Adultery ठेकेदार का बच्चा

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भंवरी पूरी मेहनत से सफाई कर रही थी। यह उसका रोज का काम था। पर सड़क की सफाई के काम मे पैसे कम मिलते थे। अब वह किसी ऐसे काम की तलाश में थी जहां वह ज्यादा पैसा कमा सके। कमाई कुछ बढे तो उसके लिए अपने निठल्ले पति का पेट भरना और उसकी दारू का इंतजाम करना थोडा आसान हो जायेगा।

शहर से कुछ दूर एक बहुमंजिला अस्पताल का निर्माण हो रहा था। भंवरी की नजर बहुत दिनों से वहां के काम पर थी। वहां अगर काम मिल जाए तो मजे ही मजे! एक बार काम से छुट्टी होने पर वह वहां पहुन्ची भी थी लेकिन बात नही बनी क्योंकि फिलहाल वहां किसी मरद की जरूरत थी। उस दिन देर से घर पहुंची तो प्रतिक्षारत माधो ने पूछ लिया, ‘‘इतनी देर कहां लगा दी?’’

भंवरी एक नजर पति के चेहरे पर डालते हुए बोली, ‘‘अस्पताल गई थी।’’

‘‘काहे, बच्चा लेने?’’ खोखली हंसी हंसते माधो ने पूछा।

‘‘और का... अब तू तो बच्चा दे नही सकता, वहीं से लाना पड़ेगा।’’ भंवरी ने भी मुस्कराते हुए उसी अंदाज में उत्तर दिया।

‘‘बड़ी बेशरम हो गई है री....’’ माधो ने खिलखिलाते हुए कहा।

‘‘चल काम की बात कर....’’

‘‘कब से तेरा रास्ता देखते आंखें पथरा गई। हलक सूखा जा रहा है। भगवान कसम, थोड़ा तर कर लूं। ला, दे कुछ पैसे...’’ माधो बोला।

भंवरी ने बिना किसी हील-हुज्जत के अपनी गांठ खोल पचास रुपए का मुड़ा-तुड़ा नोट उसकी ओर बढाते हुए कहा, ‘‘ले, मर....’’

खींस निपोरते हुए माधो नोट लेकर वहां से चला गया। रात गए वह लौटा तो हमेशा की तरह नशे में धुत था। भंवरी मन मसोस कर रह गई और चुपचाप थाली परोस कर उसके सामने रख दी। खाना खाते-खाते माधो ने एक बार फिर पूछा, ‘‘सच्ची बता री, तू अस्पताल काहे गई थी?’’

भंवरी उसकी बेचैनी पर मुस्कराते हुए बोली, ‘‘क्यों? पेट पिराने लगा? अरे मुए, मैं वहां काम के जुगाड़ में गई थी। सुना है वहां जादा मजदूरी मिले है.... चार सौ रुपए रोज।’’

‘‘चार सौ?’’ माधो की बांछें खिल गई।

‘‘बोल, करेगा तू काम? तेरे लिए वहां जगह है।’’ भंवरी ने पूछा।

माधो खिलखिला पड़ा, ‘‘मैं और काम.... काहे? तू मुझे खिला नही सकती क्या?’’

‘‘अब तक कौन खिला रहा था, तेरा बाप?’’ भंवरी ने पलट कर पूछ लिया।

‘‘देख भंवरी, सच बात तो यो है कि मेरे से काम न होए। तू तो जानत है हमार हाथ-पैर पिरात रहत हैं।’’

‘‘रात को हमरे साथ सोवत समय नाही पिरात? तेरे को बस एक ही काम आवे है और वह भी आधा-अधूरा.... नामर्द कहीं का!’’ भंवरी उलाहना देते हुए बोली। माधो पर इसका कोई असर नही हुआ। वह जानता था कि वह भंवरी को खुश नहीं कर पाता था।

‘‘ठीक है तू मत जा, मैं चली जाऊं वहां काम पर?’’ भंवरी ने पूछा।

नशे में भी माधो जैसे चिंता में पड़ गया, ‘‘ठेकेदार कौन है वहां?’’

‘‘हीरा लाल....’’

‘‘अरे वो.... वो तो बड़ा कमीना है।’’ माधो बिफर पड़ा।

‘‘तू कैसे जाने?’’

