Adultery ट्रेन में धकाधक छुकपुक-छुकपुक ( Completed)

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जूजाजी

UPDATE-1
यह बात उस समय की है, जब मैं 18 साल का एक नवयुवक था। मेरा शारीरिक सौष्ठव काफी सुदृढ़ था। मैं उन दिनों पहलवानी भी किया करता था। अखाड़े में मैं प्रतिदिन 800-1000 दण्ड पेलता था। दिखने में भी मैं काफी सुन्दर था। देखने वाले कहते थे कि तुम्हारी आंखें बहुत ही आकर्षक हैं।
कुल मिलाकर मेरे बारे में यह कहा जा सकता है कि मैं काफी दिलकश लगता था। पहलवानी के साथ-साथ मैं ऐसा नहीं था कि आधुनिक जीवन शैली को नापसन्द करता होऊँ। मुझे सज-संवर कर रहना अच्छा लगता था। खासकर तब कोई लड़की या महिला मुझे देखती थी तो मैं और भी इतराने की कोशिश करता था।
दोस्तों के साथ बैठ कर सिगरेट या शराब पीने में भी मुझे कोई ऐतराज नहीं था, पर ईमानदारी की बात यह है कि मुझे भांग खाना ज्यादा पसंद था, क्योंकि अक्सर अखाड़े में मैं जब भांग खा कर दण्ड पेलता था, तो भांग का नशा मुझे थकान का अहसास नहीं कराता था।
ये तो हुई मेरी परिचय कथा, अब जो मेरे साथ हुआ वो आप सुनिए।
मैं अपने शहर में एक दुकान चलाता हूँ। इसी सिलसिले में मुझको अक्सर बाहर खरीद करने जाना पड़ता है।
यह घटना भी ऐसी ही एक यात्रा की है। अक्टूबर के महीने की घटना है, मैं पास के एक बड़े शहर में गया था। दिन भर की खरीददारी के बाद जब मैं बापिस
अपने गृह-नगर के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचा तो थकान सी हो रही थी। अस्तु मैंने भांग के ठेके से 10 रूपए की भांग की 'माजुम' खरीद कर खा ली। मुझे मालूम था कि 20 मिनट बाद ये जब अपना असर दिखाएगी तब कुछ मजा आएगा।
मैं टिकट लेकर सीधे प्लेटफार्म पर पहुंच गया। स्टेशन लगभग खाली था। रात को 9.30 हो चुके थे। जनता एक्सप्रेस के आने का संकेत हो चुका था। मैं भी प्लेटफार्म पर सबसे आगे की ओर जा कर खड़ा हो गया था। तभी गाड़ी आ गई और उसके रूकते ही मैं उस में चढ़ गया। मैंने देखा कि पूरा डिब्बा खाली पड़ा था, हालांकि मुझे इस बात से कोई चिन्ता नहीं थी। मैं एक सीट पर बैठ गया।
अभी गाड़ी ने सीटी दी और धीरे-धीरे सरकना शुरू ही हुआ था कि मुझे कुछ जनाना आवाजों के चढ़ने की आहट आई। मेरा अनुमान सही था, आगन्तुक यात्री तीन लडकियाँ थीं। वे लोग अपना सामान मेरे सामने की सीट पर रख कर वहीं बैठ गईं।
गाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली थी। मैं उनसे बेखबर नहीं था और उनको नजर भर कर देखा। वे तीनों लगभग 20-22 वर्ष की उम्र की रही होंगीं।
तीनों ही मार्डन थी और उन सब ने जींस और टॅाप पहन रखा था। उन तीनों के नयन-नख्स तीखे और शोख थे। तभी उनमें से एक उठी और डिब्बे के अन्दर की ओर चली गई।
कुछ ही पलों के बाद वो आई और अपनी दोनों सहेलियों से बोली, "यार ये तो पूरा डिब्बा ही खाली है।"
तभी उन में से एक ने मेरी तरफ मुखातिब हो कर कहा- क्या आपको मालूम था कि डिब्बा खाली है।
मैंने कहा- नहीं मुझे नहीं मालूम, मैं तो आया और सीधे यहीं बैठ गया, क्यों कोई बात है क्या?
उसने कहा- नहीं यूँ ही पूछा।
इस बात के बाद वो आपस में एक-दूसरे को देखने लगीं।
मुझे भांग की खुमारी चढ़ने लगी थी, अस्तु मैं अपनी तरंग मैं मस्त था। मुझे कुछ गरमी सी लगने लगी थी, सो मैंने अपनी शर्ट के ऊपर वाले दो बटन खोल लिए थे, मैं अन्दर बनियान नहीं पहनता हूँ, सो मेरा चौड़ा सीना दिखने लगा था। पहलवानी के कारण छाती पर बाल नहीं थे, सो बिल्कुल चिकनी छाती थी। मेरी छाती देख कर उनको शायद कुछ लगा वो आपस में कुछ खुसुर-पुसुर करने लगीं। तभी उनमें से दो उठी और डिब्बे के गेट की तरफ चली गईं। मुझे दरवाजा बंद होने की आवाजें आने लगीं।
मुझे लगा शायद ये लोग डिब्बे के खाली होने के कारण कुछ भयभीत हैं, सो मैंने कहा- आप लोग घबराएं नहीं, मैं हूँ किसी बात की चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं हैं।
मेरी बात सुनकर उन में बची एक मुस्करा कर बोली- और अगर चिन्ता आप से ही हो तो?
