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बरसात के मौसम में आज का सूरज ढल रहा था जिसकी रोशनी में वो नहर जैसी नदी की धारा का पानी सोने सा चमक रहा था। इसी नदी की पतली धारा के दोनों ओर जो कुछ जगह थी वहां पर अक्सर बच्चें खेलने के लिए आया करते थे। दोंनो तरफ सड़क कुछ ऊपर की ओर थीं जहाँ से वाहन कम ही निकला करते थे और हमेशा की तरह सब कुछ शांत ही था, माहौल भी और उन दोनो के बीच का फासला भी।
“ क्या बात है, तुम ने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?” उस भूरे बालों वाली लड़की की आवाज़ कम होते हुए भी माहौल के सन्नाटे में गूंज गई।
सामने खड़ा वो लड़का अब भी दोनों हांथो को पीछे किये हुए चुप ही खड़ा था।
“ कुछ दिनों से तुम काफी परेशानी में लग रहे हों, मुझे बताओ आख़िर हम दोनों दोस्त है।“ लड़की की आवाज़ में काफी नरमी थी इस बार और वह उस लड़के को बहुत मासूमियत से देख रही थी।
“ तुम कल वापस अपने देश चली जाओगी_______” लड़के की आवाज में कुछ परेशानी झलक रही थी
“ हाँ।“ लड़की ने जवाब दिया।
“ और फिर में तुमसे कभी नहीं मिल पाऊंगा।“
“ अच्छा तो तुम इस बात से परेशान थे।“ उस लड़की ने तेजी से उसके पास आकर कहा, उसके हाथों को थामा और मुस्कान के साथ बोली “ तुम्हारे पास मेरा मोबाइल नम्बर और ईमेल तो है ना, उसी से हम रोज मिल लिया करेंगे। और अगर में तुमसे मिलने ना आ पाई तो तुम खुद आ जाना।“
फिर उस लड़के के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ ही गई।
“ हाँ, जरूर। पर में तुम्हें कुछ और भी बताना चाहता हूँ।“ एक बार फिर कुछ परेशानी भरी नजरें उस लजाते हुए चेहरे पर आ गई।
“ मैं सुन कर रही हूँ, कहो।“ लड़की ने बहुत ही उत्सुकता से पूछा।
एक पल को उस लड़के के हाथ कांपे, नजरे झुकी रही। पर अगले ही उसने अपनी ज़ेब में हाथ डाला और उसमें से कुछ निकाल कर लड़की की तरफ बढ़ाते हुए बोला,
“ आई लव यू रोज़। मैं तुम्हे बहुत चाहता हूं, समझ नही आ रहा था कि तुमसे यह कैसे कहुँ, इसलिए हिम्मत जुटाने में काफी समय लग गया।“ हांथ उसके अब भी कांप रहे थे, आंखें बंद थीं और जुबान भी लड़खड़ा रही थी। उसके हाथ में एक लव लेटर था और उसके ऊपर दो काले रंग की नक्काशी वाली अंगूठियां। और अब इंतज़ार था तो बस उसके जवाब का ________
वो सूनी सी ठंडी हवा उन दोनों को छूकर चली गई , माहौल अब भी शांत था। सूरज ढलने में बस कुछ ही वक्त बाकी था और उसका जवाब सुनते-सुनते वह सूरज भी ढल गया।
“ आई एम सॉरी, पर मेरे लिए तुम एक दोस्त से ज्यादा कुछ भी नही हो, आई डू लाइक यु वेरी मच पर में तुमसे उस तरह प्यार नही करती।“ रोज़ उसका हाथ छोड़ पीछे हट गई, उसकी वो पहले वाली मुस्कुराहट गायब हो गई। उसके जवाब को सुन कर लड़के का चेहरा सफेद पड़ गया, उसकी हिम्मत जैसे जवाब दे गई पर उसने कुछ ब भी नहीं कहा
“ कल में जा रही हूँ और मैं नहीं चाहती कि तुम मुझे इस तरह दुखी होकर विदा करो।“ रोज़ के हाथ उस लड़के के पास पहुंचते ठिठक गए, उस लड़के को इस तरह दुखी देखना शायद उससे देखा नहीं गया। इतने में वहाँ ऊपर से एक जानी पहचानी आवाज़ आ गई
