखिरकार अपने दांतों को पीसते हुए वो वापस जाकर उन जापानी हस्तियों के साथ बैठ गयी।

“पागल कहीं का”। रूबी ने झुंझलाहट में धीमे से कहा

आनंद समझ गया कि अब सृजल को कोई नहीं समझा सकता, तो उसने भी सिर्फ भगवान से प्रार्थना की औऱ मैच की ओर ध्यान दिया।

“फाइटर्स, टेक योर स्टेन्स” जिया ने एक हाँथ ऊपर कर कहा और बोजुई ने एक पहलवान (रेसलर) की तरह थोड़ा झुकते हुए अपना खुद का जुडो स्टेन्स लिया। सृजल ने किसी एम एम एफाइटर की तरह ऑर्थोडॉक्स (ऑर्थोडॉक्स) स्टेन्स लिया।

“ रेडी?....... नाउ फाइट!”

जैसे सृजल इतनी जल्दी प्रतिक्रिया कर ही नहीं पाया और बिजली की फुर्ती कर साथ बोजुई के मांसल हांथो ने सृजल को कंधे से पकड़ कर सीधा जमीन पर हवा में लेकर पटक दिया। ‘पट्ट’ की आवाज के साथ सृजल कि पीठ जमीन पर पटकाई और ऐंसा लगा जैसे मांस के पटकने की आवाज आई हो। सृजल के चेहरे पर दर्द था पर जैसे उसकी आवाज दर्द से बंद हो गयी। ऐंसा लग रहा था मानो अब सृजल बस बेहोश होने वाला है, बोजुई ने अपना हाँथ किसी हथोड़े की तरह ऊपर उठाया और जोर से सृजल की तरफ दे मारा..............

“ धाड़sssssssss............” जोर की आवाज के साथ बोजुई का हाथ जमीन से टकरा गया।

सृजल उठ कर सामने खड़ा हो गए था पर बोजुई को अब भी इस बात का आश्चर्य था कि सृजल उसके नीचे से कैसे निकल गया? और सृजल के प्रोत्साहकों ने उसका नाम पूरे एरीना में सुना दिया। सृजल की पीठ की चमड़ी कुछ फट सी गयी थी जिस कारण वहां से खून बह रहा था..

“ उस बोजुई ने पिछले वार के समय गलती कर दी। उसे सृजल के ऊपर से बिल्कुल भी नहीं हटना चाहिए था, वह थोड़ा सा हटा और सृजल अपनी कोहनियों और एड़ी के बल फट्ट से सरक कर बाहर आ गया।“ बांधव अपने पास खड़े एक अजीब से लंबे लिबाज़ वाले व्यक्ति से बोला

“ वो घायल है, एक ओर बार पटक गया तो समझो फिर नहीं उठ पाएगा।“

“ यही तो वक्त है उसके कमाल दिखाने का” आनंद बहुत भरोसे के साथ बोला

सृजल अभी भी ऐंसे खड़ा हुआ था जैसे उसके शरीर मे शक्ति ही न बची हो। पर बोजुई जल्दी से खड़ा हुआ और फिर से वहीं पहले वाला स्टेन्स ले लिया।बोजुई ने एक बार फिर पहले जैसा स्टेन्स ले लिया है, पर इस बार उसकी आँखों में आग भड़की हुई है। क्या सृजल उस आग को बुझा पाएगा?” जिया ने सभी का ध्यान वापस फाइट में लगा दिया।

अचानक से बोजुई पहले से भी तेज रफ्तार से सृजल की ओर लपक!

“ अरे नहीं ये पहले जैसा अटैक नही हैं, सृजल! बचके!” आनंद के शब्द भीड़ की आवाज में गुम हो गए और सृजल बोजुई कि बाजुओं में आ गया........