मैं अकबका गया। मुझे उनसे ऐसे उत्तर की अपेक्षा नहीं थी।
मैंने संभल कर कहा- भला मुझसे क्या चिन्ता?
"क्यों आप क्या मर्द नहीं हो?"
मेरा दिमाग भन्ना गया। मैंने भी कह दिया, "असली मर्द हूँ, पर छिछोरी हरकतें नहीं करता हूँ।"
इस पर वो तनिक इतरा कर बोली- तो फिर आप कैसी हरकतें करतें हो?
मैं निरूत्तर था।
मैंने कहा- आप लोग बेफ्रिक रहें, किसी बात की कोई चिन्ता मत करें।
अब वो तनिक हंस कर बोली- अरे यार मैं तो मजाक कर रही थी। आप अन्यथा न लो।
मैंने भी उनकी 'मस्ती' को भांप लिया था।
मैंने कहा- मजाक तो अपने किसी खास से किया जाता है। मैं तो आपका अभी खास बना नहीं हूँ।
इस पर वो खिलखिला कर हंस दी।
उसने सीट से झुक कर नीचे रखे अपने एअर बैग को कुछ सरकाने की चेष्टा की, और अपनी दूधिया घाटी के दर्शन कराए।
मैं बड़े गौर से उसकी गेंदों को देखने लगा।
क्या टॉप का माल छुपा रखा था साली ने अपने टॉप के नीचे…!
मेरा मन में कुछ गुदगुदी होने लगी। मैं एकटक उसकी दरार को घूर रहा था, मैं भूल गया कि वो भी मेरी नजरों को देख रही है।
अचानक वो सीधी हुई और मेरी ओर देख मुस्करा कर बोली- जरा हाथ लगाना।
मैंने अचकचा कर कहा- किधर?
वो हंस दी और बोली- किधर लगाने की कह रही हूँ? क्या कुछ देख नहीं रहे हो, मैं किधर हाथ लगाने की कह रही हूँ!
मैं संयत हुआ और कटाक्ष करता हुआ बोला- अब मुझसे हाथ लगवाने में डर नहीं लग रहा है। कहते हुए मैंने उसके बैग को उठाया और उससे पूछा, "किधर लगा दूँ?"
उसने शोखी से कहा- क्या यार तुमको तो ये भी नहीं मालूम कि किधर लगाया जाता है?
मैं अब समझ गया कि ये सब चालू आइटम हैं, और मुझसे मस्ती करना चाहती हैं। मैं भी बेफ्रिक था, क्यूंकि मेरे पास भी काफी समय था, और मुझे भी टाइम पास करने के लिए ये सब ठीक लगा। तभी उनकी दोनों साथिनें भी वापिस आ गईं।
वो फिर मुझसे बोली- आपका क्या नाम है?
मैंने कहा- मेरा नाम सुनील है.. और आप सब का?
वो बोली- मैं सीमा हूँ, ये नीलू और ये शबनम है।
मुझे उनका व्यवहार काफी खुला लगा, क्योंकि उन तीनों ने बड़ी गर्मजोशी से मुझ से हाथ मिलाए।
तभी मैंने उनसे पूछा- क्या मैं एक सिगरेट पी सकता हूँ, अगर उनको बुरा न लगे तो?
सीमा बोली- जरूर, और एक मुझे भी देना।
मैं उसके इस बिंदासपन पर फिर हक्का-बक्का रह गया।
मैंने अपनी जेब से 'गोल्ड-फ्लैक' की डिब्बी निकाली और उसे सीमा की ओर बढ़ा दी। उसने डिब्बी ली और उसमे से एक सिगरेट निकाल ली और डिब्बी मुझे वापस कर दी।
मैंने कहा- नीलू और शबनम तुम लोग नहीं पीओगी क्या?
इस पर नीलू बोली- नहीं हम लोग एक से ही काम चलाते हैं।
मैंने कहा- वाह… क्या सोच है। अब तो मैं भी सोचता हूँ कि यह काम हम सब को एक साथ ही एक डण्डी से ही निपटा लेना चाहिए।
शबनम खिलखिला कर बोली- डण्डी नहीं हम इसे डण्डा कहते हैं, और जो मजा एक ही डण्डे से आता है वो अलग-अलग में कहां है ?
उसकी इस बात पर तीनों जोर-जोर से हंसने लगीं।
मैं समझ गया कि सब चालू माल हैं। मैंने माचिस निकाली और सीमा की तरफ बढाई और हंस कर कहा- लो आग लगाओ।
वो तपाक से बोली- हम तो ऐसे नहीं, ऐसे आग लगवाते है।
वो उठी और मेरे बगल में आकर बैठ गई और अपनी छातियों का पूरा भार मेरे ऊपर डाल कर, अपने रसीले होठों में सिगरेट दबा बोली- लो लगाओ आग, मैं तैयार हूँ।
मेरे शरीर में 440 बोल्ट का करंट दौड़ गया। मैंने माचिस का तीली जलाई, पर तेज हवा के कारण वो बुझ गई।
मैंने कहा- सीमा मुझे खिड़की बंद कर लेने दो फिर आग लगाता हूँ।
मैंने खिड़की बंद कर दी और तीली जला कर सीमा की सिगरेट को जला दिया।
सीमा ने बडे़ ही मादक अन्दाज से सिगरेट का एक कश खींचा और मुझसे बोली- तुम्हारा डण्डा तो बहुत मजेदार है।
मैं सोचने लगा कि अभी तूने देखा ही कहाँ है मेरा डण्डा?
मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं और ईमेल आईडी भी लिख रहा हूँ।
कहानी जारी है।
 

जूजाजी

UPDATE-2
सीमा ने बडे़ ही मादक अन्दाज से सिगरेट का एक कश खींचा और मुझसे बोली- तुम्हारा डण्डा तो बहुत मजेदार है।
मैं सोचने लगा कि अभी तूने देखा ही कहाँ है मेरा डण्डा?
वो शायद समझ गई, बोली- क्या सोच रहे हो डियर, डण्डे की बात सुन कर?
तभी नीलू जो सीमा से भी एक कदम आगे थी, बोली- ये शायद किसी और डण्डे की बात सोचने लगे।
मैंने कहा- और कौन सा डण्डा?
शबनम बोली- क्यों कोई और डण्डा नहीं है तुम्हारे पास?
इस पर मैंने कहा- है, पर उसकी कुछ शर्तें हैं।
सीमा बोली- बताओ क्या शर्त है, तुम्हारे उस डण्डे की?
मैंने कहा- जैसे अभी जो डण्डा तुम चूस रही हो उसी तरह तुम सबको उसको भी चूसना पड़ेगा।
सीमा बोली- ठीक है दिखाओ, किधर है तुम्हारा वो डण्डा?
मैंने कहा- इतना उतावलापन ठीक नहीं है, जब तुम उसको देखना चाहती हो तो उसके स्वागत की तैयारी करो।
अब इतना तो तय था कि यह बात मेरे हथियार के विषय में हो रही थी।
मेरी बात को सुन कर शबनम ने सीमा से सिगरेट ली और एक जोर का कश लगाया, बड़ी शान से धुंआ को छोड़ते हुए सिगरेट नीलू को दे दी।
और अपने टॉप को एक झटके में उतार दिया, और बोली- क्या गोल-मोल बातें हो रही हैं, लो मैं ही शुरूआत करती हूँ। सुनील मुझे चूसना है तुम्हारा डण्डा, अब निकालो मुझ से और सब्र नहीं होता।
उसके टॉप उतरते ही उसके दोनों कबूतर जो एक जरा सी ब्रा में कैद थे और लगभग पूरे ही नुमायाँ हो रहे थे।
वाह …क्या शानदार माल था….!
उसकी 36 साइज की चूचियों को देख कर मेरा हथियार 'टन्ना' गया। पर मैं अभी जल्दबाजी के मूड में नहीं था। मुझे अभी बाकी की उन दोनों को भी नंगा करना था।
मैंने सीमा और नीलू से कहा- तुम्हारा क्या कोई मुहूर्त है, जब पर्दा उठेगा?
सीमा जो मेरे बगल में बैठी थी, बोली- तुम जब चाहो पर्दा उठा सकते हो।
मैंने अगले क्षण ही उसके कंधे पर अपना एक हाथ रखा और दूसरे हाथ से उसकी चूचियों को ऊपर से ही मसला।
उसने भी अपने होंठों को मेरे होंठों से चिपका कर मेरा जोर का चुम्बन लिया।
अब मैंने उसकी गेंदों को छोड़ कर उसके टॉप को एक ही झटके में ऊपर उठा दिया। वो नीचे ब्रा नहीं पहनें थी। उसकी गोल-गोल नारंगियाँ, जिन पर भूरे रंग के अंगूर लगे थे, मेरे सामने अपना भरपूर प्रदर्शन कर रहे थे।
तभी उसका हाथ मेरे हथियार की तरफ बढ़ा।
उधर मैंने देखा कि नीलू ने अपने बैग में से एक रम की बोतल और एक गिलास निकाल लिया। शबनम और नीलू ने मिल कर एक बड़ा सा पैग बनाया और बारी-बारी से अपने गले तर करने शुरू कर दिए।
इधर सीमा ने मेरी पैंट की जिप खोल कर मेरे लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में रख कर चचोरना शुरू कर दिया था मुझे भी गरमी चढ़ने लगी थी।
मैंने शबनम को कहा- आओ हनी.. अब चूसो मेरे डण्डे को और मुझे भी अपनी चूत के दीदार कराओ।
शबनम चहकते हुए उठी और उसने अपनी जींस उतार कर अपनी पैंटी को अपनी जांघों तक सरकाया। उसकी सफाचट चूत को देख कर मेरे लण्ड में फुरफुरी सी आ गई जिससे सीमा जो सिर्फ मेरे लौड़े के सुपाड़े को चूस रही थी उसके मुँह में मेरा आधा लंड घुस गया।
शबनम अपने हाथ में 'नीट' शराब का गिलास लेकर मेरे पास आई और अपनी चूत को मेरे मुँह के पास लगा कर खड़ी हो गई।
मैं उसकी चूत की महक से पागल सा हो गया। साली ने कोई पाउडर लगा रखा था। मैंने ज्यों ही उसके दाने को अपनी जीभ से टच किया, उसने अपने गिलास से थोड़ी सी रम अपनी चूत पर डाल दी। मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझे अमृत पिला रही हो। मैंने अपने हाथ से उसको उसके नितम्बों की तरफ से अपनी ओर को खींचा और उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