“ रोज़, प्रोफेसर तुम्हें बुला रहे है, जल्दी।“ कोई लड़की रोज़ को सड़क के ऊपर से बुला रही थी।
रोज़ ने एक दफा उस लड़के को देखा, दूसरी ओर ऊपर उसे बुलाने वाली लड़की को देखा
“ मैं जा रहीं हूं, तुम भी जल्दी आ जाना।“ रोज़ की आवाज़ कुछ झिझक गई और मुठ्ठी भींचे वो वहाँ से चली गई।
हमेशा की तरह आज भी अंधेरा छाने लगा, जो पहले से कही ज्यादा घाना मालूम पड़ रहा था। और उस पर जंचने के लिए बादलों ने अपना बोझ हल्का कर दिया। धीरे धीरे शुरू हुईं बारिश ने रफ्तार पकड़ ली किसी रेलगाड़ी की तरह, कुछ दूरी पर जल रहे स्ट्रीट लाइट की रोशनी उस पेड़ के पास नाम मात्र की पड़ रही थी जिसके नीचे बरसात में वह लड़का बैठा भीग रहा था।
पेड़ से टिक कर वह एक घुटने को मोड़ कर उस पर हांथ रखा हुआ था, बरसात की बूंदे उसके शरीर को तर कर रही थी और वह पेड़ उसे पानी से पूरी तरह बचाने में असमर्थ था। जैसे बादल अपना बोझ कम करने को बरस रहे थे वैसे ही उस लड़के की पलके अपने बोझ हल्का करने के लिए रो रही थी। उसने एक आह भरी और अपना चेहरा ऊपर कर बैठा रहा। आँसू उसकी आँखों के किनारों से निकलते हुए गालों को रास्ता बनाये हुए थे, अपने हांथो में गीले होते लेटर को उसने जल्दी से वापस जेब मे रख लिया, अंगूठियों के सांथ।
उसके होंठ धीरे से हिल और वह कुछ बड़बड़ाया
“ हाँ, सही तो कहा रोज़, ने मुझसे ज़्यादा उसके बारे में को जानता है” उसकी आवाज़ धीमी होने के बावजूद भारी थी “ उसने तो खुद मुझे बताया था कि उसे किस तरह का लड़का पसंद है। जो स्मार्ट हो और मज़ाकिया भी, अच्छी बॉडी हो और जिसे डर छू भी ना पाए।“
बड़बड़ाते हुए उसका दिल जैसे दर्द से रिस गया, उसके आँसुओ ने एकाएक तेज़ रफ़्तार पकड़ ली। उसे आज पता चल रहा था कि दिल का दर्द शरीर को लगी चोट से कहीं ज्यादा दर्दनाक होता है, क्योंकि उस पर ऊपर से कोई मरहम भी नही लगाया जा सकता। अपनी छाती को कचोटते हुए एक बार फिर उसके होंठ हिले
“ कहना तुम्हारे लिए शायद आसान था रोज़, मगर सुनना मेरे लिए एक श्राप जैसा था। 4 साल साथ गुजारे है हमने और तुम कहती हो में भूल जाऊ__________ कैसे रोज़ कैसे।“
अब जाकर उसके सब्र का बांध पूरी तरह से टूट गया, वो वहीं फूट फूट के रो पड़ा, असहाय सा वह ख़ुद से ही बातें करता हुआ रोता रहा। अपने आप को ढांढस बांधता पर उसके चुप होने पर भी उसकी आंखें चुप नहीं रह पाई और पता नहीं कब उसके अंदर दर्द ने लंबे समय के लिए अपना घर कर लिया।
रात का वह कौन सा पहर था यह नहीं पता, पर उसकी लाल आंखे अब सूज कर बंद हो चुकी थी, दर्द अब भी चेहरे पर था और अब तक वो एक लंबी नींद में जा चुका था। उसका शरीर वही निढाल सा पेड़ से टिका हुआ था जिसमें नाम मात्र की भी जिंदगी नही दिख रही थी। तेज हवाओं की सनन-सनन में गजब की ठंडक थी पर उसका शरीर उससे भी ज्यादा शीत जान पड़ता था, जिसमें कोई हलचल नहीं थी।
यू ही रात का अन्धकार घना था जिसमें सिर्फ तारे टिमटिमा रहे थे और चाँद तो अमावस्या को वैसे भी नहीं आता था। आज किसी का दिल टूटा तो बादलों ने भी उसके साथ शोक किया पर उसका कल तो कोई भी नहीं जानता, वो ख़ुद भी नहीं। कई बार किस्मत ऐंसे खेल खेलती है जिसका जोड़ कई खिलाड़ियों से होता है और खिलाड़ियों को तो यह पता भी नहीं होता कि वे इस खेल में उतर चुके है।