“ ताड़sssssssssss....” पर सृजल ने अपने दाहिने घुटने का जोरदार प्रहार उसके जबड़े में दे मारा, बोजुई अपने होश खो बैठा।

सृजल ने अपनी हालात को देख कर कोई फालतू का हथकंडा नहीं अपनाया और अपने आखिरी अटैक्स कर दिए। अपने होश खोने के बाद बोजुई जमीन पर गिरने वाला था पर सृजल ने उसका बायां हाथ पकड़ कर उसे एक चक्कर लगवा कर उसका मोमेंटम बरकरार रखा और फिर थोड़ा उछाल कर अपनी कोहनी के बल उसकी गर्दन के पिछले हिस्से पर वार करते हुए जमीन पर दे मारा। सृजल ने सिर्फ टाइमिंग मिलाई, टेकनीक लगाई और बाकी का काम गुरुत्वाकर्षण ने कर दिया। सृजल अपना आखिरी हमला करने के लिए उठ कर उसके सर पर लात जड़ने ही वाला था कि........... बोजुई को बेहोश देख वो रुक गया।

अक्सर फाइट के एन्ड में तालियों की गड़गड़ाहट और शोर-शराबे से माहौल गूंज जाता था पर आज सभी के मुँह खुले और आवाज बंद थी।

और कारण?...... वो मैं अभी बात देता हूं। दरअसल बोजुई का आखिरी हमला सृजल को टक्कर मरते हुए उसे हिप से उठा कर उसका सर जमीन पर पटकने का था, जिससे सृजल कुछ समय के लिए निढाल हो जाता और बोजुई अपना अगला दांव खेलता, बांधव ने ये देख लिया था ...... और सृजल ने भी। इसलिए सृजल अपनी जगह से हिला नहीं और जैसे ही बोजुई ने सृजल को पकड़ा और टक्कर मारने ही वाला था कि सृजल ने अपना घुटना बोजुई के जबड़े में पेल दिया और घूमते हुए उसकी गर्दन पर प्रहार कर दिया जिससे क्या हुआ.............................

पर सभी हैरान इसलिए थे कि सृजल ने आज तक इस तरह की मूव्स का यूज़ नहीं किया था और बोजुई के चाहने वालो के चेहरे इसलिए लटक गई क्योंकि बोजुई जो आज तक अपने दुगने वेट वाले फाइटर्स से नहीं हर था, आज किसी और देश में ज़मीन पर पड़ा हुआ था।

ऐंसा हाल देख कर रूबी के मुंह से सिगरेट जो अभी आधी भी नहीं जाली थी वो अपने आप नीचे गिर गयी, मिस्टर अयामा की आँखे तो चमगादड़ की तरह खुली पड़ी थी क्योंकि उन्हें तो अपनी जीत का पूरा भरोसा था। जैसे अभी अभी बिजली के झटके से उबरे हों, पूरा एरीना शोर में डूब गया, हर तरफ बस सृजल का नाम था और अब तो विदेशी लोग भी उसके लिए ही तालियां बजा रहे थें। मिस्टर अयामा के चेहरे पर भी अजीब सी खुशी थी।

“ एंड दा विनर इज, सृजल यादव दी डोमिनेटरsssssss!”
 
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1बजे हुए थे, उस इमारत में अब शांति थी जो कुछ समय पहले ही कोलाहल से भरी पड़ी हुई थी। किसी 5 स्टार होटल जैसे जगमगाते गलियारे से होते हुए वो काले चश्मे वाले व्यक्ति के पैरों की गूंज काफी तेज़ सुनाई दे रही थी, सामने मेडिकल रूम था। उसने जल्दी से कुछ कदम तेज़ करते हुए दरवाजा खोला

“ ओह, हाय मिस्टर अयामा”! उसकी आवाज सुन कर मिस्टर अयामा की जान में जान आयी

“ थैंक गॉड, यू आर आल राइट! (Thank God, you are all right) तुम्हें जमीन पर गिरता देख में तो डर ही गया था।" कहते हुए मिस्टर अयामा, बोजुई के पास लगी कुर्सी पर बैठ गए।

बोजुई अभी बेड पर पैर पसारे पीछे की ओर टिक कर बैठा हुआ था, उसके जबड़े पर पट्टी बंधी हुई थी। लाल पड़ी हुई गर्दन पर पॉलीथिन बर्फ भरकर लटकी हुई थी जो किसी नैक बैंड जैसी लग रही थी, बाकी सब ठीक ही था और वो अब भी अपने फाइटिंग वाले कपड़ों में ही था।

“ यहां के डॉक्टरर्स कहाँ है, क्या तुम्हें अकेले छोड़ कर चले गए?” आसपास देखते हुए वे कुछ असहज़ भाव से बोले

“ वो मेरा इलाज करके, सृजल के पास चले गए।"

“ आज अचानक हो क्या गया था बोजुई?” मिस्टर अयामा कुछ सोच में डूबे लग रहे थे “ अब तक तुमने लगभग 50 ऑफिसियल (Official) फाइट्स की है, एंड मेनी मोर उनओफ्फिशल (And many more unofficial)। कई बार तुम्हारा ओप्पोनेंट, हाइट और वेट (Height and weight) में तुमसे ज्यादा बड़ा था पर तुमने हर फाइट जीतीं। फिर आज.............”