‘‘मैंने सुना है।’’ माधो ने बताया।

‘‘मुझे तो बड़ा देवता सा लागे है वो....’’ भंवरी ने प्रशंसा की।

‘‘हुंह, शैतान की खोपड़ी है वो... ठेकेदार का बच्चा!’’ माधो गुस्से में बहका।

‘‘फिर ना जाऊं?’’ भंवरी ने पूछा।

माधो सोच में पड़ गया। उसकी आँखों के सामने सौ-सौ के नोट लहराने लगे और साथ ही दारू की रंग-बिरंगी बोतलें भी घूमने लगी। इसलिए उसने अनुमति के साथ चेतावनी भी दे डाली, ‘‘ठीक है चली जा, पर संभल कर रहियो वहां। बड़ा बेढब आदमी है हीरा लाल।’’

एक दिन समय निकाल कर और हिम्मत जुटा कर भंवरी फिर ठेकेदार हीरा लाल के पास पहुंच गई। इस बार वह निर्माण-स्थल के बजाय उसके दफ्तर गई थी।

‘‘क्या बात है?’’ हीरा लाल ने पूछा।

‘‘काम चाहिए सरकार, और का?’’ भंवरी मुस्कराते हुए बोली।

‘‘तेरे लिए यहां काम कहां है? मेरे को चौकीदारी के लिए मरद चाहिए.... अब तुझे चौकीदार रखूंगा तो मुझे तेरी चौकीदारी करनी पड़ेगी।’’ हीरा लाल भोंडी हंसी हँसता हुआ बोला। उसकी ललचाई नजरें भंवरी के जिस्म के लुभावने उभारों पर फिसल रही थीं।

‘‘मेरा मरद तो काम करना ही न चाहे।’’ भंवरी ने बताया।

‘‘तो मैं क्या करूं?’’ हीरालाल लापरवाही से बोला। फिर वो कुछ याद करके बोला, “तू तो माधो की लुगाई लगती है।“

भंवरी ने हां मे सिर हिलाया। उसे वहां काम करने वाली मजदूरनी की नसीहत याद आ गई। उसने वही पैतरा अपनाया, ‘‘बाबूजी, हमारा आपके सिवा कौन है! आप नौकरी नही देंगे तो हम भूखों मर जाएगें।’’

‘‘देख भई, इस दुनिया में सभी भूखे हैं। तू भूखी है तो मैं भी भूखा हूं। अगर तू मेरी भूख मिटा दे तो मैं तेरी और तेरे परिवार की भूख मिटा दूंगा।’’ हीरा लाल ने सीधा प्रस्ताव किया। भंवरी सोच में पड़ गई।

‘‘सोचती क्या है.... काम यहां करना, हाजिरी वहां लग जाया करेगी।’’

‘‘अपने मरद से पूछ कर बताऊंगी।’’ भंवरी ने कहा।

‘‘अरे उस माधो के बच्चे को मैं तैयार कर लूंगा।’’ हीरा लाल ने विश्वासपूर्वक कहा।

अगले दिन ठेकेदार हीरा लाल ने बढ़िया देसी शराब की चार बोतलें माधो के पास भेज दी। इतनी सारी बोतलें एक साथ देख माधो निहाल हो गया। उसने सपने में भी नही सोचा था कि वह एक साथ इतनी सारी बोतलें पा जाएगा। हीरा लाल तो सचमुच ही देवता आदमी निकला। उसने भंवरी को हीरा लाल के यहां काम करने की इजाज़त दे दी।



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अगले दिन भंवरी हीरा लाल के दफ्तर पंहुच गयी। वहाँ कोई खास काम तो था नहीं। बस सफाई करना, पानी लाना, चाय बनाना इस तरह के काम थे। एक घंटे बाद हीरा लाल साईट पर चला गया। जाते हुए वो भंवरी को कह गया कि वह एक बजे खाना खाने आएगा। खाना भी भंवरी को ही बनाना था। भंवरी सोच रही थी कि इस तरह के काम के बदले चार सौ रुपये रोज मिल जाएँ तो उसकी तो मौज हो जायेगी ... और साथ में माधो की भी। पर साथ में उसे शंका भी थी। वह जानती थी कि हीरा लाल उसे ऐसे ही नहीं छोड़ेगा। फिर उसने सोचा कि ओखली में सर दे दिया है तो अब मूसल से क्या डरना।