उसकी दशा भी ऐसी थी कि जैसे वो अपनी चूत को मेरे मुँह में घुसेड़ देना चाह रही हो। कुछ ही पलों में उसकी सिसकारियाँ छूटने लगी, मुझे भी सीमा ने मेरे लौडे़ को चचोर-चचोर कर पागल सा कर दिया था
मैं भी उचक-उचक कर उसके मुँह को अपने लंड से चोद सा रहा था। तभी मैंने देखा कि नीलू जो अभी भी सामने वाली सीट पर ही बैठी थी रम की बोतल से नीट ही पी रही थी और सिगरेट पी रही थी।
मैंने उसको कहा- हनी तुम भी अपने कपड़े उतार लो और इधर आ कर मेरे लंड का स्वाद चख लो।
वो बोली- ठीक है डियर.. मेरे को अभी पी लेने दो तब तक तुम सीमा की चूत का बाजा बजा दो।
मैं बोला- ठीक है पर अपने कपड़े तो उतार कर जरा अपनी गेंदें तो दिखाओ।
उसने बोतल बगल में रखकर अपनी टाइट शर्ट को, जो सामने से ही चिटकनी बटन को खोलने से खुलती थी, एक झटके में ही खोल दी।
अंदर डोरी वाली जालीदार ब्रा उसके कबूतरों को जकड़ने में असमर्थ सी दिख रही थी। उसने ऊपर से ही अपनी फ्रंट-ओपनेबुल ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब उसके दोनों 34 साइज के अनार उचक बाहर आ गए।
उसने अपने उन अनारों की बौडि़यों को अपनी उगंलियों से मसला और मुझे एक आंख मार कर पूछा, "कैसे लगे ?"
मैंने कहा- बहुत सुन्दर.. पर इन्हें अभी मसाज की जरूरत है। कुछ बड़े हो जायें तो इनकी छटा ही देखने लायक होगी।
वो बोली- जब मसलती तो हूँ.. तभी तो 28 से 34 कर पाई, अब तुम चूस कर इन्हें और बड़ा कर देना।
उसके निप्पल वाकई बिल्कुल पिंक कलर के थे। वो बहुत सैक्सी लग रही थी। तभी उसने अपनी जींस भी उतार कर वहीं डाल दी। बिल्कुल जरा सी चड्डी में उसकी चिकनी जांघें गजब ढा रही थी। अब मेरा अपना ध्यान सीमा पर गया, वो मेरे लौड़े को चूस-चूस कर मजा ले रही थी और शबनम मेरी ऊँगली से अपनी चूत खुदवा रही थी।
मुझे लगा कि अब चुदाई का वक्त आ गया है, परन्तु मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों न इनकी चुदाई भी एक साथ की जाए, इससे मेरा काम भी हो जाएगा और इन तीनों की चूत की खुजली भी मिट जाएगी।
सो मैंने पहले शबनम की चूत चोदने का फैसला किया और कहा- चल शब्बो रानी तेरे खेत में जुताई की जाए।
वो अब शराब के नशे में झूम रही थी ,
उसने तो जैसे माहौल ही हॉट कर दिया, बोली- माई डियर मादरचोद, बहन के लौड़े, चल डाल अपने इस मूसल छाप घोडे़ के लंड को मेरी बुर में और फाड़ दे हरामी मेरी चूत को।
उसकी इस भाषा ने मेरी खुपड़िया घुमा दी। उसकी आवाजें इतनी तेज थी कि अगर हम लोग किसी कमरे में या और कोई जगह होते तो लोग पूछने आ जाते कि क्या हुआ भाई कौन को लग गई, कहीं चोट तो नहीं आई, बगैरह बगैरह……..।
शबनम ने अपनी टाँगें रण्डियों के जैसे फैला दीं, मैंने अपना लौड़ा उसकी लपलपाती चूत में एक ही झटके में ठूँस दिया, फिर जरा बाहर खींचा और दुबारा जोर से उसकी बुर में ठांस दिया। अबके झटके में पूरा 6 इंच लंड अन्दर घुस गया था।
शबनम की हालत खराब थी, उसका सारा नशा फट गया था और वो लगातार चीख रही थी, "साले बाहर निकाल ले मादरचोद, मेरी चूत फट जाएगी कुत्ते, मुझसे गलती हो गई। मुझे क्षमा कर दो …. आह…… मत चो…दो साले…..।"
पर मैं कहां मानने वाला था। मेरे ऊपर तो भूत सवार था। धकाधक 10-12 टापें जब उसके छेद पर लगीं और मैंने उसके ऊपर लगभग लेटते हुए उसकी रस से भरी गोल-गोल मस्त नारंगियों के निप्पलों को अपने होंठों से चुभलाना शुरू किया, तो उसको कुछ राहत सी मिलने लगी।वो अब चिल्लाना बंद करके सिसकारियाँ भर रही थी। उसकी इन आवाजों में मुझे उसके आनन्द प्राप्त करने जैसी ध्वनि सी लग रही थी।
मैंने पूछा, "क्यों शब्बो रानी मजा आने लगा क्या ?