बोजुई ने मिस्टर अयामा को हाथ दिखा कर उन्हें शांत रहने को कहा, वे चुप हो गए

“ देट बॉय सृजल (That boy Srajal), ही ट्रिकड माय इंस्टिनक्स (He tricked my instincts)। उसने अपनी रिएक्शन स्पीड (Reaction speed) शुरू से ही धीमीं दिखाई जिस कारण मैं उसके जाल में फंस गया। वो ताकतवर तो है ही, साथ ही उसके रेफलेक्सेस (Reflexes) काफ़ी तेज़ है या कह लो वो क्रिटिकल टाइमिंग पर अपने रिफ्लेक्सेस का यूज़ करता है।“ बोजुई की आवाज में चुनौती पूर्ण खुशी झलक रही थी

“सो यू लाइक हिज स्टाइल ( So you like his style)। वैसे अगर तुम अब ठीक हो तो हमे अपने कमरों में चलना चाहिए।" मिस्टर अयामा ने उठते हुए कहा

उनकी बात सुन बोजुई ने देर नहीं की, तुरंत उठ कर चलने लगा। वो दोनों बाहर निकले और उसी शांत गलियारे से होते हुए अपने कमरों की ओर जाने लगे

“ मुझे इस फाइट में चांस(Chance) देने के लिए थैंक्स अंकल और सॉरी(Sorry) मैं आपको जिता नहीं पाया।“ बोजुई ने मिस्टर अयामा से अपनी नजरें नहीं मिलाई

“शीsssssssssssश, तुम्हे किसी को बताना नहीं चाहिए कि हम रिलेटिव्स (Relatives) है।“ यह सुनकर बोजुई यूँ ही मुस्कुरा दिया “ वैसे क्या तुम्हें पता चला सृजल की फाइटिंग स्टाइल के बारे में? मैं तो कुछ खास ध्यान दे ही नहीं पाया।"

इस बार बोजुई के चेहरे जकी मुस्कुराहट बढ़ गई, जैसे उसने किसी रहस्य से पर्दा उठा लिया हो-

“ वो बॉक्सिंग को बेस (base) में यूज़ करता है ये तो उसके गार्ड (Guard) से ही पता चल रहा था, पर क्लोज कॉम्बैट (Close combat) में उसकी मुख्य स्टाइल कुछ ऐसी है जो बहुत कम ही देखने मिलती है”

“कौन सी स्टाइल है वो?” मिस्टर अयामा ने बहुत उत्सुकता से पूछा

“ सिस्टेमा (Systema)!!!

सिस्टेमा - मार्शल आर्ट की यह रूसी शैली 10 वीं शताब्दी की है। इस विशाल देश के पूरे इतिहास में, रूस को उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम से आक्रमणकारियों को खदेड़ना पड़ा। सभी हमलावर युद्ध और हथियारों की अपनी अलग शैली लेकर आए। लड़ाई अलग-अलग इलाकों में हुई, ठंड के मौसम में और भीषण गर्मी में समान रूप से, रूसियों के साथ अक्सर दुश्मन ताकतों की संख्या बहुत अधिक थी। इन कारकों के परिणामस्वरूप, रूसी योद्धाओं ने एक ऐसी शैली हासिल कर ली जो बेहद नवीन और बहुमुखी रणनीति के साथ मजबूत भावना को जोड़ती है जो किसी भी परिस्थिति में किसी भी प्रकार के दुश्मन के खिलाफ एक ही समय में व्यावहारिक, घातक और प्रभावी थी। कोई सख्त नियम, कठोर संरचना या सीमाएं (नैतिक लोगों को छोड़कर) होने के बावजूद शैली स्वाभाविक और स्वतंत्र थी। सभी रणनीतियां सहज प्रतिक्रियाओं, व्यक्तिगत शक्तियों और विशेषताओं पर आधारित थीं, विशेष रूप से तेजी से सीखने के लिए डिज़ाइन की गई थीं।“अब कैसा लग रहा है सृजल?” आनंद ने उसे पीछे से देखते हुए कहा।