हीरा लाल एक बजे वापस आ गया। भंवरी ने उसे खाना खिलाया। फिर उसने अपनी खाने की पोटली खोली तो हीरा लाल ने कहा, “अरे, तू अपने लिए खाना ले कर आई है! कल से यह नहीं चलेगा। तू यहां मेरे साथ-साथ अपने लिए भी खाना बना लिया कर।”

भंवरी ने खाना खा कर बर्तन साफ़ करने जा रही थी तो हीरा लाल ने उससे कहा, “अब मेरे आराम करने का वक़्त हो गया है।”

वह दफ्तर के पीछे के कमरे में चला गया। भंवरी पहले ही देख चुकी थी कि दफ्तर के पीछे एक कमरा बना हुआ था जिसका एक दरवाजा दफ्तर में खुलता था और एक पीछे बाहर की तरफ। उससे लगा हुआ एक बाथरूम भी था। उस कमरे में एक पलंग, एक मेज और दो कुर्सियाँ रखी हुई थीं। थोड़ी देर में भंवरी को हीरा लाल के खर्राटों की आवाज सुनाई देने लगी।

अब भंवरी के पास कोई काम नहीं था। वह खाली बैठी सोच रही थी कि उसे आज के पैसे आज ही मिल जायेंगे या हफ्ता पूरा होने पर सात दिन के पैसे एक साथ मिलेंगे। उसने सोचा कि कम से कम एक दिन के पैसे तो उसे आज ही मांग लेने चाहियें।

कोई एक घंटे बाद उसे पास के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं, चलने-फिरने की, बाथरूम का किवाड़ बंद होने और खुलने की। फिर उसने हीरा लाल की आवाज सुनी। वह उसे अन्दर बुला रहा था। वह कमरे में गयी तो हीरा लाल ने उसे कहा, “तू बाहर जा कर दफ्तर के ताला लगा दे और फिर पीछे के दरवाजे से इस कमरे में आ जा।”

वह ताला लगा कर पीछे से कमरे में आई तो उसने देखा कि हीरा लाल सिर्फ़ कच्छे और बनियान में एक कुर्सी पर बैठा था। उसने लम्पट दृष्टि से भंवरी को देखते हुए कहा, “अब असली ‘काम’ करते हैं। दरवाजा बंद कर दे। किसी को पता नहीं चलेगा कि अन्दर कोई है।”

भंवरी को पता था कि उसे देर-सबेर यह ‘काम’ करना ही पड़ेगा पर फिर भी दरवाजा बंद करते वक़्त वह घबरा रही थी। उसने माधो के अलावा और किसी के साथ यह नहीं किया था और माधो नामर्द न सही पर पूरा मर्द भी नहीं था। हीरा लाल ने उसे अपने पास बुला कर कपडे उतारने के लिए कहा। उसने झिझकते हुए अपनी ओढनी और चोली उतार कर मेज पर रख दी और सर झुका कर खड़ी हो गई। हीरा लाल ने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा, “बाकी भी तो उतार।”

भंवरी ने अचरज से पूछा, “बाकी काहे?”

“इसमें पूछने की क्या बात है? अपने खसम के आगे नहीं उतारती क्या?”

“नहीं।”

“तो क्या करता है वो?”

भंवरी सर झुकाए चुपचाप खड़ी रही। हीरा लाल ने कहा, “बता ना, कुछ करता भी है या फिर छक्का है?”

“जी, वो अंगिया के ऊपर से हाथ फेर लेते हैं।”

“और? ... और क्या करता है?”

“जी, लहंगा उठा कर अपना काम कर लेते है।”

‘और चूसता नहीं है?”

“क्या?”

“तेरी चून्चियां, और क्या?”

भंवरी फिर चुप हो गई। उसे एक गैर मर्द के सामने ऐसी बातें करने में शर्म आ रही थी। लेकिन हीरा लाल को उसकी झिझक देख कर मज़ा आ रहा था। उसने फिर पूछा, “अरी, बता ना!”

“जी, उन्हें ये अच्छा नहीं लगता।”

“लो और सुनो! उसे ये अच्छा नहीं लगता! पूरा नालायक है साला! ... खैर तू कपडे उतार। मैं चूसूंगा भी और चुसवाऊंगा भी!”