उसने मुस्करा कर कहा- हाँ डियर अब ठीक है, मुझे तुम्हारी जो चूची चूसने की हरकत है, वो बहुत मजा दे रही है। प्लीज और चचोरो न।
मैं जुट गया उसके निप्पलों को टूंगने। उसके थन बहुत ठोस से हो गए थे। मुझे अभी भी याद था कि दो छेद मेरे लंड का बड़ी बेकरारी से इंतजार कर रहे हैं। मैंने सीमा की तरफ देखा तो मैडम अपनी चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर कर रही थीं।
मैंने कहा- आओ रानी लेटो इधर.. तुम्हारा चुदाई का ख्वाव भी पूरा कर देता हूँ।
वो बोली, "पहले शब्बो को तो निपटा दो।"
मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं और ईमेल आईडी भी लिख रहा हूँ।
 

जूजाजी

UPDATE -3
मुझे अभी भी याद था कि दो छेद मेरे लंड का बड़ी बेकरारी से इंतजार कर रहे हैं। मैंने सीमा की तरफ देखा तो मैडम अपनी चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर कर रही थीं।
मैंने कहा- आओ रानी लेटो इधर.. तुम्हारा चुदाई का ख्वाव भी पूरा कर देता हूँ।
वो बोली, "पहले शब्बो को तो निपटा दो।"
मैंने कहा- दोनों को साथ साथ चोदूँगा.. तेरी इस मादरचोदी शब्बो को भी थोड़ा रिलेक्स मिल जाएगा।
वो बोली- ठीक है.. पर जानूं मुझे जरा आहिस्ता से चोदना। मुझे बड़ा डर लग रहा है।
वो वहीं बगल में जगह बना कर लेट गई और अपनी टांगों को फैलाकर अपनी चूत की छटा बिखरने लगी।
मुझसे बोली- आ जाओ।
मैं जैसे ही अपना लंड शब्बो की बुर से खींचा उसका भीमकाय रूप देख कर सीमा डर गई।
मुझसे हकलाते हुए बोली- जानूं तुम्हारा ये मूसल मेरी जरा सी चूत में कैसे घुसेगा..? कहीं मेरी फाड़ तो नहीं दोगे..?
मैंने कहा- आज तक के इतिहास में किसी औरत की कितनी भी छोटी बुर क्यों न हो और मोटे से मोटा लंड भी उसकी चूत में क्यों न घुसा हो.. मैंने तो कभी नहीं सुना कि किसी की चूत फट गई हो। हाँ चूत की अन्दर की झिल्ली जिसे सील कहते हैं, वो जरूर फटती है। सो ये तो चूतों का भाग्य होता है कि और ये प्राकृतिक भी है कि उसको एक बार जरूर फटना या खुलना तुम जो भी कहो, होता है।
सीमा बोली- मैंने देखा था कि शबनम की चूत में तुमने जब घुसेड़ा था तो उसको बहुत दर्द हुआ था, पर जब तुमने उसके थन पिए तो उसका दर्द खत्म हो गया था, प्लीज तुम मेरे थन पहले दुह लो, ताकि मुझे शुरू से ही मजा मिले।
मैंने कहा- ठीक है सीमा रानी मैं ऐसा ही करता हूँ।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में लगाया और कहा- जरा शब्बो की मलाई चाट कर मस्त हो जा, फिर तेरी चुसाई और चुदाई दोनों करता हूँ।
उसने मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उसने करीब एक मिनट तक लंड को अपनी जुबान से चाट कर साफ दिया। अब मैंने उसके चूत पर अपना लंड टिकाया और अपने होंठो से उसके गुलाबी निप्पलों को चूसना चालू कर दिया।
मैंने उससे कहा- सुन माँ की लौड़ी अब अपनी चूत में मेरा लंड गटकने की कोशिश कर, नहीं तो मैं सूखा ही पेल दूँगा।
सीमा बोली- ठीक है मेरे हरामी चोदू.. मेरी चूची पी साले… मैं अपनी बुर मे तेरा लंड खाती हूँ और सुन शब्बो.. मेरे चोदू का लंड मेरी चूत से फिसले नहीं जरा ध्यान रखना।
शब्बो बोली- ठीक है मेरी जान आज तो पूरा अन्दर ही डलवा दूँगी तेरी चूत में… इस हरामी का डण्डा, फिर चाहे तेरी फट ही क्यों ना जाए।
तभी अचानक मेरे लौड़े ने अपनी म्यान खोज ली और धीरे से सीमा की गुलावी चूत में आधा पेवस्त हो गया। सीमा की एक जोर की चीख निकली और वो ऊपर को उठने को हुई, पर मैंने और शब्बो ने उसको लंड पर से उठने नहीं दिया।
शब्बो बोली- भागती किधर है कुतिया.. अब तो बाजा बजवा कर ही उठना।
मैं समझ गया कि लौंडिया सिर्फ बकचोदू ही है इनके बस की चुदाई नहीं है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा और फिर मैंने नीचे से ही धक्के मारने चालू कर दिए।
सीमा के मुँह से दर्द भरी आवाजें निकलने लगी, "आए ….. हाए….मार दिया मादरचोद कुछ तो रहम कर मेरी चूत को बुलंद दरवाजा बना कर छोड़ेगा क्या?"