सृजल अभी भी अपनी उसी हालत में बैठा था जिसमें वो अभी फाइट करके आया था, एक दुबला पतला सा डॉक्टर जिसके बाल बिखरे हुए ऐंसे लग रहे थे जैसे उसे कंघी की जरूरत ही पड़ती हो, वो सृजल से पीठ के घाव को सी रहा था। सुई उसके घाव की आस पास की चमड़ी को भेदते हुए अपना काम कर रही थी जिसके कारण उस पर खून लग रहा था, टांका पूरा लगते ही डॉक्टर ने उसे रुई लगी हुई एक चौड़ी सी बैंडेज लगा दी।इसका घाव भरने में कितना टाइम लगेगा डॉक्टर रॉय? और इसके बुखार का क्या हुआ?”

डॉक्टर रमन रॉय ‘रूबी फार्मसूइटिकल” के हेड(head) डॉक्टर है, वो न सिर्फ यहाँ पर पेशेंट्स(Patients) का इलाज करते है बल्कि यहाँ के मुख्य रिसर्चर(researcher) भी है। मेडीकल के मामले में उनका टैलेंट काफी एसक्सेप्शनल(ecxeptional) है।

“हाँ इसके घाव एक हफ्ते में भर ही जाएंगे और जहाँ तक बुखार का सवाल है तो वो उत्तर चुका है” डॉ. रॉय ने अपने मास्क और ग्लव्स(gloves) उत्तर कर अपनी जेब में रख लिए “पर मैंने ब्लड सैम्पल्स(blood samples) ले लिए है, टेस्ट के लिए।"

तभी वो नर्स ने अपनी ट्रे में से एक इंजेक्शन उठाया और इथेनॉल(इथेनॉल) से साफ कर उसे लगाने लगी तभी किसी के तेज कदमों की आवाज ने उसे रोक दिया

“मरने का बहुत शौक है क्या तुम्हें? जब तबीयत ख़राब थी तो लड़ने की क्या जरूरत थी?” रूबी भड़की हुए रूम का दरवाजा पटकते हुए अंदर आ गयी, उसका वो हसीन चेहरा गुस्से से तड़कता हुआ किसी चुड़ैल से कम नहीं लग रहा था।

“ और डॉक्टर रॉय!” क्रोध भरी आवाज में बोली “ जब आप सब कुछ जानते थे तो आख़िर क्यों आपने उसे लड़ने से रोका क्यों नहीं, हांssssss.......” डॉ. रॉय ने तो अपने हाथ खड़े कर लिए जैसे कह रहे हों कि इसमें मेरा कोई हाथ नहीं

“कितनी बार कहा है कि कोई भी गड़बड़ हो तो पहले मुझे बताओ! पर नहीं, हमें तो हर बात तुम सब आख़िर में बताते हो। अरे मैं यहाँ की मालिक हूँ और ऐसा लगता है जैसे मुझे कुछ बताना तुम्हें जरूरी ही नहीं लगता। अब तो तुम सो............”

उसकी बातें सुनकर सृजल ने बिना देर किए, उठ कर रूबी को गले लगा लिया। रूबी की ना सिर्फ बकबक बंद हो गई बल्कि उसका गुस्सा भी शांत हो गया

“ आई एम सॉरी रूबी(i am sorry, Ruby); मेरा तुम्हें परेशान करने का कोई इरादा नहीं था। पर अगर में आज नहीं लड़ता तो कंपनी को बहुत बड़ा नुकसान हो जाता जिससे तुम्हे दुख पहुंचता...... और ये मैं नहीं चाहता था।"

सृजल की बात सुनकर रूबी ने भी उसे गले लगा लिया, सृजल की बात सुनकर रूबी की आंख के कोने पर आंसू आ गए था।वापस सोफे पर बैठ गया जहां पर वो नर्स उसे इंजेक्शन लगाने लगी।

“ वैसे ये इंजेक्शन किसलिए मिस अलका?”