भंवरी को उसकी बात पूरी तरह समझ में नहीं आई। उसे शर्म भी आ रही थी। किसी तरह हिम्मत कर के उसने अपने बाकी कपडे उतारे। उसे पूरी तरह नंगी देख कर हीरा लाल की तबीयत फड़कने लगी पर उसने कहा, “यह क्या जंगल उगा रखा है! कभी झांटें साफ़ नहीं करती?”

यह सुन कर तो भंवरी शर्म से पानी-पानी हो गई। उसे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। पर हीरा लाल ने उसकी मुश्किल आसान करते हुआ कहा, “कोई बात नहीं। मैं कल तुझे साफ करने का सामान ला दूंगा... या तू कहेगी तो मैं ही तेरी झांटें साफ़ कर दूंगा।... अब आ जा यहां।”

भंवरी लजाते हुए उसके पास पहुंची तो हीरा लाल ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया। उसने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया और धीरे-धीरे उसके होंठ पहले भंवरी के कान और फिर गालों से होते हुए उसके होंठों तक पहुँच गए। उसके हाथ भंवरी की नंगी पीठ पर घूम रहे थे। होंठों को चूसते-चूसते उसने उसके स्तन को अपने हाथ में भर लिया और उसे हल्के-हल्के दबाने लगा। उसने अपनी जीभ उसकी जीभ से लड़ाई तो भंवरी भी अपने आप को रोक नहीं पाई। उसने बेमन से खुद को हीरा लाल के हवाले किया था पर अब वह भी उत्तेजित होने लगी थी। उसने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और मुँह के अंदर उसे घुमाने लगी।

अब हीरा लाल को लगा कि भंवरी उसके काबू में आ गई है। उसने उसे अपने सामने फर्श पर बैठाया। अपना कच्छा उतार कर उसे बोला, “चल, अब इसे मुँह में ले!”

भंवरी ने हैरत से कहा, “यह क्या कह रहे हैं आप!”

हीरा लाल बोला, “अरे, चूसने के लिए ही तो कह रहा हूं। अब यह मत कहना कि माधो ने तुझ से लंड भी नहीं चुसवाया।”

भंवरी ने सोचा, “ये कहाँ फंस गई मैं! माधो ठीक ही कह रहा था। यह हीरा लाल तो वास्तव में कमीना है।” प्रत्यक्षत: उसने रुआंसी आवाज में कहा, “मैं सच कह रही हूं। उन्होंने कभी नहीं चुसवाया।”

हीरा लाल यह जान कर खुश हो गया कि उसे एक कुंवारा मुंह मिल रहा है। वह बोला, “मैं माधो नहीं, ठेकेदार हीरा लाल हूं। चूत से पहले लंड हमेशा मुंह में देता हूं। चल, मुंह खोल।”

भंवरी को यह बहुत गन्दा लग रहा था। माधो अधूरा मर्द ही सही पर उससे ऐसा काम तो नहीं करवाता था। यहाँ उसके पास और कोई चारा नहीं था। मजबूरी में उसे अपना मुंह खोलना पड़ा। हीरा लाल ने लंड उसके होंठों पर फिसलाते हुए कहा, “एक बार स्वाद ले कर देख! फिर रोज़ चूसने को मन करेगा! जीभ फिरा इस पर!

उसने बेमन से लंड के सुपाड़े पर जीभ फिराई। पहले उसे अजीब सा महसूस हुआ पर कुछ देर जीभ फिराने के बाद उसे लगा कि स्वाद बुरा नहीं है। उसने सुपाड़ा मुंह में लिया और अपनी झिझक छोड़ कर उसे चूसने लगी। हीरा लाल ने उसका सर पकड़ लिया और वह उसके मुंह में धक्के लगाने लगा, “आह्ह! चूस, मेरी रानी ... चूस। आह ... आह्ह!”