कुछ देर में ही सीमा को मजा मिलना शुरू हो गया और उसने सिसकारी भरते हुए मेरा सहयोग करना चालू कर दिया। उसके हाथ भी मेरी छाती पर टिक गए थे और वो अब पूरा मजा लेने लगी थी।
अब मेरा ध्यान फिर अपने प्लान पर गया और मैंने शब्बो से कहा- चल छिनाल अब तू एक ओवर डाल दे।
सीमा को उठाकर शब्बो ने मेरे लंड की सवारी गांठनी शुरू कर दी और सीमा मेरी छाती पर बैठ कर अपनी चूत को मेरे मुँह की ओर करके बैठ गई और बोली- ले राजा अपना रस पी ले मेरी चूत में छप गया है।
माँ की लौड़ी ने मुझे मेरा माल ही चटवा दिया। खैर और मैं इस प्रकार अपने मुँह और लंड दोनों से दो-दो चूतों का मजा लेने लग गया था।
इस तरह बारी-बारी से दोनों ने मेरे हथियार की 15 मिनट तक चुदाई की, अब सीमा का ओवर चल रहा था। उसने जोर-जोर से घस्से लगाना स्टार्ट कर दिए थे। धकाधक इंजन चल रहा था और लंड और चूत की शंटिग चल रही थी।
तभी सीमा हांफने लगी और बड़बड़ाने लगी, "सुनील मैं झड़ने वाली हूँ जरा नीचे से धक्का….मार …मेरे राजा…."
मैंने नीचे से उसकी चूत में टक्कर देनी चालू कर दीं और, "ले माँ की लौड़ी… ले साली… ले मेरा लंड गटक कुतिया…चुदैल …!"
"अब बस मैं गईइइइ….!" और सीमा का काम तमाम हो गया था पर मेरा पानी अभी नहीं छूटा था। मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया और शब्बो की पिच पर चौके-छक्के लगने लगे। मैं उसकी चूचियों को अपनी हथेलियों में भर कर आटे जैसा गूंथ रहा था।
"उई ई .. धीरे मसक कमीन साले .. रण्डी समझ रहा है क्या ?? मादरचोद मेरी अपनी चूचियाँ हैं किसी से किराए पर नहीं लीं कुत्ते ..!"
मैं मस्त था … धकाधक चुदाई चल रही थी.. बगल में सीमा अपनी चूत पोंछ रही थी और उसके बाद उसने उठ कर एक गिलास में रम भरी। मैंने देखा तो मेरा मन भी हुआ, पर सोच रहा था कि कहीं भांग के ऊपर रम कुछ हरकत न कर दे .. फिर मैंने सीमा से कहा- एक गिलास मुझे भी दे.. और एक सिगरेट और जला दे।
चुदाई रोक कर उससे रम का गिलास लिया और बड़ा सा घूँट खींचा तब तक सीमा ने सिगरेट जला कर मुझे थमा दी चखना की जगह सिगरेट भी खूब मजा देती है ..सो लम्बा सुट्टा मारा और ऊपर की तरफ मुँह करके हवा में धुआँ छोड़ दिया।
नीचे से शबनम ने अपनी कमर उचका कर मेरे लौड़े को टुनयाया, "अबे चोदू मुझे देना सिगरेट ..!"
मुझे उसकी सिगरेट मांगने की अदा पर बड़ी हँसी आई। मैं सोच रहा था कि आज कितनी बड़ी चुदक्कड़ लौंडियाँ मिलीं.. मजा आ गया।
लंबा सा कश खींच कर उसने मुझे सिगरेट बापस कर दी मैंने भी एक लम्बा कश खींचा और सीमा को दे दी। अब शब्बो की चूत में फिर से लौड़ा सटासट चलने लगा।
शब्बो बोली- अब तू नीचे आजा, मुझे घुडसवारी करने दे..!
मैं नीचे और शब्बो ऊपर.. लण्ड-चूत की कुश्ती जारी थी। मुझे रम ने हिला दिया था, साली रम मेरी खोपड़ी पर सवार हो चली थी, थकान-वकान तो कुछ थी ही नहीं सो नीचे से शब्बो की चूत में वो टापें पड़ रही थीं कि शब्बो की चूत ने रोना शुरू कर दिया था उसका बदन ऐंठने लगा था, " ऊ ओ ..ईई.. गई मैं गई … !" और वो बिल्कुल निढाल हो कर मेरे सीने के ऊपर ढेर हो गई। मेरा लौड़ा भी पिघलने की कगार पर था.. सो नीचे से उठ कर, उसको नीचे किया, इस दौरान मेरा लौड़ा उसकी मुनिया में ही घुसा रहा। ऊपर आकर मैंने ताबड़-तोड़ 20-25 धक्के मारे… मेरी हर चोट पर शब्बो की चीखें निकल रही थीं ..।

फिर मेरा लावा छूट गया… मेरे गरम रस से उसकी चूत भर गई..