“तुम, सवाल बहुत करते हो यार।“ नर्स अलका ने सृजल को इंजेक्शन लगते हुए कहा “ कॉर्टिकोस्टेरॉइड(corticosteroid), क्योंकि यहां पर टिश्यू रप्चर(tissue rupture) हो गए है। इससे इसके घाव पर इंन्फ्लामेशन(inflammation) नहीं होगा।"

अलका का काम खत्म होते ही वो और डॉक्टर वहां से निकल गए। अब कमरे में सिर्फ आनंद, रूबी और सृजल ही थे, सृजल कुछ दूरी पर लगे हुए कपड़े बदलने की जगह पर जाकर अपने कपड़े बदलने लगा। इसी बीच आनंद जाकर सोफे पर बैठ गया और पास रखे फ़ोन से उसने रिसेप्शन पर कॉल करके तीन ड्रिंक्स मंगवा ली। रूबी ने आनंद के सामने वाली गद्देदार कुर्सी पर अपनी जगह बनाई

“मुझे लगता है तुम दोनों को रात यहीं पर गुजार लेनी चाहिए; अब तो 1 बज गया है ना......”

“क्यों? तुम रात भर बोर हो जाओगी क्या?” आनंद ने आने हमेशा वाले मजाकिया अंदाज में कहा पर रूबी की खूंखार आंखे और फड़कती आंख देखकर वो फिर चुप हो गया। इतने में डोरबेल बजी, आनंद ने आने के लिए कहा और वो वेटर उनके लिए एक ट्रे में, 3 कांच के कप जैसे गिलास, एक विस्की की बोतल और अलग अलग शेप-साइज(shape-size) के बर्फ के टुकड़े ले आया। वो ड्रिंक बनाने लगा........

“ तुम रहने दो हम आपस में बना लेंगे।" आनंद की बात सुनकर वो वेटर वहां से आदर से चला गया, जाते-जाते दरवाज़ा लगा गया। आनंद ने उठा कर बर्फ गिलासों में डाला, विस्की की बोतल को खोला और तीनों गिलासों को आधा-आधा बार दिया।

इतने में सृजल बाहर आ गया, एक काली टी शर्ट और नीली जीन्स में। आकर वो आनंद के पास सोफे पर बैठ गया, आनंद ने उसे एक विस्की का गिलास दिया, फिर रूबी को देकर खुद ने पीना भी शुरू कर दिया।

“ तुम्हें कल से छुट्टी चाहिए थी न? तो तुम ले लो, अच्छा रहेगा।" रूबी ने अपनी विस्की को हिलाते हुए कहा

“ नहीं कल से नहीं, अब मैं 2 हफ्ते बाद ही छुट्टी लूंगा।"

“क्योंssssssssss!?” आनंद और रूबी की जैसे चढ़ते-चढ़ते उतर गई, क्योंकि पिछले हफ्ते ही सृजल ने छुट्टी की बात की थी पर अब अचानक से क्यों बदल गया?

“पहले में बाहर जाने वाला था, अब मैं कुछ दिनों बाद जाऊंगा।" सृजल ने पूरी विस्की गटकते हुए कहा

“पर तुम्हें जाना कहाँ है?” रूबी ने यूँ ही ये सवाल पूछ लिया

पर अगले ही पल रूबी को याद आया कि सृजल के बाहर जाने के पीछे कौन सी वज़ह है। उसने अपनी विस्की खत्म की और गिलास टेबल पर रख दिया। आनंद ने तो कुछ पूछा ही नहीं क्योंकि बाहर सुनते ही उसे किसी सवाल की जरूरत ही नहीं पड़ी।

“तो ठीक है, हम निकलते है। ज्यादा देर करना ठीक नहीं” सृजल के साथ आनंद भी उठ गया और वे दोनों जाने लगे।

“अपना ध्यान रखना दोनों!” रूबी ने पूरी बोतल उठा कर पीने से पहले उन दोनों को अलविदा किया।