यहाँ हमारे दोस्त का दिल टूटा और वहाँ आसमान में एक अनजान तारा जिसकी रोशनी ने उसे सराबोर कर दिया।
“ क्या बात है, तुम ने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?” उस भूरे बालों वाली लड़की की आवाज़ कम होते हुए भी माहौल के सन्नाटे में गूंज गई।
सामने खड़ा वो लड़का अब भी दोनों हांथो को पीछे किये हुए चुप ही खड़ा था।
“ कुछ दिनों से तुम काफी परेशानी में लग रहे हों, मुझे बताओ आख़िर हम दोनों दोस्त है।“ लड़की की आवाज़ में काफी नरमी थी इस बार और वह उस लड़के को बहुत मासूमियत से देख रही थी।
“ तुम कल वापस अपने देश चली जाओगी_______” लड़के की आवाज में कुछ परेशानी झलक रही थी
“ हाँ।“ लड़की ने जवाब दिया।
“ और फिर में तुमसे कभी नहीं मिल पाऊंगा।“
“ अच्छा तो तुम इस बात से परेशान थे।“ उस लड़की ने तेजी से उसके पास आकर कहा, उसके हाथों को थामा और मुस्कान के साथ बोली “ तुम्हारे पास मेरा मोबाइल नम्बर और ईमेल तो है ना, उसी से हम रोज मिल लिया करेंगे। और अगर में तुमसे मिलने ना आ पाई तो तुम खुद आ जाना।“
फिर उस लड़के के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ ही गई।
“ हाँ, जरूर। पर में तुम्हें कुछ और भी बताना चाहता हूँ।“ एक बार फिर कुछ परेशानी भरी नजरें उस लजाते हुए चेहरे पर आ गई।
“ मैं सुन कर रही हूँ, कहो।“ लड़की ने बहुत ही उत्सुकता से पूछा।
एक पल को उस लड़के के हाथ कांपे, नजरे झुकी रही। पर अगले ही उसने अपनी ज़ेब में हाथ डाला और उसमें से कुछ निकाल कर लड़की की तरफ बढ़ाते हुए बोला,
“ आई लव यू रोज़। मैं तुम्हे बहुत चाहता हूं, समझ नही आ रहा था कि तुमसे यह कैसे कहुँ, इसलिए हिम्मत जुटाने में काफी समय लग गया।“ हांथ उसके अब भी कांप रहे थे, आंखें बंद थीं और जुबान भी लड़खड़ा रही थी। उसके हाथ में एक लव लेटर था और उसके ऊपर दो काले रंग की नक्काशी वाली अंगूठियां। और अब इंतज़ार था तो बस उसके जवाब का ________
वो सूनी सी ठंडी हवा उन दोनों को छूकर चली गई , माहौल अब भी शांत था। सूरज ढलने में बस कुछ ही वक्त बाकी था और उसका जवाब सुनते-सुनते वह सूरज भी ढल गया।
“ आई एम सॉरी, पर मेरे लिए तुम एक दोस्त से ज्यादा कुछ भी नही हो, आई डू लाइक यु वेरी मच पर में तुमसे उस तरह प्यार नही करती।“ रोज़ उसका हाथ छोड़ पीछे हट गई, उसकी वो पहले वाली मुस्कुराहट गायब हो गई। उसके जवाब को सुन कर लड़के का चेहरा सफेद पड़ गया, उसकी हिम्मत जैसे जवाब दे गई पर उसने कुछ ब भी नहीं कहा
“ कल में जा रही हूँ और मैं नहीं चाहती कि तुम मुझे इस तरह दुखी होकर विदा करो।“ रोज़ के हाथ उस लड़के के पास पहुंचते ठिठक गए, उस लड़के को इस तरह दुखी देखना शायद उससे देखा नहीं गया। इतने में वहाँ ऊपर से एक जानी पहचानी आवाज़ आ गई
“ रोज़, प्रोफेसर तुम्हें बुला रहे है, जल्दी।“ कोई लड़की रोज़ को सड़क के ऊपर से बुला रही थी।
रोज़ ने एक दफा उस लड़के को देखा, दूसरी ओर ऊपर उसे बुलाने वाली लड़की को देखा