एक पल के लिए मुझे नशा सा आया फिर मेरे चेहरे पर विजय की मुस्कान थी। शब्बो के ऊपर से उठा ही था कि दारु के नशे में टुन्न नीलू जो बगल में ही आ गई थी। उसने मेरे मुरझाए लवड़े को सीधे अपने मुँह में ले लिया, मुझे तब ध्यान आया कि अभी ये भी बाक़ी है ..
कुछ ही पलों में मैं आराम से सीट पर अपने पैर पसारे बैठा था और नीलू रानी मेरा लण्ड चचोर रही थी। सीमा ने मुझे और शबनम को पानी दिया फिर मैंने उससे एक स्माल पैग भी माँगा और उसने मुझे एक पैग और एक सिगरेट सुलगा कर दी.. मैंने मजे से दारू और सिगरेट के साथ लौड़ा चचुरवाने का आनन्द उठाना शुरू कर दिया। मैंने लौड़े के ऊपर से थोड़ी सी रम टपकाई तो नीलू के मुँह में भी रम की बूँदें जाने लगीं। कुछ ही देर में मेरा लौड़ा एक बार फिर तैयार था। मैंने नीलू को अपनी गोद में ही बैठा लिया। उसकी नंगी छाती मसलने से मेरी उत्तेजना बढ़नी लगी।
तभी शब्बो बोली- राजा इसकी सील तोड़नी पड़ेगी .. साली की चूत अभी तक पैक है ..!
मेरा लण्ड गनगना गया, जीवन में पहली सील तोड़ने का अवसर था।
 

जूजाजी

UPDATE -4
तभी शब्बो बोली- राजा इसकी सील तोड़नी पड़ेगी .. साली की चूत अभी तक पैक है ..!
मेरा लण्ड गनगना गया, जीवन में पहली सील तोड़ने का अवसर था। मैंने नीलू को अपनी तरफ घुमाया और उसके होंठों को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगा। मैंने उसको ध्यान से देखा वो एक 20 साल की बछिया थी, बड़े-बड़े नयन, तीखी चितवन, गालों में डिंपल, सुराहीदार गर्दन, यौवन कलश ऐसे जैसे शहद से भरे दो प्याले हों, एकदम तने हुए, घने काले बाल, गाल टमाटर से लाल। मैंने धीरे से उसको खड़ा करके उसकी नंगा कर के देखने की सोची।
हय… चूत को ढकने के लिए एक पतली सी पट्टी-नुमा लंगोटी चिपकी थी, पानी से गीली लग रही थी।
मैंने नीलू की आँखों में झाँका तो वो नशीली आँखों से मानो मुझे कह रही हो कि उतार दो मेरी चड्डी, क्यों देर करते हो? मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चड्डी में फंसाईं और एक झटके में चड्डी घुटने तक आ गई।
सफाचट गुलाबी बुर सामने लिसलिसा रही थी, दाना ऐसे अकड़ रहा था जैसे मेरे लौड़े को जीभ चिड़ा रहा हो। मैंने उसकी बुर को अपनी ऊँगली से टच किया, वो भी गनगना गई साली की बुर प्रीकम से चिपचिपा थी। सो उसने खुद ही अपने पैर फैला दिए और मुझे मूक आमंत्रण दे दिया कि डाल लो ऊँगली। मैंने अपनी ऊँगली को शब्बो के रम के गिलास में डुबोया और उसकी बुर में ठूँस दी और फिर जल्दी से निकाल कर एक बार चूस कर देखी, मजा आ गया रम और रज का मिला-जुला शेक मेरी जुबान को नमकीन रम का मजा दे गया था।
मैंने बार-बार अपनी ऊँगली को रम से भिगो कर ऐसा किया तो शब्बो बोली- अबे चूतिया, ये क्या कर रहा है नीलू को नीचे लेटा और उसकी बुर में रम डाल, फिर चचोर .. देखना मजा आ जाएगा…!
शब्बो की बात में दम थी मैंने नीलू को नीचे लिटाया और उसकी टाँगों को फैला कर बुर की दरार में रम डाली, वो जरा सुरसुराई और फिर मैंने झुक कर उसकी बुर को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। मजा आ गया साली नमकीन रम का स्वाद मिल रहा था। मुझे रम का मजा और नीलू को जीभ के स्पर्श से उत्तेजना का मजा मिल रहा था सो वो लगातार रिस रही थी और मुझे नमकीन रम का नशा चढ़ रहा था। अब नीलू कि तड़फन भी उफान ले रही थी, वो मचल रही थी।
नीलू- और कितनी चाटेगा .. अब क्या चोदना नहीं है?
मैं- मैं तो तेरी जुबान से कुछ सुनना चाहता था मुझे लगा तू गूंगी है .. चल तैयार हो जा रेलवे से सील तुड़ाई का भत्ता लेने को।
नीलू- मतलब ?