बिल्डिंग से निकल कर दोनों जल्दी से आनंद की कार में बैठे, रात के मौसम बहुत सुहाना और ठंडा था। अमावस्या की रात में पूरा शहर जगमगा रहा था, कार की खिड़की खोल कर उन नें सफर शुरू किया। दोनों दोस्त पुणे की भीड़ भाड़ वाली जगह से दूर समुद्र तट के काफी नजदीक रहा करते थे, घर हालांकि सृजल का था पर अक्सर उसका समय कंपनी में ही गुजरता था जहां पर या तो वो काम करता रहता था या फिर ट्रेंनिंग(training)। सृजल का मुख्य काम इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट(import-export) को मैनेज(manage) करना था और आनंद सी. ए.(C.A.) था। दोनों यहाँ, इस कंपनी में एक साथ ही आये थे और क्योंकि दोनों स्कूल में बेस्टफ़्रेंडस( best friends) थे उनकी जोड़ी आपस में फिर से जमना शुरू हो गयी। 20 मिनट के अंतराल में उनका घर आ गया, घर क्या? वो तो बंगला था। सफेद दीवारें, कांच की बड़ी-बड़ी खिड़कियां, सामने एक बड़ा सा गार्डन जिसमें ज्यादा कुछ लगा नहीं था सिवाए कुछ नारियल के पेड़ों के और हरी घास के। कार को घर से जुड़े हुए एक गैराज में रख कर आनंद ने दरवाजा खोला आकर सीधे जाकर सोफे पर बैठ गया और राहत की सांस ली, सृजल भी जाकर वहीं पर बैठ गया।
 
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बाहर से जितना शानदार था अंदर से उतना ही साफ सुथरा भी। दाईं तरफ कुछ ड्रॉर रखी हुई यही जिन पर कुछ फूलदान और 2 छोटे स्पीकर रखे हुए थे, थोड़ी दूरी पर दीवार से सटी हुई एक 56 इंच की एल. सी.डी.(LCD) लगी हुई थीं जिसके ठीक सामने एक बड़ा सा सोफा था और आजू बाजू 2 गद्देदार कुर्सियां। बाईं ओर से शुरू करते ही पहले एक लकड़ी का बना हुआ जूते-चप्पल रखने का स्टैंड था, वहीं दीवार पर काफी सारी तस्वीरें लगी हुई थी जिनमें कुछ स्कूल की थी तो कुछ अभी कंपनी की, उसी ओर से एक सुंदर सी लंबे पायदानों वाली सीढ़ी गयी हुई थी जो ऊपर के कमरे में खुलती थी। सीढ़ियों के ठीक नीचे आनंद का कमरा था और दूसरे कोने में किचन था; घर में सजावट जरूर काम थी पर साफ-सफाई के कारण सजावट की जरूरत ही नहीं मालूम पड़ती थी।

“ मैं सोने जा रहा हूँ आनंद, दरवाजा लॉक(lock) कर लेना।" सृजल सीढ़ियों से ऊपर जाने को हुआ

“यार एक बात पूछनी थी? इफ यु डोंट माइंड?(if you dont mind?)” सृजल ने हां के जवाब में सिर हिला दिया

“तुम्हें नहीं लगता सबकुछ जानते हुए भी रूबी, तुमसे प्यार करती है?” सृजल अपनी जगह पर ही खड़ा-खड़ा मुड़ गया और मुस्कुराते हुए बोला

“हाँ वो मुझसे प्यार करती है” सृजल की बात सुन कर जैसे आनंद का मुँह खुला का खुला से रह गया “पर वो मुझे एक सच्चे दोस्त की तरह प्यार करती है, अगर वो लड़का होती तो इस समय तेरी जगह पर आज मेरे साथ होती। समझे चौधरी जी”

सृजल जम्हाई लेता है अपने कमरे में चला गया, आनंद सोफे पर बैठे हुए ही मुस्कुराया जैसे उसे सृजल की बात समझ आ गयी। वैसे इतना कठिन भी नहीं था समझना, अक्सर हर कोई प्यार को गलत समझ लेता है और भला आनंद बाकियों से ज्यादा अलग थोड़े ही था। आखिर था तो समाज का हिस्सा ही; फिर उसने भी बत्तियां बुझाई और सोने चला गया।



पीक्सकिल पुलिस डिपार्टमेंट, न्यूयॉर्क

5 जुलाई 2030; सुबह 11 बजे!