“ मैं जा रहीं हूं, तुम भी जल्दी आ जाना।“ रोज़ की आवाज़ कुछ झिझक गई और मुठ्ठी भींचे वो वहाँ से चली गई।
हमेशा की तरह आज भी अंधेरा छाने लगा, जो पहले से कही ज्यादा घाना मालूम पड़ रहा था। और उस पर जंचने के लिए बादलों ने अपना बोझ हल्का कर दिया। धीरे धीरे शुरू हुईं बारिश ने रफ्तार पकड़ ली किसी रेलगाड़ी की तरह, कुछ दूरी पर जल रहे स्ट्रीट लाइट की रोशनी उस पेड़ के पास नाम मात्र की पड़ रही थी जिसके नीचे बरसात में वह लड़का बैठा भीग रहा था।
पेड़ से टिक कर वह एक घुटने को मोड़ कर उस पर हांथ रखा हुआ था, बरसात की बूंदे उसके शरीर को तर कर रही थी और वह पेड़ उसे पानी से पूरी तरह बचाने में असमर्थ था। जैसे बादल अपना बोझ कम करने को बरस रहे थे वैसे ही उस लड़के की पलके अपने बोझ हल्का करने के लिए रो रही थी। उसने एक आह भरी और अपना चेहरा ऊपर कर बैठा रहा। आँसू उसकी आँखों के किनारों से निकलते हुए गालों को रास्ता बनाये हुए थे, अपने हांथो में गीले होते लेटर को उसने जल्दी से वापस जेब मे रख लिया, अंगूठियों के सांथ।
उसके होंठ धीरे से हिल और वह कुछ बड़बड़ाया
“ हाँ, सही तो कहा रोज़, ने मुझसे ज़्यादा उसके बारे में को जानता है” उसकी आवाज़ धीमी होने के बावजूद भारी थी “ उसने तो खुद मुझे बताया था कि उसे किस तरह का लड़का पसंद है। जो स्मार्ट हो और मज़ाकिया भी, अच्छी बॉडी हो और जिसे डर छू भी ना पाए।“
बड़बड़ाते हुए उसका दिल जैसे दर्द से रिस गया, उसके आँसुओ ने एकाएक तेज़ रफ़्तार पकड़ ली। उसे आज पता चल रहा था कि दिल का दर्द शरीर को लगी चोट से कहीं ज्यादा दर्दनाक होता है, क्योंकि उस पर ऊपर से कोई मरहम भी नही लगाया जा सकता। अपनी छाती को कचोटते हुए एक बार फिर उसके होंठ हिले
“ कहना तुम्हारे लिए शायद आसान था रोज़, मगर सुनना मेरे लिए एक श्राप जैसा था। 4 साल साथ गुजारे है हमने और तुम कहती हो में भूल जाऊ__________ कैसे रोज़ कैसे।“
अब जाकर उसके सब्र का बांध पूरी तरह से टूट गया, वो वहीं फूट फूट के रो पड़ा, असहाय सा वह ख़ुद से ही बातें करता हुआ रोता रहा। अपने आप को ढांढस बांधता पर उसके चुप होने पर भी उसकी आंखें चुप नहीं रह पाई और पता नहीं कब उसके अंदर दर्द ने लंबे समय के लिए अपना घर कर लिया।
रात का वह कौन सा पहर था यह नहीं पता, पर उसकी लाल आंखे अब सूज कर बंद हो चुकी थी, दर्द अब भी चेहरे पर था और अब तक वो एक लंबी नींद में जा चुका था। उसका शरीर वही निढाल सा पेड़ से टिका हुआ था जिसमें नाम मात्र की भी जिंदगी नही दिख रही थी। तेज हवाओं की सनन-सनन में गजब की ठंडक थी पर उसका शरीर उससे भी ज्यादा शीत जान पड़ता था, जिसमें कोई हलचल नहीं थी।
यू ही रात का अन्धकार घना था जिसमें सिर्फ तारे टिमटिमा रहे थे और चाँद तो अमावस्या को वैसे भी नहीं आता था। आज किसी का दिल टूटा तो बादलों ने भी उसके साथ शोक किया पर उसका कल तो कोई भी नहीं जानता, वो ख़ुद भी नहीं। कई बार किस्मत ऐंसे खेल खेलती है जिसका जोड़ कई खिलाड़ियों से होता है और खिलाड़ियों को तो यह पता भी नहीं होता कि वे इस खेल में उतर चुके है।
यहाँ हमारे दोस्त का दिल टूटा और वहाँ आसमान में एक अनजान तारा जिसकी रोशनी ने उसे सराबोर कर दिया।