"अबे यार जब ट्रेन में कोई बच्चा पैदा होता है तो रेलवे उस बच्चे को आजीवन यात्रा पास देती है अब तू भी क्लेम कर देना कि तेरी सील ट्रेन में टूटी थी सो रेलवे तुमको भी आजीवन ट्रेन में चुदने का पास से देगी हा हा हा ..!"
मेरी बात सुन कर शब्बो और सीमा दोनों हँसने लगीं।
नीलू- साले मसखरी मत कर… लौड़ा डाल.. देख नहीं रहा है मेरी बुर कैसे लपलपा रही है?
मैंने अब देर करना ठीक नहीं समझा और शब्बो की तरफ एक इशारा किया और समझ गई कि नीलू को संभालना है। मैंने अपने लौड़े को अपने ही थूक से चिकना किया और पहले से लिसलिसी बुर की दरार पर लौड़े को टिका कर हल्का सा दबाब दिया.. मेरा सुपारा नीलू की बुर में ऐसे फंस गया गया जैसे कोई रबड़ की सील में पिस्टन का सिरा.. उसकी मुँह से घुटी सी आवाज निकली, "उई," मैं थोड़ा रुका और नीलू की नारंगियों को अपने हाथ से सहला कर उसे बड़े प्यार से देखा और इशारे से पूछा तो उसने भी मूक स्वीकृति दी मैंने उसकी सहमति से एक ठाप और लगाई।
"उई ईईई.. माँ मर गई ई.. निकाल लो..!"
मेरे आधा मूसल उसकी अनचुदी ओखली में था और मैंने शब्बो को देखा वो तड़फती नीलू को सहला कर शान्त कर रही थी।
"बस हो गया .. कुछ नहीं होगा .. मैं हूँ ना ..! तुम्हें कुछ नहीं होगा …!"
मैंने एक पल रुक कर अपना घोड़ाऔर आगे बढ़ाया और अबकी बार लौड़े को थोड़ा बाहर खींचा तो उसकी बुर से रक्त की कुछ बूँदें मेरे मूसल पर लगी थी। मुझे खून देख कर एक झुरझुरी सी आई, मैंने आँख बन्द करके अपनी पूरी ताकत से शॉट मारा। मेरा लौड़ा उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अन्दर पेवस्त हो गया।
इधर लौड़े का घुसना हुआ और उधर नीलू की एक तेज चीख निकली, " आई आयाआई .. मार दिया ऊ ऊ ई ई लग रही है ई ई मुझे छोड़ दो प्लीज़ .ज.. ज .. बहुत दर्द हो रहा..आ है..ई ई ..!"
मैं रुका और और उसकी चूचियों पर लगे गुलाबी निप्पलों को अपनी जीभ से खींचने लगा उधर शब्बो भी लगातार नीलू के सर को सहला रही थी, लगभग एक मिनट तक मैं शान्त पड़ा रहा फिर थोड़ा लंड को उसकी चूत में ही हल्के से हिलाया उसकी "ऊँ.. ऊँ" अभी जारी थी। लंड को हिलाने में कुछ और बढोत्तरी की अब जरा वो शान्त हो गई थी। मैंने फिर उसके चूत का बजा बजाना चालू कर दिया। लगभग दस मिनट बाद उसको भी आनन्द आने लगा और उसने भी सहयोग करना शुरू कर दिया।
लगभग 20 मिनट तक उसकी बुर में लौड़े ने हंगामा किया और फिर नीलू की तरफ देखा तो वो अकड़ने लगी थी और अपनी कमर ऊपर उचकाने की कोशिश कर रही थी। मुझे उसकी चूत में एक गरम रस की अनुभूति हुई और उसकी इस गरमी से मेरे लौड़े को भी पिघलन आ गई और तेज धक्कों के नीलू की चूत में मैं अपना पानी छोड़ दिया। हम दोनों ही ठक चुके थे। वो मुझसे लता सी लिपट गई और मैं भी उससे चिपक गया। फिर हम दोनों उठे। सीमा ने हमारे लिए पैग तैयार कर रखे थे। मैंने एक ही घूँट में रम का पैग खाली किया और सिगरेट के छल्ले उड़ाने का मजा लेने लगा।
इस ट्रेन की चुदाई के बाद हम लोगों ने अपने अपने कपड़े पहने, और कुछ समय बाद मेरा स्टेशन आ गया मैं उन तीनों से गले लग कर विदा ली।
स्टेशन पर जब मैं उतरा तो बहुत नशे में था सो वहीं एक बेंच पर लेट गया और कब मेरी आँख लग गई मुझे होश ही नहीं था।
मेरी इस दास्तान को आप झूट नहीं समझना हाँ कहानी को कुछ रसीला बनाने के लिए कुछ गालियों और शब्दों का इस्तेमाल किया है। आपकी टिप्पणियों का स्वागत है।
 
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Hello Everyone :hi: ,
We are Happy to present to you The Exclusive story contest of Lustyweb "The Exclusive Story Contest" (ESC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne ESC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat aka discussion thread toh pehle se he Hindi section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 2000 words and maximum 8000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Lustyweb dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki ESC Ki stories ko pure Lustyweb k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.


Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Lustyweb k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.


Entry thread aaj yaani 5th February ko open hogaya hai matlab aap aaj se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 25 February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.


Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Lweb Staff.
 

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