पीक्सकिल में आज का दिन सुहावना था, अच्छी धूप निकली हुई थी। कभी-कभी भीड़ से घिरा हुआ शहर आज काफी खुल हुआ महसूस कर रहा था। यहां के पहाड़, वन और हडसन नदी प्रकृति की मौज में थे और लोगों का मूड भी बहुत खिला हुआ था। लंबी सड़कों पर गाड़ियां आराम से चल रहीं थी, लोग अपनी दुकानों पर काम कर रहे थे और बच्चे आज स्कूल न होने के कारण खेल कूद में लगे हुए थे।

एक हष्ट पुष्ट शरीर की सुंदर सी लड़की, ब्लैक जीन्स, व्हाइट टॉप पर ब्राउन जैकेट डाले हुए पुलिस स्टेशन की ओर बढ़ रही थी। उसके हल्के लाल से रंग के बाल कंधों से थोड़ा नीचे की ओर थे, एकदम सीधे ओर चमकीले, रेशम की तरह। वो सीधे पुलिस स्टेशन के अंदर गयी, शिकायत दर्ज करने वाले मेज़ के पास एक औरत बैठ हुई थी, घुंघराले बाल और गोल से चश्मा लगाए हुए

“गुड मॉर्निंग चीफ( good morning chief )”

“ मॉर्निंग मिसेस हिलसन।" वो लड़की उस पुलिस स्टेशन की चीफ थी, कहते हुए सीधे अपनी केबिन में चली गयी।

केबिन में एक बड़ी सी मेज जिसके ऊपर एक कांच की सीथ(sheath) चढ़ी हुई थी, जिसके पीछे दीवार पर पुलिस का सिम्बोल(simbol) बना हुआ था, दो अलमारियां रखी हुई थी, टेबल पर पेन-पेपर और एक लैपटॉप जिससे जुड़ कर एक प्रिंटर रखा हुआ था। वो जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गयी और राहत की सांस ली। फटाफट उसने लैपटॉप पर कुछ खोला और एक क्लिक करके वापस कुर्सी से टिक गई। प्रिंटर पर कुछ छपने लगा जिसकी खर-खर की आवाज गूंजने सी लगीमोर्निंग चीफ!” बाहर से जल्दी में एक युवा पुलिस अफसर जल्दी में आया

“ क्या बात है विल? इतने हड़बड़ी में क्यों हो?” उसके अचानक आने से चीफ चौक सी गयी।

“न्यूयॉर्क...... ह....पुलिस....ह....डिपार्टमेंट से फोsssssss... ह..न, फोन है।" विल अपनी भरी हुई सांस में बोला और चीफ को फोन थमा कर चला गया जिसकी स्क्रीन पर होल्ड(Hold) लिखा हुआ है पर कोई फोन नंबर नहीं था। उसने फ़ोन उठाया और कहा

“ हेलो, एलेनोरा हॉल स्पीककिंग ( Hello, Elenora Hall Speaking)”

ये फ़ोन कॉल लगभग 5 मिनट तक चली, इसी बीच बात करते हुए एलेनोरा ने प्रिंटर से उस कागज को निकाल कर देखा। फ़ोन कट करते ही उसने उस कागज को देखकर ऐंसा चेहरा जैसे कोई बहुत ही इम्पोर्टेन्ट चीज़ हो.............. फिर अगले ही पल उसे पहाड़ कर कचरे के डिब्बे में डाल दिया। बाहर जाते हुए उसने मिसेस हिल्सन से कहा

“मैं कुछ दिनों के लिए न्यूयॉर्क जा रहीं हूँ, तब तक के लिए विल सब संभाल लेगा।" मिसेस हिल्सन ने सिर्फ जवाब में अपनी गर्दन हिला कर स्वीकृति दिखाई।

बाहर जाकर एलेनोरा ने अपनी किआ सोरेंटो(Kia Sorento) में बैठी और तेज़ी से गाड़ी चालू करते हुए हाईवे की तरफ भगा दी। पुलिस स्टेशन वाले सभी लोग बाहर निकल कर एलेनोरा की भागती हुई को देखने लगे और उसके जाते ही वे वापस अंदर चले गए। अंदर एलेनोरा ने जो कागज पहाड़ के फेंका था उसका एक टुकड़ा पंखे की हवा में उड़ता हुआ बाहर आ गिरा, जिस पर लिखा हुआ थारेजिग्नेशन लेटर!”

आखिर सृजल ‘बाहर’ कहाँ जाना चाहता था? और जब वो इसी हफ्ते जाने वाला था तो उसने प्लान बदल क्यों दिया?। सृजल, आनंद और रूबी की कहानी क्या है? एलेनोरा कौन है और अचानक आने वाला वो फोन कॉल किस लिए था? ऐसे सवालों के जवाब जानने के लिए हमारे साथ बने रहिये, जल्दी ही कुछ बहुत बड़ा होने वाला है , तो कहीं जाइएगा मत। यहीं मिलेंगे
 

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