हीरा लाल काफी देर तक लंड चुसवाने का मज़ा लेता रहा। जब उसे लगा कि वो झड़ने वाला है तो उसने अपना लण्ड मुंह से बाहर निकाल लिया। उसने भंवरी को अपने सामने खड़ा कर दिया। अब भंवरी के उठे हुए अर्धगोलाकार मम्मे उसके सामने थे। हीरा लाल की मुट्ठियां अनायास ही उसके मम्मों पर भिंच गयीं। वह उन्हें बेदर्दी से दबाने लगा। भंवरी दर्द से सिसक उठी पर हीरा लाल पर उसकी सिसकियों का कोई असर नहीं हुआ। जी भर कर मम्मों को दबाने और मसलने के बाद उसने अपना मुंह एक मम्मे पर रख दिया। वह उसे चाट रहा था और चूस रहा था। साथ ही वह अपनी जीभ उसके निप्पल पर फिरा रहा था और उसको बीच-बीच में आहिस्ता से काट भी लेता था।

भंवरी का दर्द अब गायब हो चुका था। उसे अपनी चूंची से एक मीठी गुदगुदी उठती हुई महसूस हो रही थी। वो भी अब चूंची-चुसाई का आनन्द लेने लगी। उसके मुंह से बरबस ही कामुक आवाज़ें निकल रही थी। हीरा लाल का एक हाथ उसकी जाँघों के बीच पहुँच गया। उसके मम्मों को चूसने के साथ-साथ वह अपने हाथ से उसकी चूत को सहला रहा था। जल्द ही चूत उत्तेजना से पनिया गई। अब उन दोनों की कामुक सिसकारियाँ कमरे में गूज रही थी।

अनुभवी हीरा लाल को यह समझने में देर न लगी कि लोहा गर्म है और हथोडा मारने का समय आ गया है। वह भंवरी को पलंग पर ले गया। उसे पलंग पर चित्त लिटा कर वह बोला, “रानी, जरा टांगें चौड़ी कर!”

भंवरी अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। उसने बेहिचक अपनी टांगें फैला दीं। हीरा लाल उसकी जांघों के बीच बैठ गया और उसने उसकी टांगें अपने कन्धों पर रख लीं। वह उसकी चूत को अपने लंड के सुपाड़े से सहलाने लगा। भंवरी उत्तेजना से कसमसा उठी। उसने अपने चूतड उछाले पर लंड अपनी जगह से फिसल गया। हीरा लाल उसकी बेचैनी देख कर खुश हो गया। उसे लगा कि मुर्गी खुद क़त्ल होने के लिए तडफड़ा रही है। वह ठसके से बोला, “क्या हो रहा है, रानी? चुदवाना चाहती है?”

भंवरी ने बेबसी से उसकी तरफ देखा। उसके मुंह से शब्द नहीं निकले। उसने धीरे से अपनी गर्दन हाँ में हिला दी। हीरा लाल ने कहा, “चूत पर थूक लगा ले।“

भंवरी ने अपने हाथ पर थूका और हाथ से चूत पर थूक लगा लिया।

हीरा लाल फिर बोला, “इतने से काम नहीं चलेगा। ज़रा मेरे लंड पर भी थूक लगा दे।“

भंवरी ने फिर अपने हाथ पर थूका और इस बार उसने लंड के सुपाड़े पर थूक लगा दिया। हीरा लाल ने सुपाड़ा उसकी चूत पर रखा और अपने चूतड़ों को पूरी ताक़त से आगे धकेल दिया। लंड अपना रास्ता बनाता हुआ चूत के अन्दर घुस गया। भंवरी कोई कुंवारी कन्या नहीं थी पर इतना जानदार लंड उसने पहली बार लिया था। वह तड़प कर बोली, “आह्ह! ... सेठ, आराम से!”

वह बोला, “बस रानी, अब डरने की कोई बात नहीं है।”

वह भंवरी के ऊपर लेट गया। चूत काफी टाइट थी और वह बुरी तरह उत्तेजित था लेकिन वह लम्बे समय तक औरत को चोदने के तरीके जानता था। उसने चुदाई बहुत हलके धक्कों से शुरू की। ... जब उसने अपनी उत्तेजना पर काबू पा लिया तो धक्कों की ताक़त बढ़ा दी। वह कभी अपने लंड को लगभग पूरा निकाल कर सिर्फ सुपाड़े से उसे चोद रहा था तो कभी आधे लंड से। कुछ देर बाद भंवरी नीचे से धक्के लगा कर उसके धक्कों का जवाब देने लगी। बेशक वो अब इस खेल में पूरी तरह से शामिल थी और चुदाई का लुत्फ़ उठा रही थी। उसके मुंह से बेसाख्ता सिस्कारियां निकल रही थीं।

उसकी प्रतिक्रिया देख कर हीरा लाल बोला, “क्यों रानी, अभी भी दर्द हो रहा है?”

“स्स्स! ... नहीं! ... उई मां! ... ऊह! ... जोर से!”

“ले रानी ... ले, जोर से ले!” और हीरा लाल ने अपनी पूरी ताक़त लगा दी। लंड अब पूरा अन्दर जा रहा था। घमासान चुदाई से कमरे में ‘फच्च फच्च’ की आवाजें गूँज रही थीं।

कुछ ही देर में भंवरी झड़ने की कगार पर पहुँच गई। वह बेमन से चुदने के लिए तैयार हुई थी पर ऐसी धमाकेदार चुदाई उसे आज पहली बार नसीब हुई थी। उसने हीरा लाल को कस कर पकड़ लिया और हांफते हुए बोली, “बस सेठ ... अब निकाल दो पानी … मैं झड रही हूँ। ... अब बस करो!”

हीरा लाल भी झड़ने के लिए तैयार था। वह सिर्फ भंवरी के लिए रुका हुआ था। जब उसने देखा कि भंवरी अपनी मंजिल पर पहुँचने वाली है तो उसने धुआंधार चुदाई शुरू कर दी। दोनों एक साथ चुदाई के चरम पर पहुंचे ... दोनों के शरीर अकड़ गए ... लंड ने चूत में बरसात शुरू कर दी। कुछ देर दोनों एक दूसरे की बाँहों में पड़े रहे। ... भंवरी चुद चुकी थी। उसकी चूत तृप्त हो गई थी। ... हीरा लाल खुश था कि उसके मन की मुराद पूरी हो गई थी और एक नई चिड़िया उसके जाल में फंस गई थी।



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दिन बीतते गए। यह खेल चलता रहा। वायदे के मुताबिक ठेकेदार हीरा लाल माधो की भूख-प्यास मिटाता रहा। भंवरी चुदती रही और इतनी चुदी कि एक भावी मजदूर उसकी कोख में पलने लगा।



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अपनी घरवाली का पेट दिनों-दिन बढ़ता देख कर माधो को चिंता सताने लगी। उसने सोचा कि मैंने जरा सी छूट क्या दे दी, इन्होने तो ... वह ठेकेदार हीरा लाल के पास जाने ही वाला था कि विलायती दारू की एक पेटी उसके पास पहुंच गई। पूरी पेटी और वह भी विलायती दारू की! ... उसके विचार बदलने लगे। उसने सोचा, “हीरा लाल तो देवता है ... देवता प्रसाद तो देगा ही ... भंवरी ही मूरख निकली ... उसे प्रसाद लेना भी न आया! आजकल तो इतने सारे साधन हैं फिर भी ...”

रात को नशे में धुत्त माधो भंवरी पर फट पड़ा। दिल की बात जुबान पर आ गई, ‘‘अपने पेट को देख, बेशरम! यह क्या कर आई?’’

“मैंने क्या किया? यह सब तो भगवान के हाथ में है!”

“भगवान के हाथ में? इसे रोकने के साधन मुफ्त में मिलते हैं! किसी सरकारी अस्पताल क्यों ना गई?”

“क्यों जाती अस्पताल? ज़रा सोच, अभी तो तेरे खाने-पीने का जुगाड़ मैं कर सकती हूं। मैं बूढ़ी हो जाऊंगी तो कौन करेगा यह?” भंवरी अपने पेट पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘‘बुढ़ापे में तेरी देखभाल करने वाला ले आई हूं मैं?’’

यह सुन कर माधो का दुःख दूर हो गया। वह सोच रहा था, “क्या इन्साफ किया है भगवान ने! बुढापे में मेरी सेवा ठेकेदार हीरा लाल का बेटा करेगा!”

समाप्त
 
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Hello Everyone :hi: ,
We are Happy to present to you The Exclusive story contest of Lustyweb "The Exclusive Story Contest" (ESC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne ESC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat aka discussion thread toh pehle se he Hindi section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 2000 words and maximum 8000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Lustyweb dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki ESC Ki stories ko pure Lustyweb k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.


Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Lustyweb k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.


Entry thread aaj yaani 5th February ko open hogaya hai matlab aap aaj se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 25 February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.


Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Lweb Staff.
 

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